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" अब कितना भी समेट लो हीही फायदा नहीं होगा शिला रानी "
रज्जो के रामसिंह के कमरे में अचानक घुस कर एक पल के लिए हड़बड़ाहट मचा दी थी और फिर तीनों हसने लगे ।
शिला : तुम भी न भाभी , डरा दिया
रज्जो : अरे अब किससे छिपा रहे हो उम्मम
रामसिंह उनकी बातों के पड़ने के बजाय अपने कपड़े पहन रहा था और शिला जवाब देती हुई : घर में एक तीसरा मर्द भी है उसका तो ध्यान रखना ही पड़ेगा न
रज्जो को समझते देर नहीं लगी कि शिला अरुण की बात कर रही है और वो मुस्कुराने लगी , उसे वो सब बाते याद आ रही थी जो थोड़ी देर पहले अरुण ने उसको बताई थी शिला के बारे में ।
शिला : क्या हुआ क्यों मुस्कुरा रही हो
रज्जो : कुछ नहीं छोड़ो
शिला : लो छोड़ तो दिया , अब तुम ही संभालो देवर जी को हाहाहाहाहा
रज्जो : अरे तुम कहा चली
शिला : मै ! मै तो अपने साजन के द्वार चली रे हाहाहाहाहा
कमरे में सब हसने लगे और रज्जो बिस्तर पर पसर गई : उफ्फ आज तो पूरा बदन चूर चूर हो गया है नंदोई जी
रामसिंह के पास लेट कर : लग रहा है भाई साहब ने कुछ ज्यादा ही मेहनत करवा दी
रज्जो उसको अपने करीब पाकर सिहरने सी लगी : सुबह से 3 बार और आपका
रामसिंह मुस्कुरा कर उसके कमर पर हाथ रखते हुए उसके उठे हुए कूल्हे को साड़ी के ऊपर से सहलाता हुआ : वो तो आप पर निर्भर करेगा कितनी बार
रज्जो : अच्छा जी , बड़े कॉन्फिडेंस में हो
रामसिंह : आपको देख कर मेरा मोटिवेशन बड़ा हो जाता है
रज्जो हाथ पीछे ले जाकर उसके खड़े हुए लंड को पेंट के ऊपर से मसलने लगी : अह्ह्ह्ह लग रहा है कुछ ज्यादा ही जोश में है
रामसिंह उसको पीछे से पकड़ कर उसके गाल चूमने लगा और अपना लंड उसके गद्देदार चूतड़ों me कोचने लगा: इसका जोश आपके होश उड़ा देगा भाभी , बस आप हुकुम करो
रज्जो घूम कर उसके ओर होती हुई उसका लंड एकदम से थाम लिया और उसकी आंखों में देखते हुई : ऐसा क्या ?
रामसिंह अपने गोटे रज्जो के हाथों में कसता पाकर मचलने लगा उसकी आंखे और चेहरे का रंग बिगड़ने लगा : अह्ह्ह्ह हा भाभी उम्मम आराम से फोड़ना तो नहीं चाहती आप उसे उम्मम
रज्जो मुस्कुरा कर : ऊहू मुझे तो चूस कर पीने में मजा आता है
रज्जो के शब्दों ने रामसिंह को जोश से भर दिया और उसका लंड पूरा फूल गया रज्जो की हथेली और उसने रज्जो को अपनी ओर खींचते हुए उसके लिप्स चूसने लगा
रज्जो भी दुगनी जोश से उसपर टूट पड़ी
दोनों एक दूसरे को अपनी वासना का जोश दिखा थे , रामसिंह के पंजे रज्जो के चूतड़ों को साड़ी के ऊपर से मसल रहे थे वहीं रज्जो के पंजे उसके लंड को पेंट के ऊपर से
रामसिंह ने किस करते हुए रज्जो के सीने से पल्लू हटा कर उसकी छातियों को मिजने और चाटने लगा : ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह दैय्या आराम से राजा उफ्फ
रामसिंह उसके ब्लाउज के ऊपर से चूचियों को मुंह में भरने लगा : आज कोई रहम नहीं भाभी
फिर उसने साड़ी खींचनी शुरू की और रज्जो घूम कर आलमारी से जा लगी
रामसिंह ने वही उसको पीछे से पकड़ लिया और अपना लंड पेटीकोट के ऊपर से उसके गाड़ में कोचना शुरू कर दिया , उसके लिप्स अब रज्जो की बैकलेस ब्लाउज से झांकती पीठ को चूम रही थी और दांतों से उसने बड़े रोमांटिक अंदाज में ब्लाउज की डोरी खींची जिससे रज्जो पूरी मचल उठी : हाय दैय्या सीईई अह्ह्ह्ह, बड़े रोमांटिक हो रहे हो सीई ओह्ह्ह्ह उम्ममम
रामसिंह ने बिना कुछ बोले उसके ब्लाउज के नीचे से चूमते हुए कमर और कूल्हे को सहलाने लगा और अपना मुंह उसके गाड़ पर दबाने लगा : अह्ह्ह्ह भाभी जी क्या मस्त खुशबू है नीचे उम्मम और कितनी गद्देदार जोड़ा रखा है आपने
रामसिंह ने रज्जो के चूतड़ों पर दोनों तरफ से एक साथ पंजा जमाया और रज्जो पूरी तरह से गणगना उठी : अह्ह्ह्ह सीईईईईई नंदोई जी उम्मम बडे जालिम हो आप अह्ह्ह्ह दर्द हो रहा है आराम से करो न उम्मम
रामसिंह खड़े होकर उसके ब्लाउज का हुक निकाल दिया और रज्जो अपनी नंगी चूचियां छिपाती हुई खिलखिला कर बिस्तर पर चली गई
उसके बड़े बड़े पहाड़ जैसे उठे चूतड़ों को देख कर रामसिंह वापस ने उसके गाड़ पर टूट पड़ा और अपना मुंह रगड़ने लगा
रज्जो ने धीरे से अपनी पेटीकोट की डोरी खींची और वो ढीली हो गई
रामसिंह उसके नरम चर्बीदार कमर और कूल्हे को चूमता हुआ उसका पेटीकोट नीचे सरकाने लगा तो रज्जो की गाड़ दिखने लगी जिसपर पैंटी कसी हुई थी
पेटीकोट खींचते हुए रामसिंह के होठ पल भर के लिए भी रज्जो के चूतड़ों से नहीं उठे और वो उन्हें सूंघता चूमता रहा और उसने रज्जो के बड़े बड़े रसीले चूतड़ों को पंजों से पकड़ कर अपना नथुना उसके गाड़ के दरारों में रगड़ने लगा और सूंघने लगा : ओह्ह्ह भाभी कितनी मुलायम गाड़ है आपकी उम्मम और ये खुशबू अह्ह्ह्ह कितनी मादक है सीईईई तभी तो आपके पति ने सारी मेहनत यही की है अह्ह्ह्ह
रज्जो : ओह्ह्ह्ह उम्ममम सच कहा , उनको मेरी गाड़ बहुत पसंद है रोज चाट कर पेलते है और चोद चोद कर ही इतनी बड़ी कर दी जैसे आपने शिला दीदी की कर दी
रामसिंह मुस्कुरा कर रज्जो के चूतड़ों पर चट्ट से थपेड़ लगाता रज्जो पूरी झन्ना जाती है : अह्ह्ह्ह बहिनचोद उफ्फफ मार काहे रहे है
रामसिंह रज्जो के मुंह से गाली सुनकर खुश हो गया और उसकी लाल की चूतड़ को होठों से मुंह में भरने लगा और दरारों के जीभ फिराने लगा : ओह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह दैय्या सीईई अह्ह्ह्ह मेरे राजा और उम्ममम गाड़ चटवाने में जो सुख है वो अह्ह्ह्ह सीईईईईई ओह्ह्ह्ह ऐसे ही खाओ उम्मम
रामसिंह उसकी पैंटी खींचने लगा और रज्जो ने भी घूम कर उसकी मदद की और अब वो पूरी नंगी होकर बिस्तर पर थी अपनी जांघें फैलाए हुए चूत के फांकों को सहलाने लगी
जिसे देखकर रामसिंह मुस्कुरा कर अपने कपड़े निकाल फेंके और रज्जो के पास जाकर झुक कर उसके चूचियों को हाथों में भरते हुए लिप्स चूसने लगा और फिर उसके चूचियों पर टूट पड़ा
रज्जो : अह्ह्ह्ह्ह सीईईई ओह्ह्ह आराम से राजा ओह्ह्ह्ह खा जाओ , जबसे आई है खूब खुजली हो रही है यहां उम्मम अह्ह्ह्ह्ह मसल डालो मेरे राजा अह्ह्ह्ह सीईईईईई ओह्ह्ह्ह
रामसिंह उसकी चूचियां पीते हुए अपनी उंगलियों नीचे रज्जो की बुर पर ले गया और सहलाने लगा जिससे रज्जो बिलबिला उठी और उसकी बुर रसाने लगी
रामसिंह ने जैसे ही रज्जो की चूत का पानी महसूस किया उसने अपनी गीली उंगलियों से रज्जो के निप्पल छू कर उन्हें चाटने लगा : ओह्ह्ह्ह ये तो कमाल का अहसास है उम्मम अह्ह्ह्ह्ह सीईईई ओह्ह्ह बहुत चटोरे हो नंदोई जी , आपकी जीभ कमाल करती है ओह्ह्ह्ह उम्ममम
रामसिंह : अभी असल कमाल देखा कहा भाभी
ये बोलकर वो रज्जो की जांघों की ओर घूम गया और जांघें फैलाता हुआ अपनी जीभ निकाल कर उसकी गीली चूत पर फिरता हुआ उसके फांकों को मुंह में ले लिया: ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह दैय्या सीईई ओह्ह्ह नंदोई जी ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह ओह्ह्ह्ह उफ्फ बहुत अच्छा लग रहा है उम्मम और ओह्ह्ह्ह ऐसे ही खा जाओ उनमें घुसाओ उम्मम अह्ह्ह्ह
रामसिंह पूरा हाथ से फैला फैला कर रज्जो की बुर में अपनी थूथ रगड़ रहा था और रज्जो उतना ही अपने कूल्हे उठा कर उसकी मदद करती ,
उसने जैसे ही अपनी जीभ को उसकी बुर में घुसाया : ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह हा उम्मम और ओह्ह्ह्ह अंदर उम्मम आऊंगी मै ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह दैय्या सीईई अह्ह्ह्ह मेरे राजा उम्मम खा जाओ चाट जाओ सारी मलाई उम्मम अह्ह्ह्ह्ह सीईईई ओह्ह्ह
रामसिंह ने एकदम से पैंतरा बदल दिया और रज्जो की टांगे खोलकर कर अपने आगे घुमा दिया और टोपा सेट करते हुए गच्च से लंड एकदम रज्जो की बजबजाई बुर में उतार दिया , जिससे रज्जो के झड़ने का मजा दुगना हो गया : ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह उम्ममम उफ्फ क्या क्या पैंतरे करते ही नंदोई जी अह्ह्ह्ह्ह ओह्ह्ह पागल कर रखा है , आग बुझ ही नहीं रही आज उम्मम पेलो और चोदो मुझे अह्ह्ह्ह्ह
रामसिंह : तुम भी कम नहीं हो भाभी , तुम्हारी रसीली चूत बहुत टेस्टी है और लंड इतनी आराम से जा रहा अह्ह्ह्ह्ह बहुत लचीली बुर है आपकी ओह्ह्ह्ह
रज्जो : सच में आज मेरा यहां आना सफल हो गया ओह्ह्ह्ह कितना मजा आ रहा है रुकना मत और पेलो उम्मम
रामसिंह ने पूरी ताकत जोख दी थी जांघें उठा कर ताबड़तोड़ चोदने लगा
कमरे में चीखे उठने लगी और थपथप की आवाजें आने लगी , ताल से ताल मिल रहे थे : ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह और और डालो पूरा अंदर घुसाओ ओह्ह्ह्ह फिर से आ रहा है ओह्ह्ह ऐसे ही उम्ममम रुकना मत तेज करो उम्ममम तड़पाओ मत बहनचोद पेलो कस के
रामसिंह मुस्कुरा कर दुगनी ताकत से चोदने लगा और चिल्लाने लगा : ओह्ह्ह्ह यशस्श उम्मम साली रंडी कितना अंदर चाहिए तुझे लंड उम्मम चूत है या भोसड़ा अह्ह्ह्ह बोल और डालू
रज्जो एकदम झड़ने के करीब थी उसका पूरा बदन कांप रहा था और वो खुद कूल्हे उठाने लगी और जांघें कसने लगी जिसका असर रामसिंह को अपने लंड पर महसूस हो रहा था : जितना डाल सकते हो डालो न बहनचोद पेलो मुझे ओह्ह्ह आ रहा है आ रहा है रुकना मत रुके नंदोई जी तो मां चोद दूंगी तुम्हारी उम्ममम ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह दैय्या सीईई अह्ह्ह्ह रमन के पापा उम्ममम अह्ह्ह्ह ओह्ह्ह् मेरे राजा ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह
रामसिंह रज्जो के जोश और तड़प को देख कर पूरा पागल हो गया और पूरी ताकत से पेलने लगा , कसी जांघों का जोर सीधा उसके लंड पर होने लगा और लगातार पेलाई से आखिर उसके भी लंड का टोपा खुल गया
एक के बाद एक मोटी गाढ़ी पिचकारियां रज्जो की बुर में जाती रहे : ओह्ह्ह्ह भाभी उम्ममम अह्ह्ह्ह लो लड़ के साथ मेरा माल भी को आज भर दूंगा तुम्हारी बुर ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह उम्ममम मजा आ गया मेरी जान ओह्ह्ह्ह कितनी बड़ी चुदक्कड़ है तू साली रंडी छिनाल कुतिया उम्ममम क्या मस्त चूत है अह्ह्ह्ह
रामसिंह हांफते हुए रज्जो के ऊपर गिर गया
एक तरफ जहां हर कोई थक कर बिस्तर तोड़ कर सो रहा था वही दो लोग थे , जिन्हें चाह कर भी बिस्तर आज की रात नसीब नहीं हो रही थी
रात के 2 बजने वाले थे और गाड़ी अपने रफ्तार से चल रही थी ।
मुरारी की उंगली ने मंजू को राहत के बजाय उसकी परेशानी और बढ़ा दी ।
: आप तो बात मत करो मुझसे , झूठे कही के
: सॉरी न मंजू , तुम बताओ क्या करु
मंजू तो बीवियों के जैसे रूठ गई और मुरारी का लंड बैठने का नाम नहीं लें रहा था उसे एक आईडिया आया तो वो धीरे से मंजू के कान में बोला : पेशाब करने के बहाने गाड़ी रुकवाऊ बाहर चल कर छिप कर ...
मंजू : क्या आप भी , कही पकड़े गए या किसी ने देख लिया तो
मुरारी : तो अब क्या करु बताओ , फिर से उंगली डालू
मंजू : उन्हूं , मुझे परेशान नहीं होना
ऐसे ही बातें करते हुए पौने 3 बज गए , रात अभी भी गहरी थी धीरे धीरे कोहरा ढक रहा सड़कों को
मुरारी की नजर पड़ी और उसने महसूस किया कि ड्राइवर ने भी गाड़ी की स्पीड कम कर दिया है
मुरारी : क्या हुआ भाई
ड्राइवर : आगे कोहरा बहुत है सेठ , मेरा रेगुलर रूट भी नहीं हैं तो थोड़ा जम नहीं रहा है
मुरारी : ठीक है ठीक है आराम से चलो , कोई जल्दी नहीं है
ड्राइवर: ठीक है सेठ , अगर लेट न हो तो थोड़ा रुक जाते है । किनारे
मुरारी : क्यों भाई ?
ड्राइवर : अरे सेठ , इधर का मिर्च मसाला वाला खाना अपने जो जमा नहीं तो पेट गड़बड़ है
मुरारी : लेकिन यहां हाइवे पर जाओगे किधर
ड्राइवर: बोटल है , यही नीचे उतर जाऊंगा
मुरारी : ठीक है थोड़ा सही जगह देख कर लगाओ गाड़ी
इस पूरे बातचीत के दौरान मंजू चुप थी और थोड़ा आगे जाकर हाइवे पर ही एक ट्रक पार्किंग लेन दिखा , वहां सड़क चौड़ी थी और एक 50 फिट लंबी डिवाइडर डाल कर अलग लेन बनाई थी पार्किंग के लिए तो वही पर उसने गाड़ी लगा दी और तेजी पानी लेकर चला गया
मुरारी ने देखा कि मंजू बाहर की स्थिति देख रही थी , बाहर पूरा घुप अंधेरा था और ड्राइवर ने बस इंडीकेटर ऑन करने गया था
मुरारी ने उसके कंधे पर हाथ रख कर : क्या हुआ
मंजू उसकी ओर घूमी : मुझे चाहिए अभी
मुरारी एकदम से शौक हो गया और उसका लंड पजामे में तंबू बना चुका था
मुरारी ने बिना अंजाम की फिक्र किए अपना लंड बाहर निकाल और मंजू गाड़ी में खड़ी होकर मुरारी के आगे आ गई । और अपनी साड़ी उठाने लगी , उसने अपनी पैंटी निकाली और घुटने के बल सीट पर चढ़ आई
मुरारी ने उसके चूतड़ों को थाम कर थूक से अपना सुपाड़ा गिला किया और मंजू ने उसे अपने हाथ से पकड़ कर अपनी बुर के मुंह पर लगाया और बैठ गई : ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह उम्ममम
उसकी सांसे तेज हो गई चेहरा तपने लगा जैसे जैसे मुरारी का मोटा लंबा लंड उसकी बुर को चीरता हुआ अंदर जाता वो सिसकती हुई मुरारी के कंधे को पकड़ लेती
फिर एक समय आया कि वो मुरारी के लंड पर पूरी बैठ गई थी
उसने लपक कर पीछे चादर ओढ ली और मुरारी के लिप्स चूसने लगी
मुरारी भी दुगने जोश में आ गया और उसके नरम चूतड़ों को मसलते हुए उसके लिप्स चूसने लगा: ओह्ह्ह्ह मंजू क्या मस्त चूत है तेरी कितनी रसीली
मंजू उसके लिप्स पर उंगली रख कर उठने बैठने लगी : अह्ह्ह्ह सीईईईईई चुप रहो ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह कितनी खुजली कर दिए थे ओह्ह्ह्ह मम्मीईइई ओह्ह्ह्ह
मुरारी उसके चूतड़ों को सहलाते हुए उसके गाल और गर्दन चूमने लगा और मंजू मस्त हो गई
वो खुद अपने कूल्हे हिलाते हुए मुरारी के लंड पर मथने लगी : ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह उम्ममम उफ्फ
मुरारी : ओह्ह्ह्ह मंजू कितनी मस्त अदा है तुम्हारी , मदन के तो भाग खुल गए
मंजू मस्ती में मुरारी के लंड पर उछलती हुई : ओह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह आप चुप नहीं रह सकते न , उसने पहले मेरी बुर आपको मिली है ओह्ह्ह्ह यशस्स अह्ह्ह्ह्ह सीईईई ओह्ह्ह उम्ममम
मुरारी : हा रोज तो नहीं मिलेगी न घर पर
मंजू : मिलेगी क्यों नहीं , अह्ह्ह्ह्ह सब इंतजाम हो जाता है अह्ह्ह्ह इतना मोटा लंड उफ्फफ ऐसे थोड़ी न छोड़ दूंगी उम्ममम ओह्ह्ह्ह
इधर दोनों मस्त थे और इस बार से बेफिक्र होकर कि ड्राइवर हग कर वापस आ गया था
बिना आहट के उसने झट से आगे का दरवाजा खोला ये बोलते हुए : हो गया सेठ चले क्या
जैसे ही उसने पीछे देखा तो उसकी आंखे बड़ी हो गई और उसके आते ही इधर मुरारी और मंजू की हालत खराब हो गई । दोनों की सांसे तेज हो गई ।
ड्राइवर तुरंत समझ गया कि क्या चल रहा है और उसने झट से आगे वाली सीट पर एक पर्दा साइड में किया हुआ था उसकी खींचते हुऐ: माफ करना सेठ , मुझे मालूम नहीं था
मुरारी ने देखा कि आगे से अब कोई उसे देख नहीं सकता लेकिन दोनों अभी भी जड़ थे तबतक कि जबतक ड्राइवर ने उन्हें बेफिक्र नहीं कर दिया
ड्राइवर : आप अपना काम चालू रखो सेठ ,वो क्या है मेरे यहां सिटी में छोकरा लोग ऐसे काम करते रहे है । तो बिंदास रहो
फिर उसने गाड़ी चालू कर दी
मंजू : ये क्या बोल रहा है
मुरारी मुस्कुरा कर : बोल रहा है कि इतना मस्त माल छोड़ना मत
मंजू मुस्कुराई : धत्त गंदे अह्ह्ह्ह नीचो मत
मुरारी ने चादर हटा दिया और उसकी साड़ी का पल्लू हटा कर ब्लाउज खोलने लगा
मंजू थोड़ा सकपकाई : पागल हो गए हो क्या
मुरारी : हा , अब मत रोको मुझे
फिर मुरारी ने ममता के ब्लाउज भी निकल दिए और ब्रा सरका कर उसके मम्मे पीने लगा : ओह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह सीईई ओह्ह्ह भईया उम्मम आराम से करो न उम्मम अह्ह्ह्ह्ह
मुरारी उसके दूध मसलता हुआ : जबसे इन्हें देखा है कितना ललचा हूं उम्ममम कितनी रसीली चुची है तुम्हारी मंजू उम्ममम
मंजू मुस्कुरा कर : भाभी से ज्यादा है क्या
मुरारी : अब छोटे भाई की बीवी की चुची रसीली नहीं होगी तो किसकी होगी
मंजू शर्मा कर : धत्त अह्ह्ह्ह्ह सीईईई
उसने वापस से मुरारी के लंड पर उछलना शुरू आकर दिया और अपनी साड़ी खींच कर अलग कर दी
उसके जिस्म पर अब पेटीकोट था जो उसकी कमर में सिमटा हुआ था और वो कस कस के खुद अपने कूल्हे पटक रही थी मुरारी के लंड पर : ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह कितना तड़पाया आपने इसके लिए ओह्ह्ह्ह उम्ममम इसको तो मै निचोड़ लूंगी उम्मम अह्ह्ह्ह्ह।मुरारी उसको कमर से पकड़ कर पीछे की चौड़ी सीट पर घुमा दिया और एक हाथ से सीट का सहारा लेकर नीचे लेटी हुई मंजू की बुर ने पेलने लगा : ओह्ह्ह्ह अब निचोड़ के दिखा उम्मम आज तो तेरी चूत मेरी है इसकी सुराख मोटी कर दूंगा उम्मम बोल कर दूं
मंजू पूरी मस्ती से सिसकारियां लेती हुई : हा भइया कर दो न उम्ममम यश डालो और उम्ममम अह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह मजा आ रहा है आपके लंड से ओह्ह्ह्ह गॉड कितना बड़ा है और उम्मम
मुरारी उसी पकड़ कर तेजी से पेल रहा : ले मेरी जान उम्ममम कितनी मुलायम और रसभरी चूत है तेरी अह्ह्ह्ह कितनी मुलायम ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह सीईईईईई ओह्ह्ह्ह
मंजू : क्या हुआ उम्मम
मुरारी : अह्ह्ह्ह लग रहा है आएगा , अंदर डाल दु उम्मम
मंजू : भर दो कोई दिक्कत नहीं है अह्ह्ह्ह सीईईईईई ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह उम्ममम कितना गर्म है ओह्ह्ह्ह मेरी बुर भर गई ऐसा लग रहा है ओह्ह्ह्ह अभी भी आ रहा है , कितना रखे हो हीही
मुरारी उसकी मस्ती पर झटके देता हुआ : ओह्ह्ह्ह इतना है कि तेरी गाड़ भी भर दु तो भी कम न हो ।
मंजू मुस्कुरा कर उसके गाल चूमते हुए : बचा कर रखो, घर चल कर नहला देना मुझे इसी से
मुरारी उसकी बातों से और जोश में आ गया और फिर से झटके देने लगा : अह्ह्ह्ह घर चलने तक तुझे चोदूंगा मेरे जान
मंजू इन शब्दों से फिर मचल उठी और फिर से उसकी बुर में खुजली होने लगी और वो उसके लिप्स चूसने लगी लेते हुए धीरे धीरे गाड़ी अपने गंतव्य की ओर पहुंच रही थी सुबह की बेला ने चमनपुरा की सरहद को छूने लगी थी , हल्के सर्द मौसम और कोहरे से रास्ते डबल लेन पर चलना और रिक्सी था
मुरारी : हम पहुंचने वाले है
मंजू मुस्कुरा कर उसे देखा और गाल चूम कर : थैंक यू
मुरारी : तुम अपने घर जा रही हो थैंक्यू कैसा
मंजू : कुछ नहीं आप नहीं समझोगे , यहां से जाने के बाद आज कितने साल बाद मै वापस आई हूं , जब मेरे मायके वालो ने भी मुझे नहीं स्वीकारा तो अपने मेरा हाथ थामा
ये बोलकर मंजू मुरारी से लिपट कर फफक पड़ी और सिसकने लगी ।
सिसकिया तो कही और भी उठ रही थी
ममता के कमरे में
जहां ममता घोड़ी बनी हुई बिस्तर पर थी और पीछे से मदन उसकी चूत में लंड उतार रहा था
: उम्मम देवर जी अह्ह्ह्ह अब जलन बर्दाश्त नहीं होता अह्ह्ह्ह जल्दी करो उफ्फ सारी रात तुमने सोने नहीं दिया ओह्ह्ह्ह सुबह होने वाली है
: ओह्ह्ह्ह मेरी जान तुम्हारी गाड़ और चूत देख कर मेरा लंड नहीं मान रहा है तो क्या करु उम्मम क्या मस्त चूत है ओह्ह्ह्ह जी कर रहा है ऐसे ही पेलूं ओह्ह्ह भाभी अह्ह्ह्ह ओह्ह्ह सीईईई
: आप नहीं मानोगे न, मुझे ही निचोड़ना पड़ेगा ( ये बोल कर ममता ने अपनी बुर का छल्ला कस लिया और मदन उसके ऊपर चढ़ा हुआ हचक हचक कर पेलने लगा )
: ओह्ह्ह भाभी तुम्हारे पास जादू है ओह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह सीईईई ओह्ह्ह यस्स अह्ह्ह्ह्ह सीईईई
: पेलो देवर जी अह्ह्ह्ह सीईईईईई उम्मम्म ओह्ह्ह्ह और घुसाओ रुकना मत भर दो मेरी चूत को अह्ह्ह्ह
: अह्ह्ह्ह नहीं इस बार आपकी गाड़ नहलाऊंगा ओह्ह्ह्ह कितनी गुलाबी गाड़ है तुम्हारी भाभी ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह सीईईईईई ओह्ह्ह्ह
: किसी रोज उसमें भी डाल कर देखना , डालोगे न देवर जी भरोगे न मेरी गाड़ उम्मम
: ओह्ह्ह भाभी हा क्यों नहीं ओह्ह्ह्ह आपने तो मेरा ओह्ह्ह्ह आएगा ओह्ह्ह्ह सीआईईईई उम्मम अह्ह्ह्ह्ह
: हा देवर जी और तेज उम्मम अह्ह्ह्ह पेलो और और उम्ममम मेरा भी आयेगा रुकना मत ओह्ह्ह्ह कितना जल रहा है अह्ह्ह्ह
: ओह्ह्ह्ह सीईईई भाभी अह्ह्ह्ह ओह्ह्ह गॉड फक्क्क् यूयू ओह्ह्ह्ह क्या मस्त गाड़ है तुम्हारी भाभी अह्ह्ह्ह लोह उफ्फफ
मदन अपना लंड निकाल कर उसके गाड़ पर झड़ने लगा और ममता हांफती हुई बिस्तर पर पसर गई ।
मदन झड़ कर उसके पास लेट गया हांफता हुआ
: ओह्ह्ह हाहाहाहाहा मजा आ गया भाभी , थैंक यू अपने तो मेरी रात बना दी
: दिन भी बनने वाली है ( ममता बुदबुदाई )
: क्या , कुछ कहा क्या आपने
: हा , इतने सालों में पहली बार 5 बार चुदाई हुई मेरी इतना मै कभी नहीं चुदी
मदन उसके चूतड़ों को सहलाते हुए : ऐसी गाड़ हो तो 5 क्या 10 बार भी चोद लूं मै
: ना बाबा न , मुझे माफ करो अब तो दो दिन तक ये सूजन न जाए इतनी लाल कर चुके हो
: हाहा
मदन कुछ बोलने को हुआ था कि मेन गेट पर बेल बजी
: अरे इतनी सुबह कौन आया होगा
ममता हस्ती हुई : आपका सरप्राइज़ हाहाहाहाहा , चलो कपड़े पहन लो ।
" अब कितना भी समेट लो हीही फायदा नहीं होगा शिला रानी "
रज्जो के रामसिंह के कमरे में अचानक घुस कर एक पल के लिए हड़बड़ाहट मचा दी थी और फिर तीनों हसने लगे ।
शिला : तुम भी न भाभी , डरा दिया
रज्जो : अरे अब किससे छिपा रहे हो उम्मम
रामसिंह उनकी बातों के पड़ने के बजाय अपने कपड़े पहन रहा था और शिला जवाब देती हुई : घर में एक तीसरा मर्द भी है उसका तो ध्यान रखना ही पड़ेगा न
रज्जो को समझते देर नहीं लगी कि शिला अरुण की बात कर रही है और वो मुस्कुराने लगी , उसे वो सब बाते याद आ रही थी जो थोड़ी देर पहले अरुण ने उसको बताई थी शिला के बारे में ।
शिला : क्या हुआ क्यों मुस्कुरा रही हो
रज्जो : कुछ नहीं छोड़ो
शिला : लो छोड़ तो दिया , अब तुम ही संभालो देवर जी को हाहाहाहाहा
रज्जो : अरे तुम कहा चली
शिला : मै ! मै तो अपने साजन के द्वार चली रे हाहाहाहाहा
कमरे में सब हसने लगे और रज्जो बिस्तर पर पसर गई : उफ्फ आज तो पूरा बदन चूर चूर हो गया है नंदोई जी
रामसिंह के पास लेट कर : लग रहा है भाई साहब ने कुछ ज्यादा ही मेहनत करवा दी
रज्जो उसको अपने करीब पाकर सिहरने सी लगी : सुबह से 3 बार और आपका
रामसिंह मुस्कुरा कर उसके कमर पर हाथ रखते हुए उसके उठे हुए कूल्हे को साड़ी के ऊपर से सहलाता हुआ : वो तो आप पर निर्भर करेगा कितनी बार
रज्जो : अच्छा जी , बड़े कॉन्फिडेंस में हो
रामसिंह : आपको देख कर मेरा मोटिवेशन बड़ा हो जाता है
रज्जो हाथ पीछे ले जाकर उसके खड़े हुए लंड को पेंट के ऊपर से मसलने लगी : अह्ह्ह्ह लग रहा है कुछ ज्यादा ही जोश में है
रामसिंह उसको पीछे से पकड़ कर उसके गाल चूमने लगा और अपना लंड उसके गद्देदार चूतड़ों me कोचने लगा: इसका जोश आपके होश उड़ा देगा भाभी , बस आप हुकुम करो
रज्जो घूम कर उसके ओर होती हुई उसका लंड एकदम से थाम लिया और उसकी आंखों में देखते हुई : ऐसा क्या ?
रामसिंह अपने गोटे रज्जो के हाथों में कसता पाकर मचलने लगा उसकी आंखे और चेहरे का रंग बिगड़ने लगा : अह्ह्ह्ह हा भाभी उम्मम आराम से फोड़ना तो नहीं चाहती आप उसे उम्मम
रज्जो मुस्कुरा कर : ऊहू मुझे तो चूस कर पीने में मजा आता है
रज्जो के शब्दों ने रामसिंह को जोश से भर दिया और उसका लंड पूरा फूल गया रज्जो की हथेली और उसने रज्जो को अपनी ओर खींचते हुए उसके लिप्स चूसने लगा
रज्जो भी दुगनी जोश से उसपर टूट पड़ी
दोनों एक दूसरे को अपनी वासना का जोश दिखा थे , रामसिंह के पंजे रज्जो के चूतड़ों को साड़ी के ऊपर से मसल रहे थे वहीं रज्जो के पंजे उसके लंड को पेंट के ऊपर से
रामसिंह ने किस करते हुए रज्जो के सीने से पल्लू हटा कर उसकी छातियों को मिजने और चाटने लगा : ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह दैय्या आराम से राजा उफ्फ
रामसिंह उसके ब्लाउज के ऊपर से चूचियों को मुंह में भरने लगा : आज कोई रहम नहीं भाभी
फिर उसने साड़ी खींचनी शुरू की और रज्जो घूम कर आलमारी से जा लगी
रामसिंह ने वही उसको पीछे से पकड़ लिया और अपना लंड पेटीकोट के ऊपर से उसके गाड़ में कोचना शुरू कर दिया , उसके लिप्स अब रज्जो की बैकलेस ब्लाउज से झांकती पीठ को चूम रही थी और दांतों से उसने बड़े रोमांटिक अंदाज में ब्लाउज की डोरी खींची जिससे रज्जो पूरी मचल उठी : हाय दैय्या सीईई अह्ह्ह्ह, बड़े रोमांटिक हो रहे हो सीई ओह्ह्ह्ह उम्ममम
रामसिंह ने बिना कुछ बोले उसके ब्लाउज के नीचे से चूमते हुए कमर और कूल्हे को सहलाने लगा और अपना मुंह उसके गाड़ पर दबाने लगा : अह्ह्ह्ह भाभी जी क्या मस्त खुशबू है नीचे उम्मम और कितनी गद्देदार जोड़ा रखा है आपने
रामसिंह ने रज्जो के चूतड़ों पर दोनों तरफ से एक साथ पंजा जमाया और रज्जो पूरी तरह से गणगना उठी : अह्ह्ह्ह सीईईईईई नंदोई जी उम्मम बडे जालिम हो आप अह्ह्ह्ह दर्द हो रहा है आराम से करो न उम्मम
रामसिंह खड़े होकर उसके ब्लाउज का हुक निकाल दिया और रज्जो अपनी नंगी चूचियां छिपाती हुई खिलखिला कर बिस्तर पर चली गई
उसके बड़े बड़े पहाड़ जैसे उठे चूतड़ों को देख कर रामसिंह वापस ने उसके गाड़ पर टूट पड़ा और अपना मुंह रगड़ने लगा
रज्जो ने धीरे से अपनी पेटीकोट की डोरी खींची और वो ढीली हो गई
रामसिंह उसके नरम चर्बीदार कमर और कूल्हे को चूमता हुआ उसका पेटीकोट नीचे सरकाने लगा तो रज्जो की गाड़ दिखने लगी जिसपर पैंटी कसी हुई थी
पेटीकोट खींचते हुए रामसिंह के होठ पल भर के लिए भी रज्जो के चूतड़ों से नहीं उठे और वो उन्हें सूंघता चूमता रहा और उसने रज्जो के बड़े बड़े रसीले चूतड़ों को पंजों से पकड़ कर अपना नथुना उसके गाड़ के दरारों में रगड़ने लगा और सूंघने लगा : ओह्ह्ह भाभी कितनी मुलायम गाड़ है आपकी उम्मम और ये खुशबू अह्ह्ह्ह कितनी मादक है सीईईई तभी तो आपके पति ने सारी मेहनत यही की है अह्ह्ह्ह
रज्जो : ओह्ह्ह्ह उम्ममम सच कहा , उनको मेरी गाड़ बहुत पसंद है रोज चाट कर पेलते है और चोद चोद कर ही इतनी बड़ी कर दी जैसे आपने शिला दीदी की कर दी
रामसिंह मुस्कुरा कर रज्जो के चूतड़ों पर चट्ट से थपेड़ लगाता रज्जो पूरी झन्ना जाती है : अह्ह्ह्ह बहिनचोद उफ्फफ मार काहे रहे है
रामसिंह रज्जो के मुंह से गाली सुनकर खुश हो गया और उसकी लाल की चूतड़ को होठों से मुंह में भरने लगा और दरारों के जीभ फिराने लगा : ओह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह दैय्या सीईई अह्ह्ह्ह मेरे राजा और उम्ममम गाड़ चटवाने में जो सुख है वो अह्ह्ह्ह सीईईईईई ओह्ह्ह्ह ऐसे ही खाओ उम्मम
रामसिंह उसकी पैंटी खींचने लगा और रज्जो ने भी घूम कर उसकी मदद की और अब वो पूरी नंगी होकर बिस्तर पर थी अपनी जांघें फैलाए हुए चूत के फांकों को सहलाने लगी
जिसे देखकर रामसिंह मुस्कुरा कर अपने कपड़े निकाल फेंके और रज्जो के पास जाकर झुक कर उसके चूचियों को हाथों में भरते हुए लिप्स चूसने लगा और फिर उसके चूचियों पर टूट पड़ा
रज्जो : अह्ह्ह्ह्ह सीईईई ओह्ह्ह आराम से राजा ओह्ह्ह्ह खा जाओ , जबसे आई है खूब खुजली हो रही है यहां उम्मम अह्ह्ह्ह्ह मसल डालो मेरे राजा अह्ह्ह्ह सीईईईईई ओह्ह्ह्ह
रामसिंह उसकी चूचियां पीते हुए अपनी उंगलियों नीचे रज्जो की बुर पर ले गया और सहलाने लगा जिससे रज्जो बिलबिला उठी और उसकी बुर रसाने लगी
रामसिंह ने जैसे ही रज्जो की चूत का पानी महसूस किया उसने अपनी गीली उंगलियों से रज्जो के निप्पल छू कर उन्हें चाटने लगा : ओह्ह्ह्ह ये तो कमाल का अहसास है उम्मम अह्ह्ह्ह्ह सीईईई ओह्ह्ह बहुत चटोरे हो नंदोई जी , आपकी जीभ कमाल करती है ओह्ह्ह्ह उम्ममम
रामसिंह : अभी असल कमाल देखा कहा भाभी
ये बोलकर वो रज्जो की जांघों की ओर घूम गया और जांघें फैलाता हुआ अपनी जीभ निकाल कर उसकी गीली चूत पर फिरता हुआ उसके फांकों को मुंह में ले लिया: ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह दैय्या सीईई ओह्ह्ह नंदोई जी ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह ओह्ह्ह्ह उफ्फ बहुत अच्छा लग रहा है उम्मम और ओह्ह्ह्ह ऐसे ही खा जाओ उनमें घुसाओ उम्मम अह्ह्ह्ह
रामसिंह पूरा हाथ से फैला फैला कर रज्जो की बुर में अपनी थूथ रगड़ रहा था और रज्जो उतना ही अपने कूल्हे उठा कर उसकी मदद करती ,
उसने जैसे ही अपनी जीभ को उसकी बुर में घुसाया : ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह हा उम्मम और ओह्ह्ह्ह अंदर उम्मम आऊंगी मै ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह दैय्या सीईई अह्ह्ह्ह मेरे राजा उम्मम खा जाओ चाट जाओ सारी मलाई उम्मम अह्ह्ह्ह्ह सीईईई ओह्ह्ह
रामसिंह ने एकदम से पैंतरा बदल दिया और रज्जो की टांगे खोलकर कर अपने आगे घुमा दिया और टोपा सेट करते हुए गच्च से लंड एकदम रज्जो की बजबजाई बुर में उतार दिया , जिससे रज्जो के झड़ने का मजा दुगना हो गया : ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह उम्ममम उफ्फ क्या क्या पैंतरे करते ही नंदोई जी अह्ह्ह्ह्ह ओह्ह्ह पागल कर रखा है , आग बुझ ही नहीं रही आज उम्मम पेलो और चोदो मुझे अह्ह्ह्ह्ह
रामसिंह : तुम भी कम नहीं हो भाभी , तुम्हारी रसीली चूत बहुत टेस्टी है और लंड इतनी आराम से जा रहा अह्ह्ह्ह्ह बहुत लचीली बुर है आपकी ओह्ह्ह्ह
रज्जो : सच में आज मेरा यहां आना सफल हो गया ओह्ह्ह्ह कितना मजा आ रहा है रुकना मत और पेलो उम्मम
रामसिंह ने पूरी ताकत जोख दी थी जांघें उठा कर ताबड़तोड़ चोदने लगा
कमरे में चीखे उठने लगी और थपथप की आवाजें आने लगी , ताल से ताल मिल रहे थे : ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह और और डालो पूरा अंदर घुसाओ ओह्ह्ह्ह फिर से आ रहा है ओह्ह्ह ऐसे ही उम्ममम रुकना मत तेज करो उम्ममम तड़पाओ मत बहनचोद पेलो कस के
रामसिंह मुस्कुरा कर दुगनी ताकत से चोदने लगा और चिल्लाने लगा : ओह्ह्ह्ह यशस्श उम्मम साली रंडी कितना अंदर चाहिए तुझे लंड उम्मम चूत है या भोसड़ा अह्ह्ह्ह बोल और डालू
रज्जो एकदम झड़ने के करीब थी उसका पूरा बदन कांप रहा था और वो खुद कूल्हे उठाने लगी और जांघें कसने लगी जिसका असर रामसिंह को अपने लंड पर महसूस हो रहा था : जितना डाल सकते हो डालो न बहनचोद पेलो मुझे ओह्ह्ह आ रहा है आ रहा है रुकना मत रुके नंदोई जी तो मां चोद दूंगी तुम्हारी उम्ममम ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह दैय्या सीईई अह्ह्ह्ह रमन के पापा उम्ममम अह्ह्ह्ह ओह्ह्ह् मेरे राजा ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह
रामसिंह रज्जो के जोश और तड़प को देख कर पूरा पागल हो गया और पूरी ताकत से पेलने लगा , कसी जांघों का जोर सीधा उसके लंड पर होने लगा और लगातार पेलाई से आखिर उसके भी लंड का टोपा खुल गया
एक के बाद एक मोटी गाढ़ी पिचकारियां रज्जो की बुर में जाती रहे : ओह्ह्ह्ह भाभी उम्ममम अह्ह्ह्ह लो लड़ के साथ मेरा माल भी को आज भर दूंगा तुम्हारी बुर ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह उम्ममम मजा आ गया मेरी जान ओह्ह्ह्ह कितनी बड़ी चुदक्कड़ है तू साली रंडी छिनाल कुतिया उम्ममम क्या मस्त चूत है अह्ह्ह्ह
रामसिंह हांफते हुए रज्जो के ऊपर गिर गया
एक तरफ जहां हर कोई थक कर बिस्तर तोड़ कर सो रहा था वही दो लोग थे , जिन्हें चाह कर भी बिस्तर आज की रात नसीब नहीं हो रही थी
रात के 2 बजने वाले थे और गाड़ी अपने रफ्तार से चल रही थी ।
मुरारी की उंगली ने मंजू को राहत के बजाय उसकी परेशानी और बढ़ा दी ।
: आप तो बात मत करो मुझसे , झूठे कही के
: सॉरी न मंजू , तुम बताओ क्या करु
मंजू तो बीवियों के जैसे रूठ गई और मुरारी का लंड बैठने का नाम नहीं लें रहा था उसे एक आईडिया आया तो वो धीरे से मंजू के कान में बोला : पेशाब करने के बहाने गाड़ी रुकवाऊ बाहर चल कर छिप कर ...
मंजू : क्या आप भी , कही पकड़े गए या किसी ने देख लिया तो
मुरारी : तो अब क्या करु बताओ , फिर से उंगली डालू
मंजू : उन्हूं , मुझे परेशान नहीं होना
ऐसे ही बातें करते हुए पौने 3 बज गए , रात अभी भी गहरी थी धीरे धीरे कोहरा ढक रहा सड़कों को
मुरारी की नजर पड़ी और उसने महसूस किया कि ड्राइवर ने भी गाड़ी की स्पीड कम कर दिया है
मुरारी : क्या हुआ भाई
ड्राइवर : आगे कोहरा बहुत है सेठ , मेरा रेगुलर रूट भी नहीं हैं तो थोड़ा जम नहीं रहा है
मुरारी : ठीक है ठीक है आराम से चलो , कोई जल्दी नहीं है
ड्राइवर: ठीक है सेठ , अगर लेट न हो तो थोड़ा रुक जाते है । किनारे
मुरारी : क्यों भाई ?
ड्राइवर : अरे सेठ , इधर का मिर्च मसाला वाला खाना अपने जो जमा नहीं तो पेट गड़बड़ है
मुरारी : लेकिन यहां हाइवे पर जाओगे किधर
ड्राइवर: बोटल है , यही नीचे उतर जाऊंगा
मुरारी : ठीक है थोड़ा सही जगह देख कर लगाओ गाड़ी
इस पूरे बातचीत के दौरान मंजू चुप थी और थोड़ा आगे जाकर हाइवे पर ही एक ट्रक पार्किंग लेन दिखा , वहां सड़क चौड़ी थी और एक 50 फिट लंबी डिवाइडर डाल कर अलग लेन बनाई थी पार्किंग के लिए तो वही पर उसने गाड़ी लगा दी और तेजी पानी लेकर चला गया
मुरारी ने देखा कि मंजू बाहर की स्थिति देख रही थी , बाहर पूरा घुप अंधेरा था और ड्राइवर ने बस इंडीकेटर ऑन करने गया था
मुरारी ने उसके कंधे पर हाथ रख कर : क्या हुआ
मंजू उसकी ओर घूमी : मुझे चाहिए अभी
मुरारी एकदम से शौक हो गया और उसका लंड पजामे में तंबू बना चुका था
मुरारी ने बिना अंजाम की फिक्र किए अपना लंड बाहर निकाल और मंजू गाड़ी में खड़ी होकर मुरारी के आगे आ गई । और अपनी साड़ी उठाने लगी , उसने अपनी पैंटी निकाली और घुटने के बल सीट पर चढ़ आई
मुरारी ने उसके चूतड़ों को थाम कर थूक से अपना सुपाड़ा गिला किया और मंजू ने उसे अपने हाथ से पकड़ कर अपनी बुर के मुंह पर लगाया और बैठ गई : ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह उम्ममम
उसकी सांसे तेज हो गई चेहरा तपने लगा जैसे जैसे मुरारी का मोटा लंबा लंड उसकी बुर को चीरता हुआ अंदर जाता वो सिसकती हुई मुरारी के कंधे को पकड़ लेती
फिर एक समय आया कि वो मुरारी के लंड पर पूरी बैठ गई थी
उसने लपक कर पीछे चादर ओढ ली और मुरारी के लिप्स चूसने लगी
मुरारी भी दुगने जोश में आ गया और उसके नरम चूतड़ों को मसलते हुए उसके लिप्स चूसने लगा: ओह्ह्ह्ह मंजू क्या मस्त चूत है तेरी कितनी रसीली
मंजू उसके लिप्स पर उंगली रख कर उठने बैठने लगी : अह्ह्ह्ह सीईईईईई चुप रहो ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह कितनी खुजली कर दिए थे ओह्ह्ह्ह मम्मीईइई ओह्ह्ह्ह
मुरारी उसके चूतड़ों को सहलाते हुए उसके गाल और गर्दन चूमने लगा और मंजू मस्त हो गई
वो खुद अपने कूल्हे हिलाते हुए मुरारी के लंड पर मथने लगी : ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह उम्ममम उफ्फ
मुरारी : ओह्ह्ह्ह मंजू कितनी मस्त अदा है तुम्हारी , मदन के तो भाग खुल गए
मंजू मस्ती में मुरारी के लंड पर उछलती हुई : ओह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह आप चुप नहीं रह सकते न , उसने पहले मेरी बुर आपको मिली है ओह्ह्ह्ह यशस्स अह्ह्ह्ह्ह सीईईई ओह्ह्ह उम्ममम
मुरारी : हा रोज तो नहीं मिलेगी न घर पर
मंजू : मिलेगी क्यों नहीं , अह्ह्ह्ह्ह सब इंतजाम हो जाता है अह्ह्ह्ह इतना मोटा लंड उफ्फफ ऐसे थोड़ी न छोड़ दूंगी उम्ममम ओह्ह्ह्ह
इधर दोनों मस्त थे और इस बार से बेफिक्र होकर कि ड्राइवर हग कर वापस आ गया था
बिना आहट के उसने झट से आगे का दरवाजा खोला ये बोलते हुए : हो गया सेठ चले क्या
जैसे ही उसने पीछे देखा तो उसकी आंखे बड़ी हो गई और उसके आते ही इधर मुरारी और मंजू की हालत खराब हो गई । दोनों की सांसे तेज हो गई ।
ड्राइवर तुरंत समझ गया कि क्या चल रहा है और उसने झट से आगे वाली सीट पर एक पर्दा साइड में किया हुआ था उसकी खींचते हुऐ: माफ करना सेठ , मुझे मालूम नहीं था
मुरारी ने देखा कि आगे से अब कोई उसे देख नहीं सकता लेकिन दोनों अभी भी जड़ थे तबतक कि जबतक ड्राइवर ने उन्हें बेफिक्र नहीं कर दिया
ड्राइवर : आप अपना काम चालू रखो सेठ ,वो क्या है मेरे यहां सिटी में छोकरा लोग ऐसे काम करते रहे है । तो बिंदास रहो
फिर उसने गाड़ी चालू कर दी
मंजू : ये क्या बोल रहा है
मुरारी मुस्कुरा कर : बोल रहा है कि इतना मस्त माल छोड़ना मत
मंजू मुस्कुराई : धत्त गंदे अह्ह्ह्ह नीचो मत
मुरारी ने चादर हटा दिया और उसकी साड़ी का पल्लू हटा कर ब्लाउज खोलने लगा
मंजू थोड़ा सकपकाई : पागल हो गए हो क्या
मुरारी : हा , अब मत रोको मुझे
फिर मुरारी ने ममता के ब्लाउज भी निकल दिए और ब्रा सरका कर उसके मम्मे पीने लगा : ओह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह सीईई ओह्ह्ह भईया उम्मम आराम से करो न उम्मम अह्ह्ह्ह्ह
मुरारी उसके दूध मसलता हुआ : जबसे इन्हें देखा है कितना ललचा हूं उम्ममम कितनी रसीली चुची है तुम्हारी मंजू उम्ममम
मंजू मुस्कुरा कर : भाभी से ज्यादा है क्या
मुरारी : अब छोटे भाई की बीवी की चुची रसीली नहीं होगी तो किसकी होगी
मंजू शर्मा कर : धत्त अह्ह्ह्ह्ह सीईईई
उसने वापस से मुरारी के लंड पर उछलना शुरू आकर दिया और अपनी साड़ी खींच कर अलग कर दी
उसके जिस्म पर अब पेटीकोट था जो उसकी कमर में सिमटा हुआ था और वो कस कस के खुद अपने कूल्हे पटक रही थी मुरारी के लंड पर : ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह कितना तड़पाया आपने इसके लिए ओह्ह्ह्ह उम्ममम इसको तो मै निचोड़ लूंगी उम्मम अह्ह्ह्ह्ह।मुरारी उसको कमर से पकड़ कर पीछे की चौड़ी सीट पर घुमा दिया और एक हाथ से सीट का सहारा लेकर नीचे लेटी हुई मंजू की बुर ने पेलने लगा : ओह्ह्ह्ह अब निचोड़ के दिखा उम्मम आज तो तेरी चूत मेरी है इसकी सुराख मोटी कर दूंगा उम्मम बोल कर दूं
मंजू पूरी मस्ती से सिसकारियां लेती हुई : हा भइया कर दो न उम्ममम यश डालो और उम्ममम अह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह मजा आ रहा है आपके लंड से ओह्ह्ह्ह गॉड कितना बड़ा है और उम्मम
मुरारी उसी पकड़ कर तेजी से पेल रहा : ले मेरी जान उम्ममम कितनी मुलायम और रसभरी चूत है तेरी अह्ह्ह्ह कितनी मुलायम ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह सीईईईईई ओह्ह्ह्ह
मंजू : क्या हुआ उम्मम
मुरारी : अह्ह्ह्ह लग रहा है आएगा , अंदर डाल दु उम्मम
मंजू : भर दो कोई दिक्कत नहीं है अह्ह्ह्ह सीईईईईई ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह उम्ममम कितना गर्म है ओह्ह्ह्ह मेरी बुर भर गई ऐसा लग रहा है ओह्ह्ह्ह अभी भी आ रहा है , कितना रखे हो हीही
मुरारी उसकी मस्ती पर झटके देता हुआ : ओह्ह्ह्ह इतना है कि तेरी गाड़ भी भर दु तो भी कम न हो ।
मंजू मुस्कुरा कर उसके गाल चूमते हुए : बचा कर रखो, घर चल कर नहला देना मुझे इसी से
मुरारी उसकी बातों से और जोश में आ गया और फिर से झटके देने लगा : अह्ह्ह्ह घर चलने तक तुझे चोदूंगा मेरे जान
मंजू इन शब्दों से फिर मचल उठी और फिर से उसकी बुर में खुजली होने लगी और वो उसके लिप्स चूसने लगी लेते हुए धीरे धीरे गाड़ी अपने गंतव्य की ओर पहुंच रही थी सुबह की बेला ने चमनपुरा की सरहद को छूने लगी थी , हल्के सर्द मौसम और कोहरे से रास्ते डबल लेन पर चलना और रिक्सी था
मुरारी : हम पहुंचने वाले है
मंजू मुस्कुरा कर उसे देखा और गाल चूम कर : थैंक यू
मुरारी : तुम अपने घर जा रही हो थैंक्यू कैसा
मंजू : कुछ नहीं आप नहीं समझोगे , यहां से जाने के बाद आज कितने साल बाद मै वापस आई हूं , जब मेरे मायके वालो ने भी मुझे नहीं स्वीकारा तो अपने मेरा हाथ थामा
ये बोलकर मंजू मुरारी से लिपट कर फफक पड़ी और सिसकने लगी ।
सिसकिया तो कही और भी उठ रही थी
ममता के कमरे में
जहां ममता घोड़ी बनी हुई बिस्तर पर थी और पीछे से मदन उसकी चूत में लंड उतार रहा था
: उम्मम देवर जी अह्ह्ह्ह अब जलन बर्दाश्त नहीं होता अह्ह्ह्ह जल्दी करो उफ्फ सारी रात तुमने सोने नहीं दिया ओह्ह्ह्ह सुबह होने वाली है
: ओह्ह्ह्ह मेरी जान तुम्हारी गाड़ और चूत देख कर मेरा लंड नहीं मान रहा है तो क्या करु उम्मम क्या मस्त चूत है ओह्ह्ह्ह जी कर रहा है ऐसे ही पेलूं ओह्ह्ह भाभी अह्ह्ह्ह ओह्ह्ह सीईईई
: आप नहीं मानोगे न, मुझे ही निचोड़ना पड़ेगा ( ये बोल कर ममता ने अपनी बुर का छल्ला कस लिया और मदन उसके ऊपर चढ़ा हुआ हचक हचक कर पेलने लगा )
: ओह्ह्ह भाभी तुम्हारे पास जादू है ओह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह सीईईई ओह्ह्ह यस्स अह्ह्ह्ह्ह सीईईई
: पेलो देवर जी अह्ह्ह्ह सीईईईईई उम्मम्म ओह्ह्ह्ह और घुसाओ रुकना मत भर दो मेरी चूत को अह्ह्ह्ह
: अह्ह्ह्ह नहीं इस बार आपकी गाड़ नहलाऊंगा ओह्ह्ह्ह कितनी गुलाबी गाड़ है तुम्हारी भाभी ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह सीईईईईई ओह्ह्ह्ह
: किसी रोज उसमें भी डाल कर देखना , डालोगे न देवर जी भरोगे न मेरी गाड़ उम्मम
: ओह्ह्ह भाभी हा क्यों नहीं ओह्ह्ह्ह आपने तो मेरा ओह्ह्ह्ह आएगा ओह्ह्ह्ह सीआईईईई उम्मम अह्ह्ह्ह्ह
: हा देवर जी और तेज उम्मम अह्ह्ह्ह पेलो और और उम्ममम मेरा भी आयेगा रुकना मत ओह्ह्ह्ह कितना जल रहा है अह्ह्ह्ह
: ओह्ह्ह्ह सीईईई भाभी अह्ह्ह्ह ओह्ह्ह गॉड फक्क्क् यूयू ओह्ह्ह्ह क्या मस्त गाड़ है तुम्हारी भाभी अह्ह्ह्ह लोह उफ्फफ
मदन अपना लंड निकाल कर उसके गाड़ पर झड़ने लगा और ममता हांफती हुई बिस्तर पर पसर गई ।
मदन झड़ कर उसके पास लेट गया हांफता हुआ
: ओह्ह्ह हाहाहाहाहा मजा आ गया भाभी , थैंक यू अपने तो मेरी रात बना दी
: दिन भी बनने वाली है ( ममता बुदबुदाई )
: क्या , कुछ कहा क्या आपने
: हा , इतने सालों में पहली बार 5 बार चुदाई हुई मेरी इतना मै कभी नहीं चुदी
मदन उसके चूतड़ों को सहलाते हुए : ऐसी गाड़ हो तो 5 क्या 10 बार भी चोद लूं मै
: ना बाबा न , मुझे माफ करो अब तो दो दिन तक ये सूजन न जाए इतनी लाल कर चुके हो
: हाहा
मदन कुछ बोलने को हुआ था कि मेन गेट पर बेल बजी
: अरे इतनी सुबह कौन आया होगा
ममता हस्ती हुई : आपका सरप्राइज़ हाहाहाहाहा , चलो कपड़े पहन लो ।
" अब कितना भी समेट लो हीही फायदा नहीं होगा शिला रानी "
रज्जो के रामसिंह के कमरे में अचानक घुस कर एक पल के लिए हड़बड़ाहट मचा दी थी और फिर तीनों हसने लगे ।
शिला : तुम भी न भाभी , डरा दिया
रज्जो : अरे अब किससे छिपा रहे हो उम्मम
रामसिंह उनकी बातों के पड़ने के बजाय अपने कपड़े पहन रहा था और शिला जवाब देती हुई : घर में एक तीसरा मर्द भी है उसका तो ध्यान रखना ही पड़ेगा न
रज्जो को समझते देर नहीं लगी कि शिला अरुण की बात कर रही है और वो मुस्कुराने लगी , उसे वो सब बाते याद आ रही थी जो थोड़ी देर पहले अरुण ने उसको बताई थी शिला के बारे में ।
शिला : क्या हुआ क्यों मुस्कुरा रही हो
रज्जो : कुछ नहीं छोड़ो
शिला : लो छोड़ तो दिया , अब तुम ही संभालो देवर जी को हाहाहाहाहा
रज्जो : अरे तुम कहा चली
शिला : मै ! मै तो अपने साजन के द्वार चली रे हाहाहाहाहा
कमरे में सब हसने लगे और रज्जो बिस्तर पर पसर गई : उफ्फ आज तो पूरा बदन चूर चूर हो गया है नंदोई जी
रामसिंह के पास लेट कर : लग रहा है भाई साहब ने कुछ ज्यादा ही मेहनत करवा दी
रज्जो उसको अपने करीब पाकर सिहरने सी लगी : सुबह से 3 बार और आपका
रामसिंह मुस्कुरा कर उसके कमर पर हाथ रखते हुए उसके उठे हुए कूल्हे को साड़ी के ऊपर से सहलाता हुआ : वो तो आप पर निर्भर करेगा कितनी बार
रज्जो : अच्छा जी , बड़े कॉन्फिडेंस में हो
रामसिंह : आपको देख कर मेरा मोटिवेशन बड़ा हो जाता है
रज्जो हाथ पीछे ले जाकर उसके खड़े हुए लंड को पेंट के ऊपर से मसलने लगी : अह्ह्ह्ह लग रहा है कुछ ज्यादा ही जोश में है
रामसिंह उसको पीछे से पकड़ कर उसके गाल चूमने लगा और अपना लंड उसके गद्देदार चूतड़ों me कोचने लगा: इसका जोश आपके होश उड़ा देगा भाभी , बस आप हुकुम करो
रज्जो घूम कर उसके ओर होती हुई उसका लंड एकदम से थाम लिया और उसकी आंखों में देखते हुई : ऐसा क्या ?
रामसिंह अपने गोटे रज्जो के हाथों में कसता पाकर मचलने लगा उसकी आंखे और चेहरे का रंग बिगड़ने लगा : अह्ह्ह्ह हा भाभी उम्मम आराम से फोड़ना तो नहीं चाहती आप उसे उम्मम
रज्जो मुस्कुरा कर : ऊहू मुझे तो चूस कर पीने में मजा आता है
रज्जो के शब्दों ने रामसिंह को जोश से भर दिया और उसका लंड पूरा फूल गया रज्जो की हथेली और उसने रज्जो को अपनी ओर खींचते हुए उसके लिप्स चूसने लगा
रज्जो भी दुगनी जोश से उसपर टूट पड़ी
दोनों एक दूसरे को अपनी वासना का जोश दिखा थे , रामसिंह के पंजे रज्जो के चूतड़ों को साड़ी के ऊपर से मसल रहे थे वहीं रज्जो के पंजे उसके लंड को पेंट के ऊपर से
रामसिंह ने किस करते हुए रज्जो के सीने से पल्लू हटा कर उसकी छातियों को मिजने और चाटने लगा : ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह दैय्या आराम से राजा उफ्फ
रामसिंह उसके ब्लाउज के ऊपर से चूचियों को मुंह में भरने लगा : आज कोई रहम नहीं भाभी
फिर उसने साड़ी खींचनी शुरू की और रज्जो घूम कर आलमारी से जा लगी
रामसिंह ने वही उसको पीछे से पकड़ लिया और अपना लंड पेटीकोट के ऊपर से उसके गाड़ में कोचना शुरू कर दिया , उसके लिप्स अब रज्जो की बैकलेस ब्लाउज से झांकती पीठ को चूम रही थी और दांतों से उसने बड़े रोमांटिक अंदाज में ब्लाउज की डोरी खींची जिससे रज्जो पूरी मचल उठी : हाय दैय्या सीईई अह्ह्ह्ह, बड़े रोमांटिक हो रहे हो सीई ओह्ह्ह्ह उम्ममम
रामसिंह ने बिना कुछ बोले उसके ब्लाउज के नीचे से चूमते हुए कमर और कूल्हे को सहलाने लगा और अपना मुंह उसके गाड़ पर दबाने लगा : अह्ह्ह्ह भाभी जी क्या मस्त खुशबू है नीचे उम्मम और कितनी गद्देदार जोड़ा रखा है आपने
रामसिंह ने रज्जो के चूतड़ों पर दोनों तरफ से एक साथ पंजा जमाया और रज्जो पूरी तरह से गणगना उठी : अह्ह्ह्ह सीईईईईई नंदोई जी उम्मम बडे जालिम हो आप अह्ह्ह्ह दर्द हो रहा है आराम से करो न उम्मम
रामसिंह खड़े होकर उसके ब्लाउज का हुक निकाल दिया और रज्जो अपनी नंगी चूचियां छिपाती हुई खिलखिला कर बिस्तर पर चली गई
उसके बड़े बड़े पहाड़ जैसे उठे चूतड़ों को देख कर रामसिंह वापस ने उसके गाड़ पर टूट पड़ा और अपना मुंह रगड़ने लगा
रज्जो ने धीरे से अपनी पेटीकोट की डोरी खींची और वो ढीली हो गई
रामसिंह उसके नरम चर्बीदार कमर और कूल्हे को चूमता हुआ उसका पेटीकोट नीचे सरकाने लगा तो रज्जो की गाड़ दिखने लगी जिसपर पैंटी कसी हुई थी
पेटीकोट खींचते हुए रामसिंह के होठ पल भर के लिए भी रज्जो के चूतड़ों से नहीं उठे और वो उन्हें सूंघता चूमता रहा और उसने रज्जो के बड़े बड़े रसीले चूतड़ों को पंजों से पकड़ कर अपना नथुना उसके गाड़ के दरारों में रगड़ने लगा और सूंघने लगा : ओह्ह्ह भाभी कितनी मुलायम गाड़ है आपकी उम्मम और ये खुशबू अह्ह्ह्ह कितनी मादक है सीईईई तभी तो आपके पति ने सारी मेहनत यही की है अह्ह्ह्ह
रज्जो : ओह्ह्ह्ह उम्ममम सच कहा , उनको मेरी गाड़ बहुत पसंद है रोज चाट कर पेलते है और चोद चोद कर ही इतनी बड़ी कर दी जैसे आपने शिला दीदी की कर दी
रामसिंह मुस्कुरा कर रज्जो के चूतड़ों पर चट्ट से थपेड़ लगाता रज्जो पूरी झन्ना जाती है : अह्ह्ह्ह बहिनचोद उफ्फफ मार काहे रहे है
रामसिंह रज्जो के मुंह से गाली सुनकर खुश हो गया और उसकी लाल की चूतड़ को होठों से मुंह में भरने लगा और दरारों के जीभ फिराने लगा : ओह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह दैय्या सीईई अह्ह्ह्ह मेरे राजा और उम्ममम गाड़ चटवाने में जो सुख है वो अह्ह्ह्ह सीईईईईई ओह्ह्ह्ह ऐसे ही खाओ उम्मम
रामसिंह उसकी पैंटी खींचने लगा और रज्जो ने भी घूम कर उसकी मदद की और अब वो पूरी नंगी होकर बिस्तर पर थी अपनी जांघें फैलाए हुए चूत के फांकों को सहलाने लगी
जिसे देखकर रामसिंह मुस्कुरा कर अपने कपड़े निकाल फेंके और रज्जो के पास जाकर झुक कर उसके चूचियों को हाथों में भरते हुए लिप्स चूसने लगा और फिर उसके चूचियों पर टूट पड़ा
रज्जो : अह्ह्ह्ह्ह सीईईई ओह्ह्ह आराम से राजा ओह्ह्ह्ह खा जाओ , जबसे आई है खूब खुजली हो रही है यहां उम्मम अह्ह्ह्ह्ह मसल डालो मेरे राजा अह्ह्ह्ह सीईईईईई ओह्ह्ह्ह
रामसिंह उसकी चूचियां पीते हुए अपनी उंगलियों नीचे रज्जो की बुर पर ले गया और सहलाने लगा जिससे रज्जो बिलबिला उठी और उसकी बुर रसाने लगी
रामसिंह ने जैसे ही रज्जो की चूत का पानी महसूस किया उसने अपनी गीली उंगलियों से रज्जो के निप्पल छू कर उन्हें चाटने लगा : ओह्ह्ह्ह ये तो कमाल का अहसास है उम्मम अह्ह्ह्ह्ह सीईईई ओह्ह्ह बहुत चटोरे हो नंदोई जी , आपकी जीभ कमाल करती है ओह्ह्ह्ह उम्ममम
रामसिंह : अभी असल कमाल देखा कहा भाभी
ये बोलकर वो रज्जो की जांघों की ओर घूम गया और जांघें फैलाता हुआ अपनी जीभ निकाल कर उसकी गीली चूत पर फिरता हुआ उसके फांकों को मुंह में ले लिया: ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह दैय्या सीईई ओह्ह्ह नंदोई जी ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह ओह्ह्ह्ह उफ्फ बहुत अच्छा लग रहा है उम्मम और ओह्ह्ह्ह ऐसे ही खा जाओ उनमें घुसाओ उम्मम अह्ह्ह्ह
रामसिंह पूरा हाथ से फैला फैला कर रज्जो की बुर में अपनी थूथ रगड़ रहा था और रज्जो उतना ही अपने कूल्हे उठा कर उसकी मदद करती ,
उसने जैसे ही अपनी जीभ को उसकी बुर में घुसाया : ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह हा उम्मम और ओह्ह्ह्ह अंदर उम्मम आऊंगी मै ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह दैय्या सीईई अह्ह्ह्ह मेरे राजा उम्मम खा जाओ चाट जाओ सारी मलाई उम्मम अह्ह्ह्ह्ह सीईईई ओह्ह्ह
रामसिंह ने एकदम से पैंतरा बदल दिया और रज्जो की टांगे खोलकर कर अपने आगे घुमा दिया और टोपा सेट करते हुए गच्च से लंड एकदम रज्जो की बजबजाई बुर में उतार दिया , जिससे रज्जो के झड़ने का मजा दुगना हो गया : ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह उम्ममम उफ्फ क्या क्या पैंतरे करते ही नंदोई जी अह्ह्ह्ह्ह ओह्ह्ह पागल कर रखा है , आग बुझ ही नहीं रही आज उम्मम पेलो और चोदो मुझे अह्ह्ह्ह्ह
रामसिंह : तुम भी कम नहीं हो भाभी , तुम्हारी रसीली चूत बहुत टेस्टी है और लंड इतनी आराम से जा रहा अह्ह्ह्ह्ह बहुत लचीली बुर है आपकी ओह्ह्ह्ह
रज्जो : सच में आज मेरा यहां आना सफल हो गया ओह्ह्ह्ह कितना मजा आ रहा है रुकना मत और पेलो उम्मम
रामसिंह ने पूरी ताकत जोख दी थी जांघें उठा कर ताबड़तोड़ चोदने लगा
कमरे में चीखे उठने लगी और थपथप की आवाजें आने लगी , ताल से ताल मिल रहे थे : ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह और और डालो पूरा अंदर घुसाओ ओह्ह्ह्ह फिर से आ रहा है ओह्ह्ह ऐसे ही उम्ममम रुकना मत तेज करो उम्ममम तड़पाओ मत बहनचोद पेलो कस के
रामसिंह मुस्कुरा कर दुगनी ताकत से चोदने लगा और चिल्लाने लगा : ओह्ह्ह्ह यशस्श उम्मम साली रंडी कितना अंदर चाहिए तुझे लंड उम्मम चूत है या भोसड़ा अह्ह्ह्ह बोल और डालू
रज्जो एकदम झड़ने के करीब थी उसका पूरा बदन कांप रहा था और वो खुद कूल्हे उठाने लगी और जांघें कसने लगी जिसका असर रामसिंह को अपने लंड पर महसूस हो रहा था : जितना डाल सकते हो डालो न बहनचोद पेलो मुझे ओह्ह्ह आ रहा है आ रहा है रुकना मत रुके नंदोई जी तो मां चोद दूंगी तुम्हारी उम्ममम ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह दैय्या सीईई अह्ह्ह्ह रमन के पापा उम्ममम अह्ह्ह्ह ओह्ह्ह् मेरे राजा ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह
रामसिंह रज्जो के जोश और तड़प को देख कर पूरा पागल हो गया और पूरी ताकत से पेलने लगा , कसी जांघों का जोर सीधा उसके लंड पर होने लगा और लगातार पेलाई से आखिर उसके भी लंड का टोपा खुल गया
एक के बाद एक मोटी गाढ़ी पिचकारियां रज्जो की बुर में जाती रहे : ओह्ह्ह्ह भाभी उम्ममम अह्ह्ह्ह लो लड़ के साथ मेरा माल भी को आज भर दूंगा तुम्हारी बुर ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह उम्ममम मजा आ गया मेरी जान ओह्ह्ह्ह कितनी बड़ी चुदक्कड़ है तू साली रंडी छिनाल कुतिया उम्ममम क्या मस्त चूत है अह्ह्ह्ह
रामसिंह हांफते हुए रज्जो के ऊपर गिर गया
एक तरफ जहां हर कोई थक कर बिस्तर तोड़ कर सो रहा था वही दो लोग थे , जिन्हें चाह कर भी बिस्तर आज की रात नसीब नहीं हो रही थी
रात के 2 बजने वाले थे और गाड़ी अपने रफ्तार से चल रही थी ।
मुरारी की उंगली ने मंजू को राहत के बजाय उसकी परेशानी और बढ़ा दी ।
: आप तो बात मत करो मुझसे , झूठे कही के
: सॉरी न मंजू , तुम बताओ क्या करु
मंजू तो बीवियों के जैसे रूठ गई और मुरारी का लंड बैठने का नाम नहीं लें रहा था उसे एक आईडिया आया तो वो धीरे से मंजू के कान में बोला : पेशाब करने के बहाने गाड़ी रुकवाऊ बाहर चल कर छिप कर ...
मंजू : क्या आप भी , कही पकड़े गए या किसी ने देख लिया तो
मुरारी : तो अब क्या करु बताओ , फिर से उंगली डालू
मंजू : उन्हूं , मुझे परेशान नहीं होना
ऐसे ही बातें करते हुए पौने 3 बज गए , रात अभी भी गहरी थी धीरे धीरे कोहरा ढक रहा सड़कों को
मुरारी की नजर पड़ी और उसने महसूस किया कि ड्राइवर ने भी गाड़ी की स्पीड कम कर दिया है
मुरारी : क्या हुआ भाई
ड्राइवर : आगे कोहरा बहुत है सेठ , मेरा रेगुलर रूट भी नहीं हैं तो थोड़ा जम नहीं रहा है
मुरारी : ठीक है ठीक है आराम से चलो , कोई जल्दी नहीं है
ड्राइवर: ठीक है सेठ , अगर लेट न हो तो थोड़ा रुक जाते है । किनारे
मुरारी : क्यों भाई ?
ड्राइवर : अरे सेठ , इधर का मिर्च मसाला वाला खाना अपने जो जमा नहीं तो पेट गड़बड़ है
मुरारी : लेकिन यहां हाइवे पर जाओगे किधर
ड्राइवर: बोटल है , यही नीचे उतर जाऊंगा
मुरारी : ठीक है थोड़ा सही जगह देख कर लगाओ गाड़ी
इस पूरे बातचीत के दौरान मंजू चुप थी और थोड़ा आगे जाकर हाइवे पर ही एक ट्रक पार्किंग लेन दिखा , वहां सड़क चौड़ी थी और एक 50 फिट लंबी डिवाइडर डाल कर अलग लेन बनाई थी पार्किंग के लिए तो वही पर उसने गाड़ी लगा दी और तेजी पानी लेकर चला गया
मुरारी ने देखा कि मंजू बाहर की स्थिति देख रही थी , बाहर पूरा घुप अंधेरा था और ड्राइवर ने बस इंडीकेटर ऑन करने गया था
मुरारी ने उसके कंधे पर हाथ रख कर : क्या हुआ
मंजू उसकी ओर घूमी : मुझे चाहिए अभी
मुरारी एकदम से शौक हो गया और उसका लंड पजामे में तंबू बना चुका था
मुरारी ने बिना अंजाम की फिक्र किए अपना लंड बाहर निकाल और मंजू गाड़ी में खड़ी होकर मुरारी के आगे आ गई । और अपनी साड़ी उठाने लगी , उसने अपनी पैंटी निकाली और घुटने के बल सीट पर चढ़ आई
मुरारी ने उसके चूतड़ों को थाम कर थूक से अपना सुपाड़ा गिला किया और मंजू ने उसे अपने हाथ से पकड़ कर अपनी बुर के मुंह पर लगाया और बैठ गई : ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह उम्ममम
उसकी सांसे तेज हो गई चेहरा तपने लगा जैसे जैसे मुरारी का मोटा लंबा लंड उसकी बुर को चीरता हुआ अंदर जाता वो सिसकती हुई मुरारी के कंधे को पकड़ लेती
फिर एक समय आया कि वो मुरारी के लंड पर पूरी बैठ गई थी
उसने लपक कर पीछे चादर ओढ ली और मुरारी के लिप्स चूसने लगी
मुरारी भी दुगने जोश में आ गया और उसके नरम चूतड़ों को मसलते हुए उसके लिप्स चूसने लगा: ओह्ह्ह्ह मंजू क्या मस्त चूत है तेरी कितनी रसीली
मंजू उसके लिप्स पर उंगली रख कर उठने बैठने लगी : अह्ह्ह्ह सीईईईईई चुप रहो ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह कितनी खुजली कर दिए थे ओह्ह्ह्ह मम्मीईइई ओह्ह्ह्ह
मुरारी उसके चूतड़ों को सहलाते हुए उसके गाल और गर्दन चूमने लगा और मंजू मस्त हो गई
वो खुद अपने कूल्हे हिलाते हुए मुरारी के लंड पर मथने लगी : ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह उम्ममम उफ्फ
मुरारी : ओह्ह्ह्ह मंजू कितनी मस्त अदा है तुम्हारी , मदन के तो भाग खुल गए
मंजू मस्ती में मुरारी के लंड पर उछलती हुई : ओह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह आप चुप नहीं रह सकते न , उसने पहले मेरी बुर आपको मिली है ओह्ह्ह्ह यशस्स अह्ह्ह्ह्ह सीईईई ओह्ह्ह उम्ममम
मुरारी : हा रोज तो नहीं मिलेगी न घर पर
मंजू : मिलेगी क्यों नहीं , अह्ह्ह्ह्ह सब इंतजाम हो जाता है अह्ह्ह्ह इतना मोटा लंड उफ्फफ ऐसे थोड़ी न छोड़ दूंगी उम्ममम ओह्ह्ह्ह
इधर दोनों मस्त थे और इस बार से बेफिक्र होकर कि ड्राइवर हग कर वापस आ गया था
बिना आहट के उसने झट से आगे का दरवाजा खोला ये बोलते हुए : हो गया सेठ चले क्या
जैसे ही उसने पीछे देखा तो उसकी आंखे बड़ी हो गई और उसके आते ही इधर मुरारी और मंजू की हालत खराब हो गई । दोनों की सांसे तेज हो गई ।
ड्राइवर तुरंत समझ गया कि क्या चल रहा है और उसने झट से आगे वाली सीट पर एक पर्दा साइड में किया हुआ था उसकी खींचते हुऐ: माफ करना सेठ , मुझे मालूम नहीं था
मुरारी ने देखा कि आगे से अब कोई उसे देख नहीं सकता लेकिन दोनों अभी भी जड़ थे तबतक कि जबतक ड्राइवर ने उन्हें बेफिक्र नहीं कर दिया
ड्राइवर : आप अपना काम चालू रखो सेठ ,वो क्या है मेरे यहां सिटी में छोकरा लोग ऐसे काम करते रहे है । तो बिंदास रहो
फिर उसने गाड़ी चालू कर दी
मंजू : ये क्या बोल रहा है
मुरारी मुस्कुरा कर : बोल रहा है कि इतना मस्त माल छोड़ना मत
मंजू मुस्कुराई : धत्त गंदे अह्ह्ह्ह नीचो मत
मुरारी ने चादर हटा दिया और उसकी साड़ी का पल्लू हटा कर ब्लाउज खोलने लगा
मंजू थोड़ा सकपकाई : पागल हो गए हो क्या
मुरारी : हा , अब मत रोको मुझे
फिर मुरारी ने ममता के ब्लाउज भी निकल दिए और ब्रा सरका कर उसके मम्मे पीने लगा : ओह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह सीईई ओह्ह्ह भईया उम्मम आराम से करो न उम्मम अह्ह्ह्ह्ह
मुरारी उसके दूध मसलता हुआ : जबसे इन्हें देखा है कितना ललचा हूं उम्ममम कितनी रसीली चुची है तुम्हारी मंजू उम्ममम
मंजू मुस्कुरा कर : भाभी से ज्यादा है क्या
मुरारी : अब छोटे भाई की बीवी की चुची रसीली नहीं होगी तो किसकी होगी
मंजू शर्मा कर : धत्त अह्ह्ह्ह्ह सीईईई
उसने वापस से मुरारी के लंड पर उछलना शुरू आकर दिया और अपनी साड़ी खींच कर अलग कर दी
उसके जिस्म पर अब पेटीकोट था जो उसकी कमर में सिमटा हुआ था और वो कस कस के खुद अपने कूल्हे पटक रही थी मुरारी के लंड पर : ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह कितना तड़पाया आपने इसके लिए ओह्ह्ह्ह उम्ममम इसको तो मै निचोड़ लूंगी उम्मम अह्ह्ह्ह्ह।मुरारी उसको कमर से पकड़ कर पीछे की चौड़ी सीट पर घुमा दिया और एक हाथ से सीट का सहारा लेकर नीचे लेटी हुई मंजू की बुर ने पेलने लगा : ओह्ह्ह्ह अब निचोड़ के दिखा उम्मम आज तो तेरी चूत मेरी है इसकी सुराख मोटी कर दूंगा उम्मम बोल कर दूं
मंजू पूरी मस्ती से सिसकारियां लेती हुई : हा भइया कर दो न उम्ममम यश डालो और उम्ममम अह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह मजा आ रहा है आपके लंड से ओह्ह्ह्ह गॉड कितना बड़ा है और उम्मम
मुरारी उसी पकड़ कर तेजी से पेल रहा : ले मेरी जान उम्ममम कितनी मुलायम और रसभरी चूत है तेरी अह्ह्ह्ह कितनी मुलायम ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह सीईईईईई ओह्ह्ह्ह
मंजू : क्या हुआ उम्मम
मुरारी : अह्ह्ह्ह लग रहा है आएगा , अंदर डाल दु उम्मम
मंजू : भर दो कोई दिक्कत नहीं है अह्ह्ह्ह सीईईईईई ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह उम्ममम कितना गर्म है ओह्ह्ह्ह मेरी बुर भर गई ऐसा लग रहा है ओह्ह्ह्ह अभी भी आ रहा है , कितना रखे हो हीही
मुरारी उसकी मस्ती पर झटके देता हुआ : ओह्ह्ह्ह इतना है कि तेरी गाड़ भी भर दु तो भी कम न हो ।
मंजू मुस्कुरा कर उसके गाल चूमते हुए : बचा कर रखो, घर चल कर नहला देना मुझे इसी से
मुरारी उसकी बातों से और जोश में आ गया और फिर से झटके देने लगा : अह्ह्ह्ह घर चलने तक तुझे चोदूंगा मेरे जान
मंजू इन शब्दों से फिर मचल उठी और फिर से उसकी बुर में खुजली होने लगी और वो उसके लिप्स चूसने लगी लेते हुए धीरे धीरे गाड़ी अपने गंतव्य की ओर पहुंच रही थी सुबह की बेला ने चमनपुरा की सरहद को छूने लगी थी , हल्के सर्द मौसम और कोहरे से रास्ते डबल लेन पर चलना और रिक्सी था
मुरारी : हम पहुंचने वाले है
मंजू मुस्कुरा कर उसे देखा और गाल चूम कर : थैंक यू
मुरारी : तुम अपने घर जा रही हो थैंक्यू कैसा
मंजू : कुछ नहीं आप नहीं समझोगे , यहां से जाने के बाद आज कितने साल बाद मै वापस आई हूं , जब मेरे मायके वालो ने भी मुझे नहीं स्वीकारा तो अपने मेरा हाथ थामा
ये बोलकर मंजू मुरारी से लिपट कर फफक पड़ी और सिसकने लगी ।
सिसकिया तो कही और भी उठ रही थी
ममता के कमरे में
जहां ममता घोड़ी बनी हुई बिस्तर पर थी और पीछे से मदन उसकी चूत में लंड उतार रहा था
: उम्मम देवर जी अह्ह्ह्ह अब जलन बर्दाश्त नहीं होता अह्ह्ह्ह जल्दी करो उफ्फ सारी रात तुमने सोने नहीं दिया ओह्ह्ह्ह सुबह होने वाली है
: ओह्ह्ह्ह मेरी जान तुम्हारी गाड़ और चूत देख कर मेरा लंड नहीं मान रहा है तो क्या करु उम्मम क्या मस्त चूत है ओह्ह्ह्ह जी कर रहा है ऐसे ही पेलूं ओह्ह्ह भाभी अह्ह्ह्ह ओह्ह्ह सीईईई
: आप नहीं मानोगे न, मुझे ही निचोड़ना पड़ेगा ( ये बोल कर ममता ने अपनी बुर का छल्ला कस लिया और मदन उसके ऊपर चढ़ा हुआ हचक हचक कर पेलने लगा )
: ओह्ह्ह भाभी तुम्हारे पास जादू है ओह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह सीईईई ओह्ह्ह यस्स अह्ह्ह्ह्ह सीईईई
: पेलो देवर जी अह्ह्ह्ह सीईईईईई उम्मम्म ओह्ह्ह्ह और घुसाओ रुकना मत भर दो मेरी चूत को अह्ह्ह्ह
: अह्ह्ह्ह नहीं इस बार आपकी गाड़ नहलाऊंगा ओह्ह्ह्ह कितनी गुलाबी गाड़ है तुम्हारी भाभी ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह सीईईईईई ओह्ह्ह्ह
: किसी रोज उसमें भी डाल कर देखना , डालोगे न देवर जी भरोगे न मेरी गाड़ उम्मम
: ओह्ह्ह भाभी हा क्यों नहीं ओह्ह्ह्ह आपने तो मेरा ओह्ह्ह्ह आएगा ओह्ह्ह्ह सीआईईईई उम्मम अह्ह्ह्ह्ह
: हा देवर जी और तेज उम्मम अह्ह्ह्ह पेलो और और उम्ममम मेरा भी आयेगा रुकना मत ओह्ह्ह्ह कितना जल रहा है अह्ह्ह्ह
: ओह्ह्ह्ह सीईईई भाभी अह्ह्ह्ह ओह्ह्ह गॉड फक्क्क् यूयू ओह्ह्ह्ह क्या मस्त गाड़ है तुम्हारी भाभी अह्ह्ह्ह लोह उफ्फफ
मदन अपना लंड निकाल कर उसके गाड़ पर झड़ने लगा और ममता हांफती हुई बिस्तर पर पसर गई ।
मदन झड़ कर उसके पास लेट गया हांफता हुआ
: ओह्ह्ह हाहाहाहाहा मजा आ गया भाभी , थैंक यू अपने तो मेरी रात बना दी
: दिन भी बनने वाली है ( ममता बुदबुदाई )
: क्या , कुछ कहा क्या आपने
: हा , इतने सालों में पहली बार 5 बार चुदाई हुई मेरी इतना मै कभी नहीं चुदी
मदन उसके चूतड़ों को सहलाते हुए : ऐसी गाड़ हो तो 5 क्या 10 बार भी चोद लूं मै
: ना बाबा न , मुझे माफ करो अब तो दो दिन तक ये सूजन न जाए इतनी लाल कर चुके हो
: हाहा
मदन कुछ बोलने को हुआ था कि मेन गेट पर बेल बजी
: अरे इतनी सुबह कौन आया होगा
ममता हस्ती हुई : आपका सरप्राइज़ हाहाहाहाहा , चलो कपड़े पहन लो ।
बहुत ही गरमागरम कामुक और उत्तेजना से भरपूर कामोत्तेजक अपडेट है भाई मजा आ गया
अगले रोमांचकारी धमाकेदार और चुदाईदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा