Story thodi alag hai yaha maa pregnant hai magar kisse... Waise bhai Hinglish mai likh sakte ho kyaYe kahaani meri Kalpana he is ka asal jindagi se koi lena dena nahi he yaha Jo bhi kirdar me likh raha hu vo bhi meri ek kalpna he....
Update 01
सभी पाठकों को मेरा नमस्कार... आशा कराता हूं की आप सब ठीक होंगे... में एक छोटे गांव में अपनी होटल चलाता हु.. यहां दूर दूर तक दूसरा कोई घर भी नही है... हमारा ये गांव एक बर्फीले पहाड़ों एम स्थित है... यहा ठंड बहोत है लेकिन यही साल का वो समय है जब यहा दूर दूर से लोग आते हे...में मेरी पत्नी स्वाति और एक बेटी के साथ रहता हु... होटल छोटा इसलिए हम ने एक लड़का रखा था जो होटल का सारा काम देख लेता था...हम दोनो को ज्यादा कूच करना नही पड़ता था..इस बचे हुए समाय में ऑनलाइन काम कर लेता और स्वाति होटल के पीछे बने हमारे घर के आंगन ने सब्जियां फल की खेती करती यही सब्जियां हम होटल में भी इस्तमाल कर लेते...बाकी काम हम दोनो मिल बाट के कर लेते थे.. अब तो पीहू यानी मेरी बेटी भी हमारा साथ देने लगी थी...अभी इस साल से ही हो पहली कक्षा में पढ़ने जा रही थी... यहा पास में ही एक सरकारी स्कूल में दाखिला लिया हू...
में खाली समय में बैठा हुआ अपनी कहानी लिख ही रहा था की... स्वाती अपना घर काम खतम कर मेरी गोद में आके बैठ गई...उसे घंटो मेरी गोद ने इसे बैठना बहोत भाता था...में भी इन हसी पालो में खो जाता और पेन कागज़ जमीन पे रख...मेरी खूबसूरत पत्नी को ढेर सारा प्यार देता..उसके सुनहरे बालों से खेलना..उसकी आंखों में जैसे में सारा समंदर था...उसके हकले हकले चुम्बन मुझे हर पल ये अहसास दिला रहे थे स्वाति मुझे कितना प्यार करने लगी है...उसकी ऐसी हरकतें देख मेने उसे बाहों में उठा लिया और...उसे उठा के में घर के उदर लाया...और उसे चूमने लगा... तभी उसे एक फोन आया और वो फोन रख के इतना गुस्से में मुझे बुरा भला सुनाने लगी जैसे अभी कूच देर पहले जो स्वाती थी वो ये है ही नही... में चुप चाप सब सुन रहा था...
में घर से निकल के पीहू को लेने उसके स्कूल जाने लगा... हां वो फोन उसके स्कूल से आया था... उसकी छुट्टी हो गई थी और में स्वाती के साथ प्यार करने में वो बात मेरे दिमाग से ही निकल गई... में स्कूल पहोचा तो वहा की स्कूल टीचर ने भी मुझ डाट दिया.. लेकिन जितना बुरा हाल मेरी स्वाति ने मेरा किया था उस से तो मुझे मैडम की बकबक किसी शहद से भी मीठी लगी...उनका नाम मिष्टी था ये मुझे बाद में अपनी बेटी से पता चला... उसकी खूबसूरती देख दो पल के लिए ने भी उसकी आंखों में खो गया... पतली सी कमर.. सीने पे छोटे छोटे कद के उभार..दूध से गोरी त्वचा...हाथ की कलाई तो इतनी पतली की कोई भी लड़का इसका हाथ कभी छोड़े ही नही...और प्यारी और मीठी मीठी मुस्कान... गुस्सा भी इस कर रही थी जैसे प्यार...मेने उनकी माफी ली और पीहू को उठा के आगे बिठा के बाइक सुरू की तभी वहा बैठा चौकीदार मुझे आवाज देके बोला..."बेटा ये बिटिया कब से तुम्हारी बेटी के लिए यहा खड़ी थी...इसे घर तक छोड़ दे... साम हो गई है कुछ देर में अंधेरा भी हो जाएगा..."
मिष्टी ने मना किया लेकिन मैने और पीहू ने उसे अकेले जाने नही दिया... हालाकि मुझे दूसरी ओर जाना था लेकिन मैने उसे घर तक छोड़ देने सही समझा...ये स्कूल गांव के बाहर था और यहां रात को एक लड़की का इस अकेले जाना मुझे सही नही लगा...वो आखिर में मना करती हुए मान गई...
वो बाइक पी बहोत पीछे होकर बैठी में उसकी जिजक समझा और पीहू को पीछे बिठा लिया... मिष्टी की आखों में मेरे लिए एक आदर भाव तुरत मुझे दिखा...वो अब थोड़ा खुल के बैठी...पता नही लेकिन पहली नजर में मुझे मिष्टी की और खींचा जा रहा था...मुझे पता था कि मेरी एक बेटी ही लेकिन दिल ने उठ रहे भाव पर मेरा कोई काबू थोड़े ना था...
उसके घर से थोड़ी दूरी पे आते ही जब से चुप क्यों बैठी मिष्टी की मीठी आवाज मेरे कानो मे गई.." सूरज जी यही रोक दीजिए यहां से ने चली जाउंगी..." मैंने बाइक रोकी और वो नीचे उतर गई और पीहू को भी साथ उठा ली...और एक प्यार से उसे अपने सीने से लगा के बाई बोल के पीहू के गालों को चूम ली... पीहू को मेंने लेके आगे बिठा दिया... " टीचर पापा को भी किसी दोना..." पीहू अपनी नादानी में बोल रही थी...मेरी तो दिल की धड़कन तेज हो गई...में तब कुछ बोल नहीं पाया...और कुछ सेकंड के लिए एक ऑकवर्ड सन्नाटा चा गया...में बोला "माफ करना टीचर पीहू की तरफ से में माफी मगता हूं" में किसी की बात सुन मेरी धड़कन तेज हो गई थी शायद इस लिय लिए क्यू की में भी कही न कही पीहू की बात सुन के वो सब सोचने लगा था..
वो कुछ बोले बिना जाने लगी सायद वो गांव में इस ज्यादा देर हमारे साथ बात करना सही नहीं समझ रही थी...
में घर आ गया... दरवाजे पर स्वाति खड़ी थी पीहू भाग के अपनी मम्मी के सीने से चिपक गई.. स्वाति ने पीहू को थोड़ा प्यार किया और उसे अन्दर बैग रख के हाथ पर साफ करने को बोल दिया...उसके जाते ही स्वाति मेरे सीने से लिपट गई...और माफी मांगने लगी की शाम को वो कुछ ज्यादा ही बोल दी... मेने उसकी आखों में देखा और प्यार से उसके कमर को पकड़ उसे थोड़ा सा ऊपर किया...और उसके गुलाब की पंखुड़ियो जैसे हाथ को अपने होठों के बिच ले कर उसके होठों का रसपान करते हुए उसके गले को भी चूम लिया... स्वाती तो मदहोश हो के मेरे सीने में और अधिक समा रही थी..."मम्मी" ये आवाज सुन के हम दोनो अलग हुए और स्वाति पीहू के पास चली गई...
में भी उसके पीछे गया... सोफा पे पीहू अपनी मां की गोद में लेट गई थी...उसे कुछ मिलने की खुशी थी... तभी स्वाति ने धीरे से अपना स्वेटर निकाला फिर एक एक कर ब्लाउज के बटन खोलने लगी... ब्लाउज खुलते ही स्वाति की ब्रा दिखने लगी... स्वाती ने देर न करते हुए अपनी ब्रा को आगे से ही खोला और पीहू के मुंह एम अपना निप्पल दे दिया...गोरे गोरे स्तन पूरे दूध से भरे हुई साफ देख रहे थे... कुछ ही देर में पाई न स्वाति का लेफ्ट स्तन खाली कर दिया और तुरत स्वाति ने उसे अपना दूसरा स्तन दिया...वो भी खाली कर पीहू उठ गई और खेलने लगी... स्वाती उसके साथ खेल रही थी....में फिर से गार्डन में आया और अपनी कलम और डायरी ले कर लिखने लगा....
भूतकाल में.....
में उस दिन स्कूल से आया और मां को आवाज देने लगा...मां कही नही थी... मेंने सारा घर देखा लेकिन मां नहीं थी... में तब 18+ साल का था... में पड़ोस वाली आंटी के घर गया लेकिन उन्होंने दरवाजा नहीं खोला.. मेने सुना की आंटी की सिसकारियां भरने की आवाज आ रही थी...मुझे कुछ समझ नहीं आया क्यूं की बहुत सीधा लडका था...जब रात हुए पापा घर आई वो शराब पिए हुए थे... मेरा कोई जवाब वो देने की हालत में वो नही थे... आंटी ने खाना भिजवा दिया था...दूसरे दिन मुझे पता चला कि मां मामा के वहा चली गई हे..मम्मी आप अक्सर लड़ते थे इस और मां मामा के वहा चली जाती लेकिन कुछ दिन में चली आती...लेकिन मां 1 हफ्ते तक भी नहीं आई...जब में स्कूल से आया मुझे पापा के रूम से किसी की आवाज आने लगी मजे आवाज जानी पहचानी लगी... मेंने देखा तो मेरे होस उड़ गई पहली बार कैसी औरत और मर्द को नंगा एक दुसरे के जिस्म के साथ खिलवाड़ करते देख मेरी दिल की धड़कन केसे रुक गई और फिर इतना तेज तेज रफ्तार से चली की मुझे भी कुछ समझ नही आया... मुझ ये समझने के लिए पूरा 5 मिनिट लगे की सामने जो मर्द उस औरत को गोद में लेकर चूम रहा है वो मेरे पापा है और वो औरत पडोश वाली आंटी थी... में तो कब से आंटी का नंगा बदन देखने को मरे जा रहा था वो आज मेरे आगे मेरे ही पापा की गोद एम बैठ अचल कूद करती हुए दर्द से भरी सिसकारियां निकल रही थी.... मुझे इतना तो समझ नही आया की ये क्या हो रहा था लेकिन एम ये जानता था की ये सब सिर्फ मम्मी पापा करते हे...में सोचा की मम्मी इस लिए ही चली गई होगी...मेरी पापा से बात करने की तो हिम्मत नही हुई लेकिन में अगले दिन मामा के वहा गया...घर का माहोल बहुत शांत था सब मां से ठीक से बात भी नहीं कर रहे थे... मम्मी ने मेरे से भी ठीक बात नही की लेकिन एक वकील आया तब मुझे समझ आया की मम्मी पापा का तलाक हो रहा है... में बाहर चला गया...
एक पान मसाला की दुकान के आगे से में गुजर रहा था की एक आदमी बोला..."भाई ये रहा उसका बेटा इस की मां सुमित्रा गेर मर्द से पेट से हो गई है..तभी इसका पति इसे तलाक दे रहा है.."
इस बारे में मेरी बात मेरी बात मामा के बड़े लड़के से हुए.. वो बोला "यार तुझे तो पता होगा बुआ किस के साथ..(वो बोलते रुक गया) मतलब की क्या बुआ किसी से मिल रही थी क्या...
वे इसे सवाल यहां मुझ से घर का हर सदस्य और बाहर वाले भी पूछ रहे थे घर वाले प्यार से और बाहर वाले तो यही बोल देते की "तुम्हारी मां का किस से चक्कर चल रहा है बोल दे तो उस से उसकी शादी हो जायेगी नही तो कोन सहारा देगा तेरी मां को"
में भाई से बोला मुझे कुछ नहीं पता और मम्मी किसी से बात नहीं करती इसे... बता दू की मुझ अभी तक यही लगता था की प्रेगनेंसी का जिस्मानी संबंध से कोई लेना देना नही है... मेरे लिए तो वे था की शादी के बाद अपने आप बच्चे होने लगते है और मां भी इसी ही मां बनेगी फिर से... हा मुझे पोर्न से ये पता चल गया था की मर्द औरत कया करते है लेकिन मुझे अभी तक यही लगता की वो बस प्यार करने के लिए करते है... ऐसा इस लिए था क्यू की मेरे दोस्त भी बहुत शरीफ थे और में ज्यादा बड़े लड़को से बात नही करता था और स्कूल मे तो वे सब स्किप कर देते थे पढ़ाई से...
मां को प्रेगनेंसी का पता तब चला था जब वो 3 महीने की प्रेगनेंट थी और ये बात भी तक पता चली जब पापा 6 महीनो बाद घर आई थे और का की तबियत बिगड़ी और हो डॉक्टर से मिले....और दोनों का जगड़ा हुआ और पापा ने मां को घर से निकल दिया और अब तलाक दे रहे थे... अब ये बात भी थी की पापा और आंटी का अफेयर का पता मां को था और उन दोनो का जगड़ा इसी बात को लेके होता था....अब पापा बोल रहे थे की मम्मी ने भी किसी मर्द के साथ वैसा ही किया लेकिन मां बोल रही थी उनको नही पता और उनका कोई चक्कर नही चल रहा....
To be continued....
Writer ji is ek update se bilkul bhi pata ni chal raha hai ki maa characterless hai ya baap to please update thoda jaldi deejiye koshish kar keYe kahaani meri Kalpana he is ka asal jindagi se koi lena dena nahi he yaha Jo bhi kirdar me likh raha hu vo bhi meri ek kalpna he....
Update 01
सभी पाठकों को मेरा नमस्कार... आशा कराता हूं की आप सब ठीक होंगे... में एक छोटे गांव में अपनी होटल चलाता हु.. यहां दूर दूर तक दूसरा कोई घर भी नही है... हमारा ये गांव एक बर्फीले पहाड़ों एम स्थित है... यहा ठंड बहोत है लेकिन यही साल का वो समय है जब यहा दूर दूर से लोग आते हे...में मेरी पत्नी स्वाति और एक बेटी के साथ रहता हु... होटल छोटा इसलिए हम ने एक लड़का रखा था जो होटल का सारा काम देख लेता था...हम दोनो को ज्यादा कूच करना नही पड़ता था..इस बचे हुए समाय में ऑनलाइन काम कर लेता और स्वाति होटल के पीछे बने हमारे घर के आंगन ने सब्जियां फल की खेती करती यही सब्जियां हम होटल में भी इस्तमाल कर लेते...बाकी काम हम दोनो मिल बाट के कर लेते थे.. अब तो पीहू यानी मेरी बेटी भी हमारा साथ देने लगी थी...अभी इस साल से ही हो पहली कक्षा में पढ़ने जा रही थी... यहा पास में ही एक सरकारी स्कूल में दाखिला लिया हू...
में खाली समय में बैठा हुआ अपनी कहानी लिख ही रहा था की... स्वाती अपना घर काम खतम कर मेरी गोद में आके बैठ गई...उसे घंटो मेरी गोद ने इसे बैठना बहोत भाता था...में भी इन हसी पालो में खो जाता और पेन कागज़ जमीन पे रख...मेरी खूबसूरत पत्नी को ढेर सारा प्यार देता..उसके सुनहरे बालों से खेलना..उसकी आंखों में जैसे में सारा समंदर था...उसके हकले हकले चुम्बन मुझे हर पल ये अहसास दिला रहे थे स्वाति मुझे कितना प्यार करने लगी है...उसकी ऐसी हरकतें देख मेने उसे बाहों में उठा लिया और...उसे उठा के में घर के उदर लाया...और उसे चूमने लगा... तभी उसे एक फोन आया और वो फोन रख के इतना गुस्से में मुझे बुरा भला सुनाने लगी जैसे अभी कूच देर पहले जो स्वाती थी वो ये है ही नही... में चुप चाप सब सुन रहा था...
में घर से निकल के पीहू को लेने उसके स्कूल जाने लगा... हां वो फोन उसके स्कूल से आया था... उसकी छुट्टी हो गई थी और में स्वाती के साथ प्यार करने में वो बात मेरे दिमाग से ही निकल गई... में स्कूल पहोचा तो वहा की स्कूल टीचर ने भी मुझ डाट दिया.. लेकिन जितना बुरा हाल मेरी स्वाति ने मेरा किया था उस से तो मुझे मैडम की बकबक किसी शहद से भी मीठी लगी...उनका नाम मिष्टी था ये मुझे बाद में अपनी बेटी से पता चला... उसकी खूबसूरती देख दो पल के लिए ने भी उसकी आंखों में खो गया... पतली सी कमर.. सीने पे छोटे छोटे कद के उभार..दूध से गोरी त्वचा...हाथ की कलाई तो इतनी पतली की कोई भी लड़का इसका हाथ कभी छोड़े ही नही...और प्यारी और मीठी मीठी मुस्कान... गुस्सा भी इस कर रही थी जैसे प्यार...मेने उनकी माफी ली और पीहू को उठा के आगे बिठा के बाइक सुरू की तभी वहा बैठा चौकीदार मुझे आवाज देके बोला..."बेटा ये बिटिया कब से तुम्हारी बेटी के लिए यहा खड़ी थी...इसे घर तक छोड़ दे... साम हो गई है कुछ देर में अंधेरा भी हो जाएगा..."
मिष्टी ने मना किया लेकिन मैने और पीहू ने उसे अकेले जाने नही दिया... हालाकि मुझे दूसरी ओर जाना था लेकिन मैने उसे घर तक छोड़ देने सही समझा...ये स्कूल गांव के बाहर था और यहां रात को एक लड़की का इस अकेले जाना मुझे सही नही लगा...वो आखिर में मना करती हुए मान गई...
वो बाइक पी बहोत पीछे होकर बैठी में उसकी जिजक समझा और पीहू को पीछे बिठा लिया... मिष्टी की आखों में मेरे लिए एक आदर भाव तुरत मुझे दिखा...वो अब थोड़ा खुल के बैठी...पता नही लेकिन पहली नजर में मुझे मिष्टी की और खींचा जा रहा था...मुझे पता था कि मेरी एक बेटी ही लेकिन दिल ने उठ रहे भाव पर मेरा कोई काबू थोड़े ना था...
उसके घर से थोड़ी दूरी पे आते ही जब से चुप क्यों बैठी मिष्टी की मीठी आवाज मेरे कानो मे गई.." सूरज जी यही रोक दीजिए यहां से ने चली जाउंगी..." मैंने बाइक रोकी और वो नीचे उतर गई और पीहू को भी साथ उठा ली...और एक प्यार से उसे अपने सीने से लगा के बाई बोल के पीहू के गालों को चूम ली... पीहू को मेंने लेके आगे बिठा दिया... " टीचर पापा को भी किसी दोना..." पीहू अपनी नादानी में बोल रही थी...मेरी तो दिल की धड़कन तेज हो गई...में तब कुछ बोल नहीं पाया...और कुछ सेकंड के लिए एक ऑकवर्ड सन्नाटा चा गया...में बोला "माफ करना टीचर पीहू की तरफ से में माफी मगता हूं" में किसी की बात सुन मेरी धड़कन तेज हो गई थी शायद इस लिय लिए क्यू की में भी कही न कही पीहू की बात सुन के वो सब सोचने लगा था..
वो कुछ बोले बिना जाने लगी सायद वो गांव में इस ज्यादा देर हमारे साथ बात करना सही नहीं समझ रही थी...
में घर आ गया... दरवाजे पर स्वाति खड़ी थी पीहू भाग के अपनी मम्मी के सीने से चिपक गई.. स्वाति ने पीहू को थोड़ा प्यार किया और उसे अन्दर बैग रख के हाथ पर साफ करने को बोल दिया...उसके जाते ही स्वाति मेरे सीने से लिपट गई...और माफी मांगने लगी की शाम को वो कुछ ज्यादा ही बोल दी... मेने उसकी आखों में देखा और प्यार से उसके कमर को पकड़ उसे थोड़ा सा ऊपर किया...और उसके गुलाब की पंखुड़ियो जैसे हाथ को अपने होठों के बिच ले कर उसके होठों का रसपान करते हुए उसके गले को भी चूम लिया... स्वाती तो मदहोश हो के मेरे सीने में और अधिक समा रही थी..."मम्मी" ये आवाज सुन के हम दोनो अलग हुए और स्वाति पीहू के पास चली गई...
में भी उसके पीछे गया... सोफा पे पीहू अपनी मां की गोद में लेट गई थी...उसे कुछ मिलने की खुशी थी... तभी स्वाति ने धीरे से अपना स्वेटर निकाला फिर एक एक कर ब्लाउज के बटन खोलने लगी... ब्लाउज खुलते ही स्वाति की ब्रा दिखने लगी... स्वाती ने देर न करते हुए अपनी ब्रा को आगे से ही खोला और पीहू के मुंह एम अपना निप्पल दे दिया...गोरे गोरे स्तन पूरे दूध से भरे हुई साफ देख रहे थे... कुछ ही देर में पाई न स्वाति का लेफ्ट स्तन खाली कर दिया और तुरत स्वाति ने उसे अपना दूसरा स्तन दिया...वो भी खाली कर पीहू उठ गई और खेलने लगी... स्वाती उसके साथ खेल रही थी....में फिर से गार्डन में आया और अपनी कलम और डायरी ले कर लिखने लगा....
भूतकाल में.....
में उस दिन स्कूल से आया और मां को आवाज देने लगा...मां कही नही थी... मेंने सारा घर देखा लेकिन मां नहीं थी... में तब 18+ साल का था... में पड़ोस वाली आंटी के घर गया लेकिन उन्होंने दरवाजा नहीं खोला.. मेने सुना की आंटी की सिसकारियां भरने की आवाज आ रही थी...मुझे कुछ समझ नहीं आया क्यूं की बहुत सीधा लडका था...जब रात हुए पापा घर आई वो शराब पिए हुए थे... मेरा कोई जवाब वो देने की हालत में वो नही थे... आंटी ने खाना भिजवा दिया था...दूसरे दिन मुझे पता चला कि मां मामा के वहा चली गई हे..मम्मी आप अक्सर लड़ते थे इस और मां मामा के वहा चली जाती लेकिन कुछ दिन में चली आती...लेकिन मां 1 हफ्ते तक भी नहीं आई...जब में स्कूल से आया मुझे पापा के रूम से किसी की आवाज आने लगी मजे आवाज जानी पहचानी लगी... मेंने देखा तो मेरे होस उड़ गई पहली बार कैसी औरत और मर्द को नंगा एक दुसरे के जिस्म के साथ खिलवाड़ करते देख मेरी दिल की धड़कन केसे रुक गई और फिर इतना तेज तेज रफ्तार से चली की मुझे भी कुछ समझ नही आया... मुझ ये समझने के लिए पूरा 5 मिनिट लगे की सामने जो मर्द उस औरत को गोद में लेकर चूम रहा है वो मेरे पापा है और वो औरत पडोश वाली आंटी थी... में तो कब से आंटी का नंगा बदन देखने को मरे जा रहा था वो आज मेरे आगे मेरे ही पापा की गोद एम बैठ अचल कूद करती हुए दर्द से भरी सिसकारियां निकल रही थी.... मुझे इतना तो समझ नही आया की ये क्या हो रहा था लेकिन एम ये जानता था की ये सब सिर्फ मम्मी पापा करते हे...में सोचा की मम्मी इस लिए ही चली गई होगी...मेरी पापा से बात करने की तो हिम्मत नही हुई लेकिन में अगले दिन मामा के वहा गया...घर का माहोल बहुत शांत था सब मां से ठीक से बात भी नहीं कर रहे थे... मम्मी ने मेरे से भी ठीक बात नही की लेकिन एक वकील आया तब मुझे समझ आया की मम्मी पापा का तलाक हो रहा है... में बाहर चला गया...
एक पान मसाला की दुकान के आगे से में गुजर रहा था की एक आदमी बोला..."भाई ये रहा उसका बेटा इस की मां सुमित्रा गेर मर्द से पेट से हो गई है..तभी इसका पति इसे तलाक दे रहा है.."
इस बारे में मेरी बात मेरी बात मामा के बड़े लड़के से हुए.. वो बोला "यार तुझे तो पता होगा बुआ किस के साथ..(वो बोलते रुक गया) मतलब की क्या बुआ किसी से मिल रही थी क्या...
वे इसे सवाल यहां मुझ से घर का हर सदस्य और बाहर वाले भी पूछ रहे थे घर वाले प्यार से और बाहर वाले तो यही बोल देते की "तुम्हारी मां का किस से चक्कर चल रहा है बोल दे तो उस से उसकी शादी हो जायेगी नही तो कोन सहारा देगा तेरी मां को"
में भाई से बोला मुझे कुछ नहीं पता और मम्मी किसी से बात नहीं करती इसे... बता दू की मुझ अभी तक यही लगता था की प्रेगनेंसी का जिस्मानी संबंध से कोई लेना देना नही है... मेरे लिए तो वे था की शादी के बाद अपने आप बच्चे होने लगते है और मां भी इसी ही मां बनेगी फिर से... हा मुझे पोर्न से ये पता चल गया था की मर्द औरत कया करते है लेकिन मुझे अभी तक यही लगता की वो बस प्यार करने के लिए करते है... ऐसा इस लिए था क्यू की मेरे दोस्त भी बहुत शरीफ थे और में ज्यादा बड़े लड़को से बात नही करता था और स्कूल मे तो वे सब स्किप कर देते थे पढ़ाई से...
मां को प्रेगनेंसी का पता तब चला था जब वो 3 महीने की प्रेगनेंट थी और ये बात भी तक पता चली जब पापा 6 महीनो बाद घर आई थे और का की तबियत बिगड़ी और हो डॉक्टर से मिले....और दोनों का जगड़ा हुआ और पापा ने मां को घर से निकल दिया और अब तलाक दे रहे थे... अब ये बात भी थी की पापा और आंटी का अफेयर का पता मां को था और उन दोनो का जगड़ा इसी बात को लेके होता था....अब पापा बोल रहे थे की मम्मी ने भी किसी मर्द के साथ वैसा ही किया लेकिन मां बोल रही थी उनको नही पता और उनका कोई चक्कर नही चल रहा....
To be continued....