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Adultery शीला की लीला (५५ साल की शीला की जवानी)

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पिछले अपडेट में आपने पढ़ा की..

बिना चुदाई के तड़प रही शीला मदन के साथ एक भरपूर संभोग चाहती थी.. पिछले कुछ दिनों से मदन की तबीयत नासाज होने के कारण वह सेक्स से अलिप्त थी.. पर मदन तो राजेश के साथ पीयूष से मिलने चला गया..

तड़फड़ा रही शीला ने शराब पीकर अपनी चूत को मसलते हुए उसे ठंडा करना चाहा.. लेकिन उससे तो आग और बढ़ गई.. मदन चला गया था.. रसिक भी शहर से बाहर था.. ऐसे में शीला को जीवा की याद आया..

शीला ने जीवा को फोन कर बुला लिया और उसका इंतज़ार कर रही थी

अब आगे..
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नंगी लेटी हुई शीला अपनी चूत को उंगलियों से कुरेद रही थी

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तभी दरवाजे पर दस्तक पड़ी.. निर्वस्त्र अवस्था में पड़ी शीला उठ खड़ी हुई.. अपने नंगे बदन पर उसने गाउन डाल लिया.. और लड़खड़ाते कदम से चलते हुए बाहर गई.. दरवाजा खोलते ही जीवा नजर आया.. शीला ने इशारे से उसे अंदर आ जाने के लिए कहा और उसके अंदर घुसते ही शीला ने.. अगल बगल नजर डालकर, दरवाजा बंद कर दिया..

"कहाँ मर गया था तू..??? कितनी देर लगा दी?" शीला ने थोड़े गुस्से से कहा.. इस वक्त शीला की जबान नहीं पर उसकी हवस बोल रही थी.. कामवासना से वह अत्याधिक व्याकुल हो चली थी

"भाभी जी, क्या बताऊँ.. आपने एन वक्त पर फोन किया.. अब नौकरी से दो घंटे पहले निकल पाना मुश्किल था.. मेरा शेठ बड़ा ही कमीना है.. छोड़ ही नहीं रहा था.. फिर आखिर तबीयत खराब होने का नाटक करके निकला.. तीन बस बदलकर पहुंचा यहाँ.. टाइम तो लगेगा ही ना" जीवा ने सफाई देते हुए कहा.. वैसे शीला को यह सब सुनने में कोई दिलचस्पी नहीं थी.. वह तो बस अपने जिस्म की आग बुझाना चाहती थी

उसने जीवा का गिरहबान पकड़कर अपने करीब खींचते हुए कहा "वो सब छोड़.. आज मुझे रगड़ रगड़कर चोद.. ऐसे चोद जैसे मुझसे जबरदस्ती कर रहा हो.. गालियां देते हुए.. समझ गया" शराब और वासना के कारण लाल हुई आँखों से घूरते हुए शीला ने कहा.. उसके मुंह से शराब की गंध जीवा ने परख ली थी..!! शीला कितनी गरम औरत थी, यह तो उसे पहले से मालूम था.. काफी समय पहले वह अपने दोस्त रघु के साथ आया था रात बिताने, तब दोनों ने जमकर चोदा था शीला को

जीवा ने सहमति में अपना सिर हिलाया

शीला को जीवा की पैंट में उसके लंड का उभार साफ नज़र आ रहा था.. उसकी पैंट मे उसके हलब्बी लंड का उभार इतना बड़ा था कि उसका कठोर लंड जैसे पैंट के कपड़े को चीर कर बाहर निकलने की धमकी दे रहा था..

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शीला मुस्कुराती हुई उसकी तरफ बढ़ी.. उसकी चाल नशे के कारण डगमगा रही थी.. जीवा ने देखा कि शीला ऊँची हील की सैंडल में थोड़ी लड़खड़ा रही थी और आँखें भी मदहोश लग रही थी.. एक बार जीवा को लगा कि कहीं शीला उन सैंडलों में नशे के कारण अपना संतुलन न खो दे लेकिन वो अपनी जगह ही खड़ा रहा क्योंकि वो किसी प्रकार की पहल कर के शीला को गुस्सा नहीं दिलाना चाहता था.. इस वक़्त शीला के रंग-ढंग देख कर उसकी उम्मीद विश्वास में बदलने लगी थी..

"क्यों साले! ये अपनी पैंट कब उतारेगा?" शीला कुटिल मुस्कान के साथ उसके उभार को घुरती हुई उसी बेशर्मी से बोली जैसे की वो हमेशा चुदाई के वक्त होती थी..

फिर शीला ने उसके सामने आ कर उसके गले में एक बाँह डाली और दूसरे हाथ से उसके पैंट की ज़िप नीचे करने लगी लेकिन लंड के उभार के ऊपर से ज़िप खींचने में उसे थोड़ी दिक्कत हुई.. ज़िप नीचे होते ही जीवा की पैंट का आगे से चौड़ा मुँह खुल गया और उसका लंड ऐसे लपक कर बाहर निकला जैसे किसी राक्षस ने गुस्से में भाला फेंका हो.. शीला की आँखें चौड़ी हो गयीं.. इस लंड से उसने कितनी ही बार चुदाई की थी लेकिन शीला ने कभी भी इसे इतना फूला हुआ और इतना सख्त नहीं देखा था.. शायद शराब के नशे का असर हो.. उसे देख कर शीला की चूत थरथराने लगी..

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शीला ने अंदर हाथ डाल कर जीवा के टट्टे भी बाहर खींच लिए और अपनी चमकती आँखों के सामने उसके हलब्बी चुदाई-हथियार को पूरा नंगा कर दिया.. यकीनन जबरदस्त नज़ारा था.. जीवा के लंड का बड़ा सुपाड़ा फूल कर जामुनी रंग के मशरूम के आकार का लग रहा था.. उसके लंड की धड़कती हुई काली नसें उभरी हुई थीं.. उस मोटी-ताज़ी मांसल मिनार की जड़ में गुब्बारों की तरह फूले हुए उसके टट्टे थे..

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"ऊऊऊऊहहहह" शीला ने रोमाँच में गहरी साँस ली..

शीला बेइंतेहा चुदक्कड़ थी.. उसकी चूत चाहे कितनी भी बार चुद ले, चुदास हमेशा बरकरार रहती ही रहती थी.. हालांकि वो अभी हस्तमैथुन करते हुए जम कर झड़ी थी, लेकिन अब वो फिर जीवा के मांसल लंड से अपनी चूत भरने को बेक़रार हो रही थी..

उसने अपने गाऊन में हाथ डाल कर एक बार फिर अपनी चूत ओर जाँघों पर फिराया.. फिर उसने अपना गाऊन ज़मीन पर गिरा दिया और अपना एक हाथ अपने पेट पर फिराती हुई दूसरे हाथ से अपनी अंदरूनी जाँघों को सहलाने लगी.. उसकी चूत का रस उसके जिस्म पर चमक रहा था जो उसके उंगली डालकर झड़ने के कारण निकला था.. उस चूत रस में छिपी हुई थी शीला बिस्तर पर अपनी कुहनियों के सहारे पीछे को झुक कर अपनी टाँगें फैला कर बैठ गयी..

जीवा भी शीला के पास आ गया और अपनी मुट्ठी अपने लंड की जड़ में कस दी जिससे उसके लंड का सुपाड़ा दमकने लगा.. शीला के लिए यह मुँह में पानी ला देने वाला नज़ारा था.. वो आगे झुकी तो उसके लंबे बाल जीवा के पेट और जाँघों पर गिर गये.. शीला ने अपनी ज़ुबान लंड के सुपाड़े पर फिरायी..

4

"उम्म्म... वाह", शीला मजे से घुरगुरायी..

"हाँ... चूसो भाभी... उम्म... मेरा मतलब.. चूस बहेनचोद कुत्तिया", जीवा सिसका.. शीला उसका पूरा सुपाड़ा मुँह में ले कर चूसने लगी.. शीला की चुस्त और फुर्तीली ज़ुबान जीवा के फूले हुए सुपाड़े पर फिसलने और सुड़कने लगी.. उसकी ज़ुबान बीच में कभी सुपाड़े की नोक पर फिरती और कभी उसके मूतने वाले छेद को टटोलती.. अपने मुँह में वीर्य की बूंदों का ज़ायका महसूस होते ही शीला की भूख और बढ़ गयी.. जब वो उसके सुपाड़े के इर्द-गिर्द बहुत सारी लार निकालने लगी तो उसका थूक लंड की छड़ पे नीचे को बहने लगा.. शीला का सिर किसी लट्टू की तरह जीवा के लंड पर घूम रहा था..


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जीवा की गाँड अकड़ गयी और धक्के लगाती हुई लंड को शीला के मुँह में भोंकने लगी.. शीला जब चूसती तो उसके गाल अंदर को पिचक जाते और जब वो उसके लंड पर फूँकती तो गाल फूल जाते.. शीला लंड के सुपाड़े पर पर बहुत ज़्यादा माता में लार निकाल रही थी और जीवा के लोड़े से बहुत सारा थूक नीचे बह रहा था..

जीवा के लंड को चूसते हुए शीला के काले बालों का पर्दा जीवा के लंड और टट्टों पर पड़ा हुआ था.. लंड के ज़ायके का मज़ा लेते वक्त शीला के मुँह से सिसकियाँ निकल रही थी.. जीवा के दाँत आपस में रगड़ रहे थे और उसका चेहरा उत्तेजना से ऐंठा हुआ था.. शीला का सिर तेजी से लंड पर ऊपर-नीचे डोलने लगा और वो और ज़्यादा लंड के हिस्से को अपने मुँह में लेने लगी.. उस मोटे और रसीले लंड पर ऊपर नीचे होती हुई शीला लंड पर अपने होंठ जकड़ कर चूस रही थी.. जब वो अपना सिर ऊपर लेती तो उस लंड पर अपना मुँह लपेट कर अपने होंठ कस कर पेंचकस की तरह मरोड़ती..

जीवा जंगली सुअर की तरह घुरघुराता हुआ और अपना लंड ऊपर को ठेलता हुआ शीला के मुँह को ऐसे चोदने लगा जैसे कि कोई चूत हो..

"ऊम्मफ्फ", जब लंड का फूला हुआ सुपाड़ा शीला के गले में अटका तो वो गोंगियाने लगी.. शीला ने जीवा का लंबा लंड तक़रीबन पूरा अपने मुँह में भर लिया था.. जीवा के टट्टे शीला की ठुड्डी पर रगड़ रहे थे और शीला की नाक जीवा की झाँटों में घुसी हुई थी.. शीला की साँस घुट रही थी लेकिन फिर भी उसने कुछ लम्हों के लिए लंड के सुपाड़े को अपने गले में अटकाये रखा और फिर उसने लंड को चुसते हुए बाहर को निकाला..

6

"ऊँम्म्म", शीला कराही और फिर से उस लंड पे अपने होंठ लपेट कर चूसने लगी..

जीवा ने अपना लंड शीला के मुँह में लगातार चोदते हुए अपना वजन एक टाँग से दूसरी टाँग पर लिया.. जीवा ने अपना एक हाथ शीला की गर्दन के पीछे रखा और उसका मुँह अपने लंड पर थाम कर अंदर-बाहर चोदने लगा.. उसके टट्टे ऊपर उछल-उछल कर शीला की ठुड्डी के नीचे थपेड़े मार रहे थे..

जीवा के मूत वाले छेद से और भी ज़ायकेदार प्री-कम चूने लगी और शीला की ज़ुबान पर बह कर शीला की प्यास और भड़काने लगी.. शीला और भी जोर से लंड चूसने लगी और अपने मुँह में जीवा को अपने टट्टे खाली करने को आमादा करने लगी.. वो उसके गरम वीर्य को पीने के लिए बेक़रार हो रही थी..

चुदक्कड़ शीला की ज़ुबान भी उसकी क्लिट की तरह ही गर्म थी.. सिसकती हुई वो अपना मुँह जीवा के लंबे-मोटे लंड पर ऊपर-नीचे डोलने लगी..

लेकिन तभी जीवा ने अपना लंड शीला के होंठों से बाहर खींच लिया.. उसका सुपाड़ा बाहर निकला.. शीला के होंठ चपत कर बंद हो गये पर वो फिर से अपने होंठ खोल कर अपनी ज़ुबान बाहर निकाले, पीछे हटते लंड पर फिराने लगी..

जीवा को शीला से लंड चुसवाना अच्छा लग रहा था पर अब वो शीला का भोसड़ा चोदने के मूड में था.. शीला ने नज़रें उठा कर अपनी नशे में डूबी आँखों से जीवा के चेहरे को देखा.. वह हैरान थी कि उसने अपना स्वादिष्ट तगड़ा लंड उसके मुँह से खींच लिया था.. ऐसा कभी नहीं हुआ था कि किसी आदमी ने शीला के मुँह में झड़ने से पहले लंड बाहर निकाला हो.. उसने अपने होंठ अण्डे की तरह गोल खोल कर उन्हें चूत की शक़ल में फैला दिया और अपनी ज़ुबान कामुक्ता से फड़फड़ाती हुई उसे फिर उसके लंड को फिर अपने मुंह में डालने के लिए आमंत्रित करने लगी..

नशे में चूर शीला को जीवा ने उसके कंधे से पकड़ कर धीरे से बिस्तर पर पीछे ढकेल दिया.. अगर वो उसके मुँह की जगह उसकी चूत चोदना चाहता था तो शीला को कोई ऐतराज़ नहीं था क्योंकि उसे तो दोनों ही जगह से चुदवाने में बराबर मज़ा आता था.. जब तक उसे भरपूर चुदाई मिल रही थी उसे इसकी कोई परवाह नहीं थी कि किस छेद से मिल रही थी..

अपने घुटने मोड़ कर और अपनी जाँघें फैला कर शीला पसर गयी.. उसने अपनी कमर उचका कर अपनी रसीली चूत चुदाई के एंगल में मोड़ दी.. जीवा उसकी टाँगों के बीच में झुक गया.. वो शीला के कामुक जिस्म से परिचित था.. अपने हाथों और घुटनों पर वजन डाल कर जीवा ने अपने चूत्तड़ अंदर ढकेले और उसके लंड का फूला हुआ सुपाड़ा शीला की चूत के अंदर फिसल गया..

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शीला मस्ती से कलकलाने लगी.. अपने लंड का सिर्फ सुपाड़ा शीला की चूत में रोक कर जीवा लंड कि मांस-पेशियों को धड़काने लगा.. उसका सूजा हुआ सुपाड़ा चूत में धड़कता हुआ हिलकोरे मार रहा था..

पहले शीला का मुँह, चूत की तरह था और अब उसकी चूत, मुँह की तरह थी.. उसकी चूत के होंठ लंड के सुपाड़े को चूसने लगे और उसकी कड़क क्लिट उसकी जुबान की तरह लंड पर रगड़ने लगी.. जीवा घुरघुराते हुए स्थिर हो गया.. शीला की चूत उसके लंड को सक्शन पंप की तरह अपनी गहराइयों में खींच रही थी.. जीवा ठेल नहीं रहा था लेकिन शीला की चूत खुद से उसके लंड को अंदर घसीट रही थी..

जीवा उत्तेजना से गुर्राया.. उसे ऐसा महसूस हो रहा था जैसे उसका लंड उसके शरीर से खींच कर उखाड़ा जा रहा था और शीला की चूत के शिकंजे में अंदर खिंचा जा रहा है.. अपनी चूत में आखिर तक उस विकराल लौड़े की ठोकर महसूस करती हुई शीला सिसकने लगी.. उसकी चूत फड़कते लंड से कोर तक भरी हुई थी.. जीवा का लंड शीला की चूत को उन गहराइयों तक भरे हुए था जहाँ शीला के अन्य किसी भी पुरुष साथी का लंड नहीं पहुँच सकता था..

जीवा का लंड शीला की चूत में धड़कने लगा तो उसकी चूत की दीवारें भी उसके लंड की रॉड पर हिलोरे मारने लगी.. शीला की चूत के होंठ लंड की जड़ पे चिपके हुए थे और लंड को ऐसे खींच रहे थे जैसे कि उस कड़क लंड को जीवा के जिस्म से उखाड़ कर सोंखते हुए चूत की गहराइयों में और अंदर समा लेने की कोशिश कर रहे हों..

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जीवा के लंड का गर्म सुपाड़ा शीला को ऐसा महसूस हो रहा था जैसे कि उसकी चूत में गरमागरम लोहे का ढेला ठूँसा हो.. उसके फड़कते लंड की रॉड ऐसे महसूस हो रही थी जैसे लोहे की गरम छड़ चूत की दीवारों को खोद रही हो.. उसका लंड इतना ज़्यादा गरम था कि शीला को लगा कि वो जरूर उसकी चूत को अंदर से जला रहा होगा पर उसकी खुद की चूत भी कम गरम नहीं थी.. शीला की चूत भी भट्टी की तरह उस लंड पर जल रही थी जैसे कि जीवा का लंड तंदूर में सिक रहा हो..

शीला ने पहले हिलना शुरू किया.. जीवा तो स्थिर था और शीला ने अपनी चूत उसके लंड पर दो-तीन इंच पीछे खींची और फिर वापिस लंड की जड़ तक ठाँस दी.. "चोद मुझे... चोद मुझे!" शीला मतवाली हो कर कराहने लगी..

जीवा ने अपने घुटनों पर जोर दे कर अपना लंड इतना बाहर खींचा कि सिर्फ उसका सुपाड़ा चूत के अंदर था.. शीला की क्लिट उसके लंड पर धड़कने लगी.. जीवा ऐसे ही कुछ पल रुका तो शीला की चूत के होंठ फिर से उसके लंड को अंदर खींचने के लिए जकड़ने लगे.. शीला के भरे-भरे चूत्तड़ पिस्टन की तरह हिल रहे थे उसकी ठोस गाँड बिस्तर पे मथ रही थी..

"पेल इसे मेरे अंदर... जीवा!" शीला चिल्लायी.. वो अपनी चूत को लंड से भरने को बेक़रार हो रही थी.. उसे अपनी चूत अचानक खोखली लग रही थी.. "ठेल दे अपना पूरा मूसल अंदर तक!"

जीवा ने हुँकार कर अपनी गाँड खिसकायी और शीला को एक धीरे पर लंबा सा झटका खिलाया.. उसका लंड चीरता हुआ उसकी धधकती चूत में अंदर तक धंस गया.. चूत के अंदर धंसी उसके लंड की रॉड ने शीला की गाँड को बिस्तर से ऊपर उठा दिया.. जीवा ने एक बार फिर बाहर खींच कर इस तरह अपना लंड अंदर पेल दिया कि शीला की गाँड और ऊपर उठ गयी और उसका लंड इस तरह नीचे की तरफ चूत पेल रहा था कि अंदर-बाहर होते हुए गरम लंड का हर हिस्सा शीला की चूत पर रगड़ खा रहा था..

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शीला भी उतने ही जोश और ताकत से अपनी आगबबुला चूत ऊपर-नीचे चलाती हुई जीवा के जंगली झटकों का जवाब दे रही थी.. उसकी चूत इतनी शिद्दत से लंड पर चिपक रही थी कि जीवा को लंड बाहर खींचने के लिए हकीकत में जोर लगाना पड़ रहा था..

जीवा का लंड शीला के चूत-रस से भीगा और चिपचिपाता और दहकता हुआ बाहर निकलता और फिर चूत में अंदर चोट मारता हुआ घुस जाता जिससे शीला के चूत-रस का फुव्वारा बाहर छूट जाता.. जीवा के टट्टे भी चूत-रस से तरबतर थे.. शीला का पेट भी चूत के झाग से भर गया था और गरम चूत-रस उसकी जाँघों के नीचे और उसकी गाँड की दरार में बह रहा था.. जब भी उसकी चूत से रस का फव्वारा फूटता तो मोतियों जैसी बड़ी-बड़ी बूँदें उसकी चूत और दोनों टाँगों के बीच के तिकोण पर छपाक से गिरतीं..


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चुदाई की लज़्ज़त और शराब के नशे से शीला मतवाली हुई जा रही थी.. उसने जीवा से चिपकते हुए अपनी जाँघें जीवा के चूत्तड़ों पर कस दीं.. शीला के ऐड़ियाँ जीवा की गाँड पर ढोल सा बजाने लगीं..

जीवा लगातार चोद रहा था और जब भी उसका लंड चूत में ठँसता तो उसके टट्टे झूलते हुए शीला की झटकती गाँड पे टकराते.. साथ ही शीला की चूत से और रस बाहर चू जाता.. "आआआईईईऽऽऽ आँआँहहह मैं... मेरा छूटने वाला है!" शीला हाँफी, "ओह... चूतिये... मैं झड़ने वाली हूँ... तू भी झड़ जाऽऽऽ मादरचोदऽऽऽ भर दे मेरी चूत अपने गरम, चोदू-रस सेऽऽऽ!"

फिर जीवा ने एक हैरत अंगेज़ काम किया.. उसने अपना लंड चूत से बाहर निकाल लिया!

शीला बेहद तड़पते हुए ज़ोर से चिल्लायी और यह सोच कर कि शायद गलती से निकल गया होगा, उसने अपना हाथ बढ़ा कर लंड पकड़ लिया और फिर से अपनी चूत में डालने की कोशिश करने लगी.. वो गरम चुदक्कड़ औरत झड़ने के कगार पर थी और उसे डर था कि लंड के वापस चूत में घुसने के पहले ही वो कहीं झड़ ना जाये..

जीवा कुटिलता से मुस्कुराया.. उसने शीला के चूत्तड़ पकड़ कर उसे धीरे से पलट दिया.. जब वो शीला को बिस्तर पर पेट के बल पलट रहा था तो वो उसके हाथों में मछली की तरह फड़फड़ा रही थी.. फिर उसने शीला को जाँघों से पकड़ कर पीछे की ओर ऊपर खींचा जिससे शीला अपने घुटनों पे उठ कर झुक गयी और उसकी गाँड जीवा के लंड की ऊँचाई तक आ गयी.. जीवा भी ठीक शीला के पीछे झुका हुआ था.. जीवा का लंड शीला की गाँड के घुमाव के ऊपर मिनार की तरह उठा हुआ था.. उसका लंड शीला के पिघले हुए घी जैसे चूत-रस से भीगकर चिपचिपा रहा था और उसके लंड का सुपाड़ा ऐसे दमक रहा था जैसे कि २०० वॉट का बल्ब हो और नीचे अपने टट्टों में छिपी पथरीली गोलियों से खबरदार कर रहा हो..

शीला का सिर नीचे था और गाँड ऊपर हवा में थी.. उसका एक गाल बिस्तर पे सटा हुआ था और उसके लंबे काले बाल बिस्तर पर फैले हुए थे.. शीला की ठोस, झटकती गाँड उसकी इस पोज़िशन की अधिकतम ऊँचाई तक उठी हुई थी.. यह पोज़िशन शीला के लिए नई नहीं थी.. उसकी भारी चूचियाँ बिस्तर पर सपाट दबी हुई थीं और जब वो अपनी गाँड हिलाने लगी तो उसकी तराशी हुई जाँघें कसने और ढीली पड़ने लगीं और उसकी प्यारी गाँड कामुक्ता से ऊपर-नीचे होने लगी..

एक क्षण के लिए तो शीला को लगा कि जीवा उसकी गाँड मारने वाला है और शीला को इसमें कोई ऐतराज़ भी नहीं था.. वह पहले भी जीवा से अपनी गांड मरवा चुकी थी.. पर जीवा का एक हाथ उसकी चूत पर फिसल कर चूत की फाँकों को फैलाते हुए उसकी फड़कती क्लिट को रगड़ने लगा..

"हाँआँआँ... हाँआँआँ... ऐसे ही कुत्तिया बना कर चोद मुझे!" अपनी चूत में जीवा का खूंखार लौड़ा पिलवाने की तड़प में शीला गिड़गिड़ाने लगी.. जीवा के चोदू-झटके की उम्मीद में शीला पीछे को झटकी..

"तुझे कुत्तिया बन कर चुदवाने में बहुत मज़ा आता है ना, राँड?" जीवा उसके कुल्हों को हाथों में पकड़ते हुए फुसफुसाया.. उसका लहज़ा व्यंगात्मक लग रहा था..

"हाँआँआँ! मुझे कुत्तिया बना कर चोद!" शीला कराही..

जीवा ने मुस्कुरा कर अपने लंड की नोक से उसकी दहकती चूत को छुआ और उसे शीला की क्लिट पर रगड़ने लगा.. शीला दोगुनी मस्ती से कराहने लगी और उसने अपने चूत्तड़ जीवा के लंड पर पीछे धकेल दिये..

जीवा ने अपना भीमकाय, फड़कता हुआ लंड पूरी ताकत से एक ही झटके में शीला की गाँड के नीचे उसकी पिघलती हुई चूत में ठाँस दिया.. उसका लंड अंदर फिसल गया और उसका सपाट पेट शीला के चूत्तड़ों से टकराया.. अपनी झुकी हुई जाँघों के बीच में से अपना हाथ पीछे ले जाकर शीला उसके टट्टे सहलाने लगी.. जीवा अपना लंड शीला की चूत में अंदर तक पेल कर उसे घुमाता हुआ उसकी चूत को पीस रहा था..


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फिर जीवा ने पूरे जोश में अपना लंड शीला की चूत में आगे-पीछे पेलना शुरू कर दिया.. शीला कसमसाती हुई अपने चूत्तड़ पीछे ठेल रही थी और उसकी चूचियाँ भी जोर-जोर से झूल रही थी.. जीवा कुत्ते की तरह वहशियाना जोश से शीला की चूत चोद रहा था और कुत्ते की तरह ही हाँफ रहा था.. शीला भी मस्ती और बेखुदी में ज़ोर-ज़ोर से सिसक रही थी, "आँहह... ओहह मर गई.. आँआँहहह...!"

जीवा ने थोड़ा झुक कर जोर से अपना लंड ऊपर की तरफ चूत में पेला जिससे शीला की गाँड हवा में ऊँची उठ गयी और उसके घुटने भी बिस्तर उठ गये.. फिर अगला झटका जीवा ने ऊपर से नीचे की तरफ दिया और फिर से शीला के घुटने और गाँड पहले वाली पोज़िशन में वापिस आ गये.. शीला का जिस्म स्प्रिंग की तरह जीवा के नीचे कूद रहा था..

"ऊँऊँम्म्म आह्ह.. उहह!" शीला चिल्लाई..

जीवा भी पीछे नहीं था.. उसका लंड फूल कर इतना बड़ा हो गया था कि शीला को लगा जैसे कुल्हों की हड्डियाँ अपने सॉकेट में से निकल जायेंगी.. शीला ने अपनी झूलती चूचियों के कटाव में से पीछे जीवा के बड़े लंड को अपनी चूत में अंदर-बाहर होते हुए देखने की कोशिश की..

जीवा जोर-जोर से चोदते हुए शीला की चूत को अपने लंड से भर रहा था और शीला को शहूत और लज़्ज़त से.. शीला की चूत जीवा के लंड पे पिघलती हुई इतना ज़्यादा रस बहा रही थी कि वो फुला हुआ लंड जब चूत की गहराइयों में धंसता तो छपाक-छपाक की आवाज़ आती थी..

"ले... साली कुत्तिया... मेरा भी अब छूट रहा है!" जीवा हाँफते हुए बोला..

"हाँऽऽऽ हाँऽऽऽ डुबा दे मुझे अपने लंड की मलाई में!" शीला कराही..

जब जीवा ने अपना लंड जड़ तक ठाँस दिया तो उसकी कमर आगे मुड़ गयी और उसका सिर और कंधे पीछे झुक गये.. शीला को जब उबलता हुआ वीर्य अपनी चूत मे छूटता महसूस हुआ तो वो और भी जोर से कराहने लगी.. जीवा का गाढ़ा वीर्य तेज सैलाब की तरह शीला की चूत में बह रहा था..


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जीवा के टट्टों को फिर से हाथ में पकड़ कर शीला निचोड़ने लगी जैसे कि उसके निचोड़ने से ज्यादा वीर्य निकलने की उम्मीद हो.. जैसे ही जीवा अपना लंड उसकी चूत में अंदर पेलता तो शीला उसके टट्टे नीचे खींच देती और जब वो अपना लंड बाहर को खींचता तो शीला उसके टट्टे सहलाने लगती.. जीवा की वीर्य किसी ज्वार-भाटे की तरह हिलोरे मारती हुई शीला की चूत में बह रहा था..

हर बार जब भी शीला को अपने अंदर, और वीर्य छूटता महसूस होता तो उसकी चुदक्कड़ चूत भी फिर से अपना रस छोड़ देती..

हाँफते हुए, जीवा की रफ़्तार कम होने लगी..

शीला ने उसके लंड पे अपनी चूत आगे-पीछे चोदनी जारी रखी और उसके लंड को दुहती हुई वो अपने ओर्गैज़म के बाकी बचे लम्हों की लज़्ज़त लेने लगी.. शीला को लग रहा था जैसे कि उसकी चूत लंड पर पिघल रही हो.. खाली होने के बाद जीवा ने कुछ पल अपना लंड चूत में ही रखा.. उसके गाढ़े मलाईदार वीर्य और शीला के घी जैसे चूत-रस का गाढ़ा और झागदार दूधिया सफ़ेद मिश्रण जीवा के धंसे हुए लंड की जड़ के आसपास बाहर चूने लगा.. शीला की चूत के बाहर का हिस्सा और उसकी जाँघें चुदाई के लिसलिसे दलदल से सनी हुई थी..

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जब आखिर में जीवा ने अपना लंड शीला की चूत में से बाहर निकाला तो उसके लंड की छड़ इस तरह बाहर निकली जैसे तोप में गोला दागा हो.. शीला की चूत के होंठ फैल गये और उसकी चूत बाहर सरकते लंड पर सिकुड़ने लगी.. जब उसके लंड का सुपाड़ा चूत में से बाहर निकला तो शीला कि चूत में से वीर्य और चूत-रस का मिश्रण झागदर बाढ़ की तरह बह निकला..


पूर्णतः संतुष्ट शीला मुस्कुराती हुई पेट के बल नीचे बिस्तर पर फिसल गयी.. वह थककर चूर हो चुकी थी पर फिर भी उसने अपनी जाँघें फैला रखी थीं कि शायद जीवा एक बार फिर चोदना चाहे.. परन्तु जीवा बिस्तर से पीछे हट गया.. शीला ने पीछे मुड़ कर देखा कि जीवा ने अपना मुर्झाया हुआ चोदू लंड अपनी पैंट में भर लिया था और उसे लंड के उभार के ऊपर ज़िप चढ़ाने में मुश्किल हो रही थी.. शीला अपना हाथ नीचे ले जाकर अपनी तरबतर चूत को सहलाने लगी.. पूरी चूत स्खलन के झागदार प्रवाही से भरी हुई थी..

"मज़ा आया चोदने में?" शीला ने अपनी मदहोश आँखें नचाते हुए पूछा..


जीवा ने दाँत निकाल कर मुस्कुराते हुए रज़ामंदी में अपनी गर्दन हिलायी..
Amazing and Super Hot 🔥 Erotic Likha hai

Sheela k jalwon ki baat hi alag hoti hai

Wonderful 👍
 
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तड़फड़ा रही शीला ने शराब पीकर अपनी चूत को मसलते हुए उसे ठंडा करना चाहा.. लेकिन उससे तो आग और बढ़ गई.. मदन चला गया था.. रसिक भी शहर से बाहर था.. ऐसे में शीला को जीवा की याद आया..

शीला ने जीवा को फोन कर बुला लिया और उसका इंतज़ार कर रही थी

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नंगी लेटी हुई शीला अपनी चूत को उंगलियों से कुरेद रही थी

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तभी दरवाजे पर दस्तक पड़ी.. निर्वस्त्र अवस्था में पड़ी शीला उठ खड़ी हुई.. अपने नंगे बदन पर उसने गाउन डाल लिया.. और लड़खड़ाते कदम से चलते हुए बाहर गई.. दरवाजा खोलते ही जीवा नजर आया.. शीला ने इशारे से उसे अंदर आ जाने के लिए कहा और उसके अंदर घुसते ही शीला ने.. अगल बगल नजर डालकर, दरवाजा बंद कर दिया..

"कहाँ मर गया था तू..??? कितनी देर लगा दी?" शीला ने थोड़े गुस्से से कहा.. इस वक्त शीला की जबान नहीं पर उसकी हवस बोल रही थी.. कामवासना से वह अत्याधिक व्याकुल हो चली थी

"भाभी जी, क्या बताऊँ.. आपने एन वक्त पर फोन किया.. अब नौकरी से दो घंटे पहले निकल पाना मुश्किल था.. मेरा शेठ बड़ा ही कमीना है.. छोड़ ही नहीं रहा था.. फिर आखिर तबीयत खराब होने का नाटक करके निकला.. तीन बस बदलकर पहुंचा यहाँ.. टाइम तो लगेगा ही ना" जीवा ने सफाई देते हुए कहा.. वैसे शीला को यह सब सुनने में कोई दिलचस्पी नहीं थी.. वह तो बस अपने जिस्म की आग बुझाना चाहती थी

उसने जीवा का गिरहबान पकड़कर अपने करीब खींचते हुए कहा "वो सब छोड़.. आज मुझे रगड़ रगड़कर चोद.. ऐसे चोद जैसे मुझसे जबरदस्ती कर रहा हो.. गालियां देते हुए.. समझ गया" शराब और वासना के कारण लाल हुई आँखों से घूरते हुए शीला ने कहा.. उसके मुंह से शराब की गंध जीवा ने परख ली थी..!! शीला कितनी गरम औरत थी, यह तो उसे पहले से मालूम था.. काफी समय पहले वह अपने दोस्त रघु के साथ आया था रात बिताने, तब दोनों ने जमकर चोदा था शीला को

जीवा ने सहमति में अपना सिर हिलाया

शीला को जीवा की पैंट में उसके लंड का उभार साफ नज़र आ रहा था.. उसकी पैंट मे उसके हलब्बी लंड का उभार इतना बड़ा था कि उसका कठोर लंड जैसे पैंट के कपड़े को चीर कर बाहर निकलने की धमकी दे रहा था..

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शीला मुस्कुराती हुई उसकी तरफ बढ़ी.. उसकी चाल नशे के कारण डगमगा रही थी.. जीवा ने देखा कि शीला ऊँची हील की सैंडल में थोड़ी लड़खड़ा रही थी और आँखें भी मदहोश लग रही थी.. एक बार जीवा को लगा कि कहीं शीला उन सैंडलों में नशे के कारण अपना संतुलन न खो दे लेकिन वो अपनी जगह ही खड़ा रहा क्योंकि वो किसी प्रकार की पहल कर के शीला को गुस्सा नहीं दिलाना चाहता था.. इस वक़्त शीला के रंग-ढंग देख कर उसकी उम्मीद विश्वास में बदलने लगी थी..

"क्यों साले! ये अपनी पैंट कब उतारेगा?" शीला कुटिल मुस्कान के साथ उसके उभार को घुरती हुई उसी बेशर्मी से बोली जैसे की वो हमेशा चुदाई के वक्त होती थी..

फिर शीला ने उसके सामने आ कर उसके गले में एक बाँह डाली और दूसरे हाथ से उसके पैंट की ज़िप नीचे करने लगी लेकिन लंड के उभार के ऊपर से ज़िप खींचने में उसे थोड़ी दिक्कत हुई.. ज़िप नीचे होते ही जीवा की पैंट का आगे से चौड़ा मुँह खुल गया और उसका लंड ऐसे लपक कर बाहर निकला जैसे किसी राक्षस ने गुस्से में भाला फेंका हो.. शीला की आँखें चौड़ी हो गयीं.. इस लंड से उसने कितनी ही बार चुदाई की थी लेकिन शीला ने कभी भी इसे इतना फूला हुआ और इतना सख्त नहीं देखा था.. शायद शराब के नशे का असर हो.. उसे देख कर शीला की चूत थरथराने लगी..

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शीला ने अंदर हाथ डाल कर जीवा के टट्टे भी बाहर खींच लिए और अपनी चमकती आँखों के सामने उसके हलब्बी चुदाई-हथियार को पूरा नंगा कर दिया.. यकीनन जबरदस्त नज़ारा था.. जीवा के लंड का बड़ा सुपाड़ा फूल कर जामुनी रंग के मशरूम के आकार का लग रहा था.. उसके लंड की धड़कती हुई काली नसें उभरी हुई थीं.. उस मोटी-ताज़ी मांसल मिनार की जड़ में गुब्बारों की तरह फूले हुए उसके टट्टे थे..

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"ऊऊऊऊहहहह" शीला ने रोमाँच में गहरी साँस ली..

शीला बेइंतेहा चुदक्कड़ थी.. उसकी चूत चाहे कितनी भी बार चुद ले, चुदास हमेशा बरकरार रहती ही रहती थी.. हालांकि वो अभी हस्तमैथुन करते हुए जम कर झड़ी थी, लेकिन अब वो फिर जीवा के मांसल लंड से अपनी चूत भरने को बेक़रार हो रही थी..

उसने अपने गाऊन में हाथ डाल कर एक बार फिर अपनी चूत ओर जाँघों पर फिराया.. फिर उसने अपना गाऊन ज़मीन पर गिरा दिया और अपना एक हाथ अपने पेट पर फिराती हुई दूसरे हाथ से अपनी अंदरूनी जाँघों को सहलाने लगी.. उसकी चूत का रस उसके जिस्म पर चमक रहा था जो उसके उंगली डालकर झड़ने के कारण निकला था.. उस चूत रस में छिपी हुई थी शीला बिस्तर पर अपनी कुहनियों के सहारे पीछे को झुक कर अपनी टाँगें फैला कर बैठ गयी..

जीवा भी शीला के पास आ गया और अपनी मुट्ठी अपने लंड की जड़ में कस दी जिससे उसके लंड का सुपाड़ा दमकने लगा.. शीला के लिए यह मुँह में पानी ला देने वाला नज़ारा था.. वो आगे झुकी तो उसके लंबे बाल जीवा के पेट और जाँघों पर गिर गये.. शीला ने अपनी ज़ुबान लंड के सुपाड़े पर फिरायी..

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"उम्म्म... वाह", शीला मजे से घुरगुरायी..

"हाँ... चूसो भाभी... उम्म... मेरा मतलब.. चूस बहेनचोद कुत्तिया", जीवा सिसका.. शीला उसका पूरा सुपाड़ा मुँह में ले कर चूसने लगी.. शीला की चुस्त और फुर्तीली ज़ुबान जीवा के फूले हुए सुपाड़े पर फिसलने और सुड़कने लगी.. उसकी ज़ुबान बीच में कभी सुपाड़े की नोक पर फिरती और कभी उसके मूतने वाले छेद को टटोलती.. अपने मुँह में वीर्य की बूंदों का ज़ायका महसूस होते ही शीला की भूख और बढ़ गयी.. जब वो उसके सुपाड़े के इर्द-गिर्द बहुत सारी लार निकालने लगी तो उसका थूक लंड की छड़ पे नीचे को बहने लगा.. शीला का सिर किसी लट्टू की तरह जीवा के लंड पर घूम रहा था..


5

जीवा की गाँड अकड़ गयी और धक्के लगाती हुई लंड को शीला के मुँह में भोंकने लगी.. शीला जब चूसती तो उसके गाल अंदर को पिचक जाते और जब वो उसके लंड पर फूँकती तो गाल फूल जाते.. शीला लंड के सुपाड़े पर पर बहुत ज़्यादा माता में लार निकाल रही थी और जीवा के लोड़े से बहुत सारा थूक नीचे बह रहा था..

जीवा के लंड को चूसते हुए शीला के काले बालों का पर्दा जीवा के लंड और टट्टों पर पड़ा हुआ था.. लंड के ज़ायके का मज़ा लेते वक्त शीला के मुँह से सिसकियाँ निकल रही थी.. जीवा के दाँत आपस में रगड़ रहे थे और उसका चेहरा उत्तेजना से ऐंठा हुआ था.. शीला का सिर तेजी से लंड पर ऊपर-नीचे डोलने लगा और वो और ज़्यादा लंड के हिस्से को अपने मुँह में लेने लगी.. उस मोटे और रसीले लंड पर ऊपर नीचे होती हुई शीला लंड पर अपने होंठ जकड़ कर चूस रही थी.. जब वो अपना सिर ऊपर लेती तो उस लंड पर अपना मुँह लपेट कर अपने होंठ कस कर पेंचकस की तरह मरोड़ती..

जीवा जंगली सुअर की तरह घुरघुराता हुआ और अपना लंड ऊपर को ठेलता हुआ शीला के मुँह को ऐसे चोदने लगा जैसे कि कोई चूत हो..

"ऊम्मफ्फ", जब लंड का फूला हुआ सुपाड़ा शीला के गले में अटका तो वो गोंगियाने लगी.. शीला ने जीवा का लंबा लंड तक़रीबन पूरा अपने मुँह में भर लिया था.. जीवा के टट्टे शीला की ठुड्डी पर रगड़ रहे थे और शीला की नाक जीवा की झाँटों में घुसी हुई थी.. शीला की साँस घुट रही थी लेकिन फिर भी उसने कुछ लम्हों के लिए लंड के सुपाड़े को अपने गले में अटकाये रखा और फिर उसने लंड को चुसते हुए बाहर को निकाला..

6

"ऊँम्म्म", शीला कराही और फिर से उस लंड पे अपने होंठ लपेट कर चूसने लगी..

जीवा ने अपना लंड शीला के मुँह में लगातार चोदते हुए अपना वजन एक टाँग से दूसरी टाँग पर लिया.. जीवा ने अपना एक हाथ शीला की गर्दन के पीछे रखा और उसका मुँह अपने लंड पर थाम कर अंदर-बाहर चोदने लगा.. उसके टट्टे ऊपर उछल-उछल कर शीला की ठुड्डी के नीचे थपेड़े मार रहे थे..

जीवा के मूत वाले छेद से और भी ज़ायकेदार प्री-कम चूने लगी और शीला की ज़ुबान पर बह कर शीला की प्यास और भड़काने लगी.. शीला और भी जोर से लंड चूसने लगी और अपने मुँह में जीवा को अपने टट्टे खाली करने को आमादा करने लगी.. वो उसके गरम वीर्य को पीने के लिए बेक़रार हो रही थी..

चुदक्कड़ शीला की ज़ुबान भी उसकी क्लिट की तरह ही गर्म थी.. सिसकती हुई वो अपना मुँह जीवा के लंबे-मोटे लंड पर ऊपर-नीचे डोलने लगी..

लेकिन तभी जीवा ने अपना लंड शीला के होंठों से बाहर खींच लिया.. उसका सुपाड़ा बाहर निकला.. शीला के होंठ चपत कर बंद हो गये पर वो फिर से अपने होंठ खोल कर अपनी ज़ुबान बाहर निकाले, पीछे हटते लंड पर फिराने लगी..

जीवा को शीला से लंड चुसवाना अच्छा लग रहा था पर अब वो शीला का भोसड़ा चोदने के मूड में था.. शीला ने नज़रें उठा कर अपनी नशे में डूबी आँखों से जीवा के चेहरे को देखा.. वह हैरान थी कि उसने अपना स्वादिष्ट तगड़ा लंड उसके मुँह से खींच लिया था.. ऐसा कभी नहीं हुआ था कि किसी आदमी ने शीला के मुँह में झड़ने से पहले लंड बाहर निकाला हो.. उसने अपने होंठ अण्डे की तरह गोल खोल कर उन्हें चूत की शक़ल में फैला दिया और अपनी ज़ुबान कामुक्ता से फड़फड़ाती हुई उसे फिर उसके लंड को फिर अपने मुंह में डालने के लिए आमंत्रित करने लगी..

नशे में चूर शीला को जीवा ने उसके कंधे से पकड़ कर धीरे से बिस्तर पर पीछे ढकेल दिया.. अगर वो उसके मुँह की जगह उसकी चूत चोदना चाहता था तो शीला को कोई ऐतराज़ नहीं था क्योंकि उसे तो दोनों ही जगह से चुदवाने में बराबर मज़ा आता था.. जब तक उसे भरपूर चुदाई मिल रही थी उसे इसकी कोई परवाह नहीं थी कि किस छेद से मिल रही थी..

अपने घुटने मोड़ कर और अपनी जाँघें फैला कर शीला पसर गयी.. उसने अपनी कमर उचका कर अपनी रसीली चूत चुदाई के एंगल में मोड़ दी.. जीवा उसकी टाँगों के बीच में झुक गया.. वो शीला के कामुक जिस्म से परिचित था.. अपने हाथों और घुटनों पर वजन डाल कर जीवा ने अपने चूत्तड़ अंदर ढकेले और उसके लंड का फूला हुआ सुपाड़ा शीला की चूत के अंदर फिसल गया..

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शीला मस्ती से कलकलाने लगी.. अपने लंड का सिर्फ सुपाड़ा शीला की चूत में रोक कर जीवा लंड कि मांस-पेशियों को धड़काने लगा.. उसका सूजा हुआ सुपाड़ा चूत में धड़कता हुआ हिलकोरे मार रहा था..

पहले शीला का मुँह, चूत की तरह था और अब उसकी चूत, मुँह की तरह थी.. उसकी चूत के होंठ लंड के सुपाड़े को चूसने लगे और उसकी कड़क क्लिट उसकी जुबान की तरह लंड पर रगड़ने लगी.. जीवा घुरघुराते हुए स्थिर हो गया.. शीला की चूत उसके लंड को सक्शन पंप की तरह अपनी गहराइयों में खींच रही थी.. जीवा ठेल नहीं रहा था लेकिन शीला की चूत खुद से उसके लंड को अंदर घसीट रही थी..

जीवा उत्तेजना से गुर्राया.. उसे ऐसा महसूस हो रहा था जैसे उसका लंड उसके शरीर से खींच कर उखाड़ा जा रहा था और शीला की चूत के शिकंजे में अंदर खिंचा जा रहा है.. अपनी चूत में आखिर तक उस विकराल लौड़े की ठोकर महसूस करती हुई शीला सिसकने लगी.. उसकी चूत फड़कते लंड से कोर तक भरी हुई थी.. जीवा का लंड शीला की चूत को उन गहराइयों तक भरे हुए था जहाँ शीला के अन्य किसी भी पुरुष साथी का लंड नहीं पहुँच सकता था..

जीवा का लंड शीला की चूत में धड़कने लगा तो उसकी चूत की दीवारें भी उसके लंड की रॉड पर हिलोरे मारने लगी.. शीला की चूत के होंठ लंड की जड़ पे चिपके हुए थे और लंड को ऐसे खींच रहे थे जैसे कि उस कड़क लंड को जीवा के जिस्म से उखाड़ कर सोंखते हुए चूत की गहराइयों में और अंदर समा लेने की कोशिश कर रहे हों..

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जीवा के लंड का गर्म सुपाड़ा शीला को ऐसा महसूस हो रहा था जैसे कि उसकी चूत में गरमागरम लोहे का ढेला ठूँसा हो.. उसके फड़कते लंड की रॉड ऐसे महसूस हो रही थी जैसे लोहे की गरम छड़ चूत की दीवारों को खोद रही हो.. उसका लंड इतना ज़्यादा गरम था कि शीला को लगा कि वो जरूर उसकी चूत को अंदर से जला रहा होगा पर उसकी खुद की चूत भी कम गरम नहीं थी.. शीला की चूत भी भट्टी की तरह उस लंड पर जल रही थी जैसे कि जीवा का लंड तंदूर में सिक रहा हो..

शीला ने पहले हिलना शुरू किया.. जीवा तो स्थिर था और शीला ने अपनी चूत उसके लंड पर दो-तीन इंच पीछे खींची और फिर वापिस लंड की जड़ तक ठाँस दी.. "चोद मुझे... चोद मुझे!" शीला मतवाली हो कर कराहने लगी..

जीवा ने अपने घुटनों पर जोर दे कर अपना लंड इतना बाहर खींचा कि सिर्फ उसका सुपाड़ा चूत के अंदर था.. शीला की क्लिट उसके लंड पर धड़कने लगी.. जीवा ऐसे ही कुछ पल रुका तो शीला की चूत के होंठ फिर से उसके लंड को अंदर खींचने के लिए जकड़ने लगे.. शीला के भरे-भरे चूत्तड़ पिस्टन की तरह हिल रहे थे उसकी ठोस गाँड बिस्तर पे मथ रही थी..

"पेल इसे मेरे अंदर... जीवा!" शीला चिल्लायी.. वो अपनी चूत को लंड से भरने को बेक़रार हो रही थी.. उसे अपनी चूत अचानक खोखली लग रही थी.. "ठेल दे अपना पूरा मूसल अंदर तक!"

जीवा ने हुँकार कर अपनी गाँड खिसकायी और शीला को एक धीरे पर लंबा सा झटका खिलाया.. उसका लंड चीरता हुआ उसकी धधकती चूत में अंदर तक धंस गया.. चूत के अंदर धंसी उसके लंड की रॉड ने शीला की गाँड को बिस्तर से ऊपर उठा दिया.. जीवा ने एक बार फिर बाहर खींच कर इस तरह अपना लंड अंदर पेल दिया कि शीला की गाँड और ऊपर उठ गयी और उसका लंड इस तरह नीचे की तरफ चूत पेल रहा था कि अंदर-बाहर होते हुए गरम लंड का हर हिस्सा शीला की चूत पर रगड़ खा रहा था..

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शीला भी उतने ही जोश और ताकत से अपनी आगबबुला चूत ऊपर-नीचे चलाती हुई जीवा के जंगली झटकों का जवाब दे रही थी.. उसकी चूत इतनी शिद्दत से लंड पर चिपक रही थी कि जीवा को लंड बाहर खींचने के लिए हकीकत में जोर लगाना पड़ रहा था..

जीवा का लंड शीला के चूत-रस से भीगा और चिपचिपाता और दहकता हुआ बाहर निकलता और फिर चूत में अंदर चोट मारता हुआ घुस जाता जिससे शीला के चूत-रस का फुव्वारा बाहर छूट जाता.. जीवा के टट्टे भी चूत-रस से तरबतर थे.. शीला का पेट भी चूत के झाग से भर गया था और गरम चूत-रस उसकी जाँघों के नीचे और उसकी गाँड की दरार में बह रहा था.. जब भी उसकी चूत से रस का फव्वारा फूटता तो मोतियों जैसी बड़ी-बड़ी बूँदें उसकी चूत और दोनों टाँगों के बीच के तिकोण पर छपाक से गिरतीं..


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चुदाई की लज़्ज़त और शराब के नशे से शीला मतवाली हुई जा रही थी.. उसने जीवा से चिपकते हुए अपनी जाँघें जीवा के चूत्तड़ों पर कस दीं.. शीला के ऐड़ियाँ जीवा की गाँड पर ढोल सा बजाने लगीं..

जीवा लगातार चोद रहा था और जब भी उसका लंड चूत में ठँसता तो उसके टट्टे झूलते हुए शीला की झटकती गाँड पे टकराते.. साथ ही शीला की चूत से और रस बाहर चू जाता.. "आआआईईईऽऽऽ आँआँहहह मैं... मेरा छूटने वाला है!" शीला हाँफी, "ओह... चूतिये... मैं झड़ने वाली हूँ... तू भी झड़ जाऽऽऽ मादरचोदऽऽऽ भर दे मेरी चूत अपने गरम, चोदू-रस सेऽऽऽ!"

फिर जीवा ने एक हैरत अंगेज़ काम किया.. उसने अपना लंड चूत से बाहर निकाल लिया!

शीला बेहद तड़पते हुए ज़ोर से चिल्लायी और यह सोच कर कि शायद गलती से निकल गया होगा, उसने अपना हाथ बढ़ा कर लंड पकड़ लिया और फिर से अपनी चूत में डालने की कोशिश करने लगी.. वो गरम चुदक्कड़ औरत झड़ने के कगार पर थी और उसे डर था कि लंड के वापस चूत में घुसने के पहले ही वो कहीं झड़ ना जाये..

जीवा कुटिलता से मुस्कुराया.. उसने शीला के चूत्तड़ पकड़ कर उसे धीरे से पलट दिया.. जब वो शीला को बिस्तर पर पेट के बल पलट रहा था तो वो उसके हाथों में मछली की तरह फड़फड़ा रही थी.. फिर उसने शीला को जाँघों से पकड़ कर पीछे की ओर ऊपर खींचा जिससे शीला अपने घुटनों पे उठ कर झुक गयी और उसकी गाँड जीवा के लंड की ऊँचाई तक आ गयी.. जीवा भी ठीक शीला के पीछे झुका हुआ था.. जीवा का लंड शीला की गाँड के घुमाव के ऊपर मिनार की तरह उठा हुआ था.. उसका लंड शीला के पिघले हुए घी जैसे चूत-रस से भीगकर चिपचिपा रहा था और उसके लंड का सुपाड़ा ऐसे दमक रहा था जैसे कि २०० वॉट का बल्ब हो और नीचे अपने टट्टों में छिपी पथरीली गोलियों से खबरदार कर रहा हो..

शीला का सिर नीचे था और गाँड ऊपर हवा में थी.. उसका एक गाल बिस्तर पे सटा हुआ था और उसके लंबे काले बाल बिस्तर पर फैले हुए थे.. शीला की ठोस, झटकती गाँड उसकी इस पोज़िशन की अधिकतम ऊँचाई तक उठी हुई थी.. यह पोज़िशन शीला के लिए नई नहीं थी.. उसकी भारी चूचियाँ बिस्तर पर सपाट दबी हुई थीं और जब वो अपनी गाँड हिलाने लगी तो उसकी तराशी हुई जाँघें कसने और ढीली पड़ने लगीं और उसकी प्यारी गाँड कामुक्ता से ऊपर-नीचे होने लगी..

एक क्षण के लिए तो शीला को लगा कि जीवा उसकी गाँड मारने वाला है और शीला को इसमें कोई ऐतराज़ भी नहीं था.. वह पहले भी जीवा से अपनी गांड मरवा चुकी थी.. पर जीवा का एक हाथ उसकी चूत पर फिसल कर चूत की फाँकों को फैलाते हुए उसकी फड़कती क्लिट को रगड़ने लगा..

"हाँआँआँ... हाँआँआँ... ऐसे ही कुत्तिया बना कर चोद मुझे!" अपनी चूत में जीवा का खूंखार लौड़ा पिलवाने की तड़प में शीला गिड़गिड़ाने लगी.. जीवा के चोदू-झटके की उम्मीद में शीला पीछे को झटकी..

"तुझे कुत्तिया बन कर चुदवाने में बहुत मज़ा आता है ना, राँड?" जीवा उसके कुल्हों को हाथों में पकड़ते हुए फुसफुसाया.. उसका लहज़ा व्यंगात्मक लग रहा था..

"हाँआँआँ! मुझे कुत्तिया बना कर चोद!" शीला कराही..

जीवा ने मुस्कुरा कर अपने लंड की नोक से उसकी दहकती चूत को छुआ और उसे शीला की क्लिट पर रगड़ने लगा.. शीला दोगुनी मस्ती से कराहने लगी और उसने अपने चूत्तड़ जीवा के लंड पर पीछे धकेल दिये..

जीवा ने अपना भीमकाय, फड़कता हुआ लंड पूरी ताकत से एक ही झटके में शीला की गाँड के नीचे उसकी पिघलती हुई चूत में ठाँस दिया.. उसका लंड अंदर फिसल गया और उसका सपाट पेट शीला के चूत्तड़ों से टकराया.. अपनी झुकी हुई जाँघों के बीच में से अपना हाथ पीछे ले जाकर शीला उसके टट्टे सहलाने लगी.. जीवा अपना लंड शीला की चूत में अंदर तक पेल कर उसे घुमाता हुआ उसकी चूत को पीस रहा था..


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फिर जीवा ने पूरे जोश में अपना लंड शीला की चूत में आगे-पीछे पेलना शुरू कर दिया.. शीला कसमसाती हुई अपने चूत्तड़ पीछे ठेल रही थी और उसकी चूचियाँ भी जोर-जोर से झूल रही थी.. जीवा कुत्ते की तरह वहशियाना जोश से शीला की चूत चोद रहा था और कुत्ते की तरह ही हाँफ रहा था.. शीला भी मस्ती और बेखुदी में ज़ोर-ज़ोर से सिसक रही थी, "आँहह... ओहह मर गई.. आँआँहहह...!"

जीवा ने थोड़ा झुक कर जोर से अपना लंड ऊपर की तरफ चूत में पेला जिससे शीला की गाँड हवा में ऊँची उठ गयी और उसके घुटने भी बिस्तर उठ गये.. फिर अगला झटका जीवा ने ऊपर से नीचे की तरफ दिया और फिर से शीला के घुटने और गाँड पहले वाली पोज़िशन में वापिस आ गये.. शीला का जिस्म स्प्रिंग की तरह जीवा के नीचे कूद रहा था..

"ऊँऊँम्म्म आह्ह.. उहह!" शीला चिल्लाई..

जीवा भी पीछे नहीं था.. उसका लंड फूल कर इतना बड़ा हो गया था कि शीला को लगा जैसे कुल्हों की हड्डियाँ अपने सॉकेट में से निकल जायेंगी.. शीला ने अपनी झूलती चूचियों के कटाव में से पीछे जीवा के बड़े लंड को अपनी चूत में अंदर-बाहर होते हुए देखने की कोशिश की..

जीवा जोर-जोर से चोदते हुए शीला की चूत को अपने लंड से भर रहा था और शीला को शहूत और लज़्ज़त से.. शीला की चूत जीवा के लंड पे पिघलती हुई इतना ज़्यादा रस बहा रही थी कि वो फुला हुआ लंड जब चूत की गहराइयों में धंसता तो छपाक-छपाक की आवाज़ आती थी..

"ले... साली कुत्तिया... मेरा भी अब छूट रहा है!" जीवा हाँफते हुए बोला..

"हाँऽऽऽ हाँऽऽऽ डुबा दे मुझे अपने लंड की मलाई में!" शीला कराही..

जब जीवा ने अपना लंड जड़ तक ठाँस दिया तो उसकी कमर आगे मुड़ गयी और उसका सिर और कंधे पीछे झुक गये.. शीला को जब उबलता हुआ वीर्य अपनी चूत मे छूटता महसूस हुआ तो वो और भी जोर से कराहने लगी.. जीवा का गाढ़ा वीर्य तेज सैलाब की तरह शीला की चूत में बह रहा था..


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जीवा के टट्टों को फिर से हाथ में पकड़ कर शीला निचोड़ने लगी जैसे कि उसके निचोड़ने से ज्यादा वीर्य निकलने की उम्मीद हो.. जैसे ही जीवा अपना लंड उसकी चूत में अंदर पेलता तो शीला उसके टट्टे नीचे खींच देती और जब वो अपना लंड बाहर को खींचता तो शीला उसके टट्टे सहलाने लगती.. जीवा की वीर्य किसी ज्वार-भाटे की तरह हिलोरे मारती हुई शीला की चूत में बह रहा था..

हर बार जब भी शीला को अपने अंदर, और वीर्य छूटता महसूस होता तो उसकी चुदक्कड़ चूत भी फिर से अपना रस छोड़ देती..

हाँफते हुए, जीवा की रफ़्तार कम होने लगी..

शीला ने उसके लंड पे अपनी चूत आगे-पीछे चोदनी जारी रखी और उसके लंड को दुहती हुई वो अपने ओर्गैज़म के बाकी बचे लम्हों की लज़्ज़त लेने लगी.. शीला को लग रहा था जैसे कि उसकी चूत लंड पर पिघल रही हो.. खाली होने के बाद जीवा ने कुछ पल अपना लंड चूत में ही रखा.. उसके गाढ़े मलाईदार वीर्य और शीला के घी जैसे चूत-रस का गाढ़ा और झागदार दूधिया सफ़ेद मिश्रण जीवा के धंसे हुए लंड की जड़ के आसपास बाहर चूने लगा.. शीला की चूत के बाहर का हिस्सा और उसकी जाँघें चुदाई के लिसलिसे दलदल से सनी हुई थी..

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जब आखिर में जीवा ने अपना लंड शीला की चूत में से बाहर निकाला तो उसके लंड की छड़ इस तरह बाहर निकली जैसे तोप में गोला दागा हो.. शीला की चूत के होंठ फैल गये और उसकी चूत बाहर सरकते लंड पर सिकुड़ने लगी.. जब उसके लंड का सुपाड़ा चूत में से बाहर निकला तो शीला कि चूत में से वीर्य और चूत-रस का मिश्रण झागदर बाढ़ की तरह बह निकला..


पूर्णतः संतुष्ट शीला मुस्कुराती हुई पेट के बल नीचे बिस्तर पर फिसल गयी.. वह थककर चूर हो चुकी थी पर फिर भी उसने अपनी जाँघें फैला रखी थीं कि शायद जीवा एक बार फिर चोदना चाहे.. परन्तु जीवा बिस्तर से पीछे हट गया.. शीला ने पीछे मुड़ कर देखा कि जीवा ने अपना मुर्झाया हुआ चोदू लंड अपनी पैंट में भर लिया था और उसे लंड के उभार के ऊपर ज़िप चढ़ाने में मुश्किल हो रही थी.. शीला अपना हाथ नीचे ले जाकर अपनी तरबतर चूत को सहलाने लगी.. पूरी चूत स्खलन के झागदार प्रवाही से भरी हुई थी..

"मज़ा आया चोदने में?" शीला ने अपनी मदहोश आँखें नचाते हुए पूछा..


जीवा ने दाँत निकाल कर मुस्कुराते हुए रज़ामंदी में अपनी गर्दन हिलायी..
Wonderful 💯 Amazing writing 👏

Super Hot and amazing Update
 

vakharia

Supreme
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पिछले अपडेट में आपने पढ़ा की..

जब प्यासी शीला को मदन की ओर से कोई मदद मिलती दिखाई न दी, तब उसने मामला अपने हाथों में लेने का तय किया.. काफी सोच विचार के बाद उसने रूखी के यार, जीवा को फोन लगाया.. जीवा नौकरी पर था लेकिन शीला के दबाव बनाने पर वह आने से मना न कर सका..

जीवा का इंतज़ार करते हुए शीला अपने जिस्म से खेल रही थी.. शराब का नशा सिर पर चढ़ा हुआ था.. और साथ ही हवस का बुखार भी..

आखिर जीवा की एंट्री हुई.. और फिर जो होना था वही हुआ.. एक शानदार जबरदस्त धमाकेदार संभोग के साथ शीला की प्यास बुझ गई..

अब आगे..
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बड़े ही आराम से अपनी कुर्सी पर झूलते हुए पीयूष कॉफी के सिप ले रहा था.. उसके सामने पिंटू बैठे बैठे, नए प्रोजेक्ट की स्थिति और प्रगति के बारे में विस्तृत ब्योरा दे रहा था..

पिंटू: "आज सारे सप्लाइ का पूरा बिल ऑफ मटीरीअल तैयार हो जाएगा.. एक बार बेंगलोर यूनिट में इन्स्पेक्शन के लिए जाना होगा मुझे.. वहाँ का काम विशाल संभाल तो रहा है पर जिस गति से होना चाहिए वह नहीं हो रहा.. अगर हमें सीमित समय में ऑर्डर डीलीवर करना हो तो काम करने की गति को दोगुना करना ही होगा"

कॉफी खतम कर मग को टेबल पर रखते हुए पीयूष ने कहा "हाँ पिंटू.. गति तो बढ़ानी ही होगी.. इस स्पीड से चलते रहे तो अगले छह महीने तक भी हम इस ऑर्डर को पूरा नहीं कर पाएंगे.."

पिंटू: "और एक बात.. दो-तीन सप्लाइअर ने बाकी पेमेंट मांगा है.. तभी उनका दूसरा लॉट हमें मिल पाएगा.."

पीयूष ने एक गहरी सांस लेते हुए कहा "कर रहा हूँ उसका भी इंतेजाम.. रकम काफी बड़ी है.. मैं बेंक से बात कर रहा हूँ.. आज आखिरी मीटिंग है.. प्रोजेक्ट लोन अगर आज फायनल हो गया तो हम अगले हफ्ते तक सब को उनका पेमेंट दे पाएंगे"

तभी केबिन का दरवाजा खुला और वैशाली ने अंदर प्रवेश किया.. शर्ट, टाई और चुस्त छोटी स्कर्ट पहने हुए वैशाली कमाल लग रही थी.. पिंटू की मौजूदगी के बावजूद, पीयूष अपने आपको उसे देखने से रोक ही नहीं पाया

vaioff

"कब से बज रहा है तेरा फोन..!! टेबल पर पड़ा था.. साथ क्यों नहीं रखता??" वैशाली ने थोड़ी बेरुखी से पिंटू को उसका फोन देते हुए कहा

वैशाली के हाथ से फोन लेते हुए पिंटू ने स्क्रीन पर नजर डाली और बोला "अरे यार.. यह लालवानी पेमेंट के लिए बार बार फोन कर रहा है..!! क्या कहूँ उसे?" प्रश्नसूचक नजर से पीयूष की ओर देखते हुए उसने कहा

पीयूष: "मैंने बताया तो.. आज बैंक के साथ मीटिंग है.. सब ठीक रहा तो अगले हफ्ते तक पेमेंट का जुगाड़ हो जाएगा.. पिंटू, कैसे भी उसे एक हफ्ते के लिए रोक ले.. और उसे मटीरीअल देने के लिए मना ले"

पिंटू: "करता हूँ कुछ.. उसे संभालना थोड़ा मुश्किल काम है" फोन रिसीव कर बात करते हुए पिंटू केबिन के बाहर चला गया

वैशाली वापिस मुड़कर जा ही रही थी तब पीयूष ने उसे रोकते हुए कहा

पीयूष: "कहाँ जा रही है..!! बैठ थोड़ी देर"

वैशाली ने पीयूष के सामने वाली कुर्सी खींची और बैठ गई

वैशाली: "बताओ, कुछ काम है मेरा??"

पीयूष: "अरे नहीं यार.. बिना काम के हम बात नहीं कर सकते क्या?"

वैशाली ने मुसकुराते हुए कहा "कर सकते है.. जरूर कर सकते है, पर क्या बात करेंगे?"

पीयूष: "बहुत कुछ है बात करने के लिए.. इतनी पुरानी यादें है" शरारती मुस्कान के साथ पीयूष ने अपना हाथ वैशाली के हाथ पर रख दिया

वैशाली पीयूष का इशारा समझ गई.. उसने अपना हाथ शालीनता से खींचते हुए कहा

वैशाली: "जैसे तूने कहा.. वह सारी पुरानी बातें है पीयूष.. बात करने से क्या फायदा!!"

पीयूष: "हर बात को फायदे-नुकसान के तराजू में तोलकर करना जरूरी है क्या?"

वैशाली: "ऑफिस में तो बिल्कुल जरूरी है"

पीयूष ने बात बदलते हुए कहा "अरे तुझे बताना ही भूल गया.. मदन भैया और राजेश सर आने वाले है अभी"

अपने पापा के आने की खबर सुनकर खुश हुई वैशाली, राजेश का नाम सुनते ही मुरझा गई.. व्यक्तिगत तौर पर उसे राजेश से कोई परेशानी नहीं थी.. पर पिंटू की प्रतिक्रिया को लेकर वह असमंजस में थी

पीयूष: "क्या हुआ? मदन भैया की आने की खबर सुनकर तू खुश नहीं हुई??"

वैशाली: "ऐसी बात नहीं है.. पर..!!"

पीयूष: "पर..!!!"

वैशाली एक पल के लिए रुकने के बाद बोली "राजेश सर भी आ रहे है.. तुम्हें तो पता है पिंटू का उनके प्रति क्या रवैया है..!!"

एक लंबी सांस लेते हुए पीयूष ने कहा "तू चिंता मत कर.. पिंटू काफी प्रोफेशनल बंदा है.. समझ जाएगा.. ऐसे अगर हम व्यक्तिगत मतभेदों को पकड़कर रखेंगे तो काम ही नहीं हो पाएगा"

वैशाली ने उत्तर नहीं दिया.. वह शून्यमनस्क पीयूष की ओर देख रही थी.. पीयूष उसके डीप-नेक टॉप से नजर या रही हल्की सी दरार को नजरें भरकर देख रहा था.. शादी के बाद वैशाली का बदन और गदरा चुका था ऐसा पीयूष का अवलोकन था.. खास अंगों के इर्दगिर्द चर्बी की एक अतिरिक्त परत, वैशाली के शरीर को और अधिक नशीला और मादक बना रही थी..

तभी फोन पर बात करते हुए पिंटू अंदर आया और बात खतम कर फोन काटते हुए उसने पीयूष से कहा "पीयूष, मैंने लालवानी को मना लिया है.. वो आज ही मटीरीअल का नया लॉट बेंगलोर भेज रहा है"

पीयूष ने खुश होकर कहा "वेरी गुड.. अब एक काम करो.. तुम कल के कल फ्लाइट लेकर बेंगलोर पहुँच जाओ.. प्रोडक्शन का सारा शिड्यूल सेट कर दो और विशाल को सब कुछ समझा दो.. अगर इस महीने तक हम आधा काम खतम कर सकते है तो बहुत बढ़िया होगा"

पिंटू: "ठीक है.. मैं कल सुबह की फ्लाइट बुक कर देता हूँ"

दोनों के बीच हो रही इस बातचीत को वैशाली बेमन से सुन रही थी.. कुछ अजीब सी जद्दोजहत चल रही थी उसके दिमाग में..

उसी दौरान मदन और राजेश ने पीयूष की केबिन में प्रवेश किया..

पीयूष ने उन दोनों को देखा और उठ खड़ा हुआ.. पिंटू और वैशाली की पीठ उनके तरफ थी

पीयूष: "आ गए आप लोग..!!! वेलकम..!!"

वैशाली ने पलटकर पीछे देखा.. मदन को देखते ही वह उससे लिपट गई.. पिंटू ने मदन से हाथ मिलाया.. फिर राजेश की तरफ देखा.. राजेश मुस्कुराया.. और हाथ मिलाने के लिए अपनी हथेली बढ़ा ही रहा था की तब पिंटू नजरें फेरकर केबिन के बाहर चला गया.. राजेश झेंप सा गया.. पर तभी वैशाली ने कहा

"कैसे है राजेश सर?"

फीकी मुस्कान के साथ राजेश ने कहा "ठीक हूँ वैशाली.."

वातावरण को सहज करने के लिए पीयूष ने कहा "आप लोग चाय कॉफी कुछ लीजिए.. फिर हमें तुरंत बैंक पहुंचना होगा"

मदन: "हाँ यार.. कडक चाय मँगवा लो.. सिर फट रहा है.."

पीयूष ने चपरासी को बुलाकर चाय मँगवाई और वैशाली केबिन से निकल गई

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रात के साढ़े नौ बज रहे थे.. पिंटू अपने बेडरूम में सामान पेक कर रहा था.. दूसरी सुबह चार बजे के फ्लाइट से उसे बेंगलोर जाना था.. अलमारी से कुछ ढूंढते हुए उसने आवाज लगाई

पिंटू: "अरे सुनो तो..!!! मेरी वो नीली वाली शर्ट कहीं नजर नहीं आ रही"

रसोईघर से वैशाली ने आवाज दी "पाँच मिनट रुको.. बर्तन बस माँज ही लिए है.. अभी आई"

थोड़ी देर बाद, वैशाली अपने हाथ पोंछते हुए बेडरूम में आई.. दरवाजा अंदर से बंद किया और अलमारी से कपड़ों के ढेर में ढूंढते हुए वह नीली शर्ट बाहर निकाली

वैशाली: "यहीं तो थी.. यार तुम ठीक से देखते ही नहीं"

पिंटू ने मुस्कुराकर कहा "यार, तू न होती तो मेरा क्या होता..!!"

वैशाली ने हँसकर जवाब दिया "मैं न होती तो कोई और होती"

पिंटू ने शर्ट लिया और बेग में पेक करने लगा..

वैशाली ड्रेसिंग टेबल के आईने के पास आई और अपना सलवार कमीज उतारने लगी.. पिछले दो घंटों से किचन का काम निपटाते हुए वह पसीने से तर हो चुकी थी.. हाथ पीछे ले जाकर उसने अपने ब्रा के हुक खोल दिए.. फुटबॉल जैसे उसके दोनों स्तन आजाद होकर साँसे लेने लगी.. पेन्टी उतारते हुए वैशाली अपने दोनों स्तनों के खुमार को आईने मे देख रही थी.. कमर पर दोनों हाथ जमाए हुए वह अपने पूर्ण नंगे बदन को आईने में निहारने लगी.. उफ्फ़ क्या कातिल जवानी है.. उसे खुद ही अपने गदराए जिस्म पर प्यार आ रहा था.. अंगूठे और उंगलियों के बीच अपनी दोनों निप्पलों को चुटकी लेते हुए वह अपने वॉर्डरोब की तरफ मुड़ी और अंदर से पिंक कलर की नाइटी निकाल जो उसने शादी से पहले खरीदी थी.. लगभग पारदर्शक नाइटी इतनी डीप-नेक थी की उसके पौने से ज्यादा स्तनों का उभार तो ढँकता ही नहीं था.. उसकी लंबाई जांघों से थोड़े ऊपर तक थी.. पहनने पर उसकी चूत का उल्टा त्रिकोण आधा नजर आता था.. वैसे बेडरूम में पहनने वाली नाइटी, जिसे लॉनज़्हरे या लॉनज़्हरी कहते है, उसका उद्देश्य ही छुपाने से ज्यादा दिखाने का होता है..!!


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छोटी सी थॉंग नुमा पेन्टी पहनी थी उसने.. जिसकी पतली सी पट्टी मुश्किल से योनि रेखा को ढँक रही थी.. वैशाली के विशाल चूतड़ों के बीच पीछे की पट्टी ऐसे धंस गई थी की देखने पर लगता था जैसे पेन्टी पहनी ही न हो..!!!

2

अपना पेकिंग खतम कर पिंटू बिस्तर पर बैठा था और मोबाइल पर ईमेल चेक कर रहा था.. वैशाली उसके बगल में मदहोशी से लेट गई.. और उसने पिंटू का हाथ उठाकर अपने गूँदाज स्तनों पर रख दिया.. पिंटू की नजर अब वैशाली पर गई.. उसने अपना मोबाइल टेबल पर रख दिया.. किसी महाराजा के खुले खजाने जैसी वैशाली अपने हुस्न के जलवे बिखेरते हुए बगल में लेटी हुई थी.. उसकी लगभग खुली हुई चूत से निकलती भांप को पिंटू ने तब महसूस किया जब उसने महीन पेन्टी की पतली सी पट्टी को सहलाया..!! आँखें बंद कर वैशाली सिहर उठी.. वह चाहती थी की पिंटू उसे दबाएं, मरोड़ें, दबोचें और मसलकर रख दे.. जिस्म का अंग अंग रगड़े जाने के लिए तड़प रहा था

3

वैशाली की गर्दन पर चूमते हुए वह उसके तंदूरस्त विशाल उरोजों को, नाइटी के अंदर हाथ डालकर हौले हौले दबाने लगा.. अपेक्षावश दोनों निप्पलें तनकर खड़ी हो गई थी.. उसकी एक निप्पल को उंगलियों से मसलते हुए पिंटू ने वैशाली के अधरों का पान करना शुरू कर दिया.. उसके चुंबनों का वैशाली भी बड़ी गर्मजोशी से जवाब दे रही थी.. पिंटू के सर के बालों में अपनी उँगलियाँ फेरते हुए उसने उसे अपने ऊपर ले लिया..

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उस नरम गद्देदार शरीर पर सवार होकर पिंटू उसके हर अंग को बेकरारी से चूमने लगा.. वैशाली की जांघों के बीच की गर्मी उसे अपने लंड पर महसूस हो रही थी.. नाइटी को कंधे से सरकाते हुए दोनों स्तनों को मुक्त कर पिंटू पागलों की तरह चूमने, चाटने और काटने लगा.. मदहोशी के शिखर पर पहुंचकर चिहुँक रही थी वैशाली.. वह अपनी जांघों को भींचते हुए पिंटू की मर्दानगी की कठोरता का अनुभव करने का प्रयत्न कर रही थी.. पर उसके यौनांग पर ऐसा कुछ भी महसूस नहीं हुआ.. शायद उसकी अपेक्षा कुछ अधिक और समय से पहले थी..!!

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वैशाली के स्तनों की निप्पलों को काफी देर तक चूसने के बाद.. वह उसके भरे हुए पेट और नाभि को नाइटी के ऊपर से चूमने लगा.. और नीचे जाते हुए अब वह वैशाली की दोनों जांघों के बीच जाकर रुका.. वैशाली ने पेन्टी की पट्टी सरकाते हुए अपनी चूत की मुंह दिखाई कर दी..

छोटे से टीले जैसी क्लीन-शेव चरबीदार चूत के दोनों होंठ संभोग-क्षुधा से रस विसर्जित कर रहे थे.. भूखे के मुंह तक निवाला पहुंचे तब जिस तरह ग्रहण करने के लिए उसके होंठ खुलते है वैसे ही वैशाली की चूत के होंठ खुल-बंद हो रहे थे.. मस्की सी मदहोश गंध छोड़ रही चूत लंड का प्रवेश चाहती थी..


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वैशाली की चूत को काफी देर के लिए अभिभूत होकर देखते रहने के बाद.. पिंटू अचानक उठा और वैशाली के बगल में तकिये पर सिर रखकर लेट गया.. उसके उठ जाने की हलचल से वैशाली ने अपनी आँखें खोली और पिंटू को अपने बगल में लेटे हुए.. थोड़े आश्चर्य से देखने लगी..

उसका माथा ठनका.. अमूमन कई मर्द, चुदाई से पहले, अपने लिंग को संभोग-समर्थ बनाने के लिए मुख-मैथुन की अपेक्षा रखते है.. वैशाली को लंड चूसने से कोई परहेज तो था नहीं..!! वह उठी और बिस्तर पर घुटनों के बल चलते हुए पिंटू के पैरों के बीच आ गई.. कमर से उसकी शॉर्ट्स पकड़कर उसने एक झटके में अन्डरवेर के साथ उतार दी..

दोनों जांघों के बीच मृत अवस्था में पिचका हुआ पिंटू का लंड देखकर वैशाली थोड़ी निराश जरूर हुई.. पर उसे अपने जिस्म के जादू और अपनी काम-कला पर पूर्ण भरोसा था.. कागजी नींबू जैसे छोटे अंडकोशों पर पड़े हुए लंड को वैशाली ने नाजुकता से पकड़ा और अपने मुंह में लेकर चूसने लगी


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वैशाली के मुंह का गर्म स्पर्श होते ही पिंटू स्वर्ग की सैर पर निकल गया.. अपनी मुट्ठियाँ भींचते हुए वह इस अत्याधिक आनंद का मज़ा लेने लगा.. लंड की त्वचा को पीछे तक खींचते हुए, पिंटू के मध्यम कद के लंड का सुपाड़ा खोलकर वैशाली उस पर अपनी लपलपाती जीभ फेरने लगी.. लंड को सिरे से लेकर जड़ तक चाटते हुए.. अपनी लार को विपुल मात्रा में गिराते हुए उसने अंडकोशों तक को चाट लिया..!!

अब वैशाली को हल्का सा ताज्जुब होने लगा..!!! लंड पर इतनी मशक्कत करने के बाद भी कोई ठोस प्रतिक्रिया नहीं मिल रही थी..!! यह उसके लिए बेहद आश्चर्यजनक था..!! आज तक जीतने भी मर्दों के साथ उसने बिस्तर सांझा किया था.. किसी के साथ भी यह समस्या नहीं आई थी.. अधिकतर मर्दों का लंड तो वैशाली के नग्न होते ही, ९० डिग्री का कोण बनाकर खड़ा हो जाता था..!! और बाकी के मर्द वैशाली के चूसने या हाथ में पकड़ने पर अपनी कठोरता प्राप्त कर लेते थे..!! पर सारे प्रयत्नों के बावजूद पिंटू का लंड कोई हरकत नहीं कर रहा था..!!!

अब पिंटू को भी इस बात का एहसास हुआ की एक मर्द होने के नाते, चुदाई के दौरान, उससे जो अपेक्षित था, वह मुहैया करवाने में, वह असफल सा साबित हो रहा था..!! उसने आँखें खोलकर वैशाली की तरफ देखा जो अब भी अपना पूरा जोर लगाकर लंड को चूसे जा रही थी.. दोनों की आँखें मिली तब पिंटू की नजरें शर्म से झुक गई

यह स्थिति वास्तव में एक संवेदनशील और नाजुक मुद्दा है, जो कई जोड़ों के जीवन में आ सकता है.. जब स्त्री और पुरुष चुदाई करने की कोशिश करते हैं, पर पुरुष उत्तेजना प्राप्त करने में असमर्थ होता है.. यह स्थिति दोनों के लिए निराशाजनक और असहज हो सकती है.. स्त्री अपनी कामुकता की प्रखर सीमा पर योनि-प्रवेश चाहती है.. और पुरुष उतनी सख्ती प्राप्त नहीं कर पाता की जिससे प्रवेश हो पाए.. यह समस्या न केवल शारीरिक बल्कि मानसिक और भावनात्मक रूप से भी प्रभाव डालती है..

स्त्री साथी के लिए यह स्थिति अत्यंत निराशाजनक होती है.. वह भरपूर संभोग करने की उम्मीद में अति उत्तेजना से दहक रही हो और पुरुष शारीरिक रूप से तैयार नहीं हो पाता, तब उसे ऐसा लग सकता है कि उसके प्रति उसका आकर्षण कम हो गया है या फिर वह किसी अन्य समस्या से जूझ रहा है.. इससे उसके आत्मविश्वास को ठेस पहुंच सकती है और वह खुद को असहज महसूस करती है.. कई बार महिलाएं इस स्थिति को व्यक्तिगत रूप से ले लेती हैं, जो उनके मन में संदेह और असंतोष पैदा कर सकता है

पुरुष के लिए यह स्थिति अत्यंत शर्मनाक और असहज हो जाती है.. पुरुष प्रधान समाज में पुरुषों को अक्सर मजबूत और सक्षम होने का दबाव महसूस होता है, और जब वह अपने साथी के सामने शारीरिक रूप से असफल होता है, तो उसे अपनी मर्दानगी पर सवाल उठते हुए महसूस होते है.. इससे उसका आत्मविश्वास तो कमजोर होता ही है पर साथ साथ वह भविष्य में इस स्थिति से बचने के लिए शारीरिक संबंध बनाने से कतराने लग सकता है.. यह चिंता और तनाव का कारण बन सकता है, जो आगे चलकर इस समस्या को और बढ़ा सकता है

चूस-चूसकर अब वैशाली का जबड़ा दर्द करने लगा था.. उसने पिंटू का लंड अपने मुंह से निकाला और उसी स्थिति में हांफती रही.. पिंटू अपने सिर पर हाथ रखे आँख बंदकर लेटा ही रहा.. शर्मिंदगी के कारण वह वैशाली का सामना नहीं कर पा रहा था..

वैशाली को लगा की शायद उसके मुंह की गर्मी कम पड़ रही होगी पिंटू के लंड को.. अपनी जांघे फैलाकर उसने पेन्टी को साइड में सरकाया और गरमागरम चूत के होंठों को पिंटू के निर्जीव लंड पर रगड़ने लगी.. पर सारी कोशिशें व्यर्थ रही..!! उसने अपने मस्त चूचियों के बीच लंड को दबाकर काफी देर तक रगड़ा.. पर पिंटू का लंड, बिना हवा के गुब्बारे की तरह पिचका हुआ पड़ा ही रहा..

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थक-हारकर वैशाली ने अपनी नाइटी और पेन्टी उतार दी.. एक मदहोश अंगड़ाई ली और पूरे शरीर को पिंटू के शरीर पर डाल दिया.. उसके गदराए चरबीदार जिस्म को पिंटू के शरीर से रगड़ने लगी.. पैर के अंगूठे से लेकर नाक तक दोनों के हर अंग एक दूसरे से घिस रहे थे.. उस दौरान अपनी दोनों जांघों के बीच उसने पीयूष के मुरझाए लंड को दबोचकर उसे उकसाने का भरपूर प्रयत्न किया.. पर परिणाम शून्य ही रहा..!!

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"सॉरी वैशाली..!!" सहमी हुई आवाज में पिंटू उसके कानों में फुसफुसाया

यह सुनते ही वैशाली पिंटू के जिस्म से उतरकर उसके बगल में लेट गई.. पिंटू के चेहरे को अपनी बाहों में लेकर उसके बालों को सहलाने लगी

पिंटू: (शर्मिंदगी से) "वैशाली... आई एम सॉरी.. आज कुछ ठीक नहीं लग रहा..!!"

वैशाली: "क्या हुआ, पिंटू? सब ठीक है ना?"

पिंटू: (सिर झुकाकर) "मैं समझ नहीं पा रहा हूँ.. आखिर ऐसा क्यों हो रहा है..!! मैं तुम्हें निराश नहीं करना चाहता हूँ..!!"

वैशाली: "अरे, ऐसा तो किसी के साथ भी हो सकता है.. तुम इतना टेंशन मत लो.. शायद तुम थके हुए हो या फिर स्ट्रेस में हो.. इसी वजह से ऐसा हो रहा होगा.."

पिंटू: "पर वैशाली, हम इतने जवान हैं.. अभी तो हमारी पूरी ज़िंदगी पड़ी है.. अगर अभी से ऐसा होने लगा है, तो आगे क्या होगा? सेक्स तो शादी का एक अहम हिस्सा है.."

वैशाली: "यार, तुम इतना स्ट्रेस मत लो.. ये कोई बड़ी समस्या नहीं है.. अगर ज़रूरत पड़ी, तो हम किसी सेक्सोलॉजिस्ट से सलाह लेंगे.. सब ठीक हो जाएगा.."

पिंटू: (गुस्से में) "सेक्सोलॉजिस्ट? तुम्हें लगता है कि मैं इतना कमज़ोर हूँ कि डॉक्टर के पास जाने की ज़रूरत पड़े? क्या तुम्हें मेरी मर्दानगी पर शक हो रहा है?"

वैशाली: "पिंटू, बात को बेवजह बढ़ा मत.. ये मामला विश्वास का नहीं है.. ये सिर्फ एक शारीरिक समस्या है, जिसका समाधान हमें ढूंढना है.. डॉक्टर से सलाह लेने में क्या हर्ज है?"

कई पुरुषों को इरेक्टाइल डिसफंक्शन (नपुंसकता) की समस्या का सामना करना पड़ता है.. यह एक चिकित्सीय स्थिति है, फिर भी वे सेक्सोलॉजिस्ट के पास जाने से हिचकिचाते हैं.. उन्हें यह शर्मनाक लगता है और वे यह सोचते है की इसस उनकी मर्दानगी शक के घेरे में आ जाएगी.. इसे वह अपनी मर्दानगी पर सवाल और खतरा मानते हैं.. एक पुरुष-प्रधान समाज में, पुरुषों से मजबूत होने की उम्मीद की जाती है, खासकर यौन संबंध के दौरान.. इसलिए, इस समस्या से जूझ रहे पुरुषों के लिए यह स्थिति बेहद मुश्किल हो जाती है.. उन्हें यह समझना चाहिए कि यह एक सामान्य समस्या है और चिकित्सकीय सहायता लेने में उन्हें शर्म महसूस नहीं करनी चाहिए.. इससे न केवल उनकी यौन जीवन में सुधार होगा, बल्कि उनका आत्मविश्वास भी बढ़ेगा..!!

पिंटू: "मैं तुम्हारी बात नहीं सुनना चाहता! तुम समझती ही नहीं कि मैं कैसा महसूस कर रहा हूँ.. मैं तुम्हें खुश रखना चाहता हूँ, लेकिन आज मैं ऐसा करने में नाकाम रहा.. और सिर्फ इस एक कारण से तुम मुझे डॉक्टर के पास ले जाना चाहती हो?"

वैशाली: "पिंटू, मैं भी तुम्हें खुश रखना चाहती हूँ.. लेकिन तुम मेरी बात सुनने को तैयार ही नहीं हो.. मैं भी फ्रस्ट्रेटेड हूँ, लेकिन मैं फिर भी तुम्हें समझने की कोशिश तो कर रही हूँ ना..!!"

पिंटू: "तुम फ्रस्ट्रेटेड हो? तुम्हें लगता है कि मैं नहीं हूँ? मैं भी तो परेशान हूँ! मैं तुम्हें खुश करना चाहता हूँ, लेकिन आज कुछ ठीक नहीं लग रहा.."

वैशाली: "यार, मैंने कोशिश तो की.. मैंने तुम्हें रिलैक्स करने की कोशिश की.. और ये हमारे साथ दूसरी बार हो रहा है.. आगे जाकर यह कोई बड़ी समस्या न बन जाए इसीलिए मैं तुम्हें डॉक्टर के पास जाने के लिए कह रही हूँ.. लेकिन तुम मेरी बात सुनने को तैयार ही नहीं हो.. !!"

पिंटू: "क्योंकि ये मेरी समस्या है! मैं इसे सुलझा लूंगा.. और इसके लिए मुझे किसी डॉक्टर की जरूरत नहीं है..!!"

वैशाली: "तुम क्यों नहीं समझ रहे, ये सिर्फ तुम्हारी समस्या नहीं है.. यह हमारी समस्या है! हम शादीशुदा हैं, और हमें मिलकर इसका हल ढूंढना चाहिए..!!"

पिंटू: "यार तुम मुझे अभी अकेला छोड़ दो..मैं थका हुआ हूँ और कल सुबह जल्दी भी उठना है.. तुम्हारी तरह नहीं की बस पैर फैलाएं और सो गए..!!"

पिंटू के ऐसा कहने पर वैशाली को अपने कानों पर विश्वास नहीं हो रहा था..!! यह किसी बात कर रहा है पिंटू? वह उसकी मदद करने की कोशिश कर रही है और वो उल्टा उसी पर भड़क रहा है??

गुस्से में आकर वैशाली करवट लेकर पिंटू की विरुद्ध दिशा में सो गई.. पर देर तक न उसे नींद आई और न ही पिंटू को

दूसरी सुबह पिंटू एलार्म बजते ही उठा.. तैयार हुआ और वैशाली को बिना बताएं एयरपोर्ट के लिए निकल गया..

अपने नियत समय पर रोज की तरह वैशाली की आँख खुली.. उसे बेहद थकान और हल्की सी कमजोरी महसूस हो रही थी.. शायद रात को देर तक जागने का परिणाम था.. अपनी आँखें मलते हुए वह बिस्तर पर बैठी तो उसने देखा की पिंटू और उसकी बेग दोनों ही उनके स्थान पर नहीं थे.. उसने अपना मोबाइल उठाया और समय देखकर चोंक पड़ी..!! सुबह के सात बज रहे थे और पिंटू उसे बिना बताए ही चला गया था..!!

गुस्से से मोबाइल को बिस्तर पर फेंकते हुए, वैशाली ने अपने दोनों घुटनों को मोड़कर उसमें अपना चेहरा छुपा लिया..!! कल रात वह बहुत गर्म थी.. स्खलित होने के लिए आतुर भी.. वह तो हो नहीं पाया.. और पिंटू को समझाने का प्रयत्न किया तो वो उल्टा उसी पर भड़क पड़ा..!! जिस्म की आग और दिमाग का गुस्सा.. बड़ा ही जहरीला मिश्रण है..!!! इंसान अपनी सूझ-बुझ गंवा बैठता है..!!

ओढ़ी हुई चद्दर को लात मारकर फेंकते हुए वैशाली बेड से खड़ी हुई और बाथरूम में घुस गई.. ऑफिस जाने में देर हो रही थी और अभी खाना भी तो बनाना था..!!
 
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