इस तरफ कविता, वैशाली और पीयूष वापीस आने के लिए निकले.. कविता को चिंता हो रही थी की कहीं शीला भाभी और रसिक का प्रोग्राम अब भी चल रहा होगा तो??"मैंने मिसकॉल तो किया था पर शायद उन्हों ने न सुना हो !! क्या करू? फिर से मिसकॉल करू? नहीं नहीं.. पीयूष और वैशाली को शक हो जाएगा.. कविता ने पीयूष की ओर देखा.. वैशाई के पीले टीशर्ट से उभरकर दिख रहे सूडोल उरोजों को ताड़ रहे पीयूष को देखकर कविता सोचने लगी..
ये पीयूष को सभी लड़कियों के स्तनों में ही क्यों इतनी दिलचस्पी है!! ये वैशाली भी पक्की चुड़ैल है.. एक तरफ बोलती है की मैं हिम्मत से प्यार करती हूँ.. और दूसरी तरफ मेरे पति के साथ फ्लर्ट कर रही है.. कहीं ये पीयूष से चुदवाने की फिराक में तो नहीं है!! नहीं नहीं.. वैशाली ऐसा नहीं कर सकती..पर कुछ कह नहीं सकते.. वैसे मैं भी कहाँ दूध की धुली हूँ !!
शीला भाभी ने जब रसिक के साथ सेटिंग करने की बात कहीं तब मैं भी कैसे तैयार हो गई थी!! इशशश रसिक की याद आते ही कविता को याद आया की शीला भाभी ने वादा किया था की आज रसिक से उसकी बात करेगी.. तब तो आज भाभी ने बात कर भी ली होगी अब तक.. बाप रे.. कविता.. एक दूधवाले के साथ करेगी?? शर्म भी नहीं आती तुझे? हम्म कोई बात नहीं.. आँखों पर पट्टी बांधकर करवा लूँगी.. पर एक बार मोटे लंड में कैसा मज़ा आता है वो तो अनुभव करना ही है.. बीपी में सब फिरंगी राँडें काले हबसीओ के गधे जैसे लंड से कितनी आराम से चुदती है.. !! शीला भाभी के घर पर ही तो देखा था टीवी पर.. जो होगा देखा जाएगा.. शर्म तो बड़ी आएगी पर मोटे लंड का स्वाद लेने के लिए इतनी शर्म तो निगलनी ही पड़ेगी.. एक बार करवा लेने पर सारी शर्म हवा हो जाएगी
"अब उतरेगी भी या ऑटो वाले के साथ ही जाएगी?? " खयालों में खोई कविता को पीयूष ने टोका.. कविता तंद्रा से बाहर निकली.. "ओह... इतनी देर में घर आ भी गया?"
पीयूष "मैं भी वही सोच रहा था.. इतनी देर में घर आ भी गया?" ऑटो में बैठे तब से पीयूष अपनी कुहनी से वैशाली के स्तनों को छु रहा था... उसने वैशाली की ओर देखा.. उसने शरमाकर नजरें झुका ली.. कविता अपने खयालों में खोई हुई थी इस बात का पीयूष ने पूरा फायदा उठाया था आज
वैशाली अपने घर के दरवाजे पर पहुंची.. पीयूष उसे अंत तक जाते हुए देखता रहा.. उसे आशा थी की वैशाली पलट कर देखेगी जरूर.. उसका दिल ज़ोरों से धड़कने लगा..
"तय होती है मोहब्बत पलट कर देखने से ही.. सिर्फ मिलना ही इश्क का सबूत नहीं होता"
पीयूष के मन का मोर तब नाच उठा जब वैशाली ने अंदर जाने से पहले उसे पलट कर देखा और हाथ हिलाकर गुड नाइट भी कहा.. कितनी माहिर होती है ये लड़कियां.. लड़कों को लट्टू बनाने में!!
शीला ने वैशाली से होटल के बारे में पूछा.. वैशाली ने पीयूष की हरकतों को छोड़.. बाकी सारी बातें बताई..
"मम्मी.. तूने खाना खाया की नहीं?"
शीला ने मन में कहा "बेटा मैं कभी भूखी नहीं रहूँगी.. मेरे पास बहोत रास्ते है अपनी भूख मिटाने के.. "
"हाँ बेटा.. खा लिया" मुस्कुरा कर शीला ने कहा.. वैशाली सोचने लगी.. मम्मी आज बेवजह मुस्कुरा क्यों रही है !!
वैशाली को खुश देखकर शीला के दिल को तसल्ली मिली.. अपने वैवाहिक जीवन से त्रस्त वैशाली को कुछ तो खुशी मिली.. ये संजय भी नजर नहीं आया अब तक.. चार दिन हो गए एक बार भी घर पर नहीं आया और वैशाली को फोन भी नहीं किया उसने.. वैशाली ने भी सामने से फोन नहीं किया.. दोनों के बीच की अनबन काफी गंभीर मालूम होती है..
माँ बेटी ने साथ बैठकर टीवी पर "अनुपमा" की ज़िंदगी की तकलीफें देखी और फिर सो गई।
बिस्तर पर लेटे लेटे वैशाली को हिम्मत के संग की चुदाई याद आ गई.. साथ ही साथ पीयूष की हरकतें भी.. शीला रसिक के मूसल को याद करते हुए गीली होने लगी.. पता नहीं क्यों.. बिस्तर पर लेटते ही शीला के दिमाग की सेक्स फैक्ट्री चालू हो जाती थी.. कमरे में अंधेरा था.. शीला ने चादर ओढ़कर अपने गाउन के अंदर हाथ डाल दिया.. वैशाली की चुत में भी खुजली उठी थी.. उसे पीयूष की कही बात याद आ रही थी "क्यों न हम फिर से पहले की तरह नादान और नासमझ बन जाएँ!!"
पीयूष अब भी उस पर फिदा है ये वैशाली जान छुकी थी.. वैशाली ने मुड़कर शीला की विशाल छातियों को देखा.. मम्मी ने इस उम्र में भी खुद को कैसे मैन्टैन कर रखा है !!
वैशाली की नज़रों से बेखबर शीला अपनी चार उँगलियाँ भोसड़े में डालकर अंदर बाहर कर रही थी.. उस तरह की वैशाली को भनक भी न लगे.. पर उसकी सांसें फूल गई थी और वो तेजी से सांस ले रही थी.. आखिर वैशाली भी एक स्त्री थी.. शीला की चुत जिस तरह रस रिस रही थी.. उसकी गंध भी वैशाली के नथुनों तक पहुँच गई थी... माय गॉड.. मम्मी मास्टरबेट कर रही है!! वैशाली शरमा गई.. हाँ.. वही कर रही है मम्मी.. ध्यान से देखने पर उसे शीला के हाथ की हलचल भी नजर आने लगी.. ये देखकर वैशाली से भी रहा न गया.. उसने अपनी चुत पर हाथ फेरा.. गीली हो गई थी उसकी मुनिया..
अचानक शीला ने एक लंबी सांस छोड़ी और पलट कर सो गई.. वैशाली भी पीयूष और हिम्मत को याद करते हुए अपनी भड़कती चुत को सहलाने लगी.. उसका दूसरा हाथ स्तनों को मरोड़ रहा था.. उंगलियों से रगड़ते हुए वो भी झड़ गई.. माँ और बेटी एक ही बिस्तर पर मूठ लगाकर सो गई। करवट लेकर सो रही शीला ने भी वैशाली की आहें सुनी और अंदाजा लगा लिया की उसकी पीठ पीछे वो क्या कर रही थी
रात के तीन बजे शीला पानी पीने के लिए उठी.. किचन में जाकर पानी पीने के बाद जब वह लौटी तब उसने देखा की कमरे की खुली खिड़की से चाँद की किरणे वैशाली पर पड़ रही थी। उसने चादर नहीं ओढ़ राखी थी.. गाउन के ऊपर के तीन बटन भी खुले थे.. रात को सोते समय वो ब्रा निकाल देती थी ये शीला जानती थी.. शीला करीब आकर उसके गाउन के बटन बंद करने लगी.. बटन बंद करते हुए बेटी के उभारों को नरम भाग पर उंगली का स्पर्श होते ही शीला सहम गई.. मन में उठ रहे हलकट विचारों को धकेल कर उसने वैशाली का गाउन ठीक किया और उसके बगल में सो गई।
"ये मुझे आज क्या हो रहा है? जिसे भी देखूँ बस सेक्स के विचार ही आते है.. अच्छा हुआ की वैशाली नींद में थी वरना मेरे बारे में क्या सोचती?" शीला को अपने ही विचारों से भय लगने लगा
सुबह पाँच बजे रसिक दूध देने आया.. वैशाली अंदर के कमरे में सो रही थी फिर भी शीला ने रसिक को अपने स्तन चूसने दिए.. उसका लंड हिलाया.. और उसके गाल और होंठ पर एक जबरदस्त किस भी दी.. उसके बाद ही उसे जाने दिया.. ज्यादा कुछ कर पाना मुमकीन नहीं था.. शीला अपने रोज के कामों में व्यस्त हो गई.. वैशाली को उसने देर तक सोने दिया..
थोड़ी देर बाद वैशाली जाग गई.. अंगड़ाई लेते हुए वो बाहर झूले पर बैठे हुए ब्रश पर टूथपेस्ट लगाने लगी.. शीला किचन में मशरूफ़ थी.. वैशाली ने पीयूष के घर की तरफ देखा.. पर वो नजर नहीं आया.. कल भी वो इसी तरह झूले पर बैठी थी पर तब उसे पीयूष के घर की ओर देखना का खयाल नहीं आया था तो अब क्यों आ रहा था !!! ताज्जुब हुआ वैशाली को.. तभी अनुमौसी बाहर आई
अनुमौसी: "कैसी हो बेटा? लगता है अभी अभी जागी हो"
वैशाली: "हाँ मौसी.. बहोत अच्छी नींद आई तो देर तक सोती रही"
अनुमौसी: "यही तो है मायके का सुख.. ना कोई बंधन ना कोई जिम्मेदारी.. जैसे ही ससुरत लौटो की फिर से जैल में कैद.. ये मेरी कविता को ही देख लो.. पीयूष को जल्दी ऑफिस जाना होता है इसलिए वो बेचारी पाँच बजे उठकर खाना बनाती है.. इससे पहले जो नौकरी थी वो अच्छी थी.. ये वाली ऑफिस जरा दूर है इसलिए पीयूष को जल्दी निकलना पड़ता है.. बेचारा मेरा बेटा रात को वापीस लौटते लौटते थक जाता है..बहुत महेनती है मेरा बेटा"
वैशाली: "हाँ मौसी.. पीयूष बहोत ही अच्छा लड़का है" बोलने के बाद खुद को चाटा मारने का मन किया वैशाली को.. क्या बोलने की जरूरत थी मौसी के आगे !!!
मौसी और कुछ पूछती उससे पहले वैशाली ही वहाँ से उठी और सीधी बाथरूम चली गई.. नहा कर और फ्रेश होकर वो अप-टू-डेट फेशनेबल कपड़े पहनकर तैयार हो गई और शीला के पास आई। उसके छोटे तंग वस्त्रों से आधे से ज्यादा जिस्म बाहर झलक रहा था
शीला: "बेटा, तू छोटी नहीं रही.. ऐसे कपड़े पहनना शोभा नहीं देता.. कुंवारी थी तब तक सब ठीक था.. देख तो सही कितने टाइट कपड़े है!! शादी के बाद ऐसे अधनंगे कपड़े पहनकर मैं तुझे बाहर नहीं जाने दूँगी.. शर्म भी नहीं आती तुझे "
जवाब में वैशाली ने शीला के गालों पर हल्के से किस की और हँसते हँसते बेडरूम में चली गई
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मौसी की बातों से वैशाली को पता चल गया की पीयूष सुबह ७ बजे ऑफिस के लिए निकल जाता है.. पूरा दिन नौकरी पर रहता था तो उसे देख पाना मुमकीन नहीं था.. रात को भी वो देर से घर आता और फिर कविता और वैशाली जब वॉक लेने निकलते तभी उसकी झलक वैशाली देख पाती। दूसरी तरफ पीयूष का भी यही हाल था.. वैशाली के दीदार के लिए वो भी तड़पता रहता था.. पर काफी कोशिशों के बाद भी उसे निराशा ही हाथ लगी। दोनों के मन में "नादान और नासमझ" बनने की बड़ी तीव्र चूल उठ रही थी
एक रात को करीब दस बजे.. रोज की तरह कविता और वैशाली वॉक लेकर लौटे और कविता के घर की छत पर ठंडी हवा का आनंद ले रहे थे। घर के अंदर बैठे पीयूष का बड़ा मन कर रहा था की वो भी ऊपर छत पर उन दोनों के साथ बैठे। पर बिन बुलाए मेहमान की तरह जाना उसे पसंद नहीं था। मन तो वैशाली का भी बहुत था की पीयूष ऊपर उनके पास आए..
कविता और वैशाली की दोस्ती इतनी गाढ़ी हो छुकी थी की वो दोनों एक दूसरे को अपनी सारी बातें बताने से हिचकिचाते नहीं थे.. कविता ने अपने और पिंटू के बारे में सारी कथा सुनाई.. वैशाली ने भी अपने जीवन की कुछ ऐसी बातें बताई जो केवल वो ही जानती थी.. रात को देर तक बैठे बैठे वो दोनों दुनिया भर की बातें करती रहती.. उनकी दोस्ती से शीला भाभी या अनुमौसी को कोई हर्ज नहीं था.. आखिर दोनों लड़कियां थी
एक हफ्ता बीत गया पर ना संजय का फोन आया और ना ही वैशाली ने उसे फोन किया.. ये बात शीला को बहुत परेशान कर रही थी.. शीला को यकीन था की अगर वो वैशाली से इस बारे में पूछेगी तो वो सीधे सीधे जवाब नहीं देगी.. उससे असलियत उगलवाने का कोई तरीका ढूँढने लगी शीला
दूसरी रात जब वैशाली और कविता वॉक लेने गए तब शीला ने ही संजय को फोन लगा दिया.. बियर बार में बैठकर अपनी सहकर्मी प्रेमिला के साथ शराब पीते हुए और उसकी जांघों को सहलाता हुआ संजय, फ्लोर पर नाच रही अधनंगी डांसरों के लटके झटके देखकर ठंडी आहें छोड़ रहा था। सुंदर स्तनों को उछलती हुई एक बार डांसर संजय के करीब आई और झुककर अपनी गहरी गली दिखाकर टिप मिलने की आशा में खड़ी रही.. बियर बार की तमाम रस्मों से वाकिफ प्रमिला से संजय के हाथों में १०० का नोट थमा दिया जिसे संजय ने उस लड़की के दो स्तनों के बीच दबा दिया.. उसी वक्त उसका फोन बजा और स्क्रीन पर सासु माँ का नाम देखकर वो चोंक उठा
"एक्सकयुज मी डार्लिंग.. " प्रमिला का गाल को थपथपाकर संजय फोन पर बात करने के लिए बियर बार के कोलाहल से बाहर निकला और फोन उठाया
"हाँ मम्मी जी, कैसी हो आप?"
"मैं ठीक हूँ.. आप कैसे है? घर पर आपके मम्मी पापा की तबीयत कैसी है?"
"सब ठीक है.. आपकी तबीयत कैसी है? काफी दिन हो गए, व्यस्तता के कारण वैशाली को फोन नहीं कर पाया.. अभी फोन करता हूँ उसे" सिगरेट जलाते हुए संजय ने कहा
शीला: "हाँ हाँ कोई बात नहीं.. वैशाली आपको बहुत याद करती है.. कब आ रहे हो घर? वो तो कह रही थी की बस चार दिन का ही काम था.. अभी तक खतम नहीं हुआ?"
संजय: "अरे नहीं मम्मी जी, काम तो चार दिन का ही था पर जिस पार्टी को मुझे मिलना था वो कहीं बीजी है इसलिए अब तक मिलना नहीं हुआ.. और एक दो दिन लग जाएंगे मुझे "
काफी देर हो गई पर संजय लौटा नहीं इसलिए प्रमिला दरवाजा खोलकर बाहर निकली और पीछे से आवाज लगाई "संजु डार्लिंग, कितनी देर लगा रहे हो !! जल्दी आओ ना !!"
संजय ने चोंक कर पीछे देखा और अपने होंठ पर उंगली रखकर शशशशशश करते हुए प्रमिला को चुप रहने का इशारा किया और फिर शीला से बात करने लगा.. पर शीला ने प्रमिला की आवाज को साफ साफ सुन लिया था.. शीला अनुभवी थी.. उसने संजय से उस लड़की के बारे में कुछ भी नहीं पूछा.. संजय को यही प्रतीत हुआ की सासु माँ ने प्रमिला की आवाज नहीं सुनी होगी वरना वो इस बारे में जरूर पूछती..
शीला जानबूझकर यहाँ वहाँ की बातें कर रही थी.. और बेकग्राउंड की आवाज़ें सुनकर अनुमान लगा रही थी की संजय कहाँ होगा.. तभी संजय ने ये कहकर फोन काट दिया की उसका बॉस उसे बुला रहा था इसलिए उसे फोन काटना पड़ेगा। संजय की इस हरकत से शीला का शक यकीन में बदलने लगी.. कौन होगी वो लड़की जो संजय को डार्लिंग कह कर बुला रही थी?
वैशाली ने शीला को बताया था की संजय पैसे उड़ाता है और कुछ कमाता नहीं है.. सब से उधार लेकर गायब हो जाता है ये भी पता था.. लेकिन वैशाली ने कभी किसी पराई औरत के बारे में कभी कुछ नहीं कहा था.. हालांकि संजय की गंदी नजर का अनुभव तो ऐसे सालों पहले हो ही चुका था.. पर उसने ये सोचकर अपने मन को समझा लिया था की सारे मर्दों की नजर ऐसी ही होती है.. उसके पति की नजर भी वैसी ही थी
शीला दामाद को बेटे समान मानती थी.. फिर जिस तरह संजय उसके स्तनों को भूखी नज़रों से ताकता रहता.. शीला अस्वस्थ हो जाती.. इन मर्दों को बस एक ही बात समझ में आती है.. मौका मिलते ही स्त्री को फुसलाओ और उसकी टांगें खोलकर चोद दो.. मन ही मन में वो दुनिया के सारे मर्दों को गालियां दे रही थी.. कौन होगी वो लड़की जिसने संजय को डार्लिंग कहकर पुकारा था??
वो लड़की जो भी हो.. उस लड़की से उलहकर संजय वैशाली का जीवन बर्बाद करें वो शीला बर्दाश्त करने वाली नहीं थी.. साला समझता क्या है अपने आप को? उसका बस चलता तो संजय को दो चाटे लगाकर उसका दिमाग ठिकाने पर ले आती.. पर बात वैशाली के वैवाहिक जीवन की थी.. और उसे बचाने के लिए झगड़ा करना कोई उपाय नहीं था.. एक विचार ऐसा भी आया की कहीं दोष वैशाली का तो नहीं होगा ना !! ये जांच भी करना आवश्यक था। शीला ने वैशाली की सास को कलकत्ता फोन लगाया.. कैसे भी करके वो इस बात के मूल तक पहुंचना चाहती थी