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Thanksबहुत ही शानदार और लाज़वाब अपडेट है
कविता ने शीला को रसिक के साथ देख लिया है उसे अब अपनी सास पर भी शक हो रहा है कविता ने शीला से पूछ लिया है कि उनके किस किस के साथ संबंध हुआ शील ने कविता को समझा दिया है रसिक के लन्ड के बारे में बताने पर कविता भी रसिक के लन्ड को देखना चाहती है लगता है कविता भी जल्दी ही लंबे और मोटे लन्ड से चुदने वाली है
यार ये फोटो कहाँ से लाते हो
Thanksबहुत ही शानदार और लाज़वाब अपडेट है
कविता ने शीला को रसिक के साथ देख लिया है उसे अब अपनी सास पर भी शक हो रहा है कविता ने शीला से पूछ लिया है कि उनके किस किस के साथ संबंध हुआ शील ने कविता को समझा दिया है रसिक के लन्ड के बारे में बताने पर कविता भी रसिक के लन्ड को देखना चाहती है लगता है कविता भी जल्दी ही लंबे और मोटे लन्ड से चुदने वाली है
पीयूष से बात करके शीला ने जान लिया की वो तीनों ११ बजे से पहले आने वाले नहीं थे.. वो जानती थी की जब तक वैशाली यहाँ थी, तब तक रसिक, जीवा या रघु के साथ कुछ नहीं हो पाएगा.. अब क्या करें? इतने सारे दिन बिना चुदे कैसे रहेगी वो? कुछ न कुछ तो करना ही पड़ेगा..
शीला ने रसिक को फोन लगाया..
रसिक: "हाँ भाभी बोलिए"
शीला: "मेरे घर पर मेहमान आए हुए है.. और दूध फट गया है.. अभी दो लीटर दूध चाहिए.. मिलेगा ये फिर मैं बाजार जाकर ले आउ?"
रसिक: "ये भी कोई पूछने की बात है.. अभी दूध लेकर आता हूँ.. वैसे भी मुझे अनुमौसी से दूध के पैसे लेने थे.. अभी आता हूँ"
शीला: "सुन रसिक.. मेरी बेटी वैशाली घर पर आई हुई है.. अभी वो बाहर है और दो घंटों तक आने नहीं वाली.. दूध का तो सिर्फ बहाना है.. तू जल्दी घर आजा मेरे"
रसिक: "मैं अभी निकला और आया.. आप तैयार रहो.. मैं पहुँच रहा हूँ"
शीला ने फोन कट कर दिया
पंद्रह मिनट के बाद रसिक दूध का केन लेकर आ पहुंचा.. शीला उसकी राह देख रही थी.. रसिक को घर के अंदर बुलाकर शीला ने कविता के मोबाइल पर फोन किया.. तब कविता खाना खा रही थी..
शीला ने फोन पर कहा : "तू कुछ भी मत बोलना.. सिर्फ मेरी बात सुन... कोई पूछे किसका फोन था तो बोलना की क्रेडिट कार्ड वालों का फोन था.. देख कविता.. जितनी देर तक हो सके सब को रोक कर रखना.. हो सके उतनी देर से वापीस आना. मैंने रसिक को मेरे घर बुलाया है.. तेरी बात करने के लिए.. और सुन.. घर के लिए निकलो तब मुझे मिसकॉल कर देना ताकि मैं उसे यहाँ से रवाना कर सकु" कविता हैलो बोल पाती उससे पहले ही भाभी ने अपनी बात सुना दी.. और फोन काट दिया.. कितने सेटिंग करने पड़ते है चुत की आग बुझाने के लिए.. !!
दरवाजा बंद करते हुए शीला ने रसिक को अपनी बाहों में भरकर चूम लिया.. शीला के गोरे गदराए जिस्म का स्पर्श होते ही रसिक के लंड को ४४० वॉल्ट का झटका लगा.. शीला के दोनों स्तनों को उसने अपनी मजबूत हथेलियों में दबोचकर मसल दिया
रसिक: "इतनी भी क्या जल्दी है भाभी? "
शीला: "बहोत दिन हो गए रसिक.. ये वैशाली के आने के बाद, मैं तो जैसे पिंजरे में कैद हो गई हूँ.. तंग आ गई हूँ.. अब बकवास बंद कर और जल्दी अपना हथियार निकाल.. और ठोक मुझे.. " कहते हुए शीला ने अपने ब्लाउस के अंदर से अपना एक स्तन निकाला..
रसिक ने बड़े आराम से उनके खरबूजे जैसे बड़े स्तन को सहलाते हुए उनके घाघरे का नाड़ा खींचने की कोशिश की.. तब शीला ने उसका हाथ पकड़ लिया..
शीला: "रसिक, अगर वो लोग जल्दी आ गए तो कपड़े पहनने का समय नहीं मिलेगा.. तू घाघरा ऊपर कर और घुसा दे अंदर.. " रसिक ने अपनी खुरदरी हथेलियों से शीला की भोस को सहलाना शुरू कर दिया..
शीला: "कितना भारी और खुरदरा है तेरा हाथ.. !! ऐसा सहला रहा है जैसे लकड़ी छील रहा हो.. ओह्ह आह्ह रसिक.. चार दिन हो गई.. तेरा लंड देखे हुए.. जल्दी जल्दी बाहर निकाल.. " रसिक के पाजामे से उसका गधे जैसा लंड बाहर खींच निकाल शीला ने.. हाथ में लेते ही सिहर उठी शीला.. "हाय.. क्या मस्त मोटा है रे तेरा.. आई लव ईट.. !!" शीला ने मुठ्ठी में दबाकर हिलाना शुरू किया
रसिक ने अपनी दो उँगलियाँ शीला की गरम मेंदूवडे जैसी भोस के अंदर घुसेड़ दी और झुककर ब्लाउस के बाहर लटक रहे स्तन की निप्पल को मुंह में लेकर चूसने लगा..
चार दिन की भूखी शीला बेहद उत्तेजित होकर रसिक के फुँकारते हुए लंड को मुंह में लेकर चूसने लगी.. देखते ही देखते रसिक के आधे से ज्यादा लंड को अंदर ले लिया.. रसिक से और रहा नहीं गया.. उसने शीला के मुंह से अपना लंड निकाला.. और उसे उठाकर बिस्तर पर पटक दिया.. फिर खुद ऊपर सवार हो गया..
शीला: "आह्ह रसिक.. जल्दी घुसा.. वो लोग आते ही होंगे अभी.. आज अगर मेरी चुत को प्यासी छोड़ेगा तो माँ चोद दूँगी तेरी" अपनी उंगली पर थूक लगाकर खुद ही चुत का दाना रगड़ने लगी शीला.. रसिक तुरंत झुककर शीला के भोसड़े पर पहुँच गया.. दो उंगलियों से चुत की फांक चौड़ी करके उसने अपनी जीभ अंदर घुसा दी.. रसिक की भोस चटाई देखकर शीला को मदन की याद आ गई.. माय गॉड.. मदन कभी कभी एक घंटे तक मेरी चुत चाटता था.. कितना शौकीन था वो.. मेरा प्यार मदन..
रसिक चटखारे लगाते हुए शीला की चुत के अंदरूनी हिस्सों को अपनी जीभ से कुरेद रहा था.. शीला दोनों हाथों से अपने सख्त बबलों को दबा रही थी और मुख मैथुन का मज़ा ले रही थी.. शीला की कामुकता ने रसिक को ओर उत्तेजित कर दिया.. वो अपने रफ हाथों से शीला के कोमल चरबीदार शरीर को सहला रहा था..
काफी देर तक जब रसिक शीला की चुत का रस ही चाटता रहा तब शीला से रहा नहीं गया.. "मैं मर जाऊँगी रसिक.. प्लीज.. अब डाल भी दे अंदर.. बहोत तेज खुजली हो रही है मुझे.. भांप निकल रही है मेरे छेद में से.. " रसिक ने शीला की दोनों जांघों को चौड़ा किया और बीच में बैठ गया.. अपना तगड़ा.. गरम अंगारे जैसा लंड उसने शीला के छेद पर रखा.. लंड का स्वागत करने के लिए शीला का भोसड़ा अविरत रस छोड़ रहा था.. रसिक अपना सुपाड़ा शीला की चुत के होंठों पर रगड़ रहा था.. वासना से तपकर शीला का चेहरा सुर्ख लाल हो गया था.. दोनों स्तन ब्लाउस के बाहर लटक रहे थे.. रसिक अपने सुपाड़े से शीला की चुत को छेड़ता ही रहा... शीला की क्लिटोरिस जामुन जैसी बड़ी हो गई थी.. लंड के रगड़ने से उत्तेजित होकर शीला अपने चूतड़ ऊपर नीचे कर रही थी
शीला से अब रसिक की ये छेड़छाड़ और बर्दाश्त नहीं हुई
शीला: "भेनचोद रसिक.. इतना क्यों तड़पा रहा है मुझे? अगर तू ऊपर ऊपर से रगड़ने में ही झड गया तो तेरी गांड में झाड़ू घुसेड़कर मोर बना दूँगी.. जल्दी डाल अंदर.. मस्त सख्त हो गया है "
शीला की बातों को अनसुनी कर रसिक उसके स्तनों को मसल रहा था
शीला: "अबे चूतिये.. डाल अंदर" रसिक ने एक जोर का धक्का लगाया और उसकी चुत को चीरते हुए पूरा लंड अंदर चला गया
शीला: "मर गई मादरचोद.. ऐसे एकदम से कोई डालता है क्या?? पेट में दर्द होने लगा मुझे.. नाभि तक घुस गया तेरा मूसल"
रसिक: "अरे भाभी.. ऐसे ही चोदने में मजा आता है.. लंड जब अचानक अंदर डालो तब इतना मज़ा आता है मुझे.. " पहाड़ जैसे रसिक की काया शीला के शरीर के ऊपर मंडराने लगी.. उसके मजबूत शरीर से दबकर अजीब सी तृप्ति मिली शीला को..
रसिक के भारी भरकम शरीर के नीचे दबकर मजबूत धक्कों का मज़ा लेती हुई शीला मन ही मन कविता का शुक्रियादा कर रही थी.. उसके कारण ही आज उसकी चुत की भूख मिट रही थी..
शीला: "जोर से धक्के लगा रसिक.. " रसिक शीला के चूतड़ों को अपने नाखूनों से कुरेद रहा था.. उसका काला शरीर, शीला के गोरे बदन पर पटखनिया खा रहा था..
"आह्ह भाभी.. इस उम्र में भी काफी चुस्त है आपके बॉल.. " रसिक जबरदस्त ताकत के साथ शीला की भोस में धक्के लगा रहा था..
"और जोर से रसिक.. जोर लगा.. नाश्ता नहीं किया था क्या.. लगा दम.. आह्ह बहोत मज़ा आ रहा है.. "
रसिक शीला के उरोजों को ब्लाउस के ऊपर से मसलते हुए उसके कोमल सुर्ख होंठों को मस्ती से चूसते हुए धमाधम पेल रहा था.. दोनों ने धक्के लगाने और खाने में अपनी लय हासिल कर ली थी और उत्तेजनावश एक दूसरे के जिस्मों को नोच रहे थे.. रसिक की ऊर्जा देखकर शीला आफ़रीन हो गई.. वाह.. लगा दम.. फाड़ दे मेरी.. रसिक.. वाह क्या लंड है तेरा.. उन लोगों के लौटने से पहले खल्लास कर दे मुझे.. रसिक्ककककक.. !!!
शीला बेहद कामुक आवाज में उत्तेजक बातें बोल बोल कर उसे संभोग की पराकाष्ठा तक ले गई.. रसिक अप्रतिम तेजी से शीला को चोदे जा रहा था.. उसके आखिरी दस पन्द्रह धक्के तो ऐसे जोर के लगे के शीला की आँखों में पानी आ गया.. शीला का पूरा शरीर अकड़ गया और वो झटके मारते हुए झड़ने लगी.. रसिक के विकराल लंड का अपनी चुत के पानी से अभिषेक करते हुए शीला की सांसें ऐसे फूल चूकी थी जैसी माउंट एवरेस्ट चढ़कर आई हो.. शीला ने अपनी मंजिल प्राप्त कर ली थी लेकिन रसिक का सफर अभी बाकी था
भोस के झड़ जाने के बाद रसिक के धक्कों से शीला को अब दर्द हो रहा था.. अपने शरीर के ऊपर से रसिक को हटाने के लिए वह धक्के मारने लगी.. "बस कर रसिक... बहुत हुआ.. मेरा हो चुका है.. उतर नीचे.. मेरा दम घुट रहा है.. कितना वज़न है तेरा साले.. मर जाऊँगी मैं.. ऊहह आहह बस कर कमीने.. प्लीज छोड़ दे.. हाथ जोड़ती हूँ मैं तेरे" पर रसिक पर शीला की बातों का कोई असर नहीं हुआ.. उसने अविरत स्पीड से शीला की भोस में अपना मूसल घुसाना जारी रखा.. आखिर शीला की भोस की गहरी खाई में.. रसिक की मर्दानगी सिर पटक पटक कर हार गई.. उसके लंड से छूटी वीर्य की पिचकारी के साथ शीला की आँखें फट गई.. डोरे ऊपर चढ़ गए.. रसिक एक पल के लिए डर गए.. कहीं शीला भाभी सिधार तो नहीं गई.. पर उसकी सांसें चलती देख रसिक की जान में जान आई
शीला ने रसिक को तब तक जकड़े रखा जब तक उसके वीर्य की आखिरी बूंद चुत में चूस न ली.. रसिक ने अपना लंड शीला के भोसड़े से बाहर निकाला.. उसके लंड की दशा ऐसी थी जैसे रस निकल जाने के बाद कोल्हू से गन्ना निकला हो.. अपने ही लंड पर रसिक को दया आ गई..
"मज़ा आ गया भाभी.. जबरदस्त हो आप तो"
"रसिक.. तेरा ये जुल्म तो मैं और रूखी ही बर्दाश्त कर सकते है.. आज कल की जीरो फिगर वाली लड़कियों के ऊपर अगर तू चढ़ें तो एक ही मिनट में उनकी जान निकल जाएँ.. तूने किया है कभी पतली जवान लड़की के साथ?"
"नहीं भाभी.. ऐसी मेरी किस्मत कहाँ !!"
"करना भी मत.. कहीं कोई मरमरा गई तो जैल जाना पड़ेगा"
"भाभी, दिल तो बहोत करता है.. एक बार किसी शहरी फेशनेबल पतली लड़की को जमकर चोदने की.. आप के ध्यान में है कोई? मुझे तो ये पतली कमर वाली.. गॉगल्स पहन कर एक्टिवा चलाती हुई नाजुक परियों को देखकर ही पटककर चोद देने का मन करता है.. उनकी पूत्तियाँ कैसी होगी भाभी.. !! संकरी सी.. छोटी छोटी.. " रसिक अपने मुरझाए लंड को हिलाने लगा
"बहोत हुई बकवास तेरी.. अब निकल यहाँ से इससे पहले की वो लोग आ जाएँ" रसिक के लंड को फिर से उठता देख शीला की गांड फट गई
"भाभी.. मैंने जो कहा वो याद रखना.. आप के ध्यान में अगर ऐसी कोई लड़की आए तो.. " पजामा पहनते हुए रसिक ने कहा
"अगर कोई ध्यान में आए तो बताऊँगी"
"जरूर बताना भाभी.. आधी रात को दौडा चला आऊँगा.. "
"ठीक है.. रूखी को मेरी याद देना.. "
"हाँ भाभी.. वो भी आपको बहोत याद करती है.. आइए कभी मेरे घर !!"
रसिक चला गया.. चुत ठंडी हो जाने पर शीला मस्त होकर बिस्तर पर लेट गई..
रूखी के बाबलेमुझे तो इतना दूध आता है की मेरे लल्ला का पेट भर जाता है फिर भी बचता है। कभी कभी तो लल्ला पीते पीते सो जाता है... और छाती पूरी खाली न हो जाए तो इतना दर्द होता है की कपड़ा रखकर दबाकर दूध निकालना पड़ता है... लल्ला का बाप अगर जाग रहा हो तो वो भी थोड़ा बहुत चूस लेता है" इतने कहते ही रूखी शरमा गई
"आप चिंता मत करो भाभी, में वैसे भी दिन में कई दफा यहाँ से गुजरती हूँ.. आते जाते एक कटोरी में दूध निकाल दूँगी... बेचारे उन नन्हें पिल्लों को ओर चाहिए भी कितना!!! दो तीन घूंट में तो उनका छोटा सा पेट भर जाएगा.. लाइये कटोरी.. ये तो बड़े पुण्य का काम है... अब छाती में इतना दूध बनता ही है तो फिर इस्तेमाल करने में भला क्या हर्ज??"
इतना कहते ही रूखी ने अपने ब्लाउस के दो हुक खोल दिए... शीला दो घड़ी देखती ही रह गई... बड़े बड़े पके हुए नारियल जैसे बोबलों में से एक स्तन रूखी ने बाहर खींचा... दूसरी तरफ का दूध से भरा हुआ थन भी आधा बाहर लटक गया... देखते ही शीला के भोसड़े में खुजली शुरू हो गई।
शीला भागकर किचन से कटोरी लेकर आई और कटोरी को रूखी के स्तन के नीचे रख दिया। रूखी ने निप्पल को दबाया पर दूध नही निकला
"अरे भाभी, पता नही आज क्यों दूध नही निकल रहा? वैसे तो रोज, दबाते ही फव्वारा छूट जाता है..."
"आएगा रूखी... थोड़ा इंतज़ार तो कर!!"
"भाभी, आप दबाकर देखो... शायद दूध निकले"
शीला जबरदस्त उत्तेजित हो गई.. पर उसने थोड़ा सा नाटक किया..
"मुझे तो शर्म आती है रूखी"
"क्या भाभी, इसमे भला कौनसी शर्म? आपने भी तो अपने बच्चों को दूध पिलाया ही होगा ना!!"
"हाँ, वो बात तो सही है तेरी... पर उसे भी बहोत वक्त हो गया न रूखी..."
"जल्दी निकालिए न भाभी" कहते हुए रूखी ने शीला का हाथ पकड़कर अपने दूध से भरे स्तन पर रख दिया।
आहह... पत्थर जैसा सख्त और कडा स्तन!! उसे छूते ही शीला की चुत का दूध टपकने लगा..कुछ देर के लिए तो शीला रूखी के स्तन को बस सहलाती ही रही..
"सहला क्यों रही हो भाभी? दबाओ ना!!" रूखी ने कहा
शीला रूखी की बगल में बैठ गई.. और धीरे धीरे रूखी के स्तन को दबाने लगी.. शीला ने ब्लू फिल्मों में कई बार लेस्बियन द्रश्य देखे थे... और दो साल से, अपनी पति की गैर-मौजूदगी में उसकी हालत खराब हो गई थी... जैसा आपने पहले पढ़ा ही है
बिना रूखी की अनुमति के शीला ने उसका दूसरा स्तन भी चोली से बाहर निकाल दिया... रूखी की निप्पल पर दूध की बूंद उभर आई...
"आया आया दूध... अब निकलेगा... और दबाइए भाभी पर जरा धीरे से.. दर्द हो रहा है... और ध्यान से... कहीं इसकी पिचकारी आपकी साड़ी पर ना गिरे.."
रूखी ने अपनी आँखें बंद कर ली। शीला अब स्तनों को दबाने के साथ साथ खेल भी रही थी। रूखी की बंद आँखें देखकर वह समझ गई की वह भी उत्तेजित हो गई थी।
शीला ने पूछा "क्या हुआ रूखी? आँखें क्यों बंद कर दी? बहोत दर्द हो रहा है क्या?"
"नही नही भाभी... अमम कुछ नही.. "
"नही, पहले तू बता... आँखें क्यों बंद कर दी?" शीला अड़ी रही
"वो तो.. ही ही ही.. जाने भी दीजिए न.. आप समझ रही है फिर भला क्यों पूछ रही हो?"
"सच बता... मजा आ रहा है.. अपने पति की याद आ रही है... है ना..!!"
"वो तो भाभी... काफी महीनों के बाद किसी के हाथ ने छातियों को छुआ.. तो थोड़ा बहोत तो होगा ही ना!"
"क्यों? तेरा मरद दबाता नही है क्या?"
"क्या बताऊँ भाभी!! वो तो पूरा दिन खेत में काम करके ऐसा थक जाता है की रात होते ही घोड़े बेचकर सो जाता है.. कभी कभी जब छाती में ज्यादा दूध भर जाएँ और में उन्हे जगाऊँ तो थोड़ा बहोत चूस लेते है... बस इतना ही"
"पर मरद जब दबाता है तब मजा तो बहोत आता है... है ना!!"
"वो तो है... आप भी कैसा सहला रही हो.. क्या क्या याद आ गया मुझे" रूखी ने शरमाते हुए कहा
"रूखी, मेरा पति दो सालों से देश के बाहर है.. मुझे याद नही आता होगा.. सोच जरा!!"
"याद तो आपको जरूर आता होगा भाभीजी"
"रूखी, में तेरा दूध चखकर देखूँ? मैंने कभी खुद का दूध भी कभी नही चखा था.. पता नही कैसा स्वाद होगा इसका?"
"थोड़ा सा मीठा मीठा लगता है भाभी"
शीला जानबूझकर यह सारी बातें कर रही थी ताकि रूखी को गरम कर सके... और फिर वह अपना दांव खेल पाएं
रूखी की आँखें फिर से लगभग बंद हो गई.. तभी शीला ने रूखी की सख्त निप्पल को अंगूठे और उंगली के बीच दबाकर मसल दिया..
"ओह्ह भाभी... पता नही आज क्या हो रहा है मुझे!!!" रूखी ने शीला की जांघों पर हाथ रखते हुए कहा
शीला के शरीर को किसी ने दो सालों से छुआ नही था... शीला की जिस्म की आग भड़क गई.. उसने रूखी की निप्पल को पकड़कर खींचा
"ऊई माँ... भाभी.. दुखता है मुझे" रूखी ने कहा
शीला की हथेली रूखी के दूध से भर गई.. उस दूध को शीला ने रूखी के गालों पर चुपड़ दिया... जैसे दोनों हाथों से रंग लगा रही हो.. गाल पर नाक पर होंठ पर... पूरे चेहरे पर उसने रूखी के दूध को मल दिया.।
पिछले चार महीनों से दबी हुई रूखी की चुत की खुजली की स्प्रिंग, इसके साथ ही उछल पड़ी
उसने शीला से कहा.. "भाभी, आप दूध चखना चाहती थी तो... चखिए ना..!!"
शीला समझ गई... की रूखी उसे अपने स्तन चूसने का खुला निमंत्रण दे रही थी.. पर शीला एक नंबर की मादरचोद है.. वह ऐसे अपने पत्ते खोलने वालों में से नही थी
शीला ने रूखी के गालों पर लगे दूध को अपनी जीभ से चाटना शुरू कर दिया... शीला की गरम जीभ का स्पर्श अपने गालों पर होती ही रूखी बेकाबू होने लगी। उसने शीला के सिर को पकड़ लिया और फिर "आहह आहहह ओह्ह ओह्ह" करते सिसकियाँ भरने लगी।
"रूखी, तू भी मेरे दबा दे" शीला ने फुसफुसाते हुए रूखी के कानों में कहा
"ओह भाभी... मन तो मेरा कर रहा था पर आपसे कहने में शर्म आ रही थी" कहते ही रूखी ने शीला के गाउन में हाथ घुसाकर उसके मम्मों को पकड़ लिया
कुछ महीनों पहले ही हुई डिलीवरी के कारण.. रूखी भी काफी महीनों से बिना चुदे तड़प रही थी... उसने शीला के दोनों बबलों को दबाते हुए अपने चूतड़ को.. नीचे सोफ़े पर रगड़ना शुरू कर दिया... इतनी तेज खुजली होने लगी थी उसे... शीला सब समझ गई.. और अब वह दोनों अपनी भूख और आग को शांत करने में मशरूफ़ हो गई।
शीला अब खड़ी हो गई... और उसने अपना गाउन उतार दिया... और मादरजात नंगी हो गई। शीला के गोरे गदराए बदन को रूखी देखती ही रह गई।
"रूखी, में दो साल से भूखी हूँ.. मुझसे अब ओर रहा नही जाता... आहहह" कहते ही शीला ने झुककर रूखी के होंठों को एक गाढ़ चुंबन दे दिया।
"भाभी, आहहह... मुझे भी... आहह.. कुछ कुछ हो रहा है.. हाये.. मर गई.."
शीला ने रूखी का हाथ पकड़कर अपनी बिना झांटों वाली बुर पर रख दिया.. "ओह रूखी... इसके अंदर आग लगी हुई है.. ऐसा लग रहा है जैसे ज्वालाएं निकल रही है.. कुछ कर रूखी.. आहहह"
रूखी ने शीला की कामरस से गीली हो चुकी चुत पर हाथ फेरा.. दूसरे हाथ से उसने शीला के कूल्हों को चौड़ा कर उसकी गाँड़ के छेद पर उंगली फेर दी.. और शीला को अपनी ओर खींच लिया.. और बोली
"भाभी... मेरे भी कपड़े उतार दो न!!"
शीला को बस इसी पल का इंतज़ार था.. उसने तुरंत रूखी की चोली के बचे-कूचे हुक निकाल कर उतार दिया... और उसकी चुनरी घाघरा भी उतरवा दिया.. और रूखी को सम्पूर्ण नंगी कर दी..
शीला ने रूखी को अपनी बाहों में कसकर जकड़ लिया.. दोनों औरतें... हवस में इतनी लिप्त हो गई की शीला अपनी चुत पर रूखी की कडक निप्पल को रगड़ने लगी... और रूखी, शीला के स्तनों को चाटते हुए निप्पल को चूसने लगी।
"भाभी, अब और बर्दाश्त नही होगा.. बहोत दिन हो गए है.. अपनी उँगलियाँ डाल दीजिए अंदर.. ओह ओह्ह.. भ.. भाभी.. ऊई माँ... पता नही क्यों आज इतनी चूल मची हुई है अंदर!! रहा ही नही जाता.. हायय..." रूखी तीव्रता से अपनी चुत को शीला के स्तनों पर रगड़ते हुए उल-जुलूल बकवास कर रही थी।
शीला भी... रूखी की चुत में दो उँगलियाँ डालकर अंदर बाहर कर रही थी... साथ ही वह रूखी की मांसल जांघों को अपनी मुठ्ठी से नोच रही थी। रूखी भी अब शीला के स्तनों पर टूट पड़ी.. इस हमले से शीला बेहद उत्तेजित हो गई.. कूदकर अपने दोनों पैर उसने रूखी के कंधों के इर्दगिर्द लगा दिए.. और वहीं लेट गई.. शीला का भोसड़ा रूखी के मुंह के करीब आ गया।
रूखी कुछ समझ सके उससे पहले शीला ने अपना तपता हुआ भोसड़ा रूखी के मुंह पर दबा दिया.. अब रूखी के पास उसे चाटने के अलावा ओर कोई विकल्प नही था। उसकी जीभ काम पर लग गई और शीला के गुलाबी भोसड़े को चाटने लगी। चाटते चाटते रूखी ने अपने चूतड़ों को एक फुट ऊपर कर दिया... शीला समझ गई की रूखी भी उसकी तरह झड़ने की कगार पर थी। शीला ने रूखी की चुत में एक साथ चार उँगलियाँ घोंप दी.. और रूखी का क्लिटोरिस मुंह में लेकर अपनी जीभ से ठेलने लगी..
"ऊई.. भाभी... हाँ बस वहीं पर... वैसे ही करते रहिए.. याईईई... मसल दो मेरे बेर को.. हाँ वहीं पर.. हाय.. बहोत खुजली हो रही है.. आज तो चबा चबा कर मेरे जामुन को चूस लो भाभी... ऐसा मजा तो पहले कभी भी नही आया... हाय भाभी... ऊई माँ.. में गई भाभीईईईईई... !!" कहते हुए रूखी थरथराने लगी और झड़ गई
शीला भी कहाँ पीछे रहने वाली थी!! उसने भी रूखी के मुंह पर चुत रखकर अपनी टंकी खाली कर दी..
दोनों औरतें काफी वक्त तक ऐसे ही पस्त पड़ी रही
"मज़ा या गया भाभी... कितने दिनों से कुछ करने का मन कर रहा था... पर क्या करती!! कीससे कहती!!" रूखी ने कहा
"रूखी, तेरा जोबन तो इतने कमाल का है... तेरा पति तुझे नंगी देखकर जबरदस्त गरम हो जाता होगा!!"
"भाभी, शुरू शुरू में तो वह दिन में तीन बार, मेरी टांगें चौड़ी कर गपागप चोदता था... पर जब में पेट से हो गई.. तब से उसने चोदना बंद कर दिया.. बच्चा हुए इतने महीने हो गए फिर भी अब तक हरामी ने नीचे एक बार ठीक से हाथ तक नही फेरा है"
ऐसे ही बातचीत करते रहने के बाद रूखी चली गई। उसके साथ हुए इस मजेदार संभोग को याद करते करते शीला ने रात का खाना खाया और सो गई। बिस्तर पर लेटकर आँखें बंद करते ही उसे रूखी के मदमस्त गदराए मोटे मोटे स्तन नजर आने लगे... आहह.. कितने बड़े थे उसके स्तन... उसकी नंगी छातियों के उभार को देखकर ही मर्दों के कच्छे गीले हो जाएँ.. नीलगिरी के पेड़ के तने जैसी उसकी जांघें.. बड़े बड़े कूल्हें.. भारी कमर.. आहह.. सबकुछ अद्भुत था... !! हालांकि गंवार रूखी को ठीक से चुंबन करना नही आता था.. और वह चुत चाटने में भी अनाड़ी थी.. यह बात शीला को खटकी जरूर थी.. हो सकता है लंड चूसने में माहिर हो.. पर क्या रूखी ने कभी लेस्बियन अनुभव कीया होगा पहले? वैसे तो शीला के लिए भी यह प्रथम अनुभव था.. पर उसने ब्लू फिल्मों में ऐसे कई द्रश्य पहले देखे हुए थे.. तो उसे प्राथमिक अंदाजा तो था ही.. हो सकता है रूखी ने भी कभी ऐसी फिल्में देखी हो..उसके पति ने उसे इतनी बार ठोका है तो मोबाइल में बी.पी. भी दिखाया ही होगा..