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Adultery शीला की लीला (५५ साल की शीला की जवानी)

Rajizexy

❣️and let ❣️
Supreme
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Story updated...

Napster Ajju Landwalia Rajizexy Smith_15 krish1152 Rocky9i crucer97 Gauravv liverpool244 urc4me SKYESH sunoanuj Sanjay dham normal_boy Raja1239 CuriousOne sab ka pyra Raj dulara 8cool9 Dharmendra Kumar Patel surekha1986 CHAVDAKARUNA Delta101 rahul 23 SONU69@INDORE randibaaz chora Rahul Chauhan DEVIL MAXIMUM Pras3232 Baadshahkhan1111 pussylover1 Ek number Pk8566 Premkumar65 Baribrar Raja thakur Iron Man DINNA Rajpoot MS Hardwrick22 Raj3465 Rohitjony Dirty_mind Nikunjbaba brij1728 Rajesh Sarhadi ROB177A Tri2010 rhyme_boy Sanju@ Sauravb Bittoo raghw249 Coolraj839 Jassybabra rtnalkumar avi345 kamdev99008 SANJU ( V. R. ) Neha tyagi Rishiii Aeron Boy Bhatakta Rahi 1234 kasi_babu Sutradhar dangerlund Arjun125 Radha Shama nb836868 Monster Dick Rajgoa anitarani Jlodhi35 Mukesh singh Pradeep paswan अंजुम Loveforyou Neelamptjoshi sandy1684 Royal boy034 mastmast123 Rajsingh Kahal Mr. Unique Vikas@170 DB Singh trick1w Vincenzo rahulg123 Lord haram SKY is black Ayhina Pooja Vaishnav moms_bachha@Kamini sucksena Jay1990 rkv66 Hot&sexyboy Ben Tennyson Jay1990 sunitasbs 111ramjain Rocky9i krish1152 U.and.me archana sexy vishali robby1611 Amisha2 Tiger 786 Sing is king 42 Tri2010 ellysperry macssm Ragini Ragini Karim Saheb rrpr Ayesha952 sameer26.shah26 rahuliscool smash001 rajeev13 kingkhankar arushi_dayal rangeeladesi Mastmalang 695 Rumana001 sushilk satya18 Rowdy Pandu1990 small babe CHETANSONI sonukm Bulbul_Rani shameless26 Lover ❤️ NehaRani9 Random2022 officer Rashmi Hector_789 komaalrani ra123hul
Super dupr gazab update
👌👌👌🌶️🌶️🌶️

Shila ke sath sirf Kavita ko hi nhi sab ko mza aata hai vakharia devar ji
 
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Ek number

Well-Known Member
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पिछले अपडेट में आपने पढ़ा की शीला आखिर कविता को लेकर रसिक के खेत पहुँच ही गई.. रसिक के मना करने पर केवल कविता ही कमरे में गई और शीला दूर गाड़ी के पास इंतज़ार करती रही.. उस दौरान कुछ गंवार लफंगे मर्द शीला का पीछा करने लगे.. घबराकर शीला तेजी से रसिक के खेत की ओर गई.. गनीमत थी की एन मौके पर रसिक बाहर आ गया और वो पीछा करने वाले उलटे पाँव लौट गए.. संतुष्ट होकर कविता शीला के साथ वापिस लौटी.. रात को साथ सोते वक्त, शीला ने कविता के संग भरपूर मजे किए..

अब आगे...
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राजेश के आगोश में लेटी हुई नंगी फाल्गुनी उसकी छाती के बाल से खेल रही थी.. पिछले आधे घंटे से चल रही धुआंधार चुदाई अभी अभी खतम हुई थी.. दोनों उसकी थकान उतार रहे थे.. फाल्गुनी के मस्त चूचियों की निप्पल से अटखेलियाँ करते हुए राजेश उसे चूम रहा था

"पता है.. आज शीला भाभी आई थी" राजेश के मुरझाए लंड को अपनी उंगलियों पर लेते हुए फाल्गुनी ने कहा

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"शीला यहाँ..!! क्या करने आई है वो?" राजेश ने चोंककर पूछा

"वो तो पता नहीं.. कविता दीदी के घर रुकी हुई है.. आज मैं मौसम की मम्मी से मिलने गई तब वहाँ आई थी.. ऐसे शक की निगाहों से देख रही थी मुझे..!! मैं तो वहाँ से तुरंत खड़ी होकर निकल गई" फाल्गुनी ने कहा

"शीला का कोई टेंशन मत लो.. उसे पता भी चला, तो मैं संभाल लूँगा" राजेश ने बड़े ही इत्मीनान से कहा

"पर अंकल, अब इस तरह मिलना मुश्किल होता जा रहा है.. कितनी बार बहाने बनाऊँ मम्मी के सामने? मैं आप से कह रही हूँ की मुझे वो कोर्स जॉइन कर लेने दीजिए.. ताकि मैं पी.जी. में जाकर रह सकूँ और हम दोनों जब मर्जी आराम से मिल सके" फाल्गुनी ने कहा

"अरे फाल्गुनी, मैंने तुझसे कहा तो है.. मैंने कुछ सोचकर रखा है.. ऐसा सेटिंग हो जाएगा की तुम्हें कुछ करने की जरूरत ही नहीं पड़ेगी" राजेश ने कहा

"सोचा है.. सोचा है.. कहते रहते हो.. पर क्या सोचा है, ये क्यूँ नहीं बताते?" फाल्गुनी ने नाराज होते हुए कहा

राजेश ने मुस्कुराकर जवाब दिया "मैं तुम्हें अपनी कंपनी में नौकरी देना चाहता हूँ.. तेरे रहने का भी इंतेजाम कर दूंगा.. फिर कोई टेंशन नहीं.. न घर की और न मम्मी पापा की.. हम जब चाहे साथ रह सकेंगे और जहां चाहे मिल भी सकेंगे"

फाल्गुनी को अपने सुने पर विश्वास नहीं हो रहा था "क्या सच में..!! ऐसा हो सकता है..!!"

राजेश: "हाँ क्यों नहीं.. देख, यहाँ बार-बार आना जाना लंबे समय तक मुमकिन नहीं होगा.. एक बार पीयूष वापिस लौट आया, तो यहाँ आने का मेरे पास कोई बहाना भी नहीं बचेगा.. तूम वहाँ रहोगी तो पूरा दिन हम ऑफिस में साथ रह पाएंगे..कोई रोक-टोंक नहीं और यहाँ किसी को शक भी नहीं होगा"

थोड़े से चिंतित स्वर में फाल्गुनी ने कहा "दूसरे शहर भेजने के लिए मम्मी पापा मानेंगे भी या नहीं, यह भी एक सवाल है"

राजेश: "अरे, आजकल तो लड़कियां शहर से दूर रहकर पढ़ती भी है और नौकरी भी करती है.. तू मनाएगी तो वो मान जाएंगे"

फाल्गुनी: "हाँ, मनाना तो पड़ेगा, लेकिन आप कुछ दिन रुक जाइए.. मम्मी की तबीयत अभी ठीक नहीं चल रही है.. वो थोड़ा सा संभल जाएँ फिर मैं बात करती हूँ"

फाल्गुनी से लिपटकर उसके स्तन दबाते हुए राजेश ने कहा "ओके जान.. जैसा तुम ठीक समझो"

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फाल्गुनी के कठोर उरोजों की छुअन राजेश के शरीर में बिजली की तरंग पैदा कर रही थी.. उसके निप्पल तन कर उसकी छाती में चुभ रहे थे.. राजेश ने उसकी छातियों पर अपना हाथ लगाया और सहलाया.. उसके दोनों स्तनों के बीच की जगह पर चुम्बन ले लिया..

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राजेश ने फाल्गुनी की निप्पलों को उँगलियों से सहलाया और फिर मुँह झुका कर एक निप्पल को मुँह में भर लिया.. फाल्गुनी के मुँह से आहहह निकली.. राजेश ने उसकी निप्पल को चुसना शुरु कर दिया..

फाल्गुनी भी उत्तेजना के कारण कांप सी रही थी उसके हाथ राजेश की छाती पर घुम रहे थे.. राजेश ने उसके दूसरे निप्पल को मुँह में ले कर चुसना शुरु कर दिया और फिर उसके पुरे उरोज को मुँह में भर लिया.. फाल्गुनी का काँपना बढ़ गया.. उसने सिहरते हुए राजेश के बाल पकड़ लिए

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राजेश ने अपना उभरा हुआ लंड उस की जाँघों के बीच रगड़ना शुरू कर दिया.. लंड अब उसकी उभरी हुयी डबलरोटी जैसी चूत पर दस्तक देने लगा था.. राजेश अब फाल्गुनी की दोनों जांघों के बीच बैठ गया और धीरे से अपना मुंह उसकी चूत के बिल्कुल करीब ले गया.. लाल गुलाबी चूत का संकुचन उसमें से प्रवाही बहा रहा था.. राजेश ने उस हल्के बालों से ढ़की चूत को चुम लिया.. वहाँ नमी थी और चूत के द्रव्य का खारा स्वाद उसकी जीभ को मिल गया.. फाल्गुनी की मुनिया को ऊपर से नीचे तक जीभ से चाटते हुए चूत के दोनों फलकों को खोल कर अपनी जीभ उन के अंदर डाल दी.. इस से फाल्गुनी के शरीर में एक तेज तरंग सी उठी.. राजेश ने अब जोर-जोर से चाटना शुरु कर दिया.. फाल्गुनी अपनी आँखें बंद कर के लेटी हुई थी..

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अब अपना मुंह चूत से हटाते हुए राजेश उसकी जाँघों के बीच बैठ गया.. अपने ६ इंच के कठोर लंड को उसकी नाजुक चूत के मुख पर रख कर नीचे ऊपर किया और फिर लिंग के सुपाड़े को हाथ से पकड़ कर योनिद्वार पर रख कर दबाया.. फाल्गुनी की चिपचिपी चूत का मुँह बहुत कसा हुआ था.. लंड का सुपाड़े उस मुलायम चूत में एक धक्का देते ही अंदर घुस गया..

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फाल्गुनी की चूत बहुत कसी हुई थी और उसकी मांसपेशियों का कसाव, राजेश अपने लंड पर महसूस कर पा रहा था.. कसी हुई चूत राजेश के लंड को मथ सा रही थी.. अपने कुल्हों को ऊपर उठा कर राजेश ने जोर से धक्का दिया और वो फाल्गुनी की मुनिया में पुरा समा गया..

राजेश ने उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिये और धनाधन पेलने लगा.. फाल्गुनी के दोनों स्तनों को दबाते हुए उसने धक्कें लगाने शुरु कर दिये.. कसी हुई चूत में लंड बहुत कस कर जा रहा था उस पर बहुत घर्षण भी हो रहा था.. फाल्गुनी के हाथ राजेश के कुल्हों पर आ गये थे.. अब वह भी अपने कुल्हों को उठा कर उसका साथ देने लगी.. दोनों धीरे-धीरे संभोग में लगे रहे.. कुछ ही देर में ही दोनों पसीने से नहा गये थे..

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लगभग दस-बारह मिनट तक दोनों संभोग में लगे रहे.. फाल्गुनी का सारा शरीर सनसना सा गया.. राजेश जब झड़ने की कगार पर आ गया तो उसने अपना लंड चूत से बाहर निकाल लिया और हिलाते हुए फाल्गुनी के बबलों पर ही स्खलित होने लगा.. लंड से निकल कर गर्म वीर्य फाल्गुनी की कमर पर गिर रहा था.. फाल्गुनी की चूत से भी पानी रिस रहा था.. थककर राजेश उस की बगल में लेट गया.. यही हालत फाल्गुनी की भी थी..

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दूसरी सुबह शीला और कविता, सोफ़े पर बैठ के गरम चाय की चुस्कीयां ले रहे थे

कविता: "भाभी, मज़ा आ गया कल तो.. पूरा शरीर हल्का हल्का सा लग रहा है"

शीला ने हँसते हुए कहा "रसिक के मूसल से सर्विसिंग हो जाए तो अच्छे अच्छों के शरीर हल्के पड़ जाते है"

कविता ने शरमाते हुए कहा "मुझे तो कल रात आप के साथ भी बड़ा मज़ा आया.. काश हम साथ में रहते होते तो कितना मज़ा आता"

शीला: "तो आजा वापिस अपने पुराने घर.."

एक लंबी सांस भरते हुए कविता ने कहा "अब वो पुराने दिन तो वापिस आने से रहे.. यहाँ इतना सब कुछ छोड़कर वहाँ आना अब तो मुमकिन नहीं है"

शीला: "हम्म.. बात तो तेरी सही है"

तभी शीला का फोन बजा.. वैशाली का फोन था

शीला ने फोन उठाकर कहा "हाँ बेटा.. कैसी है तू? पिंटू की तबीयत कैसी है?"

आगे वैशाली ने जो कहा वो सुनकर शीला के चेहरे से नूर उड़ गया.. चिंता और डर की शिकन से उसका चेहरा मुरझा सा गया

कविता अचंभित होकर शीला के बदलते हावभाव को देख रही है

शीला: "तू चिंता मत कर बेटा.. कुछ नहीं होगा.. मैं थोड़ी देर में निकालकर वहाँ पहुँचती हूँ.. और पापा को भी फोन कर देती हूँ.. सब ठीक हो जाएगा"

शीला ने फोन रख दिया

कविता ने बड़े ही चिंतित स्वर में कहा "क्या हुआ भाभी?"

शीला: "पिंटू के फोन पर उस इंस्पेक्टर तपन देसाई का फोन आया था.. जिन हमलावरों ने पिंटू पर हमला किया था उनकी शिनाख्त हो चुकी है.. पुलिस ने सारे सीसीटीवी फुटेज छान मारे.. आगे जाकर हाइवे पर जब दोनों ने अपने मास्क उतारे तब उनके चेहरे सीसीटीवी में नजर आ गए.. वो संजय और हाफ़िज़ थे जिन्होंने हमला किया था"

कविता ने चोंककर कहा "संजय मतलब?? वैशाली का पुराना पति??? और ये हाफ़िज़ कौन है?"

शीला: "उसका साथी.. ड्राइवर है.. संजय के सभी कारनामों मे उसके साथ होता है!!"

कविता: "तो क्या पुलिस वालों ने उन्हें पकड़ लिया?"

शीला: "नहीं.. इतने दिनों बाद जाकर सिर्फ पहचान ही हो पाई है.. अब वो उन्हें पकड़ने की कारवाई भी करेंगे"

कविता: "बाप रे..!! बड़ा ही कमीना निकला ये संजय तो.. तलाक हो जाने के बाद भी वैशाली को तंग करने पीछे पड़ा हुआ है.. जल्द से जल्द पकड़ा जाए तो अच्छा है.. कहीं उसने फिर से कुछ कर दिया तो??"

शीला: "ऐसा कुछ नहीं होने दूँगी.. पर अब वैशाली और पिंटू का वहाँ रहना खतरे से खाली नहीं है.. मैं अच्छे से जानती हूँ उस हरामखोर संजय को.. वो कमीना कुछ भी कर सकता है..!!"

कविता ने घबराते हुए कहा "तो फिर अब क्या होगा भाभी?"

शीला: "देख कविता.. अब मैंने तुझे जो बात कही थी पिंटू की नौकरी के बारे में.. वो अब जल्द से जल्द करना होगा.. तू हो सके उतना जल्दी पीयूष से बात कर.. पिंटू अपना शहर बदल ले और यहाँ आ जाए उसी में उसकी भलाई है.. और यहाँ तो उसका घर भी है..!! बस इतना काम कर दे मेरा तू"

कविता: "आप जरा भी चिंता मत कीजिए भाभी.. मैं आज ही पीयूष से व्हाट्सएप्प पर बात करती हूँ"

शीला: "मुझे भी मदन को फोन करके यह सब बताना पड़ेगा.. मैं अभी निकलती हूँ.. बस पकड़कर जल्दी से घर पहुँच जाती हूँ.. वैशाली बेचारी अकेले अकेले डर के मारे परेशान हो रही होगी"

कविता: "आप कहो तो मैं आकर आपको छोड़ दूँ?"

शीला: "नहीं.. मैं बस से चली जाऊँगी.. तू बस पीयूष से बात कर और इस मामले को जल्दी से जल्दी निपटा.."

कविता: "आप चिंता मत कीजिए भाभी.. सब कुछ हो जाएगा.. पीयूष को मैं कैसे भी मना लूँगी"

शीला फटाफट तैयार हुई और बस अड्डे जाने के लिए निकल गई.. जो पहली बस मिली उसमे बैठ गई.. करीब साढ़े तीन घंटों के सफर के बाद वह पहुँच गई.. आनन फानन में ऑटो पकड़कर वो घर आई.. अपने घर जाने के बजाय वो सीधे वैशाली के घर गई

शीला को देखते ही वैशाली उससे लिपट गई..

शीला: "चिंता मत कर बेटा.. अब मैं आ गई हूँ.. कुछ नहीं होने दूँगी"

वैशाली: "कैसे गंदे आदमी से पाला पड़ गया है..!! तलाक के बाद भी मेरा पीछा नहीं छोड़ रहा"

तभी पिंटू बाहर आया

शीला: "अब कैसी तबीयत है तुम्हारी?"

पिंटू के गले और हाथ पर पट्टियाँ बंधी हुई थी

पिंटू: "ठीक है.. कल डॉक्टर को दिखाकर आए.. अब सिर्फ एक और बार ड्रेसिंग होगा फिर पट्टियाँ खुल जाएगी"

शीला: "तुम अभी आराम करो और किसी भी बात की कोई चिंता करने की जरूरत नहीं है"

पिंटू: "अब पुलिसवाले जल्द से जल्द उन्हें पकड़ ले तो अच्छा है"

शीला: "पकड़े जाएंगे.. इंस्पेक्टर मदन का दोस्त है.. मैंने आते आते मदन से बात कर ली है.. वो उनके दोस्त से बात कर रहे है.. मदन ने यह भी कहा की वो जल्दी ही वापिस लौट आएगा.. उनका काम लगभग खतम होने को है"

वैशाली: "मम्मी, मुझे तो बहोत डर लग रहा है.. वो कहीं फिर से यहाँ न आ जाएँ"

शीला: "तू टेंशन मत ले.. मैंने कुछ सोचा है इस बारे में.. वो काम हो गया तो तुम्हें फिर कभी चिंता करने की जरूरत नहीं पड़ेगी"

वैशाली और पिंटू को दिलासा देकर शीला अपने घर चली आई.. घर आकर वह बैठे बैठे आगे के बारे में सोचने लगी.. वो सोच रही थी की जल्द से जल्द पिंटू की नौकरी पीयूष की कंपनी में लग जाएँ तो काफी सारी समस्याएं हल हो सकती थी.. वह दोनों सलामत हो जाएंगे और यहाँ शीला अपनी पुरानी ज़िंदगी में वापिस लौट सकती थी.. शीला को लग रहा था जैसे उसका दिमाग ही काम न कर रहा हो.. और उसकी वजह भी उसे पता थी.. उसकी चुत भोग मांग रही थी.. जब काफी दिन तक अच्छी चुदाई न हुई हो तो शीला का दिमाग काम करना बंद कर देता था

फिलहाल शीला के कामुक भोसड़े को तृप्त कर सकें ऐसा एक ही विकल्प था.. और वो था रसिक..!! पर वो अब शीला से दूरी बनाए हुए थे.. बेरुखी से बात करता था.. शीला को लगता नहीं था की उसके बुलाने से वो आएगा..

फिर भी शीला ने उसे कॉल किया.. रसिक ने उठाया नहीं.. अगले एक घंटे में शीला ने १० से १२ बार कॉल किया पर रसिक ने एक बार भी नहीं उठाया.. शीला थक गई.. सफर और तनाव के चलते उसकी आँखें बंद होने लगी थी

शीला बेडरूम में पहुंची और बिस्तर पर लेट गई.. कब उसकी आँख लग गई, उसे पता ही नहीं चला..!! शाम के करीब ७ बजे उसकी आँख खुली..!! वह उठकर वॉश-बेज़ीन की ओर गई और ठंडे पानी से अपना चेहरा धोया..!! अच्छी खासी नींद लेने के बाद उसे काफी ताज़ा महसूस हो रहा था..

किचन में जाकर अपने लिए एक गरम कडक चाय का प्याला बना लाई वो.. और सोफ़े पर बैठकर आराम से चुसकियाँ लेने लगी.. थकान उतर चुकी थी और अब नए सिरे से उसके भोसड़े में सुरसुरी होना शुरू हो गया था..

शीला ने अपना ध्यान भटकाने की नाकाम कोशिशें की.. फोन पर सहेलियों से गप्पे लड़ाएं.. टीवी देखा.. पर कहीं मन लग नहीं रहा था..!! जैसे शरीर के किसी हिस्से में दर्द हो तो मन घूम-फिर कर वहीं जाकर अटकता है.. बिल्कुल वैसे ही.. शीला का मन उसकी बुदबुदाती हुई चूत पर ही जाकर रुक जाता था.. बहोत कोशिश की शीला ने अपने गुप्तांग को समझाने की.. पर सब कुछ निरर्थक था.. और यह शीला भी जानती थी..!! शीला का भोसड़ा.. जंगल के उस दानव की तरह था जो एक बार जाग जाए तो बिना भोग लिए मानता नहीं है..

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जैसे तैसे करके शीला ने कुछ घंटे निकाले.. वैशाली के घर जाकर रात का खाना भी खा लिया.. वापिस आई तब तक दस बज चुके थे.. घर बंद कर बैठी शीला फिर से टीवी देखने लगी.. करीब एक घंटे तक वो चैनल बदलती रही.. एक अंग्रेजी एक्शन मूवी उसे दिलचस्प लगी.. वह काफी देर तक मूवी देखती रही.. फिल्म के एक द्रश्य में नायक एक लड़की के साथ संभोगरत होते दिखाया गया.. इतना गरमा-गरम सीन था की देखते ही शीला अपनी जांघें रगड़ने लग गई.. उसने तुरंत टीवी बंद कर दिया और सोफ़े पर ही लेट गई..

हवस की गर्मी उसकी बर्दाश्त से बाहर हो रही थी.. वह लेटे लेटे अपने विराट स्तनों को दोनों हाथों से मसल रही थी.. उसने अपनी साड़ी और पेटीकोट कमर तक उठा लिए और पेन्टी में हाथ डालकर चूत की दरार में उँगलियाँ रगड़ने लगी.. इतना चिपचिपा प्रवाही द्रवित हो रहा था की पेन्टी बदलने की नोबत आ चुकी थी..

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काफी देर तक शीला अपने भोसड़े को उंगलियों से कुरेदकर शांत करने की कोशिश करती रही.. पर उसकी भूख शांत होने के बजाय और भड़क गई.. वासना की आग में झुलसते हुए शीला बावरी सी हो गई.. क्या करूँ.. क्या करूँ..!!! उसने अपने आप से पूछा.. अभी उसका हाल ऐसा था की अगर वैशाली घर पर नहीं होती तो वो पिंटू को पकड़कर उससे चुदवा लेती.. मदन अमरीका था.. राजेश वहाँ फाल्गुनी की फुद्दी का नाप ले रहा था.. रघु या जीवा को घर पर बुलाना मुमकिन नहीं था.. शीला पागल सी हुए जा रही थी..!!!

शीला ने एक कठिन निर्णय लिया.. वह उठी और बाथरूम में घुसी.. चूत के रस से लिप्त पेन्टी उतारकर उसने अपना भोसड़ा पानी और साबुन से अच्छी तरह धोया.. नई पेन्टी पहनी और एक छोटे सी बेग में एक जोड़ी कपड़े और अपना पर्स लेकर निकल पड़ी
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vakharia

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उम्र की दीवारें: आकर्षण, अनुभव और जिम्मेदारी का संगम

मानवीय आकर्षण की प्रकृति जटिल है, और कभी-कभी व्यक्ति अपने से काफी अधिक अधिक उम्र के व्यक्ति के प्रति आकर्षित हो जाता है। यह किसी युवा कॉलेजियन लड़के का किसी भाभी के प्रति या फिर किसी नौजवान लड़की के प्रौढ़ उम्र के पुरुष के प्रति होता देखा जाता है। यह प्रक्रिया मनोविज्ञान, सामाजिक गतिशीलता और व्यक्तिगत अनुभवों से प्रभावित होती है।

फ्रायड के 'इलेक्ट्रा' या 'ओडिपस कॉम्प्लेक्स' जैसे सिद्धांतों के अनुसार, कुछ लोग अपने माता-पिता जैसी छवि वाले बड़े व्यक्तियों के प्रति आकर्षित होते हैं। यह सुरक्षा, देखभाल और मार्गदर्शन की इच्छा से जुड़ा हो सकता है। वरिष्ठ व्यक्ति में जीवन का अनुभव, आत्मविश्वास और भावनात्मक संतुलन होता है, जो युवा साथी को सुरक्षित महसूस कराता है। आर्थिक और सामाजिक स्थिरता भी एक आकर्षण का कारण बन सकती है। कुछ युवा वरिष्ठ साथी को 'रहस्यमय' या 'विश्वासपात्र' मानते हैं, जो उन्हें जीवन के नए आयाम दिखा सकता है। कभी-कभी यह आकर्षण समाज के नियमों को चुनौती देने की इच्छा से भी जुड़ा होता है। वहीं दूसरी ओर, उस वरिष्ठ व्यक्ति को अपने से छोटे व्यक्ति का आकर्षण पाना कई बार आत्म-सम्मान को बढ़ाता है और व्यक्ति को युवा महसूस कराता है। कभी-कभी उम्रदराज व्यक्ति को अपने जीवन में भावनात्मक खालीपन महसूस होता है, जिसे युवा साथी से भरने की कोशिश की जाती है। दोनों पक्ष एक-दूसरे से जीवन के अलग-अलग दृष्टिकोण सीख सकते हैं। अनुभव और ताजगी का मेल कई बार संबंध को संतुलित और रोचक बना सकता है।

ऐसे संबंधों से जुड़े कुछ लाभ इनका कारण हो सकते है.. जैसे, वरिष्ठ साथी जीवन के उतार-चढ़ाव को बेहतर समझते हैं और भावनात्मक संतुलन प्रदान कर सकते हैं। उनके जीवन की स्थिरता और संसाधनों की उपलब्धता जीवन को सुगम बना सकती है। युवा साथी को जीवन के विभिन्न पहलुओं में अनुभवी मार्गदर्शन मिलता है।

हालांकि, इन संबंधों की कुछ विषमताएँ भी है। समाज अक्सर बड़े आयु-अंतर वाले रिश्तों को संदेह की दृष्टि से देखता है, जिससे मानसिक तनाव उत्पन्न हो सकता है। एक की सेवानिवृत्ति की योजना हो सकती है, जबकि दूसरा अभी करियर के प्रारंभिक चरण में हो। वरिष्ठ साथी का प्रभुत्व या नियंत्रण रिश्ते को असमान बना सकता है। उम्र के साथ शारीरिक क्षमताओं में अंतर साझे जीवन को प्रभावित कर सकता है।

यदि दोनों व्यक्ति परस्पर सम्मान, ईमानदारी और भावनात्मक समझ के साथ संबंध बनाएँ, तो आयु अंतर एक बाधा नहीं रह जाता। हालाँकि, ऐसे संबंधों में संवाद, स्पष्टता और यथार्थवादी अपेक्षाएँ अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। प्रेम की कोई उम्र नहीं होती, परंतु जीवन की व्यावहारिकताओं को नज़रअंदाज़ भी नहीं किया जा सकता।

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vakharia

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एक गरम चाय की प्याली हो..
और उसको पिलाने वाली हो..
चाहे गोरी हो या काली हो...

सीने से लगाने वाली हो...

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