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थोड़ा सब्र कीजिए भाई, आपको पता चल जाएगाभाई अगर शीला नहीं बता रही तो तुम ही reveal कर दटी
Mast planning hai Sheela ki.शीला ने अब अपनी गरम मुठ्ठी में मदन का लंड पकड़कर, ऊपर नीचे करते हुए, सुपाड़े को मुंह मे ले लिया.. शीला के मुंह का गीला गरम स्पर्श, सुपाड़े पर महसूस होते ही मदन ने कमर उचक ली.. थोड़ी ही चुसाई के बाद मदन का शरीर अकड़ने लगा.. होंठ टेढ़े-मेढ़े होने लगे.. और चरम सुख की प्राप्ति की स्वर्गीय अनुभूति को ज्यादा से ज्यादा लंबे समय तक महसूस करने के लिए, उसने अपने शरीर में एक कसाव सा पैदा कर लिया.. जिस तरह ज्वालामुखी में लावारस नीचे से ऊपर की तरफ जाकर बाहर निकलने की कोशिश करता है, बिल्कुल उसी तरह, मदन के गोटों से वीर्य, लंड की मुख्य नस से होते हुए सुपाड़े तक पहुँचने लगा था.. पिचकारी छूटने की बस तैयारी ही थी की तब शीला ने लंड मुंह से निकाल लिया और सुपाड़े को कसकर अपनी मुठ्ठी में भींच लिया.. एक पल के लिए मदन को ऐसा महसूस हुआ की वीर्य के बदले उसके प्राण ही निकल जाएंगे..
किनारे पर लाकर शीला ने उसकी कश्ती डुबो दी.. पर यही तो शीला की स्टाइल थी..!!
शीला ने मदन को अपनी गोद से खड़ा कर दिया.. और सोफ़े पर ही अपनी टांगें पसारकर बैठ गई.. दोनों हथेलियों से अपने भोसड़े को होंठों को चौड़ा कर.. वो मदन को चाटने का इशारा करने लगी.. उसकी चूत इतनी गीली हो गई थी की चूत के शहद की कुछ बूंदें.. उसके फुले हुए होंठों पर चमक रहे थे.. मदन उठा और शीला की दोनों जांघों के बीच अपना चेहरा सेट कर बैठ गया.. जैसे ही उसकी जीभ शीला के गदराए भोसड़े के अंदर घुसी.. शीला की आह्ह निकल गई.. !!
शीला की बुर का कसैला स्वाद लेते हुए मदन अंदरूनी हिस्सों पर अपनी जीभ रगड़ रहा था.. इठलाते और आनंद लेते हुए शीला अपनी चूत से रस की धाराएं बहा रही थी.. चूत के अंदर चाटते हुए मदन ने जब शीला के फूले हुए दाने को दोनों होंठों के बीच रखकर दबाया तब शीला "आईईईई माँ.. !!" कहते हुए चिहुँक उठी.. सिहरन के मारे उसका हाल बेहाल था.. फिर जैसे ही दाने को रगड़ना और चूमना शुरू हुआ.. तो मानों सारे बांध जैसे टूट ही गए.. झरझराती हुए, अटखेलियाँ करते हुए.. शीला की गुफा से स्त्री-वीर्य का झरना सा बहने लगा.. उसका शरीर अकड़कर मानों सिकुड़ रहा हो और भूकंप के झटके लग रहे हो ऐसा लग रहा था.. कपकपाते हुए शरीर ने दर्जनों झूले झूल लिए और रह रह कर गांड में घुस रही मदन की उंगली के साथ, शीला झड़ गई.. !! मदन का मुंह चूत रस से ऐसा सना हुआ था जैसे शिकार खाने के बाद शेर का मुंह खून से लथपथ होता है
करीब आधे मिनट तक उस ऑर्गजम का मज़ा लेने के बाद.. शीला ने आँखें खोली.. और सोफ़े से खड़ी हो गई.. मदन को पता चल गया की अब शीला के भोसड़े को तृप्त करने का समय आ चुका है..
शीला ने मदन को खींचकर सोफ़े पर लेटा दिया.. और खुद ऊपर चढ़ गई.. मदन के लंड के टोपे को हाथ से पकड़कर.. अपने लावा थूक रहे भोसड़े के गरम सुराख पर रख दिया.. थोड़ी देर सुपाड़े को अपने दाने पर रगड़कर उसने छेद के बीच में रख दिया.. और अपने शरीर का सारा वज़न डालते हुए मदन के लंड पर बैठ गई..
भारी भरकम शीला के शरीर का सारा वज़न एक साथ आ जाने से मदन को एक पल के लिए ऐसा लगा जैसे उसका पूरा शरीर ही पिचक गया हो.. वह एक क्षण के लिए प्राणहीन हो गया.. वो संभलता उससे पहले तो शीला ने अपने भारी चूतड़ों को आगे पीछे हिलाते हुए लंड-मंथन शुरू कर दिया..
कुछ देर ऐसा चलता रहा और मदन फिर से एक्टिव हो गया.. शीला के लटक रहे दोनों स्तनों की निप्पलों को पकड़कर खींचते हुए उसने भी नीचे से धक्के लगाने शुरू कर दिए..पर उसकी कोशिशें ऐसी ही थी जैसे छोटा बच्चा बरगद के पेड़ को हिलाने की कोशिश कर रहा हो.. शीला को उसके धक्कों से झांट फरक नहीं पड़ रहा था.. वो तो अपनी मस्ती में.. आँखें बंद कर.. अपने भोसड़े को नीचे घुसे लंड पर रगड़े जा रही थी..
शीला के गरम तंदूर जैसे भोसड़े में इतनी गर्मी थी की उसकी वजह से मदन सिर्फ एक ही मिनट में झड़ गया.. उसने शीला की ओर देखा.. वो तो आँखें बंद कर ऐसे हिल रही थी जैसे पागल घोड़े की सवारी कर रही हो.. मदन का तब तक छुटकारा नहीं होने वाला था जब तक शीला एक बार और स्खलित नहीं हो जाती..!!!!!
लाचार मदन, शीला के बड़े बड़े खरबूझों को अपने चेहरे के सामने उछलते हुए देख रहा था.. तीन मिनट और गुजर गए.. मदन के लंड मे दर्द होने लगा था.. उसका लंड अंदर मुरझा भी चुका था.. इसलिए शीला अब अंदर बाहर करने की जगह.. उस पिचके हुए लंड पर अपनी चूत को रगड़ रही थी..
आखिर शीला की रगड़ने की गति बढ़ी.. वो मदन की छाती को नाखूनों से खरोंचते हुए अपने कूल्हें हिलाए जा रही थी.. उसका पूरा शरीर पसीने से तर होकर चमक रहा था.. मदन नीचे पड़ा पड़ा शीला के इस काम-यज्ञ को लाचार होकर देख रहा था..
एकाध मिनट की अधिक रगड़न के बाद,.. शीला ऐसे थरथराने लगी जैसे उसके अंदर कोई पिशाच घुस गया हो.. पागलों की तरह अपने स्तनों को नोचते हुए शीला आखिर चरमसीमा तक पहुँच ही गई.. !!! वो ऐसे हांफ रही थी जैसे अभी अभी मेरेथॉन दौड़कर आई हो.. उसकी गति धीरे धीरे कम हुई.. और कुछ देर बाद वो मदन की छाती पर गिर गई..
नीचे लेटा हुआ मदन इंतज़ार कर रहा था की कब उसका छुटकारा हो.. सांस लेना भी मुश्किल हो रहा था.. ऊपरवाले ने जैसे उसकी सुन ली हो.. घर की डोरबेल बजी..!! शीला एकदम से जागृत हो गई.. वैसे उसने सारे कपड़े उतारे तो थे नहीं.. पर फिर भी ब्रा और ब्लाउज पहनने का समय नहीं था.. वो मदन के शरीर से उठी.. अपने कपड़े उठायें और बेडरूम की तरफ भागी..!! मदन भी उठकर अपनी शॉर्ट्स पहनने लगा.. तब तक दो बार और डोरबेल बज चुकी थी
मदन ने उठकर दरवाजा खोला.. सामने वैशाली खड़ी थी..
वैशाली: "कब से बेल बजा रही हूँ पापा.. !!! कितनी देर लगा दी खोलने में.. !!"
मदन: "वो.. बेटा.. अखबार पढ़ते हुए मेरी आँख लग गई थी इसलिए.. !!"
वैशाली: "मम्मी नहीं है क्या घर पर?"
मदन: "मेरे खयाल से तेरी मम्मी भी अंदर सो रही होगी.. !!" मदन ने जानबूझकर ऊंची आवाज मे कहा ताकि अंदर बैठी शीला सुन ले और हिसाब से तैयार रहें..
शीला तुरंत ही बेडरूम का दरवाजा खोलकर बाहर आई.. !! कपड़े तो वैसे भी उसके अस्त-व्यस्त थे.. दिन में दूसरी बार आई वैशाली को वह थोड़े से आश्चर्य से देखते हुए बाहर आई
शीला: "क्या हुआ वैशाली?"
वैशाली: "मैं आपको यह बताने आई थी की मेरी पिंटू से बात हो गई.. और वो मुझे ससुराल जाने देने के लिए मान गया है.. !!"
मदन ने चोंककर पूछा "अरे वाह.. ये कब तय हुआ?"
वैशाली: "आज सुबह ही वहाँ से फोन आया था.. मैंने पिंटू से पूछा और उसने हाँ कह दिया"
मदन: "चलो अच्छा है.. इस बहाने तेरी थोड़ी सैर भी हो जाएगी.. तेरे सास-ससुर को भी अच्छा लगेगा.. और वहाँ पर कविता-पीयूष से मिलना भी हो जाएगा"
वैशाली: सोच रही हूँ, कल सुबह की बस से निकल जाऊँ"
कुछ सोचकर मदन ने कहा "देख बेटा.. तुझे वहाँ पहुँचने की कोई जल्दी न हो तो एकाध दिन रुक जा.. मैं और राजेश वहाँ जाने ही वाले है पीयूष से मिलने.. तब तुझे ससुराल छोड़ देंगे.. उसी बहाने समधिजी से मिलना भी हो जाएगा"
वैशाली: "अरे ये तो सब से बढ़िया रहेगा.. मुझे बस के धक्के खाने नहीं पड़ेंगे.. मैं आप लोगों के साथ ही आऊँगी.. कब निकलना है?"
मदन: "राजेश से बात करके बताता हूँ.. एक दो दिन में जाना होगा"
वैशाली: "ठीक है पापा.. !!"
जिस गति से आई थी उसी गति से वापिस लौट गई वैशाली.. उसके जाते ही मदन सोफ़े पर लेट गया.. शीला से चुदाई की थकान उतारने.. मदन और वैशाली की बातें सुनते वक्त शीला चुपचाप सुनती रही.. उसके दिमाग मे कोई योजना आकार ले रही थी.. पर उस योजना के अमल के लिए कुछ पत्ते बिछाने पड़ेंगे.. उसका शातिर दिमाग काम पर लग गया.. !!
दो दिन बाद उनका जाना तय हुआ..
एक दिन पहले, शीला ने रसिक को फोन किया
रसिक: "कहिए भाभी, कैसे याद किया इस नाचीज़ को?"
शीला: "अबे भड़वे.. शायरी छोड़ और मेरी बात ध्यान से सुन.. कल मेरा घर खाली होगा.. सुबह तो कुछ मुमकिन नहीं होगा पर दिन के समय क्या तू घर आ सकता है?"
रसिक: "मैं तो आ जाऊंगा.. पर कहीं वो तुम्हारा दामाद टपक पड़ा तो?"
शीला: "वैसे वो नौ बजे ऑफिस चला जाता है.. उसके बाद शाम तक नहीं लौटता.. पर कुछ कह नहीं सकते उसका.. उसे तो अब भी मेरे ऊपर शक है.. तू देखता तो है.. रोज सुबह जब तू दूध देने आता है तब कैसे हम दोनों को देखता रहता है.. !!"
रसिक: "इसीलिए तो मैंने कहा भाभी.. कहीं ऐसा ना हो की बीच चुदाई मुझे लंगोट बांधकर भागना पड़ें..!!"
शीला ने कुछ सोचकर कहा "सही कह रहा है तू.. ऐसे डर डरके चुदवाने में मुझे भी मज़ा नहीं आएगा.. !! तेरे घर पर मिल सकते है क्या?"
रसिक: "घर पर तो मेरे चाचाजी और उनके बेटे-बहुओं का परिवार आया हुआ है.. पूरा दिन घर पर चहल-पहल रहती है.. घर पर मिलना तो नहीं हो पाएगा भाभी.. पर आप एक काम कीजिए.. खेत पर ही चले आइए.. एकदम सलामत.. कोई टेंशन भी नहीं.. !!"
शीला सोच में पड़ गई.. दिन दहाड़े खेत पर जाने मे उसे थोड़ा सा खतरा लग रहा था..
रसिक: "इतना सोचिए मत भाभी.. वैसे भी यहाँ कोई नहीं होता.. फसल कट चुकी है.. सुबह दूध दे देने के बाद, मैं पूरा दिन भांग की गोलियाँ खाकर खटिया पर पड़ा रहता हूँ.. !!"
शीला : "साले.. नशे की आदत कब से लग गई तुझे?"
रसिक: "क्या करूँ भाभी.. !! आपको तो पता है.. रूखी है नहीं.. आप से मिलना हो नहीं रहा.. पिछले एक महीने से ऊपर हो गया मुझे.. !! दिन के समय कोई काम नहीं रहता.. समय बिताना मुश्किल हो जाता है.. भांग खाने से मस्ती सी छाई रहती है.. शाम कब हो जाती है, पता ही नहीं चलता.. !!"
शीला: "ठीक है, ठीक है.. तेरी कहानी सुनने फोन नहीं किया मैंने.. !!"
रसिक: "तो बताइए ना.. !! क्या तय किया आपने? खेत पर आ रही हो न कल??"
शीला: "हाँ वहीं मिलना पड़ेगा.. और कोई रास्ता नहीं है.. मैं कल सुबह तुझे फोन करती हूँ.. !!"
रसिक: "ठीक है भाभी, और हाँ भाभी, हो सकें तो थोड़ा मेकअप लाली करके आना.. आपको सजी धजी देखना चाहता हूँ, चलिए, रखता हूँ"
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रात को पेकिंग करने के बाद, वैशाली और पिंटू, शीला के घर खाने पर आए..
चारों साथ बैठकर खाना खाते हुए बातें कर रहे थे
शीला: "सुबह कितने बजे निकलने का प्लान है तुम दोनों का?"
मदन ने निवाला मुंह में डालते हुए कहा "सात बजे निकलने की सोच रहा हूँ.. वैसे राजेश से बात तो हो गई है.. वो सात या साढ़े सात बजे तक हमें लेने आ जाएगा"
शीला: "हाँ वही ठीक रहेगा.. दोपहर से पहले वहाँ पहुँच जाओ तो काम खतम करने का वक्त भी ठीक से मिलेगा"
शीला चाहती थी की जितनी जल्दी वो दोनों निकल जाएँ.. उतनी जल्दी वो घर का सारा काम निपटाकर रसिक के खेत पर पहुँच जाएँ..!!
शीला ने पिंटू से कहा "बेटा, मैं तुम्हारा टिफिन बना दूँगी.. और शाम को तो साथ ही खाना खाएंगे"
पिंटू: "टिफिन की जरूरत नहीं है मम्मी जी, मुझे वैसे भी कल काम से बाहर जाना रहेगा.. तो बाहर ही कुछ खा लूँगा.. हाँ, सुबह नाश्ता करने आ जाऊंगा.. !!"
वैशाली: "वही ठीक रहेगा.. सुबह ठीक से नाश्ता कर लेना ताकि बाहर का ज्यादा खाना न पड़ें.. और हाँ.. मम्मी का ध्यान रखना"
पिंटू ने शीला की आँखों में आँखें डालकर कहा "मम्मी जी का तो मैं एकदम ठीक से ध्यान रखूँगा.. उन्हें हिलने भी नहीं दूंगा"
सुनकर शीला सहम गई.. वैसे वो जानती थी की घर खाली होने के कारण पिंटू अब और कड़ी नजर रखेगा.. सावधान रहना होगा..!!
वैशाली: "हिलने भी नहीं देगा का क्या मतलब?"
पिंटू: "अरे मेरा मतलब है.. उन्हें कुछ बाहर से लाना हो या कोई काम हो तो मैं ही खत्म कर दूंगा.. ताकि उन्हें कहीं जाना न पड़ें और तकलीफ न हो.. !!"
पिंटू ने सफाई तो दी पर शीला समझ गई की उसका इशारा किस ओर था..
खाना खतम कर सब खड़े हुए.. वैशाली और पिंटू अपने घर चले गए और शीला-मदन भी सोने की तैयारी करने लगे
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दूसरी सुबह सवा-सात बजे, राजेश की गाड़ी मदन के घर आकर खड़ी हो गई.. मदन और वैशाली को अलविदा कहने शीला बाहर निकली.. और पड़ोस के घर से पिंटू भी.. हालांकि पिंटू इस बात से ज्यादा खुश नहीं था की वैशाली राजेश की गाड़ी में जा रही थी.. पर अपने ससुर के साथ होने की वजह से वह निश्चिंत था और इसलिए वैशाली को भेजने के लिए मान गया था.. पिंटू और राजेश अब भी एक दूसरे की आँखों में आँख डालकर नहीं देखते थे.. राजेश शर्म के कारण और पिंटू गुस्से के कारण..
तीनों को लेकर गाड़ी जैसे ही गली के छोर तक पहुंची.. हाथ हिलाते हुए बाय कह रही शीला के चेहरे पर एक शैतानी मुस्कान आ गई.. काफी लंबे अरसे के बाद, आज जाकर उसे आजादी के कुछ पल मिलें थे.. वो पलटकर दरवाजे की ओर मूडी तब पिंटू को उसकी तरफ गौर से देखता हूँ पाया.. उसके पैर थम गए और चेहरे की मुस्कान एक ही पल में गायब हो गई.. शायद, उसकी मुस्कान से पिंटू ने भांप लिया था की शीला के दिमाग मे जरूर कुछ खिचड़ी पक रही है..
शीला चौकन्नी हो गई.. उसका दिमाग पिंटू के प्रश्नों के लिए पहले से ही तैयारी करने लगा.. उसने सोच रखा था की वो जाएगी तो पिंटू के ऑफिस जाने के बाद ही.. पर जिस तरह पिंटू उसके सामने देख रहा था.. उसे पक्का यकीन था की वो उसका पीछा ऑफिस जाने के बाद भी छोड़ेगा नहीं..
फटाफट नाश्ता तैयार करके शीला नहाने चली गई.. एक मस्त साड़ी पहनकर, उसने रसिक की फरमाइश पर हल्का सा मेकअप भी किया.. थोड़ी लिपस्टिक लगा ली.. और तैयार होकर पिंटू का नाश्ते पर इंतज़ार करने लगी..
साढ़े-आठ बजे पिंटू आया..
तब तक तो शीला नाश्ते को टेबल पर सजा चुकी थी.. पिंटू शक भरी निगाहों से शीला के इस रूप के देख रहा था..बिना कुछ कहें वो नाश्ते के टेबल पर बैठ गया..
शीला उसके बिल्कुल सामने वाली कुर्सी पर बैठ गई..
शीला: "बेटा, मैंने उपमा और आलू के पराठे बनाए है.. चलेगा ना"
पिंटू: "बेकार में आपने इतनी तकलीफ की.. कुछ हल्का-फुल्का बना दिया होता तो भी चल जाता"
शीला मुस्कुराकर एक प्लेट में उपमा भरने लगी.. उसका पल्लू हल्का सा सरक गया.. और ब्लाउज में कैद बड़ी बड़ी चूचियों के बीच की दरार उजागर हो गई..
शीला तुरंत अपना पल्लू ठीक नहीं कर पाई क्योंकि उसके एक हाथ में प्लेट थी और दूसरे हाथ में चम्मच..!! वैसे तो काफी समय पहले, शीला और चेतना, पिंटू के साथ चुदाई भी कर चुके थे.. जब कविता और पिंटू यहाँ पर मिले थे तब.. पर तब की बात और थी.. तब पिंटू एक अनजान नौसिखिया लड़का था.. अब वो उसका दामाद बन चुका था
अपनी गहरी क्लीवेज की ओर देखकर, शीला ने पिंटू की तरफ देखा.. यह देखने.. की पिंटू की प्रतिक्रिया क्या थी.. !! पर शीला का पल्लू सरकते ही पिंटू ने अपनी नजरें फेर ली थी
एक प्लेट मे उपमा और दूसरी प्लेट मे आलू के पराठे रखकर शीला ने पिंटू के सामने परोस दिए.. फ्लास्क से चाय के दो मग भरकर.. फिर अपना पल्लू ठीक कर वो भी सामने बैठकर नाश्ता करने लगी
कुछ देर तक तो दोनों की बीच कोई बातचीत नहीं हुई..
पिंटू की चुप्पी शीला को चुभ रही थी.. !! उसे पता था की पिंटू के दिमाग मे सवाल तो है ही.. अच्छा होगा की वो पूछ ले ताकि शीला अपनी सफाई देकर सारे शक दूर कर दे..
नाश्ता खतम होने तक पिंटू ने कुछ नहीं कहा..
आखिर पिंटू ने वो प्रश्न पूछ ही लिया जिसका शीला बेसब्री से इंतज़ार कर रही थी..
पिंटू: "आप कहीं बाहर जा रही है?"
शीला को यह सुनकर चैन मिला.. पिंटू यह सवाल पूछे इसलिए तो वो जल्दी तैयार होकर बैठी थी
शीला: "हाँ.. आज वैसे भी घर पर अकेली हूँ.. बोर हो जाऊँगी.. तो सोचा, रेणुका के घर चली जाऊँ.. राजेश भी नहीं है इसलिए रेणुका अकेली होगी.. इसी बहाने मिलना भी हो जाएगा और उसका हाल भी जान लूँगी"
सुनकर पिंटू ने कुछ जवाब नहीं दिया और सर झुकाकर प्लेट से उपमा की आखिरी चम्मच खाकर पानी पीने लगा..
शीला की नजर पिंटू के चेहरे पर थी.. अपने जवाब के बाद पिंटू की क्या प्रतिक्रिया थी वो देखना चाहती थी.. उसी से पता चलता की पिंटू के गले उसका बहाना उतरा भी है या नहीं..
पिंटू के हावभाव सामान्य और नॉर्मल ही थे.. ये देखकर शीला के दिल को ठंडक मिली.. !!! चलो.. अच्छा हुआ जो पिंटू ने पूछ लिया और उसके जवाब से संतुष्ट भी हो गया.. !! अब, रसिक के लंड और उसके भोसड़े के बीच कोई नहीं आ सकता.. !!!
वॉश-बेज़ीन मे हाथ मुंह धोकर पिंटू जाने की तैयारी करने लगा.. शीला कनखियों से जाते हुए देख रही थी.. बस एक बार ये ऑफिस के लिए निकल जाए तो जान छूटें.. और रसिक के खेत पर जाने का रास्ता साफ हो जाए.. !!
दरवाजे से बाहर निकल रहा पिंटू.. अचानक कुछ सोचकर रुका.. और वापिस अंदर आया.. उसको वापिस आया देखकर शीला की धड़कनें तेज हो गई..
पिंटू: "चलिए मम्मी जी, मैं आपको राजेश सर के घर पर छोड़ देता हूँ"
खतम.. !!!! शीला को अपनी योजना पर पानी फिरता नजर आने लगा.. सब ठीक चल रहा था तब इस पिंटू को अचानक यह क्या सुझा?? चुपचाप चला गया होता तो अच्छा होता.. !!
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Very good update. Highly erotic. Mazaa aa gaya.वैशाली अपने पिता मदन और राजेश के साथ मायके जाने निकल गई.. पीछे रह गई शीला इस बात से उत्साहित थी की पिंटू के ऑफिस जाते ही अब उसपर नजर रखने वाला कोई नहीं होगा.. उसने रसिक के खेत पर जाने का प्लान बना लिया था.. पिंटू शीला के घर नाश्ता करने आता है उस दौरान सजी धजी शीला को देखकर पिंटू को अंदाजा लग जाता है की वो कहीं बाहर जा रही थी.. शीला ने बहाना बनाया की वो रेणुका से मिलने जा रही है
अब आगे....
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शीला: "हाँ.. आज वैसे भी घर पर अकेली हूँ.. बोर हो जाऊँगी.. तो सोचा, रेणुका के घर चली जाऊँ.. राजेश भी नहीं है इसलिए रेणुका अकेली होगी.. इसी बहाने मिलना भी हो जाएगा और उसका हाल भी जान लूँगी"
सुनकर पिंटू ने कुछ जवाब नहीं दिया और सर झुकाकर प्लेट से उपमा की आखिरी चम्मच खाकर पानी पीने लगा..
शीला की नजर पिंटू के चेहरे पर थी.. अपने जवाब के बाद पिंटू की क्या प्रतिक्रिया थी वो देखना चाहती थी.. उसी से पता चलता की पिंटू के गले उसका बहाना उतरा भी है या नहीं..
पिंटू के हावभाव सामान्य और नॉर्मल ही थे.. ये देखकर शीला के दिल को ठंडक मिली.. !!! चलो.. अच्छा हुआ जो पिंटू ने पूछ लिया और उसके जवाब से संतुष्ट भी हो गया.. !! अब, रसिक के लंड और उसके भोसड़े के बीच कोई नहीं आ सकता.. !!!
वॉश-बेज़ीन मे हाथ मुंह धोकर पिंटू जाने की तैयारी करने लगा.. शीला कनखियों से जाते हुए देख रही थी.. बस एक बार ये ऑफिस के लिए निकल जाए तो जान छूटें.. और रसिक के खेत पर जाने का रास्ता साफ हो जाए.. !!
दरवाजे से बाहर निकल रहा पिंटू.. अचानक कुछ सोचकर रुका.. और वापिस अंदर आया.. उसको वापिस आया देखकर शीला की धड़कनें तेज हो गई..
पिंटू: "चलिए मम्मी जी, मैं आपको राजेश सर के घर छोड़ देता हूँ"
खतम.. !!!! शीला को अपनी योजना पर पानी फिरता नजर आने लगा..!! सब ठीक चल रहा था तब इस पिंटू को अचानक यह क्या सुझा?? चुपचाप चला गया होता तो अच्छा होता.. !!
शीला: "अरे बेटा.. तुम क्यों तकलीफ ले रहे हो?? मैं चली जाऊँगी.. ऑटो से.. !! तुम ऑफिस के लिए जा रहे हो, तो निकलो"
पिंटू: "तकलीफ की कोई बात नहीं है मम्मी जी.. ऑफिस से एक किलोमीटर ही तो दूर है उनका घर.. मैं छोड़ देता हूँ"
शीला सकपका गई और बोली "पर बेटा.. तुम्हें ऑफिस पहुँचने मे देर हो जाएगी.. !!"
पिंटू: "पाँच-दस मिनट मे कोई देरी नहीं होगी.. और वैसे भी.. राजेश सर तो आज ऑफिस है नहीं.. ऑफिस में छुट्टी वाला माहोल ही होगा"
शीला: "लेकिन.. वो.. मुझे थोड़ा घर का काम भी निपटाना है.. तो.. मुझे निकलने मे देर होगी"
अब पिंटू की खोपड़ी खनकी.. उसके दिमाग का एन्टेना शीला की किसी खुराफात के सिग्नल पकड़ने लगा था..
बड़े ही इत्मीनान से सोफ़े पर बैठ गया और पैर पर पैर चढ़ाते हुए बोला "मुझे कोई जल्दी नहीं है मम्मी जी, आप आराम से घर के काम निपटा लीजिए.. मैं इंतज़ार करूंगा.. मुझे कोई जल्दी नहीं"
शीला मन ही मन अपना माथा पीटने लगी.. हे भगवान.. ये अचानक क्या हो गया इसे?? थोड़ी देर पहले सब कुछ ठीक चल रहा था.. अचानक छोड़ने आने की बात करके पिंटू ने पूरी बाजी बिगाड़कर रख दी.. अब क्या करें?
शीला का दिमाग घूम रहा था.. घर का सारा काम तो निपट चुका था.. नाश्ता करने के बाद झूठे बर्तन को केवल उठाकर बाहर कंपाउंड मे रखना था ताकि कामवाली बाई दोपहर को आकर उसे धो दे.. पर अब पिंटू को दिखाने के लिए कोई काम तो करना पड़ेगा.. !! वैसे भी उसे शक तो हो ही गया था.. अब हर कदम बड़ा संभालकर रखने के जरूरत थी..
अपना सर झुकाकर शीला ने डाइनिंग टेबल से सारे बर्तन और प्लेटस उठाई और किचन मे ले गई.. एक के बाद एक वो बर्तनों को सिंक मे धोने लगी.. वो जान बूझकर ज्यादा समय ले रही थी.. वह चाहती थी की देर होने पर पिंटू खुद ही चला जाएगा.. लेकिन पंद्रह मिनट बर्तन साफ करते रहने पर भी जब पिंटू ने कुछ नहीं कहा, तब शीला की परेशानी और बढ़ गई.. !!!
किंचन का नलका चालू रखकर.. वो एकदम धीरे धीरे किचन के दरवाजे की तरफ आई.. जहां से ड्रॉइंग रूम का द्रश्य वो देख पाती.. उसने चुपके से देखा.. पिंटू बड़े ही आराम से अखबार पढ़ रहा था.. !!!
शीला ने फिर अपना सर पीट लिया.. पिंटू तो दहीं की तरह जमकर सोफ़े पर बैठ गया है.. कुछ सोचना पड़ेगा.. वरना रसिक से मिलने का ये मौका हाथ से चला जाएगा.. !!
गहरी सांसें लेकर, शीला ने अपने मन को पहले शांत किया.. अमूमन, उत्तेजित दिमाग से सोचना काफी कठिन होता है.. थोड़ा शांत होने पर शीला सोचने लगी.. और उसके शातिर दिमाग ने आखिर सोच ही लिया.. वो पिंटू के साथ रेणुका के घर जाएगी.. वहाँ थोड़ी देर बैठेगी.. एक बार पिंटू चला जाएँ बाद में वो रेणुका को समझाकर रसिक से मिलने चली जाएगी.. !!
खुश होकर अपने आप को ही दाद देते हुए शीला अचानक बोल पड़ी.. "वाह, शीला वाह.. !!"
बाहर के रूम से पिंटू की आवाज आई "आपने मुझसे कुछ कहा मम्मी जी?"
तब शीला को एहसास हुआ की खुशी के मारे जो दिमाग में था वो मुंह से निकल गया था..
शीला: "अरे नहीं नहीं.. वो तो बस ऐसे ही.. सब्जी वाले को देखा तो आवाज लगाई.. पर फिर देखा.. फ्रिज में अभी भी ढेर सारी सब्जियां पड़ी हुई है"
पिंटू: "ओके मम्मी जी" पिंटू के शक का समाधान हो गया
शीला ने फटाफट हाथ धोएं.. और अपना पर्स लेकर बाहर आई
शीला: "चलो चलते है"
पिंटू ने शीला की तरफ एक नजर देखा.. और अखबार साइड मे रखकर खड़ा हो गया..
शीला ने दरवाजे को ताला लगाया और पिंटू के पीछे बाइक पर बैठ गई..
बाइक पर दोनों मुख्य सड़क पर आ पहुंचे.. टेढ़ी मेढ़ी और गड्ढेदार सड़क पर चलाते हुए भी पिंटू यह ध्यान रख रहा था की शीला की छाती उसकी पीठ से स्पर्श न करें.. शीला भी अपने आप को संभालकर बैठी हुई थी.. वो ऐसा कुछ भी करना नहीं चाहती थी जिसकी वजह से पिंटू के दिमाग मे किसी भी तरह का शक पैदा हो
थोड़ी ही देर मे, पिंटू की बाइक, राजेश-रेणुका के बंगले के सामने पहुँच गई..
शीला धीरे से उतरी और पिंटू को बाय कहकर, कंपाउंड का दरवाजा खोलकर अंदर जाने लगी.. घर के मुख्य दरवाजे पर पहुंचकर, डोरबेल बजाने से पहले, वो झुककर अपने सेंडल को ठीक करने के बहाने समय लेती रही.. उस दौरान वो कनखियों से पिंटू की तरफ देख रही थी.. पिंटू ने बाइक पर बैठे बैठे शीला की तरफ एक नजर देखा.. शीला अब भी ऐसा दिखावा कर रही थी जैसे की उसकी सेंडल फंस गई हो और वो उसे निकाल रही हो.. थोड़ी देर शीला को देखते रहने के बाद, पिंटू ने बाइक को पहले गियर में डाला और वहाँ से निकल गया..
पिंटू को जाता हुआ देख, शीला ने राहत की सांस ली.. !!! जान छूटी..!!
पिंटू के चले जाने के बाद, शीला अब खड़ी हो गई.. दरवाजे के पास बनी कांच की खिड़कियों से उसने देखा.. ड्रॉइंग रूम मे रेणुका कहीं भी नजर नहीं आ रही थी..
वो डोरबेल बजाने ही वाली थी की तब कुछ सोचकर उसने अपना हाथ रोक लिया.. रेणुका से मिलना तो केवल बहाना था ताकि पिंटू को शक न हो.. !! उसे मिलना तो था नहीं.. और रेणुका को तो पता भी नहीं था की शीला आने वाली है.. !!! फिर बेकार में रेणुका के साथ बैठकर क्यों इस अनमोल समय को गंवाया जाएँ.. !!!
जब रेणुका ने उसे आते हुए देखा ही नहीं है तो उसे कैसे पता चलेगा की शीला घर आकर उसे बिना मिलें चली गई थी..!!
शीला दबे पाँव वहाँ से निकल गई.. धीरे से कंपाउंड का गेट बंद किया.. और बिना पीछे देखें, फटाफट चलकर सड़क पर आ गई.. !!
मैन रोड पर आकर, अब शीला की जान में जान आई.. पास की दुकान से एक कोल्ड-ड्रिंक की बोतल लेकर, एक ही घूंट मे पी गई..
शीला के दिमाग का टेंशन अब कुछ कम हुआ.. आगे क्या करना है यह सोचने के लिए दिमाग का शांत होना बहोत जरूरी था..!! छाँव में खड़े खड़े शीला सोचने लगी.. की रसिक के खेत पर अब जाना चाहिए भी या नहीं.. !! यह तो तय था की पिंटू अब जा चुका था.. लेकिन साथ ही साथ यह भी पता चल गया की पिंटू को अब भी शीला पर पूरा शक है और वो उस पर नजर भी रखे हुए है.. !!
लेकिन रेणुका के घर शीला को छोड़कर पिंटू अब निश्चिंत हो गया होगा ऐसा शीला का मानना था.. ऐसी सूरत में अब रसिक के खेत पर जाने में दिक्कत तो नहीं होनी चाहिए.. लेकिन जिस तरह पिंटू उसके पीछे हाथ धोकर पड़ा हुआ है.. !! हो सकता है की वो अभी भी सड़क के किनारे छुपकर.. उस पर नजर रख रहा हो.. !!! यह विचार दिमाग मे आते ही शीला फिर से तनावग्रस्त होने लगी..
शीला सोच रही थी की इतनी माथापच्ची से तो अच्छा होगा की वो घर ही चली जाएँ.. बेकार में जोखिम क्यों उठाना.. !!! वो घड़ी की ओर देखकर घर जाने के बारे में सोच ही रही थी की तभी.. रसिक का कॉल आया
रसिक: "कहाँ हो भाभी?? मैं कब से इंतज़ार कर रहा हूँ.. !!!" लहराती आवाज में रसिक ने कहा.. उसकी आवाज से स्पष्ट प्रतीत हो रहा था की वो भांग के नशे मे था.. !!
शीला: "अरे यार.. मेरा दामाद मेरे पीछे पड़ा हुआ है.. मैंने रेणुका के घर जाने का बहाना बनाया तो वो मुझे छोड़ने चला आया.. !!"
रसिक: "तो उसे भी साथ ले आइए.. हम दोनों साथ मिलकर पेलेंगे आपको"
शीला: "चूतिये.. दिमाग खराब हो गया है क्या तेरा.. !!! साले, दिन-दहाड़े नशा करो तब यही होता है.. !! मेरे दामाद को जरा सी भी भनक लग गई तो मेरी बेटी के संसार में आग लग जाएगी.. !! सोच रही हूँ, आज रहने देते है.. फिर कभी मौका देखकर आ जाऊँगी"
रसिक: "ऐसा मत कीजिए भाभी.. कब से तड़प रहा हूँ.. ये देखिए.. ये मेरा लोडा खड़ा होकर चारों ओर आप को ढूंढ रहा है.. इतना माल भर गया है गोटों में..!! कुछ कीजिए भाभी.. रहा नहीं जा रहा.. !!"
रसिक के मुंह से उसके लोड़े का उल्लेख होते ही, शीला का संकल्प डगमगाने लगा.. उसकी चूत में नए सिरे से सुरसुरी होने लगी..
शीला: "यार, तेरी बातें सुनकर अब मुझे भी कुछ कुछ होने लगा है.. करती हूँ कुछ..!! अब फोन रख"
रसिक: "जल्दी करना भाभी"
शीला ने फोन काट दिया.. और पूरी सड़क पर.. जहां तक उसकी नजर जा रही थी.. वहाँ तक.. आँखें खींच खींचकर देखा.. पिंटू उसे कहीं नजर नहीं आ रहा था.. !!! फिर भी, आखिरी तसल्ली करने के लिए उसने राजेश की ऑफिस के लेन्डलाईंन नंबर पर फोन किया
फोन रीसेप्शनिस्ट ने उठाया..
रीसेप्शनिस्ट: "जी बोलिए, किसका काम था?"
शीला: "मुझे पिंटू जी से बात करनी थी.. !!"
रीसेप्शनिस्ट: "रुकिए, मैं लाइन ट्रैन्स्फर करती हूँ"
शीला बेसब्री से पिंटू की आवाज सुनने की राह देखने लगी.. तभी फोन पर पिंटू की आवाज सुनाई दी..
पिंटू: "हैलो.. कौन बोल रहा है?"
शीला ने तुरंत फोन काट दिया.. उसके दिल को चैन मिला.. अब पिंटू यकीनन ऑफिस में ही था.. पीछा छूटा और जान भी.. !!
इत्मीनान से शीला ने ऑटो ढूँढना शुरू किया.. पर आधे घंटे तक कोई ऑटो मिला ही नहीं.. जो मिला वो रसिक के खेत वाले एरिया में आना नहीं चाहता था..
दो-तीन ऑटो वालों के मना करने पर.. शीला ने एक ऑटो वाले को रोका.. और अपना पल्लू हल्का सा सरकाकर, अपने दोनों शस्त्रों को दिखाते हुए ऑटो वाले को आखिर पटा ही लिया..
शीला ऑटो में बैठ गई.. और ऑटो तेजी से शहर के बाहर जा रही सड़क पर दौड़ने लगी.. ऑटो वाला बार बार मिरर को एडजस्ट कर, शीला के स्तन-युग्मों का रसपान कर रहा था.. शीला को उस ऑटोवाले में कोई दिलचस्पी नहीं थी.. उसे तो जल्द से जल्द रसिक के पास पहुंचकर उसका मूसल लंड अपने भोसड़े में लेकर अपनी आग बुझानि थी..
शीला के मोबाइल की घंटी फिर से बजी.. रसिक ने फिर से कॉल किया था
रसिक: "कितनी देर लगेगी तुझे??" नशे के सुरूर में झूम रही रसिक "आप" से "तू" पर आ चुका था
शीला: "आ रही हूँ, मेरे बाप.. थोड़ा सब्र कर.. !!"
रसिक: "थोड़ी देर में अगर तू नहीं आई तो तेरे घर आकर चोद दूंगा तुझे" गुर्राते हुए रसिक ने कहा..
भांग के नशे से चकरा रहें रसिक की इस धमकी को सुनकर शीला थोड़ी सी सहम गई और मन ही मन थोड़ी सी खुश भी हुई.. मर्द जब वासना से तड़फड़ा रहा हो तब चुदाई का आनंद दोगुना हो जाता है
शीला ने बड़े ही आराम से कहा "बस पहुँच ही रही हूँ.. थोड़ी देर रुक जा.. !!"
ऑटो वाले ने शीला को हाइवे के चौराहे पर छोड़ा.. और शीला पगदंडी पर चलते हुए रसिक के खेत की तरफ जाने लगी.. पहुंचते हुए करीब पंद्रह मिनट हो गए.. और उस दौरान रसिक के दो बार कॉल आ गए, जो शीला ने उठाए नहीं
थोड़ा और आगे चलते ही रसिक का खेत और उसके पास बना कमरा नजर आया.. शीला के यह देखकर होश ही उड़ गए की रसिक खुले खेत मे नंगे बदन खटिया पर बैठा हुआ था.. और झंडे की तरह खड़ा हुआ उसका विकराल लंड हिला रहा था.. !!! वैसे आसपास दूर दूर तक कोई नहीं था पर फिर भी, दिन के समय रसिक को यूं नंगा बैठा देखकर शीला को भी थोड़ा अटपटा सा लगा..
दूर से आ रही शीला को देखकर रसिक की आँखों में चमक आ गई.. वो खटिया से खड़ा हो गया.. और शीला की तरफ चलकर आने लगा.. उसके हर कदम पर उसका लंड यहाँ वहाँ झूल रहा था..
रसिक को इस हाल में अपनी ओर आते देख शीला घबरा गई..रसिक: "अपनी माँ चुदाने जाए सब.. किसी के बाप से नहीं डरता मैं.. और देखने के लिए आसपास कोई दिख भी रहा है क्या?"
शीला: "अबे पगलेलंड.. पागल हो गया है क्या?? तुझे इस हाल में देखकर किसी ने पुलिस में फोन कर दिया होगा तो?"
रसिक ने करीब आकर शीला के बबले पकड़ लिए.. और उसे अपने आगोश में लेने की कोशिश करने लगा.. शीला ने झटकाकर अपने आप को उसके चंगुल से मुक्त कर लिया.. !!
शीला: "यहाँ नहीं.. अंदर कमरे मे चल.. साले जानवर, दिन दहाड़े बाहर खुले में नंगा घूम रहा है.. दिमाग ठिकाने पर है या नहीं?"
रसिक की लड़खड़ाती चाल और लहराती आवाज से साफ पता लग रहा था की नशा उसके दिमाग पर किस कदर हावी हो चुका था..किसी पालतू जानवर की तरह वो शीला के पीछे पीछे कमरे के अंदर पहुँच गया..
अंदर जाकर शीला मुड़ी.. और रसिक के तरफ देखकर बोली
शीला: "खटिया अंदर खींचकर ले आ"
जैसे शीला की बात सुनी ही न हो वैसे रसिक शीला से लिपट पड़ा.. और उसके तंग लोड़े को शीला के खुले पेट पर रगड़ने लगा.. शीला अपने आप को छुड़ाने लगी
शीला: "क्या कर रहा है यार.. !!! खटिया तो अंदर लेकर आ.. यहाँ इस मिट्टी की फर्श पर सुलाएगा क्या मुझे.. !!!"
रसिक की आँखें लाल लाल हो गई थी.. उसका बस चलता तो वो शीला को वहीं पटककर चोद देता..
रसिक कमरे से बाहर आया.. और खटिया को एक हाथ से खींचते हुए अंदर आने लगा.. उसका एक कदम यहाँ पड़ता तो दूसरा वहाँ.. ठीक से चल भी नहीं पा रहा था वो.. शीला को एक पल के लिए शक हुआ की नशे की हालत में क्या वो ठीक से चोद भी पाएगा उसे..!! लेकिन उसका खड़ा हुआ हलब्बी लंड देखकर, शीला के दिमाग के सारे शक दूर हो गए
जैसे ही रसिक ने खटिया को अंदर लाकर रखा.. शीला ने दरवाजा का किवाड़ बंद कर दिया.. और रसिक की तरफ मुड़कर अपनी साड़ी उतारने लगी.. एक ही पल में साड़ी उतर गई और केवल पेन्टी और ब्रा पहने वो रसिक के सामने खड़ी हो गई..
भूखी नज़रों से रसिक उसे ऐसे घूर रहा था जैसे वो आज शीला को कच्चा ही चबा जाएगा.. वो खड़े खड़े ही अपना लंड हिलाने लगा..
रसिक: "बाकी के कपड़े भी उतारिए भाभी.. और यहाँ मेरे करीब आइए"
बड़े ही शरारती अंदाज मे शीला ने अपनी ब्रा खोल दी.. और पेन्टी को उतारते ही वह भी दोनों कदमों के इर्दगिर्द ढेर बनाकर गिर गई..
शीला का गदराया मांसल शरीर देखते ही, रसिक के मन का हेवान जाग उठा..
वो शीला के करीब आया.. और अपने लंड का सुपाड़ा, शीला की नाभि में टीका दिया.. और सुपाड़े को नाभि के इर्दगिर्द रगड़ने लगा.. थोड़ी देर तक शीला ने उसे अपनी मनमानी कर लेने दी.. जब रसिक अपना लोडा शीला के पेट पर रगड़ रहा था तब शीला ने अपनी उंगली चूत के अंदर दे मारी और नीचे की अंगीठी को प्रज्वलित कर दिया था..
शीला की इस हरकत को देखकर रसिक ने अपना आपा खो दिया.. पिछले एक महीने से मजबूरन ब्रह्मचर्य का पालन कर रहे रसिक के अंदर का जंगली पुरुष अब जागृत हो रहा था..
किसी भूखे भेडीए की तरह जो कई दिनों से भूखा हो और उसे कोई मुलायम मांस वाला खरगोश का बच्चा मिल जाये और वो झपट पड़े...
अब शीला का गदराया बदन हट्टे कट्टे रसिक की बाँहों में था और शीला उसमे किसी मोरनी की तरह मचल रही थी.. हवस और उत्तेजना के मिले झूले उन्माद से..!!
रसिक आज बड़े दिनों बाद शीला को पा कर जेसे पागल ही हो गया था -
" कितने समय के बाद आज आप मिली हो.." और फिर अपने विकराल लंड को मुठ्ठी में पकड़कर हिलाते हुए बोला "मैं आज इस हवस के हथोड़े से आपके भोसड़े की धज्जियाँ उड़ा दूंगा ..!! गोटों मे इतना माल भर गया है की आज तो आपकी गुफा में बाढ आ जाएगी"
फिर तो रसिक ने शीला के लिपस्टिक से सजे मुलायम होंठों को अपने खुरदरे होंठों और दांतों से कुचलना शुरू कर दिया.. मानो किसी भिखारी को छप्पन भोग की थाली मिल गई हो.. सोचिये - वो क्या खायेगा क्या गिराएगा...
और रसिक तो सोच रहा था आज जो मजे लेने हो, ले लो.. क्या पता फिर यह जाम-ए-मोहब्बत मिलें न मिलें.. फिर कब ऐसा मौका आये.. आज उसका भाग्य, एक महीने बाद जागा था...!!
कुछ देर होंठ चुसे ,गाल चूमे फिर दोनों को कच कचा कर काट खाए.. भयानक चूमा चाटी के बाद जब रसिक ने शीला को गोद में उठा कर चारपाई पर पटका तब तक श्रृंगार से सजा उसका चेहरा , होंठों की फेली लिपस्टिक की जगह रसिक के दांतों के निशान और उसके मुह के थूक से बुरी तरह सन चूका था..!!
रसिक का किसी पागल कुत्ते की तरह ऐसा आक्रमण, शीला को बड़ा मज़ा आ रहा था... रसिक का ऐसा जानवर पन आज तक नहीं देखा था...भांग खाए रसिक का यह रूप देखकर शीला डर के मारे सहम गई.. वो कुछ कुछ पछताने भी लगी थी.. आग बुझाने के चक्कर में कहीं उसकी हालत ख़राब न हो जाएँ.. !!
भांग का भयंकर नशा अब रसिक के सर चढ़कर बोल रहा था.. वह किसी गुस्साए राक्षस की तरह कांपते हुए बोला "बोल रंडी ..तू मेरी रखेल हे ..." आप पर से तुम पर आ चुके रसिक ने, अपने काले लोड़े के सुपाडे पर थूक चुपड़ते कहा
" हाँ ...में तेरी रखेल हूँ ..." शीला उत्तेजना से कांपने लगी थी...
"चोद - चोद के तुझे छिनाल रांड बना दूंगा ...चल भेन की लौड़ी.. अपना मुंह खोल ...!"
शीला के बालों को रसिक ने मुटठी में पकड़ के खींचा की दर्द से शीला का मुह खुल गया...
रसिक गरजा "साली अपनी जीभ को पूरा बाहर निकाल"
डर के मारे शीला ने अपनी जीभ बाहर निकाल कर अपना मुह खोल दिया... और उसी वक़्त -
"गप्प ...."
रसिक ने अपना लोडा उसके खुले मुह में आधा ठूंस दिया...
"बहुत दिनों से इसमें से पेशाब की बदबू आ रही हे ...चाट कर साफ़ कर साली रांड...!! छिनाल कहीं की ...आज तो तेरा भोसड़ा फाड़ दूंगा, पर पहले साली छिनाल इसे चूस ...कुत्ती ...पूरा चूस ..!"
और शीला डर के मारे चपड चपड कर चाटने लगी... उसे डर था की कहीं ये उसके मुह और हलक में ही इस मूसल को धकेल कर कहीं फाड़ ही नहीं डाले...नशे की हालत मे रसिक उसके काबू से बाहर जा चुका था
अब तक शीला के जिस्म को दबाकर बुरी तरह मसल चुका था और उसके पुरे गदराये शरीर को जगह जगह से नोच और काट भी चुका था... शीला की सिसकिया रुकने का नाम नहीं ले रही थी उसे दर्द और आनंद दोनों मिल रहे थे...
"आआआ…. ह्ह्ह्ह्ह .....अरे ...दर्द हो रहा हे ....धीरे कर रसिक....उह्ह्ह्ह्ह मम्मी .......साले नशे से पागल हो गया है तू..." शीला की चीख निकल गई जब उसकी इस बकवास पर रसिक ने गुस्से से उसके झांघ पर चिकोटी काट ली...
दर्द से बिलबिला कर शीला ने दोनों टांगों को दूर दूर कर खोल लिया...शीला के गदराये शरीर को किसी कुत्ते की तरह नोचने खसोटने के बाद रसिक हवस उगलती आँखों से शीला के भोसड़े के पास... चरबीदार ढेले के बीच में एक चीरा, जिसके बीच शीला की माँद से गरम गरम रस टपक रहा था
वो चाहती थी की अब रसिक अपने मूसल को उसके भोसड़े में डाल दे... उसका काटना खरोंचना तो बंद हो.. !! रसिक के काले हथियार को देखकर उसकी चूत ख़ुशी से ढेर सारा पानी पानी छोड़ रही थी...
गदराई हुई टांगों को चीर कर पूरी तरह से अलग कर रसिक उनके बीच उकड़ूँ अवस्था में बैठ गया और शीला के भोसड़े को फाड़ कर खा जाने वाली निगाहों से घूरने लगा...
" आक्क ..थू ..sssss ."
रसिक ने हथेली भर लार शीला के भोसड़े पर थूक दिया...हालांकि उसकी बिल्कुल जरूरत नहीं थी क्योंकि शीला का भोसड़ा तो पहले से ही गीला हो चुका था.. पर आज भांग के नशे मे रसिक ऐसी ऐसी हरकतें कर रहा था जो आज से पहले उसने कभी नहीं की थी
थूक से शीला का भोसड़ा पूरा सन गया...शीला वासना और उत्तेजना से सनसना उठी... उसके भोसड़े का छिद्र बार बार खुलता और बंद हो रहा था...ये सोच कर की अब घुसेगा की तब घुसेगा...
उसका बदन रसिक द्वारा दिए गए जख्मों से टीस रहा था पर उससे उसकी चूत की खुजली बढ़ रही थी...
शीला की मोटी मोटी झांघों को मोड़ कर रसिक उस पर लद गया...
अपने काले कलूटे लंड के लाल सुर्ख पहाड़ी आलू जेसे मोटे विशाल सुपाडे को शीला के भोसड़े के छेद पर टिका कर ...
"हुच्च ssssss "
रसिक ने पूरी ताकत से हुमक दिया...
" ओह्ह.. माँ.. !!!." पता नहीं आज कैसे जोर से पेला था रसिक ने.. शीला पूरी ताकत से चीख उठी...
उसकी चीख उस सूनसान खेत में गूंज उठी...
आधा लंड उसकी बुर में घोंप चूका रसिक बिना रहम किये फिर से थोडा बाहर खींच कर वापिस पूरा मूसल उसकी गुफा में उतार दिया था...
शीला की मानो सांस ही रुक गई थी.. हर धक्के के साथ उसे रसिक के सुपाड़े का स्पर्श अपनी अंतड़ियों तक महसूस हो रहा था...
धक्के खाते हुए शीला का मुंह खुला का खुला ही रह गया.. उसका पूरा बदन थरथरा रहा था...
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पर इस सबसे बेखबर रसिक उसके दोनों स्तनों को पकड़कर, निप्पलों को खींचते हुए, उसे हुमच हुमच कर पेल रहा था...
अपना पूरा लंड बाहर निकाल कर दुसरे ही झटके में जड़ तक घुसा रहा था...
और फिर वो शीला की खरबूजों जैसी चुचियों को नोचते हुए और धक्के मार रहा था-
"ऊईईई माँ.....छोड़ दे रसिक.. मैं मर जाउंगी ....आह्ह आह्ह आह्ह.. इतनी बेरहमी से भला कौन चोदता है.. !! ओह्ह ....हाय फट गई हे रे मेरी चूत .....छोड़ दे बहेनचोद..." शीला ने सपने मे भी नहीं सोचा था की वो कभी किसी के सामने चुदाई बंद करने के लिए गिड़गिड़ाएगी.. !!
पर रसिक तो अपनी धुन में चांपे जा रहा था - रसिक ने उसकी चूची को मुट्ठी में कस कर अपने अजगर को शीला के बिल में और कस कर घुसेड़ दिया...
अब तक शीला के पुरे गदराये शरीर को जगह जगह से नोच और काट चूका था... इतनी भयानक चुदाई होगी उसका शीला को जरा भी अंदाजा नहीं था वरना वो रसिक को कभी भांग के नशे मे चोदने नहीं देती.. शीला की सिसकिया रुकने का नाम नहीं ले रही थी उसे दर्द और आनंद दोनों मिल रहे थे...
"आआआ…. ह्ह्ह्ह्ह .....अरे ...दर्द हो रहा हे ....धीरे.....!!! रसिक.. कुत्ते... मर जाउंगी...!!" शीला की चीख निकल गई जब उसकी इस बकवास पर रसिक ने गुस्से से उसकी दोनों निप्पलों को जोर से खींचकर छोड़ दिया...
"उईईईई ....मेरी चूची .....साले मादरचोद.." शीला दर्द से बिलख रही थी..
उस सुने खेत में शीला की चीखे सुनने वाला कोई नहीं था और शीला की दर्द भरी चीखें रसिक को और उत्तेजित कर रही थी
रसिक का खूँटे जैसा लंड शीला के गरम भोसड़े की दीवार पर रगड़ खाते खाते उसे झड़ने की कगार पर ले आया
"ओह्ह ओह्ह.. आह्ह आह्ह.. ......आआआअ ....ह्ह्ह्ह्ह....मैं अब गई ... बस .....बंद भी कर दे कमीने... जलन हो रही हे..!!"
रसिक के मूसल जेसे लंड से चूत का रेशा रेशा खोल देने वाली चुदाई से खुद को झड़ने से ज्यादा देर रोक नहीं पाई और रसिक की कमर में अपने पेरों की केंची मार कर उससे कस कर लिपट गई
शीला के भोसड़े से रिस रही गरम गरम पानी की बूंदे और योनि का संकुंचन जो की रसिक के लंड को पकड़ और छोड़ रहा था उसे महसूस कर रसिक भी ज्यादा देर तक नहीं टिका रह सका
और ...
" ये ले रांड.. तेरा भोसड़ा भर दूंगा आज तो.. "
और फिर रसिक किसी हांफते हुए कुत्ते की तरह एक निप्पल को मुह में भर कर उसकी नोक को दांतों से चबाते हुए हुए शीला की चूत में अपना एक महीने का इकठ्ठा किया हुआ वीर्य मूतने लगा..
रसिक के लोड़े को अपनी पूत्ती में फूलता पिचकता महसूस कर शीला ने और कस कर रसिक की चौड़ी नंगी छाती को अपने स्तनों से चिपका लिया.. मानों उसका एक एक बूँद वीर्य अपनी बच्चेदानी में भर लेना चाहती हो..
करीब पाँच मिनट तक रसिक लाश की तरह शीला की छाती पर पड़ा रहा.. वासना का बवंडर शांत होते ही, शीला को अब रसिक का वज़न लगने लगा था.. उसने रसिक को धक्का देकर खुद को अलग किया और खटिया से खड़ी हो गई..
रसिक चारपाई पर लेटे हुए अभी भी किसी भेंसे की तरह हांफ रहा था.. उसका मोटा लौड़ा अब किसी मरे हुए मोटे चूहे की तरह उसके विशाल आँड़ों पर पड़ा था और अभी भी हल्का हल्का वीर्य छोड़ रहा था..
अगला रोमांचक अपडेट पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें
Hot updateपिछले अपडेट में आपने पढ़ा की, रसिक के खेत से, तहस नहस होकर लौटी शीला अपनी थकान उतार रही थी तब उसे मदन का फोन आया की वह और एक दिन रुकने वाला है.. ओर तो ओर पिंटू भी अपने घर आने वाला था.. शीला की आँखें चमक उठी.. अब शीला यह सोच रही थी की वह अपनी इस स्वतंत्रता को गँवाने नहीं देगी.. पर इसे बरकरार रखने में, वैशाली और पिंटू बाधा बन रहे थे और ऐसे घुट-घुटकर जीना, शीला के मन को गँवारा नहीं था.. उसका दिमाग योजना बनाने में जुट गया॥ एक और दिन की स्वतंत्रता मिलते ही उसने रसिक को घर बुला लिया और मन भरकर खुद को तृप्त किया..
अब आगे...
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दूसरी सुबह पीयूष के घर पर..
मदन, राजेश और पीयूष डाइनिंग टेबल पर बैठकर नाश्ता कर रहे थे.. अदरख वाली चाय के साथ आलू के पराठे खाते हुए मदन ने देखा की राजेश अब भी नींद में था..
मदन: "काफी थका हुआ लग रहा है राजेश.. कल कितने बजे लौटा था?"
राजेश: "हाँ यार, कल कुछ ज्यादा ही हो गई थी.. आते आते बहोत देर हो गई थी कल रात"
पीयूष: "हम्म.. तो अब आज का क्या प्लान है आप लोगों का?"
मदन: "मुझे तो आज वैशाली के घर जाना है.. उसके ससुर ने मुझे खाने पर बुलाया है.. पिंटू भी आज आ गया होगा"
राजेश: "अरे यार.. !! तो फिर हम घर जाने के लिए कब लौटेंगे?"
मदन: "खाना खाकर तुरंत निकल जाएंगे.. तू भी चल मेरे साथ"
जब राजेश और वैशाली के बीच वो घटना घटी थी.. तब शीला या किसी ने भी मदन को इस बारे में खुलकर नहीं बताया था.. मदन केवल इतना ही जानता था की पिंटू और वैशाली के बीच किसी बात को लेकर कोई बड़ी अनबन हो गई थी.. और आखिर सब सुलझ भी गया और वैशाली की शादी भी हो गई इसलिए उसने उस कारण के बारे में ज्यादा पूछताछ भी नहीं की थी..
वैशाली के घर जाने की बात सुनकर ही राजेश बोल पड़ा "नहीं यार.. तू ही चला जा.. मुझे तो ऑफिस पहुंचना पड़ेगा.. ढेर सारा काम बाकी पड़ा है"
मदन: "यार तो फिर मैं घर वापिस कैसे जाऊंगा?"
राजेश: "एक काम कर, तू मेरी गाड़ी ले जा.. मैं केब बुला लूँगा"
मदन: "अरे नहीं.. ऐसा करने की कोई जरूरत नहीं है.. तू अपने हिसाब से निकल.. मैं तो बस में आ जाऊंगा"
राजेश: "ओके, जैसा तुझे ठीक लगे"
तभी कविता आकर सब की प्लेट मे गरम आलू पराठे परोस गई
पीयूष: "फिर क्या सोचा आप दोनों ने? आप मुझे जल्दी बताइए ताकि मुजे टिकट बुक करने मे आसानी हो"
राजेश: "मेरे हिसाब से, तुम्हें और मदन को जाना चाहिए"
पीयूष: "अरे राजेश सर, ऐसा नहीं चलेगा.. आपकी भी जरूरत वहाँ पड़ेगी"
राजेश: "पीयूष, मदन के रहते तुझे कोई दिक्कत नहीं होगी.. उसे इस फील्ड का बहोत अनुभव है.. दूसरा, रेणुका को इस अवस्था में छोड़कर मैं नहीं आ सकता, यह तुम समझ सकते हो.. और हाँ, कहीं भी मेरी जरूरत पड़ी तो स्काइप या टीम्स पर मीटिंग कर लेंगे..!!"
हकीकत में, राजेश की नहीं जाने की असली वजह फाल्गुनी थी..!! पिछली रात, फार्महाउस पर फाल्गुनी के साथ उसे जो मज़ा आया था.. उसका दिल कर रहा था की वो वहीं पड़ा रहे और उस कमसिन कली के नाजुक जिस्म को भोगता रहे.. !!
पीयूष: "आपकी बात समझ सकता हूँ.. रेणुका मैडम को इस हाल में अकेले छोड़ना भी नहीं चाहिए.. तो फिर यह तय रहा.. मैं और मदन भैया जाएंगे.. मैं आगे का शिड्यूल आपको बता दूंगा मदन भैया"
मदन: "ठीक है पीयूष.. पर थोड़ा जल्दी बताना.. मुझे भी यहाँ के कुछ काम निपटाने है"
पीयूष: "जैसे ही मेरा ट्रावेल एजेंट कनफर्म करेगा, मैं आपको बता दूंगा"
मदन: "ओके.. डन..!!"
नाश्ता खतम करने के बाद, राजेश और मदन, वैशाली के ससुराल की ओर निकल गए.. मदन को वहाँ ड्रॉप करने के बाद राजेश निकल गया.. मदन ने उसे बहोत कहा.. एक बार ऊपर आकर मिलने आने को.. पर पिछले कांड के बाद, वो वैशाली और पिंटू से अंतर बनाए रखता था.. काम का बहाना बनाकर वो निकल गया
थोड़े दूर जाकर, राजेश ने फाल्गुनी को कॉल लगाया.. पर फाल्गुनी ने उठाया नहीं.. कुछ देर इंतज़ार करने के बाद, राजेश अपने शहर की ओर निकल गया..
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उस दिन मदन बस से घर पहुंचा.. पहुंचते हुए रात हो गई थी.. शीला उसका इंतेज़ार कर रही थी.. उसे वैशाली के बारे में जानना था और यह भी पूछना था की पीयूष वाली डील में आखिर मदन क्या किरदार निभाने वाला था.. दस बज गए थे इसलिए शीला अपनी नाइटी पहने बैठी थी
मदन आकर सोफ़े पर बैठा और शीला उसके लिए पानी का गिलास भर लिया.. मदन ने पानी पिया और शीला उसके बगल में बैठ गई..
शीला: "तो कैसा रहा तेरा सफर?"
मदन: "यार, सच बताऊँ तो अब ये बस का सफर राज नहीं आता.. !!"
शीला ने हँसकर कहा "बूढ़ा हो गया है तू.. असली मज़ा तो बस और ट्रेन के सफर मे ही आता है"
मदन ने शीला की खरबूजे जैसी चुची की आगे उपसी हुई निप्पल को दबाते कहा "वो तो अभी तुझे अंदर ले जाकर बेड पर पटक कर चोदूँगा, तब पता चलेगा की मैं कितना बूढ़ा हूँ"
अपनी निप्पल छुड़ाते हुए शीला ने शैतानी भरी मुस्कान के साथ कहा "आज तो बड़ा जोश चढ़ रहा है तुझे.. चल, अभी अंदर जाकर देखते है की कौन कितने पानी में है.. वो सब छोड़.. यह बता की वैशाली के घर पर सब कैसे है?"
मदन: "सब ठीक है.. वैशाली बेहद घुल-मिल गई है अपने ससुराल वालों से.. उसका नाम लेते लेते उसकी सास की तो जुबान ही नहीं थकती.. पिंटू के पापा भी काफी खुश लग रहे थे.. और पिंटू भी.. !! सच में.. बहोत अच्छा खानदान मिल गया हमारी बेटी के लिए.. बड़े अच्छे लोग है.. वैशाली भी एकदम अच्छी तरह वहाँ सेट हो गई है.. बस ऊपरवाले से यही प्रार्थना है की उनका संसार यूं ही खुशी खुशी चलता रहे"
शीला: "वो तो चलेगा ही.. अच्छा ये बता.. पीयूष के साथ क्या बातचीत हुई?"
मदन: "मामला धीरे धीरे आगे बढ़ रहा है.. तैयारियां भी शुरू कर दी ही पीयूष ने.. एक बार बेंक वालों से बात करनी होगी.. लेटर ऑफ क्रेडिट को लेकर कुछ उलझनें जरूर है.. पर वो तो मैं संभाल लूँगा.. लेकिन एक बार अमरीका जाना होगा.. पीयूष और मैं वहाँ साथ जाने की सोच रहे है.. टिकट बुक होते ही पीयूष बताएगा मुझे.. काफी बड़ा ऑर्डर है और पीयूष ने मुझे उस ऑर्डर के ५% देने का वादा किया है"
शीला खुशी से उछल पड़ी "क्या सच में..!! तब तो बड़ी अच्छी कमाई हो जाएगी"
मदन: "हाँ शीला.. रिटायरमेंट के बाकी वर्षों में हमे कभी पैसों की दिक्कत नहीं आएगी उतनी रकम तो मिल ही जाएगी.. वहाँ के मेरे सारे कॉन्टेक्टस काम आ जाएंगे.. पीयूष का काम हो जाएगा और हमारा भी"
शीला ने मदन को गाल पर चूमते हुए कहा "यार मदन.. मुझे नाज़ है तुम पर.. मुझे तो पता ही नहीं था की मेरा पति, इतने काम की चीज है"
मदन: "ऐसा ही होता है, घर की मुर्गी दाल बराबर ही लगती है"
शीला ने अपनी आँखें नचाते हुए नाइटी के ऊपरी हिस्से से दोनों स्तनों को बाहर निकालते हुए कहा "तेरा इन मुर्गियों के बारे मे क्या खयाल है?"
मदन ने लोलुप नज़रों से दोनों स्तनों को देखा और अपने चेहरे के स्तनों की बीच की गहरी खाई में रगड़ते हुए कहा "बड़ा ही नेक खयाल है.. आज तो इन मुर्गियों की अच्छे से खातिरदारी करता हूँ" कहते हुए उसने शीला की निप्पल को मुंह मे डालकर चूस लिया"
शीला ने सोफ़े से उठते हुए मदन को खींचकर खड़ा किया और कहा "सिर्फ मुर्गियों की ही नहीं.. नीचे वाली गुफा की भी मरम्मत करनी होगी"
मदन उठ खड़ा हुआ और शीला के चूतड़ों को अपनी हथेलियों से दबाते हुए बोला "अरे मेरी जान.. आज तो मैं इतना मूड मे हूँ की तेरी आगे पीछे की दोनों गुफाओं की मरम्मत कर दूंगा.. !!"
दोनों ने बेडरूम मे प्रवेश किया और बिस्तर पर बैठ गए..
मदन: "शीला, दरवाजा तो ठीक से बंद कर दिया है ना तूने.. !!"
शीला: "हाँ मदन.. चिंता मत कर.. सब बंद कर दिया है.. अब जो खोलने वाली हूँ उस पर ध्यान दे.. कहते हुए शीला ने अपनी नाइटी उतार फेंकी और बेड पर लेट गई
शीला बेड पर लेटी ही थी की बिजली चली गई और बल्ब बुझ गया.. पूरे कमरे में अंधेरा छा गया.. शीला तो बेतहाशा गरम और गीली हो चुकी थी.. साँसें तेज़ी से चल रही थी, दिमाग और जिस्म में सनसनाहट दौड़ रही थी.. रक्त प्रवाह सौ गुना बढ़ चुका था, चेहरा लाल हो गया था और शीला गहरी-गहरी साँस ले रही थी.. मदन ने शीला को धीरे से धक्का दिया और शीला बेड पर सीधे लेट गई.. मदन शीला की साईड में था और उसका हाथ अभी भी शीला की चूत पे था.. शीला बस ऐसे ही चित्त लेटी रही और उसने अपनी टांगें फेला ली थी.. अब मदन शीला की चूत का अच्छी तरह से मसाज करने लगा.. शीला को बहुत ही मज़ा आ रहा था.. अब उसने शीला का हाथ पकड़ कर अपने अकड़े हुए लंड पे रख दिया और दबाने लगा.. सेक्स के लिए तड़प रहे मदन का लंड मोटा और सख्त हो चला था.. उसने शॉर्ट्स को अपने घुटनों तक खिसका दिया था और शीला के हाथ में अपना लंड थमा दिया था.. शीला ने हमेशा की तरह बिना पैंटी और ब्रा के नाइटी पहनी थी
मदन का हाथ शीला के सर के नीचे था.. उसने दूसरे हाथ से शीला को अपनी तरफ़ करवट दिला दी.. अब दोनों एक दूसरे की तरफ़ मुँह करके करवट से लेटे थे.. उसने शीला को किस करना शुरू किया तो शीला का मुँह अपने आप खुल गया और जल्द ही उसकी ज़ुबान शीला के मुँह के अंदर घुस चुकी थी और शीला उसकी जीभ को चूस रही थी.. शीला के जिस्म में तो जैसे हल्के-हल्के इलेक्ट्रिक शॉक्स लग रहे थे..
शीला मदन के दाहिनी ओर पे थी और वो शीला के उस तरफ.. अब उसने अपने पैरों को चलाते हुए अपनी शॉर्ट्स भी निकाल दी और अपना टी-शर्ट भी.. वो पूरा का पूरा नंगा हो गया था.. उसके सीने के बाल शीला की नाइटी के ऊपर से ही शीला के मदमस्त चूचियों पर लग रहे थे और शीला के निप्पल खड़े हो गये थे.. मदन ने शीला की एक टांग को उठा कर अपनी जाँघ पर रख लिया.. ऐसा करने से शीला की नाइटी थोड़ी सी ऊपर उठ गई तो उसने शीला की जाँघों पे हाथ फेरते-फेरते नाइटी को ऊपर उठाना शुरू किया और शीला की मदद से पूरी नाइटी निकाल दी.. शीला एक दम से अपने होश-ओ-हवास खो चुकी थी और वो जैसे कर रहा था, करने दे रही थी और पूरा मज़ा ले रही थी..
वह दोनों एक दूसरे की तरफ़ करवट लिये लेटे थे और शीला की एक टाँग उसकी जाँघ पे थी और अब उसने शीला के बबलों को मसलना शुरू कर दिया और फिर उन्हें मुँह मे लेकर चूसने लगा.. बूब्स को मुँह में लेते ही शीला के जिस्म में इलेक्ट्रिक करंट दौड़ गया तो शीलाने उसका लंड छोड़ कर उसका सर पकड़ के अपने सीने में घुसा दिया.. वो ज़ोर-ज़ोर से शीला की चूचियों को चूस रहा था और उसका लंड जोश में हिल रहा था.. लंड का सुपाड़ा शीला की भोसड़े के होंठों को छू रहा था.. लंड के सुराख में से प्री-कम भी निकल रहा था..
मदन ने शीला का हाथ अपने सर से हटाया और फिर से अपने लंड पर रख दिया और शीला खुद-ब-खुद ही उसको दबाने लगी और वो शीला की चूत का ऊपर से नीचे मसाज करने लगा.. कभी चूत के सुराख में धीरे से उंगली डाल देता और कभी चूत के होंठों के अंदर ही ऊपर से नीचे और जब कभी शीला की क्लीटोरिस को मसल देता तो शीला जोश में पागल हो जाती.. शीला की एक टाँग उसकी जाँघों पे रखे रहने की वजह से शीला की चूत थोड़ी सी खुल गई थी और लंड का सुपाड़ा चूत से छू रहा था तो शीला ने उसके लंड को पकड़े-पकड़े अपनी चूत के अंदर रगड़ना शुरू कर दिया.. शीला मस्ती से पागल हुई जा रही थी.. शीला को लग रहा था जैसे उसके अंदर कोई लावा उबल रहा है जो बाहर आने को बेचैन है.. इसी तरह से शीला उसके लंड को अपनी चूत में रगड़ती रही और लंड में से निकलता हुआ प्री-कम और शीला की चूत का बहता हुआ रस मिल कर चूत को और ज़्यादा चिपचिपा बना रहे थे.. शीला का मस्ती के मारे बुरा हाल हो चुका था.. अब शीला चाह रही थी के ये लंड उसकी चूत के अंदर घुस जाये और घनघोर चुदाई हो..
मदन ने शीला को फिर से चित्त लिटा दिया और शीला की टाँगों को खोल के बीच में आ गया.. उसने शीला की बे-इंतहा गीली चूत को किस किया तो शीला ने अपने चूतड़ उठा के उसके मुँह में अपनी चूत को घुसेड़ना शुरू कर दिया.. शीला की आँखें बंद हो गई थी और मज़े का आलम तो बस ना पूछो.. इतना मज़ा आ रहा था जिस को बयान न किया जा सके.. उसका मुँह शीला की चूत पे लगते ही शीला की टाँगें खुद-ब-खुद ऊपर उठ गई और मदन की गर्दन पर कैंची की तरह लिपट गई और शीला उसके सर को अपनी टाँगों से अपनी चूत के अंदर घुसेड़ रही थी और उसे ऐसे लग रहा था जैसे अंदर उबलता हुआ लावा अब बाहर निकलने को बेचैन हो.. मदन की जीभ, शीला की क्लीटोरिस को लगते ही शीला के जिस्म में सनसनी सी फैल गई और शीला के मुँह से एक ज़ोर की सिसकरी निकली, “आआआआहहहह सससस”, और शीला की चूत में से गरम-गरम लावा निकलने लगा और पता नहीं कितनी देर तक निकलता रहा.. जब उसका दिमाग ठिकाने पर आया तब देखा कि मदन अभी भी शीला की चूत में अपनी ज़ुबान घुसेड़ के चाट रहा है और पूरी चूत को अपने मुँह में लेकर दाँतों से काट रहा है.. शीला की चूत में अब नए सिरे से चुनचुनी होने लगी..
शीला: "आह्ह.. बहोत हुआ मदन, अब डाल भी दे अंदर.. उफ्फ़!!"
मदन: "ओह शीला, आज मुझे आराम से करने दे..!!:
मदन के हाथ शीला की गाँड के नीचे थे और वो शीला के चूतड़ों को उठा के चूत को चूस रहा था.. शीला अपने चूतड़ों को उछाल-उछाल कर अपना भोसड़ा मदन के मुँह से रगड़ रही थी.. चूत में फिर से गुदगुदी शुरू हो गई थी.. शीला मदन का सर पकड़े हुए अपनी चूत में घुसेड़ रही थी.. अब शायद मदन से भी बर्दाश्त नहीं हो रहा था तो वो अपनी जगह से उठा और शीला की टाँगों के बीच में बैठ गया और अपने लौड़े को हाथ से पकड़ कर उसके सुपाड़े को शीला की गीली और गरम जलती हुई चूत के अंदर, ऊपर से नीचे कर रहा था.. शीला की टाँगें मुड़ी हुई थी.. शीला भी अब चूत-छेदन का इंतज़ार और बर्दाश्त नहीं कर पा रही थी.. उसने अपना हाथ बढ़ा कर मदन के सख्त लंड को अपने हाथों से पकड़ लिया और अपनी चूत के छेद में घिसना शुरू कर दिया..
मदन अब शीला की ऊपर मुड़ गया और शीला के मुँह में अपनी ज़ुबान को घुसेड़ कर किस कर रहा था और शीला उसके लंड को अपनी चूत में घिसे जा रही थी.. शीला की टाँगें मदन की कमर के इर्दगिर्द लपेटी हुई थी और मदन का लंड, शीला की चूत के होंठों के बीच, सैंडविच बना हुआ था.. उसने अपने लंड को चूत के होंठों के बीच में से ऊपर नीचे करना शुरू कर दिया.. चूत बहुत ही स्निग्ध हो गई थी और ऐसे ही ऊपर नीचे करते-करते उसके लंड का मोटा सुपाड़ा शीला के गरम सुराख में अटक गया और शीला मस्ती से सिहर उठी.. मदन ने अपने लंड को थोड़ा सा और धकेला तो उसका पूरा लंड, चूत के अंदर घुस गया.. अब शीला ने अपने दाँत ज़ोर से बंद कर लिये..
मदन ने सुपाड़े को धीरे-धीरे अंदर-बाहर करना शुरू किया तो शीलाने अपने दोनों हाथ बढ़ा कर मदन को अपनी बांहों में ज़ोर से जकड़ लिया.. अब मदन शीला की चूचियों को चूसने लगा तो शीला के जिस्म में फिर से सनसनी सी फैलनी शुरू हो गई और शीला उसकी कमर पर अपने हाथ फिराने लगी..
मदन अपने लंड के सुपाड़े को शीला की बुर के अंदर बाहर करने लगा.. शीला की चूत से निकल रहे रस की वजह से उसके लंड का टोपा अब अंदर-बाहर आसानी से सरक रहा था..
धनाधन चुदाई हुई और शीला के भोसड़े मे जैसे जश्न शुरू हो गया..
धक्के लगाते लगाते मदन बीच में ही रुक गया.. और शीला के बबलों को चूसने लगा.. मदन का यह तरीका था.. रुक रुक कर चोदना.. इससे शीला की उत्तेजना और बढ़ जाती थी और फिर दोनों को चोदने में दोगुना मज़ा भी आता था..
अब मदन ने अपने हाथ शीला की बगल से निकाल कर शीला के कंधों को पकड़ लिया और शीला को चूमने लगा.. पोज़िशन ऐसी थी कि दोनों के जिस्म के बीच में शीला के बबले पिचक गये थे.. मदन शीला पर झुका हुआ था और उसका लंड शीला की चूत के अंदर घुसा हुआ था.. मदन ने धीरे-धीरे लंड को फिर से अंदर-बाहर कर, शीला की चुदाई शुरू की और शीला मज़े से पागल होने लगी.. शीला की चूत में उसका मोटा लंड फँसा हुआ था और अंदर-बाहर हो रहा था..
शीला को अब लगने लगा जैसे उसका स्खलन अंदर उबल रहा हो और बाहर निकलने को बेचैन है.. तभी ही मदन ने अपने लंड को शीला की चूत से पूरा बाहर निकाल लिया.. शीला को अपनी चूत खाली-खाली लगने लगी और फिर देखते ही देखते उसने इतनी ज़ोर का झटका मारा और शीला के मुँह से चींख निकल पड़ी, “ऊऊऊऊईईईईईई मां...आआआआआहह जबरदस्त यार.. मज़ा आ रहा है मदन”,
शीला मदन से लिपट गई उसको ज़ोर से पकड़ लिया और उसका शरीर अकड़ने लगा.. थरथराते हुए उसका भोसड़ा एकदम से सिकुड़ गया और अंदरूनी दीवारों ने मदन के लंड को निचोड़ दिया.. एक पल के लिए शीला की आँखों के आगे अंधेरा सा छा गया.. शीला के भोसड़े ने डकार मार ली थी..
पता नहीं शीला कितनी देर मदन को ज़ोर से चिपकी रही.. जब उसे होश आया तो देखा कि मदन अपने लंड से शीला की फटी चूत को चोद रहा था.. उसका लंड अंदर-बाहर हो रहा है और शीला फिर से “ऊऊऊऊईईईईई आआआआहहहह औंऔंऔंऔं आआआईईईई” जैसी आवाज़ें निकालने लगी.. मदन अब रुकने का नाम नहीं ले रहा था.. लग रहा था जैसे पागल हो गया हो.. ज़ोर-ज़ोर से शॉट लगा रहा था..
मदन शीला को चोदे ही जा रहा था.. शीला उसके जिस्म से चिपकी हुई थी और मदन के हर धक्के के साथ उसके बबले आगे पीछे हो रहे थे.. थोड़ी ही देर में जब शीला फिर से गरम हो गई तो उसे अब और मज़ा आने लगा.. मदन के हाथ अभी भी शीला के कंधों को पकड़े हुए थे और वो अपनी गाँड उठा-उठा कर लंड को पूरा सिरे तक बाहर निकालता और जोर के झटके से चूत के अंदर घुसेड़ देता.. उसके चोदने की स्पीड बढ़ गई थी.. शीला को अपनी बुर के अंदर ही उसका लंड फूलता हुआ महसूस हुआ..
शीला ने फिर से मदन को ज़ोर से अपनी बांहों में जकड़ लिया.. उसके साथ ही उसके लंड से गरम-गरम मलाईदार वीर्य निकलने लगा और शीला की चूत को भरने लगा.. शीला की चूत का लावा भी ऐसे बाहर निकलने लगा जैसे बाँध तोड़ कर नदी का पानी बाहर निकल जाता है.. शीला के जिस्म में झटके लग रहे थे और दिमाग में सनसनाहट हो रही थी.. बहुत ही मज़ा आ रहा था.. मदन अभी भी धीरे-धीरे चुदाई कर रहा था.. जितनी देर तक उसकी मलाई निकलती रही, उसके धक्के चलते रहे और फिर वो अचानक शीला के बबलों पर धम्म से गिर गया.. दोनों गहरी गहरी साँसें ले रहे थे.. शीला उसके बालों में हाथ फेर रही थी.. टाँगें खुली पड़ी थी और शीला चित्त लेटी रही.. मदन का लंड अभी भी शीला की चूत के अंदर ही था पर अब वो धीरे-धीरे नरम होने लगा था और फिर पुच की आवाज़ के साथ उसका लंड शीला की चूत के सुराख से बाहर निकल गया.. चूत के रस और वीर्य की मिश्र मलाई जो चूत के अंदर जमा हो चुकी थी, वो बाहर निकल रही थी जो शीला की गांड की दरार पर से होती हुई बेड की चादर पर गिर रही थी..
मदन थोड़ी देर तक शीला के ऊपर ऐसे ही पड़ा रहा..
शीला ने मुसकुराते हुए कहा "आज तो मजे करवा दिए तूने.. कोई गोली-वोली खा ली थी क्या?"
मदन ने हँसते हुए कहा "अरे मेरी जान.. एक बार तुझे नंगे बदन देख लेने के बाद किसी गोली की जरूरत ही कहाँ पड़ती है..!!"
शीला रूठने की एक्टिंग करते हुए बोली "फिर भी, दुधारू औरतों जैसी आकर्षक तो नहीं लगती हूँ ना.. वो फ़िरंगन मेरी और देसी रूखी जैसी"
मदन: "हाय शीला... !!! क्या याद दिला दिया यार.. !!! बहोत मन हो रहा है.. चूचियों से दूध चूसने का बड़ा मन हो रहा है " अपने सुस्त लंड को सहलाते हुए मदन ने कहा
शीला: "जानती हूँ मदन.. दूध टपकाते बबलों के लिए तेरी जो चाह है.. इसीलिए तो मैंने सामने से रूखी को सेट किया है तेरे लिए.. !!"
मदन: "पर क्या फायदा यार.. !! वैशाली और पिंटू यहाँ पड़ोस मे हो तब उसे घर बुलाने की सोच भी नहीं सकते.. रूखी के घर उसके सास और ससुर के रहते मुमकिन नहीं होता.. और अब इस उम्र में उसे ओयो-रूम मे ले जाना अच्छा नहीं लगेगा.. वैसे भी.. एक बार के उस होटल के कांड से बाल बाल बचे है.. दोबारा हिम्मत नहीं होती"
शीला: "सच कहा तूने यार.. पहले तो राजेश भी हफ्ता भर यहाँ पड़ा रहता था.. रेणुका भी आती थी और हम सब साथ में कितने मजे करते थे.. !! वैशाली की शादी के बाद सब बंद हो गया"
मदन: "बड़ी मस्त लाइफ थी यार.. बीच बीच में रूखी का जुगाड़ भी हो जाता था और रसिक साथ आता तो तेरा भी काम हो जाता था.. पता नहीं यार, वो दिन फिर वापिस लौटकर आएंगे भी या नहीं"
शीला ने एक गहरी सांस लेकर कहा "आएंगे मदन.. जरूर लौटकर आएंगे.. मैं लाऊँगी वो सारी दिन वापस.. तू फिलहाल अपने काम पर ध्यान दे.. एक बार ये ऑर्डर खत्म हो जाए फिर मैं तुझे और कोई नया काम नहीं करने दूँगी.. बस आराम से साथ मजे करेंगे"
मदन: "पर कैसा होगा शीला? पिंटू और वैशाली के यहाँ रहते हुए कैसे होगा?"
शीला: "होगा मदन.. सब कुछ होगा.. वो सब तू मुझ पर छोड़ दे.. मैंने कुछ सोचा है इसके बारे में.. और जल्द ही हमारा काम हो जाएगा.. एक बार मैं कुछ करने की ठान लूँ फिर मैं वो करके ही रहती हूँ, तुझे तो पता है"
शीला का आत्मविश्वास देखकर मदन एक पल के लिए घबरा गया "यार कुछ उल्टा-सीधा करने की तो नहीं सोच रही तू..!!"
शीला: "पागल है क्या.. !! वैशाली और पिंटू को आंच भी नहीं आने दूँगी.. ऐसा रास्ता निकालूँगी की वह दोनों भी खुश हो जाएंगे और हमारे रास्ते के कांटा भी दूर हो जाएगा"
मदन: "तूने क्या सोचा है, यह तो तू बताएगी नहीं.. हमेशा की तरह"
शीला: "सही कहा.. नहीं बताऊँगी..बस करके दिखाऊँगी.. तू बस आम खाने से मतलब रख... गुठलियाँ गिनने की जरूरत नहीं है"
मदन ने हार मान ली "ठीक है बाबा,.. जैसा तुझे ठीक लगे.. पर जो भी करना सोच समझ कर करना"
शीला को आगोश में लेकर मदन उसे सहलाने लगा और दोनों की आँख लग गई
बहुत ही गरमागरम कामुक और उत्तेजना से भरपूर कामोत्तेजक अपडेट है भाई मजा आ गयापिछले अपडेट में आपने पढ़ा की, रसिक के खेत से, तहस नहस होकर लौटी शीला अपनी थकान उतार रही थी तब उसे मदन का फोन आया की वह और एक दिन रुकने वाला है.. ओर तो ओर पिंटू भी अपने घर आने वाला था.. शीला की आँखें चमक उठी.. अब शीला यह सोच रही थी की वह अपनी इस स्वतंत्रता को गँवाने नहीं देगी.. पर इसे बरकरार रखने में, वैशाली और पिंटू बाधा बन रहे थे और ऐसे घुट-घुटकर जीना, शीला के मन को गँवारा नहीं था.. उसका दिमाग योजना बनाने में जुट गया॥ एक और दिन की स्वतंत्रता मिलते ही उसने रसिक को घर बुला लिया और मन भरकर खुद को तृप्त किया..
अब आगे...
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दूसरी सुबह पीयूष के घर पर..
मदन, राजेश और पीयूष डाइनिंग टेबल पर बैठकर नाश्ता कर रहे थे.. अदरख वाली चाय के साथ आलू के पराठे खाते हुए मदन ने देखा की राजेश अब भी नींद में था..
मदन: "काफी थका हुआ लग रहा है राजेश.. कल कितने बजे लौटा था?"
राजेश: "हाँ यार, कल कुछ ज्यादा ही हो गई थी.. आते आते बहोत देर हो गई थी कल रात"
पीयूष: "हम्म.. तो अब आज का क्या प्लान है आप लोगों का?"
मदन: "मुझे तो आज वैशाली के घर जाना है.. उसके ससुर ने मुझे खाने पर बुलाया है.. पिंटू भी आज आ गया होगा"
राजेश: "अरे यार.. !! तो फिर हम घर जाने के लिए कब लौटेंगे?"
मदन: "खाना खाकर तुरंत निकल जाएंगे.. तू भी चल मेरे साथ"
जब राजेश और वैशाली के बीच वो घटना घटी थी.. तब शीला या किसी ने भी मदन को इस बारे में खुलकर नहीं बताया था.. मदन केवल इतना ही जानता था की पिंटू और वैशाली के बीच किसी बात को लेकर कोई बड़ी अनबन हो गई थी.. और आखिर सब सुलझ भी गया और वैशाली की शादी भी हो गई इसलिए उसने उस कारण के बारे में ज्यादा पूछताछ भी नहीं की थी..
वैशाली के घर जाने की बात सुनकर ही राजेश बोल पड़ा "नहीं यार.. तू ही चला जा.. मुझे तो ऑफिस पहुंचना पड़ेगा.. ढेर सारा काम बाकी पड़ा है"
मदन: "यार तो फिर मैं घर वापिस कैसे जाऊंगा?"
राजेश: "एक काम कर, तू मेरी गाड़ी ले जा.. मैं केब बुला लूँगा"
मदन: "अरे नहीं.. ऐसा करने की कोई जरूरत नहीं है.. तू अपने हिसाब से निकल.. मैं तो बस में आ जाऊंगा"
राजेश: "ओके, जैसा तुझे ठीक लगे"
तभी कविता आकर सब की प्लेट मे गरम आलू पराठे परोस गई
पीयूष: "फिर क्या सोचा आप दोनों ने? आप मुझे जल्दी बताइए ताकि मुजे टिकट बुक करने मे आसानी हो"
राजेश: "मेरे हिसाब से, तुम्हें और मदन को जाना चाहिए"
पीयूष: "अरे राजेश सर, ऐसा नहीं चलेगा.. आपकी भी जरूरत वहाँ पड़ेगी"
राजेश: "पीयूष, मदन के रहते तुझे कोई दिक्कत नहीं होगी.. उसे इस फील्ड का बहोत अनुभव है.. दूसरा, रेणुका को इस अवस्था में छोड़कर मैं नहीं आ सकता, यह तुम समझ सकते हो.. और हाँ, कहीं भी मेरी जरूरत पड़ी तो स्काइप या टीम्स पर मीटिंग कर लेंगे..!!"
हकीकत में, राजेश की नहीं जाने की असली वजह फाल्गुनी थी..!! पिछली रात, फार्महाउस पर फाल्गुनी के साथ उसे जो मज़ा आया था.. उसका दिल कर रहा था की वो वहीं पड़ा रहे और उस कमसिन कली के नाजुक जिस्म को भोगता रहे.. !!
पीयूष: "आपकी बात समझ सकता हूँ.. रेणुका मैडम को इस हाल में अकेले छोड़ना भी नहीं चाहिए.. तो फिर यह तय रहा.. मैं और मदन भैया जाएंगे.. मैं आगे का शिड्यूल आपको बता दूंगा मदन भैया"
मदन: "ठीक है पीयूष.. पर थोड़ा जल्दी बताना.. मुझे भी यहाँ के कुछ काम निपटाने है"
पीयूष: "जैसे ही मेरा ट्रावेल एजेंट कनफर्म करेगा, मैं आपको बता दूंगा"
मदन: "ओके.. डन..!!"
नाश्ता खतम करने के बाद, राजेश और मदन, वैशाली के ससुराल की ओर निकल गए.. मदन को वहाँ ड्रॉप करने के बाद राजेश निकल गया.. मदन ने उसे बहोत कहा.. एक बार ऊपर आकर मिलने आने को.. पर पिछले कांड के बाद, वो वैशाली और पिंटू से अंतर बनाए रखता था.. काम का बहाना बनाकर वो निकल गया
थोड़े दूर जाकर, राजेश ने फाल्गुनी को कॉल लगाया.. पर फाल्गुनी ने उठाया नहीं.. कुछ देर इंतज़ार करने के बाद, राजेश अपने शहर की ओर निकल गया..
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उस दिन मदन बस से घर पहुंचा.. पहुंचते हुए रात हो गई थी.. शीला उसका इंतेज़ार कर रही थी.. उसे वैशाली के बारे में जानना था और यह भी पूछना था की पीयूष वाली डील में आखिर मदन क्या किरदार निभाने वाला था.. दस बज गए थे इसलिए शीला अपनी नाइटी पहने बैठी थी
मदन आकर सोफ़े पर बैठा और शीला उसके लिए पानी का गिलास भर लिया.. मदन ने पानी पिया और शीला उसके बगल में बैठ गई..
शीला: "तो कैसा रहा तेरा सफर?"
मदन: "यार, सच बताऊँ तो अब ये बस का सफर राज नहीं आता.. !!"
शीला ने हँसकर कहा "बूढ़ा हो गया है तू.. असली मज़ा तो बस और ट्रेन के सफर मे ही आता है"
मदन ने शीला की खरबूजे जैसी चुची की आगे उपसी हुई निप्पल को दबाते कहा "वो तो अभी तुझे अंदर ले जाकर बेड पर पटक कर चोदूँगा, तब पता चलेगा की मैं कितना बूढ़ा हूँ"
अपनी निप्पल छुड़ाते हुए शीला ने शैतानी भरी मुस्कान के साथ कहा "आज तो बड़ा जोश चढ़ रहा है तुझे.. चल, अभी अंदर जाकर देखते है की कौन कितने पानी में है.. वो सब छोड़.. यह बता की वैशाली के घर पर सब कैसे है?"
मदन: "सब ठीक है.. वैशाली बेहद घुल-मिल गई है अपने ससुराल वालों से.. उसका नाम लेते लेते उसकी सास की तो जुबान ही नहीं थकती.. पिंटू के पापा भी काफी खुश लग रहे थे.. और पिंटू भी.. !! सच में.. बहोत अच्छा खानदान मिल गया हमारी बेटी के लिए.. बड़े अच्छे लोग है.. वैशाली भी एकदम अच्छी तरह वहाँ सेट हो गई है.. बस ऊपरवाले से यही प्रार्थना है की उनका संसार यूं ही खुशी खुशी चलता रहे"
शीला: "वो तो चलेगा ही.. अच्छा ये बता.. पीयूष के साथ क्या बातचीत हुई?"
मदन: "मामला धीरे धीरे आगे बढ़ रहा है.. तैयारियां भी शुरू कर दी ही पीयूष ने.. एक बार बेंक वालों से बात करनी होगी.. लेटर ऑफ क्रेडिट को लेकर कुछ उलझनें जरूर है.. पर वो तो मैं संभाल लूँगा.. लेकिन एक बार अमरीका जाना होगा.. पीयूष और मैं वहाँ साथ जाने की सोच रहे है.. टिकट बुक होते ही पीयूष बताएगा मुझे.. काफी बड़ा ऑर्डर है और पीयूष ने मुझे उस ऑर्डर के ५% देने का वादा किया है"
शीला खुशी से उछल पड़ी "क्या सच में..!! तब तो बड़ी अच्छी कमाई हो जाएगी"
मदन: "हाँ शीला.. रिटायरमेंट के बाकी वर्षों में हमे कभी पैसों की दिक्कत नहीं आएगी उतनी रकम तो मिल ही जाएगी.. वहाँ के मेरे सारे कॉन्टेक्टस काम आ जाएंगे.. पीयूष का काम हो जाएगा और हमारा भी"
शीला ने मदन को गाल पर चूमते हुए कहा "यार मदन.. मुझे नाज़ है तुम पर.. मुझे तो पता ही नहीं था की मेरा पति, इतने काम की चीज है"
मदन: "ऐसा ही होता है, घर की मुर्गी दाल बराबर ही लगती है"
शीला ने अपनी आँखें नचाते हुए नाइटी के ऊपरी हिस्से से दोनों स्तनों को बाहर निकालते हुए कहा "तेरा इन मुर्गियों के बारे मे क्या खयाल है?"
मदन ने लोलुप नज़रों से दोनों स्तनों को देखा और अपने चेहरे के स्तनों की बीच की गहरी खाई में रगड़ते हुए कहा "बड़ा ही नेक खयाल है.. आज तो इन मुर्गियों की अच्छे से खातिरदारी करता हूँ" कहते हुए उसने शीला की निप्पल को मुंह मे डालकर चूस लिया"
शीला ने सोफ़े से उठते हुए मदन को खींचकर खड़ा किया और कहा "सिर्फ मुर्गियों की ही नहीं.. नीचे वाली गुफा की भी मरम्मत करनी होगी"
मदन उठ खड़ा हुआ और शीला के चूतड़ों को अपनी हथेलियों से दबाते हुए बोला "अरे मेरी जान.. आज तो मैं इतना मूड मे हूँ की तेरी आगे पीछे की दोनों गुफाओं की मरम्मत कर दूंगा.. !!"
दोनों ने बेडरूम मे प्रवेश किया और बिस्तर पर बैठ गए..
मदन: "शीला, दरवाजा तो ठीक से बंद कर दिया है ना तूने.. !!"
शीला: "हाँ मदन.. चिंता मत कर.. सब बंद कर दिया है.. अब जो खोलने वाली हूँ उस पर ध्यान दे.. कहते हुए शीला ने अपनी नाइटी उतार फेंकी और बेड पर लेट गई
शीला बेड पर लेटी ही थी की बिजली चली गई और बल्ब बुझ गया.. पूरे कमरे में अंधेरा छा गया.. शीला तो बेतहाशा गरम और गीली हो चुकी थी.. साँसें तेज़ी से चल रही थी, दिमाग और जिस्म में सनसनाहट दौड़ रही थी.. रक्त प्रवाह सौ गुना बढ़ चुका था, चेहरा लाल हो गया था और शीला गहरी-गहरी साँस ले रही थी.. मदन ने शीला को धीरे से धक्का दिया और शीला बेड पर सीधे लेट गई.. मदन शीला की साईड में था और उसका हाथ अभी भी शीला की चूत पे था.. शीला बस ऐसे ही चित्त लेटी रही और उसने अपनी टांगें फेला ली थी.. अब मदन शीला की चूत का अच्छी तरह से मसाज करने लगा.. शीला को बहुत ही मज़ा आ रहा था.. अब उसने शीला का हाथ पकड़ कर अपने अकड़े हुए लंड पे रख दिया और दबाने लगा.. सेक्स के लिए तड़प रहे मदन का लंड मोटा और सख्त हो चला था.. उसने शॉर्ट्स को अपने घुटनों तक खिसका दिया था और शीला के हाथ में अपना लंड थमा दिया था.. शीला ने हमेशा की तरह बिना पैंटी और ब्रा के नाइटी पहनी थी
मदन का हाथ शीला के सर के नीचे था.. उसने दूसरे हाथ से शीला को अपनी तरफ़ करवट दिला दी.. अब दोनों एक दूसरे की तरफ़ मुँह करके करवट से लेटे थे.. उसने शीला को किस करना शुरू किया तो शीला का मुँह अपने आप खुल गया और जल्द ही उसकी ज़ुबान शीला के मुँह के अंदर घुस चुकी थी और शीला उसकी जीभ को चूस रही थी.. शीला के जिस्म में तो जैसे हल्के-हल्के इलेक्ट्रिक शॉक्स लग रहे थे..
शीला मदन के दाहिनी ओर पे थी और वो शीला के उस तरफ.. अब उसने अपने पैरों को चलाते हुए अपनी शॉर्ट्स भी निकाल दी और अपना टी-शर्ट भी.. वो पूरा का पूरा नंगा हो गया था.. उसके सीने के बाल शीला की नाइटी के ऊपर से ही शीला के मदमस्त चूचियों पर लग रहे थे और शीला के निप्पल खड़े हो गये थे.. मदन ने शीला की एक टांग को उठा कर अपनी जाँघ पर रख लिया.. ऐसा करने से शीला की नाइटी थोड़ी सी ऊपर उठ गई तो उसने शीला की जाँघों पे हाथ फेरते-फेरते नाइटी को ऊपर उठाना शुरू किया और शीला की मदद से पूरी नाइटी निकाल दी.. शीला एक दम से अपने होश-ओ-हवास खो चुकी थी और वो जैसे कर रहा था, करने दे रही थी और पूरा मज़ा ले रही थी..
वह दोनों एक दूसरे की तरफ़ करवट लिये लेटे थे और शीला की एक टाँग उसकी जाँघ पे थी और अब उसने शीला के बबलों को मसलना शुरू कर दिया और फिर उन्हें मुँह मे लेकर चूसने लगा.. बूब्स को मुँह में लेते ही शीला के जिस्म में इलेक्ट्रिक करंट दौड़ गया तो शीलाने उसका लंड छोड़ कर उसका सर पकड़ के अपने सीने में घुसा दिया.. वो ज़ोर-ज़ोर से शीला की चूचियों को चूस रहा था और उसका लंड जोश में हिल रहा था.. लंड का सुपाड़ा शीला की भोसड़े के होंठों को छू रहा था.. लंड के सुराख में से प्री-कम भी निकल रहा था..
मदन ने शीला का हाथ अपने सर से हटाया और फिर से अपने लंड पर रख दिया और शीला खुद-ब-खुद ही उसको दबाने लगी और वो शीला की चूत का ऊपर से नीचे मसाज करने लगा.. कभी चूत के सुराख में धीरे से उंगली डाल देता और कभी चूत के होंठों के अंदर ही ऊपर से नीचे और जब कभी शीला की क्लीटोरिस को मसल देता तो शीला जोश में पागल हो जाती.. शीला की एक टाँग उसकी जाँघों पे रखे रहने की वजह से शीला की चूत थोड़ी सी खुल गई थी और लंड का सुपाड़ा चूत से छू रहा था तो शीला ने उसके लंड को पकड़े-पकड़े अपनी चूत के अंदर रगड़ना शुरू कर दिया.. शीला मस्ती से पागल हुई जा रही थी.. शीला को लग रहा था जैसे उसके अंदर कोई लावा उबल रहा है जो बाहर आने को बेचैन है.. इसी तरह से शीला उसके लंड को अपनी चूत में रगड़ती रही और लंड में से निकलता हुआ प्री-कम और शीला की चूत का बहता हुआ रस मिल कर चूत को और ज़्यादा चिपचिपा बना रहे थे.. शीला का मस्ती के मारे बुरा हाल हो चुका था.. अब शीला चाह रही थी के ये लंड उसकी चूत के अंदर घुस जाये और घनघोर चुदाई हो..
मदन ने शीला को फिर से चित्त लिटा दिया और शीला की टाँगों को खोल के बीच में आ गया.. उसने शीला की बे-इंतहा गीली चूत को किस किया तो शीला ने अपने चूतड़ उठा के उसके मुँह में अपनी चूत को घुसेड़ना शुरू कर दिया.. शीला की आँखें बंद हो गई थी और मज़े का आलम तो बस ना पूछो.. इतना मज़ा आ रहा था जिस को बयान न किया जा सके.. उसका मुँह शीला की चूत पे लगते ही शीला की टाँगें खुद-ब-खुद ऊपर उठ गई और मदन की गर्दन पर कैंची की तरह लिपट गई और शीला उसके सर को अपनी टाँगों से अपनी चूत के अंदर घुसेड़ रही थी और उसे ऐसे लग रहा था जैसे अंदर उबलता हुआ लावा अब बाहर निकलने को बेचैन हो.. मदन की जीभ, शीला की क्लीटोरिस को लगते ही शीला के जिस्म में सनसनी सी फैल गई और शीला के मुँह से एक ज़ोर की सिसकरी निकली, “आआआआहहहह सससस”, और शीला की चूत में से गरम-गरम लावा निकलने लगा और पता नहीं कितनी देर तक निकलता रहा.. जब उसका दिमाग ठिकाने पर आया तब देखा कि मदन अभी भी शीला की चूत में अपनी ज़ुबान घुसेड़ के चाट रहा है और पूरी चूत को अपने मुँह में लेकर दाँतों से काट रहा है.. शीला की चूत में अब नए सिरे से चुनचुनी होने लगी..
शीला: "आह्ह.. बहोत हुआ मदन, अब डाल भी दे अंदर.. उफ्फ़!!"
मदन: "ओह शीला, आज मुझे आराम से करने दे..!!:
मदन के हाथ शीला की गाँड के नीचे थे और वो शीला के चूतड़ों को उठा के चूत को चूस रहा था.. शीला अपने चूतड़ों को उछाल-उछाल कर अपना भोसड़ा मदन के मुँह से रगड़ रही थी.. चूत में फिर से गुदगुदी शुरू हो गई थी.. शीला मदन का सर पकड़े हुए अपनी चूत में घुसेड़ रही थी.. अब शायद मदन से भी बर्दाश्त नहीं हो रहा था तो वो अपनी जगह से उठा और शीला की टाँगों के बीच में बैठ गया और अपने लौड़े को हाथ से पकड़ कर उसके सुपाड़े को शीला की गीली और गरम जलती हुई चूत के अंदर, ऊपर से नीचे कर रहा था.. शीला की टाँगें मुड़ी हुई थी.. शीला भी अब चूत-छेदन का इंतज़ार और बर्दाश्त नहीं कर पा रही थी.. उसने अपना हाथ बढ़ा कर मदन के सख्त लंड को अपने हाथों से पकड़ लिया और अपनी चूत के छेद में घिसना शुरू कर दिया..
मदन अब शीला की ऊपर मुड़ गया और शीला के मुँह में अपनी ज़ुबान को घुसेड़ कर किस कर रहा था और शीला उसके लंड को अपनी चूत में घिसे जा रही थी.. शीला की टाँगें मदन की कमर के इर्दगिर्द लपेटी हुई थी और मदन का लंड, शीला की चूत के होंठों के बीच, सैंडविच बना हुआ था.. उसने अपने लंड को चूत के होंठों के बीच में से ऊपर नीचे करना शुरू कर दिया.. चूत बहुत ही स्निग्ध हो गई थी और ऐसे ही ऊपर नीचे करते-करते उसके लंड का मोटा सुपाड़ा शीला के गरम सुराख में अटक गया और शीला मस्ती से सिहर उठी.. मदन ने अपने लंड को थोड़ा सा और धकेला तो उसका पूरा लंड, चूत के अंदर घुस गया.. अब शीला ने अपने दाँत ज़ोर से बंद कर लिये..
मदन ने सुपाड़े को धीरे-धीरे अंदर-बाहर करना शुरू किया तो शीलाने अपने दोनों हाथ बढ़ा कर मदन को अपनी बांहों में ज़ोर से जकड़ लिया.. अब मदन शीला की चूचियों को चूसने लगा तो शीला के जिस्म में फिर से सनसनी सी फैलनी शुरू हो गई और शीला उसकी कमर पर अपने हाथ फिराने लगी..
मदन अपने लंड के सुपाड़े को शीला की बुर के अंदर बाहर करने लगा.. शीला की चूत से निकल रहे रस की वजह से उसके लंड का टोपा अब अंदर-बाहर आसानी से सरक रहा था..
धनाधन चुदाई हुई और शीला के भोसड़े मे जैसे जश्न शुरू हो गया..
धक्के लगाते लगाते मदन बीच में ही रुक गया.. और शीला के बबलों को चूसने लगा.. मदन का यह तरीका था.. रुक रुक कर चोदना.. इससे शीला की उत्तेजना और बढ़ जाती थी और फिर दोनों को चोदने में दोगुना मज़ा भी आता था..
अब मदन ने अपने हाथ शीला की बगल से निकाल कर शीला के कंधों को पकड़ लिया और शीला को चूमने लगा.. पोज़िशन ऐसी थी कि दोनों के जिस्म के बीच में शीला के बबले पिचक गये थे.. मदन शीला पर झुका हुआ था और उसका लंड शीला की चूत के अंदर घुसा हुआ था.. मदन ने धीरे-धीरे लंड को फिर से अंदर-बाहर कर, शीला की चुदाई शुरू की और शीला मज़े से पागल होने लगी.. शीला की चूत में उसका मोटा लंड फँसा हुआ था और अंदर-बाहर हो रहा था..
शीला को अब लगने लगा जैसे उसका स्खलन अंदर उबल रहा हो और बाहर निकलने को बेचैन है.. तभी ही मदन ने अपने लंड को शीला की चूत से पूरा बाहर निकाल लिया.. शीला को अपनी चूत खाली-खाली लगने लगी और फिर देखते ही देखते उसने इतनी ज़ोर का झटका मारा और शीला के मुँह से चींख निकल पड़ी, “ऊऊऊऊईईईईईई मां...आआआआआहह जबरदस्त यार.. मज़ा आ रहा है मदन”,
शीला मदन से लिपट गई उसको ज़ोर से पकड़ लिया और उसका शरीर अकड़ने लगा.. थरथराते हुए उसका भोसड़ा एकदम से सिकुड़ गया और अंदरूनी दीवारों ने मदन के लंड को निचोड़ दिया.. एक पल के लिए शीला की आँखों के आगे अंधेरा सा छा गया.. शीला के भोसड़े ने डकार मार ली थी..
पता नहीं शीला कितनी देर मदन को ज़ोर से चिपकी रही.. जब उसे होश आया तो देखा कि मदन अपने लंड से शीला की फटी चूत को चोद रहा था.. उसका लंड अंदर-बाहर हो रहा है और शीला फिर से “ऊऊऊऊईईईईई आआआआहहहह औंऔंऔंऔं आआआईईईई” जैसी आवाज़ें निकालने लगी.. मदन अब रुकने का नाम नहीं ले रहा था.. लग रहा था जैसे पागल हो गया हो.. ज़ोर-ज़ोर से शॉट लगा रहा था..
मदन शीला को चोदे ही जा रहा था.. शीला उसके जिस्म से चिपकी हुई थी और मदन के हर धक्के के साथ उसके बबले आगे पीछे हो रहे थे.. थोड़ी ही देर में जब शीला फिर से गरम हो गई तो उसे अब और मज़ा आने लगा.. मदन के हाथ अभी भी शीला के कंधों को पकड़े हुए थे और वो अपनी गाँड उठा-उठा कर लंड को पूरा सिरे तक बाहर निकालता और जोर के झटके से चूत के अंदर घुसेड़ देता.. उसके चोदने की स्पीड बढ़ गई थी.. शीला को अपनी बुर के अंदर ही उसका लंड फूलता हुआ महसूस हुआ..
शीला ने फिर से मदन को ज़ोर से अपनी बांहों में जकड़ लिया.. उसके साथ ही उसके लंड से गरम-गरम मलाईदार वीर्य निकलने लगा और शीला की चूत को भरने लगा.. शीला की चूत का लावा भी ऐसे बाहर निकलने लगा जैसे बाँध तोड़ कर नदी का पानी बाहर निकल जाता है.. शीला के जिस्म में झटके लग रहे थे और दिमाग में सनसनाहट हो रही थी.. बहुत ही मज़ा आ रहा था.. मदन अभी भी धीरे-धीरे चुदाई कर रहा था.. जितनी देर तक उसकी मलाई निकलती रही, उसके धक्के चलते रहे और फिर वो अचानक शीला के बबलों पर धम्म से गिर गया.. दोनों गहरी गहरी साँसें ले रहे थे.. शीला उसके बालों में हाथ फेर रही थी.. टाँगें खुली पड़ी थी और शीला चित्त लेटी रही.. मदन का लंड अभी भी शीला की चूत के अंदर ही था पर अब वो धीरे-धीरे नरम होने लगा था और फिर पुच की आवाज़ के साथ उसका लंड शीला की चूत के सुराख से बाहर निकल गया.. चूत के रस और वीर्य की मिश्र मलाई जो चूत के अंदर जमा हो चुकी थी, वो बाहर निकल रही थी जो शीला की गांड की दरार पर से होती हुई बेड की चादर पर गिर रही थी..
मदन थोड़ी देर तक शीला के ऊपर ऐसे ही पड़ा रहा..
शीला ने मुसकुराते हुए कहा "आज तो मजे करवा दिए तूने.. कोई गोली-वोली खा ली थी क्या?"
मदन ने हँसते हुए कहा "अरे मेरी जान.. एक बार तुझे नंगे बदन देख लेने के बाद किसी गोली की जरूरत ही कहाँ पड़ती है..!!"
शीला रूठने की एक्टिंग करते हुए बोली "फिर भी, दुधारू औरतों जैसी आकर्षक तो नहीं लगती हूँ ना.. वो फ़िरंगन मेरी और देसी रूखी जैसी"
मदन: "हाय शीला... !!! क्या याद दिला दिया यार.. !!! बहोत मन हो रहा है.. चूचियों से दूध चूसने का बड़ा मन हो रहा है " अपने सुस्त लंड को सहलाते हुए मदन ने कहा
शीला: "जानती हूँ मदन.. दूध टपकाते बबलों के लिए तेरी जो चाह है.. इसीलिए तो मैंने सामने से रूखी को सेट किया है तेरे लिए.. !!"
मदन: "पर क्या फायदा यार.. !! वैशाली और पिंटू यहाँ पड़ोस मे हो तब उसे घर बुलाने की सोच भी नहीं सकते.. रूखी के घर उसके सास और ससुर के रहते मुमकिन नहीं होता.. और अब इस उम्र में उसे ओयो-रूम मे ले जाना अच्छा नहीं लगेगा.. वैसे भी.. एक बार के उस होटल के कांड से बाल बाल बचे है.. दोबारा हिम्मत नहीं होती"
शीला: "सच कहा तूने यार.. पहले तो राजेश भी हफ्ता भर यहाँ पड़ा रहता था.. रेणुका भी आती थी और हम सब साथ में कितने मजे करते थे.. !! वैशाली की शादी के बाद सब बंद हो गया"
मदन: "बड़ी मस्त लाइफ थी यार.. बीच बीच में रूखी का जुगाड़ भी हो जाता था और रसिक साथ आता तो तेरा भी काम हो जाता था.. पता नहीं यार, वो दिन फिर वापिस लौटकर आएंगे भी या नहीं"
शीला ने एक गहरी सांस लेकर कहा "आएंगे मदन.. जरूर लौटकर आएंगे.. मैं लाऊँगी वो सारी दिन वापस.. तू फिलहाल अपने काम पर ध्यान दे.. एक बार ये ऑर्डर खत्म हो जाए फिर मैं तुझे और कोई नया काम नहीं करने दूँगी.. बस आराम से साथ मजे करेंगे"
मदन: "पर कैसा होगा शीला? पिंटू और वैशाली के यहाँ रहते हुए कैसे होगा?"
शीला: "होगा मदन.. सब कुछ होगा.. वो सब तू मुझ पर छोड़ दे.. मैंने कुछ सोचा है इसके बारे में.. और जल्द ही हमारा काम हो जाएगा.. एक बार मैं कुछ करने की ठान लूँ फिर मैं वो करके ही रहती हूँ, तुझे तो पता है"
शीला का आत्मविश्वास देखकर मदन एक पल के लिए घबरा गया "यार कुछ उल्टा-सीधा करने की तो नहीं सोच रही तू..!!"
शीला: "पागल है क्या.. !! वैशाली और पिंटू को आंच भी नहीं आने दूँगी.. ऐसा रास्ता निकालूँगी की वह दोनों भी खुश हो जाएंगे और हमारे रास्ते के कांटा भी दूर हो जाएगा"
मदन: "तूने क्या सोचा है, यह तो तू बताएगी नहीं.. हमेशा की तरह"
शीला: "सही कहा.. नहीं बताऊँगी..बस करके दिखाऊँगी.. तू बस आम खाने से मतलब रख... गुठलियाँ गिनने की जरूरत नहीं है"
मदन ने हार मान ली "ठीक है बाबा,.. जैसा तुझे ठीक लगे.. पर जो भी करना सोच समझ कर करना"
शीला को आगोश में लेकर मदन उसे सहलाने लगा और दोनों की आँख लग गई