#अपडेट १
किस्मत भी अजब अजब खेल खेलती है, किसी को रंक से राजा बना देती है तो किसी को राजा से रंक, किसी को सब कुछ मिल कर भी कुछ नही मिलता तो किसी को कुछ न मिल कर भी सब हासिल हो जाता है। कभी उतार कभी चढ़ाव, कभी खाली हाथ तो खजाने के ऊपर ही बैठा देती है। कभी प्यार तकरार, तो कभी प्यार के नाम पर सिर्फ छलावा।
खैर, अभी तो जिंदगी ने मुझे वो सब सूद समेत ही वापस दिया है जो शायद कभी मेरा रहा हो।
मैं मनीष, या मोनू, आज देश की जानी मानी कंपनी के एजीएम में बैठा हूं, और इस कंपनी, LN Group of Companies के मालिक श्री रजत मित्तल को एनाउंसर ने डायस पर बुलाया है, कंपनी की वार्षिक रिपोर्ट और कुछ जरूरी उद्घोषणा के लिए।
एनाउंसर, "अब मैं अपने चेयरमैन, श्री रजत मित्तल जी को इस डायस पर बुलाना चाहूंगी, ताकि वो इस वर्ष की आर्थिक रिपोर्ट आपके सामने रखे, तालियों से स्वागत करिए, श्री रजत मित्तल जी का।"
पूरा हाल तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठता है और रजत मित्तल डायस पर आ कर कंपनी के आर्थिक रिपोर्ट को सामने रखने लगते हैं, "इस वर्ष कंपनी ने 4567 करोड़ का टर्नओवर किया है, और पिछले साल के प्रॉफिट को 15% से बढ़ते हुए हमने इस बार शुद्ध 112 करोड़ का मुनाफा कमाया है, जिसे हम अपने कर्मचारियों और शेयरहोल्डर्स में पिछले साल की ही तरह बांटेगे, लेकिन इस बार सबको 15% की अतिरिक्त कमाई भी होगी।"
हॉल फिर से एक बार तालियों से गूंज उठता है। मैं जो अभी शायद इन आंकड़ों की बाजीगरी को नही समझता था, इसीलिए बस मुस्कुराते हुए अपने सामने मौजूद रजत जी को ही देखे जा रहा था।
एक बार फिर से उनकी आवाज आती है, "ये थी हमारी कंपनी की वार्षिक आर्थिक रिपोर्ट, और अब एक जरूरी उद्घोषणा भी करना चाहता हूं। मुझे आप सबको ये बताते हुए बहुत खुशी हो रही है कि श्री मनीष मित्तल, मेरे पुत्र, अब से इस कंपनी के नए vice president होंगे, और साथ ही साथ, ग्रुप के नए खुले बैंकिंग डिवीजन को हेड भी वही करेंगे।" ये बोलते हुए उन्होंने मेरी ओर इशारा किया, और मैं भी मुस्कुराते हुए उठ कर सबका अभिवादन करने लगा। लोग मेरे पास आ कर बधाइयां देने लगे और हाथ मिलाने लगे। ये सब मेरे लिए एकदम नया और अनोखा था। मैं सबका अभिवादन स्वीकार ही कर रहा था, तभी मेरे कंधे पर एक हाथ आया, "बेटा नई जिम्मेदारी अच्छे से निभाना, चलो खाना खाते हैं।"
मैने पीछे मुड़ कर, रजत मित्तल को गले से लगाया और उनको थैंक्यू बोला, फिर हम सबने मिल कर खाना खाया।
खाने के बाद हाल से बाहर निकलते समय में रजत मित्तल के पीछे पीछे ही चल रहा था, सामने पोर्च में उनकी मर्सिडीज खड़ी थी, उनके पहुंचते ही ड्राइवर ने पीछे का गेट खोला, और रजत जी ने पीछे मुड़ कर मुझे कहा, "बेटे क्या आज घर चलोगे साथ में, या आराम करोगे?"
मैं,"सर, आज आप जाएं, वैसे भी कई दिन के बाद आज आराम करने का मौका मिला है, मैं फिर किसी दिन चलता हूं आपके साथ।"
ये सुन कर उन्होंने फिर से मुझे गले लगाया, और अपनी कार में बैठ कर चले गए। और उसके ठीक पीछे मेरी कार आई, और उसमे बैठ कर मैं भी घर चला गया।
अब आप सोच रहे होंगे कि कैसा नालायक बेटा हूं मैं जो अपने पिता को सर बोल रहा हूं और उनके साथ घर क्यों नही गया?
तो आपको बता दूं रजत जी मेरे पिता नही हैं....