• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Thriller शतरंज की चाल

xforum

Welcome to xforum

Click anywhere to continue browsing...

avsji

Weaving Words, Weaving Worlds.
Supreme
4,332
24,161
159
#अपडेट २९


अब तक आपने पढ़ा -


न्यूज में से अब इस केस पर से धीरे धीरे लोग का इंटरेस्ट कम होने लगा था, और न्यूज वाले भी अब इस न्यूज को ज्यादा नहीं दिखते थे। शेयर मार्केट में भी मित्तल ग्रुप के शेयर अब स्टेबल हो रहे थे। श्रेय और महेश अंकल ने अब कुछ पकड़ बना ली थी कंपनी पर।


दिन ऐसे ही बीत रहे थे...


अब आगे -


एक दिन बाबूजी मेरे पास आए और ऐसे ही बातों बातों में मुझसे कहा कि दाढ़ी वगैरा बनवा लो, अच्छा नहीं लगता है। तभी उनको देख कर मेरे दिमाग में एक ख्याल आया और जॉली भैया को बुलवा कर मैने उनसे कुछ कहा, वो बोले थोड़ा टाइम दो। उसके कुछ समय बाद वो एक आदमी के साथ आए। वो उनका बहुत खास जानने वाला था। एक मेकअप आर्टिस्ट। उसने मेरे हुलिया को थोड़ा दुरुस्त करके एक पग पहना दी। फिर जॉली भैया और बाबूजी ने मुझे देख कर बहुत खुश हुए और मेरे सामने आईना कर दिया, एक बार तो मैं खुद को ही नहीं पहचान पाया। इन दिनों मेरा वजन भी कुछ कम हो गया था तो मैं थोड़ा दुबला भी हो गया था। और इस हुलिए में मैं एक 20 21 साल के सिख युवक की तरह दिखने लगा था।


जॉली भैया ने उससे पूछा, "रमेश ये मेकअप कितनी देर रहेगा?"


"अरे जॉली भैया, ये कोई मेकअप नहीं है, ये तो इनकी नेचुरल दाढ़ी मूंछ है, तो ये जब तक इस पग को लगाए रहेंगे तो ऐसे ही दिखते रहेंगे।"


"मतलब ये कितनी भी देर तक ऐसा रह सकता है?"


"हां बस जब नहाएंगे तो मैं कुछ क्रीम देता हूं वो जरूर लगा लेंगे, जिससे स्किन का कलर जरा बदला सा रहेगा।" ये बोल कर उस आदमी ने दो तरह की क्रीम मुझे दी और उसे लगाने का तरीका भी बता दिया।


मैं फिर भी बहुत कॉन्फिडेंट नहीं था ऐसे निकलने में, तो बाबूजी ने मुझे अपने साथ लिया और अपने ढाबे के गल्ले पर बैठा दिया। एक दो लोग ने मेरे बारे में पूछा तो मुझे अपना भतीजा बता दिया। कुछ देर वहां बिताने के बाद मुझे कुछ कॉन्फिडेंस आया और मैं अकेले ही पूरी मार्केट घूम आया।


शाम तक वैसे ही रहने के बाद मुझे कुछ कॉन्फिडेंस आ गया, और मैने बाबूजी और जॉली भैया से वापस जाने की बात की।

जॉली भैया ने मुझे कुछ दिन और रुकने कहा, और वो मेरी एक दो फोटो भी खींच कर ले गए। बाबूजी ने मुझसे समर से बात करने कहा। मेरे भी दिमाग में था कि किसी तरह से नेहा के मां पिताजी से मिला जाय, क्योंकि ये गुत्थी बस वही सुलझा सकते थे कि ये बिट्टू कौन है।


रात को समर ने फोन किया, वो हर 2 4 दिन में मुझे अलग अलग नंबरों से कॉल करता था। ये उसकी खुद की सुरक्षा के लिए भी जरूरी था।


"हां मनीष कैसा है भाई?"


"कैसा होऊंगा? अच्छा एक बात बता, क्या किसी तरह से मैं नेहा के मां बाप से मिल कर बात कर सकता हूं?"


"क्यों मिलना है उनसे? और कैसे मिलोगे भाई, तुम्हारी तलाश पुलिस को आज भी है।"


"देखो समर, इसके पीछे जो भी है, वो नेहा से ही जुड़ा है। तो नेहा का पूरा पास्ट आना जरूरी है हमारे सामने, तभी कुछ गुत्थी सुलझाने के आसार बनेंगे। ऐसे यहां बैठे बैठे पूरी जिंदगी तो नहीं निकाल सकता न भाई। और अपने ऊपर आए दाग को भी हटाना जरूरी है।"


"बिल्कुल, पर कहां मिलोगे और कैसे मिलोगे?"


"वापी में बुला सकता है उनको?"


"तुम वापी आओगे?"


"हां आना ही पड़ेगा।"


"लेकिन?"


"बिना रिस्क लिए तो कुछ भी सही नहीं होगा न?"


"हां वो तो है। अच्छा एक काम करता हूं, नेहा के पापा का नंबर है मेरे पास, वो जब नेहा की बॉडी क्लेम करने आए थे तब उनसे लिया था। उन्होंने कहा था कि कोई संजीव की बॉडी न क्लेम करे तो उनको बताने। पर मुझे उस केस से ही हटा दिया तो मेरे दिमाग से भी उतर गया। चल बात करके बताता हूं तुझको, फिर उनके हिसाब से प्लान बना। और भाई सावधान रहना।"


" हां भाई, देख भाल कर ही आऊंगा।"


अगले दिन जॉली भईया ने मुझे मेरी नई पहचान के कुछ दस्तावेज बना कर दे दिए। वो इन सब का ही काम करते थे तो जाली दस्तावेज बनाना उनके लिए कोई बड़ी बात नहीं था। अब मैं 22 साल का हरप्रीत सिंह था और दिल्ली के प्रीतमपुरा का रहने वाला था।


दो दिन बार समर ने मुझे कॉल करके बताया कि नेहा के पिताजी एक सप्ताह बाद वापी आ कर संजीव का क्रियाकर्म कर देंगे। उसने बताया कि उनका यही अंदाजा था कि कोई संजीव की बॉडी क्लेम करने नहीं आएगा उसके परिवार से, वैसे भी उसका बस एक ही भाई था,और वो भी लंदन में था।


जॉली भैया ने मेरे लिए नए नाम से ट्रेन में रिजर्वेशन करवा दिया वापी जाने के लिए, उनके पहुंचने के एक दिन पहले ही मैं वहां पहुंच गया। रास्ते भर मुझे अपने पहचाने जाने का डर था, मगर इस घटना को लगभग 2 महीने बीत गए थे, और न्यूज वालों ने इतने दिनों में बहुत मसाला दे दिया था लोगों को, मेरे साथ हुई दुर्घटना को भूलने का।


सुबह वापी पहुंच कर मैं होटल अशोक में चला गया जिसे जॉली भैया ने ही मेरे नाम से ऑनलाइन बुक किया था। ये एक मिडिल बजट का अच्छा होटल था। मैं अपने रूम में पहुंच कर फ्रेश हुआ, और नीचे उतर कर मार्केट के एक रेस्टोरेंट में नाश्ता करने पहुंचा। असल में मेरे और समर की मीटिंग यहीं होनी थी। मैने पहुंच कर देखा तो समर पहले से ही एक टेबल पर था, वहां भीड़ ज्यादा थी तो लोग टेबल शेयर कर रहे थे। मैं भी एक अजनबी की तरह ही उसके टेबल पर बैठ गया, और अपना ऑर्डर दे दिया। कुछ देर रुकने के बाद जब हमने देखा किसी की नजर हमपर नहीं है तो समर और मैने कुछ बात की।


उसने कहा कि वो कल शाम को नेहा के पिताजी को मेरे ही होटल में लेकर आएगा, और वहीं कमरे में ही हम दोनो बात करेंगे।


अगले दिन मुझे कुछ काम नहीं था तो मैं ऐसे ही मित्तल सर के हॉस्पिटल की ओर चला गया। ये वापी का सबसे बड़ा प्राइवेट हॉस्पिटल था, और बहुत भीड़ रहती थी यहां पर।


वहां मैं कुछ देर बाहर खड़े हो कर नजर रख रहा था, तभी मुझे श्रेय की कार अंदर जाती दिखी तो मैं भी अंदर चला गया।


मेरे सामने लिफ्ट से श्रेय और शिविका ऊपर जाने वाले थे, लिफ्ट में और लोग भी थे, तो मैं भी उसी में चल गया। किस्मत से मैं और शिविका एक दूसरे के अगल बगल ही खड़े थे, मैं सामने देख रहा था, और उसकी नजर मुझ पर पड़ी, और वो मुझे ही देखती रही। फिर हम सब एक फ्लोर पर उतरे, ये हॉस्पिटल का आईसीयू फ्लोर था, इसमें दो तरफ आईसीयू यूनिट बने थे, दाईं तरफ जनरल आईसीयू, जहां साधारण लोग भर्ती होते थे, और बाएं तरफ VIP ward था, उसी में मित्तल सर को रखा गया था। उस तरफ पुलिस का पहरा था। मैं जनरल वार्ड की तरफ बढ़ गया। शिविका की नजर अभी भी मुझ पर ही थी।


जनरल वार्ड का वेटिंग हॉल सामने ही था, और वहां बैठ कर VIP वार्ड पर नजर रखी जा सकती थी। मैं ऐसी जगह देख कर बैठ गया जहां से मेरी नजर पूरे वार्ड पर रहती।


श्रेय और शिविका अंदर का चुके थे, मित्तल सर का कमरा सामने ही था। उनके कमरे के बाहर ही दो कांस्टेब तैनात थे और वो सबकी तलाशी ले कर ही अंदर जाने देते। श्रेय और शिविका की भी तलाशी हुई, ये मुझे कुछ अजीब लगा।


मैं वहां दोपहर तक बैठा रहा, श्रेय और शिविका आधे घंटे बाद चले गए थे। शिविका जाते समय भी इधर उधर सबको देख रही, शायद किसी को ढूंढ रही थी।



शायद मुझे?


दोपहर को मैं वहां से बाहर चला गया और खाना खा कर अपने होटल में जा कर आराम करने लगा। शाम 5 बजे मुझे समर ने फोन करके बताया कि वो नेहा के पापा को लेकर आ रहा है मेरे पास।


अंशुमान वर्मा, नेहा के पिता एक रिटायर सरकारी बैंक कर्मी थे। कोई 3 साल पहले ही वो रिटायर हुए थे, मतलब नेहा की शादी के एक साल बाद। समर मुझे उनसे एक दोस्त के रूप में, जो एक जर्नलिस्ट है, मिलवाने वाला था, ये बोलकर कि मैं इस घटना पर एक स्टोरी कर रहा हूं, उसी के सिलसिले में कुछ सवाल करने हैं।


एक घंटे बाद समर, अंशुमान वर्मा को लेकर मेरे रूम पर आ गया। मैने सबके लिए चाय का ऑर्डर किया, और कुछ देर इधर उधर की बात करने के बाद मैने उनसे ऐसे ही पूछ लिया


"सर, नेहा और संजीव की शादी तो आपकी मर्जी के खिलाफ हुई थी, फिर भी आप संजीव का अंतिम संस्कार करने क्यों आए।"


"किसने कहा कि संजीव और नेहा की शादी मेरी मर्जी के खिलाफ हुई?".....

पहले ही कहा था - झूठ का पुलिंदा थी नेहा।
भोले बलम बोल बोल कर इस नाड़े के ढीले आदमी का चूतिया बना दीहीस।
बिट्टू जैसे चूतिया नाम वाले से जिसका चक्कर हो, वो औरत तो बहुत ही चूतिया होगी। लेकिन ये नेहा कमीनी भी थी।
 
Last edited:

Riky007

उड़ते पंछी का ठिकाना, मेरा न कोई जहां...
20,589
41,371
259
पहले ही कहा था - झूठ का पुलिंदा थी नेहा।
भोले बलम बोल बोल कर इस नाड़े के ढीले आदमी का चूतिया बना दीहीस।
बिट्टू जैसे चूतिया नाम वाले से जिसका चक्कर हो, वो औरत तो बहुत ही चूतिया होगी। लेकिन ये नेहा कमीनी भी थी।
अभी से इतनी गालियां, उसके तो पूरे कारनामे खुले भी नहीं हैं अभी 😂
 
xforum

Welcome to xforum

Click anywhere to continue browsing...

avsji

Weaving Words, Weaving Worlds.
Supreme
4,332
24,161
159
अभी से इतनी गालियां, उसके तो पूरे कारनामे खुले भी नहीं हैं अभी 😂
आज कल भारतीय औरतों की हरामजदगी के इतने सारे उदाहरण आ रहे हैं कि और क्या करूं?
 
xforum

Welcome to xforum

Click anywhere to continue browsing...

dhparikh

Well-Known Member
11,209
12,856
228
#अपडेट २९


अब तक आपने पढ़ा -


न्यूज में से अब इस केस पर से धीरे धीरे लोग का इंटरेस्ट कम होने लगा था, और न्यूज वाले भी अब इस न्यूज को ज्यादा नहीं दिखते थे। शेयर मार्केट में भी मित्तल ग्रुप के शेयर अब स्टेबल हो रहे थे। श्रेय और महेश अंकल ने अब कुछ पकड़ बना ली थी कंपनी पर।


दिन ऐसे ही बीत रहे थे...


अब आगे -


एक दिन बाबूजी मेरे पास आए और ऐसे ही बातों बातों में मुझसे कहा कि दाढ़ी वगैरा बनवा लो, अच्छा नहीं लगता है। तभी उनको देख कर मेरे दिमाग में एक ख्याल आया और जॉली भैया को बुलवा कर मैने उनसे कुछ कहा, वो बोले थोड़ा टाइम दो। उसके कुछ समय बाद वो एक आदमी के साथ आए। वो उनका बहुत खास जानने वाला था। एक मेकअप आर्टिस्ट। उसने मेरे हुलिया को थोड़ा दुरुस्त करके एक पग पहना दी। फिर जॉली भैया और बाबूजी ने मुझे देख कर बहुत खुश हुए और मेरे सामने आईना कर दिया, एक बार तो मैं खुद को ही नहीं पहचान पाया। इन दिनों मेरा वजन भी कुछ कम हो गया था तो मैं थोड़ा दुबला भी हो गया था। और इस हुलिए में मैं एक 20 21 साल के सिख युवक की तरह दिखने लगा था।


जॉली भैया ने उससे पूछा, "रमेश ये मेकअप कितनी देर रहेगा?"


"अरे जॉली भैया, ये कोई मेकअप नहीं है, ये तो इनकी नेचुरल दाढ़ी मूंछ है, तो ये जब तक इस पग को लगाए रहेंगे तो ऐसे ही दिखते रहेंगे।"


"मतलब ये कितनी भी देर तक ऐसा रह सकता है?"


"हां बस जब नहाएंगे तो मैं कुछ क्रीम देता हूं वो जरूर लगा लेंगे, जिससे स्किन का कलर जरा बदला सा रहेगा।" ये बोल कर उस आदमी ने दो तरह की क्रीम मुझे दी और उसे लगाने का तरीका भी बता दिया।


मैं फिर भी बहुत कॉन्फिडेंट नहीं था ऐसे निकलने में, तो बाबूजी ने मुझे अपने साथ लिया और अपने ढाबे के गल्ले पर बैठा दिया। एक दो लोग ने मेरे बारे में पूछा तो मुझे अपना भतीजा बता दिया। कुछ देर वहां बिताने के बाद मुझे कुछ कॉन्फिडेंस आया और मैं अकेले ही पूरी मार्केट घूम आया।


शाम तक वैसे ही रहने के बाद मुझे कुछ कॉन्फिडेंस आ गया, और मैने बाबूजी और जॉली भैया से वापस जाने की बात की।

जॉली भैया ने मुझे कुछ दिन और रुकने कहा, और वो मेरी एक दो फोटो भी खींच कर ले गए। बाबूजी ने मुझसे समर से बात करने कहा। मेरे भी दिमाग में था कि किसी तरह से नेहा के मां पिताजी से मिला जाय, क्योंकि ये गुत्थी बस वही सुलझा सकते थे कि ये बिट्टू कौन है।


रात को समर ने फोन किया, वो हर 2 4 दिन में मुझे अलग अलग नंबरों से कॉल करता था। ये उसकी खुद की सुरक्षा के लिए भी जरूरी था।


"हां मनीष कैसा है भाई?"


"कैसा होऊंगा? अच्छा एक बात बता, क्या किसी तरह से मैं नेहा के मां बाप से मिल कर बात कर सकता हूं?"


"क्यों मिलना है उनसे? और कैसे मिलोगे भाई, तुम्हारी तलाश पुलिस को आज भी है।"


"देखो समर, इसके पीछे जो भी है, वो नेहा से ही जुड़ा है। तो नेहा का पूरा पास्ट आना जरूरी है हमारे सामने, तभी कुछ गुत्थी सुलझाने के आसार बनेंगे। ऐसे यहां बैठे बैठे पूरी जिंदगी तो नहीं निकाल सकता न भाई। और अपने ऊपर आए दाग को भी हटाना जरूरी है।"


"बिल्कुल, पर कहां मिलोगे और कैसे मिलोगे?"


"वापी में बुला सकता है उनको?"


"तुम वापी आओगे?"


"हां आना ही पड़ेगा।"


"लेकिन?"


"बिना रिस्क लिए तो कुछ भी सही नहीं होगा न?"


"हां वो तो है। अच्छा एक काम करता हूं, नेहा के पापा का नंबर है मेरे पास, वो जब नेहा की बॉडी क्लेम करने आए थे तब उनसे लिया था। उन्होंने कहा था कि कोई संजीव की बॉडी न क्लेम करे तो उनको बताने। पर मुझे उस केस से ही हटा दिया तो मेरे दिमाग से भी उतर गया। चल बात करके बताता हूं तुझको, फिर उनके हिसाब से प्लान बना। और भाई सावधान रहना।"


" हां भाई, देख भाल कर ही आऊंगा।"


अगले दिन जॉली भईया ने मुझे मेरी नई पहचान के कुछ दस्तावेज बना कर दे दिए। वो इन सब का ही काम करते थे तो जाली दस्तावेज बनाना उनके लिए कोई बड़ी बात नहीं था। अब मैं 22 साल का हरप्रीत सिंह था और दिल्ली के प्रीतमपुरा का रहने वाला था।


दो दिन बार समर ने मुझे कॉल करके बताया कि नेहा के पिताजी एक सप्ताह बाद वापी आ कर संजीव का क्रियाकर्म कर देंगे। उसने बताया कि उनका यही अंदाजा था कि कोई संजीव की बॉडी क्लेम करने नहीं आएगा उसके परिवार से, वैसे भी उसका बस एक ही भाई था,और वो भी लंदन में था।


जॉली भैया ने मेरे लिए नए नाम से ट्रेन में रिजर्वेशन करवा दिया वापी जाने के लिए, उनके पहुंचने के एक दिन पहले ही मैं वहां पहुंच गया। रास्ते भर मुझे अपने पहचाने जाने का डर था, मगर इस घटना को लगभग 2 महीने बीत गए थे, और न्यूज वालों ने इतने दिनों में बहुत मसाला दे दिया था लोगों को, मेरे साथ हुई दुर्घटना को भूलने का।


सुबह वापी पहुंच कर मैं होटल अशोक में चला गया जिसे जॉली भैया ने ही मेरे नाम से ऑनलाइन बुक किया था। ये एक मिडिल बजट का अच्छा होटल था। मैं अपने रूम में पहुंच कर फ्रेश हुआ, और नीचे उतर कर मार्केट के एक रेस्टोरेंट में नाश्ता करने पहुंचा। असल में मेरे और समर की मीटिंग यहीं होनी थी। मैने पहुंच कर देखा तो समर पहले से ही एक टेबल पर था, वहां भीड़ ज्यादा थी तो लोग टेबल शेयर कर रहे थे। मैं भी एक अजनबी की तरह ही उसके टेबल पर बैठ गया, और अपना ऑर्डर दे दिया। कुछ देर रुकने के बाद जब हमने देखा किसी की नजर हमपर नहीं है तो समर और मैने कुछ बात की।


उसने कहा कि वो कल शाम को नेहा के पिताजी को मेरे ही होटल में लेकर आएगा, और वहीं कमरे में ही हम दोनो बात करेंगे।


अगले दिन मुझे कुछ काम नहीं था तो मैं ऐसे ही मित्तल सर के हॉस्पिटल की ओर चला गया। ये वापी का सबसे बड़ा प्राइवेट हॉस्पिटल था, और बहुत भीड़ रहती थी यहां पर।


वहां मैं कुछ देर बाहर खड़े हो कर नजर रख रहा था, तभी मुझे श्रेय की कार अंदर जाती दिखी तो मैं भी अंदर चला गया।


मेरे सामने लिफ्ट से श्रेय और शिविका ऊपर जाने वाले थे, लिफ्ट में और लोग भी थे, तो मैं भी उसी में चल गया। किस्मत से मैं और शिविका एक दूसरे के अगल बगल ही खड़े थे, मैं सामने देख रहा था, और उसकी नजर मुझ पर पड़ी, और वो मुझे ही देखती रही। फिर हम सब एक फ्लोर पर उतरे, ये हॉस्पिटल का आईसीयू फ्लोर था, इसमें दो तरफ आईसीयू यूनिट बने थे, दाईं तरफ जनरल आईसीयू, जहां साधारण लोग भर्ती होते थे, और बाएं तरफ VIP ward था, उसी में मित्तल सर को रखा गया था। उस तरफ पुलिस का पहरा था। मैं जनरल वार्ड की तरफ बढ़ गया। शिविका की नजर अभी भी मुझ पर ही थी।


जनरल वार्ड का वेटिंग हॉल सामने ही था, और वहां बैठ कर VIP वार्ड पर नजर रखी जा सकती थी। मैं ऐसी जगह देख कर बैठ गया जहां से मेरी नजर पूरे वार्ड पर रहती।


श्रेय और शिविका अंदर का चुके थे, मित्तल सर का कमरा सामने ही था। उनके कमरे के बाहर ही दो कांस्टेब तैनात थे और वो सबकी तलाशी ले कर ही अंदर जाने देते। श्रेय और शिविका की भी तलाशी हुई, ये मुझे कुछ अजीब लगा।


मैं वहां दोपहर तक बैठा रहा, श्रेय और शिविका आधे घंटे बाद चले गए थे। शिविका जाते समय भी इधर उधर सबको देख रही, शायद किसी को ढूंढ रही थी।



शायद मुझे?


दोपहर को मैं वहां से बाहर चला गया और खाना खा कर अपने होटल में जा कर आराम करने लगा। शाम 5 बजे मुझे समर ने फोन करके बताया कि वो नेहा के पापा को लेकर आ रहा है मेरे पास।


अंशुमान वर्मा, नेहा के पिता एक रिटायर सरकारी बैंक कर्मी थे। कोई 3 साल पहले ही वो रिटायर हुए थे, मतलब नेहा की शादी के एक साल बाद। समर मुझे उनसे एक दोस्त के रूप में, जो एक जर्नलिस्ट है, मिलवाने वाला था, ये बोलकर कि मैं इस घटना पर एक स्टोरी कर रहा हूं, उसी के सिलसिले में कुछ सवाल करने हैं।


एक घंटे बाद समर, अंशुमान वर्मा को लेकर मेरे रूम पर आ गया। मैने सबके लिए चाय का ऑर्डर किया, और कुछ देर इधर उधर की बात करने के बाद मैने उनसे ऐसे ही पूछ लिया


"सर, नेहा और संजीव की शादी तो आपकी मर्जी के खिलाफ हुई थी, फिर भी आप संजीव का अंतिम संस्कार करने क्यों आए।"


"किसने कहा कि संजीव और नेहा की शादी मेरी मर्जी के खिलाफ हुई?".....
Nice update....
 
  • Like
Reactions: Napster and Riky007

dhalchandarun

[Death is the most beautiful thing.]
5,348
11,907
174
आज कल भारतीय औरतों की हरामजदगी के इतने सारे उदाहरण आ रहे हैं कि और क्या करूं?
Lagta hai aap bhi chot kha chuke hain, koi na main bhi kha chuka hoon, isliye maine ladki se dosti karna hi chhod diya.
 
xforum

Welcome to xforum

Click anywhere to continue browsing...

Riky007

उड़ते पंछी का ठिकाना, मेरा न कोई जहां...
20,589
41,371
259
Lagta hai aap bhi chot kha chuke hain, koi na main bhi kha chuka hoon, isliye maine ladki se dosti karna hi chhod diya.
avsji इस फोरम में सबसे संतुष्ट व्यक्तियों में से एक हैं।

भगवान भाभी जैसी पत्नी सबको दे। 🙏🏼
 
xforum

Welcome to xforum

Click anywhere to continue browsing...

dhalchandarun

[Death is the most beautiful thing.]
5,348
11,907
174
avsji इस फोरम में सबसे संतुष्ट व्यक्तियों में से एक हैं।

भगवान भाभी जैसी पत्नी सबको दे। 🙏🏼
Chalo phir mast hai unke liye phir...
Par ye to sach hai Neha jaisi ladkiyan bahut hi es world mein sath hi sath Shrey jaisa ladka bhi... Aur mujhe Shrey mein dhokhebaji ki bu aa rahi hai.
 

Ajju Landwalia

Well-Known Member
3,831
14,813
159
#अपडेट २९


अब तक आपने पढ़ा -


न्यूज में से अब इस केस पर से धीरे धीरे लोग का इंटरेस्ट कम होने लगा था, और न्यूज वाले भी अब इस न्यूज को ज्यादा नहीं दिखते थे। शेयर मार्केट में भी मित्तल ग्रुप के शेयर अब स्टेबल हो रहे थे। श्रेय और महेश अंकल ने अब कुछ पकड़ बना ली थी कंपनी पर।


दिन ऐसे ही बीत रहे थे...


अब आगे -


एक दिन बाबूजी मेरे पास आए और ऐसे ही बातों बातों में मुझसे कहा कि दाढ़ी वगैरा बनवा लो, अच्छा नहीं लगता है। तभी उनको देख कर मेरे दिमाग में एक ख्याल आया और जॉली भैया को बुलवा कर मैने उनसे कुछ कहा, वो बोले थोड़ा टाइम दो। उसके कुछ समय बाद वो एक आदमी के साथ आए। वो उनका बहुत खास जानने वाला था। एक मेकअप आर्टिस्ट। उसने मेरे हुलिया को थोड़ा दुरुस्त करके एक पग पहना दी। फिर जॉली भैया और बाबूजी ने मुझे देख कर बहुत खुश हुए और मेरे सामने आईना कर दिया, एक बार तो मैं खुद को ही नहीं पहचान पाया। इन दिनों मेरा वजन भी कुछ कम हो गया था तो मैं थोड़ा दुबला भी हो गया था। और इस हुलिए में मैं एक 20 21 साल के सिख युवक की तरह दिखने लगा था।


जॉली भैया ने उससे पूछा, "रमेश ये मेकअप कितनी देर रहेगा?"


"अरे जॉली भैया, ये कोई मेकअप नहीं है, ये तो इनकी नेचुरल दाढ़ी मूंछ है, तो ये जब तक इस पग को लगाए रहेंगे तो ऐसे ही दिखते रहेंगे।"


"मतलब ये कितनी भी देर तक ऐसा रह सकता है?"


"हां बस जब नहाएंगे तो मैं कुछ क्रीम देता हूं वो जरूर लगा लेंगे, जिससे स्किन का कलर जरा बदला सा रहेगा।" ये बोल कर उस आदमी ने दो तरह की क्रीम मुझे दी और उसे लगाने का तरीका भी बता दिया।


मैं फिर भी बहुत कॉन्फिडेंट नहीं था ऐसे निकलने में, तो बाबूजी ने मुझे अपने साथ लिया और अपने ढाबे के गल्ले पर बैठा दिया। एक दो लोग ने मेरे बारे में पूछा तो मुझे अपना भतीजा बता दिया। कुछ देर वहां बिताने के बाद मुझे कुछ कॉन्फिडेंस आया और मैं अकेले ही पूरी मार्केट घूम आया।


शाम तक वैसे ही रहने के बाद मुझे कुछ कॉन्फिडेंस आ गया, और मैने बाबूजी और जॉली भैया से वापस जाने की बात की।

जॉली भैया ने मुझे कुछ दिन और रुकने कहा, और वो मेरी एक दो फोटो भी खींच कर ले गए। बाबूजी ने मुझसे समर से बात करने कहा। मेरे भी दिमाग में था कि किसी तरह से नेहा के मां पिताजी से मिला जाय, क्योंकि ये गुत्थी बस वही सुलझा सकते थे कि ये बिट्टू कौन है।


रात को समर ने फोन किया, वो हर 2 4 दिन में मुझे अलग अलग नंबरों से कॉल करता था। ये उसकी खुद की सुरक्षा के लिए भी जरूरी था।


"हां मनीष कैसा है भाई?"


"कैसा होऊंगा? अच्छा एक बात बता, क्या किसी तरह से मैं नेहा के मां बाप से मिल कर बात कर सकता हूं?"


"क्यों मिलना है उनसे? और कैसे मिलोगे भाई, तुम्हारी तलाश पुलिस को आज भी है।"


"देखो समर, इसके पीछे जो भी है, वो नेहा से ही जुड़ा है। तो नेहा का पूरा पास्ट आना जरूरी है हमारे सामने, तभी कुछ गुत्थी सुलझाने के आसार बनेंगे। ऐसे यहां बैठे बैठे पूरी जिंदगी तो नहीं निकाल सकता न भाई। और अपने ऊपर आए दाग को भी हटाना जरूरी है।"


"बिल्कुल, पर कहां मिलोगे और कैसे मिलोगे?"


"वापी में बुला सकता है उनको?"


"तुम वापी आओगे?"


"हां आना ही पड़ेगा।"


"लेकिन?"


"बिना रिस्क लिए तो कुछ भी सही नहीं होगा न?"


"हां वो तो है। अच्छा एक काम करता हूं, नेहा के पापा का नंबर है मेरे पास, वो जब नेहा की बॉडी क्लेम करने आए थे तब उनसे लिया था। उन्होंने कहा था कि कोई संजीव की बॉडी न क्लेम करे तो उनको बताने। पर मुझे उस केस से ही हटा दिया तो मेरे दिमाग से भी उतर गया। चल बात करके बताता हूं तुझको, फिर उनके हिसाब से प्लान बना। और भाई सावधान रहना।"


" हां भाई, देख भाल कर ही आऊंगा।"


अगले दिन जॉली भईया ने मुझे मेरी नई पहचान के कुछ दस्तावेज बना कर दे दिए। वो इन सब का ही काम करते थे तो जाली दस्तावेज बनाना उनके लिए कोई बड़ी बात नहीं था। अब मैं 22 साल का हरप्रीत सिंह था और दिल्ली के प्रीतमपुरा का रहने वाला था।


दो दिन बार समर ने मुझे कॉल करके बताया कि नेहा के पिताजी एक सप्ताह बाद वापी आ कर संजीव का क्रियाकर्म कर देंगे। उसने बताया कि उनका यही अंदाजा था कि कोई संजीव की बॉडी क्लेम करने नहीं आएगा उसके परिवार से, वैसे भी उसका बस एक ही भाई था,और वो भी लंदन में था।


जॉली भैया ने मेरे लिए नए नाम से ट्रेन में रिजर्वेशन करवा दिया वापी जाने के लिए, उनके पहुंचने के एक दिन पहले ही मैं वहां पहुंच गया। रास्ते भर मुझे अपने पहचाने जाने का डर था, मगर इस घटना को लगभग 2 महीने बीत गए थे, और न्यूज वालों ने इतने दिनों में बहुत मसाला दे दिया था लोगों को, मेरे साथ हुई दुर्घटना को भूलने का।


सुबह वापी पहुंच कर मैं होटल अशोक में चला गया जिसे जॉली भैया ने ही मेरे नाम से ऑनलाइन बुक किया था। ये एक मिडिल बजट का अच्छा होटल था। मैं अपने रूम में पहुंच कर फ्रेश हुआ, और नीचे उतर कर मार्केट के एक रेस्टोरेंट में नाश्ता करने पहुंचा। असल में मेरे और समर की मीटिंग यहीं होनी थी। मैने पहुंच कर देखा तो समर पहले से ही एक टेबल पर था, वहां भीड़ ज्यादा थी तो लोग टेबल शेयर कर रहे थे। मैं भी एक अजनबी की तरह ही उसके टेबल पर बैठ गया, और अपना ऑर्डर दे दिया। कुछ देर रुकने के बाद जब हमने देखा किसी की नजर हमपर नहीं है तो समर और मैने कुछ बात की।


उसने कहा कि वो कल शाम को नेहा के पिताजी को मेरे ही होटल में लेकर आएगा, और वहीं कमरे में ही हम दोनो बात करेंगे।


अगले दिन मुझे कुछ काम नहीं था तो मैं ऐसे ही मित्तल सर के हॉस्पिटल की ओर चला गया। ये वापी का सबसे बड़ा प्राइवेट हॉस्पिटल था, और बहुत भीड़ रहती थी यहां पर।


वहां मैं कुछ देर बाहर खड़े हो कर नजर रख रहा था, तभी मुझे श्रेय की कार अंदर जाती दिखी तो मैं भी अंदर चला गया।


मेरे सामने लिफ्ट से श्रेय और शिविका ऊपर जाने वाले थे, लिफ्ट में और लोग भी थे, तो मैं भी उसी में चल गया। किस्मत से मैं और शिविका एक दूसरे के अगल बगल ही खड़े थे, मैं सामने देख रहा था, और उसकी नजर मुझ पर पड़ी, और वो मुझे ही देखती रही। फिर हम सब एक फ्लोर पर उतरे, ये हॉस्पिटल का आईसीयू फ्लोर था, इसमें दो तरफ आईसीयू यूनिट बने थे, दाईं तरफ जनरल आईसीयू, जहां साधारण लोग भर्ती होते थे, और बाएं तरफ VIP ward था, उसी में मित्तल सर को रखा गया था। उस तरफ पुलिस का पहरा था। मैं जनरल वार्ड की तरफ बढ़ गया। शिविका की नजर अभी भी मुझ पर ही थी।


जनरल वार्ड का वेटिंग हॉल सामने ही था, और वहां बैठ कर VIP वार्ड पर नजर रखी जा सकती थी। मैं ऐसी जगह देख कर बैठ गया जहां से मेरी नजर पूरे वार्ड पर रहती।


श्रेय और शिविका अंदर का चुके थे, मित्तल सर का कमरा सामने ही था। उनके कमरे के बाहर ही दो कांस्टेब तैनात थे और वो सबकी तलाशी ले कर ही अंदर जाने देते। श्रेय और शिविका की भी तलाशी हुई, ये मुझे कुछ अजीब लगा।


मैं वहां दोपहर तक बैठा रहा, श्रेय और शिविका आधे घंटे बाद चले गए थे। शिविका जाते समय भी इधर उधर सबको देख रही, शायद किसी को ढूंढ रही थी।



शायद मुझे?


दोपहर को मैं वहां से बाहर चला गया और खाना खा कर अपने होटल में जा कर आराम करने लगा। शाम 5 बजे मुझे समर ने फोन करके बताया कि वो नेहा के पापा को लेकर आ रहा है मेरे पास।


अंशुमान वर्मा, नेहा के पिता एक रिटायर सरकारी बैंक कर्मी थे। कोई 3 साल पहले ही वो रिटायर हुए थे, मतलब नेहा की शादी के एक साल बाद। समर मुझे उनसे एक दोस्त के रूप में, जो एक जर्नलिस्ट है, मिलवाने वाला था, ये बोलकर कि मैं इस घटना पर एक स्टोरी कर रहा हूं, उसी के सिलसिले में कुछ सवाल करने हैं।


एक घंटे बाद समर, अंशुमान वर्मा को लेकर मेरे रूम पर आ गया। मैने सबके लिए चाय का ऑर्डर किया, और कुछ देर इधर उधर की बात करने के बाद मैने उनसे ऐसे ही पूछ लिया


"सर, नेहा और संजीव की शादी तो आपकी मर्जी के खिलाफ हुई थी, फिर भी आप संजीव का अंतिम संस्कार करने क्यों आए।"


"किसने कहा कि संजीव और नेहा की शादी मेरी मर्जी के खिलाफ हुई?".....

Bahut hi badhiya update he Riky007

Manish bhesh badalkar wapis vapi aa gaya........

Neha ke pita ne to aaur bhi chauka diya.........Neha aur Sanjiv ki shadi unki hi marji se huyi thi..........

Na jaane aur kitne bomb fodne wali he ye neha ki story manish par.........

Keep rocking Bro
 

Riky007

उड़ते पंछी का ठिकाना, मेरा न कोई जहां...
20,589
41,371
259
Chalo phir mast hai unke liye phir...
Par ye to sach hai Neha jaisi ladkiyan bahut hi es world mein sath hi sath Shrey jaisa ladka bhi... Aur mujhe Shrey mein dhokhebaji ki bu aa rahi hai.
कहानियां ही तो बनानी होती हैं उनको, लाइम लाइट, फेम, और पैसा अय्याशी, आज कल की जिन्दगी ही यही बन गई है। और जब लड़कियां इस गर्त में गिरती हैं न, तो वो लड़कों से भी ज्यादा बेशर्म और बेरहम हो जाती हैं।

बाकी कानून का नुनु तो स्त्री के लिए ही तड़पता है।
 
xforum

Welcome to xforum

Click anywhere to continue browsing...

Riky007

उड़ते पंछी का ठिकाना, मेरा न कोई जहां...
20,589
41,371
259
Bahut hi badhiya update he Riky007

Manish bhesh badalkar wapis vapi aa gaya........

Neha ke pita ne to aaur bhi chauka diya.........Neha aur Sanjiv ki shadi unki hi marji se huyi thi..........

Na jaane aur kitne bomb fodne wali he ye neha ki story manish par.........

Keep rocking Bro
धन्यवाद भाई जी 🙏🏼

नेहा क्यों मनीष को सच बताने लगी? ये सारे झूठ नहीं बोलती, तो क्या मनीष की सहानभूति होती उसके लिए?

That is all part of the plan.
 
xforum

Welcome to xforum

Click anywhere to continue browsing...

Top