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Thriller शतरंज की चाल

urc4me

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Yeh jaal jisme Manish fansa hai Mittal ki buni hui to nahi jisme Shrey, Sanjiv, Neha , Shivika mohre hai. Revolver de kar Manish ko lambe fansane ki bhi chal ho sakti hai. Romanchak Pratiksha agle rasprad update ki
 

kas1709

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#अपडेट १८


अब तक आपने पढ़ा -



मैने गौर से देख तो ये मित्तल सर की दी हुई रिवॉल्वर थी।


मैने थोड़ा सा उसका ध्यान बांटने की कोशिश की, "नेहा पुलिस को कॉल करो।"

जैसे ही मैने ये कहा, वैसे ही उसका ध्यान मेरे पीछे खड़ी नेहा पर गया, और मैने झपट कर उससे रिवॉल्वर चीन ली, और उसके ऊपर तान दी।पर जैसे ही मैने रिवॉल्वर संजीव पर तानी, वैसे ही नेहा, जो मेरे पीछे खड़ी थी, फिर से चीखी


"नहीं.. आह!!!"


और इससे पहले कि मैं पलट कर नेहा को देखता, मेरे सर पर एक जोर का वार हुआ और.....


अब आगे -


मेरी आंखों के आगे अंधेरा छा गया, पर बेहोश होने से पहले मेरी नजर नेहा पर गई, जो जमीन पर बेहोश पड़ी थी।


जब मेरी आंख खुली तो मैं खुद को अपनी ही कार की ड्राइविंग सीट पर पाया, वैसे ही पैंट में, और मेरी शर्ट पास में ही पड़ी थी। सर के पीछे तेज दर्द हो रहा था, हाथ लगा कर देखा तो खून निकल कर सूख चुका था।



कार जहां खड़ी की थी वहीं पर लगी हुई थी, यानी कि नेहा ने जिस घर में बुलाया था उसी के सामने। मेरा मोबाइल, घड़ी और कार की चाभी साथ वाली सीट पर पड़ी थी, टाइम देखा तो रात के 3 बजे थे, लगभग मैं 5 घंटे बेहोश रहा था। मैं शर्ट पहन कर कार से उतर कर उस घर की ओर गया, दरवाजा लगा हुआ था, मेरे धक्का देते ही वो खुल गया। अंदर गया तो सब कुछ सही था। ऐसा लग ही नहीं रहा था कि यहां पर कोई हाथापाई हुई हो, बेडरूम भी साफ था। पीछे के ओर एक दरवाजा था जो अभी अंदर से बंद था, शायद जिसने मेरे और नेहा पर हमला किया वो उसी दरवाजे से आया होगा।


मैं उस घर से बाहर आ गया, और सबसे पहले मैने रिवॉल्वर अपनी कार में ढूंढनी शुरू की, मगर जहां उसे रखता था, वहां कुछ भी नहीं था। लेकिन एक कागज हाथ लगा मुझे वहां। उसे खोल कर देखा तो उस पर एक ही लाइन लिखी थी।


"नेहा हमारे कब्जे में है, और तब तक ही सुरक्षित है, जब तक तुम किसी को बताते नहीं इसके बारे में।"


ये पढ़ कर मैं डर गया, क्योंकि वो लोग नेहा को लेकर चले गए थे, उसपर से संजीव के हाथ में मेरी रिवॉल्वर भी थी। मैं समर को कॉल करके ये बताने ही जा रहा था कि फिर मुझे खयाल आया कि नेहा की सुरक्षा के लिए अभी किसी को इस बारे में बताना सही नहीं होगा। कार से मैने आस पास की जगह भी देखी, मगर ऐसा कुछ नहीं दिखा जिससे पता चले कि वो लोग कौन थे या किधर गए थे।


थक हार कर मैं वापस अपने फ्लैट पर आ गया। संडे था तो ऑफिस भी नहीं जाना था, मैं एक पेनकिलर खा कर सो गया। उस धमकी भरे नोट को पढ़ने के बाद अब मैं बस इंतजार ही कर सकता था किडनैपर संजीव के खुद कॉन्टेक्ट करने का, और भगवान से नेहा की सलामती की प्रार्थना करने का।


उस दिन फिर कुछ नहीं हुआ। अगले दिन मैं सामान्य दिन की तरह ऑफिस चला गया, और काम में लग गया। आज भी कोई कॉन्टेक्ट नहीं किया किडनैपर ने। शाम को मैं एक बार फिर से उसी घर के बाहर खड़ा था, पर वहां भी सब कुछ वैसा ही था। अगला दिन भी वैसा ही गुजरा।


उसके अगले दिन भी सब कुछ सामान्य रहा, ऑफिस में आज एक दो मीटिंग थी, जिसमें मित्तल सर भी थे। शाम को जब मैं उनके केबिन में बैठ कर आज की मीटिंग पर डिसकस कर के निकल ही रहा था तभी


"मनीष, नेहा कहां है आजकल? ऑफिस में दिखती नहीं।"


"जी वो देहरादून गई है एक महीने की छुट्टी ले कर। उसका डाइवोर्स वाले केस की डेट आ गई थी, उसी कारण।"


"तो क्या हुआ उसमें, कुछ पता है तुम्हे?"


"जी लास्ट वीक उसने बोला कि केस फाइनल हो गया है, और अभी वो अपने किसी रिश्तेदार के यहां गई है तो उसके बाद बात नहीं हुई।"


"अच्छा है जो केस फाइनल हुआ, अब उसके वापस आने पर मैं ही मनोहर भाई से बात करता हूं तुम दोनों की शादी की।"


"जी सर, अब मैं चलता हूं।"


"हां ठीक है। और वो जो नए सिस्टम डालने हैं वाल्ट में उनको जल्द से जल्द करवाओ।"


"ओक सर।" बोल कर मैं वहां से निकल गया। मुझे ऐसा लगा जैसे वो एक दो और सवाल पूछते तो शायद मैं नेहा के किडनैप की बात बोल जाता।


शाम को मैं फिर से उसी जगह होते हुए फ्लैट पर पहुंचा, और फ्रेश हो कर खाने का ऑर्डर दे दिया। 5 - 10 मिनिट बाद ही दरवाजे की घंटी बजी। अभी कौन हो सकता है, क्योंकि खाना आने में कम से कम आधा घंटा लगता है। मैने दरवाजा खोला, कोई नहीं था। लेकिन दरवाजा बंद करते समय मेरी नजर नीचे पड़े हुए एक भूरे एनवेलप पर गई।



मैने उसे उठा कर वो लिफाफा खोला, और उसमें मेरी और संजीव की फोटो थी, जिसमें मैं उस पर रिवॉल्वर ताने खड़ा था। इसी के साथ मेरा फोन भी बजा, ये किसी प्राइवेट नंबर से कॉल था.....
Nice update....
 

Riky007

उड़ते पंछी का ठिकाना, मेरा न कोई जहां...
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Yeh jaal jisme Manish fansa hai Mittal ki buni hui to nahi jisme Shrey, Sanjiv, Neha , Shivika mohre hai. Revolver de kar Manish ko lambe fansane ki bhi chal ho sakti hai. Romanchak Pratiksha agle rasprad update ki
बिल्कुल ऐसा भी हो सकता है, लेकिन ऐसा कौन सा मोटिव हो सकता है रजत मित्तल का?
 

Riky007

उड़ते पंछी का ठिकाना, मेरा न कोई जहां...
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dhparikh

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#अपडेट १८


अब तक आपने पढ़ा -



मैने गौर से देख तो ये मित्तल सर की दी हुई रिवॉल्वर थी।


मैने थोड़ा सा उसका ध्यान बांटने की कोशिश की, "नेहा पुलिस को कॉल करो।"

जैसे ही मैने ये कहा, वैसे ही उसका ध्यान मेरे पीछे खड़ी नेहा पर गया, और मैने झपट कर उससे रिवॉल्वर चीन ली, और उसके ऊपर तान दी।पर जैसे ही मैने रिवॉल्वर संजीव पर तानी, वैसे ही नेहा, जो मेरे पीछे खड़ी थी, फिर से चीखी


"नहीं.. आह!!!"


और इससे पहले कि मैं पलट कर नेहा को देखता, मेरे सर पर एक जोर का वार हुआ और.....


अब आगे -


मेरी आंखों के आगे अंधेरा छा गया, पर बेहोश होने से पहले मेरी नजर नेहा पर गई, जो जमीन पर बेहोश पड़ी थी।


जब मेरी आंख खुली तो मैं खुद को अपनी ही कार की ड्राइविंग सीट पर पाया, वैसे ही पैंट में, और मेरी शर्ट पास में ही पड़ी थी। सर के पीछे तेज दर्द हो रहा था, हाथ लगा कर देखा तो खून निकल कर सूख चुका था।



कार जहां खड़ी की थी वहीं पर लगी हुई थी, यानी कि नेहा ने जिस घर में बुलाया था उसी के सामने। मेरा मोबाइल, घड़ी और कार की चाभी साथ वाली सीट पर पड़ी थी, टाइम देखा तो रात के 3 बजे थे, लगभग मैं 5 घंटे बेहोश रहा था। मैं शर्ट पहन कर कार से उतर कर उस घर की ओर गया, दरवाजा लगा हुआ था, मेरे धक्का देते ही वो खुल गया। अंदर गया तो सब कुछ सही था। ऐसा लग ही नहीं रहा था कि यहां पर कोई हाथापाई हुई हो, बेडरूम भी साफ था। पीछे के ओर एक दरवाजा था जो अभी अंदर से बंद था, शायद जिसने मेरे और नेहा पर हमला किया वो उसी दरवाजे से आया होगा।


मैं उस घर से बाहर आ गया, और सबसे पहले मैने रिवॉल्वर अपनी कार में ढूंढनी शुरू की, मगर जहां उसे रखता था, वहां कुछ भी नहीं था। लेकिन एक कागज हाथ लगा मुझे वहां। उसे खोल कर देखा तो उस पर एक ही लाइन लिखी थी।


"नेहा हमारे कब्जे में है, और तब तक ही सुरक्षित है, जब तक तुम किसी को बताते नहीं इसके बारे में।"


ये पढ़ कर मैं डर गया, क्योंकि वो लोग नेहा को लेकर चले गए थे, उसपर से संजीव के हाथ में मेरी रिवॉल्वर भी थी। मैं समर को कॉल करके ये बताने ही जा रहा था कि फिर मुझे खयाल आया कि नेहा की सुरक्षा के लिए अभी किसी को इस बारे में बताना सही नहीं होगा। कार से मैने आस पास की जगह भी देखी, मगर ऐसा कुछ नहीं दिखा जिससे पता चले कि वो लोग कौन थे या किधर गए थे।


थक हार कर मैं वापस अपने फ्लैट पर आ गया। संडे था तो ऑफिस भी नहीं जाना था, मैं एक पेनकिलर खा कर सो गया। उस धमकी भरे नोट को पढ़ने के बाद अब मैं बस इंतजार ही कर सकता था किडनैपर संजीव के खुद कॉन्टेक्ट करने का, और भगवान से नेहा की सलामती की प्रार्थना करने का।


उस दिन फिर कुछ नहीं हुआ। अगले दिन मैं सामान्य दिन की तरह ऑफिस चला गया, और काम में लग गया। आज भी कोई कॉन्टेक्ट नहीं किया किडनैपर ने। शाम को मैं एक बार फिर से उसी घर के बाहर खड़ा था, पर वहां भी सब कुछ वैसा ही था। अगला दिन भी वैसा ही गुजरा।


उसके अगले दिन भी सब कुछ सामान्य रहा, ऑफिस में आज एक दो मीटिंग थी, जिसमें मित्तल सर भी थे। शाम को जब मैं उनके केबिन में बैठ कर आज की मीटिंग पर डिसकस कर के निकल ही रहा था तभी


"मनीष, नेहा कहां है आजकल? ऑफिस में दिखती नहीं।"


"जी वो देहरादून गई है एक महीने की छुट्टी ले कर। उसका डाइवोर्स वाले केस की डेट आ गई थी, उसी कारण।"


"तो क्या हुआ उसमें, कुछ पता है तुम्हे?"


"जी लास्ट वीक उसने बोला कि केस फाइनल हो गया है, और अभी वो अपने किसी रिश्तेदार के यहां गई है तो उसके बाद बात नहीं हुई।"


"अच्छा है जो केस फाइनल हुआ, अब उसके वापस आने पर मैं ही मनोहर भाई से बात करता हूं तुम दोनों की शादी की।"


"जी सर, अब मैं चलता हूं।"


"हां ठीक है। और वो जो नए सिस्टम डालने हैं वाल्ट में उनको जल्द से जल्द करवाओ।"


"ओक सर।" बोल कर मैं वहां से निकल गया। मुझे ऐसा लगा जैसे वो एक दो और सवाल पूछते तो शायद मैं नेहा के किडनैप की बात बोल जाता।


शाम को मैं फिर से उसी जगह होते हुए फ्लैट पर पहुंचा, और फ्रेश हो कर खाने का ऑर्डर दे दिया। 5 - 10 मिनिट बाद ही दरवाजे की घंटी बजी। अभी कौन हो सकता है, क्योंकि खाना आने में कम से कम आधा घंटा लगता है। मैने दरवाजा खोला, कोई नहीं था। लेकिन दरवाजा बंद करते समय मेरी नजर नीचे पड़े हुए एक भूरे एनवेलप पर गई।



मैने उसे उठा कर वो लिफाफा खोला, और उसमें मेरी और संजीव की फोटो थी, जिसमें मैं उस पर रिवॉल्वर ताने खड़ा था। इसी के साथ मेरा फोन भी बजा, ये किसी प्राइवेट नंबर से कॉल था.....
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parkas

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मैने थोड़ा सा उसका ध्यान बांटने की कोशिश की, "नेहा पुलिस को कॉल करो।"

जैसे ही मैने ये कहा, वैसे ही उसका ध्यान मेरे पीछे खड़ी नेहा पर गया, और मैने झपट कर उससे रिवॉल्वर चीन ली, और उसके ऊपर तान दी।पर जैसे ही मैने रिवॉल्वर संजीव पर तानी, वैसे ही नेहा, जो मेरे पीछे खड़ी थी, फिर से चीखी


"नहीं.. आह!!!"


और इससे पहले कि मैं पलट कर नेहा को देखता, मेरे सर पर एक जोर का वार हुआ और.....


अब आगे -


मेरी आंखों के आगे अंधेरा छा गया, पर बेहोश होने से पहले मेरी नजर नेहा पर गई, जो जमीन पर बेहोश पड़ी थी।


जब मेरी आंख खुली तो मैं खुद को अपनी ही कार की ड्राइविंग सीट पर पाया, वैसे ही पैंट में, और मेरी शर्ट पास में ही पड़ी थी। सर के पीछे तेज दर्द हो रहा था, हाथ लगा कर देखा तो खून निकल कर सूख चुका था।



कार जहां खड़ी की थी वहीं पर लगी हुई थी, यानी कि नेहा ने जिस घर में बुलाया था उसी के सामने। मेरा मोबाइल, घड़ी और कार की चाभी साथ वाली सीट पर पड़ी थी, टाइम देखा तो रात के 3 बजे थे, लगभग मैं 5 घंटे बेहोश रहा था। मैं शर्ट पहन कर कार से उतर कर उस घर की ओर गया, दरवाजा लगा हुआ था, मेरे धक्का देते ही वो खुल गया। अंदर गया तो सब कुछ सही था। ऐसा लग ही नहीं रहा था कि यहां पर कोई हाथापाई हुई हो, बेडरूम भी साफ था। पीछे के ओर एक दरवाजा था जो अभी अंदर से बंद था, शायद जिसने मेरे और नेहा पर हमला किया वो उसी दरवाजे से आया होगा।


मैं उस घर से बाहर आ गया, और सबसे पहले मैने रिवॉल्वर अपनी कार में ढूंढनी शुरू की, मगर जहां उसे रखता था, वहां कुछ भी नहीं था। लेकिन एक कागज हाथ लगा मुझे वहां। उसे खोल कर देखा तो उस पर एक ही लाइन लिखी थी।


"नेहा हमारे कब्जे में है, और तब तक ही सुरक्षित है, जब तक तुम किसी को बताते नहीं इसके बारे में।"


ये पढ़ कर मैं डर गया, क्योंकि वो लोग नेहा को लेकर चले गए थे, उसपर से संजीव के हाथ में मेरी रिवॉल्वर भी थी। मैं समर को कॉल करके ये बताने ही जा रहा था कि फिर मुझे खयाल आया कि नेहा की सुरक्षा के लिए अभी किसी को इस बारे में बताना सही नहीं होगा। कार से मैने आस पास की जगह भी देखी, मगर ऐसा कुछ नहीं दिखा जिससे पता चले कि वो लोग कौन थे या किधर गए थे।


थक हार कर मैं वापस अपने फ्लैट पर आ गया। संडे था तो ऑफिस भी नहीं जाना था, मैं एक पेनकिलर खा कर सो गया। उस धमकी भरे नोट को पढ़ने के बाद अब मैं बस इंतजार ही कर सकता था किडनैपर संजीव के खुद कॉन्टेक्ट करने का, और भगवान से नेहा की सलामती की प्रार्थना करने का।


उस दिन फिर कुछ नहीं हुआ। अगले दिन मैं सामान्य दिन की तरह ऑफिस चला गया, और काम में लग गया। आज भी कोई कॉन्टेक्ट नहीं किया किडनैपर ने। शाम को मैं एक बार फिर से उसी घर के बाहर खड़ा था, पर वहां भी सब कुछ वैसा ही था। अगला दिन भी वैसा ही गुजरा।


उसके अगले दिन भी सब कुछ सामान्य रहा, ऑफिस में आज एक दो मीटिंग थी, जिसमें मित्तल सर भी थे। शाम को जब मैं उनके केबिन में बैठ कर आज की मीटिंग पर डिसकस कर के निकल ही रहा था तभी


"मनीष, नेहा कहां है आजकल? ऑफिस में दिखती नहीं।"


"जी वो देहरादून गई है एक महीने की छुट्टी ले कर। उसका डाइवोर्स वाले केस की डेट आ गई थी, उसी कारण।"


"तो क्या हुआ उसमें, कुछ पता है तुम्हे?"


"जी लास्ट वीक उसने बोला कि केस फाइनल हो गया है, और अभी वो अपने किसी रिश्तेदार के यहां गई है तो उसके बाद बात नहीं हुई।"


"अच्छा है जो केस फाइनल हुआ, अब उसके वापस आने पर मैं ही मनोहर भाई से बात करता हूं तुम दोनों की शादी की।"


"जी सर, अब मैं चलता हूं।"


"हां ठीक है। और वो जो नए सिस्टम डालने हैं वाल्ट में उनको जल्द से जल्द करवाओ।"


"ओक सर।" बोल कर मैं वहां से निकल गया। मुझे ऐसा लगा जैसे वो एक दो और सवाल पूछते तो शायद मैं नेहा के किडनैप की बात बोल जाता।


शाम को मैं फिर से उसी जगह होते हुए फ्लैट पर पहुंचा, और फ्रेश हो कर खाने का ऑर्डर दे दिया। 5 - 10 मिनिट बाद ही दरवाजे की घंटी बजी। अभी कौन हो सकता है, क्योंकि खाना आने में कम से कम आधा घंटा लगता है। मैने दरवाजा खोला, कोई नहीं था। लेकिन दरवाजा बंद करते समय मेरी नजर नीचे पड़े हुए एक भूरे एनवेलप पर गई।



मैने उसे उठा कर वो लिफाफा खोला, और उसमें मेरी और संजीव की फोटो थी, जिसमें मैं उस पर रिवॉल्वर ताने खड़ा था। इसी के साथ मेरा फोन भी बजा, ये किसी प्राइवेट नंबर से कॉल था.....
Bahut hi shaandar update diya hai Riky007 bhai....
Nice and lovely update....
 

Riky007

उड़ते पंछी का ठिकाना, मेरा न कोई जहां...
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Yeh jaal jisme Manish fansa hai Mittal ki buni hui to nahi jisme Shrey, Sanjiv, Neha , Shivika mohre hai. Revolver de kar Manish ko lambe fansane ki bhi chal ho sakti hai. Romanchak Pratiksha agle rasprad update ki
धन्यवाद भाई 🙏🏼
 

Riky007

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अगर संजीव का ख़ून होता है, तो भी मनीष पर कोई आँच नहीं आने वाली।
वो फोटो ही उसकी बेगुनाही का सबूत है।
 
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