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Thriller शतरंज की चाल

Riky007

उड़ते पंछी का ठिकाना, मेरा न कोई जहां...
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जैसा कि शुभम भाई ने कहा , कहानी कुछ अधिक ही फास्ट ट्रैक पर चल रही है उससे मै भी सहमत हूं । थोड़ा धीरे - धीरे , धैर्य के साथ , डिटेल वर्णन के साथ घटनाक्रम को बढ़ाइए ।
आप भी जानते हैं कि मैं बहुत लंबा नहीं लिख पाता, ये स्टोरी भी 20 से 25 अपडेट की ही होगी। वैसे अभी जो भी हो रहा है, वो सब कोई फास्ट ट्रैक नहीं है। सब बहुत टाइमली ही चल रहा है।
नेहा मैडम हर बार कुछ न कुछ अप्रत्याशित सा कर जाती है जिससे हम सब को उस के चरित्र पर संदेह पैदा होने लगता है । कुछ न कुछ खिचड़ी तो वह अवश्य ही पका रही है । देखने वाली बात यह है कि इस खिचड़ी कार्यक्रम मे उसका साथी या फिर बाॅस कौन है !
पर मुझे तो लगता है कि लोग उसको बदनाम कर रहे हैं।
नेहा मैडम और मनीष के इस ताजा ताजा नए बने सम्बन्ध से शायद रजत मित्तल साहब बहुत ज्यादा प्रसन्न नही होंगे । शायद वो अपनी पुत्री या फिर भतीजी के साथ उसका रिश्ता करना चाहते थे ।
अगर पुत्री के साथ मनीष का सम्बन्ध बना तब शायद विरासत के लिए परिवार मे कुछ तनाव पैदा हो ! पर अगर भतीजी के साथ रिश्ता बना तब शायद सबकुछ वाह वाह ही बना रहे !
सोचा तो बहुत ही अच्छा था, हालांकि उनको ये बात पहले ही क्लियर कर देनी तो अपनी तरफ से। वैसे जिसके साथ करना चाहते थे, वो बेचारी खुद ही तो हिंट दे रही थी, लेकिन मनीष बाबू तो दूसरी ही दुनिया में थे।
इधर वाल्ट के अस्तित्व मे आने की घड़ी प्रायः आ चुकी है जो कि - मेरे अनुसार - मनीष के लिए खतरे की घंटी का आगाज है ।
खैर देखते हैं , फ्यूचर मे मनीष के साथ क्या क्या होता है !

लेकिन वाल्ट वाली बात तो नेहा के आने के बाद हुई, पहले से इसकी प्लानिंग बस मित्तल साहब और मनीष के पास ही थी, कोई और इन्वॉल्व क्या भनक भी नहीं थी किसी को इसकी।
खुबसूरत अपडेट रिकी भाई ।
आउटस्टैंडिंग एंड अमेजिंग अपडेट ।
धन्यवाद भाई जी 🙏🏼
 

chandan misra

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#अपडेट १०


अब तक आपने पढ़ा -


ऐसे ही एक दिन दोपहर के समय मैं उसके केबिन में चला गया, वो खिड़की के पास खड़ी फोन पर किसी से बात कर रही थी, उसकी आवाज बहुत धीमी थी, मुझे साफ से सुनाई नहीं दिया।


".... हां वो तो पागल हो गया है पूरा।"


"......"


"बस जल्दी ही एक बार और करना है।"


"....."


तब तक मैने पीछे से उसे अपनी बाहों में भर लिया।


उसने मुझे देखा, उसके चेहरे पर कुछ घबराहट थी.....


अब आगे -





"अच्छा पापा, अब रखती हूं। कुछ जरूरी काम आ गया है।" बोल कर उसने फोन काट दिया।


"इतना घबरा क्यों गई तुम?"


"अब एकदम से ऐसे कोई पीछे से पकड़ लेगा तो घबराहट सी होगी ही।"


कहते हैं आशिकी में डूबा आशिक समझने समझाने से ऊपर उठ चुका होता है, मेरी भी हालत शायद वैसी ही थी, इसलिए मैने इस बात को फिर ज्यादा तूल नहीं दिया।


"क्या बात कर रही थी अपने पापा से?"


"वही संजीव से डाइवोर्स वाली। वो एक्चुअली कुछ पैसे मांग रहा है मुझसे।"


"कितने?"


"पच्चीस लाख। बोला इतने दे दो, आराम से तलाक दे दूंगा।"


"तो मैं दे देता हूं।"


"नहीं मनीष, इस बात के लिए तुमसे नहीं लूंगी पैसे। मेरी गलती है, मुझे ही इसको चुकाने दो।"


"नेहा, मेरे पैसे तुम्हारे पैसे हैं। जब भी कोई जरूरत हो, बेझिझक मांग लो।"


"वो मुझे पता है मेरे भोले बलम। लेकिन इस मामले में बिल्कुल नहीं। वैसे ज्यादा पैसे हैं तो कुछ शॉपिंग करवा दो।"


"अरे, बस इतनी सी बात? आज ही चलो।"


"नहीं, आज नहीं। कल चलते हैं।"


"ओके, वैसे भी कल सैटरडे है। कल ही चलते हैं।"


ये बोल कर मैने उसको फिर से अपनी बाहों में भर कर चूम लिया।


ऑफिस में अभी हमने किसी को भी अपने बारे में भनक भी नहीं लगने दी थी। इसीलिए काम के अलावा हम लोग ऑफिस अलग अलग ही आते जाते थे। अगले दिन भी शाम को मैं जल्दी ही ऑफिस से निकल कर नेहा को लेने गया। नेहा मुझसे पहले भी निकल चुकी थी। उसके घर से उसे पिक करके हम ऑर्बिट मॉल गए, वहां नेहा ने बहुत सारी खरीदारी की दोनों के लिए, उसके बाद हम उसी में मौजूद एक पब में चले गए। वहां पर डांस फ्लोर भी था। दोनों की ड्रिंक ऑर्डर करने के बाद हम एक टेबल पर बैठ गए, वीकेंड होने के कारण थोड़ी भीड़ थी। डांस फ्लोर पर लोग डांस कर रहे थे।


"चलो डांस करें।"


"मुझे डांस करना नहीं आता नेहा। तुम जाओ, मैं देखता हूं तुमको।"


"अरे चलो न, कौन सा मुझे आता है, लेकिन मुझे पसंद है डांस करना।" उसने जिद करते हुए कहा।


मैं उसके साथ चल गया। वहां पर कई कपल और कई लड़के लड़कियां अलग से भी डांस कर रहे थे। मुझे आता नहीं था तो पहले मैं बस ऐसे ही खड़ा रहा, नेहा मेरा हाथ पकड़ कर गाने की धुन पर झूम रही थी। उसके बदन की थिरकन देख लगता नहीं था कि उसको डांस नहीं आता।


फिर एक रोमांटिक गाना लगा दिया गया, और नेहा मेरे हाथों को पकड़ कर अपनी कमर पर रख दिया और मुझसे बिल्कुल चिपक कर डांस करने लगी। उसके यूं चिपकने से मेरे शरीर में उत्तेजना भरनी शुरू हो गई। मेरे हाथ उसकी पीठ पर घूमने लगे। और हमारे होंठ एक दूसरे से जुड़ गए। तभी गाना खत्म हो गया, और हमारा ड्रिंक भी आ गया था, तो हम वापस टेबल पर आ गए। कुछ देर बाद नेहा वापस से डांस फ्लोर पर चली गई, और मैं खाने का ऑर्डर देने लगा।


वहां नेहा अकेली ही डांस कर रही थी और कुछ ही देर में एक लड़का उसके काफी पास आ कर नाचने लगा। मैं खाने का ऑर्डर दे कर डांस फ्लोर की ओर देखा तो वो लड़का डांस करने के बहाने नेहा के आस पास ही मंडरा रहा था और नेहा को छूने की कोशिश कर रहा था। ये देख मैं भी वहां चला गया और नेहा के आस पास ही डांस करने लगा। उसने शायद मुझे नहीं देख, या मुझे भी अपने जैसा ही एक मनचला समझ लिया। उसकी हरकतें बंद नहीं हुई। मुझे गुस्सा बढ़ रहा था। तभी उसने नेहा की कमर पर अपना हाथ रख कर दबा दिया, जिससे नेहा भी चिहुंक गई, और मैने उसका हाथ पकड़ कर एक थप्पड़ मार दिया उसे, जिससे वो लड़खड़ा कर गिर पड़ा।


ये देख उसके 2 साथी भी आ गए और हम तीनों में हल्की हाथ पाई होने लगी। हंगामा ज्यादा बढ़ता, इससे पहले ही पब के बाउंसर आ कर हम सबको अलग किए और मामला शांत करवाने की कोशिश करने लगे।मैने पुलिस बुलाने को कहा, मगर तब तक नेहा ने बीच में आ कर सारा मामला रफा दफा करने कहा, और छेड़ छाड़ का मामला देख पब वाले भी इसे पुलिस तक नहीं ले जाना चाहते थे। फिर नेहा के समझाने पर मैने भी जिद छोड़ दी।


हम लोग खाना खा कर निकल गए वहां से। मैने नेहा को उसके घर पर ड्रॉप किया और अपने फ्लैट पर आ कर सो गया। अगले दिन संडे था तो सुबह देर तक सोता रहा।


मेरी नींद किसी के फ्लैट की घंटी बजने से खुली। देखा तो नेहा आई थी, अपने साथ एक बड़ा बैग लाई थी वो।


"अरे अभी तक सो रहे हो लेजी डेजी?"


"संडे है यार। और तुम इतनी सुबह?"


"हां संडे है, तभी सोचा आज का दिन तुम्हारे साथ बिताऊं।"


"अंदर आओ।"


नेहा पहली बार मेरे फ्लैट में आई थी और फ्लैट थोड़ा अस्त व्यस्त था। काम करने के लिए एक लड़का आता था, मगर वो एक दिन की छुट्टी पर था। और वैसे भी लड़के अपना घर जल्दी साफ नहीं करते हैं।


"कितना गंदा कर रखा है तुमने।" उसने मुंह बनते हुए कहा।


"मैने सोफे से गंदे कपड़े उठाते हुए कहा, "कोई तो आता नहीं यहां, किसके लिए साफ रखूं? वैसे भी सफाई वाला लड़का छुट्टी पर है, वर्मा इतना गंदा नहीं मिलता।"


उसने मेरे हाथ से कपड़े लेते हुए कहा, "लाओ ये मुझे दो, घर को कम से कम बैठने लायक तो बना लूं।"


ये कह कर उसने कपड़ों को वाशिंग मशीन में डाल कर ऑन कर दिया, और झाड़ू ढूंढ कर सफाई करने लगी।


"ये क्या कर रही हो, कल आयेगा न साफ करने वाला।"


"करने दो मुझे, और जाओ तुम भी फ्रेश हो जाओ, नाश्ता बना कर लाई हूं, एक साथ करेंगे।" एकदम बीवी वाले लहजे में उसने आदेश दिया।


मैं भी फ्रेश होने चला गया। नहाते हुए मुझे याद आया कि तौलिया ले।कर तो आया ही नहीं मैं।


"नेहा, जरा तौलिया दे देना।" मैने बाथरूम के दरवाजे से झांकते हुए कहा।


नेहा तौलिया ले कर आई, और मैने दरवाजे के पीछे से ही हाथ निकल कर बाहर कर दिए, तौलिया पकड़ने के लिए। लेकिन नेहा उसे मेरे हाथ में नहीं दे रही थी और बार बार इधर उधर लहरा रही थी।


"पकड़ के दिखाओ तौलिया।" उसने शरारत से कहा।



मैने भी थोड़ी चालाकी दिखाते हुए तौलिए की जगह उसका हाथ पकड़ लिया और बाथरूम में खींच लिया।


"मनीष, छोड़ो मुझे। भीग जाऊंगी मैं।" उसने मचलते हुए कहा। लेकिन तब तक मेरे होंठ उसके होंठों को बंद कर चुके थे।


मेरे हाथ उसके कपड़े खोलने लगे थे, मैं खुद तो बिना कपड़ों के था ही।


बाथरूम में कुछ देर एक दूसरे के बदन से खेलने के बाद हम बाहर आ गए, और बेड पर फिर से वो खेल शुरू हो गया।


मैं नेहा की योनि को चाट रहा था, और वो मेरे लिंग को मुंह में भरी हुई थी। थोड़ी देर बार मैं नेहा के अंदर था और वो मेरे ऊपर बैठ कर उछल रही थी। कोई आधे घंटे हमारा ये खेल चला, और उसके बाद हम वैसे ही उठ कर खुद को साफ करके नाश्ता करने बैठे। सारा दिन हमने साथ में ही बिताया।


शाम को नेहा को घर छोड़ कर मैं वापस लौट रहा था तो करण का फोन आया मेरे पास।


"सर कहां हैं?"


"अभी तो बाहर हूं, बोलो क्या बात है?"


"वो कल मुंबई वाली ब्रांच में जाना है न मुझे, और कल की एक फाइल पर अपने साइन नहीं किए। मुंबई उस फाइल को लेकर जाना है।"


"मेरे फ्लैट पर आ जाओ आधे घंटे में, मैं साइन कर देता हूं।"


आधे घंटे बाद करण मेरे फ्लैट में था।


"आओ करण, बैठो। क्या लोगे चाय या कुछ और? चाय तो भाई मंगवानी पड़ेगी। हां व्हिस्की बोलो तो अभी पिलाता हूं।"


"अब सर चाय तो हम लगभग रोज ही साथ में पीते हैं।" उसने शर्माते हुए कहा।


मैने व्हिस्की की बोतल निकला कर दो पैग बनाए और थोड़ी नमकीन भी रख ली।


"लाओ फाइल दो।"


उसने मेरी ओर फाइल बढ़ा दी। मैं उसे पढ़ने भी लगा और अपने पैग का शिप भी लेने लगा। करण ने अपना पैग जल्दी ही खत्म कर दिया।


"अरे भाई, बड़ी जल्दी है तुमको। अच्छा अपना एक और पैग बना लो तुम।" ये बोल मैं फिर से फाइल पढ़ने लगा।


थोड़ी देर बाद मैने फाइल पढ़ कर उस पर साइन कर के करण की ओर उसे बढ़ा दिया। करण ने फाइल।अपने बैग में रख ली।


"और करण, मां कैसी हैं अब तुम्हारी?"


"सर अभी तो ठीक हैं, मुंबई जा रहा हूं, वहां एक डॉक्टर का पता चला है उसने भी मिल लूंगा मां के केस के सिलसिले में।" उसकी बात सुन कर लगा जैसे कुछ नशे का असर होने लगा था उस पर।


"चलो अच्छी बात है, कोई हेल्प चाहिए तो बताना। वैसे US में एक डॉक्टर दोस्त है मेरा, बोलो तो उनसे बात करूं कभी?"


"नहीं सर, अभी तो लोग मुंबई वाले को बेस्ट बता रहे हैं। उनसे मिल लेता हूं पहले, फिर बताता हूं आपको।"


"ठीक है फिर।" ये बोल कर मैने एक और पैग बना दिए दोनो के लिए।


"सर, एक बात बोलनी थी आपसे?"


"बोलो करण। ऐसे पूछ कर क्या बोलना, जो कहना है कहो।"


"कैसे बोलूं सर समझ नहीं आ रहा। व वो नेहा है न, सर वो अच्छी लड़की नहीं है।"


"मतलब?"


"मतलब सर, मैने कई बार उसको श्रेय सर के केबिन में आते जाते देखा है। और कई बार मीटिंग वगैरा में भी दोनों को इशारों में बाते करते भी देखा है। आप सर उससे थोड़ा दूरी बना कर रखें।" अब उसकी जबान पूरी तरह से लड़खड़ाने लगी थी।


मैं थोड़ा गौर से उसे देखने लगा था।


"अच्छा सर, अब चलता हूं मैं। सॉरी शायद नशे में कुछ गलत बोल गया हूं तो।" बोल कर वो निकल गया।


मैं थोड़ी देर उसकी बात पर विचार करता रहा, फिर मैने सोचा शायद वो नेहा के एकदम से इतने ऊपर आने से कुछ गलतफहमी पाल रखी हो उसने, इस कारण ऐसा बोल रहा हो।


थोड़ी देर बाद मैं सो गया। अगले 2 दिन कुछ खास नहीं हुआ। मित्तल सर और करण दोनों ही नहीं थे, और करण के न रहने पर मैं और नेहा मिल कर आज पूरा काम देख रहे थे तो ज्यादा समय नहीं मिला हम दोनो को। तीसरे दिन करण मुंबई से आ चुका था, और मित्तल सर भी वापी पहुंच चुके थे, इसीलिए मैं कुछ रिलैक्स था, दोपहर में नेहा मेरे केबिन में आई और मेरी गोद में आ कर बैठ गई।



उसके बैठते ही मेरे केबिन का दरवाजा एकदम से खुल गया......
ये श्रेय और नेहा मनीष को हटाने का प्लान बना रखे है क्या 😂
 
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chandan misra

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# अपडेट ११


अब तक आपने पढ़ा -

थोड़ी देर बाद मैं सो गया। अगले 2 दिन कुछ खास नहीं हुआ। मित्तल सर और करण दोनों ही नहीं थे, और करण के न रहने पर मैं और नेहा मिल कर आज पूरा काम देख रहे थे तो ज्यादा समय नहीं मिला हम दोनो को। तीसरे दिन करण मुंबई से आ चुका था, और मित्तल सर भी वापी पहुंच चुके थे, इसीलिए मैं कुछ रिलैक्स था, दोपहर में नेहा मेरे केबिन में आई और मेरी गोद में आ कर बैठ गई।


उसके बैठते ही मेरे केबिन का दरवाजा एकदम से खुल गया...


अब आगे -


दरवाजे पर मित्तल साहब खड़े थे, बस एक वही थे जो बिना नॉक किए मेरे केबिन में आ सकते थे। उनको देख नेहा उछल कर खड़ी हो गई और पीछे खिड़की की ओर मुंह छुपा कर खड़ी हो गई। मैं भी शौक के बस उनको ही देख रहा था। वो कुछ सेकंड दरवाजा पकड़ कर वैसे ही खड़े रहे, शायद उनको भी बहुत आश्चर्य हुआ होगा, फिर वो पलट कर निकल गए और जाते जाते बोले, "मनीष अपना काम निपटा कर मेरे केबिन में आओ, बहुत जरूरी बात है।"


मैंने नेहा को जाने का इशारा किया और कुछ देर बाद मैं भी मित्तल सर के केबिन की ओर निकल गया। भले ही अभी तक मैने अपने और नेहा के बारे में किसी को नहीं बताया था, मगर मैं सबसे पहले ये बात मित्तल सर को ही बताता, पर मुझे ये अच्छा नहीं लगा कि उनको इस तरीके से ये बात पता चली। खैर अब सामना तो करना ही था उनका।


मैं उनके केबिन के बाहर पहुंच कर धड़कते दिल से दरवाजा खटखटाया।


"कम इन।"


"सर वो..." मैं सर झुकते हुए अंदर गया और बिना देखे उनसे बोलने लगा।


"बैठो पहले।"


मेरे बैठते ही, "क्या था वो मनीष?"


"जी असल में हम... मतलब मैं और नेहा एक दूसरे से प्यार करते हैं।" मैं एक झटके में अपनी बात बोल गया।


कुछ देर की खामोशी के बाद, "क्या उसने अपने बारे में सब बताया तुम्हे?"


"जी अपनी तरफ से तो सब बता ही दिया है। और बस जैसे ही उसका डाइवोर्स फाइनल होता तो हम सबको बताने ही वाले थे।"


"चलो अब जब तुमने ये फैसला ले ही लिया है तो सही है, वैसे मैने तो कुछ और ही सोचा था तुम्हारे बारे में। फिर भी अगर जो तुम खुश हो तो मैं भी खुश हूं।"


दिल से मेरे बहुत बड़ा बोझ उतर गया था।


"वैसे मैं ये बोलने आया था कि वाल्ट का आधा अप्रूवल तो मिल गया है, बाकी आधा वाल्ट बनाने के बाद मिलेगा। तो अब तुमको इस काम में लग जाना होगा।"


"जी बिलकुल, मैं तो बस आपकी मंजूरी का वेट कर रहा था। फिलहाल एक दो लॉक के वेंडर से बात भी हो चुकी है। बस आप बोलिए तो उनको डेमो के लिए बुलवा लेता हूं, फिर शॉर्टलिस्ट करके आपसे मिलवा दूंगा।"


"ठीक है फिर कल से लग जाओ इसपर। और हां ये सब काम ऑफिस में तो मत किया करो भाई। और कम से कम, जब तक उसका डाइवोर्स फाइनल नहीं होता तब तक तो जरूर।" उन्होंने कुछ मूड हल्का करते हुए कहा।


मैं भी सर झुका कर सारी बोल कर निकल गया उनके केबिन से। नेहा मेरा इंतजार कर रही थी मेरे केबिन में।


"क्या बोला सर ने?"


"वो बहुत गुस्सा थे। उनको ये रिश्ता मंजूर नहीं, बोले कि एक दो दिन में तुमको दिल्ली भेज देंगे।" मैने सीरियस चेहरा बनाते हुए कहा।


ये सुन कर नेहा की आंखों में आंसु आ गए। "मुझे ऐसा ही लगा था मनीष, इसीलिए पहले मैने तुमसे कहा था कि डाइवोर्स हो जाने दो। लेकिन मैं खुद ही बहक गई, और अब?"


उसकी आंखों में आंसु मुझे अच्छे नहीं लगे। "सॉरी नेहा, मैने मजाक किया था। उनको हमारा रिश्ता मंजूर है।" मैने उसके कंधों को पकड़ कर कहा।


नेहा मुझे कुछ देर मुझे आश्चर्य से देखती रही, "क्या? सच में?"


"हां नेहा, बिलकुल सच।"


ये सुनते ही वो मेरे गले लग गई। मैने उसे दूर करते हुए कहा, "ये सब ऑफिस में करने से मना किया है सर ने।"


"ओह, हां सही है ऑफिस आखिर काम करने की जगह होती है।"


"हां, हमें ऑफिस में अपनी मर्यादा नहीं भूलनी चाहिए। अच्छा वो वाल्ट वाले प्रोजेक्ट के काम पर लगना है, अब तुम भी अपने केबिन में जाओ। हम शाम को मिलते हैं।"


नेहा चली गई और मैं काम में मशरुफ हो गया। शाम को मैने नेहा को कॉल किया तो वो ऑफिस से निकल चुकी थी। मैने उसे उसके घर से पिकअप किया। चूंकि आज हमारे रिश्ते को मित्तल सर की मंजूरी भी मिल गई थी, इसीलिए आज हमने साथ में डिनर का प्लान बनाया था।


डिनर से वापस लौटते समय नेहा का फोन बजा। उसने कॉल देख कर इग्नोर कर दिया, पर चेहरे पर कुछ टेंशन सी आ गई। काल कट कर वापस आने लगा, उसने फिर से इग्नोर किया।


"किसका कॉल है जो उठा नहीं रही, और टेंशन में क्यों हो तुम आखिर?"


"कुछ नहीं, ऐसा कोई इंपोर्टेंट कॉल नहीं है।"


"फिर परेशान क्यों हो?"


"व वो, कुछ दिन से देर शाम को मुझे पता नहीं किसकी कॉल आ रही है, कुछ बोलता नहीं कोई, लेकिन रोज कॉल आती है।"


"और ये कब बताने वाली थी मुझे तुम?" मैने थोड़े गुस्से वाले लहजे में पूछा।


"असल में बस कॉल ही आया है, कोई कुछ बोलता नहीं, इसीलिए तुमको नहीं बताया अब तक।"


"अच्छा किस नंबर से कॉल आता है? मुझे बताओ।"


"कोई fix नहीं है, लेकिन एक ही सीरीज से आ रहा है।"


"मुझे दिखाओ" ये बोल कर मैने उससे फोन ले लिया। कॉल अब भी बज रही थी।


नंबर मुझे जाना पहचाना लगा। तब तक कॉल कट गई। मैने थोड़ा दिमाग पर जोर डाला, ये नंबर तो शायद ऑफिस की बिल्डिंग का था। इंटरकॉम वाले सिस्टम में ये सीरीज का नंबर चलता है, लेकिन अब मोबाइल आ जाने से हम लोग सिर्फ इंटरकॉम का ही काम लेते थे उससे।


मैने देखा तो वैसी कॉल्स 5 6 अलग अलग नंबर से आई थी। मैने सबकी सीरीज चेक की तो पता चला कि ये नंबर मेरे ही फ्लोर के हैं, एक नंबर अलग फ्लोर का भी था।


मैने ऑफिस के रिसेप्शन पर कॉल लगाया। और पूछा कि मेरे फ्लोर पर अभी कौन कौन है तो वहां से बताया गया कि अभी अभी प्रिया और उसकी टीम निकली है, करण भी 10 मिनिट पहले ही निकला था। फिलहाल कोई नहीं है है उस फ्लोर पर।


"तुमको ऑफिस में सब कैसे लगते हैं?" मैने नेहा से पूछा।


"मतलब?"


"मतलब अपने वर्टिकल में जो साथ में हैं, वो सब कैसे लगते हैं तुमको, क्या कोई ऐसा भी लगता है जो तुमको नहीं चाहता हो या गलत निगाह रखता हो?"


"ऐसा तो कोई नहीं लगता, सब अपने काम से ही मिलते जुलते हैं मुझसे। हां कई बार मैने गौर किया है कि करण मीटिंग वगैरा में मुझे निहारता रहता है। पर अभी तक उसने कोई ऐसी हरकत नहीं की।"


अब मुझे लगने लगा कि उस दिन करण मुझे नेहा के खिलाफ इसीलिए भड़का रहा था क्योंकि वो शायद नेहा को सीक्रेटली चाहता हो। फिलहाल मैने उन सारे नंबर्स को ब्लॉक कर दिया नेहा के नंबर से, और उसको बोला कि फिर कभी कॉल आए तो मुझे जरूर बताए। मैने उसे घर छोड़ते हुए अपने फ्लैट पर वापस आ गया।


ये हफ्ता ऐसे ही बीत गया। शनिवार को नेहा ने कहा कि उसकी कोई मौसी जो मुंबई में रहती हैं, वो मिलने आने वाली है तो शनिवार और रविवार को मिलना संभव नहीं है। उसको अब वो ब्लैंक कॉल्स आने बंद हो गए थे।


मैं ऑफिस में ही बैठा था कि प्रिया का कॉल आया मेरे पास।


"हेलो मनीष, मैं आज एक मीटिंग के लिए निकली हूं, घर के सीसीटीवी में कोई दिक्कत है, तो क्या तुम टेक्नीशियंस से बात करके उसको सही करवा दोगे? पापा ने तुमसे बोलने को कहा है इसीलिए मैने तुमसे बोला"


"हां क्यों नहीं, वैसे क्या दिक्कत है उनमें?"


"कुछ कैमरा ऑनलाइन एक्सेस नहीं हो रहे, या फिर कई बार कनेक्शन कट जा रहा है। मैं टेक्निशियन का नंबर भेज रही हूं, तुम उनसे बात कर लेना।"


"ठीक है प्रिया, भेज दो। हां वो इंटरनेट प्रोवाइडर का भी भेज देना, शायद उसके साइड से कोई दिक्कत हो।"


"हां वो भी भेज देती हूं।"


वैसे एक दो बार पहले भी घर की कुछ काम को मैने करवाया है, तो प्रिया का ये फोन कोई पहली बार नहीं था। हां पर हर बार वो रिक्वेस्ट जरूर करती थी, और सर का नाम भी बोलती थी। खैर खाली ही बैठा था आज तो मैने सोचा ये काम भी करवा लिया जाय। 2 मिनिट बाद उसने दोनों नंबर भेज दिए थे। मैने पहले कैमरा वाले को कॉल लगाया और उससे प्रॉब्लम के बारे में पूछा और उसने कुछ अपडेट करने बोला। मैने उसे बोला कि वो अपनी तरफ से अपडेट कर दे तो कुछ समय मांग उसने। कोई एक घंटे बाद उसने कॉल करके बताया कि अपडेट्स कर दिया हैं उसने और चेक करने भी बोला। मेरे पास एक्सेस नहीं था तो मैने प्रिया को वापस कॉल लगाई और चेक करने बोला। उसने कहा कि अभी वो बिजी है तो एक्सेस पासवर्ड भेज दिया उसने कि मैं खुद ही चेक कर लूं सब ठीक है या नहीं।


मैने चेक किया तो सब सही था। और मैने टेक्निशियन और प्रिया दोनों को इनफॉर्म कर दिया इसके बारे में। शाम को मैं आज क्लब चला गया जहां समर से भी मुलाकात हो गई, और उसके साथ बैठ कर कुछ ड्रिंक्स भी लेली। फिर मैं ड्राइव करके वापस अपने फ्लैट की ओर निकल गया।


रास्ते में ट्रैफिक बहुत ज्यादा नहीं था, मगर फिर भी ड्रिंक किए होने के कारण मैं आराम आराम से ड्राइव कर रहा था। क्लब से थोड़ा आगे जाने पर दूसरे साइड से आगे से एक कार आती दिखी। ये कार मित्तल हाउस की थी, और ज्यादातर उसे श्रेय ही चलता था। मैंने उस कार की ओर देखा तो ड्राइविंग सीट पर एक आदमी था, जिसका चेहरा मुझे नहीं दिख पाया, और पैसेंजर सीट पर एक लड़की थी। कार पास होते ही स्ट्रीट लाइट की रोशनी में मुझे लगा कि वो लड़की नेहा थी....
प्यार मे आदमी बावला हो जाता है इसका स्पष्ट उदहारण है मनीष देखते है इसकी आँखों की पट्टी कब खुलेगी, बढ़िया भाग है
 
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Riky007

उड़ते पंछी का ठिकाना, मेरा न कोई जहां...
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ये श्रेय और नेहा मनीष को हटाने का प्लान बना रखे है क्या 😂
देखो क्या है, हटाने का या घटाने का
प्यार मे आदमी बावला हो जाता है इसका स्पष्ट उदहारण है मनीष देखते है इसकी आँखों की पट्टी कब खुलेगी, बढ़िया भाग है
धन्यवाद भाई जी 🙏🏼
अगले भाग की प्रतीक्षा है मित्र
आयेगा जल्दी ही 🙏🏼
 

TheBlackBlood

शरीफ़ आदमी, मासूमियत की मूर्ति
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मिलेगा, सब मिलेगा इधर। सस्पेंस, मर्डर, हाफ मर्डर, चोरी डकैती, ब्लैकमेल सब।
:sex: Chudaai padhne ko milegi na :?:
 

Riky007

उड़ते पंछी का ठिकाना, मेरा न कोई जहां...
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:sex: Chudaai padhne ko milegi na :?:
एक सीन तो डिटेल में लिखा, और एक शॉर्ट में।

अब कैसा लिखूं वो बता दो, एक आधा अपडेट बढ़ जाएगा
 

TheBlackBlood

शरीफ़ आदमी, मासूमियत की मूर्ति
Supreme
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एक सीन तो डिटेल में लिखा, और एक शॉर्ट में।

अब कैसा लिखूं वो बता दो, एक आधा अपडेट बढ़ जाएगा
Likho chaahe jaise bhi lekin chudai ke har scene ka mast gif add hona chahiye :D



Masoom readers ki maang puri karo :protest:
 
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Riky007

उड़ते पंछी का ठिकाना, मेरा न कोई जहां...
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Likho chaahe jaise bhi lekin chudai ke har scene ka mast gif add hona chahiye :D



Masoom readers ki maang puri karo :protest:
बाल बच्चेदार आदमी हूं भाई, ऐसे फोटो मोबाइल में डाउनलोड नहीं कर सकता।

सीन पढ़ कर खुद suppose कर लिया करो 😌
 

TheBlackBlood

शरीफ़ आदमी, मासूमियत की मूर्ति
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बाल बच्चेदार आदमी हूं भाई, ऐसे फोटो मोबाइल में डाउनलोड नहीं कर सकता।

सीन पढ़ कर खुद suppose कर लिया करो 😌
:nana: Aise to na chalega, apan jaise anpadh aur bailbuddhi readers scene padh ke bhi imagine nahi kar paate is liye jab tak gif me scene nahi dekhenge to kaise maza aayega aur fir kaise apan log :shag: kar sakenge :roll:

Hamari maange puri karna ju ka kartavya hai aur hamara janmsiddh adhikaar :protest:
 
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