Rocky 1975
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Bhai Mai bas itna bolta hu online to aate hi ho bas ek massage dal do ki kal update aa jayega(bari mehrbani hogi)Soory bhai mere pass bhi kaam rehete koshish Puri karta hu but nahi ho pta to kya kru![]()
Shandar jabardast updateअपडेट -32
मैं हल्का सा लंगड़ता हुआ घर के अंदर गया।
मम्मी- बिल्कुल अंधा हो गया देख कर बाइक का स्टैंड भी नही उठा सकता है।
सूरज मेरा बचाव करते हुए,
अरे वो आंटी किसी लड़के ने स्टैंड का बोल्ट ढीला कर दिया था इसलिए ये सब हुआ। कल स्कूल में कैमरा चेक कर के उसे पकड़ लेंगे।
चलो ठीक है तुम लोग कमरे में जाओ मैं भी खाना लेकर आती हूं।
हम्म लोगो ने खाना खाया।
सूरज जाने लगा और बोला भाई मैं तेरी बाइक के लिए जा रहा हूं मुझे जरा रिया को थोड़ा घूमना है वैसे भी तुझे कही जाना नहीं है,और ध्यान रखना पलक का कॉल नही उठाना है।
मैं- ठीक है भाई पर मुझे तो बताओ क्यों नहीं
सूरज - भाई टाइम आएगा तो बताऊंगा।
मैं- ठीक है ये लो फोन स्विच ऑफ कर दिया है और अभी दवा खा कर सो जाता हूं।
सूरज को बाइक की चाबी दी और मम्मी को बोल दिया कि कोई आए तो मुझे डिस्टर्ब मत करना, सोने जा रहा हूं क्योंकि मेरे पैरो में दर्द बहुत है। नींद की गोली खाई है आराम करूंगा।
मम्मी- ठीक है,
मैं गेट बंद कर के सो गया, और दावा का असर इतना जायदा था की शायद मेरी आंख दूसरे दिन सुबह 5 बजे खुली होगी।
क्योंकि मुझे कोई बुलाने भी आया होगा तो मैंने गेट अंदर से बंद कर लिया था और मोबाइल स्विच कर लिया था अब तो कोई मौका नहीं था कि कोई मुझसे मिल पाए।
अगला दिन,
पहले मोबाइल स्विच ऑन किया फिर मस्त फ्रेश हुआ आज ऐसा लग रहा है जैसे बहुत दिन बाद सही से सोया हूं।
रोज़ के काम करने के बाद स्कूल के लिए तैयार हुआ। और नीचे नाश्ता करने के लिए गया।
मम्मी- गेट अंदर से बंद कर सोया था क्या?
मैं- हां मम्मी कोई दिक्कत हुई क्या.
मम्मी- वो मौसी और मौसा आए थे तुझे देखने पर तूने गेट ही नहीं खोला।
मैं- हा मम्मी, पैर में दर्द भी था और डॉक्टर ने बोला कि अगर रात भर आराम करो, सुबह तक चलने के लायक हो जाओगे।
मैं- उन लोगो को कैसे पता चला, जबकि कोई ज्यादा चोट तो लगी नही थी फिर भी,,
मम्मी - पलक की सहेली का भाई तेरे साथ ही पढ़ता है उसी ने बताया होगा।
मैं- हां, हो सकता है।
तभी गेट पर घंटी वजी,
मम्मी गेट खोलने गई ये सुबह सुबह कौन होगा।
गेट पर सूरज था और अंदर आया बोला,
सूरज - तू स्कूल जा रहा है।
मैं- क्यों तू नहीं जा रहा क्या
सूरज- वो यार घर पर थोड़ा काम तो मैं तो नहीं जाऊँगा । और तू क्यों जा रहा है जब तेरी हालत ठीक नहीं है आराम कर ना घर पे रहे कर,
मैं - अरे यार मुझे लगा तू भी जाएगा तो मैं तैयार हो गया इसलिए पहले बता देता तो मैं भी ना जाता।
सूरज- तेरा नंबर स्विच ऑफ जा रहा था.कैसे बता अगर तुझे जाना है तो बोल मैं बाइक से ड्रॉप कर दूंगा।
मैं- ठीक है मैं भी रहना देता हूं.
घर पे रहकर आराम ही कर लूंगा।
सूरज- ऐसा करना में तुझे 10 बजे तरफ रिसीव करने आऊंगा वो सर ने असिंगमेंट्स दिया है ना तो घर पे आके पूरे कर लेंगे।
मैं - सोच में की कौन से assingments दिए है।
सूरज ने आंखो से इशारा किया ।
मैं - अच्छा ठीक है तो फिर 10 बजे मिलना हम लोग साथ में चलते है।
भैया चिलते हुए,
भैया- स्कूल नहीं जाना है और क्या इतनी कोई ज्यादा चोट नहीं लगी है जो स्कूल नहीं जा सकता।
मैं- अरे भैया वो सूरज आएगा नहीं, मैं अकेला होऊंगा स्कूल में, इसलिए नहीं जा रहा।
मम्मी- अरे रहने दो क्यू चिल्ला रहे हो. कल चल जायेगा ना.
मम्मी के इतना कहने पर मैं अपने कमरे में चला गया और कपड़े निकाल कर लेट गया।
सूरज को फोन करने ही बाला होता हूं।
तभी सूरज का फोन आया कि भाई जरा फन सिटी तक चलना है रिया की एक फ्रेंड के घर तक चलना है।
मैं- ठीक है भाई घर पर ही पड़ा हूं ले जाना आके।
मैं लेट- लेट सोचने लगा कि सब लोग कल आये लेकिन पलक नहीं आयी।लगता शायद उसने मुझे सही में भुला दिया।
मैंने भी कहा उसकी बात सोचने लगा क्यू उसकी वजह से इतना सब हो चुका था।अब शायद मेरा भी इंट्रेस्ट खत्म हो रहा था।
10 बज गए सूरज रूम में क्यू भाई चलना नहीं है क्या?
मैं- हां भाई बस तू 5 मिनट रुक बैग लेकर और अभी तैयार होकर आता हूं।
10 मिनट बाद हम लोग निकल गये।
रास्ते में,
सूरज- क्यों पलक का फोन आया था.
मैं- पता नहीं, मेरा फोन स्विच ऑफ था पर हां उसकी मम्मी और पापा कल मुझे देखने आये थे पर मैंने गेट बंद कर लिया था तो कोई मतलब ही नहीं निकला।
सूरज- चल सही है तूने दोस्ती की कसम तो रखी।
मैं- हां भाई अब तेरी बात नहीं रखता तो किसी को रखता हूं।
बाते करते हुए हम लोग फन सिटी पहुंच गए थे।
मैं - यह पर किससे काम है तुझे ,
सूरज - सवाल बहुत पूछता है अंदर तो चल एक मिनट,
प्रवेश टिकट ली और अंदर गए।
अंदर वाहा पर रिया और उसके दोस्त इंतजार कर रहे हैं।
मैं- भाई जब तुझे रिया से मिलाना था तो मुझे क्यों साथ लाया मुझे घर पर ही छोड़ देता था यहां पर अब बोर होऊंगा।
सूरज- अरे तू बोर नहीं होगा इसकी गारंटी मेरी,
वो अपने दोस्त के साथ आई है ना कि मेरे साथ।
मैं- अच्छा चल ठीक है अन्दर चल,
लेकिन अंदर जाते ही थोड़ी दूर पर पलक खड़ी हुई थी मेरा पारा एक दम से हाई हो गया।
मैं- सूरज अब यार यहाँ से घर चल इसकी मनहूश शकल देख ली अब मैं नहीं रुक पाऊँगा। मैं जा रहा हू।
सूरज- भाई, यहां थोड़ा काम निपटा लू, फिर चलता हूं तू बस ज्यादा नहीं, 10 मिनट रुक और वैसे भी तेरी उससे कौन से बोल चल है तू कहीं आगे निकल जा उसे इग्नोर कर के बस बात खत्म।
मैं- अरे यार तूने फंसा दिया ठीक है अब मेरे पास कोई ऑप्शन नहीं था।
इतना कहे कर सूरज वहां से निकल गया।
मैं- अबे अब तू कह जा रहा है यार,
सूरज- बस अभी आया 5 मिनट में आ गया।
अब मैं अकेला टहलते हुए पार्क में जा रहा था बिल्कुल ऐसे जैसे इस दुनिया में कोई नहीं है और अबकी इग्नोर करता हुआ है।
शायद पलक मेरे पीछे आ रही थी ये चीज़ मैंने गौर नहीं की थी।
चलते चलते काफी दूर निकल आया था बिल्कुल एकांत जगह जहां दूर दूर तक कोई नहीं था।
पलक ने ही बात चालू की मै उसे पूरी तरह से नजरंदाज कर रहा था।
पलक के पीछे से चिल्लाते हुए मेरे लिए रुक ना।
मैं बिल्कुल शॉक होते हुए कौन लड़की मेरे पीछे से आवाज दे रही है।
मैंने देखा पलक थी तो बिल्कुल अनसुना कर के फ़िर से चलने लगा।
पलक- यार रुक जा ना मैं थक गई हूं चलते चलते,
वही पास में पड़ी हुई ब्रेंच पर में बैठ गया।
मैं कुछ बोल नहीं रहा था बस अपने मोबाइल पर लगा हुआ था।
पलक मेरे पास आकर बैठ गई मेरी तरफ देखने लगी।
मैं दूसरी और मुंह घूमा कर बैठ गया।
पलक- अब क्या इतनी बुरी हो गई हूं कि बिल्कुल मेरी तरफ देखना ही बंद कर देगा।
मैं अभी कुछ नहीं बोल रहा था बिल्कुल चुप था।
पलक- अरे यार अब तेरे सामने हूं अब तो बोले ले।
मुझे गुस्सा आ गया,
देख बकचोदी मत कर जा अपने उसे आशिक से साथ मुहुँ मार मैं तुझे नहीं जानता कि तू कौन है समझी अब निकल।
पलक हल्के से गुस्से में,
अच्छा अब मैं इतनी बुरी हो गई हूं कि तू मुझसे गाली देकर बात करेगा।
मैं- देख तूने जो कल कहा था बस वही फॉलो कर रही हूं “जब मुझसे तुझसे कोई मतलब नहीं है, मेरे पीछे क्यों पड़ी है।” यह समझ में नहीं आता कि मेरी जिंदगी में कोई और है।''
पलक- अच्छा इतना मुझसे नाराज़ है.ठीक है अब सॉरी अब से नहीं कहूंगी बस
मैं- ”सॉरी बोलने से कुछ नहीं होता मेरी जान कुछ बातें दिल पे लगती है तो बुलाई नहीं जाती है"
पलक- ओह हो! शायर साहब बहुत सुंदर लेकिन इतनी बुरी बात भी मैंने नहीं की थी.तू जो इतना बुरा मान गया है।
मैं- हां सबके सामने तूने थप्पड़ मार दिया और मेरे दिए गए गिफ्ट मुहं पर फेक कर चली आई वो सब तुझे सिर्फ मजाक लगा।
मैं वो सब नहीं भूल सकता,
पलक-
"मेरे पास लाख परेशानियाँ थीं क्योंकि मानो तुम्हारा एक संदेश मेरे चेहरे पर मुस्कान ला देता है।"
मैं- हां तू मेरा कॉल रिसीव करती थी और मेरे मैसेज का रिप्लाई भी नहीं आया।
पलक चिलाते हुए,
क्योंकि में तेरे बिन पागल हुई जा रही थी मेरे समझ में नहीं आ रहा था क्या करु क्यू की तू मुझसे नहीं प्यार करता है ।लेकिन मैं तुझ पर मर मिटी जा रही हूँ। तू शायद सुकून से सोता होगा पर मुझे यहाँ कितने दिन हो गए नींद नहीं आई है। सुकून से,
कल तेरे चोट का पता चला मैं सो नहीं पाई रात बाहर मैंने खाना भी नहीं खाया कल से मैं तेरी याद में पागल हुई जा रही हूं। रात भर सोचती रही कि तू कैसी है तूने दवा ली या नहीं लेकिन नहीं तुझे तो इन सब से कोई फर्क नहीं पड़ता क्यों कि मैं बक रही हूं तो बकने दू क्या ही फर्क पड़ेगा तुझे।
इतना कहे कर पलक रोने लगी।
मैं-
"कहा था ना एक दिन मुझे फर्क पैदा करना बंद हो जाएगा गा.वो दिन आ गया है.अब आजाद हो तुम.अपना ख्याल रखना"
तू चाहे जी या मर मुझे अब कोई फ़र्क नहीं पड़ता तेरे को जी मैं आये वो कर और सुन मुझे मेरे हाल पर छोड़ दे। वैसे भी तेरे अब तो आशिक है तो क्यू मेरे पीछे पड़ी है।
पलक अब कुछ नहीं बोल रही थी बस चुप थी और रो रही थी।
मैं उठ कर जाने लगा।
अच्छा तुझे कोई फ़र्क नहीं पड़ता ठीक है, मैं जा रही हूँ मरने झील में, अगर तुझे फर्क पड़ता हो तो तू मुझे बचा लेना नहीं तो मुझे मरने देना।
मैं- देख मुझे वैसे भी तुझसे बात है, समय बर्बाद हो रहा है। चुप यहाँ से घर जा और तुझे हो करना है वो कर जाके मुझे कोई फ़र्क नहीं पड़ता।
पलक- ठीक है मैं जा रही हूं। और वैसे भी मैं तेरे साथ कौन सा आया तुझे क्या मतलब,
इतना कहे कर पलक वहां से झील की और जाने लगी मैंने एक नजर देखा और अपना मुंह घुमा लिया।
तभी पानी में कुदने की कुछ आवाज आई मेरी एक दम से सांस अटक गई। कहीं सच में तो नहीं पलक ने में भाग कर झील के पास देखा।
Mast updateअपडेट -32
मैं हल्का सा लंगड़ता हुआ घर के अंदर गया।
मम्मी- बिल्कुल अंधा हो गया देख कर बाइक का स्टैंड भी नही उठा सकता है।
सूरज मेरा बचाव करते हुए,
अरे वो आंटी किसी लड़के ने स्टैंड का बोल्ट ढीला कर दिया था इसलिए ये सब हुआ। कल स्कूल में कैमरा चेक कर के उसे पकड़ लेंगे।
चलो ठीक है तुम लोग कमरे में जाओ मैं भी खाना लेकर आती हूं।
हम्म लोगो ने खाना खाया।
सूरज जाने लगा और बोला भाई मैं तेरी बाइक के लिए जा रहा हूं मुझे जरा रिया को थोड़ा घूमना है वैसे भी तुझे कही जाना नहीं है,और ध्यान रखना पलक का कॉल नही उठाना है।
मैं- ठीक है भाई पर मुझे तो बताओ क्यों नहीं
सूरज - भाई टाइम आएगा तो बताऊंगा।
मैं- ठीक है ये लो फोन स्विच ऑफ कर दिया है और अभी दवा खा कर सो जाता हूं।
सूरज को बाइक की चाबी दी और मम्मी को बोल दिया कि कोई आए तो मुझे डिस्टर्ब मत करना, सोने जा रहा हूं क्योंकि मेरे पैरो में दर्द बहुत है। नींद की गोली खाई है आराम करूंगा।
मम्मी- ठीक है,
मैं गेट बंद कर के सो गया, और दावा का असर इतना जायदा था की शायद मेरी आंख दूसरे दिन सुबह 5 बजे खुली होगी।
क्योंकि मुझे कोई बुलाने भी आया होगा तो मैंने गेट अंदर से बंद कर लिया था और मोबाइल स्विच कर लिया था अब तो कोई मौका नहीं था कि कोई मुझसे मिल पाए।
अगला दिन,
पहले मोबाइल स्विच ऑन किया फिर मस्त फ्रेश हुआ आज ऐसा लग रहा है जैसे बहुत दिन बाद सही से सोया हूं।
रोज़ के काम करने के बाद स्कूल के लिए तैयार हुआ। और नीचे नाश्ता करने के लिए गया।
मम्मी- गेट अंदर से बंद कर सोया था क्या?
मैं- हां मम्मी कोई दिक्कत हुई क्या.
मम्मी- वो मौसी और मौसा आए थे तुझे देखने पर तूने गेट ही नहीं खोला।
मैं- हा मम्मी, पैर में दर्द भी था और डॉक्टर ने बोला कि अगर रात भर आराम करो, सुबह तक चलने के लायक हो जाओगे।
मैं- उन लोगो को कैसे पता चला, जबकि कोई ज्यादा चोट तो लगी नही थी फिर भी,,
मम्मी - पलक की सहेली का भाई तेरे साथ ही पढ़ता है उसी ने बताया होगा।
मैं- हां, हो सकता है।
तभी गेट पर घंटी वजी,
मम्मी गेट खोलने गई ये सुबह सुबह कौन होगा।
गेट पर सूरज था और अंदर आया बोला,
सूरज - तू स्कूल जा रहा है।
मैं- क्यों तू नहीं जा रहा क्या
सूरज- वो यार घर पर थोड़ा काम तो मैं तो नहीं जाऊँगा । और तू क्यों जा रहा है जब तेरी हालत ठीक नहीं है आराम कर ना घर पे रहे कर,
मैं - अरे यार मुझे लगा तू भी जाएगा तो मैं तैयार हो गया इसलिए पहले बता देता तो मैं भी ना जाता।
सूरज- तेरा नंबर स्विच ऑफ जा रहा था.कैसे बता अगर तुझे जाना है तो बोल मैं बाइक से ड्रॉप कर दूंगा।
मैं- ठीक है मैं भी रहना देता हूं.
घर पे रहकर आराम ही कर लूंगा।
सूरज- ऐसा करना में तुझे 10 बजे तरफ रिसीव करने आऊंगा वो सर ने असिंगमेंट्स दिया है ना तो घर पे आके पूरे कर लेंगे।
मैं - सोच में की कौन से assingments दिए है।
सूरज ने आंखो से इशारा किया ।
मैं - अच्छा ठीक है तो फिर 10 बजे मिलना हम लोग साथ में चलते है।
भैया चिलते हुए,
भैया- स्कूल नहीं जाना है और क्या इतनी कोई ज्यादा चोट नहीं लगी है जो स्कूल नहीं जा सकता।
मैं- अरे भैया वो सूरज आएगा नहीं, मैं अकेला होऊंगा स्कूल में, इसलिए नहीं जा रहा।
मम्मी- अरे रहने दो क्यू चिल्ला रहे हो. कल चल जायेगा ना.
मम्मी के इतना कहने पर मैं अपने कमरे में चला गया और कपड़े निकाल कर लेट गया।
सूरज को फोन करने ही बाला होता हूं।
तभी सूरज का फोन आया कि भाई जरा फन सिटी तक चलना है रिया की एक फ्रेंड के घर तक चलना है।
मैं- ठीक है भाई घर पर ही पड़ा हूं ले जाना आके।
मैं लेट- लेट सोचने लगा कि सब लोग कल आये लेकिन पलक नहीं आयी।लगता शायद उसने मुझे सही में भुला दिया।
मैंने भी कहा उसकी बात सोचने लगा क्यू उसकी वजह से इतना सब हो चुका था।अब शायद मेरा भी इंट्रेस्ट खत्म हो रहा था।
10 बज गए सूरज रूम में क्यू भाई चलना नहीं है क्या?
मैं- हां भाई बस तू 5 मिनट रुक बैग लेकर और अभी तैयार होकर आता हूं।
10 मिनट बाद हम लोग निकल गये।
रास्ते में,
सूरज- क्यों पलक का फोन आया था.
मैं- पता नहीं, मेरा फोन स्विच ऑफ था पर हां उसकी मम्मी और पापा कल मुझे देखने आये थे पर मैंने गेट बंद कर लिया था तो कोई मतलब ही नहीं निकला।
सूरज- चल सही है तूने दोस्ती की कसम तो रखी।
मैं- हां भाई अब तेरी बात नहीं रखता तो किसी को रखता हूं।
बाते करते हुए हम लोग फन सिटी पहुंच गए थे।
मैं - यह पर किससे काम है तुझे ,
सूरज - सवाल बहुत पूछता है अंदर तो चल एक मिनट,
प्रवेश टिकट ली और अंदर गए।
अंदर वाहा पर रिया और उसके दोस्त इंतजार कर रहे हैं।
मैं- भाई जब तुझे रिया से मिलाना था तो मुझे क्यों साथ लाया मुझे घर पर ही छोड़ देता था यहां पर अब बोर होऊंगा।
सूरज- अरे तू बोर नहीं होगा इसकी गारंटी मेरी,
वो अपने दोस्त के साथ आई है ना कि मेरे साथ।
मैं- अच्छा चल ठीक है अन्दर चल,
लेकिन अंदर जाते ही थोड़ी दूर पर पलक खड़ी हुई थी मेरा पारा एक दम से हाई हो गया।
मैं- सूरज अब यार यहाँ से घर चल इसकी मनहूश शकल देख ली अब मैं नहीं रुक पाऊँगा। मैं जा रहा हू।
सूरज- भाई, यहां थोड़ा काम निपटा लू, फिर चलता हूं तू बस ज्यादा नहीं, 10 मिनट रुक और वैसे भी तेरी उससे कौन से बोल चल है तू कहीं आगे निकल जा उसे इग्नोर कर के बस बात खत्म।
मैं- अरे यार तूने फंसा दिया ठीक है अब मेरे पास कोई ऑप्शन नहीं था।
इतना कहे कर सूरज वहां से निकल गया।
मैं- अबे अब तू कह जा रहा है यार,
सूरज- बस अभी आया 5 मिनट में आ गया।
अब मैं अकेला टहलते हुए पार्क में जा रहा था बिल्कुल ऐसे जैसे इस दुनिया में कोई नहीं है और अबकी इग्नोर करता हुआ है।
शायद पलक मेरे पीछे आ रही थी ये चीज़ मैंने गौर नहीं की थी।
चलते चलते काफी दूर निकल आया था बिल्कुल एकांत जगह जहां दूर दूर तक कोई नहीं था।
पलक ने ही बात चालू की मै उसे पूरी तरह से नजरंदाज कर रहा था।
पलक के पीछे से चिल्लाते हुए मेरे लिए रुक ना।
मैं बिल्कुल शॉक होते हुए कौन लड़की मेरे पीछे से आवाज दे रही है।
मैंने देखा पलक थी तो बिल्कुल अनसुना कर के फ़िर से चलने लगा।
पलक- यार रुक जा ना मैं थक गई हूं चलते चलते,
वही पास में पड़ी हुई ब्रेंच पर में बैठ गया।
मैं कुछ बोल नहीं रहा था बस अपने मोबाइल पर लगा हुआ था।
पलक मेरे पास आकर बैठ गई मेरी तरफ देखने लगी।
मैं दूसरी और मुंह घूमा कर बैठ गया।
पलक- अब क्या इतनी बुरी हो गई हूं कि बिल्कुल मेरी तरफ देखना ही बंद कर देगा।
मैं अभी कुछ नहीं बोल रहा था बिल्कुल चुप था।
पलक- अरे यार अब तेरे सामने हूं अब तो बोले ले।
मुझे गुस्सा आ गया,
देख बकचोदी मत कर जा अपने उसे आशिक से साथ मुहुँ मार मैं तुझे नहीं जानता कि तू कौन है समझी अब निकल।
पलक हल्के से गुस्से में,
अच्छा अब मैं इतनी बुरी हो गई हूं कि तू मुझसे गाली देकर बात करेगा।
मैं- देख तूने जो कल कहा था बस वही फॉलो कर रही हूं “जब मुझसे तुझसे कोई मतलब नहीं है, मेरे पीछे क्यों पड़ी है।” यह समझ में नहीं आता कि मेरी जिंदगी में कोई और है।''
पलक- अच्छा इतना मुझसे नाराज़ है.ठीक है अब सॉरी अब से नहीं कहूंगी बस
मैं- ”सॉरी बोलने से कुछ नहीं होता मेरी जान कुछ बातें दिल पे लगती है तो बुलाई नहीं जाती है"
पलक- ओह हो! शायर साहब बहुत सुंदर लेकिन इतनी बुरी बात भी मैंने नहीं की थी.तू जो इतना बुरा मान गया है।
मैं- हां सबके सामने तूने थप्पड़ मार दिया और मेरे दिए गए गिफ्ट मुहं पर फेक कर चली आई वो सब तुझे सिर्फ मजाक लगा।
मैं वो सब नहीं भूल सकता,
पलक-
"मेरे पास लाख परेशानियाँ थीं क्योंकि मानो तुम्हारा एक संदेश मेरे चेहरे पर मुस्कान ला देता है।"
मैं- हां तू मेरा कॉल रिसीव करती थी और मेरे मैसेज का रिप्लाई भी नहीं आया।
पलक चिलाते हुए,
क्योंकि में तेरे बिन पागल हुई जा रही थी मेरे समझ में नहीं आ रहा था क्या करु क्यू की तू मुझसे नहीं प्यार करता है ।लेकिन मैं तुझ पर मर मिटी जा रही हूँ। तू शायद सुकून से सोता होगा पर मुझे यहाँ कितने दिन हो गए नींद नहीं आई है। सुकून से,
कल तेरे चोट का पता चला मैं सो नहीं पाई रात बाहर मैंने खाना भी नहीं खाया कल से मैं तेरी याद में पागल हुई जा रही हूं। रात भर सोचती रही कि तू कैसी है तूने दवा ली या नहीं लेकिन नहीं तुझे तो इन सब से कोई फर्क नहीं पड़ता क्यों कि मैं बक रही हूं तो बकने दू क्या ही फर्क पड़ेगा तुझे।
इतना कहे कर पलक रोने लगी।
मैं-
"कहा था ना एक दिन मुझे फर्क पैदा करना बंद हो जाएगा गा.वो दिन आ गया है.अब आजाद हो तुम.अपना ख्याल रखना"
तू चाहे जी या मर मुझे अब कोई फ़र्क नहीं पड़ता तेरे को जी मैं आये वो कर और सुन मुझे मेरे हाल पर छोड़ दे। वैसे भी तेरे अब तो आशिक है तो क्यू मेरे पीछे पड़ी है।
पलक अब कुछ नहीं बोल रही थी बस चुप थी और रो रही थी।
मैं उठ कर जाने लगा।
अच्छा तुझे कोई फ़र्क नहीं पड़ता ठीक है, मैं जा रही हूँ मरने झील में, अगर तुझे फर्क पड़ता हो तो तू मुझे बचा लेना नहीं तो मुझे मरने देना।
मैं- देख मुझे वैसे भी तुझसे बात है, समय बर्बाद हो रहा है। चुप यहाँ से घर जा और तुझे हो करना है वो कर जाके मुझे कोई फ़र्क नहीं पड़ता।
पलक- ठीक है मैं जा रही हूं। और वैसे भी मैं तेरे साथ कौन सा आया तुझे क्या मतलब,
इतना कहे कर पलक वहां से झील की और जाने लगी मैंने एक नजर देखा और अपना मुंह घुमा लिया।
तभी पानी में कुदने की कुछ आवाज आई मेरी एक दम से सांस अटक गई। कहीं सच में तो नहीं पलक ने में भाग कर झील के पास देखा।
Ka bakchodi likhi hai reअपडेट -32
मैं हल्का सा लंगड़ता हुआ घर के अंदर गया।
मम्मी- बिल्कुल अंधा हो गया देख कर बाइक का स्टैंड भी नही उठा सकता है।
सूरज मेरा बचाव करते हुए,
अरे वो आंटी किसी लड़के ने स्टैंड का बोल्ट ढीला कर दिया था इसलिए ये सब हुआ। कल स्कूल में कैमरा चेक कर के उसे पकड़ लेंगे।
चलो ठीक है तुम लोग कमरे में जाओ मैं भी खाना लेकर आती हूं।
हम्म लोगो ने खाना खाया।
सूरज जाने लगा और बोला भाई मैं तेरी बाइक के लिए जा रहा हूं मुझे जरा रिया को थोड़ा घूमना है वैसे भी तुझे कही जाना नहीं है,और ध्यान रखना पलक का कॉल नही उठाना है।
मैं- ठीक है भाई पर मुझे तो बताओ क्यों नहीं
सूरज - भाई टाइम आएगा तो बताऊंगा।
मैं- ठीक है ये लो फोन स्विच ऑफ कर दिया है और अभी दवा खा कर सो जाता हूं।
सूरज को बाइक की चाबी दी और मम्मी को बोल दिया कि कोई आए तो मुझे डिस्टर्ब मत करना, सोने जा रहा हूं क्योंकि मेरे पैरो में दर्द बहुत है। नींद की गोली खाई है आराम करूंगा।
मम्मी- ठीक है,
मैं गेट बंद कर के सो गया, और दावा का असर इतना जायदा था की शायद मेरी आंख दूसरे दिन सुबह 5 बजे खुली होगी।
क्योंकि मुझे कोई बुलाने भी आया होगा तो मैंने गेट अंदर से बंद कर लिया था और मोबाइल स्विच कर लिया था अब तो कोई मौका नहीं था कि कोई मुझसे मिल पाए।
अगला दिन,
पहले मोबाइल स्विच ऑन किया फिर मस्त फ्रेश हुआ आज ऐसा लग रहा है जैसे बहुत दिन बाद सही से सोया हूं।
रोज़ के काम करने के बाद स्कूल के लिए तैयार हुआ। और नीचे नाश्ता करने के लिए गया।
मम्मी- गेट अंदर से बंद कर सोया था क्या?
मैं- हां मम्मी कोई दिक्कत हुई क्या.
मम्मी- वो मौसी और मौसा आए थे तुझे देखने पर तूने गेट ही नहीं खोला।
मैं- हा मम्मी, पैर में दर्द भी था और डॉक्टर ने बोला कि अगर रात भर आराम करो, सुबह तक चलने के लायक हो जाओगे।
मैं- उन लोगो को कैसे पता चला, जबकि कोई ज्यादा चोट तो लगी नही थी फिर भी,,
मम्मी - पलक की सहेली का भाई तेरे साथ ही पढ़ता है उसी ने बताया होगा।
मैं- हां, हो सकता है।
तभी गेट पर घंटी वजी,
मम्मी गेट खोलने गई ये सुबह सुबह कौन होगा।
गेट पर सूरज था और अंदर आया बोला,
सूरज - तू स्कूल जा रहा है।
मैं- क्यों तू नहीं जा रहा क्या
सूरज- वो यार घर पर थोड़ा काम तो मैं तो नहीं जाऊँगा । और तू क्यों जा रहा है जब तेरी हालत ठीक नहीं है आराम कर ना घर पे रहे कर,
मैं - अरे यार मुझे लगा तू भी जाएगा तो मैं तैयार हो गया इसलिए पहले बता देता तो मैं भी ना जाता।
सूरज- तेरा नंबर स्विच ऑफ जा रहा था.कैसे बता अगर तुझे जाना है तो बोल मैं बाइक से ड्रॉप कर दूंगा।
मैं- ठीक है मैं भी रहना देता हूं.
घर पे रहकर आराम ही कर लूंगा।
सूरज- ऐसा करना में तुझे 10 बजे तरफ रिसीव करने आऊंगा वो सर ने असिंगमेंट्स दिया है ना तो घर पे आके पूरे कर लेंगे।
मैं - सोच में की कौन से assingments दिए है।
सूरज ने आंखो से इशारा किया ।
मैं - अच्छा ठीक है तो फिर 10 बजे मिलना हम लोग साथ में चलते है।
भैया चिलते हुए,
भैया- स्कूल नहीं जाना है और क्या इतनी कोई ज्यादा चोट नहीं लगी है जो स्कूल नहीं जा सकता।
मैं- अरे भैया वो सूरज आएगा नहीं, मैं अकेला होऊंगा स्कूल में, इसलिए नहीं जा रहा।
मम्मी- अरे रहने दो क्यू चिल्ला रहे हो. कल चल जायेगा ना.
मम्मी के इतना कहने पर मैं अपने कमरे में चला गया और कपड़े निकाल कर लेट गया।
सूरज को फोन करने ही बाला होता हूं।
तभी सूरज का फोन आया कि भाई जरा फन सिटी तक चलना है रिया की एक फ्रेंड के घर तक चलना है।
मैं- ठीक है भाई घर पर ही पड़ा हूं ले जाना आके।
मैं लेट- लेट सोचने लगा कि सब लोग कल आये लेकिन पलक नहीं आयी।लगता शायद उसने मुझे सही में भुला दिया।
मैंने भी कहा उसकी बात सोचने लगा क्यू उसकी वजह से इतना सब हो चुका था।अब शायद मेरा भी इंट्रेस्ट खत्म हो रहा था।
10 बज गए सूरज रूम में क्यू भाई चलना नहीं है क्या?
मैं- हां भाई बस तू 5 मिनट रुक बैग लेकर और अभी तैयार होकर आता हूं।
10 मिनट बाद हम लोग निकल गये।
रास्ते में,
सूरज- क्यों पलक का फोन आया था.
मैं- पता नहीं, मेरा फोन स्विच ऑफ था पर हां उसकी मम्मी और पापा कल मुझे देखने आये थे पर मैंने गेट बंद कर लिया था तो कोई मतलब ही नहीं निकला।
सूरज- चल सही है तूने दोस्ती की कसम तो रखी।
मैं- हां भाई अब तेरी बात नहीं रखता तो किसी को रखता हूं।
बाते करते हुए हम लोग फन सिटी पहुंच गए थे।
मैं - यह पर किससे काम है तुझे ,
सूरज - सवाल बहुत पूछता है अंदर तो चल एक मिनट,
प्रवेश टिकट ली और अंदर गए।
अंदर वाहा पर रिया और उसके दोस्त इंतजार कर रहे हैं।
मैं- भाई जब तुझे रिया से मिलाना था तो मुझे क्यों साथ लाया मुझे घर पर ही छोड़ देता था यहां पर अब बोर होऊंगा।
सूरज- अरे तू बोर नहीं होगा इसकी गारंटी मेरी,
वो अपने दोस्त के साथ आई है ना कि मेरे साथ।
मैं- अच्छा चल ठीक है अन्दर चल,
लेकिन अंदर जाते ही थोड़ी दूर पर पलक खड़ी हुई थी मेरा पारा एक दम से हाई हो गया।
मैं- सूरज अब यार यहाँ से घर चल इसकी मनहूश शकल देख ली अब मैं नहीं रुक पाऊँगा। मैं जा रहा हू।
सूरज- भाई, यहां थोड़ा काम निपटा लू, फिर चलता हूं तू बस ज्यादा नहीं, 10 मिनट रुक और वैसे भी तेरी उससे कौन से बोल चल है तू कहीं आगे निकल जा उसे इग्नोर कर के बस बात खत्म।
मैं- अरे यार तूने फंसा दिया ठीक है अब मेरे पास कोई ऑप्शन नहीं था।
इतना कहे कर सूरज वहां से निकल गया।
मैं- अबे अब तू कह जा रहा है यार,
सूरज- बस अभी आया 5 मिनट में आ गया।
अब मैं अकेला टहलते हुए पार्क में जा रहा था बिल्कुल ऐसे जैसे इस दुनिया में कोई नहीं है और अबकी इग्नोर करता हुआ है।
शायद पलक मेरे पीछे आ रही थी ये चीज़ मैंने गौर नहीं की थी।
चलते चलते काफी दूर निकल आया था बिल्कुल एकांत जगह जहां दूर दूर तक कोई नहीं था।
पलक ने ही बात चालू की मै उसे पूरी तरह से नजरंदाज कर रहा था।
पलक के पीछे से चिल्लाते हुए मेरे लिए रुक ना।
मैं बिल्कुल शॉक होते हुए कौन लड़की मेरे पीछे से आवाज दे रही है।
मैंने देखा पलक थी तो बिल्कुल अनसुना कर के फ़िर से चलने लगा।
पलक- यार रुक जा ना मैं थक गई हूं चलते चलते,
वही पास में पड़ी हुई ब्रेंच पर में बैठ गया।
मैं कुछ बोल नहीं रहा था बस अपने मोबाइल पर लगा हुआ था।
पलक मेरे पास आकर बैठ गई मेरी तरफ देखने लगी।
मैं दूसरी और मुंह घूमा कर बैठ गया।
पलक- अब क्या इतनी बुरी हो गई हूं कि बिल्कुल मेरी तरफ देखना ही बंद कर देगा।
मैं अभी कुछ नहीं बोल रहा था बिल्कुल चुप था।
पलक- अरे यार अब तेरे सामने हूं अब तो बोले ले।
मुझे गुस्सा आ गया,
देख बकचोदी मत कर जा अपने उसे आशिक से साथ मुहुँ मार मैं तुझे नहीं जानता कि तू कौन है समझी अब निकल।
पलक हल्के से गुस्से में,
अच्छा अब मैं इतनी बुरी हो गई हूं कि तू मुझसे गाली देकर बात करेगा।
मैं- देख तूने जो कल कहा था बस वही फॉलो कर रही हूं “जब मुझसे तुझसे कोई मतलब नहीं है, मेरे पीछे क्यों पड़ी है।” यह समझ में नहीं आता कि मेरी जिंदगी में कोई और है।''
पलक- अच्छा इतना मुझसे नाराज़ है.ठीक है अब सॉरी अब से नहीं कहूंगी बस
मैं- ”सॉरी बोलने से कुछ नहीं होता मेरी जान कुछ बातें दिल पे लगती है तो बुलाई नहीं जाती है"
पलक- ओह हो! शायर साहब बहुत सुंदर लेकिन इतनी बुरी बात भी मैंने नहीं की थी.तू जो इतना बुरा मान गया है।
मैं- हां सबके सामने तूने थप्पड़ मार दिया और मेरे दिए गए गिफ्ट मुहं पर फेक कर चली आई वो सब तुझे सिर्फ मजाक लगा।
मैं वो सब नहीं भूल सकता,
पलक-
"मेरे पास लाख परेशानियाँ थीं क्योंकि मानो तुम्हारा एक संदेश मेरे चेहरे पर मुस्कान ला देता है।"
मैं- हां तू मेरा कॉल रिसीव करती थी और मेरे मैसेज का रिप्लाई भी नहीं आया।
पलक चिलाते हुए,
क्योंकि में तेरे बिन पागल हुई जा रही थी मेरे समझ में नहीं आ रहा था क्या करु क्यू की तू मुझसे नहीं प्यार करता है ।लेकिन मैं तुझ पर मर मिटी जा रही हूँ। तू शायद सुकून से सोता होगा पर मुझे यहाँ कितने दिन हो गए नींद नहीं आई है। सुकून से,
कल तेरे चोट का पता चला मैं सो नहीं पाई रात बाहर मैंने खाना भी नहीं खाया कल से मैं तेरी याद में पागल हुई जा रही हूं। रात भर सोचती रही कि तू कैसी है तूने दवा ली या नहीं लेकिन नहीं तुझे तो इन सब से कोई फर्क नहीं पड़ता क्यों कि मैं बक रही हूं तो बकने दू क्या ही फर्क पड़ेगा तुझे।
इतना कहे कर पलक रोने लगी।
मैं-
"कहा था ना एक दिन मुझे फर्क पैदा करना बंद हो जाएगा गा.वो दिन आ गया है.अब आजाद हो तुम.अपना ख्याल रखना"
तू चाहे जी या मर मुझे अब कोई फ़र्क नहीं पड़ता तेरे को जी मैं आये वो कर और सुन मुझे मेरे हाल पर छोड़ दे। वैसे भी तेरे अब तो आशिक है तो क्यू मेरे पीछे पड़ी है।
पलक अब कुछ नहीं बोल रही थी बस चुप थी और रो रही थी।
मैं उठ कर जाने लगा।
अच्छा तुझे कोई फ़र्क नहीं पड़ता ठीक है, मैं जा रही हूँ मरने झील में, अगर तुझे फर्क पड़ता हो तो तू मुझे बचा लेना नहीं तो मुझे मरने देना।
मैं- देख मुझे वैसे भी तुझसे बात है, समय बर्बाद हो रहा है। चुप यहाँ से घर जा और तुझे हो करना है वो कर जाके मुझे कोई फ़र्क नहीं पड़ता।
पलक- ठीक है मैं जा रही हूं। और वैसे भी मैं तेरे साथ कौन सा आया तुझे क्या मतलब,
इतना कहे कर पलक वहां से झील की और जाने लगी मैंने एक नजर देखा और अपना मुंह घुमा लिया।
तभी पानी में कुदने की कुछ आवाज आई मेरी एक दम से सांस अटक गई। कहीं सच में तो नहीं पलक ने में भाग कर झील के पास देखा।
Chalo bhai tumhe acchi na Lage to tum mat pado. Kuch aur pado JakeKa
Ka bakchodi likhi hai re
Ise acha k tu dono ka sex kra deta babua kahe kahani ho incest se rommance mai le ja rha h budbak
Bhai yahi karan toh kahani alag hai yeh agar sex hi padhna hota toh aur bhi kahani haiKa
Ka bakchodi likhi hai re
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