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Incest वो,जो नही होना था।

Palak aur Abhishek ka Milan

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Iron Man

Try and fail. But never give up trying
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अपडेट -30
सामने से गेट खुला जिस्म भैया और मौसी का चुंबन चल रहा था। मैं हाथ में लंड पकड़ के हिलाने लगा। (बताने से समझ में नहीं आएगा किरदार, घुसना पड़ेगा)

मैं और मौसी एक दूसरे को किस किये जा रहे थे।

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मौसी- "उम्ह आह.... उम-उम आह...आह...आह..." "आह.. आह... उम्म...उफ...आह...ओह" शैलू मेरी डार्लिंग आराम से देखो तुम्हारे बिना कितनी अकेली हो गई है।तुमको अपनी मौसी की बुर की कोई चिंता ही नहीं कितनी पनिया गई है देखो.l
हमेशा तुम्हारे लंड को भूख लगती है।

मैं लगातार मौसी के गाल,गले,बूब्स और उनके पेट पर किस किये जा रहे थे।

आह! मेरी शालिनी देख मेरा लंड कितना बेताब है तेरी चूत की सवारी करने के लिए। पैंट फाड़ कर बाहर आने को बेताब है।इतना कहे भैया ने मौसी का ब्लाउज खोलने लगे और मौसी भैया की शर्ट उतारने लगी।

अब मौसी सिर्फ ब्रा पहनी हुई थी और नीचे उनकी साड़ी थी।

मै साड़ी के ऊपर से मौसी की चूत चूमने लगी मौसी मेरा सर दबाये अपनी चूत में दबाये जा रही थी।

मैंने एक झटके में मौसी की साड़ी और फिर उनका पेटीकोट खोल दिया।

मौसी अब सिर्फ ब्रा पैंटी में थी.मैं नीचे जमीन पर बैठा था और मौसी की चूत को पेंटी के ऊपर से चाट रहा था।

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मौसी ने मुझे उठा कर किस किया और अपने हाथ से मेरा लंड पेंट के ऊपर से दबाने लगी।

मौसी ने मेरी पेंट खोल दी थी अब पूरा नंगा था बस मेरे जिस्म पर मेरे लंड को ढाके हुए मेरी अंडरवियर थी।

मौसी लगतार मेरे लंड को ऊपर से दबाये जा रही थी। मौसी को ऊपर से होंठ, गाल और उनके स्तन पर लगातार चुंबन किये जा रहा था।

मौसी नीचे बैठ कर, उन्हें ने मेरी अंडरवियर उतार दी, मैं पूरा नंगा हो गया।

मैं भी कम नहीं था मैंने मौसी की ब्रा उतार दी और खड़े होकर उनके स्तन दबाए।

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मौसी मेरा लंड चूसने लगी, मेरे मुँह से सिस्कारी निकालने दो।

मौसी- आह...आह... उम्म...उफ...आह...ओह"ओह माय शैलू कितना भी इसे चाट लो कितना भी इसे प्यार लो ये हमेशा मेरे सामने खड़ा ही रहता है।

मैं-अरे मौसी तुम इतनी सेक्सी माल हो तुम्हारे सामने बुड़ो को खड़ा हो जाए तो मेरा लंड क्या चीज है।

मौसी लगतार मेरे लंड को चूसे जा रही थी।

10 मिनट से मौसी लगातार मेरे लन्ड को चूस रही थी।
मैं- मौसी मै छूटने बाला है। आह आह शालिनी ओह येस आह-उहू हो गया।

मौसी-मेरे मुंह के अंदर ही छोड़ना,

मौसी चेहरे से पसीने, और मुंह से लार टपक रही थी।

और मौसी के मुंह में झड़ने के बाद मौसी को उठा कर बेड पर पटक दिया।

मैं नीचे बैठ गया अब मौसी की चूत बिल्कुल मेरे सामने थी और पैंटी के अंदर कैद थी।

बिना देर किये मैंने पैंटी निकाल कर सुघाने लगा।

मौसी बोली- दारू सामने पड़ी और तू चखने से काम चला रहा है।

मैं- अरे शालिनी याद करो यहीं वो चखना है जहां से हम लोगों की शुरुआत हुई थी।

मौसी- हां ना उस दिन तू मेरी पैंटी सुंघता और ना तुझे ये सब कुछ देखती है और नहीं हम लोग पति पत्नी बनते हैं।



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इतना कहे मौसी ने मेरा मुँह अपनी चूत से लगा दिया, मैं उनकी चूत को चटाने लगा मौसी लगा सिसकने लगी।
Oh yes shailu aah uumh aah ऐसे ही अपनी जीभ से चोदो आह!

मौसी की निकलें बाली आवाज मुझे बहुत मदहोश कर रही थी।

मौसी की चूत को चाटते जा रहा था मौसी अपने हाथ मेरा सिर दबा रही थी।

मौसी थोड़ा पीछे हुई थी, और बिस्तर पर आके लेट गए।


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मै और मौसी 69 की पोजीशन में थे।मौसी मेरा लंड मेरे लिए अन्दर बाहर कर रही थी।मैं उनकी बुर चाटते जा रहा था।

मौसी देख पहले कितना छोटा था ये मेरे मुँह में लॉलीपॉप की तरह लगता था। अब देख कितना बड़ा है एक मोटे केले के जितना तेरी बीवी हमेशा तुझ से खुश रहेगा।

मैं मौसी की चूत चाट रहा था लेकिन अब मैं रुक गया था।

मौसी- क्या हुआ क्यू रुक गया।
मै बेड में साइड होकर किनारे बैठ गया।

मौसी- अब बोलेंगे भी तुझे क्या हुआ है।

मैं- आप ही मेरी बीवी हो और कोई नहीं, आप जगह कोई नहीं ले सकते।

मौसी- अरे मेरा बाबू नाराज़ हो गया फिर मौसी बिस्तर के ऊपर खड़ी हुई और मेरे मुँह पर अपनी चूत रख दी।


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मैं कुछ नहीं कर रहा था।

मौसी, बेटा चाट ले ऐसे सिर्फ नसीब बालो को ही मिलती है।

मैं फिर से मौसी की चूत को चाटने लगा।

मौसी मेरे ऊपर बैठ कर आह उह की आवाज़ निकल रही थी।
मौसी ”aaahhhh....uhuh...aah….umm……AAAhhhhhh….” मै आने वाली हूं।

मौसी की चूत ने पानी मेरे मुँह में छोड़ दिया लेकिन मैं हमेशा की तरह एक बूंद भी बर्बाद नहीं होने दी।

हम दोनों झड़ने के बाद लेट कर बाते करने लगे ।
मैं- शालिनी आज तुम्हारी चूत चाटने में अलग ही मजा आया।

मौसी - हां पतिदेव इतने दिन बाद करोगे तो मजा तो तुम्हे तो मजा आयेगा।और मै तो ऐसे भूखी रहूंगी।बिचारी मेरी चूत 😔
तेरी शादी हो जायेगी तू मुझे भूलेगा तो नही ना।

मैं - अरे शालिनी तुम मेरी पहली प्राथमिकता हो। यह सब बोल कर अच्छे खासे मूड की मां मत चोदो।

अच्छा चल अगर रेस्ट कर लिया हो तो आगे का काम शुरू कर।

शालिनी मेरे लन्ड सुख गया है। जरा अपने मुंह में लेकर इसे गीला करदे मेरी रांड़ 💋💋💋

मौसी लेटी थी मे लन्ड लेकर उनके मुहुं के पास गया और लन्ड को मूंह लेकर आगे पीछे करने लगी।

मैं बैठ कर एक हाथ से दूध दबा रहा और दूसरे हाथ से मौसी की चूत में उंगली कर रहा ।

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लन्ड उनके मुंह से निकल कर चूत को चाट कर उनकी चूत पर थूक कर टांगो को अपने कंधों पर रख कर लन्ड को चूत पर सेट किया और एक झटका दिया।

मेरा लंड चूत को चीरता हुआ अन्दर जाने लगा और मौसी ‘ऊई ईईई ऊईई ई आहह हह’ करके चिल्लाने लगी और छूटने के लिए छटपटा रही थी।

पर में ऐसे ही कहां छोड़ने वाला था।एक बार फिर जोर से धक्का लगाया।

मेरा लन्ड बिना किसी दिक्कत के पूरा मौसी की चूत के अंदर घुस गया।मौसी की आंखों से आसूं निकल रहे थे।

लेकिन मेरे लन्ड के आगे चूत के दर्द का थोड़ा भी अहसास नहीं था।
बड़ी बेरहमी से मौसी को चोदने लगा।

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मैं मौसी की चूत में लन्ड आगे पीछे किए जा रहा था मौसी मदहोश करने वाली आवाजे निकाल रही थी।

कुछ धक्के लगते दर्द गायब सा हो गया था।
क्योंकि अब मौसी मजे से चुत चुदाई कराने लगी।

चूचियां को तेज़ तेज़ दबाना शुरू कर दिया और हर झटके से मौसी मजा ले रही थी।

‘ऊई ऊइई ऊईई ईई आहह हहह आह हहह … छोड़ो मुझे छोड़ो …’ चिल्लाती रही लेकिन मैं पागलों की तरह चोदता रहा।

मेरे मोटे लंड ने आज चूत का भोसड़ा बना दिया था।

मुँह से सिसकारियां निकल रही थीं- आह्हह उम्म्म आह्ह आह्ह हाए आह्हह!

इन्हीं आवाजों के साथ मैं चुदाई के नशे में खो गया था।

अब मैं चुदाई के मज़े का आनन्द उठा रहा था और मौसी अपनी कमर उठा उठा कर साथ दे रही थी.

साथ ही चिल्ला रही थी- आह मुझे जोर से चोद … हां हां हां ऐसे ही चोद अपनी रण्डी मौसी को चोद ऐसे ही ऊह आह ओह … ओह … आऊ!

मैं बोले जा रहा था- ले ले और ले … और अन्दर तक ले … तेरी चूत प्यासी है … प्यास बुझा अपनी चूत की!



कुछ देर बाद मेरा बदन अकड़ने लगा.
अब शायद मै झंडने वाला हूं। शालिनी कहा पर छोड़ूं,

मौसी - मेरा भी होने वाला है।

मौसी ने लन्ड निकाल अपने बूब्स में फसाकर आगे पीछे करने लगी। मैं भी उनके बूब्स में झटके मारने लगा।


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कुछ ही समय में उनके मुंह और बूब्स के बीच झड़ गया।और निढाल होकर मौसी के ऊपर ही लेट गया।

हम दोनो एक साथ झड़ गए थे।
थोड़ी देर बाद ऐसे ही सो गए आंख खुली होगी लगभग शाम 6 बजे आंख खुली होगी। (अब कैरेक्टर से बाहर आ रहा हूं)

मोबाइल किनारे रख कर मौसी के बारे में सोचने लगा।क्या सेक्सी आइटम है। अब शायद मुझे भी मौसी से सेक्स ज्ञान लेना होगा। लेकिन अभी जब भैया मौसी से दूर होगे तभी मेरा काम आसान होगा क्यों की जब तक भैया की शादी नही होती तब तक मेरा कुछ नही हो सकता।लेकिन मन में डर भी था। आज तो मौसी ने बहुत मुश्किल से ही माफ किया था।

मैने इतनी मस्त पोर्न आज तक नही देखी अब तक मै बेड पर ही 2 बार झड़ चुका था।

मौसी की चुदाई के हसीन सपने देखने लगा और पता ही नही चला कब सो गया।
मेरी आंख खुली होगी सुबह 7 बजे।

भाई आगे के अपडेट चाहिए तो बताना स्टोरी कैसी है नही तो यही से बंद कर दूंगा कुछ लोगो को अच्छी ना लगने के कारण”

😡😡😡😒😔🌷
Bhai hero ka bhi kuch Karo aesa lag rha hero kuch kar hi nhi rha
Bas gussa or palak ko hi call karta rahega
 
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लिखावट बाय दिहाती लेखक🌚
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अपडेट-31
आज शरीर में बहुत थकावट लग रही थी क्यों कि रात में दो बार जो होग्या था।

रोज का काम कर के स्कूल जल्दी चला गया।

रास्ते में सूरज को पिक किया और स्कूल के लिए निकल गया।
सूरज- क्या बात है आज बहुत मुस्कुराता है चेहरे पर,
मैं- ऐसे कुछ नहीं है तुझे लग रहा है।

सूरज- अच्छा कल कुछ बात बानी
मैं- कैसी बात,
सूरज- देख ज्यादा बान मत कर अभी कल ही मुझे फूला कर रो रहा था और आज नौटंकी कर रहा है।

मैं- अच्छा वो बात, देख कल उसका कमरे में जाके रख तो दिया था अब पता नहीं उसका क्या रिस्पॉन्स होगा। वो भगवान ही मालिक है।
बातें करते हुए हमलोग स्कूल पहुँच गये।

स्कूल में,

सूरज- वैसे देखा जाए 2 दिन का मुकाबला आज खुश तो है तू इसका मतलब काम हो गया है और मुझसे छुपा रहा है।
मैं- नहीं यार ऐसा नहीं है अब वैसे भी मैं अब तुझसे कुछ नहीं छुपाता।

सूरज- अच्छा क्यू भाई मुझसे क्यू नहीं छुपता,
मैं- यार तू एक दम परफेक्ट आइडिया देता है इसलिए, मेरा दिमाग ऐसे जगह काम करना बंद कर देता है।

सूरज- हां, आज देखते हैं क्या रिस्पॉन्स मिला है मेरे आइडिया का।

स्कूल में दिन जैसा कटा होगा में ही जान रहा हूं कि आज कितनी एक्साइटमेंट है मुझमें, बता नही सकता मै,

3 बजे में और सूरज आज हम दोनों लोग थे क्यों कि अगर कुछ लफड़ा हुआ.तो सूरज साथ था।

स्कूल के बाहर हम लोग पलक का इंतजार करने लगे।

तभी सामने बाइक रुकी आके वो लड़का कोई और नहीं रोहन था।
मैं रोहन का चहेरा देख कर एक से गुस्से में आ गया।

गुस्से में,

क्यों ओय तुही था उस दिन फोन पर हां चल आज हो जाए मैं भी अकेला और तू भी देखता किसमें कितना दम, कौन किसे औकात दिखता है।

रोहन- देख भाई, लड़ने के मूड मैं नहीं हूं और तू बंदे भी लाया है। कभी प्लान फिक्स कर फिर तुझे औकात दिखता हूं।

मैंने गुस्से में रोहन का कॉलर पकड़ लिया और क्यों मेरी औकात दिखाये गा चल आ अकेले 2-2 हाथ कर ले। (सूरज की और इशारा करते हुए कहा) कि ये उधर ही खड़ा रहेगा कुछ नहीं बोलेगा और तुझमें हिम्मत है तो आ चल।

रोहन भी अब गुस्से में,
सुनो तेरा जो भी नाम हो मुझे पलक ने माना किया लड़ें बारना तेरी औकात यहीं दिखा देता।

स्कूल ख़त्म हो चुका था। सभी लड़कियाँ सामने से आ रही थीं। पलक और उसकी सहेलियां भी थीं।

मैने गुस्से में रोहन को थप्पड़ मार दिया और बोला अगर दोबारा तूने अपनी जुबान से पलक का नाम लिया यही जुबान तेरी खीच लूंगा।
और सुन उसे दूर रहना सीख ले जाइदा उसे चिपका के मत रख कर समझा यही तेरी औकात दिखा दूंगा।

रोहन ने भी मेरा कॉलर पकड़ कर हाथ चलाना ही वाला होता है।

सूरज ने बीच में आके हम दोनों को अलग भाई यार क्या करने आया था और क्या करने लगा।

मैं- अरे भोसड़ीवाला उससे चिपक कर रहे गया है।

सूरज- अबे यार मरना था तो कहीं बाहर मारता, यहां स्कूल से बाहर लड़ाई की तो पुलिस थाना हो जाएगा।

मुझे सूरज समझ ही आ रहा है कि तब तक सामने से पलक मेरे पास आती है बिन कुछ कहे मुझे पलटती है सीधे मेरे गाल पर एक थप्पड़ मारती है।

मुझे लगा शायद ये थप्पड़ रोहन ने मारा है, गुस्से में, थप्पड़ मारने ही वाला होता हूं।

लेकिन सामने पलक को देख कर आश्चर्य हो गई।
पलक का चेरा हल्का सूझा हुआ और आंखे लाल थी।

पलक- मार ले मुझे भी उसको तो मार कर तुझे सुकून नहीं मिलेगा। क्यों हर वक्त मेरे पीछे पड़ा रहता है।

जब तक मुझे तुझ से कोई मतलब नहीं है, मेरे पीछे क्या पड़ा है। क्यू हर वक्त फोन और मैसेज करता है तुझे समझ नहीं आता कि मेरी जिंदगी में कोई और आ गया है।
मैं तुझे भूल चुकी हूं अच्छा अब तेरे लिए अच्छा ये है कि तू भी मुझे भूल जा।

इतना कहे कर पलक ने अपने बैग से मेरे द्वारा उसके कमरे में रखे गए।
ग्रेटिंग और चॉकलेट निकली और मेरे मुँह पर फेंक दिए।

पलक- आइंदा से मेरा पिछा किया या फिर मेरे या रोहन के बीच आने की कोशिश या मेरे घर पे आके ग्रीटिंग या चॉकलेट रखी तो मुझसे बुरा कोई नहीं होगा।

इतना कहे कर पलक की रुबासी हो गई, मुड़कर मेरे पास से रोहन के पास चली गई।
मैं - यार पलक सुन तो एक मिनट मेरी बात तो सुन ले,फिर तू चली जाना।
लेकिन अनसुना कर के चली गई।

पलक- चल रोहन यहां से और बोला था ऐसे ऐरो गैरो से लड़ाई मत किया ये फालतू है इनके पास कोई काम नहीं है।

रोहन- वो मैं नहीं, इस लड़के ने पहले हाथ उठाया था।मै तो आप की इज्जत के चक्कर में कुछ बोला ही नहीं.

इतना कहे वो दोनो लोग चले गये।

मैं वहां पर भूझे हुए लंड की तरह खड़ा हुआ. जैसे किसी ने मेरा सब कुछ छीन लिया हो।

और सब लोग खड़े हुए तमसा देख रहे थे।
मेरे रुहासा होकर बाइक पर बैठ कर जाने लगा। सूरज पीछे से आवाज देते हुए।

सूरज- अबे मेरे लिए तो रुक ओए सुन तो,
लेकिन मेरी कुछ समझ में नहीं आ रहा था क्या करू।

गुस्से में मैंने बाइक तेज रफ्तार से चला दी, कुछ दूर जाने के बाद मेरी बाइक फिसल गई और मैं गिर गया।

वाहा के लोगों ने मुझे उठाया एक जगह पर बैठा दिया और मेरी बाइक को किनारे खड़ा कर दिया।
एक भाई ने पानी पिलाया।

मैं होश में नहीं था कि ये क्या हो गया और दिमाग भी काम नहीं कर रहा था।

वाह एक लड़का बोला भाई क्या नशा करते हो क्या दिन हो या घर से लड़ाई कर के भाग रहे हो।

मेरी आँखो में आँसू थे।

मैं- भाई ऐसे करो मेरे मोबाइल से सूरज नाम के लड़के को फोन लगा दो. उसे बता दो कि मैं यहां पर हूं.बाइक से फिसल गया।

थोड़ी देर बाद सूरज भागते हुए।

सूरज- अवि तू ठीक तो ज्यादा चोट नहीं आई और रुक नहीं सका था 5 मिनट गुस्से में वहां से भाग कर चला आया।
सूरज ये सब कह रहा था।
मैं सूरज से लिपट कर रोने लगा।

सूरज - चल अब रो मत सब ठीक हो जायेगा।

सूरज ने बाइक उठाई, मुझे बिठाकर पहले सिटी हॉस्पिटल ले गया, वहां से दर्द की दवा और पैर पर चोट आ गई थी हल्की सी वाहा पर पट्टी कराई।

तब तक मम्मी को फ़ोन आ गया।

सूरज ने फोन रिसीव किया।
मम्मी- हेलो हा अभी कहा है।
सूरज- अरे आंटी, मैं अभिषेक को दोस्त सूरज बोल रहा हूं।

मम्मी- हा सूरज और ये अभी कहा गया।
सूरज- वो आंटी आज स्कूल से बाइक निकलते वक्त अभी ऊपर बाइक गिर तो हल्की से चोट लग गई है। बीएस अस्पताल आए थे दवा लेकर सीधे घर ही आ रहे हैं।

मम्मी- क्याआआ! सही है तो अवि ज्यादा चोट तो नहीं आई, ना बोल ज्यादा दिक्कत हो मैं इसके भाई को परेशान करता हूं।
सूरज- अरे आंटी समस्या की कोई बात नहीं है 5 मिनट में हम लोग घर आ रहे हैं।आप परेशान मत होइए। मैं हूं अवि के साथ मे।
इतना कहकर कॉल रख दिया।

मैं- अरे यार मम्मी को क्यों बता दिया।
सूरज- चल चुप बैठ और दावा खा फिर घर चले और जरा अपना मोबाइल दियो।

सूरज ने मेरा मोबाइल लिया पता नहीं कुछ करने लगा।
मैं- क्या कर रहा है और कॉन्टेक्ट लिस्ट क्यों खोल रहा है।

सूरज ने कॉन्टेक्ट लिस्ट से पलक का नंबर लगाया और अपना फोन डाला।बहार चला गया.

मैं हॉस्पिटल में बैठा हुए और सोचने लगा कि ये सब क्या होगा, मैं मरते-मरते बच्चा हुआ आज।

थोड़ी देर बाद सूरज आया और बोला भाई तुझे मेरी कसम है आज तू पूरे दिन पलक का कॉल मत उठाना।

मैं- पर क्यू भाई क्या हुआ ऐसा,
सूरज- दोस्ती की कसम जैसा बोला वही करना है।

मैं- ठीक है भाई जैसी तेरी मर्जी.पर मुहे बता तो तूने क्या कहा उससे,
सूरज- टाइम आएगा तो बता दूंगा।

थोड़ी देर बाद मैं और सूरज घर आये।
 

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आज शरीर में बहुत थकावट लग रही थी क्यों कि रात में दो बार जो होग्या था।

रोज का काम कर के स्कूल जल्दी चला गया।

रास्ते में सूरज को पिक किया और स्कूल के लिए निकल गया।
सूरज- क्या बात है आज बहुत मुस्कुराता है चेहरे पर,
मैं- ऐसे कुछ नहीं है तुझे लग रहा है।

सूरज- अच्छा कल कुछ बात बानी
मैं- कैसी बात,
सूरज- देख ज्यादा बान मत कर अभी कल ही मुझे फूला कर रो रहा था और आज नौटंकी कर रहा है।

मैं- अच्छा वो बात, देख कल उसका कमरे में जाके रख तो दिया था अब पता नहीं उसका क्या रिस्पॉन्स होगा। वो भगवान ही मालिक है।
बातें करते हुए हमलोग स्कूल पहुँच गये।

स्कूल में,

सूरज- वैसे देखा जाए 2 दिन का मुकाबला आज खुश तो है तू इसका मतलब काम हो गया है और मुझसे छुपा रहा है।
मैं- नहीं यार ऐसा नहीं है अब वैसे भी मैं अब तुझसे कुछ नहीं छुपाता।

सूरज- अच्छा क्यू भाई मुझसे क्यू नहीं छुपता,
मैं- यार तू एक दम परफेक्ट आइडिया देता है इसलिए, मेरा दिमाग ऐसे जगह काम करना बंद कर देता है।

सूरज- हां, आज देखते हैं क्या रिस्पॉन्स मिला है मेरे आइडिया का।

स्कूल में दिन जैसा कटा होगा में ही जान रहा हूं कि आज कितनी एक्साइटमेंट है मुझमें, बता नही सकता मै,

3 बजे में और सूरज आज हम दोनों लोग थे क्यों कि अगर कुछ लफड़ा हुआ.तो सूरज साथ था।

स्कूल के बाहर हम लोग पलक का इंतजार करने लगे।

तभी सामने बाइक रुकी आके वो लड़का कोई और नहीं रोहन था।
मैं रोहन का चहेरा देख कर एक से गुस्से में आ गया।

गुस्से में,

क्यों ओय तुही था उस दिन फोन पर हां चल आज हो जाए मैं भी अकेला और तू भी देखता किसमें कितना दम, कौन किसे औकात दिखता है।

रोहन- देख भाई, लड़ने के मूड मैं नहीं हूं और तू बंदे भी लाया है। कभी प्लान फिक्स कर फिर तुझे औकात दिखता हूं।

मैंने गुस्से में रोहन का कॉलर पकड़ लिया और क्यों मेरी औकात दिखाये गा चल आ अकेले 2-2 हाथ कर ले। (सूरज की और इशारा करते हुए कहा) कि ये उधर ही खड़ा रहेगा कुछ नहीं बोलेगा और तुझमें हिम्मत है तो आ चल।

रोहन भी अब गुस्से में,
सुनो तेरा जो भी नाम हो मुझे पलक ने माना किया लड़ें बारना तेरी औकात यहीं दिखा देता।

स्कूल ख़त्म हो चुका था। सभी लड़कियाँ सामने से आ रही थीं। पलक और उसकी सहेलियां भी थीं।

मैने गुस्से में रोहन को थप्पड़ मार दिया और बोला अगर दोबारा तूने अपनी जुबान से पलक का नाम लिया यही जुबान तेरी खीच लूंगा।
और सुन उसे दूर रहना सीख ले जाइदा उसे चिपका के मत रख कर समझा यही तेरी औकात दिखा दूंगा।

रोहन ने भी मेरा कॉलर पकड़ कर हाथ चलाना ही वाला होता है।

सूरज ने बीच में आके हम दोनों को अलग भाई यार क्या करने आया था और क्या करने लगा।

मैं- अरे भोसड़ीवाला उससे चिपक कर रहे गया है।

सूरज- अबे यार मरना था तो कहीं बाहर मारता, यहां स्कूल से बाहर लड़ाई की तो पुलिस थाना हो जाएगा।

मुझे सूरज समझ ही आ रहा है कि तब तक सामने से पलक मेरे पास आती है बिन कुछ कहे मुझे पलटती है सीधे मेरे गाल पर एक थप्पड़ मारती है।

मुझे लगा शायद ये थप्पड़ रोहन ने मारा है, गुस्से में, थप्पड़ मारने ही वाला होता हूं।

लेकिन सामने पलक को देख कर आश्चर्य हो गई।
पलक का चेरा हल्का सूझा हुआ और आंखे लाल थी।

पलक- मार ले मुझे भी उसको तो मार कर तुझे सुकून नहीं मिलेगा। क्यों हर वक्त मेरे पीछे पड़ा रहता है।

जब तक मुझे तुझ से कोई मतलब नहीं है, मेरे पीछे क्या पड़ा है। क्यू हर वक्त फोन और मैसेज करता है तुझे समझ नहीं आता कि मेरी जिंदगी में कोई और आ गया है।
मैं तुझे भूल चुकी हूं अच्छा अब तेरे लिए अच्छा ये है कि तू भी मुझे भूल जा।

इतना कहे कर पलक ने अपने बैग से मेरे द्वारा उसके कमरे में रखे गए।
ग्रेटिंग और चॉकलेट निकली और मेरे मुँह पर फेंक दिए।

पलक- आइंदा से मेरा पिछा किया या फिर मेरे या रोहन के बीच आने की कोशिश या मेरे घर पे आके ग्रीटिंग या चॉकलेट रखी तो मुझसे बुरा कोई नहीं होगा।

इतना कहे कर पलक की रुबासी हो गई, मुड़कर मेरे पास से रोहन के पास चली गई।
मैं - यार पलक सुन तो एक मिनट मेरी बात तो सुन ले,फिर तू चली जाना।
लेकिन अनसुना कर के चली गई।

पलक- चल रोहन यहां से और बोला था ऐसे ऐरो गैरो से लड़ाई मत किया ये फालतू है इनके पास कोई काम नहीं है।

रोहन- वो मैं नहीं, इस लड़के ने पहले हाथ उठाया था।मै तो आप की इज्जत के चक्कर में कुछ बोला ही नहीं.

इतना कहे वो दोनो लोग चले गये।

मैं वहां पर भूझे हुए लंड की तरह खड़ा हुआ. जैसे किसी ने मेरा सब कुछ छीन लिया हो।

और सब लोग खड़े हुए तमसा देख रहे थे।
मेरे रुहासा होकर बाइक पर बैठ कर जाने लगा। सूरज पीछे से आवाज देते हुए।

सूरज- अबे मेरे लिए तो रुक ओए सुन तो,
लेकिन मेरी कुछ समझ में नहीं आ रहा था क्या करू।

गुस्से में मैंने बाइक तेज रफ्तार से चला दी, कुछ दूर जाने के बाद मेरी बाइक फिसल गई और मैं गिर गया।

वाहा के लोगों ने मुझे उठाया एक जगह पर बैठा दिया और मेरी बाइक को किनारे खड़ा कर दिया।
एक भाई ने पानी पिलाया।

मैं होश में नहीं था कि ये क्या हो गया और दिमाग भी काम नहीं कर रहा था।

वाह एक लड़का बोला भाई क्या नशा करते हो क्या दिन हो या घर से लड़ाई कर के भाग रहे हो।

मेरी आँखो में आँसू थे।

मैं- भाई ऐसे करो मेरे मोबाइल से सूरज नाम के लड़के को फोन लगा दो. उसे बता दो कि मैं यहां पर हूं.बाइक से फिसल गया।

थोड़ी देर बाद सूरज भागते हुए।

सूरज- अवि तू ठीक तो ज्यादा चोट नहीं आई और रुक नहीं सका था 5 मिनट गुस्से में वहां से भाग कर चला आया।
सूरज ये सब कह रहा था।
मैं सूरज से लिपट कर रोने लगा।

सूरज - चल अब रो मत सब ठीक हो जायेगा।

सूरज ने बाइक उठाई, मुझे बिठाकर पहले सिटी हॉस्पिटल ले गया, वहां से दर्द की दवा और पैर पर चोट आ गई थी हल्की सी वाहा पर पट्टी कराई।

तब तक मम्मी को फ़ोन आ गया।

सूरज ने फोन रिसीव किया।
मम्मी- हेलो हा अभी कहा है।
सूरज- अरे आंटी, मैं अभिषेक को दोस्त सूरज बोल रहा हूं।

मम्मी- हा सूरज और ये अभी कहा गया।
सूरज- वो आंटी आज स्कूल से बाइक निकलते वक्त अभी ऊपर बाइक गिर तो हल्की से चोट लग गई है। बीएस अस्पताल आए थे दवा लेकर सीधे घर ही आ रहे हैं।

मम्मी- क्याआआ! सही है तो अवि ज्यादा चोट तो नहीं आई, ना बोल ज्यादा दिक्कत हो मैं इसके भाई को परेशान करता हूं।
सूरज- अरे आंटी समस्या की कोई बात नहीं है 5 मिनट में हम लोग घर आ रहे हैं।आप परेशान मत होइए। मैं हूं अवि के साथ मे।
इतना कहकर कॉल रख दिया।

मैं- अरे यार मम्मी को क्यों बता दिया।
सूरज- चल चुप बैठ और दावा खा फिर घर चले और जरा अपना मोबाइल दियो।

सूरज ने मेरा मोबाइल लिया पता नहीं कुछ करने लगा।
मैं- क्या कर रहा है और कॉन्टेक्ट लिस्ट क्यों खोल रहा है।

सूरज ने कॉन्टेक्ट लिस्ट से पलक का नंबर लगाया और अपना फोन डाला।बहार चला गया.

मैं हॉस्पिटल में बैठा हुए और सोचने लगा कि ये सब क्या होगा, मैं मरते-मरते बच्चा हुआ आज।

थोड़ी देर बाद सूरज आया और बोला भाई तुझे मेरी कसम है आज तू पूरे दिन पलक का कॉल मत उठाना।

मैं- पर क्यू भाई क्या हुआ ऐसा,
सूरज- दोस्ती की कसम जैसा बोला वही करना है।

मैं- ठीक है भाई जैसी तेरी मर्जी.पर मुहे बता तो तूने क्या कहा उससे,
सूरज- टाइम आएगा तो बता दूंगा।

थोड़ी देर बाद मैं और सूरज घर आये।
Ab lagta h kahani me mor aayega
 
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