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Incest वशीकरण

Ek number

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इस बांके शरीर के मालिक के साथ अलग मज़ा मिलेगा और अपने बेवफा पति की बेवफ़ाई का बदला लेने का एक और मौका मिलेगा

बस इसलिए वो उसी अवस्था में लेटी रही, सिर्फ़ आहे निकली उसकी चुदाई के वक़्त, उसके अलावा वो कुछ ना बोली, ठीक वैसे ही जैसे कोई वशीकरण में रहकर कुछ भी बोलने और समझने की स्थिति में नही रहता

और इस प्रकार घेसू का ये पासा भी सही पड़ गया, शर्मिला की चूत को एक और लॅंड मिल गया, और सुमेर सिंह को शर्मिला की चूत दिलाकर घीसू ने अपने लिए उसकी बेटियों का जुगाड़ भी कर लिया

पर वो तो तभी संभव होता जब घेसू उसे आँखो मे देखकर वशीकरण की विद्या के बारे में बताएगा, अभी के लिए तो आज की रात वो अपनी सीखी हुई विद्या का इस्तेमाल करके अपनी बेटियो की चूत पर कब्जा कर लेना चाहता था

उनकी कुँवारी छूटों पर वो अपना नाम लिखना चाहता था , उस घेसू का नही, इसलिए घेसू के पास भेजने से पहले वो खुद मज़े करना चाहता था, और आज की रात वही मज़े लेने वाली रात थी.

************
अब आगे
************

चंदा अपने कमरे में नंगी लेटी कुछ सोच रही थी
सोच भी रही थी और अपनी जाँघो के बीच रखे तकिये पर अपनी बुर भी रगड़ रही थी

एक लयबध तरीके से उसके नितंब हिचकोले खा रहे थे
जैसे शांत नदी में कोई बड़ा सा जहाज़ लहरों पर रेंगता हुआ आगे बड़ा जा रहा हो



उसके जहन में रात की सारी बातें आ रही थी
की पिताजी ने कैसे उसके और दीदी के बूब्स को चूसा था
उनके लॅंड से निकले पानी ने कैसे उसके नंगे शरीर को भिगोया था
और बाद में उसने जिस चालाकी से दीदी से वो सब छुपा लिया था
ये सोचकर वो अकेले में भी हँसी जा रही थी

पर रह रहकर पिताजी के मोटे लॅंड के बारे में सोचकर उसकी थिरकन बढ़ जाती थी
उसकी छूट से पानी निकालकर उसकी पयज़ामी और तकिये को गीला कर चुका था
उसने एक हाथ अंदर डालकर अपनी चूत पर रखा तो वो झुलसकर रह गया
ऐसा लगा जैसे गर्म चाशनी में हाथ डाल दिया हो उसने

पर जब उसकी नर्म उंगलियां चूत की लकीर पर पड़ी तो सारी गर्मी वहीं दब कर रह गयी
एक गाड़ा सा एहसास हुआ उसे अपनी उंगलियों पर
जैसे कोई बाँध टूट जाने की प्रतीक्षा में हो

मैं अपनी उंगलियो को उस चिराग पर घिसकर जिन्न को बाहर निकाल देना चाहती थी
पर तभी किचन से मम्मी की आवाज़ आई : “चंदा …ओ चंदा….कहाँ मर गयी….इधर आ…”

मेरा तो मूड ही खराब हो गया
झड़ने के इतना करीब थी मैं
और ऐसे में माँ की ये आवाज़ मुझे अपनी दुश्मन जैसी लग रही थी
गुस्से में मेरा मन कर रहा था की ऐसे ही नंगी होकर उनके सामने जाऊँ और रगड़ -रगड़कर अपनी चूत की गर्म चाशनी से उन्हे नहला दूँ
जब उसमें जलेंगी
तब पता चलेगा की ऐसे मास्टरबेट करते हुए किसी को टोकना कितना खतरनाक होता है

खैर
अब तो जाना ही पड़ेगा
नही तो माँ का क्या भरोसा
वो दनदनाती हुई कमरे में भी आ जाएगी

इसलिए अपनी चूत को बाद में झड़ने की सांत्वना देते हुए मैने अपना हुलिया दुरुस्त किया और बाहर आ गयी

माँ : “ऐसे घूर कर क्या देख रही है….तेरे पिताजी को अभी आने में समय लगेगा, तू ये टिफिन ले और खेतो में जाकर भाई को दे आ…”

मैं : “क्या ???? मैं….खेतो में …माँ पता है ना, वहां के लिए कितना चलना पड़ता है…पिताजी के पास तो बुलेट है, मैं वहां कैसे जाउंगी ”

माँ ने घूर कर मुझे देखा तो मेरी घिग्घी वहीं बंध गयी…
मैं अनमने मन से उठी और पैर पटकती हुई टिफिन लेकर चल दी खेतो की तरफ
घर के बाहर से शेयरिंग ऑटो मिल जाता था पर वो खेतो के बाहर की तरफ छोड़ता था
अंदर करीब आधा किलोमीटर का रास्ता पैदल चलना पड़ता था

मैने ऑटो लिया और मैन रोड पर उतरकर अंदर की तरफ चल दी
आज मौसम काफ़ी खुशहाल था
कल रात भी बारिश हुई थी, इसलिए जगह -2 पानी और कीचड़ जमा था
और बचते-बचाते मैं चल ही रही थी की मेरा पैर फिसला और मैं अपने चूतड़ों के बल ज़मीन पर गिर गयी
मैंने जिस हाथ में टिफ़िन का थैला पकड़ा था वो उपर उठा लिया ताकि खराब ना हो
पर अपना पिछवाड़ा खराब होने से ना बचा पाई
खुंदक में चलती हुई मैं खेतो में पहुँची तो सूरज भैय्या दिखाई नही दिए

मैंने थैला चारपाई पर रखा और कोने में बने ट्यूबवेल्ल वाले कमरे की तरफ चल दी
वहां मुझे वो सोता हुआ दिख गया
पर उसका हुलिया देखकर मेरी साँसे रुक सी गयी

गर्मी की वजह से उसने उपर कुछ नही पहना हुआ था
नीचे की धोती भी सोने की वजह से खुल चुकी थी
और उसके अंडरवीयर में झांकता हुआ उसका लंबा लॅंड मुझे दिखाई दिया
अपने पिता का तो मैं देख ही चुकी थी

भाई के लॅंड की रूप रेखा देखकर ही मैं समझ गयी की इस मामले में तो वो उनका भी बाप है
लॅंड एकदम कड़क था
शायद कोई सपना देख रहा था वो
क्योंकि रह रहकर वो कुछ बुदबुदाता और अपने खड़े लॅंड को मसल देता
कुछ देर तक मैं उसे छुप कर देखती रही

और उसके बुदबुदाने से और हाथो की हरकत से मुझे ये पता चला की वो सो नही रहा बल्कि आँखे बंद करके कुछ सोच रहा है
और उत्तेजित भी हो रहा है
ओह्ह तेर्री
यानी भाई अकेले अपने ट्यूबवैल वाले कमरे में लेटकर दिन दहाड़े मुठ मार रहा है
उसने अपना लॅंड भले ही अंडरवीयर से बाहर नही निकाला था
पर उसका लॅंड जब पूरा खड़ा हुआ तो उसका अगला हिस्सा छोटी बॉल की तरह चमकता हुआ बाहर निकल आया
एकदम जामुनी रंग का था उसके लॅंड का टोपा
और उसमें से गाड़े रस की बूँद निकल रही थी
जिसे सूरज भैय्या ने अपने लॅंड पर मसल कर उसे चमका सा दिया

अपने भाई की ये हालत देखकर मेरी चूत भी पनिया गयी
अभी कुछ देर पहले ही तो ये काम अधूरा छोड़कर आई थी
अब सूरज भाई को ऐसी हालत में देखकर मुझे फिर से कुछ-2 होने लगा
मेरी उंगलिया ना चाहते हुए भी अपनी चूत के उपर जाकर चिपक गयी और उसे रगड़ने लगी

मेरी चूत की एक बात अच्छी लगती है मुझे
जब भी उसे मैं छूती हूँ , वो पनियाई हुई एकदम तैयार मिलती है
जैसे दरार के उस पार वो चाशनी इसी प्रतीक्षा में हो की कब आए मेरी उंगलिया और उसे खोद कर बाहर निकाले

मेरी साँसे भी भारी होने लगी थी अब तो
भाई की धोती और अंडरवीयर पूरा उतर चूका था नीचे
अब भाई के लॅंड के साथ-2 उसकी बॉल्स भी दिखाई देने लगी
वो भी फूल कर फटने को तैयार थी
मैने अपनी साईंस लगाई
शायद इसी में वो माल भरा रहता होगा जो मेरे बदन को भिगो गया था

पर साईंस से ज़्यादा तो मेरी चूत की कैमिस्ट्री बिगड़ी पड़ी थी
उसमें से टपाटप करके गन्ने का रस बाहर आने लगा था
मैने एक पल के लिए कुछ सोचा और फिर अंदर हाथ डालकर अच्छे से उस रस को इकट्ठा किया और उपर लाकर उसे चूस गयी

Mast update
 

Ek number

Well-Known Member
9,259
20,134
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अपनी ही चूत का रस मुझे इस वक़्त अमृत समान लग रहा था
उफफफ्फ़
इतनी मिठास होती है इसमें
मैं अपनी ही चूत में शरबत लिए घूम रही हूँ इतने सालों से और मुझे ही इसका पता नही
आज तक ना जाने कितनी बार इसे ऐसे ही व्यर्थ जाने दिया था
पर अब नही
आज के बाद तो बिल्कुल नही
इसे तो मार्केट में बेचकर लखपती बन जाऊं , ऐसा मीठा स्वाद था इसका
पर अभी तो खुद ही अपना रस चूसकर मैं मज़े ले रही थी
काश इसे एक दिन पिताजी भी चूसें
और
और
ये सूरज भी
अपने बाप के बाद अब भाई को भी गंदी नज़र से देख रही थी मैं
मैं सोचने लगी
की ऐसी लड़की होना एक परिवार के लिए श्राप है या वरदान
मर्दो की नज़रो से देखा जाए तो वरदान ही है
और अब मैं इनके लिए वरदान ही साबित होऊंगी
पिताजी के साथ तो कभी भी कुछ भी हो सकता है
पर सूरज को कैसे पटाया जाए ये सोचना पड़ेगा
वैसे इनकी ये हरकत देखकर लगता नहीं की इन्हे पटाना मुश्किल होगा

मैं ये सोच ही रही थी की सूरज भैय्या के हाथो की स्पीड उनके लॅंड पर तेज हो गयी
यानी वो झड़ने के करीब थे
काश
इस वक़्त मैं होती उनके सामने
जैसे पिताजी ने मुझे भिगोया था अपने लॅंड के पानी से
वैसे ही भाई भी भिगोता
हाय
कितना मज़ा आता उनके लंड के झरने के नीचे बैठकर नहाने में

पर अभी तो मैं सिर्फ़ अपनी चूत का पानी चाटने और भाई को झड़ते हुए देखने के सिवा कुछ और कर ही नही सकती थी



इसलिए मैने भी अपने हाथ की स्पीड बड़ा दी
जो काम घर पर तकिये के उपर शुरू किया था
वो मैं अब यहाँ पूरा कर लेना चाहती थी
अपने भाई के खेत में
ताकि एक दिन वो मेरे खेत में अपना पानी डाले

उफ़फ्फ़
इस एहसास से ही मेरी चूत की दीवारें पुलकित होने लगी और मैं भी झड़ने के करीब पहुँच गयी
भाई का हाथ मशीन की स्पीड से चल रहा था
और अचानक उसका पूरा शरीर काँपा
उसके होंठो से एक शब्द निकला

“अआहह…….चंद्रिका………..…….”

और इसके साथ ही उसके लॅंड से निकली पिचकारियों ने सामने की दीवारों पर चित्रकारी करनी शुरू कर दी
एक के बाद एक करीब 5-6 धारें निकलकर उस दीवार से जा चिपकी



मेरा तो दिल ही बैठ गया भाई के मुंह से दीदी का नाम सुनकर
साला यहाँ मैं अपने भाई के नाम की मूठ मार रही हूँ और वो है की मेरे ही सामने दीदी का नाम ले रहा है
मैंने भुनभुनाते हुए उसे मन ही मन 8 - 10 गालियां दे डाली
जरूर ये दीदी के बड़े बूब्स का दीवाना होगा , वर्ना मैं भी कुछ काम नहीं हूँ
पर देखा जाए तो वो भी हमारी ही तरह निकला
हरामी साला
अपनी ही बहन पर नज़र है उसकी
पर बहन तो मैं भी हूँ ना
तो मेरा दिल रखने के लिए मेरे बारे मे नही सोच सकता था क्या
गंदा कही का
बताउंगी इसे एक दिन
जब कभी मेरे नीचे आया तो
तब बदला लूँगी इस बात का
देख लेना

पर अभी तो उसकी बेवफ़ाई भी मेरी चूत को झड़ने से नही रोक पाई
ये सब बाते अपनी जगह है
झड़ना अपनी जगह

इसलिए मैं लार टपकाती हुई उसका नाम दबी ज़ुबान से लेती हुई वहीं खड़ी - 2 झड़ गयी



पूरे माहौल में भाई के लॅंड से निकले दूध और मेरी चूत से निकले शहद की महक फैल गयी
काश
मैं इन दोनो का शरबत बना कर पी पाती
खैर
झड़ने के बाद एकदम से मेरी टांगे काँप कर रह गयी
जैसे मेरी पूरी शक्ति निकाल दी हो किसी ने
और लाख कोशिशो के बावजूद मैं वहीं ज़मीन पर गिर पड़ी
धड़ाम की आवाज़ आई एकदम से
मैं घबरा गयी
और अंदर चारपाई पर लेटा मेरा भाई भी

उसने जल्दी-2 अपने कपड़े पहने और बाहर की तरफ भागता हुआ आया

“कौन….कौन है वहाँ …”

मेरी तो गांड फट्ट गयी एकदम से

प्रेम कहानी बनने से पहले हॉरर स्टोरी बनने जा रही थी मेरी
Shandaar update
 

Ashokafun30

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Wah Ashokafun30 Bhai,

Kya gazab ki update post ki he............

Ye sara parivar hi ek dusre ka diwana nikla...............Baap apni dono betiyo ko bhogna chahta he...............aur beta apni bahan ko...........

Chanda ke girne se ek baar ke liye uske pakde jane ki sambhawna ban gayi he.............

Lekin apni chanda bhi kam chalak nahi he..............koi na koi bahana bana kar bach niklegi

Keep rocking bro
Thanks
Parivar to vahi hai jo ek sath aaye aur ek sath khaaye
Ab inme se kaun kisko khayega, ye to aane wala waqt hi batayega
Aur rahi baat chanda ki to wo agle update me pata chal hi jayega ki wo kaise bacheg
baaki aap to enjoy kijiye
 

Lord xingbie

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इस बांके शरीर के मालिक के साथ अलग मज़ा मिलेगा और अपने बेवफा पति की बेवफ़ाई का बदला लेने का एक और मौका मिलेगा

बस इसलिए वो उसी अवस्था में लेटी रही, सिर्फ़ आहे निकली उसकी चुदाई के वक़्त, उसके अलावा वो कुछ ना बोली, ठीक वैसे ही जैसे कोई वशीकरण में रहकर कुछ भी बोलने और समझने की स्थिति में नही रहता

और इस प्रकार घेसू का ये पासा भी सही पड़ गया, शर्मिला की चूत को एक और लॅंड मिल गया, और सुमेर सिंह को शर्मिला की चूत दिलाकर घीसू ने अपने लिए उसकी बेटियों का जुगाड़ भी कर लिया

पर वो तो तभी संभव होता जब घेसू उसे आँखो मे देखकर वशीकरण की विद्या के बारे में बताएगा, अभी के लिए तो आज की रात वो अपनी सीखी हुई विद्या का इस्तेमाल करके अपनी बेटियो की चूत पर कब्जा कर लेना चाहता था

उनकी कुँवारी छूटों पर वो अपना नाम लिखना चाहता था , उस घेसू का नही, इसलिए घेसू के पास भेजने से पहले वो खुद मज़े करना चाहता था, और आज की रात वही मज़े लेने वाली रात थी.

************
अब आगे
************

चंदा अपने कमरे में नंगी लेटी कुछ सोच रही थी
सोच भी रही थी और अपनी जाँघो के बीच रखे तकिये पर अपनी बुर भी रगड़ रही थी

एक लयबध तरीके से उसके नितंब हिचकोले खा रहे थे
जैसे शांत नदी में कोई बड़ा सा जहाज़ लहरों पर रेंगता हुआ आगे बड़ा जा रहा हो



उसके जहन में रात की सारी बातें आ रही थी
की पिताजी ने कैसे उसके और दीदी के बूब्स को चूसा था
उनके लॅंड से निकले पानी ने कैसे उसके नंगे शरीर को भिगोया था
और बाद में उसने जिस चालाकी से दीदी से वो सब छुपा लिया था
ये सोचकर वो अकेले में भी हँसी जा रही थी

पर रह रहकर पिताजी के मोटे लॅंड के बारे में सोचकर उसकी थिरकन बढ़ जाती थी
उसकी छूट से पानी निकालकर उसकी पयज़ामी और तकिये को गीला कर चुका था
उसने एक हाथ अंदर डालकर अपनी चूत पर रखा तो वो झुलसकर रह गया
ऐसा लगा जैसे गर्म चाशनी में हाथ डाल दिया हो उसने

पर जब उसकी नर्म उंगलियां चूत की लकीर पर पड़ी तो सारी गर्मी वहीं दब कर रह गयी
एक गाड़ा सा एहसास हुआ उसे अपनी उंगलियों पर
जैसे कोई बाँध टूट जाने की प्रतीक्षा में हो

मैं अपनी उंगलियो को उस चिराग पर घिसकर जिन्न को बाहर निकाल देना चाहती थी
पर तभी किचन से मम्मी की आवाज़ आई : “चंदा …ओ चंदा….कहाँ मर गयी….इधर आ…”

मेरा तो मूड ही खराब हो गया
झड़ने के इतना करीब थी मैं
और ऐसे में माँ की ये आवाज़ मुझे अपनी दुश्मन जैसी लग रही थी
गुस्से में मेरा मन कर रहा था की ऐसे ही नंगी होकर उनके सामने जाऊँ और रगड़ -रगड़कर अपनी चूत की गर्म चाशनी से उन्हे नहला दूँ
जब उसमें जलेंगी
तब पता चलेगा की ऐसे मास्टरबेट करते हुए किसी को टोकना कितना खतरनाक होता है

खैर
अब तो जाना ही पड़ेगा
नही तो माँ का क्या भरोसा
वो दनदनाती हुई कमरे में भी आ जाएगी

इसलिए अपनी चूत को बाद में झड़ने की सांत्वना देते हुए मैने अपना हुलिया दुरुस्त किया और बाहर आ गयी

माँ : “ऐसे घूर कर क्या देख रही है….तेरे पिताजी को अभी आने में समय लगेगा, तू ये टिफिन ले और खेतो में जाकर भाई को दे आ…”

मैं : “क्या ???? मैं….खेतो में …माँ पता है ना, वहां के लिए कितना चलना पड़ता है…पिताजी के पास तो बुलेट है, मैं वहां कैसे जाउंगी ”

माँ ने घूर कर मुझे देखा तो मेरी घिग्घी वहीं बंध गयी…
मैं अनमने मन से उठी और पैर पटकती हुई टिफिन लेकर चल दी खेतो की तरफ
घर के बाहर से शेयरिंग ऑटो मिल जाता था पर वो खेतो के बाहर की तरफ छोड़ता था
अंदर करीब आधा किलोमीटर का रास्ता पैदल चलना पड़ता था

मैने ऑटो लिया और मैन रोड पर उतरकर अंदर की तरफ चल दी
आज मौसम काफ़ी खुशहाल था
कल रात भी बारिश हुई थी, इसलिए जगह -2 पानी और कीचड़ जमा था
और बचते-बचाते मैं चल ही रही थी की मेरा पैर फिसला और मैं अपने चूतड़ों के बल ज़मीन पर गिर गयी
मैंने जिस हाथ में टिफ़िन का थैला पकड़ा था वो उपर उठा लिया ताकि खराब ना हो
पर अपना पिछवाड़ा खराब होने से ना बचा पाई
खुंदक में चलती हुई मैं खेतो में पहुँची तो सूरज भैय्या दिखाई नही दिए

मैंने थैला चारपाई पर रखा और कोने में बने ट्यूबवेल्ल वाले कमरे की तरफ चल दी
वहां मुझे वो सोता हुआ दिख गया
पर उसका हुलिया देखकर मेरी साँसे रुक सी गयी

गर्मी की वजह से उसने उपर कुछ नही पहना हुआ था
नीचे की धोती भी सोने की वजह से खुल चुकी थी
और उसके अंडरवीयर में झांकता हुआ उसका लंबा लॅंड मुझे दिखाई दिया
अपने पिता का तो मैं देख ही चुकी थी

भाई के लॅंड की रूप रेखा देखकर ही मैं समझ गयी की इस मामले में तो वो उनका भी बाप है
लॅंड एकदम कड़क था
शायद कोई सपना देख रहा था वो
क्योंकि रह रहकर वो कुछ बुदबुदाता और अपने खड़े लॅंड को मसल देता
कुछ देर तक मैं उसे छुप कर देखती रही

और उसके बुदबुदाने से और हाथो की हरकत से मुझे ये पता चला की वो सो नही रहा बल्कि आँखे बंद करके कुछ सोच रहा है
और उत्तेजित भी हो रहा है
ओह्ह तेर्री
यानी भाई अकेले अपने ट्यूबवैल वाले कमरे में लेटकर दिन दहाड़े मुठ मार रहा है
उसने अपना लॅंड भले ही अंडरवीयर से बाहर नही निकाला था
पर उसका लॅंड जब पूरा खड़ा हुआ तो उसका अगला हिस्सा छोटी बॉल की तरह चमकता हुआ बाहर निकल आया
एकदम जामुनी रंग का था उसके लॅंड का टोपा
और उसमें से गाड़े रस की बूँद निकल रही थी
जिसे सूरज भैय्या ने अपने लॅंड पर मसल कर उसे चमका सा दिया

अपने भाई की ये हालत देखकर मेरी चूत भी पनिया गयी
अभी कुछ देर पहले ही तो ये काम अधूरा छोड़कर आई थी
अब सूरज भाई को ऐसी हालत में देखकर मुझे फिर से कुछ-2 होने लगा
मेरी उंगलिया ना चाहते हुए भी अपनी चूत के उपर जाकर चिपक गयी और उसे रगड़ने लगी

मेरी चूत की एक बात अच्छी लगती है मुझे
जब भी उसे मैं छूती हूँ , वो पनियाई हुई एकदम तैयार मिलती है
जैसे दरार के उस पार वो चाशनी इसी प्रतीक्षा में हो की कब आए मेरी उंगलिया और उसे खोद कर बाहर निकाले

मेरी साँसे भी भारी होने लगी थी अब तो
भाई की धोती और अंडरवीयर पूरा उतर चूका था नीचे
अब भाई के लॅंड के साथ-2 उसकी बॉल्स भी दिखाई देने लगी
वो भी फूल कर फटने को तैयार थी
मैने अपनी साईंस लगाई
शायद इसी में वो माल भरा रहता होगा जो मेरे बदन को भिगो गया था

पर साईंस से ज़्यादा तो मेरी चूत की कैमिस्ट्री बिगड़ी पड़ी थी
उसमें से टपाटप करके गन्ने का रस बाहर आने लगा था
मैने एक पल के लिए कुछ सोचा और फिर अंदर हाथ डालकर अच्छे से उस रस को इकट्ठा किया और उपर लाकर उसे चूस गयी

nice update
chanda ki halat samjh me aata hai
jab sala koi jhadne ke karib ho aur koi rok de
waise hi jaise khane ko mithai muh ke pass laya aur koi gira gaya use
ab kar bhi kya sakti hai bechari ko aakhir apne bhai ke liye khana leke jana hi padega
aur raste me gir bhi gayi bechari
par ye kya uska bhai bhi muth mar raha hai wah pura parivar hi kamukta se bhara pada hai
bas chanda ki maa ka avi tak pata nahi
dekhte hai chanda apna pani nikal payegi ya yaha bhi popat hoga
keep writing
 
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Lord xingbie

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अपनी ही चूत का रस मुझे इस वक़्त अमृत समान लग रहा था
उफफफ्फ़
इतनी मिठास होती है इसमें
मैं अपनी ही चूत में शरबत लिए घूम रही हूँ इतने सालों से और मुझे ही इसका पता नही
आज तक ना जाने कितनी बार इसे ऐसे ही व्यर्थ जाने दिया था
पर अब नही
आज के बाद तो बिल्कुल नही
इसे तो मार्केट में बेचकर लखपती बन जाऊं , ऐसा मीठा स्वाद था इसका
पर अभी तो खुद ही अपना रस चूसकर मैं मज़े ले रही थी
काश इसे एक दिन पिताजी भी चूसें
और
और
ये सूरज भी
अपने बाप के बाद अब भाई को भी गंदी नज़र से देख रही थी मैं
मैं सोचने लगी
की ऐसी लड़की होना एक परिवार के लिए श्राप है या वरदान
मर्दो की नज़रो से देखा जाए तो वरदान ही है
और अब मैं इनके लिए वरदान ही साबित होऊंगी
पिताजी के साथ तो कभी भी कुछ भी हो सकता है
पर सूरज को कैसे पटाया जाए ये सोचना पड़ेगा
वैसे इनकी ये हरकत देखकर लगता नहीं की इन्हे पटाना मुश्किल होगा

मैं ये सोच ही रही थी की सूरज भैय्या के हाथो की स्पीड उनके लॅंड पर तेज हो गयी
यानी वो झड़ने के करीब थे
काश
इस वक़्त मैं होती उनके सामने
जैसे पिताजी ने मुझे भिगोया था अपने लॅंड के पानी से
वैसे ही भाई भी भिगोता
हाय
कितना मज़ा आता उनके लंड के झरने के नीचे बैठकर नहाने में

पर अभी तो मैं सिर्फ़ अपनी चूत का पानी चाटने और भाई को झड़ते हुए देखने के सिवा कुछ और कर ही नही सकती थी



इसलिए मैने भी अपने हाथ की स्पीड बड़ा दी
जो काम घर पर तकिये के उपर शुरू किया था
वो मैं अब यहाँ पूरा कर लेना चाहती थी
अपने भाई के खेत में
ताकि एक दिन वो मेरे खेत में अपना पानी डाले

उफ़फ्फ़
इस एहसास से ही मेरी चूत की दीवारें पुलकित होने लगी और मैं भी झड़ने के करीब पहुँच गयी
भाई का हाथ मशीन की स्पीड से चल रहा था
और अचानक उसका पूरा शरीर काँपा
उसके होंठो से एक शब्द निकला

“अआहह…….चंद्रिका………..…….”

और इसके साथ ही उसके लॅंड से निकली पिचकारियों ने सामने की दीवारों पर चित्रकारी करनी शुरू कर दी
एक के बाद एक करीब 5-6 धारें निकलकर उस दीवार से जा चिपकी



मेरा तो दिल ही बैठ गया भाई के मुंह से दीदी का नाम सुनकर
साला यहाँ मैं अपने भाई के नाम की मूठ मार रही हूँ और वो है की मेरे ही सामने दीदी का नाम ले रहा है
मैंने भुनभुनाते हुए उसे मन ही मन 8 - 10 गालियां दे डाली
जरूर ये दीदी के बड़े बूब्स का दीवाना होगा , वर्ना मैं भी कुछ काम नहीं हूँ
पर देखा जाए तो वो भी हमारी ही तरह निकला
हरामी साला
अपनी ही बहन पर नज़र है उसकी
पर बहन तो मैं भी हूँ ना
तो मेरा दिल रखने के लिए मेरे बारे मे नही सोच सकता था क्या
गंदा कही का
बताउंगी इसे एक दिन
जब कभी मेरे नीचे आया तो
तब बदला लूँगी इस बात का
देख लेना

पर अभी तो उसकी बेवफ़ाई भी मेरी चूत को झड़ने से नही रोक पाई
ये सब बाते अपनी जगह है
झड़ना अपनी जगह

इसलिए मैं लार टपकाती हुई उसका नाम दबी ज़ुबान से लेती हुई वहीं खड़ी - 2 झड़ गयी



पूरे माहौल में भाई के लॅंड से निकले दूध और मेरी चूत से निकले शहद की महक फैल गयी
काश
मैं इन दोनो का शरबत बना कर पी पाती
खैर
झड़ने के बाद एकदम से मेरी टांगे काँप कर रह गयी
जैसे मेरी पूरी शक्ति निकाल दी हो किसी ने
और लाख कोशिशो के बावजूद मैं वहीं ज़मीन पर गिर पड़ी
धड़ाम की आवाज़ आई एकदम से
मैं घबरा गयी
और अंदर चारपाई पर लेटा मेरा भाई भी

उसने जल्दी-2 अपने कपड़े पहने और बाहर की तरफ भागता हुआ आया

“कौन….कौन है वहाँ …”

मेरी तो गांड फट्ट गयी एकदम से

प्रेम कहानी बनने से पहले हॉरर स्टोरी बनने जा रही थी मेरी
wah maza aa gaya
aakhir chanda ne apna pani nikal liya
apne bhai ke lund ko dekh kar uske bahi ka bhi pani nikal gaya
par chanda ke bhai ka lund to uske baap se acha hai aur wo chandrika ko soch kar hila raha hai
ab chanda kya karegi kya apne bhai ko bhi patyegi apne baap ke saath
abhi to khair pehle bhai se bachna hai kisi tarah se
kahi uska bhai use is halat me dekh na le ki wo bhi uski tarah muth markar giri padui hai
keep writing
 
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