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Incest वशीकरण

komaalrani

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merry x mas
 

Ashokafun30

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एक बात तो पक्की थी
जब तक इस घर में रहना था मुझे
रात को पापा का लॅंड और सुबह दीदी की चूत
ये तो रोजाना का काम होगा
इस से ज़्यादा एक जवान लड़की और क्या चाह सकती है
हाँ
एक चीज़ तो भूल ही गयी मैं
अपने जवान भाई का लॅंड
उफ़फ्फ़
वो भी तो है घर में
दिन के समय उसका लॅंड भी तो ले सकती हूँ ना
खेतों में जाकर
बस इसी ख़याल से मेरा चेहरा खिल सा उठा
सुबह और रात का तो इंतज़ाम हो ही गया था
अब दिन की बारी थी
और मैने सोच लिया था की आज स्कूल से वापिसी पर खेतो में जाउंगी
और अपने तड़प रहे भाई को वो सब सौंप दूँगी जिसका वो हकदार है
बस , फिर क्या था
मैं खुशी-2 उठी और नहा धोकर स्कूल के लिए तैयार हो गयी
जाने से पहले नाश्ते की टेबल पर पापा की नज़रें हम दोनो को देखकर चमक रही थी
शायद उनके भी मन में रात को एक बार फिर से होने वाली चुदाई के लिए कुछ नये प्लान बन रहे थे
पर मेरा मन तो अभी भाई की तरफ था
और आज मैने ठान लिया था की उसे खुश करके रहूंगी

***********
अब आगे
***********

स्कूल से छुट्टी के बाद मुझे बस एक ही डर था की कहीं पापा मुझे बाहर लेने ना आ जाए
ताज़ा -2 चुदाई के बाद कुछ भी एक्सट्रा मिल जाए तो उन्हे भला क्या परेशानी होने वाली थी
रास्ते में कही भी अपनी बुलेट रोककर मुझे किसी सुनसान से खेत में लेजाकर चोद सकते थे वो
और सच कहूँ तो ऐसी वाइल्ड वाली फॅंटेसी तो मेरे दिलो दिमाग़ में भी आती रहती थी
की कोई मुझे खेतों की गीली मिट्टी में धकेल कर, मुझे रंडी बना कर चोदे



पापा ने ऐसा कुछ आधा अधूरा किया भी था पहले
पर पूरा खेल नही खेल पाए थे हम
फिर मैने सोच लिया
की पिताजी मिल गये बाहर तो उनके साथ ही खेतो में चुद लूँगी आज
वरना भाई तो है ही

और बाहर निकल कर देखा तो मेरा चेहरा खिल उठा
क्योंकि भाई के नाम की लॉटरी निकली थी
बाहर पापा थे ही नही
शायद कोई काम आ गया होगा
या उन्होने सोचा होगा रात को तो मैने उनके नीचे आना ही है

पर जो भी था
अब मेरा पूरा ध्यान भाई की तरफ था
मैने बाहर से रिक्शा पकड़ा और खेतो की तरफ रुख़ कर लिया
रिक्शा जहाँ तक जा सकता था, वहां तक ले गया

उसके बाद मैं पगडंडियों से होती हुई अपने खेतो की तरफ चल दी
करीब 10 मिनट में ही मैं वहां पहुँच गयी
भाई ने मुझे दूर से ही आते हुए देख लिया, वो खेत मे अंदर घुसकर सॉफ सफाई का काम कर रहा था, जंगली पॉंधे निकाल कर फेंक रहा था
मुझे देखते ही उसके चेहरे पर मुस्कान आ गयी
मैं करीब पहुँची तो वो बोला : “आज स्कूल से सीधा यहाँ आ गयी, क्या बात हो गयी”

मैं : “बस भाई, तेरी याद आ गयी और आज गर्मी भी बहुत थी, सोचा अपने ट्यूबवेल से ज़्यादा ठंडा पानी कहाँ मिलेगा, सो आ गयी….”

मेरे एक बार फिर से ट्यूबवेल में नहाने की बात सुनकर खेतो में ही उसका लॅंड खड़ा हो गया
बेचारे का मुँह देखने लायक था
मेरी बाहर निकली हुई गांड देखकर
जिसे मैं कुछ ज़्यादा ही मटका कर चल रही थी

वैसे भी जब से पापा ने मेरी चुदाई की है, मेरी गांड में एक अजीब सा उभार आ गया है
जो मेरे नशेले जिस्म को एक उत्तेजक एहसास दे रहा था
बस अब भाई भी अपने हिस्से का हाथ सॉफ कर ले मेरे जिस्म पर
तो निगोड़ा पूरे शबाब पर आ जाएगा ये बदन

मैने अपने स्कूल बेग अंदर के कमरे में रख दिया और अपनी कमीज़ उतार दी
मैने ब्रा नही पहनी थी, सिर्फ़ शमीज़ थी अंदर
और स्कर्ट के नीचे मैं जिम शॉर्ट्स पहन कर जाती थी, सो उपर शमीज़ और नीचे जिम शॉर्ट्स
देखा जाए तो मैं नंगी ही थी उस वक़्त
क्योंकि उन कपड़ो में मेरा जवान शरीर पूरा देखा जा सकता था



मैं जैसे ही बाहर निकली तो सामने से भाई अंदर आता हुआ टकरा गया
मैं गिरने को हुई तो उसने मुझे थाम लिया कमर से
उसका मिट्टी से सना शरीर , खुरदुरे हाथ , पसीने की महक
और मैं
फूल सी कोमल
गोरी चिट्टी
चिकनी

एक पल के लिए तो वो मेरे आधे से ज़्यादा नंगे , गोरे बूब्स देखकर पलके झपकाना तक भूल गया
उपर से मेरे जिस्म से आ रही कच्ची जवानी की खुश्बू उसे पागल सा कर रही थी

मैं : “ओफ्फो भैय्या, आप भी ना, देख कर नही चल सकते , हटो अब, इतने गंदे से बने हुए हो, स्मेल भी आ रही है”

मेरे चेहरे पर मुस्कान थी और भाई बहन के बीच होने वाली हल्की फुल्की छेड़ छाड़ का मूड भी
वो भला ऐसे मौके को कैसे हाथ से जाने देता
वो बोला : “अच्छा, मेरे बदन से बदबू आ रही है, गंदा लग रहा हूँ मैं, रुक ज़रा, अभी तुझे बताता हूँ ”

और अगले ही पल भाई ने अपनी बलिष्ठ बुझाओं का प्रयोग करते हुए मुझे उपर खींचा और अपनी छाती से लगा कर रगड़ दिया
मेरे नन्हे नर्म कबूतर उसकी कठोर छाती में पीसकर रह गये
ख़ासकर मेरे उभरे हुए निप्पल्स, जो पहले से तन चुके थे और शमीज़ के पतले कपड़े में अपनी पहचान छुपाने में नाकामयाब नज़र आ रहे थे
वो सीधा भाई के निप्पल्स पर जाकर लगे और उनपे घिस्सा लग गया
दोनो के मुँह से एक साथ आहहह निकल गयी

“आआआहह उम्म्म्ममममम”

मैने तो अपना बदन उसके सहारे छोड़ दिया और उसकी बाहों में लटक सी गयी
उसने भी मौके का फायदा उठाया और मेरे कूल्हे के नीचे दूसरा हाथ लगा कर मुझे हवा में उठा लिया और किसी डॉल की तरह वो मेरे शरीर को अपने बदन पर रगड़ने लगा
वो मेरे बदन को तोलिया बनाकर अपने शरीर की मिट्टी सॉफ कर रहा था

ऐसा शायद कुछ देर और चलता तो मैने भाई का लॅंड पकड़ लेना था
पर वो इस वक़्त खेलने के मूड में था
मेरे पूरे शरीर पर अपने बदन की मिट्टी रगड़ने के बाद वो मुझे बोला : “अब बता, कौन ज़्यादा गंदा लग रहा है, मैं या तू”

मैं तो जैसे एकदम सपने से बाहर आई
मुझे तो लगा था की भाई रगड़ते-2 मेरे बूब्स भी अपने हाथ में ले लेगा
उस महीन से कपड़े की दीवार फाड़कर मुझे उस शालीनता का बहाना बने कपड़े से आज़ाद करवाएगा
पर उसने ऐसा किया नही
सिर्फ़ उन बूब्स को अपने शरीर पर रगड़ खिलवा कर छोड़ दिया
उसके चेहरे की शरारती मुस्कान बता रही थी की मुझे ऐसी हालत में छोड़ने के बाद उसे कितना मज़ा आ रहा था
चूतिया साला
ऐसे मौके को हाथ से जाने दिया
पर शायद वो पहल नही करना चाहता था
वरना ऐसा मौका कौन छोड़ता भला
पर इसका बदला तो मैं भी लेकर रहूंगी
देनी तो थी ही उसे आज
पर देने से पहले उस से दुनिया भर की मिन्नतें ना करवाई तो मेरा नाम भी चंदा नही
मैं उसे बुरा भला कहते हुए ट्यूबवेल की तरफ चल दी
और उसपर चड़कर अंदर कूद गयी

अंदर कूदने के बाद जब मैं अपने चेहरे को सॉफ करते हुए वापिस उपर आई तो सामने भाई को आँखे फाड़े मुझे देखते पाया
और मैं जानती थी की ऐसा क्यो हो रहा है
मेरी शमीज़ का महीन कपड़ा भीगने के बाद पारदर्शी हो गया था
और उसके पीछे छिपा मेरा गोरा और नशीला बदन उसकी भूखी आँखो के सामने था
वही जिसे कुछ देर पहले तक वो अपनी बलिष्ठ बुझाओं में रगड़ कर अपनी मर्दानगी दिखा रहा था
और एक औरत अपने जिस्म का इस्तेमाल करके कैसे उस मर्द को अपने पैरों में गिराती है, ये बताना था मुझे



मैं जान बूझकर उसकी तरफ मुँह करके खड़ी रही और अपने शरीर पर लगी मिट्टी को हाथों से रगड़-2 कर साफ़ करती रही
ऐसा दिखा रही थी मानो वो सामने है ही नही
फिर मैने अपनी एक टाँग उठा कर उस ट्यूबवेल की वॉल के उपर की तरफ रख दी और उसे रगड़कर सॉफ करने लगी
ऐसा करने से मेरी मोटी जांघे उसके सामने थी

मैने नज़रे उठा कर उसे देखा
मैं उसके चेहरे की हवस देखना चाहती थी
पर मुझे हैरानी हुई
उसकी नज़रें तो मेरी जाँघो पर थी ही नही
वो तो मेरी दोनो टांगों के बीच देख रहा था
मैने नीचे झाँका तो समझ आया
मेरा ताज महल उभर कर सॉफ दिखाई दे रहा था
उफ़फ
ये मर्दों को औरत का कौनसा अंग ज़्यादा पसंद है
इसे समझने में शायद मुझे अभी थोड़ा और टाइम लगेगा
मेरे हिसाब से तो मेरे शरीर का सबसे आकर्षक हिस्सा था मेरी जांघे
पर इसका ध्यान तो उनपर था ही नही
खैर
जहां भी था
था तो मेरे उपर ही
इसलिए मुझे उसका ही फ़ायदा उठाना था
मैने मौका देखकर अपनी जाँघो को रगड़ते-2 अपनी चूत पर भी एक हाथ फेर दिया
मेरी पतली उंगली मेरी चूत की दरार में घुस कर गायब सी हो गयी

ये देखते ही सूरज भाई की जीभ मुँह से बाहर ही गिरने को हो गयी
वो तो गिरी नही पर उसमे अटकी ढेर सारी लार निकल आई बाहर

मेरी तो हँसी निकल गयी उसकी हालत देखकर
पर अगले ही पल वो हँसी गायब हो गयी
क्योंकि मेरी नज़र नीचे झुकते हुए उसके लॅंड पर जाकर रुक गयी
धोती में खड़ा उसका लॅंड , टेंट के बम्बू की तरह प्रतीत हो रहा था
पूरी धोती को फूला कर रखा हुआ था उसने अपने बलबूते पर
अब लार टपकाने की बारी मेरी थी
मुँह से भी
और चूत से भी
मेरी उंगली अभी तक वहीं फंसी हुई थी
इसलिए मुझे कुछ ज़्यादा मेहनत नही करनी पड़ी
उसी उंगली को थोड़ी सी थिरकन दी और वो दौड़ पड़ी उस चिकनी पटरी पर रेल बनकर
 

Ashokafun30

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मैं शॉर्ट्स के उपर से ही अपनी चूत को रगड़ने लगी



अब भाई से रुकना भी मुश्किल हो गया और वो भी उस छोटे से स्विम्मिंग पूल में कूद गया
ज़्यादा बड़ी नही थी वो जगह
दोनो के शरीर लगभग आपस में टच हो रहे थे
मैं अभी भी अपनी चूत को पानी के अंदर रगड़ रही थी
हम दोनो की नज़रें एक दूसरे से मिली हुई थी
मेरे पेट के नीचे पानी में हलचल हो रही थी
जो मुझे लगा की भाई नही देख पा रहा है
पर मैं ग़लत थी
क्योंकि उसी हलचल को देखते-2 अब सूरज के पेट के नीचे भी ठीक उसी प्रकार की हलचल होने लगी थी
मेरी तो हालत पतली हो गयी ये सोचकर की भाई मेरे सामने ही मूठ मार रहा है
पर मैं भी तो यही कर रही थी
मैने देखा भाई की धोती पानी में आने के बाद खुल चुकी थी और अब बदहवास सी होकर पानी में इधर उधर तैर रही थी
ओह्ह माय गॉड
यानी भाई इस वक़्त पानी के अंदर पूरा नंगा होकर खड़ा था
और अपनी जवान बहन के सामने मूठ भी मार रहा था
उम्म्म्म
कितना सैक्सी एहसास था ये
दूर -2 तक भरी दोपहरी में हमे देखने वाला कोई भी नही था

शायद यही आज़ादी भरा एहसास हम दोनो से ये सब करवा रहा था
भाई की नज़रें मेरे निप्पल्स पर जमी हुई थी
मैं पानी में उसके काले नाग की परछाई देख पा रही थी
कमीना मेरे सामने नंगा था
और मैं कपड़ो में
हम छोरियाँ इन छोरों से कम है के
ये सोचते ही मेरे नर्म हाथों ने अपनी शॉर्ट्स को नीचे किया और उसे टांगों से निकाल कर अलग कर दिया
और वो भी इतराती हुई पानी से उपर आई और कोने में तैर रही भाई की धोती से जा चिपकी
भाई का चेहरा देखने लायक था
हैरानी से भरे भाव सॉफ नज़र आ रहे थे उसपर
अब उसकी तरहा उसकी छोटी बहन भी नंगी थी उस ट्यूबवेल के अंदर
सिर्फ़ वो शमीज़ का कपड़ा ही तो था
जो ना होने के बराबर ही था

अचानक मेरे शरीर में ऐंठन सी होने लगी
जो इस बात का प्रमाण था की उस छोटे से पानी में ज़लज़ला आने वाला था
यानी मेरा ऑर्गॅज़म

मेरे हाथ की स्पीड और तेज हो गयी
और मेरे होंठो से टूटे फूटे शब्द निकलने लगे

“आहह…… भाई…….कितना तरसाते हो तुम…..उम्म्म्मम…..सस्स्स्स्स्स्सस्स…….कितना मोटा लॅंड है तेरा भाई…..अहह”

कहाँ तो मैं कुछ देर पहले उसे तरसाने की सोच रही थी
और कहाँ मैं उसके लॅंड का गुणगान करने लगी
ये सैक्स की फीलिंग भी ना सारे समीकरण बिगाड़ कर रख देती है
सारे प्लान धरे के धरे रह गये

भाई तो पहले से ही मेरे चुंगल में फँस चूका था
मेरी तरफ से ग्रीन झंडी मिलते ही उसने अपना हाथ मेरी कमर में डाला और मुझे अपनी तरफ खींच लिया
उसका खड़ा लॅंड सीधा मेरे हाथ और चूत के बीच जा फँसा
जिस दाने को मैं उंगली से रगड़ कर उत्तेजित हो रही थी
उस दाने पर उसके लॅंड का टोपा जा लगा
और यही बहुत था मुझे झड़ने के लिए मजबूर करने के लिए
मेरी चूत से भरभराकर ढेर सारा रंगहीन रस निकलकर उस पानी में विलीन होता चला गया

और भाई ने मुझे अपने करीब खींच कर मेरे होंठो को अपने होंठो मे जकड़ कर मेरी चीखों को मुँह में ही दबा कर रख दिया

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]

फिर भी होंठो के किनारों से फिसलकर मेरी चीखों ने अपना रास्ता खोज़ ही लिया

“उम्म्म्मम आहह ओह भाई…….अहह…… यसस्स्स्सस्स…….. मजा अआ गया…….अहह”

भाई के हाथ मेरे स्तनों पर आ गये
और पहली बार उसने मेरे मुम्मों को ज़ोर से पकड़कर दबा दिया

मेरे होंठ एक बार फिर से उसके होंठो के बीच फड़फडा कर रह गये
चीखना चाहा पर उसने होंठो को पान की तरह चबाना शुरू कर दिया
मेरा दर्द, चीख, ऑर्गॅज़म, मज़ा सब अंदर घुट कर रह गया

उसके हाथों ने मेरी शमीज़ को पकड़कर उतार फेंका
अब मैं भी जन्मजात नंगी थी उसकी तरह उस ट्यूबवेल में
दोनो के नंगे और जवान जिस्म एक दूसरे से रगड़ खाकर उस छोटे से ट्यूबवेल में तूफान पैदा कर रहे थे

[url=https://www.uploadhouse.com/viewfile.php?id=31788606&showlnk=0]


धीरे-2 उसने मुझे नीचे की तरफ धकेलना शुरू कर दिया
मैं समझ गयी की वो क्या चाहता है
मेरे होंठो की राखी वो अपने लॅंड पर बंधवाना चाहता है
मैने भी मना नही किया
मैं चल दी नीचे की तरफ
और पानी में घुटनो के बल बैठ गयी और उसके मोटे लॅंड को हाथ में पकड़कर अपने मुँह में भर लिया

 

Ashokafun30

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“आआआआआआआआअहह…… ओह मेरी ज़ाआाआआनन्न…… उम्म्म्मममम मजाआ आआआ गय्ाआअ….चन्दा ssssss ”

उसने आसमान की तरफ मुँह करके ज़ोर से हुंकार भरी
आस पास पेड़ो पर बैठे पक्षी भी उसकी आवाज़ सुनकर उड़ गये

मैं उसका मोटा लॅंड मुँह में लिए उसे देख रही थी
जो मज़ा लेने में व्यस्त था



कुछ देर तक भाई के नहाए धोए लॅंड को अच्छे से सॉफ करने के बाद मैने उसकी बॉल्स को भी मुँह में भरकर चूसा
ऐसा लगा जैसे रस में डूबे गुलाब जामुन आ गये हो मुँह में
ट्यूबवेल का पानी वैसे ही इतना मीठा था
जो इस वक़्त चाशनी का काम कर रहा था

सूरज इस वक़्त लॅंड चुस्वाते हुए पानी में अपने पंजो के बल खड़ा हुआ था
मेरे दोनो मुम्मे पानी के अंदर फ्री स्टाइल हिचकोले मार रहे थे



और मेरे हाथ भी एक बार फिर से पानी के अंदर ही अपनी चूत पर चलने लगे
कुछ देर पहले जो चूत की झड़ाई हुई थी उस से काफ़ी जल्दी उभार लिया था मैने खुद को
जवान जिस्म का यही तो फ़ायदा होता है
साला एक के बाद एक चुदाई के लिए चूत हमेशा तैयार मिलती है

मैं उठ खड़ी हुई
क्योंकि मर्दों का एक बार माल निकल जाए तो एक घंटे से पहले खड़ा होने वाला नही है इनका
और इतना टाइम मेरे पास नही था
वरना घर पहुँचकर माँ के सवालो से बचना मुश्किल हो जाएगा

मैने उठकर भाई के होंठो पर एक गहरी स्मूच की और भाई ने मुझे घुमाकर मेरी गांड अपनी तरफ कर ली
और पानी के अंदर अपने लॅंड से मेरी चूत को पीछे की तरफ से कुरेदने लगा



मेरे मुँह से सिसकारिया निकलनी शुरू हो गयी

“उम्म्म्मममममम….. अहह भैय्याय्या……… सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स….. अब और मत तरसाओ …….डाल दो ना ये मोटा मूसल अपनी प्यारी बहन की चूत में ….चोदो ना भैय्या …..अपनी लाडली बहन को….अपने मोटे लॅंड से….प्लीज़ भैय्या ……”

मेरा प्लीज़ कहने का तरीका ही इतना सैक्सी था की उस से भी सब्र नही हुआ और उसने थोड़ा नीचे होकर अपने लॅंड को मेरी चूत पर लगाया और एक जोरदार धक्का देकर उसे अंदर धकेल दिया

धक्का काफ़ी तेज था

वो तो शुक्र हो पापा और घेसू बाबा का , जिन्होने मेरी चूत का दरवाजा खोलकर भाई के लॅंड को निगलने में मदद की
वरना मेरी ऐसी चीख निकलती की घर बैठी मम्मी को भी पता चल जाता की कोई उनकी बेटी चोद रहा है खेतो में

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]

और फिर तो सिलसिला शुरू हुआ तेज धक्को का और मेरी सिसकारियों का
दोनो में ऐसा ताल मेल बैठा की हर झटके के बाद लयबध तरीके से मेरी सिसकारी भी पीछे-2 निकलती

“उम्म्म्म अहह ओह अहह…… भैय्या ……. उम्म्म्मममम…… वाााआहह …मज़ाआअ आ रहा है…… अहह ज़ोर से चोदो भैय्याय्या……अपनी बहन को….अहह ज़ोर से चोदो ……… उम्म्म्ममममम”

आगे मेरे नन्हे स्तन हवा मे उछल कूद कर रहे थे
और हर झटके से हमारे बीच का पानी छपाक-2 की आवाज़ें निकाल रहा था

कुछ देर तक उसी पोज़िशन में चोदने के बाद सूरज ने मुझे घुमाकर अपनी तरफ कर लिया और मुझे पानी में अपनी गोद में उठा कर अपना लॅंड मेरी चूत में पेल दिया
ये पोज़िशन सबसे सही थी
मेरी गांड पर अपने हाथ लगाकर उसने मुझे उपर नीचे करना शुरू कर दिया
और हर झटके से उसका फ़ौलादी लॅंड मेरी चूत के अंदर तक जाकर ठोकर मारता और फिर बाहर निकलता

[url=https://www.uploadhouse.com/viewfile.php?id=31788617&showlnk=0]


ऐसे में वो मेरे बूब्स भी चूस पा रहा था और मेरे लिप्स भी

और करीब 5 मिनट तक धीरे-2 मेरी चूत को लॅंड से कूटने के बाद हम दोनो एक साथ झडे
और ये पहली बार था जब कोई मेरी चूत के अंदर झड़ रहा था
मेरा खुद का भाई
उसने अपने रस से मेरी चूत को लबालब भर दिया

करीब एक मिनट तक मैं अपने ऑर्गॅज़म के सागर में हिचकोले खाने के बाद होश में आई और धीरे से उसकी गोद से नीचे उतर गयी
पीछे-2 ढेर सारा रस भी बाहर आ गया
मैने चूत में उंगलिया डालकर उसे अच्छे से अंदर से सॉफ कर लिया ताकि एक भी बूँद अंदर ना रहने पाए जो सारा काम बिगाड़ दे
बाकी घर जाकर टैबलेट तो ले ही लेनी थी मैंने , क्योंकि अब तो ये सब लगा ही रहेगा

भाई उसके बाद काफ़ी देर तक मेरे नंगे जिस्म से खेलता रहा
हालाँकि ऐसा करते हुए उसका लॅंड एक बार फिर से खड़ा हो गया था
पर मुझे माँ का डर भी सता रहा था
भाई का लॅंड तो अब मिलता ही रहेगा
चाहे घर पर
या खेतो में

कुछ देर बाद अपने कपड़े पहन कर मैं घर की तरफ चल दी
ऐसे ही भाई और बाप का प्यार मिलता रहा तो जल्द ही मैं किसी हीरोइन जैसी दिखने लगूंगी
हाय
ये जवानी के दिन कितने मजेदार होने वाले है
यही सोचकर मैं आने वाले दिनों के प्लान बनती हुई घर की तरफ चल दी

*************
समाप्त
*************
दोस्तों , अपनी ये कहानी मैं यही समाप्त कर रहा हूँ
एक नयी कहानी के साथ जल्द ही आपके सामने दोबारा आऊंगा
तब तक के लिए गुड बाय
 

kamdev99008

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“आआआआआआआआअहह…… ओह मेरी ज़ाआाआआनन्न…… उम्म्म्मममम मजाआ आआआ गय्ाआअ….चन्दा ssssss ”

उसने आसमान की तरफ मुँह करके ज़ोर से हुंकार भरी
आस पास पेड़ो पर बैठे पक्षी भी उसकी आवाज़ सुनकर उड़ गये

मैं उसका मोटा लॅंड मुँह में लिए उसे देख रही थी
जो मज़ा लेने में व्यस्त था



कुछ देर तक भाई के नहाए धोए लॅंड को अच्छे से सॉफ करने के बाद मैने उसकी बॉल्स को भी मुँह में भरकर चूसा
ऐसा लगा जैसे रस में डूबे गुलाब जामुन आ गये हो मुँह में
ट्यूबवेल का पानी वैसे ही इतना मीठा था
जो इस वक़्त चाशनी का काम कर रहा था

सूरज इस वक़्त लॅंड चुस्वाते हुए पानी में अपने पंजो के बल खड़ा हुआ था
मेरे दोनो मुम्मे पानी के अंदर फ्री स्टाइल हिचकोले मार रहे थे



और मेरे हाथ भी एक बार फिर से पानी के अंदर ही अपनी चूत पर चलने लगे
कुछ देर पहले जो चूत की झड़ाई हुई थी उस से काफ़ी जल्दी उभार लिया था मैने खुद को
जवान जिस्म का यही तो फ़ायदा होता है
साला एक के बाद एक चुदाई के लिए चूत हमेशा तैयार मिलती है

मैं उठ खड़ी हुई
क्योंकि मर्दों का एक बार माल निकल जाए तो एक घंटे से पहले खड़ा होने वाला नही है इनका
और इतना टाइम मेरे पास नही था
वरना घर पहुँचकर माँ के सवालो से बचना मुश्किल हो जाएगा

मैने उठकर भाई के होंठो पर एक गहरी स्मूच की और भाई ने मुझे घुमाकर मेरी गांड अपनी तरफ कर ली
और पानी के अंदर अपने लॅंड से मेरी चूत को पीछे की तरफ से कुरेदने लगा



मेरे मुँह से सिसकारिया निकलनी शुरू हो गयी

“उम्म्म्मममममम….. अहह भैय्याय्या……… सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स….. अब और मत तरसाओ …….डाल दो ना ये मोटा मूसल अपनी प्यारी बहन की चूत में ….चोदो ना भैय्या …..अपनी लाडली बहन को….अपने मोटे लॅंड से….प्लीज़ भैय्या ……”

मेरा प्लीज़ कहने का तरीका ही इतना सैक्सी था की उस से भी सब्र नही हुआ और उसने थोड़ा नीचे होकर अपने लॅंड को मेरी चूत पर लगाया और एक जोरदार धक्का देकर उसे अंदर धकेल दिया

धक्का काफ़ी तेज था

वो तो शुक्र हो पापा और घेसू बाबा का , जिन्होने मेरी चूत का दरवाजा खोलकर भाई के लॅंड को निगलने में मदद की
वरना मेरी ऐसी चीख निकलती की घर बैठी मम्मी को भी पता चल जाता की कोई उनकी बेटी चोद रहा है खेतो में

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और फिर तो सिलसिला शुरू हुआ तेज धक्को का और मेरी सिसकारियों का
दोनो में ऐसा ताल मेल बैठा की हर झटके के बाद लयबध तरीके से मेरी सिसकारी भी पीछे-2 निकलती

“उम्म्म्म अहह ओह अहह…… भैय्या ……. उम्म्म्मममम…… वाााआहह …मज़ाआअ आ रहा है…… अहह ज़ोर से चोदो भैय्याय्या……अपनी बहन को….अहह ज़ोर से चोदो ……… उम्म्म्ममममम”

आगे मेरे नन्हे स्तन हवा मे उछल कूद कर रहे थे
और हर झटके से हमारे बीच का पानी छपाक-2 की आवाज़ें निकाल रहा था

कुछ देर तक उसी पोज़िशन में चोदने के बाद सूरज ने मुझे घुमाकर अपनी तरफ कर लिया और मुझे पानी में अपनी गोद में उठा कर अपना लॅंड मेरी चूत में पेल दिया
ये पोज़िशन सबसे सही थी
मेरी गांड पर अपने हाथ लगाकर उसने मुझे उपर नीचे करना शुरू कर दिया
और हर झटके से उसका फ़ौलादी लॅंड मेरी चूत के अंदर तक जाकर ठोकर मारता और फिर बाहर निकलता

[url=https://www.uploadhouse.com/viewfile.php?id=31788617&showlnk=0]

ऐसे में वो मेरे बूब्स भी चूस पा रहा था और मेरे लिप्स भी

और करीब 5 मिनट तक धीरे-2 मेरी चूत को लॅंड से कूटने के बाद हम दोनो एक साथ झडे
और ये पहली बार था जब कोई मेरी चूत के अंदर झड़ रहा था
मेरा खुद का भाई
उसने अपने रस से मेरी चूत को लबालब भर दिया

करीब एक मिनट तक मैं अपने ऑर्गॅज़म के सागर में हिचकोले खाने के बाद होश में आई और धीरे से उसकी गोद से नीचे उतर गयी
पीछे-2 ढेर सारा रस भी बाहर आ गया
मैने चूत में उंगलिया डालकर उसे अच्छे से अंदर से सॉफ कर लिया ताकि एक भी बूँद अंदर ना रहने पाए जो सारा काम बिगाड़ दे
बाकी घर जाकर टैबलेट तो ले ही लेनी थी मैंने , क्योंकि अब तो ये सब लगा ही रहेगा

भाई उसके बाद काफ़ी देर तक मेरे नंगे जिस्म से खेलता रहा
हालाँकि ऐसा करते हुए उसका लॅंड एक बार फिर से खड़ा हो गया था
पर मुझे माँ का डर भी सता रहा था
भाई का लॅंड तो अब मिलता ही रहेगा
चाहे घर पर
या खेतो में

कुछ देर बाद अपने कपड़े पहन कर मैं घर की तरफ चल दी
ऐसे ही भाई और बाप का प्यार मिलता रहा तो जल्द ही मैं किसी हीरोइन जैसी दिखने लगूंगी
हाय
ये जवानी के दिन कितने मजेदार होने वाले है
यही सोचकर मैं आने वाले दिनों के प्लान बनती हुई घर की तरफ चल दी

*************
समाप्त
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दोस्तों , अपनी ये कहानी मैं यही समाप्त कर रहा हूँ
एक नयी कहानी के साथ जल्द ही आपके सामने दोबारा आऊंगा
तब तक के लिए गुड बाय
KLPD कर‌ दिया अशोक भाई
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