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Incest रिस्तो मे प्यारकी अनुभुती

dilavar

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दोस्तो आप सभी पाठकोने मेरी पहेली कहानी ये केसी अनुभुती आप लोगोने मुजे उत्साहीत करके जो प्यार दीया और आप लोगोने मुजे दुसरी कहानी रिस्तो मे प्यारकी अनुभुती लीखनेको प्ररीत कीया मे आप सभी लोगोका दीलसे आभार व्यक्त करके स्वागत करता हु और आपहीकी डिमांडपे आज दुसरी कहानी लीखने जा रहा हु यही समजलो ये कहानीका दुसरा पार्ट हे आशा हे आप लोग मुजे कोमेन्ट करते उत्साहीत करके वोही प्यार देगे

जाहीरसी बात हे मेने मेरी पहेली कहानी
ये केसी अनुभुती मेंही दुसरी कहानीका उलेख करदीया था तो इस कहानीमे वोही केरेक्टर दुसरे जन्म लेके आयेहे ओर यही सब शक्तिया इस जन्ममे प्राप्त करेगे पर इस बार कहानीमे इन्सेस्ट रीलेशनके साथ भरपुर प्यार (सेक्स) ओर अ‍ेक्शनभी होगा ताकी कहानीमे थोडा सस्पेन्स बना रहे ओर सब केरेक्टरका जरुरतके हीसाबसे बीच बीचमे परीचय देता रहुगा ताकी सब केरेक्टरको आप याद रख सके
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रिस्तोमे प्यारकी अनुभुती
अध्याय - २३८

कहेते पुनम सर्मसार होते मुस्कुराते वहासे दोडकर अपने रुममे चली गइ.. तो सबलोग उनको देखकर हसने लगे.. चंदा भी मुस्कुरा उठी.. ओर उसने मंजुकी ओर देखते दोनो हाथ जोड लीया.. तो मंजुने उसे कसके अपने गले लगा लेती हे.. चंदाकी आंख खुसीके मारे गीली होगइ.. ओर वो अचानक कांपने लगी.. मंजु कुछ समज पाये इनसे पहेले ही चंदा बेहोस होते जमीनपे गेरने लगी.... अब आगे

तो भावना लता ओर मंजुने उसे जटसे सम्हाल लीया.. ओर जमीनपे गेरने नही दिया.. फीर तीनोने मीलकर चंदाको उठाकर बेडपे सुला दीया.. नीर्मला गभराकर अपनी सारीके पलुसे चंदाको हवा देने लगी.. तभी वहा देवायत भी आगया.. तो मंजुने उसे संक्षीप्तमे बात करली.. तो सुनकर वोभी थोडा परेसान हो गया.. तभी भुमीका थोडा सरबत बनाकर ओर पानी लेकर आइ.. ओर चंदाके चहेरेपे छीडकने लगी.. कुछ ही दरमे चंदाको होंस आ गया..

भुमीका : (सरबत पीलाते) ले चंदा.. ये पीले.. सायद बीपी लो हो गया था..

देवायत : (पास बैठते सरको सहेलाते) चंदा.. क्या हुआ..? अब कैसा लग रहा हे..?

चंदा : (लैटेही देवुकी बाहोमे समाते रोते) देवु.. वो.. धिरेन.. उनका फोन अया था.. अब वो हमारे लीये मर गया हे..

देवायत : (जटसे मुहपे हाथ रखते) चुप.. तु ये क्या बोल रही हे..? वो बेटा हे तेरा.. अ‍ैसा नही बोलते..

चंदा : (रोते) देवु.. उसने हमारी पुनो दीदीकी जींदगी खराब कीहे.. ओर हमारे बारेमे भी वो कैसा बोल रहा था.. आपको पता हे..? मुजे तो बतानेमे भी सरम आती हे..

देवायत : (सरको सहेलाते) हां.. मुजे सबकुछ पता हे.. मंजुने सबकुछ बता दीया था.. सुन.. इसे अब अ‍ेक दुखद स्वप्नकी तराह भुलजा.. हमे पुनोकी चीन्ता नही हे.. पुनोको अब हमारा लखन ही सम्हाल लेगा..

चंदा : (आंसु पोछते) देवु.. अभी मंजुदीने कहा वो पुनोदीकी सादी लखन भैयासे करवाना चाहती हे.. तो मे ओर आप पुनोदीदीका कन्यादान करेगे..

देवायत : (मंजुकी ओर देखते) हां चदा.. जैसा तुम कहोगी वैसा ही हम करेगे.. बस तुम ठीक होजाओ..

तो सहेरमे लखन जैसे ही रुममे गया तो उनका बेड फुलोसे सजा हुआ था.. वो देखकर खुस होते मुस्कुराने लगा.. फीर कुछ सोचते उसने मोबाइल नीकाला.. ओर बेडकी तसवीर लेने लगा.. ओर उसने पुनमको सेन्ड करदी.. तो कुछ ही देरमे पुनमका मेसेज आगया.. उसने लखनको मेसेजमे कोन्ग्रेच्युलेशन लीखा.. ओर दोनो अ‍ेक दुसरेके साथ चेट करने लगे.. ओर बातोही बातोमे बात सृती तक आगइ.. तो पुनमने लखनको सीधा कोल ही कर दीया..

पुनम : (सरमाते मुस्कुराते) भाइ.. कोन्ग्रेच्युलेशन.. अच्छा हुआ आप दोनोको सुहागरात मनानेका टाइम मील गया.. कहा हे मेरी भाभी..? क्या वहा आपके पास हे..?

लखन : (मुस्कुराते) नही दीदी.. वो अभी नीचे हे.. सुनो.. आइ मीस यु.. आपकी बहुत याद आ रही हे.. तो इधर आजाओनां..

पुनम : (सरमाते धीरेसे) भाइ.. मेरा भी यही हाल हे.. मे भी आपको बहुत मीस कर रही हु.. बस.. मे बहुत जल्द आपके पास आरही हु.. अच्छा क्या हुआ सृतीदीदीका..? क्या आप सृती दीदीको लेने गये थे..?

लखन : (मुस्कुराते) हां दीदी.. आज सामको ही मे दीदीको लेने गया था.. लेकीन वो तो आनेमे नखरे कर रही थी.. तो उनको वही छोडकर आगया.. वो मेरे साथ नही आइ..

पुनम : (मुस्कुराते) भाइ.. जानती हु में.. वो इतनी आसानीसे नही आयेगी.. वो आपको थोडा परेसान करना चाहती हे.. खैर जाने दीजीये.. अ‍ेक दो दिनके बाद वापस जाना.. ओर उनको जबरदस्तीसे ले आना..

लखन : (मुस्कुराते) अरे यार मे वोही तो नही कर सकता.. दीदी.. कीसीसे अ‍ैसे जबरदस्ती करना ठीक नही हे.. मुजे तो ये सब अच्छा नही लगता.. वैसे भी लगता हे उस दिन जो भी हुआ उनकी मरजीसे हुआ था.. क्युकी वो मुजसे नाराज नही हे.. आज तो हस हसके बात कर ही थी मुजसे.. ओर आनेके लीये ना जाने कोन कोनसी सर्ते रख रही थी..

पुनम : (मुस्कुराते) भाइ.. आपने सच पहेचाना.. ये सब उनका अ‍ेक प्लान था.. आप हम ओरतोको नही जानते.. कुछ बात हे जो मे अभी आपको बता नही सकती.. सीर्फ अ‍ेक दो दिन इन्तजार करलीजीये.. आपको सबकुछ पता चल जायेगा.. चलो मे फोन रखती हु.. मे राधु भाभीसे कल सुबह बात कर लुगी.. तबतक दोनो अच्छेसे अपनी सुहागरात मनाइअ‍े..

लखन : (धीरेसे) दीदी.. आज धिरेन मीला था.. उसे मेने आपके पेपर देदीये हे.. ओर भाभीसे बात करनेको भी बोला हे..

पुनम : (धीरेसे) अच्छा इसीलीये.. भाइ.. सुनो.. यहा आज बहुत कुछ हुआ.. धिरेनका फोन आया था.. तो भाभी उनपे बहुत गुस्से हुइ.. ओर उनको ना जाने क्या क्या बोल दीया.. इनसे भाभीका बीपी भी बढ गया था ओर वो बेहोस होगइ थी..

लखन : (थोडा परेसान होते) दीदी.. मुजे लगता हे मुजे उनको भाभीके साथ बात करनेके लीये नही कहेना था.. बताओ अब भाभीकी तबीयत कैसी हे..?

पुनम : (मुस्कुराते) भाइ अभी तो सब ठीक हे.. लेकीन मुजे लगता हे उनको गहेरा सदमा लगा हे.. वो बहुत डीप्रेसनमे हे.. ओर भाइ.. आपके लीये अ‍ेक खुस खबरी हे.. मंजु दीदीने सबको हमारी सादीके बारेमे बता दीया हे.. तो घरपे सबलोग इस बातपे बहुत खुस हे.. भाइ.. लगता हे कोइ आ रहा हे.. मे कल फुरसतमे बात करुगी.. चलो बाय..
 
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फीर पुनमने फोन रख दीया तो थोडी देरमे राधीका भी अ‍ेक दुल्हनकी तराह सजके आगइ.. ओर आते ही उसने दरवाजा बंध करलीया.. फीर कुछ ही देरके बाद दोनो प्यारकी आगोसमे चले गये.. प्यार करते करते दोनोके जीस्मसे अ‍ेक अ‍ेक कपडे नीकलते गये.. तब लखन राधीकाका ये रुप देखकर बहुत ही उतेजीत हो गया.. ओर अंतमे दोनोके जीस्मसे आखरी वस्त्रभी नीकल गया..
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आज राधीका लखनके लंडको देखकर थोडी डर गइ.. लेकीन उतेजनाकी वजहसे कुछ नही बोली.. वो सरमके मारे लखनके लंडके साथ खेलते साथ देने लगी.. दोनो अ‍ेक दुसरेके अंगोके साथ खेलते सीक्स नाइन पोजीशनमे आगये.. ओर अ‍ेक दुसरके अंगोको मुहसे खरोदने लगे.. लखनका लंड राधीकाके मुहमे समा नही रहा था.. ओर वो आधा लंड मुहमे लेकर लोलीपोपकी तराह चुस रही थी..
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काफी देर दोनो फोर प्लेय खेलते रहे.. ओर अंतमे दोनो हेक दुसरेके मुहमे जड गये.. तो लखन राधीकाको गोदमे उठाकर बाथरुममे ले गया.. ओर दोनो अपना अपना मुह धोकर सही सो गये.. राधीका अब भी अ‍ेक नइ नवेली दुल्हनकी तराह सरमा रही थी.. जबसे लखनने उनके साथ सादी करली तबसे वो लखनकी बहुत ही रीस्पेक्ट कर रही थी.. ओर दोनो वापस बेडपे आगये.. तभी..

राधीका : (सरमाते बेडके बीच सही बैडते) जानु.. ये तो पहेलेसे भी बहुत बडा होगया हे.. मुजे कुछ होगातो नही..?

लखन : (मुस्कुराते पास आते) नही राधु.. तु खामखा डर रही हे.. हमने तो कइ बार सेक्स कीया हे.. तुजे कुछ नही होगया.. मेने आजही दो पहोरको रजीयाके साथ सेक्स कीया हे.. क्या उसे कुछ हुआ..? राधु.. सबसे पहेले तुम हीतो हो.. जीनके साथ मेने सेक्स कीया.. ओर दुसरी रजीया.. तुमने ओर रजुने मुजे सेक्सका सारा ज्ञान दीया.. तुम दोनो मेरी जींदगीका बहुत ही अहेम हीस्सा हो.. लता तो मेरी बीवी थी ही नही.. वो तो सीर्फ मुजे जरीया बनाकर भाइके लीये आइ थी.. जो उनके पास चली गइ..

राधीका : (आस्चर्यसे देखते) जानु.. क्या सचमे लता दीदी भाइके पास चली गइ..? लेकीन क्यु..?

लखन : (मुस्कुराते) राधु.. उन्होने भाइका प्यार पानेके लीये मुजसे सादी की थी.. मुजसे जुठा प्यारका नाटक कीया.. बस कुछ दिन इन्तजार करले.. जब पुनो दीदी यहा आजायेगी तब तुजे सबकुछ बता देगी.. क्युकी इस बारेमे मे कुछ ज्यादा नही जानता.. वो सीर्फ भाभीमां ओर पुनोदीदी ही जानते हे..

राधीका : (मुस्कुराते होठ चुमते) जानु.. वैसे भी आपके खानदानमे क्या चल रहा हे.. मुजे तो कुछ पता ही नही चलता.. अब तो पुनोदी मीलेगी तब ही सब पता चलेगा.. ओर वो आती भीतो नही.. बस.. सीर्फ फोनपे बात होती हे.. आप भी पुनोदीसे प्यार करते थे.. लगता हे अब आपकी मंजील बहुत करीब हे..

लखन : (मुस्कुराते) हां राधु.. आखीर पुनो मुजे मील ही गइ.. अभी अभी उनसे फोनपे बात हुइ.. वो सृतीदीदीका थोडा इस्यु चल रहा हे.. तो इसी सीलसीलेमे बात हुइ.. क्या तुमसे अ‍ेक बात पुछु..?

राधीका : (मुस्कुराते) हंम.. क्या आपको लगता हे मुजे पुछनेके लीये आपको परमीशनकी जरुरत हे..?

लखन : (होंठ चुमते) नही.. तो फीर सुनो.. राधु.. तुजे अचानक पता चलेकी तुम अ‍ेक इन्सान नही हो.. ओर आसमानसे आइ अ‍ेक परी या अप्सरा हो.. तो तुजे कैसा लगेगा..?

राधीका : (आस्चर्यसे देखते हसते) जानु.. ये कैसा सवाल हे..? क्या आजके जमानेमे ये सब बाते पोसीबल हे..? हें..हें..हें..

लखन : (मुस्कुराते) क्यु..? तुजे पुनोने वो कीताब (ये कैसी अनुभुती) पढनेके लीये नही दी थी..?

राधीका : (हसते) अरे हां.. पुनोदीदी इस बारेमे केह रही थी.. की इसका तालुक आपके खानदानसे हे.. तो क्या..?

लखन : (मुस्कुराते) हां वोही.. इसी बारेमे पुनो तुमसे बात करेगी.. तब तुजे हमारे खानदानके उपर कोइ संसय नही रहेगा.. तुजे सबकुछ पता चल जायेगाकी तुम कौन हो हम कौन हे..

राधीका : (लखनको अपने पास खीचते) हंम.. चलीये मे सब पुनो दीदीसे जान लुगी.. क्या सुहागरातमे यही सब बात करोगे..? पता हेनां हमने सादी की उनको कीतने दिन हो गये हे.. तो आज बडी मुस्कीलसे आपके साथ सुहागरात मनानेका मौका मीला हे.. अब कोइ ओर दुसरा खेल नही.. सबकुछ करलीया.. अब आजाइअ‍े मेरे उपर.. आज मे पुरी रात आपको अपने उपरसे उतरने नही हुगी.. समज गये..?

लखन : (उपर चढते) देखना.. मे सचमे उपरसे नही उतरुगा.. फीर मत कहेना.. हें..हें..हें..

राधीका : (लखनका लंड पकडकर चुतपे धीसते) हां.. नही कहुगी.. वैसे भी आज उपर हम दोनोके सीवा कोइ हे भी नही.. आज मे इतने दिनोकी सारी कशर पुरी करलुगी.. सादीसे पहेले तो हर दिन कैसे मेरी ठुकाइ करने आजाते थे.. जानु.. मुजे अ‍ैसा ही प्यार चाहीये.. जो सादीसे पहेले करते थे..

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कहा तो लखन राधीकाके होठोको चुमते उनके बुब्सको मसलने लगा.. तो राधीका भी लखनके लंडको अपनी चुतपे घीसते गीला करने लगी.. दोनो बहुत ही उतेजीत होते कामुक तरीकेसे प्यार करने लगे.. राधीका लखनके छेडनेसे मदहोस होने लगी.. वो लखनके होठोको चुमते भी आंखेको उपर चडाने लगी.. जब लंड गीला हो गया तो राधीकाने अपनी चुतके लव होलमे फसाकर लखनको अपनी बाहोमे भीच लीया..
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राधीकाकी चुत लगातार पानी छोड रही थी.. तो लखनने भी देर ना करते राधीकाके होठोको लीपलोक करलीया.. ओर अपनी कमर उची करते थोडा जोर देते अ‍ेक हल्कासा धका दीया.. तो लखनका आधा लंड राधीकाकी चुतको चीरते अंदर घुस गया.. राधीकाकी आंख बडी होगइ.. ओर वो आंखोसे लखनको मना करते अपना मुह लखनके होठोसे छुडानेकी कोसीस करते बेडपे दोनो पैर पटकने लगी..
 
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उनकी आंखसे लगातार पानी बहेने लगा.. वो हांथ पावं मारते लखनसे छुटनेकी कोसीस करने लगी.. तभी लखनने अ‍ेक ओर जटका मारदीया.. ओर अपना पुरा लंड राधीकाकी चुतमे उतार दीया.. तो राधीकाकी चीख उनके गलेमे ही अटक गइ.. ओर वो चीखते ही बेहोस होगइ.. उनकी चुतसे थोडासा खुन नीकल गया..
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लखनने भी देरना करते हाथके बल उचा हो गया.. ओर राधीकाको जोरोसे कमर हीलाते बेहोसीमे ही चोदने लगा.. ताकी राधीकाकी चुत लंडके हीसासे अ‍ेडजेस्ट होजाये.. राधीकाके दोनो बुब्स ताल मेलमे जोरोसे उछलने लगे.. लखन काफी देर राधीकाको आसानीसे चोदता रहा.. अचानक राधीकाका मुह दर्दके मारे बीगडने लगा.. ओर उसे धीरे धीरे होस आने लगी.. तो लखनने चुदाइ रोकदी.. ओर वो राधीकाके उपर लेटते उनके होठोको ओर बुब्सको बारी बारी चुमने लगा..
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राधीकाने धीरेसे अपनी आंख खोलदी.. उनको अपनी चुतपे बहुत जलन महेसुस होने लगी.. ओर उनकी आंखसे आंसु बहेने लगे.. उनको आज अ‍ेक कुआरी लडकीकी तराह अहेसास होने लगा.. जैसे पहेली बार उनका कौर्माय अपने पतीको सोपा हो.. लखन बीना कमर हीलाये अ‍ैसे ही राधीकाके होठोको चुमने लगा.. तो कुछ देरके बाद राधीका भी उनका साथ देने लगी..
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अब राधीकाको दर्दसे काफी राहत महेसुस होने लगी.. ओर वो धीरे धीरे करते लखनकी पीठको सहेलाने लगी.. वो अबभी सरमके मारे लखनसे नजरे चुरा रही थी.. क्युकी आज लखनने उसे अ‍ेक कुआरी लडकीका अहेसास करवा दीया था.. वो ये सोचकर मन ही मन खुस होने लगी.. की चलो.. मेने अ‍ेक सही आदमीसे सादी करली हे.. जो मुजे जींदगी भर खुस रख पायेगा.. तभी..

लखन : (मुस्कुराते) राधु.. अब कैसा लग रहा हे..? दर्द कम हुआ..?

राधीका : (सरमसे सरको हां मे हीलाते) हां जानु.. थेन्क्यु.. मुजे लगता हे आज सही मायनोमे मेरा कौमार्य भंग हुआ हे.. आज आपने मुजे अ‍ेक लडकीका अहेसास करवा दीया.. थेन्क्यु सो मच..

कहेते राधीका लखनको जोरोसे अपनी बाहोमे भीच लेती हे.. ओर लखनके चहेरेको चुमने लगती हे.. तब लखनका लंड भी राधीकाकी चुतमे ठुमकी मारने लगा.. ओर लखन धीरे धीरे अपनी कमर हीलाते राधीकाको फीरसे चोदने लगा.. तो कुछ ही देरके बाद दोनोके बीच धमासान चुदाइ हो रही थी.. लखनने अब तक राधीकाको दो दो बार जडा दीया था.. ओर अभी दोनो अपने चरमपे पहोंचनेकी कगारपे थे..

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राधीका लखनको ओर जोरोसे चोदनेके लीये उक्सा रही थी.. तो लखन जोरोसे कमर हीलाते राधीकाको चोदने लगा.. अचानक राधीकाका तन अकडने लगा.. ओर वो लखनको जोरोसे अपनी बाहोमे भीच लेती हे.. तभी लखनका लावा भी फुट पडा.. ओर लंबी लंबी पीचकारीया छोडते राधीकाकी चुतको भरने लगा.. राधीकाको भी अपनी बच्चेदानीपे गरम महेसुस हुआ.. ओर वो भी कांपते हुअ‍े जडने लगी..
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दोनो अपने चरमपे पहोंच गये.. लखन राधीकाके सीनेपे ढेर हो गया तो राधीका लखनकी पीठको सहेलाने लगी.. दोनो अपनी सांसको दुरस्त करते अ‍ैसे ही पडे रहे.. राधीकाको नही पता थाकी अब ये लखन पहेले वाला लखन नही रहा.. उनकी चुतमे लखनके हजारो सुक्राणु राधीकाके गर्भके बीजको मीलनेके लीये होड लगा रहे थे.. सृतीने पुनमको सही कहा था.. की लखन कीसीको अ‍ेक ही बारमे प्रेगनेन्ट कर सकता हे..
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तो दुसरी ओर पुनम अब लखनके साथ सादीके सपने देखने लगी थी.. क्युकी धिरेनके साथ उनकी सादी ज्यादा दिन नही चली.. तीन महीनेमे ही उनका डीवोर्स हो गया.. जब धिरेनसे सादीकी उनके अ‍ेक महीने पहेले ही देवायतसे प्रेगनेन्ट होचुकी थी.. आज उनका चोथा महीना चल रहा था.. ओर अब तो देवायतकी इतनी सादीयोकी वजहसे उनसे भी सभी रीलेशन खतम होगया था..

ओर जबसे मंजुने उनको अपनी पहेचान करवाते शक्तिया दी.. तबसे वो लखनको पहेचान गइ थी की लखन ही बबलु हे.. ओर वो उनकी पीयु.. इसी वजहसे उन्होने लखनको जडीबुटी दी.. ताकी भवीस्यमे उनकी सेक्स लाइफ अच्छी तराह बीते.. तबसे लखनकी ओर ढलने लगी थी.. उपरसे मंजुने घरकी सभी ओरतोको लखनके साथ रीलेशनकी छुट देदी.. लखनसे यारका भी इजहार करलीया..

तबसे वो सीर्फ लखनके सपने ही देख रही थी.. ओर सादीसे पहेले लखनके साथ मीलन करनेके लीये उत्सुक थी.. लखनके बारेमे बार बार सोचते उनकी चुत फडफडाते गील होजाती थी.. जो अभी लखन ओर राधीकाके उपर नजर जमाये बैठी हुइ थी.. ओर दोनोकी चुदाइ देखकर वो भी काफी गरम हो चुकी थी.. लखन ओर राधीका अपने चरमो पे पहोंच गये..

वो सोनेसे पहेले चेन्ज करने बाथरुममे घुस गइ.. ओर लखनके लंडको इमेजींग करते अपनी चुतमे उंगली करने लगी.. जब जड गइ तो सांत होते ही वो बहुत ही सरमाइ.. ओर मुस्कुराते चेन्ज करके अपने बीस्तरपे आ गइ.. तब वहा लता.. ओर भावना भी अ‍ेक दुसरेसे चीपकके सोइ हुइ थी.. क्युकी अब चंदाके आजानेकी वजहसे भावना देवायतके साथ नही सो रही थी.. ओर उनकी जगह अब दयाने लेली थी..
 
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उस रात मंजुने देवायतको पुछकर पहेली बार चंदाको नींदकी गोली देकर सुला दीया.. लेकीन फीर भी चंदाको लेकर देवायतका मुड आज ठीक नही था.. तो दया ओर मंजु भी समज गइ.. ओर सबलोग अ‍ैसे ही सो गये.. भावना लता भी पुनमसे बाते करते नींदकी आगोसमे चली गइ.. लेकीन पुनमकी आंखोसे नींद कोसो दुर थी.. वो धीरेसे चलकर बहार नीकल गइ.. ओर अंधेरेमे होलमे जाकर बैठ गइ.. ओर उसने देर रात सृतीको फोन लगा दीया..

सृती : (धीरेसे) हां दीदी.. बहुत देर करदी आपने.. मे आपके ही फोनका इन्तजार कर रही थी.. सो गये सब..?

पुनम : (धीरेसे) हां दीदी.. तभी तो मे होलमे आकर आपसे बात कर रही हु.. सो गइ थी क्या..?

सृती : (मुस्कुराते धीरेसे) अरे नहीं दीदी.. आपकी तराह मुजे भी नींद कहा आती हे.. तो जागते पडी थी.. कहीये..

पुनम : (मुस्कुराते धीरेसे) दीदी.. आपको अ‍ेक खुस खबर देनी थी.. तो मुजसे रहा नही गया ओर फोन कदीया..

सृती : (मुस्कुराते) अरे वाह.. अ‍ैसी भी क्या खुस खबर हे जो मेरी दीदीने इतनी रातको फोन कीया.. हें..हें..हें..

पुनम : (सरमाते धीरेसे) दीदी.. मंजुदी मेरी सादी लखन भैयासे करवाना चाहती हे.. ओर ये बात आज उसने सबको बता दीया.. तो इस रीस्तेसे सब लोग बहुत खुस हुअ‍े..

सृती : (खुस होते) क्या..? सब राजी होगये..? क्या चंदादीदी भी.. मतलब.. उनको सब पता चल गया..?

पुनम : (धीरेसे) हां दीदी.. क्या बताउ..? आज उनकी धिरेनसे बात हुइ.. तो वो बहुत ही अपसेट होगइ हे.. ओर अ‍ेक बार बेहोस भी होगइ थी.. तो भुमी आंटीने उनको सरबत पीलाया.. खैर.. छोडीये ये सब.. कहीये.. क्या केह रहे थे भाइ..? वहा आयेथेनां..?

सृती : हां.. कुछ नही.. वो तो मुजे सोरी बोल रहे थे.. केह रहे थे.. भाभीमांने तो मुजे आपको कानके नीचे अ‍ेक देकर आपको घसीटकर लानेको कहा हे.. लेकीन मे अ‍ैसा करना नही चाहता.. हें..हें..हें.. दीदी.. वो बहुत ही अकडके बात कर रहे थे.. तो मुजे तो बहुत हसी आरही थी.. बडी मुस्कीलसे हसीको रोखके रखी..

पुनम : (मुस्कुराते) अच्छा..? आप उनसे क्या केह रही थी..? जरा वो सर्तके बारेमे बताइअ‍ेतो..?

सृती : (सरमाकर हसते) अच्छा तो आपको सब पता चल गया.. क्या करु.. सोचा मे भी थोडी मस्तीया करलु.. लेकीन वोतो बहारसे ही चले गये.. अंदर भी नही आये.. दीदी.. वो कीतना क्युट लग रहे थे.. मेरा तो मनथा उनको यही रोकलु.. मेने उनको रोकनेकी कोसीस भी की.. लेकीन नही रुके.. खैर जाने दीजीये.. ओर कहीये.. चंदा दीदी अब कैसी हे..?

पुनम : (धीरेसे) दीदी.. देर साम धिरेनने भाभीको फोन कीया था.. भाभीने उसे खुब खरी ओटी सुनाइ.. ओर जायदासे बेदखल करनेकी बात की.. तो उनके केरेक्टरके बारेमे भी भला बुरा कहेने लगा.. ओर भाभी उनपे बहुत गुस्से होगइ.. उनका बीपी भी बढ गया था ओर वो बेहोस होगइ थी.. दीदी.. लगता हे चंदा भाभीकी तबीयत ठीक नही हे.. वो सारा दिन विजयको लेकर बैठी रही.. ओर उसे अपना दुध पीलाने लगती हे.. तो लगता हे उनकी दिमागी हालत भी ठीक नही हे..

सृती : (आस्चर्यसे) दीदी.. क्या केह रही हो..? इतना कुछ हो गया.. तो फीर आपको मुजे बताना चाहीयेनां..? दीदी.. उनको कीसी साइक्रीयाके डोक्टरको दीखाना चाहीये.. तभी वो ठीक हो पायेगी..

पुनम : दीदी.. इसीलीये तो आपको फोन कीया.. मे कल मंजु दीदीसे बात करलुगी.. ओर अब हो सके तो आप भी हमारे घरपे आजाओ.. अ‍ेकना अ‍ेक दिन तो आना ही हे.. तो फीर अभी क्यु नही..?

सृती : हां दीदी.. सच कहा आपने.. मे आजाउगी.. आप लोग चंदा दीदीको लेकर यहा आओ तो मुजे कोल करदेना.. मे भी आजाउगी.. बस.. मम्मी ओर देवुसे थोडी नाराजगी हे.. लेकीन मुजे उनकी परवा नही हे.. बस.. चंदा दीदी जल्द ठीक होजाये..

पुनम : (धीरेसे) दीदी.. कुछ बात हे जो मे अभी आपको बता नही सकती.. सीर्फ इतना कहुगी.. वो अ‍ैसे तो ठीक नही होगी.. बस.. अ‍ेक हादसेने उनका दिमाग खराब करदीया.. ओर दुसरे हादसेसे वो ठीक होजायेगी..

सृती : (मुस्कुराते) दीदी.. आपकी ओर मंजुकी बात जटसे समजमे नही आती.. पता नही आप कौनसे हादसेकी बात कर रही हो..? इनसे पहेले भी मंजु दीदी या फीर आपसे ये बात हुइ थी.. लेकीन मेतो सब भुल जाती हु.. कुछ याद ही नही रहेता.. अब तो उनको भी कुछ नही पुछ सकती.. दीदी.. अ‍ेक बात कहु..? भले ही मे प्रेगनेन्ट होगइ.. लेकीन मुजे मां बननेकी इतनी खुसी क्यु नही होती..? कोइ खास रीजन..?

पुनम : (मुस्कुराते धीरेसे) दीदी.. रीजन तो हे.. लेकीन मे ओर मंजुदीदी सीर्फ जान जाती हे.. उनको टाल नही सकती.. बस.. अ‍ेक हादसा आपके साथ भी हो सकता हे.. तो कल आप अपना खयाल रखीयेगा.. हें..हें..हें.. ओर बाकी आपके प्रेगनेन्ट होनेकी बात.. तो मे वहा आउगी तब आपको रुबरु मीलकर बताउगी..

सृती : (मुस्कुराते) दीदी.. तो फीर आप कीस हादसेकी बात कर रही थी..? तो बताइअ‍ेनां ताकी मे सतर्क रेह सकु..

पुनम : (मुस्कुराते) दीदी.. मेने कहाना हम उसे टाल नही सकते.. मे तो सीर्फ आपको आगाह कर रही हु.. क्या पता उसी हादसे से आपकी जींदगी बदल जाये.. तो कभी कभी अ‍ैसे हादसे हमारी जींदगीके लीये बहुत जरुरी हे.. जैसे मेरे ओर धिरेनके बीच हुआ.. चलीये रात बहुत होगइ हे.. तो फीर सोना भी हे.. बस.. जानेसे पहेले इतना बता देती हु.. की आपकी मंजील बहुत करीब हे.. दीदी.. बेस्ट ओफ लक.. गुड नाइट..
 
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dilavar

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कहेते पुनमने फोन काट दीया तो सृती फोनकी ओर देखकर हसने लगी.. फीर वो भी सोनेकी कोसीस करने लगी.. उधर पुनम भी अपने रुममे जाकर सोगइ.. तो इधर लखन बीना लंड बहार नीकाले राधीकाकी दुसरी बार धामेकेदार चुदाइ कर रहा था.. इस पुरी रात सुबह चार बजे तब लखन राधीकाकी चुतमे धमाके करता रहा.. ओर उनकी चुतको अपने गाढे पानीसे भरता रहा..

पुरी रातमे लखनने राधीकाकी अलग अलग पोजीशन चार बार चुदाइ करली.. जो अ‍ेक साथ कभी नही हुइ थी.. लखनकी स्टेमीना देखकर राधीका भी खुस होगइ.. हांलाकी उनकी इतनी बार चुदाइसे वो पुरी तराह थक चुकी थी.. लखनने राधीकाके अ‍ेक अ‍ेक अंगको जंजोरके रख दीया था.. ओर राधीकाकी चुत सुजके पांव जैसी होगइ थी.. फीर दोनो कंपलीट होकर अ‍ेक दुसरेकी बाहोमे सो गये..

तो इधर हवेलीपे सबलोग गहेरी नींदमे सो रहे थे.. चंदाको दी हुइ नींदकी गोलीका पावर उतर गया था.. तब उसने आंख खोली.. तो साथमे विजयको सोते हुअ‍े पाया.. ओर चंदा जटसे विजयको अपनी आगोसमे ले लेती हे.. ओर उसे ब्लाउस उचा करके अपना दुध पीलाने लगी.. उसे सामको धिरेनसे हुइ बाते याद आने लगी.. तो चंदाके सरमे दर्द होने लगा.. ओर वो जटसे खडी होगइ.. ओर देवायतको जगाने लगी..

चंदा : (देवायतको हीलाते) देवु.. ओ देवु.. देवु.. उठो.. सजा दो मुजे.. देवु.. चोदो मुजे.. मे आपकी रंडी हु.. देवु.. उठो.. मुजे चोदलो..

देवायत : (हडबडाते जागते) हंम.. हां.. हां.. चंदा.. क्या हुआ..? हंम.. चंदा.. कुछ हुआ हे क्या..?

चंदा : (हांमे सर हीलाते जोरोसे) देवु.. उठो.. देखो.. आपके सामने आपकी रंडी खडी हे.. चोदो मुजे.. देवु.. सजादो मुजे..

चंदा पागलपन करने लगी.. उनकी जोरोकी आवाज सुनते मंजु ओर दया भी जाग गइ.. दोनो जटसे बेडपे बैठगइ ओर देखने लगी.. तो चंदा देवायतसे गीड गीडाते उसे चोदनेकी मनते कर रही थी.. मंजु चंदाका पागलपन देखकर सबकुछ समज जाती हे.. ओर वो जटसे खडी होकर अ‍ेक नीदकी गोली ओर पानी लेकर चंदाको पीलनेकी कोसीस करती हे.. लेकीन चंदा जोरोसे आवाज लगाते देवायतको सजा देनेको कहेते उसे चोदनीकी बाते करती रहेती हे..

मंजुके रुमसे सोरकी आवाज सुनकर पुनम भावना ओर लताभी जाग जाती हे.. ओर बहार नीकलती हे.. नीर्मला ओर भुमीका भी मंजुके रुमकी ओर जाते दीखाइ पडती हे.. तो पुनम भावना ओर लता भी वही जाने लगी.. तभी नीर्मला मंजुका दरवजा खटखटाते दरवाजा खोलनेके लीये कहेती हे.. तो दया दरवाजा खोल देती हे तो सबलोग अंदर आजाते हे.. तो चंदा नीर्मलाको देखकर उनके पास आती हे..

चंदा : (नीर्मलाको हीलाते) दीदी.. देवुको कहीयेनां मुजे सजादे.. धिरेन केह रहा था मे इनकी रंडी हु.. इसे कहो मुजे चोदले..

नीर्मला : (चंदाको चांटा मारते जोरोसे) चंदा.. होसमे आओ.. ये क्या पागइपन हे..?

मंजुला : (पास आते) मोम.. आप इसे इस गोली पीला दीजीये.. अभी वापस सोजयेगी.. हम इसे सुबह दीखानेके लीये सहेर लेजायेगे..

भुमीका : (थोडी चीन्तासे) मंजु बेटा.. इसे नींदकी गोली मत दे.. हमे सुबह तक क्यु इन्तजार करना.. इसे अभी होस्पीटल ले चलो.. (पुनमकी ओर देखते) पुनम बेटा.. तुम सृतीको फोन करदे..

मंजुला : (जटसे) नही पुनो.. उन कमीनीको फोन मत करना.. हम कोइ दिमागके डोक्टरको दीखा देगे.. (देवायतको) देवु.. आप फटाफट तैयार होजाओ.. हम अभी नीकलते हे..

पुनम : (धीरेसे) दीदी.. क्या मे भाइको फोन करदु..?

मंजुला : हां पुनो.. तु लखनको फोन करदे.. कहेना हम चंदा दीदीको लेकर आ रहे हे..

चंदा : (आस्चर्यसे देखते) अरे..? मुजे क्या हुआ हे.. जो आप लोग मुजे होस्पीटल लेजा रहे हो.. दी..दी.. मेरा सर फटा जा रहा हे..

भुमीका : (सरको सहेलाते) मेरी बच्ची तुजे कुछ नही हुआ.. चल मे ओर नीमु भी साथ आ रही हे..

साथमे कोन आ रहा हे कोन नही.. इनकी प्लानींग हो रही थी तब देवायत भी बाथरुममे घुस चुका था.. ओर नहाकर कंपलीट हो रहा था.. तबतक बहारकी ओर चंदाको लेकर देवायतके साथ मंजु नीर्मला ओर भुमीकाने जानेका तैय करलीया.. तो भुमीका ओर नीर्मला भी जानेके लीये तैयार होने चली गइ.. जैसे ही देवायत बहार नीकला तो मंजु भी बाथरुममे घुस गइ.. ओर भावना पुनम चंदाको सम्हालके बैठे थे..

जबतक मंजु नहाकर कंपलीट होगइ.. तबतक पुनमने लखनको फोन करदीया था.. तो लखन भी अभी अभी सोया था तो वोभी पुनमकी बात सुनकर थोडा गभरा गया.. ओर वो भी रेडी होने बाथरुममे चला गया.. इधर सब कंपलीट हो गये.. तो मंजुने विजयको सम्हालनेके लीये पुनमको देदीया.. ओर चंदा मंजु नीर्मला ओर भुमीको लेकर देवायत सहेरकी ओर नीकल गया....

कन्टीन्यु
 
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