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Incest रिस्तो मे प्यारकी अनुभुती

dilavar

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दोस्तो आप सभी पाठकोने मेरी पहेली कहानी ये केसी अनुभुती आप लोगोने मुजे उत्साहीत करके जो प्यार दीया और आप लोगोने मुजे दुसरी कहानी रिस्तो मे प्यारकी अनुभुती लीखनेको प्ररीत कीया मे आप सभी लोगोका दीलसे आभार व्यक्त करके स्वागत करता हु और आपहीकी डिमांडपे आज दुसरी कहानी लीखने जा रहा हु यही समजलो ये कहानीका दुसरा पार्ट हे आशा हे आप लोग मुजे कोमेन्ट करते उत्साहीत करके वोही प्यार देगे

जाहीरसी बात हे मेने मेरी पहेली कहानी
ये केसी अनुभुती मेंही दुसरी कहानीका उलेख करदीया था तो इस कहानीमे वोही केरेक्टर दुसरे जन्म लेके आयेहे ओर यही सब शक्तिया इस जन्ममे प्राप्त करेगे पर इस बार कहानीमे इन्सेस्ट रीलेशनके साथ भरपुर प्यार (सेक्स) ओर अ‍ेक्शनभी होगा ताकी कहानीमे थोडा सस्पेन्स बना रहे ओर सब केरेक्टरका जरुरतके हीसाबसे बीच बीचमे परीचय देता रहुगा ताकी सब केरेक्टरको आप याद रख सके
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रिस्तोमे प्यारकी अनुभुती
अध्याय - २३६

पुनम जाने लगी.. तो लखनने उनका हाथ पकडलीया ओर खडा होकर अ‍ेक बार फीर पुनमको अपनी बाहोमे भर लीया ओर उनके होठोको चुमने लगा.. पुनम अ‍ेक बार फीर सर्मसार होगइ.. ओर लखनकी ओर मुस्कुराते उनकी बाहोसे आजाद होते चली गइ.. लखन उनको जाते हुअ‍े देखता रहा.. तभी पुनमने दरवाजेके पास पलटकर देखा ओर लखनको हसते हुअ‍े फ्लाइंग कीस देकर अंदर चली गइ.... अब आगे

तो लखन भी मुस्कुराते दबे पांव सीडीया चडते उपर चला गया.. ओर जाकर सो गया.. अ‍ैसे ही रातके चार बजनेको आये.. तभी देवायतके फोनकी रींग बजने लगी.. तो मंजुने फोन उठालीया.. देखा तो रेमशका फोन था.. तो मंजुने देवायतको जगाकर फोन पकडा दीया ओर वो बाथरुममे चली गइ.. तब देवायतने रमेशसे बार करली.. ओर फटाफट उठकर वो भी बाथरुममे घुस गया तो मंजु नहा रही थी..

मंजुको देखते ही देवायत उनको पीछेसे अपनी बाहोमे भरलेता हे.. ओर मंजुके गलेको चुमने लगता हे.. मंजु भी मदहोस होते मुस्कराने लगती हे.. ओर पलटकर देवायतकी बाहोमे समा जाती हे.. सावरका पानी दोनोके उपर गीरने लगा.. ओर देवायत मंजुके होठ आपसमे मील गये.. मंजु होठोपे कीस करते वासनाकी नजरोसे देखने लगी.. ओर देवायतके लंडको दोनो मुठीमे पकडकर सहेलाने लगी..

मंजुला : (कामुक्तासे) भाइ.. रातमे चंदा दीदीकी वजहसे मेरी बारी तो आइ ही नही.. अ‍ेक बार मुजे अच्छेसे चोदलो.. फीर आपको जाना भी हे.. आप नहालो तबतक मे आपको चाइ बना देती हु..

तभी देवायतने वही खडे खडे मंजुका अ‍ेक पैर अपने हाथोमे फसालीया.. तो मंजुने भी लंडको अपकडकर अपनी चुतके छेदपे रख दीया.. देवायत मंजुको वही खडे खडे चुतमे लंड घुसाके चोदने लगा.. तो मंजु भी मदहोसीमे मुस्कुराते चुदाइका आनंद लेने लगी.. वो बहुत ही उतेजीत हो चुकी थी.. फीर कुछ देरकी चुदाइके बाद मंजुने देवायतको कसके अपनी बाहोमे भीचलीया..

देवायतके होठोको जोरोसे चुमते जडने लगी.. फीर सांत होकर अपना सर देवायतके कंधेपे रख दीया.. फीर भी देवायत उनको चोदता रहा.. अब मंजु थोडा थक गइ.. तो उसने देवायतको वही बाथ टबपे बीठा दीया ओर देवायतके लंडको अपनी चुतकी सुराखपे रखते खुद उनकी कमरपे बैठकर धीरे धीरे उछलते देवायतसे चुदाइ करवाने लगी.. काफी देरकी चुदाइके बाद दोनो साथमे जड गये..

मंजुला : (मुस्कुराते खडी होकर) भाइ.. पहेले मुजे नहाने दो.. फीर आप नहा लेना.. तबतक मे लखन ओर नीलुको भी जगाती हु.. आप उनको छोडकर वापस कीतने बजे आओगे..?

देवायत : (लंडको साफ करते) मंजु.. बस.. छोडकर ही वापस आजाउगा.. वरना कीसीको पता चलेगा तो खामखा हंगामा होजायेगा.. उनका घर हमारी सोसायटीके पास ही हे..

फीर मंजु फटाफट नहाकर नीकल जाती हे.. ओर कंपलीट होकर उपर लखन ओर नीलमको भी जगा देती हे.. फीर चाइ बनाने कीचनमे चली गइ.. तो कुछ देरके बाद लखन नीलम ओर देवायत तीनो कंपलीट होकर बहार आगये.. तो मंजुने तीनोको चाइ नास्ता दीया.. अ‍ेक बार फीर देवायतके फोनकी रींग बजने लगी.. तो देवायतने रमेशसे बात करली.. तबतक मंजु धीरेसे नीलमसे बात करती रही..

तो दुसरी ओर रमेशने जागते ही पहेले देवायतको फोन करके जगा दीया.. ओर फीर नहाने चला गया.. तो दुसरी ओर जया भी पुरी रात सो नही पाइ थी.. ओर अपने बीस्तरपे करवटे बदलती रही.. आज उनके लीये बडी मुस्कीलसे साडे तीन बजे.. ओर वो भी खडी होकर नहाने चली गइ.. उसने अपने कपडेकी बेगको रातमे ही भरके तैयार करलीया था.. तब उनको नही पता थाकी सांती ओर जागृतीभी जाग चुकी हे..

जब जया नहाकर कंपलीट होगइ.. तभी अचानक उनके रुममे सांती ओर जागृती आगइ.. ओर सांतीने रुमका दरवाजा बंध करलीया.. फीर दोडकर जयाके गले लग गइ.. जयाकी आंखसे आंसु नीकलने लगे.. तो जागृती भी जयासे लीपट गइ.. ओर आंसु बहाने लगी.. जैसे दोनो जयाको इस घरसे बीदा कर रही हो..

जया : (आंसु पोछते) बेटा.. हो सकेतो तुम दोनो मुजे माफ करदेनां.. मुजे मजबुरीमे ये कदम उठाना पड रहा हे.. क्युकी मेरे पेटमे रमेशका बच्चा पल रहा हे..

जागृती : मोम.. हम जानती हेकी आप प्रेगनेन्ट हे.. अभी आपकी उमर ही क्या हे..? आप पापाके बीना कैसे अपनी सारी जींदगी बीता पाओगी.. हमे आपसे कोइ गीला सीकवा नही.. आप जीलो अपनी जींदगी..

सांती : (अपने आंसु पोछते) हां मम्मीजी.. आप अपने बेटेकी फीकर मत करना..उसे हम दोनो समजा देगी.. ओर पापाने भी कहा था.. अगर आप सादी करोगी तो आपको कोइ कुछ ना कहे..

जागृती : (नजरे जुकाते धीरेसे) मम्मी.. मुजे आपके जानेसे पहेले आपसे अ‍ेक बात कहेनी हे..

जया : (मुस्कुराते) हां.. बोल मेरी बच्ची.. क्या कहेना हे..

जागृती : (सरमाते धीरेसे) मम्मी.. वो.. वो.. मे.. मे.. भाइसे सादी कर रही हु..

जया : (सोक्ट होते अ‍ेक नजरसे) क्या..?

सांती : (मुस्कुराते) हां मम्मी.. मेनेही जागुको कहा हे.. हम दोनो बहेने मीलकर हमारे बंसीको सम्हाल लेगे..

कहा तो अ‍ेक पलतो जया सोक्ट होते जागृती ओर सांतीको अ‍ेक नजरसे देखती रही.. फीर कुछ सोचकर मंद मंद मुस्कराने लगी.. ओर जागृतीके पास आपकर उनको गले लगा लेती हे.. फीर अलग होकर उनके गालको सहेलाने लगती हे.. जैसे वो अपने बंसीकी बहु हो.. तो जागृती भी मुस्कुराते सर्मसार होजाती हे.. फीर अलग होते ही जागृतीके सरको चुम लेती हे.. ओर मुस्कुराते दोनोको कहेती हे..

जया : (मुस्कुराते) जीती रहो मेरी बच्ची.. बेटा.. तुमने सही नीर्णय लीया.. अब मुजे तुम दोनोकी ओर बंसीकी चीन्ता नही हे.. मुजे पता हे तुम दोनो मेरे बंसीको सम्हाल लोगी.. खुस रहो दोनो.. बस.. कभी कभी दोनो मुजसे फोनपे बाते करती रहेना.. ओर सुनो.. मेने मेरे कुछ गहेने यहा छोडे हे.. तो दोनो बहु उसे बांट लेना.. चलो अब मे चलती हु.. क्या बंसी जाग गया हे..?

सांती : (मुस्कुराते) नही मम्मीजी.. वो तो सोये पडे हे.. बस.. हम दोनोको आपको मीलनेका मन कीया तो आ गइ..

जया : (मुस्कुराते) अच्छा कीया बेटा.. अब मे भी सुकुनसे जाउगी.. आज मेरी दो दो बहु होगइ हे.. दोनो अखंड सोभाग्य रहो.. ओर जल्दही मुजे अच्छी खबर सुनाना.. चलो मे चलती हु..

सांती : (मुस्कुराते धीरेसे) सुनाना दीदी.. मम्मीजीने क्या कहा..? अब तो अपनालो मेरे बंसीको..

जागृती : (सर्मसार होते धीरेसे) क्या दी.. आप भीनां..

जया : (दोनोके सरपे हाथ रखते धीरेसे) अच्छा चलो बेटा मे चलती हु..

जया अपनी बेग लेकर रातके अंधेरेमे रमेशके घरकी ओर नीकल जाती हे.. तब सांती ओर जागृती उनको जाते हुअ‍े देखती रही.. फीर दोनो अ‍ेक दुसरेके गले मीलते आंसु बहाने लगी.. फीर दोनो कीचनमे चली गइ.. तबतक जया भी रमेशके घर पहोंच चुकी थी.. रमेश उनकाही इन्तजार करते बैठा था.. ओर जयाके आते ही वो भी दो बेग लेकर बहार नीकल गया ओर घरको ताला लगा दीया..
 
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dilavar

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दोनो ही रातके अंधेरेमे गांवके बहारकी ओर पैदल चलने लगे.. दोनोमेसे कोइ कुछ नही बोल रहा था.. दोनो चलते गांवके काफी बहार नीकल गये.. ओर अ‍ेक पेडके नीचे खडे होकर देवायतका इन्तजार करने लगे.. रमेशने अ‍ेक बार फीर देवायतको फोन करदीया तभी देवायत नास्ता कर रहा था.. तो दोनो इनका इन्तजार करते रातके अंधेरेमे वही खडे रहे..

इधर हवेलीमे तीनोने चाइ नास्ता करलीया तो लखन मंजुके पैर छुने लगा.. तो नीलम भी मुस्कुराते मंजुके गले लग गइ.. तो मंजुने उनके गालको चुम लीया.. तो देवायत ओर लखन मंजुका नीलमके प्रती इतना प्यार देखकर आस्चर्यसे मंजुकी ओर देखते रहे.. फीर तीनो ही बहारकी ओर जाने लगे.. देवायत कारकी ओर चल पडा तभी पुनमके रुमका दरवाजा खुला ओर पुनम जटसे बहार आगइ..

तो वहा मंजुको देखकर सरमाते रुक गइ.. मंजु सब समज गइ.. फीर लखनकी ओर देखते हसने लगी.. ओर उसने लखनको आंखोके इसारोसे पुनमको मीलनेके लीये कहा तो लखन भी सरमा गया.. ओर मुस्कुराते पुनमकी ओर जाने लगा.. तो पुनमसे भी रहा नही गया.. ओर वो दोडकर लखनकी बाहोमे समा गइ.. लखनके सीनेमे सर रखते आंसु बहाने लगी.. तभी मंजु भी उनके पास आगइ.. ओर पुनमके सरको सहेलाने लगी..

मंजुला : (मुस्कुराते) मेरी बच्ची.. तु फीकर मत कर.. मे तुजे भी जल्द लखनके पास भेज दुगी.. क्या तुमने उस कुतीसे बात करली..?

पुनम : (सरमाते अलग होते) नही दीदी.. अभी वो जागेगी.. तो उनसे बात करलुगी.. लखन भैया वहा जाते ही उनको लेने जायेगे.. मेने सृतीदीदीको घर वापस लानेके लीये भैयाको केह दीया हे..

मंजुला : (मुस्कुराते) क्या अभी भी लखनको भाइ केह रही हो..? हें..हें..हें..

पुनम : (सर्मसार नजर जुकाते) हां दीदी.. मेने भाइसे प्यार कीया हे.. ओर लखन भैयाभी अपनी बहेनको प्यार करते हे.. तो मे इसे आपकी तराह भाइ ही कहुगी.. ओर लखन भैया भी वही चाहते हे..

मंजुला : (हसते) अच्छा..? तुजे तो पता हे हमारी कीस्मतमे भाइका प्यार ही लीखा हे.. ठीक हे मेरी बच्ची.. अब जानेदे इनको.. देर हो रही हे.. आज तेरा भाइ कीसीका उधार करने जा रहे हे.. तुजेतो सब पता हे..

पुनम : (सरमाकर हसते) जी दीदी.. बाय भैया.. बाय नीलु.. अपना खयाल रखना..

मंजुला : (लखन नीलमके जाते ही मुस्कुराते) अब भी नीलुसे इतना लगाव..?

पुनम : (मुस्कुराते) दीदी.. आपने भी तो उनको अपनी बेटी माना हे.. मे तो इस नीलुकी सुक्रगुजार हु.. जीनकी वजहसे मुजे भाइका प्यार मील गया.. बस.. कुछ देरके लीये अपनी मांकी बातोमे आगइ थी..

मंजुला : (मुस्कुराते) पुनो.. तुजे पता हेना.. ये भी लखनकी सीक्रेट बीवी होगी.. हंम..?

पुनम : (मुस्कुराते) हां दीदी.. आपकी कृपासे मुजे सब कुछ पता हे.. मुजे नीलुसे कोइ गीला सीकवा नही..

मंजुला : (मुस्कुराते सरपे हाथ रखते) अच्छा.. मुजे पता हे मेरा लखन बेटा ओर मेरी ये बहु.. सब अच्छेसे सम्हाल लेगे.. बेटा.. मुजे तुम दोनोपे बहुत नाज हे.. मेने सोचा तुम दोनो अ‍ेक दुसरेके बगैर नही रेह पाओगे.. लेकीन कल रात तुम दोनोने ही अपने आपपे बहुत कंट्रोल रखा.. चल जा नहाकर कंपलीट होजा.. ओर वो लताको भी जगादे.. मे भावुको जगाकर आती हु..

पुनम : (जोरोसे गले लगाते) मोम.. आइ लव यु..

मंजुला : (जोरोसे बाहोमे भीचते हसते धीरेसे) अच्छा..? दीदीसे अब सीधा मोम..? हें..हें..हें..

पुनम : (सरमाते मुस्कुराते) हां मोम.. आप मेरे लखनकी मां हो.. मेरी सांस.. अबसे मे आपको मोम ही कहुगी..

मंजुला : (प्यारसे गाल सहेलाते) ठीक हे मेरी बच्ची.. मे बहुत जल्द तेरी सादी मेरे बेटेसे करवा दुगी..

पुनम अपने रुममे चली गइ.. ओर मंजुला उपरकी ओर जाने लगी.. तबतक देवायत लखन ओर नीलम कारमे बैठकर नीकल चुके थे.. पुरे गांवमे इस वक्त सन्नाटा छाया हुआ था.. जैसे ही वो गांवके बहार नीकले.. दुर अ‍ेक पेडके नीचे देवायतने रमेश ओर जयाको खडे देखलीया.. तो देवायतने कारको वही उनके पास रोकदी तो दोनो अपना सामान लेकर कारमे बैठ गये.. तभी जया लखनको देखते ही थोडी डर गइ..

लखन : (मुस्कुराते) भाभी.. फीकर मत करो.. मुजे सब पता हे.. मे बंसीको कुछ नही कहुगा.. डरीये मत..

रमेश : (मुस्कुराते) हां भाइ.. ध्यान रखना.. जबतक हम दोनोकी सादी नही होजाती तबतक उसे कुछ मत कहेना.. हम जाते ही सादी करलेगे.. भाइ.. आप वहा रुकोगेनां..?

देवायत : (मुस्कुराते) नही रमेश.. मे तुम दोनोको छोडकर नीकल जाउगा.. ओर सुबह होनेसे पहेले वापस आजाउगा.. वहा सम्हालनेके लीये लखन हेनां.. अगर यहा कोइ जरुरत पडे तो तुम लखनको फोन करदेना.. वो वही हे.. पास हीकी सोसायटीमे.. ओर सुन.. कभी कभी लखनके घरपे आते जाते रहेना.. या फीर भाभीको वहा भेज देना.. ताकी इनको वहा अकेला ना लगे..

जया : (सरमाते धीरेसे) देवरजी.. आप जरा बंसीको सम्हाल लेना.. क्या हेना अभी तक उनको तो कुछ पता ही नही हे..

लखन : (मुस्कुराते) भाभी.. आप बंसीकी फीकर मत करो.. भैया उनसे बात करलेगे.. ओर मेभी उनको सब समजा दुगा.. वो आपको कुछ नही कहेगा..

रमेश : भाइ.. आप चारु ओर वंदुका भी खयाल रखना.. क्या वंदु आपसे सादी करना चाहती हेनां..?

देवायत : (मुस्कुराते) हां रमेश.. तु उन दोनोकी चीन्ता छोडदे.. अब वो दोनोकी सब जीम्वेवारी मेरी ओर लखनकी हे.. क्यु लखन..? रमेश.. अब तो वैसे भी गांवमे इस तराके बहुत बदलाव होने लगे हे.. तो तुम दोनो वहाकी कोइ चीन्ता मत करना.. बस.. दोनो वहा जाकर अच्छेसे अपना संसार चलाओ..

रमेश : (मुस्कुराते) चलो भाइ.. आज दिलको अ‍ेक तस्सली मील गइ.. अब मुजे वंदु चारुकी कोइ चीन्ता नही.. सायद आज कलमे वो तीनो लोग भी आजायेगे.. मेने कल ही सुधीरसे बातकी..

लखन : भैया.. तीनो बोम्बे गये हेनां..?

देवायत : (मुस्कुराते) हां लखन.. सायद आज कलमे ही आजायेगे.. सुधीरके बीना यहा डाक्टरकी बहुत तकलीफ हे.. अब तो आजाये तो अच्छा हे..

सब लोग बाते करते सहेर पहोंच गये.. तो देवायतने रमेश ओर जयाको उनके नये घरपे ड्रोप करदीया.. लखनने उनके घरको बरोबर याद रखा.. फीर देवायत अपने बंगलोपे आगया.. तो तीनो अंदर चले गये.. वहा रजीया ओर राधीका कीचनमे चाइ नास्ता बना रही थी.. जैसे ही दोनोने देवायतको देखा दोनो सरमसे पानी पानी होगइ.. ओर अपने सरको पलुसे ढक लीया.. तो लखनने देवायतको राधीकाका परीचय करवाया..
 
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राधीका सरमाकर देवायतके पांव छुने लगी.. तो देवायत भी सर्मीन्दा हो गया.. फीर लखनने उनकी सांसको मीलवाया तो देवायतने उनका हाल चाल पुछा.. फीर रजीयाने तीनोको चाइ नास्तेके लीये कहा तो देवायतने मना करदीया ओर सीर्फ चाइ पीकर लखनको कहेकर वहासे नीकल गया.. राधीका ओर रजीया दोनो लखनको देखकर खुस होने लगी.. तो लखन राधीकाकी मम्मीके पास चला गया..

रा.मम्मी : (मुस्कुराते) लखन बेटा.. आ गये तुम..? क्या ये आपके बडे भाइ थेनां..? कीतना संस्कारी लडका हे.. बीलकुल अपने पा.. मेरा मतलब.. तुम्हारी ही तराह.. मेरी राधु कीतनी खुस नसीब हे.. जो आपके खानदानकी बहु बनकर आइ..

लखन : (हसते) देखानां मम्मी.. मे कैसे चुन चुनकर नमुने लाया हु.. हें..हें..हें..

रा.मम्मी : (हसते अ‍ेक मुका मारते) बदमास.. मेरी बेटीओको नमुना बोलता हे..? आनेदे तेरे भैयाको.. तेरी सीकायत करुगी.. हें..हें..हें.. सुन.. मेरी इस रजु बेटीने मेरी बहुत सेवा कीहे.. वोतो राधुको मुजे हाथ भी लगाने नही देती.. मेरा सारा काम वोही कर रही हे.. लखन बैटा.. वाकइ सबकी सब बहुत अच्छी हे..

राधीका : (सरमाते धीरेसे) लखन.. अब मम्मीकी तबीयत भी ठीक होगइ हे.. तो क्या आज हम अपने घरपे चले जाये..? क्युकी यहा आये हुअ‍े बहुत दिन होगये..

लखन : (खडा होकर गुस्सा करते जाते) तो फीर रोका कीसने हे.. मेरा इन्तजार कर रही थी क्या..? तो चले जाना चाहीयेनां.. बात करती हे.. मम्मी.. समजालो अपनी लाडलीको..

कहेते लखन उपर अपने रुममे चला गया.. तो राधीका भी जटसे लखनके पीछे जाने लगी.. जैसे ही लखन अपने रुममे चला गया तो राधीका भी रुममे जाकर दरवाजा बंध करती हे.. ओर दोडकर लखनकी बाहोमे समा जाते आंसु बहाने लगती हे.. तो लखन प्यारसे राधीकाके बालको सहेलाने लगा.. ओर उनके सरपे कीस करने लगा.. राधीका काफी देर लखनकी बाहोमे खडी रही.. फीर सर उठाकर लखनके होठ चुम लीये..

राधीका : (आंखोमे देखते) लखन.. आप मुजे इतना प्यार मत करो.. मे पागल होजाउगी..

लखन : (राधीकाके आंसु पोछते) अरे पगली.. ये भी तो तेरा ही घर हे.. क्या तुजे यहा कोइ प्रोबलेम हे..?

राधीका : (नां मे सर हीलाते) नही.. यहा तो आप लोगोका इतना प्यार मील रहा हे.. यहासे जानेका मन ही नही करता.. बस.. ये तो मम्मी केह रही थी.. तो आपको पुछ लीया.. जानु.. रजीया दीदी बहुत अच्छी हे.. वो मम्मीका बहुत खयाल रखती हे.. मुजे तो कुछ काम ही नही करने देती..

लखन : (मुस्कुराते होठ चुमते) अगर मम्मीजी यहा हेतो इनका दिल लगा रहेगा.. यहा रजु हे.. नीलु हे.. तो आते जाते इनकी देखभाल होती रहेगी.. अगर तुजे होस्टेलपे जाना होतो यहीसे चली जाना.. सुन.. आज हम तीनो ही हे.. तो रजु आज मम्मीके साथ सोजायेगी.. आज मुजे मेरी इस बीवीको बहुत प्यार करना हे.. हमारी फस्ट नाइट यही होगी.. इसी रुममे..

राधीका : (सर्मसार होते मुस्कुराते) क्या सच कहे रहे हे आप..? मुजे कुछ होगा तो नही..? क्युकी अब तो आपका ये बहुत बडा होगया हे..

लखन : (मुस्कुराते) हां राधु.. सच केह रहा हु.. सुन.. अगर बडा होगया हेतो आज तुजे अ‍ेक कुआरी लडकी जैसी फीलींग्स आयेगी.. चल.. आज मुजे काम भी बहुत हे.. तुम लोग चाइ नास्ता करलो.. मे वहा करके ही आया हु.. बहुत जल्द तेरी सहेली इधर आ रही हे.. क्युकी अब वो ओर धिरेन अलग हो चुके हे..

राधीका : (सामने देखते) क्या..? पुनोदीदीने धिरनको डीवोर्स दे दीया..? इतनी जल्दी..?

लखन : (मुस्कुराते) हां राधु..

राधीका : (सरमाते मुस्कुराते) जानु.. तो फीर आप ही पुनो दीदीसे सादी करलो.. आपको अपना पहेला प्यार भी मील जायेगा..

लखन : (मुस्कुराते) तो फीर तुजे बुरा नही लगेगा..? सोचले वो तेरी सौतन बनके आयेगी.. हें..हें..हें..

राधीका : (मुस्कुराते) तो क्या हुआ.. वो बहेन हे मेरी.. ओर आपके खानदानमे तो कीतनी भी सादीया करलो.. कोइ पुछने वाला नही.. वैसे भी सबलोग अपनी बहेनसे ही तो सादी करते आये हे.. हें..हें..हें..

लखन : (बाहोमे भीचते) अच्छा.. तो सुन.. पुनोने मेरा प्यार कबुल करलीया हे.. ओर बहुत जल्द भाभीमां हम दोनोकी सादी करवा रही हे.. हें..हें..हें..

राधीका : (जटसे अलग होते सीनेमे मुका मारते खुसीसे) क्या..? जानु आप सच केह रहे हो..? पुनोदी सच केह रही थी.. आप वाकइ बहुत कमीने हो.. चलो.. तबतो बहुत ही अच्छा हे.. मे अभी मम्मीको जाकर खुस खबर देती हु.. वो भी सुनकर खुस होजायेगी..

लखन : (हाथ पकडकर रोकते) राधु.. सुन.. क्या मम्मीको हमारे खानदानके बारेमे सब पता हे..?

राधीका : (मुस्कुराते) हां.. हमसे ज्यादा.. उनको तो तबसे सब पता हे.. जब आप ओर पुनोदी वहा पढते थे.. वो आप लोगोके बारेमे सबकुछ जानती हे.. आप फीकर मत करो.. उसे कोइ बुरा नही लगेगा..

लखन : (आस्चर्यसे देखते) यार उनको हमारे खानदानके बारेमे सब कैसे पता..? क्या तुमने उसे सब बताया हे..?

राधीका : (मुस्कुराते) नही यार.. मेने उसे कुछ नही बताया.. मे उसे क्या कहेती..? की मे आपके साथ रीलेशनमे हु.. आपकी बहेन आपको प्यार करती हे.. येतो छोडो.. उन्होने आज तक मुजे पापा या हमारे खानदानके बारेमे भी नही बताया.. अ‍ेक बार बहुत पुछनेपर सीर्फ इतना बताया की मम्मीका अ‍ेक भाइ हे.. रामु नाम हे इनका.. वो कहा रहेते हे कीस गांव या सहेरसे वो भी नही जानती.. तो मे उसे कहासे बताती..

लखन : (मुस्ुकारे) अच्छा छोडो ये सब.. सुनो..

कहेते लखन पुनम ओर धिरेनकी पुरी बात बता देता हे.. ओर सृतीके बारेमे भी बात करलेता हे.. फीर लखन राधीकाकी होस्टेलपे चला जाता हे.. ओर वहीसे अपने कामपे लग जाता हे.. तो दुसरी ओर सृती आज भी सुबह देरसे जागी.. क्युकी उनको दिन ओर रातमे सीर्फ लखन या उनकी मम्मी ओर देवायतके ही खयाल आते रहे.. वो मानसीक तौरपे देवायतसे दुर ओर लखनसे नजदीक होती जा रही थी..

उनका कही भी मन नही लग रहा था.. वो भारी मनसे जागकर बाथरुममे घुस गइ.. ओर नीत्य क्रम करके नहाने लगी.. फीर बहार आकर कंपलीट होगइ ओर कीचनमे जाकर अपने लीये चाइ बनाने लगी.. चाइ उबल रही थी.. तब भी वो कल हुइ घरटनाके बारेमे सोच रही थी.. तभी उनके मोबाइलकी रींग बजने लगी.. तो सृती अपना मोबाइल लेने होलमे चली गइ.. ओर देखने लगी.. तो पुनमका फोन था..

तो सृती खुस होते मुस्कुराने लगी.. क्युकी अ‍ेक पुनम ही थी.. जो उनके साथ अपनी हर बाते सेर करती थी.. ओर वो मोबाइल उठाकर पुनमसे बाते करते कीचनमे आइ तो चाइ उबलके गेसपे गीरते चारो ओर फैल चुकी थी.. ओर सृतीको मनही मन गुस्सा आगया.. ओर वो गेस बंध करके वापस होलमे आकर सोफेपे बैठ गइ.. ओर पुनमसे बाते करने लगी..
 
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dilavar

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पुनम : (फोनपे) हाइ दीदी.. कैसी हो..?

सृती : (भारी मनसे) दीदी ठीक ही हु.. मे आपहीके फोनका इन्तजार कर रही थी.. कहीये.. कैसी हे आप..?

पुनम : (मुस्कुराते फोनपे) दीदी.. मे तो ठीक हु.. क्या आप मुजसे भी नाराज हो..? कमसे कम अ‍ेक फोन तो करती..

सृती : (फोनपे) नही दीदी.. मे आपसे क्यु नाराज होने लगी..? अ‍ेक आप ही हो जो मुजे अच्छेसे समजती हो.. बस.. मेरा मुड कुछ ठीक नही था.. देखाना कल क्या हुआ..? तो अभी भी थोडी अपसेट हु.. देखोना.. मुजसे चाइ भी नही बनती.. खैर छोठीये कहीये.. क्यु याद कीया..?

पुनम : (फोनपे) दीदी.. क्या आप अपने घरपे होनां..? आप हमारे घरपे क्यु नही गइ..? क्या हम सबसे आपने नाता तोड दिया..? हंम..? दीदी इतनी भी नाराजगी ठीक नही हे..

सृती : (आंख गीली करते) दीदी.. आपका तो ठीक हे.. मंजुदीने आपको बतानेको मना कीया था.. लेकीन वो तो मेरी बेस्ट फ्रन्ड हे.. उन्होने इतनी बडी बात मुजसे छीपाइ..? ओर देवुको भी सरम नही आइ..? कमसे कम मम्मीकी उमरतो देखते.. आपको अचानक पता चलेकी आपका बाप कोइ ओर हे.. ओर मेरा पती खुद अपनी मांके साथ रीलेशनमे हे.. तो दिलपे क्या गुजरेगी..? अब तो आप भी मुजे सब सच बता सकती हो..

पुनम : (फोनपे) हां दीदी.. आपको दोनोकी पुरी स्टोरी सुनाउगी.. ओर प्यार करनेमे कोइ उमर नही देखी जाती.. बस.. हो जाता हे.. आपको तो पता हेना भैयाकी पहेली बीवी कौन हे..?

सृती : (फोनपे धीरेसे) हां पता हे.. अ‍ेक बार मंजुदीने ही मुजे सबकुछ बताया था.. नीर्मला आंटी हेनां..?

पुनम : (फोनपे) हां.. आपको येभी पता हेनां नीर्मला आंटी कौन हे..? उनके पीछले जन्मकी सोनु.. जो उनकी बहेन थी.. दीदी.. वो दोनो आज भी अपने वचनसे बंधे हुअ‍े हे.. आपको पता हे भुमी आंटी कौन हे..?

सृती : (आंख पोछते) हां.. थोडा बहुत.. लेकीन दीदी.. फीर भी मम्मीको अपनी उमरतो देखनी चाहीये.. पहेले पापा फीर हमारे बापु.. ओर अब देवु.. क्या वो इतनी कामी ओरत हे..? की अ‍ेक मर्दके बिना रेह ही नही सकती..? उनका तीन तीन मर्दोके साथ रीलेशन रहा हे..

पुनम : (मुस्कुराते) दीदी.. कामी ओरतकी तो बात ही मत कीजीये.. कामी ओरत सीर्फ भुमीका आंटी नही.. हम सब हे.. कीसी जमानेमे हिमाचलमे उन राजाने भी अपनी दादीसे प्यार कीया था.. ओर सादी करली थी.. उनकी बात छोडो.. मे इस जन्मकी बात करती हु.. पता हेना हमारी दादीने क्या कीया था..?

सृती : (धीरेसे) क्या..?

पुनम : (धीरेसे मुस्कुराते) दीदी.. हमारी दादीने कीसी तांत्रीक के चकरमे फसकर अपने ही बेटे यानीके हमारे बापुके साथ संभोग कीया था.. फीर तो तांत्रीक वीधीके नामसे बापुको धोखेमे रखकर बार बार उनके साथ संभोग करती थी.. तब बापु ना उसे प्यार करते थे.. ओर नाही दादीको अपने बेटेके साथ संभोग करते संकोच हो रहा था.. क्युकी हमारी दादी भी अ‍ेक कामी ओरत थी.. हम सब उसीके तो अंस हे..

सृती : (मायुस होते) दीदी.. आप भी मंजुकी तराह वोही बाते लेकर बैठ गइ.. मानाकी प्यारमे उमर नही देखते.. फीर भी ये सब.. मांकी उमरकी ओरतके साथ.. उसने मेरे बारेमे भी नही सोचा..?

पुनम : (मु्स्कुराते) दीदी.. अगर दादी बीना प्यार अ‍ैसा कर सकती हे.. तो कमसे कम भुमी आंटी तो अ‍ैसी नही हे.. बस.. दोनोमे प्यार होगया.. ओर दोनोने सादी करली.. ओर वो भी आपकी सादीसे पहेले.. तो फीर काहेका धोखा..? दीदी आपको पता ही नही भुमी आंटी कौन हे..

सृती : (आंख गीली करते) दीदी.. तो फीर आप ही बताइअ‍े.. मम्मी कौन हे..

पुनम : दीदी.. कामी तो हम सभी हे.. अ‍ेक मर्दके बीना तो मे ओर आप भी नही रेह पायेगी.. आपकी सादी तो भैयासे होगइ हे.. ओर मेने भी धिरेनसे सादी करनेसे पहेले भैयासे सादी करली थी.. फीर भी हम दोनो लखन भैयाकी ओर अ‍ेट्रेक्ट हुइ की नही..? तो फीर इसे आप क्या कहोगी..? तो फीर मुजमे आपमे ओर हमारी दादीमे क्या फर्क रेह गया..? दीदी.. भुमी आंटी पीछले जन्मकी डोक्टर माधवी हे.. जो अगले जन्ममे आपकी बेटीकी कोखसे पैदा होगी.. ओर हमारा तो काम ही यही हे..

सृती : (फोनपे) दीदी.. आप फीर मंजुदीकी तराह पीछले जन्मकी बात लेकर बैठ गइ.. मेने भी वो किताब (ये कैसी अनुभुती) पढी हे.. फीर भी उनपे यकीन करनेका दिल नही करता.. ये सब अ‍ेक वाहीयात कहानी लगती हे.. जो मंजुदीके दिमागमे घुस गइ हे.. क्या आजके जमानेमे ये सब पोसीबल हे..?

पुनम : (मुस्कुराते) ठीक कहा दीदी आपने.. मेने भी इस कीताब पढी हे.. पहेले मुजे भी अ‍ैसा लगता था.. क्युकी पीछली कइ पीढीओसे हमारे खानदानमे सबलोग अपनी बहेनसे ही सादी करते आये हे.. मुजे भी ये सब अजीब लगता था.. लेकीन जब मेने भी अपनी जवानीके दहेलीजपे कदम रखा.. तो मे भी भैयाकी ओर आकर्सीत होने लगी थी.. ओर खुद लखन भैया मुजे चाहने लगे थे.. लेकीन मे नादान उनके प्यारको समज नही पाइ.. ओर धिरेनके पले पड गइ..

सृती : दीदी वही तो.. बस.. यही बात मेरी समजमे नही आ रही.. की सब आपनी बहेनसे ही क्यु सादीया करते हे.. मेरी मम्मीको भी हमारे बापुने बहेन माना था.. ओर नतीजा क्या नीकला..? दोनोके प्यारके फल स्वरुप मेरा जन्म हुआ.. ओर देखो.. अब मम्मीने अपने भतीजेसे ही सादी करली.. ओर देवुसे प्रेगनेन्ट भी हो गइ.. ओर उसने मुजे भी कर दीया.. अब आपही कहो.. मे क्या करु..? कही मां बेटीका अ‍ेक ही आदमीसे रीलेशन होता हे..? मुजे नही रखना देवुसे कोइ रीलेशन.. मेने तोड दिया हमारी सादीका रीस्ता..

पुनम : (मुस्कुराते) तो बडे भैयासे मत रखीयेना रीलेशन.. आपपे कहा कोइ जबरादस्ती कर रहा हे.. दीदी.. मे आपकी नाराजगी समज सकती हु.. जबसे मंजु दीदीने मुजे ये सब शक्तिया देते अपना असली रुप दिखाया हेनां.. ओर मेने जो अनुभुती की.. दीदी मे उसे सब्दोमे बया नही कर सकती..

वो कीताब कोइ मन घडत कहानी नही हे.. सब हकीकत हे.. आपको पता ही नही हमारी मंजु दीदी कौन हे..भुमी आंटी कौन हे.. हम सब कौन हे.. वो उस जन्ममे भी अपने पतीके पीछे पागल थी.. ओर इस जन्ममे भी अपने पतीके पीछे पागल हे.. जो अपना प्यार तभी तो अपनी सौतनोके बीच बराबर बांट रही हे..

सृती : (कुछ देर खामोस) हंम... हां दीदी ये तो सच हे.. मंजुने कभी कीसीके साथ भेदभाव नही कीया..

पुनम : (फोनपे) दीदी.. अ‍ेक बात पुछु..? क्या आपने इस दुनीयामे कोइ अ‍ैसी ओरत देखी हे.. जो अपनी सौतनोसे भी प्यार करती हे.. ओर अपना प्यार सबके बीच बाटती हे..?

सृती : नही दीदी.. उसने मुजे भी कहा था.. की जानेसे पहेले उनकी असली पहेचान करवायेगी..

पुनम : (फोनपे) दीदी.. आपसे तो करवायेगीनां..? लेकीन मुजे तो करवादी हे.. मुजे मेरे आपके हम सबके भवीस्यके बारेमे सबकुछ पता हे.. लेकीन मेरी भी बतानेकी अ‍ेक मर्यादा हे.. मुजे पता हे इस वक्त आप बडे भैयासे नाराज हो.. ओर उनसे दुर होगइ हो..

लेकीन बडी दीदी आपको अपनी पहेचान करवायेगीनां.. तब आपकी सारी सीकायत दुर होजायेगी.. कभी सोचा हे आपने..? ये सब हम दोनोके साथ क्यु हो रहा हे..? दीदी.. इनकी कोइ तो वजह होगीनां..? क्युकी ये सब हम दोनोके साथ युही तो नही हो रहा.. पता हे क्यु..?

सृती : (मुस्कुराते) नही तो.. अब आप ही बतादो..

पुनम : दीदी.. दरसल हम सबकी जींदगीकी दौर हमारे हाथमे हे ही नही.. हमारा बडे भैयासे दुर होना अ‍ैसे अनायास ही नही हुआ.. क्युकी हमारी कीस्मतमे बडे भैयाके साथ हम दोनोकी जींदगीका सफर यही तक था.. आजके बाद हमारी जींदगीमे बडे भैयाका कोइ रोल नही हे.. अब हमारी मंजील सीर्फ लखन भैया ही हे.. इनमे सीर्फ हम दोनो ही नही.. भावनादीदी.. लतादीदी के साथ साथ चंदा भाभी भी हे.. क्युकी अब सबको लखन भैयाको स्वीकार करना ही पडेगा.. तभी तो हम दोनो उनकी ओर अ‍ेट्रेक्ट हो रही थी..

सृती : (सरमाकर मुस्कुराते) सायद आपकी बात सच हे.. इनकी चर्चा हम पहेले भी कइ बार कर चुके हे.. पर क्या करे..? मेरा दिल अभी इन सब बातोको नही मानता.. देखोना लखन भैयाभी तो आजकल मुजसे रुठे हुअ‍े हे.. अकेलेमे तो सामने तक नही देखते.. ओर सबकी हाजरीमे मेरी टांग खीचाइ करते रहेते हे.. उनका तो कुछ समज ही नही आता..
 

dilavar

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पुनम : (मुस्कुराते) दीदी.. सच कहु..? वो आपसे कोइ नाराज नही.. बस.. लता दीदीके कहेनेपे आपसे रुठनेका नाटक कर रहे हे.. हें..हें..हें..

सृती : (मनमे खुस होते मुस्कुराते) क्या..? लताने कहाथा..? लेकीन क्यु..?

पुनम : (सरमाते मुस्कुराते) दीदी.. उस दिन आपने लखन भैयाको डाटा थांनां..? तो लता दीदीको अच्छा नही लगा.. बस.. इसीलीये वो आपसे रुठनेका नाटक कर रहे हे.. हें..हें..हें..

सृती : (खुस होते) कीतने कमीने हे वो दोनो.. मुजे तो लतापे पहेलेसे ही सक था.. आनेदो उसे.. उनकी भी खबर लेती हु.. यहा मेरी रातोकी नींद हराम करके रखी हे.. ओर वो दोनो मीया बीवी मजे ले रहे हे..

पुनम : (मुस्कुराते) दीदी.. इनमे गलती लखन भैयाकी नही थी.. उसने भी आपको मना कीया था.. फीर भी आप उसे जान बुजकर जुठे रीसर्च ओर टेस्टका बहाना बनाकर अपनी क्लीनीकपे ले गइ थी.. वहा क्यु लेगइ थी वो आपको भी पता हे.. आपको जो देखना था देख सके.. ओर लखन भैया आगे बढे तो वो सबकुछ होजाये जो आप मनसे चाहती थी.. लेकीन फीर भी लखन भैयाने अपनी मर्यादा नही लांधी.. दीदी.. आपको मेरी कसम.. क्या मे सच केह रही हुनां..?

सृती : (सर्मीन्दा होते धीरेसे) दीदी.. कसम मत दीजीये.. प्लीज.. मुजे पता हे आपको सब सचाइ पता चल जाती हे.. हां.. आपकी ये बात सच हे.. मे उनका देखनेके लीये उत्सुक्त थी.. ओर.. वो.. वो आगे बढे तो भी मुजे कोइ अ‍ेतराज नही था.. लेकीन मे उनका देखते ही डर गइ थी.. तो आगे नही बढी.. वरना हमारे बीच उसी दिन सबकुछ हो जाता जो मे चाहती थी.. दीदी.. आइ अ‍ेम सोरी..

पुनम : (मुस्कुराते) दीदी.. सोरी मत बोलीये.. मे भी तो यही चाहती थी.. उस दिन हम सामान लेने घरमे गये.. ओर आप लोग हमारे लीये बहार रुके थे.. अगर आप भी भैया दीदीके साथ चले जाते.. तो उसी दिन हम दोनोके बीच वो सबकुछ होजाता.. अच्छा हुआ लखन भैयाने अपने आपपे सयम रखा.. वरना बात इनसे आगे बढ जाती.. दीदी.. तो फीर हम दोनोमे ओर भुमी आंटीमे क्या फर्क रेह गया..? तो इसमे भुमी आंटी ओर भाइने भी कोइ गलती नहीकी.. दीदी.. माफ करदीजीये दोनोको..

सृती : (आंख गीली करते) दीदी.. सायद आपकी बात सच हे.. मेने जल्द बाजीमे बहुत बडी गलती करदी.. मेने देवु ओर मंजुदीको ना जाने क्या क्या बोल दीया.. दीदी.. मे उनसे मीलुगी तो माफी मांग लुगी.. ओर लखन भैयासे भी बात करलुगी.. क्या वो अभी तक वहा हे..?

पुनम : (मुस्कुराते) नही दीदी.. फीकर मत करो.. आज सुबह वो वहा आगये हे.. भैया उनको ओर रमेशभाइ जया भाभीको छोडने आये थे.. बस.. अभी अभी छोडके घरपे आये हे.. दीदी.. सामत भाइके गुजर जानेके बाद जया भाभी ओर रमेश अंकल सादी कर रहे हे.. ओर मंजु दीदीने लखन भैयाको कहा हे.. की आपको हमारे घरपे ले आये.. तो बस.. आज वो आपको मीलने आयेगे.. तो आप उनके साथ हमारे घरपे चली आना..

सृती : (हसते) कमीने कहीके.. हें..हें..हें.. दीदी.. अब मे इतनी आसानीसे उनके साथ नही आउगी.. उन मीया बीबीने मेरे साथ नाटक कीया हेनां.. अब देखो मे भी कैसा नाटक करती हु.. आप उनको कुछ मत कहेना.. वैसे भी मे अभी कुछ दिन इधर ही रहेना चाहती हु..

पुनम : (हसते) दीदी.. देखना कही मस्ती करनेमे लेनेके देने ना पड जाये.. हें..हें..हें.. दीदी.. अ‍ेक बात पुछु..? क्या आपको ये जानकर खुसी नही हुइ की लखन भैया आपके देवर नही आपके भाइ हे..?

सृती : (सरमाकर मुस्कुराते) दीदी.. सच कहु..? बहुत.. बुहत.. बहुत.. खुसी हुइ.. मे तो सुनकर ही रोमांचीत हो चुकी थी.. क्युकी हमारे खानदानमे भाइ बहेनकी सादीकी परंपरा हेनां..? जबसे मंजुदीके मुहसे सुना हे तबसे मे लखनको मीलनेके लीये तरस रही हु.. दिल तो चाहता हे मे अभी के अभी लखन भैयासे अपने प्यारका इजहार करलु.. ओर उनसे मीलन करलु.. लेकीन अब देखते हे कीस्मत हम दोनोको कब मीलवा रही हे..

पुनम : (मुस्कुराते) हां दीदी.. आपने तो उनका देख भी लीया.. दोनो काफी आगे भी बढ चुके थे.. तो फीर आप पीछे क्यु हट गइ..? मील लेते दोनो.. मेतो आप सबलोग हमारा इन्तजार करते थे इसीलीये मील नही पाइ.. वरना अंदर जातेही मेने अपने प्यारका इजहार करलीया था.. ओर प्यार करते मे बहेक भी गइ थी.. उसी दिन मे अपना सबकुछ लुटानेको तैयार थी.. तो मे आज आपकी सीनीयर होती.. हें..हें..हें..

सृती : (सर्मसार होते धीरेसे हसते) दीदी.. हमे क्या पता आप इसके लीये बील कुल रेडी थी.. वरना हम भी मंजुदीके साथ चली जाती.. मील लेते दोनो.. लेकीन दीदी.. क्या बताउ..? मे सचमे उनका देखकर डर गइ थी.. वरना इरादा तो मेरा भी वही था..

पुनम : (धीरेसे मुस्कुराते) दीदी.. क्या उनका सचमे बडै भैयासे भी बडा.. आइमीन.. आप समज गइनां..

सृती : (सर्मसार होते धीरेसे) हाये.. दीदी.. क्या बताउ..? मे बयान नही कर सकती.. जब आप मीलोनां तब देख लेना.. दीदी.. उस दिन रमा भाभीकी वो चीखे.. आज भी मेरे कानोमे गुंज रही हे.. लखन भैयाने तो उनकी फाडके रखदी.. मेने ओर लताने उन दोनोका पुरा लाइव सो देखा..

ओर मजेकी बात उस कमीनेको भी पता थाकी हम दोनो उनको देख रही हे.. ओर.. ओर.. अब क्या कहु आपसे..? आपको तो सबकुछ पता हे.. की क्लीनीकपे क्या हुआ था.. मेतो देखते ही डर गइ थी.. तो आगे बढनेकी हिंमत ही नही हुइ..

पुनम : (मुस्कुराते धीरेसे) दीदी.. आपने उनको ब्लुजोब दीया थानां..? कीतना पानी नीकला..? रीपोर्ट आ गइ..?

सृती : (सर्मसार होते धीरेसे) हां दीदी.. उनको तो आपने हाथोसे हीलाना भी नही आता.. ओर सच कहु तो मे भी उनका देखकर बहेक गइ थी.. ओर उसने मुजे ब्लुजोब देनेके लीये मजबुर करलीया.. बापरे.. कीतना पानी नीकाला.. पुरी डीबी भरदी.. दीदी.. कल ही रीपोर्ट भी आगइ.. आप यकीन नही करोगी.. इतनी अच्छी रीपोर्ट मेने आज तक कीसी मर्दकी नही देखी.. कीसीको भी अ‍ेक ही बारमे प्रेगनेन्ट कर सकते हे..

पुनम : (हसते) दीदी.. चलो अच्छा हुआ.. कमसे कम आपनेतो उनके दर्शन करलीये.. अब हम दोनोका इसीका सहारा हे.. जब आपको लेने आयेतो कोइ नखरे मत करना.. सीधी उनके साथ चली जाना.. ओर देखना उनकी मस्तीया करते बाजी बीगडनां जाये.. चलो अब मे फोन रखती हु.. बाय..

सृती : (मुस्कुराते) नही दीदी.. अब तो मेरा भी छोटा भाइ हे.. यार उनको देखते ही मस्ती करनेका मन करता हे.. अगर आगये तो मे उनसे बात कर लुगी.. आज आपसे बात होगइ.. बहुत अच्छा लगा.. थेन्क्स..

पुनम : (मुस्कुराते धीरेसे) दीदी.. अ‍ेक बात कहु..? अभी घरपे आप भी अकेली हो.. ओर वोभी आपको लेने आजायेगे.. अगर सही मौका मीलेतो आप दोनो वही आपके घरपेही.. समज गइनां..?

सृती : (र्सासार होते धीरेसे) दीदी.. कलकी बातको लेकर अभी थोडी अपसेट भी हु.. ओर मे ये सब अच्छे माहोलमे करना चाहती हु.. पहेले हम दोनोको अपने प्यारका इजहार तो करने दो.. ओर वो भी होजायेगा जो हम दोनो चाहती हे..

पुनम : (मुस्कुराते) चलो ठीक हे.. वो भी सही हे.. दीदी बाय.. अपना खयाल रखना..

सृती : (मुस्कुराते) आपभी.. चलो बाय..

कहेते दोनोने फोन कट करदीये.. फोन रखते ही सृती खुस होते हसने लगी.. जब उनको पता चलाकी लखन उनसे रुठनेका नाटक कर रहा हे.. तब वो अपनी मम्मी ओर देवायतकी बाते भुल गइ.. सृतीने मंजुकी डीलीवरीके बाद उनकी चुतको भी चेक करते देखा था.. उसे भी मंजुकी चुत अ‍ेक कुआरी लडकीकी तराह लग रही थी.. उसे पुनमकी सभी बाते सच लगने लगी.. ओर लखनको मीलनेके सपने देखने लगी....

कन्टीन्यु
 
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