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Incest ये तो सोचा न था…

sunoanuj

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मुझ जैसे नौसिखिये को इस तरह हौंसला अफ़ज़ाई करने के लिए बहुत बहुत शुक्रिया... :itsme2:

Mitr har legend ek din nausikhiya hee hota hai… and your humblenesses showing you are a legendary writer…
 

sunoanuj

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Waiting for next update mitr …
 

Hard Rock 143

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(४- ये तो सोचा न था…)

[३ – ये तो सोचा न था… में आपने पढ़ा :एक आदमी ने बड़ा छुरा दिखाते हुए कहा ‘ओ हीरो, चल.’

‘कहाँ ?’ जगदीश ने हैरान होकर पूछा.

‘तेरी माँ की शादी में. चल रे छमक छल्लो बाहर निकल.’ दूसरे ने कार का दरवाजा खोल कर शालिनी को बाहर खींचते हुए कहा.’

‘अरे अरे उसे कुछ मत…’ ऐसा जगदीश बोलने गया पर पहले आदमी ने जगदीश के पेट पर छुरा लगाते हुए कहा. ‘चल बोला ना?’

जगदीश और शालिनी को कार छोड़ कर उनके साथ जबरन जाना पड़ा.]



जगदीश और शालिनी एक गोडाउन जैसे बड़े कमरे में गुनहगार की तरह खड़े किये गए थे.

उस कमरे में सात आठ गुंडे और खड़े थे. गोडाउन काफी बड़ा था. छत पर काच का एक बड़ा झुमर लगा हुआ था. उस झुमर के बराबर नीचे एक सिंहासन जैसा भव्य आसन था. उस आसन पर उनका सरदार जैसा दिखने वाला एक हट्टा कट्टा आदमी रुआब से बैठा हुआ था. और जगदीश के हाथों मार खाया था वो दोनों गुंडे उस सरदार को क्या हुआ यह बता रहे हे.

सरदार के आसन के सामने एक टेबल था उस पर अपना हाथ मारते हुए सरदार ध्यान से उन की बात सुन रहा था. बात ख़त्म होने के बाद उस सरदार ने जगदीश से पूछा ‘क्यों भाई ? तुम कहाँ के दादा हो जो साजन भाई के एरिये में मारपीट करने आ गए?’

‘मैंने कोई मारपीट नहीं की. बदतमीजी से बात कर रहे थे ये दोनों.’

‘कोई बदतमीजी नहीं की हमने भाई, सिर्फ इतना पूछा इस से की यह रांड तेरे साथ है क्या? तो इसने कब कैसे मारा पता ही नहीं चला!’ बाइक वाले ने अपने सरदार साजन भाई को सफाई दी.

साजन भाई ने शालिनी को निहारा फिर जगदीश को पूछा. ‘रांड को रांड नहीं बोलेंगे तो क्या बोलेंगे?’

जगदीश का माथा फिर ठनका. वो चीख कर बोला ‘ये क्या रांड रांड लगा रखा है? ये कोई रांड नहीं है…’

जगदीश के इस तरह चिल्लाने से सभी चौंक पड़े, सारे गुंडे, साजन भाई और यहाँ तक की शालिनी भी. क्योंकि वो गोडाउन गुंडों से भरा पड़ा था और यहाँ पर इस तरह से चीख कर ललकारना याने मौत को दावत देना.

शालिनी जगदीश के क्रोध से अचंभित थी और सभी गुंडे जगदीश की हिम्मत से.

क्या जगदीश को किसी का डर नहीं था ?

बिल्कुल था. जगदीश को भली भांति समझ में आ रहा था की वो दोनों बुरी तरह फंस चुके है और किसी भी वक्त उन को मारा जा सकता है. जगदीश को गुंडों का डर था भी और नहीं भी. नहीं इसलिए क्योंकि उसे पता था जो डरता है उसे लोग और डराते है. डरा डरा कर मार डालते है. इस लिए वो ऐसे मौके पर डरता कभी नहीं था बल्कि डट कर सामना करता था.

पर आज वो डर भी रहा था. क्योंकि इस वक्त वो अकेला नहीं था. साथ में शालिनी थी. यह लोग शालिनी के साथ कुछ बुरा कर सकते है यह बात उसे अब तक बांधे हुई थी. पर जब शालिनी को इस तरह जलील किया जाने लगा तब उसने न आव देखा न ताव और जवालामुखी की तरह उसका दबाया हुआ गुस्सा फुट पड़ा.

साजन भाई ने जगदीश को कुछ कहना चाहा पर तभी उसका फोन बजा. उसने फोन पर बात की तो उसकी मुट्ठी गुस्से से भींच गई. ‘तुम वही रहो, मैं अभी आता हूँ.’ कह कर साजन भाई ने फोन काटा. फिर अपने गुंडों से कहा ‘पक्या और उस के आदमी दिखे है. मंदिर वाली गली में…’

साजन भाई का इतना कहने पर सारे गुंडे एकदम एलर्ट हो गए. साजन भाई ने उठते हुए कहा ‘चलो आज साले का किस्सा ही ख़त्म कर देते है.’

‘भाई आप को आने की जरूरत नहीं.’ एक गुंडे ने साजन भाई से कहा. तुरंत बाकी सब बोले. ‘भाई टेंशन मत लो हम सम्हाल लेंगे.’

साजन भाई ने सब की और देख कर पूछा. ‘पक्का ?’

‘पक्का.’ ‘पक्का.’ ‘पक्का’ सात आठ आवाज आई.

साजन भाई फिर अपने आसन पर बैठते हुए बोला. ‘ठीक. तुम सब पहुंचो और देखना पक्या का एक भी पिल्ला बचने न पाए.’

सारे गुंडे फटाफट चले गए. साजन भाई फोन लगा कर किसी को कुछ सूचना देने लगे.

जगदीश और शालिनी ने एक दूसरे को देखा. जगदीश ने आँखों से शालिनी को हौसला दिया.

साजन भाई ने अपना फोन करीब के टेबल पर रखा और जगदीश से कहा

‘वाव्वा..वाव्वा…. क्या दहाड़ा रे तू?’ फिर जगदीश की नकल करते हुए बोला ‘यह कोई रांड नहीं है !’

‘अबे साले!’ साजन भाईने जगदीश से कहा ‘इसके बोब्बे देख. कितने बड़े बड़े है! फिर इस के कपडे देख और तेरे कपड़े देख -ये क्या तेरी घरवाली है? घरवाली को कोई ऐसे रखता है?’

जगदीश सहम गया. शालिनी को भी अपने स्तन की साइज़ को ले कर कॉम्प्लेक्स हो गया.

जगदीश करारा जवाब देने ही वाला था की साजन भाई ने टेबल के ड्रॉअर से एक रिवाल्वर निकाल कर टेबल पर रखते हुए आगे कहा.

‘ये साजन भाई का अड्डा है. यहाँ साजन भाई से ऊँची आवाज में कोई बात नहीं कर सकता. तूने की. ठीक है. तेरी बात शायद सही है सो तू आपा खो बैठा. मैं यह भी मानता हूँ कि यह कोई रांड नहीं होगी. मैं सॉरी बोलता हूँ.’

शालिनी और जगदीश दोनों यह सुन कर दंग रह गए. साजन भाई का ऐसी नर्मी से बोलना दोनों के लिए आश्चर्य की बात थी. जगदीश चुप रहा. साजन भाई ने कहा.

‘पर मेरे कुछ सवाल है. मुझे उस के जवाब चाहिए.’

जगदीश और शालिनी ने एक दूसरे को देखा.


(४ - ये तो सोचा न था…समाप्त, क्रमश:)

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बहुत ही बेहतरीन कहानी है।
 

rakeshhbakshi

I respect you.
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बहुत ही बेहतरीन कहानी है।
बहुत शुक्रिया… ! इस तरह की प्रतिक्रिया लिखने का होंसला बढ़ाती है… :ban2:
 
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rakeshhbakshi

I respect you.
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(५ - ये तो सोचा न था…)

[(४– ये तो सोचा न था… में आपने पढ़ा : जगदीश करारा जवाब देने ही वाला था की साजन भाई ने टेबल के ड्रॉअर से एक रिवाल्वर निकाल कर टेबल पर रखते हुए आगे कहा.
‘ये साजन भाई का अड्डा है. यहाँ साजन भाई से ऊँची आवाज में कोई बात नहीं कर सकता. तूने की. ठीक है. तेरी बात शायद सही है सो तू आपा खो बैठा.मैं यह भी मानता हूँ की यह कोई रांड नहीं होगी. मैं सॉरी बोलता हूँ.’

शालिनी और जगदीश दोनों यह सुन कर दंग रह गए. साजन भाई का ऐसी नर्मी से बोलना दोनों के लिए आश्चर्य की बात थी. जगदीश चुप रहा. साजन भाई ने कहा. ‘पर मेरे कुछ सवाल है. मुझे उस के जवाब चाहिए.’

जगदीश और शालिनी ने एक दूसरे को देखा.]


जगदीश और शालिनी ने एक दूसरे को देखा. साजन भाई ने आगे कहा.

‘अगर मैंने कहा वैसा तुम दोनों करोगे तो तुम्हें कोई छुएगा भी नहीं. न मैं, न मेरा कोई आदमी. पर अगर मेरी बात नहीं मानी तो तुम दोनों को बचाने वाला यहां कोई नहीं.’

-कोई छुएगा नहीं - यह तसल्ली इस मौके ओर जगदीश के लिए बहुत बड़ी रियायत थी. उसे बार बार यही सवाल सता रहा था कि शालिनी के साथ क्या होगा ? भले उस की जान चली जाए पर बहु के साथ कोई दुर्व्यवहार नहीं होना चाहिए…

उसने यह बात कन्फर्म की : ‘कोई हम दोनों को छुएगा भी नहीं यह वादा है?’

‘एकदम पक्की बात. वादा.’

जगदीश और शालिनी ने एक दूसरे को फिर देखा. इस आदमी का क्या भरोसा? लेकिन और कोई चारा भी दिख नहीं रहा था… जगदीश ने साजन भाई से कहा. ‘ठीक है. आप कहेंगे वह हम करेंगे.’

साजन भाई ने कहा ‘पहले कुछ सवालों का जवाब दो फिर मैं बताऊंगा क्या करना है.’

‘पूछो’

साजन भाई ने टेबल पर से रिवॉल्वर उठाई और उसे सहलाते हुए पूछा.

‘ये बाजारू लड़की नहिं तो फिर कौन है?’

‘यह मेरी बहु है, मेरे छोटे भाई की पत्नी.’

‘ओहो… ! छोटे भाई की पत्नी! बहु !’ मुस्कुराकर शालिनी को अजीब तरह से निहारते हुए साजन भाई ने जगदीश का जवाब दोहराया. फिर अपना चेहरा सख्त बना कर उस ने जगदीश से पूछा :

‘अगर यह तुम्हारे परिवार की है तो इस के कपड़े इतने मामूली क्यों है?’

जगदीश क्या बोलता?

शालिनी ने कहा ‘हम लोग पूना जा रहे है. यह मैंने सफर के लिए ऐसे कपडे पहने है.’

साजन भाई ने कुछ देर सोचा फिर शालिनी से पूछा. ‘तुम्हारे बोबले इतने बड़े क्यों है?’

यह सुन जगदीश की आँखों में खून उतर आया पर उसी वक्त उसने महसूस किया की शालिनी के स्तनों का इस तरह किसी का जीकर करना उसे उत्तेजित भी कर रहा है. अपने लिंग में एक सरसराहट का अहसास पा कर वो हैरान भी हुआ और शर्म भी आने लगी. इस मिश्र भाव के कारण उसका क्रोध मंद हो गया. उसने अपनी आवाज को सख्त बनाने की कोशिश के साथ पूछा ‘ये क्या बदतमीज़ी है? ये कोई सवाल है?’

‘फ़ालतू की बात का मेरे पास टाइम नहीं. सारी बदतमीज़ी की जड़ यह बड़े बड़े बोबले है.’ साजन भाई ने कुछ चिढ के साथ कहा. ‘मेरे आदमी जिन्हें तुमने मार गिराया, पता है उन्होंने क्या बताया ? वो लोगो ने इसे रांड समझा. क्यों समझा ? ऐसे सस्ते कपडे और बड़े बोबले ले कर यह हाइवे पर यूँ खड़ी थी जैसे कोई रंडी ग्राहक की राह देख रही हो.’

इस दलील का जगदीश या शालिनी क्या जवाब दें ?

‘बोल?’ साजन भाई ने शालिनी से पूछा. ‘बता, तेरे बोबले बड़े है की नहीं ?’

शालिनी ने शर्म से आँखे झुका दी. साजन भाई ने अचानक तेजी से रिवॉल्वर उठा कर जगदीश और शालिनी के बीच में निशान ले कर फायर किया. दोनों ने चौंक कर मुड़ कर पीछे देखा तो पीछे की दीवार पर गोली लगी थी. साजन भाई ने फिर से रिवाल्वर सहलाते हुए कहा. ‘एक सवाल मैं दो बार नहीं पूछता. दूसरी बार मेरा यह घोडा पूछता है. यह सिर्फ नमूना था. अगली बार जवाब नहीं आएगा तो निशाना बन जाओगे. मुझे जवाब चाहिए. तुम दोनों में से कोई भी बोले - चलेगा पर जवाब दो.’

शालिनी और जगदीश यह सुन कर कांप उठे. साजन भाई ने फिर से रिवाल्वर दागनी चाही. यह देख मारे डर के शालिनी बोल पड़ी. ‘जी…जी. दे रही हूँ जवाब…’

साजन भाई मुस्कुराया. ‘शाब्बाश! बताओ.’

जगदीश शर्म से अपनी आँखे मींच गया और सोचने लगा- अपने स्तन बड़े क्यों है - ऐसे सवाल का शालिनी क्या जवाब देगी?

शालिनी ने मुश्किल से कहा. ‘माफ़ी चाहती हूँ, यह बचपन से ही थोड़े बड़े है…और मुझे पता नहीं था की खुली सड़क पर बाजारू औरतें ऐसे खड़ी होती है. सोरी. आइंदा मैं ऐसे खड़ी नहीं रहूंगी.’

साजन भाई ने गहरी सांस लेते हुए ‘हम्म…’ कहा.

जगदीश इस पगलाई हुई हालात से ऊब गया था.ये क्या एब्सर्ड बातें चल रही थी !

साजन भाई के आसन के ऊपर छत पर टंगे झूमर को बेमतलब देखते हुए उसने सोचा : कब यहाँ से जान छूटे और कब वो शालिनी के साथ पूना पहुंचे - तभी साजन भाई ने कहा.

‘ओ हीरो, यह सवाल सिर्फ तेरे लिए है… तू ही जवाब देगा, खबरदार अगर ये लड़की कुछ बोली.’

दोनों ठगे से साजन भाई को देखने लगे.

‘इस के बोबले की साइज़ बताओ.’

जगदीश सन्न रह गया. पर उसी पल उस के लिंग ने इस सवाल से एक झटका खाया. फलेश में उसे कार की साइड मिरर से देखे हुए शालिनी के स्तन की झलक याद आ गई….

शालिनी की तो हालत शर्म से पतली हो गई.

जगदीश ने नरम आवाज में कहा.

‘देखिए मैं उस टाइप का आदमी नहीं हूँ, मुझे इस सवाल का जवाब नहीं पता.’

‘अंदाज से बता. ‘

‘प्लीज़, ऐसी बातें न करें.’ जगदीश ने विनती की. उसे खुद समझ नहीं आ रहा था की शालिनी के बारे में ऐसी बातें सुन कर उसे गुदगुदी हो रही थी या गुस्सा आ रहा था या दोनों ?

‘पर तुझे तो अंदाजा भी नहीं होगा ना साइज़ का! एक काम करो बहु रानी, कमीज़ के हुक खोलो…’

साजन भाई ने बहुत सहजता से कहा पर जगदीश के लिए यह पानी सर के ऊपर चढ़ गया था.

‘यह आप कैसी गिरी हुई बात कर रहे हो?’ जगदीश ने क्रोध से कांपती आवाज़ में पूछा.

‘अरे?’ साजन भाई को जैसे आश्चर्य हुआ की जगदीश क्यों विरोध कर रहा है! उसने जगदीश से समझा- बुझाने के स्वर में कहा, ‘अच्छा, अपनी आँखे बंद कर और तेरी बहु के बोबले बंद आँखों के सामने ला.’

जगदीश देखता रह गया - क्या यह आदमी पागल है?

‘अबे बोला ना बंद कर अपनी आँखे!’ साजन भाई गुर्राया.

जगदीश ने अपनी आँखे बंद की.

‘अब इन बोबलो का ध्यान धर.’ जगदीश को साजन भाई की आवाज सुनाई दी. न चाहते हुए भी जगदीश की कल्पना में शालिनी के विशाल वक्ष लहराने लगे… उसने लिंग में एक गर्माहट महसूस की…

उधर शालिनी शर्म से जमीं में गड़ी जा रही थी… क्या सच में जेठ जी मेरे स्तनों को अपनी कल्पना में देख रहे होंगे! उसने सोचा और उसने अपनी योनि में रस झरता महसूस किया. अपने शरीर की इस हरकत से वो परेशान हो गई….

‘अब खोल आँखे.’

जगदीश ने आँखें खोल दी.

‘कुछ समझ में आया कितनी साइज़ होगी?’

जगदीश ने कहा. ‘प्लीज़ ऐसी अश्लील बातें न करें…’

‘अरे अश्लील की अभी बोलू वो. तुम साइज़ क्यों नहीं बता पाते वो समझ में नहीं आया क्या? तूने ढंग से इन बोबलो को अभी देखा ही नहीं ! इस लिए मैंने इसे कहा की कमीज़ का हुक खोल और दिखा अपने जेठ को एक बोबला, फिर उसे साइज़ कितनी है यह सूझेगा…’

शालिनी अपने स्तन उसे दिखा रही है इस कल्पना से जगदीश का गला सुख गया और लिंग तन गया. क्षोभ और उत्तेजना की इस अजीब मिलावट ने उसकी आवाज को भी असामान्य कर दिया. बिना आत्मविश्वास की उस आवाज को असरदार बनाने उसने ऊँचे स्वर में कहा. ‘आप के हाथ में रिवाल्वर है तो क्या कुछ भी करोगे?’

‘अबे इस घोड़े की माँ की तो!’ ऐसा दहाड़ कर साजन भाई ने अपनी रिवोल्वर आसन के सामने पड़े टेबल पर रख दी और कहा.

‘ये लो हटा दिया घोडा !’

दोनों ने चैन की सांस ली.

‘अब तुम कमीज़ के हुक मत खोलो. ’ साजन भाई ने शालिनी से कहा.

दोनों चौंके पर दोनोंने और राहत महसूस की.

पर दूसरे ही पल साजन भाई ने जगदीश से कहा. ‘इस की कमीज़ के बदले तुम अपनी पैंट उतारो.’

फिर शालिनी और जगदीश को झटका लगा.

‘जल्दी बोलो. पेंट उतरेगी या कमीज़?’

जगदीश चुपचाप अपना बेल्ट खोलने लगा. शालिनी ने लजा कर मुंह फेर लिया. जगदीश ने पेंट घुटनों तक उतार दिया. उसके लिंग के हिस्से पर शर्ट का छोर लटक रहा था. साजन भाई ने जगदीश को बेरुखी से कहा. ‘अपनी शर्ट हटा बे.’

जगदीश को बहुत शर्म आ रही थी क्योंकि पिछले कुछ मिनट में जो कुछ हुआ उससे उसका लिंग एकदम उत्तेजित अवस्था में आ गया था. उसने हिचकिचाते हुए अपनी शर्ट को ऊपर किया. साजन भाईने जगदीश की अंडरवियर में तने हुए लिंग को देख कर ठहाका मार कर कहा. ‘अबे ये तो तना हुआ है!’

जगदीश क्या जवाब देता?

‘बहुरानी? देखो तुम्हारे जेठ जी का लोडा तना हुआ है कि नहीं?’

शालिनी ने शर्माते हुए तिरछी नजर से देखा और हाँ में सर हिलाया.

‘जबान से बोलो, सर मत हिलाओ.’ साजन भाईने कड़क आवाज में कहा.

‘जी हाँ, तना हुआ है.’

यह सुन जगदीश का लिंग और तन गया. साजन भाई ने कहा ‘क्या तना हुआ है? साफ़ साफ़ बताओ, शर्माओ मत. -’

‘जी… वो जेठ जी का …’

शालिनी वाक्य पूरा नहीं कर पाई.

‘शाबाश …शाबाश…, आगे बोलो?’

‘उनका… लिंग तना हुआ है…’ किसी तरह शालिनी ने बोल दिया. शालिनी की यह बात सुन कर जगदीश का लिंग अब अपने तूफ़ान पर पहुंचा.

‘हा… हा….हा…. ‘ ठहाके के साथ हंसते हुए साजन भाई ने कहा. ‘खुद खड़ा भी करवाती है और फिर जब खड़ा हो जाए तो शरमाती भी है!’

शालिनी और जगदीश भयंकर दोष भावना में धंस गए…

‘सुन बहु के जेठ!.’ साजन भाई ने गरज कर डांट ने के सुर में कहा. ‘जो शरीफाई तुम चोद रहे थे वो सच होता तो अपनी बहु के बोबले की साइज़ की बातोसे तुम्हारा सामान यूँ परवान पर नहीं होता. अगर तुम्हारे लोडे में कोई हरकत नहीं हुई होती तो मैं तुम दोनों को इसी वक्त यहां से चले जाने देता.इसी वक्त! पर तुम खुद अपना हाल देख सकते हो की तुम कितने साफ़ दिल इंसान हो. इसलिए नाटक बंद करो. समझ में आया? ये जो हो रहा है वो मेरे घोड़े की वजह से नहीं बल्कि ये सब तेरे लोडे की डिमांड है. खुद चेक कर ले.’

जगदीश के पास इस बात का कोई जवाब नहीं था.जैसे कोई चोरी करते हुए वो रंगे हाथ पकड़ा गया हो...उसकी हालत इतनी खस्ता थी की उसे अपना पेंट फिर ऊपर चढाने का भी होश नहीं बचा था.

( प्रिय पाठकों, साजन भाई के तर्क में दम है? प्लीज़ बताइयेगा। )

(५ - ये तो सोचा न था…समाप्त, क्रमश:)

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Raja jani

आवारा बादल
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बहुत मजा आ रहा यार और हंसी भी आ रही सच मे मर्द सिर्फ मर्द होता है पहले बाँकी सारे रिश्ते तो परंपरा से बने होते हैं तो लंड रिश्ते नाते नही जानता न मानता।
 
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