वापस आते समय जब वे लक्ष्मण पुर पहुंचे,,
ज्योति _राजेश, देखो वो सामने मेडिकल है, वहा से कोइ अच्छी सी मलहम लेलो, ताकि उसे लगाने से छिली हुई त्वचा जल्दी ठीक हो सके।
राजेश _ठीक है दीदी,,
राजेश ने मेडिकल दुकान के सामने गाड़ी रोक दिया।
राजेश ने मेडिकल से एक क्रीम ले लिया जिसे लगाने से कटी हुई त्वचा जल्दी ठीक हो सके।
मेडिकल से दवाई लेने के बाद वे घर के लिए निकल पड़े जब वे भानगढ़ पहुंचे तो लोग उन्हें घूर रहे थे उनके मन में कई तरह के प्रश्न उठ रहे थे ये कार तो ठाकुर के बेटी की है फिर इसे कौन चला रहा है और बाजू में बैठी महिला कौन है! जब वे अपने गांव पहुंचे तो गांव वाले भीअपने मन में सवालिया निशान लगाए उन्हे देखने लगे।
राजेश _दीदी आप घर के अंदर चलो, मैं कार दिव्या जी को वापस करके आता हूं।
ज्योति _ठीक है राजेश।
राजेश कार लेकर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र चला गया।
वहा कार की चाबी देने दिव्या के रूम में गया।
दिव्या _अरे आ गए छोड़ कर दीदी को।
राजेश _जी दिव्या जी, धन्यवाद दिव्या जी,
दिव्या _अरे इसमें धन्यवाद की क्या बात? यह तो मेरा फर्ज था।
उसने चपरासी को बुलाया और दो कॉफी मंगवाया।
दिव्या _राजेश तुम्हारे निशा का क्या हाल चाल है, कोइ फोन वगैरा आया था।
राजेश _नही दिव्या जी, मुझे नही लगता कि वो मुझे भुल गई।
दिव्या _पर मुझे लगता है कि वो एक दिन जरूर वापस आयेगी।
चपरासी ने कॉफी लाया, दोनो काफी पीने लगे।
कॉफी पीने के बाद,,
राजेश _अच्छा दिव्या जी अब मैं चलता हूं।
दिव्या _ठीक है राजेश, अब मेरा भी घर जाने का समय हो गया है।
राजेश अपना बाइक लेकर घर आ गया जब वह घर पहुंचा।
पदमा खेत से घर आ चुकी थी।
पदमा _आ गया राजेश बेटा।
राजेश _हां ताई, आप कब आई खेत से, और भुवन भैया कहा है?
पदमा _मैं भी अभी आई बेटा, खेत में कुछ काम ज्यादा है तो भुवन थोडा लेट से आएगा।
वैसे क्या कहा डाक्टर ने ।
राजेश _डाक्टर ने कहा की सब ठीक हैकुछ दवाई दी है उसे रोज लेने को कहा है, दीदी ने तो बताया ही होगा।
पदमा _हां।
राजेश _वैसे दीदी कहा है?
वो वो कीचन में बहू के साथ है।
पदमा _अच्छा बेटा जाओ तुम भी फ्रेस होकर थोड़ा आराम कर लो।
राजेश _ठीक है ताई।
राजेश अपने कमरे में जाकर कपड़ा चेंज किया फिर पीछे बाड़ा में बने बाथरुम में जाकर फ्रेस हो गया। अपने में जाकर आराम करने लगा।
पदमा _अरे बहू जाओ, राजेश को चाय दे दो,,
पुनम _ठीक है मां जी।
ज्योति _पुनम, दो राजेश को मैं चाय दे आती हूं। तुमने मुझ से वादा किया है न की तुम राजेश से अब दूर रहोगी।
राजेश के कमरे में जाने की बात हो तो तुम नही मैं जाऊंगी? क्यों की मुझे तुम पर कोइ भरोसा नहीं, वहा फिर से तुम शुरू हो गई तो,,
पुनम _ठीक है दीदी।
ज्योति राजेश के कमरे में चाय लेकर गई,,,
राजेश _अरे, दीदी तुम,,,
ज्योति _क्यू मैं नही आ सकती?
राजेश _नही, ऐसी बात नही चाय हमेशा भौजी ही लेकर आती थी ना इसलिए,,,
ज्योति _हूं, मैने उसे मना कर दिया है, तुम्हारे कमरे में आने के लिए, पता नही तुम लोग घर की मान मर्यादा छोड़कर फिर कब शुरू हो जाओ।
इसलिए अब चाय या और कोइ चीज तुम्हे देनी हो तो तुम्हे मै दूंगी।
लो चाय पी लो।
राजेश बेड से उठ बैठा और चाय की प्याली लेते हुए कहा, धन्यवाद दीदी।
राजेश _वैसे दीदी आज आपको कैसा लगा?
ज्योति _क्या?
राजेश _वही, कार में घूमना, फिर ढाबे में खाना।
दीदी _बहुत अच्छा, और तुम्हारा बहुत बहुत शुक्रिया, मेरा इच्छा पूरा करने के लिए।
राजेश _दीदी, ये तो कुछ भी नही और कोई ईच्छा हो तो मुझे बता देना, मैं आपकी सारे इच्छाएं पूरी करने की कोशिश करूंगा।
ज्योति _,, ठीक है।
अच्छा ये बताओ, तुमने मलहम लगाया की नही। अभी भी जलन हो रही है क्या?
राजेश _दीदी, जलन तो हो रही है, ठीक होने में समय तो लगेगा ही।
दिव्या _दवाई लगाई की नही।
राजेश _नही दीदी।
आप लगा दो न,,
ज्योति _चल हट बेशरम मैं क्यूं लगाऊं। मैं पुनम और तेरी तरह बेशरम नही।
राजेश _वो तो मैं इसलिए कह रहा था की आपने जब चोट पर अपना थूक मला था न तो आधा दर्द ऐसे ही दूर हो गया था। जब अपने हाथो से मलहम लगाओ गी तो देखना दो दिनों में ही ठीक हो जायेगा।
ज्योति _पर मुझे बड़ी शर्म आयेगी, और किसी ने देख लिया तो किसी को मुंह दिखाने लायक नहीं रहूंगी।
राजेश _अच्छा तो रात में लगा देना जब सब सो जाए।
ज्योति _ठीक है, सोचूंगी।
ज्योति वहा से चली गई।
कुछ देर बाद भुवन घर आया। राजेश और भुवन दोनो, टहलने के लिए चले गए।
वहा से आने के बाद भुवन रात का भोजन कर खेत चला गया। राजेश अपने कमरे में पढ़ाई करने लगा।
घर के सभी लोग भोजन करने के बाद अपने कमरे में आराम करने लगे।
आज राजेश के कमरे में दूध का गिलास लेकर पुनम की जगह ज्योति आई।
ज्योति _क्या कर रहे हो, लो दूध पी लो,,
राजेश _शुक्रिया दीदी।
जब ज्योति जाने को हुई।
राजेश _दीदी, आप दवाई लगाने वाली थी।
ज्योति _मुझसे नही हो पाएगा, तुम खुद ही लगा लो,, पुनम अभी कीचन में ही है वो यहां आ गई तो, वो क्या सोचेगी?
न बाबा, मैं किसी को मुंह दिखाने लायक नहीं रहूंगी।
राजेश _अच्छा ठीक है, दीदी रहने दो।
ज्योति वहा से चली गई।
कीचन का काम निपटा कर पुनम और ज्योति दोनो अपने कमरे में सोने चले गए।
कुछ देर बाद ज्योति ने क्या सोंचा पता नही, वह आरती की ओर देखी जो गहरी नींद में सो रही थी उसकी बेटी भी उसके साथ सो रही थी। वह धीरे से उठी और अपने कमरे से निकल कर राजेश के कमरे की ओर चली गई।
उसने कमरे में जाकर देखा राजेश अभी भी पढ़ाई कर रहा था।
वह कमरे में प्रवेश किया।
राजेश _अरे दीदी तुम।
ज्योति _हां, वैसे आना तो नही चाहती थी, पर सोचा पता नही तुमने दवाई लगाया भी की नही, कहीं जख्म और न बड़ जाए।
राजेश _दवाई तो अब तक नही लगाई दी।
ज्योति _अच्छा ये लोवर और अंडरवियर निकाल लूंगी लपेट लो, मैं दवाई लगा देती हूं। जल्दी करो कहीं कोइ उठ न जाए।
राजेश _ठीक है दी।
राजेश ने अपना लोवर और चड्डी निकाल दिया और एक लूंगी लपेट लिया।
और बेड पर लेट गया।
ज्योति _, दो मलहम लगा देती हूं।
राजेश ने मलहम ज्योति को दे दिया।
ज्योति ने मलहम अपने उंगली पर ले लिया।
ज्योति _लूंगी हटाओ।
राजेश ने अपना लूंगी हटा दिया।
लंद ज्योति के आंखों के सामने आ गया।
वह संकोच करती हुई एक हाथ से लंद को पकड़ी और कटी हुई जगह को देखने लगी।
कटी जगह पर उंगली से मलहम लगा कर मालिश करने लगी।
ज्योति के मुलायम हाथो का स्पर्श पाकर लंद में तनाव आने लगा।
ज्योति की दिल की धड़कन बढ़ने लगी।
देखते ही देखते लंद एकदम तन कर खड़ा हो गया।
ज्योति शर्म से पानी पानी हो गई।
वह उठ कर जाने लगी।
राजेश _क्या huwa दीदी, थोड़ी देर और मालिश कर दो।
ज्योति को वहा और रुकने की हिम्मत नही हुई। वह अपने कमरे में चली गई। उसकी दिल की धड़कन बढ़ चुकी थी।
वह अपने बेड पर सोने की कोशिश करने लगी। पर उसकी आंखो के सामने राजेश का मोटा और लम्बा लंद ही नजर आ रहा था।
उसे अपने योनि में गीला पन महसूस huwa वह अपने उंगली ले जाकर boor पर फेरा तो पता चला उसकी boor बुरी तरह गीली हो गई है।
वह रुकी नही और राजेश की लंद को इमेज करके अपनी उंगली से boor को रगड़ती रही और कुछ ही देर में झड़ने लगी।
उसे आत्मग्लानि महसूस होने लगी।
छी ये मैंने क्या किया? अपने ही छोटे भाई का लंद याद कर boor रगड़कर झड़ गई। पर झड़ने के बाद उसे बहुत अच्छा महसूस होने लगी।
कुछ देर बाद वह भी गहरी नींद में सो गई।
अगले दिन राजेश सुबह नाश्ता करने के बाद। स्कूल के समिति वालो के साथ शाला विकास के लिए फंड इकट्ठा करने, गांव में भ्रमण करने लगा।
वह जिसके घर भी जाता, राजेश का सम्मान करते, उसकी बातो को ध्यान से सुनते और अपनी क्षमता अनुसार शाला को दान करते।
इधर जब ज्योति का नहाने का समय huwa, वह पुनम को अपने पास बुलाकर बोली,,
पुनम _क्या बात है दी कुछ काम था क्या?
ज्योति _कैसे कहूं, मुझे तो शर्म आ रही है?
पुनम _अरे दीदी मुझसे क्या शर्माना बोलो क्या बात है?
ज्योति _कल हम चेक अप के लिए डाक्टर के पास गए थे न, तो डाक्टर ने जब मेरे वहा पर बाल देखी तो उसे साफ़ करने बोली है, नही तो इन्फेशन का हो सकता है।
क्या तुम्हारे पास रेजर है? ज्योति शर्माते हुए बोली।
पुनम _दीदी इसमें शर्माने की क्या बात है। पर आपने कभी रेजर का उपयोग किया है?
ज्योति _नही।
पुनम _दीदी , पहली बार रेजर का उपयोग करो तो कटने का डर रहता है। कहीं कट गया तो परेशानी में पड़ जावोगी।
ज्योति _ओह तो क्या करू?
पुनम _अगर तुम कहो तो तुम्हारी बालो को मैं साफ़ कर दूंगी।
ज्योति _पर मुझे बहुत शर्म आयेगी।
पुनम _ओह दीदी, तुम भी न, देखो अभी तुम नहा लो। दोपहर में जब मां खेत चली जाएगी। आरती भी अपनी सहेली के घर चली जाती हैं, उस समय मैं तुम्हारे बालो को साफ़ कर दूंगी।
ज्योति _मुझे तो सोच के भी बड़ी शर्म आ रही है।
पुनम _दीदी शर्माना छोड़ो और मैने जैसा कहा है वैसा करो, पुनम मुस्कुराते हुवे बोली।
ज्योति नहाने चली गई। दोपहर में राजेश घर आया और भोजन किया सभी ने भोजन किया, पदमा खेत चली गई।
राजेश कुछ देर आराम करने के बाद फिर से गांव में शाला के लिए फंड इकट्ठा करने चला गया।
आरती भी अपनी सहेली के घर चली गई। ज्योति ने मुन्नी को भी अपने साथ ले जाने कहा।
अब घर में केवल पुनम और ज्योति ही रह गई।
पुनम _दीदी, चलो मेरे कमरे में चलते है। मैं तुम्हारे बाल साफ़ कर दूंगी।
ज्योति और पुनम दोनो कमरे में आ गए।
पुनम ने अलमारी से सेविंग करने का सामान निकाल लिया जिससे भुवन अपना दाढ़ी बनाता था।
पुनम _दीदी आप बेड के किनारे लेट जाओ।
ज्योति _मुझे बड़ी शर्म आ रही है।
पुनम _दीदी अब मुझसे क्या शर्माना। आपको पता है मैं अपनी बाल कभी कभी तो भुवन से साफ़ कराती हूं।
ज्योति _क्या?
तू सच में बड़ी बेशरम है। पुनम हसने लगी।
पुनम _उससे बाल बनवाने में बड़ा मज़ा आता है।
उसे तो चिकनी boor ही पसंद है। और,,
ज्योति _और क्या?
पुनम _और राजेश को भी।
चलो अब लेट जाओ। ज्योति शर्माते हुवे बेड किनारे लेट गई। और अपनी दोनो टांगे फैला दी।
पुनम _दीदी अपनी साड़ी और पेटिकोट तो हटाओ।
ज्योति ने शर्माते हुवे अपनी साड़ी और पेटीकोट ऊपर उठा दिया।
जब पुनम ने ज्योति की boor पे घने जंगल देखा।
पुनम _दीदी ये क्या इतना घना जंगल, आपका गुफा तो दिखाई ही नही दे रहा।
ज्योति _चुप कर बेशरम,,,
पुनम ने बालो पर क्रीम लगाया और ब्रश चलाया। फिर रेजर पर नया ब्लेड लगाकर बालो को साफ़ करने लगी।
ज्योति को बड़ी शर्म आ रही थी, गुदगुदी भी हो रही थी।
ज्योति _अरे बेशरम जल्दी करो और कितनी देर लगेगी।
पुनम _बस दीदी हो गया।
पुनम ने धीरे धीरे करके पूरे बालो को साफ़ कर दिया।
एक बार बाल साफ़ करने के बाद फिर से योनि के आस पास ब्रश चलाया, तो ज्योति सिसकने लगी, आए उन
पुनम _क्या huwa दीदी, मुस्कुराते हुवे पूछी।
ज्योति _कुछ नही तू जल्दी कर।।
पुनम ने योनि को एक बार फिर रेजर चला कर साफ़ किया।
पुनम _दीदी आपकी बुरिया तो बहुत खुबसूरत लग रही है। एकदम फूली हुई मस्त चिकनी। ज्योति _चुप कर बेशरम।
ज्योति की boor एकदम गीली हो गई थी। जब पुनम ने देखा तो समझ गई कि ज्योति गर्म हो गई है।
वह ज्योति को और गर्म करना चाहती थी।
उसने ज्योति की boor को चाटना शुरू कर दिया।
ज्योति सिसक उठी,,
वह सिसकते हुवे बोली,, आह मां, आह,,
अरे क्या कर रही है बेशरम, ऐसा मत कर, पर पुनम नही मानी और चांटती रही।
ज्योति बहुत गर्म हो गई। अब उसे बहुत मज़ा आने लगा।
आह मां आई, आह,,
वह पुनम की सिर को योनि में और दबा दिया,,
और कुछ ही देर में चीखते हुए झड़ने लगी।
पुनम ने उसकी boor की पानी को चांटते हुवे कहा,,
दीदी आपकी boor का पानी का स्वाद तो एकदम मजेदार है?
ज्योति _छी बेशरम तू कितनी गंदी है।
पुनम _दीदी सच बोलो क्या तुम्हे मजा नही आया?
ज्योति _छी ऐसा भी कोइ करता है?
पुनम _लगता है आपका पति आपका बुरिया नही चांटते।
भुवन तो बिना चांटे घुसता ही नही।
ज्योति _क्या?
पुनम _हां, और,,
ज्योति _और,, क्या ?
पुनम _और राजेश तो और मस्त चांटता है।
ज्योति _क्या, राजेश भी।
पुनम _दीदी अपनी बुरिया को तो देखो कैसा चमक रहा है? कहीं एक बार राजेश ने देख लिया तो दीवाना हो जायेगा।
ज्योति _चुप कर बेशरम, तू तो शर्म हया सब बेच खाई है है। और सुन तू राजेश से दूर ही रहना, नही तो मां को सब सच बता दूंगी। तू क्या गुल खिला रही है।
पुनम ने अपने मन में बोली,, दीदी जब तुम्हे पता चलेगा न कि तुम्हारी मां क्या गुल खिला रही है तब देखूंगी तू क्या करेगी?
ज्योति _तुमने कुछ कहा?
पुनम _नही, तो।
दीदी अब मां जी के आने का समय हो गया है। अब तुम अपने कमरे में जाओ।
ज्योति बेड से उठी और अपने कमरे में चली गई।
र
रात में ज्योति, दूध का गिलास लेकर फिर राजेश के कमरे में गई।
ज्योति _लो, दूध पी लो।
राजेश _शुक्रिया दीदी।
जब ज्योति जाने लगी।
राजेश _दीदी, आज आवोगी न मलहम लगाने।
ज्योति शर्मा गई,, अपने हाथो से लगा लेना।
राजेश _ठीक है दीदी, पर मैं तो इसलिए कह रहा था की कल आपने जो क्रीम लगाकर मालिश की थी उससे काफी राहत मिला, एक दो दिन मे जख्म बिल्कुल ठीक हो जायेगा। लगा देती तो,,
ज्योति _ठीक है देखूंगी,,,
रात में जब ज्योति ने देखा कि सभी सो गए है वह चुपके से उठी, उसका दिल जोरो से धड़क रहा था।
वह राजेश के कमरे में गई।
राजेश पहले से ही लूंगी पहन कर बेड पर लेट कर ज्योति के आने का इन्तजार कर रहा था।
राजेश _लो दीदी, क्रीम लो।
राजेश ने लंद के ऊपर से लूंगी हटा दिया।
ज्योति का दिल जोरो से धड़क रहा था।
लंद पहले से ही खड़ा huwa था।
ज्योति ने लंद को एक हाथ से पकड़ कर कटे हुए जगह को देखा, चोंट पहले से काफी ठीक हो गया था।
उसने कटे भाग पर क्रीम लगा कर मालिश करने लगी।
ज्योति के हाथो का स्पर्श पाते ही लंद और शख्त होकर ठुमकने लगा। जिसे देख कर ज्योति शर्म से पानी पानी हो गई। और वह कमरे से जाने लगी,,
राजेश _दी क्या huwa, कितना अच्छा लग रहा था, थोड़ी और मालिश कर देती तो,,,
ज्योति रुकी नही उसका दिल जोरो से धड़क रहा था वह अपने कमरे में चली गई, वह सोने की कोशिश करने लगी पर राजेश का लंद उसके आंखो के सामने नजर आ रहा था। उसकी chut का हाल भी बहुत बुरा हो गया था।
वह अपनी उंगली से chut की पानी बाहर निकाल कर शांत की और सो गई।
पर इधर राजेश का लंद खड़ा था, बड़े मुस्किल से वह सो पाया।
अगली रात फिर वही huwa।
ज्योति राजेश के लंद पर मालिश की, और बोली,,
ज्योति _अब तो तुम्हारा जख्म बिल्कुल ठीक हो गया है। कल से मालिश की जरूरत नही पड़ेगी ।
राजेश _हा दीदी ये तो आपके हाथो का कमाल है जो जख्म इतना जल्दी ठीक हो गया।
आपका बहुत बहुत शुक्रिया मेरी मदद करने के लिए।
ज्योति मालिश करके वहा से चली गई। और राजेश के लंद को इमेज कर अपनी chut रगड़ कर सो गई।
अगले दिन रात में दूध लेकर ज्योति, राजेश के कमरे में फिर पहुंची।
ज्योति _लो राजेश दूध पी लो।
राजेश _थैंक यू दी।
ज्योति _अब तो तुम्हारा जख्म बिल्कुल ठीक हो गया है। अब तो मुझे आने की जरूरत नही है न, ज्योति ने मुस्कुराते हुवे बोली।
राजेश _हां दीदी।
अब तो चोट बिल्कुल ठीक हो गया है। तुम्हारी मालिश से। अब तो आप मालिश करने नही आएंगी।
ज्योति _हां
राजेश _दीदी अच्छा होता आज आखरी बार और अच्छे से मालिश कर देती।
आप मालिश करती हो तो बड़ा अच्छा लगता है।
ज्योति _न बाबा, अब मैं नही आऊंगी। किसी को पता चला तो मैं मुंह दिखाने लायक नहीं रहूंगी।
ज्योति वहा से चली गई।
रात में ज्योति सोने की कोशिश करने लगी पर उसके आंखो के सामने राजेश का लंद ही नजर आ रहा था। वह बहुत गर्म हो चुकी थी। वह अपने उंगली से boor को राहत पहुंचाने में लग गई। पर पता नही उसे क्या huwa वह न चाहते हुवे भी, अपने कमरे से निकल कर राजेश के कमरे में पहुंच गई।
राजेश सोने ही वाला था, ज्योति जब कमरे में पहुंची।
राजेश _दीदी आप। आज तो आप नही आने वाली थी।
ज्योति _मैं सोंचि की आज आखरी बार मालिश कर दू। अगर तुमको नही करानी है तो जा रही हूं।
राजेश _अरे दीदी ये तो बड़ी खुशी की बात है। आ जाओ, आज अच्छे से मालिश करना आखिरी बार है।
पर क्रीम से नही।
ज्योति _फिर किस्से।
राजेश _सरसो तेल से। आप जाओ।
ज्योति _नही बाबा, ऐसे ही कराले। दीदी सरसो तेल से मालिश करने से ज्यादा लाभ होता है।
ज्योति _अच्छा।
राजेश _हां।
ज्योति _ठीक है मैं कीचन से सरसो तेल ला रही हूं।
राजेश खुश हो गया।
कुछ देर में ज्योति सरसो एक कटोरी में सरसो तेल गर्म करके ले आई। ज्योति गर्म हो चुकी थी वह न चाहते हुवे भी ये सब कर रही थी। उसके शरीर का हवस जाग चुका था।
वह राजेश के कमरे में पहुंचा और दरवाजा बंद कर दिया।
राजेश बेड पर लेट गया और अपना लूंगी निकाल दिया। ऊपर ती शर्ट पहना था नीचे से नंगा हो गया। उसका लंद हवा में लहरा रहा था।
उसे देख कर ज्योति की योनि से चिपचिपा पानी बहना शुरू हो गया।
राजेश _लो दीदी अब अच्छे से मालिश कर दो।
ज्योति ने सरसो का तेल कटोरी से अपने हाथ में डालकर उसे लंद पर चुपडा और मालिश करने लगी।
राजेश को बहुत मजा आने लगा।
राजेश _दीदी बहुत अच्छा लग रहा है, ऐसे ही मालिश करती रहो दीदी आह।
राजेश का जोश बढ़ता जा रहा था उससे रहा न गया और एक हाथ से ज्योति चूची ब्लाउज के ऊपर से मसलने लगा।
ज्योति चौंकी, पर उसे भी अच्छा लगने लगा उसने कोइ विरोध नही किया।
राजेश का हिम्मत और बड़ गया, उसने ब्लाउज का बटन एक एक कर खोल दिया और चूची को ब्लाउज से आज़ाद कर दिया।
ज्योति की दूध से भरे मस्त बड़ी बड़ी सुडौल स्तन को देख कर राजेश के लंद ने झटका मारा।
जिसे ज्योति ने अपने हाथो में महसूस किया।
वह तेल लगा लगा कर बहुत अच्छे तरीके से लंद और अंडकोष की मालिश करने लगी।
इधर राजेश ने चूची को मसलना जारी रखा।
कुछ देर चूची मसलने के बाद राजेश ने एक चूची मुंह में लेकर चूसना शुरू कर दिया।
ज्योति सिसक उठी।
वह बहुत उत्तेजित हो गई।
ज्योति की चुचियों को बारी बारी से चूसने लगा।
कुछ देर बाद,,,
राजेश दीदी अब बस करो,, ज्योति ने मालिश करना बंद कर दिया।
राजेश उठ कर बैठ गया।
वह दोनो हाथो से चूची पकड़ कर बारी बारी पीने लगा।
ज्योति प्यार से उसके बालो को सहलाने लगी और सिसकने लगी।
राजेश ने ज्योति की आंखो में देखा। ज्योति शर्मा गई।
राजेश ने उसकी ओंठो को मुंह में भर कर चूसने लगा।
ज्योति तेज़ तेज़ सांसे लेने लगी।