• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Incest यह क्या हुआ

Iron Man

Try and fail. But never give up trying
44,097
116,473
304
Shaandar update
 
  • Like
Reactions: rajesh bhagat
411
536
93
राजेश ने कुसुम को अपने गोद में बिठा लिया और लाजो से कहा।
राजेश _लाजो, भाभी का दूध निकालने के लिए गिलास तो लेकर आओ।
लाजो _अभी लाती हूं भैया।
राजेश _अरे तुम रुको, मां जी कहा है उनसे कहो, तुम सवाल बनाओ ।
लाजो _मां, कहा हो,, राजेश भैया बुला रहे है?
ललिता अपने कमरे में आराम कर रही थी वह बाहर आई।
ललिता _क्या है बेटी?
लाजो _मां, राजेश भैया एक गिलास मंगा रहे हैं। भाभी का दूध निकालने। आज राजेश भैया भाभी की दूध से बना चाय पीना चाहते हैं।
राजेश _मां जी, अगर हम भाभी की दूध से बना चाय पीए तो आपको एतराज तो नही।
ललिता _बेटा अब मैं क्या बोलूं, जैसे आपको अच्छा लगे।
राजेश _अच्छा, तो फिर भाभी की दूध निकालने में मेरी मदद करो। जाओ कीचन से गिलास लेकर आओ।
ललिता, मुस्कुराते हुवे, कीचन में गई और एक गिलास लेकर आई।
इधर राजेश ने कुसुम का ब्लाउज निकाल दिया था। उसकी चूची एकदम नंगी हो गई थी।
राजेश ने दोनो चुचियों को अपने हाथो से पकड़ कर उसकी चूचक को दबाया। दूध की फौवारा निकलने लगा।
ललिता दूध को गिलास में इकट्ठा करने लगी।
राजेश कुसुम की चुचियों को मसल मसल कर दूध निचोड़ने लगा।
कुसुम राजेश की हरकत से एक दम गर्म हो गई। उसे मुंह से सिसकारी निकलने लगी।
उसकी boor पानी छोड़ने लगी।
जब गिलास पूरा भर गया।
राजेश _लो भई गिलास तो पूरा भर गया। पर दूध तो अभी भी निकल रहा है।
अब बचे हुए दूध को मैं पी लेता हूं।
राजेश बारी बारी से कुसुम की चूची मसल मसल कर पीने लगा।
कुसुम की हालात खराब होने लगी।
राजेश _भाभी अब जाओ और ये दूध का गिलास ले जाओ, और एक बढ़िया सी चाय बना लाओ।
कुसुम राजेश की गोद से उठ गई और गिलास लेकर शर्माती हुई कीचन में चली गई।
राजेश _मां जी जब तक, चाय नही बन जाता आप मुझे अपना दूध पिला दो।
ललिता _अरे बेटा, मेरे कहा दूध आते हैं? शर्माते हुए बोली।
राजेश _आओ मां जी कोशिश करते हैं, कोशिश करने से हो सकता है दूध आ जाए। क्यों लाजो?
लाजो _हां मां, राजेश भैया ठीक कह रहे है? राजेश भैया को कोशिश तो करने दो।
राजेश ने ललिता को अपने गोद में बिठा लिया और उसकी ब्लाउज निकाल फेका।
और ललिता की बड़े बड़े मम्मे दबा दबा कर चुचक को चूसने लगा।
ललिता _सिसकने लगी। वह उत्तेजित होने लगी।
लाजो _भैया मां की दूध आ रहा है क्या?
राजेश _नही, अभी तक तो नही, फर दूदू चूसने में मज़ा आ रहा है।
माजी की दूदू बड़े मस्त है।
लाजो _हा भैया मां के दूदू तो काफी बड़े बड़े है मेरे से दोगुने।
लाजो _भैया क्या आप मेरे भी चूसेंगे?
राजेश _, क्यू, तुम्हे भी मन कर रहा क्या चुसाने का।
लाजो _हूं। लाजो अपनी दोनो हाथो से अपनी चूची मसलने लगी।
राजेश अच्छा _आओ मेरे गोद पे बैठो, तुम्हारे भी चूस देता हूं।
लाजो _मां, अब तुम भैया की गोद से उठो मुझे बैठने दो।
ललिता राजेश की गोद से उठ गई।
लाजो अपनी कुर्ती और ब्रा उतार दी। और राजेश के गोद में बैठ गई।
राजेश ने लाजो की दूदू जो मीडियम साइज के थे मसलते हुवे कहा।
लाजो, तुम्हारे बूब्स तो एकदम कड़े हैं।
लगता है तुम पहली बार दबवा रही हो।
लाजो _हां राजेश भैया इसके पहले कभी नही मसलवाई।
लाजो को उत्तेजना महसूस होने लगी, उसकी मुंह से सिसक नकलने लगी। राजेश ने उसके चूचक मुंह में भर कर चूसने लगा।
लाजो की boor में पानी भरने लगा।
इधर राजेश का लंद भी तनकर लंबा और मोटा हो गया था।
लाजो _भैया, मेरी कूल्हे पे कुछ चुभ रहा है।
राजेश _अरे लाजो तुम लोगो की मस्त चुचियों का रसपान करने से मेरा नुनु बड़ा और मोटा हो गया है, आजाद होने के लिए छटपटा रहा है।
लाजो _अगर ऐसी बात है तो कर दो ना उसे आज़ाद, क्यू तकलीफ दे रहे हो बेचारे को।
राजेश _अच्छा ठीक है, तुम ही आज़ाद करदो उसे।
राजेश लाजो को गोद से उतार दिया और खड़ा हो गया।
लाजो ने राजेश के पैंट पर लगे बेल्ट खोलने लगी और उसकी पैंट का बटन खोल नीचे खींच दिया।
उसके बाद राजेश की चड्डी को नीचे खिसकाया।
राजेश के लंद देखकर लाजो का होश उड़ गए।
लाजो _भैया, इतना बड़ा, ये तो घोड़े का लंद लग रहा है। लाजो अपने हाथ से लंद को नापने लगा।
राजेश _मां जी अब देख क्या रही हो, चलो काम में लग जाओ।
ललिता राजेश के लंद के नीचे बैठ गई। लाजो भी बैठी हुई थी।
ललिता ने लंद पकड़ कर पहले प्यार से सहलाई फिर मुंह में भर कर चूसने लगी।
राजेश को मजा आने लगा।
राजेश _आह, उन, थोड़ा और अंदर लो,,,, हा ऐसे ही मस्त चूस रही हो आह,,
लाजो _मां मुझे दिखाओ मैं भी चूस कर देखू।
लाजो ने राजेश का लंद मुंह में लेकर चूसने की कोशिश की। आधा ही मुंह में ले पा रही थी।
वह ललिता जैसे चूसी थी, उसी तरह वह भी चूसने लगी।
लाजो _भैया आपका तो और मोटा और लंबा हो रहा है।
तभी कुसुम भी वहा आ गई।
राजेश _अरे भाभी चाय बन गया क्या?
कुसुम _अरे देवर जी चाय बनाने में थोड़ा समय है।
राजेश _अच्छा, चाय को बाद में पियेंगे आओ सब मिलकर मजा करते है, ऐसा मौका फिर नही मिलने वाला।
कुसुम भी राजेश के लंद के नीचे बैठ गई अब बारी बारी तीनो राजेश के लंद को चूसने लगी उसके गोटे को चाटने लगी।
कुसुम उठी और राजेश के शर्ट बनियान भी उतार कर पूरा नंगा कर दिया।
राजेश _अरे भाई मुझे नंगा करके आप लोग कपड़े में हो चलो तुम लोग भी प्राकृतिक अवस्था में आ जाओ।
ललिता _तुम्हारे कपड़े हम उतारे है तो, हमारे कपड़े तुम उतारो।
राजेश _ठीक है,
राजेश ने ललिता की साड़ी का पल्लू पकड़ा और खींचने लगा, ललिता गोल गोल घूमने लगी।
ललिता की साड़ी राजेश के हाथ में आ गया।
राजेश ने साड़ी को सूंघा, फिर फर्श में फेक दिया। उसके बाद कुसुम की साड़ी खींचकर निकाल दिया।
राजेश ने ललिता को बाहों में भर कर ओंठ चूसने लगा ललिता भी साथ देने लगी, राजेश ने ललिता का पेटीकोट का नाडा खीच दिया। उसका पेटीकोट पैर पे गिर गया।
राजेश ने एक उंगली। ललिता की boor में डाल कर अंदर बाहर करने लगा। ललिता सिसकने लगी। राजेश की उंगली ललिता की boor के पानी से भीग गया।
इधर लाजो और कुसुम अपनी अपनी boor रही थी।
राजेश ने ललिता को अपनी बाहों में उठाया और उसे टेबल पे लिटा दिया।
और ललिता की boor चाटने लगा। ललिता आनंद में हाथ पैर कपकपाने लगी।
राजेश _लाजो मेरा, लंद पकड़ कर अपनी मां की boor के छेद में डालो।
लाजो ने राजेश का लंद पकड़ा और उसे अपनी मां के boor के छेद में रख दी।
लाजो _भैया, आपका तो बहुत बड़ा और मोटा है छेद तो छोटा लग रहा है जाएगा कैसे?
कुसुम _अरे ननद जी देखना राजेश का लंद को सासु मां कैसे निगलती है।
राजेश ने ललिता की कमर को पकड़ कर एक जोर का धक्का मारा लंद सरसराता huwa आधा अंदर चला गया। ललिता चीख उठी।
लाजो आश्चर्य से देखने लगी, एक ही धक्के में आधा लंद boor के अंदर।
अब राजेश ने एक दूसरा प्रहार किया। लंद जड़ तक boor में समा गया। लेकिन लंद का टोपा ललिता के बच्चेदानी से टकराया।
वह फिर से चीख पड़ी।
लाजो, आश्चर्य से देख रही थी boor ने पूरा लंद निगल लिया था।
अब राजेश ललिता की चूची पकड़ कर दनादन,boor चोदना शुरू कर दिया।
ललिता की मादक सिसकारी, चूड़ियों की खनक और लंद की boor में आने जाने से उत्पन आवाज़, फच फाच, बरामदे में गूंजने लगी।
लाजो आश्चर्य से देख रही थी तो कुसुम अपनी boor रगड़ रही थी। वह अपनी सास को चुद्ते देख बहुत गर्म होने लगी।
इधर राजेश का लंद ललिता की भगनासा को रगड़ते हुवे पूरे गहराई तक अंदर आने जाने से उसे संभोग का परम सुख प्राप्त हो रहा था।
ऐसा आनद उसे पहली बार मिल रहा था।
उसकी chut से पानी बहकर टेबल पर टपकने लगा।
लाजो _भैया मां तो मूत रही है।
कुसुम _ये मूत नही मां जी की boor की पानी है जब औरत को बहुत मजा आता है तो ऐसे ही पानी छोड़ती है।
राजेश गपागप लंद boor में पेले जा रहा था फिर अचानक से लंद बाहर निकाल लिया।
लाजो _भैया आपका लंद तो boor का पानी पीकर और लंबा और मोटा हो गया।
कुसुम, राजेश के लंद को चूसने लगी, उसके बाद फिर से ललिता की boor में डाल दी।
राजेश फिर से चोदने लगा।
इस बार लगातार चोदते रहा, कुछ देर में ही ललिता चीखते हुए झड़ने लगी।
लाजो डर गई।
लाजो _मां तुम ठीक तो हो ना,,,
कुसुम _मां जी बिलकुल ठीक है, वह झड़ गई है न, इस आनद में उसके मुंह से चीख छूट गई।
राजेश ने चोदना बंद किया और लंद boor से बाहर निकाल दिया।
अब कुसुम को टेबल पकड़ा के झुका दिया। और उसकी टांग चौड़ी कर उसके बीच आ गया।
राजेश ने कुसुम की योनि के छेद में लंद रख कर एक जोर का झटका मारा, लंद boor को चीरकर अंदर चला गया। कुसुम चीख उठी।
राजेश ने लाजो को अपने पास खींचा और उसकी ओंठ चूसते हुए, दनादन कुसुम को चोदना शुरु कर दिया।
कमरे में कुसुम की मादक सिसकारी और फ्च फ़च की आवाज़ गूंजने लगा।
अब राजेश दोनो हाथ से कुसुम की कमर पकड़ी कर गपागप लगातार boor चोदता रहा जब तक कुसुम झड़ नही गई।
कुसुम के झड़ने के बाद राजेश ने अपना लंद उसकी boor से बाहर निकाल लिया।
लाजो को लंद चूसने का इशारा किया।
लाजो राजेश के लंद को मुंह में लेकर चूसने लगी। राजेश उसकी बाल पकड़ लिए और लंद को मुंह में ठेलने लगा।
अब राजेश ने ललिता को टेबल से उठा कर घोड़ी बना दिया और दनादन तब तक चोदते रहा जब तक वह झड़ नही गई।
फिर कुसुम को टेबल में लिटा कर उसकी जमकर ठुकाई किया, और उसे एक बार और झाड़ा।
राजेश ने अपना लंद कुसुम के boor से बाहर निकाला।
लाजो उसे चूसने लगी।
राजेश _चलो अब हम बेड पर चलते है।
सभी लाला जी के कमरे में आ गए। राजेश बेड में जाकर पीठ के बल लेट गया।
और ललिता को लंद पर बैठने का इशारा किया
ललिता पलंग के ऊपर चढ़ गई और राजेश के लंद को पकड़ कर अपनी boor के छेद में रख कर बैठ गई।
लाजो ये सब देख रही थी। उसकी हालात भी खराब हो चुकी थी उसकी चड्डी गीली हो चुकी थी। वह भी अपनी सलवार उतार कर नंगी हो गई।
कुसुम ने लाजो की boor को चाटना शुरु कर दी।
इधर ललिता राजेश के लंद के ऊपर उछल उछल कर चुदाने लगी।
कमरे में ललिता की मादक सिसकारी चूड़ियों की खनक गूंजने लगी।
कुछ देर में ही ललिता फिर से झड़ कर राजेश की बाहों में लुड़क गई।
राजेश ने उसे साइड किया और कुसुम को इशारा किया कुसुम लाजो की कुंवारी chut चाटना बंद कर पलंग के ऊपर चढ़ गई और राजेश के लंद को हाथ से पकड़ कर अपनी योनि में सेट कर बैठ गई।
राजेश ने कुसुम की कमर को पकड़ कर अपनी कमर नीचे से हिला हिला कर, कुसुम की योनि में लंद को अंदर बाहर करने लगा।
कुसुम सिसकने लगी।
उसके बाद राजेश, कुसुम की कमर पकड़ कर अपने लंद पर पटक पटक कर चोदना शुरु कर दिया।
कुछ ही देर में कुसुम भी फिर से झड़ कर राजेश की बाहों मे ढेर हो गई।
राजेश ने उसे दूसरे साइड लिटा दिया।
कुसुम राजेश और ललिता तीनो पलग पर लेटे थे।
राजेश के लंद अभी भी खड़ा था।
लाजो _भैया, अब मुझे चोदो।
राजेश _लाजो, तू अभी कुंवारी है मेरी लंद को नही झेल पाएगी। तेरी boor फट जाएगी तुम्हे दर्द होगा।
तुम्हे कल परीक्षा भी दिलानी है।
ललिता _बेटी राजेश ठीक कह रहा है, तू नही ले पाएगी।
कुसुम _boor तो एक दिन फटनी ही है। राजेश से चुदाने का मौका बार बार नही मिलेगा, लाजो तुम अपना सिल राजेश से ही तुड़वा लो।
लाजो_हा, भैया भाभी ठीक कह रही है, मुझे आपसे ही अपनी सील तुड़वानी है।
प्लीज मेरा सिल तोड़ो न।
राजेश _तुम्हारी सिल तोड़ने से पहले मां जी और भाभी का सिल तोडूंगा।
कुसुम _पर देवर जी हमारी सिल तो पहले ही टूट गई है।
राजेश ने कुसुम की गाड़ में उंगली घुसा कर कहा इसकी सिल तोड़नी है।
कुसुम _हाय दिया, इतना मोटा लंद इतनी सकरी, रास्ते में थोड़े ही जायेगा, हमारी तो गाड़ फट जाएगी।
राजेश _हूं, पहले मां जी के फाड़ेंगे उसकी गाड़ चौड़ी है, वो आराम से ले लेगी।
ललिता _न बाबा मैं नही ले पाऊंगी, बहुत दर्द होगा।
राजेश _लाजो, जाओ कीचन से घी का डब्बा ले आओ और इन दोनो की गाड़ में भर दो।
लाजो, कीचन से घी का डब्बा ले आय।
राजेश बेड से उठा और ललिता को घोड़ी बनाकर उसकी गाड़ में उंगली से घी अंदर डाल दिया और अपने लंद पर भी घी चुपड़ दिया।
ललिता _बेटा, मैं नही ले पाऊंगी, गाड़ मत मारो।
Boor चोद लो।
राजेश _boor बहुत चोद लिया अब तो गाड़ का मजा लेना है।
राजेश ने पहले उंगली डालकर गाड़ का छेद चौड़ा किया फिर अपना लंद धीरे धीरे करके आखिर ललिता के गाड़ में उतार ही दिया।
अब राजेश धीरे धीरे लंद को गाड़ में अंदर बाहर करना शुरू कर दिया।
ललिता दर्द से बिलबिलाने लगी, पर धीरे धीरे दर्द कम होता गया और अब उसे गाड़ मरवाने में मजा आने लगा।
इधर राजेश एक उंगली कुसुम की गाड़ में डालकर अंदर बाहर कर रहा था तो दुसरी तरफ ललिता की गाड़ भी बजा रहा था।
अब राजेश ललिता की गाड़ से लंद निकाल कर कुसुम की गाड़ में घुसाने की कोशिश में लग गया और अन्त में कामयाब भी हो गया। इसके बाद राजेश, बारी बारी कुसुम और ललिता की गाड़ मारने लगा।
दोनो को गाड़ मरवाने में एक अलग ही मजा आ रहा था।
लाजो _राजेश भैया, अब मेरी भी सिल तोड़ तो,, अब मुझे रहा नही जा रहा।

राजेश _ठीक है, तुम पलंग में लेट जाओ।
लाजो पलंग पर लेट गई।
राजेश, गाड़ मारना बंद कर, पलंग पर चड गया, उसके बाद वह लाजो को अपनी गोद में बिठा कर उसकी ओंठो को जी भर कर चूसा। उसकी मम्मे मसले, चूसे फिर उसे बेड पर लिटा दिया।
उसकी कमर के नीचे तकिया रख दिया। उसकी टांगे फैला कर बीच में आ गया।
कुसुम राजेश के लंद को पकड़ कर लाजो की कुंवारी boor के मुख पर रख दिया।

अब राजेश ने लाजो की ओंठ को अपनी मुंह में भर लिया और अपना लंद का दबाव योनि में डालने लगा।
लंद धीरे धीरे योनि में सरकने लगा।
जब लंद सरकना बंद किया राजेश ने एक जोर का दबाव डाला, लंद boor की झिल्ली तोड़कर अंदर चला गया।
लाजो चीखना चाही पर राजेश ने उसकी मुंह अपने मुंह में भर लिया था।
वह चीख न सकी, उसकी आंखों में आसूं भर गया।
कुछ देर वैसे ही राजेश लेटा रहा, कुछ देर बाद वह अपना लंद थोड़ा बाहर खींचा, फिर धीरे से धकेला।
राजेश लाजो की चूची से खेलने लगा।
लाजो का दर्द कम होने लगा अब राजेश अपने लंद को लाजो की योनि में धीरे धीरे अंदर बाहर करना शुरू कर दिया, कुछ देर दर्द करने के बाद अब लाजो को भी मजा आने लगा।
इधर राजेश के लंद में लाजो की झिल्ली फटने से खून निकल रहा था। ललिता एक कपड़ा लाकर राजेश की लंद और लाजो की boor को साफ की उसके बाद राजेश ने फिर से लाजो के boor में लंद डाल दिया और चोदना शुरू कर दिया।
लाजो को अब दर्द के बजाय मजा आने लगा, उसकी मादक सिसकारी कमरे में गूंजने लगी
उसकी boor से पानी बहने लगा।

कुछ ही में उसके हाथ पैर कपकपाने लगे और वह चीखते हुए झड़ने लगी।

राजेश ने चोदना बंद कर उसकी ओंठ चूसने लगा।
लाजो फूल से कली बन चुकी थी।
इधर राजेश का भी अब आने वाला था।
राजेश _अब मेरा भी आने वाला है, किसके में छोड़ूं।
कुसुम _देवर जी मेरे अंदर छोड़ो, ताकि इस घर तुम्हारे जैसे मर्द पैदा हो सके।
राजेश ने लाजो के boor से अपना लंद निकाल कर कुसुम को घोड़ी बनाकर, उसकी boor में डाल कर गाच गैच, चोदना शुरू कर दिया।
और कुछ देर में आज,,, आह, मां,,, आह,
करते हुए झड़ने लगा। वह वीर्य कि लंबी लंबी पिचकारी कुसुम के गर्भ में छोड़ने लगा।
गर्म गर्म वीर्य से अपनी योनि को महसूस करके, एक अद्भुत सुख को प्राप्त करते हुवे कुसुम फिर से झड़ गई।
राजेश झड़ने के बाद पलंग पर लेट गया। लाजो उससे चिपक कर चूमने लगी।
उसे अपने सीने से लगा ली।

कुछ देर सभी सुस्ताने के बाद अपने अपने कपड़े पहनने लगे।
कुसुम और ललिता की गाड़ फट चुकी थी जिससे उन्हें चलने में तकलीफ हो रही थी। फिर भी आज तीनो बहुत खुश थे राजेश से जो सुख उन्हे मिला था कभी उसकी कल्पना तक नही की थी।
संभोग का परम आनंद जिसे शब्दो मे बया नही किया जा सकता, राजेश से उन्हे मिला था।
राजेश इस खेल का महारथी बन गया था, औरत को कैसे खुश करना है, कैसे मैदान में लंबे समय तक डटे रह सकते है, सब कुछ सीख लिया था।
राजेश को भी इन तीनो औरतों को चोदने में एक अलग ही मजा आया था ।
पर हर chudai के बाद उसे लगता था कि वह अच्छा नही कर रहा है, वह निशा से दूर होता जा रहा है।
अब निशा के सामने क्या मुंह लेकर जायेगा? सच में वह एक आवारा बन चुका है।
ऐसा आवारा, अगर निशा उसे अपना भी ले तो वो उसे अकेली झेल नही पाएगी। वो तो फूलो जैसे नाजुक है, मैं एक लौह पुरुष। मेरे झड़ते तक वह टिक नही पाएगी ।
ये मैंने अपने को क्या बना डाला, एक काम पुरुष।
राजेश जब जोश में आता तो, सब भुल जाता और न चाहते हुए वह काम देव बन जाता, जिसका एक मात्र उद्देश्य औरत को जन्नत का सैर कराने रह जाता। उसे अधिक से अधिक काम सुख देना, जिससे वह उसका गुलाम बन जाय। और होता भी यहीं था जो औरत राजेश से एक बार chuda लेती फिर उसे दूसरे से चुदाने में मजा नही आता।
वह औरत बस राजेश को एक बार और पाने की ख्वाब सजाती रहती।
उस दिन राजेश ने कुसुम की दूध से बना चाय पिया, और कुसुम को कल की परीक्षा के लिए आवश्यक मार्गदर्शन दिया। फिर घर आ गया।
अपनी परीक्षा की तैयारी करने लगा।
इधर निशा राजेश को भूलने की कोशिश करने लगी।
आर्यन, सीमा और निशा एक बीच दोस्ती बढ़ने लगी।
एक दिन आर्यन ने सीमा को बताया कि वह निशा को प्यार करने लगा है, पर उससे कहने की हिम्मत नही हो रही है।
सीमा _ये मुश्किल है?
आर्यन _क्या मुश्किल है, मैं समझा नही।
सीमा _यहीं, निशा के मन में प्यार जगाना।
आर्यन _पर, क्यू सीमा?
सीमा _क्यू की वह किसी और से प्यार करती है?
आर्यन _किसी और से प्यार करती है? किस्से?
कौन है वो खुशनशीब।
सीमा _आर्यन छोड़ो, उसे जानकर करोगे क्या?
वैसे भी निशा उसकी सकल देखना नही चाहती?
आर्यन _कभी कहती हो, निशा किसी और से प्यार करती है फिर कहती हो निशा उसका सकल देखना नही चाहती। ये कैसी पहेली है?
सीमा _आर्यन, तुम एक अच्छे लड़के हो, निशा का ख्याल छोड़ दो। यहीं तुम्हारे लिए अच्छा होगा?
आर्यन _सीमा आखिर बात क्या है? सब सच बताओ।
सीमा _दरअसल बात ये है की निशा राजेश से प्यार करती थी, या कहूं अभी भी करती हैं, पर वह उस लड़के को भुल जाना चाहती है, पर मुझे लगता है वह भुल नही पाएगी।
आर्यन _तुम्हारी बाते तो मुझे कुछ समझ नही आ रही, जब निशा किसी से प्यार करती है तो उसे भूलना क्यू चाहती है?
सीमा _क्यू की उस लड़के ने निशा को धोखा दिया!
आर्यन _कैसा धोखा?
सीमा _उसने दूसरे लडकियों के साथ संबंध बनाएं। इस बात की जानकारी निशा को हुई तो यह सदमा बर्दास्त करना उसके लिए मुस्किल था। वह इंडिया छोड़ दिया और लंदन चली आई।
आर्यन _ओह तो ये बात है? तब तो उसे मेरी जरूरत है? ताकि उस लड़के को भुल सके।
सीमा _अभी वह उसे भूली नही है? अगर तुम अभी उसे प्रपोज करोगे तो हो सकता है दोस्ती ही तोड़ दे।
इसलिए अगर तुम उसे प्रपोज करना चाहते हो तो धीरे धीरे उसका दिल जीतो, और जब तुम्हे विश्वास हो जाए की निशा तुम्हे न नही कहेगी। तुम उसे प्रपोज करो।
आर्यन _सीमा तुम ठीक कह रही हो, निशा को अब मैं प्रपोज करने से पहले उसका दिल जीतूंगा। अच्छा ये तो बताओ की आखिर उस लड़के में ऐसी क्या बात थी की निशा उससे प्यार करने लगी।
सीमा _ये पूछो क्या खास बात नही थी? सब लडकिया उस पर मरती थी।
रआर्यन _क्या, सब लडकिया?
तुम भी?
सीमा _मैने कहा न सब लडकिया?
निशा तो लड़को से दूर भागती थी, उन्हे लड़के पसंद नही थे पर राजेश की अच्छाइयों ने उसके लिए निशा के दिल में अपने लिए जगह बना ली।
आर्यन _आखिर उस लड़के में ऐसी क्या खास बात है? मैं भी एक बार उससे मिलना चाहूंगा।
सीमा _पर उसके लिए तुम्हे इंडिया जाना पड़ेगा।
आर्यन _मौका मिला तो जरूर जाऊंगा।
सीमा जी अब मैं पहले, निशा जी का दिल जीतूंगा उसके बाद, उसे प्रपोज करूंगा?
सीमा _हा ये ठीक रहेगा!।
इधर दिव्या, ने राजेश को फोन किया?
दिव्या _राजेश, कैसे हो?
राजेश _मैं ठीक हूं दिव्या जी। आप कैसी है?
दिव्या _मैं भी ठीक हूं?
राजेश _दिव्या जी कुछ काम था क्या?
दिव्या _नही कुछ खास नही? तुम्हारी दीदी की तबियत कैसी है? कुछ प्रोब्लम तो नही।
राजेश _नही दिव्या जी वो तो बिल्कुल ठीक है?
दिव्या _, उसकी डील वरी का समय पास आ गया है। तुम लोगो को उसका खास ध्यान रखना होगा। जरूरत पड़े तो मुझे काल करना। मैं गाड़ी भिजवा दूंगी। अपनी दीदी को प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र ले आना। कोइ रिस्क मत लेना।
राजेश _ठीक है दिव्या जी।
दिव्या _वैसे राजेश आज दोपहर में क्या कर रहे हो?
राजेश _जी, वैसे तो मैं अपनी परीक्षा की तैयारी करता हूं और तो कोइ काम नही है।
दिव्या _दरअसल मुझे मुवी देखे बहुत समय हो गई है, पता चला कि एक अच्छी मूवी आई है तो देखने का मन है पर यहां तो कोइ दोस्त हैं नही जिसके साथ मैं मूवी देखने जाऊं? क्या तुम चलोगे मेरे साथ मुवी देखने।
राजेश _पर दिव्या जी आपकी तो ड्यूटी रहती हैं न।
दिव्या _आज सन्डे है न तो आज दो बजे तक ही ड्यूटी करुंगी वैसे तो सन्डे को छुट्टी रहती है फिर भी कुछ जटिल केश के लिए जाना पड़ता है।
राजेश _ओह, तब तो ठीक है।
पर ठाकुर साहब को पता चलेगा कि आप मेरे साथ मूवी देखने गई हो, तब। आपको डांट पड़ेगी।
दिव्या _मैं अब इतनी बच्ची भी नही हूं कि एक मूवी देखने के लिए भी खुद फ़ैसला न ले सकू। वैसे मैने मां से बात कर ली है और वह मान गई है। वैसे भी पिता जी अभी राजधानी गए हुवे है। अभी विधानसभा सत्र चल रहा है न।
राजेश _पर गीता दी के साथ भी जा सकती थी।
दिव्या _दी को मूवी पे कोइ इंट्रेस्ट नही। वैसे भी अब वह राजनीति से जुड़ गई है जहा भी जाती है कार्यकर्ता घेर लेते है।
राजेश _ओह, ये बात है? तो फिर ठीक है दिव्या जी चलते है मूवी देखने। पर लक्ष्मण पुर में तो सिनेमा घर है नही।
दिव्या _धरम पुर में तो है न यहां से 50km दूर, एक घंटा तो जाने में ही लगेगा।
हम 2बजे निकलेंगे, 3बजे से मूवी सुरू होगी। 7बजे तक घर आ जायेंगे।
राजेश _ठीक है जी।
दिव्या _एक काम करना, तुम 10 बजे मेरे साथ ही प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र चलना वही से हम मूवीदेखने चलेंगे।
राजेश_ठीक है दिव्या जी।

राजेशने जब घर के लोगो को इस बारे में बताया कि वह दिव्या जी के साथ मूवी देखने जा रहा है।
पदमा _बेटा, ये ठाकुर तुम्हे गांव से भगाना चाहता है, वह तुम्हे दुश्मन समझता है और तुम उसकी बेटी के साथ मूवी देखने जा रहे।
ठाकुर की बेटी को मना कर देना चाहिए था।
राजेश _ताई अगर उसे मना करता तो उसे अच्छा नही लगता।
पदमा _बेटा, क्या ठाकुर अपने बेटी को तुम्हारे साथ मूवी देखने भेजेगा।
राजेश _अभी तो ठाकुर, राजधानी गया huwa है?
पदमा _जब आयेंगे तो पता तो चलेगा ही।
राजेश _दिव्या ने कहा है की उसकी मैं ने इजाजत दी है।
ताई आप बेकार ही चिन्ता कर रही है। दिव्या जी ठाकुर को समझा लेगी।
राजेश 10 बजे बाइक से हवेली पहुंच गया।
वहा पर दिव्या उसी के आने का इन्तजार कर रही थी।
जब वह हवेली पहुंचा।
दिव्या _राजेश तुम आ गए। मैं तुम्हारा ही इन्तजार कर रही थी।
राजेश _मुझे लेट तो नही हो गया।
दिव्या _नही तुम बिलकुल सही समय पर आए हो।
तभी वहा गीता भी आ गई,,
राजेश _नमस्ते गीता दीदी।
गीता _नमस्ते राजेश कैसे हो?
राजेश _मैं बिल्कुल ठीक हूं दीदी, आप कैसी है?
गीता _मैं भी बिल्कुल ठीक हूं।
राजेश _दीदी आप भी क्यू नही चलती मूवी देखने?
गीता _नही राजेश, अगर मैं मूवी देखने गई तो, कार्यकर्ता पीछे पड़ जायेंगे। मूवी देखने का मजा खराब हो जायेगा। तुम लोग जाओ।
तभी वहा ठकुराइन भी आ गई,
रत्नवती_अरे राजेश बेटा तुम आ गए।
राजेश ने पैर छूकर प्रणाम किया।
राजेश_हा, मां जी, आप कैसी है।
रत्नवती_मैं ठीक हूं बेटा तुम कैसे हो?
राजेश_मैं भी बिल्कुल ठीक हूं। मां जी।
रत्नवती_बेटा, तुम दिव्या की हिफाजत करना। मैं उसे तुम्हारी जिम्मेदारी पे भेज रही हूं।
, राजेश _मां जी आप बिल्कुल चिन्ता मत करो, दिव्या जी सुरक्षा की जिम्मेदारी मेरी है।
दिव्या _अच्छा मां अब हम लोग चलते है।
अरे बेटी राजेश कितनी दिन बाद आया है उसे चाय नाश्ता तो कर लेने दो।
राजेश _, मां जी मैं चाय नाश्ता घर से करके आया हू।
रत्नवती _अच्छा तो काफी बनवा देती हूं, तुम्हे तो काफी पसंद है ना।
राजेश _, अच्छा ठीक है मां जी आप जिद कर रही है तो, काफी पीकर निकलेंगे।
नौकरानी ने कुछ देर बाद काफी लेकर आई सभी लोग काफी पिए।
दिव्या _अच्छा मां हम चलते है।
रत्नवती _ठीक है बेटी।
दिव्या _दीदी हम लोग चलते हैं।
गीता _ठीक है, छोटी, तुम दोनो अपना ख्याल रखना।
राजेश तुम लोग मूवी खत्म होते ही घर के लिए निकल जाना।
राजेश _ठीक है दीदी।
राजेश अपना बाइक हवेली में ही छोड़ दिया।
दिव्या _राजेश, कार तुम चलाओ, ड्राइवर को ले जा कर क्या करेंगे?
राजेश ने कार ड्राइव किया और दोनो प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र चले गए वहा पर दिव्या कुछ मरीजों के स्वास्थ्य की जानकारी लिया और आवश्यक काम निपटाई।
उसके बाद दोनो 1: 30बजे धरम पुर के लिए निकल पड़े।
राजेश _दिव्या जी आखिर मूवी कौन सी लगी है?
दिव्या _सैयारा
राजेश _ये तो कोइ रोमांटिक मूवी है न।
दिव्या _हां, लोगो को मूवी को काफी पसंद आ रही है। काफी अच्छी चल रही हैं मूवी तो मैंने भी देखने का मन बनाया।
दिव्या _क्या तुम्हे रोमांटिक मूवी पसंद नही।
राजेश _पसंद है, दिव्या जी।
रास्ते पर कई जगह पहाड़ पर्वत झरने, प्राकृतिक दृश्य नजर आ रहे थे।
दिव्या _राजेश देखो तो कितनी मनोरम दृश्य है, गाड़ी रोको न।
राजेश ने गाड़ी रोक दिया।

दिव्या प्राकृतिक सौंदर्यता को देखकर गीत गाने लगी।


गीत गाने के बाद वे कार से धरम पुर के लिए निकल पड़े। जब वे सिनेमा हॉल पहुंचे 3बजने वाले थे टिकट के लिए लोगो की लंबी कतारें लगी थी।
दिव्या ने एडवांस में टिकर बूक करा ली थी।
वे सिनेमा हॉल के अंदर गए।
कुछ देर बाद मूवी शुरू हुआ,,,
लोगो ने तालिया बजाना शुरू किया। लव स्टोरी लोगो को काफी पसंद आ रही थी।
मूवी में जब हीरोइन हीरो को छोड़कर चली जाती है,,,
सभी दर्शक भावुक हो जाते है।
राजेश को निशा याद आने लगती है, उसकी आंखों से आंसू बहने लगता है।
जब इंटरवेल होता है, सिनेमा हॉल की लाइट ऑन हो जाता है।
दिव्या राजेश की ओर देखती है, उसके आंखो में आंसू,,,
दिव्या _राजेश, तुम रो रहे हो,,,
राजेश की आंखो से आंसू और तेज बहने लगता है।
दिव्या, राजेश को अपने गले से लगा लेती है।
राजेश, दिव्या के गले लिपट कर रोने लगता है।
दिव्या _राजेश तुम निशा को मिस कर रहे हो,,,
राजेश _ओ मुझे एक फोन नही की,, राजेश रोते हुवे कहा,,,
दिव्या _ओह राजेश, अगर निशा तुमसे सच्चा प्यार की होगी, तो एक दिन जरूर तुम्हारे जिंदगी में लौटेगी।
मुझे तुम्हे ये मूवी दिखाने लाना ही नहीं था। सॉरी,,
अब बस करो,,
राजेश _ओ नही लौटेगी, मेरे पास,,, मैने उसका दिल दुखाया है।
दिव्या _राजेश चलो हमे यह मूवी नही देखनी।
वह राजेश को लेकर सिनेमा हॉल से बाहर निकल आई।
दिव्या _राजेश मुझे तो बड़ी भूख लगी है? चलो किसी अच्छे से ढाबे में खाना खाते हैं।
राजेश लोगो से किसी अच्छे ढाबे का पता पूछता है
उसके बाद वे दोनो खाना खाते है।
दिव्या राजेश का मन बहलाने, आस पास देखने लायक जगह पर राजेश को ले जाती है।
फिर वे 6बजते ही वहा से घर के लिए निकल पड़ते हैं।
दोनो हवेली पहुंचते है तो रात के 8बज चुके होते है।
रत्नवती _बेटा मूवी कैसी थी?
दिव्या _बड़ी अच्छी मूवी थी मां, क्यू राजेश?
राजेश _हा मां जी।
राजेश _अच्छा दिव्या जी अब मुझे चलना चाहिए, घर वाले राह देख रहे होंगे।
रत्नवती _अरे बेटा, खाना खाकर जाना।
गीता _हां राजेश, खाने का समय हो चुका है तुम ऐसे नही जा सकते।
राजेश को आखिर उन लोगो का कहना मानना पड़ा।
चारो, भोजन करने लगे।
रत्नवती_बेटा, भोजन पसंद आया की नही।
राजेश _बहुत अच्छा लगा मां जी, धन्यवाद आप लोगो ने मुझे इतना सम्मान दिया।
रत्नवती _अरे बेटा इस घर की खुशियां तुम्हारी वजह से तो है, अगर उस दिन तुम दिव्या कि मदद नही किया होता तो इस में अंधेरा छा जाता।
तुम्हारा अहसान हम नही भुल सकते।
राजेश _मां जी मैने कोइ अहसान नहीं किया है, ये तो मेरा फर्ज था, अगर दिव्या जी की जगह कोइ और होता तो भी मैं उसकी मदद करता।

रत्नवती _यहीं तो तुम्हारी अच्छाई है बेटा, तुम आदमी देखकर उसकी मदद नही करते।
राजेश _अच्छा मां जी अब मैं चलता हूं, घर वाले परेशान होंगे।
रत्नवती _ठीक है बेटा, हवेली आता जाता रहा करो।
दिव्या _मां मैं राजेश को छोड़कर आता हूं।

दिव्या राजेश को छोड़ने चली गई।
राजेश _अच्छा, दिव्या जी मैं चलता हूं।
दिव्या ने हां में सिर हिलाया।
राजेश को जाती हुवे देखने लगी,,,
वह राजेश के मन ही मन चाहने लगी थी, यह जानते हुए भी कि राजेश निशा को प्यार करता है।
Bahut hi behtarin update 💯
 
  • Like
Reactions: rajesh bhagat

Ajju Landwalia

Well-Known Member
4,063
15,661
159
राजेश ने कुसुम को अपने गोद में बिठा लिया और लाजो से कहा।
राजेश _लाजो, भाभी का दूध निकालने के लिए गिलास तो लेकर आओ।
लाजो _अभी लाती हूं भैया।
राजेश _अरे तुम रुको, मां जी कहा है उनसे कहो, तुम सवाल बनाओ ।
लाजो _मां, कहा हो,, राजेश भैया बुला रहे है?
ललिता अपने कमरे में आराम कर रही थी वह बाहर आई।
ललिता _क्या है बेटी?
लाजो _मां, राजेश भैया एक गिलास मंगा रहे हैं। भाभी का दूध निकालने। आज राजेश भैया भाभी की दूध से बना चाय पीना चाहते हैं।
राजेश _मां जी, अगर हम भाभी की दूध से बना चाय पीए तो आपको एतराज तो नही।
ललिता _बेटा अब मैं क्या बोलूं, जैसे आपको अच्छा लगे।
राजेश _अच्छा, तो फिर भाभी की दूध निकालने में मेरी मदद करो। जाओ कीचन से गिलास लेकर आओ।
ललिता, मुस्कुराते हुवे, कीचन में गई और एक गिलास लेकर आई।
इधर राजेश ने कुसुम का ब्लाउज निकाल दिया था। उसकी चूची एकदम नंगी हो गई थी।
राजेश ने दोनो चुचियों को अपने हाथो से पकड़ कर उसकी चूचक को दबाया। दूध की फौवारा निकलने लगा।
ललिता दूध को गिलास में इकट्ठा करने लगी।
राजेश कुसुम की चुचियों को मसल मसल कर दूध निचोड़ने लगा।
कुसुम राजेश की हरकत से एक दम गर्म हो गई। उसे मुंह से सिसकारी निकलने लगी।
उसकी boor पानी छोड़ने लगी।
जब गिलास पूरा भर गया।
राजेश _लो भई गिलास तो पूरा भर गया। पर दूध तो अभी भी निकल रहा है।
अब बचे हुए दूध को मैं पी लेता हूं।
राजेश बारी बारी से कुसुम की चूची मसल मसल कर पीने लगा।
कुसुम की हालात खराब होने लगी।
राजेश _भाभी अब जाओ और ये दूध का गिलास ले जाओ, और एक बढ़िया सी चाय बना लाओ।
कुसुम राजेश की गोद से उठ गई और गिलास लेकर शर्माती हुई कीचन में चली गई।
राजेश _मां जी जब तक, चाय नही बन जाता आप मुझे अपना दूध पिला दो।
ललिता _अरे बेटा, मेरे कहा दूध आते हैं? शर्माते हुए बोली।
राजेश _आओ मां जी कोशिश करते हैं, कोशिश करने से हो सकता है दूध आ जाए। क्यों लाजो?
लाजो _हां मां, राजेश भैया ठीक कह रहे है? राजेश भैया को कोशिश तो करने दो।
राजेश ने ललिता को अपने गोद में बिठा लिया और उसकी ब्लाउज निकाल फेका।
और ललिता की बड़े बड़े मम्मे दबा दबा कर चुचक को चूसने लगा।
ललिता _सिसकने लगी। वह उत्तेजित होने लगी।
लाजो _भैया मां की दूध आ रहा है क्या?
राजेश _नही, अभी तक तो नही, फर दूदू चूसने में मज़ा आ रहा है।
माजी की दूदू बड़े मस्त है।
लाजो _हा भैया मां के दूदू तो काफी बड़े बड़े है मेरे से दोगुने।
लाजो _भैया क्या आप मेरे भी चूसेंगे?
राजेश _, क्यू, तुम्हे भी मन कर रहा क्या चुसाने का।
लाजो _हूं। लाजो अपनी दोनो हाथो से अपनी चूची मसलने लगी।
राजेश अच्छा _आओ मेरे गोद पे बैठो, तुम्हारे भी चूस देता हूं।
लाजो _मां, अब तुम भैया की गोद से उठो मुझे बैठने दो।
ललिता राजेश की गोद से उठ गई।
लाजो अपनी कुर्ती और ब्रा उतार दी। और राजेश के गोद में बैठ गई।
राजेश ने लाजो की दूदू जो मीडियम साइज के थे मसलते हुवे कहा।
लाजो, तुम्हारे बूब्स तो एकदम कड़े हैं।
लगता है तुम पहली बार दबवा रही हो।
लाजो _हां राजेश भैया इसके पहले कभी नही मसलवाई।
लाजो को उत्तेजना महसूस होने लगी, उसकी मुंह से सिसक नकलने लगी। राजेश ने उसके चूचक मुंह में भर कर चूसने लगा।
लाजो की boor में पानी भरने लगा।
इधर राजेश का लंद भी तनकर लंबा और मोटा हो गया था।
लाजो _भैया, मेरी कूल्हे पे कुछ चुभ रहा है।
राजेश _अरे लाजो तुम लोगो की मस्त चुचियों का रसपान करने से मेरा नुनु बड़ा और मोटा हो गया है, आजाद होने के लिए छटपटा रहा है।
लाजो _अगर ऐसी बात है तो कर दो ना उसे आज़ाद, क्यू तकलीफ दे रहे हो बेचारे को।
राजेश _अच्छा ठीक है, तुम ही आज़ाद करदो उसे।
राजेश लाजो को गोद से उतार दिया और खड़ा हो गया।
लाजो ने राजेश के पैंट पर लगे बेल्ट खोलने लगी और उसकी पैंट का बटन खोल नीचे खींच दिया।
उसके बाद राजेश की चड्डी को नीचे खिसकाया।
राजेश के लंद देखकर लाजो का होश उड़ गए।
लाजो _भैया, इतना बड़ा, ये तो घोड़े का लंद लग रहा है। लाजो अपने हाथ से लंद को नापने लगा।
राजेश _मां जी अब देख क्या रही हो, चलो काम में लग जाओ।
ललिता राजेश के लंद के नीचे बैठ गई। लाजो भी बैठी हुई थी।
ललिता ने लंद पकड़ कर पहले प्यार से सहलाई फिर मुंह में भर कर चूसने लगी।
राजेश को मजा आने लगा।
राजेश _आह, उन, थोड़ा और अंदर लो,,,, हा ऐसे ही मस्त चूस रही हो आह,,
लाजो _मां मुझे दिखाओ मैं भी चूस कर देखू।
लाजो ने राजेश का लंद मुंह में लेकर चूसने की कोशिश की। आधा ही मुंह में ले पा रही थी।
वह ललिता जैसे चूसी थी, उसी तरह वह भी चूसने लगी।
लाजो _भैया आपका तो और मोटा और लंबा हो रहा है।
तभी कुसुम भी वहा आ गई।
राजेश _अरे भाभी चाय बन गया क्या?
कुसुम _अरे देवर जी चाय बनाने में थोड़ा समय है।
राजेश _अच्छा, चाय को बाद में पियेंगे आओ सब मिलकर मजा करते है, ऐसा मौका फिर नही मिलने वाला।
कुसुम भी राजेश के लंद के नीचे बैठ गई अब बारी बारी तीनो राजेश के लंद को चूसने लगी उसके गोटे को चाटने लगी।
कुसुम उठी और राजेश के शर्ट बनियान भी उतार कर पूरा नंगा कर दिया।
राजेश _अरे भाई मुझे नंगा करके आप लोग कपड़े में हो चलो तुम लोग भी प्राकृतिक अवस्था में आ जाओ।
ललिता _तुम्हारे कपड़े हम उतारे है तो, हमारे कपड़े तुम उतारो।
राजेश _ठीक है,
राजेश ने ललिता की साड़ी का पल्लू पकड़ा और खींचने लगा, ललिता गोल गोल घूमने लगी।
ललिता की साड़ी राजेश के हाथ में आ गया।
राजेश ने साड़ी को सूंघा, फिर फर्श में फेक दिया। उसके बाद कुसुम की साड़ी खींचकर निकाल दिया।
राजेश ने ललिता को बाहों में भर कर ओंठ चूसने लगा ललिता भी साथ देने लगी, राजेश ने ललिता का पेटीकोट का नाडा खीच दिया। उसका पेटीकोट पैर पे गिर गया।
राजेश ने एक उंगली। ललिता की boor में डाल कर अंदर बाहर करने लगा। ललिता सिसकने लगी। राजेश की उंगली ललिता की boor के पानी से भीग गया।
इधर लाजो और कुसुम अपनी अपनी boor रही थी।
राजेश ने ललिता को अपनी बाहों में उठाया और उसे टेबल पे लिटा दिया।
और ललिता की boor चाटने लगा। ललिता आनंद में हाथ पैर कपकपाने लगी।
राजेश _लाजो मेरा, लंद पकड़ कर अपनी मां की boor के छेद में डालो।
लाजो ने राजेश का लंद पकड़ा और उसे अपनी मां के boor के छेद में रख दी।
लाजो _भैया, आपका तो बहुत बड़ा और मोटा है छेद तो छोटा लग रहा है जाएगा कैसे?
कुसुम _अरे ननद जी देखना राजेश का लंद को सासु मां कैसे निगलती है।
राजेश ने ललिता की कमर को पकड़ कर एक जोर का धक्का मारा लंद सरसराता huwa आधा अंदर चला गया। ललिता चीख उठी।
लाजो आश्चर्य से देखने लगी, एक ही धक्के में आधा लंद boor के अंदर।
अब राजेश ने एक दूसरा प्रहार किया। लंद जड़ तक boor में समा गया। लेकिन लंद का टोपा ललिता के बच्चेदानी से टकराया।
वह फिर से चीख पड़ी।
लाजो, आश्चर्य से देख रही थी boor ने पूरा लंद निगल लिया था।
अब राजेश ललिता की चूची पकड़ कर दनादन,boor चोदना शुरू कर दिया।
ललिता की मादक सिसकारी, चूड़ियों की खनक और लंद की boor में आने जाने से उत्पन आवाज़, फच फाच, बरामदे में गूंजने लगी।
लाजो आश्चर्य से देख रही थी तो कुसुम अपनी boor रगड़ रही थी। वह अपनी सास को चुद्ते देख बहुत गर्म होने लगी।
इधर राजेश का लंद ललिता की भगनासा को रगड़ते हुवे पूरे गहराई तक अंदर आने जाने से उसे संभोग का परम सुख प्राप्त हो रहा था।
ऐसा आनद उसे पहली बार मिल रहा था।
उसकी chut से पानी बहकर टेबल पर टपकने लगा।
लाजो _भैया मां तो मूत रही है।
कुसुम _ये मूत नही मां जी की boor की पानी है जब औरत को बहुत मजा आता है तो ऐसे ही पानी छोड़ती है।
राजेश गपागप लंद boor में पेले जा रहा था फिर अचानक से लंद बाहर निकाल लिया।
लाजो _भैया आपका लंद तो boor का पानी पीकर और लंबा और मोटा हो गया।
कुसुम, राजेश के लंद को चूसने लगी, उसके बाद फिर से ललिता की boor में डाल दी।
राजेश फिर से चोदने लगा।
इस बार लगातार चोदते रहा, कुछ देर में ही ललिता चीखते हुए झड़ने लगी।
लाजो डर गई।
लाजो _मां तुम ठीक तो हो ना,,,
कुसुम _मां जी बिलकुल ठीक है, वह झड़ गई है न, इस आनद में उसके मुंह से चीख छूट गई।
राजेश ने चोदना बंद किया और लंद boor से बाहर निकाल दिया।
अब कुसुम को टेबल पकड़ा के झुका दिया। और उसकी टांग चौड़ी कर उसके बीच आ गया।
राजेश ने कुसुम की योनि के छेद में लंद रख कर एक जोर का झटका मारा, लंद boor को चीरकर अंदर चला गया। कुसुम चीख उठी।
राजेश ने लाजो को अपने पास खींचा और उसकी ओंठ चूसते हुए, दनादन कुसुम को चोदना शुरु कर दिया।
कमरे में कुसुम की मादक सिसकारी और फ्च फ़च की आवाज़ गूंजने लगा।
अब राजेश दोनो हाथ से कुसुम की कमर पकड़ी कर गपागप लगातार boor चोदता रहा जब तक कुसुम झड़ नही गई।
कुसुम के झड़ने के बाद राजेश ने अपना लंद उसकी boor से बाहर निकाल लिया।
लाजो को लंद चूसने का इशारा किया।
लाजो राजेश के लंद को मुंह में लेकर चूसने लगी। राजेश उसकी बाल पकड़ लिए और लंद को मुंह में ठेलने लगा।
अब राजेश ने ललिता को टेबल से उठा कर घोड़ी बना दिया और दनादन तब तक चोदते रहा जब तक वह झड़ नही गई।
फिर कुसुम को टेबल में लिटा कर उसकी जमकर ठुकाई किया, और उसे एक बार और झाड़ा।
राजेश ने अपना लंद कुसुम के boor से बाहर निकाला।
लाजो उसे चूसने लगी।
राजेश _चलो अब हम बेड पर चलते है।
सभी लाला जी के कमरे में आ गए। राजेश बेड में जाकर पीठ के बल लेट गया।
और ललिता को लंद पर बैठने का इशारा किया
ललिता पलंग के ऊपर चढ़ गई और राजेश के लंद को पकड़ कर अपनी boor के छेद में रख कर बैठ गई।
लाजो ये सब देख रही थी। उसकी हालात भी खराब हो चुकी थी उसकी चड्डी गीली हो चुकी थी। वह भी अपनी सलवार उतार कर नंगी हो गई।
कुसुम ने लाजो की boor को चाटना शुरु कर दी।
इधर ललिता राजेश के लंद के ऊपर उछल उछल कर चुदाने लगी।
कमरे में ललिता की मादक सिसकारी चूड़ियों की खनक गूंजने लगी।
कुछ देर में ही ललिता फिर से झड़ कर राजेश की बाहों में लुड़क गई।
राजेश ने उसे साइड किया और कुसुम को इशारा किया कुसुम लाजो की कुंवारी chut चाटना बंद कर पलंग के ऊपर चढ़ गई और राजेश के लंद को हाथ से पकड़ कर अपनी योनि में सेट कर बैठ गई।
राजेश ने कुसुम की कमर को पकड़ कर अपनी कमर नीचे से हिला हिला कर, कुसुम की योनि में लंद को अंदर बाहर करने लगा।
कुसुम सिसकने लगी।
उसके बाद राजेश, कुसुम की कमर पकड़ कर अपने लंद पर पटक पटक कर चोदना शुरु कर दिया।
कुछ ही देर में कुसुम भी फिर से झड़ कर राजेश की बाहों मे ढेर हो गई।
राजेश ने उसे दूसरे साइड लिटा दिया।
कुसुम राजेश और ललिता तीनो पलग पर लेटे थे।
राजेश के लंद अभी भी खड़ा था।
लाजो _भैया, अब मुझे चोदो।
राजेश _लाजो, तू अभी कुंवारी है मेरी लंद को नही झेल पाएगी। तेरी boor फट जाएगी तुम्हे दर्द होगा।
तुम्हे कल परीक्षा भी दिलानी है।
ललिता _बेटी राजेश ठीक कह रहा है, तू नही ले पाएगी।
कुसुम _boor तो एक दिन फटनी ही है। राजेश से चुदाने का मौका बार बार नही मिलेगा, लाजो तुम अपना सिल राजेश से ही तुड़वा लो।
लाजो_हा, भैया भाभी ठीक कह रही है, मुझे आपसे ही अपनी सील तुड़वानी है।
प्लीज मेरा सिल तोड़ो न।
राजेश _तुम्हारी सिल तोड़ने से पहले मां जी और भाभी का सिल तोडूंगा।
कुसुम _पर देवर जी हमारी सिल तो पहले ही टूट गई है।
राजेश ने कुसुम की गाड़ में उंगली घुसा कर कहा इसकी सिल तोड़नी है।
कुसुम _हाय दिया, इतना मोटा लंद इतनी सकरी, रास्ते में थोड़े ही जायेगा, हमारी तो गाड़ फट जाएगी।
राजेश _हूं, पहले मां जी के फाड़ेंगे उसकी गाड़ चौड़ी है, वो आराम से ले लेगी।
ललिता _न बाबा मैं नही ले पाऊंगी, बहुत दर्द होगा।
राजेश _लाजो, जाओ कीचन से घी का डब्बा ले आओ और इन दोनो की गाड़ में भर दो।
लाजो, कीचन से घी का डब्बा ले आय।
राजेश बेड से उठा और ललिता को घोड़ी बनाकर उसकी गाड़ में उंगली से घी अंदर डाल दिया और अपने लंद पर भी घी चुपड़ दिया।
ललिता _बेटा, मैं नही ले पाऊंगी, गाड़ मत मारो।
Boor चोद लो।
राजेश _boor बहुत चोद लिया अब तो गाड़ का मजा लेना है।
राजेश ने पहले उंगली डालकर गाड़ का छेद चौड़ा किया फिर अपना लंद धीरे धीरे करके आखिर ललिता के गाड़ में उतार ही दिया।
अब राजेश धीरे धीरे लंद को गाड़ में अंदर बाहर करना शुरू कर दिया।
ललिता दर्द से बिलबिलाने लगी, पर धीरे धीरे दर्द कम होता गया और अब उसे गाड़ मरवाने में मजा आने लगा।
इधर राजेश एक उंगली कुसुम की गाड़ में डालकर अंदर बाहर कर रहा था तो दुसरी तरफ ललिता की गाड़ भी बजा रहा था।
अब राजेश ललिता की गाड़ से लंद निकाल कर कुसुम की गाड़ में घुसाने की कोशिश में लग गया और अन्त में कामयाब भी हो गया। इसके बाद राजेश, बारी बारी कुसुम और ललिता की गाड़ मारने लगा।
दोनो को गाड़ मरवाने में एक अलग ही मजा आ रहा था।
लाजो _राजेश भैया, अब मेरी भी सिल तोड़ तो,, अब मुझे रहा नही जा रहा।

राजेश _ठीक है, तुम पलंग में लेट जाओ।
लाजो पलंग पर लेट गई।
राजेश, गाड़ मारना बंद कर, पलंग पर चड गया, उसके बाद वह लाजो को अपनी गोद में बिठा कर उसकी ओंठो को जी भर कर चूसा। उसकी मम्मे मसले, चूसे फिर उसे बेड पर लिटा दिया।
उसकी कमर के नीचे तकिया रख दिया। उसकी टांगे फैला कर बीच में आ गया।
कुसुम राजेश के लंद को पकड़ कर लाजो की कुंवारी boor के मुख पर रख दिया।

अब राजेश ने लाजो की ओंठ को अपनी मुंह में भर लिया और अपना लंद का दबाव योनि में डालने लगा।
लंद धीरे धीरे योनि में सरकने लगा।
जब लंद सरकना बंद किया राजेश ने एक जोर का दबाव डाला, लंद boor की झिल्ली तोड़कर अंदर चला गया।
लाजो चीखना चाही पर राजेश ने उसकी मुंह अपने मुंह में भर लिया था।
वह चीख न सकी, उसकी आंखों में आसूं भर गया।
कुछ देर वैसे ही राजेश लेटा रहा, कुछ देर बाद वह अपना लंद थोड़ा बाहर खींचा, फिर धीरे से धकेला।
राजेश लाजो की चूची से खेलने लगा।
लाजो का दर्द कम होने लगा अब राजेश अपने लंद को लाजो की योनि में धीरे धीरे अंदर बाहर करना शुरू कर दिया, कुछ देर दर्द करने के बाद अब लाजो को भी मजा आने लगा।
इधर राजेश के लंद में लाजो की झिल्ली फटने से खून निकल रहा था। ललिता एक कपड़ा लाकर राजेश की लंद और लाजो की boor को साफ की उसके बाद राजेश ने फिर से लाजो के boor में लंद डाल दिया और चोदना शुरू कर दिया।
लाजो को अब दर्द के बजाय मजा आने लगा, उसकी मादक सिसकारी कमरे में गूंजने लगी
उसकी boor से पानी बहने लगा।

कुछ ही में उसके हाथ पैर कपकपाने लगे और वह चीखते हुए झड़ने लगी।

राजेश ने चोदना बंद कर उसकी ओंठ चूसने लगा।
लाजो फूल से कली बन चुकी थी।
इधर राजेश का भी अब आने वाला था।
राजेश _अब मेरा भी आने वाला है, किसके में छोड़ूं।
कुसुम _देवर जी मेरे अंदर छोड़ो, ताकि इस घर तुम्हारे जैसे मर्द पैदा हो सके।
राजेश ने लाजो के boor से अपना लंद निकाल कर कुसुम को घोड़ी बनाकर, उसकी boor में डाल कर गाच गैच, चोदना शुरू कर दिया।
और कुछ देर में आज,,, आह, मां,,, आह,
करते हुए झड़ने लगा। वह वीर्य कि लंबी लंबी पिचकारी कुसुम के गर्भ में छोड़ने लगा।
गर्म गर्म वीर्य से अपनी योनि को महसूस करके, एक अद्भुत सुख को प्राप्त करते हुवे कुसुम फिर से झड़ गई।
राजेश झड़ने के बाद पलंग पर लेट गया। लाजो उससे चिपक कर चूमने लगी।
उसे अपने सीने से लगा ली।

कुछ देर सभी सुस्ताने के बाद अपने अपने कपड़े पहनने लगे।
कुसुम और ललिता की गाड़ फट चुकी थी जिससे उन्हें चलने में तकलीफ हो रही थी। फिर भी आज तीनो बहुत खुश थे राजेश से जो सुख उन्हे मिला था कभी उसकी कल्पना तक नही की थी।
संभोग का परम आनंद जिसे शब्दो मे बया नही किया जा सकता, राजेश से उन्हे मिला था।
राजेश इस खेल का महारथी बन गया था, औरत को कैसे खुश करना है, कैसे मैदान में लंबे समय तक डटे रह सकते है, सब कुछ सीख लिया था।
राजेश को भी इन तीनो औरतों को चोदने में एक अलग ही मजा आया था ।
पर हर chudai के बाद उसे लगता था कि वह अच्छा नही कर रहा है, वह निशा से दूर होता जा रहा है।
अब निशा के सामने क्या मुंह लेकर जायेगा? सच में वह एक आवारा बन चुका है।
ऐसा आवारा, अगर निशा उसे अपना भी ले तो वो उसे अकेली झेल नही पाएगी। वो तो फूलो जैसे नाजुक है, मैं एक लौह पुरुष। मेरे झड़ते तक वह टिक नही पाएगी ।
ये मैंने अपने को क्या बना डाला, एक काम पुरुष।
राजेश जब जोश में आता तो, सब भुल जाता और न चाहते हुए वह काम देव बन जाता, जिसका एक मात्र उद्देश्य औरत को जन्नत का सैर कराने रह जाता। उसे अधिक से अधिक काम सुख देना, जिससे वह उसका गुलाम बन जाय। और होता भी यहीं था जो औरत राजेश से एक बार chuda लेती फिर उसे दूसरे से चुदाने में मजा नही आता।
वह औरत बस राजेश को एक बार और पाने की ख्वाब सजाती रहती।
उस दिन राजेश ने कुसुम की दूध से बना चाय पिया, और कुसुम को कल की परीक्षा के लिए आवश्यक मार्गदर्शन दिया। फिर घर आ गया।
अपनी परीक्षा की तैयारी करने लगा।
इधर निशा राजेश को भूलने की कोशिश करने लगी।
आर्यन, सीमा और निशा एक बीच दोस्ती बढ़ने लगी।
एक दिन आर्यन ने सीमा को बताया कि वह निशा को प्यार करने लगा है, पर उससे कहने की हिम्मत नही हो रही है।
सीमा _ये मुश्किल है?
आर्यन _क्या मुश्किल है, मैं समझा नही।
सीमा _यहीं, निशा के मन में प्यार जगाना।
आर्यन _पर, क्यू सीमा?
सीमा _क्यू की वह किसी और से प्यार करती है?
आर्यन _किसी और से प्यार करती है? किस्से?
कौन है वो खुशनशीब।
सीमा _आर्यन छोड़ो, उसे जानकर करोगे क्या?
वैसे भी निशा उसकी सकल देखना नही चाहती?
आर्यन _कभी कहती हो, निशा किसी और से प्यार करती है फिर कहती हो निशा उसका सकल देखना नही चाहती। ये कैसी पहेली है?
सीमा _आर्यन, तुम एक अच्छे लड़के हो, निशा का ख्याल छोड़ दो। यहीं तुम्हारे लिए अच्छा होगा?
आर्यन _सीमा आखिर बात क्या है? सब सच बताओ।
सीमा _दरअसल बात ये है की निशा राजेश से प्यार करती थी, या कहूं अभी भी करती हैं, पर वह उस लड़के को भुल जाना चाहती है, पर मुझे लगता है वह भुल नही पाएगी।
आर्यन _तुम्हारी बाते तो मुझे कुछ समझ नही आ रही, जब निशा किसी से प्यार करती है तो उसे भूलना क्यू चाहती है?
सीमा _क्यू की उस लड़के ने निशा को धोखा दिया!
आर्यन _कैसा धोखा?
सीमा _उसने दूसरे लडकियों के साथ संबंध बनाएं। इस बात की जानकारी निशा को हुई तो यह सदमा बर्दास्त करना उसके लिए मुस्किल था। वह इंडिया छोड़ दिया और लंदन चली आई।
आर्यन _ओह तो ये बात है? तब तो उसे मेरी जरूरत है? ताकि उस लड़के को भुल सके।
सीमा _अभी वह उसे भूली नही है? अगर तुम अभी उसे प्रपोज करोगे तो हो सकता है दोस्ती ही तोड़ दे।
इसलिए अगर तुम उसे प्रपोज करना चाहते हो तो धीरे धीरे उसका दिल जीतो, और जब तुम्हे विश्वास हो जाए की निशा तुम्हे न नही कहेगी। तुम उसे प्रपोज करो।
आर्यन _सीमा तुम ठीक कह रही हो, निशा को अब मैं प्रपोज करने से पहले उसका दिल जीतूंगा। अच्छा ये तो बताओ की आखिर उस लड़के में ऐसी क्या बात थी की निशा उससे प्यार करने लगी।
सीमा _ये पूछो क्या खास बात नही थी? सब लडकिया उस पर मरती थी।
रआर्यन _क्या, सब लडकिया?
तुम भी?
सीमा _मैने कहा न सब लडकिया?
निशा तो लड़को से दूर भागती थी, उन्हे लड़के पसंद नही थे पर राजेश की अच्छाइयों ने उसके लिए निशा के दिल में अपने लिए जगह बना ली।
आर्यन _आखिर उस लड़के में ऐसी क्या खास बात है? मैं भी एक बार उससे मिलना चाहूंगा।
सीमा _पर उसके लिए तुम्हे इंडिया जाना पड़ेगा।
आर्यन _मौका मिला तो जरूर जाऊंगा।
सीमा जी अब मैं पहले, निशा जी का दिल जीतूंगा उसके बाद, उसे प्रपोज करूंगा?
सीमा _हा ये ठीक रहेगा!।
इधर दिव्या, ने राजेश को फोन किया?
दिव्या _राजेश, कैसे हो?
राजेश _मैं ठीक हूं दिव्या जी। आप कैसी है?
दिव्या _मैं भी ठीक हूं?
राजेश _दिव्या जी कुछ काम था क्या?
दिव्या _नही कुछ खास नही? तुम्हारी दीदी की तबियत कैसी है? कुछ प्रोब्लम तो नही।
राजेश _नही दिव्या जी वो तो बिल्कुल ठीक है?
दिव्या _, उसकी डील वरी का समय पास आ गया है। तुम लोगो को उसका खास ध्यान रखना होगा। जरूरत पड़े तो मुझे काल करना। मैं गाड़ी भिजवा दूंगी। अपनी दीदी को प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र ले आना। कोइ रिस्क मत लेना।
राजेश _ठीक है दिव्या जी।
दिव्या _वैसे राजेश आज दोपहर में क्या कर रहे हो?
राजेश _जी, वैसे तो मैं अपनी परीक्षा की तैयारी करता हूं और तो कोइ काम नही है।
दिव्या _दरअसल मुझे मुवी देखे बहुत समय हो गई है, पता चला कि एक अच्छी मूवी आई है तो देखने का मन है पर यहां तो कोइ दोस्त हैं नही जिसके साथ मैं मूवी देखने जाऊं? क्या तुम चलोगे मेरे साथ मुवी देखने।
राजेश _पर दिव्या जी आपकी तो ड्यूटी रहती हैं न।
दिव्या _आज सन्डे है न तो आज दो बजे तक ही ड्यूटी करुंगी वैसे तो सन्डे को छुट्टी रहती है फिर भी कुछ जटिल केश के लिए जाना पड़ता है।
राजेश _ओह, तब तो ठीक है।
पर ठाकुर साहब को पता चलेगा कि आप मेरे साथ मूवी देखने गई हो, तब। आपको डांट पड़ेगी।
दिव्या _मैं अब इतनी बच्ची भी नही हूं कि एक मूवी देखने के लिए भी खुद फ़ैसला न ले सकू। वैसे मैने मां से बात कर ली है और वह मान गई है। वैसे भी पिता जी अभी राजधानी गए हुवे है। अभी विधानसभा सत्र चल रहा है न।
राजेश _पर गीता दी के साथ भी जा सकती थी।
दिव्या _दी को मूवी पे कोइ इंट्रेस्ट नही। वैसे भी अब वह राजनीति से जुड़ गई है जहा भी जाती है कार्यकर्ता घेर लेते है।
राजेश _ओह, ये बात है? तो फिर ठीक है दिव्या जी चलते है मूवी देखने। पर लक्ष्मण पुर में तो सिनेमा घर है नही।
दिव्या _धरम पुर में तो है न यहां से 50km दूर, एक घंटा तो जाने में ही लगेगा।
हम 2बजे निकलेंगे, 3बजे से मूवी सुरू होगी। 7बजे तक घर आ जायेंगे।
राजेश _ठीक है जी।
दिव्या _एक काम करना, तुम 10 बजे मेरे साथ ही प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र चलना वही से हम मूवीदेखने चलेंगे।
राजेश_ठीक है दिव्या जी।

राजेशने जब घर के लोगो को इस बारे में बताया कि वह दिव्या जी के साथ मूवी देखने जा रहा है।
पदमा _बेटा, ये ठाकुर तुम्हे गांव से भगाना चाहता है, वह तुम्हे दुश्मन समझता है और तुम उसकी बेटी के साथ मूवी देखने जा रहे।
ठाकुर की बेटी को मना कर देना चाहिए था।
राजेश _ताई अगर उसे मना करता तो उसे अच्छा नही लगता।
पदमा _बेटा, क्या ठाकुर अपने बेटी को तुम्हारे साथ मूवी देखने भेजेगा।
राजेश _अभी तो ठाकुर, राजधानी गया huwa है?
पदमा _जब आयेंगे तो पता तो चलेगा ही।
राजेश _दिव्या ने कहा है की उसकी मैं ने इजाजत दी है।
ताई आप बेकार ही चिन्ता कर रही है। दिव्या जी ठाकुर को समझा लेगी।
राजेश 10 बजे बाइक से हवेली पहुंच गया।
वहा पर दिव्या उसी के आने का इन्तजार कर रही थी।
जब वह हवेली पहुंचा।
दिव्या _राजेश तुम आ गए। मैं तुम्हारा ही इन्तजार कर रही थी।
राजेश _मुझे लेट तो नही हो गया।
दिव्या _नही तुम बिलकुल सही समय पर आए हो।
तभी वहा गीता भी आ गई,,
राजेश _नमस्ते गीता दीदी।
गीता _नमस्ते राजेश कैसे हो?
राजेश _मैं बिल्कुल ठीक हूं दीदी, आप कैसी है?
गीता _मैं भी बिल्कुल ठीक हूं।
राजेश _दीदी आप भी क्यू नही चलती मूवी देखने?
गीता _नही राजेश, अगर मैं मूवी देखने गई तो, कार्यकर्ता पीछे पड़ जायेंगे। मूवी देखने का मजा खराब हो जायेगा। तुम लोग जाओ।
तभी वहा ठकुराइन भी आ गई,
रत्नवती_अरे राजेश बेटा तुम आ गए।
राजेश ने पैर छूकर प्रणाम किया।
राजेश_हा, मां जी, आप कैसी है।
रत्नवती_मैं ठीक हूं बेटा तुम कैसे हो?
राजेश_मैं भी बिल्कुल ठीक हूं। मां जी।
रत्नवती_बेटा, तुम दिव्या की हिफाजत करना। मैं उसे तुम्हारी जिम्मेदारी पे भेज रही हूं।
, राजेश _मां जी आप बिल्कुल चिन्ता मत करो, दिव्या जी सुरक्षा की जिम्मेदारी मेरी है।
दिव्या _अच्छा मां अब हम लोग चलते है।
अरे बेटी राजेश कितनी दिन बाद आया है उसे चाय नाश्ता तो कर लेने दो।
राजेश _, मां जी मैं चाय नाश्ता घर से करके आया हू।
रत्नवती _अच्छा तो काफी बनवा देती हूं, तुम्हे तो काफी पसंद है ना।
राजेश _, अच्छा ठीक है मां जी आप जिद कर रही है तो, काफी पीकर निकलेंगे।
नौकरानी ने कुछ देर बाद काफी लेकर आई सभी लोग काफी पिए।
दिव्या _अच्छा मां हम चलते है।
रत्नवती _ठीक है बेटी।
दिव्या _दीदी हम लोग चलते हैं।
गीता _ठीक है, छोटी, तुम दोनो अपना ख्याल रखना।
राजेश तुम लोग मूवी खत्म होते ही घर के लिए निकल जाना।
राजेश _ठीक है दीदी।
राजेश अपना बाइक हवेली में ही छोड़ दिया।
दिव्या _राजेश, कार तुम चलाओ, ड्राइवर को ले जा कर क्या करेंगे?
राजेश ने कार ड्राइव किया और दोनो प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र चले गए वहा पर दिव्या कुछ मरीजों के स्वास्थ्य की जानकारी लिया और आवश्यक काम निपटाई।
उसके बाद दोनो 1: 30बजे धरम पुर के लिए निकल पड़े।
राजेश _दिव्या जी आखिर मूवी कौन सी लगी है?
दिव्या _सैयारा
राजेश _ये तो कोइ रोमांटिक मूवी है न।
दिव्या _हां, लोगो को मूवी को काफी पसंद आ रही है। काफी अच्छी चल रही हैं मूवी तो मैंने भी देखने का मन बनाया।
दिव्या _क्या तुम्हे रोमांटिक मूवी पसंद नही।
राजेश _पसंद है, दिव्या जी।
रास्ते पर कई जगह पहाड़ पर्वत झरने, प्राकृतिक दृश्य नजर आ रहे थे।
दिव्या _राजेश देखो तो कितनी मनोरम दृश्य है, गाड़ी रोको न।
राजेश ने गाड़ी रोक दिया।

दिव्या प्राकृतिक सौंदर्यता को देखकर गीत गाने लगी।


गीत गाने के बाद वे कार से धरम पुर के लिए निकल पड़े। जब वे सिनेमा हॉल पहुंचे 3बजने वाले थे टिकट के लिए लोगो की लंबी कतारें लगी थी।
दिव्या ने एडवांस में टिकर बूक करा ली थी।
वे सिनेमा हॉल के अंदर गए।
कुछ देर बाद मूवी शुरू हुआ,,,
लोगो ने तालिया बजाना शुरू किया। लव स्टोरी लोगो को काफी पसंद आ रही थी।
मूवी में जब हीरोइन हीरो को छोड़कर चली जाती है,,,
सभी दर्शक भावुक हो जाते है।
राजेश को निशा याद आने लगती है, उसकी आंखों से आंसू बहने लगता है।
जब इंटरवेल होता है, सिनेमा हॉल की लाइट ऑन हो जाता है।
दिव्या राजेश की ओर देखती है, उसके आंखो में आंसू,,,
दिव्या _राजेश, तुम रो रहे हो,,,
राजेश की आंखो से आंसू और तेज बहने लगता है।
दिव्या, राजेश को अपने गले से लगा लेती है।
राजेश, दिव्या के गले लिपट कर रोने लगता है।
दिव्या _राजेश तुम निशा को मिस कर रहे हो,,,
राजेश _ओ मुझे एक फोन नही की,, राजेश रोते हुवे कहा,,,
दिव्या _ओह राजेश, अगर निशा तुमसे सच्चा प्यार की होगी, तो एक दिन जरूर तुम्हारे जिंदगी में लौटेगी।
मुझे तुम्हे ये मूवी दिखाने लाना ही नहीं था। सॉरी,,
अब बस करो,,
राजेश _ओ नही लौटेगी, मेरे पास,,, मैने उसका दिल दुखाया है।
दिव्या _राजेश चलो हमे यह मूवी नही देखनी।
वह राजेश को लेकर सिनेमा हॉल से बाहर निकल आई।
दिव्या _राजेश मुझे तो बड़ी भूख लगी है? चलो किसी अच्छे से ढाबे में खाना खाते हैं।
राजेश लोगो से किसी अच्छे ढाबे का पता पूछता है
उसके बाद वे दोनो खाना खाते है।
दिव्या राजेश का मन बहलाने, आस पास देखने लायक जगह पर राजेश को ले जाती है।
फिर वे 6बजते ही वहा से घर के लिए निकल पड़ते हैं।
दोनो हवेली पहुंचते है तो रात के 8बज चुके होते है।
रत्नवती _बेटा मूवी कैसी थी?
दिव्या _बड़ी अच्छी मूवी थी मां, क्यू राजेश?
राजेश _हा मां जी।
राजेश _अच्छा दिव्या जी अब मुझे चलना चाहिए, घर वाले राह देख रहे होंगे।
रत्नवती _अरे बेटा, खाना खाकर जाना।
गीता _हां राजेश, खाने का समय हो चुका है तुम ऐसे नही जा सकते।
राजेश को आखिर उन लोगो का कहना मानना पड़ा।
चारो, भोजन करने लगे।
रत्नवती_बेटा, भोजन पसंद आया की नही।
राजेश _बहुत अच्छा लगा मां जी, धन्यवाद आप लोगो ने मुझे इतना सम्मान दिया।
रत्नवती _अरे बेटा इस घर की खुशियां तुम्हारी वजह से तो है, अगर उस दिन तुम दिव्या कि मदद नही किया होता तो इस में अंधेरा छा जाता।
तुम्हारा अहसान हम नही भुल सकते।
राजेश _मां जी मैने कोइ अहसान नहीं किया है, ये तो मेरा फर्ज था, अगर दिव्या जी की जगह कोइ और होता तो भी मैं उसकी मदद करता।

रत्नवती _यहीं तो तुम्हारी अच्छाई है बेटा, तुम आदमी देखकर उसकी मदद नही करते।
राजेश _अच्छा मां जी अब मैं चलता हूं, घर वाले परेशान होंगे।
रत्नवती _ठीक है बेटा, हवेली आता जाता रहा करो।
दिव्या _मां मैं राजेश को छोड़कर आता हूं।

दिव्या राजेश को छोड़ने चली गई।
राजेश _अच्छा, दिव्या जी मैं चलता हूं।
दिव्या ने हां में सिर हिलाया।
राजेश को जाती हुवे देखने लगी,,,
वह राजेश के मन ही मन चाहने लगी थी, यह जानते हुए भी कि राजेश निशा को प्यार करता है।

Bahut hi shandar update he rajesh bhagat Bhai,

Rajesh ne lala ki biwi, bahu beti tino ka hi badhiya se band baja diya.........

Nisha ko jindgi me aaryan kis tarah se parvesh karega ye dekhne layak hoga.......

Divya bhi ab rajesh ko chahne lagi he........ye pyar rajesh ke liye nayi musibate lekar aayega......

Keep rocking Bro
 
  • Like
Reactions: sunoanuj

Ajju Landwalia

Well-Known Member
4,063
15,661
159
राजेश ने कुसुम को अपने गोद में बिठा लिया और लाजो से कहा।
राजेश _लाजो, भाभी का दूध निकालने के लिए गिलास तो लेकर आओ।
लाजो _अभी लाती हूं भैया।
राजेश _अरे तुम रुको, मां जी कहा है उनसे कहो, तुम सवाल बनाओ ।
लाजो _मां, कहा हो,, राजेश भैया बुला रहे है?
ललिता अपने कमरे में आराम कर रही थी वह बाहर आई।
ललिता _क्या है बेटी?
लाजो _मां, राजेश भैया एक गिलास मंगा रहे हैं। भाभी का दूध निकालने। आज राजेश भैया भाभी की दूध से बना चाय पीना चाहते हैं।
राजेश _मां जी, अगर हम भाभी की दूध से बना चाय पीए तो आपको एतराज तो नही।
ललिता _बेटा अब मैं क्या बोलूं, जैसे आपको अच्छा लगे।
राजेश _अच्छा, तो फिर भाभी की दूध निकालने में मेरी मदद करो। जाओ कीचन से गिलास लेकर आओ।
ललिता, मुस्कुराते हुवे, कीचन में गई और एक गिलास लेकर आई।
इधर राजेश ने कुसुम का ब्लाउज निकाल दिया था। उसकी चूची एकदम नंगी हो गई थी।
राजेश ने दोनो चुचियों को अपने हाथो से पकड़ कर उसकी चूचक को दबाया। दूध की फौवारा निकलने लगा।
ललिता दूध को गिलास में इकट्ठा करने लगी।
राजेश कुसुम की चुचियों को मसल मसल कर दूध निचोड़ने लगा।
कुसुम राजेश की हरकत से एक दम गर्म हो गई। उसे मुंह से सिसकारी निकलने लगी।
उसकी boor पानी छोड़ने लगी।
जब गिलास पूरा भर गया।
राजेश _लो भई गिलास तो पूरा भर गया। पर दूध तो अभी भी निकल रहा है।
अब बचे हुए दूध को मैं पी लेता हूं।
राजेश बारी बारी से कुसुम की चूची मसल मसल कर पीने लगा।
कुसुम की हालात खराब होने लगी।
राजेश _भाभी अब जाओ और ये दूध का गिलास ले जाओ, और एक बढ़िया सी चाय बना लाओ।
कुसुम राजेश की गोद से उठ गई और गिलास लेकर शर्माती हुई कीचन में चली गई।
राजेश _मां जी जब तक, चाय नही बन जाता आप मुझे अपना दूध पिला दो।
ललिता _अरे बेटा, मेरे कहा दूध आते हैं? शर्माते हुए बोली।
राजेश _आओ मां जी कोशिश करते हैं, कोशिश करने से हो सकता है दूध आ जाए। क्यों लाजो?
लाजो _हां मां, राजेश भैया ठीक कह रहे है? राजेश भैया को कोशिश तो करने दो।
राजेश ने ललिता को अपने गोद में बिठा लिया और उसकी ब्लाउज निकाल फेका।
और ललिता की बड़े बड़े मम्मे दबा दबा कर चुचक को चूसने लगा।
ललिता _सिसकने लगी। वह उत्तेजित होने लगी।
लाजो _भैया मां की दूध आ रहा है क्या?
राजेश _नही, अभी तक तो नही, फर दूदू चूसने में मज़ा आ रहा है।
माजी की दूदू बड़े मस्त है।
लाजो _हा भैया मां के दूदू तो काफी बड़े बड़े है मेरे से दोगुने।
लाजो _भैया क्या आप मेरे भी चूसेंगे?
राजेश _, क्यू, तुम्हे भी मन कर रहा क्या चुसाने का।
लाजो _हूं। लाजो अपनी दोनो हाथो से अपनी चूची मसलने लगी।
राजेश अच्छा _आओ मेरे गोद पे बैठो, तुम्हारे भी चूस देता हूं।
लाजो _मां, अब तुम भैया की गोद से उठो मुझे बैठने दो।
ललिता राजेश की गोद से उठ गई।
लाजो अपनी कुर्ती और ब्रा उतार दी। और राजेश के गोद में बैठ गई।
राजेश ने लाजो की दूदू जो मीडियम साइज के थे मसलते हुवे कहा।
लाजो, तुम्हारे बूब्स तो एकदम कड़े हैं।
लगता है तुम पहली बार दबवा रही हो।
लाजो _हां राजेश भैया इसके पहले कभी नही मसलवाई।
लाजो को उत्तेजना महसूस होने लगी, उसकी मुंह से सिसक नकलने लगी। राजेश ने उसके चूचक मुंह में भर कर चूसने लगा।
लाजो की boor में पानी भरने लगा।
इधर राजेश का लंद भी तनकर लंबा और मोटा हो गया था।
लाजो _भैया, मेरी कूल्हे पे कुछ चुभ रहा है।
राजेश _अरे लाजो तुम लोगो की मस्त चुचियों का रसपान करने से मेरा नुनु बड़ा और मोटा हो गया है, आजाद होने के लिए छटपटा रहा है।
लाजो _अगर ऐसी बात है तो कर दो ना उसे आज़ाद, क्यू तकलीफ दे रहे हो बेचारे को।
राजेश _अच्छा ठीक है, तुम ही आज़ाद करदो उसे।
राजेश लाजो को गोद से उतार दिया और खड़ा हो गया।
लाजो ने राजेश के पैंट पर लगे बेल्ट खोलने लगी और उसकी पैंट का बटन खोल नीचे खींच दिया।
उसके बाद राजेश की चड्डी को नीचे खिसकाया।
राजेश के लंद देखकर लाजो का होश उड़ गए।
लाजो _भैया, इतना बड़ा, ये तो घोड़े का लंद लग रहा है। लाजो अपने हाथ से लंद को नापने लगा।
राजेश _मां जी अब देख क्या रही हो, चलो काम में लग जाओ।
ललिता राजेश के लंद के नीचे बैठ गई। लाजो भी बैठी हुई थी।
ललिता ने लंद पकड़ कर पहले प्यार से सहलाई फिर मुंह में भर कर चूसने लगी।
राजेश को मजा आने लगा।
राजेश _आह, उन, थोड़ा और अंदर लो,,,, हा ऐसे ही मस्त चूस रही हो आह,,
लाजो _मां मुझे दिखाओ मैं भी चूस कर देखू।
लाजो ने राजेश का लंद मुंह में लेकर चूसने की कोशिश की। आधा ही मुंह में ले पा रही थी।
वह ललिता जैसे चूसी थी, उसी तरह वह भी चूसने लगी।
लाजो _भैया आपका तो और मोटा और लंबा हो रहा है।
तभी कुसुम भी वहा आ गई।
राजेश _अरे भाभी चाय बन गया क्या?
कुसुम _अरे देवर जी चाय बनाने में थोड़ा समय है।
राजेश _अच्छा, चाय को बाद में पियेंगे आओ सब मिलकर मजा करते है, ऐसा मौका फिर नही मिलने वाला।
कुसुम भी राजेश के लंद के नीचे बैठ गई अब बारी बारी तीनो राजेश के लंद को चूसने लगी उसके गोटे को चाटने लगी।
कुसुम उठी और राजेश के शर्ट बनियान भी उतार कर पूरा नंगा कर दिया।
राजेश _अरे भाई मुझे नंगा करके आप लोग कपड़े में हो चलो तुम लोग भी प्राकृतिक अवस्था में आ जाओ।
ललिता _तुम्हारे कपड़े हम उतारे है तो, हमारे कपड़े तुम उतारो।
राजेश _ठीक है,
राजेश ने ललिता की साड़ी का पल्लू पकड़ा और खींचने लगा, ललिता गोल गोल घूमने लगी।
ललिता की साड़ी राजेश के हाथ में आ गया।
राजेश ने साड़ी को सूंघा, फिर फर्श में फेक दिया। उसके बाद कुसुम की साड़ी खींचकर निकाल दिया।
राजेश ने ललिता को बाहों में भर कर ओंठ चूसने लगा ललिता भी साथ देने लगी, राजेश ने ललिता का पेटीकोट का नाडा खीच दिया। उसका पेटीकोट पैर पे गिर गया।
राजेश ने एक उंगली। ललिता की boor में डाल कर अंदर बाहर करने लगा। ललिता सिसकने लगी। राजेश की उंगली ललिता की boor के पानी से भीग गया।
इधर लाजो और कुसुम अपनी अपनी boor रही थी।
राजेश ने ललिता को अपनी बाहों में उठाया और उसे टेबल पे लिटा दिया।
और ललिता की boor चाटने लगा। ललिता आनंद में हाथ पैर कपकपाने लगी।
राजेश _लाजो मेरा, लंद पकड़ कर अपनी मां की boor के छेद में डालो।
लाजो ने राजेश का लंद पकड़ा और उसे अपनी मां के boor के छेद में रख दी।
लाजो _भैया, आपका तो बहुत बड़ा और मोटा है छेद तो छोटा लग रहा है जाएगा कैसे?
कुसुम _अरे ननद जी देखना राजेश का लंद को सासु मां कैसे निगलती है।
राजेश ने ललिता की कमर को पकड़ कर एक जोर का धक्का मारा लंद सरसराता huwa आधा अंदर चला गया। ललिता चीख उठी।
लाजो आश्चर्य से देखने लगी, एक ही धक्के में आधा लंद boor के अंदर।
अब राजेश ने एक दूसरा प्रहार किया। लंद जड़ तक boor में समा गया। लेकिन लंद का टोपा ललिता के बच्चेदानी से टकराया।
वह फिर से चीख पड़ी।
लाजो, आश्चर्य से देख रही थी boor ने पूरा लंद निगल लिया था।
अब राजेश ललिता की चूची पकड़ कर दनादन,boor चोदना शुरू कर दिया।
ललिता की मादक सिसकारी, चूड़ियों की खनक और लंद की boor में आने जाने से उत्पन आवाज़, फच फाच, बरामदे में गूंजने लगी।
लाजो आश्चर्य से देख रही थी तो कुसुम अपनी boor रगड़ रही थी। वह अपनी सास को चुद्ते देख बहुत गर्म होने लगी।
इधर राजेश का लंद ललिता की भगनासा को रगड़ते हुवे पूरे गहराई तक अंदर आने जाने से उसे संभोग का परम सुख प्राप्त हो रहा था।
ऐसा आनद उसे पहली बार मिल रहा था।
उसकी chut से पानी बहकर टेबल पर टपकने लगा।
लाजो _भैया मां तो मूत रही है।
कुसुम _ये मूत नही मां जी की boor की पानी है जब औरत को बहुत मजा आता है तो ऐसे ही पानी छोड़ती है।
राजेश गपागप लंद boor में पेले जा रहा था फिर अचानक से लंद बाहर निकाल लिया।
लाजो _भैया आपका लंद तो boor का पानी पीकर और लंबा और मोटा हो गया।
कुसुम, राजेश के लंद को चूसने लगी, उसके बाद फिर से ललिता की boor में डाल दी।
राजेश फिर से चोदने लगा।
इस बार लगातार चोदते रहा, कुछ देर में ही ललिता चीखते हुए झड़ने लगी।
लाजो डर गई।
लाजो _मां तुम ठीक तो हो ना,,,
कुसुम _मां जी बिलकुल ठीक है, वह झड़ गई है न, इस आनद में उसके मुंह से चीख छूट गई।
राजेश ने चोदना बंद किया और लंद boor से बाहर निकाल दिया।
अब कुसुम को टेबल पकड़ा के झुका दिया। और उसकी टांग चौड़ी कर उसके बीच आ गया।
राजेश ने कुसुम की योनि के छेद में लंद रख कर एक जोर का झटका मारा, लंद boor को चीरकर अंदर चला गया। कुसुम चीख उठी।
राजेश ने लाजो को अपने पास खींचा और उसकी ओंठ चूसते हुए, दनादन कुसुम को चोदना शुरु कर दिया।
कमरे में कुसुम की मादक सिसकारी और फ्च फ़च की आवाज़ गूंजने लगा।
अब राजेश दोनो हाथ से कुसुम की कमर पकड़ी कर गपागप लगातार boor चोदता रहा जब तक कुसुम झड़ नही गई।
कुसुम के झड़ने के बाद राजेश ने अपना लंद उसकी boor से बाहर निकाल लिया।
लाजो को लंद चूसने का इशारा किया।
लाजो राजेश के लंद को मुंह में लेकर चूसने लगी। राजेश उसकी बाल पकड़ लिए और लंद को मुंह में ठेलने लगा।
अब राजेश ने ललिता को टेबल से उठा कर घोड़ी बना दिया और दनादन तब तक चोदते रहा जब तक वह झड़ नही गई।
फिर कुसुम को टेबल में लिटा कर उसकी जमकर ठुकाई किया, और उसे एक बार और झाड़ा।
राजेश ने अपना लंद कुसुम के boor से बाहर निकाला।
लाजो उसे चूसने लगी।
राजेश _चलो अब हम बेड पर चलते है।
सभी लाला जी के कमरे में आ गए। राजेश बेड में जाकर पीठ के बल लेट गया।
और ललिता को लंद पर बैठने का इशारा किया
ललिता पलंग के ऊपर चढ़ गई और राजेश के लंद को पकड़ कर अपनी boor के छेद में रख कर बैठ गई।
लाजो ये सब देख रही थी। उसकी हालात भी खराब हो चुकी थी उसकी चड्डी गीली हो चुकी थी। वह भी अपनी सलवार उतार कर नंगी हो गई।
कुसुम ने लाजो की boor को चाटना शुरु कर दी।
इधर ललिता राजेश के लंद के ऊपर उछल उछल कर चुदाने लगी।
कमरे में ललिता की मादक सिसकारी चूड़ियों की खनक गूंजने लगी।
कुछ देर में ही ललिता फिर से झड़ कर राजेश की बाहों में लुड़क गई।
राजेश ने उसे साइड किया और कुसुम को इशारा किया कुसुम लाजो की कुंवारी chut चाटना बंद कर पलंग के ऊपर चढ़ गई और राजेश के लंद को हाथ से पकड़ कर अपनी योनि में सेट कर बैठ गई।
राजेश ने कुसुम की कमर को पकड़ कर अपनी कमर नीचे से हिला हिला कर, कुसुम की योनि में लंद को अंदर बाहर करने लगा।
कुसुम सिसकने लगी।
उसके बाद राजेश, कुसुम की कमर पकड़ कर अपने लंद पर पटक पटक कर चोदना शुरु कर दिया।
कुछ ही देर में कुसुम भी फिर से झड़ कर राजेश की बाहों मे ढेर हो गई।
राजेश ने उसे दूसरे साइड लिटा दिया।
कुसुम राजेश और ललिता तीनो पलग पर लेटे थे।
राजेश के लंद अभी भी खड़ा था।
लाजो _भैया, अब मुझे चोदो।
राजेश _लाजो, तू अभी कुंवारी है मेरी लंद को नही झेल पाएगी। तेरी boor फट जाएगी तुम्हे दर्द होगा।
तुम्हे कल परीक्षा भी दिलानी है।
ललिता _बेटी राजेश ठीक कह रहा है, तू नही ले पाएगी।
कुसुम _boor तो एक दिन फटनी ही है। राजेश से चुदाने का मौका बार बार नही मिलेगा, लाजो तुम अपना सिल राजेश से ही तुड़वा लो।
लाजो_हा, भैया भाभी ठीक कह रही है, मुझे आपसे ही अपनी सील तुड़वानी है।
प्लीज मेरा सिल तोड़ो न।
राजेश _तुम्हारी सिल तोड़ने से पहले मां जी और भाभी का सिल तोडूंगा।
कुसुम _पर देवर जी हमारी सिल तो पहले ही टूट गई है।
राजेश ने कुसुम की गाड़ में उंगली घुसा कर कहा इसकी सिल तोड़नी है।
कुसुम _हाय दिया, इतना मोटा लंद इतनी सकरी, रास्ते में थोड़े ही जायेगा, हमारी तो गाड़ फट जाएगी।
राजेश _हूं, पहले मां जी के फाड़ेंगे उसकी गाड़ चौड़ी है, वो आराम से ले लेगी।
ललिता _न बाबा मैं नही ले पाऊंगी, बहुत दर्द होगा।
राजेश _लाजो, जाओ कीचन से घी का डब्बा ले आओ और इन दोनो की गाड़ में भर दो।
लाजो, कीचन से घी का डब्बा ले आय।
राजेश बेड से उठा और ललिता को घोड़ी बनाकर उसकी गाड़ में उंगली से घी अंदर डाल दिया और अपने लंद पर भी घी चुपड़ दिया।
ललिता _बेटा, मैं नही ले पाऊंगी, गाड़ मत मारो।
Boor चोद लो।
राजेश _boor बहुत चोद लिया अब तो गाड़ का मजा लेना है।
राजेश ने पहले उंगली डालकर गाड़ का छेद चौड़ा किया फिर अपना लंद धीरे धीरे करके आखिर ललिता के गाड़ में उतार ही दिया।
अब राजेश धीरे धीरे लंद को गाड़ में अंदर बाहर करना शुरू कर दिया।
ललिता दर्द से बिलबिलाने लगी, पर धीरे धीरे दर्द कम होता गया और अब उसे गाड़ मरवाने में मजा आने लगा।
इधर राजेश एक उंगली कुसुम की गाड़ में डालकर अंदर बाहर कर रहा था तो दुसरी तरफ ललिता की गाड़ भी बजा रहा था।
अब राजेश ललिता की गाड़ से लंद निकाल कर कुसुम की गाड़ में घुसाने की कोशिश में लग गया और अन्त में कामयाब भी हो गया। इसके बाद राजेश, बारी बारी कुसुम और ललिता की गाड़ मारने लगा।
दोनो को गाड़ मरवाने में एक अलग ही मजा आ रहा था।
लाजो _राजेश भैया, अब मेरी भी सिल तोड़ तो,, अब मुझे रहा नही जा रहा।

राजेश _ठीक है, तुम पलंग में लेट जाओ।
लाजो पलंग पर लेट गई।
राजेश, गाड़ मारना बंद कर, पलंग पर चड गया, उसके बाद वह लाजो को अपनी गोद में बिठा कर उसकी ओंठो को जी भर कर चूसा। उसकी मम्मे मसले, चूसे फिर उसे बेड पर लिटा दिया।
उसकी कमर के नीचे तकिया रख दिया। उसकी टांगे फैला कर बीच में आ गया।
कुसुम राजेश के लंद को पकड़ कर लाजो की कुंवारी boor के मुख पर रख दिया।

अब राजेश ने लाजो की ओंठ को अपनी मुंह में भर लिया और अपना लंद का दबाव योनि में डालने लगा।
लंद धीरे धीरे योनि में सरकने लगा।
जब लंद सरकना बंद किया राजेश ने एक जोर का दबाव डाला, लंद boor की झिल्ली तोड़कर अंदर चला गया।
लाजो चीखना चाही पर राजेश ने उसकी मुंह अपने मुंह में भर लिया था।
वह चीख न सकी, उसकी आंखों में आसूं भर गया।
कुछ देर वैसे ही राजेश लेटा रहा, कुछ देर बाद वह अपना लंद थोड़ा बाहर खींचा, फिर धीरे से धकेला।
राजेश लाजो की चूची से खेलने लगा।
लाजो का दर्द कम होने लगा अब राजेश अपने लंद को लाजो की योनि में धीरे धीरे अंदर बाहर करना शुरू कर दिया, कुछ देर दर्द करने के बाद अब लाजो को भी मजा आने लगा।
इधर राजेश के लंद में लाजो की झिल्ली फटने से खून निकल रहा था। ललिता एक कपड़ा लाकर राजेश की लंद और लाजो की boor को साफ की उसके बाद राजेश ने फिर से लाजो के boor में लंद डाल दिया और चोदना शुरू कर दिया।
लाजो को अब दर्द के बजाय मजा आने लगा, उसकी मादक सिसकारी कमरे में गूंजने लगी
उसकी boor से पानी बहने लगा।

कुछ ही में उसके हाथ पैर कपकपाने लगे और वह चीखते हुए झड़ने लगी।

राजेश ने चोदना बंद कर उसकी ओंठ चूसने लगा।
लाजो फूल से कली बन चुकी थी।
इधर राजेश का भी अब आने वाला था।
राजेश _अब मेरा भी आने वाला है, किसके में छोड़ूं।
कुसुम _देवर जी मेरे अंदर छोड़ो, ताकि इस घर तुम्हारे जैसे मर्द पैदा हो सके।
राजेश ने लाजो के boor से अपना लंद निकाल कर कुसुम को घोड़ी बनाकर, उसकी boor में डाल कर गाच गैच, चोदना शुरू कर दिया।
और कुछ देर में आज,,, आह, मां,,, आह,
करते हुए झड़ने लगा। वह वीर्य कि लंबी लंबी पिचकारी कुसुम के गर्भ में छोड़ने लगा।
गर्म गर्म वीर्य से अपनी योनि को महसूस करके, एक अद्भुत सुख को प्राप्त करते हुवे कुसुम फिर से झड़ गई।
राजेश झड़ने के बाद पलंग पर लेट गया। लाजो उससे चिपक कर चूमने लगी।
उसे अपने सीने से लगा ली।

कुछ देर सभी सुस्ताने के बाद अपने अपने कपड़े पहनने लगे।
कुसुम और ललिता की गाड़ फट चुकी थी जिससे उन्हें चलने में तकलीफ हो रही थी। फिर भी आज तीनो बहुत खुश थे राजेश से जो सुख उन्हे मिला था कभी उसकी कल्पना तक नही की थी।
संभोग का परम आनंद जिसे शब्दो मे बया नही किया जा सकता, राजेश से उन्हे मिला था।
राजेश इस खेल का महारथी बन गया था, औरत को कैसे खुश करना है, कैसे मैदान में लंबे समय तक डटे रह सकते है, सब कुछ सीख लिया था।
राजेश को भी इन तीनो औरतों को चोदने में एक अलग ही मजा आया था ।
पर हर chudai के बाद उसे लगता था कि वह अच्छा नही कर रहा है, वह निशा से दूर होता जा रहा है।
अब निशा के सामने क्या मुंह लेकर जायेगा? सच में वह एक आवारा बन चुका है।
ऐसा आवारा, अगर निशा उसे अपना भी ले तो वो उसे अकेली झेल नही पाएगी। वो तो फूलो जैसे नाजुक है, मैं एक लौह पुरुष। मेरे झड़ते तक वह टिक नही पाएगी ।
ये मैंने अपने को क्या बना डाला, एक काम पुरुष।
राजेश जब जोश में आता तो, सब भुल जाता और न चाहते हुए वह काम देव बन जाता, जिसका एक मात्र उद्देश्य औरत को जन्नत का सैर कराने रह जाता। उसे अधिक से अधिक काम सुख देना, जिससे वह उसका गुलाम बन जाय। और होता भी यहीं था जो औरत राजेश से एक बार chuda लेती फिर उसे दूसरे से चुदाने में मजा नही आता।
वह औरत बस राजेश को एक बार और पाने की ख्वाब सजाती रहती।
उस दिन राजेश ने कुसुम की दूध से बना चाय पिया, और कुसुम को कल की परीक्षा के लिए आवश्यक मार्गदर्शन दिया। फिर घर आ गया।
अपनी परीक्षा की तैयारी करने लगा।
इधर निशा राजेश को भूलने की कोशिश करने लगी।
आर्यन, सीमा और निशा एक बीच दोस्ती बढ़ने लगी।
एक दिन आर्यन ने सीमा को बताया कि वह निशा को प्यार करने लगा है, पर उससे कहने की हिम्मत नही हो रही है।
सीमा _ये मुश्किल है?
आर्यन _क्या मुश्किल है, मैं समझा नही।
सीमा _यहीं, निशा के मन में प्यार जगाना।
आर्यन _पर, क्यू सीमा?
सीमा _क्यू की वह किसी और से प्यार करती है?
आर्यन _किसी और से प्यार करती है? किस्से?
कौन है वो खुशनशीब।
सीमा _आर्यन छोड़ो, उसे जानकर करोगे क्या?
वैसे भी निशा उसकी सकल देखना नही चाहती?
आर्यन _कभी कहती हो, निशा किसी और से प्यार करती है फिर कहती हो निशा उसका सकल देखना नही चाहती। ये कैसी पहेली है?
सीमा _आर्यन, तुम एक अच्छे लड़के हो, निशा का ख्याल छोड़ दो। यहीं तुम्हारे लिए अच्छा होगा?
आर्यन _सीमा आखिर बात क्या है? सब सच बताओ।
सीमा _दरअसल बात ये है की निशा राजेश से प्यार करती थी, या कहूं अभी भी करती हैं, पर वह उस लड़के को भुल जाना चाहती है, पर मुझे लगता है वह भुल नही पाएगी।
आर्यन _तुम्हारी बाते तो मुझे कुछ समझ नही आ रही, जब निशा किसी से प्यार करती है तो उसे भूलना क्यू चाहती है?
सीमा _क्यू की उस लड़के ने निशा को धोखा दिया!
आर्यन _कैसा धोखा?
सीमा _उसने दूसरे लडकियों के साथ संबंध बनाएं। इस बात की जानकारी निशा को हुई तो यह सदमा बर्दास्त करना उसके लिए मुस्किल था। वह इंडिया छोड़ दिया और लंदन चली आई।
आर्यन _ओह तो ये बात है? तब तो उसे मेरी जरूरत है? ताकि उस लड़के को भुल सके।
सीमा _अभी वह उसे भूली नही है? अगर तुम अभी उसे प्रपोज करोगे तो हो सकता है दोस्ती ही तोड़ दे।
इसलिए अगर तुम उसे प्रपोज करना चाहते हो तो धीरे धीरे उसका दिल जीतो, और जब तुम्हे विश्वास हो जाए की निशा तुम्हे न नही कहेगी। तुम उसे प्रपोज करो।
आर्यन _सीमा तुम ठीक कह रही हो, निशा को अब मैं प्रपोज करने से पहले उसका दिल जीतूंगा। अच्छा ये तो बताओ की आखिर उस लड़के में ऐसी क्या बात थी की निशा उससे प्यार करने लगी।
सीमा _ये पूछो क्या खास बात नही थी? सब लडकिया उस पर मरती थी।
रआर्यन _क्या, सब लडकिया?
तुम भी?
सीमा _मैने कहा न सब लडकिया?
निशा तो लड़को से दूर भागती थी, उन्हे लड़के पसंद नही थे पर राजेश की अच्छाइयों ने उसके लिए निशा के दिल में अपने लिए जगह बना ली।
आर्यन _आखिर उस लड़के में ऐसी क्या खास बात है? मैं भी एक बार उससे मिलना चाहूंगा।
सीमा _पर उसके लिए तुम्हे इंडिया जाना पड़ेगा।
आर्यन _मौका मिला तो जरूर जाऊंगा।
सीमा जी अब मैं पहले, निशा जी का दिल जीतूंगा उसके बाद, उसे प्रपोज करूंगा?
सीमा _हा ये ठीक रहेगा!।
इधर दिव्या, ने राजेश को फोन किया?
दिव्या _राजेश, कैसे हो?
राजेश _मैं ठीक हूं दिव्या जी। आप कैसी है?
दिव्या _मैं भी ठीक हूं?
राजेश _दिव्या जी कुछ काम था क्या?
दिव्या _नही कुछ खास नही? तुम्हारी दीदी की तबियत कैसी है? कुछ प्रोब्लम तो नही।
राजेश _नही दिव्या जी वो तो बिल्कुल ठीक है?
दिव्या _, उसकी डील वरी का समय पास आ गया है। तुम लोगो को उसका खास ध्यान रखना होगा। जरूरत पड़े तो मुझे काल करना। मैं गाड़ी भिजवा दूंगी। अपनी दीदी को प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र ले आना। कोइ रिस्क मत लेना।
राजेश _ठीक है दिव्या जी।
दिव्या _वैसे राजेश आज दोपहर में क्या कर रहे हो?
राजेश _जी, वैसे तो मैं अपनी परीक्षा की तैयारी करता हूं और तो कोइ काम नही है।
दिव्या _दरअसल मुझे मुवी देखे बहुत समय हो गई है, पता चला कि एक अच्छी मूवी आई है तो देखने का मन है पर यहां तो कोइ दोस्त हैं नही जिसके साथ मैं मूवी देखने जाऊं? क्या तुम चलोगे मेरे साथ मुवी देखने।
राजेश _पर दिव्या जी आपकी तो ड्यूटी रहती हैं न।
दिव्या _आज सन्डे है न तो आज दो बजे तक ही ड्यूटी करुंगी वैसे तो सन्डे को छुट्टी रहती है फिर भी कुछ जटिल केश के लिए जाना पड़ता है।
राजेश _ओह, तब तो ठीक है।
पर ठाकुर साहब को पता चलेगा कि आप मेरे साथ मूवी देखने गई हो, तब। आपको डांट पड़ेगी।
दिव्या _मैं अब इतनी बच्ची भी नही हूं कि एक मूवी देखने के लिए भी खुद फ़ैसला न ले सकू। वैसे मैने मां से बात कर ली है और वह मान गई है। वैसे भी पिता जी अभी राजधानी गए हुवे है। अभी विधानसभा सत्र चल रहा है न।
राजेश _पर गीता दी के साथ भी जा सकती थी।
दिव्या _दी को मूवी पे कोइ इंट्रेस्ट नही। वैसे भी अब वह राजनीति से जुड़ गई है जहा भी जाती है कार्यकर्ता घेर लेते है।
राजेश _ओह, ये बात है? तो फिर ठीक है दिव्या जी चलते है मूवी देखने। पर लक्ष्मण पुर में तो सिनेमा घर है नही।
दिव्या _धरम पुर में तो है न यहां से 50km दूर, एक घंटा तो जाने में ही लगेगा।
हम 2बजे निकलेंगे, 3बजे से मूवी सुरू होगी। 7बजे तक घर आ जायेंगे।
राजेश _ठीक है जी।
दिव्या _एक काम करना, तुम 10 बजे मेरे साथ ही प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र चलना वही से हम मूवीदेखने चलेंगे।
राजेश_ठीक है दिव्या जी।

राजेशने जब घर के लोगो को इस बारे में बताया कि वह दिव्या जी के साथ मूवी देखने जा रहा है।
पदमा _बेटा, ये ठाकुर तुम्हे गांव से भगाना चाहता है, वह तुम्हे दुश्मन समझता है और तुम उसकी बेटी के साथ मूवी देखने जा रहे।
ठाकुर की बेटी को मना कर देना चाहिए था।
राजेश _ताई अगर उसे मना करता तो उसे अच्छा नही लगता।
पदमा _बेटा, क्या ठाकुर अपने बेटी को तुम्हारे साथ मूवी देखने भेजेगा।
राजेश _अभी तो ठाकुर, राजधानी गया huwa है?
पदमा _जब आयेंगे तो पता तो चलेगा ही।
राजेश _दिव्या ने कहा है की उसकी मैं ने इजाजत दी है।
ताई आप बेकार ही चिन्ता कर रही है। दिव्या जी ठाकुर को समझा लेगी।
राजेश 10 बजे बाइक से हवेली पहुंच गया।
वहा पर दिव्या उसी के आने का इन्तजार कर रही थी।
जब वह हवेली पहुंचा।
दिव्या _राजेश तुम आ गए। मैं तुम्हारा ही इन्तजार कर रही थी।
राजेश _मुझे लेट तो नही हो गया।
दिव्या _नही तुम बिलकुल सही समय पर आए हो।
तभी वहा गीता भी आ गई,,
राजेश _नमस्ते गीता दीदी।
गीता _नमस्ते राजेश कैसे हो?
राजेश _मैं बिल्कुल ठीक हूं दीदी, आप कैसी है?
गीता _मैं भी बिल्कुल ठीक हूं।
राजेश _दीदी आप भी क्यू नही चलती मूवी देखने?
गीता _नही राजेश, अगर मैं मूवी देखने गई तो, कार्यकर्ता पीछे पड़ जायेंगे। मूवी देखने का मजा खराब हो जायेगा। तुम लोग जाओ।
तभी वहा ठकुराइन भी आ गई,
रत्नवती_अरे राजेश बेटा तुम आ गए।
राजेश ने पैर छूकर प्रणाम किया।
राजेश_हा, मां जी, आप कैसी है।
रत्नवती_मैं ठीक हूं बेटा तुम कैसे हो?
राजेश_मैं भी बिल्कुल ठीक हूं। मां जी।
रत्नवती_बेटा, तुम दिव्या की हिफाजत करना। मैं उसे तुम्हारी जिम्मेदारी पे भेज रही हूं।
, राजेश _मां जी आप बिल्कुल चिन्ता मत करो, दिव्या जी सुरक्षा की जिम्मेदारी मेरी है।
दिव्या _अच्छा मां अब हम लोग चलते है।
अरे बेटी राजेश कितनी दिन बाद आया है उसे चाय नाश्ता तो कर लेने दो।
राजेश _, मां जी मैं चाय नाश्ता घर से करके आया हू।
रत्नवती _अच्छा तो काफी बनवा देती हूं, तुम्हे तो काफी पसंद है ना।
राजेश _, अच्छा ठीक है मां जी आप जिद कर रही है तो, काफी पीकर निकलेंगे।
नौकरानी ने कुछ देर बाद काफी लेकर आई सभी लोग काफी पिए।
दिव्या _अच्छा मां हम चलते है।
रत्नवती _ठीक है बेटी।
दिव्या _दीदी हम लोग चलते हैं।
गीता _ठीक है, छोटी, तुम दोनो अपना ख्याल रखना।
राजेश तुम लोग मूवी खत्म होते ही घर के लिए निकल जाना।
राजेश _ठीक है दीदी।
राजेश अपना बाइक हवेली में ही छोड़ दिया।
दिव्या _राजेश, कार तुम चलाओ, ड्राइवर को ले जा कर क्या करेंगे?
राजेश ने कार ड्राइव किया और दोनो प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र चले गए वहा पर दिव्या कुछ मरीजों के स्वास्थ्य की जानकारी लिया और आवश्यक काम निपटाई।
उसके बाद दोनो 1: 30बजे धरम पुर के लिए निकल पड़े।
राजेश _दिव्या जी आखिर मूवी कौन सी लगी है?
दिव्या _सैयारा
राजेश _ये तो कोइ रोमांटिक मूवी है न।
दिव्या _हां, लोगो को मूवी को काफी पसंद आ रही है। काफी अच्छी चल रही हैं मूवी तो मैंने भी देखने का मन बनाया।
दिव्या _क्या तुम्हे रोमांटिक मूवी पसंद नही।
राजेश _पसंद है, दिव्या जी।
रास्ते पर कई जगह पहाड़ पर्वत झरने, प्राकृतिक दृश्य नजर आ रहे थे।
दिव्या _राजेश देखो तो कितनी मनोरम दृश्य है, गाड़ी रोको न।
राजेश ने गाड़ी रोक दिया।

दिव्या प्राकृतिक सौंदर्यता को देखकर गीत गाने लगी।


गीत गाने के बाद वे कार से धरम पुर के लिए निकल पड़े। जब वे सिनेमा हॉल पहुंचे 3बजने वाले थे टिकट के लिए लोगो की लंबी कतारें लगी थी।
दिव्या ने एडवांस में टिकर बूक करा ली थी।
वे सिनेमा हॉल के अंदर गए।
कुछ देर बाद मूवी शुरू हुआ,,,
लोगो ने तालिया बजाना शुरू किया। लव स्टोरी लोगो को काफी पसंद आ रही थी।
मूवी में जब हीरोइन हीरो को छोड़कर चली जाती है,,,
सभी दर्शक भावुक हो जाते है।
राजेश को निशा याद आने लगती है, उसकी आंखों से आंसू बहने लगता है।
जब इंटरवेल होता है, सिनेमा हॉल की लाइट ऑन हो जाता है।
दिव्या राजेश की ओर देखती है, उसके आंखो में आंसू,,,
दिव्या _राजेश, तुम रो रहे हो,,,
राजेश की आंखो से आंसू और तेज बहने लगता है।
दिव्या, राजेश को अपने गले से लगा लेती है।
राजेश, दिव्या के गले लिपट कर रोने लगता है।
दिव्या _राजेश तुम निशा को मिस कर रहे हो,,,
राजेश _ओ मुझे एक फोन नही की,, राजेश रोते हुवे कहा,,,
दिव्या _ओह राजेश, अगर निशा तुमसे सच्चा प्यार की होगी, तो एक दिन जरूर तुम्हारे जिंदगी में लौटेगी।
मुझे तुम्हे ये मूवी दिखाने लाना ही नहीं था। सॉरी,,
अब बस करो,,
राजेश _ओ नही लौटेगी, मेरे पास,,, मैने उसका दिल दुखाया है।
दिव्या _राजेश चलो हमे यह मूवी नही देखनी।
वह राजेश को लेकर सिनेमा हॉल से बाहर निकल आई।
दिव्या _राजेश मुझे तो बड़ी भूख लगी है? चलो किसी अच्छे से ढाबे में खाना खाते हैं।
राजेश लोगो से किसी अच्छे ढाबे का पता पूछता है
उसके बाद वे दोनो खाना खाते है।
दिव्या राजेश का मन बहलाने, आस पास देखने लायक जगह पर राजेश को ले जाती है।
फिर वे 6बजते ही वहा से घर के लिए निकल पड़ते हैं।
दोनो हवेली पहुंचते है तो रात के 8बज चुके होते है।
रत्नवती _बेटा मूवी कैसी थी?
दिव्या _बड़ी अच्छी मूवी थी मां, क्यू राजेश?
राजेश _हा मां जी।
राजेश _अच्छा दिव्या जी अब मुझे चलना चाहिए, घर वाले राह देख रहे होंगे।
रत्नवती _अरे बेटा, खाना खाकर जाना।
गीता _हां राजेश, खाने का समय हो चुका है तुम ऐसे नही जा सकते।
राजेश को आखिर उन लोगो का कहना मानना पड़ा।
चारो, भोजन करने लगे।
रत्नवती_बेटा, भोजन पसंद आया की नही।
राजेश _बहुत अच्छा लगा मां जी, धन्यवाद आप लोगो ने मुझे इतना सम्मान दिया।
रत्नवती _अरे बेटा इस घर की खुशियां तुम्हारी वजह से तो है, अगर उस दिन तुम दिव्या कि मदद नही किया होता तो इस में अंधेरा छा जाता।
तुम्हारा अहसान हम नही भुल सकते।
राजेश _मां जी मैने कोइ अहसान नहीं किया है, ये तो मेरा फर्ज था, अगर दिव्या जी की जगह कोइ और होता तो भी मैं उसकी मदद करता।

रत्नवती _यहीं तो तुम्हारी अच्छाई है बेटा, तुम आदमी देखकर उसकी मदद नही करते।
राजेश _अच्छा मां जी अब मैं चलता हूं, घर वाले परेशान होंगे।
रत्नवती _ठीक है बेटा, हवेली आता जाता रहा करो।
दिव्या _मां मैं राजेश को छोड़कर आता हूं।

दिव्या राजेश को छोड़ने चली गई।
राजेश _अच्छा, दिव्या जी मैं चलता हूं।
दिव्या ने हां में सिर हिलाया।
राजेश को जाती हुवे देखने लगी,,,
वह राजेश के मन ही मन चाहने लगी थी, यह जानते हुए भी कि राजेश निशा को प्यार करता है।

Bahut hi shandar update he rajesh bhagat Bhai,

Rajesh ne lala ki biwi, bahu beti tino ka hi badhiya se band baja diya.........

Nisha ko jindgi me aaryan kis tarah se parvesh karega ye dekhne layak hoga.......

Divya bhi ab rajesh ko chahne lagi he........ye pyar rajesh ke liye nayi musibate lekar aayega......

Keep rocking Bro
 

sunoanuj

Well-Known Member
3,911
10,218
159
राजेश ने कुसुम को अपने गोद में बिठा लिया और लाजो से कहा।
राजेश _लाजो, भाभी का दूध निकालने के लिए गिलास तो लेकर आओ।
लाजो _अभी लाती हूं भैया।
राजेश _अरे तुम रुको, मां जी कहा है उनसे कहो, तुम सवाल बनाओ ।
लाजो _मां, कहा हो,, राजेश भैया बुला रहे है?
ललिता अपने कमरे में आराम कर रही थी वह बाहर आई।
ललिता _क्या है बेटी?
लाजो _मां, राजेश भैया एक गिलास मंगा रहे हैं। भाभी का दूध निकालने। आज राजेश भैया भाभी की दूध से बना चाय पीना चाहते हैं।
राजेश _मां जी, अगर हम भाभी की दूध से बना चाय पीए तो आपको एतराज तो नही।
ललिता _बेटा अब मैं क्या बोलूं, जैसे आपको अच्छा लगे।
राजेश _अच्छा, तो फिर भाभी की दूध निकालने में मेरी मदद करो। जाओ कीचन से गिलास लेकर आओ।
ललिता, मुस्कुराते हुवे, कीचन में गई और एक गिलास लेकर आई।
इधर राजेश ने कुसुम का ब्लाउज निकाल दिया था। उसकी चूची एकदम नंगी हो गई थी।
राजेश ने दोनो चुचियों को अपने हाथो से पकड़ कर उसकी चूचक को दबाया। दूध की फौवारा निकलने लगा।
ललिता दूध को गिलास में इकट्ठा करने लगी।
राजेश कुसुम की चुचियों को मसल मसल कर दूध निचोड़ने लगा।
कुसुम राजेश की हरकत से एक दम गर्म हो गई। उसे मुंह से सिसकारी निकलने लगी।
उसकी boor पानी छोड़ने लगी।
जब गिलास पूरा भर गया।
राजेश _लो भई गिलास तो पूरा भर गया। पर दूध तो अभी भी निकल रहा है।
अब बचे हुए दूध को मैं पी लेता हूं।
राजेश बारी बारी से कुसुम की चूची मसल मसल कर पीने लगा।
कुसुम की हालात खराब होने लगी।
राजेश _भाभी अब जाओ और ये दूध का गिलास ले जाओ, और एक बढ़िया सी चाय बना लाओ।
कुसुम राजेश की गोद से उठ गई और गिलास लेकर शर्माती हुई कीचन में चली गई।
राजेश _मां जी जब तक, चाय नही बन जाता आप मुझे अपना दूध पिला दो।
ललिता _अरे बेटा, मेरे कहा दूध आते हैं? शर्माते हुए बोली।
राजेश _आओ मां जी कोशिश करते हैं, कोशिश करने से हो सकता है दूध आ जाए। क्यों लाजो?
लाजो _हां मां, राजेश भैया ठीक कह रहे है? राजेश भैया को कोशिश तो करने दो।
राजेश ने ललिता को अपने गोद में बिठा लिया और उसकी ब्लाउज निकाल फेका।
और ललिता की बड़े बड़े मम्मे दबा दबा कर चुचक को चूसने लगा।
ललिता _सिसकने लगी। वह उत्तेजित होने लगी।
लाजो _भैया मां की दूध आ रहा है क्या?
राजेश _नही, अभी तक तो नही, फर दूदू चूसने में मज़ा आ रहा है।
माजी की दूदू बड़े मस्त है।
लाजो _हा भैया मां के दूदू तो काफी बड़े बड़े है मेरे से दोगुने।
लाजो _भैया क्या आप मेरे भी चूसेंगे?
राजेश _, क्यू, तुम्हे भी मन कर रहा क्या चुसाने का।
लाजो _हूं। लाजो अपनी दोनो हाथो से अपनी चूची मसलने लगी।
राजेश अच्छा _आओ मेरे गोद पे बैठो, तुम्हारे भी चूस देता हूं।
लाजो _मां, अब तुम भैया की गोद से उठो मुझे बैठने दो।
ललिता राजेश की गोद से उठ गई।
लाजो अपनी कुर्ती और ब्रा उतार दी। और राजेश के गोद में बैठ गई।
राजेश ने लाजो की दूदू जो मीडियम साइज के थे मसलते हुवे कहा।
लाजो, तुम्हारे बूब्स तो एकदम कड़े हैं।
लगता है तुम पहली बार दबवा रही हो।
लाजो _हां राजेश भैया इसके पहले कभी नही मसलवाई।
लाजो को उत्तेजना महसूस होने लगी, उसकी मुंह से सिसक नकलने लगी। राजेश ने उसके चूचक मुंह में भर कर चूसने लगा।
लाजो की boor में पानी भरने लगा।
इधर राजेश का लंद भी तनकर लंबा और मोटा हो गया था।
लाजो _भैया, मेरी कूल्हे पे कुछ चुभ रहा है।
राजेश _अरे लाजो तुम लोगो की मस्त चुचियों का रसपान करने से मेरा नुनु बड़ा और मोटा हो गया है, आजाद होने के लिए छटपटा रहा है।
लाजो _अगर ऐसी बात है तो कर दो ना उसे आज़ाद, क्यू तकलीफ दे रहे हो बेचारे को।
राजेश _अच्छा ठीक है, तुम ही आज़ाद करदो उसे।
राजेश लाजो को गोद से उतार दिया और खड़ा हो गया।
लाजो ने राजेश के पैंट पर लगे बेल्ट खोलने लगी और उसकी पैंट का बटन खोल नीचे खींच दिया।
उसके बाद राजेश की चड्डी को नीचे खिसकाया।
राजेश के लंद देखकर लाजो का होश उड़ गए।
लाजो _भैया, इतना बड़ा, ये तो घोड़े का लंद लग रहा है। लाजो अपने हाथ से लंद को नापने लगा।
राजेश _मां जी अब देख क्या रही हो, चलो काम में लग जाओ।
ललिता राजेश के लंद के नीचे बैठ गई। लाजो भी बैठी हुई थी।
ललिता ने लंद पकड़ कर पहले प्यार से सहलाई फिर मुंह में भर कर चूसने लगी।
राजेश को मजा आने लगा।
राजेश _आह, उन, थोड़ा और अंदर लो,,,, हा ऐसे ही मस्त चूस रही हो आह,,
लाजो _मां मुझे दिखाओ मैं भी चूस कर देखू।
लाजो ने राजेश का लंद मुंह में लेकर चूसने की कोशिश की। आधा ही मुंह में ले पा रही थी।
वह ललिता जैसे चूसी थी, उसी तरह वह भी चूसने लगी।
लाजो _भैया आपका तो और मोटा और लंबा हो रहा है।
तभी कुसुम भी वहा आ गई।
राजेश _अरे भाभी चाय बन गया क्या?
कुसुम _अरे देवर जी चाय बनाने में थोड़ा समय है।
राजेश _अच्छा, चाय को बाद में पियेंगे आओ सब मिलकर मजा करते है, ऐसा मौका फिर नही मिलने वाला।
कुसुम भी राजेश के लंद के नीचे बैठ गई अब बारी बारी तीनो राजेश के लंद को चूसने लगी उसके गोटे को चाटने लगी।
कुसुम उठी और राजेश के शर्ट बनियान भी उतार कर पूरा नंगा कर दिया।
राजेश _अरे भाई मुझे नंगा करके आप लोग कपड़े में हो चलो तुम लोग भी प्राकृतिक अवस्था में आ जाओ।
ललिता _तुम्हारे कपड़े हम उतारे है तो, हमारे कपड़े तुम उतारो।
राजेश _ठीक है,
राजेश ने ललिता की साड़ी का पल्लू पकड़ा और खींचने लगा, ललिता गोल गोल घूमने लगी।
ललिता की साड़ी राजेश के हाथ में आ गया।
राजेश ने साड़ी को सूंघा, फिर फर्श में फेक दिया। उसके बाद कुसुम की साड़ी खींचकर निकाल दिया।
राजेश ने ललिता को बाहों में भर कर ओंठ चूसने लगा ललिता भी साथ देने लगी, राजेश ने ललिता का पेटीकोट का नाडा खीच दिया। उसका पेटीकोट पैर पे गिर गया।
राजेश ने एक उंगली। ललिता की boor में डाल कर अंदर बाहर करने लगा। ललिता सिसकने लगी। राजेश की उंगली ललिता की boor के पानी से भीग गया।
इधर लाजो और कुसुम अपनी अपनी boor रही थी।
राजेश ने ललिता को अपनी बाहों में उठाया और उसे टेबल पे लिटा दिया।
और ललिता की boor चाटने लगा। ललिता आनंद में हाथ पैर कपकपाने लगी।
राजेश _लाजो मेरा, लंद पकड़ कर अपनी मां की boor के छेद में डालो।
लाजो ने राजेश का लंद पकड़ा और उसे अपनी मां के boor के छेद में रख दी।
लाजो _भैया, आपका तो बहुत बड़ा और मोटा है छेद तो छोटा लग रहा है जाएगा कैसे?
कुसुम _अरे ननद जी देखना राजेश का लंद को सासु मां कैसे निगलती है।
राजेश ने ललिता की कमर को पकड़ कर एक जोर का धक्का मारा लंद सरसराता huwa आधा अंदर चला गया। ललिता चीख उठी।
लाजो आश्चर्य से देखने लगी, एक ही धक्के में आधा लंद boor के अंदर।
अब राजेश ने एक दूसरा प्रहार किया। लंद जड़ तक boor में समा गया। लेकिन लंद का टोपा ललिता के बच्चेदानी से टकराया।
वह फिर से चीख पड़ी।
लाजो, आश्चर्य से देख रही थी boor ने पूरा लंद निगल लिया था।
अब राजेश ललिता की चूची पकड़ कर दनादन,boor चोदना शुरू कर दिया।
ललिता की मादक सिसकारी, चूड़ियों की खनक और लंद की boor में आने जाने से उत्पन आवाज़, फच फाच, बरामदे में गूंजने लगी।
लाजो आश्चर्य से देख रही थी तो कुसुम अपनी boor रगड़ रही थी। वह अपनी सास को चुद्ते देख बहुत गर्म होने लगी।
इधर राजेश का लंद ललिता की भगनासा को रगड़ते हुवे पूरे गहराई तक अंदर आने जाने से उसे संभोग का परम सुख प्राप्त हो रहा था।
ऐसा आनद उसे पहली बार मिल रहा था।
उसकी chut से पानी बहकर टेबल पर टपकने लगा।
लाजो _भैया मां तो मूत रही है।
कुसुम _ये मूत नही मां जी की boor की पानी है जब औरत को बहुत मजा आता है तो ऐसे ही पानी छोड़ती है।
राजेश गपागप लंद boor में पेले जा रहा था फिर अचानक से लंद बाहर निकाल लिया।
लाजो _भैया आपका लंद तो boor का पानी पीकर और लंबा और मोटा हो गया।
कुसुम, राजेश के लंद को चूसने लगी, उसके बाद फिर से ललिता की boor में डाल दी।
राजेश फिर से चोदने लगा।
इस बार लगातार चोदते रहा, कुछ देर में ही ललिता चीखते हुए झड़ने लगी।
लाजो डर गई।
लाजो _मां तुम ठीक तो हो ना,,,
कुसुम _मां जी बिलकुल ठीक है, वह झड़ गई है न, इस आनद में उसके मुंह से चीख छूट गई।
राजेश ने चोदना बंद किया और लंद boor से बाहर निकाल दिया।
अब कुसुम को टेबल पकड़ा के झुका दिया। और उसकी टांग चौड़ी कर उसके बीच आ गया।
राजेश ने कुसुम की योनि के छेद में लंद रख कर एक जोर का झटका मारा, लंद boor को चीरकर अंदर चला गया। कुसुम चीख उठी।
राजेश ने लाजो को अपने पास खींचा और उसकी ओंठ चूसते हुए, दनादन कुसुम को चोदना शुरु कर दिया।
कमरे में कुसुम की मादक सिसकारी और फ्च फ़च की आवाज़ गूंजने लगा।
अब राजेश दोनो हाथ से कुसुम की कमर पकड़ी कर गपागप लगातार boor चोदता रहा जब तक कुसुम झड़ नही गई।
कुसुम के झड़ने के बाद राजेश ने अपना लंद उसकी boor से बाहर निकाल लिया।
लाजो को लंद चूसने का इशारा किया।
लाजो राजेश के लंद को मुंह में लेकर चूसने लगी। राजेश उसकी बाल पकड़ लिए और लंद को मुंह में ठेलने लगा।
अब राजेश ने ललिता को टेबल से उठा कर घोड़ी बना दिया और दनादन तब तक चोदते रहा जब तक वह झड़ नही गई।
फिर कुसुम को टेबल में लिटा कर उसकी जमकर ठुकाई किया, और उसे एक बार और झाड़ा।
राजेश ने अपना लंद कुसुम के boor से बाहर निकाला।
लाजो उसे चूसने लगी।
राजेश _चलो अब हम बेड पर चलते है।
सभी लाला जी के कमरे में आ गए। राजेश बेड में जाकर पीठ के बल लेट गया।
और ललिता को लंद पर बैठने का इशारा किया
ललिता पलंग के ऊपर चढ़ गई और राजेश के लंद को पकड़ कर अपनी boor के छेद में रख कर बैठ गई।
लाजो ये सब देख रही थी। उसकी हालात भी खराब हो चुकी थी उसकी चड्डी गीली हो चुकी थी। वह भी अपनी सलवार उतार कर नंगी हो गई।
कुसुम ने लाजो की boor को चाटना शुरु कर दी।
इधर ललिता राजेश के लंद के ऊपर उछल उछल कर चुदाने लगी।
कमरे में ललिता की मादक सिसकारी चूड़ियों की खनक गूंजने लगी।
कुछ देर में ही ललिता फिर से झड़ कर राजेश की बाहों में लुड़क गई।
राजेश ने उसे साइड किया और कुसुम को इशारा किया कुसुम लाजो की कुंवारी chut चाटना बंद कर पलंग के ऊपर चढ़ गई और राजेश के लंद को हाथ से पकड़ कर अपनी योनि में सेट कर बैठ गई।
राजेश ने कुसुम की कमर को पकड़ कर अपनी कमर नीचे से हिला हिला कर, कुसुम की योनि में लंद को अंदर बाहर करने लगा।
कुसुम सिसकने लगी।
उसके बाद राजेश, कुसुम की कमर पकड़ कर अपने लंद पर पटक पटक कर चोदना शुरु कर दिया।
कुछ ही देर में कुसुम भी फिर से झड़ कर राजेश की बाहों मे ढेर हो गई।
राजेश ने उसे दूसरे साइड लिटा दिया।
कुसुम राजेश और ललिता तीनो पलग पर लेटे थे।
राजेश के लंद अभी भी खड़ा था।
लाजो _भैया, अब मुझे चोदो।
राजेश _लाजो, तू अभी कुंवारी है मेरी लंद को नही झेल पाएगी। तेरी boor फट जाएगी तुम्हे दर्द होगा।
तुम्हे कल परीक्षा भी दिलानी है।
ललिता _बेटी राजेश ठीक कह रहा है, तू नही ले पाएगी।
कुसुम _boor तो एक दिन फटनी ही है। राजेश से चुदाने का मौका बार बार नही मिलेगा, लाजो तुम अपना सिल राजेश से ही तुड़वा लो।
लाजो_हा, भैया भाभी ठीक कह रही है, मुझे आपसे ही अपनी सील तुड़वानी है।
प्लीज मेरा सिल तोड़ो न।
राजेश _तुम्हारी सिल तोड़ने से पहले मां जी और भाभी का सिल तोडूंगा।
कुसुम _पर देवर जी हमारी सिल तो पहले ही टूट गई है।
राजेश ने कुसुम की गाड़ में उंगली घुसा कर कहा इसकी सिल तोड़नी है।
कुसुम _हाय दिया, इतना मोटा लंद इतनी सकरी, रास्ते में थोड़े ही जायेगा, हमारी तो गाड़ फट जाएगी।
राजेश _हूं, पहले मां जी के फाड़ेंगे उसकी गाड़ चौड़ी है, वो आराम से ले लेगी।
ललिता _न बाबा मैं नही ले पाऊंगी, बहुत दर्द होगा।
राजेश _लाजो, जाओ कीचन से घी का डब्बा ले आओ और इन दोनो की गाड़ में भर दो।
लाजो, कीचन से घी का डब्बा ले आय।
राजेश बेड से उठा और ललिता को घोड़ी बनाकर उसकी गाड़ में उंगली से घी अंदर डाल दिया और अपने लंद पर भी घी चुपड़ दिया।
ललिता _बेटा, मैं नही ले पाऊंगी, गाड़ मत मारो।
Boor चोद लो।
राजेश _boor बहुत चोद लिया अब तो गाड़ का मजा लेना है।
राजेश ने पहले उंगली डालकर गाड़ का छेद चौड़ा किया फिर अपना लंद धीरे धीरे करके आखिर ललिता के गाड़ में उतार ही दिया।
अब राजेश धीरे धीरे लंद को गाड़ में अंदर बाहर करना शुरू कर दिया।
ललिता दर्द से बिलबिलाने लगी, पर धीरे धीरे दर्द कम होता गया और अब उसे गाड़ मरवाने में मजा आने लगा।
इधर राजेश एक उंगली कुसुम की गाड़ में डालकर अंदर बाहर कर रहा था तो दुसरी तरफ ललिता की गाड़ भी बजा रहा था।
अब राजेश ललिता की गाड़ से लंद निकाल कर कुसुम की गाड़ में घुसाने की कोशिश में लग गया और अन्त में कामयाब भी हो गया। इसके बाद राजेश, बारी बारी कुसुम और ललिता की गाड़ मारने लगा।
दोनो को गाड़ मरवाने में एक अलग ही मजा आ रहा था।
लाजो _राजेश भैया, अब मेरी भी सिल तोड़ तो,, अब मुझे रहा नही जा रहा।

राजेश _ठीक है, तुम पलंग में लेट जाओ।
लाजो पलंग पर लेट गई।
राजेश, गाड़ मारना बंद कर, पलंग पर चड गया, उसके बाद वह लाजो को अपनी गोद में बिठा कर उसकी ओंठो को जी भर कर चूसा। उसकी मम्मे मसले, चूसे फिर उसे बेड पर लिटा दिया।
उसकी कमर के नीचे तकिया रख दिया। उसकी टांगे फैला कर बीच में आ गया।
कुसुम राजेश के लंद को पकड़ कर लाजो की कुंवारी boor के मुख पर रख दिया।

अब राजेश ने लाजो की ओंठ को अपनी मुंह में भर लिया और अपना लंद का दबाव योनि में डालने लगा।
लंद धीरे धीरे योनि में सरकने लगा।
जब लंद सरकना बंद किया राजेश ने एक जोर का दबाव डाला, लंद boor की झिल्ली तोड़कर अंदर चला गया।
लाजो चीखना चाही पर राजेश ने उसकी मुंह अपने मुंह में भर लिया था।
वह चीख न सकी, उसकी आंखों में आसूं भर गया।
कुछ देर वैसे ही राजेश लेटा रहा, कुछ देर बाद वह अपना लंद थोड़ा बाहर खींचा, फिर धीरे से धकेला।
राजेश लाजो की चूची से खेलने लगा।
लाजो का दर्द कम होने लगा अब राजेश अपने लंद को लाजो की योनि में धीरे धीरे अंदर बाहर करना शुरू कर दिया, कुछ देर दर्द करने के बाद अब लाजो को भी मजा आने लगा।
इधर राजेश के लंद में लाजो की झिल्ली फटने से खून निकल रहा था। ललिता एक कपड़ा लाकर राजेश की लंद और लाजो की boor को साफ की उसके बाद राजेश ने फिर से लाजो के boor में लंद डाल दिया और चोदना शुरू कर दिया।
लाजो को अब दर्द के बजाय मजा आने लगा, उसकी मादक सिसकारी कमरे में गूंजने लगी
उसकी boor से पानी बहने लगा।

कुछ ही में उसके हाथ पैर कपकपाने लगे और वह चीखते हुए झड़ने लगी।

राजेश ने चोदना बंद कर उसकी ओंठ चूसने लगा।
लाजो फूल से कली बन चुकी थी।
इधर राजेश का भी अब आने वाला था।
राजेश _अब मेरा भी आने वाला है, किसके में छोड़ूं।
कुसुम _देवर जी मेरे अंदर छोड़ो, ताकि इस घर तुम्हारे जैसे मर्द पैदा हो सके।
राजेश ने लाजो के boor से अपना लंद निकाल कर कुसुम को घोड़ी बनाकर, उसकी boor में डाल कर गाच गैच, चोदना शुरू कर दिया।
और कुछ देर में आज,,, आह, मां,,, आह,
करते हुए झड़ने लगा। वह वीर्य कि लंबी लंबी पिचकारी कुसुम के गर्भ में छोड़ने लगा।
गर्म गर्म वीर्य से अपनी योनि को महसूस करके, एक अद्भुत सुख को प्राप्त करते हुवे कुसुम फिर से झड़ गई।
राजेश झड़ने के बाद पलंग पर लेट गया। लाजो उससे चिपक कर चूमने लगी।
उसे अपने सीने से लगा ली।

कुछ देर सभी सुस्ताने के बाद अपने अपने कपड़े पहनने लगे।
कुसुम और ललिता की गाड़ फट चुकी थी जिससे उन्हें चलने में तकलीफ हो रही थी। फिर भी आज तीनो बहुत खुश थे राजेश से जो सुख उन्हे मिला था कभी उसकी कल्पना तक नही की थी।
संभोग का परम आनंद जिसे शब्दो मे बया नही किया जा सकता, राजेश से उन्हे मिला था।
राजेश इस खेल का महारथी बन गया था, औरत को कैसे खुश करना है, कैसे मैदान में लंबे समय तक डटे रह सकते है, सब कुछ सीख लिया था।
राजेश को भी इन तीनो औरतों को चोदने में एक अलग ही मजा आया था ।
पर हर chudai के बाद उसे लगता था कि वह अच्छा नही कर रहा है, वह निशा से दूर होता जा रहा है।
अब निशा के सामने क्या मुंह लेकर जायेगा? सच में वह एक आवारा बन चुका है।
ऐसा आवारा, अगर निशा उसे अपना भी ले तो वो उसे अकेली झेल नही पाएगी। वो तो फूलो जैसे नाजुक है, मैं एक लौह पुरुष। मेरे झड़ते तक वह टिक नही पाएगी ।
ये मैंने अपने को क्या बना डाला, एक काम पुरुष।
राजेश जब जोश में आता तो, सब भुल जाता और न चाहते हुए वह काम देव बन जाता, जिसका एक मात्र उद्देश्य औरत को जन्नत का सैर कराने रह जाता। उसे अधिक से अधिक काम सुख देना, जिससे वह उसका गुलाम बन जाय। और होता भी यहीं था जो औरत राजेश से एक बार chuda लेती फिर उसे दूसरे से चुदाने में मजा नही आता।
वह औरत बस राजेश को एक बार और पाने की ख्वाब सजाती रहती।
उस दिन राजेश ने कुसुम की दूध से बना चाय पिया, और कुसुम को कल की परीक्षा के लिए आवश्यक मार्गदर्शन दिया। फिर घर आ गया।
अपनी परीक्षा की तैयारी करने लगा।
इधर निशा राजेश को भूलने की कोशिश करने लगी।
आर्यन, सीमा और निशा एक बीच दोस्ती बढ़ने लगी।
एक दिन आर्यन ने सीमा को बताया कि वह निशा को प्यार करने लगा है, पर उससे कहने की हिम्मत नही हो रही है।
सीमा _ये मुश्किल है?
आर्यन _क्या मुश्किल है, मैं समझा नही।
सीमा _यहीं, निशा के मन में प्यार जगाना।
आर्यन _पर, क्यू सीमा?
सीमा _क्यू की वह किसी और से प्यार करती है?
आर्यन _किसी और से प्यार करती है? किस्से?
कौन है वो खुशनशीब।
सीमा _आर्यन छोड़ो, उसे जानकर करोगे क्या?
वैसे भी निशा उसकी सकल देखना नही चाहती?
आर्यन _कभी कहती हो, निशा किसी और से प्यार करती है फिर कहती हो निशा उसका सकल देखना नही चाहती। ये कैसी पहेली है?
सीमा _आर्यन, तुम एक अच्छे लड़के हो, निशा का ख्याल छोड़ दो। यहीं तुम्हारे लिए अच्छा होगा?
आर्यन _सीमा आखिर बात क्या है? सब सच बताओ।
सीमा _दरअसल बात ये है की निशा राजेश से प्यार करती थी, या कहूं अभी भी करती हैं, पर वह उस लड़के को भुल जाना चाहती है, पर मुझे लगता है वह भुल नही पाएगी।
आर्यन _तुम्हारी बाते तो मुझे कुछ समझ नही आ रही, जब निशा किसी से प्यार करती है तो उसे भूलना क्यू चाहती है?
सीमा _क्यू की उस लड़के ने निशा को धोखा दिया!
आर्यन _कैसा धोखा?
सीमा _उसने दूसरे लडकियों के साथ संबंध बनाएं। इस बात की जानकारी निशा को हुई तो यह सदमा बर्दास्त करना उसके लिए मुस्किल था। वह इंडिया छोड़ दिया और लंदन चली आई।
आर्यन _ओह तो ये बात है? तब तो उसे मेरी जरूरत है? ताकि उस लड़के को भुल सके।
सीमा _अभी वह उसे भूली नही है? अगर तुम अभी उसे प्रपोज करोगे तो हो सकता है दोस्ती ही तोड़ दे।
इसलिए अगर तुम उसे प्रपोज करना चाहते हो तो धीरे धीरे उसका दिल जीतो, और जब तुम्हे विश्वास हो जाए की निशा तुम्हे न नही कहेगी। तुम उसे प्रपोज करो।
आर्यन _सीमा तुम ठीक कह रही हो, निशा को अब मैं प्रपोज करने से पहले उसका दिल जीतूंगा। अच्छा ये तो बताओ की आखिर उस लड़के में ऐसी क्या बात थी की निशा उससे प्यार करने लगी।
सीमा _ये पूछो क्या खास बात नही थी? सब लडकिया उस पर मरती थी।
रआर्यन _क्या, सब लडकिया?
तुम भी?
सीमा _मैने कहा न सब लडकिया?
निशा तो लड़को से दूर भागती थी, उन्हे लड़के पसंद नही थे पर राजेश की अच्छाइयों ने उसके लिए निशा के दिल में अपने लिए जगह बना ली।
आर्यन _आखिर उस लड़के में ऐसी क्या खास बात है? मैं भी एक बार उससे मिलना चाहूंगा।
सीमा _पर उसके लिए तुम्हे इंडिया जाना पड़ेगा।
आर्यन _मौका मिला तो जरूर जाऊंगा।
सीमा जी अब मैं पहले, निशा जी का दिल जीतूंगा उसके बाद, उसे प्रपोज करूंगा?
सीमा _हा ये ठीक रहेगा!।
इधर दिव्या, ने राजेश को फोन किया?
दिव्या _राजेश, कैसे हो?
राजेश _मैं ठीक हूं दिव्या जी। आप कैसी है?
दिव्या _मैं भी ठीक हूं?
राजेश _दिव्या जी कुछ काम था क्या?
दिव्या _नही कुछ खास नही? तुम्हारी दीदी की तबियत कैसी है? कुछ प्रोब्लम तो नही।
राजेश _नही दिव्या जी वो तो बिल्कुल ठीक है?
दिव्या _, उसकी डील वरी का समय पास आ गया है। तुम लोगो को उसका खास ध्यान रखना होगा। जरूरत पड़े तो मुझे काल करना। मैं गाड़ी भिजवा दूंगी। अपनी दीदी को प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र ले आना। कोइ रिस्क मत लेना।
राजेश _ठीक है दिव्या जी।
दिव्या _वैसे राजेश आज दोपहर में क्या कर रहे हो?
राजेश _जी, वैसे तो मैं अपनी परीक्षा की तैयारी करता हूं और तो कोइ काम नही है।
दिव्या _दरअसल मुझे मुवी देखे बहुत समय हो गई है, पता चला कि एक अच्छी मूवी आई है तो देखने का मन है पर यहां तो कोइ दोस्त हैं नही जिसके साथ मैं मूवी देखने जाऊं? क्या तुम चलोगे मेरे साथ मुवी देखने।
राजेश _पर दिव्या जी आपकी तो ड्यूटी रहती हैं न।
दिव्या _आज सन्डे है न तो आज दो बजे तक ही ड्यूटी करुंगी वैसे तो सन्डे को छुट्टी रहती है फिर भी कुछ जटिल केश के लिए जाना पड़ता है।
राजेश _ओह, तब तो ठीक है।
पर ठाकुर साहब को पता चलेगा कि आप मेरे साथ मूवी देखने गई हो, तब। आपको डांट पड़ेगी।
दिव्या _मैं अब इतनी बच्ची भी नही हूं कि एक मूवी देखने के लिए भी खुद फ़ैसला न ले सकू। वैसे मैने मां से बात कर ली है और वह मान गई है। वैसे भी पिता जी अभी राजधानी गए हुवे है। अभी विधानसभा सत्र चल रहा है न।
राजेश _पर गीता दी के साथ भी जा सकती थी।
दिव्या _दी को मूवी पे कोइ इंट्रेस्ट नही। वैसे भी अब वह राजनीति से जुड़ गई है जहा भी जाती है कार्यकर्ता घेर लेते है।
राजेश _ओह, ये बात है? तो फिर ठीक है दिव्या जी चलते है मूवी देखने। पर लक्ष्मण पुर में तो सिनेमा घर है नही।
दिव्या _धरम पुर में तो है न यहां से 50km दूर, एक घंटा तो जाने में ही लगेगा।
हम 2बजे निकलेंगे, 3बजे से मूवी सुरू होगी। 7बजे तक घर आ जायेंगे।
राजेश _ठीक है जी।
दिव्या _एक काम करना, तुम 10 बजे मेरे साथ ही प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र चलना वही से हम मूवीदेखने चलेंगे।
राजेश_ठीक है दिव्या जी।

राजेशने जब घर के लोगो को इस बारे में बताया कि वह दिव्या जी के साथ मूवी देखने जा रहा है।
पदमा _बेटा, ये ठाकुर तुम्हे गांव से भगाना चाहता है, वह तुम्हे दुश्मन समझता है और तुम उसकी बेटी के साथ मूवी देखने जा रहे।
ठाकुर की बेटी को मना कर देना चाहिए था।
राजेश _ताई अगर उसे मना करता तो उसे अच्छा नही लगता।
पदमा _बेटा, क्या ठाकुर अपने बेटी को तुम्हारे साथ मूवी देखने भेजेगा।
राजेश _अभी तो ठाकुर, राजधानी गया huwa है?
पदमा _जब आयेंगे तो पता तो चलेगा ही।
राजेश _दिव्या ने कहा है की उसकी मैं ने इजाजत दी है।
ताई आप बेकार ही चिन्ता कर रही है। दिव्या जी ठाकुर को समझा लेगी।
राजेश 10 बजे बाइक से हवेली पहुंच गया।
वहा पर दिव्या उसी के आने का इन्तजार कर रही थी।
जब वह हवेली पहुंचा।
दिव्या _राजेश तुम आ गए। मैं तुम्हारा ही इन्तजार कर रही थी।
राजेश _मुझे लेट तो नही हो गया।
दिव्या _नही तुम बिलकुल सही समय पर आए हो।
तभी वहा गीता भी आ गई,,
राजेश _नमस्ते गीता दीदी।
गीता _नमस्ते राजेश कैसे हो?
राजेश _मैं बिल्कुल ठीक हूं दीदी, आप कैसी है?
गीता _मैं भी बिल्कुल ठीक हूं।
राजेश _दीदी आप भी क्यू नही चलती मूवी देखने?
गीता _नही राजेश, अगर मैं मूवी देखने गई तो, कार्यकर्ता पीछे पड़ जायेंगे। मूवी देखने का मजा खराब हो जायेगा। तुम लोग जाओ।
तभी वहा ठकुराइन भी आ गई,
रत्नवती_अरे राजेश बेटा तुम आ गए।
राजेश ने पैर छूकर प्रणाम किया।
राजेश_हा, मां जी, आप कैसी है।
रत्नवती_मैं ठीक हूं बेटा तुम कैसे हो?
राजेश_मैं भी बिल्कुल ठीक हूं। मां जी।
रत्नवती_बेटा, तुम दिव्या की हिफाजत करना। मैं उसे तुम्हारी जिम्मेदारी पे भेज रही हूं।
, राजेश _मां जी आप बिल्कुल चिन्ता मत करो, दिव्या जी सुरक्षा की जिम्मेदारी मेरी है।
दिव्या _अच्छा मां अब हम लोग चलते है।
अरे बेटी राजेश कितनी दिन बाद आया है उसे चाय नाश्ता तो कर लेने दो।
राजेश _, मां जी मैं चाय नाश्ता घर से करके आया हू।
रत्नवती _अच्छा तो काफी बनवा देती हूं, तुम्हे तो काफी पसंद है ना।
राजेश _, अच्छा ठीक है मां जी आप जिद कर रही है तो, काफी पीकर निकलेंगे।
नौकरानी ने कुछ देर बाद काफी लेकर आई सभी लोग काफी पिए।
दिव्या _अच्छा मां हम चलते है।
रत्नवती _ठीक है बेटी।
दिव्या _दीदी हम लोग चलते हैं।
गीता _ठीक है, छोटी, तुम दोनो अपना ख्याल रखना।
राजेश तुम लोग मूवी खत्म होते ही घर के लिए निकल जाना।
राजेश _ठीक है दीदी।
राजेश अपना बाइक हवेली में ही छोड़ दिया।
दिव्या _राजेश, कार तुम चलाओ, ड्राइवर को ले जा कर क्या करेंगे?
राजेश ने कार ड्राइव किया और दोनो प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र चले गए वहा पर दिव्या कुछ मरीजों के स्वास्थ्य की जानकारी लिया और आवश्यक काम निपटाई।
उसके बाद दोनो 1: 30बजे धरम पुर के लिए निकल पड़े।
राजेश _दिव्या जी आखिर मूवी कौन सी लगी है?
दिव्या _सैयारा
राजेश _ये तो कोइ रोमांटिक मूवी है न।
दिव्या _हां, लोगो को मूवी को काफी पसंद आ रही है। काफी अच्छी चल रही हैं मूवी तो मैंने भी देखने का मन बनाया।
दिव्या _क्या तुम्हे रोमांटिक मूवी पसंद नही।
राजेश _पसंद है, दिव्या जी।
रास्ते पर कई जगह पहाड़ पर्वत झरने, प्राकृतिक दृश्य नजर आ रहे थे।
दिव्या _राजेश देखो तो कितनी मनोरम दृश्य है, गाड़ी रोको न।
राजेश ने गाड़ी रोक दिया।

दिव्या प्राकृतिक सौंदर्यता को देखकर गीत गाने लगी।


गीत गाने के बाद वे कार से धरम पुर के लिए निकल पड़े। जब वे सिनेमा हॉल पहुंचे 3बजने वाले थे टिकट के लिए लोगो की लंबी कतारें लगी थी।
दिव्या ने एडवांस में टिकर बूक करा ली थी।
वे सिनेमा हॉल के अंदर गए।
कुछ देर बाद मूवी शुरू हुआ,,,
लोगो ने तालिया बजाना शुरू किया। लव स्टोरी लोगो को काफी पसंद आ रही थी।
मूवी में जब हीरोइन हीरो को छोड़कर चली जाती है,,,
सभी दर्शक भावुक हो जाते है।
राजेश को निशा याद आने लगती है, उसकी आंखों से आंसू बहने लगता है।
जब इंटरवेल होता है, सिनेमा हॉल की लाइट ऑन हो जाता है।
दिव्या राजेश की ओर देखती है, उसके आंखो में आंसू,,,
दिव्या _राजेश, तुम रो रहे हो,,,
राजेश की आंखो से आंसू और तेज बहने लगता है।
दिव्या, राजेश को अपने गले से लगा लेती है।
राजेश, दिव्या के गले लिपट कर रोने लगता है।
दिव्या _राजेश तुम निशा को मिस कर रहे हो,,,
राजेश _ओ मुझे एक फोन नही की,, राजेश रोते हुवे कहा,,,
दिव्या _ओह राजेश, अगर निशा तुमसे सच्चा प्यार की होगी, तो एक दिन जरूर तुम्हारे जिंदगी में लौटेगी।
मुझे तुम्हे ये मूवी दिखाने लाना ही नहीं था। सॉरी,,
अब बस करो,,
राजेश _ओ नही लौटेगी, मेरे पास,,, मैने उसका दिल दुखाया है।
दिव्या _राजेश चलो हमे यह मूवी नही देखनी।
वह राजेश को लेकर सिनेमा हॉल से बाहर निकल आई।
दिव्या _राजेश मुझे तो बड़ी भूख लगी है? चलो किसी अच्छे से ढाबे में खाना खाते हैं।
राजेश लोगो से किसी अच्छे ढाबे का पता पूछता है
उसके बाद वे दोनो खाना खाते है।
दिव्या राजेश का मन बहलाने, आस पास देखने लायक जगह पर राजेश को ले जाती है।
फिर वे 6बजते ही वहा से घर के लिए निकल पड़ते हैं।
दोनो हवेली पहुंचते है तो रात के 8बज चुके होते है।
रत्नवती _बेटा मूवी कैसी थी?
दिव्या _बड़ी अच्छी मूवी थी मां, क्यू राजेश?
राजेश _हा मां जी।
राजेश _अच्छा दिव्या जी अब मुझे चलना चाहिए, घर वाले राह देख रहे होंगे।
रत्नवती _अरे बेटा, खाना खाकर जाना।
गीता _हां राजेश, खाने का समय हो चुका है तुम ऐसे नही जा सकते।
राजेश को आखिर उन लोगो का कहना मानना पड़ा।
चारो, भोजन करने लगे।
रत्नवती_बेटा, भोजन पसंद आया की नही।
राजेश _बहुत अच्छा लगा मां जी, धन्यवाद आप लोगो ने मुझे इतना सम्मान दिया।
रत्नवती _अरे बेटा इस घर की खुशियां तुम्हारी वजह से तो है, अगर उस दिन तुम दिव्या कि मदद नही किया होता तो इस में अंधेरा छा जाता।
तुम्हारा अहसान हम नही भुल सकते।
राजेश _मां जी मैने कोइ अहसान नहीं किया है, ये तो मेरा फर्ज था, अगर दिव्या जी की जगह कोइ और होता तो भी मैं उसकी मदद करता।

रत्नवती _यहीं तो तुम्हारी अच्छाई है बेटा, तुम आदमी देखकर उसकी मदद नही करते।
राजेश _अच्छा मां जी अब मैं चलता हूं, घर वाले परेशान होंगे।
रत्नवती _ठीक है बेटा, हवेली आता जाता रहा करो।
दिव्या _मां मैं राजेश को छोड़कर आता हूं।

दिव्या राजेश को छोड़ने चली गई।
राजेश _अच्छा, दिव्या जी मैं चलता हूं।
दिव्या ने हां में सिर हिलाया।
राजेश को जाती हुवे देखने लगी,,,
वह राजेश के मन ही मन चाहने लगी थी, यह जानते हुए भी कि राजेश निशा को प्यार करता है।

Bahut hee jabardast update diya hai kamuk bhi or bhavuk bhi …
 
Top