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Awesome story komalrani ji aapko yaha dekh kar bahot khushi hui,लालची
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और असली झिझक , तो इनकी रात में ,... कुछ तो मुझे अंदाज रस्ते में ही हो गया था , कार में , ...
जिस तरह से ललचा ललचा के चुपके चुपके मुझे ये देख रहे थे , मैं कनखियों से इनकी चोरी देख रही थी , ...
और कई बार एकदम नदीदे की तरह ,... आपने एकदम सही समझा , मेरी चोली के ,...
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और एकाध बार जब मेरी निगाहों ने इनकी चोरी पकड़ ली तो फिर तो एकदम बीर बहूटी ,
और दस मिनट तक सामने सड़क की ओर , लेकिन फिर उसके बाद वही चोरी चोरी चुपके ,...
पहली रात के बारे में भाभियों और मेरी मम्मी ने भी बहुत कुछ ,...
मर्द बड़े बेसबरे होते हैं , तुरंत ही ,... कुछ देर तो ना नुकुर ,...
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लेकिन असली सीख मुझे मेरी जेठानी ने दी , अपने देवर के बारे में उनसे ज्यादा किसे मालूम होता ,... बोलीं ,...
' ज्यादा मत ना नुकुर करना ,... वो तुझे सीरियसली ले लेगा ,.. और रात भर बस ललचाता रहेगा ,... "
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पहली रात की बात बस , कल
Awesome update komal ji,दर्द का मज़ा
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दुलारी बोली
" अरे धीरे डालने का दिन नहीं है आज , ... शादी कर के लाये हैं , हचक के डालेंगे ,...
और हचक के पेलेंगे नही तो भौजी की फटती कैसे , १७ साल से नैहर में हमारे भैया के लिए बचा के रखी थीं। "
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" चलो चलो तुम सब नीचे आज फड़वातीं हूँ तुम सब ननदों की ,... पता चलेगा ,... मेरे मायके वाले हैं न ,... "
ये मेरी जेठानी की आवाज थी।
" अरे हम भौजाइयां भी तो हैं , चलो आज किसी ननद की बचेगी नहीं , तुम सब को बताएंगी हम , कैसे रोज तुम्हारे भाई हमारे ऊपर चढ़ाई करते हैं नएकदम वैसे ही ,... अपनी ऊँगली तो रोज करती होगी , आज भौजाइयों की ऊँगली का मजा लो ,... "
दूसरी जेठानी बोलीं।
मेरी चीखें बंद हो गयीं थी लेकिन तब भी चेहरे पर दर्द , ... और रुक रुक कर हलकी हलकी चीख
लेकिन तभी मेरी निगाह उनके चेहरे पर पड़ी ,...
उनका चेहरा जर्द ,...
जैसे किसी बच्चे से कोई बहुत मंहगा , खूबसूरत खिलौना टूट गया हो ,.. एकदम उसी तरह सहमा ,....
और मैं सहम गयी ,...
मेरी चीख का असर उनके ऊपर ,... लेकिन बिना सोचे , मेरी बाहें एकदम उनके चारों ओर , कस के भींच लिया मैंने ,
और खुद होंठ उठा के ,
एक दो चार चुम्मी , सीधे उनके होंठों ,... बिना बोले मेरी आँखे , मेरे होंठ मेरी पूरी देह कह रही थी ,
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' करो न ,... "
मेरे चेहरे पर दर्द की जगह एक बार फिर चाहत छा गयी थी और वो ,
मेरा ,... हलके से फिर जोर से मेरी चुम्मी का जवाब , कस के चुम्बन से और एक बार फिर धक्का ,
पहले हल्का सा , थोड़ा सहम कर ,... और फिर थोड़ी जोर से ,...
मैंने एक बार फिर कस के पलंग पकड़ लिया था दांतों से होंठों को भींच लिया था , ...
और तय कर लिया था कित्ता भी दर्द हो चीखूंगी नहीं ,
मम्मी ने , भाभियों ने जैसा समझाया सिखाया था , मैंने अपनी जाँघे पूरी तरह फैला रखी थीं ,
कमर के नीचे वहां एकदम अपने को ढीला छोड़ दिया था ,
तब भी ,
उन्होंने कस के मेरी पतली कमर को दबोच रखा था और कुछ देर में उनके धक्के का जोर ,...
सब कुछ भूल के ,...
लेकिन यही तो मैं चाहती थी , इसी दर्द इसी तड़पन का इन्तजार मुझे था
और अब मैं लाज में डूबी लेकिन थोड़ा थोड़ा उनका साथ दे रही थी ,
मेरी देह अब मेरी नहीं थी
रगड़ रगड़ कर , दरेरते , घिसटते , फाड़ते उनका ,....
मेरे अंदर , ....
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दर्द तो हो रहा था , बहुत हो रहा था ,....
लेकिन एक नया अहसास , एक नया मजा ,... और कुछ देर बाद ही मेरी आँखे मूंदने लगी ,
मेरी देह कांपने लगी ,
मुझे याद आ रहा था कोई भाभी मुझे चिढ़ा रही थीं ,
तेरा वाला एकदम नौसिखिया लगता है , असली कुंवारा ,... तू एक दो बार मेरे वाले से ट्राई कर लें ,...
मम्मी बोलीं ,
अरे जैसे मछली को तैरना नहीं सीखाना पड़ता , उसी तरह मरद को भी
सच में उनकी उँगलियों को उनके होंठों को जैसे मेरी देह के सारे गोपन रहस्य मालूम पड़ गए हों , ..
और वो मूसलचंद तो था ही मेरी , ऐसी की तैसी के लिए ,
अपने आप मेरी हलकी हलकी चीखें अब सिसकियों में बदल गयीं मेरी आँखे अपने आप बंद हो गयी ,
देह धीरे धीरे एकदम ढीली , जैसे मेरे काबू में न हो
मैं काँप रही थी , तूफ़ान में पत्ते की तरह , ... तेज और तेज ,... फिर धीरे धीरे ,... और
मेरा कांपना रुका नहीं था की वो भी मेरे साथ साथ , और अब मैं एक बार फिर से
बूँद बूँद ,... फिर जैसे बाढ़ आ गयी हो ,
देर तक मैं उन्हें अपनी बाँहों में बांधे रही ,
कुछ देर बाद जब हम थोड़े अलग हुए ,
मेरी निगाह घड़ी पर पड़ी , अभी भी बारह नहीं बजा था , साढ़े ग्यारह बजने वाले थे।
दर्द से मेरी देह चूर चूर हो रही थी , जाँघे फटी पड़ रही थीं , ....
लेकिन उनके चेहरे की ख़ुशी ,... वो बावरापन , ... मेरा सारा दर्द आधा हो गया।
वो एकटक मुझे देख रहे थे , और अचानक उन्होंने मेरे होंठों पर झुक कर ,... एक कस के चुम्मी ले ली ,
और बांहों में दबोच लिया।
और उनके बोल फूटे ,... फिर वो रुके नहीं ,...
' जानती हो जब से उस दिन तुझे देखा था , न बस यही सोचता था ,.. कैसे ,... किस तरह ,...
मुझे लगता नहीं था , तुम ,... सच में बस लग रहा था किसी तरह तुम मिल जाओ ,... बस ,... '
मेरे मुंह से निकलते निकलते रह गया ,
' मिल तो गयी न ,... हूँ अब तो "
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लेकिन मैं भी बस उनके चेहरे को देख रही थी ,
और जाने अनजाने मैंने भी अब उन्हें अपनी बाँहों में बांध लिया , रजाई जो एकदम ऊपर से सरक गयी थी ,
एक बार फिर से ,.. लेकिन हम लोगों के चेहरे , गरदन के ऊपर से , एकदम खुले थे ,
और बरसती चांदनी में हम एक दुसरे को अच्छी तरह से देख रहे थे।
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उनकी बातों का मरहम , उनकी आँखों के नशे में मेरा दर्द अब एकदम ख़तम हो गया था ,...
कभी कभी वो शरारती लड़कों की तरह ,... ललचाते , उनकी ऊँगली मेरे होंठ पर हलके से छू लेते ,
पर मैं पहले दिन से ही उन्होंने जब उस शादी में मुझे देखा था , ... और मैंने उन्हें ,...
मैं समझ गयी थी उनकी रातों की नींद जिसने उड़ा ली थी वो मेरे किशोर उभार थे ,
मेरे गदराये उरोज ,... और आज भी उनका मन ,... बोलने की हिम्मत तो उनकी पड़ नहीं रही थी , ...
उन्होंने रजाई थोड़ी और नीचे करने की कोशिश की ,
इरादा मैं समझ रही थी पर बदमाशी क्या वो अकेले कर सकते थे , मैंने एक हाथ से रजाई कस के दबोच ली ,
मेरे हाथ उनके हाथों से जीत सकते थे , पर मैं उनकी आँखों का क्या करती ,
चार आँखों का वो खेल तो मैं पहले दिन ही हार गयी थी , जब उस शादी में मैंने इन्हे सबसे पहले देखा था , ...
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उन्हें क्या मालूम था मैं उस चितचोर के आगे सब कुछ उसी दिन ,...
वो चोर मुझसे मुझी को चुरा ले गया था , और उस चोरी का कोई थाना पुलिस भी नहीं हो सकती ,
और अब वही बदमाश लुटेरी आँखे मेरी आँखों में आँखे डाल के जिस तरह चिरौरी कर रही थीं , मेरी पकड़ थोड़ी सी ढीली हुयी ,
एक और जबरदस्त चुम्मा , और रजाई सरक कर एक बार फिर हम दोनों के कमर तक ,...
मन तो उनका बहुत कर रहा था , लेकिन बहुत हिम्मत कर के उनकी भूखी उँगलियाँ मेरे उभारों पर हलके से ,...
और अब मैंने मना भी नहीं किया ,...
उँगलियाँ अब चोर से डाकू हो हो गयीं , एकदम खुल्लम खुला ,
उनकी दोनों हथेलियों सीधे मेरे किशोर उभारों पर , और अब वो छू नहीं रहे थे , बल्कि कस के दबा रहे थे ,
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दर्द भी हो रहा था , अच्छा भी लग रहा था , जेठानी की बात भी याद आ रही थी , मना ज्यादा मत करना ,
और अब तो भरतपुर लूट भी चुका था , बचाती क्या और किससे ,
उनसे बचने सिर्फ एक की शरण में जा सकती थी , ...
उन्ही की , ... मेरी आँखों ने उनकी आँखों में झांका , शिकायत की , ... गुहार लगाई ,
और लता की तरह खुद उनकी देह में लिपट गयी ,
उनके हाथों की शरारत कोई कम नहीं हुयी
एक हथेली उनकी मेरी खुली पीठ पर सहला रही थी और दूसरी , और कहाँ,…
मेरे किशोर उभार पर
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उस नवल रसिया की सिर्फ दुष्ट उँगलियाँ ही नहीं ,
बल्कि अब अंगूठा भी मेरे निपल को हलके हलके फ्लिक कर रहा था ,
अपने साजन की बाँहों में बंधी , मैं पिघल रही थी ,
रह रह कर सिसक रही थी। वो भी इतना कस के मुझे भींचे दबाये हुए ,
उनके चौड़े सीने के नीचे मेरे किशोर बूब्स दबे मसले जा रहे थे ,
पर अचानक मुझे छोड़ कर वो उठे ,
Awesome update komal ji,गजरा सुहाना टूटा ,
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कजरा नयन का छूटा,...
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उनके बोल फूटे , ... लेकिन वही ,...
मेरा मन बहुत करता है ...
' क्या '
अब मैं भी हलके से बोलने लगी ,...
पता तो मुझे अब तक चल ही गया था।
" तुम्हारा ,... तुमको पाने का "
मेरे कानों के पास अपने होंठ कर बोले वो ,
और मैं जोर से उनके सीने से चिपक गयी , हलके से किसी तरह बोली ,...
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' मिल गयी न "
फिर उन्होंने पूरा किस्सा बताया , ...
तीन महीने पहले शादी में जब उन्होंने मुझे देखा था ,...
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तब से कितनी कोशिश की , पहले तो पता लगाया , किससे बात करनी होगी ,
मम्मी का एड्रेस , ... फोन नंबर ,... फिर मेरी जेठानी , इनकी भाभी ,... और उन्होंने बहुत कोशिश की ,...
मुझे मालूम था ,
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सबसे पहले मेरी जेठानी का ही फोन आया था मंम्मी के पास ,...
मुझको उड़ते पड़ते ये भी पता चला था की , कितने इनके रिश्तेदारों ने ,.. लड़की का घर गाँव में है ,.... लड़की अभी इंटर में पढ़ती है ,... इन्हेइतनी अच्छी नौकरी का ऑफर मिला है , कोई भी लड़की ,...
पतंग काटने की बड़ी कोशिश की , सब किसी न किसी और लड़की को टिकाना चाहते थे ,...
लेकिन ये और मेरी जेठानी ,...
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फिर शादी का समय ,... ये चाहते थे जल्दी जाड़े की शादी ,...
उसके बाद ही इन्हे जनवरी फरवरी में महीने डेढ़ महीने की ट्रेनिंग में जाना था , उसके बाद पोस्टिंग हो जाती ,... दिसम्बर में लगन भी बहुत कमथी ,...
मम्मी को भी लगता था इतनी जल्दी शादी का इंतजाम ,....
आज से तीन महीने पहले ही तो हम दोनों ने एक दूसरे को देखा था और आज ,...
तभी मुझे दो बातें याद आयी , और मैं कुछ झुंझुलाई , कुछ मुस्करायी ,...
दूध ,...
जेठानी ने चार बार समझाया था दूध जरूर पिला देना ,...
और मम्मी ने भी तो बोला था , सुहागरात में पान और दूध ,...
दूध मैंने इन्हे दिया ,... तो ये बोले पहले तुम ,... लेकिन मैं बोली , पहले आप ,...
बस इनकी जिद्द भी न , ... मुझे कसम धरा दी वो भी अपनी ,... मैं लाख मना करती रही ,...
पर इन्हे मना करना मेरे बस में अब नहीं था। लेकिन बस थोड़ी सी बात मानी इन्होने ,... इस कमरे में या जहाँ सिर्फ हम दोनों हो ,... आगे से मैंभी इन्हे तुम बोलूंगी ,... आप नहीं ,...
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और दूध भी जब तक मैंने जूठा नहीं किया इन्होने नहीं पिया ,
और जब ये दूध पी रहे थे तो मुझे हंसी आ गयी , कोहबर की बाते याद कर के ,...
कोहबर में तो क्या क्या नहीं इन्हे मेरा जूठा खिलाया गया , जो पान इन्हे मैंने खिलाया था , उसके भीतर एक और छोटा सा पान था ,
वो सिर्फ मेरा जूठा नहीं था , ... पूरे दो घंटे भाभी ने मेरे मुंह में रखकर कुचलवाया था और वो उस पान में डालकर , ...
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खीर भी ,..
पानी तो वही कोहबर में ही उनकी नजर बचाकर , रीतू भाभी ने पहले मुझे पिलाया , फिर इन्हे।
मेरी मुस्कराहट इनसे कैसे छुपती , वो बोले ,.. क्या हुआ ,... नाइट लैम्प अभी भी जल रहा था ,
...रजाई एक बार फिर सरक कर हम दोनों के कमर तक , ... और अबकी मैंने उसे ठीक करने की कोशिश भी नहीं की ,
' कोहबर में ,... आपकी मेरा मतलब,... तुम ,.. सालियों और सलहजों ने आपकी ,... और सब बातें ,... '
सच में बड़े सीधे थे ये बोले
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" क्या करता मैं , मेरी साली और सलहज ने शर्तें ही ऐसी रख दी थी की अगर मैं उनकी बात नहीं मानूंगा ,.... जो जो रसम होती है नहीं करूंगा ,... तो तुमसे मिलना तो दूर तुम्हे देख भी नहीं सकता ,...
भाभी ने भी बोला था ,... तुम्हारे ससुराल वाले क्या पता गौना रख दें ,.. फिर छह आठ महीने तक इन्तजार ,... तो इसलिए ,.. फिर साली सलहजकी बात ,... टालना ,... "
और अपने हाथ से बचा खुचा दूध मेरे होंठों से लगा कर ,...
पूरा ग्लास खाली हो गया और उन्होने ही टेबल पर रख दिया।
" तेरे होंठो पर दूध लगा है ,.. "
और बजाय साफ करने के उन्होंने चाट लिया। और एक बार फिर उनके होंठ मेरे होंठों से ,... और इस बार मेरे होंठ भी हलके से ही सही ,... उनका साथ दे रहे थे ,...
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कुछ था दूध में लगता है , ... मेरी पूरी देह में एक लग सा खिंचाव ,..,
बस मन कर रहा था की वो बाँहों में भींच ले , मसल लें , दबा दे , रगड़ दे ,
कुछ देर में फिर हम दोनों रजाई के अंदर , ...
मैं उनकी बाँहों में दबी , साइड में लेटी , मेरे उरोज उनके सीने से दबे ,...
आँखे अपने आप आप बंद हो रही थी
' नींद आ रही है , क्या ,... " हलके से वो मेरे कानों में बोले।
' हूँ जरा ज़रा सी ,... ' और मैंने आँखे बंद कर ली। बस वो मेरी पीठ सहलाते रहे , ...
मुश्किल से पन्दरह बीस मिनट के लिए झपकी लगी होगी मिझे , उसमें भी मुझे यह अहसास था की वो एकटक मेरे सोते चेहरे को देख रहे हैं , मेरीएक लट मेरे गाल पर आ गयी थी ,
बड़े हलके से इन्होने उसे हटा दिया की कहीं मैं जग न जाऊं , पर। ..
दुष्ट लालची ,.... इनकी ऊँगली मेरे गाल को हलके से चोरी चोरी छूने से बाज नहीं आयी।
और मुर्गे की आवाज ने मेरी नींद खोली ,
aapne ekdam sahi kaha ....meri choti si koshish yahi hai ....bas aapka saath milata raheकोमल जी शुक्रिया इस अपडेट के लिए , बहुत काम लोग पति और पत्नी के प्यार भरे लम्बो के बारे मैं लिखते है और जो लिखते भी है वो बस थोड़ा बहुत. पर आपने ne ek पत्नी और पति के रिश्ते तो जिस तरीके से लिखा है वह कबीले तारीफ है. उम्मीद है आगे भी ऐसे ही पड़ने को मिलेगा
Gajab update dear
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