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Fantasy मेरी माँ रेशमा

Mr. Unique

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आपके ब्लॉग "Kamukwine1" की सेटिंग बदलो भाई, बिना Login किए नहीं पढ़ा जा रहा है
 
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Sushil@10

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मेरी माँ रेशमा -3

कार एक छोटे से होटल पर रुकी थी, अब्दुल ने चाय का आर्डर दे दिया.

मैं पेशाब करने होटल के पीछे चला गया, पेशाब कर ही रहा था की वहाँ किसी की आहट हुई, वो लोग आपस मे बात कर रहे थे, जैसे लड़ रहे हो.

मैंने तुरंत दिवार की साइड ले ली,

बाहर झाँक के देखा तो मोहित और प्रवीण आदिल से कुछ बात कर रहे थे, लग रहा था जैसे झगड़ रहे हो.

"साले मादरचोद आदिल तुझे बड़ी ठरक मची हू है?, क्या कर रहा था तू आंटी के साथ " प्रवीण ने कहा

"ममम... मैं... मैं क्या मर रहा था कुछ भी तो नहीं " आदिल ने सफाई दी.

"चुप भोसड़ीके हमने साफ देखा था तेरा मुँह बिल्कुल भीगा हुआ था, आंटी की जाँघे फैली हुई थी, तू आंटी की चुत चाट रहा था " मोहित ने आदिल के हाथ मरोड़ते हुए कहा.

उफ्फ्फ्फ़.... ये बात सभी को पता पड़ गई थी, मेरी माँ ने क्या इज़्ज़त बनाई थी आज मेरी, मेरे दोस्तों के सामने मेरी और मेरे परिवार की इज़्ज़त नीलाम हो रही थी.

आदिल दबी आवाज में बोला "यार जब आंटी को कोई समस्या नहीं है तो, तुम्हे क्यों मिर्ची लग रही है सालो " आदिल की बात सुन मैं सकते मे आ गया, मतलब मेरी माँ खुद की मर्ज़ी से ये सब करवा रही थी उसकी कोई मज़बूरी नहीं थी.

" मैंने तो बस try किया, तुम लोगो ने देखा नहीं अमित की.मम्मी कितनी sexy है, उनका बदन कियना टाइट है जैसे porn फिल्मो की हीरोइन हो, कितनी गोरी है, तुम्हे क्या बता आंटी की चुत से कितना मीठा पानी आ रहा था, उफ्फ्फ.... चट्ट.... " आदिल चटकारे लेते हुए बेशर्मी से मेरी माँ की तारीफ कर रहा था.

माँ की तारीफ सुन मेरा भी लंड मचलने लगा था, क्यूंकि चुत तो मैंने भी देखी थी, बिल्कुल फूली हुई गीली चुत.

"हट साले शर्म आनी चाहिए तुझे अपने दोस्त की माँ के साथ तूने ऐसा किया " प्रवीण ने झिड़क दिया आदिल को.

"और देखो कैसे बेशर्मी से सुना रहा है हमें " मोहित ने भी डांटा लगाई.

जो काम मुझे करना चाहिए था वो मेरे दोस्त कर रहे थे, और मैं नामर्दो की तरह उनकी बात सुन उत्तेजित हो रहा था.

"हटो सालो... तुम्हे औरत की पहचान ही नहीं है, अबे आंटी खुद से दे रही थी, वो प्यासी है, लगता है काफ़ी सालो से चुदी भी नहीं है, उसकी चुत मे खुजली थी मैं तो बस मिटा रहा था" आदिल ने अपना पक्ष रखा.

प्रवीण और मोहित दोनों खामोश थे जैसे कुछ सोच रहे हो.

"औरत की भी जरुरत होती हो दोस्तों, उसे भी प्यार पाने का हक़ है, पहली बार गांव से बाहर निकली है, और अच्छा है ना कहीं बाहर से कुछ करती तो फालतू बदनामी होती, हम अमित के दोस्त है ये बात कहीं बाहर नहीं जाएगी "

आदिल ने अपनी बात रखी.

प्रवीण और मोहित दोनों चुप थे, उनकी बात समझ आ रही थी.

"और दोस्तों ऐसी औरत किस्मत से मिलती है, चुदासी, प्यासी औरत वो तो एक बार मे हम सब लोगो का लंड ले सकता है, मैंने देखी है उसकी तड़प, साली मेरे सर को ऐसे दबा रही थू जयश्री चुत मे घुसेड़ लेगी अपने "

आदिल की बात सुन मेरा लंड पूरी तरह खड़ा हो गया था, मुझे याद आया मेरे पापा बरसो से दमे के मरीज़ है, थोड़ा चल भी लेते हज तो खासने मरनेअगते है, चुदाई उनके बस की बात थी ही नहीं, तो... तो क्या माँ बरसो से नहीं चुदी है, इतने बरसो मे माँ को पहला मौका मिला है घर से बाहर निकलने का

मुझे समझ आ रही थी मेरी माँ की मज़बूरी, ऐसी गद्दाराई औरत इतने सालो से बिना चुदे रह रही थी, एकदम से इतने जवान हट्टे कट्टे लड़के मिल जाये तो चुत तो कुलाचे भरेगी ही ना.

फिर भी मैं थोड़ा निराश था, क्यूंकि जो भी हो था तो गलत ही.



"तुम लोग बस शांति से रहो, और मौका मिलते ही बहती गंगा मे नहा लेना " आदिल की बातो से प्रवीण और मोहित की आँखों मे चमक आ गई.

साले कहा अभी दोस्ती दोस्ती कर रहे थे ब दोस्त की माँ को चोदने के सपने देखने लगे हरामी साले.

मोहित और प्रवीण राजी ही गए, तीनो मूत के आगे चाय पीने चले गए, मैंने भी जल्दी से मुता और आगे चल दिया.

तूफान मचा हुआ था मेरे जीवन मे, हालात ख़राब थी सोच सोच के की आगे क्या होगा, मन कर रहा था ये सफर यही खत्म कर दू.

लेकिन आदिल की बात मेरे दिल मे घर कर गई थी, माँ पहली बार घर से बाहर निकली है, वो भी औरत है उसकी भी इच्छा है. उसमे भी अरमान है.

मैं मन मामोस के चाय सुडकने लगा.

सभी ने चाय खत्म की और कार के पास आ गए, अब्दुल तो पहले से ही माँ के पास कार के बाजु खड़ा था, माँ और अब्दुल हस हस कर बात कर रहे थे.

सब लोग अपनी अपनी जगह बैठ गए थे, मैं ही धीरे धीरे कदमो से सर झुकाये चला आ रहा था, क्यूंकि मुझे अपनी जगह और आगे का सीन पता ही था.

"अबे जल्दी आ ना " प्रवीण चिल्लाया

"आया "

धाड़ करते हुए मैंने कार का दरवाजा बंद किया और शाल ओढ़ कर बैठ गया.

अब पिछे देखने की कोई इच्छा नहीं थी मुझे ना हिम्मत थी, मैं वो इंसान था जिसे उसकी माँ और दोस्त सभी धोखा दे रहे थे.



खेर कार सडक पर दौड़ चली, सब कुछ जानते हुए भी मेरा दिल नहीं मान रहा था, कारण था मेरा लंड जो तभी से खड़ा हुआ था जब से मैंने माँ की गांड देखी थी, इतना तो देख ही चूका हूँ, थोड़ा और देख लेने मे क्या बुरा है जब माँ राजी तो क्या करेगा बेटा पाजी.

मैंने हलकी से करवट ले कर सर तक़ शाल ओढ़ लिया.

करीब आधे घंटे बाद ही आदिल ने हरकत की, शायद उसने माँ के स्तन पर हाथ रखा था, जिसे माँ ने दूर कर दिया.

शायद माँ डर रही थी अब.

"क्या हुआ आंटी?" आदिल फुसफुसा के बोला

"रहने दो ये अच्छी बात नहीं है " माँ ने भी फुसफुसा के कहा

"अमित सो रहा है, अब कुछ नहीं होगा " आदिल ने कहा

"नहीं... हाथ हटाओ " माँ ने वापस से आदिल का हाथ हटा दिया.

लेकिन आदिल माँ को पहचान गया था, कहा मानने वाला था.

सरसराहत की एक आवाज़ के साथ आदिल ने अपना बॉक्सर उतार दिया, जो की उसके पावो मे नीचे साफ दिख रहा था, साले मे बहुत हिम्मत आ गई थी.

उसने माँ के हाथ को पकड़ अपने गरम खड़े लंड पर रख दिया

"ऊफ्फफ्फ्फ़.... नहीं बेटा " माँ कसमसा गई और हाथ हटा लिया.

"प्लीज आंटी अमित सो गया है देखो, कुछ नहीं होगा "

माँ ने एक नजर मुझे देखा, फिर बाहर देखने लगी लेकिन माँ का हाथ आदिल के लंड पर कसता चला गया, जिसे शायद आदिल ऊपर नीचे कर अपने लंड को सहला रहा था,

माँ की सांसे फिर से तेज़ होने लगी थी, हाथ आदिल के लंड पर कसने लगे थे. लेकिन माँ खिड़की से बाहर देख रही थी.

आदिल से रहा नहीं गया, उसने माँ के चेहरे को अपनी तरह घुमा माँ के होंठो पे अपने होंठ रख दिया,

मैं हैरान रह गया आदिल मे इतनी हिम्मत कहा से आ गई, अभी सब कुछ छुप के हो रहा था.

"उउउम्म्म.... न्नन्न.... उम्म्म्म... माँ सिर्फ कसमसा कर रह गई, लेकिन अपने होंठो को अलग करने की कोई कोशिश नहीं की..

माँ फिर से गरम होने लगी थी, माँ आदिल के चुम्बन का जवाब अपना मुँह खोल के दे रही थी, उसके हाथ कम्बल मे हिल रहे थे, माँ खुद से आदिल के लंड को हिला रही थी.

थोड़ी देर kiss करने के बाद आदिल ने माँ के कान के लास जा कर फुसफुसाया,

"मुँह मे लो ना आंटी "

उफ्फ्फ्फ़..... मेरा लंड फटने को आतुर हो गया था.

क्या मेरी माँ को ये सब आता होगा? मेरे जहन मे सबसे बढ़ा सवाल यही थी.

उत्तर मुझे तुरंत मिला, माँ ने ना मे सर हिला दिया. लेकिन हाथो से आदिल के लंड को मसलती रही, माँ की आँखों मे हवस साफ दिखाई दे रही थी, आंखे किसी नशे से लाल हो गई मालूम पडती थी.

"प्लीज आंटी एक बार, अच्छा लगेगा " लेकिन माँ ने फिर से मना कर दिया.

और आदिल के होंठो को वापस से अपने लाल मखमली होंठो मे कैद कर लिया.

आदिल ने अपने इरादे पुरे ना होते देख, माँ की जांघो से कम्बल हटा दिया, बहुत हिम्मत दिखा रहा था आदिल.

कमाल पूरी तरह कमर के ऊपर चढ़ गई थी, आदिल ने जल्दी से गाउन को ऊपर चढ़ा माँ की टांगे फैला, मेरर सामने एकदम गीली साफ चिकनी चुत चमक उठी.

पहके सिर्फ एक पल को देख पाया था, अब बिल्कुल मेरे सामने माँ की चुत खुली पड़ी थी, अतिउत्तेजना मे चुत की दीवारे सिकुड़ती तो कभी फ़ैल जाती.

माँ आदिल के होंठ चूसने मे इस कदर बिजी थी जैसे खा ही जाएगी.

माँ किसी भूखी शेरनी की तरह व्यवहार कर रही थी.

तभी आदिल ने देर ना करते हुए पाचककककक......से माँ की गीली चुत मे ऊँगली घुसा दी,

आउच.... उफ्फ्फ....माँ ने कमर को थोड़ा ऊपर उठा कर एक जाँघ आदिल की जाँघ पर रख दी, ताकि ऊँगली एयर अंदर जा सके, माँ बिल्कुल पागल हो गई थी.

पच पच... पच.... की आवाज़ से कार गूंजने लगी थी, माँ की चुत से पानी रिसता हुआ कार के फर्श को गिला कर रहा था.

आदिल ने अगली चाल चलते हुए माँ के सर पे दबाव बना कर उसे अपने लंड पर झुकाने लगा.

इस बार माँ ने कोई विरोध नहीं किया, अपने खूबसूरत होंठो को खोलते हुए, किसी कुतिया की तरह जीभ निकाल आदिल के लंड को चाटने लगी, m-ldpwiqacxt-E-Ai-mh-8tkob-Twtz01bt-Aw-28166902b आदिल मे लंड पर प्रीकम की बुँदे थी जिसे माँ एक बार मे चट कर गई.

उफ्फ्फ.... मेरी माँ किस किस्म की औरत थी.

लंड चाटने का बाद माँ ने अपना खूबसूरत मुँह खोल दिया, और एक बार मे आधे से ज्यादा लंड अपने मुँह मे समा लिया.

उउउफ्फ्फ.... मैं माँ के रंडी पने से हैरान था, मेरा तो लंड और दिमाग़ दोनों तनाव से फटे जा रहे थे,

वेक वेक.... गु.. गु... करती माँ आदिल के लंड को चूसने लगी, उधर आदिल फच.. फच... पच... करता माँ की चुत को अपनी दो ऊँगली से चोदे जा रहा था,

माँ हवस मे इस तरह गिर गई थी की उसे ये भी फ़िक्र नहीं थी की आगे की सीट पर उसका बेटा बैठा है कहीं जाग गया देख लिया तो क्या होगा.

वैसे भी हवस वासना इंसान का डर खत्म कर देती है.

माँ को सिर्फ अपनी प्यास बुझानी थी, मेरर सामने मेरी माँ मेरे दोस्त कर लंड को चूसे जा रही थी, अपनी जाँघे फैलाये चुत मे ऊँगली करवा रही थी,.

मैं साफ साफ मैं की चुत मे ऊँगली जाते देख रहा था, पच पच... फच.. फच... की आवाज़ मेरे टन बदन को जाला रही थी.

मन कर रहा था दोनों को जान से मार दू, लेकिन आदिल की वो बात, औरत की मज़बूरी और मेरी बदनामी मुझे ऐसा करने से रोक रही थी..

तभी माँ लौंडा चूसती हुई थोड़ी रुकी "बेटा आदिल कम्बल डाल दे ऊपर किसी ने देख लिया तो गड़बड़ हो जाएगी "

माँ ने रिक्वेस्ट की.

"देख क्या लेगा आंटी हम तो कबसे देख रहे है " मोहित और प्रवीण ने कम्बल हटाते हुए कहा.

मोहित और प्रवीण की आवाज़ सुननी थी की माँ की गांड ही फट गई, शरीर एक बार को कांप गया, चेहरा सफ़ेद पड़ गया.

"तत्तत्त... तुम लोग सोये नहीं " माँ ने मुँह पोछते हुए, खुद को ढकते हुए कहा

लेकिन आदिल की उंगलियां अभी भी माँ की चुत मे ही थी, डर के मारे माँ की सारी खुमारी सारी हवस उतर गई थी.

"आप डरिये नहीं आंटी, हम आपकी मज़बूरी समझते है, आपकी भी जरूरते है " मोहित ने हाथ आगे बढ़ा कर माँ की नंगी जांघो पर रख दिया.

माँ एकटक कभी मोहित को देखती तो कभी उसके हाथो को जो उसकी जांघो पर रेंग रहे थे.

मुझे समझते देर नहीं लगी, ये सब इनका प्लान था

"न्नन्न... नहीं नहीं बेटा ये गलत है अमित को मालूम पड़ा तो क्या होगा " माँ व्याकुल थी उसे सिर्फ मेरा डर था, बाकि वो क्या कर रही है इसकीकोई परवाह, शर्म नहीं थी.

"वो तो घोड़े बेच के सोता है, कान के पास बम भी फोड़ दो तो नहीं उठेगा, हम साथ रहते है हमें पता है ना " प्रवीण मे माँ को दिलाशा दिया.

माँ असमजस मे थी, क्या करे क्या नहीं, लेकिन चुत मे रेंगति आदिल की उंगलियों ने माँ को निर्णय लेने मे मदद की.

"तुम लोग सच बोल रहे हो ना,? किसी को बोलोगे तो नहीं " माँ की आवाज़ मे हवस थी, कामवासना थी औरमाँ ऐसा मौका हाथ से जाने नहीं देना चाहती थी.

माँ की बाते और उसका चेहरा देख तीनो समझ गए थे माँ को कोई आपत्ति नहीं है

"आप बीच मे आ जाओ ना आंटी, हमें भी सेवा का मौका दो, आपकी इज़्ज़त हमारी इज़्ज़त " मोहित ने माँ का हाथ पकड़ अपनी और खिंचा.

जिसका माँ ने कोई विरोध नहीं किया.

साले मादरचोद मेरे दोस्त, अभी तक मेरी इज़्ज़त की परवाह कर रहे थे,

अब मेरी ही माँ को चोदने का प्लान कर रहे थे, ऐसे दोस्त भगवान किसी को ना दे.

माँ बीच मे आने के लिए, घोड़ी बन आगे को सरकने लगी, माँ का गाउन तो पहले से ही ऊपर था, पुच... करती आदिल की गीली उंगलियां माँ की चुत से बाहर आ गई.

घोड़ी बनी माँ की गोरी सुडोल गांड हलकी रौशनी मे चमक रही थी. images-2-5



चट.. चाटक.. की आवाज़ के साथ आदिल मे माँ की थूलथूली गांड पर जोर का चाटा रसीद कर दिया. माँ को गांड थिराक उठी, मया नजारा था मैं सगा बेटा होते हुए तारीफ करने लगा था.

आदिल का हाथ माँ के चुत रस से भीगा था, आवाज़ तेज़ आई.

"आउच क्या कर रहे हो, अमित जग जायेगा "

"ससस... Sorry आंटी आपकी जैसी गांड मैंने आज तक किसी की नहीं देखी तो खुद को रोक नहीं पाया "

"हट बदमाश... माँ मुस्कुराती मोहित और आदिल के बीच मे जा बैठी.

उफ्फ्फ.... अब खेल पूरी तरह से खुले मे चल रहा था.

इस खेल के दर्शक मैं और ड्राइवर अब्दुल थे, अब्दुल मिरर से ये खेल देख के सिर्फ मुस्कुरा रहा था, उसने कोई हरकत नहीं की.

मेरा तो खून और लंड दोनों उफान पर थे.

मुझे हैरानी थी अब्दुल कुछ बोल क्यों नहीं रहा है, सिर्फ देख रहा है.

जैसे कोई बड़ा खिलाडी बच्चों को खेलता देख रहा हो.

पीछे मोहित का बॉक्सर जमीन पे पड़ा था, उसका 6 इंच का लंड माँ के कामुक मुँह मे गोते खा रहा था, माँ भी किसी मांझी हुई रंडी की तरह उसके लंड को चूस रही थी.

मुझे नहीं पता था माँ ने ये सब कहा से सीखा, या फिर माँ ये सब पहले से ही करती आई थी.

बस मैं ही बेवकूफ था जो कभी ये सब जान ही नहीं पाया.

उधर आदिल तो माँ की चुत की लकीर को खोदने मे बिजी था, उसकी उंगलियां माँ की गांड की दरार मे चल रही थी आगे पीछे, गांड के छेद से चुत के छेद तक चली जा रही थी,.

चुत मे दो ऊँगली डूबाता फिर उसी लकीर पर ऊपर बढ़ता हुआ गांड के छेद के चारो और सहलाने लगता.

माँ बेचैन थी बार बार गांड को ऊपर नीचे कर रही थी, जैसे उंगलियों को चुत मे वापस डाल लेना चाहती हो लेकिन आदिल ऐसा होने नहीं दे रहा था.

वेक... वेक.... गु.. गु.... माँ की सिस्कारिया मोहित के लंड से दबी हुई थी.

माँ से रहा नहीं जा रहा था माँ ने एक हाथ आगे बड़ा कर प्रवीण के लंड को भी थाम लिया उसे हिलाने लगी,

प्रवीण का लंड भी कोई 6,7 इंच का ही होगा.

सबसे ज्यादा मजे आदिल के थे उसका हाथ माँ की गोरी गांड को दबा दबा के सहता रहा था, उंगकिया गांड के छेद को कुरेद रही ही.



"आआहहहह.... आउच... उफ्फ्फ.... आदिल... तभी माँ ने मोहित के लंड से मुँह हटा एक धीमी हुंकार भरी.

"वहाँ नहीं बेटा " माँ ने हाथ पीछे कर आदिल का हाथ पकड़ना चाहा, जिसे आदिल ने हटा दिया.

आदिल की एक ऊँगली माँ के गांड के छेद ने धंस गई थी.

और दूसरी ऊँगली चुत को कुरेद रही थी.

"ससससस.... शस्स्स.... आंटी अमित जग जायेगा " मोहित ने वापस अपना लंड माँ के मुँह मे पेल दिया.

गो... गी... वेक.. वेक....

आदिल की उंगलियां अपना जादू दिखाने लगी, माँ गांड को उठा उठा के आदिल के हाथ पर पटक रही थी.

मेरा मन कर रहा था अभी लंड हिला लू, फटा जा रहा था दर्द से.

अब मेरी माँ सिर्फ एक औरत थी जिसे मेरे दोस्त चोदना चाह रहे थे.

"उउफ्फ्फ... आअह्ह्ह... हंफ.... हमफ.... वेक.. वेक... गो.. गो.. गुलप...

आवाज़े गूंजने लगी थी.

पच... पच... करता रस माँ की चुत से टपकता हुआ, आदिल की जांघो को भीगो रहा था..

मेरी माँ भी किसी रंडी की तरह तीनो का साथ दे रही थी, प्रवीण के लंड को हाथो से मसले जा रही थी.

15 मिनट तक ये दौर चलता रहा, माँ हँफने लगी थी.

आअह्ह्ह.... बस... बस... बेटा...

"रुको आंटी... आअह्ह्ह.... फच... फाचक.... करता मोहित माँ के गरम मुँह मे ही झड़ गया, " मेरी माँ के हाथ लगातार मोहित के लंड को निचोड़ रहे थे, जैसे एक एक बून्द निकाल लेगी, मोहित के लंड सा निकला वीर्य माँ के चेहरे को भिगोने लगा.34899752

गर्माहट का मिलना था की सससररर.... पचक फच.... करती माँ की चुत से ढेर सारा रस बह निकला,

आअह्ह्ह.... बेटा.... गटक... माँ ने मोहित के रस को गटक लिया, उसके हाथ से प्रवीण का लंड छूट गया.

माँ बिल्कुल निढाल हो कर तीनो की जांघो पर फ़ैल गई थी, सांसे तेज़ चल रही थी.

तभी कार की स्पीड धीमी होने लगी.

साला आगे तो जाम लगा हुआ है " अब्दुल की आवाज़ कार मे गूंज उठी.

मैं अभी भी वैसे ही पड़ा हुआ था.

माँ तुरंत उठ बैठ कपडे ठीक किया, और मुँह को पोंछ लिया.

कम्बल ने चारो को ढक लिया था, सन्नाटा छा गया था जैसे कुछ हुआ ही ना हो.

Chhhhrrrrr..... करती कार रुक गई.



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Contd......
Shandaar update
 

andypndy

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मेरी माँ रेशमा -4
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कार पूरी तरह रुक चुकी थी, सब कुछ सामान्य हो गया था, तो मैंने भी आंखे मसलते हुए नींद खुलने की एक्टिंग की

"क्या हो गया भाई गाड़ी क्यों रोक दी " मैंने पीछे मुड़ के देखा सभी लोग सो रहे थे.

साले सो क्या रहे थे हरामी नाटक कर रहे थे.

"आगे जाम लगा है लम्बा " अब्दुल ने कहा

"जागो बे सालो " मैंने मोहित प्रवीण को जगाया.

सभी उठ गए थे, माँ को देख के ऐसा लग ही नहीं रहा था की वो अभी अभी दो जवान लड़को का लंड चूस रही थी, अपनी चुत उछाल उछाल कर मजे ले रही थी.

"ऐसे तो सुबह ही हो जाएगी पहुंचने मे " माँ ने चिंता जाहिर करते हुए कहा.

तभी ठाक... ठक ठक.... की दस्तक खिड़की पर हुई.

अब्दुल ने अपनी साइड का कांच नीचे किया.

"आगे एक्सीडेंट हो गया है 1 घंटे मे ट्रैफिक क्लियर होगा " बाहर कोई आदमी खड़ा था.

"एक्सीडेंट..... हम सब चौंक गए.

"हाँ हो जाता है हाइवे है" आप लोग जब तक साइड कार लगा के होटल से कुछ खा पी ले.

बाई तरफ नजर घुमाई तो एक होटल था जहाँ कई यात्रियों ने कार रोकी हुई थी.

शायद ये होटल का ही आदमी था आपदा मे अवसर देख रहा था

"अब कार मे बैठ के रेंगने से अच्छा है उतरते है, कुछ खा पी भी लेंगे, भूख भी लगने लगी है " अब्दुल ने कहा.

"ठीक है जैसा ठीक लगे " मैंने माँ की तरफ देख के कहा माँ ने भी सहमति मे गर्दन हिला दी.

"लल्ल लेकिन बेटा.... " माँ ने कुछ आपत्ति जताई.

"क्या हुआ माँ?"

"वो... वो मैंने गाउन पहना हुआ है, ऐसे बाहर जाना मतलब देख तो कितने लोग खड़े है बाहर" माँ की बात लाजमी थी.

"अच्छी तो लग रही हो आंटी" आदिल ने चुटकी लेते हुए कहा.

"हट बदमाश तुम लोग तो मेरे बच्चों जैसे हो, तुमसे शर्म नहीं है, लेकिन बाहर काफ़ी अनजान लोग है, ऐसे अच्छा थोड़ी ना लगता है " माँ ने दलील दी.

हाय रे मेरे माँ के संस्कार अभी लंड मुँह मे के के बैठी थी अब शर्म आ रही है. मैं नोटिस कर रहा था मेरे दोस्त और माँ आपस मे बहुत घुल मिल गए है, होता भी क्यों ना.




"तो चेंज कर लो ना कार मे पहले की तरह, हम लोग उतर जायेंगे " मैंने कहा.

"हट बुद्दू, गाउन पहनने और साड़ी पहनने मे जमीन आसमान का अंतर होता है, कार मे बहुत छोटी जगह है "

"ऐसा करते है ना मैं कार को होटल के साइड थोड़ा अँधेरे मे लगा देता हुआ, आप कार से निकल के चेंज कर लेना कौन देखने वाला है " अब्दुल ने सुझाव दिया

सभी उसके सुझाव से सहमत थे.

अब्दुल ने कार पीछे ले कर होटल के साइड मे लगा दी, और सभी वही उतर गए.

मैंने डिग्गी से बेग निकाल माँ को दे दिया, चारो तरफ अंधेरा था बस कोई 50मीटर की दुरी पर होटल था जहाँ चाहलकादमी थी.

हम लोग चलने को हुए ही थे की " अरे कोई एक तो यहाँ रुको, कितना अंधेरा है यहाँ पर " माँ ने आवाज़ लगाई.

मैं अभी कुछ बोलता ही की, "मैं हुआ ना आंटी आप चिंता क्यों करती है आदिल मुझे से आगे निकाल के बोल पड़ा.

मैं सख्त खिलाफ था, मैं मना ही करता की " चलो आओ अमित भाई हम कुछ आर्डर करते है तब तक भाभीजी आ जाएंगी " अब्दुल ने मेरा हाथ पकड़ अपनी और खिंच लिया.

प्रवीण और मोहित के चेहरे पे मायूसी साफ दिख रही थी जबकि अब्दुल मुस्कुरा रहा था, मैं जानता था आदिल क्यों माँ के साथ रुकना चाहता है.

मैं मन मामिसा के बाकियो के साथ चल दिया, माँ आदिल के साथ कार के पास ही रुक गई.

मुझे बहुत ताज्जुब हुआ, माँ ने भी आदिल के रुकने का कोई विरोध नहीं किया, ना जाने क्या हो गया था मेरी माँ को.

एक बार झड़ने के बाद भी हवस खत्म नहीं हुई थी उसकी.

हम लोग होटल मे एक टेबल पर जा बैठे थे, हलके फुल्के खाने का आर्डर दे दिया था.

लेकिन मेरा मन यहाँ नहीं था बार बार नजरें दूर खड़ी कार को देखती, अँधेरे की वजह से कुछ साफ नहीं दिख रहा था.

चाय आ चुकी थी 10 मिनट बीत गए थे, मेरी माँ अभी तक नहीं आई थी,

मुझे गड़बड़ी की आशंका तो पहले से ही थी,.

"यार चाय पी कर थोड़ा प्रेशर बन गया है लगता है, मैं आता हूँ " मैंने बहाना कर दिया और होटल के दूसरी साइड आ गया.

मतलब जी कार के ओपोसिट साइड, मैं जल्दी से होटल के पीछे पंहुचा, जहाँ कच्चा रास्ता या कोई खेत था, पुरे होटल का चक्कर काट मैं वहाँ पहुंच गया जहाँ हमारी कार खड़ी थी.

कार सडक पर थी और मैं नीचे खेत मिट्टी मे, अमूमन हाइवे पर होटल ढाबे ऊँचे ही बने होते है रोड के बराबर.

मुझे कार नजर आ रही थी लेकिन माँ और आदिल नहीं दिख रहे थे, मेरा सीना धाड़ धाड़ कर बज रहा था, मन मे बहुत सी अशांकाये दौड़ रही थी.

मैं थोड़ा एयर नजदीक गया इतना की मेरे जस्ट सामने हमारी कार खड़ी थी सडक के ऊपर, अंधेरा था ज्यादा कुछ नहीं दिख रहा था,.

फिर भी मैंने नजर केंद्रित की, जो मैंने देखा वो देख के मेरे पैरो तले जमीन खिसक गई.

"वाह आंटी क्या चुत है आपकी, उफ्फ्फ्फ़... मैंने आज तक आप जैसी औरत नहीं देखी " आदिल की आवाज़ ने मुझे अपनी तरफ खिंच लिया था

"हट बदमाश " माँ की ख़ानकती आवाज़ भी मेरे कानो मे पड़ी.

मेरे नजर पैनी होती गई, कार का पीछे का दरवाजा खुला हुआ यहां, कार थोड़ी टेढी खड़ी हुई थी.

कार की पीछली सीट पर मेरी माँ पूरी तरग नंगी अपने पैरो को फैलाये अपने हाथो से थामे लेटी हुई थी, माँ का सर उठा हुआ था
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वाकई मे मुझे प्रेसर बनने लगा था ये सब देख के, माँ ने गाउन भी उतार दिया था.

माँ के हाथो मे लाल चुडिया चमक रही थी, माथे पे लाल बिंदी भी थी.गले मे मंगलसूत्र दिखाई पड़ रहा था.

पहले माँ ने चूड़ी नहीं पहनी हुई थी, ना जाने अब क्यों पहन ली.

"देखा आंटी मैंने कहा था ना आप लाल चुदी मे और भी खूबसूरत लगोगी " आदिल ने कहा.

मेरे सवाल का जवाब मुझे तुरंत मिल गया था इसका मतलब माँ ने आदिल के कहने पर चुडिया पहनी थी.

माँ की चुत और गांड का छेद पूरी तरह दिख रहा था, उफ्फ्फ्फ़.... क्या कह सकता हूँ मैं ऐसी शानदार औरत थी मेरी माँ..

चुत और गांड फैलाये आदिल को अपनी और मेरे घर जी इज़्ज़त दिखा रही थी.

आदिल किसी भूके कुत्ते की तरह बात बार अपने होंठो को चाट रहा था

"अब देखते ही रहोगे, टाइम नहीं है ज्यादा जल्दी करो " माँ ने आमंत्रण दे ही दिया.

भूखे को और क्या चाहिए था.

"लप... लप... लपात... आआआआह्हः..... उउफ्फ्फ.... आदिल बेटा " माँ के मुँह से गरम कामुक सिस्कारी फुट पड़ी.

आदिल ने अपनी गीली गंदी जबान माँ की चुत पर टिका दी थी. 43714361



"उफ्फ्फ... आअह्ह्ह.... आदिल बेटा कब से मैं इस सुकून को तरस रही थी, अमित के पापा तो खासने ही लगते थे मुँह लगाते है " मेरी माँ हवस मे पागल हुई अपने घर की पोल खोल रही थी मेरे दोस्त के सामने.

"ऐसी चुत को तो खा जाना चाहिए आंटी " लप लप... पिच... पिच... पुच.... की आवाज़ मेरे कानो तक आने लगी थी.

मुझे सब साफ दिख रह था, अँधेरे मे देखने का आदि हो चला था मैं.

मेरी माँ मेरे दोस्त से अपनी चुत चटवा रही थी.

उसके सर को पकड़ पकड़ कर अपनी चुत पर दबा रही थी, आदिल भी माँ की भावनाये समझ कर जितना हो सकता था उतना अपनी जीभ को अंदर डाल रहा था,

आअह्ह्ह... बेटा ऐसे ही.... उफ्फ्फ... और चाट... जल्दी कर.... जल्दी.... घुसा दे अपना मुँह अंदर" माँ वाकई पागल हो गई थी.

"हाय आंटी ऐसी चुत तो मैंने आज तक नहीं चखी, कितना पानी है आपकी चुत मैं, लप लप..लप.... करता आदिल भी माँ को उकसा रहा था.. माँ खुद अपने स्तनो को कस कस के भींच रही थी, निप्पल को मरोड़ रही थी, जैसे उखाड़ ही फेंकेगी.
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उसकी जबान माँ की जांघो के बीच की दरार मे रेंग रही थी, कभी ऊपर तो कभी नीचे.

गांड के छेद तक जा कर आदिल वापस चुत तक लौट आता, चुत के दाने को चुभलाने लगता.

आअह्ह्ह.... आदिललल.... उउफ्फ्फ... मर गई... माँ अपनी गांड को उठा उठा के पटक रही थी,
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किसी रंडी की तरह उसे परवाह ही नहीं थी खुली सडक पे किसी ने देख लिया तो रंडी ही समझेगा.

"जल्दी और जोर से चाट बेटा... आअह्ह्हब..... टाइम नहीं है ".माँ जैसे जल्दी मे थी.

आदिल ने भी चतुराई दिखाते हुए अपनी एक ऊँगली को चुत के रस से भीगो के गिला कर लिया और गांड के छेद को छेड़ने लगा



"आअह्ह्ह.... नहीं... आदिललल... माँ ने अपनी गांड सिकोड ली, आदिल के सर को चुत मे भींच लिया जैसे पूरा सर ही अंदर घुसा देगी.

पुच.... फच.... करती हुई आदिल की एक ऊँगली माँ की गांड मे घुस गई.

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आउच... उईई... मा... आदिल.... माँ सिहर उठी. माँ ने अपनी चुत आदिल के मुँह पे रगड़ के रख दी.

आदिल का सामना भी शायद पहली बार किसी भरी जवान प्यासी औरत से हो रहा था,

आदिल अपना सर इधर उधर कर रहा था, लेकिन माँ उछाल उछाल के अपनी चुत को आदिल के मुँह के रगड़ रही थी.
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"उउफ्फ्फ.... आंटी.... आअह्ह्ह...." आदिल की भी आहे निकल गई थी.

उसकी ऊँगली लगातार माँ की गांड मे चल रही थू, फच फच... पच... पच.... करती अंदर बाहर हो रही थू, गांड पूरी तरह से गीली थी.

आअह्ह्ह.... आअह्ह्ह.... उफ्फ्फ.... मैं... आई... बेटा... आअह्ह्ह... आदिललल.... चाट.... खा जा मेरी चुत को....
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माँ बदहवास पागलो की तरफ अपना सर पटक रही थी, शायद माँ का काम होने वाला था अब.

माँ की चुद से कुछ सफ़ेद सफ़ेद सा निकलने लगा था, जिसे आदिल चाटे जा रहा था, जैसे कोई शहद हो.

आदिल और जोर लगा लगा के माँ की चुत चाट रहा था, गांड मे दो ऊँगली घुसेड़े रोंद रहा था.

"आअह्ह्हम... फच.... फाचक... फचार्ज..... उफ्फ्फ... हमफ.... हमफ्फ्फ्फफ्फ्फ़.... माँ की चुत से एक फववारा छूट पड़ा काम रस का फववारा,. आअह्ह्हम... आदिलललललल.....

माँ की चुत से एक के बाद एक पानी की बौछार निकल कर आदिल को भिगोने लगी....
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.

माँ ने कस के आदिल के सर को अपनी चुत मे दबा लिया...

गुगु.... गु.... उउउम्म्म.... आदिल की घुटी घुटी आवाज़ आ रगी थी.

माँ आदिल के सर को अपनी चुत मे दबाये झटके खाने लगी, करीबन 30 सेकंड बाद माँ ने अपनी पकड़ ढीली की.

खो... खो... खरास.... खो.... आदिल एक दम से छूट के जमीन पर फ़ैल के खास्बे लगा, खो... खो... उसके मुँह से ढेर सारा माँ का पेशाब और काम रस निकल के जमीन पे गिरने लगा.

हमफ़्फ़्फ़... हमफ़्फ़्फ़... उफ्फ्फ... खो... खो... हमफ़्फ़्फ़...

क्या आंटी जान लेने का इरादा था क्या?

आदिल ने माँ को देखते हुए शिकायत की, जो की अब पूरी तरह होश मे आ गई थी,.

मैं ख़ुश इस दृश्य को देख अपना लंड हिला रहा था, आदिल की क्या हालात हुई होगी वही जानता है.

मैंने तो जैसे कोई अद्भुत चीज देखी थी जिसे शब्दों मे बयान ही नहीं किया जा सकता.

"Sorry... ससस... सोरी बेटा वो रहा नहीं गया मुझसे," माँ ने आदिल को संभाला.

आदिल बेचारा जैसे तैसे खड़ा हुआ उसकी सांसे अभी भी उखड़ी हुई थी.

"कोई बात नहीं आंटी आपके बेटे जैसा ही हूँ, आपका हक़ है मुझपे " आदिल मुस्कुरा दिया और माँ भी.

आपके बेटा जैसा हूँ शब्द मेरे जहन मे चुभ से गए थे, क्या मैंहुड अपनी माँ के साथ ऐसा कर सकता हूँ,.

नहीं... नहीं.... ये मैं क्या सोच रहा हूँ?

मैं सोच मे डूबा ही था की तब तक माँ ने पेटीकोट और ब्लाउज पहन लिया था.

आदिल भी संभल गया था,"आप आओ आंटी मैं चलता हूँ "

मेरे लिए भी अब यहाँ कुछ बचा नहीं था, मैंने टाइम देखा मुझे ये सब देखते हुए 15 मिनिट बीत गए थे.

मैंने जल्दी से पेशाब किया खड़े लंड को थोड़ी राहत पहुंची और भाग के वापस होटल के पीछे से चक्कर काटते हुए टेबल पर पंहुचा जहाँ सब खाना खा रहे थे.

मेरे बैठते ही आदिल भी आ गया.

"अबे साले ये तेरे कपडे कैसे भीग गए? मोहित की नजर आदिल पे पड़ी.

आदिल मेरे पीछे था, मैंने पलट के देखा उसकी टीशर्ट पूरी गीली थी, जो की मेरी माँ की चुत से निकले पानी की वजह से थी.

"अरे यार वो पानी की टंकी से मुँह धो रहा था, अँधेरे की वजह से टीशर्ट भी गीली हो गई " आदिल ने बोलते हुए मोहित को आंख माँ दी.

अब मुझसे क्या छुपा था, साले हरामी मेरे दोस्त मेरे पीठ पीछे ही मेरी माँ चोद रहे थे.

"कुछ खायेगा " मैंने आदिल को पूछा.

"नहीं यार मेरा तो पेट भरा हुआ है " आदिल ने जवाब दिया.

"हाँ मादरचोद भरेगा क्यों नहीं, मेरी माँ की चुत पीके जो आ रहा है" मैं मन ही मन बड़बड़या.

"मुझे तो भूख लगी है "

मधुर प्यारी आवाज़ के साथ ही सभी के चेहरे पीछे को घूम गए

पीछे मेरी माँ थी लाल साड़ी मे सजी हुई, माथे लार लाल बिंदी, हाथो मे लाल चूड़ी, लाल होंठ.

सभी माँ को ही देखते रह गए माँ का यौवन साफ झलक रहा था, चेहरे पे एक सादगी थी, मासूमियत थी.
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माँ के चेहरे पे एक अलग ही चमक थी, माँ ने अपने दोनों हाथ उठा कर अपने बाल पीछे बांधते हुए कहा था, माँ की पसीने से भीगी साफ सुथरी गोरी, कांख के दर्शन सभी को हो गए थे,

मैं शर्त के साथ कह सकता हूँ जिसने भी ये नजारा देखा होगा उसके लंड खड़े हो गए होंगे,.

मैं अभी तक माँ को गॉव की गवार औरत ही समझ रहा था, लेकिन मैं कितना गलत था, मेरी माँ किसी मॉर्डन औरत को फ़ैल करती नजर आ रही थी. सुन्दर गद्दाराया गोरा जिस्म.

उफ्फ्फ.... मेरी संस्कारी घरेलु माँ...

कोई भला कह सकता है ये औरत अभी अभी मेरे दोस्त से चुत चटवा रही थी, चटवा क्या रही थी साले आदिल का दम ही घुट जाता, यदि माँ झड़ती नहीं तो...

"खो... खो.... आदिल को खांसी आ गई.

"आओ आंटी बैठो खाना आ गया है " मोहित ने माँ को जगह दी.

माँ प्रवीण और मोहित के बीच जा बैठी एक अजीब सी भीनी भीनी खुसबू आ रही थी,

शायद मेरी माँ की चुत की खुसबू थी ये, लेकिन बहुत मनमोहक थी, किसी भी मर्द का लंड खड़ा कर दे ऐसी खुसबू थी ये.

खेर खाना लग गया था, आदिल ने कपडे बदलिये थे, कार चलने को तैयार थी.

सुबह के 3 बज चुके थे, देहरादून पास ही था सिर्फ 1 घंटा लगना था.

सभी कार मे सावर हो गए थे, मैंने जगने की थोड़ी कौशिश की लेकिन जग ना पाया और कुछ हुआ भी नहीं.

सब सो गए थे, आदिल और माँ तो कार मे बैठ के ऐसे ढेर हुए जैसे मजदूरी कर के आये हो.

मुझे भी नींद आ गई थी.

तो अब क्या होगा देहरादून मे? क्या शादी मे मेरे दोस्तों को कोई मौका मिल पायेगा?

यहाँ तो माँ के रिश्तेदार भी होंगे बहुत से? क्या करेंगे मेरे दोस्त, माँ की हरकतों से लगता नहीं था अब वो भी रुक पायेगी?



बने रहिये... कहानी जारी है

अपने बहुमूल्य कमेंट जरूर दे, अपने विचार जरूर शेयर करे, क्या कहानी मे कुछ सुझाव चाहते है आप?

Contd.....
 
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Sushil@10

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मेरी माँ रेशमा -4

कार पूरी तरह रुक चुकी थी, सब कुछ सामान्य हो गया था, तो मैंने भी आंखे मसलते हुए नींद खुलने की एक्टिंग की

"क्या हो गया भाई गाड़ी क्यों रोक दी " मैंने पीछे मुड़ के देखा सभी लोग सो रहे थे.

साले सो क्या रहे थे हरामी नाटक कर रहे थे.

"आगे जाम लगा है लम्बा " अब्दुल ने कहा

"जागो बे सालो " मैंने मोहित प्रवीण को जगाया.

सभी उठ गए थे, माँ को देख के ऐसा लग ही नहीं रहा था की वो अभी अभी दो जवान लड़को का लंड चूस रही थी, अपनी चुत उछाल उछाल कर मजे ले रही थी.

"ऐसे तो सुबह ही हो जाएगी पहुंचने मे " माँ ने चिंता जाहिर करते हुए कहा.

तभी ठाक... ठक ठक.... की दस्तक खिड़की पर हुई.

अब्दुल ने अपनी साइड का कांच नीचे किया.

"आगे एक्सीडेंट हो गया है 1 घंटे मे ट्रैफिक क्लियर होगा " बाहर कोई आदमी खड़ा था.

"एक्सीडेंट..... हम सब चौंक गए.

"हाँ हो जाता है हाइवे है" आप लोग जब तक साइड कार लगा के होटल से कुछ खा पी ले.

बाई तरफ नजर घुमाई तो एक होटल था जहाँ कई यात्रियों ने कार रोकी हुई थी.

शायद ये होटल का ही आदमी था आपदा मे अवसर देख रहा था

"अब कार मे बैठ के रेंगने से अच्छा है उतरते है, कुछ खा पी भी लेंगे, भूख भी लगने लगी है " अब्दुल ने कहा.

"ठीक है जैसा ठीक लगे " मैंने माँ की तरफ देख के कहा माँ ने भी सहमति मे गर्दन हिला दी.

"लल्ल लेकिन बेटा.... " माँ ने कुछ आपत्ति जताई.

"क्या हुआ माँ?"

"वो... वो मैंने गाउन पहना हुआ है, ऐसे बाहर जाना मतलब देख तो कितने लोग खड़े है बाहर" माँ की बात लाजमी थी.

"अच्छी तो लग रही हो आंटी" आदिल ने चुटकी लेते हुए कहा.

"हट बदमाश तुम लोग तो मेरे बच्चों जैसे हो, तुमसे शर्म नहीं है, लेकिन बाहर काफ़ी अनजान लोग है, ऐसे अच्छा थोड़ी ना लगता है " माँ ने दलील दी.

हाय रे मेरे माँ के संस्कार अभी लंड मुँह मे के के बैठी थी अब शर्म आ रही है. मैं नोटिस कर रहा था मेरे दोस्त और माँ आपस मे बहुत घुल मिल गए है, होता भी क्यों ना.

"तो चेंज कर लो ना कार मे पहले की तरह, हम लोग उतर जायेंगे " मैंने कहा.

"हट बुद्दू, गाउन पहनने और साड़ी पहनने मे जमीन आसमान का अंतर होता है, कार मे बहुत छोटी जगह है "

"ऐसा करते है ना मैं कार को होटल के साइड थोड़ा अँधेरे मे लगा देता हुआ, आप कार से निकल के चेंज कर लेना कौन देखने वाला है " अब्दुल ने सुझाव दिया

सभी उसके सुझाव से सहमत थे.

अब्दुल ने कार पीछे ले कर होटल के साइड मे लगा दी, और सभी वही उतर गए.

मैंने डिग्गी से बेग निकाल माँ को दे दिया, चारो तरफ अंधेरा था बस कोई 50मीटर की दुरी पर होटल था जहाँ चाहलकादमी थी.

हम लोग चलने को हुए ही थे की " अरे कोई एक तो यहाँ रुको, कितना अंधेरा है यहाँ पर " माँ ने आवाज़ लगाई.

मैं अभी कुछ बोलता ही की, "मैं हुआ ना आंटी आप चिंता क्यों करती है आदिल मुझे से आगे निकाल के बोल पड़ा.

मैं सख्त खिलाफ था, मैं मना ही करता की " चलो आओ अमित भाई हम कुछ आर्डर करते है तब तक भाभीजी आ जाएंगी " अब्दुल ने मेरा हाथ पकड़ अपनी और खिंच लिया.

प्रवीण और मोहित के चेहरे पे मायूसी साफ दिख रही थी जबकि अब्दुल मुस्कुरा रहा था, मैं जानता था आदिल क्यों माँ के साथ रुकना चाहता है.

मैं मन मामिसा के बाकियो के साथ चल दिया, माँ आदिल के साथ कार के पास ही रुक गई.

मुझे बहुत ताज्जुब हुआ, माँ ने भी आदिल के रुकने का कोई विरोध नहीं किया, ना जाने क्या हो गया था मेरी माँ को.

एक बार झड़ने के बाद भी हवस खत्म नहीं हुई थी उसकी.

हम लोग होटल मे एक टेबल पर जा बैठे थे, हलके फुल्के खाने का आर्डर दे दिया था.

लेकिन मेरा मन यहाँ नहीं था बार बार नजरें दूर खड़ी कार को देखती, अँधेरे की वजह से कुछ साफ नहीं दिख रहा था.

चाय आ चुकी थी 10 मिनट बीत गए थे, मेरी माँ अभी तक नहीं आई थी,

मुझे गड़बड़ी की आशंका तो पहले से ही थी,.

"यार चाय पी कर थोड़ा प्रेशर बन गया है लगता है, मैं आता हूँ " मैंने बहाना कर दिया और होटल के दूसरी साइड आ गया.

मतलब जी कार के ओपोसिट साइड, मैं जल्दी से होटल के पीछे पंहुचा, जहाँ कच्चा रास्ता या कोई खेत था, पुरे होटल का चक्कर काट मैं वहाँ पहुंच गया जहाँ हमारी कार खड़ी थी.

कार सडक पर थी और मैं नीचे खेत मिट्टी मे, अमूमन हाइवे पर होटल ढाबे ऊँचे ही बने होते है रोड के बराबर.

मुझे कार नजर आ रही थी लेकिन माँ और आदिल नहीं दिख रहे थे, मेरा सीना धाड़ धाड़ कर बज रहा था, मन मे बहुत सी अशांकाये दौड़ रही थी.

मैं थोड़ा एयर नजदीक गया इतना की मेरे जस्ट सामने हमारी कार खड़ी थी सडक के ऊपर, अंधेरा था ज्यादा कुछ नहीं दिख रहा था,.

फिर भी मैंने नजर केंद्रित की, जो मैंने देखा वो देख के मेरे पैरो तले जमीन खिसक गई.

"वाह आंटी क्या चुत है आपकी, उफ्फ्फ्फ़... मैंने आज तक आप जैसी औरत नहीं देखी " आदिल की आवाज़ ने मुझे अपनी तरफ खिंच लिया था

"हट बदमाश " माँ की ख़ानकती आवाज़ भी मेरे कानो मे पड़ी.

मेरे नजर पैनी होती गई, कार का पीछे का दरवाजा खुला हुआ यहां, कार थोड़ी टेढी खड़ी हुई थी.

कार की पीछली सीट पर मेरी माँ पूरी तरग नंगी अपने पैरो को फैलाये अपने हाथो से थामे लेटी हुई थी, माँ का सर उठा हुआ था.

वाकई मे मुझे प्रेसर बनने लगा था ये सब देख के, माँ ने गाउन भी उतार दिया था.

माँ के हाथो मे लाल चुडिया चमक रही थी, माथे पे लाल बिंदी भी थी.गले मे मंगलसूत्र दिखाई पड़ रहा था.

पहले माँ ने चूड़ी नहीं पहनी हुई थी, ना जाने अब क्यों पहन ली.

"देखा आंटी मैंने कहा था ना आप लाल चुदी मे और भी खूबसूरत लगोगी " आदिल ने कहा.

मेरे सवाल का जवाब मुझे तुरंत मिल गया था इसका मतलब माँ ने आदिल के कहने पर चुडिया पहनी थी.

माँ की चुत और गांड का छेद पूरी तरह दिख रहा था, उफ्फ्फ्फ़.... क्या कह सकता हूँ मैं ऐसी शानदार औरत थी मेरी माँ..

चुत और गांड फैलाये आदिल को अपनी और मेरे घर जी इज़्ज़त दिखा रही थी.

आदिल किसी भूके कुत्ते की तरह बात बार अपने होंठो को चाट रहा था

"अब देखते ही रहोगे, टाइम नहीं है ज्यादा जल्दी करो " माँ ने आमंत्रण दे ही दिया.

भूखे को और क्या चाहिए था.

"लप... लप... लपात... आआआआह्हः..... उउफ्फ्फ.... आदिल बेटा " माँ के मुँह से गरम कामुक सिस्कारी फुट पड़ी.

आदिल ने अपनी गीली गंदी जबान माँ की चुत पर टिका दी थी.



"उफ्फ्फ... आअह्ह्ह.... आदिल बेटा कब से मैं इस सुकून को तरस रही थी, अमित के पापा तो खासने ही लगते थे मुँह लगाते है " मेरी माँ हवस मे पागल हुई अपने घर की पोल खोल रही थी मेरे दोस्त के सामने.

"ऐसी चुत को तो खा जाना चाहिए आंटी " लप लप... पिच... पिच... पुच.... की आवाज़ मेरे कानो तक आने लगी थी.

मुझे सब साफ दिख रह था, अँधेरे मे देखने का आदि हो चला था मैं.

मेरी माँ मेरे दोस्त से अपनी चुत चटवा रही थी.

उसके सर को पकड़ पकड़ कर अपनी चुत पर दबा रही थी, आदिल भी माँ की भावनाये समझ कर जितना हो सकता था उतना अपनी जीभ को अंदर डाल रहा था,

आअह्ह्ह... बेटा ऐसे ही.... उफ्फ्फ... और चाट... जल्दी कर.... जल्दी.... घुसा दे अपना मुँह अंदर" माँ वाकई पागल हो गई थी.

"हाय आंटी ऐसी चुत तो मैंने आज तक नहीं चखी, कितना पानी है आपकी चुत मैं, लप लप..लप.... करता आदिल भी माँ को उकसा रहा था.. माँ खुद अपने स्तनो को कस कस के भींच रही थी, निप्पल को मरोड़ रही थी, जैसे उखाड़ ही फेंकेगी.



उसकी जबान माँ की जांघो के बीच की दरार मे रेंग रही थी, कभी ऊपर तो कभी नीचे.

गांड के छेद तक जा कर आदिल वापस चुत तक लौट आता, चुत के दाने को चुभलाने लगता.

आअह्ह्ह.... आदिललल.... उउफ्फ्फ... मर गई... माँ अपनी गांड को उठा उठा के पटक रही थी,
किसी रंडी की तरह उसे परवाह ही नहीं थी खुली सडक पे किसी ने देख लिया तो रंडी ही समझेगा.

"जल्दी और जोर से चाट बेटा... आअह्ह्हब..... टाइम नहीं है ".माँ जैसे जल्दी मे थी.

आदिल ने भी चतुराई दिखाते हुए अपनी एक ऊँगली को चुत के रस से भीगो के गिला कर लिया और गांड के छेद को छेड़ने लगा



"आअह्ह्ह.... नहीं... आदिललल... माँ ने अपनी गांड सिकोड ली, आदिल के सर को चुत मे भींच लिया जैसे पूरा सर ही अंदर घुसा देगी.

पुच.... फच.... करती हुई आदिल की एक ऊँगली माँ की गांड मे घुस गई.

आउच... उईई... मा... आदिल.... माँ सिहर उठी. माँ ने अपनी चुत आदिल के मुँह पे रगड़ के रख दी.

आदिल का सामना भी शायद पहली बार किसी भरी जवान प्यासी औरत से हो रहा था,

आदिल अपना सर इधर उधर कर रहा था, लेकिन माँ उछाल उछाल के अपनी चुत को आदिल के मुँह के रगड़ रही थी..

"उउफ्फ्फ.... आंटी.... आअह्ह्ह...." आदिल की भी आहे निकल गई थी.

उसकी ऊँगली लगातार माँ की गांड मे चल रही थू, फच फच... पच... पच.... करती अंदर बाहर हो रही थू, गांड पूरी तरह से गीली थी.

आअह्ह्ह.... आअह्ह्ह.... उफ्फ्फ.... मैं... आई... बेटा... आअह्ह्ह... आदिललल.... चाट.... खा जा मेरी चुत को....

माँ बदहवास पागलो की तरफ अपना सर पटक रही थी, शायद माँ का काम होने वाला था अब.

माँ की चुद से कुछ सफ़ेद सफ़ेद सा निकलने लगा था, जिसे आदिल चाटे जा रहा था, जैसे कोई शहद हो.

आदिल और जोर लगा लगा के माँ की चुत चाट रहा था, गांड मे दो ऊँगली घुसेड़े रोंद रहा था.

"आअह्ह्हम... फच.... फाचक... फचार्ज..... उफ्फ्फ... हमफ.... हमफ्फ्फ्फफ्फ्फ़.... माँ की चुत से एक फववारा छूट पड़ा काम रस का फववारा,. आअह्ह्हम... आदिलललललल.....

माँ की चुत से एक के बाद एक पानी की बौछार निकल कर आदिल को भिगोने लगी....

माँ ने कस के आदिल के सर को अपनी चुत मे दबा लिया...

गुगु.... गु.... उउउम्म्म.... आदिल की घुटी घुटी आवाज़ आ रगी थी.

माँ आदिल के सर को अपनी चुत मे दबाये झटके खाने लगी, करीबन 30 सेकंड बाद माँ ने अपनी पकड़ ढीली की.

खो... खो... खरास.... खो.... आदिल एक दम से छूट के जमीन पर फ़ैल के खास्बे लगा, खो... खो... उसके मुँह से ढेर सारा माँ का पेशाब और काम रस निकल के जमीन पे गिरने लगा.

हमफ़्फ़्फ़... हमफ़्फ़्फ़... उफ्फ्फ... खो... खो... हमफ़्फ़्फ़...

क्या आंटी जान लेने का इरादा था क्या?

आदिल ने माँ को देखते हुए शिकायत की, जो की अब पूरी तरह होश मे आ गई थी,.

मैं ख़ुश इस दृश्य को देख अपना लंड हिला रहा था, आदिल की क्या हालात हुई होगी वही जानता है.

मैंने तो जैसे कोई अद्भुत चीज देखी थी जिसे शब्दों मे बयान ही नहीं किया जा सकता.

"Sorry... ससस... सोरी बेटा वो रहा नहीं गया मुझसे," माँ ने आदिल को संभाला.

आदिल बेचारा जैसे तैसे खड़ा हुआ उसकी सांसे अभी भी उखड़ी हुई थी.

"कोई बात नहीं आंटी आपके बेटे जैसा ही हूँ, आपका हक़ है मुझपे " आदिल मुस्कुरा दिया और माँ भी.

आपके बेटा जैसा हूँ शब्द मेरे जहन मे चुभ से गए थे, क्या मैंहुड अपनी माँ के साथ ऐसा कर सकता हूँ,.

नहीं... नहीं.... ये मैं क्या सोच रहा हूँ?

मैं सोच मे डूबा ही था की तब तक माँ ने पेटीकोट और ब्लाउज पहन लिया था.

आदिल भी संभल गया था,"आप आओ आंटी मैं चलता हूँ "

मेरे लिए भी अब यहाँ कुछ बचा नहीं था, मैंने टाइम देखा मुझे ये सब देखते हुए 15 मिनिट बीत गए थे.

मैंने जल्दी से पेशाब किया खड़े लंड को थोड़ी राहत पहुंची और भाग के वापस होटल के पीछे से चक्कर काटते हुए टेबल पर पंहुचा जहाँ सब खाना खा रहे थे.

मेरे बैठते ही आदिल भी आ गया.

"अबे साले ये तेरे कपडे कैसे भीग गए? मोहित की नजर आदिल पे पड़ी.

आदिल मेरे पीछे था, मैंने पलट के देखा उसकी टीशर्ट पूरी गीली थी, जो की मेरी माँ की चुत से निकले पानी की वजह से थी.

"अरे यार वो पानी की टंकी से मुँह धो रहा था, अँधेरे की वजह से टीशर्ट भी गीली हो गई " आदिल ने बोलते हुए मोहित को आंख माँ दी.

अब मुझसे क्या छुपा था, साले हरामी मेरे दोस्त मेरे पीठ पीछे ही मेरी माँ चोद रहे थे.

"कुछ खायेगा " मैंने आदिल को पूछा.

"नहीं यार मेरा तो पेट भरा हुआ है " आदिल ने जवाब दिया.

"हाँ मादरचोद भरेगा क्यों नहीं, मेरी माँ की चुत पीके जो आ रहा है" मैं मन ही मन बड़बड़या.

"मुझे तो भूख लगी है "

मधुर प्यारी आवाज़ के साथ ही सभी के चेहरे पीछे को घूम गए

पीछे मेरी माँ थी लाल साड़ी मे सजी हुई, माथे लार लाल बिंदी, हाथो मे लाल चूड़ी, लाल होंठ.

सभी माँ को ही देखते रह गए माँ का यौवन साफ झलक रहा था, चेहरे पे एक सादगी थी, मासूमियत थी. 20220114-165823

माँ के चेहरे पे एक अलग ही चमक थी, माँ ने अपने दोनों हाथ उठा कर अपने बाल पीछे बांधते हुए कहा था, माँ की पसीने से भीगी साफ सुथरी गोरी, कांख के दर्शन सभी को हो गए थे,

मैं शर्त के साथ कह सकता हूँ जिसने भी ये नजारा देखा होगा उसके लंड खड़े हो गए होंगे,.

मैं अभी तक माँ को गॉव की गवार औरत ही समझ रहा था, लेकिन मैं कितना गलत था, मेरी माँ किसी मॉर्डन औरत को फ़ैल करती नजर आ रही थी. सुन्दर गद्दाराया गोरा जिस्म.

उफ्फ्फ.... मेरी संस्कारी घरेलु माँ...

कोई भला कह सकता है ये औरत अभी अभी मेरे दोस्त से चुत चटवा रही थी, चटवा क्या रही थी साले आदिल का दम ही घुट जाता, यदि माँ झड़ती नहीं तो...

"खो... खो.... आदिल को खांसी आ गई.

"आओ आंटी बैठो खाना आ गया है " मोहित ने माँ को जगह दी.

माँ प्रवीण और मोहित के बीच जा बैठी एक अजीब सी भीनी भीनी खुसबू आ रही थी,

शायद मेरी माँ की चुत की खुसबू थी ये, लेकिन बहुत मनमोहक थी, किसी भी मर्द का लंड खड़ा कर दे ऐसी खुसबू थी ये.

खेर खाना लग गया था, आदिल ने कपडे बदलिये थे, कार चलने को तैयार थी.

सुबह के 3 बज चुके थे, देहरादून पास ही था सिर्फ 1 घंटा लगना था.

सभी कार मे सावर हो गए थे, मैंने जगने की थोड़ी कौशिश की लेकिन जग ना पाया और कुछ हुआ भी नहीं.

सब सो गए थे, आदिल और माँ तो कार मे बैठ के ऐसे ढेर हुए जैसे मजदूरी कर के आये हो.

मुझे भी नींद आ गई थी.

तो अब क्या होगा देहरादून मे? क्या शादी मे मेरे दोस्तों को कोई मौका मिल पायेगा?

यहाँ तो माँ के रिश्तेदार भी होंगे बहुत से? क्या करेंगे मेरे दोस्त, माँ की हरकतों से लगता नहीं था अब वो भी रुक पायेगी?



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Contd.....
Nice update
 

andypndy

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मेरी माँ रेशमा -5 Picsart-25-02-10-14-57-03-639

कार मे बैठे मुझे नींद आने लगी थी, पीछे आदिल और माँ सब सो गए थे

माँ और आदिल ने तो मेहनत की थी लाजमी था,

वैसे भी जल्दी ही देहरादून आने वाला था. सब कुछ ऐसे शांत था जैसे कुछ हुआ ही ना हो.

या फिर किसी तूफ़ान के आने से पहले की शांति थी.

"कहा लेना है अमित भाई " अब्दुल ने मुझे हिलाते हुए बोला.

"अअअ... हाँ.. हाँ... पहुंच गए क्या?" मैं नींद से हड़बड़ा कर उठा,

"देहरादून मे आपका स्वागत है " सामने ही बोर्ड चमक रहा था.

"रुको बताता हूँ " मैंने फ़ोन निकाल मामा को कॉल किया

"हाँ मामा, मैं अमित हम पहुंच गए है, मतलब देहरादून मे इंटर हो गए है, कहा आना है?"

मैं काफ़ी समय पहले आया था, अब तो देहरादून काफ़ी रच बस गया है, मैंने आस पास नजर दौड़ाते हुए सोचा.

"तुम्हे शहर के अंदर से होते हुए चकराता रोड पर आना है, मैं लोकेशन भेज रहा हूँ " मामा ने दूसरी साइड से कहा.

मामा ने लोकेशन send की जिसे खोल के देखा अभी तो उनका घर दूर था, 1 घंटे कम से कम लगने ही थी, मैंने अब्दुल को लोकेशन समझा दी.

मामा ने ये नया घर 2 साल ही लिया था, पहले छोटा घर था शहर मे ही, अब थोड़ा आउटसाइड पर घर लिया है, खुले मे.

लगता है पैसा आ गया है मामा के पास, मैं सोचते हुए उघने लगा.



कोई डेढ़ घाटे बीत गए थे चलते हुए, सुबह का सूरज दिखने लगा था क्षितिज पर,

उठो माँ.... मम्मी....पहुंचने वाले है हम लोग." मेरी आवाज़ से सभी उठ गए थे, माँ का चेहरा तो उठते से ही खील उठा, अपने भाई भाभी रेश्तेदारों से मिलने की चमक साफ दिख रही थी.

"बड़ी जोर नींद आई यार, क्यों आंटी?" आदिल ने माँ की जाँघ को दबाते हुए कहा.

आदिल अभी भी अपनी हरकतो से बाज नहीं आ रहा था.




करीब 10 मिनट मे ही एक बड़ा सा घर नजर आने लगा, लाइट लगी हुई थी, घर के बाहर टैंट लगा था, शहनाई बज रही थी.

"लगता है यही तेरे मामा का घर है "माँ ने उत्साह से कहा.

पास पहुचे तो एक आदमी सफ़ेद कुर्ते पाजामे मे हाथ हिलता दिखा, अब्दुल ने इशारा समझ घर के बाहर गाड़ी रोक दी.

"मामामम्म्म्म..... मैं तुरंत कार से उतर मामा के गले जा लगा, माँ भी उत्साहित थी, मेरी माँ, मामा से 2साल बड़ी थी.

"भाभी भाभी.... की आवाज़ से हमारा ध्यान सामने गया, सामने से मामी भागी चली आ रही थी. Picsart-25-02-10-14-34-27-766

ये है मेरी मामी आरती,

मामी ने भी गजब का कातिलाना जिस्म पाया था, लाल साड़ी, काला ब्लाउज, जिसमे से उनके चुचे साफ झलक रहे थे, सिर्फ एक पतली सी पट्टी ने मामी के स्तनो का भार संभाला हुआ था.

ब्लाउज और साड़ी के बीच गद्दाराया पेट झलक रहा था, जिसमे की गहरी नाभि मामी के जिस्म की शोभा बड़ा रही थी.

लगभग 34 साइज के स्तन होंगे मामी के, 26 की कमर जान पडती थी, गांड तो जानलेवा ही थी, जिस तरह से हिल रही थी उसका वजन और साइज कहाँ बेमानी ही होंगी फिर भी 34 साइज तो होंगी ही. Picsart-25-02-08-16-00-01-711

तब तक सभी कार से नीचे उतर गए थे, सभी का ध्यान मेरी मामी पर चला गया.

कारण था मेरी मामी के भागने से उनके स्तन उछल उछल के बाहर आने को मर रहे थे.

मामी ने माँ को गले लगा लिया, कितनी सुन्दर लग रही हो भाभी आप " मामी ने माँ को बाहो मे कसते हुए कहा.

मैंने भी गौर किया मामी भी कोई कम नहीं थी, माँ और मामी के चुचे आपस मे दबे हुए थे, दबने से ब्लाउज के ऊपर से लगभग बाहर को ही आ गए थे.

मेरे दोस्तों का भी यही हाल था, माँ के बाद एक और खूबसूरत औरत उनकी आँखों के सामने थी.

मेरी मामी की उम्र कोई 40 साल रही होंगी, एक दम भरा हुआ जिस्म, गोरी रंगत लिए हुए, साड़ी और ब्लाउज मे भी मामी का एक एक काटव साफ दिख रहा था,

"कैसी है आरती तू " माँ ने पूछा..

मैंने भी मामी के पैर छुए, लेकिन मामी ने मुझे गले से लगा लिया.

"इउउउफ्फ्फ... इसस्स.... क्या कोमल अहसास था मामी के गोल स्तन मेरे सीने मे धसे जा रहे थे, उनके कदकपान का अंदाजा मुझे हो गया था"

नवीन कहा है? मैंने पूछा.

"सो रहा है " आओ अंदर.

"ये सब....?" मामी ने माँ से पूछा.

"अरे ये सब अमित के दोस्त है, देहरादून घूमने की इच्छा थी तो साथ ही आ गए "

माँ ने जवाब दिया.

मैंने सभी का परिचय करा दिया.

"चलो अंदर अब, सब मेल मिलाप यही कर लोगे " मामा ने मेरे दोस्तों को समान लाने का इशारा किया.

मामी मेरा और माँ का हाथ पकड़ती अंदर ले चली.

पीछे मेरे दोस्त जल मर रहे होंगे, मामी और माँ की मटकती गांड देख रहे होंगे.

"चलो अच्छा है तुम दोस्त भी साथ चले आये, शादी के घाट ने जितने लड़के हो उतना अच्छा " मामा मेरे दोस्तों से बटे करते चले आ रहे थे..

7.30 बज गए थे, मामा ने हम सभी लड़को को एक कमरा दिखा दिया जहाँ हम सब समान रख लेट गए.

माँ, मामी के साथ बिजी हो गई..

नवीन भी उठ के हमारे पास आ गया था, हम सब आपस मे बाते करने लगे, मैंने सभी का परिचय नवीन से कराया.

नवीन भी मेरी ही कद काठी का था, हालंकि वो दो साल बड़ा था मुझसे. अच्छा रिश्ता मिल गया था तो शादी तय हो गई थी.

"और नवीन भाई कुछ इंतेज़ाम रखा है क्या " मोहित ने हाथ से पीने का इशारा करते हुए कहा.

"सब है दोस्तों, शाम का इंतज़ार करो, दिन मे तो मार्किट का काम है थोड़ा.

"अभी छोटी बुआ भी आनी है, उन्हें लेने जाना है.

"क्या आरती मौसी भी आ रही है wow.. बहुत दिन हो गए उनसे मिले "

आरती मौसी मेरी माँ और मामा से छोटी थी, ये दो बहन और एक भाई थे.

नाना पहले भी मर गए थे, नानी जिन्दा थी.

"हाँ 12 बजे उनकी ट्रैन आ जाएगी " अब्दुल भाई आप चलेंगे मेरे साथ?

"मियां मैं तो हूँ ही ड्राइवर क्यों नहीं चलेंगे " अब्दुल के बोलने का अंदाज़ ही ऐसा था की सभी हस पड़े.

"यार थोड़ा फ्रेश हो कर आता हूँ मैं " अब्दुल ने जर्दा ठोकते हुए कहा

नवीन ने इशारा कर दिया,

मामा का घर दो मंजिला था, मामा मामी का बैडरूम नीचे थी था, नवीन का कमरा भी नीचे ही था.

नीचे कुल 5 कमरे थे, बीच मे बड़ा सा हाल था, हाल के सामने ही किचन था, कमरों के पीछे जा कर एक गार्डन था, उसी से लगा कॉमन टॉयलेट भी था,

टॉयलेट एक कमरे जैसा था, जिसमे दो गुसालखाने एक नहाने का टब, शावर लगे थे, साथ ही पेशाब करने ले कामोड भी लगा था,

इस तरह से बना था की 2 से 3 लोग एक साथ इस्तेमाल कर सके. जो की कभी कभार ही उसे हुआ करता था,

नवीन मे वही जाने का इशारा किया,

अब्दुल निकल लिया, थोड़ी ही देर मे मुझे भी कुछ प्रेशर सा लगा,.

"मैं आता हूँ तुम लोग बात करो " मैं भी कोई 5 मिनट के अंतर मे अब्दुल के पीछे निकल गया.

गार्डन मे जा कर, टॉयलेट के दरवाजे को पुश किया, लेकिन अंदर से बंद था, मैंने दरवाजा खटखटने का सोचा ही की.

"इईईईई...... तुम " मुझे माँ की हलकी चीखने जैसी आवाज़ आई.

मैं सकते मे आ गया, भाग के बाथरूम के पीछे गया, ऊपर रोशनदान था, मैंने इधर उधर देखा एक टूटी फूटी टेबल दिखी मैंने उसे तुरंत उठा कर रोशनदान के नीचे लगाया और उस पर खड़ा हो कर अंदर झाकने लगा.

अंदर देखते ही मेरी सांसे उखड़ने लगी, पैर कंपने लगे.

मैंने देखा मेरी माँ बाथरूम मे मुँह पर हाथ रखे आंखे फाडे सामने देख रही है. 20240603-122407

सामने अंब्दुल अपने लंड को हाथ मे लिए मूत रहा था.

"माफ करना भाभी जी मुझे पता नहीं था आप अंदर है " अब्दुल का मूतना जारी था.

अब्दुल का लंड किसी गधे के लंड की तरह लटका हुआ था, बिल्कुल काला, आगे से आलू की तरह गुलाबी सुपडे से मूत की धार निकली जा रही थी. images-1

मेरी माँ हैरानी से वैसे ही खड़ी थी, शायद माँ ने ऐसा लंड कभी देखा ही नहीं था, माँ क्या मैंने भी कभी इतना बड़ा लंड नहीं देखा था, 9 इंच का तो होगा ही कम से कम.

मुझे दूर से भी बहुत बड़ा लग रहा था, माँ तो फिर भी पास से देख रही थी.

"क्या हुआ भाभी जी आजतक लंड नहीं देखा क्या?" अब्दुल ने अपने लंड को झटका देते हुए कहा .

"कककक.... ये... कैसी बात कर रहे हो तुम? " माँ ने कहा

"अब ज्यादा भोली भी मत बनो, वैसे तो मुझे सच मे नहीं पता था आप अंदर हो, बताओ ना कभी देखा है ऐसा लंड?" अब्दुल ने एक झटका और दिया अपने लंड को..

माँ तो जैसे लंड के झटके से काँप रही थी.

"न्नन्न... नहीं... नहीं..." माँ ने घुटी घुटी आवाज़ ने कहा.

"आओ तो पकड़ मे देखो "

"कक्क... क्या... शर्म नहीं आती तुन्हे, ऐसी बात करते हुए " माँ ने डांटने के अंदाज़ मे कहा

"आप से कैसी शर्म भाभी जी, आपकिमे कारनामें तो मैं कार मे ही देख चूका हूँ, बच्चों के लंड से खेलने मे मजा नहीं आया होगा आपको " अब्दुल के एक एक शब्द मेरे कानो मे धस रहे थे.

वाकई हम लोग तो उसके सामने बच्चे ही थे, अब मुझे समझ आया उसकी मुस्कुराहट का मतलब.

माँ भी अब ढीली पड़ गई थी, उसकी चोरी पकड़ी गई थी,

"पकड़ के देखो ना भाभीजी, आप जैसी औरतों के लिए ही ये लंड है " अब्दुल चलता हुआ माँ के पास आ गया.

उसने माँ का हाथ पकड़ अपने लंड पर रख दिया, जिसे माँ ने तुरंत हटा दिया

"कक्क.... कोई आ जायेगा " माँ के माथे पर पसीना था, शायद चुत मे भी आ गया था.

"कोई नहीं आएगा मैंने अंदर ज़े गेट लगा दिया है

मेरा खून खोल रहा था, मुझे लगा शायद ये सब खत्म हो जायेगा लेकिन नहीं वो तो सिर्फ शुरुआत थी.

अब्दुल ने वापस से माँ का हाथ अपने लंड पर रख दिया.

इस बार माँ ने हाथ नहीं हटाया, जैसे किसी जादू मे बँधी हो.

"बबबब... बड़ा है " माँ ने बुदबुदया

"आपकी बड़ी गांड के लिए ऐसे ही लंड चाहिए होते है "

माँ के हाथ अब्दुल के लंड को टटोल रहे थे हैसे उसकी लम्बाई चौड़ाई नाप रहे हो.

"तुमने कब देखी " माँ ने अब्दुल की आँखों मे आंख डाल पूछा.

"वैसे तो अन्दज़ा लग ही जाता है, फिर भी जब आप मूतने बैठे थी, रोड साइड तब देखी थी "

" हट बदमाश मैंने मना किया था ना देखने से " माँ के हाथ अब्दुल के लंड पर कस गए, लंड को दबाने लगी.

"अब ऐसी खूबसूरत औरत को कोई ना देखे वो नामर्द ही हो सकता है "

माँ को अपनी तारीफ अच्छी लग रही थी

"किसी को मालूम पड़ा तो?"

" आपकी इज़्ज़त मेरे पास सुरक्षित है" अब्दुल ने भरोसा दिया

और अपने हाथ आगे बड़ा कर माँ के स्तनो पर रख दिए ब्लाउज के ऊपर से ही.

"ईईस्स्स..... आआहहहह..... क्या कर रहे हो उउउफ्फ्फ....".

माँ कसमसा गई उसके हाथ अब्दुल के लंड को हिलाने लगे.

माँ का जिस्म गरम होने लगा था, अब्दुल ने अपने गन्धे, तम्बाकू से सने हुए होंठ माँ के लाल सुन्दर कोमल होंठो पर टिका दिए, माँ ने भी जवाब मे अपने होंठ खोल दिए, अब्दुल के तम्बाकू से सने होंठ मेरी माँ के मुँह के लार को चाट रहे थे, चूस रहे थे..

मैं ताज्जुब मे था माँ हवास मे इस कदर गिर गई थी की, जिस जात धर्म से वो नफ़रत सी करती थी उसकी के लंड को पकड़ के हिला रही है, उसके होंठो को चूस रही है.

मुझे तो घिन्न सी आने लगी थी.

माँ का पल्लू तो कबका फर्श चाट रहा था, माँ के स्तन ब्लाउज के बाहर ज़े चमक रहे थे, मरे जा रहे थे बाहर आने को.

शायद अब्दुल ने मेरी सुन ली, उसके हाथो ने हरकत की और माँ के ब्लाउज के एक एक बटन खुलते चके गए.. धड़ाम से माँ के गोरे सुडोल 34 साइज के स्तन बाहर को टपक पड़े.

अब्दुल सर उठा कर उन्हें घूरने लगा, माँ के हाथ लगातार अब्दुल के लंड को हिला रहे थे,.

"क्या हुआ ऐसी चूची कभी देखी नहीं क्या " माँ ने अब्दुल के लंड को दबाते हुए कहा.

साली मेरी माँ किस किस्म की औरत थी, इतनी हवास भरी हुई थी की वो एक गैर मर्द को अपने स्तन दिखा रही थी.

"नहीं ना भाभी जी आज तक नहीं देखे ऐसे " अब्दुल ने कस के माँ के स्तनों को भींच दिया

20210809-150629 "आआहहहह.... अब्दुल जी धीरे... उफ्फ्फ.... माँ का रोम रोम कांप उठा .

माँ के हाथ और भी तेज़ी से अब्दुल के लंड पर चलने लगे, सुपडे से लेकर लंड की जड़ तक घिसने लगी.

माँ के चूडियो की आवाज़ पुरे बाथरूम मे गूंज रही थी,

"अब्दुल ने मुँह नीचे झुका माँ के एक स्तन को अपने गंदे मुँह मर भर लिया और दूसरे को कस कस के दबाने लगा.

"आअह्ह्ह.... मर गईं... Uffff.... माँ दोहरी मार से मरी जा रही थी, माँ के पैर कांप रहे थे..

"अब्दुल कस कस के भींच रहा था, माँ के स्तन को काट रहा था, माँ के निप्पलो को काट काट के चूस रहा था.

माँ भी अब्दुल के हमले का जवाब दे रही थी, उसके लंड को कस कस कर हिला रही थी. दबा रही थी, उसके टट्टो से खेल रही थी.

अब्दुल के हाथ माँ की कमर तक जाने लगे, माँ की नाभि को सहलाने लगा.

"आआहहहह.... उफ्फ्फ्फ़.... माँ तड़प रही थी.

अब्दुल माँ की चुत तक पहुंचना चाह रहा था, जो की माँ की साड़ी की वजह से संभव नहीं लग रहा था.

"अभी नहीं अब्दुल मियां, टाइम नहीं है " माँ ने अब्दुल की मनसा को समझते हुए कहा.

"फिर...." अब्दुल का चेहरा लटक गया.

जवाब मे माँ पंजो के बल बैठती चली गई, माँ के मुँह के सामने अब्दुल का काला भयानक लंड नाच रहा था.

माँ की हरकतों ने मेरे जिस्म को निचोड़ दिया था, लग रहा था अभी गिर ना जाऊ मैं, कहा से सीखा मेरी माँ ने ये सब.

मैं कितना नादान था, अनजान था अपनी माँ से.

माँ किसी रंडी की तरह अब्दुल के लंड को अपने मुह के सामने हिला रही थी, अब्दुल सांस रोके आने वाले पल का इंतज़ार कर रहा था, साले हरामी के हाथ खजाना लग गया था.

माँ ने नाक पास ले जा कर एक जोरदार सांस खींची.... सससन्नणीयफ्फ्फ्फफ्फ्फ़....... आआहहहह....

माँ के रोम रोम मे अब्दुल के लंड की गंदी स्मेल समा गई, माँ के रोंगटे खड़े हो गए . तभी माँ ने अपनी गीली 20231129-101148जबान निकाल अब्दुल के सुपडे पर रख दी.



"ईईस्स्स..... उफ्फ्फ्फ़.... अब्दुल का जिस्म दहल उठा, उसने अपनी गांड सिकोड ली.

माँ की गरम गीली जबान अब्दुल के लंड पर रेंगने लगी, माँ ने बड़ी ही नज़ाकत से अपनी कला का प्रदर्शन किया था. 20210929-142507

"वाह भाभीजी आप तो बहुत तेज़ है " अब्दुल ने भी माँ की सरहाना की.

माँ ने एक नजर अब्दुल को देखा और मुस्कुरा दिया.

गुलप.... गप.... से माँ ने एक दम से बड़ा मुँह खोला और अब्दुल के लंड को आधे से ज्यादा एक बार मे मुँह मे लिया.

मैं हैरान मरा जा रहा था अपनी माँ की अदाओ से, किसी रंडी को भी फ़ैल कर दे मेरी माँ तो.

माँ ने आंखे बंद कर ली और होंठो को पीछे खींच वापस आगे को धकेल दिया. 65573-domme-switch-wifey-adores-daddys-penis

माँ का पूरा मुँह भरा हुआ था, गु... गु... वेक.. वेक... करती माँ अब्दुल के लंड को चूसने लगी.

उसके हाथ अब्दुल के टट्टो को सहला रहे थे, c27d9ec894641ee05b3a57ea3f433feb मुह आगे पीछे हो रहा था.

अब्दुल तो जैसे जन्नत की सेर पे निकल गया था, माँ मुश्किल से अब्दुल का लंड ले पा रही थी, फिर भी पूरी कोशिश कर रही थू की पूरा मुँह ने समा जाये.

शायद ऐसा मौका वो छोड़ना नहीं चाहती थी.

अब्दुल ने भी माँ के सर पर हाथ रख उसे आगे को धकेलने लगा, और अंदर लेने के लिए उकसाने लगा.

हालंकि माँ को देख के लगता नहीं था उसे किसी फाॅर्स की जरुरत है वो तो खुद आगे और आगे अपने मुँह को अब्दुड के लंड पर घुस रही थी.

वेक... वेक... गो... गो.. गु... गु.... पच.. पच... फच... की आवाज़ ने साथ माँ के मुँह से थूक निकल के फर्श को भीगो रहा था

माँ सुबह का नाश्ता कर रही थी वो भी गैर धर्म के इंसान के लंड को चूस कर. 15930299

ये पल मेरे लिए मर जाने लायक था, मेरे सामने रह रह के पापा का चेहरा आ जा रहा था, उनकी पतली दुबली काया, खसना हुआ चेहरा.

सामने अब्दुल का लंड था, मैंने एक बार अब्दुल के लंड से पिताजी के लंड की तुलना करनी चाही तो समझ आ गया ना कितनी प्यासी है. 20240527-164530

पापा के मरे हुए लंड से माँ को क्या सुख मिला होगा.

विचारों से निकल मैंने सामने देखा अब्दुल माँ के सर को पकड़ जोर जोर से अपनी कमर हिला रहा था, मैं देख के दंग रह गया माँ के हिंठ अब्दुल के लंड की जड़ से चिपक जा रहे थे,

लंड बाहर आता हो बिल्कुल थूक से साना हुआ होता, और सट से वापस अंदर समा जाता, जैसे ही अंदर जाता माँ का गला थोड़ा फूल जाता,

मतलब माँ के गले तक अब्दुल का लंड जा रहा, उफ्फ्फ्फ़..... मेरी घरेलु संस्कारी माँ ऐसा कारनामा कैसे कर ले रही थी.

मेरे लंड मे दर्द होने लगा था, लंड को छू भी देता तो पानी छोड़ देता ऐसी हालात थी मेरी.

वेक... वेक... गो... उकाच.... करती माँ पूरी सिद्दत से अब्दुल के लंड को चूस रही थी, माँ का मुँह और अब्दुल के टट्टे पूरी तरह थूक और लार ज़े सने हुए थे, unnamed

माँ हवास से बिल्कुल पागल हो गई थी, अब्दुल के टट्टे जो की उसी के थूक से भीगे हुए थे, उन्हें चाट रही थी,

छी... वेकम... इतने गंदे बालो से भरे टट्टे माँ चाव से चाट रही थी, मुँह मे भर के चुभला रही थी.

ना जाने क्या शहद लगा हुआ था अब्दुल के टट्टो मे.

अब्दुल की गोटिया माँ के थूक से सनी चमक रही थी.

माँ की आँखों से पानी बह रहा था फिर भी माँ रुकने का नाम नहीं ले रही थी.

किसी पागल की तरह अब्दुल के लंड को सटा सट घुसाए जा रही थी. Veronica-Stone-sloppy-and-slimy-black-monster-dick-epic-deepthroat-gif

उउउउफ्फ्फ.... आअह्ह्ह..... भाभी जी.... आअह्ह्ह...... मर गया.

अब्दुल जैसे लंड का मालिक भी माँ के सामने पानी मांग रहा था . आअह्ह्ह... उउफ्फ्फ.... मैं गया

अब्दुल का शरीर कंपने लगा, रोंगटे खड़े होने लगे, गांड आपस मे कसती जा रही थी, जिस पर माँ के हाथ कसे हुए थे

"आआआह्हः... फच... फच... फाचक.... करता अब्दुल माँ के मुँह मे झड़ने लगा, उसके लंड ने वीर्य की बिछर कर दी थी.

अब्दुल ने माँ के सर को अपने लंड की जड़ मे दबा दिया था. deep-throat-gif-10

"उउउफ्फ्फ..... गुगुगु.... करती माँ अब्दुल की जांघो पर मरने लगी, अपने नाख़ून गाड़ा दिए.

फच... फच... फाचक.... की एक लहर के साथ अब्दुल माँ से अलग हुआ . हमफ़्फ़्फ़.... हमफ़्फ़्फ़.... उफ्फ्फ्फ़..... हाय... उफ्फ्फ....

अब्दुल दूर जा गिरा,. खो.... खो.... वेक... वेज..... हमफ़्फ़्फ़... हमफ़्फ़्फ़...

माँ के मुँह से ढेर सारा वीर्य निकल के फर्श पर गिरने लगा.

माँ हांफ रही थी अब्दुल भी.

दोनों की सांसे किसी राजधानी ट्रैन की तरह चल रही थी.

"हुम्म्मफ़्फ़्फ़... हमफ्फ्फ्फफ्फ्फ़.... ये... क्या.... क्या कर रहे थे तुम?

माँ के चेहरे पे थोड़ी नाराज़गी थी

"स... Sorry वो मैं रुक नहीं पाया " अब्दुल ने सफाई दी.

"मर जाती मैं अभी.... हमफ़्फ़्फ़... खो... खो... खाऊ...." 20210802-132820

माँ का चेहरा पूरी तरह थूक और अब्दुल के वीर्य से भरा हुआ था,

माँ के लाल होंठो से अब्दुल का वीर्य टपक रहा था.

"अरे आपको मरने थोड़ी ना देंगे अभी तो चुत बाकि है अभी से मर गई तो इस नाचीज़ का क्या होगा " अब्दुल ने पजामा बांध लिया

"हट बदमाश..... ये बहुत है जाओ अब " माँ भी ब्लाउज के बटन लगाने लगी.

"चुत नहीं मिलेगी क्या? अब्दुल ने सीधा सीधा पूछ लिया

"मुझे क्या पता, वो तो तुम्हे लेनी पड़ेगी " माँ ने हसते हुए कहा.

"कहा मिलेगी आपकी चुत "

"देखते है शायद आज रात इसी बाथरूम मे " माँ ने हसते हुए अपनी साड़ी सही की और बाथरूम का दरवाजा खोल बाहर निकल गई.

मैं और अब्दुल के हालात same थे, माँ ऑफर दे गई थी अब्दुल को आज रात का.

मुझे ये प्रोग्राम देखना ही था.

अब्दुल के जाने के बाद मैं भी जल्दी ज़े फ्रेश हुआ और बाहर चल दिया,

बाकि समय नाश्ते पानी मे चला गया, 11 बज गए थे.

मामा ने हमें मौसी को लेने भेज दिया था.

प्रवीण तो बाहर जा नहीं सकता था तो मैं और अब्दुल मौसी को लेने स्टेशन चले गए.

साला जब से अब्दुल मिला है मेरी तो माँ ही चुद गई है मतलब, क्या क्या देखने को मिल रहा है.

अभी जो अब्दुल मेरी माँ को लंड चूसा रहा था, वो मेरे बगल मे बैठा था हरामी, और मैं नामर्द उसका कुछ बिगाड़ भी नहीं सकता था

कहीं ना कहीं मुझे मजा भी आ रहा था, मेरी माँ की हरकते मुझे मजबूर कर रही थी की मैं माँ के बारे मे और जानू.

वैसे भी माँ ने आज रात चुत देने का वादा किया था.

मुझे आज रात के लिए कुछ प्लान बनाना था.

खेर 12 बज गए थे, ट्रैन टाइम पर ही थी.

ट्रैन रुकी सामने से मेरी मौसी "कामिनी " चली आ रही थी.

एक पल को मैं मौसी को देखता ही रह गया, खिला हुआ जिस्म, साड़ी ब्लाउज मे कसा हुआ जिस्म.

मौसी की उम्र कोई 41 साल थी, मेरी ही माँ की तरह सुन्दर लेकिन hight मे थोड़ी छोटी, लेकिन मौसी का जिस्म उनकी लम्बाई के हिसाब से बिल्कुल परफेक्ट था.

गांड बाहर को बहुत ज्यादा निकली हुई थी, स्तन तो ऐसे बड़े बड़े थे जैसे कोई तरबूज़ ही बांध लिए हो.

आँखों पर चश्मा, लाल होंठ कुछ उभरे हुए, माथे पर बिंदी, शर्त लगा के कह सकता हूँ, ट्रैन मे कई मर्दो नेलंड हिलाया होगा मौसी को देख कर.Picsart-25-02-10-16-40-40-981

अब्दुल साला तो लंड मसलाने लगा, हरामी मेरी माँ को चोदने का प्लान बना कर मेरी मौसी को देख के लंड मसल रहा है.

मैं खुदको भी नहीं रोक पा रहा था मौसी को देखने से, उनके स्तन वाकई बहुत बड़े थे, लगता था ब्लाउज फट ही जायेगा.





साला मेरे घर मे इतने माल है मुझे पता ही नहीं था, या फिर मेरा ही देखने का नजरिया बदल गया था.

साला हो क्या रहा था मेरे साथ, ये शादी क्या क्या रंग दिखायेगी मुझे..

खेर मौसी से औपचारिकता के बाद हम वापस घर को चल दिए,

Contd....
 
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