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Incest मेरी माँ, बहने और उनका परिवार

Who do you suggest Raj should fuck first?

  • Shweta

    Votes: 89 75.4%
  • Soniya

    Votes: 29 24.6%

  • Total voters
    118
  • Poll closed .

krish1152

Well-Known Member
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17,199
188
nice update
 

Iron Man

Try and fail. But never give up trying
43,987
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व्यस्तता से भरे दिन यूँ ही गुजर रहे थे कि एक दिन शाम को सरला दी के यहाँ से फ़ोन आया कि उनकी डिलीवरी कि डेट कभी भी आ सकती है। ये सुनकर माँ एकदम खुश हो गई। माँ ने फिर सुधा दी से बात की। हम सब बहुत खुश थे। मेरा भांजा या भांजी आने वाला था। एकदम ख़ुशी का माहौल बन गया था। मैं और माँ उनके कमरे में रजाई में घुसे बैठे थे।
माँ सबसे बात करने के बाद मुझसे बोली - कल मार्किट जाकर सरला , जमाई जी और बच्चे के लोए कपडे वगैरह ले लेंगे। मैं सरला के लिए कुछ बना भी लुंगी।
मैं - एक नन्हा मुंह घर आ जायेगा। घर में किलकारियां गूंजेंगी।
माँ - हाँ। शायद सरला होली पर गाँव भी चले।
मैं - इस हालत में ? इतनी जल्दी। अभी बच्चा छोटा होगा ।
माँ - अरे जमाई बाबू का मन है। उन्हें भी ससुराल की होली खेलनी है। जमाइयों में वही तो रहेंगे।
मैं - हम्म। लीला दी के हस्बैंड ?
माँ - वो तो नल्ला है। लीला तो बाउजी की है।
मैं - हम्म। फिर तो जीजा जी के मंजे होंगे।
माँ - हाँ।
मैं - पर उन्हे हमारे घर का सब पता है ?
माँ - तू भी पागल है। गोवा घूम आया साथ मे। कुछ तो बात होगी।
मैं - ओह्हो। मतलब सरला दी ने जीजा को सब बता दिया है ?
माँ - अरे उनके यहाँ के भी कुछ राज है। जब वहां के खुले तो यहाँ के भी।
अब चौकाने की बारी मेरी थी।
मैंने कहा - उनके यहाँ के क्या राज हैं ?
माँ - अब मैं कहानी नहीं सुनाऊँगी। तू सरला से या अपने जीजा से ही पूछ लेना।
मैं - चलो कोई बात नहीं।
ठंढ में हम दोनों एकदम सिकुड़ कर बैठे थे। मैं आने वाली खुशियों के बारे में सोच रहा था। तभी माँ ने कहा - कहाँ खो गया ?
मैं - कुछ नहीं। बस आने वाले बच्चे के बारे में सोच रहा था।
माँ - मुझे लगा , उसकी माँ के बारे में सोच रहा है। बच्चा होने के बाद और गदरा जाएगी। अपनी पहली प्रेग्नेंसी के बाद से बदन तो भर ही गया था अब तो और भी गदरा जाएगी।
मैं ये सुनकर माँ के और करीब आ गया और उनके मुम्मो में अपना चेहरा घुसाते हुए बोलै - तुमसे ज्यादा गदराया बदन किसी का नहीं है।
माँ ने मुझे अपने सीने के और नजदीक किया और मेरे बालों को सहलाती हुई बोलीं - जाने दे। मेरी झूठी तारीफ मत कर। अब तेरे लिए तो छूटों की लाइन लगी हुई है। मुझ बुढ़िया पर तेरा कहाँ ध्यान ?
मैंने माँ के होठों को किस किया और कहा - माँ , तुम कहो तो बस तुम्हारे अंचल में छुपा रहूं। तुम जानती हो की तुम्ही मेरा पहला प्यार हो।
माँ - हाँ , मैं तो युहीं तुझे छेड़ रही थी। बढ़िया है , अब सुधा गई है तो सरला दूध के साथ तैयार है। होली के बाद यहीं ले आएंगे।
मैं - माँ , वो तो जब आएगी तो आएगी। अभी तो तुम्ही दूध पिलाओ न।
माँ - ने मुझे अपने मुम्मो पर भींचते हुए कहा - मेरा दूध कहाँ आता है।
मैं - कहो तो तुम्हे भी प्रेग्नेंट कर दूँ।
माँ - धत्त , अब मेरी उम्र कहाँ।
मैं - माँ , अभी तुम माँ तो बन सकती हो न ?
माँ - हां रे , अभी मेनोपॉज नहीं आया है। तुम सबने मुझे इतना एक्टिव कर रखा है की देर से ही आएगा। मेरी माँ को भी काफी बाद में आया था।
मैं - फिर , तुम इतनी बार मुझसे चुदी हो माँ क्यों नहीं बनी ?
माँ - अरे पगले - अब सब तुझे थोड़े ही बताउंगी। दवाइयां ले लेती थी।
मैं अब तक माँ के ब्लॉउज को खोल चूका था। उनके मुम्मे मीजते हुआ बोला - फिर बंद कर दो दवा और बन जाओ मेरे बच्चे की माँ।
माँ - तू पागल है। काम से काम मुझे जब मन करे चोद लेता है वर्ण तेरे लिए छूटों का इंतजाम कहाँ से हो? श्वेता भी मान नहीं रही।
मैं - तुम कितना ख्याल रखती हो मेरा।
माँ - अब बहुत बातें हो गईं। चल तू भी मेरा ख्याल कर। जरा मेरी मुनिया की खुजली मिटा दे।
मैं रजाई के अंदर से ही माँ के पैरणो की तरफ बढ़ गया। माँ के पेटीकोट की डोरी पहले से ही खुली हुई थी। माँ ने पैरों से ही उसे निकाल दिया। मैं माँ के दोनों पैरों के बीच में आ गया और उनके चूत में अपनी मुँह को लगा दिया।
माँ - इस्सस , आराम से चाटियो। साली आजकल ज्यादा ही खुजली कर रही है।
मैं मजे से माँ की चूत की गहराइयों को अपने जीभ से नापने लगा। माँ भी मस्ती में आ चुकी थी।
मैंने ने अपने हाथों से उनकी जांघो और पेट को सहला रहा था। कुछ देर लेते रहने के बाद माँ खिसक कर बेड के सिरहाने के सहारे के सहारे बैठ गईं। मैं उनके चूत से लगा रहा। माँ ने अपने एक हाथ से अपने मुम्मे दबाने शुरू किये और एक हाथ को मेरे सर पर रख कर मेरे बालों को सहला रही थी।
माँ - उफ़ , तू मस्त चूत चाटता है रे। धन्य है वो औरतें जिन्हे तुझसे चूत चटवाने का मौका मिला है। इतना बढ़िया तो ना तेरे पापा चूसते थे ना तेरे नाना।
मैंने अपना सर उठाया और बोला - माँ तुम तो अपने जीजा और भाई से भी चुद चुकी हो। पर उनके बारे में कभी कुछ कभी नहीं बताया।
माँ - तू एक नंबर का रंडीबाज है। तुझे नंगी औरत के चूत से संतोष नहीं मिल रहा है जो कहानी सुनेगा ?
मैं - माँ , तुम इतना बढ़िया सुनाती हो की क्या ही कहूं। और चूत चाटने में मजा और दुगुना हो जाता है।
माँ - भोसड़ी के मानेगा नहीं।
मैं - माँ , अभी तो तुम्हारी चूत का भोसड़ा कहाँ हुआ है। पापा तो ऐन वक़्त पर चले गए। और मेरे अलावा किसी और ने चोदा नहीं। तुझसे चौड़ी बुर और गांड तो मौसी की है।
माँ - छोटी तो साली एक नंबर की छिनाल है। अभी तूने अपनी बड़ी मौसी की चूत तो देखि नहीं है। उसका जरूर भोसड़ा बन गया होगा। साली अपने खसम के अलावा हमारे बाप से भी चुदती है और भाई से भी।
मैंने हाथ बढ़ा के माँ के मुम्मे दबाते हुए कहा - लीला दी की भी चूत भोसड़ा हो गया होगा। साली नाना का लौड़ा अंदर लेकर घूमती है।
माँ - हाँ , दोनों माँ बेटी एक नंबर की रंडी है। लौड़े के लिए तो बाजार में भी खड़ी हो जाएँ। होलीn में तू उनकी जरूर फाड़ना। तेरे लिए उनका भोसड़ा भी चूत जैसा ही होगा।
मैं - उन्हें तो तरसाऊंगा मैं। इतनी आसानी से मेरा लौड़ा नहीं मिलेगा।
माँ- उफ़ , तू मेरी चूत चाट , हाँ जरा मेरे लौड़े को भी प्यारकर।
मैं वापस से अपने काम में लग गया। मेरी उंगलिया भी अपने हारकर पर आ गईं थी। मैंने एक हाथ की दो उँगलियों में माँ के तने हुए भग्नाशाय को दबाया और उन्हें रगड़ते हुए जीभ चलाने लगा।
माँ - इस्सस। हाँ ऐसे ही। तेरे पापा की उँगलियों में भी बहुत कला थी। तुझे पता है वो अपनी उँगलियों से ही किसी भी औरत को मस्त कर देने में सक्षम थे। तेरी नानी और मौसिया तो उनके लौड़े से ज्यादा उँगलियों की दीवानी थी।
तेरे बड़े मौसा तो कहते थे की उँगलियों का इन्शुरन्स अलग से करवा लो। उफ्फ्फ , हाँ ऐसे ही।
मैंने माँ के कमर के निचे एक तकिया लगा दिया और अब बड़े इत्मिनान से उनकी चूत चुसाई करने लगा।
माँ - आह्हः , तेरा मामा तो बहुत शर्मीला है। सच कहूं तो उसने मुझे ज्यादा प्यार नहीं किया। उसे आता भी नहीं है। वो लोगों को दिल से प्यार करता है। वो तेरी बड़ी मौसी और लीला जबरजस्ती चुद जाती हैं। वार्ना मामी का ही दीवाना है।
मैं - और मौसा ?
माँ - तेरे बड़े मौसा ठीक ठाक चोद लेते हैं। उन्हें कुंवारी लौंडियों का ज्यादा शौक है। चूत जैसे ही भोसड़ा बनती है , छोड़ देते हैं। वो तो तेरा भाई विकास, नाना और मामा हैं की मौसी खुश है वार्ना बेचारी की जिंदगी तबाह ही होती।
मैंने अपनी एक ऊँगली माँ के गांड में डाल दिया। अब माँ की चूत में मेरी जीभ और गांड में ऊँगली थी। माँ अपने आप से कमर को तेजी से हिला रही थी। उन्हें मेरे लैंड से ज्यादा आज मेरे बाकी अंगों से मजा लेना था। माँ एकदम मस्ती में आ चुकी थी।
माँ - इस्सस। आह। हाँ , और तेज अब जरा ऊँगली डाल मेरी चूत में और चूस मेरे लौड़े को। खा जा उसे। आह आह

मैंने माँ के आदेश का पालन किया और उनके स्वादिष्ट भग्नाशाय को चूसने लगा। माँ का शरीर काँप रहा था। उन्होंने अपने कमर को मेरे मुँह पर धकेलना शुरु कर दिया था। उनके दोनों पेअर मेरे कन्धों से होते हुए मेरे पीठ पर थे। उनके हाथ मेरे सर पर। माँ अपने चरमोत्कर्ष पर थी।

कुछ ही पल में मेरे मुँह पर उनकी चूत ने अपना स्वादिष्ट रस छोड़ना शुरू कर दिया। माँ का पूरा शरीर कंपन कर रहा था। उनकी आँखे बंद थी , चेहरा तना हुआ ऊपर की ओर। अच्छे से अपना जूस निकलने के बाद माँ ने मुझे अपने बंधन से मुक्त किया और मुझे ऊपर खींचते हुए बोली - लाल , मजा दिला दिया तूने। वो मेरे चेहरे को चूमने लगीं और चूमते चाटते ही अपने कामरस को खुद ही चाटने लगीं। मैं उनके मुम्मे दबा रहा था। माँ ने मेरे चेहरे को अच्छे से साफ़ किया और बोली - चल जरा अब मुझे कुल्फी खिला।
माँ सिरहाने के सहारे बैठी थी। मैं वहीँ उनके सामे दिवार के सहारे खड़ा हो गया। माँ ने मेरे लंड को मुँह में भर लिया और सदाप सदाप करके चूसने लगीं।
माँ - सडप, सडप। इसस।

मैंने धक्के लगाने चाहे तो माँ ने मना कर दिया। मैं उन्हें दुखी नहीं करना चाहता था। माँ का हाथ मेरे पिछवाड़े पर था। माँ कभी खुद अपने चेहरे को आगे पीछे करती तो कभी मेरे गांड से कण्ट्रोल करते हुए मुझसे चुदवाती। पर ये भी कितनी देर चलता। आखिर में माँ ने मुझे परमिशन दे दी। बोली - चल खुद से मेरी मुख पिलाई कर । पर हिसाब से। तेरा लौड़ा लम्बा है।

मैंने माँ के मुँह को चोदना शुरू कर दिया। माँ को हर कला आती थी। सेक्स को हर रूप में एन्जॉय करना जानती थी। कुछ देर बाद मुख चोदन के बाद माँ लेट गईं और उन्होंने मेरे लौड़े को अपने स्तनों के बीच में ले लिया और कहा - चल अब मेरे मुम्मे चोद। इन्हे भी तो पता चले की चुसवा चुसवा कर क्या बनाया है। तेरे मामा को मेरे साथ ये करना बहुत पसंद था। आजकल अपनी बीवी के मुम्मे चोद रहा होगा ।

अब मेरे लंड ने जवाब देना शुरू कर दिया। आखिर कितना बर्दास्त करता उसे भी तो अपनी ख़ुशी जाहिर करनी थी।

मैने मा से कहा - मेरा होने वाला है।
माँ - आजा मुँह में डाल।
मैंने अपना लंड उनके मुँह में डाल दिया। उनके मुम्मे मेरे गांड से टकरा रहे थे। मुझे अजीब सा लग रहा था। मेरे लंड कुछ ही पल में फुहारे मारने लगा। माँ ने मेरा लंड का माल पूरा घोंट लिया। एक भी बूँद बर्बाद नहीं होने दिया। मैं भी उनके ऊपर निढाल होकर लेट गया। पर मेरे मन में छोटे मौसा और कुँवारी चूत वाली बात गूँज रही थी।
मैं सोच में था। पर माँ ने मेरे मन की बात पढ़ ली। उन्होंने कहा - तेरी बहन सुरभि करती है अपने बाप के लिए जुगाड़। तभी तो कहा वो घर रंडियों का घर है।
मैं - साली सुरभि तो लीला दी से भी दो कदम आगे है।
माँ - हाँ , खुद तो केवल विकास और बाप से चुदती है। नाना को भी कभी कभार देती है। सहेलियों को अपने बाप के बारे में इतना चढ़ा रखा है की कुछ सहेलिया और उनकी रिश्तेदार तक फंस जाती हैं ।
मैं - मौसी को बुरा नहीं लगता ?
माँ - नहीं। हम बहाने ज्यादा डिमांड नहीं करती हैं। चल उठ मूत के आते हैं। चखे भी आई होगी ?
मैं समझ गया माँ क्या चाहती हैं। मूत तो मुझे भी आई थी।
मैंने कहा - कहाँ बाथरूम में बर्बाद करोगी , बियर के साथ लेते हैं।
माँ - रम निकाल , ठण्ड में वही मजा देगा। जल्दी लेकर आ।
मैं नंगा ही भाग कर गया और रम की बोतल और दो ग्लास लेकर कमरे में पहुँच गया। आज माँ अलग ही रूप में थीं। उन्होंने कमरे में रखी चेयर को खींच कर बेड के पास कर लिया था और उस पर बैठ गई थी। उनके पेअर बेड पर थे। कमरे में हीटर चल रहा था और माँ के हाथ में एक सिगरेट भी थी।
मैंने देखा तो कहा - ये क्या ?
माँ - आज मूड है। तेरे पापा के साथ कभी कभी लेती थी। चल आजा।
मैं वही पास में एक मोढ़ा था उसी को खींच कर बैठ गया। मैंने एक ग्लास में थोड़ा रम डाला और माँ की तरफ बढ़ाया। माँ ने कहा - टॉनिक मिला।
मैं - तुम अपना मिलाओ।
माँ - वो तेर लिए। तू मेरे में डाल।
मैंने एक और ग्लास में रम डाला और माँ की तरफ बढ़ा दिया। मेरे हाथ के ग्लास को मैंने अपने लंड के पास किया और बड़ी मुश्किल से
कण्ट्रोल करते हुए उसमे थोड़ी सी धार डाली। मुझे दिक्कत हो रही थी रोकने में। पर माँ तो गजब थी। उतनी ही धार निकली जितनी जरूरत थी। लगता है पिता जी के साथ अच्छा अभ्यास था। पर मेर बात गलत निकली।

माँ ने मुझे आश्चर्य करते देखा तो ग्लास बढ़ाते हुए बोली - तेरी नानी और सुधा के चक्कर में सब कण्ट्रोल हो गया है। तेरी नानी को सीधे रम के साथ धार लेती थी। चांटे लगाती थी अगर एक भी बूँद बाहर गिरती थी या धार रूकती नहीं थी। मैंने उनके हाथ से ग्लास लिया और उन्होंने मेरे हाथ स। हम दोनों सिगरेट के साथ रम की चुस्कियां लेते रहे। अजीब सी ख़ामोशी थी। माँ मुझे अपने हर रूप को दिखा रही थी। और मुझे पता था अभी तो मेरे लंड को और युद्ध लड़ने हैं।

कॉकटेल ख़त्म होने के बाद माँ बोली - गांड मारेगा या चूत में घुसेगा।
मैं - पहले गांड।
माँ - मुझे पता था।
माँ ने पहले से ही वहां वैसलीन की सीसी रख रखी थी। माँ ने मुझे वैसलीन थमाया और दुसरा सिगरेट जला का रमुह में दबाती वहीँ बिस्तर पर झुक गईं और बोली - चल मादरचोद , मार मेरी गांड।
मैं माँ के चौड़े गांड के पीछे खड़ा होकर अपने लौड़े पर वैसलीन लगाने लगा और माँ वहीँ झुके झुके सिगरेट के कश लगा रही थी
माँ नशे में थी। नशा तो मुझे भी था। मैंने उनके गांड में लंड घुसाते हुए कहा - एक कश मुझे भी दे चुदास माँ।
माँ ने सिगरेट देते हुए कहा - ले चोदू और चोद।
मैं सिगरेट पीता हुआ मजे में उनकी गांड मार रहा था। सिगरेट कभी मेरे हाथ में होती तो कभी माँ के।
हम दोनों मस्ती में थे ।
मैं - तू बहुत चुदास है मेरी माँ। तेरी गांड और चूत दोनों चोदने के लायक है।
माँ - और तू है मेरा एक नंबर का चोदू मादरचोद। साले मेरी गांड के पीछे तो कई पड़े थे। पर किसी को नहीं मिली । चल अब तेज दौड़ लगा
मैं धक्के लगाते हुए - चल मेरी घोड़ी टीक टिक टिक
माँ - चोद मेरे राजा फच फच फच।
मैं - हिले तेरे मुम्मे पहाड़ों की तरह।
माँ - तो दबा ले उनको स्पंज की तरह।
मैं - दूध कब देगी बता तो जरा।
माँ - दूध वाली दी है न उसी की पे राजा।
हम दोनों को कोई जल्दी नहीं थी। मैंने माँ के गांड में लंड डाले डाले एक और नीट बनाया और माँ को दिया। माँ ने पीते हुए कहा - बहनचोद तेरे लौड़े में जो नशा है इसमें कहा ?
मैं - बहनो की चूत में है न।
माँ - सो तो है , आज बस एक सामने चूत होती तो मजा आ जाता।
मैं - साली तू बड़ी कामिनी है। जितने लौड़े नहीं लिए उससे ज्यादा चूत लिए हैं तूने। बता किसकी चूत सबसे स्वादिष्ट लगी।
माँ - तेरी चाची की। मादरचोद शादी के बाद से ही चूत चाटने और चटवाने में लगी थी। तेरे बाप से चुडते समय मेरी चूत चाटती थी।
चची की याद आते ही मेरे लौड़े ने एक अंगड़ाई ली जइसेमेरी माँ ने महसूस कर लिया।
माँ - चची की याद आते ही बहनचोद लौड़े में जान आ गई। चोद अब तेजी से मुझे।
मैं - अब तो तेरी चूत में घुसने का मन है।
माँ - ठीक है आजा।
मैंने माँ के चूत से लंड निकाल दिया और उनको बिस्तर पर सीधा पटक दिया। उनकी टांगो को अपने कन्धों पर रख कर मैं उनको तेजी से चोदने लगा।
माँ - चोद भोसड़ी के तेजी से चोद। बना दे मेरी चूत का भोसड़ा। तेरी चाची की चूत को भी भोसड़ा बनाना है अभी।
मैं - मादरचोद, बहन की लौड़ी। पुरे खानदान की औरतों की चूत का भोसड़ा बनाऊंगा।
माँ - हाहाहाहाहा , आह पहले मुझे चोद। दिखा अपना जोर।
माँ मुझे ललकार रही थी। हम दोनों पुरे नशे में थे। अनाप सनाप बके जा रहे थे। मैंने अपना लंड निकाल कर माँ को बिस्तर पर ही कुटिया बना दिया और फिर पीछे से उनकी चूत मारने लगा। हम दोनों पुरे मस्ती में थे। माँ की चूत तो कई बार बह चुकी थी और मेरे लौड़े में भी ज्वार भाता आना था। मैंने माँ के बाल पकड़ लिए और एकदम घोड़ी बना कर चोदने लगा।
माँ- आह चोद ऐसे ही। साली चूत बहुत परेशान कर रही है । उफ़ , तुझे इसे देख लें तो साली औरतें लाइन लगा कर खड़ी हो जाएँगी। होली में तेरे लौड़े का प्रसाद सबको चखाउंगी। साली रंडियों को रंगीन बना कर छुडवाउंगी। गाँव की मस्त माल भी मिलेंगी। मेरी सहेली की कुँवारी बेटी है। उसे भी छुडवाउंगी। दौड़ा दौड़ा के चोदना सबको। अपने नाना को दिखा देना की लौड़ा ऐसा होता है। आह आह। चल चोद जोर नहीं है क्या ?
मैं - बहुत जोर है। सबको चोद डालूंगा। चिंता मत करो। तुम्हे वहीँ महारानी बनाऊंगा। सब साली रंडिया तेरी चूत चाटेंगी और पीछे से मैं उनकी गांड मरूंगा। नाना को भी कुत्ता बना दूंगा। साला पैरों पर गिर कर तेरी चूत चाटेगा।
माँ ने कहा - भोसड़ी के मेरे बाप को कुछ मत बोल। तुझे राजा बना रही हूँ तो गद्दी उसी की दिला रही हूँ। लीला ने बेइज्जत किया है उनकी क्यों मरेगा ?
मैं - मेरी बहनो के साथ भी तो अत्याचार किया है। मेरी सुधा दी को नाले से बाँध दिया।
माँ - शुकर मना। नल्ला है तेरा जीजा तभी चोद पाया बहन को वार्ना सरला ने कितने मजे दिए तुझे ? और सुधा ने अपने साथ साथ अपनी सास और ननद की कुंवारी चूत भी दिला दी। साले नाना के लौड़े की पूजा कर।
मैं - तेरा बाआप होगा पर उसके लौड़े को तो मेरी जुटी भी न पूछेगी। उसे मेरे लौड़े की पूजा करनी होगी।
माँ - पहले मुझे चोद। देखेंगे कौन किसके लौड़े की पूजा करता है।
मैं - चोद तो रहा हूँ रंडी। आह

अब मेरा लंड किसी भी क्षण अपने फुहारे को माँ की चूत में भर सकता था। वही हुआ। मैं अपना अगला हिस्सा माँ के गांड से सटा लिया और झटके के साथ उनके चूत को भरने लगा। माँ वहीँ पेट के बल लेट गईं और मैं उनके ऊपर।

उस रात हमने एक बार अपन माल के साथ रम पी और एक बार और वहशियाने अंदाज में चुदाई की। माँ मुझे होली के लिए तैयार कर रही थी। वहां दारू और भांग के साथ कई तरह के रास मिलने थे। माँ को अपने बाप से प्यार तो था पर मैं उनके आँखों का तारा था और वो मेरी दिल की रानी। अगर वो मुझे घर और गाँव का राजा बनाना छह रही थी तो मैं उन्हें वहां की महारानी।
Shaandar Mast Lajwab Hot Kamuk Update 🔥🔥🔥
 
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Enjoywuth

Well-Known Member
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Dono ke alag alag sapne aur dono hi unko pura karne mai. Lage Hain..dekte Hain kiske pure hote hai hai

Kahin maa bhi gaon main jakar sak ke samne na khol de abhi toh sirf bete se karwati hai
 
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Vishalji1

भोसड़ा का दीवाना मूत पसीने का चटोरा💦🤤🍑
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Super amazing update
 

Arunpandal

New Member
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Story is going on super erotic way 👌.
Male candidate kuch jayada hee ho gaye .
Ho sake to kuch ek do ko dheere dheere km role me lekr aa skte ho .
Jyada male character hone se story " Katha chodampur ki " trah na bn jaye (esa nhi h ki mai us story ki kami nikal raha hu , vo bhi story gazab ki h )
jabki aapki story unique h , iski iss speciality ko banaye rakhiye.

Bua ka character bhi add karvao yaar .
( Widow bua ,uski kamsin si beti , married son & bahu ) baki to aapko kuch suggest krne ker jarurat hee nhi , aap khud se hee readers ka test samjh lete ho

One more suggestion/request
Plz try to give an update after 3-4 day (if possible )
 
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