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Incest मेरी बीवियां, परिवार..…और बहुत लोग…

Should I include a thriller part in the story or continue with Romance only?

  • 1) Have a thriller part

    Votes: 35 40.2%
  • 2) Continue with Romance Only.

    Votes: 56 64.4%

  • Total voters
    87
25th Update (तीसरी शादी और सुहागरात ) (Mega Update)

वसु: चुप कर.. तेरी भी जल्दी ही मजे होने वाले है. जब दिनेश और ऋतू वापस आ जाएंगे तो तेरी भी शादी जल्दी ही होगी उससे. फिर तू भी मजे करना. निशा भी शर्मा जाती है और प्यार से उसकी माँ वसु के गले लग जाती है. शाम के वक़्त दीपू भी जल्दी घर आ जाता है और फिर सब रात की तैयारी करते है जब वो लकड़ियां वगैरा सब इक्कट्ठा करते है जलाने के लिए...

अब आगे..

दोपहर को नहा कर और खाना खा कर सब सो जाते है क्यूंकि सब लोग थके हुए थे होली खेल कर. शाम को निशा भी आ जाती है. शाम को फिर सब उठते है और फिर चाय पीते हुए बातें करते है. वसु कहती है सब लोग तैयार हो जाओ. ६. ३० बजे दीपू और कविता की शादी हो जायेगी.

क्यूंकि ये बात सिर्फ घर के लोगों को ही पता था तो वसु कहती है की घर में ही भगवान् को साक्षी मान कर उनकी शादी हो जायेगी. अगर आगे कोई अच्छा मौका मिलेगा तो उनके बारे में सब को बताएँगे और तब अवसर मिलेगा तो फिर से दोनों की धूम धाम से शादी होगी सब की मौजूदगी में. सब लोग इस बात को मान जाते है और फिर दिव्या और मीना कविता को लेकर उसे तैयार कराने जाते है. कविता इस बात से बहुत शर्मा रही थी लेकिन दिल में वो भी बहुत खुश थी की उसने जिसको पसंद किया है उसी से शादी हो रही है. वहीँ वसु भी दीपू को अलग कमरे में ले जाती है और उसे भी तैयार होने को कहती है.

दीपू तो जल्दी तैयार हो जाता है क्यूंकि वो तो सिर्फ कुरता और पयजामा पेहेन लेता है लेकिन कविता को तैयार होने में काफी वक़्त लगता है.

आखिरकार वो भी तैयार हो जाती है और मीना और दिव्या जब उसे तैयार कर के लाते है तो बाकी तीनो उसको देख कर आहें भरते है... यहाँ तक की कविता को देख कर वसु के चूत में भी हलचल हो जाती है और ना चाहते हुए भी दीपू का लंड तन जाता है क्यूंकि कविता उतनी सुन्दर और सेक्सी लग रही थी. चेहरा एकदम खिला हुआ एकदम कैसा हुआ ब्लाउज जिसमें से उसकी आदि चूचियां जैसे बाहर आने को तड़प रही हो उसकी गहरी और गोल नाभि जो साफ़ दिख रहा था क्यूंकि उसने साडी नाभि के २ इंच नीचे बाँधा हुआ था.

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उसको देख कर वसु भी एकदम खुश हो जाती है और फिर प्यार से उसकी नज़र उतारती है और धीरे से कान में कहती है.

वसु: आज तो तुम एकदम केहर ढा रही हो. तुम्हारे साथ अभी ही सुहागरात मनाने का मन कर रहा है. कविता ये बात सुनकर एकदम शर्मा जाती है लेकिन कुछ नहीं कहती. बाकी सब ही उसको देख कर बहुत खुश हो जाते है और कहते है की वो बहुत खूबसूरत लग रही है.

इतने में दीपू भी सज धज कर आ जाता है और वो भी बहुत हैंडसम लग रहा था. उसको देख कर दिव्या का भी वही हाल होता है जो कुछ देर पहले वसु का हुआ था कविता को देख कर. फिर सब घर में बने मंदिर के पास जाते है और फिर दोनों दीपू और कविता एक दुसरे को देखते है और एक दुसरे का हाथ पकड़ते है.

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फिर वसु सिन्दूर की डब्बी लाती है. दीपू उसमें से सिन्दूर लेकर कविता की मांग भर देता है

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फिर दोनों एक दुसरे को हार पहना कर भगवान् का आशीर्वाद लेते है. उसके बाद दोनों वसु के पैर छु कर उसका आशीर्वाद लेते है क्यूंकि वो लोग वसु को एक माँ के रूप में आशीर्वाद लेना चाहते थे. वसु दोनों को आशीर्वाद देती है और फिर कविता को गले लग कर धीरे से उसके कान में कहती है... जल्दी से तू मुझे दादी बना दे.. कविता शर्मा जाती है लेकिन उसी अंदाज़ में वसु को कहती है की वो भी उसे सौतेली माँ बना दे. वसु भी ये बात सुनकर शर्मा जाती है. दोनों फिर दिव्या से भी आशीर्वाद लेते है.

शादी की रसम होने के बाद सब फिर हॉल में बैठ जाते है. कविता अभी भी थोड़ा शर्मा रही थी. मीना दीपू को देख कर कहती है की वो उसे क्या बुलाये.. भांजा या फिर पिताजी और हस देती है. इस पर सब वहां लोग भी हस देते है. फिर बात आती है सुहागरात की तो वसु कहती है की आज सब थोड़ा आराम कर ले क्यूंकि सुबह से सब होली खेल कर बहुत थके हुए है. इस बात पे निशा भी हाँ कहती है और कहती है की वो भी बहुत थक गयी है और वो सोने चली जाती है. वसु उसे खाने के बारे में पूछती है.

निशा: नहीं माँ... आज भूक नहीं है. दोस्त के घर से मैं खा कर आयी हूँ. पेट भरा है और भी खाने का मूड भी नहीं है और ऐसा कहते हुए वो भी अपनी गांड मटकाते हुए अपने कमरे में चली जाती है.

वसु: दीपू आज कविता मेरे साथ ही सोयेगी. तू आज अलग से सोना. वसु की बात सुनकर दीपू का चेहरे थोड़ा मुरझा जाता है तो वसु हस्ते हुए कहती है.. कविता मेरे साथ सोयेगी लेकिन तेरी दूसरी बीवी है ना... वो तेरे साथ सोयेगी. मुझे पता है तू एक भी दिन भूका नहीं सो सकता.

कविता को ये बात समझ नहीं आती तो कहती है.. दीपू भूका क्यों सोयेगा.. आज वो खाना नहीं खायेगा क्या? इस बात पे वसु और दिव्या दोनों हस देते है. वसु कविता को बगल में बुला कर उसके कान में कहती है... पगली भूक का मतलब है चूत की भूक. हर दिन बिना हम दोनों को ठोके सोता नहीं है.

आज तू मेरे साथ सो रही है तो आज वो दिव्या की बजायेगा और फिर कल तुम्हारी. समझी? कविता ये बात सुनकर एकदम शर्मा जाती है और कहती है की तुम इतनी बेशरम कैसे हो गयी?

वसु: तू चिंता मत कर.. कल से तू भी मेरी तरह बेशरम हो जायेगी.

दीपू अपने कमरे में जाने लगता है तो वो मीना को बुलाता है. जब वो दोनों उन सब से अलग हो जाते है तो मीना पूछती है की क्या बात है? उसने उसे क्यों बुलाया है?

दीपू: मीना को दीवाल से सत्ता कर कहता है क्या कहा तुमने की तुम मुझे भांजे या पिताजी बुलाऊँ? तू मुझे अपने होने वाले बच्चे का बाप बुलाया कर और उसे आँख मारते हुए उसकी चूची दबा देता है. मीना शर्म के मारे एकदम लाल हो जाती है और वहां से भाग जाती है. उसका लाल चेहरा देख कर दिव्या उससे पूछती है तो वो कोई बहाना बना कर वहां से कमरे में चली जाती है.

दीपू अपने कमरे में जाता है और फिर कविता और वसु को बुलाता है. जब वो दोनों वहां जाते है तो दीपू कहता है: मैं एक बात कहना चाहता हूँ.

वसु: क्या हुआ? बोल

दीपू: अब मेरी तीसरी शादी भी हो गयी है तो मैं बस इतना ही कहना चाहता हूँ की हम सब प्यार से रहे और कविता को अपना समझ कर प्यार दे और किसीको कोई जलन या ऐसे मन में कोई बात ना आये.

वसु दीपू की ये बात सुनकर कहती है: तू चिंता मत कर. अब ये भी हमारी सौतन बन गयी है और हम इसे खूब प्यार देंगे और दीपू के सामने ही वसु कविता को अपनी बाहों में लेकर उसके होंठ चूमती है.

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ये तो एक झलक है. कल तुम्हारी सुहागरात होने दो.. फिर देखना हम दोनों इसे कितना प्यार देते है और फिर दोनों को आँख मार देती है. कविता एकदम शर्मा जाती है तो वसु कहती है.. क्यों मैंने कोई गलत बात कहा है क्या?

कविता: नहीं तुम एकदम ठीक कह रही हो. बस ये थोड़ी नयी जगह है और मैं तुम लोगों के साथ कभी नहीं रही हूँ तो.. ऐसा कहते हुए अपनी बात आधी छोड़ देती है.

वसु: मैं समझ सकती हूँ लेकिन चिंता मत कर. तू हम सब लोगों में जल्दी ही मिल जायेगी और तू बहुत खुश रहेगी. इतना मैं कह सकती हूँ.

वसु की बात सुनकर कविता की आँखों में आँसू आ जाते है और वसु को गले लगा लेती है. दीपू भी इन सब बातों से एकदम सहमत हो जाता है और फिर दोनों को गले लगा लेता है.

वसु: चलो मैं जल्दी ही खाना बनाती हूँ. जल्दी खा कर सो जाते है. आज हम बहुत थके हुए भी है. वसु जब किचन में जाने को होती है तो दीपू उसे पकड़ लेता है और कहता है की वो खाना यहाँ कमरे में भेज दे. आज पहला दिन है तो वो और कविता एक साथ खा लेंगे. वसु को भी ये बात सही लगती है और फिर किचन में चली जाती है खाना बनाने.

खाना बनाने के बाद वसु मीना से कहती है की खाना दीपू को उसके कमरे में दे आये. मीना कमरे में जाती है खाना उन्हें देकर कहती है मजे करो.

मीना खाना देती है और वहां से चली जाती है और उसके पीछे दीपू कमरे का दरवाज़ा बंद कर देता है.

वो बिस्तर पे आकर बैठ जाता है और फिर खाने का पहला निवाला कविता को खिलता है. कविता बड़े प्यार से दीपू की आँखों में देख कर खुश होते हुए खा लेती है और फिर कविता भी ऐसे ही करती है और दीपू को पहला निवाला खिलाती है. दूसरी बार जब कविता फिर से उसे खिलाने लगती है तो

दीपू कहता है: नहीं ऐसे नहीं खाना है.

कविता: फिर कैसे? खुद का लोगे?

दीपू: नहीं तुम ही खिलाओगी लेकिन ऐसे नहीं.

कविता: तो फिर कैसे?

दीपू: ऐसे और वो एक निवाला अपने मुँह में लेता है और अपने मुँह से कविता को खिलता है. कविता एकदम शर्मा जाती है लेकिन प्यार से खाती है. लेकिन दीपू अपना मुँह हटाता नहीं क्यूंकि खाने के साथ वो अपने होंठ कविता के होंठों से जुड़ा देता है और खाने के साथ दोनों एक गहरे चुम्बन में जुड़ जाते है. कविता ये सोची नहीं थी लेकिन वो भी दीपू का साथ देती है देखते ही देखते दोनों एक दुसरे की जुबां को चूसने लगते है.

2-3 min के गहरे किस के बाद दीपू कविता को भी ऐसे ही खिलाने को कहता है तो कविता भी दीपू को ऐसे ही 1-2 निवाला खिलाती है. कविता थोड़ा शर्मा के.. अब और नहीं.. तुम अपने हाथ से खा लो.

दीपू: क्यों?

कविता: हम दोनों ऐसे ही खाना खाये तो मैं बहुत बहक जाऊँगी. वैसे भी अभी भी मैं बहुत उत्तेजित हो रही हूँ. जैसे वसु ने कहा है कल तक रुक जाओ ना. फिर मैं तुम्हे कभी मना नहीं करूंगी. मैं भी कल के लिए ही इंतज़ार कर रही हूँ. दीपू फिर से उसको चूमता है और बात मान जाता है और फिर दोनों बड़े प्यार से एक दुसरे को खाना खिला लेते है.

इतने में बाकी सब लोग भी खा लेते है और जैसे वसु ने कहा था वो और कविता बगल के कमरे में सोने चले जाते है. मीना और निशा भी दोनों एक साथ दुसरे कमरे में सोने चले जाते है.

दीपू और दिव्या एक साथ सोते है और दोनों कुछ ही समय में नंगे हो जाते है और दीपू दिव्या के ऊपर चढ़ कर मस्त चुदाई करता है दिव्या की. आज दीपू बहुत जोश में था जिसे दिव्या भी महसूस करती है.

अब दिव्या ज़ोर ज़ोर से आवाज़ें निकालती है. आअहह!!! ऊऊहह!!! आह!! ओह!! हाआइइइइ! हां...ऊहह मां!!! साथ में दिव्या की चूड़ियाँ और पायलों की आवाज़ें बगल में वसु और कविता को भी सुनाई देती है.

वसु के कमरे में:

वसु कविता की और देख कर मस्ती में कहती है: कल तू इससे भी ज़्यादा आवाज़ करेगी. कविता भी अब धीरे धीरे वसु के सामने खुलती है और कहती है की वो उस पल का इंतज़ार कर रही है.

वसु: ये हुई ना बात.. ऐसे ही खुल कर रहा कर.. तुम ज़िन्दगी के बहुत मजे लोगी. लेकिन एक बात.

कविता: क्या?

वसु: बात ये है की ऐसे खुल कर सिर्फ कमरे में ही रहना जब हम चारों साथ में हो तो. बाहर सब के सामने एकदम नार्मल रहना. यही बात हम तीनो ने पहले ही सोच रखा है. अब तुम आ गयी हो तो ये बात तुम पर भी लागू होगी. ठीक है?

कविता: सही कहा. मैं भी ऐसा ही करूंगी. इतने में बाजू कमरे से और आवाज़ें आती है तो कविता कहती है: इतनी देर से आवाज़ आ रही है. कोई इतनी देर कैसे रह सकता है.

वसु: तुझे तो ये कल पता चल ही जाएगा. और मुझे पता है.. परसों सुबह तू एकदम लँगड़ाके चलने वाली है और उसे आँख मार देती है.

कविता: चुप कुछ भी बक्ति है.

वसु:अरे मैं बक नहीं रही हूँ. जब मेरी और दिव्या की सुहागरात हुई थी तो दुसरे दिन हमारा ऐसा ही हाल था. कविता ये बात सुनकर मन में सोचती है की शायद वसु ठीक कह रही है क्यूंकि बगल के कमरे से आवाज़ें अभी भी आ रही थी.

वसु: वैसे तुझे पता है ना की मीना यहाँ अब तक क्यों है.

कविता: उसको देखते हुए... हाँ पता है. पता नहीं वो माँ बन पायेगी या नहीं.

वसु: चिंता मत कर. वो ज़रूर माँ बनेगी.. याने तू नानी बन जायेगी और उसको देखते हुए उसके होंठों को चूम कर.. तू भी ज़रूर फिर से माँ बनेगी और मीना को एक छोटा प्यारा सा भाई या बेहन देगी.

ये बात सुनकर कविता की आँखों में आंसू आ जाते है. वसु उसके आंसू पॉच कर.. चिंता मत कर सब ठीक हो जाएगा.

बगल में दिव्या मस्त चुदते हुए दीपू से कहती है: लगता है कविता का गुस्सा तू मुझ पे निकल रहा है. आज तो तू बड़े जोश में दिख रहे हो और पिछले 45 min से मुझे पेल रहे हो. ना जाने मैं कितनी बार झड़ चुकी हूँ लेकिन तू तो रुकने का नाम ही नहीं ले रहा है. दीपू भी अब नज़दीक था तो वो दिव्या से कहता है की उसका भी होने वाला है.

दिव्या: मुझे तेरा पानी पीना है और दीपू अपना लंड दिव्या की चूत से निकल कर आखिरकार अपना माल पूरा दिव्या को पीला देता है और फिर दोनों थक कर एक दुसरे की बाहों में गिर जाते है और सब शांत हो जाता है और अपने अपने कमरे में लोग सो जाते है.

अगली सुबह

सब उठ कर अपना काम करते है और दीपू भी तैयार होकर ऑफिस चला जाता है और अपना काम में बिजी हो जाता है. वो दिनेश को फ़ोन करता है.

दीपू: दिनेश तू कब आ रहा है बे? यहाँ बहुत काम है.

दिनेश: जल्दी ही 1-2 दिन में पहुँच जाऊँगा. अच्छा सुन मुझे तुझसे एक बात करनी थी.

दीपू: बोल ना क्या बात है.

दिनेश: नहीं फ़ोन पे नहीं. जब मैं वहां आऊँगा तो तुझ से बात करूंगा.

दीपू: ठीक है. जल्दी मिलते है और फिर बात करते है. दीपू फ़ोन कट कर देता है और अपने काम में लग जाता है.

दीपू फिर अपना काम करके जल्दी घर आ जाता है क्यूंकि उसे पता था की आज क्या है. जब वो घर आता है तो घर में काम की हलचल होती है. वो अपने कमरे में जाने लगता है तो वसु उसे रोक देती है और कहती है की वो कमरे में ना जाए. दीपू क्यों पूछता है तो वसु उसे मना कर देती है और फिर दीपू दुसरे कमरे में जाकर फ्रेश हो जाता है. वो फ्रेश हो कर एक छोटे डिब्बी में तेल डाल के अपने पॉकेट में रख लेता है क्यूंकि उसे पता था की आज रात उसे वो तेल की ज़रुरत पड़ेगी. इन सब काम में दीपू को कविता दिखती नहीं है. वो उस बात पर ज़्यादा ध्यान नहीं देता और टीवी देखते हुए वक़्त निकल लेता है.

सुहागरात

रात को खाना खाने के बाद वसु दीपू को उसके कमरे में भेजती है और जाने से पहले उसको चूमते हुए कहती है: आज रात पूरा मजे कर. कल तुझे भूका रहना पड़ेगा.

दीपू: क्यों? भूका क्यों? तीन तीन बीवियां है और मैं भूका... ये कैसे हो सकता है?

वसु: फिर से उसके होंठ चूमते हुए.. क्यूंकि जानू आज तो कविता को अपना प्यार देगा तो कल मैं और दिव्या भी उसे बता देंगे की हम उसे कितना प्यार करते है. तूने ही तो कहा था ना की हमारे बीच कोई अनबन नहीं रेहनी चाहिए. तो हम दिखाएँगे की हमारे बीच ऐसा कुछ नहीं है और उसे कितना प्यार करते है.. और उसे आँख मार देती है. चल.. ये तो कल की बात है.. आज तू कविता को पूरा प्यार से भर दे. वो दीपू को अंदर कमरे में धकेल कर दरवाज़ा बंद कर देती है.

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दीपू जब कमरे में जाता है तो अंदर का नज़ारा देख कर एकदम खुश हो जाता है क्यूंकि कमरा एकदम फूलों से सजा हुआ था. और बिस्तर के बीच में अपना घूंघट डाले हुए कविता बैठी हुई थी.

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दीपू भी फिर धीरे से बिस्तर पे आता है. कविता उसे देख कर उठ जाती है और कमरे में रखे हुए दूध लाती है और उसे देती है.

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दोनों फिर दूध पी लेते है और वो कविता के बगल में बैठ जाता है और फिर अपनी जेब से एक सोने का हार निकल कर कविता को देता है.

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कविता वो हार देख कर एकदम खुश हो जाती है और दीपू कहता है ये तुम्हारे लिए है. कविता खुश होते हुए उसे धन्यवाद कहती है तो दीपू कहता है उसने तो उसे मुँह दिखाई का तोहफा दिया है तो उसे भी आज एक तोहफा चाहिए उससे.

कविता: मैं तो अब तुम्हारी ही हूँ तो मुझसे क्या तोहफा चाहिए.

दीपू:तुम तो जानती हो की सुहागरात में दुल्हन अपना कुंवारापन देती है तो मुझे भी कुछ ऐसा ही चाहिए.

कविता: क्या चाहिए?

दीपू: कविता के पास आकर उसके कान में कहता है: आज सुहागरात में मुझे तुम्हारी कुंवारी गांड चाहिए. आज मैं तुम्हारे गांड का उद्धघाटन करूंगा. कविता ये सुनकर एकदम शर्मा जाती है और डर भी जाती है की दीपू आज उसकी गांड मारने वाला है.

कविता: ना बाबा... मैंने आज तक वहां नहीं लिया है... मेरी चूत भी लगभग कुंवारी ही है.

दीपू: मैं जानता हूँ लेकिन आज तो मुझे तुम्हारे तीनो छेद चाहिए और ऐसा कहते हुए दीपू कविता को पकड़ कर उसके होंठों को चूमता है तो कविता भी उसका पूरा साथ देती है और दोनों एक प्रगाढ़ चुम्बन में जुड़ जाते है और दोनों अपनी लार आदान प्रदान करते हैं और एक दुसरे की जीभ चूसते है.

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इस किस में दोनों पीछे नहीं हटते और 5 Min तक दोनों के बीच हवा तक जाने की संभावना भी नहीं थी. दोनों इतने जुड़े हुए थे. 5 Min बाद जब दोनों अलग होते है तो कविता की पूरी लिपस्टिक भी निकल चुकी थी.

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इस 5 Min के किस में ही कविता झड़ जाती है और उसी पैंटी और चूत भी पूरी गीली हो जाती है.

दीपू: तुम्हारे होंठों में इतना रस है की ज़िन्दगी भर तुम्हारा ये रस पीता रहूँ.

कविता: तो रोका किसने है जी भर के पी लेना. दीपू फिर से उसके होंठों पे टूट पड़ता है और इस बार उसे चूमते हुए अपने हाथ को भी काम में लाता है. उसको चूमते हुए उसका ब्लाउज को खोलने की कोशिश करता है. दोनों जुड़े हुए थे तो वो ब्लाउज खोल नहीं पाता तो कविता उसके किस को तोड़ते हुए अलग होती है और खुद ही अपना ब्लाउज खोल देती है. जब वो अपना ब्लाउज खोलती है तो अंदर वो एक सेक्सी और ट्रांसपेरेंट लाल ब्रा पहने हुई होती है जिसको देख कर दीपू के मुँह में पानी आ जाता है. उसकी ब्रा को भी निकल कर फेक देता है और अब वो ऊपर से नंगी हो गयी थी. दीपू अपने हाथों से कविता की गोल नरम चूचियो को मसलने लगा और अपने चेहरे को एक चूची पे रख कर चूमते हुए लगभग काट देता है तो कविता के मुँह से सिसकी निकलती है और कहती है आराम से करो ना... ये कहीं भागे नहीं जा रहे है. ये तो अब से तुम्हारा ही हुआ है.

दीपू हस देता है और फिर दुसरे हाथ से उसकी दूसरी चूची को भी दबाता है. बारी बारी से उसके दोनों चूचियों को चूसते और काटे हुए कहता है इनमें भी बहुत रस भरा है.

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इसमें भी दूध आ जाए तो पीने में बड़ा मजा आएगा.

कविता दीपू के सर को पकड़ कर उसको देखते हुए कहती है की वो पहले मीना की चूची में दूध भर दो. तुम्हे पता है ना की वो अब तक यहाँ क्यों है. इस बात को दोनों को मतलब पता था.

दीपू कहता है: बात तो तुम्हारी सही है लेकिन मैं सोच रहा था की दोनों में एक साथ दूध आ जाए तो कितना अच्छा होगा. उसको फिर से चूमते हुए... तुम माँ और नानी एक साथ बन जाओगी. दीपू की ये बात सुनकर कविता शर्मा जाती है. दीपू कविता को सुला देता है और उसकी गोल और गहरी नाभि को चूमता और चाटता है तो कविता से रहा नहीं जाता और ज़ोर से सिसकी लेते हुए ऊऊऊईईईईईई माँ ओ ओ ऊईईईईईई ओह ओह ऊई जैसे आवाज़ निकलती है और दीपू का सर उसके पेट पे दबा देती है.

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उसको चूमते और चाटते हुए वो नीचे जाता है और उसकी पेटीकोट और उसकी साडी भी निकल देता है और देखता है की उसकी लाल और छोटी पैंटी एकदम गीली और रस से भरी हुई है.

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उसकी बंद और गीली चूत को दीपू देखता ही रह जाता है क्यूंकि वो इतनी कामुक लग रही थी. चूत एकदम साफ़ चिकनी और बिलकुल रस से भरी हुई.

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दीपू: तुम तो पूरी गीली हो गयी हो.

कविता: क्यों नहीं... क्यों नहीं तुम ने मुझे इतना बहका दिया है की मैं तो पानी पानी हो गयी और झड़ भी गयी और नतीजा तुम्हारी आँखों के सामने है.

दीपू खुश हो जाता है और फिर अपनी उंगलियों से चूत की कलियां फैलाई और जीभ निकाल कर उसकी चूत पे टूट पड़ता है और ऊपर से नीचे तक उसकी चूत चाटता है. कविता भी अब बहुत गरम हो गयी थी और ऊऊऊईईईईईई माँ ओ ओ ऊईईईईईई करते हुए ज़ोर ज़ोर से सिसकियाँ लेती हुई दीपू का सर अपनी चूत पे दबा देती है.

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काफी देर तक वो जांघों को पकड़ कर कविता की चूत चाटता. लगभाग दस से पंद्रह मिनट तक दीपू अपनी जीभ से उसकी चूत चाटता रहा और दीपू अपना पोजीशन बदल कर कविता को इशारा करता है की वो उसके मुँह पे बैठ जाए. कविता को ये सब अपनी ज़िन्दगी में पहली बार हो रहा था क्यूंकि उसका पहला पती कभी उसे ऐसा सुख नहीं दिया था. कविता फिर अपने पैर फैलाये दीपू के सर के ऊपर आकर उसपे बैठ जाती है और दीपू बड़े चाव से उसकी चूत फिर से चाटने लग जाता है.

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इसबार कविता से रहा नहीं जाता और वो फिर से एक और बार झड़ जाती है और अपना पूरा रस दीपू के मुँह में गिरा देती है जिसे दीपू बड़े चाव से पी जाता है. कविता भी थक गयी थी तो वो भी बगल में लेट जाती है.

दीपू उसके ऊपर चढ़ कर उसके होंठों को चूमता है और अपनी जुबां उसके मुँह में डाल देता है और कविता को उसकी चूत के रस का स्वाद देता है. दीपू किस तोड़ कर कविता की आँखों में देख कर.. कैसा लगा तुम्हे तुम्हारा रस? कविता को कुछ समझ नहीं आता तो पूछती है क्या?

दीपू: अरे पगली तुम अभी अपना रस मेरे मुँह पे छोड़ी थी जिसे मैं पी गया था और अब वही रस तुमको छकाया है. बोलो कैसा लगा?

कविता: शर्म से तुम तो बड़े बेशर्म और गंदे हो. मुझे बताये बिना ही ये सब कर दिया.

दीपू: जानू ये तो कुछ भी नहीं है और ऐसा कहते हुए वो कविता को घोड़ी बना देता है और पीछे से उसकी चूत को फिर चाटता है और इस बार वो कविता की गांड का भूरा छेद देखता है और अपनी जुबां से उसकी गांड को भी चाटता है. ऐसा करने से कविता की आँखें बड़ी हो जाती है और वो तो जैसे जन्नत पे पहुँच गयी थी.

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दीपू फिर से उसकी गांड को अच्छे से चाटने के बाद फिर से उसको चूमता है तो इस बार कविता अपनी आँखें बड़ी कर के दीपू को देखती है तो दीपू भी समझ जाता है और हस्ते हुए उसको आँख मार के कहता है ये था तुम्हारे गांड का स्वाद. कविता एकदम शर्मा जाती है और प्यार से दीपू को मुक्का मारती है.

कविता: मैं तो जैसे जन्नत पे पहुंच गयी थी.. तुमने मुझे इतना मजा दिया. ज़िन्दगी में इतना मजा पहले कभी नहीं आया. ऐसा लगता है की आज मेरी पहली सुहागरात है.

दीपू: डार्लिंग असली मजा तो तब आएगा जब मैं तुम्हे पूरा औरत बना दूंगा.

कविता: मतलब?

दीपू: प्यार से उसके होंठ चूमते हुए जब मैं तुम्हे चोदुँगा और फिर जब मैं तुम्हारी गांड मारूंगा तो तुम पूरी औरत बन जाओगी. समझी. कविता ये बात सुनकर फिरसे शर्मा जाती है लेकिन कुछ नहीं कहती.

दीपू: तुम्हारी चूचियां और चूत चूस कर देखो कैसे मेरा लंड तन गया है. अब तुम इसको पकड़ो, प्यार करो और बताओ की तुम इसे कितना पसंद करती हो. आखिर में यही तुम्हे जन्नत की सैर करेगा तो इसे अपने मुँह से खुश कर दो.

कविता फिर उसके लंड को देख कर.. बाप रे ये तो बहुत बड़ा दिख रहा है.

दीपू: क्यों तुम्हे पसंद नहीं आया क्या?

कविता कुछ नहीं कहती और फिर अपनी जुबां को आगे बढ़ाते हुए उसके लंड को पहले चूमती है और फिर धीरे धीरे उसका पूरा लंड अपने मुँह में ले लेती है. पहले तो उसे थोड़ी तकलीफ हुई थी लेकिन आखिर में उसने दीपू का पूरा 8 inch तना हुआ लंड अपने मुँह में ले ही लिया और अपनी जुबां और थूक से उसे पूरा गीला कर देती है और दीपू का लंड तन कर जैसे उसे सलामी दे रहा था.

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दीपू भी मजे से उसका सर पकड़ कर धक्का मारता है और वो भी पूरा लंड उसके मुँह में डाल देता है और वो जैसे कविता के गले के आखिर तक जाती है (ऐसा कविता महसूस करती है). दीपू भी जैसे जन्नत में था.

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दीपू: तुम भी बड़ा मस्त लंड चूसती हो जान... ऐसे ही चूसो जान. 10 Min तक लंड चूसने के बाद दीपू उसे बिस्तर पे लिटा देता है और उसके होंठ चूमते हुए कहता है... अब तैयार हो जान?

कविता उसकी आँखों में देख कर हाँ कहती है तो पहले दीपू अपने लंड से उसकी चूत पे अपने लंड से रगड़ता है तो कविता एकदम सेहम सी जाती है.

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कविता: जानू थोड़ा धीरे से डालना. मेरी चूत भी ऑलमोस्ट कुंवारी ही है. बहुत दिनों से बंद पड़ी है.

दीपू: चिंता मत करो जान. मैं तुम्हे तकलीफ नहीं दूंगा और आराम से ही डालूंगा और ऐसा बोलते हुए वो अपने लंड को उसकी गीली चूत में डाल देता है.

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जब लंड उसकी चूत में जाता है तो कविता को जैसे एक सुकून मिलता है क्यूंकि वो बहुत दिनों बाद चुद रही थी और ऐसा ही कुछ एक्सप्रेशन उसके चेहरे पर भी आता है.

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दीपू: जान कैसे लग रहा है?

कविता: पूछो मत. मुझे इस पल को जी लेने दो. बहुत सालों बाद मुझे सम्भोग का सुख मिला है और इसके लिए मैं तुम्हे, वसु और दिव्या का बहुत शुक्रगुज़ार हूँ.

दीपू: ये तो गलत है. अब हम सब एक परिवार है और मुझे पता है वसु, दिव्या और निशा भी तुमसे बहुत प्यार करते है. इस पल को जी लो और ऐसा कहते हुए दीपू अपने धक्कों की स्पीड बढ़ा देता है और इसमें कविता को भी बहुत मजा आ रहा था. कविता भी अब जोश में आकर अपने पैर दीपू के कमर में डाल कर उछलती रहती है और जब थोड़ा दीपू रुक जाता है तो कविता अपनी गांड उठा कर उसका पूरा लंड अपने चूत में ले लेती है. अब कमरे में पूरे ज़ोर से चुदाई का सिलसिला चलता है और पूरे कमरे में थप थप की आवाज़ें गूँजती है और साथ में उसके पायल और चूड़ियाँ की आवाज़ भी आती है.

वसु के कमरे में:

उनकी आवाज़ सुनकर बगल के कमरे में वसु दिव्या से कहती है.. लो अब अपनी सौतन भी हमसे जुड़ गयी है. उसकी चूड़ियों की आवाज़ बताती है की वो भी मजे से चुद रही है.

दिव्या ये बात सुनकर हस देती है और वसु के ऊपर चढ़ कर... मैं अभी बहुत गरम और गीली हूँ जब से उनकी आवाज़ सुन रही हूँ. मुझे अभी तुमसे प्यार करना है और वसु को चूम लेती है. वसु भी गरम हो गयी थी और वो भी दिव्या का साथ देती है. दोनों दो पल में अपने कपडे निकल फेकते है और नंगे हो कर एक दुसरे को चूमते रहते है.

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और देखते देखते दोनों एक दुसरे को प्यार करते है. दोनों 69 पोजीशन में आ जाते है और एक दुसरे की चूत को चाट कर और चूत में ऊँगली कर के दोनों अपना रस एक दुसरे को पीला देते है और फिर बगल मं लेट जाते है. लेकिन अब भी दीपू के कमरे से आवाज़ें बंद नहीं हुई थी.

वापस दीपू के कमरे में:

20-25 Min तक दीपू कविता को चोद चोद कर उसकी हालत बुरी कर देता है. वो ना जाने कितनी बार झड़ जाती है लेकिन दीपू तो अभी भी लगा हुआ था. दीपू फिर उठ कर बैठ जाता है और कविता को अपनी टांगों के बीच बिठा कर उसके चूमते हुए फिर से चोदने लगता है.

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अब कविता भी अपनी गांड उठा उठा कर चुदने लगती है. 10 Min बाद

कविता: जानू मैं तो बहुत थक गयी हूँ. तुम्हारा अब तक हुआ नहीं है क्या?

दीपू: अभी कहाँ.. तुम्हे तो अब पूरा औरत बनाना है. कविता इस बात का मतलब समझ जाती है और प्यार से उसे चूमते हुए उसे मना करने की कोशिश करती है. दीपू को भी पता था की कविता इतनी जल्दी नहीं मानेगी तो वो उसे इमोशनल हो कर कहता है. क्या तुम अपने पति की इच्छा पूरी नहीं करोगी सुहागरात में?

इस बात में कविता कुछ नहीं कह पाती और बस इतना कहती है ठीक है जानू मैं मना नहीं करूंगी लेकिन एकदम आराम से करना. मेरी गांड कुंवारी है तो प्यार से करना.

दीपू: मुझे पता है.. बहुत प्यार से डालूँगा. तुम्हे पहले थोड़ी तकलीफ होगी लेकिन सेह लेना. कविता अब हार मान लेती है और हाँ में सर हिलती है. दीपू फिर बगल में रखे डिब्बी में से तेल निकल कर अपने लंड पे डालता है और उसे पूरा चिकना कर देता है और कविता की गांड को अच्छे से चाट कर गीला करता है और फिर उसकी गांड की छेद पे तेल डाल कर उसे भी चिकना कर देता है.

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दीपू: जानू तैयार हो? कविता उसको देख कर हाँ कहती है और अपने मुँह को हाथ से धक् लेती है क्यूंकि उसे पता था की उसे दर्द होगा.

दीपू फिर धीरे से अपने तेल से चिकने लंड को कविता की चिकनी गांड में डालता है. उसे भी थोड़ी मेहनत करनी पड़ती है लेकिन थोड़ा ज़ोर लगा कर आखिर में फ़क की आवाज़ से अपना लंड उसकी गांड में घुसा ही देता है.

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लंड घुसते ही कविता एकदम ज़ोर से चिल्लाती है... ऊऊऊईईईईईई माँ ओ ओ ऊईईईईईई ओह ओह ऊई undefined मैं मर गयी। ऊईई मेरी गाँड फट गयी ऊऊऊऊ हाय माँ ओई मेरी गाँड फट गयी। प्लीज़ बाहर निकाल लो। उसके चिल्लाने से दीपू भी थोड़ा डर गया और झुक कर उसके होंठों को अपने होंठों से जोड़ कर उसकी आवाज़ काम कर दी. लेकिन उसकी आवाज़ इतनी ज़ोर के थी की दुसरे कमरे में सो रही मीना भी झट से उठ गयी और टाइम देखा तो काफी देर हो गया था और वो सोचती रही की दीपू अभी भी उसकी ले रहा है क्यूंकि मीना को पता था की ऐसे आवाज़ दमदार चुदाई में ही आती है. लेकिन उसे पता नहीं था की दीपू उसकी माँ की गांड मार कर उसकी आवाज़ निकल दी.

कविता की आँखों से आने निकलते है तो दीपू वैसे ही रुक जाता है और उसके आंसूं पोछते हुए कहता है... हो गया जानू. जो दर्द तुम्हे होना था वो हो गया 3-4 Min वो वैसे ही बिना हिले रहता है और उसके होंठ चूमते हुए उसकी चूची दबाते रहता है जिससे उसका ध्यान उसके दर्द में ना रहे. 3 Min बाद जब दीपू उसकी चूची दबाते रहता है तो कविता फिर से उत्तेजित होते है और दीपू को इशारा करती है. दीपू समझ जाता है की उसे थोड़ा आराम मिला है और फिर से उसकी चूची दबाते हुए इस बार उसके होंठ को अपने होंठ पे रकते हुए एक ज़ोरदार शॉट मारता है और इस बार उसका पूरा 8 inch का लंड उसकी गांड को चीरता हुआ पूरे जड़ तक घुस जाता है.

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कविता तो ऑलमोस्ट बेहोश हो जाती है. अगर दीपू उसके होंठ ना दबाके रखता तो शायद पूरा मोहल्ला उठ जाता.

दीपू फिर रुक जाता है और उसको प्यार से धीरे से २- ३ बार उसके गाल पे थपथपाता है तो थोड़ी देर बाद कविता अपनी आँखें खोलती है और बड़े दर्द भरे भाव से दीपू को देखती है.

दीपू: अब सच में हो गया डार्लिंग. देखो मेरा लंड पूरी तरह तुम्हारी गांड में चला गया है. अब सच में तुम्हे दर्द नहीं होगा. कविता कुछ नहीं कहती और ऐसे ही रहती है. फिर कुछ देर बाद दीपू अपना लंड निकल कर धीरे धीरे उसकी गांड मारने लगता है तो इस बार कविता को दर्द थोड़ा काम होता. लंड और गांड तेल से गीले होने के कारण अब उसका लंड आराम से अंदर बाहर होने लगता है. कुछ देर बाद अब कविता को भी मजा आने लगता है और वो भी अब सिसकारियां लेने लगती है. अब दीपू समझ जाता है की कविता का दर्द दूर हो गया है और फिर दनादन लंड अंदर बाहर करते हुए उसकी गांड मारता है.

थोड़ी देर बाद दीपू कविता को घोड़ी बनाता है और पिछसे से उसकी गांड मारने लगता है.

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इस पोजीशन में अब कविता को भी मजा आने लगता है और वो भी अपनी गांड आगे पीछे करते हुए गांड मरवाती है. दीपू तो जैसे सातवें आसमान में था. वो झुक कर उसकी पीठ चूमता है और अपने हाथ से उसकी चूची दबाते रहता है. कविता इस हमले को झेल नहीं पाती और फिर से झड़ जाती है. 5 min बाद अब दीपू को भी लगता है की उसका पानी निकलने वाला है और वो कविता से कहता है तो कविता कहती है की आज की रात वो उसका पानी पीना चाहती है तो दीपू अपने लंड को निकल कर अपना वीर्य उसके मुँह में डाल देता है. कविता बड़े मजे से उसका वीर्य पी जाती है और कुछ बूँदें उसकी चूची पे भी गिर जाती है.

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अब दोनों थक जाते है तो दीपू भी थक कर उसके बगल में गिर जाता है. कविता उसका पूरा पानी पी कर कहती है..

कविता: इतना पानी निकालता है तू. तेरा वीर्य भी बहुत गाढ़ा और एकदम टेस्टी है. अगर तू मेरे चूत में झड़ जाता तो शायद मैं फिर से माँ बन जाऊँगी.

दीपू: तो अगली बार तेरी चूत में ही डाल कर उसके पेट को सहलाते हुए.. इसे फुला देता हूँ.

कविता: नहीं मैं चाहती हूँ की तू पहले मीना का पेट फुला दे... इस बात पे दोनों हस्ते है.

कविता: आज तूने मुझे दिखाया है की असली सुहागरात कैसे होती है.

दीपू: तुझे मजा आया?

कविता: मैं यही तो कह रही हूँ. शायद मैं ये ज़िन्दगी भर नहीं भूल पाऊंगी.

दीपू: तो फिर ऐसी बहुत सारी रातें आएँगी जो तू ज़िन्दगी भर नहीं भुला पाएगी.

कविता ये बात सुनकर शर्मा जाती है और दीपू को चूम लेती है .फिर दीपू कविता को अपनी बाहों में लेकर दोनों एक दुसरे से जुड़ते हुए सो जाते है.

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Note: It took a very long time for me to come up with this Mega Update. Hope people will encourage me with their responses (especially the "silent readers") and comments. Much Thanks.
Extremely good updates👍 I'm one of the silent ones
 

Premkumar65

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25th Update (तीसरी शादी और सुहागरात ) (Mega Update)

वसु: चुप कर.. तेरी भी जल्दी ही मजे होने वाले है. जब दिनेश और ऋतू वापस आ जाएंगे तो तेरी भी शादी जल्दी ही होगी उससे. फिर तू भी मजे करना. निशा भी शर्मा जाती है और प्यार से उसकी माँ वसु के गले लग जाती है. शाम के वक़्त दीपू भी जल्दी घर आ जाता है और फिर सब रात की तैयारी करते है जब वो लकड़ियां वगैरा सब इक्कट्ठा करते है जलाने के लिए...

अब आगे..

दोपहर को नहा कर और खाना खा कर सब सो जाते है क्यूंकि सब लोग थके हुए थे होली खेल कर. शाम को निशा भी आ जाती है. शाम को फिर सब उठते है और फिर चाय पीते हुए बातें करते है. वसु कहती है सब लोग तैयार हो जाओ. ६. ३० बजे दीपू और कविता की शादी हो जायेगी.

क्यूंकि ये बात सिर्फ घर के लोगों को ही पता था तो वसु कहती है की घर में ही भगवान् को साक्षी मान कर उनकी शादी हो जायेगी. अगर आगे कोई अच्छा मौका मिलेगा तो उनके बारे में सब को बताएँगे और तब अवसर मिलेगा तो फिर से दोनों की धूम धाम से शादी होगी सब की मौजूदगी में. सब लोग इस बात को मान जाते है और फिर दिव्या और मीना कविता को लेकर उसे तैयार कराने जाते है. कविता इस बात से बहुत शर्मा रही थी लेकिन दिल में वो भी बहुत खुश थी की उसने जिसको पसंद किया है उसी से शादी हो रही है. वहीँ वसु भी दीपू को अलग कमरे में ले जाती है और उसे भी तैयार होने को कहती है.

दीपू तो जल्दी तैयार हो जाता है क्यूंकि वो तो सिर्फ कुरता और पयजामा पेहेन लेता है लेकिन कविता को तैयार होने में काफी वक़्त लगता है.

आखिरकार वो भी तैयार हो जाती है और मीना और दिव्या जब उसे तैयार कर के लाते है तो बाकी तीनो उसको देख कर आहें भरते है... यहाँ तक की कविता को देख कर वसु के चूत में भी हलचल हो जाती है और ना चाहते हुए भी दीपू का लंड तन जाता है क्यूंकि कविता उतनी सुन्दर और सेक्सी लग रही थी. चेहरा एकदम खिला हुआ एकदम कैसा हुआ ब्लाउज जिसमें से उसकी आदि चूचियां जैसे बाहर आने को तड़प रही हो उसकी गहरी और गोल नाभि जो साफ़ दिख रहा था क्यूंकि उसने साडी नाभि के २ इंच नीचे बाँधा हुआ था.

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उसको देख कर वसु भी एकदम खुश हो जाती है और फिर प्यार से उसकी नज़र उतारती है और धीरे से कान में कहती है.

वसु: आज तो तुम एकदम केहर ढा रही हो. तुम्हारे साथ अभी ही सुहागरात मनाने का मन कर रहा है. कविता ये बात सुनकर एकदम शर्मा जाती है लेकिन कुछ नहीं कहती. बाकी सब ही उसको देख कर बहुत खुश हो जाते है और कहते है की वो बहुत खूबसूरत लग रही है.

इतने में दीपू भी सज धज कर आ जाता है और वो भी बहुत हैंडसम लग रहा था. उसको देख कर दिव्या का भी वही हाल होता है जो कुछ देर पहले वसु का हुआ था कविता को देख कर. फिर सब घर में बने मंदिर के पास जाते है और फिर दोनों दीपू और कविता एक दुसरे को देखते है और एक दुसरे का हाथ पकड़ते है.

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फिर वसु सिन्दूर की डब्बी लाती है. दीपू उसमें से सिन्दूर लेकर कविता की मांग भर देता है

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फिर दोनों एक दुसरे को हार पहना कर भगवान् का आशीर्वाद लेते है. उसके बाद दोनों वसु के पैर छु कर उसका आशीर्वाद लेते है क्यूंकि वो लोग वसु को एक माँ के रूप में आशीर्वाद लेना चाहते थे. वसु दोनों को आशीर्वाद देती है और फिर कविता को गले लग कर धीरे से उसके कान में कहती है... जल्दी से तू मुझे दादी बना दे.. कविता शर्मा जाती है लेकिन उसी अंदाज़ में वसु को कहती है की वो भी उसे सौतेली माँ बना दे. वसु भी ये बात सुनकर शर्मा जाती है. दोनों फिर दिव्या से भी आशीर्वाद लेते है.

शादी की रसम होने के बाद सब फिर हॉल में बैठ जाते है. कविता अभी भी थोड़ा शर्मा रही थी. मीना दीपू को देख कर कहती है की वो उसे क्या बुलाये.. भांजा या फिर पिताजी और हस देती है. इस पर सब वहां लोग भी हस देते है. फिर बात आती है सुहागरात की तो वसु कहती है की आज सब थोड़ा आराम कर ले क्यूंकि सुबह से सब होली खेल कर बहुत थके हुए है. इस बात पे निशा भी हाँ कहती है और कहती है की वो भी बहुत थक गयी है और वो सोने चली जाती है. वसु उसे खाने के बारे में पूछती है.

निशा: नहीं माँ... आज भूक नहीं है. दोस्त के घर से मैं खा कर आयी हूँ. पेट भरा है और भी खाने का मूड भी नहीं है और ऐसा कहते हुए वो भी अपनी गांड मटकाते हुए अपने कमरे में चली जाती है.

वसु: दीपू आज कविता मेरे साथ ही सोयेगी. तू आज अलग से सोना. वसु की बात सुनकर दीपू का चेहरे थोड़ा मुरझा जाता है तो वसु हस्ते हुए कहती है.. कविता मेरे साथ सोयेगी लेकिन तेरी दूसरी बीवी है ना... वो तेरे साथ सोयेगी. मुझे पता है तू एक भी दिन भूका नहीं सो सकता.

कविता को ये बात समझ नहीं आती तो कहती है.. दीपू भूका क्यों सोयेगा.. आज वो खाना नहीं खायेगा क्या? इस बात पे वसु और दिव्या दोनों हस देते है. वसु कविता को बगल में बुला कर उसके कान में कहती है... पगली भूक का मतलब है चूत की भूक. हर दिन बिना हम दोनों को ठोके सोता नहीं है.

आज तू मेरे साथ सो रही है तो आज वो दिव्या की बजायेगा और फिर कल तुम्हारी. समझी? कविता ये बात सुनकर एकदम शर्मा जाती है और कहती है की तुम इतनी बेशरम कैसे हो गयी?

वसु: तू चिंता मत कर.. कल से तू भी मेरी तरह बेशरम हो जायेगी.

दीपू अपने कमरे में जाने लगता है तो वो मीना को बुलाता है. जब वो दोनों उन सब से अलग हो जाते है तो मीना पूछती है की क्या बात है? उसने उसे क्यों बुलाया है?

दीपू: मीना को दीवाल से सत्ता कर कहता है क्या कहा तुमने की तुम मुझे भांजे या पिताजी बुलाऊँ? तू मुझे अपने होने वाले बच्चे का बाप बुलाया कर और उसे आँख मारते हुए उसकी चूची दबा देता है. मीना शर्म के मारे एकदम लाल हो जाती है और वहां से भाग जाती है. उसका लाल चेहरा देख कर दिव्या उससे पूछती है तो वो कोई बहाना बना कर वहां से कमरे में चली जाती है.

दीपू अपने कमरे में जाता है और फिर कविता और वसु को बुलाता है. जब वो दोनों वहां जाते है तो दीपू कहता है: मैं एक बात कहना चाहता हूँ.

वसु: क्या हुआ? बोल

दीपू: अब मेरी तीसरी शादी भी हो गयी है तो मैं बस इतना ही कहना चाहता हूँ की हम सब प्यार से रहे और कविता को अपना समझ कर प्यार दे और किसीको कोई जलन या ऐसे मन में कोई बात ना आये.

वसु दीपू की ये बात सुनकर कहती है: तू चिंता मत कर. अब ये भी हमारी सौतन बन गयी है और हम इसे खूब प्यार देंगे और दीपू के सामने ही वसु कविता को अपनी बाहों में लेकर उसके होंठ चूमती है.

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ये तो एक झलक है. कल तुम्हारी सुहागरात होने दो.. फिर देखना हम दोनों इसे कितना प्यार देते है और फिर दोनों को आँख मार देती है. कविता एकदम शर्मा जाती है तो वसु कहती है.. क्यों मैंने कोई गलत बात कहा है क्या?

कविता: नहीं तुम एकदम ठीक कह रही हो. बस ये थोड़ी नयी जगह है और मैं तुम लोगों के साथ कभी नहीं रही हूँ तो.. ऐसा कहते हुए अपनी बात आधी छोड़ देती है.

वसु: मैं समझ सकती हूँ लेकिन चिंता मत कर. तू हम सब लोगों में जल्दी ही मिल जायेगी और तू बहुत खुश रहेगी. इतना मैं कह सकती हूँ.

वसु की बात सुनकर कविता की आँखों में आँसू आ जाते है और वसु को गले लगा लेती है. दीपू भी इन सब बातों से एकदम सहमत हो जाता है और फिर दोनों को गले लगा लेता है.

वसु: चलो मैं जल्दी ही खाना बनाती हूँ. जल्दी खा कर सो जाते है. आज हम बहुत थके हुए भी है. वसु जब किचन में जाने को होती है तो दीपू उसे पकड़ लेता है और कहता है की वो खाना यहाँ कमरे में भेज दे. आज पहला दिन है तो वो और कविता एक साथ खा लेंगे. वसु को भी ये बात सही लगती है और फिर किचन में चली जाती है खाना बनाने.

खाना बनाने के बाद वसु मीना से कहती है की खाना दीपू को उसके कमरे में दे आये. मीना कमरे में जाती है खाना उन्हें देकर कहती है मजे करो.

मीना खाना देती है और वहां से चली जाती है और उसके पीछे दीपू कमरे का दरवाज़ा बंद कर देता है.

वो बिस्तर पे आकर बैठ जाता है और फिर खाने का पहला निवाला कविता को खिलता है. कविता बड़े प्यार से दीपू की आँखों में देख कर खुश होते हुए खा लेती है और फिर कविता भी ऐसे ही करती है और दीपू को पहला निवाला खिलाती है. दूसरी बार जब कविता फिर से उसे खिलाने लगती है तो

दीपू कहता है: नहीं ऐसे नहीं खाना है.

कविता: फिर कैसे? खुद का लोगे?

दीपू: नहीं तुम ही खिलाओगी लेकिन ऐसे नहीं.

कविता: तो फिर कैसे?

दीपू: ऐसे और वो एक निवाला अपने मुँह में लेता है और अपने मुँह से कविता को खिलता है. कविता एकदम शर्मा जाती है लेकिन प्यार से खाती है. लेकिन दीपू अपना मुँह हटाता नहीं क्यूंकि खाने के साथ वो अपने होंठ कविता के होंठों से जुड़ा देता है और खाने के साथ दोनों एक गहरे चुम्बन में जुड़ जाते है. कविता ये सोची नहीं थी लेकिन वो भी दीपू का साथ देती है देखते ही देखते दोनों एक दुसरे की जुबां को चूसने लगते है.

2-3 min के गहरे किस के बाद दीपू कविता को भी ऐसे ही खिलाने को कहता है तो कविता भी दीपू को ऐसे ही 1-2 निवाला खिलाती है. कविता थोड़ा शर्मा के.. अब और नहीं.. तुम अपने हाथ से खा लो.

दीपू: क्यों?

कविता: हम दोनों ऐसे ही खाना खाये तो मैं बहुत बहक जाऊँगी. वैसे भी अभी भी मैं बहुत उत्तेजित हो रही हूँ. जैसे वसु ने कहा है कल तक रुक जाओ ना. फिर मैं तुम्हे कभी मना नहीं करूंगी. मैं भी कल के लिए ही इंतज़ार कर रही हूँ. दीपू फिर से उसको चूमता है और बात मान जाता है और फिर दोनों बड़े प्यार से एक दुसरे को खाना खिला लेते है.

इतने में बाकी सब लोग भी खा लेते है और जैसे वसु ने कहा था वो और कविता बगल के कमरे में सोने चले जाते है. मीना और निशा भी दोनों एक साथ दुसरे कमरे में सोने चले जाते है.

दीपू और दिव्या एक साथ सोते है और दोनों कुछ ही समय में नंगे हो जाते है और दीपू दिव्या के ऊपर चढ़ कर मस्त चुदाई करता है दिव्या की. आज दीपू बहुत जोश में था जिसे दिव्या भी महसूस करती है.

अब दिव्या ज़ोर ज़ोर से आवाज़ें निकालती है. आअहह!!! ऊऊहह!!! आह!! ओह!! हाआइइइइ! हां...ऊहह मां!!! साथ में दिव्या की चूड़ियाँ और पायलों की आवाज़ें बगल में वसु और कविता को भी सुनाई देती है.

वसु के कमरे में:

वसु कविता की और देख कर मस्ती में कहती है: कल तू इससे भी ज़्यादा आवाज़ करेगी. कविता भी अब धीरे धीरे वसु के सामने खुलती है और कहती है की वो उस पल का इंतज़ार कर रही है.

वसु: ये हुई ना बात.. ऐसे ही खुल कर रहा कर.. तुम ज़िन्दगी के बहुत मजे लोगी. लेकिन एक बात.

कविता: क्या?

वसु: बात ये है की ऐसे खुल कर सिर्फ कमरे में ही रहना जब हम चारों साथ में हो तो. बाहर सब के सामने एकदम नार्मल रहना. यही बात हम तीनो ने पहले ही सोच रखा है. अब तुम आ गयी हो तो ये बात तुम पर भी लागू होगी. ठीक है?

कविता: सही कहा. मैं भी ऐसा ही करूंगी. इतने में बाजू कमरे से और आवाज़ें आती है तो कविता कहती है: इतनी देर से आवाज़ आ रही है. कोई इतनी देर कैसे रह सकता है.

वसु: तुझे तो ये कल पता चल ही जाएगा. और मुझे पता है.. परसों सुबह तू एकदम लँगड़ाके चलने वाली है और उसे आँख मार देती है.

कविता: चुप कुछ भी बक्ति है.

वसु:अरे मैं बक नहीं रही हूँ. जब मेरी और दिव्या की सुहागरात हुई थी तो दुसरे दिन हमारा ऐसा ही हाल था. कविता ये बात सुनकर मन में सोचती है की शायद वसु ठीक कह रही है क्यूंकि बगल के कमरे से आवाज़ें अभी भी आ रही थी.

वसु: वैसे तुझे पता है ना की मीना यहाँ अब तक क्यों है.

कविता: उसको देखते हुए... हाँ पता है. पता नहीं वो माँ बन पायेगी या नहीं.

वसु: चिंता मत कर. वो ज़रूर माँ बनेगी.. याने तू नानी बन जायेगी और उसको देखते हुए उसके होंठों को चूम कर.. तू भी ज़रूर फिर से माँ बनेगी और मीना को एक छोटा प्यारा सा भाई या बेहन देगी.

ये बात सुनकर कविता की आँखों में आंसू आ जाते है. वसु उसके आंसू पॉच कर.. चिंता मत कर सब ठीक हो जाएगा.

बगल में दिव्या मस्त चुदते हुए दीपू से कहती है: लगता है कविता का गुस्सा तू मुझ पे निकल रहा है. आज तो तू बड़े जोश में दिख रहे हो और पिछले 45 min से मुझे पेल रहे हो. ना जाने मैं कितनी बार झड़ चुकी हूँ लेकिन तू तो रुकने का नाम ही नहीं ले रहा है. दीपू भी अब नज़दीक था तो वो दिव्या से कहता है की उसका भी होने वाला है.

दिव्या: मुझे तेरा पानी पीना है और दीपू अपना लंड दिव्या की चूत से निकल कर आखिरकार अपना माल पूरा दिव्या को पीला देता है और फिर दोनों थक कर एक दुसरे की बाहों में गिर जाते है और सब शांत हो जाता है और अपने अपने कमरे में लोग सो जाते है.

अगली सुबह

सब उठ कर अपना काम करते है और दीपू भी तैयार होकर ऑफिस चला जाता है और अपना काम में बिजी हो जाता है. वो दिनेश को फ़ोन करता है.

दीपू: दिनेश तू कब आ रहा है बे? यहाँ बहुत काम है.

दिनेश: जल्दी ही 1-2 दिन में पहुँच जाऊँगा. अच्छा सुन मुझे तुझसे एक बात करनी थी.

दीपू: बोल ना क्या बात है.

दिनेश: नहीं फ़ोन पे नहीं. जब मैं वहां आऊँगा तो तुझ से बात करूंगा.

दीपू: ठीक है. जल्दी मिलते है और फिर बात करते है. दीपू फ़ोन कट कर देता है और अपने काम में लग जाता है.

दीपू फिर अपना काम करके जल्दी घर आ जाता है क्यूंकि उसे पता था की आज क्या है. जब वो घर आता है तो घर में काम की हलचल होती है. वो अपने कमरे में जाने लगता है तो वसु उसे रोक देती है और कहती है की वो कमरे में ना जाए. दीपू क्यों पूछता है तो वसु उसे मना कर देती है और फिर दीपू दुसरे कमरे में जाकर फ्रेश हो जाता है. वो फ्रेश हो कर एक छोटे डिब्बी में तेल डाल के अपने पॉकेट में रख लेता है क्यूंकि उसे पता था की आज रात उसे वो तेल की ज़रुरत पड़ेगी. इन सब काम में दीपू को कविता दिखती नहीं है. वो उस बात पर ज़्यादा ध्यान नहीं देता और टीवी देखते हुए वक़्त निकल लेता है.

सुहागरात

रात को खाना खाने के बाद वसु दीपू को उसके कमरे में भेजती है और जाने से पहले उसको चूमते हुए कहती है: आज रात पूरा मजे कर. कल तुझे भूका रहना पड़ेगा.

दीपू: क्यों? भूका क्यों? तीन तीन बीवियां है और मैं भूका... ये कैसे हो सकता है?

वसु: फिर से उसके होंठ चूमते हुए.. क्यूंकि जानू आज तो कविता को अपना प्यार देगा तो कल मैं और दिव्या भी उसे बता देंगे की हम उसे कितना प्यार करते है. तूने ही तो कहा था ना की हमारे बीच कोई अनबन नहीं रेहनी चाहिए. तो हम दिखाएँगे की हमारे बीच ऐसा कुछ नहीं है और उसे कितना प्यार करते है.. और उसे आँख मार देती है. चल.. ये तो कल की बात है.. आज तू कविता को पूरा प्यार से भर दे. वो दीपू को अंदर कमरे में धकेल कर दरवाज़ा बंद कर देती है.

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दीपू जब कमरे में जाता है तो अंदर का नज़ारा देख कर एकदम खुश हो जाता है क्यूंकि कमरा एकदम फूलों से सजा हुआ था. और बिस्तर के बीच में अपना घूंघट डाले हुए कविता बैठी हुई थी.

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दीपू भी फिर धीरे से बिस्तर पे आता है. कविता उसे देख कर उठ जाती है और कमरे में रखे हुए दूध लाती है और उसे देती है.

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दोनों फिर दूध पी लेते है और वो कविता के बगल में बैठ जाता है और फिर अपनी जेब से एक सोने का हार निकल कर कविता को देता है.

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कविता वो हार देख कर एकदम खुश हो जाती है और दीपू कहता है ये तुम्हारे लिए है. कविता खुश होते हुए उसे धन्यवाद कहती है तो दीपू कहता है उसने तो उसे मुँह दिखाई का तोहफा दिया है तो उसे भी आज एक तोहफा चाहिए उससे.

कविता: मैं तो अब तुम्हारी ही हूँ तो मुझसे क्या तोहफा चाहिए.

दीपू:तुम तो जानती हो की सुहागरात में दुल्हन अपना कुंवारापन देती है तो मुझे भी कुछ ऐसा ही चाहिए.

कविता: क्या चाहिए?

दीपू: कविता के पास आकर उसके कान में कहता है: आज सुहागरात में मुझे तुम्हारी कुंवारी गांड चाहिए. आज मैं तुम्हारे गांड का उद्धघाटन करूंगा. कविता ये सुनकर एकदम शर्मा जाती है और डर भी जाती है की दीपू आज उसकी गांड मारने वाला है.

कविता: ना बाबा... मैंने आज तक वहां नहीं लिया है... मेरी चूत भी लगभग कुंवारी ही है.

दीपू: मैं जानता हूँ लेकिन आज तो मुझे तुम्हारे तीनो छेद चाहिए और ऐसा कहते हुए दीपू कविता को पकड़ कर उसके होंठों को चूमता है तो कविता भी उसका पूरा साथ देती है और दोनों एक प्रगाढ़ चुम्बन में जुड़ जाते है और दोनों अपनी लार आदान प्रदान करते हैं और एक दुसरे की जीभ चूसते है.

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इस किस में दोनों पीछे नहीं हटते और 5 Min तक दोनों के बीच हवा तक जाने की संभावना भी नहीं थी. दोनों इतने जुड़े हुए थे. 5 Min बाद जब दोनों अलग होते है तो कविता की पूरी लिपस्टिक भी निकल चुकी थी.

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इस 5 Min के किस में ही कविता झड़ जाती है और उसी पैंटी और चूत भी पूरी गीली हो जाती है.

दीपू: तुम्हारे होंठों में इतना रस है की ज़िन्दगी भर तुम्हारा ये रस पीता रहूँ.

कविता: तो रोका किसने है जी भर के पी लेना. दीपू फिर से उसके होंठों पे टूट पड़ता है और इस बार उसे चूमते हुए अपने हाथ को भी काम में लाता है. उसको चूमते हुए उसका ब्लाउज को खोलने की कोशिश करता है. दोनों जुड़े हुए थे तो वो ब्लाउज खोल नहीं पाता तो कविता उसके किस को तोड़ते हुए अलग होती है और खुद ही अपना ब्लाउज खोल देती है. जब वो अपना ब्लाउज खोलती है तो अंदर वो एक सेक्सी और ट्रांसपेरेंट लाल ब्रा पहने हुई होती है जिसको देख कर दीपू के मुँह में पानी आ जाता है. उसकी ब्रा को भी निकल कर फेक देता है और अब वो ऊपर से नंगी हो गयी थी. दीपू अपने हाथों से कविता की गोल नरम चूचियो को मसलने लगा और अपने चेहरे को एक चूची पे रख कर चूमते हुए लगभग काट देता है तो कविता के मुँह से सिसकी निकलती है और कहती है आराम से करो ना... ये कहीं भागे नहीं जा रहे है. ये तो अब से तुम्हारा ही हुआ है.

दीपू हस देता है और फिर दुसरे हाथ से उसकी दूसरी चूची को भी दबाता है. बारी बारी से उसके दोनों चूचियों को चूसते और काटे हुए कहता है इनमें भी बहुत रस भरा है.

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इसमें भी दूध आ जाए तो पीने में बड़ा मजा आएगा.

कविता दीपू के सर को पकड़ कर उसको देखते हुए कहती है की वो पहले मीना की चूची में दूध भर दो. तुम्हे पता है ना की वो अब तक यहाँ क्यों है. इस बात को दोनों को मतलब पता था.

दीपू कहता है: बात तो तुम्हारी सही है लेकिन मैं सोच रहा था की दोनों में एक साथ दूध आ जाए तो कितना अच्छा होगा. उसको फिर से चूमते हुए... तुम माँ और नानी एक साथ बन जाओगी. दीपू की ये बात सुनकर कविता शर्मा जाती है. दीपू कविता को सुला देता है और उसकी गोल और गहरी नाभि को चूमता और चाटता है तो कविता से रहा नहीं जाता और ज़ोर से सिसकी लेते हुए ऊऊऊईईईईईई माँ ओ ओ ऊईईईईईई ओह ओह ऊई जैसे आवाज़ निकलती है और दीपू का सर उसके पेट पे दबा देती है.

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उसको चूमते और चाटते हुए वो नीचे जाता है और उसकी पेटीकोट और उसकी साडी भी निकल देता है और देखता है की उसकी लाल और छोटी पैंटी एकदम गीली और रस से भरी हुई है.

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उसकी बंद और गीली चूत को दीपू देखता ही रह जाता है क्यूंकि वो इतनी कामुक लग रही थी. चूत एकदम साफ़ चिकनी और बिलकुल रस से भरी हुई.

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दीपू: तुम तो पूरी गीली हो गयी हो.

कविता: क्यों नहीं... क्यों नहीं तुम ने मुझे इतना बहका दिया है की मैं तो पानी पानी हो गयी और झड़ भी गयी और नतीजा तुम्हारी आँखों के सामने है.

दीपू खुश हो जाता है और फिर अपनी उंगलियों से चूत की कलियां फैलाई और जीभ निकाल कर उसकी चूत पे टूट पड़ता है और ऊपर से नीचे तक उसकी चूत चाटता है. कविता भी अब बहुत गरम हो गयी थी और ऊऊऊईईईईईई माँ ओ ओ ऊईईईईईई करते हुए ज़ोर ज़ोर से सिसकियाँ लेती हुई दीपू का सर अपनी चूत पे दबा देती है.

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काफी देर तक वो जांघों को पकड़ कर कविता की चूत चाटता. लगभाग दस से पंद्रह मिनट तक दीपू अपनी जीभ से उसकी चूत चाटता रहा और दीपू अपना पोजीशन बदल कर कविता को इशारा करता है की वो उसके मुँह पे बैठ जाए. कविता को ये सब अपनी ज़िन्दगी में पहली बार हो रहा था क्यूंकि उसका पहला पती कभी उसे ऐसा सुख नहीं दिया था. कविता फिर अपने पैर फैलाये दीपू के सर के ऊपर आकर उसपे बैठ जाती है और दीपू बड़े चाव से उसकी चूत फिर से चाटने लग जाता है.

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इसबार कविता से रहा नहीं जाता और वो फिर से एक और बार झड़ जाती है और अपना पूरा रस दीपू के मुँह में गिरा देती है जिसे दीपू बड़े चाव से पी जाता है. कविता भी थक गयी थी तो वो भी बगल में लेट जाती है.

दीपू उसके ऊपर चढ़ कर उसके होंठों को चूमता है और अपनी जुबां उसके मुँह में डाल देता है और कविता को उसकी चूत के रस का स्वाद देता है. दीपू किस तोड़ कर कविता की आँखों में देख कर.. कैसा लगा तुम्हे तुम्हारा रस? कविता को कुछ समझ नहीं आता तो पूछती है क्या?

दीपू: अरे पगली तुम अभी अपना रस मेरे मुँह पे छोड़ी थी जिसे मैं पी गया था और अब वही रस तुमको छकाया है. बोलो कैसा लगा?

कविता: शर्म से तुम तो बड़े बेशर्म और गंदे हो. मुझे बताये बिना ही ये सब कर दिया.

दीपू: जानू ये तो कुछ भी नहीं है और ऐसा कहते हुए वो कविता को घोड़ी बना देता है और पीछे से उसकी चूत को फिर चाटता है और इस बार वो कविता की गांड का भूरा छेद देखता है और अपनी जुबां से उसकी गांड को भी चाटता है. ऐसा करने से कविता की आँखें बड़ी हो जाती है और वो तो जैसे जन्नत पे पहुँच गयी थी.

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दीपू फिर से उसकी गांड को अच्छे से चाटने के बाद फिर से उसको चूमता है तो इस बार कविता अपनी आँखें बड़ी कर के दीपू को देखती है तो दीपू भी समझ जाता है और हस्ते हुए उसको आँख मार के कहता है ये था तुम्हारे गांड का स्वाद. कविता एकदम शर्मा जाती है और प्यार से दीपू को मुक्का मारती है.

कविता: मैं तो जैसे जन्नत पे पहुंच गयी थी.. तुमने मुझे इतना मजा दिया. ज़िन्दगी में इतना मजा पहले कभी नहीं आया. ऐसा लगता है की आज मेरी पहली सुहागरात है.

दीपू: डार्लिंग असली मजा तो तब आएगा जब मैं तुम्हे पूरा औरत बना दूंगा.

कविता: मतलब?

दीपू: प्यार से उसके होंठ चूमते हुए जब मैं तुम्हे चोदुँगा और फिर जब मैं तुम्हारी गांड मारूंगा तो तुम पूरी औरत बन जाओगी. समझी. कविता ये बात सुनकर फिरसे शर्मा जाती है लेकिन कुछ नहीं कहती.

दीपू: तुम्हारी चूचियां और चूत चूस कर देखो कैसे मेरा लंड तन गया है. अब तुम इसको पकड़ो, प्यार करो और बताओ की तुम इसे कितना पसंद करती हो. आखिर में यही तुम्हे जन्नत की सैर करेगा तो इसे अपने मुँह से खुश कर दो.

कविता फिर उसके लंड को देख कर.. बाप रे ये तो बहुत बड़ा दिख रहा है.

दीपू: क्यों तुम्हे पसंद नहीं आया क्या?

कविता कुछ नहीं कहती और फिर अपनी जुबां को आगे बढ़ाते हुए उसके लंड को पहले चूमती है और फिर धीरे धीरे उसका पूरा लंड अपने मुँह में ले लेती है. पहले तो उसे थोड़ी तकलीफ हुई थी लेकिन आखिर में उसने दीपू का पूरा 8 inch तना हुआ लंड अपने मुँह में ले ही लिया और अपनी जुबां और थूक से उसे पूरा गीला कर देती है और दीपू का लंड तन कर जैसे उसे सलामी दे रहा था.

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दीपू भी मजे से उसका सर पकड़ कर धक्का मारता है और वो भी पूरा लंड उसके मुँह में डाल देता है और वो जैसे कविता के गले के आखिर तक जाती है (ऐसा कविता महसूस करती है). दीपू भी जैसे जन्नत में था.

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दीपू: तुम भी बड़ा मस्त लंड चूसती हो जान... ऐसे ही चूसो जान. 10 Min तक लंड चूसने के बाद दीपू उसे बिस्तर पे लिटा देता है और उसके होंठ चूमते हुए कहता है... अब तैयार हो जान?

कविता उसकी आँखों में देख कर हाँ कहती है तो पहले दीपू अपने लंड से उसकी चूत पे अपने लंड से रगड़ता है तो कविता एकदम सेहम सी जाती है.

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कविता: जानू थोड़ा धीरे से डालना. मेरी चूत भी ऑलमोस्ट कुंवारी ही है. बहुत दिनों से बंद पड़ी है.

दीपू: चिंता मत करो जान. मैं तुम्हे तकलीफ नहीं दूंगा और आराम से ही डालूंगा और ऐसा बोलते हुए वो अपने लंड को उसकी गीली चूत में डाल देता है.

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जब लंड उसकी चूत में जाता है तो कविता को जैसे एक सुकून मिलता है क्यूंकि वो बहुत दिनों बाद चुद रही थी और ऐसा ही कुछ एक्सप्रेशन उसके चेहरे पर भी आता है.

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दीपू: जान कैसे लग रहा है?

कविता: पूछो मत. मुझे इस पल को जी लेने दो. बहुत सालों बाद मुझे सम्भोग का सुख मिला है और इसके लिए मैं तुम्हे, वसु और दिव्या का बहुत शुक्रगुज़ार हूँ.

दीपू: ये तो गलत है. अब हम सब एक परिवार है और मुझे पता है वसु, दिव्या और निशा भी तुमसे बहुत प्यार करते है. इस पल को जी लो और ऐसा कहते हुए दीपू अपने धक्कों की स्पीड बढ़ा देता है और इसमें कविता को भी बहुत मजा आ रहा था. कविता भी अब जोश में आकर अपने पैर दीपू के कमर में डाल कर उछलती रहती है और जब थोड़ा दीपू रुक जाता है तो कविता अपनी गांड उठा कर उसका पूरा लंड अपने चूत में ले लेती है. अब कमरे में पूरे ज़ोर से चुदाई का सिलसिला चलता है और पूरे कमरे में थप थप की आवाज़ें गूँजती है और साथ में उसके पायल और चूड़ियाँ की आवाज़ भी आती है.

वसु के कमरे में:

उनकी आवाज़ सुनकर बगल के कमरे में वसु दिव्या से कहती है.. लो अब अपनी सौतन भी हमसे जुड़ गयी है. उसकी चूड़ियों की आवाज़ बताती है की वो भी मजे से चुद रही है.

दिव्या ये बात सुनकर हस देती है और वसु के ऊपर चढ़ कर... मैं अभी बहुत गरम और गीली हूँ जब से उनकी आवाज़ सुन रही हूँ. मुझे अभी तुमसे प्यार करना है और वसु को चूम लेती है. वसु भी गरम हो गयी थी और वो भी दिव्या का साथ देती है. दोनों दो पल में अपने कपडे निकल फेकते है और नंगे हो कर एक दुसरे को चूमते रहते है.

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और देखते देखते दोनों एक दुसरे को प्यार करते है. दोनों 69 पोजीशन में आ जाते है और एक दुसरे की चूत को चाट कर और चूत में ऊँगली कर के दोनों अपना रस एक दुसरे को पीला देते है और फिर बगल मं लेट जाते है. लेकिन अब भी दीपू के कमरे से आवाज़ें बंद नहीं हुई थी.

वापस दीपू के कमरे में:

20-25 Min तक दीपू कविता को चोद चोद कर उसकी हालत बुरी कर देता है. वो ना जाने कितनी बार झड़ जाती है लेकिन दीपू तो अभी भी लगा हुआ था. दीपू फिर उठ कर बैठ जाता है और कविता को अपनी टांगों के बीच बिठा कर उसके चूमते हुए फिर से चोदने लगता है.

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अब कविता भी अपनी गांड उठा उठा कर चुदने लगती है. 10 Min बाद

कविता: जानू मैं तो बहुत थक गयी हूँ. तुम्हारा अब तक हुआ नहीं है क्या?

दीपू: अभी कहाँ.. तुम्हे तो अब पूरा औरत बनाना है. कविता इस बात का मतलब समझ जाती है और प्यार से उसे चूमते हुए उसे मना करने की कोशिश करती है. दीपू को भी पता था की कविता इतनी जल्दी नहीं मानेगी तो वो उसे इमोशनल हो कर कहता है. क्या तुम अपने पति की इच्छा पूरी नहीं करोगी सुहागरात में?

इस बात में कविता कुछ नहीं कह पाती और बस इतना कहती है ठीक है जानू मैं मना नहीं करूंगी लेकिन एकदम आराम से करना. मेरी गांड कुंवारी है तो प्यार से करना.

दीपू: मुझे पता है.. बहुत प्यार से डालूँगा. तुम्हे पहले थोड़ी तकलीफ होगी लेकिन सेह लेना. कविता अब हार मान लेती है और हाँ में सर हिलती है. दीपू फिर बगल में रखे डिब्बी में से तेल निकल कर अपने लंड पे डालता है और उसे पूरा चिकना कर देता है और कविता की गांड को अच्छे से चाट कर गीला करता है और फिर उसकी गांड की छेद पे तेल डाल कर उसे भी चिकना कर देता है.

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दीपू: जानू तैयार हो? कविता उसको देख कर हाँ कहती है और अपने मुँह को हाथ से धक् लेती है क्यूंकि उसे पता था की उसे दर्द होगा.

दीपू फिर धीरे से अपने तेल से चिकने लंड को कविता की चिकनी गांड में डालता है. उसे भी थोड़ी मेहनत करनी पड़ती है लेकिन थोड़ा ज़ोर लगा कर आखिर में फ़क की आवाज़ से अपना लंड उसकी गांड में घुसा ही देता है.

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लंड घुसते ही कविता एकदम ज़ोर से चिल्लाती है... ऊऊऊईईईईईई माँ ओ ओ ऊईईईईईई ओह ओह ऊई undefined मैं मर गयी। ऊईई मेरी गाँड फट गयी ऊऊऊऊ हाय माँ ओई मेरी गाँड फट गयी। प्लीज़ बाहर निकाल लो। उसके चिल्लाने से दीपू भी थोड़ा डर गया और झुक कर उसके होंठों को अपने होंठों से जोड़ कर उसकी आवाज़ काम कर दी. लेकिन उसकी आवाज़ इतनी ज़ोर के थी की दुसरे कमरे में सो रही मीना भी झट से उठ गयी और टाइम देखा तो काफी देर हो गया था और वो सोचती रही की दीपू अभी भी उसकी ले रहा है क्यूंकि मीना को पता था की ऐसे आवाज़ दमदार चुदाई में ही आती है. लेकिन उसे पता नहीं था की दीपू उसकी माँ की गांड मार कर उसकी आवाज़ निकल दी.

कविता की आँखों से आने निकलते है तो दीपू वैसे ही रुक जाता है और उसके आंसूं पोछते हुए कहता है... हो गया जानू. जो दर्द तुम्हे होना था वो हो गया 3-4 Min वो वैसे ही बिना हिले रहता है और उसके होंठ चूमते हुए उसकी चूची दबाते रहता है जिससे उसका ध्यान उसके दर्द में ना रहे. 3 Min बाद जब दीपू उसकी चूची दबाते रहता है तो कविता फिर से उत्तेजित होते है और दीपू को इशारा करती है. दीपू समझ जाता है की उसे थोड़ा आराम मिला है और फिर से उसकी चूची दबाते हुए इस बार उसके होंठ को अपने होंठ पे रकते हुए एक ज़ोरदार शॉट मारता है और इस बार उसका पूरा 8 inch का लंड उसकी गांड को चीरता हुआ पूरे जड़ तक घुस जाता है.

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कविता तो ऑलमोस्ट बेहोश हो जाती है. अगर दीपू उसके होंठ ना दबाके रखता तो शायद पूरा मोहल्ला उठ जाता.

दीपू फिर रुक जाता है और उसको प्यार से धीरे से २- ३ बार उसके गाल पे थपथपाता है तो थोड़ी देर बाद कविता अपनी आँखें खोलती है और बड़े दर्द भरे भाव से दीपू को देखती है.

दीपू: अब सच में हो गया डार्लिंग. देखो मेरा लंड पूरी तरह तुम्हारी गांड में चला गया है. अब सच में तुम्हे दर्द नहीं होगा. कविता कुछ नहीं कहती और ऐसे ही रहती है. फिर कुछ देर बाद दीपू अपना लंड निकल कर धीरे धीरे उसकी गांड मारने लगता है तो इस बार कविता को दर्द थोड़ा काम होता. लंड और गांड तेल से गीले होने के कारण अब उसका लंड आराम से अंदर बाहर होने लगता है. कुछ देर बाद अब कविता को भी मजा आने लगता है और वो भी अब सिसकारियां लेने लगती है. अब दीपू समझ जाता है की कविता का दर्द दूर हो गया है और फिर दनादन लंड अंदर बाहर करते हुए उसकी गांड मारता है.

थोड़ी देर बाद दीपू कविता को घोड़ी बनाता है और पिछसे से उसकी गांड मारने लगता है.

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इस पोजीशन में अब कविता को भी मजा आने लगता है और वो भी अपनी गांड आगे पीछे करते हुए गांड मरवाती है. दीपू तो जैसे सातवें आसमान में था. वो झुक कर उसकी पीठ चूमता है और अपने हाथ से उसकी चूची दबाते रहता है. कविता इस हमले को झेल नहीं पाती और फिर से झड़ जाती है. 5 min बाद अब दीपू को भी लगता है की उसका पानी निकलने वाला है और वो कविता से कहता है तो कविता कहती है की आज की रात वो उसका पानी पीना चाहती है तो दीपू अपने लंड को निकल कर अपना वीर्य उसके मुँह में डाल देता है. कविता बड़े मजे से उसका वीर्य पी जाती है और कुछ बूँदें उसकी चूची पे भी गिर जाती है.

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अब दोनों थक जाते है तो दीपू भी थक कर उसके बगल में गिर जाता है. कविता उसका पूरा पानी पी कर कहती है..

कविता: इतना पानी निकालता है तू. तेरा वीर्य भी बहुत गाढ़ा और एकदम टेस्टी है. अगर तू मेरे चूत में झड़ जाता तो शायद मैं फिर से माँ बन जाऊँगी.

दीपू: तो अगली बार तेरी चूत में ही डाल कर उसके पेट को सहलाते हुए.. इसे फुला देता हूँ.

कविता: नहीं मैं चाहती हूँ की तू पहले मीना का पेट फुला दे... इस बात पे दोनों हस्ते है.

कविता: आज तूने मुझे दिखाया है की असली सुहागरात कैसे होती है.

दीपू: तुझे मजा आया?

कविता: मैं यही तो कह रही हूँ. शायद मैं ये ज़िन्दगी भर नहीं भूल पाऊंगी.

दीपू: तो फिर ऐसी बहुत सारी रातें आएँगी जो तू ज़िन्दगी भर नहीं भुला पाएगी.

कविता ये बात सुनकर शर्मा जाती है और दीपू को चूम लेती है .फिर दीपू कविता को अपनी बाहों में लेकर दोनों एक दुसरे से जुड़ते हुए सो जाते है.

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Note: It took a very long time for me to come up with this Mega Update. Hope people will encourage me with their responses (especially the "silent readers") and comments. Much Thanks.
mast Update hai dear.
 

sexymom00

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25th Update (तीसरी शादी और सुहागरात ) (Mega Update)

वसु: चुप कर.. तेरी भी जल्दी ही मजे होने वाले है. जब दिनेश और ऋतू वापस आ जाएंगे तो तेरी भी शादी जल्दी ही होगी उससे. फिर तू भी मजे करना. निशा भी शर्मा जाती है और प्यार से उसकी माँ वसु के गले लग जाती है. शाम के वक़्त दीपू भी जल्दी घर आ जाता है और फिर सब रात की तैयारी करते है जब वो लकड़ियां वगैरा सब इक्कट्ठा करते है जलाने के लिए...

अब आगे..

दोपहर को नहा कर और खाना खा कर सब सो जाते है क्यूंकि सब लोग थके हुए थे होली खेल कर. शाम को निशा भी आ जाती है. शाम को फिर सब उठते है और फिर चाय पीते हुए बातें करते है. वसु कहती है सब लोग तैयार हो जाओ. ६. ३० बजे दीपू और कविता की शादी हो जायेगी.

क्यूंकि ये बात सिर्फ घर के लोगों को ही पता था तो वसु कहती है की घर में ही भगवान् को साक्षी मान कर उनकी शादी हो जायेगी. अगर आगे कोई अच्छा मौका मिलेगा तो उनके बारे में सब को बताएँगे और तब अवसर मिलेगा तो फिर से दोनों की धूम धाम से शादी होगी सब की मौजूदगी में. सब लोग इस बात को मान जाते है और फिर दिव्या और मीना कविता को लेकर उसे तैयार कराने जाते है. कविता इस बात से बहुत शर्मा रही थी लेकिन दिल में वो भी बहुत खुश थी की उसने जिसको पसंद किया है उसी से शादी हो रही है. वहीँ वसु भी दीपू को अलग कमरे में ले जाती है और उसे भी तैयार होने को कहती है.

दीपू तो जल्दी तैयार हो जाता है क्यूंकि वो तो सिर्फ कुरता और पयजामा पेहेन लेता है लेकिन कविता को तैयार होने में काफी वक़्त लगता है.

आखिरकार वो भी तैयार हो जाती है और मीना और दिव्या जब उसे तैयार कर के लाते है तो बाकी तीनो उसको देख कर आहें भरते है... यहाँ तक की कविता को देख कर वसु के चूत में भी हलचल हो जाती है और ना चाहते हुए भी दीपू का लंड तन जाता है क्यूंकि कविता उतनी सुन्दर और सेक्सी लग रही थी. चेहरा एकदम खिला हुआ एकदम कैसा हुआ ब्लाउज जिसमें से उसकी आदि चूचियां जैसे बाहर आने को तड़प रही हो उसकी गहरी और गोल नाभि जो साफ़ दिख रहा था क्यूंकि उसने साडी नाभि के २ इंच नीचे बाँधा हुआ था.

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उसको देख कर वसु भी एकदम खुश हो जाती है और फिर प्यार से उसकी नज़र उतारती है और धीरे से कान में कहती है.

वसु: आज तो तुम एकदम केहर ढा रही हो. तुम्हारे साथ अभी ही सुहागरात मनाने का मन कर रहा है. कविता ये बात सुनकर एकदम शर्मा जाती है लेकिन कुछ नहीं कहती. बाकी सब ही उसको देख कर बहुत खुश हो जाते है और कहते है की वो बहुत खूबसूरत लग रही है.

इतने में दीपू भी सज धज कर आ जाता है और वो भी बहुत हैंडसम लग रहा था. उसको देख कर दिव्या का भी वही हाल होता है जो कुछ देर पहले वसु का हुआ था कविता को देख कर. फिर सब घर में बने मंदिर के पास जाते है और फिर दोनों दीपू और कविता एक दुसरे को देखते है और एक दुसरे का हाथ पकड़ते है.

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फिर वसु सिन्दूर की डब्बी लाती है. दीपू उसमें से सिन्दूर लेकर कविता की मांग भर देता है

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फिर दोनों एक दुसरे को हार पहना कर भगवान् का आशीर्वाद लेते है. उसके बाद दोनों वसु के पैर छु कर उसका आशीर्वाद लेते है क्यूंकि वो लोग वसु को एक माँ के रूप में आशीर्वाद लेना चाहते थे. वसु दोनों को आशीर्वाद देती है और फिर कविता को गले लग कर धीरे से उसके कान में कहती है... जल्दी से तू मुझे दादी बना दे.. कविता शर्मा जाती है लेकिन उसी अंदाज़ में वसु को कहती है की वो भी उसे सौतेली माँ बना दे. वसु भी ये बात सुनकर शर्मा जाती है. दोनों फिर दिव्या से भी आशीर्वाद लेते है.

शादी की रसम होने के बाद सब फिर हॉल में बैठ जाते है. कविता अभी भी थोड़ा शर्मा रही थी. मीना दीपू को देख कर कहती है की वो उसे क्या बुलाये.. भांजा या फिर पिताजी और हस देती है. इस पर सब वहां लोग भी हस देते है. फिर बात आती है सुहागरात की तो वसु कहती है की आज सब थोड़ा आराम कर ले क्यूंकि सुबह से सब होली खेल कर बहुत थके हुए है. इस बात पे निशा भी हाँ कहती है और कहती है की वो भी बहुत थक गयी है और वो सोने चली जाती है. वसु उसे खाने के बारे में पूछती है.

निशा: नहीं माँ... आज भूक नहीं है. दोस्त के घर से मैं खा कर आयी हूँ. पेट भरा है और भी खाने का मूड भी नहीं है और ऐसा कहते हुए वो भी अपनी गांड मटकाते हुए अपने कमरे में चली जाती है.

वसु: दीपू आज कविता मेरे साथ ही सोयेगी. तू आज अलग से सोना. वसु की बात सुनकर दीपू का चेहरे थोड़ा मुरझा जाता है तो वसु हस्ते हुए कहती है.. कविता मेरे साथ सोयेगी लेकिन तेरी दूसरी बीवी है ना... वो तेरे साथ सोयेगी. मुझे पता है तू एक भी दिन भूका नहीं सो सकता.

कविता को ये बात समझ नहीं आती तो कहती है.. दीपू भूका क्यों सोयेगा.. आज वो खाना नहीं खायेगा क्या? इस बात पे वसु और दिव्या दोनों हस देते है. वसु कविता को बगल में बुला कर उसके कान में कहती है... पगली भूक का मतलब है चूत की भूक. हर दिन बिना हम दोनों को ठोके सोता नहीं है.

आज तू मेरे साथ सो रही है तो आज वो दिव्या की बजायेगा और फिर कल तुम्हारी. समझी? कविता ये बात सुनकर एकदम शर्मा जाती है और कहती है की तुम इतनी बेशरम कैसे हो गयी?

वसु: तू चिंता मत कर.. कल से तू भी मेरी तरह बेशरम हो जायेगी.

दीपू अपने कमरे में जाने लगता है तो वो मीना को बुलाता है. जब वो दोनों उन सब से अलग हो जाते है तो मीना पूछती है की क्या बात है? उसने उसे क्यों बुलाया है?

दीपू: मीना को दीवाल से सत्ता कर कहता है क्या कहा तुमने की तुम मुझे भांजे या पिताजी बुलाऊँ? तू मुझे अपने होने वाले बच्चे का बाप बुलाया कर और उसे आँख मारते हुए उसकी चूची दबा देता है. मीना शर्म के मारे एकदम लाल हो जाती है और वहां से भाग जाती है. उसका लाल चेहरा देख कर दिव्या उससे पूछती है तो वो कोई बहाना बना कर वहां से कमरे में चली जाती है.

दीपू अपने कमरे में जाता है और फिर कविता और वसु को बुलाता है. जब वो दोनों वहां जाते है तो दीपू कहता है: मैं एक बात कहना चाहता हूँ.

वसु: क्या हुआ? बोल

दीपू: अब मेरी तीसरी शादी भी हो गयी है तो मैं बस इतना ही कहना चाहता हूँ की हम सब प्यार से रहे और कविता को अपना समझ कर प्यार दे और किसीको कोई जलन या ऐसे मन में कोई बात ना आये.

वसु दीपू की ये बात सुनकर कहती है: तू चिंता मत कर. अब ये भी हमारी सौतन बन गयी है और हम इसे खूब प्यार देंगे और दीपू के सामने ही वसु कविता को अपनी बाहों में लेकर उसके होंठ चूमती है.

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ये तो एक झलक है. कल तुम्हारी सुहागरात होने दो.. फिर देखना हम दोनों इसे कितना प्यार देते है और फिर दोनों को आँख मार देती है. कविता एकदम शर्मा जाती है तो वसु कहती है.. क्यों मैंने कोई गलत बात कहा है क्या?

कविता: नहीं तुम एकदम ठीक कह रही हो. बस ये थोड़ी नयी जगह है और मैं तुम लोगों के साथ कभी नहीं रही हूँ तो.. ऐसा कहते हुए अपनी बात आधी छोड़ देती है.

वसु: मैं समझ सकती हूँ लेकिन चिंता मत कर. तू हम सब लोगों में जल्दी ही मिल जायेगी और तू बहुत खुश रहेगी. इतना मैं कह सकती हूँ.

वसु की बात सुनकर कविता की आँखों में आँसू आ जाते है और वसु को गले लगा लेती है. दीपू भी इन सब बातों से एकदम सहमत हो जाता है और फिर दोनों को गले लगा लेता है.

वसु: चलो मैं जल्दी ही खाना बनाती हूँ. जल्दी खा कर सो जाते है. आज हम बहुत थके हुए भी है. वसु जब किचन में जाने को होती है तो दीपू उसे पकड़ लेता है और कहता है की वो खाना यहाँ कमरे में भेज दे. आज पहला दिन है तो वो और कविता एक साथ खा लेंगे. वसु को भी ये बात सही लगती है और फिर किचन में चली जाती है खाना बनाने.

खाना बनाने के बाद वसु मीना से कहती है की खाना दीपू को उसके कमरे में दे आये. मीना कमरे में जाती है खाना उन्हें देकर कहती है मजे करो.

मीना खाना देती है और वहां से चली जाती है और उसके पीछे दीपू कमरे का दरवाज़ा बंद कर देता है.

वो बिस्तर पे आकर बैठ जाता है और फिर खाने का पहला निवाला कविता को खिलता है. कविता बड़े प्यार से दीपू की आँखों में देख कर खुश होते हुए खा लेती है और फिर कविता भी ऐसे ही करती है और दीपू को पहला निवाला खिलाती है. दूसरी बार जब कविता फिर से उसे खिलाने लगती है तो

दीपू कहता है: नहीं ऐसे नहीं खाना है.

कविता: फिर कैसे? खुद का लोगे?

दीपू: नहीं तुम ही खिलाओगी लेकिन ऐसे नहीं.

कविता: तो फिर कैसे?

दीपू: ऐसे और वो एक निवाला अपने मुँह में लेता है और अपने मुँह से कविता को खिलता है. कविता एकदम शर्मा जाती है लेकिन प्यार से खाती है. लेकिन दीपू अपना मुँह हटाता नहीं क्यूंकि खाने के साथ वो अपने होंठ कविता के होंठों से जुड़ा देता है और खाने के साथ दोनों एक गहरे चुम्बन में जुड़ जाते है. कविता ये सोची नहीं थी लेकिन वो भी दीपू का साथ देती है देखते ही देखते दोनों एक दुसरे की जुबां को चूसने लगते है.

2-3 min के गहरे किस के बाद दीपू कविता को भी ऐसे ही खिलाने को कहता है तो कविता भी दीपू को ऐसे ही 1-2 निवाला खिलाती है. कविता थोड़ा शर्मा के.. अब और नहीं.. तुम अपने हाथ से खा लो.

दीपू: क्यों?

कविता: हम दोनों ऐसे ही खाना खाये तो मैं बहुत बहक जाऊँगी. वैसे भी अभी भी मैं बहुत उत्तेजित हो रही हूँ. जैसे वसु ने कहा है कल तक रुक जाओ ना. फिर मैं तुम्हे कभी मना नहीं करूंगी. मैं भी कल के लिए ही इंतज़ार कर रही हूँ. दीपू फिर से उसको चूमता है और बात मान जाता है और फिर दोनों बड़े प्यार से एक दुसरे को खाना खिला लेते है.

इतने में बाकी सब लोग भी खा लेते है और जैसे वसु ने कहा था वो और कविता बगल के कमरे में सोने चले जाते है. मीना और निशा भी दोनों एक साथ दुसरे कमरे में सोने चले जाते है.

दीपू और दिव्या एक साथ सोते है और दोनों कुछ ही समय में नंगे हो जाते है और दीपू दिव्या के ऊपर चढ़ कर मस्त चुदाई करता है दिव्या की. आज दीपू बहुत जोश में था जिसे दिव्या भी महसूस करती है.

अब दिव्या ज़ोर ज़ोर से आवाज़ें निकालती है. आअहह!!! ऊऊहह!!! आह!! ओह!! हाआइइइइ! हां...ऊहह मां!!! साथ में दिव्या की चूड़ियाँ और पायलों की आवाज़ें बगल में वसु और कविता को भी सुनाई देती है.

वसु के कमरे में:

वसु कविता की और देख कर मस्ती में कहती है: कल तू इससे भी ज़्यादा आवाज़ करेगी. कविता भी अब धीरे धीरे वसु के सामने खुलती है और कहती है की वो उस पल का इंतज़ार कर रही है.

वसु: ये हुई ना बात.. ऐसे ही खुल कर रहा कर.. तुम ज़िन्दगी के बहुत मजे लोगी. लेकिन एक बात.

कविता: क्या?

वसु: बात ये है की ऐसे खुल कर सिर्फ कमरे में ही रहना जब हम चारों साथ में हो तो. बाहर सब के सामने एकदम नार्मल रहना. यही बात हम तीनो ने पहले ही सोच रखा है. अब तुम आ गयी हो तो ये बात तुम पर भी लागू होगी. ठीक है?

कविता: सही कहा. मैं भी ऐसा ही करूंगी. इतने में बाजू कमरे से और आवाज़ें आती है तो कविता कहती है: इतनी देर से आवाज़ आ रही है. कोई इतनी देर कैसे रह सकता है.

वसु: तुझे तो ये कल पता चल ही जाएगा. और मुझे पता है.. परसों सुबह तू एकदम लँगड़ाके चलने वाली है और उसे आँख मार देती है.

कविता: चुप कुछ भी बक्ति है.

वसु:अरे मैं बक नहीं रही हूँ. जब मेरी और दिव्या की सुहागरात हुई थी तो दुसरे दिन हमारा ऐसा ही हाल था. कविता ये बात सुनकर मन में सोचती है की शायद वसु ठीक कह रही है क्यूंकि बगल के कमरे से आवाज़ें अभी भी आ रही थी.

वसु: वैसे तुझे पता है ना की मीना यहाँ अब तक क्यों है.

कविता: उसको देखते हुए... हाँ पता है. पता नहीं वो माँ बन पायेगी या नहीं.

वसु: चिंता मत कर. वो ज़रूर माँ बनेगी.. याने तू नानी बन जायेगी और उसको देखते हुए उसके होंठों को चूम कर.. तू भी ज़रूर फिर से माँ बनेगी और मीना को एक छोटा प्यारा सा भाई या बेहन देगी.

ये बात सुनकर कविता की आँखों में आंसू आ जाते है. वसु उसके आंसू पॉच कर.. चिंता मत कर सब ठीक हो जाएगा.

बगल में दिव्या मस्त चुदते हुए दीपू से कहती है: लगता है कविता का गुस्सा तू मुझ पे निकल रहा है. आज तो तू बड़े जोश में दिख रहे हो और पिछले 45 min से मुझे पेल रहे हो. ना जाने मैं कितनी बार झड़ चुकी हूँ लेकिन तू तो रुकने का नाम ही नहीं ले रहा है. दीपू भी अब नज़दीक था तो वो दिव्या से कहता है की उसका भी होने वाला है.

दिव्या: मुझे तेरा पानी पीना है और दीपू अपना लंड दिव्या की चूत से निकल कर आखिरकार अपना माल पूरा दिव्या को पीला देता है और फिर दोनों थक कर एक दुसरे की बाहों में गिर जाते है और सब शांत हो जाता है और अपने अपने कमरे में लोग सो जाते है.

अगली सुबह

सब उठ कर अपना काम करते है और दीपू भी तैयार होकर ऑफिस चला जाता है और अपना काम में बिजी हो जाता है. वो दिनेश को फ़ोन करता है.

दीपू: दिनेश तू कब आ रहा है बे? यहाँ बहुत काम है.

दिनेश: जल्दी ही 1-2 दिन में पहुँच जाऊँगा. अच्छा सुन मुझे तुझसे एक बात करनी थी.

दीपू: बोल ना क्या बात है.

दिनेश: नहीं फ़ोन पे नहीं. जब मैं वहां आऊँगा तो तुझ से बात करूंगा.

दीपू: ठीक है. जल्दी मिलते है और फिर बात करते है. दीपू फ़ोन कट कर देता है और अपने काम में लग जाता है.

दीपू फिर अपना काम करके जल्दी घर आ जाता है क्यूंकि उसे पता था की आज क्या है. जब वो घर आता है तो घर में काम की हलचल होती है. वो अपने कमरे में जाने लगता है तो वसु उसे रोक देती है और कहती है की वो कमरे में ना जाए. दीपू क्यों पूछता है तो वसु उसे मना कर देती है और फिर दीपू दुसरे कमरे में जाकर फ्रेश हो जाता है. वो फ्रेश हो कर एक छोटे डिब्बी में तेल डाल के अपने पॉकेट में रख लेता है क्यूंकि उसे पता था की आज रात उसे वो तेल की ज़रुरत पड़ेगी. इन सब काम में दीपू को कविता दिखती नहीं है. वो उस बात पर ज़्यादा ध्यान नहीं देता और टीवी देखते हुए वक़्त निकल लेता है.

सुहागरात

रात को खाना खाने के बाद वसु दीपू को उसके कमरे में भेजती है और जाने से पहले उसको चूमते हुए कहती है: आज रात पूरा मजे कर. कल तुझे भूका रहना पड़ेगा.

दीपू: क्यों? भूका क्यों? तीन तीन बीवियां है और मैं भूका... ये कैसे हो सकता है?

वसु: फिर से उसके होंठ चूमते हुए.. क्यूंकि जानू आज तो कविता को अपना प्यार देगा तो कल मैं और दिव्या भी उसे बता देंगे की हम उसे कितना प्यार करते है. तूने ही तो कहा था ना की हमारे बीच कोई अनबन नहीं रेहनी चाहिए. तो हम दिखाएँगे की हमारे बीच ऐसा कुछ नहीं है और उसे कितना प्यार करते है.. और उसे आँख मार देती है. चल.. ये तो कल की बात है.. आज तू कविता को पूरा प्यार से भर दे. वो दीपू को अंदर कमरे में धकेल कर दरवाज़ा बंद कर देती है.

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दीपू जब कमरे में जाता है तो अंदर का नज़ारा देख कर एकदम खुश हो जाता है क्यूंकि कमरा एकदम फूलों से सजा हुआ था. और बिस्तर के बीच में अपना घूंघट डाले हुए कविता बैठी हुई थी.

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दीपू भी फिर धीरे से बिस्तर पे आता है. कविता उसे देख कर उठ जाती है और कमरे में रखे हुए दूध लाती है और उसे देती है.

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दोनों फिर दूध पी लेते है और वो कविता के बगल में बैठ जाता है और फिर अपनी जेब से एक सोने का हार निकल कर कविता को देता है.

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कविता वो हार देख कर एकदम खुश हो जाती है और दीपू कहता है ये तुम्हारे लिए है. कविता खुश होते हुए उसे धन्यवाद कहती है तो दीपू कहता है उसने तो उसे मुँह दिखाई का तोहफा दिया है तो उसे भी आज एक तोहफा चाहिए उससे.

कविता: मैं तो अब तुम्हारी ही हूँ तो मुझसे क्या तोहफा चाहिए.

दीपू:तुम तो जानती हो की सुहागरात में दुल्हन अपना कुंवारापन देती है तो मुझे भी कुछ ऐसा ही चाहिए.

कविता: क्या चाहिए?

दीपू: कविता के पास आकर उसके कान में कहता है: आज सुहागरात में मुझे तुम्हारी कुंवारी गांड चाहिए. आज मैं तुम्हारे गांड का उद्धघाटन करूंगा. कविता ये सुनकर एकदम शर्मा जाती है और डर भी जाती है की दीपू आज उसकी गांड मारने वाला है.

कविता: ना बाबा... मैंने आज तक वहां नहीं लिया है... मेरी चूत भी लगभग कुंवारी ही है.

दीपू: मैं जानता हूँ लेकिन आज तो मुझे तुम्हारे तीनो छेद चाहिए और ऐसा कहते हुए दीपू कविता को पकड़ कर उसके होंठों को चूमता है तो कविता भी उसका पूरा साथ देती है और दोनों एक प्रगाढ़ चुम्बन में जुड़ जाते है और दोनों अपनी लार आदान प्रदान करते हैं और एक दुसरे की जीभ चूसते है.

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इस किस में दोनों पीछे नहीं हटते और 5 Min तक दोनों के बीच हवा तक जाने की संभावना भी नहीं थी. दोनों इतने जुड़े हुए थे. 5 Min बाद जब दोनों अलग होते है तो कविता की पूरी लिपस्टिक भी निकल चुकी थी.

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इस 5 Min के किस में ही कविता झड़ जाती है और उसी पैंटी और चूत भी पूरी गीली हो जाती है.

दीपू: तुम्हारे होंठों में इतना रस है की ज़िन्दगी भर तुम्हारा ये रस पीता रहूँ.

कविता: तो रोका किसने है जी भर के पी लेना. दीपू फिर से उसके होंठों पे टूट पड़ता है और इस बार उसे चूमते हुए अपने हाथ को भी काम में लाता है. उसको चूमते हुए उसका ब्लाउज को खोलने की कोशिश करता है. दोनों जुड़े हुए थे तो वो ब्लाउज खोल नहीं पाता तो कविता उसके किस को तोड़ते हुए अलग होती है और खुद ही अपना ब्लाउज खोल देती है. जब वो अपना ब्लाउज खोलती है तो अंदर वो एक सेक्सी और ट्रांसपेरेंट लाल ब्रा पहने हुई होती है जिसको देख कर दीपू के मुँह में पानी आ जाता है. उसकी ब्रा को भी निकल कर फेक देता है और अब वो ऊपर से नंगी हो गयी थी. दीपू अपने हाथों से कविता की गोल नरम चूचियो को मसलने लगा और अपने चेहरे को एक चूची पे रख कर चूमते हुए लगभग काट देता है तो कविता के मुँह से सिसकी निकलती है और कहती है आराम से करो ना... ये कहीं भागे नहीं जा रहे है. ये तो अब से तुम्हारा ही हुआ है.

दीपू हस देता है और फिर दुसरे हाथ से उसकी दूसरी चूची को भी दबाता है. बारी बारी से उसके दोनों चूचियों को चूसते और काटे हुए कहता है इनमें भी बहुत रस भरा है.

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इसमें भी दूध आ जाए तो पीने में बड़ा मजा आएगा.

कविता दीपू के सर को पकड़ कर उसको देखते हुए कहती है की वो पहले मीना की चूची में दूध भर दो. तुम्हे पता है ना की वो अब तक यहाँ क्यों है. इस बात को दोनों को मतलब पता था.

दीपू कहता है: बात तो तुम्हारी सही है लेकिन मैं सोच रहा था की दोनों में एक साथ दूध आ जाए तो कितना अच्छा होगा. उसको फिर से चूमते हुए... तुम माँ और नानी एक साथ बन जाओगी. दीपू की ये बात सुनकर कविता शर्मा जाती है. दीपू कविता को सुला देता है और उसकी गोल और गहरी नाभि को चूमता और चाटता है तो कविता से रहा नहीं जाता और ज़ोर से सिसकी लेते हुए ऊऊऊईईईईईई माँ ओ ओ ऊईईईईईई ओह ओह ऊई जैसे आवाज़ निकलती है और दीपू का सर उसके पेट पे दबा देती है.

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उसको चूमते और चाटते हुए वो नीचे जाता है और उसकी पेटीकोट और उसकी साडी भी निकल देता है और देखता है की उसकी लाल और छोटी पैंटी एकदम गीली और रस से भरी हुई है.

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उसकी बंद और गीली चूत को दीपू देखता ही रह जाता है क्यूंकि वो इतनी कामुक लग रही थी. चूत एकदम साफ़ चिकनी और बिलकुल रस से भरी हुई.

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दीपू: तुम तो पूरी गीली हो गयी हो.

कविता: क्यों नहीं... क्यों नहीं तुम ने मुझे इतना बहका दिया है की मैं तो पानी पानी हो गयी और झड़ भी गयी और नतीजा तुम्हारी आँखों के सामने है.

दीपू खुश हो जाता है और फिर अपनी उंगलियों से चूत की कलियां फैलाई और जीभ निकाल कर उसकी चूत पे टूट पड़ता है और ऊपर से नीचे तक उसकी चूत चाटता है. कविता भी अब बहुत गरम हो गयी थी और ऊऊऊईईईईईई माँ ओ ओ ऊईईईईईई करते हुए ज़ोर ज़ोर से सिसकियाँ लेती हुई दीपू का सर अपनी चूत पे दबा देती है.

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काफी देर तक वो जांघों को पकड़ कर कविता की चूत चाटता. लगभाग दस से पंद्रह मिनट तक दीपू अपनी जीभ से उसकी चूत चाटता रहा और दीपू अपना पोजीशन बदल कर कविता को इशारा करता है की वो उसके मुँह पे बैठ जाए. कविता को ये सब अपनी ज़िन्दगी में पहली बार हो रहा था क्यूंकि उसका पहला पती कभी उसे ऐसा सुख नहीं दिया था. कविता फिर अपने पैर फैलाये दीपू के सर के ऊपर आकर उसपे बैठ जाती है और दीपू बड़े चाव से उसकी चूत फिर से चाटने लग जाता है.

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इसबार कविता से रहा नहीं जाता और वो फिर से एक और बार झड़ जाती है और अपना पूरा रस दीपू के मुँह में गिरा देती है जिसे दीपू बड़े चाव से पी जाता है. कविता भी थक गयी थी तो वो भी बगल में लेट जाती है.

दीपू उसके ऊपर चढ़ कर उसके होंठों को चूमता है और अपनी जुबां उसके मुँह में डाल देता है और कविता को उसकी चूत के रस का स्वाद देता है. दीपू किस तोड़ कर कविता की आँखों में देख कर.. कैसा लगा तुम्हे तुम्हारा रस? कविता को कुछ समझ नहीं आता तो पूछती है क्या?

दीपू: अरे पगली तुम अभी अपना रस मेरे मुँह पे छोड़ी थी जिसे मैं पी गया था और अब वही रस तुमको छकाया है. बोलो कैसा लगा?

कविता: शर्म से तुम तो बड़े बेशर्म और गंदे हो. मुझे बताये बिना ही ये सब कर दिया.

दीपू: जानू ये तो कुछ भी नहीं है और ऐसा कहते हुए वो कविता को घोड़ी बना देता है और पीछे से उसकी चूत को फिर चाटता है और इस बार वो कविता की गांड का भूरा छेद देखता है और अपनी जुबां से उसकी गांड को भी चाटता है. ऐसा करने से कविता की आँखें बड़ी हो जाती है और वो तो जैसे जन्नत पे पहुँच गयी थी.

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दीपू फिर से उसकी गांड को अच्छे से चाटने के बाद फिर से उसको चूमता है तो इस बार कविता अपनी आँखें बड़ी कर के दीपू को देखती है तो दीपू भी समझ जाता है और हस्ते हुए उसको आँख मार के कहता है ये था तुम्हारे गांड का स्वाद. कविता एकदम शर्मा जाती है और प्यार से दीपू को मुक्का मारती है.

कविता: मैं तो जैसे जन्नत पे पहुंच गयी थी.. तुमने मुझे इतना मजा दिया. ज़िन्दगी में इतना मजा पहले कभी नहीं आया. ऐसा लगता है की आज मेरी पहली सुहागरात है.

दीपू: डार्लिंग असली मजा तो तब आएगा जब मैं तुम्हे पूरा औरत बना दूंगा.

कविता: मतलब?

दीपू: प्यार से उसके होंठ चूमते हुए जब मैं तुम्हे चोदुँगा और फिर जब मैं तुम्हारी गांड मारूंगा तो तुम पूरी औरत बन जाओगी. समझी. कविता ये बात सुनकर फिरसे शर्मा जाती है लेकिन कुछ नहीं कहती.

दीपू: तुम्हारी चूचियां और चूत चूस कर देखो कैसे मेरा लंड तन गया है. अब तुम इसको पकड़ो, प्यार करो और बताओ की तुम इसे कितना पसंद करती हो. आखिर में यही तुम्हे जन्नत की सैर करेगा तो इसे अपने मुँह से खुश कर दो.

कविता फिर उसके लंड को देख कर.. बाप रे ये तो बहुत बड़ा दिख रहा है.

दीपू: क्यों तुम्हे पसंद नहीं आया क्या?

कविता कुछ नहीं कहती और फिर अपनी जुबां को आगे बढ़ाते हुए उसके लंड को पहले चूमती है और फिर धीरे धीरे उसका पूरा लंड अपने मुँह में ले लेती है. पहले तो उसे थोड़ी तकलीफ हुई थी लेकिन आखिर में उसने दीपू का पूरा 8 inch तना हुआ लंड अपने मुँह में ले ही लिया और अपनी जुबां और थूक से उसे पूरा गीला कर देती है और दीपू का लंड तन कर जैसे उसे सलामी दे रहा था.

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दीपू भी मजे से उसका सर पकड़ कर धक्का मारता है और वो भी पूरा लंड उसके मुँह में डाल देता है और वो जैसे कविता के गले के आखिर तक जाती है (ऐसा कविता महसूस करती है). दीपू भी जैसे जन्नत में था.

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दीपू: तुम भी बड़ा मस्त लंड चूसती हो जान... ऐसे ही चूसो जान. 10 Min तक लंड चूसने के बाद दीपू उसे बिस्तर पे लिटा देता है और उसके होंठ चूमते हुए कहता है... अब तैयार हो जान?

कविता उसकी आँखों में देख कर हाँ कहती है तो पहले दीपू अपने लंड से उसकी चूत पे अपने लंड से रगड़ता है तो कविता एकदम सेहम सी जाती है.

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कविता: जानू थोड़ा धीरे से डालना. मेरी चूत भी ऑलमोस्ट कुंवारी ही है. बहुत दिनों से बंद पड़ी है.

दीपू: चिंता मत करो जान. मैं तुम्हे तकलीफ नहीं दूंगा और आराम से ही डालूंगा और ऐसा बोलते हुए वो अपने लंड को उसकी गीली चूत में डाल देता है.

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जब लंड उसकी चूत में जाता है तो कविता को जैसे एक सुकून मिलता है क्यूंकि वो बहुत दिनों बाद चुद रही थी और ऐसा ही कुछ एक्सप्रेशन उसके चेहरे पर भी आता है.

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दीपू: जान कैसे लग रहा है?

कविता: पूछो मत. मुझे इस पल को जी लेने दो. बहुत सालों बाद मुझे सम्भोग का सुख मिला है और इसके लिए मैं तुम्हे, वसु और दिव्या का बहुत शुक्रगुज़ार हूँ.

दीपू: ये तो गलत है. अब हम सब एक परिवार है और मुझे पता है वसु, दिव्या और निशा भी तुमसे बहुत प्यार करते है. इस पल को जी लो और ऐसा कहते हुए दीपू अपने धक्कों की स्पीड बढ़ा देता है और इसमें कविता को भी बहुत मजा आ रहा था. कविता भी अब जोश में आकर अपने पैर दीपू के कमर में डाल कर उछलती रहती है और जब थोड़ा दीपू रुक जाता है तो कविता अपनी गांड उठा कर उसका पूरा लंड अपने चूत में ले लेती है. अब कमरे में पूरे ज़ोर से चुदाई का सिलसिला चलता है और पूरे कमरे में थप थप की आवाज़ें गूँजती है और साथ में उसके पायल और चूड़ियाँ की आवाज़ भी आती है.

वसु के कमरे में:

उनकी आवाज़ सुनकर बगल के कमरे में वसु दिव्या से कहती है.. लो अब अपनी सौतन भी हमसे जुड़ गयी है. उसकी चूड़ियों की आवाज़ बताती है की वो भी मजे से चुद रही है.

दिव्या ये बात सुनकर हस देती है और वसु के ऊपर चढ़ कर... मैं अभी बहुत गरम और गीली हूँ जब से उनकी आवाज़ सुन रही हूँ. मुझे अभी तुमसे प्यार करना है और वसु को चूम लेती है. वसु भी गरम हो गयी थी और वो भी दिव्या का साथ देती है. दोनों दो पल में अपने कपडे निकल फेकते है और नंगे हो कर एक दुसरे को चूमते रहते है.

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और देखते देखते दोनों एक दुसरे को प्यार करते है. दोनों 69 पोजीशन में आ जाते है और एक दुसरे की चूत को चाट कर और चूत में ऊँगली कर के दोनों अपना रस एक दुसरे को पीला देते है और फिर बगल मं लेट जाते है. लेकिन अब भी दीपू के कमरे से आवाज़ें बंद नहीं हुई थी.

वापस दीपू के कमरे में:

20-25 Min तक दीपू कविता को चोद चोद कर उसकी हालत बुरी कर देता है. वो ना जाने कितनी बार झड़ जाती है लेकिन दीपू तो अभी भी लगा हुआ था. दीपू फिर उठ कर बैठ जाता है और कविता को अपनी टांगों के बीच बिठा कर उसके चूमते हुए फिर से चोदने लगता है.

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अब कविता भी अपनी गांड उठा उठा कर चुदने लगती है. 10 Min बाद

कविता: जानू मैं तो बहुत थक गयी हूँ. तुम्हारा अब तक हुआ नहीं है क्या?

दीपू: अभी कहाँ.. तुम्हे तो अब पूरा औरत बनाना है. कविता इस बात का मतलब समझ जाती है और प्यार से उसे चूमते हुए उसे मना करने की कोशिश करती है. दीपू को भी पता था की कविता इतनी जल्दी नहीं मानेगी तो वो उसे इमोशनल हो कर कहता है. क्या तुम अपने पति की इच्छा पूरी नहीं करोगी सुहागरात में?

इस बात में कविता कुछ नहीं कह पाती और बस इतना कहती है ठीक है जानू मैं मना नहीं करूंगी लेकिन एकदम आराम से करना. मेरी गांड कुंवारी है तो प्यार से करना.

दीपू: मुझे पता है.. बहुत प्यार से डालूँगा. तुम्हे पहले थोड़ी तकलीफ होगी लेकिन सेह लेना. कविता अब हार मान लेती है और हाँ में सर हिलती है. दीपू फिर बगल में रखे डिब्बी में से तेल निकल कर अपने लंड पे डालता है और उसे पूरा चिकना कर देता है और कविता की गांड को अच्छे से चाट कर गीला करता है और फिर उसकी गांड की छेद पे तेल डाल कर उसे भी चिकना कर देता है.

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दीपू: जानू तैयार हो? कविता उसको देख कर हाँ कहती है और अपने मुँह को हाथ से धक् लेती है क्यूंकि उसे पता था की उसे दर्द होगा.

दीपू फिर धीरे से अपने तेल से चिकने लंड को कविता की चिकनी गांड में डालता है. उसे भी थोड़ी मेहनत करनी पड़ती है लेकिन थोड़ा ज़ोर लगा कर आखिर में फ़क की आवाज़ से अपना लंड उसकी गांड में घुसा ही देता है.

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लंड घुसते ही कविता एकदम ज़ोर से चिल्लाती है... ऊऊऊईईईईईई माँ ओ ओ ऊईईईईईई ओह ओह ऊई undefined मैं मर गयी। ऊईई मेरी गाँड फट गयी ऊऊऊऊ हाय माँ ओई मेरी गाँड फट गयी। प्लीज़ बाहर निकाल लो। उसके चिल्लाने से दीपू भी थोड़ा डर गया और झुक कर उसके होंठों को अपने होंठों से जोड़ कर उसकी आवाज़ काम कर दी. लेकिन उसकी आवाज़ इतनी ज़ोर के थी की दुसरे कमरे में सो रही मीना भी झट से उठ गयी और टाइम देखा तो काफी देर हो गया था और वो सोचती रही की दीपू अभी भी उसकी ले रहा है क्यूंकि मीना को पता था की ऐसे आवाज़ दमदार चुदाई में ही आती है. लेकिन उसे पता नहीं था की दीपू उसकी माँ की गांड मार कर उसकी आवाज़ निकल दी.

कविता की आँखों से आने निकलते है तो दीपू वैसे ही रुक जाता है और उसके आंसूं पोछते हुए कहता है... हो गया जानू. जो दर्द तुम्हे होना था वो हो गया 3-4 Min वो वैसे ही बिना हिले रहता है और उसके होंठ चूमते हुए उसकी चूची दबाते रहता है जिससे उसका ध्यान उसके दर्द में ना रहे. 3 Min बाद जब दीपू उसकी चूची दबाते रहता है तो कविता फिर से उत्तेजित होते है और दीपू को इशारा करती है. दीपू समझ जाता है की उसे थोड़ा आराम मिला है और फिर से उसकी चूची दबाते हुए इस बार उसके होंठ को अपने होंठ पे रकते हुए एक ज़ोरदार शॉट मारता है और इस बार उसका पूरा 8 inch का लंड उसकी गांड को चीरता हुआ पूरे जड़ तक घुस जाता है.

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कविता तो ऑलमोस्ट बेहोश हो जाती है. अगर दीपू उसके होंठ ना दबाके रखता तो शायद पूरा मोहल्ला उठ जाता.

दीपू फिर रुक जाता है और उसको प्यार से धीरे से २- ३ बार उसके गाल पे थपथपाता है तो थोड़ी देर बाद कविता अपनी आँखें खोलती है और बड़े दर्द भरे भाव से दीपू को देखती है.

दीपू: अब सच में हो गया डार्लिंग. देखो मेरा लंड पूरी तरह तुम्हारी गांड में चला गया है. अब सच में तुम्हे दर्द नहीं होगा. कविता कुछ नहीं कहती और ऐसे ही रहती है. फिर कुछ देर बाद दीपू अपना लंड निकल कर धीरे धीरे उसकी गांड मारने लगता है तो इस बार कविता को दर्द थोड़ा काम होता. लंड और गांड तेल से गीले होने के कारण अब उसका लंड आराम से अंदर बाहर होने लगता है. कुछ देर बाद अब कविता को भी मजा आने लगता है और वो भी अब सिसकारियां लेने लगती है. अब दीपू समझ जाता है की कविता का दर्द दूर हो गया है और फिर दनादन लंड अंदर बाहर करते हुए उसकी गांड मारता है.

थोड़ी देर बाद दीपू कविता को घोड़ी बनाता है और पिछसे से उसकी गांड मारने लगता है.

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इस पोजीशन में अब कविता को भी मजा आने लगता है और वो भी अपनी गांड आगे पीछे करते हुए गांड मरवाती है. दीपू तो जैसे सातवें आसमान में था. वो झुक कर उसकी पीठ चूमता है और अपने हाथ से उसकी चूची दबाते रहता है. कविता इस हमले को झेल नहीं पाती और फिर से झड़ जाती है. 5 min बाद अब दीपू को भी लगता है की उसका पानी निकलने वाला है और वो कविता से कहता है तो कविता कहती है की आज की रात वो उसका पानी पीना चाहती है तो दीपू अपने लंड को निकल कर अपना वीर्य उसके मुँह में डाल देता है. कविता बड़े मजे से उसका वीर्य पी जाती है और कुछ बूँदें उसकी चूची पे भी गिर जाती है.

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अब दोनों थक जाते है तो दीपू भी थक कर उसके बगल में गिर जाता है. कविता उसका पूरा पानी पी कर कहती है..

कविता: इतना पानी निकालता है तू. तेरा वीर्य भी बहुत गाढ़ा और एकदम टेस्टी है. अगर तू मेरे चूत में झड़ जाता तो शायद मैं फिर से माँ बन जाऊँगी.

दीपू: तो अगली बार तेरी चूत में ही डाल कर उसके पेट को सहलाते हुए.. इसे फुला देता हूँ.

कविता: नहीं मैं चाहती हूँ की तू पहले मीना का पेट फुला दे... इस बात पे दोनों हस्ते है.

कविता: आज तूने मुझे दिखाया है की असली सुहागरात कैसे होती है.

दीपू: तुझे मजा आया?

कविता: मैं यही तो कह रही हूँ. शायद मैं ये ज़िन्दगी भर नहीं भूल पाऊंगी.

दीपू: तो फिर ऐसी बहुत सारी रातें आएँगी जो तू ज़िन्दगी भर नहीं भुला पाएगी.

कविता ये बात सुनकर शर्मा जाती है और दीपू को चूम लेती है .फिर दीपू कविता को अपनी बाहों में लेकर दोनों एक दुसरे से जुड़ते हुए सो जाते है.

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Note: It took a very long time for me to come up with this Mega Update. Hope people will encourage me with their responses (especially the "silent readers") and comments. Much Thanks.
Bhut mast update ❤️ 👍
 

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Deepu ki teeno bibiyan samajdar hai. uski jaruraton ka dhyan rakhti hai. Meena ko banane ka achchha mouka hai. Romanchak. Pratiksha agle rasprad update ki
 

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25th Update (तीसरी शादी और सुहागरात ) (Mega Update)

वसु: चुप कर.. तेरी भी जल्दी ही मजे होने वाले है. जब दिनेश और ऋतू वापस आ जाएंगे तो तेरी भी शादी जल्दी ही होगी उससे. फिर तू भी मजे करना. निशा भी शर्मा जाती है और प्यार से उसकी माँ वसु के गले लग जाती है. शाम के वक़्त दीपू भी जल्दी घर आ जाता है और फिर सब रात की तैयारी करते है जब वो लकड़ियां वगैरा सब इक्कट्ठा करते है जलाने के लिए...

अब आगे..

दोपहर को नहा कर और खाना खा कर सब सो जाते है क्यूंकि सब लोग थके हुए थे होली खेल कर. शाम को निशा भी आ जाती है. शाम को फिर सब उठते है और फिर चाय पीते हुए बातें करते है. वसु कहती है सब लोग तैयार हो जाओ. ६. ३० बजे दीपू और कविता की शादी हो जायेगी.

क्यूंकि ये बात सिर्फ घर के लोगों को ही पता था तो वसु कहती है की घर में ही भगवान् को साक्षी मान कर उनकी शादी हो जायेगी. अगर आगे कोई अच्छा मौका मिलेगा तो उनके बारे में सब को बताएँगे और तब अवसर मिलेगा तो फिर से दोनों की धूम धाम से शादी होगी सब की मौजूदगी में. सब लोग इस बात को मान जाते है और फिर दिव्या और मीना कविता को लेकर उसे तैयार कराने जाते है. कविता इस बात से बहुत शर्मा रही थी लेकिन दिल में वो भी बहुत खुश थी की उसने जिसको पसंद किया है उसी से शादी हो रही है. वहीँ वसु भी दीपू को अलग कमरे में ले जाती है और उसे भी तैयार होने को कहती है.

दीपू तो जल्दी तैयार हो जाता है क्यूंकि वो तो सिर्फ कुरता और पयजामा पेहेन लेता है लेकिन कविता को तैयार होने में काफी वक़्त लगता है.

आखिरकार वो भी तैयार हो जाती है और मीना और दिव्या जब उसे तैयार कर के लाते है तो बाकी तीनो उसको देख कर आहें भरते है... यहाँ तक की कविता को देख कर वसु के चूत में भी हलचल हो जाती है और ना चाहते हुए भी दीपू का लंड तन जाता है क्यूंकि कविता उतनी सुन्दर और सेक्सी लग रही थी. चेहरा एकदम खिला हुआ एकदम कैसा हुआ ब्लाउज जिसमें से उसकी आदि चूचियां जैसे बाहर आने को तड़प रही हो उसकी गहरी और गोल नाभि जो साफ़ दिख रहा था क्यूंकि उसने साडी नाभि के २ इंच नीचे बाँधा हुआ था.

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उसको देख कर वसु भी एकदम खुश हो जाती है और फिर प्यार से उसकी नज़र उतारती है और धीरे से कान में कहती है.

वसु: आज तो तुम एकदम केहर ढा रही हो. तुम्हारे साथ अभी ही सुहागरात मनाने का मन कर रहा है. कविता ये बात सुनकर एकदम शर्मा जाती है लेकिन कुछ नहीं कहती. बाकी सब ही उसको देख कर बहुत खुश हो जाते है और कहते है की वो बहुत खूबसूरत लग रही है.

इतने में दीपू भी सज धज कर आ जाता है और वो भी बहुत हैंडसम लग रहा था. उसको देख कर दिव्या का भी वही हाल होता है जो कुछ देर पहले वसु का हुआ था कविता को देख कर. फिर सब घर में बने मंदिर के पास जाते है और फिर दोनों दीपू और कविता एक दुसरे को देखते है और एक दुसरे का हाथ पकड़ते है.

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फिर वसु सिन्दूर की डब्बी लाती है. दीपू उसमें से सिन्दूर लेकर कविता की मांग भर देता है

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फिर दोनों एक दुसरे को हार पहना कर भगवान् का आशीर्वाद लेते है. उसके बाद दोनों वसु के पैर छु कर उसका आशीर्वाद लेते है क्यूंकि वो लोग वसु को एक माँ के रूप में आशीर्वाद लेना चाहते थे. वसु दोनों को आशीर्वाद देती है और फिर कविता को गले लग कर धीरे से उसके कान में कहती है... जल्दी से तू मुझे दादी बना दे.. कविता शर्मा जाती है लेकिन उसी अंदाज़ में वसु को कहती है की वो भी उसे सौतेली माँ बना दे. वसु भी ये बात सुनकर शर्मा जाती है. दोनों फिर दिव्या से भी आशीर्वाद लेते है.

शादी की रसम होने के बाद सब फिर हॉल में बैठ जाते है. कविता अभी भी थोड़ा शर्मा रही थी. मीना दीपू को देख कर कहती है की वो उसे क्या बुलाये.. भांजा या फिर पिताजी और हस देती है. इस पर सब वहां लोग भी हस देते है. फिर बात आती है सुहागरात की तो वसु कहती है की आज सब थोड़ा आराम कर ले क्यूंकि सुबह से सब होली खेल कर बहुत थके हुए है. इस बात पे निशा भी हाँ कहती है और कहती है की वो भी बहुत थक गयी है और वो सोने चली जाती है. वसु उसे खाने के बारे में पूछती है.

निशा: नहीं माँ... आज भूक नहीं है. दोस्त के घर से मैं खा कर आयी हूँ. पेट भरा है और भी खाने का मूड भी नहीं है और ऐसा कहते हुए वो भी अपनी गांड मटकाते हुए अपने कमरे में चली जाती है.

वसु: दीपू आज कविता मेरे साथ ही सोयेगी. तू आज अलग से सोना. वसु की बात सुनकर दीपू का चेहरे थोड़ा मुरझा जाता है तो वसु हस्ते हुए कहती है.. कविता मेरे साथ सोयेगी लेकिन तेरी दूसरी बीवी है ना... वो तेरे साथ सोयेगी. मुझे पता है तू एक भी दिन भूका नहीं सो सकता.

कविता को ये बात समझ नहीं आती तो कहती है.. दीपू भूका क्यों सोयेगा.. आज वो खाना नहीं खायेगा क्या? इस बात पे वसु और दिव्या दोनों हस देते है. वसु कविता को बगल में बुला कर उसके कान में कहती है... पगली भूक का मतलब है चूत की भूक. हर दिन बिना हम दोनों को ठोके सोता नहीं है.

आज तू मेरे साथ सो रही है तो आज वो दिव्या की बजायेगा और फिर कल तुम्हारी. समझी? कविता ये बात सुनकर एकदम शर्मा जाती है और कहती है की तुम इतनी बेशरम कैसे हो गयी?

वसु: तू चिंता मत कर.. कल से तू भी मेरी तरह बेशरम हो जायेगी.

दीपू अपने कमरे में जाने लगता है तो वो मीना को बुलाता है. जब वो दोनों उन सब से अलग हो जाते है तो मीना पूछती है की क्या बात है? उसने उसे क्यों बुलाया है?

दीपू: मीना को दीवाल से सत्ता कर कहता है क्या कहा तुमने की तुम मुझे भांजे या पिताजी बुलाऊँ? तू मुझे अपने होने वाले बच्चे का बाप बुलाया कर और उसे आँख मारते हुए उसकी चूची दबा देता है. मीना शर्म के मारे एकदम लाल हो जाती है और वहां से भाग जाती है. उसका लाल चेहरा देख कर दिव्या उससे पूछती है तो वो कोई बहाना बना कर वहां से कमरे में चली जाती है.

दीपू अपने कमरे में जाता है और फिर कविता और वसु को बुलाता है. जब वो दोनों वहां जाते है तो दीपू कहता है: मैं एक बात कहना चाहता हूँ.

वसु: क्या हुआ? बोल

दीपू: अब मेरी तीसरी शादी भी हो गयी है तो मैं बस इतना ही कहना चाहता हूँ की हम सब प्यार से रहे और कविता को अपना समझ कर प्यार दे और किसीको कोई जलन या ऐसे मन में कोई बात ना आये.

वसु दीपू की ये बात सुनकर कहती है: तू चिंता मत कर. अब ये भी हमारी सौतन बन गयी है और हम इसे खूब प्यार देंगे और दीपू के सामने ही वसु कविता को अपनी बाहों में लेकर उसके होंठ चूमती है.

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ये तो एक झलक है. कल तुम्हारी सुहागरात होने दो.. फिर देखना हम दोनों इसे कितना प्यार देते है और फिर दोनों को आँख मार देती है. कविता एकदम शर्मा जाती है तो वसु कहती है.. क्यों मैंने कोई गलत बात कहा है क्या?

कविता: नहीं तुम एकदम ठीक कह रही हो. बस ये थोड़ी नयी जगह है और मैं तुम लोगों के साथ कभी नहीं रही हूँ तो.. ऐसा कहते हुए अपनी बात आधी छोड़ देती है.

वसु: मैं समझ सकती हूँ लेकिन चिंता मत कर. तू हम सब लोगों में जल्दी ही मिल जायेगी और तू बहुत खुश रहेगी. इतना मैं कह सकती हूँ.

वसु की बात सुनकर कविता की आँखों में आँसू आ जाते है और वसु को गले लगा लेती है. दीपू भी इन सब बातों से एकदम सहमत हो जाता है और फिर दोनों को गले लगा लेता है.

वसु: चलो मैं जल्दी ही खाना बनाती हूँ. जल्दी खा कर सो जाते है. आज हम बहुत थके हुए भी है. वसु जब किचन में जाने को होती है तो दीपू उसे पकड़ लेता है और कहता है की वो खाना यहाँ कमरे में भेज दे. आज पहला दिन है तो वो और कविता एक साथ खा लेंगे. वसु को भी ये बात सही लगती है और फिर किचन में चली जाती है खाना बनाने.

खाना बनाने के बाद वसु मीना से कहती है की खाना दीपू को उसके कमरे में दे आये. मीना कमरे में जाती है खाना उन्हें देकर कहती है मजे करो.

मीना खाना देती है और वहां से चली जाती है और उसके पीछे दीपू कमरे का दरवाज़ा बंद कर देता है.

वो बिस्तर पे आकर बैठ जाता है और फिर खाने का पहला निवाला कविता को खिलता है. कविता बड़े प्यार से दीपू की आँखों में देख कर खुश होते हुए खा लेती है और फिर कविता भी ऐसे ही करती है और दीपू को पहला निवाला खिलाती है. दूसरी बार जब कविता फिर से उसे खिलाने लगती है तो

दीपू कहता है: नहीं ऐसे नहीं खाना है.

कविता: फिर कैसे? खुद का लोगे?

दीपू: नहीं तुम ही खिलाओगी लेकिन ऐसे नहीं.

कविता: तो फिर कैसे?

दीपू: ऐसे और वो एक निवाला अपने मुँह में लेता है और अपने मुँह से कविता को खिलता है. कविता एकदम शर्मा जाती है लेकिन प्यार से खाती है. लेकिन दीपू अपना मुँह हटाता नहीं क्यूंकि खाने के साथ वो अपने होंठ कविता के होंठों से जुड़ा देता है और खाने के साथ दोनों एक गहरे चुम्बन में जुड़ जाते है. कविता ये सोची नहीं थी लेकिन वो भी दीपू का साथ देती है देखते ही देखते दोनों एक दुसरे की जुबां को चूसने लगते है.

2-3 min के गहरे किस के बाद दीपू कविता को भी ऐसे ही खिलाने को कहता है तो कविता भी दीपू को ऐसे ही 1-2 निवाला खिलाती है. कविता थोड़ा शर्मा के.. अब और नहीं.. तुम अपने हाथ से खा लो.

दीपू: क्यों?

कविता: हम दोनों ऐसे ही खाना खाये तो मैं बहुत बहक जाऊँगी. वैसे भी अभी भी मैं बहुत उत्तेजित हो रही हूँ. जैसे वसु ने कहा है कल तक रुक जाओ ना. फिर मैं तुम्हे कभी मना नहीं करूंगी. मैं भी कल के लिए ही इंतज़ार कर रही हूँ. दीपू फिर से उसको चूमता है और बात मान जाता है और फिर दोनों बड़े प्यार से एक दुसरे को खाना खिला लेते है.

इतने में बाकी सब लोग भी खा लेते है और जैसे वसु ने कहा था वो और कविता बगल के कमरे में सोने चले जाते है. मीना और निशा भी दोनों एक साथ दुसरे कमरे में सोने चले जाते है.

दीपू और दिव्या एक साथ सोते है और दोनों कुछ ही समय में नंगे हो जाते है और दीपू दिव्या के ऊपर चढ़ कर मस्त चुदाई करता है दिव्या की. आज दीपू बहुत जोश में था जिसे दिव्या भी महसूस करती है.

अब दिव्या ज़ोर ज़ोर से आवाज़ें निकालती है. आअहह!!! ऊऊहह!!! आह!! ओह!! हाआइइइइ! हां...ऊहह मां!!! साथ में दिव्या की चूड़ियाँ और पायलों की आवाज़ें बगल में वसु और कविता को भी सुनाई देती है.

वसु के कमरे में:

वसु कविता की और देख कर मस्ती में कहती है: कल तू इससे भी ज़्यादा आवाज़ करेगी. कविता भी अब धीरे धीरे वसु के सामने खुलती है और कहती है की वो उस पल का इंतज़ार कर रही है.

वसु: ये हुई ना बात.. ऐसे ही खुल कर रहा कर.. तुम ज़िन्दगी के बहुत मजे लोगी. लेकिन एक बात.

कविता: क्या?

वसु: बात ये है की ऐसे खुल कर सिर्फ कमरे में ही रहना जब हम चारों साथ में हो तो. बाहर सब के सामने एकदम नार्मल रहना. यही बात हम तीनो ने पहले ही सोच रखा है. अब तुम आ गयी हो तो ये बात तुम पर भी लागू होगी. ठीक है?

कविता: सही कहा. मैं भी ऐसा ही करूंगी. इतने में बाजू कमरे से और आवाज़ें आती है तो कविता कहती है: इतनी देर से आवाज़ आ रही है. कोई इतनी देर कैसे रह सकता है.

वसु: तुझे तो ये कल पता चल ही जाएगा. और मुझे पता है.. परसों सुबह तू एकदम लँगड़ाके चलने वाली है और उसे आँख मार देती है.

कविता: चुप कुछ भी बक्ति है.

वसु:अरे मैं बक नहीं रही हूँ. जब मेरी और दिव्या की सुहागरात हुई थी तो दुसरे दिन हमारा ऐसा ही हाल था. कविता ये बात सुनकर मन में सोचती है की शायद वसु ठीक कह रही है क्यूंकि बगल के कमरे से आवाज़ें अभी भी आ रही थी.

वसु: वैसे तुझे पता है ना की मीना यहाँ अब तक क्यों है.

कविता: उसको देखते हुए... हाँ पता है. पता नहीं वो माँ बन पायेगी या नहीं.

वसु: चिंता मत कर. वो ज़रूर माँ बनेगी.. याने तू नानी बन जायेगी और उसको देखते हुए उसके होंठों को चूम कर.. तू भी ज़रूर फिर से माँ बनेगी और मीना को एक छोटा प्यारा सा भाई या बेहन देगी.

ये बात सुनकर कविता की आँखों में आंसू आ जाते है. वसु उसके आंसू पॉच कर.. चिंता मत कर सब ठीक हो जाएगा.

बगल में दिव्या मस्त चुदते हुए दीपू से कहती है: लगता है कविता का गुस्सा तू मुझ पे निकल रहा है. आज तो तू बड़े जोश में दिख रहे हो और पिछले 45 min से मुझे पेल रहे हो. ना जाने मैं कितनी बार झड़ चुकी हूँ लेकिन तू तो रुकने का नाम ही नहीं ले रहा है. दीपू भी अब नज़दीक था तो वो दिव्या से कहता है की उसका भी होने वाला है.

दिव्या: मुझे तेरा पानी पीना है और दीपू अपना लंड दिव्या की चूत से निकल कर आखिरकार अपना माल पूरा दिव्या को पीला देता है और फिर दोनों थक कर एक दुसरे की बाहों में गिर जाते है और सब शांत हो जाता है और अपने अपने कमरे में लोग सो जाते है.

अगली सुबह

सब उठ कर अपना काम करते है और दीपू भी तैयार होकर ऑफिस चला जाता है और अपना काम में बिजी हो जाता है. वो दिनेश को फ़ोन करता है.

दीपू: दिनेश तू कब आ रहा है बे? यहाँ बहुत काम है.

दिनेश: जल्दी ही 1-2 दिन में पहुँच जाऊँगा. अच्छा सुन मुझे तुझसे एक बात करनी थी.

दीपू: बोल ना क्या बात है.

दिनेश: नहीं फ़ोन पे नहीं. जब मैं वहां आऊँगा तो तुझ से बात करूंगा.

दीपू: ठीक है. जल्दी मिलते है और फिर बात करते है. दीपू फ़ोन कट कर देता है और अपने काम में लग जाता है.

दीपू फिर अपना काम करके जल्दी घर आ जाता है क्यूंकि उसे पता था की आज क्या है. जब वो घर आता है तो घर में काम की हलचल होती है. वो अपने कमरे में जाने लगता है तो वसु उसे रोक देती है और कहती है की वो कमरे में ना जाए. दीपू क्यों पूछता है तो वसु उसे मना कर देती है और फिर दीपू दुसरे कमरे में जाकर फ्रेश हो जाता है. वो फ्रेश हो कर एक छोटे डिब्बी में तेल डाल के अपने पॉकेट में रख लेता है क्यूंकि उसे पता था की आज रात उसे वो तेल की ज़रुरत पड़ेगी. इन सब काम में दीपू को कविता दिखती नहीं है. वो उस बात पर ज़्यादा ध्यान नहीं देता और टीवी देखते हुए वक़्त निकल लेता है.

सुहागरात

रात को खाना खाने के बाद वसु दीपू को उसके कमरे में भेजती है और जाने से पहले उसको चूमते हुए कहती है: आज रात पूरा मजे कर. कल तुझे भूका रहना पड़ेगा.

दीपू: क्यों? भूका क्यों? तीन तीन बीवियां है और मैं भूका... ये कैसे हो सकता है?

वसु: फिर से उसके होंठ चूमते हुए.. क्यूंकि जानू आज तो कविता को अपना प्यार देगा तो कल मैं और दिव्या भी उसे बता देंगे की हम उसे कितना प्यार करते है. तूने ही तो कहा था ना की हमारे बीच कोई अनबन नहीं रेहनी चाहिए. तो हम दिखाएँगे की हमारे बीच ऐसा कुछ नहीं है और उसे कितना प्यार करते है.. और उसे आँख मार देती है. चल.. ये तो कल की बात है.. आज तू कविता को पूरा प्यार से भर दे. वो दीपू को अंदर कमरे में धकेल कर दरवाज़ा बंद कर देती है.

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दीपू जब कमरे में जाता है तो अंदर का नज़ारा देख कर एकदम खुश हो जाता है क्यूंकि कमरा एकदम फूलों से सजा हुआ था. और बिस्तर के बीच में अपना घूंघट डाले हुए कविता बैठी हुई थी.

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दीपू भी फिर धीरे से बिस्तर पे आता है. कविता उसे देख कर उठ जाती है और कमरे में रखे हुए दूध लाती है और उसे देती है.

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दोनों फिर दूध पी लेते है और वो कविता के बगल में बैठ जाता है और फिर अपनी जेब से एक सोने का हार निकल कर कविता को देता है.

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कविता वो हार देख कर एकदम खुश हो जाती है और दीपू कहता है ये तुम्हारे लिए है. कविता खुश होते हुए उसे धन्यवाद कहती है तो दीपू कहता है उसने तो उसे मुँह दिखाई का तोहफा दिया है तो उसे भी आज एक तोहफा चाहिए उससे.

कविता: मैं तो अब तुम्हारी ही हूँ तो मुझसे क्या तोहफा चाहिए.

दीपू:तुम तो जानती हो की सुहागरात में दुल्हन अपना कुंवारापन देती है तो मुझे भी कुछ ऐसा ही चाहिए.

कविता: क्या चाहिए?

दीपू: कविता के पास आकर उसके कान में कहता है: आज सुहागरात में मुझे तुम्हारी कुंवारी गांड चाहिए. आज मैं तुम्हारे गांड का उद्धघाटन करूंगा. कविता ये सुनकर एकदम शर्मा जाती है और डर भी जाती है की दीपू आज उसकी गांड मारने वाला है.

कविता: ना बाबा... मैंने आज तक वहां नहीं लिया है... मेरी चूत भी लगभग कुंवारी ही है.

दीपू: मैं जानता हूँ लेकिन आज तो मुझे तुम्हारे तीनो छेद चाहिए और ऐसा कहते हुए दीपू कविता को पकड़ कर उसके होंठों को चूमता है तो कविता भी उसका पूरा साथ देती है और दोनों एक प्रगाढ़ चुम्बन में जुड़ जाते है और दोनों अपनी लार आदान प्रदान करते हैं और एक दुसरे की जीभ चूसते है.

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इस किस में दोनों पीछे नहीं हटते और 5 Min तक दोनों के बीच हवा तक जाने की संभावना भी नहीं थी. दोनों इतने जुड़े हुए थे. 5 Min बाद जब दोनों अलग होते है तो कविता की पूरी लिपस्टिक भी निकल चुकी थी.

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इस 5 Min के किस में ही कविता झड़ जाती है और उसी पैंटी और चूत भी पूरी गीली हो जाती है.

दीपू: तुम्हारे होंठों में इतना रस है की ज़िन्दगी भर तुम्हारा ये रस पीता रहूँ.

कविता: तो रोका किसने है जी भर के पी लेना. दीपू फिर से उसके होंठों पे टूट पड़ता है और इस बार उसे चूमते हुए अपने हाथ को भी काम में लाता है. उसको चूमते हुए उसका ब्लाउज को खोलने की कोशिश करता है. दोनों जुड़े हुए थे तो वो ब्लाउज खोल नहीं पाता तो कविता उसके किस को तोड़ते हुए अलग होती है और खुद ही अपना ब्लाउज खोल देती है. जब वो अपना ब्लाउज खोलती है तो अंदर वो एक सेक्सी और ट्रांसपेरेंट लाल ब्रा पहने हुई होती है जिसको देख कर दीपू के मुँह में पानी आ जाता है. उसकी ब्रा को भी निकल कर फेक देता है और अब वो ऊपर से नंगी हो गयी थी. दीपू अपने हाथों से कविता की गोल नरम चूचियो को मसलने लगा और अपने चेहरे को एक चूची पे रख कर चूमते हुए लगभग काट देता है तो कविता के मुँह से सिसकी निकलती है और कहती है आराम से करो ना... ये कहीं भागे नहीं जा रहे है. ये तो अब से तुम्हारा ही हुआ है.

दीपू हस देता है और फिर दुसरे हाथ से उसकी दूसरी चूची को भी दबाता है. बारी बारी से उसके दोनों चूचियों को चूसते और काटे हुए कहता है इनमें भी बहुत रस भरा है.

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इसमें भी दूध आ जाए तो पीने में बड़ा मजा आएगा.

कविता दीपू के सर को पकड़ कर उसको देखते हुए कहती है की वो पहले मीना की चूची में दूध भर दो. तुम्हे पता है ना की वो अब तक यहाँ क्यों है. इस बात को दोनों को मतलब पता था.

दीपू कहता है: बात तो तुम्हारी सही है लेकिन मैं सोच रहा था की दोनों में एक साथ दूध आ जाए तो कितना अच्छा होगा. उसको फिर से चूमते हुए... तुम माँ और नानी एक साथ बन जाओगी. दीपू की ये बात सुनकर कविता शर्मा जाती है. दीपू कविता को सुला देता है और उसकी गोल और गहरी नाभि को चूमता और चाटता है तो कविता से रहा नहीं जाता और ज़ोर से सिसकी लेते हुए ऊऊऊईईईईईई माँ ओ ओ ऊईईईईईई ओह ओह ऊई जैसे आवाज़ निकलती है और दीपू का सर उसके पेट पे दबा देती है.

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उसको चूमते और चाटते हुए वो नीचे जाता है और उसकी पेटीकोट और उसकी साडी भी निकल देता है और देखता है की उसकी लाल और छोटी पैंटी एकदम गीली और रस से भरी हुई है.

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उसकी बंद और गीली चूत को दीपू देखता ही रह जाता है क्यूंकि वो इतनी कामुक लग रही थी. चूत एकदम साफ़ चिकनी और बिलकुल रस से भरी हुई.

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दीपू: तुम तो पूरी गीली हो गयी हो.

कविता: क्यों नहीं... क्यों नहीं तुम ने मुझे इतना बहका दिया है की मैं तो पानी पानी हो गयी और झड़ भी गयी और नतीजा तुम्हारी आँखों के सामने है.

दीपू खुश हो जाता है और फिर अपनी उंगलियों से चूत की कलियां फैलाई और जीभ निकाल कर उसकी चूत पे टूट पड़ता है और ऊपर से नीचे तक उसकी चूत चाटता है. कविता भी अब बहुत गरम हो गयी थी और ऊऊऊईईईईईई माँ ओ ओ ऊईईईईईई करते हुए ज़ोर ज़ोर से सिसकियाँ लेती हुई दीपू का सर अपनी चूत पे दबा देती है.

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काफी देर तक वो जांघों को पकड़ कर कविता की चूत चाटता. लगभाग दस से पंद्रह मिनट तक दीपू अपनी जीभ से उसकी चूत चाटता रहा और दीपू अपना पोजीशन बदल कर कविता को इशारा करता है की वो उसके मुँह पे बैठ जाए. कविता को ये सब अपनी ज़िन्दगी में पहली बार हो रहा था क्यूंकि उसका पहला पती कभी उसे ऐसा सुख नहीं दिया था. कविता फिर अपने पैर फैलाये दीपू के सर के ऊपर आकर उसपे बैठ जाती है और दीपू बड़े चाव से उसकी चूत फिर से चाटने लग जाता है.

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इसबार कविता से रहा नहीं जाता और वो फिर से एक और बार झड़ जाती है और अपना पूरा रस दीपू के मुँह में गिरा देती है जिसे दीपू बड़े चाव से पी जाता है. कविता भी थक गयी थी तो वो भी बगल में लेट जाती है.

दीपू उसके ऊपर चढ़ कर उसके होंठों को चूमता है और अपनी जुबां उसके मुँह में डाल देता है और कविता को उसकी चूत के रस का स्वाद देता है. दीपू किस तोड़ कर कविता की आँखों में देख कर.. कैसा लगा तुम्हे तुम्हारा रस? कविता को कुछ समझ नहीं आता तो पूछती है क्या?

दीपू: अरे पगली तुम अभी अपना रस मेरे मुँह पे छोड़ी थी जिसे मैं पी गया था और अब वही रस तुमको छकाया है. बोलो कैसा लगा?

कविता: शर्म से तुम तो बड़े बेशर्म और गंदे हो. मुझे बताये बिना ही ये सब कर दिया.

दीपू: जानू ये तो कुछ भी नहीं है और ऐसा कहते हुए वो कविता को घोड़ी बना देता है और पीछे से उसकी चूत को फिर चाटता है और इस बार वो कविता की गांड का भूरा छेद देखता है और अपनी जुबां से उसकी गांड को भी चाटता है. ऐसा करने से कविता की आँखें बड़ी हो जाती है और वो तो जैसे जन्नत पे पहुँच गयी थी.

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दीपू फिर से उसकी गांड को अच्छे से चाटने के बाद फिर से उसको चूमता है तो इस बार कविता अपनी आँखें बड़ी कर के दीपू को देखती है तो दीपू भी समझ जाता है और हस्ते हुए उसको आँख मार के कहता है ये था तुम्हारे गांड का स्वाद. कविता एकदम शर्मा जाती है और प्यार से दीपू को मुक्का मारती है.

कविता: मैं तो जैसे जन्नत पे पहुंच गयी थी.. तुमने मुझे इतना मजा दिया. ज़िन्दगी में इतना मजा पहले कभी नहीं आया. ऐसा लगता है की आज मेरी पहली सुहागरात है.

दीपू: डार्लिंग असली मजा तो तब आएगा जब मैं तुम्हे पूरा औरत बना दूंगा.

कविता: मतलब?

दीपू: प्यार से उसके होंठ चूमते हुए जब मैं तुम्हे चोदुँगा और फिर जब मैं तुम्हारी गांड मारूंगा तो तुम पूरी औरत बन जाओगी. समझी. कविता ये बात सुनकर फिरसे शर्मा जाती है लेकिन कुछ नहीं कहती.

दीपू: तुम्हारी चूचियां और चूत चूस कर देखो कैसे मेरा लंड तन गया है. अब तुम इसको पकड़ो, प्यार करो और बताओ की तुम इसे कितना पसंद करती हो. आखिर में यही तुम्हे जन्नत की सैर करेगा तो इसे अपने मुँह से खुश कर दो.

कविता फिर उसके लंड को देख कर.. बाप रे ये तो बहुत बड़ा दिख रहा है.

दीपू: क्यों तुम्हे पसंद नहीं आया क्या?

कविता कुछ नहीं कहती और फिर अपनी जुबां को आगे बढ़ाते हुए उसके लंड को पहले चूमती है और फिर धीरे धीरे उसका पूरा लंड अपने मुँह में ले लेती है. पहले तो उसे थोड़ी तकलीफ हुई थी लेकिन आखिर में उसने दीपू का पूरा 8 inch तना हुआ लंड अपने मुँह में ले ही लिया और अपनी जुबां और थूक से उसे पूरा गीला कर देती है और दीपू का लंड तन कर जैसे उसे सलामी दे रहा था.

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दीपू भी मजे से उसका सर पकड़ कर धक्का मारता है और वो भी पूरा लंड उसके मुँह में डाल देता है और वो जैसे कविता के गले के आखिर तक जाती है (ऐसा कविता महसूस करती है). दीपू भी जैसे जन्नत में था.

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दीपू: तुम भी बड़ा मस्त लंड चूसती हो जान... ऐसे ही चूसो जान. 10 Min तक लंड चूसने के बाद दीपू उसे बिस्तर पे लिटा देता है और उसके होंठ चूमते हुए कहता है... अब तैयार हो जान?

कविता उसकी आँखों में देख कर हाँ कहती है तो पहले दीपू अपने लंड से उसकी चूत पे अपने लंड से रगड़ता है तो कविता एकदम सेहम सी जाती है.

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कविता: जानू थोड़ा धीरे से डालना. मेरी चूत भी ऑलमोस्ट कुंवारी ही है. बहुत दिनों से बंद पड़ी है.

दीपू: चिंता मत करो जान. मैं तुम्हे तकलीफ नहीं दूंगा और आराम से ही डालूंगा और ऐसा बोलते हुए वो अपने लंड को उसकी गीली चूत में डाल देता है.

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जब लंड उसकी चूत में जाता है तो कविता को जैसे एक सुकून मिलता है क्यूंकि वो बहुत दिनों बाद चुद रही थी और ऐसा ही कुछ एक्सप्रेशन उसके चेहरे पर भी आता है.

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दीपू: जान कैसे लग रहा है?

कविता: पूछो मत. मुझे इस पल को जी लेने दो. बहुत सालों बाद मुझे सम्भोग का सुख मिला है और इसके लिए मैं तुम्हे, वसु और दिव्या का बहुत शुक्रगुज़ार हूँ.

दीपू: ये तो गलत है. अब हम सब एक परिवार है और मुझे पता है वसु, दिव्या और निशा भी तुमसे बहुत प्यार करते है. इस पल को जी लो और ऐसा कहते हुए दीपू अपने धक्कों की स्पीड बढ़ा देता है और इसमें कविता को भी बहुत मजा आ रहा था. कविता भी अब जोश में आकर अपने पैर दीपू के कमर में डाल कर उछलती रहती है और जब थोड़ा दीपू रुक जाता है तो कविता अपनी गांड उठा कर उसका पूरा लंड अपने चूत में ले लेती है. अब कमरे में पूरे ज़ोर से चुदाई का सिलसिला चलता है और पूरे कमरे में थप थप की आवाज़ें गूँजती है और साथ में उसके पायल और चूड़ियाँ की आवाज़ भी आती है.

वसु के कमरे में:

उनकी आवाज़ सुनकर बगल के कमरे में वसु दिव्या से कहती है.. लो अब अपनी सौतन भी हमसे जुड़ गयी है. उसकी चूड़ियों की आवाज़ बताती है की वो भी मजे से चुद रही है.

दिव्या ये बात सुनकर हस देती है और वसु के ऊपर चढ़ कर... मैं अभी बहुत गरम और गीली हूँ जब से उनकी आवाज़ सुन रही हूँ. मुझे अभी तुमसे प्यार करना है और वसु को चूम लेती है. वसु भी गरम हो गयी थी और वो भी दिव्या का साथ देती है. दोनों दो पल में अपने कपडे निकल फेकते है और नंगे हो कर एक दुसरे को चूमते रहते है.

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और देखते देखते दोनों एक दुसरे को प्यार करते है. दोनों 69 पोजीशन में आ जाते है और एक दुसरे की चूत को चाट कर और चूत में ऊँगली कर के दोनों अपना रस एक दुसरे को पीला देते है और फिर बगल मं लेट जाते है. लेकिन अब भी दीपू के कमरे से आवाज़ें बंद नहीं हुई थी.

वापस दीपू के कमरे में:

20-25 Min तक दीपू कविता को चोद चोद कर उसकी हालत बुरी कर देता है. वो ना जाने कितनी बार झड़ जाती है लेकिन दीपू तो अभी भी लगा हुआ था. दीपू फिर उठ कर बैठ जाता है और कविता को अपनी टांगों के बीच बिठा कर उसके चूमते हुए फिर से चोदने लगता है.

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अब कविता भी अपनी गांड उठा उठा कर चुदने लगती है. 10 Min बाद

कविता: जानू मैं तो बहुत थक गयी हूँ. तुम्हारा अब तक हुआ नहीं है क्या?

दीपू: अभी कहाँ.. तुम्हे तो अब पूरा औरत बनाना है. कविता इस बात का मतलब समझ जाती है और प्यार से उसे चूमते हुए उसे मना करने की कोशिश करती है. दीपू को भी पता था की कविता इतनी जल्दी नहीं मानेगी तो वो उसे इमोशनल हो कर कहता है. क्या तुम अपने पति की इच्छा पूरी नहीं करोगी सुहागरात में?

इस बात में कविता कुछ नहीं कह पाती और बस इतना कहती है ठीक है जानू मैं मना नहीं करूंगी लेकिन एकदम आराम से करना. मेरी गांड कुंवारी है तो प्यार से करना.

दीपू: मुझे पता है.. बहुत प्यार से डालूँगा. तुम्हे पहले थोड़ी तकलीफ होगी लेकिन सेह लेना. कविता अब हार मान लेती है और हाँ में सर हिलती है. दीपू फिर बगल में रखे डिब्बी में से तेल निकल कर अपने लंड पे डालता है और उसे पूरा चिकना कर देता है और कविता की गांड को अच्छे से चाट कर गीला करता है और फिर उसकी गांड की छेद पे तेल डाल कर उसे भी चिकना कर देता है.

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दीपू: जानू तैयार हो? कविता उसको देख कर हाँ कहती है और अपने मुँह को हाथ से धक् लेती है क्यूंकि उसे पता था की उसे दर्द होगा.

दीपू फिर धीरे से अपने तेल से चिकने लंड को कविता की चिकनी गांड में डालता है. उसे भी थोड़ी मेहनत करनी पड़ती है लेकिन थोड़ा ज़ोर लगा कर आखिर में फ़क की आवाज़ से अपना लंड उसकी गांड में घुसा ही देता है.

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लंड घुसते ही कविता एकदम ज़ोर से चिल्लाती है... ऊऊऊईईईईईई माँ ओ ओ ऊईईईईईई ओह ओह ऊई undefined मैं मर गयी। ऊईई मेरी गाँड फट गयी ऊऊऊऊ हाय माँ ओई मेरी गाँड फट गयी। प्लीज़ बाहर निकाल लो। उसके चिल्लाने से दीपू भी थोड़ा डर गया और झुक कर उसके होंठों को अपने होंठों से जोड़ कर उसकी आवाज़ काम कर दी. लेकिन उसकी आवाज़ इतनी ज़ोर के थी की दुसरे कमरे में सो रही मीना भी झट से उठ गयी और टाइम देखा तो काफी देर हो गया था और वो सोचती रही की दीपू अभी भी उसकी ले रहा है क्यूंकि मीना को पता था की ऐसे आवाज़ दमदार चुदाई में ही आती है. लेकिन उसे पता नहीं था की दीपू उसकी माँ की गांड मार कर उसकी आवाज़ निकल दी.

कविता की आँखों से आने निकलते है तो दीपू वैसे ही रुक जाता है और उसके आंसूं पोछते हुए कहता है... हो गया जानू. जो दर्द तुम्हे होना था वो हो गया 3-4 Min वो वैसे ही बिना हिले रहता है और उसके होंठ चूमते हुए उसकी चूची दबाते रहता है जिससे उसका ध्यान उसके दर्द में ना रहे. 3 Min बाद जब दीपू उसकी चूची दबाते रहता है तो कविता फिर से उत्तेजित होते है और दीपू को इशारा करती है. दीपू समझ जाता है की उसे थोड़ा आराम मिला है और फिर से उसकी चूची दबाते हुए इस बार उसके होंठ को अपने होंठ पे रकते हुए एक ज़ोरदार शॉट मारता है और इस बार उसका पूरा 8 inch का लंड उसकी गांड को चीरता हुआ पूरे जड़ तक घुस जाता है.

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कविता तो ऑलमोस्ट बेहोश हो जाती है. अगर दीपू उसके होंठ ना दबाके रखता तो शायद पूरा मोहल्ला उठ जाता.

दीपू फिर रुक जाता है और उसको प्यार से धीरे से २- ३ बार उसके गाल पे थपथपाता है तो थोड़ी देर बाद कविता अपनी आँखें खोलती है और बड़े दर्द भरे भाव से दीपू को देखती है.

दीपू: अब सच में हो गया डार्लिंग. देखो मेरा लंड पूरी तरह तुम्हारी गांड में चला गया है. अब सच में तुम्हे दर्द नहीं होगा. कविता कुछ नहीं कहती और ऐसे ही रहती है. फिर कुछ देर बाद दीपू अपना लंड निकल कर धीरे धीरे उसकी गांड मारने लगता है तो इस बार कविता को दर्द थोड़ा काम होता. लंड और गांड तेल से गीले होने के कारण अब उसका लंड आराम से अंदर बाहर होने लगता है. कुछ देर बाद अब कविता को भी मजा आने लगता है और वो भी अब सिसकारियां लेने लगती है. अब दीपू समझ जाता है की कविता का दर्द दूर हो गया है और फिर दनादन लंड अंदर बाहर करते हुए उसकी गांड मारता है.

थोड़ी देर बाद दीपू कविता को घोड़ी बनाता है और पिछसे से उसकी गांड मारने लगता है.

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इस पोजीशन में अब कविता को भी मजा आने लगता है और वो भी अपनी गांड आगे पीछे करते हुए गांड मरवाती है. दीपू तो जैसे सातवें आसमान में था. वो झुक कर उसकी पीठ चूमता है और अपने हाथ से उसकी चूची दबाते रहता है. कविता इस हमले को झेल नहीं पाती और फिर से झड़ जाती है. 5 min बाद अब दीपू को भी लगता है की उसका पानी निकलने वाला है और वो कविता से कहता है तो कविता कहती है की आज की रात वो उसका पानी पीना चाहती है तो दीपू अपने लंड को निकल कर अपना वीर्य उसके मुँह में डाल देता है. कविता बड़े मजे से उसका वीर्य पी जाती है और कुछ बूँदें उसकी चूची पे भी गिर जाती है.

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अब दोनों थक जाते है तो दीपू भी थक कर उसके बगल में गिर जाता है. कविता उसका पूरा पानी पी कर कहती है..

कविता: इतना पानी निकालता है तू. तेरा वीर्य भी बहुत गाढ़ा और एकदम टेस्टी है. अगर तू मेरे चूत में झड़ जाता तो शायद मैं फिर से माँ बन जाऊँगी.

दीपू: तो अगली बार तेरी चूत में ही डाल कर उसके पेट को सहलाते हुए.. इसे फुला देता हूँ.

कविता: नहीं मैं चाहती हूँ की तू पहले मीना का पेट फुला दे... इस बात पे दोनों हस्ते है.

कविता: आज तूने मुझे दिखाया है की असली सुहागरात कैसे होती है.

दीपू: तुझे मजा आया?

कविता: मैं यही तो कह रही हूँ. शायद मैं ये ज़िन्दगी भर नहीं भूल पाऊंगी.

दीपू: तो फिर ऐसी बहुत सारी रातें आएँगी जो तू ज़िन्दगी भर नहीं भुला पाएगी.

कविता ये बात सुनकर शर्मा जाती है और दीपू को चूम लेती है .फिर दीपू कविता को अपनी बाहों में लेकर दोनों एक दुसरे से जुड़ते हुए सो जाते है.

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Note: It took a very long time for me to come up with this Mega Update. Hope people will encourage me with their responses (especially the "silent readers") and comments. Much Thanks.
Wah is mega update ne to maja kara di.
Behtarin

Lage raho.....
 
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