वसु को अभी ये पता नहीं था की बाबा के पास जाने के बाद एक बड़ा बम फटने वाला है.
अब आगे ..
6th Update
थोड़ी देर बाद निशा और दिव्या भी आ जाते है और सब लोग चाय पीते हुए बातें करते है और फिर सब अपने काम में लग जाते है. दीपू और निशा कॉलेज चले जाते है और दिव्या और वसु घर के काम में busy हो जाते है.
उस दिन घर में वसु थोड़ा अपनी सोच में गुमसुम रहती है. दिव्या उससे पूछती है तो वसु कहती है की उसे दिव्या की चिंता सताये जा रही है. उसकी उम्र हो रही है और अब तक उसकी शादी नहीं हुई है. दिव्या कहती है की इस बारे में ज़्यादा ना सोचे और जो कुछ उसके भाग्य में लिखा है वही होगा.
वसु दिव्या को देख कर कहती है की तुझ जैसी लड़की को कौन ठुकरा सकता है. देख अपने आप को.. इतनी सुन्दर और भरा हुआ बदन है फिर भी रिश्ते आ नहीं रहे ह और जो भी आ रहे है सब ठुकरा देते है कोई बहाने से. इस बार दिव्या कुछ नहीं कहती और दोनों अपने काम में लग जाते है.
वसु कहती है की उसके माँ बाप और बाकी रिश्तेदारों को भी उसकी चिंता लगी है. कहती है की २ दिन पहले ही उसकी माँ ने उसे फ़ोन किया था और वो दिव्या के बारे में भी पूछ रही थी और चिंता जाता रही थी.
दो दिन बाद रविवार को जब छुटी था तो वसु दीपू से कहती है की वो लोग उस दिन खंडहर जाएंगे और बाबा से मिलकर आते है. ये बात निशा और दिव्या को पता नहीं था. (की किस लिए वो दोनों खंडहर जा रहे है). रविवार था तो दोनों भी उनके साथ चलने की ज़िद करते है तो वसु किसी तरह दोनों को उस दिन मना कर देती है. दोनों खंडहर के लिए निकल जाते है.
खंडहर पहुँच कर दोनों बाबा से मिलते है.
वसु: नमस्ते बाबा जी.. पहचाना क्या हमें? बाबा की अभी थोड़ी उम्र हो गयी थी लेकिन फिर भी उनका मन अभी भी बहुत तेज़ चलता था और उनकी याददाश्त भी एकदम सही था. वो वसु को पहचान लेता है और कहता है की उन्होंने पहचान लिया है लेकिन वक़्त के साथ साथ वो (वसु) भी बड़ी हो गयी है लेकिन उसने पहचान लिया था
बाबा: बोलो कैसे आना हुआ? फिर से कोई समस्या आ गयी है क्या?
वसु: जी ऐसा ही कुछ है और फिर वसु दिव्या के बारे में बताती है और फिर उसकी जनम कुंडली निकाल कर बाबा को देती है.
वसु: बाबा जी ज़रा देखिए ना इसके जीवन में क्या लिखा है? उसकी उम्र हो रही है लेकिन अब तक शादी नहीं हुई है और जो भी सम्बन्ध आते है तो वो लोग उसे ठुकरा देते है.
इन सब में दीपू एकदम शांत रहता है और कुछ नहीं कहता. बाबा जब वो दिव्या की कुंडली देखते रहता है तो उसकी नज़र दीपू पे पड़ती है और वसु से पूछता है तो वसु कहती है की वो उसका बेटा है जिसे उनके पास लेकर आयी थी जब वो छोटा था और कुछ बिमारी से उलझ रहा था. दीपू ये बात सुनकर आश्चर्य हो जाता है और सवालिए नज़र से वसु की तरफ देखता है.
बाबा: हाँ मुझे याद है. तुम्हारा लड़का बड़ा हो गया है और बहुत सुन्दर भी दिख रहा है.
फिर बाबा दिव्या की कुंडली देखता है और कहता है उसे कुछ समय दो और फिर ध्यान से कुंडली देखने लग जाता है.
बाबा: तुम्हारी बेहन कहाँ रहती है?
वसु: हमारे साथ ही रहती है.
बाबा: कब से?
वसु: काफी सालों से जब से (दीपू की तरफ देख कर) इसके पिताजी गुज़र गए . क्यों? क्या हुआ?
बाबा: कुछ समय बाद कुछ सोचते हुए वसु से पूछते है की क्या उसने (वसु ने) अपनी कुंडली भी लायी है क्या? वसु इस बात से थोड़ा आश्चर्य हो जाती है लेकिन कहती है की उसने अपनी कुंडली नहीं लायी है.
बाबा: कल तुम फिर से आ जाना और इस बार अपनी कुंडली भी ले आना.
वसु: बाबा हम तो काफी पुराने लोग है. मेरे पास तो मेरी कुंडली भी नहीं है. शायद मेरे माँ पिताजी के पास हो सकती है. ज़रा एक minute ठहरना. मैं एक बार उनसे पूछ कर बताती हूँ.
वसु फिर बाहर चले जाती है और अपनी माँ से फ़ोन पे बात करती है. उसकी माँ कहती है की उसकी कुंडली तो है लेकिन कहाँ रखा है उसे याद नहीं और ढूंढने में बहुत वक़्त लग जाएगा.
वसु फिर वापस आकर यही बात बाबा को बताती है. बाबा फिर कुछ सोचते रहते है तो इतने में वसु कहती है..
वसु: बाबा मैं एक बात पूछ सकती हूँ?
बाबा: हाँ ज़रूर क्या पूछना है.. यही ना की मैं तुम्हारी कुंडली क्यों मांग रहा हूँ?
वसु: हाँ
बाबा: मैं शायद बता सकता हूँ लेकिन अगर एक बार तुम्हारी कुंडली देख लेता तो फिर पक्का बता सकता हूँ.
वसु: क्या बता सकते हो?
बाबा: यही की शायद तुम्हारी ज़िन्दगी तुम्हारी बेहन के साथ जुडी हुई है
वसु: मैं समझी नहीं.
बाबा: अच्छा मुझे तुम अपनी तारिक और समय बता दो. मैं ही फिर से तुम्हारी कुंडली बना देता हूँ.
वसु उन्हें अपनी जनम की तारीक और समय बताती है तो बाबा फिर ध्यान देकर उसकी कुंडली बनाते है और फिर उसे वो दे देते है.
बाबा: वैसे एक बात पूछूं?
वसु: हाँ
बाबा: जब तुम पहली बार मुझसे मिलने आयी थी तो क्या सोच कर आयी थी?
वसु: यही की हमने आपके बारें में गाँव में बहुत सुना था और ये भी पता चला था की आप बहुत समझदार और गुणवाणी हो और लोगों का भला ही सोचते हो और लोगों को आप पे बहुत भरोसा है.
बाबा: ठीक है.. तो तुम्हे क्या लगता है मेरे बारे में?
वसु: यही की गाँव वालों ने आपके बारे में जो कहा था वो एकदम सही है.
बाबा: तो ये लो अपनी कुंडली और चाहे तो अपने घर में भी इसे दिखा देना. मुझे पता है की इसमें कोई गलती नहीं निकाल पायेगा.
वसु: वो अपने पास रख कर बातें आगे बढ़ाती है और कहती है की हाँ इतना मुझे पता चला है जब हमने इसकी (दिव्या की) कुंडली हमारे गाँव में दिखाई थी की इसके कुंडली में कुछ दोष है और इसीलिए अब तक इसकी शादी नहीं हुई है
वसु: क्या उसका कोई इलाज नहीं है? ज़िन्दगी भर वो बिन भ्यायी (और कुंवारी) ही रहेगी क्या?
बाबा: तुम सही कह रही हो.
वसु: तो फिर इसमें मेरी कुंडली से क्या बात है?
(जब ये सब बातें दोनों में हो रही थी तो दीपू बस वहां चुप चाप खड़े हो कर उनकी बातें सुन रहा था ).
बाबा: बताता हूँ
बाबा: फिर से अच्छे से कुंडली को पढ़ने के बाद कहता है की इलाज तो है लेकिन थोड़ा मुश्किल है. वसु ये बात सुनकर थोड़ा खुश हो जाती है और कहती है की कितना भी मुश्किल क्यों ना हो उस वो कोई ना कोई उपाय ढूंढ लेगी.
बाबा: तुम जो कह रही हो उतना आसान नहीं है.
वसु: फिर भी बताइये क्या इलाज है.
बाबा: जैसे मैं सोच रहा हूँ अगर वैसा है तो फिर तुम्हे ही इसका इलाज करना है
बाबा: बाबा वसु की आँखों में देखता है और कहता है की दिव्या की शादी किसी अपने घर वाले से ही करने से उसका दोष निकल जाएगा. अगर वो बाहर किसी और से शादी करेगी तो तो बहुत जल्दी विधवा हो जायेगी और उसकी ज़िन्दगी भी बहुत मुश्किल होगी और नरक बन जायेगी. अगर तुम उसकी खुशाली चाहती हो तो उसकी शादी अपने किसी घर वाले से ही करवाना वरना क्यूंकि वो यहीं इस घर में ही खुश रह सकती है. अगर बाहर किसी और के घर चली गयी (शादी कर के) तो उसे बहुत दुःख झेलना पड़ेगा..
बाबा की ये बात सुनकर दोनों वसु और दीपू एकदम दांग रह जाते है और दोनों कुछ नहीं कहते.
वसु अपने आप को संभालते हुए कहती है की ये तो बड़ी मुश्किल बात है क्यूंकि उसे पता था की उसके घर में शादी के उम्र का लड़का सिर्फ दीपू ही है उसके परिवार में और कोई नहीं.
वसु: मेरे परिवार में सिर्फ मेरा बेटा ही है (दीपू की तरफ इशारा कर के) यही एक लड़का है जो की शादी के उम्र का है.
बाबा: मैंने ये नहीं कहा की लड़का बड़ा या छोटा हो.. बस इतना ही की तुम्हारे परिवार से ही हो. वसु जानती थी की उसके परिवार के बाकी मर्द ज़्यादा काम के नहीं है और सिर्फ दीपू ही है जो उससे शादी कर सकता है और उसे खुश रख सकता है.
वसु: आपने जो कहा मैं समझती हूँ लेकिन इसमें मेरी कुंडली कहाँ से आ गयी?
बाबा: बात ये है की तुम्हारी बेहन की ज़िन्दगी तुम से जुडी हुई है.
वसु: मतलब?
बाबा: मतलब ये की तुम्हारी बेहन की शादी तुम्हारे घर में जिससे होगी उसी से तुम्हारी शादी भी होगी. मैं यही पक्का करना चाहता था.. इसीलिए तुम्हारी कुंडली के बारे में पूछ रहा था
बाबा: मुझे पता है की तुम विधवा हो लेकिन दुनिया में बहुत ऐसे लोग है जो विधवा से फिर से सुहागन बन गए. तुम्हारे ज़िन्दगी में भी कुछ ऐसा हो सकता है.
वसु ये बात सुनकर एकदम दांग रह जाती है और यही हाल दीपू का भी था. बाबा जब ये बात कहते है तो दीपू एकदम अपनी आँखें बड़ी करते हुए दोनों को देखता रहता है.
वसु : आपने जो कहा मुझे समझ नहीं आ रहा है और मेरे घर में सिर्फ मेरा ही बेटा है जो मेरी बेहन से शादी करने के लायक है. लेकिन मैं कैसे उससे शादी कर सकती हूँ?
वसु: मेरी अब उम्र हो रही है.
बाबा: अगर तुम्हे बुरा नहीं लगे तो अभी तुम्हारी कितनी उम्र है?
वसु: ४० +
बाबा: तुम अपनी जवानी के शिकर पे हो और शायद तुम्हे भी पता होगा की दुनिया में ऐसे बहुत लोग है जिनकी उम्र तुम से भी ज़्यादा है लेकिन फिर से शादी कर के अच्छे से घर बसा लेते है.
बाबा: और वैसे तुम्हे याद होगा जब तुम बहुत सालों पहले मेरे पास आयी थी और मैंने क्या कहा था तुम्हारे बेटे के बारे में ?
वसु: जी याद है.
बाबा: तो जो होना है वही हो के रहेगा. ना तुम ना मैं बदल सकते है. ये तो किस्मत का खेल है जो उपरवाले ने ही ऐसा बना के भेजा है.
इतने में दीपू को कुछ समझ नहीं आता और दोनों बाबा और वसु से पूछता है की बाबा ने उसके बारे में क्या बताया था.
वसु इस बात को टालने की कोशिश करती है लेकिन दीपू नहीं मानता और बाबा से पूछता है. बाबा एक बार वसु की तरफ देख कर एक गहरी सास लेकर कहता है.. जब तम छोटे थे तो तुम्हारी माँ मेरे पास आयी थी और मैंने ही तुम्हारी कुंडली बनायी है. उस वक़्त ही मैंने उन्हें बताया था की तुम बहुत सुन्दर और होशियार लड़के के रूप में उभर आओगे और तुम्हारी ज़िन्दगी में बहुत औरत आएँगी जो की तुम्हारे परिवार से भी होगी और तुम्हारी एक से ज़्यादा बीवियां होगी. बाबा जब ये बात दीपू से कहता तो दीपू अपनी आँखें फाड़े दोनों को देखता है और इशारे से वसु से पूछता है. वसु भी इशारे में हाँ कह देती है.
बाबा: मेरी पहली बात तो सच है. तुम दिखने में बहुत सुन्दर हो और शायद तुम बुद्धिमान भी हो.
दीपू मन में सोचता है की ये सब क्या हो रहा है लेकिन अपने आप में वो थोड़ा संभल के रहता है और कोई प्रतिक्रिया नहीं दिखाता जो बाबा भी देख लेते है
वसु: तो आपको क्या लगता है? और कोई रास्ता नहीं है क्या?
बाबा: मैंने जो बताया है वही एक सही रास्ता है अगर तुम अपनी बेहन की खुशाली चाहती हो तो और फिर बाबा अपने ध्यान में लग जाते है जो वसु के लिए इशारा था की आगे ऐसा ही कुछ होना है.
थोड़ी देर बाद दोनों वसु और दीपू बाबा का आशीर्वाद लेकर वहां से चले जाते है. रास्ते में दोनों एकदम चुप कर के चलते रहते है और दोनों के मन में बहुत सारी बातें घूमती रहती है.
रास्ते में उन्हें एक सुनसान जगह दीखता है जहाँ कोई नहीं रहता तो दीपू वसु का हाथ पकड़ कर वहां ले जाता है.
वसु: तू मुझे कहाँ ले जा रहा है?
दीपू: मुझे आपसे बात करनी है. ये मैं उन दोनों के सामने नहीं कर सकता. चलो वहां पेड़ के नीचे बैठते है और बात करते है. वसु को पता था की दीपू क्या बात करने वाला है लेकिन वसु को भी ये बात सही लगती है और उसके साथ उस जगह पे चल देती है जहाँ कोई नहीं था.
वो दोनों वहां पेड़ के पास पहुँचने पर एक अच्छी जगह देख कर बैठ जाते है.
दीपू फिर वसु को अपनी तरफ घुमा कर कहता है.. माँ. ..जो भी बाबा ने कहा है क्या वो सच है? वसु को अब लगता है की झूट बोलने में कोई फायदा नहीं है और दीपू को सब सच बता देना चाहिए क्यूंकि उसे भी अब लगता है की दीपू बड़ा और समझदार हो गया है.
वसु: हाँ बेटें, बाबा ने जो भी कहा है सच कहा है और उसे सब बता देती है जब वो छोटा था जब वो बाबा से मिलने आयी थी. दीपू सब जान कर उसकी तरफ देखता है और कहता है की बाबा जो कह रहे है शायद वो सच हो.
वसु: मतलब?
दीपू: आपको याद है मैंने २ दिन पहले क्या कहा था आपसे.. रोज़ रात को आप जो करती हो लेकिन दीपू कहता है की उसे इसमें कोई परेशानी नहीं है और जैसे बाबा ने कहा आप हो ही इतनी सुन्दर और भले ही आप ४० से ज़्यादा हो लेकिन फिर भी ३५ के नज़दीक नज़र आती हो और ये बात कहते हुए हस देता है
दीपू: मैं चाहता हूँ की मौसी भी अपनी ज़िन्दगी पूरी ख़ुशी से जिए और अगर उसके लिए मुझे उनसे शादी करनी है तो मुझे जोई ऐतराज़ नहीं होगा. अगर वो हाँ कहे और इसके लिए राज़ी हो जाए तो मुझे भी ख़ुशी होगी की वो भी खुश रह सके.
दीपू फिर एक शरारती हसी के साथ उसकी जाँघों के बीच नज़र ले जाकर कहता है आप तो अपने आपको शांत करने में रहती हो तो फिर मौसी का क्या हाल होगा और आँख मार देता है.
दीपू: याद है आपको २ दिन पहले मैंने ही आपसे कहा था की आप शादी कर लो. लेकिन आप मानी नहीं. लगता है उपरवाले ने जैसे आपको और मौसी का रिश्ता बनाया है शायद वैसा ही रिश्ता आपका और मेरा होगा.
वसु: मतलब?
दीपू: मतलब ये की हम दोनों की ज़िन्दगी भी एक साथ ही जुडी हुई है
वसु दीपू के मुँह से ये बात सुन कर एकदम से शर्मिंदा हो जाती है और उसका चेहरे एकदम लाल हो जाता है. दीपू कहता है की शर्माने की कोई बात नहीं है. मुझे आप, मौसी और निशा से बहुत प्यार है और ये प्यार मुझसे कोई नहीं चीन सकता. मेरे लिए इस दुनिया में आप लोगों से बढ़कर और कोई नहीं है.
हमारे रिश्तेदारों में अब तक किसीने हमारे बारे में जान- ने की कोशिश नहीं की की हम कैसे है क्या कर रहे है.. वसु: नहीं बेटा तेरे नाना और नानी हमेशा फ़ोन करते रहते है और हम सब की जानकारी लेते रहते है. तुम दोनों के कॉलेज की वजह से हम वहां नहीं जा पा रहे है.. लेकिन जल्दी ही चलते है.
दीपू: वैसे माँ एक बात पूछनी थी.. जब बाबा ने कहाँ की मौसी की शादी अपने घर में ही हो तो आपने क्यों कहाँ की मैं ही अपने परिवार में ऐसा लड़का हूँ जो उससे शादी कर सकता हूँ. बाकी और क्यों नहीं?
वसु: बेटा , जब हम वहां जाएंगे तो तुझे पता चल जाएगा. मैं अभी कुछ नहीं बता सकती.
दीपू: ठीक है लेकिन फिर आपने मौसी की बात का कुछ सोचा है क्या?
वसु: नहीं. . मुझे अभी भी समझ में नहीं आ रहा है की ये कैसे हो सकता है. तेरे नाना नानी से तो बात करनी ही पड़ेगी और बाकी घर वालों से भी बात करनी पड़ेगी.
दीपू अपनी नज़र घुमा के देखता है की वहां कोई नहीं है और सब सुनसान है तो वो वसु का चेहरा अपनी तरफ घुमा के उसकी आँखों में देखते हुए कहता है की अगर बाबा की बात सही है और मेरी बहुत बीवियां होगी तो उनमें एक आप भी होगी.
जब से बाबा से बात हुई थी भले ही वक़्त ज़्यादा नहीं हुआ था लेकिन फिर भी वसु को लगता है की उसे भी अपनी ज़िन्दगी पूरी जीना का अधिकार है और बाबा की बात मन में बहुत बार याद आता है की दीपू की बीवियां ज़्यादा होगी और अपनी बेहन के बारे में भी सोचती है और पिछले कुछ दिनों में जो भी घटना हो रही थी... धीरे धीरे उसका मन भी दीपू की तरफ जाने लगता है. (ये सब जब दोनों खंडहर से निकल कर आ रहे थे तो वसु की सोच उसी तरफ आ रही थी)
इस बात पे वसु को शर्म आती है और अपनी नज़रें झुका लेती है और कुछ नहीं कहती तो दीपू कहता है की इस बात पे एक किस्सी हो जाए और अपने होंठ उसके होंठ के पास ले जाता है तो वसु मना कर देती है की ये जगह बहार है और कोई देख सकता है. ये बात सुनते ही दीपू के चेहरे पे हसी आ जाती है और वो दूर जो जाता है.
चलो ठीक है.. अभी नहीं लेकिन मेरे जन्मदिन पर तो मुझे मना मत करना और ऐसा कहते हुए आँख मार देता है और वसु फिर से शर्मा जाती है.
अच्छा आज जो बाबा से बात हुआ है उसका क्या?
वसु; मतलब?
दीपू: मतलब ये की घर में बताना है क्या?
वसु: हाँ मुझे लगता है बताना ही पड़ेगा और वैसे भी ये बात बता कर छोटी से भी तो जान- ना है ना की उसकी क्या इच्छा है.
दीपू: ठीक कह रही हो. ये बातें जितना छुपा के रखेंगे उतना ही आगे मुश्किल हो सकता है.
दोनों फिर कुछ देर ऐसे ही वहां बैठे रहते है और फिर कुछ देर के बाद दोनों वहां से निकल कर अपने घर चले जाते है....