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Incest मुझे प्यार करो,,,

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Herry

Prince_Darkness
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bhonpu

New Member
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अब तक के सभी अपडेट कमाल के रहे, बहुत ही कामुक... आशा है नहाते समय सुगंधा दोबारा चड्डी न पहन ले।
अगले अपडेट की प्रतीक्षा में....
 

rohnny4545

Well-Known Member
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अंकित कपड़े डालने के लिए छत पर चला गया था,,, और वहां पर अपनी मां के बारे में अपने मन में ही विचार विमर्श कर रहा था उसे इतना तो समझ में आ गया था कि उसकी मां उससे क्या चाहती है बस दोनों आगे बढ़ने से अपने आप को रोक रहे थे,,, हालांकि दोनों ही आगे बढ़ना चाहते थे बस दोनों के बीच मां बेटे की जो दीवार थी यह रिश्ते की दीवार दोनों चाह कर भी गिरा पाने में असमर्थ हो जा रहे थे।और यही उनकी सबसे बड़ी समस्या अभी बन चुकी थी क्योंकि दोनों के बीच बहुत कुछ घट रहा था मां बेटे के रिश्ते के बीच जो एक पवित्र रिश्ता होता हैघर में काम करते समय एक दूसरे से बातें करते समय लगता ही नहीं था कि जैसे दोनों मां बेटे हो ऐसा लग रहा था कि जैसे कोई आपस में गहरे दोस्त हो,,,, छत पर कपड़े डाल लेने के बाद बाल्टी हाथ में लेकर अंकित नीचे उतर आया था और जैसे ही घर के पिछले हिस्से की ओर आगे बढ़ा तो अंदर की तरफ अपनी मां को देखकर उसकी आंखें फटी की फटी रह गई वह मंत्र मुग्ध सा अपनी मां को देखता ही रह गया,,,,।

कुछ देर पहले जिस अवस्था में वह अपनी मां को छोड़कर गया था वापस आने पर उसकी मां उस स्थिति में बिल्कुल भी नहीं थी,, अंकित की आंखों के सामने उसकी मां बेहद कामुक अवस्था में खड़ी थी इस अवस्था में उसे जो कोई भी देख लेता तो शायद बिना कहे उसके लंड से पानी फेंक देता,,,, ऐसी स्थिति में सुगंधा को देखने का मतलब था कि अपने लंड की हालत खराब कर लेना,,, इस हालत में एक औरत को देखकर कुछ भी करने को तैयार हो जाना,,, इस तरह की स्थिति में अपनी मां को देखकर वाकई में अंकित की हालत खराब हो गई थी उसकी आंखें आश्चर्य से चौड़ी हो गई थी मुंह खुला रह गया था और सांसों की गति मानो थम सी गई थी अपनी मां के रूप यौवन को देखकर अंकित को अपनी आंखों पर भरोसा ही नहीं हो रहा था,,,, वाकई में रूप भी ऐसा थाअदाएं भी ऐसी थी कि देखने वाला देखता ही रह जाए इसमें अंकित की कोई गलती नहीं थी दरअसल सुगंधा ने अपने वस्त्र उतार कर रूप ही एसा धारण कर ली थी कि देखने वाला मंत्र मुग्ध हो जाए पूरी तरह से मदहोश हो जाए बिना पिए ही कर बोतलों का नशा उसकी आंखों में उतर आए,,,,इसीलिए तो हाथ में बाल्टी लिए हुए अंकित सब कुछ भूल कर अपनी मां को ही देख रहा था और वह भी प्यासी और वासना भरी नजरों से क्योंकि इस तरह का नजारा कोई प्यार भरी नजर से देख ही नहीं सकता,,,आंखों के सामने जब एक जवानी से भरी हुई औरत अर्धनग्न अवस्था में खड़ी हो उसका हर एक अंग एक अद्भुत उभार लिए हुए हो,,, जिसे देखकर मन में उमंग जाग जाती हो तो भला इस तरह के नजारे को कोई प्यार भरी नजर से कैसे देख सकते हैं इस तरह के नजारे को देखते हैं आंखों में वासना और हवस जागना निश्चित ही है।

यही हाल अंकित का भी था,,,,अंकित के छत पर जाते ही सुगंधा के मन में ढेर सारी बातें चल रही थी वह आगे की युक्ति अपने मन में बना रही थी और एक मर्द को अपने जवानी के मोह पास में कैसे बांधना है यह कला शायद हर एक औरत को आती ही है इस कला में हर एक औरत पारंगत होती ही है जिसमें सुगंधा भी बिल्कुल परे नहीं थी,,,, वह पूरी तरह से अपने बेटे को अपनी जवानी के जाल में फंसा लेना चाहती थी,, इसलिए वह अंकित के छत पर जाते ही अपनी साड़ी उतार कर एक तरफ रख दी और अपने ब्लाउज का बटन खोलकर जल्दी से अपना ब्लाउज अपनी बाहों में से निकाल कर उसे भी अलग कर दी,,, ब्रा उसने पहनी नहीं थी इसलिए ब्लाउज उसके उतरते ही उसके दोनों कबूतर फड़फड़ाने लगे,,, अपनी नंगी चूचियों की तरफ बहार प्यार भरी नजर से देखकर से दोनों हाथों में भर ली और उसे हल्के से दवाई उसके मुंह से हल्की सी कराह निकल गईऔर अपने मन में सोचने लगी कि जिस दिन यह चूचियां उसके बेटे की मजबूत हथेलियां में आएंगे तो वह दबा दबा कर इनका रस निचोड़ डालेगा,,,, अपने मन में ऐसा सोचकर वह उत्तेजना से गदगद होने लगी,,, और फिर अपनी दोनों चूचियों को अपनी दोनों हथेलियां से आजाद कर कर वह अपने पेटिकोट की डोरी खोलने लगी,,,, उसका दिल जोरो से धड़क रहा था,,,सुबह में ही वह अपने बेटे को याद कर उत्तेजना के मारे पेटिकोट की डोरी को कुछ ज्यादा ही जोर से गीठान मार दी थीजिससे इस समय उसे खोलने में थोड़ी परेशानी आ रही थी लेकिन फिर भी जैसे तैसे करके वह अपने पेटिकोट की गिठान को खोल दी थी,,,, पेटिकोट की डोरी को खोलते समय उसके मन में ढेर सारी बातें चल रही थी वह क्या करना है क्या नहीं करना है इस बारे में निर्णय नहीं ले पा रही थी हमें कैसे मालूम ही था कि उसे क्या करना है लेकिन फिर भी वह थोड़ा हिचकिचा रही थी,,,।

पेटिकोट की डोरी खोलते हुए वह अपने मन में सोच रही थी कि,,, पेटिकोट उतारकर नंगी हो जाए तो मजा आ जाता,,, अंकित जब नीचे आएगा तो उसे देखेगा तो पागल हो जाएगा उसे पूरी तरह से नंगी देखकर जरूर कुछ ना कुछ करेगा लेकिन फिर अपने ही फैसले पर वह थोड़ा सोच विचारने लगीतो वह अपने आप से ही बोली नहीं इस तरह से अपने बेटे से एकदम से खुलकर सामने आ जाने का मतलब था कि उसका बेटा उसके बारे में कुछ गलत समझेगा उसे लगने लगेगा कि उसकी मां दूसरी औरतों की तरह गंदी है और शायद इस बारे में भी शंका करने लगेगा कि,,,,हो सकता है बाहर दूसरों के साथ उसके संबंध भी हो अगर इस तरह का उसके बारे में सोचने लगा तब वह तो अपने आप की नजरों में ही गिर जाएगीनहीं नहीं ऐसा नहीं होगा जैसा चल रहा है वैसे ही चलने देगी धीरे-धीरे इस खेल में आगे बढ़ेगी,,,, और यह सोचते हुए वह पेटिकोट की डोरी को ढीली करके दोनों हाथों की उंगलियों का सहारा लेकर कमर पर कसी हुई पेटीकोट को एकदम से ढीली कर दी,,,और पूरी तरह से पेटीकोट को उतार कर नंगी हो जाने के अपने ही निर्णय को स्थगित करते हुए पेटिकोट को दोनों हाथों से पकड़ कर ऊपर की तरफ ले गई और अपनी नंगी चूची यो तक लाकर उसकी डोरी को अपनी दोनों चूचियों के बीच बांधकर गिठान लगा दी,,,, सुगंधापेटिकोट की डोरी को नापतोल कर अपनी छाती से बंधी थी वह अपनी दोनों चूचियों के आदि हिस्से पर पेटीकोट कोलाकर बांध दी थी जिससे उसकी आधे से ज्यादा चूचियां एकदम साफ नजर आ रही थी और पेटीकोट के बीच का जो कटा हुआ हिस्सा था वह उसकी दोनों चूचियों के बीच आता था जिससे उसकी दोनों चूचियों की गोलाई एक तरफ से एकदम साफ दिखाई देती थी,,,जिस पर एक नजर डालकर वह पूरी तरह से संतुष्ट हो चुकी थी कि उसका बेटा अगर देखेगा तो दोनों चूचियों के बीच वाला हिस्सा उसे साफ तौर पर दिखाई देगा,,,,

इस तरह से वह अर्धनग्न अवस्था मेंआकर पूरी तरह से तैयार हो चुकी थी अपने बेटे पर अपनी जवानी का जलवा बिखरने के लिए और इस पर सोने पर सुहागा यह था कि उसने जल्दी-जल्दीदो मग पानी अपने ऊपर डाल चुके थे जिससे अपनी पकड़ उसका पेटिकोट उसके बदन से एकदम से चिपक गया था जिससे उसकी दोनों चूचियां एकदम साफ तौर पर झलक रही थी,,,, अपने इस रूप यौवन से सुगंधा पूरी तरह से संतुष्ट थी,,, अपने बदन को भिगोकरअपनी नजर को अपने पैरों से लेकर के ऊपर तक घूम कर देख रही थी अपने खूबसूरत अंगों को देख रही थी जो की देखने की वजह से पेटीकोट में होने के बावजूद भी एकदम साफ तौर पर दिखाई दे रहे थे,,,, उसे अपनी चुचियों का वह छोटा सा चॉकलेट जैसा छुहारा एकदम साफ दिखाई दे रहा था जो की गीली पेटीकोट में एकदम से ऊपस गया था,,, और उत्तेजना के मारे किसी भाले की नौक की तरह नजर आ रहा था। और अपनी कड़ी हो चुकी निप्पल का जायजा लेने के लिए वह अपने दोनों हाथ से दोनों चूचियों की निप्पल को पेटिकोट के ऊपर से ही दोनों हाथों की उंगलियों और अंगूठे के बीच लेकर उसे मसलते हुए देख रही थी और उसे थोड़ा सा औरकड़क करने की कोशिश कर रही थी ताकि उसके बेटे की नजर उसे पर बढ़िया आराम से पढ़ सके और वह अपनी मां की जवानी को देखकर पानी पानी हो जाए,,,, अपने हाथों की हरकत से वाकई में उसकी चूची की निप्पल और ज्यादा कड़क हो गई जोकि पेटिकोट के मोटे कपड़े में से एकदम साफ दिखाई दे रही थी, अपने आप को देखकर सुगंधा पूरी तरह से संतुष्ट हो चुकी थी,,,वह जानती थी कि उसका बेटा उसके रूप को देखकर उसके खूबसूरत दन को देखकर पूरी तरह से पागल हो जाएगा,,।

और वाकई में उसका सोचना ठीक भी था अंकित को नहीं मालूम था की छत परजाने और आने घर में उसकी मां का रूप इस कदर बदल जाएगा वैसे तो उसके लिए मां का रूप हर हाल में बेहद कामुक और खूबसूरत होता है लेकिन इस समय बात कुछ और ही थी,,,, अंकित को तुरंतउसके दोस्त के द्वारा दिखाई गई गंदी किताब का वह चित्र याद आ गया जिसमें एक औरत सावर के नीचे खड़ी थी और वह भी बिना कपड़ों के एकदम नंगी उसका बदन भी उसकी मां की तरह ही गदराया हुआ था,,, देखने में भीवह उसकी मां की तरह ही दिखाई दे रही थी उसे समय भी उसे चित्र को देखते हुए अंकित कुछ देर तक इस पन्ने पर ठहर गया था और आज इस अवस्था में अपनी मां को देखकर उसे गंदी किताब का वह चित्र याद आ गया था,,, दोनों में पूरी तरह से साम्यता नजर आ रही थी,,, बस कुछ चीज बदली हुई थी वह बाथरूम के अंदर थी और इस समय उसकी मां घर के पीछे जो की बाथरूम जैसा ही था लेकिन खुला हुआ था उसमें दरवाजा नहीं था और वह बिना कपड़ों की थी एकदम नंगी और इसमें उसकी मां के बदन पर केवल एक पेटिकोट ही था और वह भी पानी से भीगा हुआ। इस खूबसूरत नजारे को देखकर अंकित पूरी तरह से भौंचक्का हो गया था,,,, बहुत प्यासी नजरों से अपनी मां को देख रहा था और एकदम खामोश हो गया था ताकि उसकी मां को उसके आने की भनक तक ना लगे।

लेकिन ऐसा सोचना अंकित का था उसकी मां को सीडीओ से उतरते हुए उसके आने की आहट का एहसास हो गया था और वह तुरंत दीवार की तरफ मुंह करके खड़ी हो गई थी और नहा रही थी,,, इस समय अंकित के सामने उसकी मां की गांड थी और वह आधी दिखाई दे रही थी,,, और वह भी सुगंधा जानबूझकर अपने बेटे की आहट पाते हीअपनी पेटीकोट को हल्का सा अपनी गांड के आधे भाग तक उठा दी थी ताकि उसकी आधी गांड उसका बेटा बड़े आराम से देख सके,,,, और उसकी सारी युक्ति काम कर रही थी अंकित तो अपनी मां की मद-मस्त कर देने वाली गांड को देखता ही रह गया था। जो पानी में भीगने की वजह से और भी ज्यादा नशीली लग रही थी,,,बार-बार अपने ऊपर पानी डालने की वजह से पेटिकोट फूटी तरह से उसकी कमर के ऊपर हिस्से से चिपक गई थी जिससे उसकी मां का यह रूप और भी ज्यादा मादकता लिए हुए दिखाई दे रहा था,,,, गोरी गोरी बड़ी बड़ी गांड की फांक के बीच से गिरता हुआ पानी,,,ऐसा लग रहा था कि जैसे किसी झरने से पानी गिर रहा हो अंकित का तो मन कर रहा था कि अपनी मां की गांड के नीचे बैठकर अपने होंठों को खोलकर गिरने वाले पानी को पीकर अपनी प्यास बुझाने लेकिन वह जानता था कि,,,, इस तरह से उसकी प्यास बुझने वाली नहीं है इस तरह से तो उसकी प्यास और भी ज्यादा भड़क जाएगी,,,।अंकित की हालात पूरी तरह से खराब हो रही थी उसे ऐसा लग रहा था कि उसकी मां को उसके आने के एहसास तक नहीं है लेकिन उसकी मां को सब मालूम था कि ठीक उसके पीछे खड़े होकर उसका बेटा उसके खूबसूरत गदराई जवानी के रस को अपनी आंखों से पी रहा है।

इस खूबसूरत मादकता से छलकते हुए नजारे को देखकर अंकित पेट के ऊपर से ही अपना लंड को दबा रहा था वह अपनी उत्तेजना पर काबू नहीं कर पा रहा था,,, इतना तो वह अपनी मां को देखकर ही समझ गया था कि उसकी मां अपनी साड़ीऔर ब्लाउज को उतार फेंकी थी पेंटी तो वह घर के अंदर ही ना जाने कब उतार दी थी उसे मालूम ही नहीं पड़ा था और उसने आज ब्रा पहनी ही नहीं थी,,,,और किस तरह से भीगे हुए पेटीकोट में उसकी मां का अंग झलक रहा था उसे देखकर अंकित अपने मन में ही बोल रहा था कि इससे अच्छा तो पेटीकोट भी उतार देती तो मजा आ जाता और वैसे भी पेटिकोट बदन पर डाले रहने का कोई मतलब नहीं है सब कुछ तो दिखाई दे रहा है,,,,अंकित को साफ दिखाई दे रहा था कि उसकी मां अपनी पेटीकोट को अपनी छाती तक लाकर बांध दी थी और उसका पेटिकोट उसकी कमर के नीचे तक ही पहुंच रहा था पानी में भीगने की वजह से वह पूरी तरह से उसके बदन से चिपक गया था अगर वह सुख होता तो शायद उसकी बड़ी-बड़ी नंगी गांड पेटिकोट के परदे में छुप जाती लेकिन होने की वजह सेसब कुछ दिखाई दे रहा था पेटिकोट का आकार भी छोटा पड़ गया था उसकी मां की बड़ी-बड़ी गांड को ढकने में,,,, ललचाई आंखों से अपनी मां की तरफ देख कर अंकित की हालत खराब हो रही थी और वह अपने मन में सोच रहा था कि,,,, अब वह क्या करेंयह तो किसी भी औरत की तरफ से एक जवान लड़के के लिए खुला आमंत्रण है क्योंकि अगर इस तरह का आमंत्रण एक औरत अपनी तरफ से ना दे तो वह इस तरह से अर्ध नग्न अवस्था में कभी नहीं नहाएगी,,,।एक औरत एक जवान मर्द के सामने इस अवस्था में तभी आती है जब उसे उसे मर्द से कुछ लाभ मिलता हो,,,,।

और एक मां तो कभी भी इस तरह की हरकत अपनी बेटी के सामने बिल्कुल भी नहीं करेगी खासतौर पर तब जब उसका बेटा पूरी तरह से जवान हो चुका होउसका लंड बार-बार खड़ा हो जाता हो और उसका लंड पूरी तरह से सक्षम हो किसी भी औरत की प्यास बुझाने में,,,, इतना तो समझ ही गया थाअंकित की उसकी मां यह सब हरकत अनजाने में नहीं बल्कि जानबूझकर कर रही है जो कुछ भी वह उसे दिखाना चाह रही है। वह उसे खुलकर दिख रही है यह एक तरह से उसकी तरफ से इशारा है जो कि वह समझ भी रहा है लेकिन आगे बढ़ने से घबरा रहा है,,,, अपनी मां की नंगी गांड देखकर वह बार-बार पेट के ऊपर से ही अपने लंड को मसल रहा था दबा रहा था,,, और सुगंधा बार-बार पानी अपने ऊपर डाल रही थी।तभी उसकी मां जानबूझकर अपने दोनों हाथ को पीछे की तरफ लाकर अपनी गांड की दोनों आंखों पर अपनी हथेली रखकर उसे सहलाते हुए गांड को मलने का नाटक करने लगीऔर यह देखकर उत्तेजना बस अंकित की हालत और ज्यादा खराब हो गई और उसके हाथों से बाल्टी छूट गई,,,,बाल्टी की आवाज सुनकर सुगंधा के तन-बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी क्योंकि यही सही मौका था अपने बेटे की तरफ घूमने का और वह एकदम से अपने बेटे की तरफ घूमते हुए बोली,,,।


तू कपड़े डाल कर आ गया अंकित,,,,(इतना कहते ही वह अपने बेटे की तरफ घूम गई और इस ओर से अपनी मां का रूप उसकी मदमस्त जवानी देखकर अंकित की हालत फिर से खराब हो गई,,,
 
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