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Adultery मिस्टर वारिस - Adultery, Incest, Thriller

कहानी के लिये क्या सुझाव है?

  • बहोत अच्छी

    Votes: 43 62.3%
  • अच्छी है

    Votes: 20 29.0%
  • ठीक नही

    Votes: 1 1.4%
  • कुछ कमियां है (कमेंट में बताएंगे)

    Votes: 3 4.3%
  • लिखना बंद कर दे तु!!

    Votes: 2 2.9%

  • Total voters
    69

Naik

Well-Known Member
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SEASON 2 EPISODE 3
बड़े मौसा के करतूतों से घर मे फिरसे तनाव था। अमीरी का सूरज इनके बगीचे में उगता था इसलिए सब डिप्लोमेसी में जी रहे थे। सबके मन में भयावह विचारोंका सिलसिला था पर दिखा कोई नही रहा था। बड़े और छोटे मौसी का फेमिली घर से बाहर जा चुका था। अभी रहे नानी, दादी,माँ,चेतन,मामा मामी और उनकी बेटी रितु। रजिया जुनैद का जायदादी कोई हिस्सा नही था तो उतना गौर करने जैसा नही था।


मैं घर पर पहुंचा तो काफी देर हो चुकी थी पर जब घर के अंदर गया तो माँ के रूम का लाइट चालू था। बाकी सब अबतके सो चुके थे। मैं सीधे मा के रूम में गया। दरवाजा बंद होते ही मा जग गयी। फट से उठ कर मेरे गले आके लग गयी। उस सिन में वो मा कम प्रेयसी ज्यादा लग रही थी।


"तुम्हारा हमारे लाइफ में आना बहोत आनंद भरा और सुकून जैसा लगता है पर तुम्हारे लाइफ में हमारा आना पहले से कई ज्यादा खतरनाक, दुखभरा और वेदनाओं भरा होगया है। " माँ बाहर से रो जरूर नही रही थी पर अंदर से जरूर आँसू बह रहे थे ।


मैं उनको बेड पे बिठाया।


"मा , ये लाइफ कोई नई बात नही मेरे लिए। आप बस अपना ख्याल रखो। उतना काफी है मेरे लिए। आप बस मुझे प्यार दो। बाकी किसी बात की चिंता मत करो।" मैं उनको शांत करने की कोशिश करने लगा। लाद प्यार में उनके गोदी में ऐसे ही सो गया। वो भी प्यार से मेरे सर पर हाथ सहलाने लगी।


मा काफी मोटी थी और उनके चुचे भी बड़े और नीचे की ओर झुके थे तो उनके निप्पल बार बार मेरे मुह, होठ पर घिस रहे थे। पहले पहले भावनाओ की वजह से उस घर्षण पर ध्यान नही गया पर बाद में जब थोड़ा समय निकला दोनों को उस बात का मालूमात हुआ। मा ने आदतन सिर्फ नाइटी पहनी थी जिसके अंदर कुछ भी नही था। नजदीक से काफी पारदर्शी कपड़ा था उस नाइटी का। उनके निप्पल्स में होठो की घर्षण से उनमें इतना तनाव आ गया था की वो अंगूर की तरह चौड़े हो गए थे।


मा को मालूम होते हुए भी वो और नीचे झुक रही थी। पहले जो ऊपर ही ऊपर घर्षण था अभी मुह के अंदर तक निपल्स जा रहे थे। मा के स्वभाव और हमारे रिश्ते में होनेवाले बदलाव के ये चिन्ह थे। चेतन काफी दिनों से घर पर नही था। जुनैद को उसकी खबर निकलने बोला था पर उस टाइम में मा सिर्फ अकेली थी।


क्या सुझा मा को और उसने दोनों साइड से नाइटी हटवा कर चुचे खुले कर दिए और मेरे मुह में घुसाए।

थोड़ीसी हिचकिचाहट हुई पर बाद में मैंने भी अपना सयम छोड़ा और उसके नन्हे बच्चे की तरह उसके निप्पल्स को कांट, चूसने लगा। पहले हो उनके बदन का स्वाद था बाद में और मिठास भरी। मा के चुचो से आज दूध की लहर मुह में समा गई थी। समय कामुकता का था और आनंद मातृत्व का। आज काफी बदलाव सा होने वाला था।


दोनों चुचे कस कर पकड़े विकि अभी मा के निप्पल चूस रहा था।उसके दूधो को दबोच रहा था। उसकी माँ सिर्फ उसको सर को सहलाते हुए सिस्का रही थी। सफेद पानी ऊपर भी और नीचे भी था।


अचानक से उसको क्या लगा उसने विकि को बाजू किया और दूसरी ओर हो गयी। अभी तक वो अन्धनगी सिर्फ नाइटी के पायजामे में थी जो कि उसकी नीचे के चूत के पानी से काफी भीगा था और विकि जैसे चुदाई में माहिर कलाकार को उसकी खुशबू न समझ आना मुमकिन न था।


आज विकि कोई मर्यादा रखने वाला नही था। वो उठा और पीछे से जाके उनकी दूधो को दबोच लिया। इतना कठोरता से दबोचा की फिरसे बूंदे निपल्स से टपक गयी। चुचे अभी लाल पड़ गए थे और माँ भी। मैने (विकि) उनको बेड पर लाया । दरवाजा बंद था ही धीमी लाइट चालू कर थोड़ा अंधेरा कर दिया।


मैंने खुद के सारे कपड़े उतार दिए। एक वक्त तक मा मेरे पूरे शरीर को देखती रही। शरीर मे धुंधले धुंधले घाव थे जो अनाथ होने का सबक थे पर उसके चक्कर मे मैं फौलाद का शरीर पा चुका था। मेरा लंड मा को सलामी दी रहा था। मैंने नीचे से मा का ट्रांसपरेंसी पायजामा निकाल दिया । एक अधेड़ औरत और एक नोजवान एक आधे अंधेरी बंद कमरे के बिस्तर पर नंगे अपने एक दूसरे की गर्मी को महसूस कर रहे थे।


मैंने दो पैरों के अंदर से छोटे छोटे झांटो से भरी गुफा देखी। मैंने नीचे से उनके चूत के पास जाकर दोनों बाजसे चुत की लाल पंखुड़िया को फैला कर अंदर के लाव्हा रस का रसपान करना शुरू कर दिया। उसकी चुत को इस तरह चाटा की मेरे थूक से उसकी चूत और झांट चमक रहे थे।


मा का मन बदले उससे से पहले मैने तना हुआ लौड़ा उसकी चूत की द्वार पर टिकाए धक्का दे दिया। उसकी सिसकी बाहर आई पर उन्होंने दबा दी।इस मिलन के बाद हुआ घमासान चुदाई का युद्ध चालू।


आ आ आ उम्म ऊऊऊऊ ममममम आहआहआSsss


पहले तकलीफ भरी सिसकिया कब कामुकता में बदल गयी उनको मालूम नही पड़ा। रातभर अनगिनत पोजिशन और ऑर्गज्म से चुदाई चालू रही और सुबह कब हुई मालूम ही नही हुआ। मेरा लन्ड मा की चूत में। मा मेरे ऊपर सोई हुई। उसके चुचे मुह में, निप्पल दांतो में। खुले उजाले में वो काफी तगड़ी माल दिख रही थी।


सारे रूम में वीर्य का सुगंध था। मेरे लन्ड ने काफी बार मा की चूत में सफेद पानी छोड़ दिया था। तभी मा नींद से उठ गयी। मुझे लगा बहोत ऑकवर्ड सिन होगा पर मा ने उनके झूठे मुह से मुझे एक लिपलॉक किस किया करीब 2 मिनिट का और वैसे ही नंगी कमर मटकते हुए बाथरूम चली गयी।
Kafi garma garam update tha bhai
Zabardast
 

Bittoo

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अद्भुत
काफ़ी सस्पेन्स है
कुछ लिंक जोड़ नहीं पा रहा हूँ
 

tamas

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Season 1 || Episode 1
इस कहानी की शुरुवात होती है असल मे मेरी पारिवारिक इतिहास से पर मै इस कहानी को उस जगह से शुरू करना चाहता हु जहा से मुझे इस कहानी का पता चला । नमस्कार दोस्तों , मेरा नाम विकास (विकि ) और मै आज मेरे जिंदगी गई गंदगी आपके सामने बया करने जा रहा हु।


कोविड के बाद मेरे कम्पनी का काम घर से होता था। वैसे मैं बचपन जे होस्टल में ही रहा हु। बचपन मे मा बाप का तलाक होने के बाद मुझे होस्टल का रास्ता दिखा दिया गया। कुछ सालों बाद दोनों ने अलग से अपना संसार बना लिया नई शादी करके और मैं तो जैसे अनाथ ही हो गया। पर सबसे ज्यादा महसूस तब होने लगा जब मुझे होस्टल ने रूम खाली करने के लिए कहा। जाहिर सी बात थी कि नए स्टूडेंट्स के लिए रूम देना होस्टल का काम था।


उस समय मेरी उम्र २५ की थी और बार, होटल, स्ट्रीट फाइट और न जाने किस किस जगह पे काम कर मैं कम्प्यूटर साइंस की डिग्री तक पढ़ाई खत्म कर चुका था। कोविड खत्म होते होते एक विदेसी कम्पनी में जॉब का इंटरव्यू दिया था। बेरोजगारी कम थी कि होस्टल छोड़ने की नोटिस आगयी। नई मुसीबत आन पड़ी। पढ़ाई के लोन सर पर थे।हफ्ते भर का समय था मुझे होस्टल छोड़ने के लिए।


सारा सामान बंधवा कर मैंने गिने चुने होस्टल मेट्स से बिदाई की रस्म पूरी कर आया। कम खर्चे का घर हमारी शहर में ढूंढना मतलब बड़ी ही परेशानी वाली भागदौड़ थी। फिर भी पूरा आत्मविश्वास जुटा कर मैं घर ढूंढने लगा। पर कहते है कि भगवान के घर देर है पर अँधेर नही । हताश होकर मैं सातवे दिन अपने नसीब के भरोसे होस्टल से निकल पड़ा और रास्ते पर आते ही मुझे एक कॉल आया।


" विकि?"


एक चालीस पैतालीस साल की औरत का फोन था।


"जी बोल रहा हु, आप कौन?"


"मैं मिसेस कल्कि झुनझुनवाला, आप प्रमिलादेवी के ग्रैंड सन हो ना?"


प्रमिला देवी… इस मुसीबत को मैं कैसे भूल गया। बदनसीबी से ये मेरे दादी है। मेरे महान पिताजी की माताजी। इनके पराक्रम ऐसे है कि मेरे पिता जी इनके तीसरे पति के इकलौते बेटे। पहले दो पति का, उनका इनके पति होने का कोई कायदे का प्रूफ नही है, बात समझ रहे हो ना? नस्ल की बेहया और अय्याशी में मगरूर औरत है ये। मेरे मा बाप का डिवोर्स होने में इनके महत्वपूर्ण योगदान है। इनका पोता होने से अच्छा मैन अनाथ होकर जीना पसंद किया इससे ही आप समझ जाओ इनकी क्या वैल्यू है मेरी जिंदगी में। अब इन्होंने क्या नई मुसीबत खड़ी की है वो देखते है।


" माफ कीजिये, मैं ऐसी किसी औरत को नही जानता, अपने गलत जगह फोन लगाया है। WRONG NUMBER………"


इतना कहकर मैंने फोन रख दिया। पर कुछ समय बाद उसी नंबर से फिरसे कॉल आया। पर इसबार फोन पे कोई और था। इतनी भी सोचने की बात नही है, माननीय श्रीमती प्रमिलादेवी खुद अपने गटर भरे मुह से मेरे कानों में टपक पड़ी थी।


" विकि बेटा.."नशे में धुत आवाज ।


"क्यो परेशान कर रही है आप मुझे, आपके बेटे ने कब का आपसे रिस्ता तोड़ दिया है और आपके कृपा से मुझसे भी। और क्या छीनना चाहते हो…!?"


मेरा गुस्सा चरण पे था। मिस कल्कि झुनझुनवाला ने बीच मे आते हुए मुझे समझाने की कोशिस की,


" देखो बेटा, तुम्हारा गुस्सा जायस है और मैं आप लोगो के पारिवारिक मामले में टांग नही अड़ाऊंगी। मैंने तुम्हें इसी लिए कॉल किया था कि ,तुम्हारे दादी के करोड़ो रूपये के कर्ज बाकी है। उसे देने के लिए उन्होंने आपका नाम बताया। मुझे मालूम है कि यह इतनी आसान बात नही, पर तुम्हारे दादी के और मेरे पति के 'पुरानी' जान पहचान के चलते कुछ सोचा है मैंने, बस तुम आज शाम को मुझे मेरे पते पर मिलने आ जाना।


अभी मेरा माथा ठनका, मैं गुस्से में ही बोला," मुझे उनसे कोई लेनदेन नही है,.....।"


मिस कल्कि," हम आपको पूछ नही रहे है, बता रहे है। अगर सीधे से नही आओगे तो मेरे लोग लेने आ जाएंगे।मैं फोन रख रही हु।"


मुसीबते आती है तो पूरी बारात लेके आती है। मुझे बिना झंझट का ये मैटर खत्म करना था इसलिए दिनभर रूम के लिए भटक कर मैं झुनझुनवाला के पास चला गया। शहर के व्हाइट कॉलर सबसे महंगे एरिया में एक बंगले का पता था वो। मैं आने वाला हु यह सेक्युरिटी को पहले से ही पता था। उन्होंने बिना नोकझोक मुझे अंदर भेज दिया।


मैं जिस समय गया था उस समय वहां घर मे कोई नही दिख रहा था। मैं बडेसे दरवाजे के सामने जाकर घंटी बजाई।दरवाजा एक मोटीसी मध्यम आयु की एक महिला ने खोला। उसने करीब करीब साड़ी पहन रखी थी। करीब करीब इसलिए कह रहा हु क्योकि उसने साड़ी क्यो पहनी थी इसमे ही मुझे कुछ लॉजिक नही दिख रहा था। वैसे भी वो बहोत ज्यादा ब्लाउज परकर के दिख रही थी। 40 44 40 की बला मेरे मुंह से कुछ निकलने से पहले ही मुझे खींच कर हॉल के कॉर्नर में सीढियो के नीचे के एक रूम में लेकर गयी और दरवाजा बंद कर दिया।


" तुम्हे अकल नही क्या? तेरे मेनेजर को बताया था कि अड्रेस के पीछे के बाजू से भेजने को, तू सामने से क्यो आया?" वो।


मुझे उसकी बातें समझ नही आ रही थी।उनका चेहरा जाना पहचाना लग रहा था पर ध्यान में नही आ रहा था। गिन चुन के कुछ शब्द जमा कर बोलने ही वाला था उतने में उन्होंने अपने कपड़े उतारना शुरू किया। एक 50 साल की औरत मेरे सामने नंगी खड़ी थी। कॉलेज में रंडिया बहोत चोदी थी पर ऐसा कोई सिन कभी नही जिंदगी में आया था।



उसने देखते ही देखते मेरे ऊपर सांप की तरह रेंगना चालू कर दिया। मेरे पेन को आधा नीचे कर हिलाना चालू कर दिया और देखते ही देखते चूसने भी लग गई । उसे किस बात की जल्दी थी , असलियत मे ये रंडीबाज है कौन? इसका मुझे कुछ मालूम पता नहीं हो रहा था । मै बर्फ की तरह स्तब्ध था।


अचानक से कुछ गाडियोकि आवाज आई और वो कपड़े जमा कर भाग गई। मैं तो जैसे पगलाने के कगार पे था। मैंने फिरसे एकबार पता चेक करने के इरादे दे सवर के बाहर आया तो दरवाजे पे बारात खड़ी थी।


"विकि बेटा"


आवाज थोड़ी बहोत पहचान की लग रही थी। कुछ कुछ झुनझुनवाला की जैसी। मैं कुछ बोलता उसके पहले वो मेरे गले आके मिली।


"तुम कब आये?" वो।


मैं ये सब सपने की तरह देख रहा था। पर वो जैसे बरसो से जानती हो ऐसे पेश आ रही थी।


"आगये हो तो , तुम्हारी पहचान करवा दु तुम्हारी 'फैमिली से' " वो।


आखरी वाले शब्द जहर जैसे चुभ गए। फिर भी, चलो मिलते है मेरी सो कोल्ड फेमिली से। इनके इरादे देख लगता है आज इस अनाथ को गोद लेने का प्रोग्राम रखा हो । सभी बड़े डायनिंग पे जमा हो गए। माफिया वाला फील आ रहा था।


मेरे सामने कुछ 10 15 लोग खड़े थे। बड़ा महल ,बड़ी फेमीली। उस मे एक चेहरा धुंधला धुंधला पहचान का लग रहा था। पर कुछ सोच पाउ उससे पहले इंट्रो चालू हुआ।


ये है,


यशवंत: बड़े मामा , 48 साल, घर का बिजनेस।

शाश्वती: बड़ी मामी, 45 साल , हाउसवाइफ।

रितु: बड़ी बहन , 30 साल, बड़े मामा मामी की बेटी, संसार छोड़ आई हुई।


नीलम: बड़ी मौसी 45 साल, हाउसवाइफ।

निलेश: बड़े मौसा 42 साल, घरेलू रियल इस्टेट बिजनेस।

नीतू: बड़ी बहन,


सरिता (सरु): छोटी मौसी, 35 साल, घरेलू बिजनेस।

विश्वास: छोटे मौसा,38 साल, घरेलू होटल बिजनेस।

(कोई संतान नही)


अभी आया हार्ट अटैक मोमेंट*


ये है तुम्हारी माँ , सुशीला देवी (उम्र 40, घरेलू ब्यूटी पार्लर बिजनेस)

और ये सौतेले पापा , चेतन, उम्र 35 साल।


"कोई संतान नही"


किसी बच्चे को तड़पाने का नतीजा भगवान इनको देना ही था। बारातियों का परिचय हो चुका था। अभी आगे,


और मैं तुम्हारी माँ की माँ तुम्हारी नानी " शर्मिलादेवी झुनझुनवाला।"


"अभी गोल गोल बाते न घुमाते हुए सीधे मुद्दे पे आते है। तुम्हे यहां बुलाने का मतलब सिर्फ फेमेली ही नही , उसके साथ कि जिम्मेदारी भी है।"


मैं मिश्किल ओठो में हस दिया। सबके चेहरे शोक में हो गए। दादी ने भी हल्की एटीट्यूड स्माइल देकर बात चालू रखी।


" जैसे कि तुम देख ही सकते हो कि इस परिवार का वारिस बने ऐसा कोई है नही। अब ये जगह तुम्हे भरनी है। थोड़ी बेशरम फेमिली लगी होगी तुम्हे ये पर हालात के मद्देनजर थोड़ा प्रेक्टिकल सोच लो। अगर तुम वारिसदार नही बने तो झुनझुनवाला एम्पायर होटल बिजनेस से बाहर हो जाएगा। दर असल तुम्हारे मामा के बाद घर मे कोई और नही है जो इस जगह के लिए कोलिफाइड है। तुम्हारे पिता, जन्मदाता पिता को भी इसके लिए मनाया गया पर तुम्हारी माँ के साथ हुए झगड़े में वो दूसरे गुट से मिल हमारे एम्पायर को तोड़ना चाहेंगे। हमसे पहले तो नही पर अब के बाद वो भी ये ऑफर तुम्हे जरूर देंगे। खानदानी दुश्मनी जो ठहरी।"


तभी वही औरत जो हवस में डूबी मुझे खाने के लिए टूट पड़ी थी वो अचानक से ऊपर से नीचे उतरते हुए आई।


नानी," इनकी पहचान करना रह गया। ये महोतरमा है आपकी दादी, आपके सगे पापा की माँ, मेरी बहन।"


बहन? दादी? जो औरत मेरा लन्ड मुह में लेके मेरा स्वागत की वो मेरी दादी थी।


है भगवान, है कहा रे तू 🎼🎼


नानी" तुम करीब करीब आधी नस्ल से हमारे वंश नियमोके आधीन हो। शिक्षा से भी उच्च शिक्षित हो। स्वयसुरक्षा के भी गुण है तुममे। बस एकबार मान जावो तो फेमिली रजिस्ट्रेशन के बाद तुम सितारा होटल्स के मैनेजमेंट टेस्ट के लिए कोलिफाइड हो जावोगे।"


मैं गला खराष्ते हुए," नानी, आपको नानी इस लिए बोल रहा हु क्योकि किसी इरादे क्यो ना बुलाया हो आपने पर अच्छा लगा मुझे आपका अपनापन। मैं आपका वारिसदार बनने के लिए कुछ शर्तों से तैयार हूं पर पैसो के लिए या जायदाद के लिए मत समझना।


नानी," नही नही, तुम्हे पैसो की लालच नही ये जानती हूं। पूरा बैकग्राउंड चेक की हु। इसलिये तो तुम्हे चुना गया है। घर की बेटियों को ऐशो आराम से फुर्सत कहा।तुम शर्त बतावो…"


" पहली और जरूरी बात, इस घर से पेपर के अलावा कोई नाता नही है मेरा। खास कर इन (मा, सौतेले पापा की तरफ उंगली करते हुए और दादी की और उंगली करते हुए) लोगो से। कैसे भी हो, फेमिली से गद्दारी मुझे पसंद नही । और इसी कारण से ये वारिसदार का ऑफर मैं मान रहा हु क्योकि, सामने वाले ने मेरे पैदा होने के साथ ही बहोत सारी गद्दारीया कर रखी है, उसके प्रायश्चित की अब बारी है। गद्दी, पैसा, गाड़ी, घर और कुछ, ये सब तो मिलेगा ये आपका थाट देखकर मैं समझ गया। पर मैं इस घर मे नही रहूंगा। बचपन से अनाथ हु, इतने लोगो की आदत नही है। बस अभी के लिए इतनाही।"


"तुम्हारी सारी शर्त मंजूर !! तुम्हारी गाड़ी, क्रेडिट कार्ड और एक फार्म हाउस और एक VVIP होटल रूम तुम्हारे काम के लिए दी जाएगी। कल से तुम किससे क्या नाता रखते हो ये तुम्हारे उपर छोड़ देती हूं। पर तुमने मुझे नानी बोला है और ऑफर मंजूर किया है उस हिसाब से कल से तुम सितारा होटल्स ग्रुप के वर्किंग डायरेक्टर की गद्दी संभालोगे। इज दैट क्लियर?"

नानी से सबकी ओर गर्दन घुमाई और मेरे साथ सभी लोगो ने हामी भर दी।

........ Episode 2 Loading.....

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kahani kee shuruat thori tej hui, pariwarik prishtbhoomi vistaar se ullekh kiye bina hi kahani jaise do teen update aage se shuru hui ho.
 
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tamas

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● Season 1 || Episode 2

दो दिन के बाद फेमिली रजिस्ट्रेशन होने का समय था। मेरे शर्त के मुताबिक नानी ने एक आदमी को मेरा होटल रूम और गाड़ी का सब अतापता देने बोल दिया। मैं वैसे भी फेमिली टुगेदर के मूड में ना था, तो मौहोल ढलता देख वहां से उड़नछू होने की ताक में था। सब लोग अपने अपने काम मे मगन होने लगे। पर 4 आंखे थी जो मुझे चुभ रही थी और कुछ आखोको मैं चुभ रहा था। उसमें से मुझे चुभने वाली आँखे थी मेरी माँ, सौतेला बाप। तकरीबन 6, 7 साल बाद मुझे देख रहे थे वो। मा की आँखों मे कुछ ज्यादा ही प्यार और पश्चाताप का कॉकटेल टपक रहा था। अभीतक की आधी से ज्यादा जिंदगी अनाथ की तरह जीने के बाद उस औरत के लिए मेरे मन मे कुछ भी भाव नही थे। जो भी थे वो एक इंसानियत के नाते उभर रहे होंगे ऐसा मेरा मानना था। पर उस समय उसके इस मा का प्यार वाले जाल में फसना ना था।


कंगाल से अमीर बनने का ये काल मेरे लिए बहोत ज्यादा आनंद देने वाला होना चाहिए था पर मुझे वैसा अमीरजादे वाला रोल करने में कोई इंटरेस्ट ना था, क्योकि स्कूल कॉलेज में अमीरजादे लोगो का जो बर्ताव सहा था उससे अमीर होना नरक में जीने जैसे लगता था मुझे। मेरे बहोतसे दोस्त यातो मिडल क्लास या तो बहोत गरीब थे ,जिनकी वजह से मैं परेशानी भरी मेरी जिंदगी अबतक सहन कर पाया। उनके लिए कुछ कर पाऊंगा ये सोच नानी के ऑफर के बाद पहले जहन में आई मेरे। और दूसरी समाज ने माथे पर कलंक जैसे बिठाये मा बाप से बदला। इसी सोच विचार में डूबा था कि नानी ने मुझे अपने कमरे में बुला लिया।


3 मजली हवेली।नीचे किचन , स्टोर रूम , भगवान का मंदिर और प्लेइंग क्लब । पहला मजला नानी , मा और मामा का रूम। दूसरा मंजला सारे मौसी और तीसरे पर सारे बच्चे । हवेली के बाजू के एरिया मे गेस्ट हाउस । हवेली और गेस्ट हाउस के बीच मे स्विमिंगपुल। इतने अमीर घर का वारिसदार बचपन से लावारिस की तरह जी रहा था। जिंदगी भी क्या मोड़ लाती है। पर हर कोई गरीब से अमीर बनने में उल्हासी नही होता। फिरसे गरीब होने का डर ज्यादा रहता है।


मैं नानी के पीछे पीछे उनके कमरे में गया। सोफे पर बैठ गया। नानी," देख विकि, अभी जो बातें बताने जा रही हु वो ध्यान से सुनो।"


मैं," जी।"


" ये इंडस्ट्री, कॉरपोरेट के आका होना बाहरसे अमीर और ऐशो आराम का दिखता होगा आम लोगो का पर उन जगहों का मालकाना होना जिम्मेदारी का काम है। तुम्हारे साथ जो भी बचपन से हुआ वो निहायती गलत था ये मैं जानती हूं। तुम्हारा होना तुम्हारे दादी के नशे में बकने के वजह से मालूम पड़ा नही तो तुम्हारी माँ अपनी शादी बचाने और तेरे पिता मुझे डुबाने के लिए तुम्हे मरने छोड़ गए। ऐसा मत समझना कि मैं जहर घोल रही हु, पर जो है सच वो है। पर इसका परिणाम है कि इस घर मे जितने भी लोग है, मैं और तुम्हारे मा पिता से भी ज्यादा तुम्हे अभी के दुनियादारी की ज्यादा जानकारी और अनुभव है। पता नही क्यो पर अपने खुद के खुनो से ज्यादा तुमपे भरोसा है मुझे और इसकी वजह से मैंने तुम्हें ही नही सारे परिवार को अंधेरे में रख ये निर्णय लिया है। इतना जान लो, इंडस्ट्रीयलीस्ट होना अपने आप मे एक माफिया का हिस्सा होना है। और मेरे घर मे सारे गुंडे भरे पड़े है, तुम्हारा आना बहोत से लोगो को खटका है। यहां भी और इंडस्ट्री में भी। तुम्हारा पब्लिक इन्फॉर्मेशन अभीतक सारे इंडस्ट्री के बोर्ड पर गया होगा। तो अभी से अपनी इमेज और जान दोनों संभाल कर। " नानी रुक गयी।


मैं, "पहले भी बोल दिया और अभी भी बोल रहा हु, we are mutual. दुनियादारी में इतना मार खाने के बाद आपकी जगह महसूस कर सकता हु। मेरे भूतकाल के जिम्मेदार सिर्फ तीन लोग है और बाकियो पर मैं इसका इल्जाम नही लगाऊंगा। देर से क्यो न हो, आप मेरी नानी है, वारिसदार नही पर पोता होने के नाते से आपके सारे जिम्मेदारी और हुकुम मेरी जिम्मेदारी है। (नानी के आंखों में थोड़ी सी नर्मी थी, जैसे वो रो ही दे!)

आपने जो विश्वास दिखाया है उसके लिए धन्यवाद!! अभी बुढ़ापे के दिन मजेसे बितावो। झुनझुनवाला एम्पायर जैसे थाट में खड़ा है वैसे ही रहेगा, ये विकि का वादा है आपको।"


नानी खड़ी हो गयी, " विकि मैं तुम्हे गले लगा सकती हूं।"


मैं खुद उनके पास गया और उन्होंने बिना समय गवाए मुझे गले लगा दिया। नानी," दिल को जैसे सुकून आया है। तुम मेरी और इस झेड वी एम्पायर की आखरी उमीद हो। बस मेरे मरने तक मेरे साथ रहना यही आखरी ख्वाइश है।"


नानी के मुझे कस कर पकड़ा था, मेरा लन्ड फूलने लगा था। नानी करिब 57, 58 साल की भरे शरीर की औरत थी तो आदमी का गर्म होना आम था। मेरी हवस वाली गर्मी नानी को मालूम ना पड़ी हो ये हो नही सकता, औरते इसमे बहोत एक्सपर्ट होती है। नानी की गर्म सांसे दबाने की कोशिश की हुई सिसकी मुझे भी महसूस हुई।उनका हाथ पीठ से मेरे पिछवाड़े पर गया। अभी मेरा बम्बू तंबू बनने से कोई नही रुका सकता था।मेरा 7 इंच का बम्बू अभी बेंड हो रहा था और उसपर घर्षण भी महसूस हो रहा था। मैं खुदको कंट्रोल करने के लिए खुदको दूर करने लगा तो नानी ने और दबोच लिया। उनकी सांसे फूल रही थी, कनहते आवाज मेरे कानों में चेतना उभार रहे थे।


मेरे हाथ भी उनके उभरे गांड पर टिक गए। उनकी बड़ी सिसकी निकल गयी। और अचानक से उन्होंने अपनी जखड़न छोड़ दी। ऑर्गेजम हुआ लगता है। अपने पोते के साथ ऑर्गेजम करके भी उनकी आंखों में लज्जा या अपराध वाली भावना नही दिख रही थी।


वो," अभी तुम जावो चाहो तो आज गेस्ट रूम में नही तो होटल रूम में जाकर आराम करो। "


उनका साड़ी का पल्लू गिर गया था पर उन्होंने वैसे ही ब्लाउज में मेरे सामने से मोड़ लिया और बेड पर जाकर बैठ गयी और किसी के फोटो को देखने लगी। भावना की तीव्रता से वो इस घर के गॉडफादर उनके पति होंगे ऐसे लग रहा था। मैं वहां से बाहर निकला।


बाहर निकलते ही सामने हमारी पूज्य माताजी खड़ी थी और पीछे बॉडीगार्ड की तरह उनके नये यार। मैं वो लोग वहां पर नही है ऐसा दिखावा करते हुए वहां से निकलने लगा। तभी सौतेले बाप का आवाज कान पर पड़ा, " बेटा विकि, कैसे हो?" मैंने उसे भी इग्नोर किया।


माताजी," तुम्हारे पापा ने कुछ पूछा है विकि, ऐसे बत्तमीजी मत करो ।"


अभी दिमाग का भोसड़ा हो रहा था मेरे, " माननीय सुशीला देवीजी, मेरे मा बाप की मौत होकर अठरह साल हो चुके है , आपको कुछ गलतफहमी हो रही है लगता है। और हा मा बाप के बिना पले बढ़े बच्चो में तमीज ना होवे है। चल वंटास!!


सौतेला बाप," ये क्या तरीका है अपने मा से बात करने का विकि!?" मा ने करीब करीब आँसू ढल दिए थे।


" मिस्टर कॉल बॉय, कान में कुछ लिया है क्या आपने? सुनाई नही देता। " मेरे इस बत्तमीजी पे मा भड़क गई और आगे बढ़ मेरे कान के नीचे बजा दी। मेरा सौतेला बाप शोक हो गया। उसने मा को पीछे लिया।


वो," सोरी विकि तुम्हारी माँ का ऐसा दिल से कोई इरादा नही था।"


मैं हस दिया चेतन(सौतेला बाप ) को अनदेखा कर, " सुशीलादेवी जी, कपड़ो से गरीब बेचारा हु समझ ये बड़ी गलती कर दी आपने। और चेतन दी कॉल बॉय…" इतना बोल मैंने उसके कान के नीचे दो बार सीधे और उल्टे हाथ का दे दिया। ये देख मा तो घबराई सी गयी, चेतन सुन्न पड़ गया, " सुन चूतिये पहिला तेरे कान का इलाज था, फिर बोल रहा हु मेरे मा बाप अठरह साल पहले मर चुके है। और दूसरा तेरी रंडी के हिस्से का, समाज का नियम पालते हुए औरत पे हाथ नही उठाया। पर हर बार ऐसा नियम पालन होगा ये मत समझना।"


दोनों मेरे रास्ते से बाजू हुए, परिवार के बहोत से लोग फिरसे डायनिंग के पास दिखाई दिए। रात के खाने का समय था शायद उनके। कुछ लोग शोक में तो कुछ लोग हल्के से हसि के मुह लेकर मेरी नजर बचानी की कोशिश करने लगे। मैं आज बहोत थका था तो नानी के कहने के अनुसार गेस्ट हाउस चला गया।


मेरे गेस्ट हाउस की ओर जाने के बाद**


रितु," पापा आपका अपोजिशन तगड़ा मालूम पड़ता है।"

नीतू,"सही कहे हो दी, पापा अपनी कुर्सी कस के पकड़े रहो।"


यशवंत और नीलेश ने बस बेटियो को गंभीरता भरी नजर देकर खाना चालू किया।


"अच्छा खासा मुड़ बन गया था नानी के साथ। पूरा कचरा कर दिया इन लोगो ने।" ऐसे सोचते सोचते मैं गेस्ट हाउस की ओर चला गया और जैसे ही रूम में गया सामने देखा कि दादी सोफे पे दारू पीते हुए बैठी थी। अब तो मेरा सर गुस्से से फट रहा था। मैं वैसे ही बाहर जाने लगा तो उसने पुकारा, " गुस्सा मत हो विकि, तुम्हारा गुस्सा जायज है और मुझे माफी न मिलना भी। तुम आज यहां आराम करो मैं स्टोअर रूम में जाति हु। तुम अभी मालिक हो इस घर, हवेली,जायदाद के। अभी खुश रहो।"


कुछ देर के लिए मुझे ये ध्यान में ही नही रहा कि, जी हां ये हजार करोड़ के एम्पायर का मालिक हुआ हूं मैं। तकरीबन नानी का 40 और मा का रजिस्टर बेटा होने के बाद मेरा 20 शेअर मिलाके 60 परसेन्ट हो जाएगा जो मैनेजमेंट के मीटिंग के बाद नानी तो वैसे भी मुझे ही दे देगी, उनके वासनावो भरी भावना से तो ऐसे ही महसूस हो रहा है।


मुह नीचे कर दादी गेस्ट रूम से बाहर जाने लगी। मेरे आने से जैसे उनकी सारी नशा उतर गई हो। मुझे इस मुड में नींद तो आने नही वाली थी नानी ने आधा खड़ा कर छोड़ा और माँ और चेतन ने दिमाग का भोसड़ा किया था। फस्ट्रेशन सा हो गया था।


मैं," प्रमिलादेवी जी…"


दादी रुक गयी और घूम गयी। उनकी आंखें नीचे ही थी।


मैं," ये रंडीबाजी , दारूबाजी करके क्या पा लिया जिंदगी में आपने? अभी मुह नीचे कर शर्मनाक होने का क्या मतलब बनता है? "


दादी बस सुने जा रही थी। गुनहगार का काम की वही होता है। गुनाह साबित हो तो क्या अपील करे, है कि नही!?


मैंने आगे बढ़ उनकी गर्दन ऊपर की । 58 साल की नशे में धुत बुढ़िया आज भी चुदवाने का शौक रखती है। वो नाइटी में थी। गर्दन के थोड़ा नीचे से घुटने तक थोड़ा ट्रांसपरेंट गाउन जैसा जो दो धागों से कंधो के सहारे लटक रहा हो ऐसा कपड़ा। विस्की वाइन की मिक्स परफ्यूम मारा हुआ। लटके चुचे तो तकरीबन दिख रहे थे। काफी चरबिलि थी तो, चुचे भी चरबिले (Fat) थे। पैंटी का कॉर्नर ऑंखोंको महसूस हो रहा था।


वो कुछ बोलती उससे पहले मैंने उसके गर्दन को जखड़ ओंठो को चूसना चालू किया। ऐसा दृश्य था कि उसने पी हुई दारू मैं उसके ओठो से फिरसे पी रहा हु। उसने थोड़ा विरोध किया पर पैदाइशी हवस और नशे और उम्र से आई कमजोरी ने उसे हरा दिया। मैं उनको खींचा और सोफे पर बैठ उन्हें जांघ पे बिठा दिया।


कुछ समय तक ओंठ चूसते चूसते। उनके चुचे और चूत दोनों मसल मसल के गर्म कर दिए।एक हाथ से नाइटी गाउन ऊपर कर पेंटी को निकाल दिया और ऊपर से गाउन खींच चुचो को आझाद कर उन्हें बारीबारी चूसने लगा। उनके मुह से आह उम्म आह ममममम आह सिसकारियों का जैसे संगीत बज रहा था। कुछ देर बाद चुचे निचोड़ने के बाद बेड पर ले जा के 69 पोजिशन पकड़ ली। उसने मेरा जीन्स निकाला और पागल की तरह चूसने लगी।मैं भी चूत को चांट चांट के मजे ले रहा था। रंडिया इस उम्र में भी हाइजेनिक थी। पूरा साफ सुधरा चूत था इसका। पहले सोफा और बाद में 69 में दो बार पानी निकाल दिया था दादी ने। बेहोश न होजाये इसलिए मैंने सीधा होकर लन्ड चूत में घुसाके उसको उड़ाना चालू किया। वो चुचो के साथ हवा वे सैर कर रही थी।


आह आह मैया मोरी अअअअ हआ आ आ उम्म चौद जोर से फर् फक फक फक आह……..


थोड़ी देर बाद उसको पेट के बल सुलाक़े ऊपर सोया और लन्ड सेट कर ऊपर से चुदाई शुरू की। बेड से कहि अच्छा उसका बदन मुझे महसूस हो रहा था।कुछ देर हैवानियत की तरह भड़ास निकलने के बाद मैंने मेरा पानी उसके मुह में दे दिया।


बुढ़िया थक चुकी थी , हांफते हुए बोली, " बेटा बाप से भी ज्यादा जोशीला है, तेरा स्टेमिना तुझे बहोत दूर ले जाएगा। इस चुदाई को मेरा माफीनामा समझू…."


"इतनी बेशर्म हो, खुद के बेटे का भी ले चुकी हो। इतने पाप करने के बाद 15 मिनिट के चुदाई में माफी पाना चाहती हो? इस चुदाई का मतलब तू मेरी ऑफिशियल रंडी है। जिस वक्त लौड़ा भड़केगा। वो भड़ास तेरी चूत शांत करेगी। तेरी जिस आदत ने हमारी जिंदगी के लोडे लगाए वही लोडे तेरे अंदर घुसाउंगा।"


वो कुछ बोली नही, बस उठके एक पेग बनाया और बालकनी के दरवाजे पर हाथ मे पेग लिए खड़ी हो गयी।


वो," मुझे मालूम है कि मेरे पाप धुलने वाले है नही, ठीक ही है ये , भुगतना मेरी तकदीर है।"


मैंने पीछे से जाकर पड़ा लन्ड गांड पे घिसते हुए हाथो के नीचे से कसते हुए चुचे मसलना चालू किया। वो ऐसे तिलमिलाइ जैसे वाइब्रेटर को चूत में बड़ी मात्रा में चलाया गया हो।


मैं," इतने साल में बहोत मौके थे गलती सुधारने के पर ये नशा तुमको ले डूबी रंडिया।" इतना बोल उसे वही झुकाकर उसके चूत में खुदाई चालू कर दी। रूम किचन बाथरूम वाले 1RK गेस्ट हाउस के हर कोने में रातभर मैं उसे चोदता रहा। और चूत में लन्ड रख ही सो गया। सुबह उठा तो दादी वैसे ही नंगी सोई थी। मेरा लन्ड उसके चूत में था।


तभी बाहर से आवाज आया," मालकिन उठ गए क्या? मैंने आपका काम कर दिया,...(इतने में दादी उठी, उसको उस सिन का अंदाजा आ गया और मुझे भी। वो उसको रोकती उससे पहले मैंने उसका मुह दबाया।)


आगे," काम कर दिया है… बड़ी मालकिन का और नए मालिक का प्रायवेट बातचीत का ऑडियो है मेरे पास, जल्दी दरवाजा खोलिये. कोई देख लेगा तो आफत आ जायेगी।"


मैं दादी के कान में, " तेरी गांड की चरबी उतरती ही नही है ना भोसडी वाली, उसको अभी अंदर बुला नॉर्मल में।" मैं दादी को अपने ऊपर लेकर सोने का नाटक किया। जैसे उसे लगे कि मैं दादी का बुलाया हुआ कॉल बॉय हु। इसके आसपास के लोगो को इसके आदतों के पता जरूर होगा है जाहिर सी बात है।


वो अंदर आ गयी," आपने जैसे बोला था वैसे बड़ी मालकिन और नए साब की अकेले में हुए बात मैंने कैसे वैसे रेकॉर्ड कर ली है। मेरा पैसा दो और रेकॉर्ड लेलो। इससे आपको आपका पार्टनर शिप मिल जाएगा इसकी गेरेन्टी है।"


दादी कुछ बोल नही रही थी। मौका उनके हाथ मे जाए उससे पहले मैंने मेरा मुह पीछे से बाहर निकाला," जिस थाली में खाओ उसी में छेद करो। पौराणिक काल से चला आ रहा है। पर आपका चेहरा जाना से क्यो लग रहा है? आप….?"



-------- और आगे--------


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nayak kee maa aur dadi ko itne saalo baad aatmglani kyun ho rahi hain, itne saalo se andekha karte aaye the achanak kya badal gaya kee apna beta ab pyara lagne laga. khair maa aur baap ke alag hone ke wajah jo bhi ho, lekin iske liye bete se muh fer lena na maa, na baap ke liye sahi tha. khair backstory janne ke baad hi kahani kee kadiya khulengi.
 
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tamas

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नया मैनेजमेंट भी तो बनाना है
रेखा तो फॅमिली में औरों के संपर्क में भी होगी, खासकर अपने आशिक के
सीमा पूरी इसी के लिए वफादार रहेगी
jai baba kamdev
 
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