• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Incest मां का आशिक

urc4me

Well-Known Member
23,267
38,546
258
Bhai Likhne me dhyan do kuch se kuch likh de rahe ho. Meaning kuch bhi nikal sakta hai. Romanchak. Pratiksha agle rasprad update ki
 

Baklolbazz

Baklolbazz™ ®
214
2,166
124
शादाब अपनी अम्मी के गाल चूम कर बोला:"

" अम्मी आप सच में बहुत खूबसूरत है, आपके गाल एक दम मीठे हैं बिल्कुल शहद की तरह।

अपने बेटे की बात सुनकर वो पूरी तरह से शर्मा कहीं गई और हाथ से निकल कर बोली:

" बेशर्म कहीं का, कोई अपनी अम्मी से ऐसे बात करता हैं !

ऐसा कहकर वो कमरे से बाहर निकल गई। अपने कमरे में जाकर शहनाज़ अपनी सांसे दुरुस्त करने लगी। पता नहीं मुझे क्या हो जाता हैं जब भी मैं अपने बेटे के पास जाती हूं। उफ्फ जैसे ही वो मुझे छूता हैं तो जिस्म का रोम रोम अपने आप महकने लगता हैं जिसके उसके लिए ही बना हो। और वो भी तो मेरी कितनी तारीफ कर रहा था मानो मैं उसकी मा नहीं महबूबा हो। तभी उसकी नज़र फिर से शीशे पर पड़ी तो तो उसने अपने गाल को देखा जहां उसके बेटे ने चूमा था वो जगह लाल हो गई थी। जैसे ही शहनाज़ ने अपने गाल पर उस जगह हाथ रखा तो उसकी आंखे अपने आप मस्ती से बंद हो गई। वो अपने गाल को सहलाने लगी मानो उसका उसका गाल शादाब के होंठो से छूकर धन्य हो गया हो। उसके मुंह से अपने आप हल्की हल्की गर्म गर्म सांसे निकल कर उसके हाथ पर पड़ रही थी जिससे वो और ज्यादा मदहोश होने लगी और गाल पर लगी अपनी उंगली जो कि उसके बेटे के जीभ से निकले रस से हल्की सी गीली थी उसे बहुत ही कामुक दर्शक में अपने होंठो पर फिराने लगी। उसकी चूचियां एक बार फिर से अकड़ गई और उसने अपनी टांगो को एक दूसरे से रगड़ना शुरू कर दिया। तभी उसके कानों में अपने बेटे की आवाज गूंज उठी

" अम्मी नीचे आपको दादा बुला रहे हैं, उनकी जैकेट दे दो।

शहनाज जैसे होश में अाई और बड़ी मुश्किल से खुद पर काबू पाते हुए ससुर की जैकेट उठा कर नीचे की तरफ चल पड़ी। उसने शुक्र मनाया कि उसके बेटे ने उसे अपने रूम से ही आवाज लगाई और अंदर नहीं आया। अगर उसका बेटा उसे ये सब करते देख लेता तो क्या सोचता मेरे बारे में!
उस बेचारी को क्या मालूम कि रात उसका बेटा उसकी फिल्म देख चुका था। वो नीचे अाई और देखा कि उसके सास ससुर उसके बेटे की बड़ी तारीफ कर रहे थे और दुनिया की हर मा की तरह वो भी अपने बेटे की तारीफ सुनकर फूली नहीं समाई।

शादाब:" अच्छा दादा जी मैं जाकर सब काम देखता हूं। कोई कमी तो नहीं है ।

इतना कहकर वो बाहर निकल गया और काम में लगे लोगों से मिला और हलवाई से बात करी, सजावट का काम देखा और सारी प्लानिंग करने लगा। दिन के 10 बज चुके थे और मेहमान आना शुरू हो गए। सबसे पहले उसकी बुआ रेशमा अाई जिसके मुंह पर नकाब लगा हुआ था तो उसने शादाब को नहीं पहचाना लेकिन उसकी सुन्दरता को देख कर लालच भरी निगाहों से घर में चली गई। वहां वो अपने मा बाप से मिली और शहनाज़ से मिली और उसे गले लगा लिया।

रेशमा:" भाभी कैसे हो आप? शादाब कहां है बहुत सालों से नहीं देखा उसे !!

शहनाज़:" मैं ठीक हूं बाज़ी, शादाब यहीं हैं, बाहर काम में लगा होगा, मैं आपके लिए पानी लाती हूं।

शहनाज पानी लेकर अा गई और रेशमा की तरफ ग्लास बढ़ा दिया तो रेशमा पानी पीकर बोली;"

" पहले शादाब से मिलती हू, फिर सबसे बात करूंगी।

इतना कहकर वो बाहर की तरफ अाई और एक छोटे बच्चे को बुला कर कहा:"..

" बाहर से शादाब को बुला लाओ, बोलना उसकी बुआ रेशमा अाई हैं

लड़का बाहर गया तो शादाब खुशी के मारे दौड़ता हुआ घर के अंदर घुस गया और अपनी बुआ के पास अा गया जो अब नकाब उतार चुकी थी।

शहनाज़:" बेटा ये तुम्हारी बुआ हैं रेशमा, बचपन में तू उनके साथ ही सबसे ज्यादा खेलता था और ये भी तुझे बहुत प्यार करती थी।

शादाब को एक के बाद एक बाते याद आने अपने बचपन की और वो खुशी से दौड़ता हुआ अपनी बुआ से लिपट गया तो रेशमा ने भी उसे अपने गले लगा लिया।

रेशमा: मेरे बच्चे तुझे मैंने बहुत याद किया, तेरी बहुत फिक्र होती थी मुझे , बेटा तो बड़ा खूबसूरत जवान बन गया है।

शहनाज को अपने बेटे का अपनी बुआ से यूं चिपकना और रेशमा की ऐसे तारीफ करना अच्छा नहीं लगा और उसे जलन महसूस होने लगी। उसका खूबसूरत चेहरा गुस्से से लाल होने लगा और वहां से उपर की तरफ चली गई।

रेशमा ने आगे बढ़कर शादाब का गाल चूम लिया और बोली:"

" बेटा मुझे बहुत खुशी हुई तुझसे मिलकर, कुछ दिन के लिए मेरे साथ चलना शहर में!!
 
Last edited:

Baklolbazz

Baklolbazz™ ®
214
2,166
124
शहनाज उपर छत से सब देख और सुन रही थी। जैसे ही रेशमा ने उसके बेटे का गाल चूमा था तो उसका मन किया था कि उसका मुंह तोड़ दे। कमीनी कहीं की मेरे बेटे पर डोरे डाल रही हैं, हद हो गई उसको अपने साथ शहर के जाने के लिए भी बोल रही है। मेरे बेटे को बिगाड़ ना दे ये कमीनी। मुझे ध्यान रखना होगा। ।

तभी बाहर से एक आदमी आया और शादाब को अपने साथ ले गया तो शहनाज़ ने राहत की सांस ली।खैर 12 बजे तक मेहमान अा चुके थे और पार्टी शुरू हो गई। सबने शादाब से मिलकर उसे दुआ दी और उससे अपना प्यार प्रकट किया।

रेशमा ने शादाब को एक बहुत ही अच्छी सोने की अंगूठी गिफ्ट में दी तो शादाब खुश हो गया। पार्टी में कुछ ऐसे परिवार भी आए जो शादाब के दादा को जानते थे जबकि शहनाज़ के बारे में उन्हें नहीं पता था कि ये शादाब की अम्मी हैं।

ऐसे ही परिवार से कुछ औरतें अाई तो जो शादाब को पागलों की तरह घुरे जा रही थी। शहनाज़ को बुरा लगा और उन्हें बोलने के लिए उनके पास जाने लगी की तभी उनकी आवाज उसके कानों में पड़ी।

एक औरत:" हाय देख ना क्या दूध सा गोरा चित्ता लड़का हैं, एक दम चॉकलेटी

दूसरी:" कमीनी चुप कर, मेरी तो जीभ में पानी अा रहा है उसके ये नाजुक होंठ देखकर, मन करता हैं कि अभी जाकर चूस लू!!

पहली औरत:" हाय तेरे बस जीभ में पानी अा रहा हैं, मैं तो नीचे से भ पूरी भीग चुकी हूं।पेंटी से रस बाहर टपक रहा है।

दूसरी:' क्या बात करती है तू, मेरी भी हालत खराब होने लगी है, उफ्फ देख ना कितनी चौड़ी छाती हैं, हाय मेरा तो जीभ से चाटने को मन कर रहा है।

इतना कहकर वो अपनी जीभ अपने होंठो पर शादाब की तरफ देखते हुए फिराने लगी।दोनो की हंसी छूट गई जबकि शहनाज़ का खून जल रहा था, लेकिन वो अपनी ही पार्टी में हल्ला नहीं करना चाहती थी।

पहली:" उसका तो सारा बदन ही गोरा हैं, लगता हैं इसका तो घोड़ा भी गोरा ही होगा।

दूसरी:" हान तू ठीक कहती हैं मैंने आज तक जितने भी लंड देखे सब काले ही थे, गोरे गोरे मर्दों के भी लंड काले होते है, शायद ये पहला होगा जिसका लंड गोरा होगा।

अपने बेटे के बारे में ऐसी बाते सुनकर शहनाज़ का दिल बैठने लगा और उसकी आंखो में आंसू छलक पड़े।

पहली:" हाय गोरा लंड चूसने में कितना मजा आता होगा, अब तक तो सिर्फ काले ही मिले हैं चूसने के लिए।

दूसरी:" चुप कर कमीनी, कोई सन लेगा तो क्या कहेगा। तेरी बात सुनकर तो मेरे मुंह में भी पानी अा गया।

शहनाज को आज पहली बार पता चला कि लंड चूसा भी जाता है, उसे सुनकर बड़ा बुरा लगा, लंड भी कोई चूसने की चीज होती हैं, कितनी जाहिल हैं है औरतें।

दूसरी:" सच यार, मर्द एकदम से काबू में रहते हैं लंड चूसने से, अगर एक बार इसका नंबर मिल जाए तो घोड़ी बन जाऊ इसके लिए और लंड चूस लू।

पहली:" हान तू ठीक कहती है एक बार मेरा पति दूसरी औरत के चक्कर में पड़ गया था क्योंकि मैं उसका लंड नहीं चूसती थी। लेकिन जबसे चूसना शुरू किया सब ठीक हैं, कुत्ते की तरह दम हिलाए मेरे आगे पीछे घूमता रहता हैं।
 

Baklolbazz

Baklolbazz™ ®
214
2,166
124
दूसरी:" हान सच कहा बहन तूने, किसी तरह से तू इस लड़के का नंबर निकाल, फिर तू बाकी सब मुझ पर छोड़ दें।

पहली:" ठीक हैं, मैं अपने बेटे की पढ़ाई के बहाने से बात करके इसके दादा से नंबर ले लूंगी।

शहनाज का दिल पूरी तरह से तड़प उठा। उसने फैसला किया कि वो अपने बेटे को इन सबसे बचा कर रखेगी। तभी उसके कानों में रेशमा की आवाज पड़ी जो तो वो उसकी तरफ जाने लगीं। शहनाज़ ने पूछा:

" हान बोलो क्या हुआ?

रेशमा:" खाना तो सबने खा लिया हैं और सब लोग एक दूसरे से मिल भी चुके हैं। मुझे लगता हैं कि पार्टी अब खतम कर देनी चाहिए।

शहनाज ने एक दम रेशमा की बात का समर्थन किया क्योंकि वो नहीं चाहती थी कि उसके बेटे को फिर से और किसी की नजर लग जाए। धीरे धीरे पार्टी खत्म हो गई और एक एक करके सभी मेहमान जाने लगे। ।

वो दोनो औरतें जो कि सगी देवरानी और जेठानी थी एक बहुत बड़े सरकारी अधिकारी के घर से अाई थी जो किसी मजबूरी के कारण नहीं अा पाया था। वो शादाब के दादा के पास अाई और एक बोली:"

" बाबा हमे भी अपने बेटे को डाक्टर बनाना हैं, अगर आप हमे शादाब का नंबर दे तो हम जरूरत पड़ने पर उससे बात कर लगी।

दादा:" हान हान बेटी क्यों नहीं, इंसान ही इंसान के काम आता हैं लो मैं दे देता हूं।

दादा जी ने उन्हें नंबर दे दिया तो वो दोनो खुशी से चहकती हुई चली गई। शहनाज़ ये सब देख रही थी और उसका मूड पूरी तरह से खराब हो गया था। खैर सभी मेहमान चले गए और घर में रुकी बाद शादाब की बुआ रेशमा। शहनाज का दिल कर रहा था कि ये कमीनी भी चली जाए लेकिन मेहमान के साथ जबरदस्ती करना ही अच्छी बात नहीं होती और रेशमा इस घर की बेटी हैं इसलिए वो चुप रहीं।

धीरे धीरे शाम का अंधेरा बढ़ने लगा और दादा दादी खाना खाकर लेट गए थे। रेशमा काफी दिनों के बाद घर अाई थी इसलिए अपनी सहेली चंपा से मिलने का सोचने लगी।

रेशमा:" भाभी अगर आप कहें तो मैं अपनी सहेली चंपा से मिलकर अा जाऊ ?

शहनाज खुश हो गई कि कुछ देर के लिए ही सही लेकिन मुसीबत दूर हो रही है।

शहनाज़:" आप चली जाओ, को बात नहीं आराम से मिलकर आना आप।

अब रेशमा ने अपना असली जाल फेंका और बोली:" वो भाभी अंधेरा होने लगा है बाहर, अगर आपकी इजाज़त हो तो मैं शादाब को अपने साथ ले जाऊं?

शहनाज़ की झांटे सुलग उठी और मन किया कि इसे थप्पड़ मार दे लेकिन खुद को संभालते हुए बोली:"

"एक काम करना आप सुबह चली जाना, अभी अंधेरा भी बढ़ रहा है बाहर !!

रेशमा भी कुछ जरूरत से ज्यादा चालाक थी इसलिए बोली:".

" कल सुबह 6 बजे उसकी ट्रेन हैं इसलिए अभी जाऊंगी तो मिल जाएगी । भाभी प्लीज भेज दो ना आप इसे मेरे साथ।

शादाब:" अम्मी जब बुआ इतनी गुज़ारिश कर रही है तो भेज दो आप मुझे। मैं भी गांव देख आऊंगा।

शहनाज़ के पास अब कोई बहाना नहीं बचा था इसलिए दुखी मन के साथ उसे जाने की इजाज़त दे दी।

शहनाज़:" ठीक हैं लेकिन जल्दी वापिस लौट आना, कहूं मैं इंतजार करती रहूं।

रेशमा का चेहरा खिल उठा और इससे पहले कि वो बाहर की तरफ निकलते शादाब के चाची अा गई जो कि रेशमा को अपने घर ले जाने की जिद करने लगी।
रेशमा मना करती रही लेकिन उसकी एक नहीं चली तो वो बोली आखिरकार बोली:"..

" बेटा मैं थोड़ी देर बाद आती हूं जब तक तुम आराम करो, उसके बाद चलते हैं।
 
  • Love
Reactions: ToorJatt7565
Top