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Incest माँ का दुःख दूर किया

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रोहित जैसे ही दरवाजा खोलता है उसने अपनी माँ को एक छोटी नीली नाइटी पहने पलंग के एक साइड सिरहाने सर रक्खे हुए सोते हुए देखता है।

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ओह .........माँ शायद सिरहाने सर रक्खे हुए ही सो गयी ? वह दरवाजे के पास खड़े खड़े ही अपनी माँ को आवाज देता है।

माँ ...माँ ....सीधी हो के लेटो नहीं तो गर्दन में दर्द हो जाएगा। .......।। रोहित ममता को आवाज लगाता है

पर ममता कोई जवाब नहीं देती है।

शायद माँ गहरी नींद में सो गयी है ,चलो मैं ही सीधे सुला देता हूँ ,यह सोचते हुए रोहित पलंग के दूसरी साइड ममता की और बढ़ता है पर जैसे ही रोहित अपनी माँ तक पहुँचता है उसके पैर से कोई कपडा टकराता है।

जैसे ही रोहित की नजर उस कपडे पे पड़ती है उसको झटका सा लगता है वह कपडा कुछ और नहीं बल्कि उसकी माँ की काले रंग की पैंटी थी जो ममता ने सोते वक़्त उतार के पलंग के नीचे ही डाल दी थी।
ओह्ह तो क्या माँ नंगी हो के सो रही है ?
यह बात जैसे ही रोहित के दिमाग में कौंधती है ,बॉक्सर के अंदर उसका विशाल लौड़ा अंगड़ाइयां लेने लगता है

2 मिनट तक रोहित जैसे मानो जम सा जाता है उसकी नजरे लगातार अपनी माँ की पैंटी पे लगी हुई थी।

उसके मन में तुरंत ही उस पैंटी को उठाने का ख्याल आता है पर माँ कही जाग न रही हो इस ख्याल से उसका कन्धा पकड़ के हिलाता है

माँ... माँ ...... सीधी हो के लेट जाओ
पर ममता तो मानो बेसुध होकर सो रही थी

ओह तो शायद माँ नींद की गोली की वजह से ऐसी बेसुध होकर सो रही है .....रोहित सोचता है
पिछले एक दो महीने से ममता की नींद न आने की समस्या हो गयी थी वह ज्यादातर देर रात तक जागती रहती थी और सुबह जल्दी ही उठ जाती थी वह मुश्किल से २ ,३ घंटो की नींद ले पा रही थी ,जिसकी वजह से वह हर वक़्त जिंदगी से निराश और चिड़चिड़ी रहने लगी थी ,एकदम से अकेले हो जाने की वजह से उसको बड़ी घबराहट सी होने लगी थी और जब से उसके पति का देहांत हुआ था तब से लेकर ममता ने सेक्स भी नहीं किया था जिसकी कमी उसकी जिंदगी को और दिन बा दिन खोखला करती जा रही थी

आज जब रोहित ने ममता को नींद न आने की बात अपने सीनियर डॉक्टर को बताई तो उन्होंने पर्चे में नींद न आने की गोली भी लिख दी थी।
जिसको खाने के बाद ममता बेसुध होकर सो रही थी और उसको अपने शरीर की कोई सुध न रह गयी थी।

माँ... माँ ...... रोहित ने फिर से एक बार ममता को आवाज दी पर उसकी तरफ से कोई जवाब नहीं आया

रोहित अब अपनी ममता के पैरो के पास ही बैठ गया और अपनी माँ के खूबसूरत चेहरे को और देखने लगा पर उसका दिमाग तो इसी बात मे उलझ गया की उसकी माँ नंगी हो कर सो रही है

रह रह कर कभी वो अपनी माँ की पैंटी को देखता कभी उसकी माँ की नंगी सुडौल चिकनी मांसल जांघो को निहारते हुए उसकी बड़ी बड़ी गोल चूंचिओ को देखता

नहीं नहीं ये गलत है मुझे अपनी माँ को ऐसे नहीं देखना चाहिए ,ये ख्याल उसके दिमाग में आया और उसने अपनी माँ को सीधे
लिटा कर कमरे से जाने को सोचा ,

अब रोहित ने उठ कर और थोड़ा झुक कर अपना बांया हाथ ममता के निचले कंधे में लगाया और दूसरे हाथ से थोड़ा कमर के ऊपर पकड़ ममता को सीधा कर लिटाने लगा जैसे ही उसने ममता को सीधा किया और पलंग के सिरहाने से खड़ी तकिया को पलंग पे सीधी कर अपनी माँ को लिटाना चाहा उसकी नजर ममता की नाइटी के डीप गले के अंदर चली गयी जिसमे से ममता की बड़े बड़े चुन्चो की दरार साफ़ दिख रही थी

रोहित की नजरे अब अपनी माँ की गुदारु बड़ी बड़ी चूंचिओ पे ही टिक गयी अब वो अंदर से हिल सा गया था

झुके होने की वजह से उसके मुँह से कुछ दूरी पर ही ममता की चूँचिया थी जिनकी मादक सुगंध रोहित के नथुनों में समाने लगी

ना चाहते हुए भी उसका दूसरा हाथ सरक कर ममता के बड़े बड़े नरम गोल गोल चूतड़ों पर आ गए
माँ ने अंदर पैंटी नहीं पहनी है इस बात का एहसास उसका हाथ साफ महसूस कर रहा था

रोहित के पूरे शरीर में मानो बिजली सी कौंधने लगी उसका लौड़ा अकड़ कर बॉक्सर में ही तनने लगा

बड़ी मुश्किल से उसने ममता को पलंग पर सीधा लिटा पाया

नहीं नहीं अब मुझे चलना चाहिए रोहित ने ऐसा सोचा पर शरीर तो मानो जड़ सा हो गया था और उसके कदम वही ठहर गए
कमरे में ए सी चल रहा था पर रोहित को बहुत गर्मी सी महसूस होने लगी

वह फिर से पलंग पर अपनी माँ पैरो के पास बैठ गया और ममता के पूरे जिस्म को निहारने लगा
फिर से एक बार रोहित की नजर अपनी माँ की जमीन में पड़ी पैंटी की तरफ पड़ी जिसे उसने इस बार झुक कर उठा लिया

अब रोहित के हांथो में अपनी माँ की छोटी सी कच्छी थी जिसमे कपडे के नाम पर सिर्फ एक डोरी और आगे और पीछे की तरफ सिर्फ छोटा सा कपडा लगा हुआ था

उफ़्फ़ ये कच्छी कैसे माँ के बड़े बड़े चूतड़ों को ढक पाती होगी और आगे भी कैसे माँ की चूत को ढांकती होगी

रोहित उस चड्ढी को आगे पीछे पलट कर देखना लगा और फिर उसको अपनी नाक के पास लाकर सूंघने लगा

माँ की बुर की मादक सुगंध रोहित को पागल से करने लगी उसका विशाल लण्ड ऐंठने सा लगा था वह उठकर बार बार चड्ढी के अंदर ही फुफकार मार रहा था

रोहित गहरी साँसे भरते हुए पैंटी को सूंघ रहा था उसका दिल जोर जोर से धड़क रहा था
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