करीम अब हवेली से जा चुका था........निधि बस तड़पकर रह गयी थी......हाथ आया पर मुँह ना लगा वाली कहावत निधि के ऊपर बिल्कुल सही बैठ रही थी......बस दो मिनट की बात थी......अगर उस आदमी का फ़ोन नही आया होता तो करीम चाचा मुझे ऐसे बीच मंझधार में छोड़कर नही जाते.....मगर अब वो कर भी क्या सकती थी.....रोज़ की तरह उसे आज भी अपनी उंगली से ही काम चलाना था.......ये सब सोचते हुए निधि के चेहरे पर मायूसी और गुस्सा दोनो साफ दिखाई दे रहे थे........उधर करीम अपनी जीत पर बहुत खुश था.....उसने हवेली की इज्जत को लूट लिया था........उसे तो बस अब इंतेज़ार था निधि के साथ उस चुदाई भरे खेल का जिसमे उसे महारत हासिल थी........ये सब सोचकर करीम के चेहरे पर एक भद्दी सी हँसी आ जाती हैं......थोड़ी देर बाद वो हरिया के पास पहुँचता हैं......हरिया करीम को देखते ही दौड़कर उसके पास आ जाता हैं.......करीम को पता चल गया था कि उसको यहाँ बुलाने के पीछे हरिया का कोई स्वार्थ छुपा हैं..... हरिया ने करीम से झूठ बोला था कि सरपंच को उससे काम हैं.......और हरिया का स्वार्थ था निधि की चूत....... हवेली वालो का गाँव में बहुत नाम और रुतबा था.......हरिया ने गाँव वालों से सुना था हवेली की मालकिन बहुत खूबसूरत हैं......करीम ने उस हवेली की मालकिन को अपने जाल में फंसा लिया था.......और हरिया करीम के माध्यम से उस हवेली की इज्जत को अपने नीचे रौंदना चाहता था.......
हरिया करीब पचास साल के आस पास का था.......दिखने में वो एकदम काला कलूटा किसी कोयले की तरह था और उसका मुँह हर वक़्त खैनी या तंबाकू से भरा रहता था......उसका पेट थोड़ा सा बाहर निकला हुआ था पर उसकी बनावट मजबूत थी........उसके होंठ बड़े और काले थे....
हरिया - आ जा करीम...... मैं तेरा ही इंतेज़ार कर रहा था.....आ बैठ मेरे पास इस कुर्सी पर.......
करीम - क्या बात है साले......आज तेरी जबान से इतना शहद कैसे टपक रहा हैं.......जरूर तेरे दिमाग में कुछ खिचड़ी पक रही हैं........
हरिया के चेहरे पर शैतानी हँसी आ जाती हैं......
हरिया - ऐसी कोई बात नही हैं करीम.......तू मेरा कितना पुराना दोस्त हैं........ हम दोनों ने कितने कांड एक साथ किये हैं......
करीम - क्या बात है...... आज तो तेरे तेवर बहुत बदले हुए नज़र आ रहे हैं......आखिर माज़रा क्या हैं.....
हरिया - वो हवेली की मालकिन......उसका नाम क्या हैं......दिखने में वो कैसी हैं......
अभी हरिया बोल ही रहा था कि करीम उसे रोक देता हैं.....
करीम - बस मैं समझ गया कि आज तेरी जुबान से शहद क्यूँ टपक रहा हैं........तू सीधा सीधा ये क्यूँ नही कहता कि तुझे मेरी मालकिन की चूत चाहिए........
हरिया करीम की बात सुनकर मुस्कुरा देता हैं और अपना सिर हाँ में हिला देता हैं.......
करीम - तुझे ऐसा क्यूँ लगता हैं कि तुझ जैसे घटिया आदमी को मेरी मालकिन अपनी चूत चोदने देगी......क्या मेरी मालकिन ने अपनी चूत को धर्मशाला समझ रखा हैं कि कोई भी आकर उसको चोद देगा.....मेरी मालकिन कोई रंडी नही हैं कि वो सबसे चूदवाती फिरे....... उनकी चूत पर तो सिर्फ मेरा अधिकार हैं.....
हरिया - तू तो मेरी बात का बुरा मान गया.....अगर तू अपनी मालकिन को मुझसे चुदवाने के लिए तैयार करदे तो मैं बदले में विमला को तेरे साथ चुदाई करने के लिए तैयार कर दूंगा.......
विमला का नाम सुनकर करीम के चेहरे पर गन्दी सी हँसी तैर जाती हैं........विमला गाँव के सरपंच की बहु थी......हरिया ने उसे अपने जाल में फंसाकर उसे अपनी रांड बना लिया था....विमला एक खूबसूरत औरत थी और उसका शरीर भी गदराया हुआ था......वो हरिया के अलावा किसी और मर्द को अपने ऊपर हाथ भी नही रखने देती थी.....करीम उसे कई दिनों से अपने नीचे लाना चाहता था और वो हरिया के साथ निधि का सौदा करके अपनी ये इच्छा भी जल्दी पूरी करने वाला था........
करीम - मगर साले अभी तक मैंने भी उसे चोदा नही हैं.....आज उसकी चूत में उंगली करके उसका पानी निकाल रहा था तो तेरा फ़ोन आ गया......पहले मुझे तो उसकी जवानी का पूरा रस जी भर के पी लेने दे......फिर मैं उसको तुझे सौंप दूंगा......अभी मुझे विमला नही चाहिए......जब मुझे उसकी जरूरत होगी तब मैं तुझे बता दूंगा......
करीम मन ही मन बहुत खुश था कि उसे अब दो हसीनाओं की चूत मिलने वाली हैं.......अब उसे निधि को इसके लिए तैयार करना था.......वो अच्छे से जानता था निधि इसके लिए कभी तैयार नही होगी......मगर वो अब निधि की कमजोरी जान चुका था......अब उसे इसी चीज़ का फायदा उठाना था....
रात का वक़्त था.......करीम नंगा अपने बेड पर लेटा हुआ था......वह आंखे बंद किये हुए निधि के नंगे जिस्म की कल्पना करते हुए एक हाथ से अपने लन्ड को हिला रहा था......तभी वो मोबाइल अपने हाथ में लेता हैं और निधि को कॉल करता हैं....निधि करीम का फ़ोन देखकर उछल पड़ती हैं..... वो फौरन फ़ोन रिसीव करती हैं.......
निधि - हाँ बोलिये करीम चाचा.....क्या बात है......
करीम - आप ठीक तो हैं ना मालकिन.....
निधि - हाँ मुझे क्या हुआ हैं.....
करीम - नही वो मैं इसीलिए पूछ रहा था कि आज दोपहर को मैं आपकी चूत से पानी नही निकाल पाया.....कही उसी के चलते आप मुझसे नाराज़ तो नही हो गयी......
निधि का चेहरा दोपहर की बातों को याद करके फिर से लाल पड़ गया......वो कुछ बोल नही पाती हैं और चुपचाप करीम को सुनती रहती हैं .....
करीम - क्या हुआ मालकिन......आप चुप क्यूँ हैं......
निधि - वो कुछ नही बस ऐसे ही.....मैं आपसे नाराज़ नही हूँ.....
करीम - शुक्रिया मालकिन.....मेरे दोस्त को बहुत जरूरी काम था इसीलिए मुझे जाना पड़ा.....
निधि - वो कुछ कह तो नही रहा था मेरे बारे में.......उसने मेरी सिसकारी सुन ली थी फ़ोन पर...
निधि ने ये बात बहुत हिम्मत करके उससे पूछी थी… ...इस वक़्त उसका कलेजा ज़ोरों से धड़क रहा था...
करीम निधि की बातों को सुनकर हंस पड़ता है....
करीम - मेरे रहते उसकी इतनी हिम्मत जो वो आपके बारे में कुछ कहेगा... साले के हाथ पांव तोड़कर उसके हाथ में नहीं दे दूंगा...वो सब छोड़ो मालकिन ....मुझे आज आपकी बहुत याद आ रही है...आज भी मैं पूरा नंगी हालत में अपने बेड पर लेटा हुआ हूं ....एक हाथ से अपना लौड़ा सहला रहा हूं... ....आपने इसपर न जाने कैसा जादू कर दिया है की ये कमबख्त अब सोने का नाम ही नहीं लेता... जब देखो तब किसी सांप की तरफ फनफनाता रहता है......
निधि करीम की बातों को सुनकर धीरे-धीरे गरम होती जा रही थी...एक बार फिर से उसकी चूत में चींटियां सी रेंगने लगी थी... एक बार फिर से उसकी चूत में गीलापन बढ़ता जा रहा था......
करीम -वैसे एक बात कहूं मालकिन.......आप बिलकुल कसी हुई माल है...लगता है साहब ने आपकी ज्यादा चुदाई नही की हैं..बिलकुल कुंवारी लड़की की तरह आपका जिस्म हैं ...... इसी वजह से मेरा लौड़ा सोने का नाम ही नहीं ले रहा ......
निधि चाह कर भी कुछ बोल नहीं पाती और चुप चाप करीम की बातें सुनती रहती हैं...... करीम उसको बोलने लायक छोड़ता ही कहां हैं कि वो कुछ बोल पाती..
करीम - एक बात पूंछू मालकिन..आपने इस वक़्त क्या पहना हुआ है...मेरा मतलब वही साड़ी जो सुबह पहनी हुई थी.......या फिर कुछ और
निधि - मैने गाउन पहना हुआ हैं.......
करीम -वैसे आज आप उस साड़ी में पूरी माल लग रही थी...बिलकुल पटाका.......पर आप कल मेरे लिए फ्रॉक पहनना जैसे छोटी लड़कियां पहनती हैं...मैं आपको फ्रॉक पहने हुए देखना चाहता हूं जो आपके घुटनो तक ही आनी चाहिए......
निधि धीरे से मुस्कुराकर हां में जवाब देती है.......
निधि - ठीक है करीम चाचा...... मैं कल वही कपड़े पहनूँगी ......
करीम - मगर मेरी कुछ शर्तें हैं .......वो आपको माननी होगी....... अगर आपने नहीं मानी तो फिर मैं नहीं आने वाला आपके पास...
निधि फिर से तड़प गई थी ……
करीम ये बात अच्छे से जनता था की इस बात पर वो निधि से कुछ भी करवा सकता है … और वो उसकी किसी बात को मना नहीं करेगी.....
निधि - मैं आपके लिए कुछ भी करने को तैयार हूं करीम चाचा....बस एक बार कहकर तो देखो...
करीम - मेरी पहली शर्त ये हैं कि आज से आप मुझे करीम चाचा नही करीम जी कहकर पुकारेगी.......
निधि - और आपकी दूसरी शर्त क्या है करीम चाचा........माफ करना करीम जी.....
निधि के मुँह से करीम जी सुनकर करीम मुस्कुरा पड़ता हैं.....
करीम - मेरी दूसरी शर्त ये हैं कि कल आप उस फ्रॉक के नीचे ब्रा और चड्डी नही पहनेगी.....आपके जिस्म पर सिर्फ वो फ्रॉक होनी चाहिए.......और मेरी अंतिम शर्त या आप इसे मेरी इच्छा कह दीजिये.....मैं चाहता हूँ कल जब मैं दोपहर का खाना खाऊ तब आप मेरे सामने बैठकर अपनी चूत में उंगली करे......
अगले ही पल निधि के चेहरे का रंग उड़ जाता हैं......वो करीम की बातों को सुनकर बिल्कुल खामोश हो जाती हैं.....फिर थोड़ी हिम्मत करके.....
निधि - मगर...... मैं..... वो....नही......
करीम - क्या हुआ मालकिन..आप तो मेरी बातों से ऐसे घबरा रही हैं जैसे मैं आपकी जान मांग रहा हूं...मैं तो आपका चाहने वाला हूं...आप अगर मुझसे ही शर्मायेंगी तो कैसे काम चलेगा........
निधि की हालत अब धीरे-धीरे खराब होने लगी थी...उसे मालूम था की अगर ऐसे ही कुछ देर तक ये सिलसिला चलता रहा तो उसकी चूत से पानी निकल जाएगा.......
करीम - आप चुप क्यों हैं मालकिन.आपने मेरे सवालो का जवाब नहीं दिया...आप ऐसा मेरे लिए करेंगी ना.........
निधि - मैं फोन रखती हूं करीम जी......
करीम -अगर आपने अपना जवाब नहीं दिया तो फिर मैं नहीं आउंगा...... मुझे आपका जवाब चाहिए अभी...
निधि - अच्छा बाबा आप जैसा चाहते हो वैसा ही होगा...
निधि फौरन अपना फोन डिस-कनेक्ट कर देती है...इस वक्त उसके चेहरे पर पसीने की चंद बून्दे साफ झलक रही थी...
निधि अपनी बेकाबू सांसों को पल पल संभालने की कोशिश कर रही थी... मगर वो अपने कोशिशों में नाकाम साबित हो रही थी.........निधि अंदर ही अंदर पूरी तरह से बेचैन हो गई थी ....आज करीम की अशलील बातों से उसकी चूत से पानी रुकने का नाम ही नहीं ले रहा था......वो बहुत गरम थी इस वक़्त...उसे अपनी चूत की आग ठंडी करनी थी.........उसने आगे जो उसकी ज़िंदगी में होने वाला था उसको रोकने के लिए आखिरी कोशिश की.....उसने फौरन फ़ोन उठाया और मोहित को कॉल किया....मोहित ने कॉल नही उठाया...उसे मोहित पर बहुत गुस्सा आ रहा था क्योंकि जो भी उसके साथ हो रहा था वो उसकी वजह मोहित को ही मान रही थी......अगर उसने उस पर ध्यान दिया होता तो उसको ऐसा कदम नही उठाना पड़ता.......उसे कैसे भी करके अपनी चूत की आग को बुझाना था......और उसके लिए बस उसे करीम का ही सहारा था.... .....एक वही था जो उसकी चूत की आग ठंडी कर सकता था......बस अब एक रात का ही तो मामला था उनके बीच ......... ...................................