Decentlove100
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Shandar update...निधि हवेली के अंदर आ जाती हैं और करीम भी उसके पीछे पीछे बैग लेकर हवेली में आ जाता हैं....
भूषण काका - कमली तुम मालकिन का सामान उनके रूम में ले जाओ साथ ही मालकिन को उनका रूम दिखा दो....मालकिन आप थक गई होंगी....आप रूम में जाकर फ्रेश हो जाइए तब तक करीम खाना तैयार कर लेगा....
निधि - ठीक है काका
निधि बहुत थकी हुई थी....वो कमली के साथ सीढियां चढ़के ऊपर अपने रूम में चली गयी...उसने मोहित को साथ में ऊपर आने को कहाँ पर मोहित ने उससे कहाँ की उसे गाँव में कुछ काम है इसीलिए वो सीधा शाम को आएगा और उसने भूषण काका को भी अपने साथ में आने को बोला...सीढियां चढ़ने के थोड़ा आगे वो एक गेट के पास पहुँची...
कमली - लो आ गया आपका कमरा मालकिन
निधि दरवाज़े को धक्का देकर कमरे के अंदर चली गयी...रूम का नज़ारा देखकर उसका मुँह खुला का खुला ही रह गया...रूम वाकई बहुत बड़ा और आलीशान था....रूम में सारी फाइव स्टार सुविधाएं मौजूद थी....
कमली ने सारा सामान रूम के अंदर रख दिया...
कमली - अच्छा मालकिन अब मैं अपने घर चलती हूँ.... आप फ्रेश होकर नीचे जाकर खाना खा लीजिएगा...
कमली वहाँ से चली गयी और निधि दरवाज़ा बन्द करके अंदर आ गयी...उसने बैग टेबल पर रखा और कपड़े बाहर निकलने लगी....निधि ने अपने सारे गहने जो उसने पहने हुए थे निकालकर टेबल पर रख दिये और टॉवल लेकर बाथरूम में चली गयी....बाथरूम भी हवेली की तरह ही बहुत आलीशान था.....
निधि ने अपने सारे कपड़े उतार दिए और आईने के सामने जाकर खड़ी हो गयी.....वो अपने शरीर के हर अंग को निहारने लगी......आज पहली बार उसने खुद को नंगा देखा था....उसका लम्बा कद....बड़े बड़े भारी स्तन....पतली कमर और भारी उठी हुई गांड.....निधि सोचने लगती हैं कि मोहित उस पर क्यो ध्यान नही देता जबकि उसमे किसी बात की कोई कमी नही हैं... तभी उसे करीम का ख्याल आता हैं कि कैसे वो उसकी ब्रा को हाथ में लेके उसकी चूचियों को घूर रहा था...और इन्ही सब ख्यालो में उसका एक हाथ अपनी दायीं चूची पर चला जाता हैं और दूसरा हाथ उसकी चूत पर चला जाता हैं और उसके मुँह से हल्की सी आह निकल जाती हैं....
निधि फौरन अपने ख्यालो से बाहर आती हैं और उसे अपनी चूत में गीलापन महसूस होता हैं....
निधि - ये मैं क्या सोच रही हूँ.... करीम अंकल मेरे पापा की उम्र के हैं....नही ये गलत हैं....
फिर निधि बाथटब के अंदर चली गयी और नहाने लगी....उसका गोरा जिस्म पानी में चमक रहा था...
करीब आधे घंटे तक ऐसे ही नहाने के बाद वो कपड़े पहनकर नीचे हॉल में आ गयी....
निधि ने एक पारदर्शी साड़ी पहनी हुई थी और साथ में एक गहरे गले वाला ब्लाऊज़ जो बहुत ही कामुक था...उस ब्लाऊज़ में से उसकी पीठ पीछे से पूरी दिख रही थी...
करीम ने जैसे ही निधि को देखा उसके तो मानो होश उड़ गए.....निधि आज साक्षात काम की देवी रति का अवतार लग रही थी....निधि को देखकर करीम किचन से हॉल की तरफ आया.....
करीम - मालकिन आपके लिए खाना लगा दूँ
निधि - जी करीम चाचा
निधि डाइनिंग टेबल पर आकर बैठ गयी और करीम उसकी प्लेट में खाना परोसने लगा....किचन में इतनी देर काम करने के कारण उसका पूरा शरीर पसीने से भीग चुका था....करीम के इतने पास खड़ा होने के कारण निधि को उसके शरीर से एक अजीब सी गंध आ रही थी...पहली बार तो उसे करीम के शरीर की गंध बर्दाश्त नही हुई और उसने अपनी कुर्सी पीछे खींच ली पर कुछ देर बाद उसने वापिस कुर्सी को आगे किया और उसकी गंध को फिर से सूंघने लगी...उसे कुछ भी होश नही था कि वो अपने काले कलूटे गंदे नौकर का पसीना सूंघ रही थी....थोड़ी देर बाद जब वो होश में आयी तो तो वो अपनी प्लेट से खाना खाने लगी....
करीम - मालकिन आपको खाना पसंद आया या नही...
निधि - आपने बहुत अच्छा खाना बनाया हैं करीम चाचा...
करीम - मैं तो हर काम बहुत अच्छे से करता हूँ आप कभी मौका देकर तो देखिए...
निधि - तो बताइए आप क्या क्या कर सकते हैं फिर आपको मौका देकर भी देखते हैं...
करीम - वो तो आपको धीरे धीरे पता चल ही जाएगा...वैसे एक बात पूंछू मालकिन....आप नाराज़ तो नही होगी...
निधि - पूछो करीम चाचा...
करीम - मालकिन आज आप बहुत ही खूबसूरत लग रही हो किसी हुर की परी की तरह.... मालिक बहुत ही खुशनसीब हैं जो उनको आपके जैसी बीवी मिली....और साथ ही मैं भी बहुत खुशनसीब हूँ जो मुझे आपके जैसी मालकिन मिली...
निधि अपनी तारीफ से शर्मा जाती हैं और अपनी आंखें नीचे की और झुका लेती हैं....फिर ऐसे ही थोड़ी देर खाना खाने के बाद वो अपने रूम में चली जाती हैं... जाते समय जब वो सीढ़ियां चढ़ने लगती हैं तो उसकी गांड ऊपर नीचे हो रही थी....करीम पीछे खड़ा खड़ा उसकी गांड को घूरने लगता हैं...
करीम - क्या गांड हैं मालकिन की...बहुत मजा आएगा मालकिन को अपनी रंडी बनाकर उनकी गांड मारने में.... कुछ दिन और करीम फिर ये परी तेरे लन्ड की गुलाम बनेगी और तू इसे हवेली के हर कोने में चोदेगा.....
और उसके चेहरे पर एक कुटिल हँसी आ जाती हैं फिर वो भी अपने कमरे में चला जाता हैं....निधि सफर की थकान के कारण अपने रूम में जाकर सो जाती हैं..
जब निधि की नींद खुली तो शाम के पाँच बज रहे थे...उसे मोहित को उसके पुकारने की आवाज़ आ रही थी....निधि ने कपड़े सही किये और अपनी हालत को ठीक करके नीचे हॉल में आ गयी....मोहित और भूषण काका नीचे हॉल में ही खड़े थे.....
मोहित - निधि चलो मैं तुम्हे आज गाँव की सैर करवाता हूँ और साथ ही आज हम हमारी कुलदेवी के दर्शन करके आ जाते हैं.... शादी के बाद हम गए ही नही कभी....
निधि - चलो मोहित....वैसे भी मैं हवेली में अकेली परेशान हो गयी थी.....
निधि और मोहित हवेली के बाहर आ जाते हैं और गाड़ी में बैठकर हवेली के मैंन गेट पर आ जाते हैं....गेट पर करीम खड़ा था...उसने गेट को पहले से ही खोल रखा था...करीम और निधि की नज़रे एक दूसरे से टकरा जाती हैं.....करीम का हाथ उसकी लुंगी पर था और वो अपने हथियार को सहला रहा था...निधि ने अपनी नज़रे फौरन वहाँ से हटा ली...
करीब आधे घंटे बाद वो दोनो गाँव से कुछ दूरी पर बने कुलदेवी के मंदिर पहुंचे.....मन्दिर बहुत बड़ा और पुराना था...
आसपास घना जंगल था और ये मंदिर मोहित के पुरखो ने बनाया था....मोहित और निधि दोनो गाड़ी से उतरे और दोनों हाथ पकड़ कर मंदिर की सीढ़ियां चढ़ने लगे....मन्दिर बहुत पुराना था और उसकी दीवारों पर बहुत ही सुंदर नक्काशी की गई थी....मोहित और निधि अंदर आकर कुलदेवी के दर्शन करने लगे....निधि ने कुलदेवी से अपने सुखमय जीवन और संस्कारी संतान के पैदा होने की प्राथना की....पर उसे क्या पता था कि उसकी सन्तान का बाप मोहित नही बल्कि करीम होने वाला हैं....प्राथना करके दोनो मन्दिर के बाहर आ गए....
मोहित - तो कैसा लगा मन्दिर....
निधि - बेहद ही खूबसूरत हैं....इन घने जंगलों के बीच ऐसा मन्दिर....कितनी शांति हैं यहाँ पर
फिर वो दोनों गाड़ी में बैठकर वापिस हवेली आ गए...जब वो लोग पहुँचे तो रात हो चुकी थी...करीम ने सबके लिए डिनर तैयार कर रखा था...
भूषण काका - तो मालकिन कैसा लगा कुलदेवी का मंदिर...
निधि - बहुत अच्छा लगा भूषण काका......
भूषण काका - आप दोनों को भूख लगी होगी...डिनर तैयार हैं आप डाइनिंग टेबल पर बैठ जाइए....
फिर वो दोनों डाइनिंग टेबल पर बैठ जाते हैं....करीम उनकी प्लेट में खाना परोसने लगता हैं.... खाना परोस कर वो निधि के पीछे जाकर खड़ा हो जाता हैं..... निधि को करीम के पसीने की गंध आ रही थी जो उसे अजीब तरीके से मदहोश कर रही थी...वो चुपचाप डिनर करने लगती हैं..... निधि और मोहित दोनो डिनर करने के बाद रूम में चले जाते हैं और करीम भी किचन में बर्तन धोने चला जाता हैं......
मोहित हमेशा की तरह आते ही लेट गया और दूसरी तरफ मुँह करके सो गया....निधि हमेशा की तरह अकेली ही बिस्तर पर तड़प रही थी....मोहित वैसे तो निधि का बहुत ध्यान रखता था पर बिस्तर पर वो निधि को कभी खुश नही कर पाया....और शायद यही वजह थी कि उन दोनों के बीच अब धीरे धीरे दूरियां बढ़ने लगी थी....निधि के अंदर की आग अब धीरे धीरे बढ़ती जा रही थी पर सिवाय उंगली के उसके पास कोई दूसरा रास्ता नही था....वो फौरन बाथरूम में गयी और अपने बदन के सारे कपड़े उतारकर पूरी नंगी हो गयी...और अपनी उंगली को धीरे धीरे सरकाते हुए अपनी चूत के दानों को हौले हौले मसलने लगी.....
बाथरूम में निधि की आहें गूंज रही थी...उसका जिस्म किसी आग की भट्टी के समान तप रहा था....काफी देर मेहनत करने के बाद वो शांत हुई....मगर उंगली में वो बात कहाँ जो किसी मर्द के लन्ड में होती हैं....वो जैसे तैसे अपने आप को संतुष्ट करके बिस्तर पर आ गयी....आज वो बहुत उदास थी...उसके पास दुनिया की सब सुख सुविधाएं मौजूद थी पर फिर भी आज वो बहुत तन्हा थी....एकदम अकेली
बेहतरीन अपडेटनिधि हवेली के अंदर आ जाती हैं और करीम भी उसके पीछे पीछे बैग लेकर हवेली में आ जाता हैं....
भूषण काका - कमली तुम मालकिन का सामान उनके रूम में ले जाओ साथ ही मालकिन को उनका रूम दिखा दो....मालकिन आप थक गई होंगी....आप रूम में जाकर फ्रेश हो जाइए तब तक करीम खाना तैयार कर लेगा....
निधि - ठीक है काका
निधि बहुत थकी हुई थी....वो कमली के साथ सीढियां चढ़के ऊपर अपने रूम में चली गयी...उसने मोहित को साथ में ऊपर आने को कहाँ पर मोहित ने उससे कहाँ की उसे गाँव में कुछ काम है इसीलिए वो सीधा शाम को आएगा और उसने भूषण काका को भी अपने साथ में आने को बोला...सीढियां चढ़ने के थोड़ा आगे वो एक गेट के पास पहुँची...
कमली - लो आ गया आपका कमरा मालकिन
निधि दरवाज़े को धक्का देकर कमरे के अंदर चली गयी...रूम का नज़ारा देखकर उसका मुँह खुला का खुला ही रह गया...रूम वाकई बहुत बड़ा और आलीशान था....रूम में सारी फाइव स्टार सुविधाएं मौजूद थी....
कमली ने सारा सामान रूम के अंदर रख दिया...
कमली - अच्छा मालकिन अब मैं अपने घर चलती हूँ.... आप फ्रेश होकर नीचे जाकर खाना खा लीजिएगा...
कमली वहाँ से चली गयी और निधि दरवाज़ा बन्द करके अंदर आ गयी...उसने बैग टेबल पर रखा और कपड़े बाहर निकलने लगी....निधि ने अपने सारे गहने जो उसने पहने हुए थे निकालकर टेबल पर रख दिये और टॉवल लेकर बाथरूम में चली गयी....बाथरूम भी हवेली की तरह ही बहुत आलीशान था.....
निधि ने अपने सारे कपड़े उतार दिए और आईने के सामने जाकर खड़ी हो गयी.....वो अपने शरीर के हर अंग को निहारने लगी......आज पहली बार उसने खुद को नंगा देखा था....उसका लम्बा कद....बड़े बड़े भारी स्तन....पतली कमर और भारी उठी हुई गांड.....निधि सोचने लगती हैं कि मोहित उस पर क्यो ध्यान नही देता जबकि उसमे किसी बात की कोई कमी नही हैं... तभी उसे करीम का ख्याल आता हैं कि कैसे वो उसकी ब्रा को हाथ में लेके उसकी चूचियों को घूर रहा था...और इन्ही सब ख्यालो में उसका एक हाथ अपनी दायीं चूची पर चला जाता हैं और दूसरा हाथ उसकी चूत पर चला जाता हैं और उसके मुँह से हल्की सी आह निकल जाती हैं....
निधि फौरन अपने ख्यालो से बाहर आती हैं और उसे अपनी चूत में गीलापन महसूस होता हैं....
निधि - ये मैं क्या सोच रही हूँ.... करीम अंकल मेरे पापा की उम्र के हैं....नही ये गलत हैं....
फिर निधि बाथटब के अंदर चली गयी और नहाने लगी....उसका गोरा जिस्म पानी में चमक रहा था...
करीब आधे घंटे तक ऐसे ही नहाने के बाद वो कपड़े पहनकर नीचे हॉल में आ गयी....
निधि ने एक पारदर्शी साड़ी पहनी हुई थी और साथ में एक गहरे गले वाला ब्लाऊज़ जो बहुत ही कामुक था...उस ब्लाऊज़ में से उसकी पीठ पीछे से पूरी दिख रही थी...
करीम ने जैसे ही निधि को देखा उसके तो मानो होश उड़ गए.....निधि आज साक्षात काम की देवी रति का अवतार लग रही थी....निधि को देखकर करीम किचन से हॉल की तरफ आया.....
करीम - मालकिन आपके लिए खाना लगा दूँ
निधि - जी करीम चाचा
निधि डाइनिंग टेबल पर आकर बैठ गयी और करीम उसकी प्लेट में खाना परोसने लगा....किचन में इतनी देर काम करने के कारण उसका पूरा शरीर पसीने से भीग चुका था....करीम के इतने पास खड़ा होने के कारण निधि को उसके शरीर से एक अजीब सी गंध आ रही थी...पहली बार तो उसे करीम के शरीर की गंध बर्दाश्त नही हुई और उसने अपनी कुर्सी पीछे खींच ली पर कुछ देर बाद उसने वापिस कुर्सी को आगे किया और उसकी गंध को फिर से सूंघने लगी...उसे कुछ भी होश नही था कि वो अपने काले कलूटे गंदे नौकर का पसीना सूंघ रही थी....थोड़ी देर बाद जब वो होश में आयी तो तो वो अपनी प्लेट से खाना खाने लगी....
करीम - मालकिन आपको खाना पसंद आया या नही...
निधि - आपने बहुत अच्छा खाना बनाया हैं करीम चाचा...
करीम - मैं तो हर काम बहुत अच्छे से करता हूँ आप कभी मौका देकर तो देखिए...
निधि - तो बताइए आप क्या क्या कर सकते हैं फिर आपको मौका देकर भी देखते हैं...
करीम - वो तो आपको धीरे धीरे पता चल ही जाएगा...वैसे एक बात पूंछू मालकिन....आप नाराज़ तो नही होगी...
निधि - पूछो करीम चाचा...
करीम - मालकिन आज आप बहुत ही खूबसूरत लग रही हो किसी हुर की परी की तरह.... मालिक बहुत ही खुशनसीब हैं जो उनको आपके जैसी बीवी मिली....और साथ ही मैं भी बहुत खुशनसीब हूँ जो मुझे आपके जैसी मालकिन मिली...
निधि अपनी तारीफ से शर्मा जाती हैं और अपनी आंखें नीचे की और झुका लेती हैं....फिर ऐसे ही थोड़ी देर खाना खाने के बाद वो अपने रूम में चली जाती हैं... जाते समय जब वो सीढ़ियां चढ़ने लगती हैं तो उसकी गांड ऊपर नीचे हो रही थी....करीम पीछे खड़ा खड़ा उसकी गांड को घूरने लगता हैं...
करीम - क्या गांड हैं मालकिन की...बहुत मजा आएगा मालकिन को अपनी रंडी बनाकर उनकी गांड मारने में.... कुछ दिन और करीम फिर ये परी तेरे लन्ड की गुलाम बनेगी और तू इसे हवेली के हर कोने में चोदेगा.....
और उसके चेहरे पर एक कुटिल हँसी आ जाती हैं फिर वो भी अपने कमरे में चला जाता हैं....निधि सफर की थकान के कारण अपने रूम में जाकर सो जाती हैं..
जब निधि की नींद खुली तो शाम के पाँच बज रहे थे...उसे मोहित को उसके पुकारने की आवाज़ आ रही थी....निधि ने कपड़े सही किये और अपनी हालत को ठीक करके नीचे हॉल में आ गयी....मोहित और भूषण काका नीचे हॉल में ही खड़े थे.....
मोहित - निधि चलो मैं तुम्हे आज गाँव की सैर करवाता हूँ और साथ ही आज हम हमारी कुलदेवी के दर्शन करके आ जाते हैं.... शादी के बाद हम गए ही नही कभी....
निधि - चलो मोहित....वैसे भी मैं हवेली में अकेली परेशान हो गयी थी.....
निधि और मोहित हवेली के बाहर आ जाते हैं और गाड़ी में बैठकर हवेली के मैंन गेट पर आ जाते हैं....गेट पर करीम खड़ा था...उसने गेट को पहले से ही खोल रखा था...करीम और निधि की नज़रे एक दूसरे से टकरा जाती हैं.....करीम का हाथ उसकी लुंगी पर था और वो अपने हथियार को सहला रहा था...निधि ने अपनी नज़रे फौरन वहाँ से हटा ली...
करीब आधे घंटे बाद वो दोनो गाँव से कुछ दूरी पर बने कुलदेवी के मंदिर पहुंचे.....मन्दिर बहुत बड़ा और पुराना था...
आसपास घना जंगल था और ये मंदिर मोहित के पुरखो ने बनाया था....मोहित और निधि दोनो गाड़ी से उतरे और दोनों हाथ पकड़ कर मंदिर की सीढ़ियां चढ़ने लगे....मन्दिर बहुत पुराना था और उसकी दीवारों पर बहुत ही सुंदर नक्काशी की गई थी....मोहित और निधि अंदर आकर कुलदेवी के दर्शन करने लगे....निधि ने कुलदेवी से अपने सुखमय जीवन और संस्कारी संतान के पैदा होने की प्राथना की....पर उसे क्या पता था कि उसकी सन्तान का बाप मोहित नही बल्कि करीम होने वाला हैं....प्राथना करके दोनो मन्दिर के बाहर आ गए....
मोहित - तो कैसा लगा मन्दिर....
निधि - बेहद ही खूबसूरत हैं....इन घने जंगलों के बीच ऐसा मन्दिर....कितनी शांति हैं यहाँ पर
फिर वो दोनों गाड़ी में बैठकर वापिस हवेली आ गए...जब वो लोग पहुँचे तो रात हो चुकी थी...करीम ने सबके लिए डिनर तैयार कर रखा था...
भूषण काका - तो मालकिन कैसा लगा कुलदेवी का मंदिर...
निधि - बहुत अच्छा लगा भूषण काका......
भूषण काका - आप दोनों को भूख लगी होगी...डिनर तैयार हैं आप डाइनिंग टेबल पर बैठ जाइए....
फिर वो दोनों डाइनिंग टेबल पर बैठ जाते हैं....करीम उनकी प्लेट में खाना परोसने लगता हैं.... खाना परोस कर वो निधि के पीछे जाकर खड़ा हो जाता हैं..... निधि को करीम के पसीने की गंध आ रही थी जो उसे अजीब तरीके से मदहोश कर रही थी...वो चुपचाप डिनर करने लगती हैं..... निधि और मोहित दोनो डिनर करने के बाद रूम में चले जाते हैं और करीम भी किचन में बर्तन धोने चला जाता हैं......
मोहित हमेशा की तरह आते ही लेट गया और दूसरी तरफ मुँह करके सो गया....निधि हमेशा की तरह अकेली ही बिस्तर पर तड़प रही थी...
मोहित वैसे तो निधि का बहुत ध्यान रखता था पर बिस्तर पर वो निधि को कभी खुश नही कर पाया....और शायद यही वजह थी कि उन दोनों के बीच अब धीरे धीरे दूरियां बढ़ने लगी थी....निधि के अंदर की आग अब धीरे धीरे बढ़ती जा रही थी पर सिवाय उंगली के उसके पास कोई दूसरा रास्ता नही था....वो फौरन बाथरूम में गयी और अपने बदन के सारे कपड़े उतारकर पूरी नंगी हो गयी...और अपनी उंगली को धीरे धीरे सरकाते हुए अपनी चूत के दानों को हौले हौले मसलने लगी.....
बाथरूम में निधि की आहें गूंज रही थी...उसका जिस्म किसी आग की भट्टी के समान तप रहा था....काफी देर मेहनत करने के बाद वो शांत हुई....मगर उंगली में वो बात कहाँ जो किसी मर्द के लन्ड में होती हैं....वो जैसे तैसे अपने आप को संतुष्ट करके बिस्तर पर आ गयी....आज वो बहुत उदास थी...उसके पास दुनिया की सब सुख सुविधाएं मौजूद थी पर फिर भी आज वो बहुत तन्हा थी....एकदम अकेली
Aap updates ready rakho....Bhai rajasthan mn internet bnd hone ke karan mn update nhi de paya lekin kl rat tk nya update aa jaega