रघु एकाद बार बग्गी चलाया था जिसका फायदा उसे अब मिल रहा था वह बड़े आराम से बग्गी दौड़ा रहा था और उसे मजा भी आ रहा था,,, लेकिन उसके ख्यालों में उसकी बहन की हरकत और लाला की खूबसूरत बहू के ख्याल मंडरा रहे थे,,,,,, अपनी बहन के बारे में रघु कभी सोचा नहीं था कि वह इस तरह के चरित्र की निकल जाएगी,,, लेकिन फिर यह सोच कर कि अगर बिरजू से शादी हो गई तो वह हमेशा खुश रहेगी अच्छा परिवार मिलने की वजह से उसका जीवन बदल जाएगा यह सोचकर अपने मन में तसल्ली किए हुए था लेकिन फिर अपने मन में आए ख्याल के बारे में सोच कर उसका दिल घबरा जाता था क्योंकि वह अच्छी तरह से जानता था कि बिरजू के घर और उसकी झोपड़ी में जमीन आसमान का फर्क था कहीं उसके माता-पिता उसे अपनाने से इंकार कर दिए तब क्या होगा तब उसकी बहन का क्या होगा वह तो मर जाएगी वह बिरजू से बेहद प्यार करने लगी थी,,,। नहीं नहीं वह ऐसा होने नहीं देगा वह बिरजू से अपनी बहन की शादी करा कर रहेगा रघु अपने आप से ही इस तरह की बातें करते हुए अपने मन को तसल्ली दे रहा था की उसे झरने वाली बात याद आ गई उस समय उसे पता नहीं था कि तलाब में से निकल कर भागने वाली नंगी लड़की उसकी खुद की सगी बहन है वह तो कोई और समझ रहा था,,,, उस समय जो उसकी आंखों ने देखा था वह काफी मादक दृश्य था जिसके बारे में कभी कभार सोचकर उसके तन बदन में उत्तेजना की लार दौड़ में रहती थी,,,, और इस समय भी उसके तन बदन में उत्तेजना चिकोटी काट रही थी,,,बार-बार रघु की आंखों के सामने बद्री से तैयार नहीं लगता था जब वह अपनी आंखों से अपनी ही बहन को तालाब में से एक दम नंगी अवस्था में बाहर निकल कर झाड़ियों में भागते हुए देखा था केवल इस समय उसकी नंगी चिकनी पीठ और गोलाकार नितंबों का घेराव भर उसे दिखा था लेकिन उस समय उतना भी रघु के लिए बहुत था,,,,, उस समय भी उसका लंड खड़ा हो गया था और बिरजू की किस्मत से मन ही मन उसे जलन हो रही थी क्योंकि तब तक बिरजू ने संभोग सुख का स्वाद नहीं चखा था लेकिन अब तो हलवाई की बीवी के साथ साथ अपने दोस्त की मां की भी चुदाई कर चुका था,,,, और इस मामले में धीरे-धीरे वह काफी परिपक्व होता जा रहा था,,,,अब उसे अपने आप पर आत्मविश्वास होने लगा था कि अब वह किसी भी औरत को संपूर्ण रूप से संतुष्टि का अहसास करा सकता है,,, क्योंकि वह अपने लंड की ताकत हलवाई की बीवी और अपने दोस्त की मां पर आजमा चुका था जो कि दोनों ही उसके लंड से मस्त होकर उसकी गुलाम हो चुकी थी,,।,,,,उसके दिमाग में अभी यह सब चल ही रहा था कि उसे अपनी बहन की कामुक हरकतें याद आने लगी,,,, कि कैसे वह कमरे में आकर उसे नींद में सोता हुआ देख कर उसके खड़े लंड को पकड़ कर उसे खेल रही थी उस समय वह कुछ समझ नहीं पाया था कि आखिरकार उसकी बहन ऐसी हरकत क्यों कर रही है,,,, फिर कुछ दिनों बाद रात को तो हद हो गई थी वह उसी तरह से उसे सोया हुआ देखकर उसके लंड से खेलने लगी थी और खुद उसके बगल में लेट कर अपनी गांड को उसके लंड पर लग रही थी रघु वो सब सोचकर एकदम उत्तेजित होने लगा था,,,आज आम के बगीचे में उसे बिरजू के साथ देख कर उसे लगने लगा था कि उसकी बहन को मोटे तगड़े लंड की जरूरत है,,,उस समय तो वह कुछ भी करने से डर रहा था लेकिन अब अपने मन में ठान लिया था कि अगर उसकी बहन इस तरह की हरकत करेगी तो वह अपनी बड़ी बहन की चुदाई करने में जरा भी हिचकिचाहट नहीं रखेगा,,, वह मन में यह सोच रहा था कि दूसरा कौन से दिन से अच्छा तो बहुत अपनी बहन की चुदाई करते हैं क्योंकि उसकी बहन भी तो शायद अपनी हरकतों की वजह से यही चाहती भी थी सिर्फ वही उसका इशारा नहीं समझ पा रहा था,,, आज ऊसे यह बात भी अच्छी तरह से मालूम हो गई थी कि अभी तक वहपूरी तरह से कुंवारी थी बिरजू के साथ वह चुदाई का सुख नहीं ले पाई थी तभी तो बिरजू उसकी बुर देखने के लिए व्याकुल हो रहा था,,,।
यह सब सोचकर पजामे के अंदर रघु का लंड पूरी तरह से खड़ा हो चुका था,,,। अपनी बहन की मदमस्त ख्यालों में उसे पता ही नहीं चला और लाला की हवेली आ गई,,, बड़े से दरवाजे के बाहर ही वह बग्घी को रोक दिया,,,, और लाला बग्गी में से जेसे ही उतरा की पास के गांव के जमींदार उसे बुलाने लगे किसी जमीन को दिखाने के मामले में और लाला उन्हें देखते ही खुश हो गया और उनके साथ जाते जाते वह रघु को बोला कि,,,
रघु बग्गी में आम का थैला पड़ा हुआ है उसे जाकर के बहू को दे देना और बग्घी को एक तरफ रख कर घोड़े को अस्तबल में रखकर उसे चारा पानी दे देना,,, और हां (इतना कहकर बा अपने कुर्ते की जेब में हाथ डालकर टटोलने लगा उसमें से दो रुपए निकाल कर रघु को थमाते हुए बोला) इसे रख ले अपनी बक्शीस समझ कर,,,,
(पैसे पाकर रघु खुश हो गया और लाला के बताए अनुसार,,, वह बग्गी को एक तरफ करके घोड़े को अस्तबल में बात दिया और उसे चारा पानी दे दिया,, इसके बाद उसे आम के थैले के बारे में याद आया,,, और वह बग्गी में से आम से भरे थैले को निकाल कर घर के अंदर जाने लगा लाला की बहू से मिलने की उत्सुकता उसके चेहरे पर साफ झलक रही थी और उसे मौका भी अच्छा था इत्मीनान से मिलने के लिए क्योंकि लाला घर पर नहीं था,,, वह दरवाजे की कुंडी खटखटाने के लिए कुंडी को हाथ में पकड़ा ही था कि दरवाजा खुद-ब-खुद खुल गया,,, दरवाजा अपने आप खुलने की वजह से रघु के मन में उत्सुकता जागने लगी,,, वह बिना आवाज लगाएं अंदर चला गया,,, घर काफी अच्छे से सजाया हुआ था,, एकदम साफ सुथरा एक हवेली को जिस तरह की होनी चाहिए थी वैसी ही लग रही थी,,,,रघु का दिल जोरों से धड़क रहा था क्योंकि वह यह बात अच्छी तरह से जानता था कि इस समय हवेली में छोटी मालकिन के सिवा और कोई नहीं था,,, इसलिए उसे देखने की ओर से बात करने की उत्सुकता रघु के अंदर प्रबलित होने लगी,,,
धीरे धीरे रघुअपने कदम आगे बढ़ाता जा रहा था और चारों तरफ अपनी नजर घुमाकर देख भी रहा था कि छोटी मालकिन नजर आ जाए,, लेकिन हवेली के अंदर एकदम सन्नाटा छाया हुआ था,,, दोपहर का समय था गर्मी अपने जोरों पर थी,,, रघु के माथे से भी पसीना टपक रहा था।
रघु थोड़ा सा और अंदर गया,,, वहां पर पहुंचकर देखा कि वहां के ऊपर की छत पूरी तरह से खुली हुई थी धूप और हवा आने के लिए,,, दाहिने हाथ पर स्नानघर बना हुआ था,,, रघु कमल हो रहा था कि वह छोटी मालकिन को आवाज देकर बुलाए क्योंकि अब तक रघु को यह पता नहीं चला था कि इतनी बड़ी हवेली में छोटी मालकिन किस रूम में होगी,,, इसलिए रघु के लिए मुश्किल होता जा रहा था,,,। रघु के मन में डर भी था कि कहीं कोई देख लिया तो क्या समझेगा कहीं कोई कुछ और न समझ ले इसलिए वह वापस जाना चाहता था और बाहर बैठकर इंतजार करना चाहता था और जैसे ही उसने अपने कदम पीछे की तरफ लिए तभी दाहिने तरफ वाला स्नान घर का दरवाजा झटके के साथ खुला,,, और उसमें से छोटी मालकिन नहा कर पानी में भीगी हुई सिर्फ पेटीकोट को अपनी छातियों के ऊपर लाकर अपने एक हाथ से पकड़े हुए वह स्नानघर से बाहर आ गई,,, रघु की नजर लाला की बहू पर पड़ी तो वह दंग रह गया लाला की बहू अभी तुरंत ही नहा कर बाहर आई थी इसलिए उसके पूरे बदन से ठंडे पानी कि बुंदे मोती के दाने की तरह नीचे जमीन पर गिर कर बिखर जा रहे थे,,,,।रघु की आंखें फटी की फटी रह गई लाला की बहू वाकई में बेहद खूबसूरत थी मानो कि स्वर्ग से उतरी हुई कोई अप्सरा हो एकदम गोरा दूधिया बदन खुली छत की धूप में और ज्यादा चमक रही थी,,, रघु पल भर में यह अपने होशो हवास खो बैठा था सामने का दृश्य बेहद लुभावना और मादक था,,,, लाला की बहू का पेटीकोट उसकी जांघों तक पानी से एकदम चिपका हुआ था चारों से नीचे वह पूरी तरह से नंगी थी रघु की हालत खराब हो रही थी मोटी मोटी चिकनी जांघें और चिकने पैर देखकर उसका ईमान डोलने लगा था,,, लाला की बहू एकदम बेफिक्र होकर बाहर निकली थी क्योंकि उसे इस बात का अंदाजा था कि घर में कोई नहीं होगा क्योंकि वह नहाने जब गई थी तब उसके पहले ही लाला घर से बाहर निकल गया था,,, इसलिए वह इत्मीनान से नहा कर बाहर निकली थी लेकिन उसे क्या मालूम था कि स्नान करके बाहर ही रघु खड़ा होगा,,,,उसे इस बात का अंदाजा तक नहीं था कि इस समय एकाएक रघु उसके घर पर आ जाएगा इसलिए उसे अपनी आंखों के सामने ही देखते ही उसके चेहरे पर मुस्कुराहट आ गई ना जाने क्यों लोगों को देखते ही उसके चेहरे पर मुस्कान खिल उठती थी,,, वह उसे देख कर खुश होते हुए बोली,,,।
तुम यहां,,! (रघु को अपनी आंखों के सामने देखकर वह इतनी खुश हो गई कि उसे इस बात का आभास तक नहीं हुआ कि वह किस हाल में है,,, आंखों को देखकर उसके चेहरे की प्रसन्नता उसके चेहरे को और ज्यादा खूबसूरत बना रही थी रघु तो बस देखता ही जा रहा था तब एक बार और लाला की बहू बोली,,,)
रघु तुम यहां कैसे,,,,(शायद इस बार लाला की बहू को इस बात का एहसास हो गया कि वह किस स्थिति में है इसलिए वह अपनी छाती पर पेटीकोट को अपनी हथेली में कुछ ज्यादा ही कस के पकड़ कर खड़ी हो गई लेकिन ऐसा करने पर पानी से तरबतर उसकी बेटी को पूरी तरह से उसके दोनों संतानों की बुराइयों से चिपक गई और दोनों चुचियों का आकार गीली पेटीकोट में एकदम उभरकर सामने नजर आने लगा साथ ही दोनों चुचियों पर के निप्पल किसमिस के दाने की तरह नजर आने लगे यह देखकर रघु के पजामे में उसका लंड गदर मचाने लगा,,,, रघु क्या बोले उसके मुंह से तो शब्द ही नहीं फुट रहे थे,,, वह बस आंखें फाड़े उसे देखता ही जा रहा था,,,लाला की बहू को इस बात का आभास हुआ कि रघु उसके बदन के कौन से हिस्से को देख रहा है यह आभास होते ही उसके चेहरे पर शर्म की लालिमा झलकने लगी,,, वह शर्मा कर अपनी नजरों को नीचे झुका ली,,उसे अब इस बात का आभास हो चुका था वह किसी स्थिति में है वह सीधे स्नान घर से नहाकर बाहर निकली थी वह तो अच्छा हुआ कि वह अपने बदन पर पेटीकोट को अपनी चुचियों के ऊपर तक लाकर चढ़ा ली थी वरना आज तो गजब हो जाता उसके नंगे बदन के दर्शन रघु को हो जाते ,, अपने बदन को रघु की नजरों से छुपाने की कोशिश करने में अपने बदन की ओर ज्यादा नुमाइश कर रही थी क्योंकि इस बात का अंदाजा उसे बिल्कुल भी नहीं था वह शर्म के मारे अपनी छाती पर के पेटीकोट को एक हाथ से जोर से दबाए हुए थी,, जिससे उसकी दोनों गोलाईयां एकदम साफ नजर आ रही थी,,,रघु की तरफ से किसी भी प्रकार की प्रतिक्रिया ना आती देखकर लाला की बहू एक बार फिर बोली,,,।)
रघु तुम यहां क्या करने आए हो,,,? (इस बार लाला की बहू की आवाज में प्रसन्नता नहीं बल्कि शर्म लिहाज झलक रहा था लाला की बहू की आवाज कानों में करते ही रघु की तंद्रा भंग हुई और वह हडबढ़ाते हुए जवाब दिया,,,।)
ममममम,, मालकिन,,,,वववव,,वो,,, लालाजी ने आपको आम देने के लिए बोले थे,,,,
(रघु का हकलाना सुनकर लाला की बहु समझ गई कि वह पूरी तरह से घबरा गया है,,, इसलिए हालात को संभालते हुए वह बोली,,,)
अच्छा तुम बाहर बरामदे में बैठ कर इंतजार करो मैं कपड़े बदल कर आती हूं,,,(और इतना कहने के साथ ही लाला की बहू अंदर कमरे में जाने के लिए मुड़ी और इस बार रघु की नजर उसके पिछवाड़े पर पढ़ते ही उसकी सांसे एकदम से अटक गई,,,, उसकी सांसों की गति तेज हो गई उसे समझ में नहीं आ रहा था कि यह सब क्या हो रहा है ,,, वापस आंखें फाड़े लाला की बहू को अंदर कमरे में जाते हुए देखने लगा,,, पजामे में उसका लंड पूरी तरह से खड़ा हो गया,,,,भला खड़ा कैसे नहीं होता सामने का नजारा ही कुछ ऐसा था गीली पेटीकोट होने की वजह से शायद लाला की बहू को पेटीकोट ऊपर छाती तक लाते समय इस बात का अंदाजा तक नहीं था कि पीछे से उसकी पेटीकोट उसके नितंबों के उभार के ऊपरी सतह से चिपक गया है जिसकी वजह से उसके नितंबों का एक भाग पूरी तरह से नंगा हो गया था और वही नंगा भाग उसकी नंगी गांड रघु की आंखों में वासना की चिंगारी को शोले का रूप दे रही थी,,, रघु ने जिंदगी में इतनी खूबसूरत और दूध जैसी गोरी गांड नहीं देखा था,,, इसलिए तो वह बस देखता ही रह गयाऔर लाला की बहू यह देखने के लिए कि रघु बाहर गया कि नहीं और वह पीछे नजर घुमा कर देखने लगी तो रघु अभी भी वहीं खड़ा था जो कि उसे ही घूर रहा था और इस बार रघु की आंखों के सीधान को भांपकर अपनी नजर को अपने नितंबों की तरफ घुमाई तो उसके होश उड़ गए एकदम से घबराकर लगभग भागते हुए अपने कमरे में चली गई,,,, रखो के लिए अब वहां रुकना ठीक नहीं था वह पीछे कदम घुमा कर बरामदे में आकर बैठ गया मुझे समझ में नहीं आ रहा था कि वहां बैठे या चला जाए उसे डर भी लग रहा था कि कहीं लाना की बहू उसकी हरकत की वजह से उसको डांटने फटकारने ना लगे,,, लेकिन लाला की बहू की खूबसूरती ने उसे वही रोके रखा,,,,
दरवाजा बंद करके लाला की बहू कुछ देर तक दरवाजे पर पीठ टीकाएं लंबी लंबी सांसे लेती रही,,, उसे बेहद घबराहट और शर्मिंदगी का अहसास हो रहा था उसे अपने आप पर गुस्सा आ रहा था कि उस से इस तरह की गलती कैसे हो गई,,, लाला की बहू को समझते देर नहीं लगी थी कि रघु उसकी गोरी गोरी गांड को गंदी नजरों से देख रहा था,,, उसका दिल जोरों से धड़क रहा है उसी तरह से पेटिकोट को बिना नीचे किए हुए आदमकद आईने के सामने आकर खड़ी हो गई और पीछे घूम कर आईने में अपनी पिछवाड़े को देखने लगी तो अपनी नजरों से अपनी गोरी गोरी गांड जो की पेटीकोट गीली होने की वजह से उसके ऊपरी सतह पर चिपक गई थी,,,, उसे देखते ही शर्म से पानी पानी हो गई लाला की बहू अपने प्रतिबिंब रोटी खास करके अपने नितंबों के प्रतिबिंब को आईने में देखकर पूरी तरह से उत्तेजित हो गई उसके तन बदन में हलचल सी हो गई इस अहसास से की जो वह अपनी आंखों से देख रही है वहीं रघु भी अपनी आंखों से देख चुका था,,,
बार-बार वह आईने में अपनी प्रतिबिंब को देख रही थी,,, बला की खूबसूरत थी लेकिन नहाने की वजह से अभी भी उसके बदन पर पानी की बूंदे चिपकी हुई थी जिससे उसकी खूबसूरती और ज्यादा बढ़ गई थी,,,,।लाला की बहू के लिए यह पहला मौका था जब उसकी मदमस्त गोरी गोरी गांड को कोई गैर मर्द अपनी आंखों से देख रहा था,,,। अपनी सांसो को दुरुस्त करते हुए लाला की बहू अपने किले पेटीकोट को उतारकर वही नीचे फेंक दी और अपने नंगे बदन को आईने में देखने लगी,,,,अपनी नंगे बदन को आईने में देख कर उसके मुंह से अपने आप ही सिसकारी फूट पड़ी,,, वह अपने आप से ही बातें करते हुए बोली,,,।
वाह रे कोमलिया,,, तू तो बहुत खूबसूरत है,,,,
(इतना कहकर वह अपने गीले बदन को टावल से पोछने लगी,,, और थोड़ी ही देर में वहां खूबसूरत पीले रंग की साड़ी पहनकर साड़ी को अपने माथे पर लेकर घूंघट निकाल कर कमरे से बाहर आ गई,,, बरामदे में रघु आम के थेले के साथ बैठा हुआ लाला की बहू के बारे में ही सोच रहा था,,, उसकी खूबसूरती का वह पूरी तरह से कायल हो चुका था,, अभी पैरों की जनक और चूड़ियों की खनक की आवाज के साथ ही वह नजर उठा कर देखा तो उसके सामने लाला की बहू घूंघट में खड़ी थी,,,, उसे देखते ही रघु बोला।
मुझे माफ करना छोटी मालकिन मुझे नहीं मालूम था कि आप नहा रही होंगी,,,,।
कोई बात नहीं रघु,,, मैं जानती हूं तुम अनजाने में वहां तक आ गए थे,,,, और हां यह क्या मालकिन मालकिन लगा रखे हो,,, मैं तुमसे कह चुकी हूं कि मुझे कोमल कहा करो,,,
ठीक है छोटी मालकिन,,,
फिर छोटी मालकिन,,,
क्या करूं नाम लेकर बुलाने की आदत नहीं है ना इसके लिए,,,
तो जल्दी से आदत बदल डालो,,,, और हां मुझे लगता नहीं है कि कुछ देर पहले जो तुम्हारी नजर मुझ पर पड़ी थी उसे देखते हुए मुझे तुम्हारे सामने घुंघट डालने की आवश्यकता पड़ेगी,,,,(इतना कहने के साथ ही लाला की बहू अपना घूंघट उठा दी,,,, और एक बार फिर से चांद का टुकड़ा रघु की आंखों में उतर आया,,,, रघु लाला की बहू के खूबसूरत चेहरे को देखता ही रह गया,,, और घबराहट में बात को आगे बढ़ाते हुए बोला)
वो लालाजी ने,,,, आपको आम का थैला देने के लिए बोले थे,,,(रघु आम के थैले को उठाकर लाला की बहू के करीब ले गया और उसे थमाते हुए ) लो इसे रख लो,,, बहुत मीठे हैं,,,,
(रघु की बात सुनकर लाला की बहू अपने हाथ आगे बढ़ाकर आम के थैले को थामने लगी जिससे उसकी नरम नरम उंगलियां रघु की उंगलियों से स्पर्श होने लगी और यह स्पर्श रघु के तन बदन में उत्तेजना की लहर को और ज्यादा वेग देने लगा,,,, यही हाल लाला की बहू का भी हो रहा था पहली बार वह किसी गैर मर्द को इस तरह से स्पर्श कर रही थी उसके तन बदन में भी उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी,,, वह आम के थैले को थामकर उसे एक तरफ रखते हुए बोली,,,)
तुम्हें आम पसंद है रघु,,,(मुस्कुराकर रघु की तरफ देखते हुए बोली)
हां मालकिन मुझे भी आम बहुत पसंद है,,,।(रघु ब्लाउज मे से झांकते हुए दोनों गोलाईयों को देखते हुए बोला,,,इस बात का एहसास लाला की बहू को हो गया और वह मुस्कुराते हुए थेले में से बड़े-बड़े पके हुए दो आम निकालकर रघु की तरफ आगे बढ़ाते हुए बोली।)
लो यह रख लो मुझे उम्मीद है कि इसे चूसने में तुम्हें बहुत मजा आएगा,,,
(लाला की बहू की बात सुनकर रघु एकदम से गनगना गया था,,, ना जाने क्यों इस तरह की बातें करते हुए लाला की बहू को उत्तेजना का अनुभव हो रहा था,,, लेकिन इस बातचीत का दौर आगे बढ़ता है इससे पहले ही,, लाला की खांसी की आवाज सुनते ही लाला की बहुत तुरंत घूंघट डाल कर अपने चेहरे को छुपा ली और रघु भी जाने के लिए तैयार हो गया,,, लाला घर में प्रवेश करता इससे पहले ही उसकी बहू तुरंत अंदर भाग गई और लाला जैसे ही घर में प्रवेश किया रघु उसे नमस्कार करते हुए बोला,,,।
लाला सेठ आपने जैसा कहा था वैसे सब कुछ काम कर दिया,,,, प्यास लगी थी तो छोटी मालकिन पानी लेने गई है,,,
कोई बात नहीं बेटा तुम बहुत अच्छे हो,,,, तुम्हें देखता हूं तो मेरे चेहरे पर खुशी छा जाती है ना जाने क्यों ऐसा लगता है कि तुमसे कोई रिश्ता है,,,,(रघु की बात लाला की बहू सुन ली थी इसलिए पानी का गिलास लेकर तुरंत हाजिर हो गई और रघु पानी पीकर लाला की बहू और लाला दोनों को नमस्कार कर के वहां से चला गया,,, लाला की बहू की आम के थैले को उठाकर अंदर कमरे में जाने लगी तो लाला उसे जाते हुए उसकी मटकती हुई गांड को देखकर धोती के ऊपर से ही अपने लंड को मसलने लगा,,,,।
रघु की हालत एकदम खराब हो चुकी थी उसकी आंखों के सामने बार-बार लाला की बहू नजर आ रही थी जिसका बदन पानी में भीगा हुआ था और गीले पेटीकोट में उसके बदन का एक हिस्सा बड़ी बारीकी से नजर आ रहा था,,, रात के करीब 12:00 बज रहे थे वह छत पर सोया हुआ था एक तरफ वह सोया था और दूसरी तरफ उसकी मां और शालू सोई हुई थी,,, आधी रात का समय हो चुका था लेकिन उसकी आंखों से नींद गायब थी तभी शालू पेशाब करने के लिए और यह देखकर रघु के तन बदन में वासना की लहर दौड़ में लगी वह नहीं चाहता था लेकिन वह मजबूर हो चुका था उसकी आंखों के सामने बार-बार लाला की बहू नजर आ रही थी उसके गोलाकार दूध और भारी भरकम नितंब यह सब याद करके उसका लंड पूरी तरह से खड़ा हो गया था,,, इस समय उसे बुर की तड़प लगी हुई थी,,,, उसे मालूम था कि एक बार सालु उसे देखने जरूर आएगी इसलिए वह अपनी कमर पर लपेटे हुई टूवाल को खोल के अपनी जांघो पर रख दिया और अपने लंड को जो कि इस समय पूरी तरह से खड़ा हो चुका था उसे वैसे ही छोड़ दिया था कि शालू की नजर में वह आ सके,,,, थोड़ी ही देर में शालू के आने की आहट उसे सुनाई दी और वह आंख बंद करके सोने का नाटक करने लगा,,,।