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Bahot khoobललिया के तन बदन में जैसी आग लग गई हो उत्तेजना कि वह प्रकाष्ठा महसूस करने लगी जो वह कभी महसूस नहीं की थी,,, पल भर में उसके सांसो की गति तेज हो गई रघु को तो मजा आ रहा था उसे आज अपने लंबे लंड पर गर्व हो रहा था क्योंकि अगर उसका लंड लंबा ना होता तो शायद इस समय उसकी पीठ से रगड़ नहीं खा रहा होता,, उसकी जी मैं तुम्हारा था की गोद में उठाए हुए ललिया की बुर में अपना लंड पेल दे,,, लेकिन वह अपने आप को संभाले हुए थे,,, बारिश कितनी जोरों पर थी बादलों की गड़गड़ाहट लगातार जारी अंधेरा चारों तरफ छा चुका था और तेज बारिश और आंधी तूफान की वजह से ज्यादा दूर तक दिखाई नहीं दे रहा था,,,इसलिए रघु संभाल संभाल कर घुटनों तक पानी में आगे बढ़ रहा था,,, क्योंकि उसका पैर फिसल था तो वह दोनों पानी में जा गिरते और रघु ऐसा नहीं चाहता था,, क्योंकि ऊसके दोनों हाथों में जिम्मेदारी थी,,, खूबसूरत मदमस्त औरत को संभालने की,,, और दुनिया का कोई भी मर्द अगर इस जिम्मेदारी को अच्छे से संभाल ले तो जिंदगी भर के लिए वह औरत उसके गुलाम हो जाती है,,, और रघु अपनी जिम्मेदारी को बखूबी निभा रहा था,,, उसके बदन में उत्तेजना की वो आग सुलग रही थी जो शायद ललिया के मदनरस से ही शांत होने वाली थी,,,, जब जब आसमान में बिजली चमकती थी तब तक वह ललिया के खूबसूरत बदन के दोनों खरबुजो की तरफ देखने लग जाता था,,, क्योंकि उसका एक बटन खुला होने की वजह से आधे से ज्यादा चूचियां बाहर को छलकी हुई थी,,, रघु का लंड लगातार ललिया की पीठ पर ठोकर मार रहा था और यह ठोकर ललिया को और भी ज्यादा उत्तेजित कर रहा था,,,, ऐसे तूफान में भी ललिया के मन में हो रहा था कि यह सफर कभी खत्म ही ना हो क्योंकि आज ना जाने क्यों रघु के आगोश में अपने आपको पाकर उसे अद्भुत सुख का अहसास हो रहा था,,,
रघु खंडहर के करीब पहुंच चुका था,,, खंडहर को देखकर रघु को इतना तो एहसास हो गया था कि इस तूफान और तेज बारिश से इस खंडहर में अपने आप को बचाया जा सकता है,,,।
बस चाची खंडहर आ गया,,, अब कोई दिक्कत नहीं है,, बस थोड़ा सा और,,,,(इतना कहकर रघु सीढ़ियां चढ़ने के लिए अपना पैर उठाया ही था कि उसका मोटा तगड़ा लंड और तेज ललिया की चिकनी कमर पर रगड़ खाते हुए फिसल गया,,, ललिया की तो जैसे सांसे बंद हो गई उसकी रगड़ और उसकी फिसलन को महसूस करके ललिया को ऐसा आभास हो रहा था कि जैसे रघु अपना लंड उसकी बुर में डालने की तैयारी कर रहा है,,, ललिया की सांसे ऊपर नीचे हो गई संभोग से वह एक कदम की दूरी पर थी,,, उसे भी अच्छी तरह से मालूम था कि जो वह महसूस कर रही है वही रघु भी महसूस कर रहा होगा उसे भी इस बात का एहसास हो रहा होगा कि उसका लंड उसकी चिकनी कमर पर बार बार ठोकर मार रहा है,,,,,,
आहहहहह,,, ललिया एक अद्भुत अहसास से भरी जा रही थी,,, धीरे धीरे रघु अपने लंड की ठोकर ललिया की चिकनी कमर पर मारते हुए सीढ़ियां चढ़ गया,,,,, और खंडहर के अंदर दाखिल हो गया,,,, अब बरसात का पानी उन लोगों के ऊपर गिर नहीं रहा था क्योंकि उनके सर पर छत आ गई थी लेकिन फिर भी रघु ललिया को अपनी गोद से नीचे नहीं उतार रहा था,,, क्योंकि उसे भी ललिया की चिकनी कमर पर अपने लंड की ठोकर मारने में मजा आ रहा था,,,।ललिया भी शायद रघु के गोद से उतरना नहीं चाहती थी क्योंकि जिंदगी में पहली बार किसी जवान मर्द ने उसे अपनी गोद में जो उठाया था,,,
अभी भी बारिश अपनी जोरों पर थी बादलों की गड़गड़ाहट से पूरा माहौल थोड़ा डरावना हो जा रहा था,,, आंधी थी कि थमने का नाम ही नहीं ले रही थी,,, रघु ललिया को गोद में उठाए हुए ही उसकी तरफ देखते हुए बोला,,,।
अब कैसा लग रहा है चाचा,,,,
अब थोड़ा आराम महसूस हो रहा है,,, तेरे हाथों में बहुत ताकत है,, मुझे तो यकीन ही नहीं हो रहा है कि तू अपनी गोद में मुझे उठा लेगा लेकिन कितनी देर से तो मुझे अपनी गोद में उठाकर यहां तक लेकर आया,,,(इतना कहकर ललीया मुस्कुरा रही थी,,,)
कुछ नहीं चाची यह तो मेरा फर्ज था,,,मुझे जैसे ही पता चला कि तुम वेद जी के यहां दवा लेने गई हो तो मैं बिल्कुल भी नहीं रुका और तुरंत वेद जी के वहां दौड़ता हुआ गया,,,
तु घर जा सकता था आराम से तो गया क्यों नहीं,,,? (ललिया रघु की आंखों में झांकते हुए बोली,,)
चला जाता तो तुम्हारी बात कैसे सच साबित होती,,,
कौन सी बात,,,?
गोद में उठाकर ले चलने वाली बात,,,।
(इतना सुनते ही ललिया शर्म से अपनी आंखों को दूसरी तरफ फैर ली,,, और शरमाते हुए बोली,,)
नीचे नहीं ऊतारेगा क्या,,,?
अब आराम जैसा महसूस हो रहा है क्या,,,?
तू थक गया होगा,,,।
चाची यह रघु कि गोद है कहो तो इसी तरह से उठाए हुए घर तक ले जा सकता हूं,,,,
(रघु की बातें सुनने में लगी आग खुशी हो रही थी उसकी इस तरह की बातें उसे अच्छी लग रही थी,,, वह मुस्कुराते हुए बोली,,)
मैं जानती हूं तेरे में बड़ा दम है लेकिन अब मैं ठीक हूं मुझे उतार दे,,
ठीक है चाची जैसा तुम कहो,,,
(इतना कहने के साथ ही रघु धीरे-धीरे उसे गोद में से नीचे उतारने लगा और जैसे ही वह अपने दोनों पैरों को जमीन पर रखकर अपना एक पैर आगे बढ़ाई ही थी कि लड़खड़ा कर सीधे रघ6 के ऊपर ही आ गीरि सीधे उसके सीने पर रघु फिर से उसे थाम लिया लेकिन इस बार वह इस तरह से गिरी थी कि सीधे रघु की बाहों में आ गई थी,,, रघु कस के ऊसे अपनी बाहों में जकड़ लिया,,, जो कि एक तरह से अनजाने में ही हुआ था और वह भी ललिया को संभालने में,,, जैसे ही ललिया रघु की बाहों में आई रघु का दिल जोरो से धड़कने लगा साथ ही ललिया की भी हालत खराब होने लगी क्योंकि जिस तरह से वह उसकी बाहों में थी रघु का खड़ा लैंड जोकि पजामे में पूरी तरह से गदर मचा आया हुआ था वह सीधे ललिया की टांगों के बीच ऊसकी नरम नरम मखमली बुर के ऊपर दस्तक देने लगा,,,,, और इस दस्तक की वजह से ललिया के मुंह से आह निकल गई,,, प्रभु इस मौके का पूरा फायदा उठाते हुए एक बार फिर से अपने हथेली को उसकी कमर पर रखते हुए उसकी गोलाकार उभार लिए हुए नितंबों पर रख दिया और हल्के से दबा दिया,,,, ललिया के तन बदन में हलचल मच गई,, रघु अपनी हथेली को उसकी मदमस्त गांड पर से हटाने का नाम नहीं ले रहा था उसे तो ऐसा लग रहा था कि जैसे स्वर्ग का कोई खजाना उसके हाथ लग गया हो,,, ललिया भी रघु की इस हरकत की वजह से पूरी तरह से रोमांचित हो उठी थी,, उसकी सांसे संभाले नहीं समझ रही थी वह काफी गहरी चल रही थी,,।
मैं कह रहा था ना चाची संभाल के,,,,(इतना कहने के साथ ही रघु अपनी कमर को थोड़ा सा आगे की तरफ ठेल दिया जिससे पजामे में होने के बावजूद भी रघु का मोटा तगड़ा लंड,,, ललिया की मखमली बुर जो कि अभी भी साड़ी और पेटीकोट के अंदर थी सब कुछ दबाता हुआ बड़ी तेजी से ललिया की बुर के बीचो बीच जाकर चिपक गया ललिया को साफ महसूस हुआ कि रघु की ईस हरकत की वजह से उसकी बुर का मुख्य द्वार हल्का सा खुल गया था,,,यह पल ललिया के लिए इतना अद्भुत और सुखद एहसास से भरा हुआ था कि वह मन ही मन में यह चाहती थी कि रघु उसकी साडी और पेटिकोट कमर तक उठाकर अपना मोटा तगड़ा लंड उसकी बुर में पेल दे,,, लेकिन मन में आई बात जुबां पर आने से कतरा रही थी,,,, रघु मस्त हो चुका था उसकी यही इच्छा कर रही थी कि बिना इजाजत ललिया की चुदाई कर दे फिर बाद में जो होगा देखा जाएगा,,, लेकिन ना जाने क्यों रघु इससे ज्यादा आगे बढ़ नहीं सका,,, ललियाही इस सुखद अहसास के पल को तोड़ते हुए बोली,,,।
अच्छा हुआ कि एक बार फिर से मुझे संभाल लिया वरना फिर से गिर जाती,,,(इतना कहते ही ललिया उससे अलग होने लगी,,,रखो का तो मन नहीं हो रहा था उसे अपनी बाहों से आजाद करने के लिए लेकिन फिर भी वह मजबूर था,,, इसलिए ना चाहते हुए भी वह ललिया को अपनी बाहों से अलग कर दिया ललिया धीरे-धीरे अपने आप को संभालने लगी,,, रघु उसे देखता ही रह गया,,, उसके मदमस्त नितंबों के उभार की गर्मी उसे अभी भी अपनी हथेली में महसूस हो रही थी,,, रघु किसी भी प्रकार की जबरदस्ती नहीं करना चाहता था,,वह चाहता था कि उन दोनों में संबंध बने तो पारस्परिक सहमति से बनी कोई जोर जबरदस्ती से नहीं क्योंकि वह हलवाई की बीवी के साथ अपने शारीरिक संबंध को लेकर काफी उत्साहित था और उन दोनों में सारी संबंध आपस की सहमति से ही बना था तभी दोनों को चुदाई का भरपूर आनंद मिल रहा था,,और, रघु यह भी जानता था कि अगर उसके और ललिया के बीच में शारीरिक संबंध स्थापित हो गया तो हलवाई की बीवी से ज्यादा मजा छरहरे बदन वाली ललिया देगी,,, इसलिए रघु अपने आप को संभालते हुए अपनी भीगी हुई कमीज को निकालते हुए बोला,,,।)
चाची बरसात थमने का नाम ही नहीं ले रही है,,, लगता है कहीं हमें आज की रात यही रुकना ना पड़ जाए,,,
मुझे तो कोई दिक्कत नहीं लग रही है लेकिन इस खंडहर में मुझे बस भूत का ही डर लग रहा है,,,।
क्या चाची फिर तुम शुरू हो गई,,, मैं कहा ना यहां कुछ भी नहीं है सिर्फ मैं हूं और तुम हो,,,,(इतना कहकर वह अपनी की भी कमी जो दोनों हाथों से पकड़ कर उसका पानी नीचोड़ने लगा,,,, ललिया उसे ही देख रही थी और वह ललिया की तरफ देखते हुए बोला,,,)
चाची तुम्हारे कपड़े भी पूरे गिले हो चुके हैं,,, अगर कोई एतराज ना हो तो तुम भी अपनी साड़ी निकाल कर उसका पानी नीचोड़ दो और इतनी तेज हवा चल रही है सुख ही जाएगा वरना गीले कपड़ों में सर्दी लग गई तो बुखार आ जाएगा,,,,
(ललिया अपने मन में सोच रही थी कि रघु ठीक ही कह रहा था उसके कपड़े पूरी तरह से गीले हो चुके थे,,, अगर बाकी ले कपड़े में बैठी रह गई तो सच में उसे बुखार आ जाएगा,,, इसलिए वह भी धीरे-धीरे अपनी साड़ी को खोलना शुरू कर दी,,, रघु तिरछी नजरों से बार-बार ललिया की तरफ देख ले रहा था उसका इस तरह से अपनी गीली साड़ी उतारना रघु को बेहद कामुक लग रहा था। रघु अपनी गीली कमीज को जोर जोर से दबा कर उसका पानी नीचोड़ रहा था,,, और तिरछी नजरों से ललिया की तरफ देख भी ले रहा था,,, देखते ही देखते ललिया ने भी अपनी साड़ी अपने बदन पर से अलग करके उसका पानी निकालने लगी,,, अब वह केवल ब्लाउज और पेटीकोट में थी,,, वह भी तिरछी नजरों से रघु की तरफ देख ले रही थी,, उसका दिल जोरों से धड़क रहा था रघु की नंगी छाती बिजली की चमक में चमक रही थी,,, कुछ देर पहले ही वह रघु की चोड़ी छातियों के बीच थी,, और उस पल का एहसास उसे अब तक अपने अंदर गर्माहट दे रहा था,,,अभी भी दोनों टांगों के बीच की पतली दरार में हलचल मची हुई थी क्योंकि कुछ देर पहले ही उसके लंड ने वस्त्र के ऊपर से ही अंदर तक दस्तक दे दिया था,,
रघु अपनी कमीज का पानी पूरी तरह से ली छोड़कर अपने बदन को उस कमीज से साफ करने लगा,,, थोड़ी देर में उसे गिलेपन से राहत महसूस होने लगी,, तो वह ललिया की तरफ देखते हुए बोला,,)
चाची तुम भी साड़ी से अपने गीले बदन को पोछ लो तो राहत मिलेगी,,,,
(और वह रघु की बात मानते हुए साड़ी से अपने गीले बदन को पोंछने लगी,,, उसे भी राहत महसूस हो रही थी,,,लेकिन ब्लाउज पेटीकोट जो पूरी तरह से पानी में भीग चुका था इस समय बेहद ठंडक दे रहा था,,, और गीले कपड़ों में उसे अजीब सा महसूस हो रहा था,,, रघु अगर उधर नहीं होता तो वह अब तक अपने सारे कपड़े उतार कर डीजे कपड़ों को अपनी पत्नी से अलग कर दि होती,,, लेकिन जब वो की उपस्थिति में वह ऐसा करने में शर्मा रही थी,,, लेकिन यह बात भी जानती थी कि चारों तरफ अंधेरा ही अंधेरा था केवल जब जब आसमान में बिजली चमकती थी तब उसके उजाले में ही दिखाई देता था और वह भी पल भर के लिए यही सोचकर वह अपने ब्लाउज के बटन खुले लगे वह अपने ब्लाउज को भी अपने बदन से अलग कर देना चाहती थी क्योंकि ब्लाउज का गीलापन उसे अजीब सा महसूस करा रहा था,,,
और दूसरी तरफ रघु को भी अपने पजामे का गीला पन अच्छा नहीं लग रहा था,,, इसलिए वह बिना कुछ सोचे-समझे धीरे से अपने पजामे को उतार दिया और थोड़ा सा कौन है मैं चला गया जहां पर बिजली की चमक की रोशनी में भी वह ठीक से दिखाई नहीं दे रहा था,,,
लेकिन ललिया को इस बात का एहसास हो रहा था कि वह कहां खड़ा है,,, ललिया धीरे-धीरे करके अपने सारे बटन खोल दी जब आखरी बटन खोल ले जा रहे थे कि तभी रघु बोला,,।
चाची मुझे बहुत जोरों की पेशाब न कि अगर तुम बुरा ना मानो तो यहां पर कर लु,,, अगर बाहर जाऊंगा तो फिर गीला हो जाऊंगा,,,
कोई बात नहीं,,,, कर ले,,,
(इतना कहने के साथ ही उसकी दिल की धड़कन तेजी से बढ़ने लगी क्योंकि जिस मजबूत हथौड़े की तरह जबरदस्त ठोकर को अपनी बुर के उपर महसूस की थी,, वह अपनी आंखों से उसके तगड़े हथियार को देखना चाहती थी,,,। इसलिए वह अपने ब्लाउज के आखिरी बटन को खोलकर ब्लाउज ऊतारे बिना ही चोर नजरों से रघु की तरफ देख ले रही थी,,, रघु चाहता तो ललिया की नजर में आए बिना ही वापस आ कर सकता था और ललिया को पता भी नहीं चलता लेकिन उसके मन में कुछ और चल रहा था,,, हलवाई की बीवी के साथ रात को पेशाब करने की बात से ही बात आगे बढ़ी थी,,, और आज भी वह यही चाहता था इसलिए ना चाहते हुए भी वह किसी भी हाल में अपने मोटे तगड़े लंबे लंड के दर्शन ललिया को करा देना चाहता था,, क्योंकि अब तक वह औरत के मन को समझ चुका था,,,इसलिए मैं ऐसी जगह पर खड़े होकर पेशाब करने लगा जहां पर ललिया की नजर ठीक से पहुंच जाती,,, ललिया को इस बात का अंदाजा बिल्कुल भी नहीं था कि रघु इस समय खंडहर में पूरी तरह से नंगा हो चुका था,,, ललिया का दिल जोरों से धड़क रहा था,,। अपने ब्लाउज के सारे बटन खोल चुकी थी उसकी चूचियां एकदम तनी हुई थी क्योंकि उसके तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ रही थी,,,रघु जानबूझकर ऊसकी आंखों के सामने खड़ा होकर के इस तरह से पेशाब करने लगा कि जहां से ललिया को उसके मोटे तगड़े लंड के दर्शन बराबर हो सके,,,,, और रघु की मंशा पूरी होने लगी,,,आसमान में बिजली की चमक के साथ-साथ नीचे जमीन पर भी कुछ पल के लिए रोशनी फैल जा रही थी,,, पल पल भर के उस रोशनी के उजाले में ललिया को पहली बार रघु के मोटे तगड़े लंबे लंड के दर्शन हो गए,,, जोकि रघु अपने खड़े लंड को हिला हिला कर पेशाब कर रहा था यह देख कर ललिया की दोनों टांगों के बीच कपकंपी सी दौड़ने लगी,, वो कभी सपने में भी नहीं सोची थी कि रघु का लंड ईतना दमदार होगा वह बस देखती ही रह गई,,, अब ललिया की हालत खराब होने लगी थी वह अपने मन में यही सोच रही थी कि इतना मोटा तगड़ा लंड जब बुर के अंदर जाएगा तो कितना मजा देगा,,
, रघु भी यह बात अच्छी तरह से जानता था,,, के मोटे तगड़े लंड को देखने के बाद औरत के मन की स्थिति क्या हो जाती है क्योंकि इसी तरह से अपना लंड दिखाकर हलवाई की बीवी को पूरी तरह से अपने आकर्षण के जादु में बांध लिया था,, जिसके बाद वह जब चाहे तब हलवाई की बीवी की चुदाई करके अपनी प्यास बुझा लेता था,,, अब वह ललिया के साथ भी वही करना चाहता था,,, रघु यह बात अच्छी तरह से जानता था कि अब तक ललिया ने उसके लंड के दर्शन जरूर कर लिए होंगे तभी आसमान में एक बार फिर से बिजली चमकी और रघु तुरंत ललिया की तरफ देखने लगा जो कि ललिया भी उसके इंग्लैंड की तरफ देख रही थी दोनों की नजरें आपस में टकराई और ललिया एकदम शर्म से पानी-पानी हो गई,,,। वह जल्दी से अपनी नजरों को दूसरी तरफ फेर ली लेकिन कब तक वह अपनी नजरों को दूसरी तरफ करके अपने मन को शांत करने की कोशिश करती क्योंकि ऐसा करना उसके लिए अब नामुमकिन सा हो गया था वह फिर से रघु की तरफ नजर घुमा ली और उसके खड़े लंड को देखने लगी जो कि रघु अपने हाथ में लेकर उसे हिलाता हुआ मुत रहा था,,, लेकिन तभी उसे जोर सा झटका लगा,,, क्योंकि वह अभी तक इस बात पर ध्यान नहीं दी थी कि रघु पैजामा पहना है कि नहीं लेकिन अब उसे इस बात का एहसास हुआ कि रघु पूरी तरह से नंगा था,, पर इस बात का अहसास होते ही ललिया के तन बदन में हलचल सी मच ने लगी,,,, उसकी सांसे तेज चलने लगी,,,एक अद्भुत एहसास उसके तन बदन को झकझोर के रख दे रहा था,,,
बारिश थी कि थमने का नाम नहीं ले रही थी तेज हवाओं का झोंका रह रहकर उसे भी हिला दे रहा था,,, और ऐसे में रघु का इस तरह से अपना लंड दिखा कर मुतना,,, ललिया के सब्र का इम्तिहान ले रहा था,,,,,, रघु पेशाब कर चुका था और वह वापस अपनी जगह से अंदर की तरफ कदम बढ़ाते हुए बोला,,,।
माफ करना चाहती क्या है कि पैजामा पूरी तरह से गिला हो गया था इसलिए मैंने उसे भी निकाल दिया ताकि सूख जाए,, और वैसे भी अब हम दोनों को शर्म करने की जरूरत नहीं है क्योंकि हम लोग इस तूफान में फस चुके हैं और जब तक यह तूफान शांत नहीं होता तब तक हमें यही रुकना होगा,,,
(रघु की बात सुनकर ललिया बोली कुछ नहीं,,, बस उसके दिमाग में रघु का खड़ा लंड घूम रहा था,,, अपनी दोनों टांगों के बीच महसूस हो रही हलचल को अच्छी तरह से समझ रही थी,,, रघु के लंड को देखकर उसकी बुर अपने आप ही घुटने टेकते हुए गीली हो चुकी थी लेकिन अभी ललिया के दिमाग नअ आगे बढ़ने की अनुमति नहीं दी थी वरना कामोत्तेजना के तूफान में कामुकता का रुख जिस तरफ मोड दे रहा था उस तरफ ललिया का चंचल मन मुड जा रहा था,,, रघु एक बार फिर से अपनी कमीज से अपने बदन को साफ करने लगा उसे थोड़ी राहत महसूस हो रही थी क्योंकि अब उसका बदन पूरी तरह से साफ हो चुका था,,, अब ललिया की बारी थी उसके तन बदन में मदहोशी का आलम खुलने लगा था खुमारी छाने लगी थी,, लगभग चार-पांच महीने बीत चुका था ललिया संभोग सुख का मजा नहीं ली थी क्योंकि उसका पति शराबी था और शराब के नशे में डूबा रहता था और वैसे भी उसके पति में अब इतना दम नहीं था कि उसे शरीर सुख दे सके इसलिए तो ललिया के कदम लड़खड़ा रहे थे,,। ललिया को भी जोरो की पिशाब लगी हुई थी,,, लेकिन वह अपनी गांड रघु को दिखाना नहीं चाहती थी,,, क्योंकि उसे शर्म महसूस हो रही थी हालांकि भले ही वह कामोत्तेजना के जोश में मदहोशी की मिठास की तरह पिघल रही थी लेकिन फिर भी वह अपने आप को बचाए हुए थी,,। लेकिन अपनी पैसाब को रोक पाने में सक्षम नहीं थी,,, इसलिए ना चाहते हुए भी उसे पेशाब करने के लिए मजबूर होना पड़ा,, और वह धीरे-धीरे उसी जगह पर पहुंच गई जहां पर रघु खड़े होकर पेशाब कर रहा था,,
बिजली की चमक की रोशनी में रघु को साफ नजर आ रहा था कि ललिया उसी स्थान पर पहुंच गई थी जहां पर वह पेशाब कर रहा था उसका दिल जोरो से धड़कने लगा उसके मन में ढेर सारे सवाल ऊठने लगे,,, क्या ललिया भी वहीं बैठ कर के पेशाब करने वाली है,,आहहहह,,, तब तो आज फिर से उसकी मदमस्त गोलाकार गांड के दर्शन करने को मिलेंगे,,,, यह सोचते ही उत्तेजना के मारे उसका लंड ऊपर की तरफ तान गया, मानो कि लगे कि मदहोश कर देने वाली जवानी को सलामी भर रहा हो,,,।
अद्भुत अतुल्य मादकता से भरा हुआ दृश्य खंडहर के अंदर बनता चला जा रहा था,,, ललिया अपने आप को रोके भी तो कैसे रोके पेशाब बड़ी जोरों की लगी हुई थी,, वह अपनी नंगी गांड रघु को दिखाना नहीं चाहती थी लेकिन कर भी क्या सकती थी,,
उसका दिल भी जोरों से धड़क रहा था वह जानती थी कि रघु की आंखों के सामने वह खड़ी है,,,वह उसे ही देख रहा होगा,,, वैसे भी अच्छी तरह से जानते थे कि रघु जवान लड़का है और ऐसी उम्र में औरतों को ताकत ना आम बात होती है और वह तो हमेशा से उसे प्यासी नजरों से देखता रहा था और इस समय उसके मन में ना जाने क्या चल रहा है इस बात को थोड़ा बहुत तो ले लिया समझ गई थी ,,,।
अंधेरा घना था आंधी तूफान अपनी पूरी औकात दिखा रही थी लेकिन धनिया देशों के बीच में भी कुछ पल के लिए उजाला हो जाता था बस उसी से थोड़ा ललिया घबरा रही थी क्योंकि वह जानते थे कि बिजली की चमक के उजाले में रघु जरूरत के नंगे पन का दर्शन कर लेगा और फिर कही अपना होश ना खोदे,,, लगी अपने मन में कुछ भी सोचे लेकिन अपने पेशाब की तेजी को रोक नहीं पा रही थी इसलिए ना चाहते हुए भी वह अपनी पेटीकोट को कमर तक उठा दी अब तक अंधेरा ही था लेकिन जैसे ही वह बैठ कर मुतना शुरू की,,, वैसे ही बिजली की चमक के उजाले में ललिया की मदमस्त गोलाकार गांड रघु की आंखों के सामने चमक उठी,,,पल भर में ही रखो कि तन बदन में उत्तेजना की लहर बड़ी तेजी से दौड़ने लगी वह फटी आंखों से ललिया की मदमस्त गोलाकार नितंबों को देखता ही रह गया,,, और वह अपने मन ही मन में बोला कि भगवान ने बड़ी फुर्सत से उसकी गांड बनाई है,,, ललिया मारे शर्म के अपनी नजरें नीचे झुकाए पेशाब की धार को बरसात के पानी के बहाव में मार रही थी,,, हवा इतनी तेज थी कि बाहर से आ रही बौछार उसके तन को फिर से भिगोना शुरू कर दी थी वह जल्द से जल्द उठना चाहती थी लेकिन पैसा आप अभी भी बड़ी तेजी से उसकी गुलाबी बुर से बाहर निकल रही थी,,, तभी अचानक उसकी नजर पानी में से आ रहे मोटे चूहे पर पड़ी जो कि उसकी तरफ ही बढा आ रहा था और वह एकदम से घबरा गई,,,,रघु धीरे-धीरे अपने कदम आगे बढ़ा कर नजदीक से उसकी बड़ी-बड़ी गांड के दर्शन करने की लालच को रोक नहीं पा रहा था और आगे बढ़ता जा रहा था,,, मोटे चूहे को अपनी तरफ आता देख कर ललिया बड़े जोर से चीखती हुई उठी और खंडहर के अंदर भागने लगी ही थी कि सामने खड़े रघु से जाकर एकदम से चिपक गई,,, रघु तुरंत उसे अपनी बाहों में ले लिया,,,, ललिया का दील घबराहट के मारे बड़े जोरों से धड़क रहा था,,, ब्लाउज के सारे बटन खुले हुए थे उसकी दोनों चूचियां एकदम नंगी थी जो कि इस समय सीधे जाकर रघु की चौड़ी छातीयो से एकदम से सट गई,,,उत्तेजित ललिया भी थी इसलिए उसकी दोनों चूचियों के निप्पल एकदम कड़ी हो चुकी थी जो कि किसी भाले की नोक की तरह रघु के सीने में चुभ रही थी,,, रघु एकदम बेहाल हो गया मदहोश हो गया,,, ऐसा लग रहा था कि जैसे भगवान ने कोई वरदान उसकी झोली में गिरा दिया हो,, रघु और कसके उसे अपनी बाहों में भर लिया,,, तभी उसे अपने कमर के नीचे वाला भाग पानी से भीगता हुआ महसूस होने लगा,,, वह ललिया को अपने बदन से हटा कर देखना चाहता था कि क्या हो रहा है लेकिन वह अपनी बाहों में आई हुई खूबसूरत औरत को आराम से जाने नहीं देना चाहता था,,, इसलिए वह उसे अपनी बाहों में ही थामें रहा,,, लेकिन अपने बदन के ऊपर की रहे पानी की गर्माहट को महसूस करके उसे समझते देर नहीं लगी कि कमर के नीचे भिगो रहा पानी क्या है और कहां से आ रहा है,,, वह पानी कुछ और नहीं बल्कि ललिया की गुलाबी बपर से निकल रही पेशाब की धार थी,, जोकी ललियापेशाब ठीक से कर नहीं पाई थी और मोटे चूहे को अपनी तरफ आता देख कर जल्दी से उठ गई थी लेकिन इस दौरान उसकी बुर से पेशाब निकल रही थी,, जो कि रघु की बाहों में आने के बाद भी जारी था,,, इस बात का एहसास ललिया को होते ही वह मारे शर्म के पानी पानी हो गई,,, वह शर्म के मारे अपना चेहरा रघु की चौड़ी छाती में छीपा ली,,रघु को उसकी बुर से निकल रही पेशाब की तेज धार अपने बदन पर पढ़ते हुए बहुत ही लुभावनी लग रही थी। रघु के तन बदन में उत्तेजना एकदम परम शिखर पर विराजमान हो चुकी थी वह उत्तेजना की सीमाओं को लांघ चुका था उसकी सांसे तेज चल रही थी,,, ललिया का पेटीकोट कमर तक उठा हुआ था कमर के नीचे से वह पूरी तरह से नंगी थी,,,, और रघु ललिया के अद्भुत अतुल्य नंगेपन के एहसास में पूरी तरह से अपने आप को डुबो देना चाहता था,,,
ललिया की भी सांसे बड़ी तेजी से चल रही थी ईतनी जोरो की पेशाब और डर की वजह से ललिया अपने आप और अपनी पेशाब पर बिल्कुल भी काबू नहीं कर पाए जो कि अभी भी रह रहे कर रघु के ऊपर धार मार रही थी जो किसी के उसके खड़े लंड पर गिर रही थी जिससे रघु का लंड और ज्यादा टनटना गया था,,, रघु इस मोके का पूरी तरह से फायदा उठाते हुए अपना हाथ की नंगी चिकनी पीठ पर घुमाने लगा ललिया को अच्छा लग रहा था वह कुछ बोल नहीं रही थी,,,और वैसे भी अपनी गलती की वजह से वह बेहद शर्मिंदगी महसूस कर रही थी रघु अपनी हरकत को और ज्यादा बढ़ाते हुए अपने दोनों हाथों को नीचे कमर तक लाकर उसकी कमर को दोनों हाथों से कस के दबा दिया,,,, रघु की इस हरकत पर ललिया के मुंह से आह निकल गई,,,
रघु भी कुछ भी बोल सकने की स्थिति में बिल्कुल भी नहीं था उसके तन बदन में खुमारी छाई हुई थी,,, ललिया की मदमस्त जवानी की मदहोशी छाई हुई थी,,,। ललिया की कमर को दोनों हाथों से थाने में रघु को बेहद उत्तेजना महसूस हो रहा था अपनी हरकत को बढ़ाते हुए रघु रे दोनों हाथों को और नीचे की तरफ लाकर उसके नितंबों के उभार को,,, कसके अपनी दोनों हथेली में जितना हो सकता था उतना भरकर एकदम से दबा दिया,,, ललिया की गांड पूरी तरह से नंगी थी एकदम गोलाकार,,,ऊफफ,,, एकदम मलाई,,, रघु की इस हरकत की वजह से ललिया के तन बदन में आग लग गई,,, और उसके मुंह से सिसकारी की आवाज फूट पड़ी,,,।
सससहहहह,,,आहहहहहह,,, रघु यह क्या कर रहा है,,,(नदिया अभी भी रघु की छाती में अपना चेहरा छुपाए हुए बोली,,)
तुम तो मुझे एकदम गीला कर दी चाची,,, मेरे ऊपर ही मुत दी,,,(इतना सुनना था कि ललिया तो एकदम शर्म से पानी-पानी हो गई जिंदगी में उसे इस तरह की शर्मिंदगी का अहसास कभी नहीं हुआ था जितना कि अब हो रहा था.. वह अच्छी तरह से जानती थी कि इससे शर्मनाक हरकत भी हो गई थी,,, उसने कभी सोची नहीं थी जब भी पेशाब करने बैठती थी तो चारों तरफ देख लेती थी कि कहीं कोई देख तो नहीं रहा है लेकिन आज अनजाने में और डर के मारे हालात इस तरह के हो गए थे कि ना चाहते हुए भी वह रघु के ऊपर मुत दी थी,,,वह कुछ भी बोल सकने की स्थिति में बिल्कुल भी नहीं थी,, शर्मिंदगी के एहसास से भरी हुई थी लेकिन रघु की हरकत की वजह से उसके तन बदन में गर्माहट फैलती जा रही थी,, रघु की हरकत ऊसे अच्छी लग रही थी,,, रघु लगातार उसकी गोलाकार गांड से खेल रहा था,, ललिया की हालत खराब होती जा रही थी उसकी सांसो की गति तेज हो रही थी वह अपनी कमर को थोड़ा सा आगे की तरफ की तो तुरंत रघु का लंड लंड उसकी टांगों के बीच उसकी बुर के मुहाने से रगड़ खाने लगा,,, इस अद्भुत स्पर्श के एहसास से दोनों एकदम मदहोश होने लगे,,, रघु लगातार ललिया की भारी-भरकम गांड से खेल रहा था और ललिया उसे खेलने दे रही थी रघु को समझते देर नहीं लगी कि ललिया को भी उसकी हरकत अच्छी लग रही है,, इसलिए रघु,, अपना एक हाथ ललिया की गांड से हटाकर अपने लंड को थाम लिया और उसे बिना देखे ही ललिया की टांगों के बीच के उस पतली दरार पर रगडना शुरू कर दिया,,,,।
आहहहहह,,सहहहहहहह,,, रघु,,, ऐसा मत कर रहने दे,,,।
( ललिया रघु को रोक तो रही थी लेकिन उसका तन बदन उसका साथ नहीं दे रहा,,, उसके बदन में मस्ती की खुमारी छाने लगी थी,, रघु की हरकत की वजह से वह पूरी तरह से बावली होती जा रही थी,, रघु जानता था कि अगर ललिया उसे आगे बढ़ने से रोक दि ,,तो वह आगे नहीं बढ़ पाएगा और इतना अच्छा मौका हाथ से ज्यादा रहेगा इसलिए वह इस मौके को जाने देना नहीं चाहता था इसलिए वह ललिया की बात को अनसुना करते हुए,,, अपने मोटे तगड़े लंड के मोटे सुपाड़े को ललिया की मखमली बुर के दरार पर रगडता रहा,,,, ललिया तड़प रही थी जल बीन मछली की तरह उसका हाल था,,, महीनों बाद उसके तन बदन में उत्तेजना का तूफान उठा था,,, रघु एक हाथ से ललिया की गांड को दबाता हुआ दूसरे हाथ से अपने मोटे लंड के मोटे सुपाड़े को उसकी बुर पर रगड़ रहा था,,,। ललिया उसे रोकना चाहती थी लेकिन रोक नहीं पा रही थी अद्भुत सुख का एहसास उसके तन बदन को पूरी तरह से कमजोर कर रहा था रघु के सामने उसके संस्कार उसका शर्म घुटने टेक रहा था,,, रघु जोर-जोर से सांसे ले रहा था,, वह अपने आपे में बिल्कुल भी नहीं था,,,। ललिया को साफ महसूस हो रहा था कि रघु का मोटा लंड उसकी बुर की गुलाबी पत्तियों को इधर उधर फैलाने लगा था,,,ललिया की हालत खराब होती जा रही थी वह अपनी सिसकारियों को बड़ी मुश्किल से दबाए हुए थी,,,,। लेकिन सबसे बड़ी तेजी से चल रही थी और उसकी दोनों मदमस्त खरबूजे रघु के सीने से एकदम दबे हुए थे उसकी निप्पल इतनी नुकीली महसूस हो रही थी कि ऐसा लग रहा था कि जैसे सीना चीर के अंदर घुस जाएगी,,, रघु को ललिया की मदमस्त चुचियों का दबाव अपने सीने पर बेहतरीन एहसास करा रहा था,,,। ललिया अपने अंदर चल रहे कशमकश से जूझ रही थी वह समझ नहीं पा रही थी कि आगे बढ़ा जाएगा पीछे कदम फिर लिया जाए,,,,। आनंद उसे भी चाहिए था लेकिन आनंद को प्राप्त करने में संयम और मर्यादा की डोर टूट जाती,,, वह बड़ी परेशान लग रही थी अब रे मन में यही सोच रही थी कि अगर इस बारे में उसकी मां कजरी को पता चल गया तो वह क्या सोचेंगी,,, यही सब सोचकर उसका मन घबराने लगा और वह रघु की बाहों से छूटने की कोशिश करने लगी,,, लेकिन रघु ललिया को छोड़ने के मूड में बिल्कुल भी नहीं था,,, वह जिस तरह से कसमसा रही थी,,, उसे देखते हुए रघु समझ गया कि यह उसकी बांहों से आजाद होना चाहती है,,,इसलिए एक बार फिर से एक हाथ से उसकी गांड को पकड़े पकड़े हैं उसे अपनी तरफ खींच लिया जिससे इस बार रघु के लंड का मोटा सुपाड़ा हल्के से ललिया की बुर की गुलाबी पत्तियों को फैलाती हुई थोड़ा अंदर की तरफ प्रवेश करने लगा,,,, ललिया की तो जैसे सांसे बंद हो गई ललिया को लगने लगा कि रघु उसकी बुर में लंड डाल देगा,,,, और यह सोचकर वह उसकी पकड़ से छूटने के बारे में सोच ही रही थी कि तभी,,, रघु अपना हाथ ऊपर की तरफ लाया और उसकी एक चूची को पकड़कर हल्के हल्के दबाते हुए बोला,,,।
ऐसा क्या देख ली थी चाची कि ईतनी जोर से चिल्लाकर भागी,,,
चचच,,,चुहा,,,,(लगभग घबराते हुए बोली,)
चूहा,,, अरे ऐसा कैसा चुहा था जो इतनी जोर से चिल्ला कर भागी,,,,,(रघु ललिया की चूची को दबाते हुए बोला,,)
बहुत लंबा और मोटा चुहा था,,,,
(रघु ललिया की यह बात सुनकर धीरे से उसका हाथ पकड़ा और नीचे की तरफ लाकर अपने खड़े लंड पर रखकर अपने हाथ से ही अपने लंड पर उसकी मुट्ठी बंधवाते हुए बोला,,,)
इससे भी लंबा और मोटा था क्या चाची,,,? (रघु एकदम मदहोश होता हुआ बोला,,, ललियी की तो हालत खराब हो गई ललिया कभी सपने में भी नहीं सोची थी कि,,, वह कभी किसी के लंड को अपने हाथ से पकड़ेंगी,, ललिया को रघु के मोटे तगड़े लंड की गर्माहट अपनी हथेली में साफ महसूस हो रही थी वो एकदम से घबरा गई थी अपना हाथ वापस खींचना चाहती थी लेकिन रघु कसके उसकी मुट्ठी को अपनी मुट्ठी में दबाए हुए था,,,, रघु उसकी मुट्ठी को अपनी मुट्ठी में दबाए हुए ही अपने लंड को मुठियाते हुए बोला,,,।
बोलो ना चाची कैसा था वह चूहा इसकी तरह था,,,,,,,
यह क्या कर रहा है रघु,,, यह गलत है भगवान के लिए ऐसा मत कर,,,,,,,(ललिया रघु ऐसा ना करने की दुहाई दे रही थी लेकिन,,,रघु को बिल्कुल भी ऐसा नहीं लग रहा था कि लग जा अब उसके लंड पर से अपने हाथ हटाने की कोशिश कर रही है ,, रघु मदहोश हुआ जा रहा था,,,,उसके ऊपर मदहोशी और वासना दोनों सवार हो चुके थे,,,, ललिया कीमत मस्त जवानी उसके होश उड़ा रहे थे,,, ललिया को भी रघु की यह हरकत,,, एकदम सुहावनी लग रही थी लेकिन एक औरत होने के नाते पहल करने से डर रही थी अपने बेटे के उम्र के लड़के से शर्मा रही थी,,,, उसके अंदर झिझक थी,,, होती थी कि नहीं आखिर रघु उसे चाची कहता था,, बचपन में वह उसे खिला चुकी थी और आज यह समय आ गया था कि वह खुद उसके खूबसूरत नाजुक पंखों से खेल रहा था,,, रघु लगातार ललिया की मुट्ठी को दबाए हुए अपने लंड को हिला रहा था,,, ललिया की बुर पानी पानी हो गई थी उसके मन में दहशत हो चुकी थी कि इतना मोटा लंड उसकी बुर में जाएगा कैसे,,,, यही सोचकर वह घबरा रही थी,,,, इसलिए ललिया अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोली,,,।)
रहने दे रघु ऐसा मत कर,,,तू मेरे बेटे की उम्र का है मेरे बेटे कैसा है और तू मुझे चाची कहता है ऐसा करना ठीक नहीं है,,, तेरी मां को पता चल गया तो वह क्या समझेगी,,,
(बस यही बात ललिया के मुंह से सुनते ही रघु समझ गया कि वह पूरी तरह से तैयार है बस शर्म और झिझक उसे रोक रही है,,, रघु मदहोश हो चुका था एक हाथ से वह ललिया की भारी-भरकम गांड से खेल रहा था और दूसरे हाथ से उसकी मुट्ठी को पकड़कर अपना लंड मुठीया रहा था,, ललिया की बात सुनकर वह उसकी आंखों में आंखें डाल कर बोला,,,।)
जब से पता चलेगा तब ना बोलेगी उसे कुछ भी नहीं पता चलेगा उसे क्या किसी को भी पता नहीं चलेगा,,,(इतना कहने के साथ ही रघु अपने प्यार से होठों को ललिया कीमत मस्त गोलाकार तनी हुई चूची पर रख कर उसके निप्पल को मुंह में भर कर पीना शुरू कर दिया,,,।
सससहहहह आहहहहहह,,,,, रघु,,,,,,,
( ललिया के पास ईससे ज्यादा कहने के लिए शब्द नहीं थे वह पूरी तरह से कामातुर हो गई,,, उत्तेजना के मारे उसका गला सूखने लगा महीनों बाद उसकी चूची किसी मर्द के मुंह में जा रही थी वह पूरी तरह से काम विह्वल हो गई,,,, वैसे भी ललिया को अब कुछ भी कहने की जरूरत नहीं थी,,, उसकी गर्म सांसे उसके मन के शब्दों को खोल रही थी,,, बरसात अभी भी जोरों पर थी रह-रहकर हवा का झोंका दोनों के तन बदन को झकझोर दे रहा था,,, बरसात की बूंदों से अब उनका तन गिला नहीं था लेकिन उन्माद की बौछार वासना की छींटे,, अब उन दोनों को पूरी तरह से भीगो रही थी,,, ना तो रघु और ना ही ललिया मैं कभी सपने में यह सोचा था कि दोनों की जिंदगी में इस तरह से यह वाक्या भी आएगा,, हालात ने ललिया के मन अंतर को पूरी तरह से बदल दिया था,,,, इसलिए तो रघु अपना हाथ ललिया के हाथ पर से हटा दिया था वह देखना चाहता था कि ललियां अपने हाथ से क्या करती है,,,और इसमें रघु के लिए कोई आश्चर्य वाली बात नहीं थी उसे अपने ऊपर और अपने लंड पर इतना तो पूरा विश्वास था,,, ललिया स्तन मर्दन और स्तन चूसन का भरपूर आनंद लेते हुए खुद अपने हाथ से रघु के लंड को मुठीयाना शुरू कर दी थी,, रघु के तन बदन में ललिया की हरकत की वजह से आग लग रही थी, ।
रघु मुझे ना जाने क्या हो रहा है,,,, मेरे तन बदन में तूने आग लगा दिया है,,,,सहहहहहह आहहहहहह,,,,ररररघु,,,
(ललिया मदहोश हुए जा रही थी उत्तेजना के मारे उसके दोनों घुटने कांप रहे थे,,,, उत्तेजना के मारे उसका गला सूखता जा रहा था,,,, वह भी पूरी तरह से आनंद विभोर हो चुकी थी,,,रघु लगातार उसके दोनों खर्चों का स्वाद ले रहा था कभी दाएं खरबूजे को मुंह में डालकर दबाता और उसके निप्पल को पीता तो कभी बा्ए खरबूजे से खेलता,,,, मजा दोनों को आ रहा था,,, ललिया रघु के लंड को जोर-जोर से दबाते हुए मुठिया रही थी ऐसा लग रहा था कि जैसे उसके हाथ में लंड नहीं बल्कि जानवर को बांधने वाला खूंटा आ गया हो,,,,,। लंड की गर्माहट उसके तन बदन को पिघला रही थी उसकी बुर लगातार पानी फेंक रही थी,,, रघु जोर-जोर से उसकी दोनों चूचियों को दबाता हुआ स्तनपान का मजा ले रहा था वह रहे रहकर उत्तेजना के मारे उसकी नरम नरम चुचियों में अपना दांत गड़ा दे रहा था जिससे ललिया के मुंह से सिसकारी के साथ-साथ दर्द से कराहने की आवाज भी निकल जा रही थी,,,।
अब दोनों पीछे हटने के लिए बिल्कुल भी तैयार नहीं थे और ना ही उन लोगों के लिए यह संभव था। रघु के लिए पीछे हटने का मतलब था काले लंड पर हथोड़ा चलानाऔर ललिया के लिए अपने अरमानों पर एक बार फिर से ठंडा पानी फेंक देना,,,और दोनों ही इस हालात से समझौता करने के मूड में बिल्कुल भी नहीं थे,,, इसलिए तो रघु अपना मुंह उसकी चूची पर से हटा कर लगाके खूबसूरत चेहरे को अपने दोनों हाथों से पकड़कर उसके लाल-लाल देखते होठों पर अपने होंठ रख कर उसका चुंबन करने लगा,,, चुंबन में ललिया उसका साथ बिल्कुल भी नहीं दे रही थी,,, बल्कि रघु की इस हरकत की वजह से वह पूरी तरह से शर्म से गड़ी जा रही थी,,,, क्योंकि आज तक उसने कभी भी चुंबन नहीं किया था,, और ना ही उसके पति ने कभी उसके होठों को होठ लगाकर चूमा था,,, लेकिन फिर भी ललिया को ऐसा महसूस हो रहा था कि जैसे वह हवा में उड़ रही हो वह पूरी तरह से मस्त हो चुकी थी,,,
चारों तरफ घना अंधेरा छाया हुआ था बस बिजली की चमक का ही सहारा था उसी की रोशनी में रह-रहकर ललिया का खूबसूरत नंगा बदन दिखाई दे रहा था,,, ललिया भी बेफिक्र हो चुकी थी इस तूफानी बारिश में यहां इंसान तो क्या जानवर भी आने वाला नहीं था,, दोनों का दिल जोरों से धड़क रहा था रघु के हाथ आज एक और खूबसूरत औरत हाथ लगी थी,, जिसके साथ संभोग करके वहां अपने आपको धन्य समझने वाला था,,, वैसे भी ललिया के बदन में वह सब कुछ सप्रामाण में ही था जो कि एक औरत को बेहद खूबसूरत बनाता है ललिया के बदन का उठाव और कटाव बेहतरीन था,,।
रघु अब आगे बढ़ना चाहता था बादलों की गड़गड़ाहट माहौल को और भी ज्यादा उन्मादक बना रही थी,,, रघु देखते ही देखते ललिया के सामने घुटनों के बल बैठ गया और अपने दोनों हाथों से उसकी नंगी चिकनी मोटी मोटी जांघों को पकड़ लिया,,, जांघों पर हाथ रखते ही उसके तन बदन में कंपन होने लगा,,,, गहरी सांस लेते हुए रघु को भी देख रही थी और रघु भी बेशर्मो की तरह ललिया की आंखों में झांकते हुए धीरे-धीरे अपने प्यासे होठों को ललिया की टांगों के बीच ले जा रहा था,,,, ललिया को समझ में नहीं आ रहा था कि रघु क्या करने वाला है,,, और जैसे ही रघु के प्यासे होठों का स्पर्श उसने अपनी बुर के ऊपर महसूस की वैसे ही उसके तन बदन में अंगारे उठने रखें उसका पूरा बदन अद्भुत अहसास से कांप उठा,,,, और उसके मुख से गर्म सिसकारी की आवाज फूट पड़ी,,,।
सससहहहहहह ं,,,,, आहहहहहह,,,,, रघु,,,,(इतना कहने के साथ ही वह उत्तेजना के मारे एकदम से सिहर उठी और वह अपने दोनों हाथ नीचे की तरफ ले जाकर के रघु के बाल को कस के अपनी हथेली में पकड़ ली,,, रखो पागलों की तरह उसकी रसीली बुर को चाटना शुरू कर दिया,,, जितना हो सकता था उतना जीभ अंदर तक डालकर उसकी मलाई को गपक रहा था,,, लगातार उस खंडहर में आंधी तूफान और बारिशों के शोर के बीच ललिया की मद भरी सिसकारियां गूंजती रही,,,,हल्के हल्के रेशमी बाल भी रघु के मुंह में आ जा रहे थे जिसे वह बड़े चाव से अपनी जीभ से चाट रहा था,,, ललिया ने अपने जीवन में इस तरह के सुख की कभी कल्पना भी नहीं की थी,,,उसके पति ने आज तक उसकी बुर को कभी अपने होठों से लगाया ही नहीं था और ना ही कभी उसने इस बारे में सोची थी,, लेकिन आज समय बदल चुका था रघु उसकी जिंदगी में बहार लेकर आया था,,,, ललिया अपने से बाहर होते जा रही थी लगातार उसके मुख से गर्म सिसकारी की आवाज फूट रही थी रघु समझ गया था कि अब ललिया को क्या चाहिए,,, इसलिए रघु खड़ा हुआ और एक बार उसके नंगे बदन को अपनी बाहों में भर कर जी भर कर उससे प्यार करने लगा और देखते ही देखते उसकी दोनों टांगों को हल्के से फैला कर अपने लंड के लिए जगह बनाया और अपने लंड के सुपाड़े को उसकी बुर के मुहाने पर रखकर हल्के से अपनी कमर को आगे की तरफ ठेला और देखते ही देखते उत्तेजित हुई बुर के गीले पन का साथ पाकर रघु का लंड धीरे धीरे अंदर प्रवेश करने लगा,,,, ललिया की बुर कसी हुई थी लेकिन उत्तेजना के मारे उसकी बुर बार-बार पानी फेंक रही थी जिससे उसकी बुर पूरी तरह से गीली हो चुकी थी,, और देखते ही देखते रघु की मेहनत रंग लाई और उसका आधे से ज्यादा लंड उसकी बुर में समा गया,,,, ललिया की तो जैसे सांस ही रुक गई थी उसे बहुत दर्द हो रहा था लेकिन एक अनुभवी औरत होने के नाते उसे इतना पता था कि दर्द के बाद मजा भी बहुत आएगा इसलिए वह अपनी बातों को जोर से दबा कर इस दर्द को झेल रही थी।
बड़ा ही मादक कामोत्तेजना से भरा हुआ नजारा था रघु ललिया को दीवार से सटाए हुए था,,, दोनों का मुंह एक दूसरे के आमने सामने था ललिया की टांगे चौड़ी थी और उन टांगों के बीच रघु अपने लिए बेहतरीन जगह बनाकर कामदेव के आसन का भरपूर फायदा उठाते हुए अपने लंड को पूरी तरह से ललिया की बुर में उतार दिया था,,,, तभी रघु ललिया की कमर को थाम कर एक आखरी झटका लगाया और इस बार रघु का लंड पूरा का पूरा ललीया की बुर में खो गया,,,,ललिया एकदम से बदहवास हो गई उसे यकीन नहीं हो रहा था कि रघु का मोटा तगड़ा लंबा लैंड उसकी छोटी सी बुर के अंदर पूरी तरह से समा गया होगा इसलिए वह अपनी नजर नीचे करके अपनी दोनों टांगों के बीच देखने लगी जो कि वास्तव में रघु के समूचे लंड को अपनी गहराई में निगल गई थी,,, यह देखकर ललिया के होठों पर कामुक मुस्कान तैरने लगी,,,,, रघु को अपनी मंजिल मिल चुकी थी,,, रघु धीरे-धीरे अपनी कमर आगे पीछे हिलाता हुआ ललिया को चोदना शुरू कर दिया,,,,
आहहहह ,,,,,आहहहहहह,, रघु,,,,,ओहहहहहहह,,,, बहुत गर्म लंड है तेरा,,,,आहहहहहह,,मुझे तो यकीन ही नहीं हो रहा है कि तेरा मोटा तगड़ा और लंबा लंड मेरी बुर में घुस गया है,,,
यह किसी चमत्कार से कम नहीं है चाची,,,मुझे भी ऐसा ही लगता था कि मेरा मोटा तगड़ा और लंबा लंड तुम्हारी बुर के छेद को भेंद नहीं पाएगा,,, लेकिन तुमने यह कर दिखाई मैं बहुत खुश हूं चाची तुम बहुत खूबसूरत हो,,,,
तू भी बहुत अच्छा है रे रघु मैं तो कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि तुम इतना तेज होगा मुझे बहुत मजा आ रहा है रखो बस अब कुछ मत बोल मेरी चुदाई कर चोद मेरी बुर को,,,आहहहहह,,, रघु तेरे लंड में बहुत दम है मेरी बुर को फाड़ दे,,, मस्त कर दे मुझे रघु,,,
फिर क्या था रघु के लिए पूरी तरह से रास्ता साफ हो चुका था ललिया की बुर में उसके लंड के नाप का सांचा बन चुका था,,, उसे बस अंदर बाहर करके चोदना ही था,,, और इस काम को करने में वह पूरी तरह से माहिर हो चुका था रघु की कमर आगे पीछे हिलना शुरू हो गई ललिया के लिए यह चुदाई वाली स्थिति पहली बार थी इस स्थिति में उसने कभी भी चुदाई नहीं करवाई थी,,, और उसे मजा भी आ रहा था रघु चाहता तो उसे नीचे जमीन पर लिटा कर उसको चोद सकता था लेकिन नीचे पानी की वजह से जमीन गीली हो गई थी कीचड़ जैसा हो गया था इसलिए नीचे लेट कर चुदाई करना सही नहीं था,,, रघु पागलों की तरह अपनी कमर हिला रहा था ललिया उसके कंधे को दोनों हाथों से पकड़कर सहारा लेकर खड़ी थी,,, रघु एक साथ ललिया की चिकनी बुर और चूची दोनों का मजा ले रहा थावह दोनों चुचियों को बारी-बारी से अपने मुंह में लेकर चूसने था जिससे ललिया का आनंद भी दोगुना हो रहा था,,,
बरसात अपने जोरों पर थी हवाओं का जोर कम नहीं हो रहा था दोनों ने कभी सपने में भी नहीं सोचे थे इस तरह की तूफानी रात में खंडहर में दोनों चुदाई का आनंद लेंगे,, लेकिन दोनों को भरपूर मजा आ रहा था अब किसी बात का डर दोनों के मन में बिल्कुल भी नहीं था अब दोनों यही चाहते थे कि सुबह तक इसी खंडहर में रहकर चुदाई के इस खेल को और ज्यादा आनंददायक बनाया जाए,,,
रघु का लंड बड़ी तेजी से ललिया की बुर के अंदर बाहर हो रहा था,,,ना जाने क्यों रघु को ऐसा लग रहा था कि हलवाई की बीवी से ज्यादा मजा ललिया को चोदने में आ रहा था,,,,, रघु का पानी निकलने का नाम नहीं ले रहा था लेकिन ललिया एक बार झड़ चुकी थी,,,,। रघु संभोग के आसन में बदलाव लाते हुए ललिया को दीवार के सहारे दीवार की तरफ मुंह करके खड़ा कर दिया और उसकी कमर को पीछे की तरफ खींचकर उसकी मदमस्त बड़ी बड़ी गांड को थोड़ा ऊपर की तरफ उठा दिया,,, ललिया अपनी तरफ से कुछ भी करने का प्रयास नहीं कर रही थी वह मानो रघु के हाथों की कठपुतली हो गई थी जहां घुमा रहा था वहां वह घुम जा रही थी,,,, एक बार फिर से रघु का लंड ललिया की गीली बुर के अंदर प्रवेश कर गया,,, रघु एक बार फिर से ललिया की कमर को थामकर उसे चोदना शुरु कर दिया,,, एक बार फिर से ललिया की सिसकारी की आवाज गूंजने लगी लगी अच्छी तरह से जानती थी कि यहां पर उसकी गरम सिसकारी की आवाज सुनने वाला कोई नहीं है इसलिए वह मस्ती में मदहोश होकर और जोर-जोर से सिसकारी की आवाज ले रही थी,,, दोनों मस्त हो गए थे,,, और इस बार दोनों एक साथ झड़ गए लेकिन यह सिलसिला सुबह तक चलता रहा जब तक कि आंधी तूफान एकदम शांत नहीं हो गया,,, सुबह की पहली किरण के साथ ही ललिया और रघु के लिए एक नए रिश्ते की शुरुआत हो चुकी थी,,, दोनों काफी खुश थे और दोनों एक दूसरे को मुस्कुराकर देखते हुए गांव की तरफ चल दीए,,।