रीत, डीबी और मैं
डी॰बी॰ एक मिनट तक शांत बैठे रहे, फिर अंगड़ाई लेकर बोले ये तो बहुत अच्छा हुआ, अब हम डिसइन्फोर्मेंशन भी फैला सकते हैं।
“मतलब गलत सूचना देकर गुमराह करना…” मैंने रीत को फिर समझाया।
“इतना मुझे भी मालूम है…” वो मुँह बनाकर बोली।
डी॰बी॰ ने कागज कलम निकाली और मुझे और रीत को समझाना शुरू किया।
“अब ये साफ हो गया। ये हमले की तैयारी है। इसका स्ट्रकचर सेल बेस्ड होगा।
यानी एक आदमी जो यहाँ पे काम करने वाला है, वो अपनी टीम खुद रिक्रूट करेगा, लेकिन उससे कम से कम सम्बन्ध रखेगा। वो अपने एक कंट्रोलर को जानकारी देगा वो भी बहुत जरूरत पे और एक ओवर आल कंट्रोलर होगा जो शायद ओवर सीज में हो। जो इसका डायरेक्ट कंट्रोलर है, वो खुद या अपने किसी साथी की सहयता से सपोर्ट सर्विसेज देगा। जैसे इस केस में बाम्ब की सप्प्लाई, इन्फार्मेशन सिकुरिटी एक तीसरा आदमी कंट्रोल करेगा, जो सीधे रिपोर्ट करेगा।
दूसरी बात ये है की इसका मतलब ये मल्टी प्रांग अटैक है और अब हमें इसके हिसाब से प्लान करना होगा…”
रीत बहुत धयान से उस प्लान को देख रही थी और हुंकारी भर रही थी।
“तो पहला काम होगा, अपना कम्युनिकेशन नेटवर्क ठीक करना…” मैंने बोला।
मेरा ध्यान उस बैग पे गया जिसमें महक ने दो ब्लैक बेरी, दो आई पैड और दो टैबलेट रखे थे। दो ब्लैकबेरी और एक टैबलेट निकालकर रीत को पकड़ा दिया।
“ये एक फोन तुम रखो और दूसरा गुंजा के दे देना और ये टैबलेट भी। मैं इनमें इन्क्रिप्शन प्रोग्राम ट्रांसफर कर दे रहा हूँ। तुम इनसे ही मुझसे कान्टैक्ट करना और डी॰बी॰ से भी। बीच-बीच में गुंजा के फोन से…”
“और तुम…” रीत ने सीरियस होकर पूछा।
“मैं तुम्हारे साथ फेसबुक, चैट और ट्विटर के जरिये कान्टैक्ट में रहूँगा…”
मैंने दूसरे टैबलेट की ओर इशारा किया। मेरे फोन पे रिंग करके तुम इशारा कर सकती हो और।
मेरी बात डी॰बी॰ ने बीच में काट दी। उन्होंने अपने कुरते की जेब से लम्बा सा पर्स निकाला और उसमें से 6 सिम निकालकर रख दिए। दो मैंने उठा लिए।
डी॰बी॰ ने मुझे घूर कर देखा और रीत को समझाया- “ये सारे सिम एक्टिव हैं इसमें से तीन फारेन के हैं एक आस्ट्रेलिया, एक साउथ अफ्रीका और एक कनाड़ा और तीन लोकल हैं सारे अन लिमिटेड प्री पेड़ हैं। तुम इसको इश्तेमाल करो और साथ में ये डाटा कार्ड जो प्रीपेड भी है, बहुत फास्ट है और इसकी रेंज बहुत ज्यादा है। मैंने अपना एक फोन एक्टिव करके नम्बर तुम्हें बता दूंगा…”
जब तक डी॰बी॰ रीत को समझा रहे थे मैंने वो नंबर भी मार्लो को भेज दिए। मानिटरिंग के लिए।
रीत ने इसी बीच फोन में सिम लगा भी लिया और बोली मेरे खयाल से एक और आइडिया है मेरा। अगर मैं एक नया अकाउंट फेस बुक पे बनाऊं तो किसी को शक हो सकता है।
कितने एकाउंट है तुम्हारे फेस बुक पे। मैंने पूछा
चार। एक लड़कों के नाम वाला भी है। तो क्या तुम्हीं लोग हर जगह मल्टी एकाउंट बना सकते हो। तो मैं ये कह रही थी की मैं अपनी दो-चार सहेलियों से उनके एकाउंट ले लेती हूँ और उनको बोल दूंगी की जीतनी देर तक मैं इश्तेमाल करूँगी वो लाग आन ना करे…”
“और पासवर्ड…” मैं चौंक कर देख रहा था।
“दे देंगी। हम लोग तुम लोगों की तरह स्वार्थी नहीं होते…” रीत ने आँख नचाकर चिढ़ाया।
डी॰बी॰ ने बोला। नेक्स्ट।
रीत बोली- “मैंने भी कई साइट्स पे जासूसी सीरयल पढ़ा है। हमें उसका जो फोन करता रहता है, कोई कोड रखना पड़ेगा। कब तक ये वो करके बात करते रहेंगे…”
डी॰बी॰ ने कुछ सोचा फिर फैसला सुना दिया। उसका कोड नेम होगा । और मेरी और इशारा करके बोले, तुम्हारा A और रीत तुम्हारा A 2।
रीत ने मेरी ओर देखा। मैंने समझाया अभी शंघाई पिक्चर आई थी ना वो एक ग्रीक सिनेमा पे बनी थी। ग्रीक भाषा में जेड के कई मतलब होते हैं और उसमें से एक मतलब होता है डेथ। उस आदमी के पीछे हम और तुम पड़े हैंउसका कोड होगा Z
डी॰बी॰ ने कहा हम लोगों के पास दो वर्केबल जानकारी है। एक तो नाव से एक खास टाइम पे बात करने वाला आदमी और दूसरा।
मैंने बात पूरी की चुम्मन।
“हाँ उन्होंने बात आगे बढ़ाई, मैं कोशिश करूँगा की किसी तरह उसे वापस ले आऊं लेकिन तब तक जेड के बारे में पता करना पड़ेगा घाट वालों से…”
“वो आप रहने दीजिये। मेरा मतलब मैं जानती हूँ एक सज्जन को। उन्हें बनारस के सारे घाटों के बारे में वहां काम करने वालों के बारे में मालूम है हम लोग उनसे कान्टैक्ट कर सकते हैं। नाम है फेलू दा, पहले कलकत्ता में रहते थे लेकिन उनके एक मित्र थे मानिक दा। उनके गुजरने के बाद से बनारस आ गए हैं और सन्देश भी बहुत अच्छा खिलाते हैं खास तौर से गुड का…” रीत बोली- “मैं आपको उनके पास ले चलती हूँ…”
तो अब तक तीन बातें तय हो गयी थीं और हम तीनो का रोल भी,
मुझे हैकर्स से कांटेक्ट में रहना था, जो इंटेलिजेंस रीत को मिलेगी, या हैकर्स से मिलेगी उसे अनलाइज करना होगा, लेकिन सबसे बड़ी बात, मुझे एकदम बैकग्राउंड में रहना होगा, रीत के अलावा किसी और से कांटेक्ट से बचना होगा, और आज ही जल्द से जल्द गुड्डी के साथ अपने घर आजमगढ़ जाना होगा,
रीत भी यही चाहती थी, गुड्डी के पीछे वही पड़ी थी की तेरा वाला बुद्धू है, तुझे ही कुछ पहल करनी होगी, और कल जो गुड्डी ने मेरे साथ मेरे सामने आई पिल, माला डी और वैसलीन की बड़ी शीशी खरीदी थी, फिर साफ़ होली के बाद बताया था की उसकी पांच दिन वाली छुट्टी ख़तम हो गयी तो फिर आज की रात, और रीत ने साफ़ साफ़ मुझे बोल भी दिया था, " स्साले, चिकने अगर तू मेरी छोटी बहन का माल न होता न तो बिना तुझे निचोड़े छोड़ती नहीं, हाँ एक बार उसके साथ मस्ती कर ले फिर तो होली के बाद लौटोगे ही, उसी अपनी छोटी बहन के सामने तेरा रेप नहीं किया तो उसकी बड़ी बहन नहीं,
और मैं भी चाहता था की मैं जल्द से जल्द घर पहुंचूं गुड्डी के साथ, तीन साल से सपने देख रहा था और आज जब गुड्डी को ले जाने का टाइम आया तो पहले गुड्डी की सहेली की दूकान पे छोटे चेतन और उसके साथियों से, फिर गूंजा के स्कूल में और अब ये, फिर सबसे बड़ी ाबत मैं बनारस में रुकने का भाभी को क्या बताता, तो मेरा यह रोल मुझे भी सूट कर रहा था और डी बी को भी, डीबी ने मुझे अपने रिस्क पर स्कूल में घुस के गूंजा, महक और शाजिया को निकलवाने का काम किया था और ये बात किसी को ऑफिसियली नहीं बतायी गयी थी
और रीत के जिम्मे बनारस की जिम्मेदारी, बनारस के गली कूचों की उससे ज्यादा किसी को जानकारी नहीं थी, फिर डीबी उसके इंटेलीजेंश के कायल हो गए थे और उन्हें उसपर विशवास भी हो गया था
अब तीन बातें साफ़ साफ़ थी, जिसका कोड z हम लोगो ने रखा था वो लोकल किंग पिन है, दुसरे वो नाव में से गंगा जी से ही चुम्मन से बात करता था और बाकी लोगों से भी नाव से ही कांटेक्ट करता होगा जिससे उसकी काल ट्रेस न हो सके, और तीसरी बात अगर z के फोन का या सिम का भी पता चल जाए और z किसी तरह ट्रेस हो जाए तो लोकल नेटवर्क कम से कम पकड़ में आ सकता है और उसी के साथ उस की काल ट्रेस कर के अगर ये पता चल जाए की उसका आका कौन है तो बाकी प्लानिंग का भी कुछ अंदाजा लग जाएगा।
बिल डी॰बी॰ ने पहले ही पे कर दिया था। हम लोग उतर कर रीत के साथ चल दिए।
कोमल मैम
पूर्व कहानी में हीरो पर अटैक का कोई जिक्र नहीं था
रीत, डीबी और मैं
डी॰बी॰ एक मिनट तक शांत बैठे रहे, फिर अंगड़ाई लेकर बोले ये तो बहुत अच्छा हुआ, अब हम डिसइन्फोर्मेंशन भी फैला सकते हैं।
“मतलब गलत सूचना देकर गुमराह करना…” मैंने रीत को फिर समझाया।
“इतना मुझे भी मालूम है…” वो मुँह बनाकर बोली।
डी॰बी॰ ने कागज कलम निकाली और मुझे और रीत को समझाना शुरू किया।
“अब ये साफ हो गया। ये हमले की तैयारी है। इसका स्ट्रकचर सेल बेस्ड होगा।
यानी एक आदमी जो यहाँ पे काम करने वाला है, वो अपनी टीम खुद रिक्रूट करेगा, लेकिन उससे कम से कम सम्बन्ध रखेगा। वो अपने एक कंट्रोलर को जानकारी देगा वो भी बहुत जरूरत पे और एक ओवर आल कंट्रोलर होगा जो शायद ओवर सीज में हो। जो इसका डायरेक्ट कंट्रोलर है, वो खुद या अपने किसी साथी की सहयता से सपोर्ट सर्विसेज देगा। जैसे इस केस में बाम्ब की सप्प्लाई, इन्फार्मेशन सिकुरिटी एक तीसरा आदमी कंट्रोल करेगा, जो सीधे रिपोर्ट करेगा।
दूसरी बात ये है की इसका मतलब ये मल्टी प्रांग अटैक है और अब हमें इसके हिसाब से प्लान करना होगा…”
रीत बहुत धयान से उस प्लान को देख रही थी और हुंकारी भर रही थी।
“तो पहला काम होगा, अपना कम्युनिकेशन नेटवर्क ठीक करना…” मैंने बोला।
मेरा ध्यान उस बैग पे गया जिसमें महक ने दो ब्लैक बेरी, दो आई पैड और दो टैबलेट रखे थे। दो ब्लैकबेरी और एक टैबलेट निकालकर रीत को पकड़ा दिया।
“ये एक फोन तुम रखो और दूसरा गुंजा के दे देना और ये टैबलेट भी। मैं इनमें इन्क्रिप्शन प्रोग्राम ट्रांसफर कर दे रहा हूँ। तुम इनसे ही मुझसे कान्टैक्ट करना और डी॰बी॰ से भी। बीच-बीच में गुंजा के फोन से…”
“और तुम…” रीत ने सीरियस होकर पूछा।
“मैं तुम्हारे साथ फेसबुक, चैट और ट्विटर के जरिये कान्टैक्ट में रहूँगा…”
मैंने दूसरे टैबलेट की ओर इशारा किया। मेरे फोन पे रिंग करके तुम इशारा कर सकती हो और।
मेरी बात डी॰बी॰ ने बीच में काट दी। उन्होंने अपने कुरते की जेब से लम्बा सा पर्स निकाला और उसमें से 6 सिम निकालकर रख दिए। दो मैंने उठा लिए।
डी॰बी॰ ने मुझे घूर कर देखा और रीत को समझाया- “ये सारे सिम एक्टिव हैं इसमें से तीन फारेन के हैं एक आस्ट्रेलिया, एक साउथ अफ्रीका और एक कनाड़ा और तीन लोकल हैं सारे अन लिमिटेड प्री पेड़ हैं। तुम इसको इश्तेमाल करो और साथ में ये डाटा कार्ड जो प्रीपेड भी है, बहुत फास्ट है और इसकी रेंज बहुत ज्यादा है। मैंने अपना एक फोन एक्टिव करके नम्बर तुम्हें बता दूंगा…”
जब तक डी॰बी॰ रीत को समझा रहे थे मैंने वो नंबर भी मार्लो को भेज दिए। मानिटरिंग के लिए।
रीत ने इसी बीच फोन में सिम लगा भी लिया और बोली मेरे खयाल से एक और आइडिया है मेरा। अगर मैं एक नया अकाउंट फेस बुक पे बनाऊं तो किसी को शक हो सकता है।
कितने एकाउंट है तुम्हारे फेस बुक पे। मैंने पूछा
चार। एक लड़कों के नाम वाला भी है। तो क्या तुम्हीं लोग हर जगह मल्टी एकाउंट बना सकते हो। तो मैं ये कह रही थी की मैं अपनी दो-चार सहेलियों से उनके एकाउंट ले लेती हूँ और उनको बोल दूंगी की जीतनी देर तक मैं इश्तेमाल करूँगी वो लाग आन ना करे…”
“और पासवर्ड…” मैं चौंक कर देख रहा था।
“दे देंगी। हम लोग तुम लोगों की तरह स्वार्थी नहीं होते…” रीत ने आँख नचाकर चिढ़ाया।
डी॰बी॰ ने बोला। नेक्स्ट।
रीत बोली- “मैंने भी कई साइट्स पे जासूसी सीरयल पढ़ा है। हमें उसका जो फोन करता रहता है, कोई कोड रखना पड़ेगा। कब तक ये वो करके बात करते रहेंगे…”
डी॰बी॰ ने कुछ सोचा फिर फैसला सुना दिया। उसका कोड नेम होगा । और मेरी और इशारा करके बोले, तुम्हारा A और रीत तुम्हारा A 2।
रीत ने मेरी ओर देखा। मैंने समझाया अभी शंघाई पिक्चर आई थी ना वो एक ग्रीक सिनेमा पे बनी थी। ग्रीक भाषा में जेड के कई मतलब होते हैं और उसमें से एक मतलब होता है डेथ। उस आदमी के पीछे हम और तुम पड़े हैंउसका कोड होगा Z
डी॰बी॰ ने कहा हम लोगों के पास दो वर्केबल जानकारी है। एक तो नाव से एक खास टाइम पे बात करने वाला आदमी और दूसरा।
मैंने बात पूरी की चुम्मन।
“हाँ उन्होंने बात आगे बढ़ाई, मैं कोशिश करूँगा की किसी तरह उसे वापस ले आऊं लेकिन तब तक जेड के बारे में पता करना पड़ेगा घाट वालों से…”
“वो आप रहने दीजिये। मेरा मतलब मैं जानती हूँ एक सज्जन को। उन्हें बनारस के सारे घाटों के बारे में वहां काम करने वालों के बारे में मालूम है हम लोग उनसे कान्टैक्ट कर सकते हैं। नाम है फेलू दा, पहले कलकत्ता में रहते थे लेकिन उनके एक मित्र थे मानिक दा। उनके गुजरने के बाद से बनारस आ गए हैं और सन्देश भी बहुत अच्छा खिलाते हैं खास तौर से गुड का…” रीत बोली- “मैं आपको उनके पास ले चलती हूँ…”
तो अब तक तीन बातें तय हो गयी थीं और हम तीनो का रोल भी,
मुझे हैकर्स से कांटेक्ट में रहना था, जो इंटेलिजेंस रीत को मिलेगी, या हैकर्स से मिलेगी उसे अनलाइज करना होगा, लेकिन सबसे बड़ी बात, मुझे एकदम बैकग्राउंड में रहना होगा, रीत के अलावा किसी और से कांटेक्ट से बचना होगा, और आज ही जल्द से जल्द गुड्डी के साथ अपने घर आजमगढ़ जाना होगा,
रीत भी यही चाहती थी, गुड्डी के पीछे वही पड़ी थी की तेरा वाला बुद्धू है, तुझे ही कुछ पहल करनी होगी, और कल जो गुड्डी ने मेरे साथ मेरे सामने आई पिल, माला डी और वैसलीन की बड़ी शीशी खरीदी थी, फिर साफ़ होली के बाद बताया था की उसकी पांच दिन वाली छुट्टी ख़तम हो गयी तो फिर आज की रात, और रीत ने साफ़ साफ़ मुझे बोल भी दिया था, " स्साले, चिकने अगर तू मेरी छोटी बहन का माल न होता न तो बिना तुझे निचोड़े छोड़ती नहीं, हाँ एक बार उसके साथ मस्ती कर ले फिर तो होली के बाद लौटोगे ही, उसी अपनी छोटी बहन के सामने तेरा रेप नहीं किया तो उसकी बड़ी बहन नहीं,
और मैं भी चाहता था की मैं जल्द से जल्द घर पहुंचूं गुड्डी के साथ, तीन साल से सपने देख रहा था और आज जब गुड्डी को ले जाने का टाइम आया तो पहले गुड्डी की सहेली की दूकान पे छोटे चेतन और उसके साथियों से, फिर गूंजा के स्कूल में और अब ये, फिर सबसे बड़ी ाबत मैं बनारस में रुकने का भाभी को क्या बताता, तो मेरा यह रोल मुझे भी सूट कर रहा था और डी बी को भी, डीबी ने मुझे अपने रिस्क पर स्कूल में घुस के गूंजा, महक और शाजिया को निकलवाने का काम किया था और ये बात किसी को ऑफिसियली नहीं बतायी गयी थी
और रीत के जिम्मे बनारस की जिम्मेदारी, बनारस के गली कूचों की उससे ज्यादा किसी को जानकारी नहीं थी, फिर डीबी उसके इंटेलीजेंश के कायल हो गए थे और उन्हें उसपर विशवास भी हो गया था
अब तीन बातें साफ़ साफ़ थी, जिसका कोड z हम लोगो ने रखा था वो लोकल किंग पिन है, दुसरे वो नाव में से गंगा जी से ही चुम्मन से बात करता था और बाकी लोगों से भी नाव से ही कांटेक्ट करता होगा जिससे उसकी काल ट्रेस न हो सके, और तीसरी बात अगर z के फोन का या सिम का भी पता चल जाए और z किसी तरह ट्रेस हो जाए तो लोकल नेटवर्क कम से कम पकड़ में आ सकता है और उसी के साथ उस की काल ट्रेस कर के अगर ये पता चल जाए की उसका आका कौन है तो बाकी प्लानिंग का भी कुछ अंदाजा लग जाएगा।
बिल डी॰बी॰ ने पहले ही पे कर दिया था। हम लोग उतर कर रीत के साथ चल दिए।
कोमल मैम
पूर्व कहानी में गुंजा और उसकी सहेलियों का रेस्क्यू कर वापस लौटते समय नायक पर अटैक का कोई जिक्र नहीं था, पर अब है।
तो अटैक करने वालों को नायक और उसके रूट का पता कैसे चला ??
और नायक की मदद करने वालों को भी खतरा हो सकता है।
कहानी के आगामी अपडेट में बहुत सी परतों का खुलासा होगा, ऐसी उम्मीद है।
सादर