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Nice updateअगले दिन सुबह वर्षा ने उठते ही अपना दूध निकाल लिया। वो कल रात वाली गलती नहीं दोहराना चाहती थी। फिर वो अनुराग के कमरे में चाय का प्याला लेकर गई। जब वो उसके कमरे में पहुंची तो अनुराग अब भी सो रहे थे। पर रात वाली घटना कि वजह से शायद वो कोई सपना देख रहे थे। सपना शायद चुदाई वाला था। क्योंकि जब वर्षा उनके कमरे में पहुंची तो देखि कि अनुराग करवट लिए हुए है और पैर के सहारे के लिए जो तकिया रखा था उसको कमर हिलाकर चोद रहे थे। वर्षा ने जब ये देखा तो उसके कदम जहाँ थे वहीँ रुक गए। उसने अपने पिता का लंड पैजामे के अंदर से हिलते हुए देखा। ये देख उसे खुद कुछ होने लगा। उसकी चूत के अंदर लगा जैसे कुछ रेंग रहा हो। उसके हाथ कांपने लगे। कुछ ही पल में उसे होश आ गया। उस लगा कि अब उसके पिता का लंड पानी छोड़ देगा। उसके बाद वो निश्चय ही जग जायेंगे। उसने दबे पाँव वापस आना ही उचित समझा। वो चाय का प्याला लिए वापस आ गई।
पर उसके बाप कि हरकत ने उसके अंदर कि प्यास जगा दी थी। वो जल्दी से अपने कमरे में अटैच्ड बाथरूम में चली जाती है। उसने वहां अपनी नाइटी उतार दी और साथ में पैंटी भी। उसने चूत में ऊँगली करना शुरू कर दिया।
उधर स्खलन के बाद सच में अनुराग कि नींद खुल गई। उन्होंने सपने को याद किया। सपने में वो वर्षा का दूध डायरेक्ट मुँह लगा कर पी रहे थे। दूध पिलाने के बाद सपना ने उन्हें चोदने को कहा। और वो उस वहीँ बिस्तर पर चोदने लगे। अनुराग को सपना याद आते ही अपने ऊपर धिक्कार सा हुआ। वो तुरंत उठकर अपने कपडे बदल लेते हैं। फ्रेश होकर बाहर आये तो देखा वर्षा नहीं थी। पर किचन में चाय का कप रखा हुआ था। वो उस गरम करने लगे।
उधर वर्षा अपने चूत में ऊँगली किये जा रही थी। वो महीनो से प्यासी ही थी। बल्कि बच्चा होने के बाद से उसके और उसके हस्बैंड के बीच सेक्स एकदम ना के बराबर होने लगा था। उस अपने पिता का लंड याद आने लगा। वो सोच रही थी कि स उम्र में भी उसके पिता का लंड कितना कड़क और लम्बा था। पता नहीं सपने वो किसको चोद रहे थे। उसके मन में आया कि काश वो उसकी प्यास ही बुझा रहे होते। ऐसा सोचते ही उसके मुँह से पापा पापा मुझे चोद दो निकला और साथ ही वो स्खलित हो गई। होश आते ही उस अपने ऊपर शर्म आई। उसने तुरंत अपने आपको साफ़ किया और वापस से नाइटी पहन ली।
बाहर निकली तो उसे किचन में आवाज आई। उसने तुरंत ही किचन का रुख किया। उसे ख्याल आया कि अनुराग कि तबियत तो ठीक नहीं है। इसी जल्दीबाजी में वो पैंटी और ब्रा डाले बिना जल्दी ही नाइटी में बाहर आ गई।
यही उसकी सबसे बड़ी गलती थी। वो जल्दी से किचन में गई और अपने पिता को कहा - अरे आप यहाँ क्या कर रहे हैं ?
अनुराग उसे देखते ही होश खो बैठा। बिना ब्रा के नाइटी में वर्षा के मुम्मे एकदम झूल रहे थे। चूँकि वो मास्टरबेट करके आई थी , उसके निप्पल भी एकदम टाइट थे। वो कुछ बोल ही नहीं पाया।
वर्षा - पापा , आप हटिये यहाँ से।
अनुराग - अरे मैं तो बस चाय गरम कर रहा था। कोई प्रॉब्लम नहीं है। इतना तो कर ही सकता हूँ
वर्षा - बिलकुल नहीं। आपको डॉक्टर ने आराम करने को कहा है। आप बैठिये मैं चाय नाश्ता लेकर आती हूँ।
अनुराग चुप चाप धीरे से जाकर डाइनिंग टेबल पर बैठ गए। ओपन किचन होने से वहां से वो वर्षा को पूरा देख सकता था। वर्षा जब काम कर रही थी तो उसके गांड एकदम फ्री होकर थिरक रहे थे। लग रहा था जैसे दो फुले हुए फूटबाल हिल रहे हों। वर्षा के बेटे को हुए दो साल हो गए थे , उसने काफी वेट काम किया था पर शरीर पूरा मांसल था। अभी नाईट फॉल होने के बाद भी अनुराग का लंड फिर से सर उठा रहा था।
वर्षा ने काम करते करते पीछे देखा तो अनुराग उसकी तरफ ही घूर रहे थे। वर्षा को समझ आ गया था कि क्या हो रहा है। वर्षा को पहले तो खुद पर गुस्सा आया कि उसने अंडर गारमेंट्स क्यों नहीं डाले। फिर बाथरूम में पापा के नाम से कि हुई ऊँगली याद आ गई। उसका चेहरा लाल हो गया। वो फिर से गरम होने लगी। उसे अब अपने पिता को रिझाने का मन करने लगा। उसके मन ने कहा कि थोड़ा बहुत फ़्लर्ट कर लेने से क्या हो जायेगा। माँ के मरने के बाद उसके पिता कितने अकेले हो गए हैं। हम सब कि वजह से शादी भी नहीं कि। थोड़ा बहुत तो मजा लेने का हक़ तो है उनका। और उस भी अपने पिता का ख्याल रखना चाहिए।
यही सब सोचते सोचते वो ब्रेड सेंक रही थी। उसने अपने और अपने पिता दोनों के लिए चाय ब्रेड लिया और डाइनिंग टेबल पर आ गई।
उसने जैसे ही झुक कर प्लेट और कप रखा , उसके मुम्मे एकदम से लहरा कर अनुराग के सामने आ गए। नाइटी चेन वाली थी जो थोड़ा ऊपर से खुल गई थी। उस वजह से उसके मुम्मों कि गहराइयाँ भी दिख रही थी। पर वर्षा खुद को ठीक करने कि कोशिश नहीं कर रही थी।
अनुराग का दिमाग चाय और ब्रेड पर कम था। वो वर्षा को चोरी छुपे नजरों से देख भी रहा था और मन ही मन यही सोच रहा था कि हो क्या रहा है। उसे समझ नहीं आ रहा था कि वर्षा ये सब नादानी में अनजान बनते हुए कर रही है या जानबूझकर। आखिर वो भी खेली खाई औरत बन चुकी है। अपने पति से काफी दिन से दूर है , क्या पता उसकी भी जरूरतें हों। इसी उधेड़बुन में वो नाश्ता कर रहा था। वर्षा अपना नाश्ता लगभग ख़त्म कर चुकी थी।
तभी दरवाजे पर घंटी बजी। शायद लता आई थी।
अब वर्षा को अपनी स्थिति का एहसास हुआ। वो वर्षा के सामने ऐसे नहीं जाना चाहती थी। उसने धीरे से अनुराग से कहा - पापा आप दरवाजा खोल देंगे क्या ?
अनुराग - तू खोल दे न।
वर्षा - अरे मैं इस स्थिति में नहीं जाना चाहती।
अनुराग - कैसी स्थिति ?
वर्षा - अरे पापा आप भी न। मैं बिना अंडर गारमेंट्स के हूँ। ऐसे जाउंगी कि तो क्या सोचेंगी कि मैं आपके सामने ऐसे थी। समझो न। आप बोल देना मैं बाथरूम में हूँ।
अनुराग कुछ कह ही नहीं पाए और दरवाजा खोलने को उठ गए। वर्षा भाग कर कमरे में चली गई और अलमीरा से अपने कायदे निकाल लिए।
अनुराग ने दरवाजा खोला तो लता ने कहा - वर्षा कहाँ है ? तुमने दरवाजा क्यों खोला ?
अनुराग - अरे वो बाथरूम में है। मुझे आना पड़ा।
लता - ठीक है। चाय नाश्ता किया ?
अनुराग - हाँ। अभी करके ही उठा हूँ।
घंटी कि आवाज से वर्षा का बीटा भी उठ गया। लता ने उस गोद में उठा लिया और उसके लिए कुछ बनाने चली गई। उसने फ्रिज खोलकर देखा उसमे वर्षा का दूध था। तभी उस याद आया कि रात दूध देना तो वो भूल ही गई थी।
उसने पुछा - रात दूध लिया था ? मैं देना भूल गई थी।
अनुराग - हाँ वर्षा ने दे दिया था। वो अब बच्चे के साथ खेलने लगा।
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Ab to khela ka suruat huaअगले दिन सुबह वर्षा ने उठते ही अपना दूध निकाल लिया। वो कल रात वाली गलती नहीं दोहराना चाहती थी। फिर वो अनुराग के कमरे में चाय का प्याला लेकर गई। जब वो उसके कमरे में पहुंची तो अनुराग अब भी सो रहे थे। पर रात वाली घटना कि वजह से शायद वो कोई सपना देख रहे थे। सपना शायद चुदाई वाला था। क्योंकि जब वर्षा उनके कमरे में पहुंची तो देखि कि अनुराग करवट लिए हुए है और पैर के सहारे के लिए जो तकिया रखा था उसको कमर हिलाकर चोद रहे थे। वर्षा ने जब ये देखा तो उसके कदम जहाँ थे वहीँ रुक गए। उसने अपने पिता का लंड पैजामे के अंदर से हिलते हुए देखा। ये देख उसे खुद कुछ होने लगा। उसकी चूत के अंदर लगा जैसे कुछ रेंग रहा हो। उसके हाथ कांपने लगे। कुछ ही पल में उसे होश आ गया। उस लगा कि अब उसके पिता का लंड पानी छोड़ देगा। उसके बाद वो निश्चय ही जग जायेंगे। उसने दबे पाँव वापस आना ही उचित समझा। वो चाय का प्याला लिए वापस आ गई।
पर उसके बाप कि हरकत ने उसके अंदर कि प्यास जगा दी थी। वो जल्दी से अपने कमरे में अटैच्ड बाथरूम में चली जाती है। उसने वहां अपनी नाइटी उतार दी और साथ में पैंटी भी। उसने चूत में ऊँगली करना शुरू कर दिया।
उधर स्खलन के बाद सच में अनुराग कि नींद खुल गई। उन्होंने सपने को याद किया। सपने में वो वर्षा का दूध डायरेक्ट मुँह लगा कर पी रहे थे। दूध पिलाने के बाद सपना ने उन्हें चोदने को कहा। और वो उस वहीँ बिस्तर पर चोदने लगे। अनुराग को सपना याद आते ही अपने ऊपर धिक्कार सा हुआ। वो तुरंत उठकर अपने कपडे बदल लेते हैं। फ्रेश होकर बाहर आये तो देखा वर्षा नहीं थी। पर किचन में चाय का कप रखा हुआ था। वो उस गरम करने लगे।
उधर वर्षा अपने चूत में ऊँगली किये जा रही थी। वो महीनो से प्यासी ही थी। बल्कि बच्चा होने के बाद से उसके और उसके हस्बैंड के बीच सेक्स एकदम ना के बराबर होने लगा था। उस अपने पिता का लंड याद आने लगा। वो सोच रही थी कि स उम्र में भी उसके पिता का लंड कितना कड़क और लम्बा था। पता नहीं सपने वो किसको चोद रहे थे। उसके मन में आया कि काश वो उसकी प्यास ही बुझा रहे होते। ऐसा सोचते ही उसके मुँह से पापा पापा मुझे चोद दो निकला और साथ ही वो स्खलित हो गई। होश आते ही उस अपने ऊपर शर्म आई। उसने तुरंत अपने आपको साफ़ किया और वापस से नाइटी पहन ली।
बाहर निकली तो उसे किचन में आवाज आई। उसने तुरंत ही किचन का रुख किया। उसे ख्याल आया कि अनुराग कि तबियत तो ठीक नहीं है। इसी जल्दीबाजी में वो पैंटी और ब्रा डाले बिना जल्दी ही नाइटी में बाहर आ गई।
यही उसकी सबसे बड़ी गलती थी। वो जल्दी से किचन में गई और अपने पिता को कहा - अरे आप यहाँ क्या कर रहे हैं ?
अनुराग उसे देखते ही होश खो बैठा। बिना ब्रा के नाइटी में वर्षा के मुम्मे एकदम झूल रहे थे। चूँकि वो मास्टरबेट करके आई थी , उसके निप्पल भी एकदम टाइट थे। वो कुछ बोल ही नहीं पाया।
वर्षा - पापा , आप हटिये यहाँ से।
अनुराग - अरे मैं तो बस चाय गरम कर रहा था। कोई प्रॉब्लम नहीं है। इतना तो कर ही सकता हूँ
वर्षा - बिलकुल नहीं। आपको डॉक्टर ने आराम करने को कहा है। आप बैठिये मैं चाय नाश्ता लेकर आती हूँ।
अनुराग चुप चाप धीरे से जाकर डाइनिंग टेबल पर बैठ गए। ओपन किचन होने से वहां से वो वर्षा को पूरा देख सकता था। वर्षा जब काम कर रही थी तो उसके गांड एकदम फ्री होकर थिरक रहे थे। लग रहा था जैसे दो फुले हुए फूटबाल हिल रहे हों। वर्षा के बेटे को हुए दो साल हो गए थे , उसने काफी वेट काम किया था पर शरीर पूरा मांसल था। अभी नाईट फॉल होने के बाद भी अनुराग का लंड फिर से सर उठा रहा था।
वर्षा ने काम करते करते पीछे देखा तो अनुराग उसकी तरफ ही घूर रहे थे। वर्षा को समझ आ गया था कि क्या हो रहा है। वर्षा को पहले तो खुद पर गुस्सा आया कि उसने अंडर गारमेंट्स क्यों नहीं डाले। फिर बाथरूम में पापा के नाम से कि हुई ऊँगली याद आ गई। उसका चेहरा लाल हो गया। वो फिर से गरम होने लगी। उसे अब अपने पिता को रिझाने का मन करने लगा। उसके मन ने कहा कि थोड़ा बहुत फ़्लर्ट कर लेने से क्या हो जायेगा। माँ के मरने के बाद उसके पिता कितने अकेले हो गए हैं। हम सब कि वजह से शादी भी नहीं कि। थोड़ा बहुत तो मजा लेने का हक़ तो है उनका। और उस भी अपने पिता का ख्याल रखना चाहिए।
यही सब सोचते सोचते वो ब्रेड सेंक रही थी। उसने अपने और अपने पिता दोनों के लिए चाय ब्रेड लिया और डाइनिंग टेबल पर आ गई।
उसने जैसे ही झुक कर प्लेट और कप रखा , उसके मुम्मे एकदम से लहरा कर अनुराग के सामने आ गए। नाइटी चेन वाली थी जो थोड़ा ऊपर से खुल गई थी। उस वजह से उसके मुम्मों कि गहराइयाँ भी दिख रही थी। पर वर्षा खुद को ठीक करने कि कोशिश नहीं कर रही थी।
अनुराग का दिमाग चाय और ब्रेड पर कम था। वो वर्षा को चोरी छुपे नजरों से देख भी रहा था और मन ही मन यही सोच रहा था कि हो क्या रहा है। उसे समझ नहीं आ रहा था कि वर्षा ये सब नादानी में अनजान बनते हुए कर रही है या जानबूझकर। आखिर वो भी खेली खाई औरत बन चुकी है। अपने पति से काफी दिन से दूर है , क्या पता उसकी भी जरूरतें हों। इसी उधेड़बुन में वो नाश्ता कर रहा था। वर्षा अपना नाश्ता लगभग ख़त्म कर चुकी थी।
तभी दरवाजे पर घंटी बजी। शायद लता आई थी।
अब वर्षा को अपनी स्थिति का एहसास हुआ। वो वर्षा के सामने ऐसे नहीं जाना चाहती थी। उसने धीरे से अनुराग से कहा - पापा आप दरवाजा खोल देंगे क्या ?
अनुराग - तू खोल दे न।
वर्षा - अरे मैं इस स्थिति में नहीं जाना चाहती।
अनुराग - कैसी स्थिति ?
वर्षा - अरे पापा आप भी न। मैं बिना अंडर गारमेंट्स के हूँ। ऐसे जाउंगी कि तो क्या सोचेंगी कि मैं आपके सामने ऐसे थी। समझो न। आप बोल देना मैं बाथरूम में हूँ।
अनुराग कुछ कह ही नहीं पाए और दरवाजा खोलने को उठ गए। वर्षा भाग कर कमरे में चली गई और अलमीरा से अपने कायदे निकाल लिए।
अनुराग ने दरवाजा खोला तो लता ने कहा - वर्षा कहाँ है ? तुमने दरवाजा क्यों खोला ?
अनुराग - अरे वो बाथरूम में है। मुझे आना पड़ा।
लता - ठीक है। चाय नाश्ता किया ?
अनुराग - हाँ। अभी करके ही उठा हूँ।
घंटी कि आवाज से वर्षा का बीटा भी उठ गया। लता ने उस गोद में उठा लिया और उसके लिए कुछ बनाने चली गई। उसने फ्रिज खोलकर देखा उसमे वर्षा का दूध था। तभी उस याद आया कि रात दूध देना तो वो भूल ही गई थी।
उसने पुछा - रात दूध लिया था ? मैं देना भूल गई थी।
अनुराग - हाँ वर्षा ने दे दिया था। वो अब बच्चे के साथ खेलने लगा।
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