वर्षा अपने पापा के कमरे में पहुंची। अनुराग उसका इंतजार ही कर रहा था। कमरे में परछाईं देख कर वो बैठ गया।
उसने धीरे से कहा - वर्षा , इतनी देर क्यों कर दी।
वर्षा एकदम से जाकर उससे लिपट गई।
दोनों बाप बेटी ऐसे मिल रहे थे जैसे वर्षों के बछडे प्रेमी और प्रेमिका। एक दुसरे के चेहरे पर चुम्बनों की बरसात हो रही थी। दोनों के जीभ एक दुसरे के मुँह में ऐसे घुसे हुए थे जैसे मुँह के रास्ते ही अंदर समां जायेंगे। अनुराग के दोनों हाथ पहले तो वर्षा के पीठ को सहलाते रहे फिर अनुराग ने उसके गोल गांड को भींचना शुरू कई दिया। दोनों खड़े खड़े ही एक दुसरे को आपस में रगड़ रहे थे। वर्षा की नाइटी उतर चुकी थी और अनुराग का बनियान और लुंगी भी। कुछ देर ऐसे हो चुम्मा छाती के बाद वर्षा अनुराग को धकेलते हुए बेड के पास ले गई और उसे बिठा दिया और खुद घुटने के बल बैठ गई । फिर बड़े प्यार से उसने अनुराग के सुपाड़ी को चूमा और बोली - कितना मिस किया इसको पापा।
अनुराग - आह ,, इसने भी मिस किया। लग रहा है तू कितने सालों से दूर है। जरा इसे प्यार तो कर।
वर्षा - करुँगी पापा , आराम से करुँगी। बेचारा मेरे प्यार का भूखा है
अनुआग - हाँ , जरा मुँह में तो लो।
वर्षा ने उसके लंड को मुँह में भर लिया और चूसने लगी। अनुराग का हाथ उसके बालों को सहलाने में लगा था। वर्षा के दोनों हाथ उसके जांघो पर थे। वर्षा उसके लंड को उसे अपने गले तक भर ले रही थी। उसका लंड वर्षा के थूक से सना हुआ था। कुछ देर की चुसाई के बाद जैसे ही अनुराग को लगा उसका लंड पानी छोड़ देगा उसने वर्षा के सर को पाकर लिया और बालों से ऊपर निचे करने लगा। उसका लंड वर्षा के गले तक पहुंच जा रहा था। वर्षा को सफोकेशन हो रहा था पर वो भी प्यासी थी। उसने अपने पिता को रोका नहीं। कुछ ही देर में अनुराग के लंड ने उसके मुँह में पानी छोड़ दिया और उसने वर्षा को छोड़ दिया। छूटते ही वर्षा जोर जोर से खांसने लगी। उसके खांसी की आवाज इतनी तेज थी कि रूबी और उसकी सास पुनिता दोनों अपने कमरे से बाहर आ गये। रूबी अपने पिता के कमरे कि तरफ भागी। उसको उधर जाता देख पुनिता भी उधर दौड़ पड़ी। उधर कमरे में वर्षा खांस रही थी और अनुराग उसको पानी देते हुए कह रहा था - मुझे माफ़ कर दे बेटी। मुझसे रहा नहीं गया।
रूबी दोनों को इस हालत में देख कर बोली - पापा , थोड़ा तो साबरा कर लेते। ऐसी भी क्या बेताबी थी। इसे कुछ हो जाता तो ?
पुनिता को तो माजरा समझने में थोड़ा टाइम लगा पर जैसे ही उन्हें समझ आया बोल पड़ी - क्या समधी जी , थोड़ा तो ध्यान दीजिये।
पुनिता कि आवाज सुन कर अनुराग को होश आया। उसने तुरंत अपनी लुंगी खोजने कि कोशिश की। तब तक तो देर हो चुकी थी। पुनिता उसके बड़े से लंड को देख चुकी थी।
रूबी - रहने दीजिये , अब इस संपोले को ढक कर क्या फायदा। आज नहीं तो कल पुनिता ऑन्टी के साथ भी यही होना है।
पुनिता - ना रे भाई , मुझसे तेरे पापा का लंड ना निगला जायेगा। मुझे तो अब अपनी चूत के लिए भी डर लगने लगा है। फाड़ के भोसड़ा बना देंगे तेरे पापा।
अब तक वर्षा भी संभल चुकी थी। उसने कहा - भोसड़ा बनवाने के लिए ही तो आईं हैं। कहिये अभी बनवा दूँ।
पुनिता पलट कर जाते हुए बोली - ना बाबा ना। मुझे ना करवाना ये सब। तू अपनी चूत का भोसड़ा बनवा मैं तो चली।
उन्हें वापस जाता हुआ देख वर्षा ने रूबी से कहा - अब तू भी जायेगी या गांड में बम्बू करवाऊं।
रूबी हँसते हुए - जाती हूँ। पापा कैरी ऑन। बहुत दिनों बाद मिली है इसका मतलब ये नहीं की इसकी चूत फाड़ देना आराम से।
उनके जाते ही वर्षा अपने पिता से वापस लिपट गई और उसे चूमने लगी। अनुराग का लंड जो कमरे बिन बुलाये मेहमान के आने से ठंढा पद गया था फिर से जोश में आने लगा। पर इस बार अनुराग ने वर्षा को बिस्तर पर लिटा दिया और उसके पुरे बदन को चूमने और चाटने लगा। उसके गले से शुरू होकर उसके बूब्स फिर उसके पेट और नाभि से खेलते खेलते वो उसके जांघो के जोड़ तक पहुँच गया। उसने कोई जल्दीबाजी ना दिखाते हुए उसके चूत को युहीं छोड़ दिया और उसके चिकने सपाट जांघो को चूमना शुरू कर दिया। अनुराग की इस हरकत से वर्षा एकदम मस्त हो गई। उसकी चूत ने पानी छोड़ना शुरू कर दिया।
वर्षा - इस्सस पापा आग लगा दिया है आपने। प्लीज मेरी मुनिया को भी प्यार करो न। देखो उसके बहते आंसुओं को देखो।
अनुराग - बस बेटा बस। अब उसी का नंबर है।
ऐसा कहकर अनुराग ने उसके चूत पर मुँह लगा दिया। उसके जीभ के टच होते ही वर्षा चीख पड़ी - उफ्फ्फ्फ़ पापपायआ
अनुराग ने अब कुत्ते की तरह उसकी चूत पर जीभ फेरना शुरू कर दिया।
वर्षा ने उसके सर के बालों को पकड़ लिया और बोली - पापा , आह ऐसे ही चुसो। खा जाओ मेरी चूत को। आह आह ाआअह, मैं तो गई।
अनुराग बड़े मजे से उसके चूत से बहते पानी को पी रहा था। अपने एक हाथ के अंगूठे और इंडेक्स फिंगर से वो वर्षा के क्लीट को मसल रहा था । अपने दुसरे हाथ से ऊपर वो उसके मुम्मे दबा रहा था। वर्षा उत्तेजना के चरम पर थी। कुछ हो पल में वो कांपने लगी। उसकी मुनिया जवाब दे चुकी थी। उसने अनुराग के सर को अपने जांघो में भींच लिया। वो अपने चरम स्थिति में पहुँच चुकी थी। उसकी चूत ने बारिश कर दी थी और अनुराग उस बारिश की एक एक बूँद को पी रहा था। वर्षा एकदम से शांत पद गई थी। अनुराग ऊपर की तरफ सरक पर वर्षा के बगल में लेट गया और उसके चेहरे को देखने लगा। उस चेहरे में उसे अपनी पत्नी सुलेखा ही नजर आ रही थी। प्यार भरा चेहरा जो उसका इतना ख्याल रखता है। जो पुरे परिवार का ख्याल रखता है। वो प्यार से उसके गाल को सहला रहा था। वर्षा उसकी तरफ करवट करके लेट गई और बोली - क्या हुआ ?
अनुराग - तुम कितना प्यार करती हो मुझसे।
वर्षा - बहुत ज्यादा पर नैना से थोड़ा कम।
अनुराग - तुम दोनों मुझे बहुत प्यार करते हो और मैं तुम दोनों से।
वर्षा - फिलहाल तो मेरे मुम्मे आपका प्यार चाहते हैं। आपको पीना नहीं है ?
अनुराग ने उसके स्तनों की तरफ देखा और बोला - थोड़े बड़े लग रहे हैं।
वर्षा ने खुद से उन्हें छो कर कहा - हाँ , मुझे भी लग रहा है जैसे इनमे वापस दूध भर रहा हो। शायद मैं प्रेग्नेंट हूँ। इस बार मेरा पीरियड मिस हो चूका है।
अनुराग खुश हो गया और कहा - वाह , मैं बाप बनाने वाला हूँ ?
वर्षा शर्मा कर बोली - हाँ और नाना भी। पर अभी किसी को कहियेगा नहीं। दो तीन दिन में टेस्ट करुँगी।
अनुराग - तब तो तुम्हे अपना ख्याल रखना चाहिए।
वर्षा - और आपका ख्याल रखने के लिए पुनिता माँ।
अनुराग - हाहाहाःहाहा
वर्षा - माल हैं न ?
अनुराग - हाँ।
वर्षा - तो फिर कब उनका नंबर लगा रहे हैं ?
अनुराग - आज तुम्हारी हालत देखने के बाद का उनका रिएक्शन देख कर लगता नहीं कि जल्दी हाथ आएंगी।
वर्षा - बड़ी प्यासी है और चुदास भी। अभी लंड लेकर चढ़ेंगे तो भी मन नहीं करेंगी।
अनुराग - रहने दे।