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Incest परिवार में सेक्स का मज़ा

abmg

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बहुत ही शानदार लाजवाब और जबरदस्त मदमस्त अपडेट है भाई मजा आ गया
आखिर महेश ने अपनी बहु को अपने जाल में फसाकर उसका फायदा उठा कर उसे चोदने वाला हैं और वहीं दाव अपनी बेटी ज्योती पर भी फेंक दिया
खैर देखते हैं आगे क्या होता है
अगले रोमांचकारी धमाकेदार और चुदाईदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा

Next update probably tomorrow
 
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abmg

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Episode 6



स्टोरी के पिछले भाग में अपने पीया महेश के साथ अपनी पत्नी को नंगी लेटे हुए देख कर समीर सोच में पड़ गया. समीर सोच रहा था कि कहां उसकी पत्नी उसके पीछे-पीछे भागती थी और आज वो उसके साथ खाना भी नहीं खा रही है. इधर बाहर टीवी देखते हुए महेश ने नीलम की गांड पर अपना लंड लगा दिया तो नीलम बहकने लगी और उसकी आंखें बंद हो गईं. इसी बीच महेश की बेटी ज्योति वहां पर आ गई और बाप-बेटी में चुदाई को लेकर चर्चा होने लगी.

अब आगे की स्टोरी का मजा लें:

“ह्म्म.. तुमने ठीक आदमी को चुना. अगर तुम यह काम बाहर करती तो हमारी ही बदनामी होती. और समीर का भी क्या क़सूर … तुम हो ही इतनी ख़ूबसूरत कि तुम्हें देखकर किसी भी आदमी का खड़ा हो जाए!” महेश ने इस बार अपने हाथ को अपनी बेटी की पेंटी तक लाकर उसे सहलाते हुए कहा।

“पिता जी आप यह क्या कह रहे हैं? मैं आपकी बेटी हूँ.” ज्योति अपने पिता के हाथ को अपने हाथ से पकड़ते हुए बोली।
उसे हैरानी हो रही थी कि उसका बाप भी उसके बारे में ऐसा कह सकता है।

“तो क्या हुआ बेटी, जब तुमने अपने भाई का चख लिया है तो फिर मुझसे क्यों शरमाती हो?” महेश ने ज्योति के हाथ को अपनी धोती के ऊपर से ही अपने खड़े लंड पर रखते हुए कहा।

अपना हाथ अपने पिता के लंड पर लगते ही ज्योति का सारा जिस्म कांप उठा और उसने अपने हाथ को फ़ौरन वहां से हटा दिया।
“क्यों बेटी… अच्छा नहीं लगा क्या? तेरे भाई से ज्यादा तगड़ा है.” महेश ने हँसते हुए कहा।

ज्योति का चेहरा शर्म से लाल हो चुका था। उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करे, उसके पिता की नॉनवेज हरकतें उसकी साँसें ज़ोर से चल रही थीं। ज्योति अचानक वहां से उठकर अपने कमरे में चली गयी. अपने कमरे में आकर ज्योति ने दरवाज़ा अंदर से बंद कर दिया।

वो बेड पर बैठकर ज़ोर से हाँफने लगी. उसका पूरा जिस्म गर्म हो चुका था। उसे बार बार अपने हाथ पर अपने पिता के लंड का अहसास हो रहा था। ज्योति अपना हाथ अपने पिता के लंड पर लगते ही समझ गयी थी कि उसके पिता का लंड बहुत मोटा और लम्बा है मगर वह अपने पिता के साथ यह सब कुछ करने का सोच भी नहीं सकती थी इसीलिए वह वहां से भाग आई थी।

इधर नीलम ने अपने कमरे में आते ही दरवाज़ा अंदर से बंद कर लिया और सोफ़े पर बैठ गयी। नीलम की साँसें अब भी फूली हुई थीं. उसे अपने ऊपर बहुत गुस्सा आ रहा था. वह खुद नहीं जानती थी कि उसके ससुर में क्या जादू है कि वह उसकी बातों में फँस जाती है और वह सब कर जाती है जिसकी वह कल्पना भी नहीं कर सकती.

नीलम ने कुछ देर तक सोचते रहने के बाद यह फैसला कर लिया कि चाहे जो भी हो जाये अब वह अपने ससुर को अपने क़रीब नहीं आने देगी।

दिन ऐसे ही बीत गया। रात हो गई. सभी खाना खाने के बाद अपने कमरों में जाकर सोने की कोशिश कर रहे थे।
“डार्लिंग, क्या अब भी नाराज़ हो?” समीर ने नीलम को पीछे से अपनी बांहों में भरते हुए कहा।
“ह्म्म्म … तुम जब तक अपनी बहन का साथ नहीं छोड़ते मैं तुमसे बात नहीं करने वाली!” नीलम ने ख्यालों से निकलते हुए अपने पति से कहा और उसकी बांहों से जुदा होते हुए आगे होकर लेट गयी।

समीर कुछ देर तक चुप होकर वहीं बैठा रहा और फिर वहां से उठकर अपनी बहन के कमरे में चला गया। समीर ने अंदर दाखिल होते ही दरवाज़ा अंदर से बंद कर दिया।
“भैया आप आ गये!” समीर के क़रीब आते ही ज्योति ने बेड से उठकर उसको गले से लगकर रोते हुए कहा।

“क्यों पगली क्या हुआ तुम्हें?” समीर ने हैरान होते हुए कहा। उसे शक हो रहा था कि कहीं नीलम ने तो उसे कुछ नहीं कहा।
“भैया कुछ नहीं!” ज्योति ने अपनी आँखों से आंसू पौंछते हुए कहा. वह अपने पिता के बारे में समीर को बताने से डर रही थी।

“सच बताओ ज्योति, क्या हुआ? तुम्हें मेरी कसम मैं तुम्हें दुखी नहीं देख सकता.” समीर ने अपनी बहन को बेड पर बिठाते हुए कहा।
“भैया आपने यह क्या कह दिया, अपनी कसम क्यों दे दी मुझे?” ज्योति ने अपने भाई की कसम को सुनकर उसके होंठों पर अपना हाथ रखते हुए कहा और फिर सारी बात समीर को बता दी।

“ज्योति इसी बात से तो मैं भी परेशान हूँ मैंने ऑफिस से लौटते हुए अपनी बीवी और बापू को एक दूसरे के साथ नंगा सोते हुए देखा था.” समीर ने मायूस होते हुए कहा।
“भैया आप चिंता मत करो, सब कुछ ठीक हो जायेगा.” ज्योति से अपने भैया का गम देखा नहीं गया इसीलिए उसने अपनी नाइटी को उतारकर अपने भैया को अपनी गोद में लिटा दिया।

समीर ने अपनी बहन के सर को पकड़कर उसके होंठों पर अपने होंठों को रख दिया और दोनों भाई बहन सारी बातें भूल कर एक दूसरे के आगोश में खो गये और नॉनवेज काम में लीन हो गए।
इधर महेश अपनी पत्नी के सोते ही अपने कमरे से निकलकर अपनी बहू के पास उसके कमरे में जाने लगा. महेश ने कमरे में दाखिल होते ही दरवाज़ा अंदर से बंद कर दिया।

नीलम उस वक़्त सिर्फ नाईट ड्रेस पहन कर लेटी हुई थी. वह अपने ससुर को देखकर सीधी होकर बैठ गई।
“पिता जी, मैं आपसे कुछ कहना चाहती हूं.” नीलम ने अपने ससुर के क़रीब आते ही उससे थोड़ा दूर होते हुए कहा।
“हाँ कहो बेटी, मगर तुम मुझसे दूर क्यों हो रही हो?” महेश ने हैरान होते हुए कहा।

“पिता जी मुझे कुछ अच्छा नहीं लग रहा है, प्लीज आप मुझे अकेला छोड़ दो। मैं आपके साथ यह सब नहीं कर सकती.” नीलम ने रोने जैसी सूरत बनाते हुए अपने ससुर से कहा।
“मगर बेटी मैंने वादा किया है कि तुम्हारी इच्छा के बिना मैं कुछ नहीं करूंगा.” महेश ने अपनी बहू के बदले हुए तेवर को भांप लिया था.

“हाँ पिता जी, आपका कोई क़सूर नहीं है. सारा क़सूर मेरा ही है. आपके क़रीब आते ही मैं अपना कण्ट्रोल खो देती हूँ इसीलिए मैंने फैसला किया है कि आज के बाद मैं आपके क़रीब नहीं आऊँगी.” नीलम ने अपने ससुर को देखते हुए कहा।

“ठीक है बेटी जैसी तुम्हारी मर्ज़ी, मैं तो सिर्फ तुम्हें खुश देखना चाहता हूँ.” महेश ने अपना मुंह लटकाते हुए कहा।
“थैंक्स पिता जी, मगर आप मुझसे ख़फ़ा तो नहीं हैं?” नीलम ने अपने ससुर का लटका हुआ मुँह देखकर पूछा।
“नहीं बेटी, मैं भला तुमसे कैसे नाराज़ हो सकता हूं.”

“फिर बापू जी आपने अपना मुँह क्यों लटकाया हुआ है?”
“वो बेटी … मैंने आज सोचा था कि तुम्हारे ख़ूबसूरत जिस्म को देखकर मैं इसे अपने हाथ से ही शांत कर दूंगा मगर मेरा नसीब ही ख़राब है.” महेश ने अपने खड़े लंड के ऊपर से धोती को हटाते हुए कहा।

“पिता जी आप भी …” नीलम ने अपने ससुर के खड़े मूसल लंड को इतना क़रीब से देख कर शरमाते हुए अपनी नज़रें नीचे झुकाकर बोली।

“बेटी क्या मेरे लिए तुम मेरा एक काम कर सकती हो?” महेश ने अपने शैतानी दिमाग से आखरी दांव चलने की कोशिश की क्योंकि वह जानता था कि अपनी बहू नीलम की किस कमजोरी का फायदा वो आसानी से उठा सकता है।
“क्या पिता जी?” नीलम ने वैसे ही अपनी नज़रें झुकाये हुए पूछा।
“बेटी, तुम कहीं नाराज़ तो नहीं होगी?” महेश ने अपनी बहू से पूछा।

“पिता जी आपने मेरे लिए इतना कुछ किया है, मैं भला आपसे नाराज़ कैसे हो सकती हूं?”
“बेटी सिर्फ एक बार तुम मेरे सामने बिल्कुल नंगी हो जाओ। मैं तुम्हारे सारे जिस्म को एक बार गौर से अपनी आँखों में समेटना चाहता हूँ मेरा तुमसे वादा है कि इसके बाद मैं कभी भी तुम्हारे क़रीब नहीं आऊंगा.” महेश ने अपना आखरी पत्ता फ़ेंका।
“पिता जी आप यह क्या कह रहे हो?” नीलम का पूरा शरीर अपने ससुर की बात को सुनकर सिहर उठा और उसने शर्म से दबी हुयी आवाज़ में कहा।

“मुझे पता था बेटी, तुम इन्कार कर दोगी. इसीलिए तो मैं तुमसे यह सब नहीं कहना चाहता था। बेवजह तुम्हारी नज़रों में मेरी इज्ज़त और कम हो गयी.” महेश ने अपनी बहू की बात सुनकर चेहरा लटका लिया।
“नहीं पिता जी, आपकी इज्ज़त मेरे सामने कभी नहीं घट सकती.” नीलम ने अपने ससुर को समझाते हुए कहा।
“मैं जानता हूँ कि तुम यह सब मुझे दिलासा देने के लिए कह रही हो वरना क्या मेरी इतनी सी बात को तुम नहीं मानती?” महेश ने अपनी बहू की बात को सुनकर बनावटी गुस्सा दिखाया।

नीलम को कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करे, उसका दिमाग ज़ोर से चकरा रहा था।
“ठीक है पिता जी, मैं तैयार हूँ. मगर आप मेरे जिस्म को सिर्फ देखेंगे उस पर अपना हाथ नहीं लगाएँगे.” आखिरकार नीलम ने हार मानते हुए कहा क्योंकि वह अपने ससुर को किसी कीमत पर भी दुखी नहीं करना चाहती थी। नीलम ने सोचा कि एक बार अपना जिस्म दिखाने में भला उसका क्या बिगड़ जाएगा उसके बाद तो सारी ज़िंदगी उसकी जान छूट जायेगी।

“ओह्हह बेटी, मुझे अपने कानों पर यकीन नहीं हो रहा है। तुमने मेरी बात मान ली थैंक्स बेटी, मैं तुम्हारा अहसान सारी ज़िंदगी भर याद रखूँगा.” महेश ने अपनी बहू की बात सुन कर खुश होते हुए कहा।
“पिता जी मैं आपको दुखी नहीं देख सकती, मगर आज के बाद आप मुझे कभी कुछ करने को नहीं कहोगे.” नीलम ने अपने ससुर की बात सुन कर बेड से नीचे उतरते नंगी होने की तैयारी करते हुए कहा।

“नहीं बेटी, मैं तुमसे कभी कुछ नहीं कहूँगा. अब जल्दी से तुम मेरी बात को पूरी करो.” महेश ने अपनी बहू की तरफ हवस भरी नजरों से देखा क्योंकि उसका लंड पहले से ही तनतना रहा था और ज़ोर से उछल रहा था।
“पिता जी आप अपना मुँह उस तरफ कर लो, मुझे आपके सामने कपड़े उतारने में शर्म आती है।”
“अरे बेटी जब मैं तुम्हें नंगी देख चुका हूं और फिर से नंगी देखने वाला हूं तो फिर तुम ऐसे क्यों शरमा रही हो?”

“पिता जी शायद आप ठीक कह रहे हैं.” नीलम ने अपने ससुर से कहा और अपनी साड़ी को अपने जिस्म से अलग करती हुई उतारने लगी। नीलम कपड़े उतारते हुए अपने ससुर की तरफ नहीं देख रही थी क्योंकि उसे शर्म आ रही थी।

नीलम ने साड़ी उतारने के बाद अपने ब्लाउज और पेटीकोट को भी खोल दिया। इधर अपनी बहू को सिर्फ एक छोटी सी पेंटी और ब्रा में देख कर महेश का बुरा हाल हो चला था. वह अपनी धोती को उतारकर अपने मूसल लंड को सहला रहा था, नीलम ने अपनी ब्रा को आगे से नीचे सरका दिया और उसके हुक्स को आगे करके एक एक करके खोला और ब्रा को नीचे फ़ेंक दिया।

“आह्ह्ह्ह … बेटी दुनिया की सब से हसीन लड़की हो तुम!” अपनी बहू की ब्रा के उतरते ही उसकी गोरी गोरी चूचियों को देखकर महेश के मुँह से निकल गया।
“पिता जी आप क्यों नंगे हो गये?” अचानक अपने ससुर की आवाज़ सुनकर नीलम ने उसकी तरफ देखा मगर अगले ही पल वह अपने ससुर के मूसल लंड को देखकर शर्म के मारे अपनी नज़रें नीची करते हुए बोली,
“ओहहहह बेटी क्या करुं, तुम्हारे जिस्म को देख कर यह ज्यादा उतावला हो जाता है. मगर तुम ऐसे शरमाओ मत। जिस तरह मैं तुम्हारे जिस्म को अपनी आँखों में समाना चाहता हूँ वैसे ही तुम भी आज अपने इस दीवाने की तस्वीर अपनी आँखों में क़ैद कर लो.” महेश ने अपनी बहू को हवस भरी नजरों से ताड़ा.

“पिता जी बस कीजिये!” नीलम ने शर्म से लाल होते हुए कहा और वह अपनी पेंटी में हाथ डालकर अपने जिस्म से उतारने लगी। पेंटी के उतरते ही नीलम बिल्कुल नंगी अपने ससुर के सामने खड़ी थी।
“वाह बेटी क्या जिस्म है… मैं तो सच में तुम्हारे सारे जिस्म को देखकर पागल हो गया हूँ.” महेश ने अपनी बहू की हल्के बालों वाली भूरी चूत को घूरते हुए कहा।

“पिता जी, जल्दी से देख लो। मैं ज्यादा देर तक आपके सामने नंगी नहीं रह सकती.” नीलम ने अपने ससुर की बात सुनकर कहा। नीलम का जिस्म अपने ससुर की बातों को सुनकर गर्म हो रहा था। इसीलिए वह जल्दी से कपड़े पहनना चाहती थी।
“अरे यह क्या बात हुई बेटी? इससे अच्छा था कि तुम मेरी बात मानती ही नहीं.” महेश ने नाराज़ होने का नाटक सा किया।
“क्यों पिता जी, क्या हुआ, आप तो नाराज़ हो गये। अच्छा सॉरी… आप तसल्ली से मुझे देख लो, मुझे कोई जल्दी नहीं” नीलम ने अपने ससुर की बात को सुनकर कहा क्योंकि वह उनके सामने नंगी तो हो चुकी थी। इसीलिए उसने सोचा अब उसे नाराज़ करने का क्या फ़ायदा थोड़ी देर में भला उसका क्या बिगड़ जाएगा।

“सच बेटी, तुम बहुत अच्छी हो, मगर तुम शरमाती ज्यादा हो. जब तक मैं तुम्हें देख रहा हूँ तुम भी मुझे देखो ना …”

नीलम का सिर झुका हुआ था इसलिए जैसे ही महेश उसके सामने जाकर खड़ा हुआ उसका फनफनाता हुआ लंड सीधा नीलम की आँखों के सामने आ गया। नीलम की साँसें अपने ससुर के लंड को इतना क़रीब से देखकर उखड़ने लगीं और उसका पूरा जिस्म गर्म होने लगा, महेश का लंड बुहत ज़ोर से झटके खा रहा था। नीलम की आँखें अब भी अपने ससुर के लंड पर टिकी हुयी थीं. उसे अपने ससुर का मूसल लंड उछलते हुए अपनी नजरों के सामने बहुत अच्छा लग रहा था।

“क्यों बेटी, कैसा लगा तुम्हें मेरा यह बदमाश?” महेश ने अपनी बहू को अपने लंड की तरफ घूरते हुए देखकर अपने हाथ से अपने लंड को पकड़ते हुए पूछ लिया।
“पिता जी बहुत हो चुका, मैं अब कपड़े पहनना चाहती हूं.” अपने ससुर की बात को सुनकर अचानक नीलम को होश आया और वह अपने ससुर से थोड़ा दूर हटकर बोली।
“बेटी तुम इतना क्यों डर रही हो. अब कैसा डर है हमारे बीच में … तुम कुछ ज्यादा ही शर्मीली हो इसलिए मुझे ही कुछ करना होगा.” महेश ने अपनी बहू को अपनी बाँहों में उठाकर बेड पर ले जाकर लिटा दिया।

“पिता जी आप यह क्या कर रहे हैं? आपने वादा किया था कि आप सिर्फ मुझे देखोगे.” कहते हुए नीलम की साँसें ज़ोर से चल रही थीं। महेश के हाथ का स्पर्श नीलम को अब भी अपनी कमर और जांघों पर पर महसूस हो रहा था।

“हाँ मुझे याद है और मैं तुम्हारी मर्ज़ी के ख़िलाफ तुम्हें हाथ भी नहीं लगाऊँगा, बस मैंने तुम्हें यहाँ पर लिटाने के लिए ही अपने हाथ का इस्तेमाल किया क्योंकि मैं तुम्हारे सारे जिस्म को अच्छी तरह से देखकर अपनी आँखों में समेटना चाहता हूं.” महेश ने भी बेड पर चढ़ते हुए कहा।
“पिता जी, देख तो लिया अब बाकी क्या रहा है?” नीलम ने परेशान होते हुए कहा।
“अरे बेटी, अभी कहाँ देखा है … तुम अपने बाज़ू को ऊपर करके सीधी लेट जाओ। मैं तुम्हें सर से लेकर पाँव तक नज़दीक से देखूँगा.” महेश ने अपनी बहु को समझाते हुए कहा ।

नीलम अपने ससुर की बात मानते हुए अपने बाज़ू को ऊपर करके सीधी लेट गयी। महेश ने अपनी बहू के क़रीब जाते हुए अपने मुँह को नीलम के गालों के क़रीब कर दिया।
“ओहहहह बेटी कितने गोरे हैं तुम्हारे गाल और यह गुलाबी होंठ.” महेश ने अपने मुँह को नीलम के गालों से उसके होंठों की तरफ कर दिया। नीलम को अपने ससुर की साँसें अपने मुँह से टकराती हुई महसूस हो रही थी, महेश नीलम को छू तो नहीं रहा था मगर उसकी यह हरकत नीलम को गर्म करने के लिए काफी थी।

“आहहह… बेटी कितनी गोरी और नर्म हैं तुम्हारी दोनों चूचियां … ओह्ह्हह इसके दाने तो देखो, इन्हें देखकर ही अपने मुँह में भरने का मन करता है.” महेश अब नीचे होकर अपनी बहू की चूचियों को गौर से देखते हुए उसकी तारीफ कर रहा था।

नीलम को ऐसे महसूस हो रहा था जैसे उसका ससुर उसके जिस्म को ऊपर से लेकर अपने होंठों से चूमता हुआ नीचे हो रहा है, नीलम की चूत से पानी बहना शुरू हो गया था। वह न चाहते हुए भी कुछ कर नहीं सकती थी. सिर्फ चुपचाप देखने के सिवा अब उसके वश में कुछ नहीं था।

“अरे वाह बेटी … कितना गोरा और चिकना है तुम्हरा पेट, बिल्कुल दूध की तरफ सफेद और शीशे की तरह साफ़.”
नीलम मज़े से अपनी दोनों टांगों को आपस में मिलाकर घिस रही थी. वह अपने ससुर की हरक़तों से बुहत ज्यादा गर्म हो चुकी थी।
“बेटी अपनी दोनों टांगों को खोलो, अब मैं नीचे बैठकर तुम्हारी अनमोल चीज़ को देखूँगा.” महेश ने नीलम के पेट को पूरी तरह से अपनी आंखों में उतारने के बाद अपनी बहू से कहा।

नीलम ने अपने ससुर की बात को सुनकर अपनी टांगों को खोल दिया और अपने दोनों हाथों से बेड की चादर को ज़ोर से पकड़ते हुए अपनी आँखें बंद कर ली क्योंकि वह जानती थी कि उसका ससुर जब उसकी चूत को देखकर उसकी तारीफ करेगा तो वह बर्दाशत नहीं कर पायेगी।

महेश अपनी बहू की टांगों के खुलते ही उनके बीच आ गया और अपना मुंह नीचे करते हुए बिल्कुल नज़दीक से अपनी बहू की गीली चूत को देखने लगा।

“आह्ह बेटी क्या चूत है … गुलाबी-गुलाबी … ओह्ह्हह और क्या ख़ुशबू है भीनी-भीनी. मेरा तो मन ही नहीं करता अपना नाक यहां से हटाने के लिए। कोई भी इसे देख कर इसे चूमे बगैर नहीं रह सकता.” महेश ने अपनी बहू की चूत के पास ज़ोर से अपनी साँसें खींचते हुए कहा।

नीलम को भी अपने ससुर की साँसें अपनी चूत से टकराती हुई महसूस हो रही थी। उसका पूरा जिस्म कांप रहा था और उसकी चूत से ढ़ेर सारा पानी निकल रहा था।

“आह्ह्ह हल्के भूरे बाल तुम्हारी चूत को और ख़ूबसूरत बना रहे हैं, ओह्ह्हह बेटी, तुम्हारी चूत से तो पानी निकल रहा है … हाय रे किस्मत मैं अपनी बहू के क़ीमती रस को चख भी नहीं सकता.” महेश ने अपनी बहू की चूत से पानी को निकलते देखकर एक सिसकारी ली।

“आआह्ह्ह बेटी, क्या तुम मेरी आखिरी बात मानोगी? मैं सारी ज़िंदगी तुम्हारा गुलाम बनकर रहूँगा.” महेश ने अपनी बहू को गर्म होता देखकर कहा।

“क्या पिता जी?” नीलम ने नशीले अन्दाज़ में कहा।
“बेटी सिर्फ एक बार मैं तुम्हारी चूत और और उसके रस को अपने लंड पर महसूस करना चाहता हूं.” महेश ने अपना मुँह नीलम की चूत से बिल्कुल सटाते हुए कहा।
“आहहह नहीं पिता जी.” अपने ससुर की गर्म साँसों को फिर से अपनी चूत पर महसूस करके नीलम ने सिसकारते हुए कहा।

“बेटी तुम्हें मेरी कसम, इन्कार मत करो. सिर्फ एक बार की तो बात है.” महेश ने इस बार अपने होंठों से नीलम की गीली चूत को चूमते हुए कहा।
“उईई ओहह … पिता जी यह क्या कर दिया आपने!” नीलम ने ज़ोर से सिसकारते हुए कहा।

अपने ससुर के होंठों को अपनी चूत पर महसूस करते ही नीलम एक नयी दुनिया में पहुंच गई।
“बेटी क्या हुआ … जवाब दो ना?” महेश ने अपनी बहू की टांगों से अपने मुँह को हटाते हुए पूछा।

नीलम अपनी चूत से अपने ससुर के होंठों के हटते ही मछली की तरह तड़पने लगी। उसका पूरा जिस्म आग की तरह गर्म हो चुका था। उस वक्त उसे कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था कि अपनी बढ़ती हुई जिस्म की आग पर काबू पाये या फिर अपने आप को अपने ससुर के मूसल लंड के हवाले कर दे।

कहानी अगले भाग में जारी रहेगी.

 

abmg

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Episode 7

बहू के साथ सेक्स की पिछली कहानी में अपने पढ़ा की ज्योति ने पिता महेश की सारी कहानी समीर को बता दी. वो दोनों ही दुखी थे. ज्योति अपने पिता की हरकत को लेकर और समीर अपनी बीवी के बदले की भावना को लेकर. मगर अगले ही पल दोनों भाई बहनों के नंगे जिस्मों ने आपस मिल कर सारी चिंताओं को भुला दिया. इधर महेश ने अपनी बहू नीलम के कमरे में जाकर उसको गर्म कर दिया और उसको नंगी होने के लिए मजबूर कर दिया.


अब आगे पढ़ें कि बहू की चुदाई कैसे हुई:


महेश का लंड अपनी बहू की चूत को छूने के ख्याल से ही इतना अकड़ गया था कि महेश को अपने लंड में दर्द होने लगा।
“बेटी अब मैं अपने लंड को तुम्हारी चूत का रस चखाने जा रहा हूँ तुम्हें कोई ऐतराज़ तो नहीं है?” महेश ने अपने लंड को अपने हाथ में पकड़ते हुए कहा।
“ओहहह पिता जी, जल्दी से जो करना है कर लो!” नीलम का उत्तेजना के मारे बुरा हाल था. उसने अपने ससुर की बात को सुनकर सिसकारते हुए कहा।


महेश अपनी बहू की बात सुनकर अपने लंड को आगे बढ़ाता हुआ अपनी बहू की चूत तक ले गया और अपने लंड को अपनी बहू की चूत के ऊपर रख दिया।


“आह्ह्ह ओह्ह … पिता जी.” अपने ससुर के लंड का मोटा सुपारा अपनी चूत पर महसूस करते ही नीलम का पूरा शरीर कांप उठा जिस वजह से उसके मुँह से ज़ोर की सिसकारी निकल गई।
“क्या हुआ बेटी … अच्छा नहीं लग रहा हो तो मैं इसे हटा दूँ?” महेश ने अपने लंड का मोटा सुपारा अपनी नीलम की चूत पर धीरे धीरे घिसते हुए उसकी चूत से हटाकर कहा।
“ओहहह हहह नहीं पिताजी … आप अपनी ख्वाहिश पूरी कर लो.” नीलम को उस वक्त अपने ससुर का लंड जन्नत का मजा दे रहा था। जिस वजह से वह अपने ससुर के लंड के हटते ही अपने चूतड़ों को ऊपर की तरफ उछालते हुए सिसकारते हुए कहने लगी।


“बेटी सोच लो, फिर मत कहना कि मैंने कोई ज़बरदस्ती की तुम्हारे साथ?” महेश अपनी बहू को अपने लंड के सामने तड़पती हुई देख कर खुश हो रहा था। वो अपनी बहू की चुदाई करने के लिए आतुर था.
“आह्ह्ह्ह पिता जी … मुझे आपसे कोई शिकायत नहीं है.” नीलम इस बार अपनी आँखों को खोल कर अपने ससुर को तड़पती हुई नज़र से देखते हुए बोली।
“ठीक है बेटी, जैसी तुम्हारी मर्जी!” महेश ने यह कहते हुए नीलम की चूत के दोनों लबों को अपनी उँगलियों से अलग करते हुए अपने लंड का मोटा सुपारा उसके बीच रख दिया।


नीलम अपने ससुर के लंड को अपनी चूत के छेद पर महसूस करते ही ज़ोर से आह्ह भरने लगी, उसके चूतड़ अपने आप महेश के लंड को अंदर लेने के लिए उछल पड़े। मगर महेश के लंड का सुपारा बुहत मोटा था और नीलम की चूत का छेद छोटा … इस वजह से वह अंदर घुस न सका।


“बेटी अगर तुम इजाज़त दो तो मैं इसे थोड़ा अंदर डाल कर तुम्हारी चूत का रस चखाऊँ? ऐसे तो यह रस चख नहीं पायेगा?” महेश ने अपने लंड से अपनी बहू की चूत में उसके छेद पर हल्के धक्के मारते हुए पूछा।
“आह्ह्ह्ह पिता जी … जैसे आप ठीक समझें.” नीलम को उस वक्त इतना मजा आ रहा था कि वह अपने ससुर को कुछ करने से रोकने का सोच भी नहीं सकती थी।


नीलम को अपने पूरे शरीर में अजीब किस्म की सिहरन और अपनी चूत के अंदर चींटियों के काटने का अहसास हो रहा था, उस वक्त उसका दिल कह रहा था कि बस उसका ससुर अपना मूसल लंड उसकी चूत में घुसाकर ज़ोर से अंदर बाहर करे ताकि उसके जिस्म की सारी बेक़रारी ख़त्म हो सके।


“ठीक है बेटी लेकिन थोड़ा बर्दाशत कर लेना, इसका सुपारा ज़रा मोटा है … थोड़ी तकलीफ होगी तुम्हें!”
“हाहहह मैं बर्दाशत कर लूँगी … आपको जो करना है कर लो.” नीलम ने अपने ससुर से तड़पते हुए मिन्नत सी की. उसका पूरा जिस्म आने वाले पल के बारे में सोचते हुए ज़ोर से कांप रहा था।
महेश ने अपने लंड को नीलम की चूत से हटाया और अपने मोटे सुपारे को अपने थूक से चिकना करने लगा।


“क्या हुआ पिता जी?” नीलम ने अपनी चूत से अपने ससुर के लंड के हटते ही उसकी तरफ देखते हुए कहा।
“बेटी मैं तुमसे बुहत प्यार करता हूँ और तुम्हें कोई तकलीफ नहीं दे सकता इसीलिए मैं अपने इस मूसल को चिकना कर रहा हूँ ताकि इसके घुसने से तुम्हें कोई तकलीफ न हो.” महेश ने अपनी बहू को अपनी तरफ देखता हुआ पाकर अपने लंड को अपने हाथ में लेकर उसे दिखाते हुए कहा।


नीलम ने अपने ससुर के मूसल लंड को देखकर शर्म से अपनी नज़रें झुका लीं मगर अपने ससुर का लंड देख कर उसका जिस्म और ज्यादा गर्म हो गया,
“आआह्ह्ह पिता जी …” अचानक नीलम को अपनी चूत पर किसी सख्त गीली चीज़ का अहसास हुआ जिसे महसूस करके उसका पूरा जिस्म सिहर उठा।


“बस बेटी हो गया, अब मेरे लंड की तरह तुम्हारी चूत भी चिकनी हो गई है.” महेश ने अपने हाथ को अपनी बहू की चूत से हटाते हुए कहा जिसे वह अपनी लार से गीला करके अपनी बहू की चूत को चिकना कर रहा था।


महेश ने अपने दोनों हाथों से अपनी बहू की चूत के छेद को पूरी तरह से फ़ैला दिया।
“आह्ह्ह्ह बहू, तुम्हारी चूत का छेद कितना सुंदर है.” महेश ने अपनी बहू की चूत के लाल सिरे को देख कर कहा।


अपने ससुर की बात सुन कर नीलम के जिस्म में एक झुरझुरी सी फ़ैल गयी और उसकी चूत से पानी की कुछ बूंदें निकलने लगी, महेश ने अपनी बहू को इतना गर्म देखकर ज्यादा देर करना ठीक न समझा और अपने लंड को उसके छेद पर रख दिया।


महेश ने अपनी बहू को दोनों टांगों से पकड़कर एक हल्का धक्का मार दिया।
“आह्ह्ह् ओहह् पिता जी!” महेश का लंड नीलम की चूत में घुसने की बजाय ऊपर की तरफ खिसक गया जिस वजह से नीलम के मुंह से सिसकारी निकल गई,
“ओहहहह बेटी … तुम्हरा छेद तो बुहत टाइट है। लगता है हरामखोर ने तुम्हें अभी तक ठीक तरीके से चोदा भी नहीं!” महेश ने अपने बेटे समीर को गाली देते हुए कहा और अपना लंड फिर से अपनी बहू की चूत पर सही जगह टिका दिया।


महेश ने इस बार धक्का मारने की बजाय अपना पूरा वजन अपने लंड पर डाल दिया। दबाव पड़ते ही महेश के लंड का मोटा सुपाडा नीलम की चूत को फैलाता हुआ उसके अंदर जाकर फँस गया।
“उईई माँ … उम्म्ह… अहह… हय… याह… पीछे हटो, आह्ह्ह्हह फट गयी. बहुत मोटा है आपका!” महेश के लंड का सुपारा घुसते ही नीलम ज़ोर से चिल्लाते हुए छटपटाने लगी। नीलम को ऐसे महसूस हो रहा था जैसे उसकी चूत को फाड़ कर दो हिस्सों में अलग कर दिया गया हो।


“बस बेटी थोड़ी देर में सब ठीक हो जायेगा.” महेश अपने लंड का सुपारा डाले हुए ही अपनी बहू के ऊपर झुक गया और अपने हाथों से उसकी गोरी गोरी चूचियों को सहलाने लगा।
“पिता जी.. आआ आप क्या कर रहे हैं?” नीलम अपने ससुर के हाथ अपनी चूचियों पर लगते ही सब कुछ भूलकर सिसकारी लेते हुए बोली।
“ओहहहह बेटी, मुझे अपना वादा याद है, मगर मैं तुम्हारी तकलीफ कम करने के लिए ही इनसे छेड़ छाड़ कर रहा हूँ.” महेश ने अपनी बहू से कहा और अपना मुँह खोलकर उसकी एक चूची के गुलाबी दाने को अपने मुंह में भर लिया।


“आहहह पिता जी… आप कितने अच्छे हैं” नीलम अपनी एक चूची को अपने ससुर के मुँह में महसूस करके ज़ोर से आहें भरने लगी और उसका हाथ अपने आप अपने ससुर के बालों में चला गया। महेश अपनी बहू का साथ पाते ही बुहत ज़ोर से उसकी चूची को चूसने लगा और वह अपनी बहू की चूची को चूसते हुए हल्का हल्का काटने भी लगा।
“उईई आआह्ह्ह्ह पिता जी!” नीलम भी बड़े ज़ोर से सिसकारते हुए मज़े से अपने ससुर से अपनी चूची चुसवा रही थी।


नीलम ने अचानक अपने ससुर को बालों से पकड़कर अपनी चूची को उसके मुंह से निकाल दिया।
महेश सवालिया नज़रों से अपनी बहू को देखने लगा. नीलम ने उसके मुँह को अपनी दूसरी चूची पर रख दिया। महेश फिर से पागलोँ की तरह अपनी बहू की दूसरी चूची पर टूट पड़ा और उसे बड़े प्यार से चूसने, चाटने और काटने लगा।


नीलम अब अपने चूतड़ों को भी हिला रही थी। महेश समझ गया कि उसकी बहू का दर्द ख़त्म हो गया है इसीलिए वह अपनी बहू की चूचियों को छोड़कर सीधा हो गया।


महेश ने देखा कि उसका लंड उसकी बहू की चूत में बुरी तरह से फँसा हुआ था और उत्तेजना के मारे नीलम की चूत का रस निकल रहा था जिससे उसका आधा लंड भीग चुका था। महेश ने अपनी बहू की टांगों को पकड़ लिया और अपने लंड के सुपारे को धीरे धीरे वहीं पर थोड़ा आगे पीछे करने लगा।


नीलम अपने ससुर के लंड की रगड़ महसूस करके मज़े से भर गई।


महेश ने ऐसे ही धीरे धीरे अपने लंड को वहां पर आगे पीछे करते हुए एक हल्का धक्का मार दिया।
“उईईई पिता जी …” महेश का लंड 4 इंच तक उसकी बहू की चूत में घुस गया जिसकी वजह से नीलम के मुँह से एक हल्की चीख़ निकल गयी। महेश अब फिर से अपने लंड को अपनी बहू की चूत में अंदर बाहर करने लगा।
“आह्ह्ह्ह पिता जी … आपने तो सिर्फ रस चखने का कहा था लेकिन आप तो अब मेरी चूत में वो कर रहे हैं…” नीलम ने अपने ससुर के मोटे लंड को अपनी चूत में महसूस करके मज़े से सिसकारते हुए कहा।


“क्या कर रहा हूँ बेटी, रस ही तो चख रहा हूँ?” महेश ने अपनी बहू की बात सुनकर उसे तेज़ी के साथ चोदते हुए एक और धक्का मारते हुए कहा।


“ओह्ह्ह्हह पिता जी, आपका बहुत मोटा है, मुझे दर्द हो रहा है.” महेश के इस धक्के से उसका लंड 6 इंच तक नीलम की चूत को फाड़ता हुआ घुस चुका था जिसकी वजह से नीलम दर्द के मारे चिल्ला उठी।


महेश ने जैसे ही अब अपने लंड को अंदर बाहर करना शुरू किया नीलम का दर्द थोड़ी देर में ही ख़त्म हो गया और उसे इतना मजा आने लगा कि वह बहुत ज़ोर से अपने चूतड़ों को उछाल उछालकर अपने ससुर से चुदवाने लगी.


नीलम की चूत को उसके ससुर के लंड ने बुरी तरह से फ़ैला रखा था जिस वजह से हर धक्के के साथ उसकी चूत में इतनी ज़ोर की रगड़ हो रही थी कि मज़े के मारे उसके मुंह से सिसकारियां निकल रही थीं।
“आआह्ह्ह्ह पिता जी, सच में आप बहुत बड़े बदमाश हैं, बहला फुसलाकर आखिर आपने अपनी बहू को चोद ही दिया” महेश के ज़ोरदार धक्कों से चुदते हुए नीलम ने ज़ोर से सिसकारी लेते हुए शिकायत सी करते हुए कहा.


“क्यों बेटी, मैंने कोई ज़बरदस्ती तो नहीं की है. तुमने खुद ही हर बात अपने मुँह से कही है. अगर तुम्हें अच्छा नहीं लग रहा है तो मैं अभी इसे निकाल देता हूं.” महेश ने 3-4 ज़ोर के धक्के मारते हुए अपना लंड अपनी बहू की चूत से बाहर निकाल लिया।


“आआह्ह्ह्ह पिता जी, आप तो नाराज़ हो गये मैं तो मज़ाक़ कर रही थी.” नीलम जो इस वक्त मज़े के सागर में तैर रही थी, अचानक उसकी चूत से लंड निकलते हुए वो तड़प उठी थी.
“नहीं बेटी, अब ऐसे नहीं डालूंगा, तुम्हें अपनी जुबान से कहना होगा कि पिता जी आप मेरी चूत में अपना लंड घुसाओ.” महेश ने अपने लंड को अपनी बहू की चूत के खुले हुए छेद पर घिसते हुए कहा।


“हाहहह पिता जी घुसाओ न अपना लंड.” नीलम ने ज़ोर से तड़पते हुए कहा।
“क्या घुसाऊं बेटी?” महेश ने अपनी बहू से मज़े लेते हुए कहा।
“ओहहहह पिता जी वह… अपना लंड घुसाओ ना!” नीलम ने भी अपनी शर्म छोड़ते हुए कहा।
“क्या बेटी, तुम्हें मेरा लंड चाहिए, कहाँ पर, किधर घुसाऊं मैं अपना लंड?” महेश ने इस बार अपनी बहू की चूत के दाने पर अपना लंड घिसकर उसे छेड़ते हुए कहा।


“पिता जी, मेरी चूत में घुसाओ अपना लंड.” नीलम से अब बर्दाश्त नहीं हो रहा था। वह जल्द से जल्द अपनी चूत में अपने ससुर का मोटा लंड घुसवाना चाहती थी इसीलिए उसने ज़ोर से सिसकारते हुए कहा।


“ओहहहह बेटी… यह ले, मैं अभी तुम्हारी चूत में लंड घुसाता हूँ.” महेश का लंड भी अपनी बहू की बातों से और ज़्यादा कठोर होता जा रहा था। जिसे वह अपनी बहू की चूत पर रख कर 2-3 धक्के मारते हुआ बोला।
महेश का लंड फिर से नीलम की चूत में 6 इंच तक अंदर घुस चुका था जिसे महसूस करके उसके मुंह से मज़े से सीत्कार निकल रहे थे.


महेश ने अपना लंड तो नीलम की चूत में घुसा दिया मगर वह धक्के नहीं मार रहा था जिस वजह से नीलम बेचैनी में अपने चूतड़ों को ज़ोर से उछाल रही थी।
“आआह्ह्ह पिता जी, क्या हुआ कीजिये ना?” नीलम ने इस बार अपने ससुर को नशीली आँखों से देखते हुए आग्रह किया।


महेश अपनी बहू की बात सुनकर अपने लंड को उसकी चूत में अंदर बाहर करने लगा. 5-7 धक्कों के बाद ही महेश का पूरा लंड जड़ तक अपनी चूत में महसूस करके नीलम का पूरा जिस्म अकड़कर झटके खाने लगा क्योंकि वह झड़ने वाली थी। महेश ने अपनी बहू को झड़ने के क़रीब देख कर उसकी टांगों को छोड़कर उसके ऊपर झुकते हुए उसकी चूत में ज़ोरदार धक्के मारना शुरू कर दिया।


“आहहहहह पिता जी …” अचानक नीलम झड़ने लगी. उसने झड़ते हुए अपनी दोनों टांगों को अपने ससुर की कमर में डाल दिया और अपनी आँखें बंद करके अपने दोनों हाथों से अपने ससुर को बालों से पकड़ कर उसके होंठों को अपने होंठों पर रख कर बेतहाशा चूमने लगी।


महेश अपनी बहू के होंठों को ज़ोर से चूसते हुए उसकी चूत में धक्के मार रहा था। नीलम ने झड़ते हुए मज़े से अपने नाखुनों को अपने ससुर की पीठ में गड़ा दिया और वह झड़ते हुए अपने चूतड़ों को ज़ोर से उछाल उछालकर अपने ससुर के लंड को अपनी चूत में लेने लगी.


महेश ने अपनी बहू के नाखूनों को अपनी पीठ पर महसूस करते ही गुस्से से उसके एक होंठ को काट दिया और बहुत ज़ोर से उसकी चूत को चोदने लगा।


नीलम की हालत बहुत ख़राब थी उसकी चूत से न जाने कितनी देर तक पानी निकलता रहा जिस वजह से उसे अपने ससुर का लंड अपनी चूत में पूरा घुसने का भी पता नहीं चला। नीलम बस मज़े के आलम में अपने ससुर से लिपटी हुई उसके होंठों को चूस रही थी और महेश भी बड़े आराम से अपने पूरे लंड से अब उसकी चूत को चोद रहा था.


नीलम ने कुछ देर बाद ही अपनी आँखें खोलते हुए अपने ससुर के होंठों से अपने होंठों को हटा दिया और ज़ोर से हाँफने लगी।
“आहहह पिताजी … आपने तो जान ही निकाल दी, लेकिन प्लीज आप इसे पूरा मेरी चूत में मत घुसाना वरना मैं मर जाऊँगी.” नीलम ने कुछ देर तक हाँफने के बाद अपने ससुर की तरफ देखते हुए कहा।


“बेटी, तुम्हें अब कोई चिंता करने की ज़रूरत नहीं, मेरा पूरा लंड तुम्हारी चूत में घुस चुका है.” महेश ने अपनी बहू की चूत में अपने लंड को जड़ तक पेलते हुए कहा।
“क्या कहा पिता जी?? इतना मोटा और बड़ा लंड मेरी चूत में पूरा घुस गया?” नीलम ने हैरानी से अपने ससुर के लंड पर हाथ लगाते हुए कहा। नीलम का हाथ सीधे उसके ससुर की गोटियों पर जा लगा क्योंकि लंड तो पूरा उसकी चूत में था।


“ओहह्हह मेरी भोली बहू, तुम्हें पता नहीं है कि औरत की चूत समुन्दर की तरह विशाल है जो किसी भी चीज़ को अपने अंदर ले सकती है.” महेश ने अपने लंड को तेज़ी के साथ अपनी बहू की चूत में अंदर बाहर करते हुए कहा।
“हाहहह पिता जी, आपसे चुदवाकर ही मुझे पता चला है कि औरत को दुनिया का सब से बड़ा सुख मर्द से चुदवाने में मिलता है.” नीलम फिर से गर्म होते हुए अपने चूतड़ों को उछालते हुए बोली।
“सही कहा बेटी, यही बात तो मैं तुम्हें समझाना चाहता था” महेश ने अपनी बहू की तरफ देखा और उसकी चूत को बड़ी तेज़ी और ताक़त के साथ चोदने लगा। ससुर बहू की चुदाई का खेल अपने चरम पर था.


महेश और नीलम की चुदाई अब अपने पूरे जोश पर थी. पूरा कमरा थप थप की आवाज़ से गूँज रहा था जो आवाज़ महेश का लंड नीलम की चूत में अंदर बाहर होते निकल रही थी। कुछ देर की चुदाई के बाद ही महेश का बदन अकड़ने लगा और वह ज़ोर से हाँफते हुए अपनी बहू की चूत चोदने लगा।


“पिता जी आप झड़ने वाले हैं प्लीज अंदर मत झड़ना!” नीलम अपने ससुर के लंड को अचानक अपनी चूत में फूलता हुआ महसूस करके चिल्लाते हुए बोली।
“आह्ह्ह्हह बहू मुझे माफ़ कर देना, मगर आज मैं अपना वीर्य तुम्हारी चूत में ही गिराऊंगा.” महेश ने अचानक ज़ोर से हाँफते हुए अपना पूरा लंड जड़ तक नीलम की चूत में पेल दिया।


नीलम भी खुद झड़ने के बिल्कुल क़रीब थी. वह अचानक अपने ससुर का लंड जड़ तक अपनी चूत में महसूस करके कांप उठी और उसका पूरा जिस्म भी अकड़ने लगा।


अचानक नीलम को अपनी चूत में कुछ गर्म चीज़ गिरने का अहसास हुआ. अगले ही पल मज़े से नीलम की आँखें भी बंद हो गईं और उसने ज़ोर से अपने ससुर को अपनी बांहों में दबा लिया।
“आहहहह पिता जी, ओहहह ओह्ह्ह्ह …” नीलम की चूत झटके खाते हुए झड़ रही थी जिसकी वजह से नीलम के मुंह से ज़ोर की सिसकारियाँ निकल रही थीं।


नीलम को अब भी अपनी चूत में अपने ससुर के लंड से निकलता हुआ गर्म वीर्य महसूस हो रहा था। महेश का लंड जैसे ही पूरी तरह झड़कर नीलम की चूत से निकला उसकी चूत का छेद बिल्कुल खुलकर रह गया और उसकी चूत से बहुत सारा सफेद सफेद पानी निकल कर बेड पर गिरने लगा जो उसका और उसके ससुर का मिला-जुला वीर्य था. महेश और नीलम अब भी एक दूसरे की बांहों में पड़े हुए ज़ोर से हांफ रहे थे ।

To be continued .....
 
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Rinkp219

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Wow......bhai bahut hii mazedar update tha....

Waiting.. more .... Joyti ka double penetrated.....



Kash Nilam ka papa ka charcter hota.......

Woh bhi apni beti Nilam aur samdhi ki beti Jyoti ka maza leti.....

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abmg

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Thank you bro. Go with the flow of the story. Hope you will enjoy.
 
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