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रेखा ने उसे चूमा और कहा- “पति के अलावा केवल परम का लंड ही इस चूत के अदर जायेगा।“
शादी के बाद जब भी वो यहाँ आयेगी तो वो चुदाई के लिए परम के घर आयेगी। परम उसकी चूत से खेलता रहा और उसका लंड फिर खड़ा हो गया। रेखा फिर से सीधा लेट गई और परम को उसके पैरों के बीच बैठने के लिए कहा। उसने परम से उसके ऊपर लेटने को कहा और उसने लंड को अपनी चूत की दरार पर रगड़ा। परम अपना लंड पकड़ना चाहता था लेकिन रेखा ने उसे रोक दिया और उसने खुद लंड को अपनी क्लिट और चूत के छेद पर रगड़ा। रगड़ने से चूत की फांकें चौड़ी होने के साथ चूत गीली हो गयी। परम ने महसूस किया कि उसका लंड चूत की फांकों के बीच फँस गया है तो उसने दबा दिया।
यह कहानी नीता और मैत्री का अनुवादित है

रेखा ने चेतावनी दी- “तुम दबाओ मत दो, मुझे करने दो…प्लीज़!”


उसने लंड चलाने की गति बढ़ाई और थोड़ा लंड चूत में घुस गया । रेखा बंद आँखों से मज़ा ले रही था लेकिन उसका हाथ बड़ी सफाई से चल रहा था। परम अपने लंड पर रेखा की चूत की कोमलता और गीलापन महसूस कर सकता था। उसने उसके गालों और होठों को चूमा और अपने चूतड़ों को धक्का दिया जिससे आधा लंड चूत के अंदर सरक गया।

परम ने रुकावट महसूस की, रेखा ने भी दर्द महसूस किया और वो तुरंत लंड को थोड़ा ऊपर खींची। लेकिन परम नियंत्रण नहीं रख सका और चूत के अंदर ही वीर्य छोड़ दिया ।

दोनों ने आराम महसूस किया । उसने उसके टांगों को उसकी कमर पे लपेट लिया, उसे सहलाया और मज़ा देने के लिए धन्यवाद दिया ।

“तुमने तो मुझे लगभग चोद ही दिया है…परम तुम्हारा यह सुपारा बहोत अच्छा है मुझे ऐसे ही छोड़ दिया इस सुपारे ने और मेरी चूत फैला दी।” यह कहकर रेखा ने परम को नीचे धकेल दिया । दोनों ने कपड़े पहने और रेखा ने परम को आश्वासन दिया की ससुराल से वापस आने पर वो उसका पूरा लंड अपनी चूत के अंदर लेगी।

कुछ समय के बाद शेठानी कुछ अन्य महिलाओं के साथ लौट आई। उसने नशीली आँखों से परम को देखा लेकिन परम के लंड को उसकी चूत में लेने का कोई मौका नहीं था। उसने परम को आँख मारी और उसने सिर हिलाया जैसे कह रहा हो कि उसने उसकी बेटी को नहीं चोदा है।

उसने उसे आते रहने और जितना हो सके काम में उनकी मदद करने के लिए कहा।

जो हुआ उससे रेखा खुश थी ।

अगर परम उसकी चूत के अंदर लंड पुरा पेल भी देता, तो निश्चित रूप से वो उसे मना नहीं करती। उसने उसके कौमार्य को बरकरार रखते हुए लंड का मजा देने के लिये परम को मन ही मन धन्यवाद दिया।

परम बहुत बहुत खुश था। उसने विनोद के प्रति मन ही मन आभार भी व्यक्त किये की सुंदरी (अपनी मां) के बारे में उसकी अश्लील बातों ने ही उसे महिलाओं के साथ चुदाई करने के लिये प्रेरित किया था और पिछले कुछ दिनों में वह दो कुंवारी और दो परिपक्व महिलाओं के साथ चुदाई का मजा ले चुका था।

परम सोच रहा था की उसकी खुद की आंखों के सामने में विनोद द्वारा चोदे जाने के लिए सुंदरी को समझाना पडेगा । तभी उसे याद आ गया कि सुंदरी ने शेठजी से पैसे लेके आने के लिए उससे कहा था। उसने शेठजी के कार्यालय में प्रवेश किया और अपने पिता वहाँ बैठे देखा। उसके पिता ने पूछताछ की कि वह वहां क्या कर रहा है!

परम ने उनको बताया कि शेठानीने शेठजी के लिए कुछ संदेश भिजवाया था। उसने शेठजी की केबिन में प्रवेश किया और शेठजी की तरफ देखकर मुस्कुराया।



बने रहिये
 

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शेठजीने उसे बैठने के लिये कहा।

परम :- “शेठजी, सुंदरी आपसे चुदवाने को तैयार हो गयी है, और वह आपके लंड को शांत करने के लिए रेडी हो गई है, आखिर आप हमारे अन्नदाता जो हो। उसने रुपये लाने को कहा है। पूरा 50000/- जो आपने कहा था…!”

शेठ के चेहरा ख़ुशी से चमक उठा। उन्होंने परम का हाथ पकड़ा और पूछा, “सच में!!! सुंदरी ने ऐसा कहा?"

“हाँ, शेठजी....वैसे मुझे उसको मनाने में काफी पसीना बहाना पड़ा, पर खेर आखिर मान ही गई,और कौन कहेगा आपका माल है अब आपको ही तो संभालना है लेकिन आप उसे चोदेंगे कहाँ पर? आपके घर में…? शेठानी तैयार नहीं होगी… !”

“अरे नहीं, यही पीछे वाले कमरे में।"

उन्होंने आगे बोला “उस कमरे को दो दरवाजे है। एक दरवाजा इस कार्यालय से और एक दरवाजा पीछे से है। मैं और मेरे दोस्त इस कमरे का उपयोग आराम करने के लिए करते है। एक चाबी तुम अपने पास रख लो और सुंदरी को पीछले दरवाजे से अंदर ले आना।“

शेठजीने उनके मुनीमको (सुंदरी के पति) आवाज देकर बुलाया और उसे कुछ निर्देश दिये।

परम के पिता ने तिजोरी से पैसे निकाल लिए और एक बैग में डालके शेठ को दिये । मुनीम के कमरे से बाहर जाने के बाद शेठजीने वो बैग परम के हाथ में थमा दिया और कहा,

“कल शाम को सुंदरी को साथ लेकर आना.... मैं वो पीछे वाला कमरा तैयार रक्खुंगा और किसीको इस बात का पता भी नही चलने दुंगा…! तुम्हारी माँ को आराम से छोड़ कर वापिस आराम से उसके घर ले जा सकोगे।”

“मेरे बाप को इस बारेमे भनक भी नही पडनी चाहीए....वर्ना भेन्चोद मेरे जैसा बुरा ..... इस बात का भी आपको खयाल रखना पडेगा…”, परम ने कहा ।

एक नौकर शरबत के दो गिलास ले आया। अपने बेटे के साथ शेठ इतनी अच्छी तरह पेश आ रहा है यह देखकर मुनीम को आश्चर्य हुआ। वो बेचारा तो इस बात से अनजान था कि कल पीछे के कमरे में उसकी नाक के नीचे उसकी अपनी बीवी शेठ के लंड अपने मुँह में और चूत में लेने वाली है। उसकी बीवी का सौदा जो हो चुका था।

शरबत पिते पिते परम ने अचानक पूछा, “शेठजी, आपकी बेटी रेखा बहोत प्यारी है, जब वो ससुराल चली जाएगी …आप बहोत अकेला महसूस करेंगे।"

“हाँ परम, मैं उससे बहुत प्यार करता हूँ। इकलौती बेटी है वो मेरी!” और मुझे पता है, वह भी तुम्हे बहुत ज्यादा पसंद करती है। है ना?"

“हाँ… शेठजी, शादी के बाद वो कही दूर चली जाएगी ये सोच के ही मुझे बहुत दु:ख होता है। उसने मेरी जिंदगी खुशियोंसे भर दी थी…।।!”

शेठजी को कहां पता था यह जवान लड़का पहले ही उसकी मोटी बिवी की चूत से खेला है और बेटी की गांड मार चुका है।

परम:- “शेठजी, आप सुंदरी के पीछे क्यों पडे हैं ? क्या शेठानी आपको अच्छी नही लगती? मुझे तो वो बहुत प्यारी लगती है।"

शेठजी:- “तू बच्चा है, तुझे नहीं मालूम, साली (शेठानी) बिल्कुल थूल-थूल हो गयी है। उसमें कुछ मजा नहीं है कही भी हाथ लगाओ तो लगता है की माँस के लोथडे (मीट लोफ) को दबा रहा हूँ। लेकिन तेरी माँ सुंदरी को देखते ही पूरे बदन में खुन दौड़ने लगता है, बहुत मजा आएगा साली को दबाने में…चोदने में।”
आप नीता और मैत्री की अनुवादित रचना पढ़ रहे है

शेठ पुरा गरमा गया था । परम ने फिर पूछा, “शेठानी के अलावा और किस-किस को चोदा है अब तक?”

“अरे बेटे, जवानी के दिनों में तो बहुतो को चोदा है, जो औरत घर में आती थी सबको बहला फुसलाकर या पैसा देकर चोद लेता था…!”

“तो फिर सुंदरी को क्यों नहीं चोदा? वो भी तो आपके घर में आती-जाती थी! आज 36 साल की उम्रमें ऐसी मस्त माल लगती है तो पहले कैसी लगती होगी…?”


आपकी राय की अपेक्षा.........
 

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मिलते है मंगलवार को ............

अगला अपडेट मंगलवार को पेश करुँगी..............
 
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थैंक्स दोस्त

आपकी कहानी पढ़ी कोमेंट भी किया है
थैंक्स मैडम. बहुत आभार !!

Funlover
 

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सुंदरी ने बेटे का लंड हाथ में लिया और मसलने लगी- “बहुत मस्त लंड है। बाप के लंड से करीब दो इंच लंबा और मोटा भी, सुपाड़ा तो और भी बहुत मस्त है। लेकिन तेरे बाप का सुपाड़ा इससे भी बड़ा है। जब उसने पहली बार मेरी चूत में सुपाड़ा पेला था तो लगा की मैं मर जाऊँगी जबकि मेरी चूत को उससे पहले 5-5 लोगों ने चोद डाला था…” वो परम के सुपाड़े को चुभलाने लगी।

परम ने कई बार माँ की पहली चुदाई और उन 5 लण्डों के बारे में पूछा लेकिन वो बस सुपाड़ा चूसती रही। परम शहर की सबसे आकर्षक और मशहूर महिला को चोदकर बहुत खुश था, सौभाग्य से वो उसकी माँ थी। उसने सुंदरी की पहली चुदाई का आनंद लिया। उसको पिछली शाम शेठानी (रेखा की मां) की चुदाई से भी ज्यादा आनंद आया।


अब परम रेखा की चूत में अपना लंड पेलना चाहता था।

परम से छूटने के बाद सुंदरी ने खाना पकाने से पहले कुछ समय के लिए विश्राम किया। लंच के बाद उसने फिर से खुद को अपने बेटे को पेश किया और इस बार बेटे के पूरे शरीर पर अपने फूले स्तन को रगड़ा- “बेटा, तुमने मेरे चरित्र को खराब कर दिया है। शादी के बाद मैंने सोचा था, मैं किसी और को मुझे चोदने की अनुमति नहीं दूँगी, लेकिन तुमने मेरे चरित्र को खराब कर दिया। तुमने मुझे इतनी मस्ती दे दिया है की मेरी चूत अब अधिक से अधिक लंड चाहती है। बोलो अब किससे पहले चुदवाना है। उस मादरचोद विनोद से या तेरी रानी रेखा के बाप से…?”

उसने परम के खड़े लंड को सहलाया और कहा- “तुम केवल देखो कि मैं कैसे तुम्हारे शेठजी और गांव के अन्य अमीर लोगों से कैसे लूटने जा रही हूँ…” उसने लंड को निगला और चूसा। कुछ समय बाद उसने परम से जोर से चोदने के लिए कहा। परम ने सुंदरी को दूसरी बार चोदकर और उसकी चूत को काफी हद तक ढीला कर के संतुष्ट कर दिया और उसके बाद दोनों सो गये।

लेकिन परम लंबे समय के लिए सो नहीं सका। उसके अचेतन मन ने उसे जगा दिया। उसे याद आ गया की रेखा (शेठजी की बेटी) ने 3:00 बजे दोपहर में उसे बुलाया है। उसने समय देखा, लगभग 2:30 बज रहे थे।

नग्न सो रही युवती को देखा, उसने उसे उठाया- “माँ… मैं शेठजी के घर जा रहा हूँ। रेखा ने मुझे बुलाया था…”

सुंदरी- “ओके, आज जरूर चोदना उसे…” और कहा की वापस आते हमय शेठ से ₹ 50000 ले लेना और पूछना की वह मेरी चुदाई कब करना चाहता है…” वह उठी और परम के पीछे दरवाजा बंद किया।
मैत्री और नीता से द्वारा अनुवादित कहानी आप पढ़ रहे है


परम आधे घंटे में अपने गंतव्य पर पहुंच गया। गार्ड उसे जानता था इसलिये उसे अंदर आने दिया। उसे ना तो शेठानी दिखाई दी और ना ही कोई नौकर। वह सीधे रेखा के कमरे में चला गया।

रेखा परम को अंदर देखकर वह उठी और मुश्कुराई- “तुम समय पर हो…” उसने टिप्पणी की।

परम- “मैं देर कैसे कर सकता हूँ डार्लिंग। मैं पूरी रात सो नहीं सका…” परम ने झूठ बोला।

पिछली शाम को रेखा के स्तन मसलने के बाद से, वह दो महिलाओं को पहले ही चोद चुका था, उसकी माँ के साथ ही अपनी माँ को भी। उसने रेखा को दोनों बाहों में लिया और उसे चूमा। वह भी इस पल का इंतजार कर रही थी। उसने जोश में सहकार दिया। जल्द ही उसकी फ्राक उसके शरीर से अलग थी, अब वह केवल ब्रा और पैंटी में थी।

परम ने रेखा से पूछा- “तुमने पहले ब्रा कभी नहीं पहनी थी…आज क्यों पहना हुआ है?”

रेखा- “तुम्हें कैसे पता है? तुमने तो बिना फ्राक मुझे पहले कभी नहीं देखा…लेकिन हां मुझे ब्रा पहनना अच्छा नहीं लगता।”

परम- “मुझे पता है…” परम बोला- “ओह, डियर तुम सुंदर हो। मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूँ…” यह कहते हुवे परम ने उसके स्तनों को सहलाया और चूमा। हालांकि परम ने पहले से ही कुछ महिलाओं और उसकी बहन को चखा था, उसको रेखा वास्तव में पसंद आई। वह उसके शरीर को सहलाने के साथ ही चूम रहा था।



अभी लिख रही हु जाइएगा नहीं
बडा ही शानदार और जानदार मदमस्त अपडेट है मजा आ गया
अपनी माँ को दो बार चोदने बाद परम अब रेखा को कली से फुल बनाने आ पहुंचा हवेली
 

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“हमारे पास समय बहुत कम है…” रेखा फुसफुसाई। उसने ब्रा को खोलकर उसके स्तनों को मुक्त कर दिया और परम के मुँह में एक निपल पेल दिया- “एक बेटे की तरह मुझे चूसो, तुमको बहुत भूख लगी है…!”

परम ने सिर हिलाया और एक के बाद एक दोनों स्तनों को चूसा और रेखा को बिस्तर पर धक्का दे दिया। परम ने रेखा के पैरों से चड्डी को नीचे खींच लिया और उसको नंगा कर दिया। वह खड़ा होकर उसके सौंदर्य को देखता रहा। वह केवल 20 साल की थी और पतले शरीर की थी। न तो वह अपनी बहन महेक की तरह नाजुक और प्यारी थी और न ही सुंदरी की तरह सेक्सी और आकर्षक। फिर भी वह सुंदर थी। परम को बुरा लगा की वह उससे शादी नहीं कर सकता था।

रेखा- “परम… जैसा मैंने पिछली शाम को तुमसे कहा था, मैंने तुमको सबकुछ दिया है। तुम्हें और अधिक देखना है या मैं कपड़े पहन लूँ?”

परम नीचे झुका और योनी को सहलाया- “रेखा, मैं तुमसे प्यार करता हूँ। मैं शादी करना चाहता था, हालांकि की मैं जानता हूँ की यह संभव नहीं है…” उसने योनी के होठों को चूमा और झाँटों को सहलाया। वह योनी को सहलाता और क्लिट को मसलता रहा।

उसकी मां सुंदरी ने चोदते समय उसे सिखाया था की सिर्फ सहलाने और क्लिट मसलने से एक मृत महिला को भी कैसे उत्तेजित किया जा सकता है।

जैसे ही परम ने क्लिट दबाया, रेखा उछल गई- “आह…”


परम ने उसके क्लिट को दांत से पकड़ा लिया और धीरे-धीरे उसे चबाने लगा। रेखा उत्तेजित हो गई। परम क्लिट के साथ ही योनी के होंठों को चबा गया था और आनंद ले रहा था। उसने तो सुंदरी के क्लिट और चूत को भी चखा था लेकिन उसकी स्वाद और गंध बेहतर थी। वह अपनी बहन की चूत का स्वाद भूल गया जो उसने कल रात को खाया था। अब उसने रेखा को उंगली की।

“ओह परम, ऐसा मत करो… मैं कुंवारी रहना चाहती हूँ, मेरी शादी सिर्फ कुछ ही दिन दूर है। आह्ह… परम, बहुत मजा, मत करो, मैं मर जाऊँगी। ओह्ह… मुझे मेरी अपनी आँखों से मत गिराओ… जो आपने किया है उससे मेरी चूत जल रही है, मेरी निपल कस रही है। उसने अपनी चूची को मसला। आह्ह… नहीं, एक उंगली और पुश करो दोनों एक साथ। हाँ हाँ, तेजी से, तेजी से और जोर से, तुम क्या कर रहे हो? आह्ह… मेरी गांड खोद रहे हो, चाटो, मेरी गांड चाटो। आह तेजी से गांड में दो उंगली से चोदो। मैं चुदना चाहती हूँ, लेकिन मैं कुंवारी रहना चाहती हूँ। तुम चाहेंगे कि कुछ दिन बाद मेरे पति मेरी ‘सील’ (कौमार्य) टूटी हुई देखकर मुझे गाली दें… और साथ ही मेरे परिवार को भी… मुझे चोदो। आह्ह…”

परम ने उसके शरीर से मुँह और उंगली हटा लिया और अचानक अपनी प्रेमिका की गांड के अंदर अपने लंड को पेल दिया।

“उह म...र....गई......ओ...म...री...म..अ....म...मी....ओह राजा… मेरी गांड में दर्द हो रही है…गांड फट जायेगी राजा मत मार इतना उसे...थोडा धीरे-धीरे डाल... अपने लंड को काबू में रख...वह मेरी गांड चीरे जा रहा है....ओ...माँ.....मैं गई आज....इस लंड से!!!!”

लेकिन परम ने धीरे-धीरे उसकी गांड के छेद को चिकना बनाया और फिर उसकी गांड में पेल दिया। वह उसे अपने सीने की ओर करके उसके पैरों को धक्का देकर आगे से उसे गांड में चोदा था। उसने रेखा को चूमा और उसके कसे बोबले को निचोड़ा। बोला- “रानी, मैं तुम्हारे पास चुदाई करने के लिए आया था, लेकिन टूटी सील देखकर तुम्हारा पति तुम पर क्रोधित हो सकता है, इसलिए मैंने अपने लंड को तम्हारी कसी गांड का स्वाद देने के बारे में सोचा…सही है ना!”

तब परम उसकी गांड चोदता रहा। लगा वो उसके लंड से खुल जाएगी। उसे सुंदरी और शेटानी की चुदाई किया था जो कभी दर्द महसूस कर रही थी। रेखा कि गांड का छेद बहुत तंग था। रेखा के पूरे शरीर में अकड़न हो गयी।

रेखा “परम प्लीज लंड बाहर निकालो, बहुत दर्द कर रहा है। मेरी छोटी सी गांड फट गयी। लगता है खून भी निकलेगा आह्ह… परम जिद मत करो इससे अच्छा है की लंड निकालकर मेरी चूत ही फाड़ डालो, मर जाऊँगी… आ कोई मजा नहीं… आह… परम धीरे-धीरे मारो। थोड़ा और धीरे… आह्ह अब ठीक लग रहा है…”

कुछ समय के बाद रेखा ने भी आराम मिला और अपने जीवन की पहली चुदाई का मज़ा लिया। उसकी गांड का कौमार्य टूटा चुका था और असली कौमार्य बचा हुअ था। उन लोगों ने चुदाई की। जब परम चरमोत्कर्ष के कगार पर आया तो उसने रेखा के मुँह में झड़ने का अनुरोध किया।

वो शुरू में विरोध किया लेकिन बहुत मनाने के बाद मान गई। परम ने गांड से लंड बाहर निकाला और सीधे उसके मुँह में पेल दिया। उसको निश्चित रूप से गंध पसंद नहीं आई और उसने मुँह बनाया लिकिन सब पी गयी, कुछ वीर्य उसके होठों से बाहर बहने लगा। उसने उंगलियों से उसे साफ किया। लंड सिकुड़ने के बाद उसने बाहर खींच लिया। परम ने चूत को सहलाया और कहा- “वह हमेशा से इस सुंदर माल को चाहता था और अब कोई और इसका मज़ा लेगा।“
मैत्री और नीता द्वारा अनुवादित कहानी आप पढ़ रहे है



जाइएगा नहीं लिख रही हु ..................
बहुत ही गरमागरम कामुक और उत्तेजना से भरपूर कामोत्तेजक अपडेट है मजा आ गया
परम ने रेखा के अनुरोध पर उसके चुद की सील उसके पती के लिये साबुत रख कर उसकी गांड का उद्घाटन कर ही दिया
जबरदस्त अपडेट
 

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रेखा ने उसे चूमा और कहा- “पति के अलावा केवल परम का लंड ही इस चूत के अदर जायेगा।“
शादी के बाद जब भी वो यहाँ आयेगी तो वो चुदाई के लिए परम के घर आयेगी। परम उसकी चूत से खेलता रहा और उसका लंड फिर खड़ा हो गया। रेखा फिर से सीधा लेट गई और परम को उसके पैरों के बीच बैठने के लिए कहा। उसने परम से उसके ऊपर लेटने को कहा और उसने लंड को अपनी चूत की दरार पर रगड़ा। परम अपना लंड पकड़ना चाहता था लेकिन रेखा ने उसे रोक दिया और उसने खुद लंड को अपनी क्लिट और चूत के छेद पर रगड़ा। रगड़ने से चूत की फांकें चौड़ी होने के साथ चूत गीली हो गयी। परम ने महसूस किया कि उसका लंड चूत की फांकों के बीच फँस गया है तो उसने दबा दिया।
यह कहानी नीता और मैत्री का अनुवादित है

रेखा ने चेतावनी दी- “तुम दबाओ मत दो, मुझे करने दो…प्लीज़!”


उसने लंड चलाने की गति बढ़ाई और थोड़ा लंड चूत में घुस गया । रेखा बंद आँखों से मज़ा ले रही था लेकिन उसका हाथ बड़ी सफाई से चल रहा था। परम अपने लंड पर रेखा की चूत की कोमलता और गीलापन महसूस कर सकता था। उसने उसके गालों और होठों को चूमा और अपने चूतड़ों को धक्का दिया जिससे आधा लंड चूत के अंदर सरक गया।

परम ने रुकावट महसूस की, रेखा ने भी दर्द महसूस किया और वो तुरंत लंड को थोड़ा ऊपर खींची। लेकिन परम नियंत्रण नहीं रख सका और चूत के अंदर ही वीर्य छोड़ दिया ।

दोनों ने आराम महसूस किया । उसने उसके टांगों को उसकी कमर पे लपेट लिया, उसे सहलाया और मज़ा देने के लिए धन्यवाद दिया ।

“तुमने तो मुझे लगभग चोद ही दिया है…परम तुम्हारा यह सुपारा बहोत अच्छा है मुझे ऐसे ही छोड़ दिया इस सुपारे ने और मेरी चूत फैला दी।” यह कहकर रेखा ने परम को नीचे धकेल दिया । दोनों ने कपड़े पहने और रेखा ने परम को आश्वासन दिया की ससुराल से वापस आने पर वो उसका पूरा लंड अपनी चूत के अंदर लेगी।

कुछ समय के बाद शेठानी कुछ अन्य महिलाओं के साथ लौट आई। उसने नशीली आँखों से परम को देखा लेकिन परम के लंड को उसकी चूत में लेने का कोई मौका नहीं था। उसने परम को आँख मारी और उसने सिर हिलाया जैसे कह रहा हो कि उसने उसकी बेटी को नहीं चोदा है।

उसने उसे आते रहने और जितना हो सके काम में उनकी मदद करने के लिए कहा।

जो हुआ उससे रेखा खुश थी ।

अगर परम उसकी चूत के अंदर लंड पुरा पेल भी देता, तो निश्चित रूप से वो उसे मना नहीं करती। उसने उसके कौमार्य को बरकरार रखते हुए लंड का मजा देने के लिये परम को मन ही मन धन्यवाद दिया।

परम बहुत बहुत खुश था। उसने विनोद के प्रति मन ही मन आभार भी व्यक्त किये की सुंदरी (अपनी मां) के बारे में उसकी अश्लील बातों ने ही उसे महिलाओं के साथ चुदाई करने के लिये प्रेरित किया था और पिछले कुछ दिनों में वह दो कुंवारी और दो परिपक्व महिलाओं के साथ चुदाई का मजा ले चुका था।

परम सोच रहा था की उसकी खुद की आंखों के सामने में विनोद द्वारा चोदे जाने के लिए सुंदरी को समझाना पडेगा । तभी उसे याद आ गया कि सुंदरी ने शेठजी से पैसे लेके आने के लिए उससे कहा था। उसने शेठजी के कार्यालय में प्रवेश किया और अपने पिता वहाँ बैठे देखा। उसके पिता ने पूछताछ की कि वह वहां क्या कर रहा है!

परम ने उनको बताया कि शेठानीने शेठजी के लिए कुछ संदेश भिजवाया था। उसने शेठजी की केबिन में प्रवेश किया और शेठजी की तरफ देखकर मुस्कुराया।



बने रहिये
बहुत ही गरमागरम कामुक और उत्तेजना से भरपूर मदमस्त अपडेट है मजा आ गया
गांड चुदाई के बाद रेखा ने परम का लंड सहलाने से खडा कर लिया और रेखा ने उस लंड को अपने हाथों से पकड कर चुद पर मजा लेने लगी परम के धक्के से बस सील तुटना बाकी रहा और चुदाई का खेल खेल लिया और वादा भी कर लिया ससुराल से आने के बाद परम से पुर्ण चुदाई करेगी
खैर देखते हैं आगे
 

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शेठजीने उसे बैठने के लिये कहा।

परम :- “शेठजी, सुंदरी आपसे चुदवाने को तैयार हो गयी है, और वह आपके लंड को शांत करने के लिए रेडी हो गई है, आखिर आप हमारे अन्नदाता जो हो। उसने रुपये लाने को कहा है। पूरा 50000/- जो आपने कहा था…!”

शेठ के चेहरा ख़ुशी से चमक उठा। उन्होंने परम का हाथ पकड़ा और पूछा, “सच में!!! सुंदरी ने ऐसा कहा?"

“हाँ, शेठजी....वैसे मुझे उसको मनाने में काफी पसीना बहाना पड़ा, पर खेर आखिर मान ही गई,और कौन कहेगा आपका माल है अब आपको ही तो संभालना है लेकिन आप उसे चोदेंगे कहाँ पर? आपके घर में…? शेठानी तैयार नहीं होगी… !”

“अरे नहीं, यही पीछे वाले कमरे में।"

उन्होंने आगे बोला “उस कमरे को दो दरवाजे है। एक दरवाजा इस कार्यालय से और एक दरवाजा पीछे से है। मैं और मेरे दोस्त इस कमरे का उपयोग आराम करने के लिए करते है। एक चाबी तुम अपने पास रख लो और सुंदरी को पीछले दरवाजे से अंदर ले आना।“

शेठजीने उनके मुनीमको (सुंदरी के पति) आवाज देकर बुलाया और उसे कुछ निर्देश दिये।

परम के पिता ने तिजोरी से पैसे निकाल लिए और एक बैग में डालके शेठ को दिये । मुनीम के कमरे से बाहर जाने के बाद शेठजीने वो बैग परम के हाथ में थमा दिया और कहा,

“कल शाम को सुंदरी को साथ लेकर आना.... मैं वो पीछे वाला कमरा तैयार रक्खुंगा और किसीको इस बात का पता भी नही चलने दुंगा…! तुम्हारी माँ को आराम से छोड़ कर वापिस आराम से उसके घर ले जा सकोगे।”

“मेरे बाप को इस बारेमे भनक भी नही पडनी चाहीए....वर्ना भेन्चोद मेरे जैसा बुरा ..... इस बात का भी आपको खयाल रखना पडेगा…”, परम ने कहा ।

एक नौकर शरबत के दो गिलास ले आया। अपने बेटे के साथ शेठ इतनी अच्छी तरह पेश आ रहा है यह देखकर मुनीम को आश्चर्य हुआ। वो बेचारा तो इस बात से अनजान था कि कल पीछे के कमरे में उसकी नाक के नीचे उसकी अपनी बीवी शेठ के लंड अपने मुँह में और चूत में लेने वाली है। उसकी बीवी का सौदा जो हो चुका था।

शरबत पिते पिते परम ने अचानक पूछा, “शेठजी, आपकी बेटी रेखा बहोत प्यारी है, जब वो ससुराल चली जाएगी …आप बहोत अकेला महसूस करेंगे।"

“हाँ परम, मैं उससे बहुत प्यार करता हूँ। इकलौती बेटी है वो मेरी!” और मुझे पता है, वह भी तुम्हे बहुत ज्यादा पसंद करती है। है ना?"

“हाँ… शेठजी, शादी के बाद वो कही दूर चली जाएगी ये सोच के ही मुझे बहुत दु:ख होता है। उसने मेरी जिंदगी खुशियोंसे भर दी थी…।।!”

शेठजी को कहां पता था यह जवान लड़का पहले ही उसकी मोटी बिवी की चूत से खेला है और बेटी की गांड मार चुका है।

परम:- “शेठजी, आप सुंदरी के पीछे क्यों पडे हैं ? क्या शेठानी आपको अच्छी नही लगती? मुझे तो वो बहुत प्यारी लगती है।"

शेठजी:- “तू बच्चा है, तुझे नहीं मालूम, साली (शेठानी) बिल्कुल थूल-थूल हो गयी है। उसमें कुछ मजा नहीं है कही भी हाथ लगाओ तो लगता है की माँस के लोथडे (मीट लोफ) को दबा रहा हूँ। लेकिन तेरी माँ सुंदरी को देखते ही पूरे बदन में खुन दौड़ने लगता है, बहुत मजा आएगा साली को दबाने में…चोदने में।”
आप नीता और मैत्री की अनुवादित रचना पढ़ रहे है

शेठ पुरा गरमा गया था । परम ने फिर पूछा, “शेठानी के अलावा और किस-किस को चोदा है अब तक?”

“अरे बेटे, जवानी के दिनों में तो बहुतो को चोदा है, जो औरत घर में आती थी सबको बहला फुसलाकर या पैसा देकर चोद लेता था…!”

“तो फिर सुंदरी को क्यों नहीं चोदा? वो भी तो आपके घर में आती-जाती थी! आज 36 साल की उम्रमें ऐसी मस्त माल लगती है तो पहले कैसी लगती होगी…?”


आपकी राय की अपेक्षा.........
बडा ही जबरदस्त शानदार और जानदार मदमस्त अपडेट है मजा आ गया
अब शेठजी का सुंदरी को चोदने का सपना लगभग पुरा होने के कगार पर हैं एक बेटा अपनी माँ को चुदवाने का सौदा कर लिया हैं
खैर देखते हैं आगे क्या होता है
अगले रोमांचकारी धमाकेदार और चुदाईदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा
 

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बडा ही शानदार और जानदार मदमस्त अपडेट है मजा आ गया
अपनी माँ को दो बार चोदने बाद परम अब रेखा को कली से फुल बनाने आ पहुंचा हवेली
Ji ab dekhte hai kali ful bani ki nahi....
Janiye mere sath aage kahani ko
 
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बहुत ही गरमागरम कामुक और उत्तेजना से भरपूर कामोत्तेजक अपडेट है मजा आ गया
परम ने रेखा के अनुरोध पर उसके चुद की सील उसके पती के लिये साबुत रख कर उसकी गांड का उद्घाटन कर ही दिया
जबरदस्त अपडेट
Ji rekha ka ek tarike se uski ichchha ko sanmaan diya.
Control karns us waqt kisi bhi aakruti ke liye mushkil hota hai.
 
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