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शक्ति की साधना रूपी रात्रि की आप सबको शुभकामनाये।

माँ, जगतजननी अम्बे माँ की अमी दृष्टि और कृपा, हम सब पर और "
हमारे भात" पर बनी रहे।

यही प्रार्थना....

जय भा, जय माँ दुर्गा।



Shakti ki sadhna rupi NAVRATRI ki aap sabko shubhkamnaye.

Maa, Jagatajanani Ambe Maa ki AMI DRASHTI AUR KRUPA ham sab par aur "Hamaare
BHARAT" par bani rahe.

Yahi prarthna....

Jai BHARAT, Jay Maa Durga.


Best wishes to all of you for NAVRATRI, the worship of
Shakti.

May the blessed glance and blessings of Maa, Ambe Maa, Mother of the Universe, remain upon all of us and upon "
Our BHARAT."

This is my prayer...

Jai BHARAT, Jai Maa Durga.



🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏


 

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अब आगे.................


महक ने मुनीम को कुछ देर तक अपनी चूत और बोबले चूसने दिया और फिर वह उठ कर अपनी नंगी माँ के पास सो गयी। परम के साथ दो बार चुदाई के बाद परम ने पूनम को मुनीम के साथ बाहर जाने की इजाजत नहीं दी। पूनम को मानना पड़ा कि रेखा और महक परम के लंड के बारे में सही थीं। इसमें किसी भी चुत को मजा देने की ताकत है। मैत्री और फनलवर की रचना


लेकिन उसे नहीं पता था कि हर चूत और गांड की अपनी पसंद होती है। रेखा और वह खुद परम का लंड पसंद था लेकिन सुंदरी को विनोद का लंड पसंद था। महक को भी विनोद का लंड पसंद था लेकिन अब वह बाप के लंड से भी प्यार करने लगी थी। महक को एक बार अपने किए पर पछतावा हो रहा था की लंड आखिर लंड है उसको सत्कारने की जिम्मेदारी हर चूत की है लेकिन वह कुछ कर नहीं सकती थी। फिर उसने सोचा की अगर वह चाहती तो अपने बाप का लंड अपनी गांड में समां सकती थी लेकिन वह भी डर था की इतना बड़ा सुपारा वाला बाबूजी का लंड उसकी गांड का कुमारी भंग करने के बाद क्या हाल होता। शायद हॉस्पिटल ही जाना पड़ता। पर फिर भी उसने सोचा की उसने अपने बाप का लंड शांत तो किया, उसका माल गिरा कर ही सही चाहे वह गलत तरिका था। एक मन कहता था की उसको उसकी गांड मरवा लेनी चाहिए थी ताकि एक औरत होने के नाते लंड को शांत करना जरुरी होता है यह गाव का अनकहा नियम जो था। दूसरी तरफ वह खुश थी की इतना बड़ा सुपारे से गांड नहीं मरवाई। लेकिन उसने तय जरुर किया की अब वह बाबूजी का लंड खुद की चूत में समाएगी यह भी उसका प्रेम ही था उसके बाप के लंड प्रति। पछतावा और ख़ुशी इस दोनों के बिच में कब उसकी ऊँगली गांड में चली गई और खुद की गांड मारते-मारते कब सो गई पता नहीं चला।


सुंदरी हमेशा की तरह सुबह सबसे पहले उठी और सबसे पहले उसने अपनी खूबसूरत और सेक्सी बेटी की छोटे बालों वाली चूत देखी। उसने देखा की उसकी एक ऊँगली अभी भी उसकी गांड में फँसी हुई है, सुंदरी ने बड़े आराम से उसकी ऊँगली को गांड के छेद से मुक्त किया और उसको चाट गई, उसने महक के कुल्हे को चूमा और ढक लिया।

उसने खुद को देखा। वह सिर्फ़ पेटीकोट में थी और उसने पाया कि उसकी रसीली निपल उसकी छाती पर मजबूती से टिकी हुई थी। उसने उसे धीरे से दबाया खिंचा और छोड़ दिया और उसी हालत में वह कमरे से बाहर आ गई।

उसने परम के कमरे का दरवाज़ा धक्का दिया और देखा कि परम और पूनम दोनों एक-दूसरे को कसकर पकड़े हुए नग्न सो रहे हैं। वह मुस्कुराई और परम के आधे खड़े लंड को दबा दिया। उसने पूनम को घूर कर देखा, काफी चुदी हुई चूत दिख रही थी उसकी और परम का माल उस चूत से धीरे धीरे बहार भी आता दिखाई देता था। उसका शरीर बहुत दुबला-पतला था। उसने धीरे से पूनम को बिस्तर पर लिटा दिया। सुंदरी ने पूनम के पैर अलग किए और उसकी चूत को देखा। वह भी बहुत सारे जघन बालों से ढका हुआ था और उसने उसे धीरे से सहलाया। पूनम कराह उठी और सुंदरी कमरे से बाहर आ गई। वह नहीं चाहती थी कि पूनम को पता चले कि उसने उन्हें नग्न अवस्था में देखा है।

तभी सुंदरी ने अपने पति को बरामदे में बिल्कुल नग्न लेटा देखा। उसने उसे जगाया और कहा कि अगर वह अभी भी सोना चाहता है तो अंदर चला जाए। सुंदरी ने उसे उसकी लुंगी दी और मुनीम उसे लेकर अपने कमरे में चला गया। बिना यह सोचे कि उसकी बेटी चादर के अंदर सो रही है, उसने भी चादर उठा ली और महक के बगल में सो गया। अनजाने में महक भी करवट बदल गई और बिना यह जाने कि उसके बगल में कौन सो रहा है, उसने अपनी टाँगें उठाकर मुनीम की जांघों पर रख दीं। मुनीम ने भी उसे बाहों में ले लिया और दोनों कुछ देर और सोते रहे, जब तक कि सुंदरी ने उन्हें जगा नहीं दिया। महक सबसे पहले उठी और उसने अपने आप को देखा। बाबूजी का लंड उसकी दोनो झांगो के बिच ठीक अपनी चूत के द्वार पर आराम कर रहा था। उसे शर्म आ रही थी कि माँ ने उसे पिता के साथ नग्न सोते हुए देख लिया। उसने अपना बचाव करने की कोशिश की

“माँ, यहाँ तो तुम सोई थी, बाबूजी कब आ गए…, मुझे मालूम ही नहीं पड़ा..?”
मैत्री और नीता द्वारा रचित कहानी

सुंदरी ने उसके गाल थपथपाये और बोली, “कोई बात नहीं… बाप ने कुछ किया तो नहीं? और हां पकड़ कर देख ले बाप का ही लंड था ना!” सुंदरी ने यह सब जानबुज कर किया था और इसीलिए वह मुस्कुरा रही थी।

“छि… माँ, बाबुजी का लंड मैं कैसे पकड़ सकती हु! और धीरे से जैसे कुछ टेके की सहारा लेती हो ऐसे उसने बाबूजी के लंड पर हाथ रखा और उसकी झांगो के बिच से लंड को थोडा सहलाते हुए साइड में कर दिया।” और महक बाहर चली गई। उसने परम और पूनम को जगाया।

महक ने पूनम से कहा, "क्यों रानी कुछ मजा आया ना! एक रात में दो-दो लंड का मजा मिला।" महक ने पूनम को बाहों में ले लिया और उसे कसकर गले लगाते हुए कहा, "किसका लंड ज्यादा मजा दिया..?"

“रानी, तुम खुद दोनों का स्वाद लेकर फैसला करो, कौन सा ज्यादा अच्छा है, मैं क्यों बताऊं।” पूनम ने महक को दूर धकेला और कपड़े पहने। सब खुश थे। सब तैयार हुए, नाश्ता किया और साढ़े आठ बजे तक जब मुनीम अपने ऑफिस जाने वाला था,

सुंदरी ने उसे सुझाव दिया कि वह पूनम को अपने साथ ले जाए और उसे रास्ते में पड़ने वाले घर तक छोड़ दे। मुनीम पूनम के साथ बाहर आया और नीचे चला गया। वह समज गया की सुंदरी की तरफ से इशारा है। उसने पूनम से शिकायत की कि उसने इंतज़ार किया, लेकिन वह नहीं आई। पूनम ने जवाब दिया कि वह तो आना तो चाहती थी, लेकिन परम ने उसे कमरे से बाहर नहीं जाने दिया। मुनीम ने यह भी नहीं पूछा कि क्या परम ने उसे भी चोदा! पूनम ने जवाब तो नहीं दिया पर आँख के इशारे में हां कहा तो मुनीम को बात समझ में आ गई। वह दुखी तो हुआ, लेकिन चुप रहा।

पूनम समझ गई और बोली,
मैत्री और फनलवर से रचित कहानी

"काका, बहुत मज़ा आया, मालूम नहीं, फिर कब तुम्हारा लंड मेरी चूत को आनंद दे पाऊँगी!."

“मुझे भी इतना मजा तुम्हारी काकी (सुंदरी) को चोदने में नहीं आया था, तेरी चूत बहुत मस्त है।” मुनीम ने उसकी ओर देखा और अनुरोध किया,

“आज शाम को आ जाओ, महक भी नहीं होगी, हम दोनो खूब चुदाई करेंगे..!”


“कोशिश करूंगी…काका मुझे आपके लंड से प्रेम हो गया है अब तो।” पूनम ने जवाब दिया और मुनीम की ओर देखा, “काका,किसी को भी बोलना मत, कि मैंने तुमसे चुदवाया है और आगे भी चुदवाउंगी, परम से भी नहीं। अब शायद आप जान ही गए है की परम का लोडा भी मेरी चूत को लोक कर गया है, काका फिर भी मैं आपसे चुदवाना चाहूंगी और वह भी बार बार।”


बने रहिये इस कहानी में और इस एपिसोड के बारे में अपनी राय दीजियेगा जरुर........


शुक्रिया
 
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माताराणी आप को शक्ती दे
जय माता दी
 
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लेकिन उसे नहीं पता था कि हर चूत और गांड की अपनी पसंद होती है। रेखा और वह खुद परम का लंड पसंद था लेकिन सुंदरी को विनोद का लंड पसंद था। महक को भी विनोद का लंड पसंद था लेकिन अब वह बाप के लंड से भी प्यार करने लगी थी। महक को एक बार अपने किए पर पछतावा हो रहा था की लंड आखिर लंड है उसको सत्कारने की जिम्मेदारी हर चूत की है लेकिन वह कुछ कर नहीं सकती थी। फिर उसने सोचा की अगर वह चाहती तो अपने बाप का लंड अपनी गांड में समां सकती थी लेकिन वह भी डर था की इतना बड़ा सुपारा वाला बाबूजी का लंड उसकी गांड का कुमारी भंग करने के बाद क्या हाल होता। शायद हॉस्पिटल ही जाना पड़ता। पर फिर भी उसने सोचा की उसने अपने बाप का लंड शांत तो किया, उसका माल गिरा कर ही सही चाहे वह गलत तरिका था। एक मन कहता था की उसको उसकी गांड मरवा लेनी चाहिए थी ताकि एक औरत होने के नाते लंड को शांत करना जरुरी होता है यह गाव का अनकहा नियम जो था। दूसरी तरफ वह खुश थी की इतना बड़ा सुपारे से गांड नहीं मरवाई। लेकिन उसने तय जरुर किया की अब वह बाबूजी का लंड खुद की चूत में समाएगी यह भी उसका प्रेम ही था उसके बाप के लंड प्रति। पछतावा और ख़ुशी इस दोनों के बिच में कब उसकी ऊँगली गांड में चली गई और खुद की गांड मारते-मारते कब सो गई पता नहीं चला।


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"काका, बहुत मज़ा आया, मालूम नहीं, फिर कब तुम्हारा लंड मेरी चूत को आनंद दे पाऊँगी!."

“मुझे भी इतना मजा तुम्हारी काकी (सुंदरी) को चोदने में नहीं आया था, तेरी चूत बहुत मस्त है।” मुनीम ने उसकी ओर देखा और अनुरोध किया,

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“कोशिश करूंगी…काका मुझे आपके लंड से प्रेम हो गया है अब तो।” पूनम ने जवाब दिया और मुनीम की ओर देखा, “काका,किसी को भी बोलना मत, कि मैंने तुमसे चुदवाया है और आगे भी चुदवाउंगी, परम से भी नहीं। अब शायद आप जान ही गए है की परम का लोडा भी मेरी चूत को लोक कर गया है, काका फिर भी मैं आपसे चुदवाना चाहूंगी और वह भी बार बार।”


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लेकिन उसे नहीं पता था कि हर चूत और गांड की अपनी पसंद होती है। रेखा और वह खुद परम का लंड पसंद था लेकिन सुंदरी को विनोद का लंड पसंद था। महक को भी विनोद का लंड पसंद था लेकिन अब वह बाप के लंड से भी प्यार करने लगी थी। महक को एक बार अपने किए पर पछतावा हो रहा था की लंड आखिर लंड है उसको सत्कारने की जिम्मेदारी हर चूत की है लेकिन वह कुछ कर नहीं सकती थी। फिर उसने सोचा की अगर वह चाहती तो अपने बाप का लंड अपनी गांड में समां सकती थी लेकिन वह भी डर था की इतना बड़ा सुपारा वाला बाबूजी का लंड उसकी गांड का कुमारी भंग करने के बाद क्या हाल होता। शायद हॉस्पिटल ही जाना पड़ता। पर फिर भी उसने सोचा की उसने अपने बाप का लंड शांत तो किया, उसका माल गिरा कर ही सही चाहे वह गलत तरिका था। एक मन कहता था की उसको उसकी गांड मरवा लेनी चाहिए थी ताकि एक औरत होने के नाते लंड को शांत करना जरुरी होता है यह गाव का अनकहा नियम जो था। दूसरी तरफ वह खुश थी की इतना बड़ा सुपारे से गांड नहीं मरवाई। लेकिन उसने तय जरुर किया की अब वह बाबूजी का लंड खुद की चूत में समाएगी यह भी उसका प्रेम ही था उसके बाप के लंड प्रति। पछतावा और ख़ुशी इस दोनों के बिच में कब उसकी ऊँगली गांड में चली गई और खुद की गांड मारते-मारते कब सो गई पता नहीं चला।


सुंदरी हमेशा की तरह सुबह सबसे पहले उठी और सबसे पहले उसने अपनी खूबसूरत और सेक्सी बेटी की छोटे बालों वाली चूत देखी। उसने देखा की उसकी एक ऊँगली अभी भी उसकी गांड में फँसी हुई है, सुंदरी ने बड़े आराम से उसकी ऊँगली को गांड के छेद से मुक्त किया और उसको चाट गई, उसने महक के कुल्हे को चूमा और ढक लिया।

उसने खुद को देखा। वह सिर्फ़ पेटीकोट में थी और उसने पाया कि उसकी रसीली निपल उसकी छाती पर मजबूती से टिकी हुई थी। उसने उसे धीरे से दबाया खिंचा और छोड़ दिया और उसी हालत में वह कमरे से बाहर आ गई।

उसने परम के कमरे का दरवाज़ा धक्का दिया और देखा कि परम और पूनम दोनों एक-दूसरे को कसकर पकड़े हुए नग्न सो रहे हैं। वह मुस्कुराई और परम के आधे खड़े लंड को दबा दिया। उसने पूनम को घूर कर देखा, काफी चुदी हुई चूत दिख रही थी उसकी और परम का माल उस चूत से धीरे धीरे बहार भी आता दिखाई देता था। उसका शरीर बहुत दुबला-पतला था। उसने धीरे से पूनम को बिस्तर पर लिटा दिया। सुंदरी ने पूनम के पैर अलग किए और उसकी चूत को देखा। वह भी बहुत सारे जघन बालों से ढका हुआ था और उसने उसे धीरे से सहलाया। पूनम कराह उठी और सुंदरी कमरे से बाहर आ गई। वह नहीं चाहती थी कि पूनम को पता चले कि उसने उन्हें नग्न अवस्था में देखा है।

तभी सुंदरी ने अपने पति को बरामदे में बिल्कुल नग्न लेटा देखा। उसने उसे जगाया और कहा कि अगर वह अभी भी सोना चाहता है तो अंदर चला जाए। सुंदरी ने उसे उसकी लुंगी दी और मुनीम उसे लेकर अपने कमरे में चला गया। बिना यह सोचे कि उसकी बेटी चादर के अंदर सो रही है, उसने भी चादर उठा ली और महक के बगल में सो गया। अनजाने में महक भी करवट बदल गई और बिना यह जाने कि उसके बगल में कौन सो रहा है, उसने अपनी टाँगें उठाकर मुनीम की जांघों पर रख दीं। मुनीम ने भी उसे बाहों में ले लिया और दोनों कुछ देर और सोते रहे, जब तक कि सुंदरी ने उन्हें जगा नहीं दिया। महक सबसे पहले उठी और उसने अपने आप को देखा। बाबूजी का लंड उसकी दोनो झांगो के बिच ठीक अपनी चूत के द्वार पर आराम कर रहा था। उसे शर्म आ रही थी कि माँ ने उसे पिता के साथ नग्न सोते हुए देख लिया। उसने अपना बचाव करने की कोशिश की

“माँ, यहाँ तो तुम सोई थी, बाबूजी कब आ गए…, मुझे मालूम ही नहीं पड़ा..?”
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सुंदरी ने उसके गाल थपथपाये और बोली, “कोई बात नहीं… बाप ने कुछ किया तो नहीं? और हां पकड़ कर देख ले बाप का ही लंड था ना!” सुंदरी ने यह सब जानबुज कर किया था और इसीलिए वह मुस्कुरा रही थी।

“छि… माँ, बाबुजी का लंड मैं कैसे पकड़ सकती हु! और धीरे से जैसे कुछ टेके की सहारा लेती हो ऐसे उसने बाबूजी के लंड पर हाथ रखा और उसकी झांगो के बिच से लंड को थोडा सहलाते हुए साइड में कर दिया।” और महक बाहर चली गई। उसने परम और पूनम को जगाया।

महक ने पूनम से कहा, "क्यों रानी कुछ मजा आया ना! एक रात में दो-दो लंड का मजा मिला।" महक ने पूनम को बाहों में ले लिया और उसे कसकर गले लगाते हुए कहा, "किसका लंड ज्यादा मजा दिया..?"

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सुंदरी ने उसे सुझाव दिया कि वह पूनम को अपने साथ ले जाए और उसे रास्ते में पड़ने वाले घर तक छोड़ दे। मुनीम पूनम के साथ बाहर आया और नीचे चला गया। वह समज गया की सुंदरी की तरफ से इशारा है। उसने पूनम से शिकायत की कि उसने इंतज़ार किया, लेकिन वह नहीं आई। पूनम ने जवाब दिया कि वह तो आना तो चाहती थी, लेकिन परम ने उसे कमरे से बाहर नहीं जाने दिया। मुनीम ने यह भी नहीं पूछा कि क्या परम ने उसे भी चोदा! पूनम ने जवाब तो नहीं दिया पर आँख के इशारे में हां कहा तो मुनीम को बात समझ में आ गई। वह दुखी तो हुआ, लेकिन चुप रहा।

पूनम समझ गई और बोली,
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"काका, बहुत मज़ा आया, मालूम नहीं, फिर कब तुम्हारा लंड मेरी चूत को आनंद दे पाऊँगी!."

“मुझे भी इतना मजा तुम्हारी काकी (सुंदरी) को चोदने में नहीं आया था, तेरी चूत बहुत मस्त है।” मुनीम ने उसकी ओर देखा और अनुरोध किया,

“आज शाम को आ जाओ, महक भी नहीं होगी, हम दोनो खूब चुदाई करेंगे..!”


“कोशिश करूंगी…काका मुझे आपके लंड से प्रेम हो गया है अब तो।” पूनम ने जवाब दिया और मुनीम की ओर देखा, “काका,किसी को भी बोलना मत, कि मैंने तुमसे चुदवाया है और आगे भी चुदवाउंगी, परम से भी नहीं। अब शायद आप जान ही गए है की परम का लोडा भी मेरी चूत को लोक कर गया है, काका फिर भी मैं आपसे चुदवाना चाहूंगी और वह भी बार बार।”


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बहुत ही गरमागरम कामुक और शानदार मदमस्त अपडेट है मजा आ गया
अगले रोमांचकारी धमाकेदार और चुदाईदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा
 

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मुनीम उसे पकड़ कर चूमना चाहता था लेकिन वहाँ कई राहगीर थे। उन्होंने नियंत्रण किया। पूनम के घर आये और उन्होंने देखा कि पूनम के पिता बाहर खड़े थे। पूनम अंदर चली गई लेकिन मुनीम ने उसके पिता से कुछ बात की और फिर वह ऑफिस की ओर चला गया।

घर पर, परम और महक अपने कॉलेज के लिए तैयार हो गए। इस दौरान सुंदरी ने परम से पूनम के बारे में पूछा तो परम ने जवाब दिया कि वह भी कुंवारी थी। इस पर महक हैरान रह गई और उसने सोचा कि उसका भाई भले ही कम औरतों के साथ संभोग करता हो, फिर भी नौसिखिया है, वरना उसे कैसे पता नहीं चलता कि पूनम के साथ पहले भी संभोग हो चुका है! परम ने फिर कहा कि वह उसके साथ चुदाई करना चाहता है और महक के खूबसूरत जिस्म से खेलना चाहता है। उसने एक साथ माँ और बहन, दोनों के स्तन दबा दिए।

सुंदरी ने कहा कि “आज रात वह बेटी की मौजूदगी में फिर से उससे चुदवाएगी, ठीक है!।
मैत्री और फनलवर की रचना है

“लेकिन आज रात में तुम्हारी गांड मारूँगा।” परम ने दोनों की जांघों के बीच हाथ डाला और उनकी चूत रगड़ी। “कभी गांड मरवाई हो, माँ?”

“नहीं रे.. लेकिन सुना है कि गांड मरवाने में भी मज़ा आता है…।” सुंदरी ने सोचा की वह भी सफ़ेद झूठ बोल सकती है।

“तभी तो रेखा रोज़ मेरे लंड से गांड मरवाती है…” परम ने जवाब दिया और उनकी गांड में उंगली डाली।

“आह… भैया…। उतना बोलते ही परम घर से बहार निकल गया।

महक ने अपनी माँ की तरफ रुख करते “मम्मी, मेरी चूत की प्यास कब बुझेगी? माँ अब मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रही है, जल्दी से मेरे लिए लंड का इंतज़ाम करो नहीं तो मैं बाबूजी का लंड ही चूत के अन्दर ले लुंगी। महक ने सुंदरी की चुची को दबाया और कहा:

“बाप रे कितना बड़ा और मस्त सुपाड़ा है, चूत को तो फाड़ ही डालता होगा..तुम कैसे रोज रोज चुदवाती हो माँ..!”

“अब तो आदत हो गई है बेटी, लेकिन तू चिंता मत कर, आज ही मैं सेठ को बोलती हूं कि तुम्हारी सील तोड़ने के लिए किसी सेठ को ढूंढो…” सुंदरी ने जवाब दिया और महक का हाथ अपनी चूत से खींच लिया।

सुंदरी ने देखा की अब कोई नहीं है तो दो बात महक से भी की जाए।
मैत्री और फनलवर की रचना है

“हां, तो अब तुम्हे तुम्हारे बाबूजी का लंड पसंद आने लगा है। परम और विनोद तो अब बेचारे की केटेगरी में चले गए।“ सुंदरी ने महक की फ्रोक को थोडा ऊपर किया और चूत की दरार को थोडा फैलाया।

महक ने सुदरी का हाथ को थोडा ऊपर पेट तक ले गई और बोली: “ओह्ह मम्मी, आपको चुदते हुए देखा, सुधा की सिल मेरे सामने टूटी, और अब पूनम की सिल भी टूट गई। आप समजो मेरी मनोदशा क्या होती होगी जब इतने लडकिया को अपने ही सामने औरत बनते देखा और सामने परम और बाबूजी का लंड हो फिर भी कुछ पैसो के लिए आपने मेरी सिल को बंद कर के रखा है।“

“हा बेटी, मैं समज सकती हु।“ सुंदरी को कल रात की बात याद आ गई और उसे लगा की अब मौक़ा है बेटी को अपने बाप की ओर धकेलना।

“देखो बेटी, अब मुझे यह बताओ की तुम्हारे बाबूजी का लोडा कैसा लगा! तुम्हारी चूत के लायक है?”

“देखो मम्मी, मुझे बाबूजी लोडा बहोत अच्छा लगा लेकिन परम का लंड भी कुछ कम नहीं।और आप ही कह रही थी की हम चूतो का काम ही है लंडो को ढीला करना। मैंने बस बाबूजी का लंड देखा।“

“सच????? देख झूठ मत बोल।” उसने शरारती आँखों से महक की निपल को खिंचा।
मैत्री और फनलवर की रचना है

“मम्मी......” महक ने सिर्फ इतना कहा और अपनी निपल को छुड़ाया।

मम्मी ने फिर से आँखे चौड़ी की और उसके सामने देखा।

महक ने जमीन की ओर नजर रख के बोला ”तुमको कैसे पता??”

“देखो बेटी, जब बेटी की उम्र हो जाती है, चूत में फड़क आने लगती है तब वह भूल जाती है की उसकी माँ भी वही राह से गुजर चुकी है, जिस राह पर तुम चल रही हो, और माँ को चोदु बनाने लगती है, और देखो हर माँ चोदु बनती भी है,जानबुज कर। जब तुम अपनी जवानी पर थी तब तुम अपने पापा के सामने छोटे फ्रॉक पहनके उनके सामने बैठती हो और जैसे सामान्य है उस तरह से पापा की नजर को देखती हो की उनकी नजर तुम्हारी चूत पर पड़ती है या नहीं, अपनी चूत को खोलना फिर तुरंत सिकोड़ना.....पापा भी मजे लेते है और दोनों यह समजते है की माँ को कुछ पता नहीं चलता। पर मैं तुम्हारी माँ हु, और सब से पहले मैं भी उस राह से जा चुकी हु और इन सब से खास बात मैं औरत हु। पर जैसे की अपने गाँव में ऐसा होता आया है और आगे होगा भी यह समज के मैंने तुम को मौन रह के खुली छुट दे राखी थी ताकि अपने पापा को ललचा सको और अपने प्रति आकर्षण बना रखो।“

“ओह्ह माँ, सो सोरी। मुझे यह सब समजना चाहिए था।“ महक सुंदरी के नजदीक आई और उसके गाल पर किस कर दी और एक ऊँगली उसकी गांड में पेरो दी।

मम्मी ने भी कोई विरोध नहीं किया और थोडा झुकी ताकि उसकी ऊँगली सफलता पा सके।

“और आज सुबह तुम्हे पता था फिर भी तुमने उनके लंड को अपनी झांगो के बिच आराम करने दिया, मैंने यह देखा था और हाँ, मैंने ही उनको रूम में भेजा था और उनको नहीं बताया की महक वह नंगी सो रही है।“

“थेंक यु मम्मी, लेकिन अब मुझे लंड की जरुरत है।” उसने अपनी ऊँगली सुंदरी की गांड में आगे पीछे करती हुई बोली।

“देख बेटे, बस थोड़ी देर और रुक जा तेरा सिल एक मालदार व्यक्ति को भेट कर दे और बाद में मैं तुम्हे अपने सामने तेरे बाबूजी से चुदवाउंगी। मेरी सौतन बनेगी ना, इमली काकी की तरह!”

“हां मम्मी, अगर तुम पति-पत्नी मुझे स्विकारोगी तो मैं तो तैयार हु पर सौतन नहीं बनूँगी, लेकिन शादी के बाद अगर बाबूजी का लंड चाहेगा तो मैं उनके लंड से फुग्गा फुला लुंगी (प्रेग्नेंट बन जाउंगी)।“

“तब तो तुम्हे मुझे माँ नहीं पर सुंदरी ही कहना पड़ेगा। हा... हा... हा.... हा, मुझे कोई आपत्ति नहीं है बेटे, जिस से मन करे चुदवाओ लेकिन बस पैसा लाओ। अभी फिलहाल तो तेरे इस माल को सही सलामत रखो। जल्द ही कुछ करती हु बेटे। लेकिन फिलहाल तो यह सब बाते हम दोनों के बिच में ही रखो। ओके?“



उसी समय एक दस्तक हुई। मैत्री और फनलवर की रचना है


बने रहिये और इस एपिसोड के बारेमे आपका मन्तव्य दे..............प्लीज़...................


जय भारत

शुक्रिया
 

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अब आगे.................


महक ने मुनीम को कुछ देर तक अपनी चूत और बोबले चूसने दिया और फिर वह उठ कर अपनी नंगी माँ के पास सो गयी। परम के साथ दो बार चुदाई के बाद परम ने पूनम को मुनीम के साथ बाहर जाने की इजाजत नहीं दी। पूनम को मानना पड़ा कि रेखा और महक परम के लंड के बारे में सही थीं। इसमें किसी भी चुत को मजा देने की ताकत है। मैत्री और फनलवर की रचना


लेकिन उसे नहीं पता था कि हर चूत और गांड की अपनी पसंद होती है। रेखा और वह खुद परम का लंड पसंद था लेकिन सुंदरी को विनोद का लंड पसंद था। महक को भी विनोद का लंड पसंद था लेकिन अब वह बाप के लंड से भी प्यार करने लगी थी। महक को एक बार अपने किए पर पछतावा हो रहा था की लंड आखिर लंड है उसको सत्कारने की जिम्मेदारी हर चूत की है लेकिन वह कुछ कर नहीं सकती थी। फिर उसने सोचा की अगर वह चाहती तो अपने बाप का लंड अपनी गांड में समां सकती थी लेकिन वह भी डर था की इतना बड़ा सुपारा वाला बाबूजी का लंड उसकी गांड का कुमारी भंग करने के बाद क्या हाल होता। शायद हॉस्पिटल ही जाना पड़ता। पर फिर भी उसने सोचा की उसने अपने बाप का लंड शांत तो किया, उसका माल गिरा कर ही सही चाहे वह गलत तरिका था। एक मन कहता था की उसको उसकी गांड मरवा लेनी चाहिए थी ताकि एक औरत होने के नाते लंड को शांत करना जरुरी होता है यह गाव का अनकहा नियम जो था। दूसरी तरफ वह खुश थी की इतना बड़ा सुपारे से गांड नहीं मरवाई। लेकिन उसने तय जरुर किया की अब वह बाबूजी का लंड खुद की चूत में समाएगी यह भी उसका प्रेम ही था उसके बाप के लंड प्रति। पछतावा और ख़ुशी इस दोनों के बिच में कब उसकी ऊँगली गांड में चली गई और खुद की गांड मारते-मारते कब सो गई पता नहीं चला।


सुंदरी हमेशा की तरह सुबह सबसे पहले उठी और सबसे पहले उसने अपनी खूबसूरत और सेक्सी बेटी की छोटे बालों वाली चूत देखी। उसने देखा की उसकी एक ऊँगली अभी भी उसकी गांड में फँसी हुई है, सुंदरी ने बड़े आराम से उसकी ऊँगली को गांड के छेद से मुक्त किया और उसको चाट गई, उसने महक के कुल्हे को चूमा और ढक लिया।

उसने खुद को देखा। वह सिर्फ़ पेटीकोट में थी और उसने पाया कि उसकी रसीली निपल उसकी छाती पर मजबूती से टिकी हुई थी। उसने उसे धीरे से दबाया खिंचा और छोड़ दिया और उसी हालत में वह कमरे से बाहर आ गई।

उसने परम के कमरे का दरवाज़ा धक्का दिया और देखा कि परम और पूनम दोनों एक-दूसरे को कसकर पकड़े हुए नग्न सो रहे हैं। वह मुस्कुराई और परम के आधे खड़े लंड को दबा दिया। उसने पूनम को घूर कर देखा, काफी चुदी हुई चूत दिख रही थी उसकी और परम का माल उस चूत से धीरे धीरे बहार भी आता दिखाई देता था। उसका शरीर बहुत दुबला-पतला था। उसने धीरे से पूनम को बिस्तर पर लिटा दिया। सुंदरी ने पूनम के पैर अलग किए और उसकी चूत को देखा। वह भी बहुत सारे जघन बालों से ढका हुआ था और उसने उसे धीरे से सहलाया। पूनम कराह उठी और सुंदरी कमरे से बाहर आ गई। वह नहीं चाहती थी कि पूनम को पता चले कि उसने उन्हें नग्न अवस्था में देखा है।

तभी सुंदरी ने अपने पति को बरामदे में बिल्कुल नग्न लेटा देखा। उसने उसे जगाया और कहा कि अगर वह अभी भी सोना चाहता है तो अंदर चला जाए। सुंदरी ने उसे उसकी लुंगी दी और मुनीम उसे लेकर अपने कमरे में चला गया। बिना यह सोचे कि उसकी बेटी चादर के अंदर सो रही है, उसने भी चादर उठा ली और महक के बगल में सो गया। अनजाने में महक भी करवट बदल गई और बिना यह जाने कि उसके बगल में कौन सो रहा है, उसने अपनी टाँगें उठाकर मुनीम की जांघों पर रख दीं। मुनीम ने भी उसे बाहों में ले लिया और दोनों कुछ देर और सोते रहे, जब तक कि सुंदरी ने उन्हें जगा नहीं दिया। महक सबसे पहले उठी और उसने अपने आप को देखा। बाबूजी का लंड उसकी दोनो झांगो के बिच ठीक अपनी चूत के द्वार पर आराम कर रहा था। उसे शर्म आ रही थी कि माँ ने उसे पिता के साथ नग्न सोते हुए देख लिया। उसने अपना बचाव करने की कोशिश की

“माँ, यहाँ तो तुम सोई थी, बाबूजी कब आ गए…, मुझे मालूम ही नहीं पड़ा..?”
मैत्री और नीता द्वारा रचित कहानी

सुंदरी ने उसके गाल थपथपाये और बोली, “कोई बात नहीं… बाप ने कुछ किया तो नहीं? और हां पकड़ कर देख ले बाप का ही लंड था ना!” सुंदरी ने यह सब जानबुज कर किया था और इसीलिए वह मुस्कुरा रही थी।

“छि… माँ, बाबुजी का लंड मैं कैसे पकड़ सकती हु! और धीरे से जैसे कुछ टेके की सहारा लेती हो ऐसे उसने बाबूजी के लंड पर हाथ रखा और उसकी झांगो के बिच से लंड को थोडा सहलाते हुए साइड में कर दिया।” और महक बाहर चली गई। उसने परम और पूनम को जगाया।

महक ने पूनम से कहा, "क्यों रानी कुछ मजा आया ना! एक रात में दो-दो लंड का मजा मिला।" महक ने पूनम को बाहों में ले लिया और उसे कसकर गले लगाते हुए कहा, "किसका लंड ज्यादा मजा दिया..?"

“रानी, तुम खुद दोनों का स्वाद लेकर फैसला करो, कौन सा ज्यादा अच्छा है, मैं क्यों बताऊं।” पूनम ने महक को दूर धकेला और कपड़े पहने। सब खुश थे। सब तैयार हुए, नाश्ता किया और साढ़े आठ बजे तक जब मुनीम अपने ऑफिस जाने वाला था,

सुंदरी ने उसे सुझाव दिया कि वह पूनम को अपने साथ ले जाए और उसे रास्ते में पड़ने वाले घर तक छोड़ दे। मुनीम पूनम के साथ बाहर आया और नीचे चला गया। वह समज गया की सुंदरी की तरफ से इशारा है। उसने पूनम से शिकायत की कि उसने इंतज़ार किया, लेकिन वह नहीं आई। पूनम ने जवाब दिया कि वह तो आना तो चाहती थी, लेकिन परम ने उसे कमरे से बाहर नहीं जाने दिया। मुनीम ने यह भी नहीं पूछा कि क्या परम ने उसे भी चोदा! पूनम ने जवाब तो नहीं दिया पर आँख के इशारे में हां कहा तो मुनीम को बात समझ में आ गई। वह दुखी तो हुआ, लेकिन चुप रहा।

पूनम समझ गई और बोली,
मैत्री और फनलवर से रचित कहानी

"काका, बहुत मज़ा आया, मालूम नहीं, फिर कब तुम्हारा लंड मेरी चूत को आनंद दे पाऊँगी!."

“मुझे भी इतना मजा तुम्हारी काकी (सुंदरी) को चोदने में नहीं आया था, तेरी चूत बहुत मस्त है।” मुनीम ने उसकी ओर देखा और अनुरोध किया,

“आज शाम को आ जाओ, महक भी नहीं होगी, हम दोनो खूब चुदाई करेंगे..!”


“कोशिश करूंगी…काका मुझे आपके लंड से प्रेम हो गया है अब तो।” पूनम ने जवाब दिया और मुनीम की ओर देखा, “काका,किसी को भी बोलना मत, कि मैंने तुमसे चुदवाया है और आगे भी चुदवाउंगी, परम से भी नहीं। अब शायद आप जान ही गए है की परम का लोडा भी मेरी चूत को लोक कर गया है, काका फिर भी मैं आपसे चुदवाना चाहूंगी और वह भी बार बार।”


बने रहिये इस कहानी में और इस एपिसोड के बारे में अपनी राय दीजियेगा जरुर........


शुक्रिया
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शक्ति की साधना रूपी रात्रि की आप सबको शुभकामनाये।

माँ, जगतजननी अम्बे माँ की अमी दृष्टि और कृपा, हम सब पर और "हमारे भात" पर बनी रहे।

यही प्रार्थना....

जय भा, जय माँ दुर्गा।




Shakti ki sadhna rupi NAVRATRI ki aap sabko shubhkamnaye.

Maa, Jagatajanani Ambe Maa ki AMI DRASHTI AUR KRUPA ham sab par aur "Hamaare
BHARAT" par bani rahe.

Yahi prarthna....

Jai BHARAT, Jay Maa Durga.


Best wishes to all of you for NAVRATRI, the worship of
Shakti.

May the blessed glance and blessings of Maa, Ambe Maa, Mother of the Universe, remain upon all of us and upon "
Our BHARAT."

This is my prayer...


Jai BHARAT, Jai Maa Durga.



🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
Dussera, Navraatri aur Durga Mata ki शुभकामनायें और आशीर्वाद हम सब के साथ रहे!!

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जय भारतके साथ अब आगे.........


मुनीम उसे पकड़ कर चूमना चाहता था लेकिन वहाँ कई राहगीर थे। उन्होंने नियंत्रण किया। पूनम के घर आये और उन्होंने देखा कि पूनम के पिता बाहर खड़े थे। पूनम अंदर चली गई लेकिन मुनीम ने उसके पिता से कुछ बात की और फिर वह ऑफिस की ओर चला गया।

घर पर, परम और महक अपने कॉलेज के लिए तैयार हो गए। इस दौरान सुंदरी ने परम से पूनम के बारे में पूछा तो परम ने जवाब दिया कि वह भी कुंवारी थी। इस पर महक हैरान रह गई और उसने सोचा कि उसका भाई भले ही कम औरतों के साथ संभोग करता हो, फिर भी नौसिखिया है, वरना उसे कैसे पता नहीं चलता कि पूनम के साथ पहले भी संभोग हो चुका है! परम ने फिर कहा कि वह उसके साथ चुदाई करना चाहता है और महक के खूबसूरत जिस्म से खेलना चाहता है। उसने एक साथ माँ और बहन, दोनों के स्तन दबा दिए।

सुंदरी ने कहा कि “आज रात वह बेटी की मौजूदगी में फिर से उससे चुदवाएगी, ठीक है!।
मैत्री और फनलवर की रचना है

“लेकिन आज रात में तुम्हारी गांड मारूँगा।” परम ने दोनों की जांघों के बीच हाथ डाला और उनकी चूत रगड़ी। “कभी गांड मरवाई हो, माँ?”

“नहीं रे.. लेकिन सुना है कि गांड मरवाने में भी मज़ा आता है…।” सुंदरी ने सोचा की वह भी सफ़ेद झूठ बोल सकती है।

“तभी तो रेखा रोज़ मेरे लंड से गांड मरवाती है…” परम ने जवाब दिया और उनकी गांड में उंगली डाली।

“आह… भैया…। उतना बोलते ही परम घर से बहार निकल गया।

महक ने अपनी माँ की तरफ रुख करते “मम्मी, मेरी चूत की प्यास कब बुझेगी? माँ अब मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रही है, जल्दी से मेरे लिए लंड का इंतज़ाम करो नहीं तो मैं बाबूजी का लंड ही चूत के अन्दर ले लुंगी। महक ने सुंदरी की चुची को दबाया और कहा:

“बाप रे कितना बड़ा और मस्त सुपाड़ा है, चूत को तो फाड़ ही डालता होगा..तुम कैसे रोज रोज चुदवाती हो माँ..!”

“अब तो आदत हो गई है बेटी, लेकिन तू चिंता मत कर, आज ही मैं सेठ को बोलती हूं कि तुम्हारी सील तोड़ने के लिए किसी सेठ को ढूंढो…” सुंदरी ने जवाब दिया और महक का हाथ अपनी चूत से खींच लिया।

सुंदरी ने देखा की अब कोई नहीं है तो दो बात महक से भी की जाए।
मैत्री और फनलवर की रचना है

“हां, तो अब तुम्हे तुम्हारे बाबूजी का लंड पसंद आने लगा है। परम और विनोद तो अब बेचारे की केटेगरी में चले गए।“ सुंदरी ने महक की फ्रोक को थोडा ऊपर किया और चूत की दरार को थोडा फैलाया।

महक ने सुदरी का हाथ को थोडा ऊपर पेट तक ले गई और बोली: “ओह्ह मम्मी, आपको चुदते हुए देखा, सुधा की सिल मेरे सामने टूटी, और अब पूनम की सिल भी टूट गई। आप समजो मेरी मनोदशा क्या होती होगी जब इतने लडकिया को अपने ही सामने औरत बनते देखा और सामने परम और बाबूजी का लंड हो फिर भी कुछ पैसो के लिए आपने मेरी सिल को बंद कर के रखा है।“

“हा बेटी, मैं समज सकती हु।“ सुंदरी को कल रात की बात याद आ गई और उसे लगा की अब मौक़ा है बेटी को अपने बाप की ओर धकेलना।

“देखो बेटी, अब मुझे यह बताओ की तुम्हारे बाबूजी का लोडा कैसा लगा! तुम्हारी चूत के लायक है?”

“देखो मम्मी, मुझे बाबूजी लोडा बहोत अच्छा लगा लेकिन परम का लंड भी कुछ कम नहीं।और आप ही कह रही थी की हम चूतो का काम ही है लंडो को ढीला करना। मैंने बस बाबूजी का लंड देखा।“

“सच????? देख झूठ मत बोल।” उसने शरारती आँखों से महक की निपल को खिंचा।
मैत्री और फनलवर की रचना है

“मम्मी......” महक ने सिर्फ इतना कहा और अपनी निपल को छुड़ाया।

मम्मी ने फिर से आँखे चौड़ी की और उसके सामने देखा।

महक ने जमीन की ओर नजर रख के बोला ”तुमको कैसे पता??”

“देखो बेटी, जब बेटी की उम्र हो जाती है, चूत में फड़क आने लगती है तब वह भूल जाती है की उसकी माँ भी वही राह से गुजर चुकी है, जिस राह पर तुम चल रही हो, और माँ को चोदु बनाने लगती है, और देखो हर माँ चोदु बनती भी है,जानबुज कर। जब तुम अपनी जवानी पर थी तब तुम अपने पापा के सामने छोटे फ्रॉक पहनके उनके सामने बैठती हो और जैसे सामान्य है उस तरह से पापा की नजर को देखती हो की उनकी नजर तुम्हारी चूत पर पड़ती है या नहीं, अपनी चूत को खोलना फिर तुरंत सिकोड़ना.....पापा भी मजे लेते है और दोनों यह समजते है की माँ को कुछ पता नहीं चलता। पर मैं तुम्हारी माँ हु, और सब से पहले मैं भी उस राह से जा चुकी हु और इन सब से खास बात मैं औरत हु। पर जैसे की अपने गाँव में ऐसा होता आया है और आगे होगा भी यह समज के मैंने तुम को मौन रह के खुली छुट दे राखी थी ताकि अपने पापा को ललचा सको और अपने प्रति आकर्षण बना रखो।“

“ओह्ह माँ, सो सोरी। मुझे यह सब समजना चाहिए था।“ महक सुंदरी के नजदीक आई और उसके गाल पर किस कर दी और एक ऊँगली उसकी गांड में पेरो दी।

मम्मी ने भी कोई विरोध नहीं किया और थोडा झुकी ताकि उसकी ऊँगली सफलता पा सके।

“और आज सुबह तुम्हे पता था फिर भी तुमने उनके लंड को अपनी झांगो के बिच आराम करने दिया, मैंने यह देखा था और हाँ, मैंने ही उनको रूम में भेजा था और उनको नहीं बताया की महक वह नंगी सो रही है।“

“थेंक यु मम्मी, लेकिन अब मुझे लंड की जरुरत है।” उसने अपनी ऊँगली सुंदरी की गांड में आगे पीछे करती हुई बोली।

“देख बेटे, बस थोड़ी देर और रुक जा तेरा सिल एक मालदार व्यक्ति को भेट कर दे और बाद में मैं तुम्हे अपने सामने तेरे बाबूजी से चुदवाउंगी। मेरी सौतन बनेगी ना, इमली काकी की तरह!”

“हां मम्मी, अगर तुम पति-पत्नी मुझे स्विकारोगी तो मैं तो तैयार हु पर सौतन नहीं बनूँगी, लेकिन शादी के बाद अगर बाबूजी का लंड चाहेगा तो मैं उनके लंड से फुग्गा फुला लुंगी (प्रेग्नेंट बन जाउंगी)।“

“तब तो तुम्हे मुझे माँ नहीं पर सुंदरी ही कहना पड़ेगा। हा... हा... हा.... हा, मुझे कोई आपत्ति नहीं है बेटे, जिस से मन करे चुदवाओ लेकिन बस पैसा लाओ। अभी फिलहाल तो तेरे इस माल को सही सलामत रखो। जल्द ही कुछ करती हु बेटे। लेकिन फिलहाल तो यह सब बाते हम दोनों के बिच में ही रखो। ओके?“



उसी समय एक दस्तक हुई। मैत्री और फनलवर की रचना है


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