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Adultery पंजाब दियां मस्त रंगीन पंजाबना

aamirhydkhan

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कहानी "पंजाब दियां मस्त रंगीन पंजाबना: गौरव कुमार की है

मेरा नाम गौरव कुमार है। मैं, कपूरथला, पंजाब का रहने वाला हूँ। हमारा आड़त का काम है यानी हम किसान और सरकार मे बीच मे फसल का लेंन देंन का काम करते है। अब मे पंजाब से हूँ तो बता दूं के यहा की दो चीजें बहुत मशहूर है, एक पटियाला पेग ओर दुसरी पंजाबन जट्टीयां। हमारा किसानो के साथ आना जाना लगा रहता है तो किसी ना किसी जट्टी के साथ भी बात बन जाती है। आज एसी ही कहानी लेकर आया हूँ। तो कहानी आरंभ करते है।


SARBI
 
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aamirhydkhan

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कुछ व्यस्तता के कारण अगले कुछ दिन अपडेट नहीं दे पाऊंगा. इस देरी के लिए आपसे माफ़ी चाहता हूँ . शीघ्र ही कहानी आगे जारी रहेगी
 
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aamirhydkhan

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पंजाब दियाँ मस्त रंगीन पंजाबना–पार्ट–84

कहानी का अगला भाग-पिछले भाग में आपने पढ़ा की क्रिस्टी के सौंदर्य को देख अनु उस पर मोहित हो गयी और उसे पहली बार चूमा । अब आगे।


अनु ने क्रिस्टी को अपने करीब खींचा, उसका निचला होंठ उसकी पलकों की तरह खुल रहा था और बंद हो रहा था। उसकी पलकें सबसे मोटी गहरे भूरे रंग की थीं, क्रिस्टी ने देखा, जब अनुपमा ने उसके होंठ उसके होंठों पर रखे।

क्रिस्टी ने कुछ कहने की कोशिश की, उसका एक हिस्सा इस अजीब व्यवहार के बारे में चिंतित था शायद उसकी अपनी भावनाएँ; कामुक विचार बह रहे थे । जिस तरह से क्रिस्टी ने अनु के आकस्मिक स्पर्श के आगे लगभग पूरी तरह से हार मान ली, उसकी जीभ का जवाब देते हुए जैसे कि वह लगातार अंदर फिसल रही थी। अनु के होंठ उसके ऊपर बंद होते ही एक खोखली आवाज़ पैदा कर रहे थे, क्योंकि वह एक साथ क्रिस्टी के स्तनों को दबा और निप्पल को निचोड़ रही थी।


अब क्रिस्टी भी अनु का चुंबन का मजा लेने लगी और अनु और क्रिस्टी ने धीरे से चुंबन किया। क्रिस्टी ने अपनी आँखें बंद कर लीं, उसके मुँह, उसके होंठों और उसकी जीभ के नाज़ुक एहसास के आगे। अनुपमा की बची हुई हलकी सी लिपस्टिक के हल्के स्वाद के साथ, उसका मुँह किसी पके फल जैसा लग रहा था। क्रिस्टी ने अपने हाथ उसकी कमीज़ के नीचे डाले और उसकी पीठ सहलाते हुए, उसकी चिकनी साटन जैसी त्वचा के नीचे हर हड्डी को महसूस किया। अनुपमा किसी हिरन जैसी थी।

"तुम्हारे हाथ गर्म हैं," अनुपमा ने कहा।

"क्रिस्टी," अनुपमा ने कुछ सेकंड बाद शुरू किया, "मैंने भी तुम्हें चूमा था। मुझे लगता है मैं चाहती हूँ कि तुम मुझे चूमो।" अनुपमा क्रिस्टी की ओर मुड़ी और उसकी आँखों में देखा। "मुझे नहीं पता इसका क्या मतलब है, लेकिन क्या हम बस इतना कह सकते हैं कि हम दोनों ने वही किया जो हम करना चाहते थे? मैं नहीं चाहती कि तुम्हें दोषी या कुछ और महसूस हो," अनु ने विनती की और स्वीकृति मांगते हुए अपना सिर हिलाया। क्रिस्टी अवाक थी। अनुपमा ने उसे गले लगा लिया। क्रिस्टी थोड़ा हिचकिचाई और फिर उसे वापस गले लगा लिया और, अनुपमा ने जो कुछ भी कहा था, उसके बावजूद, उसके मन में ऐसा लग रहा था जैसे वह अनुपमा का अपमान कर रही हो। मैं उन्हें देख कर हैरान था .


अनुपमा क्रिस्टी की शांति देखकर थोड़ी हैरान थी; उसे अनुपमा जैसी बेचैनी महसूस नहीं हो रही थी।
अनुपमा कुछ पल के लिए रुकी। लापरवाही से अपनी कमीज़ के बटन खोलते हुए, वह बुदबुदाई, "क्रिस्टी मैं ये पहले भी कहना चाहती थी पर आज कह रही हूँ, तुम इस दुनिया की सबसे खूबसूरत लड़की हो, और मैं तुमसे बहुत प्यार करती हूँ..."

फिर अनुपमा मुस्कुराई, क्रिस्टी का हाथ पकड़कर अपने बाएँ स्तन पर रख दिया।

बिना कुछ कहे, उसने क्रिस्टी का दाहिना हाथ अपनी कमीज़ के अंदर डाल दिया। "यह आनंद सिर्फ़ स्त्री-पुरुष के बीच नहीं होता। यह हमारे भीतर है, और हमें इसे महसूस करना होगा," उसने फुसफुसाते हुए कहा, क्रिस्टी की उंगली उसके मज़बूत, मखमली स्तनों को छूते ही उसकी आँखें बंद हो गईं।

क्रिस्टी ने अनुपमा को कमर से पकड़ लिया, और दोनों ने एक-दूसरे की आँखों में देखा। फिर जो हुआ वह सबसे स्वाभाविक लगा। क्रिस्टी ने अनुपमा को अपनी ओर खींचा, और उसे चूमा। और उसने भी उसे चूमा। और यह बहुत अच्छा लगा।

बिना कुछ कहे, अनुपमा ने अपना बायाँ अंगूठा क्रिस्टी के कमरबंद पर फिराया, जब वे एक-दूसरे के आमने-सामने थे, दोपहर की धूप उनकी पीठ को भिगो रही थी। अनुपमा की स्कर्ट बेतरतीब ढंग से ऊपर उठ गई थी। क्रिस्टी उसकी टांगों के नीचे से उसकी पैंटी देख सकती थी। क्रिस्टी उसकी नज़रों से बचती हुई अनुपमा के बीच वाले हिस्से पर रुक गई, पीली कमीज़ के बीच से झाँकती उसकी दरार, अंडाकार बटनों वाली और एक पतली भूरी बेल्ट जो उसके पतले स्तनों को समेटे हुए थी। उसके ठीक बीच में एक तिल था।

जैसे ही वे बिस्तर पर एक-दूसरे से सट गईं, क्रिस्टी के कूल्हे उसके नितंबों के साथ हिलने लगे, क्रिस्टी की पैंटी उसकी योनि से चिपकी हुई थी, बिस्तर ऐसे हिल रहा था जैसे आधी रात के तूफ़ानी समुद्र में डूबता हुआ जहाज हिल रहा हो।

क्रिस्टी ने कमर पर अपनी स्कर्ट के इलास्टिक बैंड को पकड़ा, उसे नीचे खींचा, और अपना हाथ नीचे अनुपमा के पेट के नंगे मांस पर रख दिया। अनुपमा अपनी उँगलियों के पोरों से ऊपर की ओर तब तक सहलाती रही जब तक कि वह क्रिस्टी के स्तनों के बाहरी उभार तक नहीं पहुँच गई। फिर अनुपमा ने एक स्तन को अपने हाथ में लेकर धीरे से दबाया।

उसी समय छत के बहुत पास से एक विमान उड़ा, जिसकी गगनभेदी आवाज़ अनुपमा को और भी बेचैन कर रही थी, वह बग़ल में मुड़ी, क्रिस्टी की गर्दन के किनारे काट रही थी, उसकी ब्रा के स्ट्रैप नीचे खींच रही थी, और इस दौरान कामुक कराह रही थी।

क्रिस्टी मीठी उत्तेजना की अवस्था में, बिना कुछ कहे उसे घूर रही थी। सदमे और आश्चर्य का एक मादक मिश्रण महसूस करते हुए, वे दोनों एक-दूसरे में लिपटे लेटे हुए थे। और फिर क्रिस्टी ने अनुपमा को उसकी चोटी से ऊपर खींचा, उसे गद्दे पर तेज़ी से पटक दिया, और उसे बेतहाशा कामुक उत्तेजना से चूमा। इसके बाद क्रिस्टी अनुपमा के पेट पर बैठ गई और उसकी स्कर्ट ऊपर उठाकर उसके नंगे पेट को देखने लगी।

अनुपमा का पेट थोड़ा सा उभरा हुआ था; वह कराह उठी, उसका शरीर मानो मिट्टी जैसा हो गया था, जैसे क्रिस्टी ने अपनी जांघें उसकी जांघों के चारों ओर कसकर लपेट ली हों। अनुपमा की त्वचा पर पसीना गर्मी की बारिश की बूंदों जैसा था। रेशम सा चिकना।

"क्रिस्टी..." उसने कराहते हुए अपने कूल्हे उठाए, उसकी पुतलियाँ फैल गईं।

क्रिस्टी ने उसकी ब्रा का क्लैस्प खोलते हुए उसके कॉलरबोन पर हल्के-हल्के चुम्बन देने शुरू कर दिए।

"हम्म," अनुपमा हांफते हुए बोली।

अनुपमा ने खुद को पीछे खींचा और एक सहज गति से ब्रा को अपनी कमीज़ के ऊपर से बाहर निकाल लिया।

क्रिस्टी हँसी, "तुमने इतनी जल्दी कैसे कर लिया?"

"चुप रहो," अनुपमा ने कहा और अपने होंठ वापस क्रिस्टी के पास ले आई।

"बहुत ज़्यादा रोशनी है," उसने शिकायत की, फिर अपनी कमीज़ सिर के ऊपर खींच ली।

क्रिस्टी उठी और स्क्रीन खींच ली।

"बताओ क्रिस्टी, क्या तुमने कभी अपने स्तनों के अलावा किसी और महिला के स्तनों को छुआ है?" अनुपमा ने पूछा।

उसने सिर हिलाया, "नहीं, कभी नहीं।"

"लेकिन फिर तुम चाहोगी?" अनुपमा ने पूछा।

उसने मुस्कुराते हुए सिर हिलाया, "हाँ, बहुत।"

"ठीक है मेरी जान, तो कृपया इसे गलत मत समझना, लेकिन अगर तुम चाहो तो मेरे स्तनों को छू सकती हो।" अनुपमा ने यह कहते हुए अपनी कमीज़ खोली, उसे अपने शरीर से अलग किया और अपनी सहेली की चौड़ी आँखों के सामने अपने नंगे स्तन प्रकट कर दिए।

"लेकिन तुम मेरी सबसे करीबी दोस्त हो," क्रिस्टी ने कहा।

"मुझे पता है, लेकिन मैं अभी भी एक औरत हूँ और एक औरत जिसके साथ तुम सुरक्षित महसूस करती हो, है ना?" अनुपमा ने कहा।

अनुपमा ने उसे काँपता हुआ महसूस किया जब उसने उसे धीरे से दबाया, अनुपमा ने महसूस किया कि उसके निप्पल उसके स्पर्श से सख्त हो रहे हैं और उसके हाथ में दब रहे हैं।

"ओह वाह!" क्रिस्टी ने बस इतना ही कहा और उसने अनुपमा के स्तनों को पहले एक फिर दूसरे को धीरे से दबाना और आकार देना शुरू कर दिया, उसके निप्पलों को अपनी उंगलियों के बीच लेकर उन्हें आगे-पीछे घुमाने लगी।

अनुपमा अपनी सहेली के स्पर्श से धीरे से कराह उठी। क्रिस्टी के हाथ और उंगलियाँ उसके स्तनों पर नरम और गर्म थीं क्योंकि उसने अनजाने में उसके स्पर्श से उसकी योनि में आग लगा दी थी।
अनुपमा की क्लीवेज में एक लटकता हुआ पान के पत्ते के आकार का, चाँदी की चेन पर लटका हुआ था।

"मुझे यह दिल्ली में मिला था जब मेरे पिताजी हमें पिछली गर्मियों में वहाँ ले गए थे," अनुपमा ने क्रिस्टी को अपनी उंगलियों में घुमाते हुए कहा।

फिर अनुपमा ने क्रिस्टी की लंबी चोटी ली और उसे अपने सतर्क निप्पलों पर, उसके धड़कते पेट पर और उसकी टांगों के बीच बेतरतीब ढंग से फिराना शुरू कर दिया। उसके स्तनों के सिरे उसकी त्वचा और योनि पर दर्जनों पंखों जैसे महसूस हो रहे थे। उसके अपने कूल्हे हिल रहे थे और उसकी आँखें बंद थीं जब उसे अचानक एहसास हुआ कि क्रिस्टी उसे देख रही है। थोड़ी उलझन में, वह शरमा गई और कांपते हाथ से क्रिस्टी को सोफे से उठाने में मदद करने लगी।

तभी क्रिस्टी आगे झुकी और अनुपमा को पता चल गया कि वह उन्हें चूसने वाली है। अनुपमा ने अपनी छाती को आगे धकेला ताकि उसके होंठ उसके दाहिने निप्पल से मिल जाएँ और वे उसके दाहिने निप्पल पर बंद हो जाएँ, जबकि वह अपने हाथ से अभी भी अपने बाएँ स्तन के साथ खेल रही थी। अनुपमा के स्तन मोहक रूप से उछल रहे थे क्योंकि वह उसकी गोद में खुद को समायोजित कर रही थी। उसके निप्पल गुलाबी और सख्त थे। क्रिस्टी ने धीरे से अपना बायाँ हाथ उसके दाहिने स्तन में डाला, अपने दाँत उसके दाहिने निप्पल पर गड़ा दिए, और उसे मंत्रमुग्ध होकर उसके नीचे घूमते हुए देखा, दबी हुई कराहने की आवाज़ें निकाल रही थी। क्रिस्टी झुकी और अनुपमा हांफने लगी और क्रिस्टी के सिर के पीछे हाथ रखकर उसे दूर खींच लिया।

अनुपमा फिर कराह उठी, "कितनी प्यारी क्रिस्टी, कितनी प्यारी।" अनुपमा ने क्रिस्टी का हाथ लिया और उसे अपने स्तन पर रख दिया।

क्रिस्टी ने अपनी हथेली उसके निप्पल पर गोल-गोल घुमाते हुए उसे दबाया।

"बहुत अच्छा लगा," अनुपमा कराह उठी। "तुम बहुत खूबसूरत हो, क्रिस्टी।"

क्रिस्टी शरमा गई। अनुपमा खिलखिलाकर हंस पड़ी, "तुम कितनी खूबसूरती से शरमा रही हो," और क्रिस्टी को अपनी बाहों में लेकर उसे चूमने लगी। उसने क्रिस्टी को पूरा चूमा, अपनी जीभ उसके मुँह में डाल दी और क्रिस्टी के पहले से ही तने हुए निप्पलों से खेलने लगी। "तुम तो पहले से ही उत्तेजित हो!" अनुपमा क्रिस्टी की आँखों में देखने के लिए पीछे हटी।

"यह सब मेरे लिए बिल्कुल नया है," क्रिस्टी ने समझाया।

"मेरे लिए भी नया है, लेकिन रोमांचक है, है ना?" अनुपमा ने क्रिस्टी के निप्पल को अंगूठे और तर्जनी के बीच घुमाना जारी रखा, फिर अपना मुँह दूसरे निप्पल पर रखकर उसे चूसने लगी, अपनी जीभ को आगे-पीछे और उसके चारों ओर घुमाने लगी। क्रिस्टी धीरे से कराह उठी।

अनुपमा पीछे हटी और क्रिस्टी की आँखों में देखा, "लगता है तुम्हारे मन में मेरे लिए लाखों सवाल हैं, है ना?"

"हाँ, अगर तुम्हें कोई आपत्ति न हो तो।" क्रिस्टी एक कोहनी के बल झुक गई। "मुझे कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन हमें इस बारे में किसी को भी नहीं बताना चाहिए, समझे?" अनुपमा ने फिर से क्रिस्टी के निप्पल पर अपनी उंगली फिराई।

फिर क्रिस्टी ने अनुपमा के निप्पल को ज़ोर से चूसा और ऐसा करते ही उसकी योनि में ऐंठन हुई।
अनुपमा ने फिर आह भरी।

अनुपमा ने क्रिस्टी के दृढ़, युवा स्तनों को धीरे से सहलाना शुरू कर दिया, जैसे ही क्रिस्टी की जीभ उसके निप्पलों के चारों ओर नाच रही थी।

सहज रूप से, यह भूलकर कि यह क्रिस्टी थी, उसकी सबसे प्यारी दोस्त उसे चूस रही थी; अनुपमा उसके नीचे पहुँची और उसके स्तनों को महसूस किया। उसके निप्पल की कठोरता उसकी हथेली में दब गई। अनुपमा सिहर उठी जब उसने क्रिस्टी को दबाया और उसकी धीमी सी सिसकारी सुनी।
क्रिस्टी ने और ज़ोर से चूसा और ऐसा करते ही उसकी योनि ऐंठ गई।

क्रिस्टी अनुपमा के पास पहुँची और अपना हाथ नीचे अनुपमा के नंगे पेट पर रख दिया। अनुपमा अपनी उँगलियों के पोरों से ऊपर की ओर सहलाती रही जब तक कि वह क्रिस्टी के स्तनों के बाहरी उभार तक नहीं पहुँच गई। फिर अनुपमा ने एक स्तन को अपने हाथ में लेकर उसे धीरे से दबाया।

क्रिस्टी ने फिर आह भरी।

उसने सिर हिलाया और पूछा, "क्या तुम्हें यकीन है अनुपमा?"

कहानी जारी रहेगी
 
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aamirhydkhan

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पंजाब दियाँ मस्त रंगीन पंजाबना–पार्ट–85

कहानी का अगला भाग-पिछले भाग में आपने पढ़ा की क्रिस्टी के सौंदर्य को देख अनु चूमने लगी फिर फिर दोनों आपस में चूमा चाटी करने लगी । अब आगे।


अनुपमा ने क्रिस्टी के दृढ़, युवा स्तनों को धीरे से सहलाना शुरू कर दिया, जैसे ही क्रिस्टी की जीभ उसके निप्पलों के चारों ओर नाच रही थी।

सहज रूप से, यह भूलकर कि यह क्रिस्टी थी, उसकी सबसे प्यारी दोस्त उसे चूस रही थी; अनुपमा उसके नीचे पहुँची और उसके स्तनों को महसूस किया। उसके निप्पल की कठोरता उसकी हथेली में दब गई। अनुपमा सिहर उठी जब उसने क्रिस्टी को दबाया और उसकी धीमी सी सिसकारी सुनी।
क्रिस्टी ने और ज़ोर से चूसा और ऐसा करते ही उसकी योनि ऐंठ गई।

क्रिस्टी अनुपमा के पास पहुँची और अपना हाथ नीचे अनुपमा के नंगे पेट पर रख दिया। अनुपमा अपनी उँगलियों के पोरों से ऊपर की ओर सहलाती रही जब तक कि वह क्रिस्टी के स्तनों के बाहरी उभार तक नहीं पहुँच गई। फिर अनुपमा ने एक स्तन को अपने हाथ में लेकर उसे धीरे से दबाया।

क्रिस्टी ने फिर आह भरी।

उसने सिर हिलाया और पूछा, "क्या तुम्हें यकीन है अनुपमा?"

मेरे सामने मेरी प्रेमिकाए आपस में चूमा छाती कर और एक दूसरे के बदन से खेल रही थी जिससे मैं बहुत उत्तेजित था और अपने लंड को सहला रहा था ।

फिर अनुपमा क्रिस्टी के पीछे बैठ गई, लेकिन उसके हाथ क्रिस्टी की बाँह और गर्दन पर फिर गए और उसके बालों और चेहरे को सहलाने लगी। जल्द ही, हाथ इधर-उधर घूमने लगे और उसकी छाती को टटोलने लगे, और पाँच मिनट बाद, नीचे पहुँचकर उसके दाहिने स्तन को उसकी बाँह के नीचे से उठाया, और निप्पल को छुड़ाकर रगड़ा, जो तेज़ी से बड़ा हो रहा था। क्रिस्टी हैरान रह गई जब अचानक अनुपमा के हाथ ने उसके बाएँ स्तन को आज़ाद कर दिया। क्रिस्टी ने अनुपमा के हाथों को हटाने की कोई कोशिश नहीं की, बस आराम से बैठी रही और अपनी योनि के होंठों को फूलते और गीले होते हुए महसूस किया।

"क्रिस्टी, तुम बहुत खूबसूरत हो; लड़के तुम्हारी एक नज़र पाने के लिए मर मिटेंगे... ज़रा अपने स्तनों को देखो... क्या तुम्हें ज़रा भी अंदाज़ा है कि कितनी औरतें इन्हें बस देखकर पागल हो सकती हैं... जैसे मैं इस पल पागल हो रही हूँ," अनुपमा ने क्रिस्टी की तरफ़ शर्माते हुए देखा, शायद उसकी प्रतिक्रिया जानने की उम्मीद में।

काके क्या मैं सच कह रही हूँ क्रिस्टी के बारे मैं ? अनुपमा ने मुझसे पूछा ।

मैं सर हिला कर मुस्कुरा कर उत्तर दिया और आगे बढे लगा तब अनु ने मुझे हाथ उठा आकर रुकने के लिए इशारा किया , जिससे मैं रुक कर अपना लंड सहलाते हुए उनका खेल देखने लगा ।

क्रिस्टी की नाभि से नमी की एक पतली सी रेखा टपक रही थी, जैसे ही उसके गाल लाल हो गए, अनुपमा की बेबाकी से उसकी जीभ बंध गई।

अब, क्रिस्टी को अपनी झनझनाती छाती और गीली योनि के अलावा किसी और चीज़ पर ध्यान देना मुश्किल हो रहा था। अनुपमा के लंबे नाखून उसके निप्पलों को हल्के से गड़ रहे थे और क्रिस्टी हल्की-सी कराहने लगी थी।

"आराम से करो जानू, अभी तो हमारा दिन शुरू हुआ है, और मैं तुम्हें इतनी जल्दी थका नहीं सकती," अनुपमा ने कहा।

अनुपमा की उंगलियाँ पीछे हट गईं और आलस्य से उसके निप्पलों और कानों के चारों ओर गोल-गोल घूमने लगीं। क्रिस्टी को अपनी कमर में यौन तनाव बढ़ता हुआ महसूस हुआ।

अनुपमा के पंख जैसे स्पर्श से पहले से ही उत्तेजित क्रिस्टी ने अपनी योनि को और भी गीला होते हुए महसूस किया, और वह अनुपमा के हाथों में झुकने लगी, उसे अपने स्तनों को दबाने और खींचने के लिए उकसाने की कोशिश करने लगी। अनुपमा चतुराई से अपना हाथ हटा लेती, लेकिन फिर किसी नई जगह पर वापस आकर उसके सूजे हुए, उत्सुक स्तनों को सहलाने और छूने लगती। क्रिस्टी ने अब अपनी आँखें बंद कर ली थीं, उसका मुँह थोड़ा खुला हुआ था, जीभ गीले होंठों के ठीक पीछे घूम रही थी। उसका पूरा स्तन खड़ा था और निप्पल खड़ा था। अनुपमा का अंगूठा और तर्जनी निप्पल को बार-बार खींच और घुमा रहे थे, उसे बाहर और ऊपर खींच रहे थे। क्रिस्टी के मुँह से एक हल्की सी कराह निकली और अनुपमा का हाथ नीचे चला गया।

यह लड़की खूबसूरत और बेहद आकर्षक थी, और उसके स्तन अब तक चूसे गए सबसे अच्छे थे, अनुपमा ने सोचा।

जैसे ही क्रिस्टी ने अनुपमा को छुआ, अनुपमा ने फिर से उसके स्तनों को छूने की कोशिश की, दो सहेलियाँ एक-दूसरे की कामुकता और कामुकता को एक साथ तलाश रही थीं।

क्रिस्टी सोच रही थी कि अनुपमा के इस सवाल का जवाब देने पर कौन पहले दूसरी की योनि को छूएगा। उसका हाथ क्रिस्टी की जांघ पर फिसल गया, जहाँ उसने उसे धीरे से सहलाया और फिर उसकी टांगों के बीच ले गई, जिसे क्रिस्टी ने सहज रूप से अलग कर दिया ताकि वह उसकी पहले से ही टपकती योनि तक पहुँच सके।


अब, अनुपमा का हाथ, जो स्तन से हटकर क्रिस्टी की झाड़ी के ऊपर तक, गोलाकार गति में चला गया।

क्रिस्टी के कूल्हे फड़क रहे थे। उसने पाया कि उसके बगल में रखा तकिया उसे आगे बढ़ने से रोक रहा था। उसकी टाँगें अपनी भगनासा को सहलाने के लिए एक साथ नहीं आ पा रही थीं और उसके हाथ मानो जम से गए थे।

अनुपमा फुसफुसा रही थी, "क्या तुम नहीं चाहोगी कि मैं तुम्हें इस तरह सहलाऊँ? तुम्हारी योनि कितनी गर्म है, देखो तुम्हारे पैरों से कितना गीलापन बह रहा है। क्या तुम मुझे अपने मुँह में इसका स्वाद नहीं लेने दोगी? अनुपमा तुम्हें बहुत गर्म कर देगी। बहुत गर्म। तुम बार-बार अनुपमा के पास आओगी और और माँगोगी।"

क्रिस्टी को इस बात का पूरा यकीन था। वह पहले से ही बुरी तरह से स्खलित होना चाहती थी। लेकिन अनुपमा अभी-अभी उस पर स्खलन शुरू कर रही थी, क्रिस्टी के बढ़ते जोश के साथ पूरी तरह से तालमेल बिठाते हुए, जैसे ही क्रिस्टी उस एहसास पर ध्यान केंद्रित करना शुरू करती, वह हमेशा अपना हाथ हटा लेती, और फिर से कहीं और शुरू कर देती। क्रिस्टी की योनि अब पूरी तरह से खुली हुई थी और योनि रस लगातार उसकी दरार से नीचे और उसकी गुदा के ऊपर बह रहा था। उसकी भगनासा, जो हमेशा बहुत लंबी थी, लगभग तीन इंच बाहर निकली हुई थी और अनुपमा की जीभ की हरकत से उसकी योनि हिलने पर काँपती और धड़कती थी। हर लहर उसे और ऊपर ले जाती, फिर नीचे गिरा देती और उसे हाँफने पर मजबूर कर देती। उसका मुँह खुला का खुला रह गया था और वह कराहने लगी थी।

अनुपमा की उंगलियाँ क्रिस्टी की योनि के अंदरूनी होंठों को खींचती और खींचती रहीं, उसे पूरा फैलाती हुई, ऊपर क्लिटोरिस की कली को छूती रहीं। उसी समय, अनुपमा की लंबी उंगलियाँ उसकी योनि में गहराई तक थीं और उसके हाथ का पिछला हिस्सा वीर्य से गीला था। क्रिस्टी के कूल्हे बेकाबू होकर हिलने लगे। क्रिस्टी हाँफ रही थी और कराह रही थी, उसकी साँसें अटक रही थीं और उसका सिर इधर-उधर घूम रहा था। उसके कूल्हों की हरकतें और भी कामुक हो गईं। "प्लीज़ मुझे चोदो। मुझे आना है। प्लीज़ अनुपमा। प्लीज़... उम्म्म्म... ओह... छी, छी, छी..."

क्रिस्टी ने अपनी आँखें बंद कर लीं क्योंकि उसने महसूस किया कि अनुपमा की उंगली उसकी योनि के होंठों के बीच धँस रही है, उसके रस में फिसल रही है और फिर उसे पूरी तरह से अपने अंदर दबा रही है। क्रिस्टी कराह उठी और इससे भी बढ़कर, वह झड़ गई। तुरंत, वहीं और तभी। जैसे ही अनुपमा ने उसे उँगलियों से चोदना शुरू किया, उसकी चूत ने उसकी उँगलियों को कसकर जकड़ लिया और लगभग उसकी उंगलियों को अपने अंदर ही समेट लिया।

"ओह क्रिस्टी, क्या तुम झड़ गईं?" अनुपमा ने पूछा, "उह हह!" क्रिस्टी बस इतना ही कह पाई।

अनुपमा फिर से खिलखिला उठी और एक और उंगली अपनी योनि में डालने लगी, फिर एक और, आखिरकार चार उंगलियाँ उसकी भीगी हुई योनि में अंदर-बाहर करने लगी। जैसे-जैसे वह अपनी योनि में गहराई तक जाती गई, उसकी फुहारें तेज़ और कामुक होती गईं।

फिर, अनुपमा के हाथ उसकी योनि पर ज़ोर से दबाव डाल रहे थे, क्रिस्टी ने अपनी टाँगें जितना हो सके फैला दीं और अचानक उसकी सारी उंगलियाँ उसमें समा गईं। फिर से, क्रिस्टी झड़ गई, और अनुपमा की उंगलियाँ उंगलियों के सिरे तक उसकी योनि में धँस गईं।

क्रिस्टी की आँखें खुल गईं और अनुपमा देख रही थी कि उसकी उंगलियाँ उसकी दोस्त की योनि में कितनी गहराई तक धँस गई थीं।

मैं उन्हें देख बेचैन था और मेरा लंड फुफकार रहा था पर मुझे बहुत मजा आ रहा था , मुझे मालूम था मेरी बारी भी आएगी और ये इन्तजार के पअल एक अलग मजा दे रहे थे ।

"हे भगवान! हे भगवान! चोदो मुझे अनुपमा; अपनी उंगलियों से मुझे चोदो। मुझे फिर से स्खलित करो।"
क्रिस्टी महसूस कर सकती थी कि उसके शरीर की हर नस फड़कने और झटके खाने लगी है। अनुपमा ने अपनी भगशिश्निका को पकड़ा और उसे योनि के होंठों से ज़ोर से बाहर निकाला, भगशिश्निका की कली को घुमाकर क्रिस्टी के सामने एक साथ खींचा।

पहले तो धीरे-धीरे अनुपमा ने अपना हाथ पीछे और लगभग बाहर खींचा और फिर आगे की ओर धकेला। क्रिस्टी सिहर उठी क्योंकि उसने बार-बार ऐसा किया, और उसकी बहती हुई चूत में तेज़ गति से उंगली से चुदाई शुरू हो गई।

हर आगे-पीछे होने वाली हरकत के साथ भीगी हुई चूत की गीली, गीली आवाज़ सुनाई दे रही थी। अचानक अनुपमा ने अपना हाथ झटक दिया।

अनुपमा का सिर ऊपर उठा और नीचे हो गया। जैसे ही अनुपमा ने दोनों लम्बी, सूजी हुई चूत के होंठों को अपने गर्म मुँह में चूसा, और अपनी जीभ उसकी चूत की गुलाबी दीवार के अंदर गहराई तक डाली, क्रिस्टी को लगा जैसे उसकी चूत में हज़ार वोल्ट की बिजली कौंध गई हो। क्रिस्टी ऊपर की ओर झुकी जैसे ही कामोन्माद की एक ज़बरदस्त लहर उसके अंदर से गुज़री और वह झड़ गई। दूसरा कामोन्माद उसे पहले के ठीक पीछे लगा। उसकी टांगों के बीच कंपन और तेज़ हो गया। आखिरी कामोन्माद ने उसे हिला दिया और वह बेहोश हो गई, कराहने और हांफने लगी। आनंद की लहरें उसके शरीर में दौड़ गईं, और उसकी पीठ झुक गई। जैसे ही उसने उसे छोड़ा, वह बेहोश हो गई, और फिर अनुपमा का सिर उसकी टांगों के बीच था, उसकी जीभ उसकी भीगी हुई योनि के होंठों के बीच गहराई तक धँसी हुई थी, मानो साँप की जीभ उसमें घुस रही हो। अनुपमा ने अपने घुटनों से क्रिस्टी की दोनों टाँगें अलग कीं, अपना मुँह क्रिस्टी की नमकीन योनि पर रगड़ा, उसके कुछ बाल भी निगल लिए, क्रिस्टी ने सोचा, उसकी गुलाबी लिपस्टिक धुंधली हो गई थी, जैसे बाहर गेरूए बादल हों। अनुपमा ने क्रिस्टी को कस कर पकड़ रखा था; उसकी योनि की कस्तूरी जैसी खुशबू, उसकी योनि की साँसों की मीठी खुशबू को सूँघ रही थी। अनुपमा की जीभ इतनी अच्छी लग रही थी कि बस कुछ ही पलों में चरमसुख की एक और लहर आ गई, तीसरी लहर क्रिस्टी पर आई, जबकि अनुपमा चूसती रही।

क्रिस्टी नीचे झुकी, और उसे दूर धकेल दिया, उसका शरीर अब इस तरह का एक और झटका नहीं झेल सकता था।

अनुपमा ने ऊपर देखा, उसका निचला चेहरा, मुँह और होंठ क्रिस्टी के वीर्य से चमक रहे थे। उसने अपनी उंगलियाँ चाटीं और कहा "स्वादिष्ट" जिससे वह ज़ोर से हँस पड़ी।

क्रिस्टी ने अनुपमा के कंधों को पकड़कर उसे सोफे पर धकेल दिया। ज़मीन पर पहुँचकर, क्रिस्टी उसके सामने घुटनों के बल बैठ गई और धीरे से उसकी टाँगें फैला दीं।

क्रिस्टी ने अपनी योनि की ओर देखा। उसकी तरह, वह भी जघन बालों की घनी झाड़ियों से घिरी हुई थी। उसकी तरह, वह भी रस से गीली थी। क्रिस्टी ने एक हाथ आगे बढ़ाया और दो उंगलियाँ उसकी योनि में डाल दीं, उन्हें इधर-उधर घुमाते हुए अंदर-बाहर करने लगी। अनुपमा ज़ोर से कराह उठी, फिर और भी तेज़, जब क्रिस्टी ने अपने अंगूठे से उसकी योनि को सहलाना शुरू किया।

कहानी जारी रहेगी
 
Last edited:

Sushil@10

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पंजाब दियाँ मस्त रंगीन पंजाबना–पार्ट–85

कहानी का अगला भाग-पिछले भाग में आपने पढ़ा की क्रिस्टी के सौंदर्य को देख अनु चूमने लगी फिर फिर दोनों आपस में चूमा चाटी करने लगी । अब आगे।

अनुपमा ने क्रिस्टी के दृढ़, युवा स्तनों को धीरे से सहलाना शुरू कर दिया, जैसे ही क्रिस्टी की जीभ उसके निप्पलों के चारों ओर नाच रही थी।

सहज रूप से, यह भूलकर कि यह क्रिस्टी थी, उसकी सबसे प्यारी दोस्त उसे चूस रही थी; अनुपमा उसके नीचे पहुँची और उसके स्तनों को महसूस किया। उसके निप्पल की कठोरता उसकी हथेली में दब गई। अनुपमा सिहर उठी जब उसने क्रिस्टी को दबाया और उसकी धीमी सी सिसकारी सुनी।
क्रिस्टी ने और ज़ोर से चूसा और ऐसा करते ही उसकी योनि ऐंठ गई।

क्रिस्टी अनुपमा के पास पहुँची और अपना हाथ नीचे अनुपमा के नंगे पेट पर रख दिया। अनुपमा अपनी उँगलियों के पोरों से ऊपर की ओर सहलाती रही जब तक कि वह क्रिस्टी के स्तनों के बाहरी उभार तक नहीं पहुँच गई। फिर अनुपमा ने एक स्तन को अपने हाथ में लेकर उसे धीरे से दबाया।

क्रिस्टी ने फिर आह भरी।

उसने सिर हिलाया और पूछा, "क्या तुम्हें यकीन है अनुपमा?"

मेरे सामने मेरी प्रेमिकाए आपस में चूमा छाती कर और एक दूसरे के बदन से खेल रही थी जिससे मैं बहुत उत्तेजित था और अपने लंड को सहला रहा था ।

फिर अनुपमा क्रिस्टी के पीछे बैठ गई, लेकिन उसके हाथ क्रिस्टी की बाँह और गर्दन पर फिर गए और उसके बालों और चेहरे को सहलाने लगी। जल्द ही, हाथ इधर-उधर घूमने लगे और उसकी छाती को टटोलने लगे, और पाँच मिनट बाद, नीचे पहुँचकर उसके दाहिने स्तन को उसकी बाँह के नीचे से उठाया, और निप्पल को छुड़ाकर रगड़ा, जो तेज़ी से बड़ा हो रहा था। क्रिस्टी हैरान रह गई जब अचानक अनुपमा के हाथ ने उसके बाएँ स्तन को आज़ाद कर दिया। क्रिस्टी ने अनुपमा के हाथों को हटाने की कोई कोशिश नहीं की, बस आराम से बैठी रही और अपनी योनि के होंठों को फूलते और गीले होते हुए महसूस किया।

"क्रिस्टी, तुम बहुत खूबसूरत हो; लड़के तुम्हारी एक नज़र पाने के लिए मर मिटेंगे... ज़रा अपने स्तनों को देखो... क्या तुम्हें ज़रा भी अंदाज़ा है कि कितनी औरतें इन्हें बस देखकर पागल हो सकती हैं... जैसे मैं इस पल पागल हो रही हूँ," अनुपमा ने क्रिस्टी की तरफ़ शर्माते हुए देखा, शायद उसकी प्रतिक्रिया जानने की उम्मीद में।

काके क्या मैं सच कह रही हूँ क्रिस्टी के बारे मैं ? अनुपमा ने मुझसे पूछा ।

मैं सर हिला कर मुस्कुरा कर उत्तर दिया और आगे बढे लगा तब अनु ने मुझे हाथ उठा आकर रुकने के लिए इशारा किया , जिससे मैं रुक कर अपना लंड सहलाते हुए उनका खेल देखने लगा ।

क्रिस्टी की नाभि से नमी की एक पतली सी रेखा टपक रही थी, जैसे ही उसके गाल लाल हो गए, अनुपमा की बेबाकी से उसकी जीभ बंध गई।

अब, क्रिस्टी को अपनी झनझनाती छाती और गीली योनि के अलावा किसी और चीज़ पर ध्यान देना मुश्किल हो रहा था। अनुपमा के लंबे नाखून उसके निप्पलों को हल्के से गड़ रहे थे और क्रिस्टी हल्की-सी कराहने लगी थी।

"आराम से करो जानू, अभी तो हमारा दिन शुरू हुआ है, और मैं तुम्हें इतनी जल्दी थका नहीं सकती," अनुपमा ने कहा।

अनुपमा की उंगलियाँ पीछे हट गईं और आलस्य से उसके निप्पलों और कानों के चारों ओर गोल-गोल घूमने लगीं। क्रिस्टी को अपनी कमर में यौन तनाव बढ़ता हुआ महसूस हुआ।

अनुपमा के पंख जैसे स्पर्श से पहले से ही उत्तेजित क्रिस्टी ने अपनी योनि को और भी गीला होते हुए महसूस किया, और वह अनुपमा के हाथों में झुकने लगी, उसे अपने स्तनों को दबाने और खींचने के लिए उकसाने की कोशिश करने लगी। अनुपमा चतुराई से अपना हाथ हटा लेती, लेकिन फिर किसी नई जगह पर वापस आकर उसके सूजे हुए, उत्सुक स्तनों को सहलाने और छूने लगती। क्रिस्टी ने अब अपनी आँखें बंद कर ली थीं, उसका मुँह थोड़ा खुला हुआ था, जीभ गीले होंठों के ठीक पीछे घूम रही थी। उसका पूरा स्तन खड़ा था और निप्पल खड़ा था। अनुपमा का अंगूठा और तर्जनी निप्पल को बार-बार खींच और घुमा रहे थे, उसे बाहर और ऊपर खींच रहे थे। क्रिस्टी के मुँह से एक हल्की सी कराह निकली और अनुपमा का हाथ नीचे चला गया।

यह लड़की खूबसूरत और बेहद आकर्षक थी, और उसके स्तन अब तक चूसे गए सबसे अच्छे थे, अनुपमा ने सोचा।

जैसे ही क्रिस्टी ने अनुपमा को छुआ, अनुपमा ने फिर से उसके स्तनों को छूने की कोशिश की, दो सहेलियाँ एक-दूसरे की कामुकता और कामुकता को एक साथ तलाश रही थीं।

क्रिस्टी सोच रही थी कि अनुपमा के इस सवाल का जवाब देने पर कौन पहले दूसरी की योनि को छूएगा। उसका हाथ क्रिस्टी की जांघ पर फिसल गया, जहाँ उसने उसे धीरे से सहलाया और फिर उसकी टांगों के बीच ले गई, जिसे क्रिस्टी ने सहज रूप से अलग कर दिया ताकि वह उसकी पहले से ही टपकती योनि तक पहुँच सके।


अब, अनुपमा का हाथ, जो स्तन से हटकर क्रिस्टी की झाड़ी के ऊपर तक, गोलाकार गति में चला गया।

क्रिस्टी के कूल्हे फड़क रहे थे। उसने पाया कि उसके बगल में रखा तकिया उसे आगे बढ़ने से रोक रहा था। उसकी टाँगें अपनी भगनासा को सहलाने के लिए एक साथ नहीं आ पा रही थीं और उसके हाथ मानो जम से गए थे।

अनुपमा फुसफुसा रही थी, "क्या तुम नहीं चाहोगी कि मैं तुम्हें इस तरह सहलाऊँ? तुम्हारी योनि कितनी गर्म है, देखो तुम्हारे पैरों से कितना गीलापन बह रहा है। क्या तुम मुझे अपने मुँह में इसका स्वाद नहीं लेने दोगी? अनुपमा तुम्हें बहुत गर्म कर देगी। बहुत गर्म। तुम बार-बार अनुपमा के पास आओगी और और माँगोगी।"

क्रिस्टी को इस बात का पूरा यकीन था। वह पहले से ही बुरी तरह से स्खलित होना चाहती थी। लेकिन अनुपमा अभी-अभी उस पर स्खलन शुरू कर रही थी, क्रिस्टी के बढ़ते जोश के साथ पूरी तरह से तालमेल बिठाते हुए, जैसे ही क्रिस्टी उस एहसास पर ध्यान केंद्रित करना शुरू करती, वह हमेशा अपना हाथ हटा लेती, और फिर से कहीं और शुरू कर देती। क्रिस्टी की योनि अब पूरी तरह से खुली हुई थी और योनि रस लगातार उसकी दरार से नीचे और उसकी गुदा के ऊपर बह रहा था। उसकी भगनासा, जो हमेशा बहुत लंबी थी, लगभग तीन इंच बाहर निकली हुई थी और अनुपमा की जीभ की हरकत से उसकी योनि हिलने पर काँपती और धड़कती थी। हर लहर उसे और ऊपर ले जाती, फिर नीचे गिरा देती और उसे हाँफने पर मजबूर कर देती। उसका मुँह खुला का खुला रह गया था और वह कराहने लगी थी।

अनुपमा की उंगलियाँ क्रिस्टी की योनि के अंदरूनी होंठों को खींचती और खींचती रहीं, उसे पूरा फैलाती हुई, ऊपर क्लिटोरिस की कली को छूती रहीं। उसी समय, अनुपमा की लंबी उंगलियाँ उसकी योनि में गहराई तक थीं और उसके हाथ का पिछला हिस्सा वीर्य से गीला था। क्रिस्टी के कूल्हे बेकाबू होकर हिलने लगे। क्रिस्टी हाँफ रही थी और कराह रही थी, उसकी साँसें अटक रही थीं और उसका सिर इधर-उधर घूम रहा था। उसके कूल्हों की हरकतें और भी कामुक हो गईं। "प्लीज़ मुझे चोदो। मुझे आना है। प्लीज़ अनुपमा। प्लीज़... उम्म्म्म... ओह... छी, छी, छी..."

क्रिस्टी ने अपनी आँखें बंद कर लीं क्योंकि उसने महसूस किया कि अनुपमा की उंगली उसकी योनि के होंठों के बीच धँस रही है, उसके रस में फिसल रही है और फिर उसे पूरी तरह से अपने अंदर दबा रही है। क्रिस्टी कराह उठी और इससे भी बढ़कर, वह झड़ गई। तुरंत, वहीं और तभी। जैसे ही अनुपमा ने उसे उँगलियों से चोदना शुरू किया, उसकी चूत ने उसकी उँगलियों को कसकर जकड़ लिया और लगभग उसकी उंगलियों को अपने अंदर ही समेट लिया।

"ओह क्रिस्टी, क्या तुम झड़ गईं?" अनुपमा ने पूछा, "उह हह!" क्रिस्टी बस इतना ही कह पाई।

अनुपमा फिर से खिलखिला उठी और एक और उंगली अपनी योनि में डालने लगी, फिर एक और, आखिरकार चार उंगलियाँ उसकी भीगी हुई योनि में अंदर-बाहर करने लगी। जैसे-जैसे वह अपनी योनि में गहराई तक जाती गई, उसकी फुहारें तेज़ और कामुक होती गईं।

फिर, अनुपमा के हाथ उसकी योनि पर ज़ोर से दबाव डाल रहे थे, क्रिस्टी ने अपनी टाँगें जितना हो सके फैला दीं और अचानक उसकी सारी उंगलियाँ उसमें समा गईं। फिर से, क्रिस्टी झड़ गई, और अनुपमा की उंगलियाँ उंगलियों के सिरे तक उसकी योनि में धँस गईं।

क्रिस्टी की आँखें खुल गईं और अनुपमा देख रही थी कि उसकी उंगलियाँ उसकी दोस्त की योनि में कितनी गहराई तक धँस गई थीं।

मैं उन्हें देख बेचैन था और मेरा लंड फुफकार रहा था पर मुझे बहुत मजा आ रहा था , मुझे मालूम था मेरी बारी भी आएगी और ये इन्तजार के पअल एक अलग मजा दे रहे थे ।

"हे भगवान! हे भगवान! चोदो मुझे अनुपमा; अपनी उंगलियों से मुझे चोदो। मुझे फिर से स्खलित करो।"
क्रिस्टी महसूस कर सकती थी कि उसके शरीर की हर नस फड़कने और झटके खाने लगी है। अनुपमा ने अपनी भगशिश्निका को पकड़ा और उसे योनि के होंठों से ज़ोर से बाहर निकाला, भगशिश्निका की कली को घुमाकर क्रिस्टी के सामने एक साथ खींचा।

पहले तो धीरे-धीरे अनुपमा ने अपना हाथ पीछे और लगभग बाहर खींचा और फिर आगे की ओर धकेला। क्रिस्टी सिहर उठी क्योंकि उसने बार-बार ऐसा किया, और उसकी बहती हुई चूत में तेज़ गति से उंगली से चुदाई शुरू हो गई।

हर आगे-पीछे होने वाली हरकत के साथ भीगी हुई चूत की गीली, गीली आवाज़ सुनाई दे रही थी। अचानक अनुपमा ने अपना हाथ झटक दिया।

अनुपमा का सिर ऊपर उठा और नीचे हो गया। जैसे ही अनुपमा ने दोनों लम्बी, सूजी हुई चूत के होंठों को अपने गर्म मुँह में चूसा, और अपनी जीभ उसकी चूत की गुलाबी दीवार के अंदर गहराई तक डाली, क्रिस्टी को लगा जैसे उसकी चूत में हज़ार वोल्ट की बिजली कौंध गई हो। क्रिस्टी ऊपर की ओर झुकी जैसे ही कामोन्माद की एक ज़बरदस्त लहर उसके अंदर से गुज़री और वह झड़ गई। दूसरा कामोन्माद उसे पहले के ठीक पीछे लगा। उसकी टांगों के बीच कंपन और तेज़ हो गया। आखिरी कामोन्माद ने उसे हिला दिया और वह बेहोश हो गई, कराहने और हांफने लगी। आनंद की लहरें उसके शरीर में दौड़ गईं, और उसकी पीठ झुक गई। जैसे ही उसने उसे छोड़ा, वह बेहोश हो गई, और फिर अनुपमा का सिर उसकी टांगों के बीच था, उसकी जीभ उसकी भीगी हुई योनि के होंठों के बीच गहराई तक धँसी हुई थी, मानो साँप की जीभ उसमें घुस रही हो। अनुपमा ने अपने घुटनों से क्रिस्टी की दोनों टाँगें अलग कीं, अपना मुँह क्रिस्टी की नमकीन योनि पर रगड़ा, उसके कुछ बाल भी निगल लिए, क्रिस्टी ने सोचा, उसकी गुलाबी लिपस्टिक धुंधली हो गई थी, जैसे बाहर गेरूए बादल हों। अनुपमा ने क्रिस्टी को कस कर पकड़ रखा था; उसकी योनि की कस्तूरी जैसी खुशबू, उसकी योनि की साँसों की मीठी खुशबू को सूँघ रही थी। अनुपमा की जीभ इतनी अच्छी लग रही थी कि बस कुछ ही पलों में चरमसुख की एक और लहर आ गई, तीसरी लहर क्रिस्टी पर आई, जबकि अनुपमा चूसती रही।

क्रिस्टी नीचे झुकी, और उसे दूर धकेल दिया, उसका शरीर अब इस तरह का एक और झटका नहीं झेल सकता था।

अनुपमा ने ऊपर देखा, उसका निचला चेहरा, मुँह और होंठ क्रिस्टी के वीर्य से चमक रहे थे। उसने अपनी उंगलियाँ चाटीं और कहा "स्वादिष्ट" जिससे वह ज़ोर से हँस पड़ी।

क्रिस्टी ने अनुपमा के कंधों को पकड़कर उसे सोफे पर धकेल दिया। ज़मीन पर पहुँचकर, क्रिस्टी उसके सामने घुटनों के बल बैठ गई और धीरे से उसकी टाँगें फैला दीं।

क्रिस्टी ने अपनी योनि की ओर देखा। उसकी तरह, वह भी जघन बालों की घनी झाड़ियों से घिरी हुई थी। उसकी तरह, वह भी रस से गीली थी। क्रिस्टी ने एक हाथ आगे बढ़ाया और दो उंगलियाँ उसकी योनि में डाल दीं, उन्हें इधर-उधर घुमाते हुए अंदर-बाहर करने लगी। अनुपमा ज़ोर से कराह उठी, फिर और भी तेज़, जब क्रिस्टी ने अपने अंगूठे से उसकी योनि को सहलाना शुरू किया।

कहानी जारी रहेगी
Nice update and awesome story
 

aamirhydkhan

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पंजाब दियाँ मस्त रंगीन पंजाबना–पार्ट–86

कहानी का अगला भाग-पिछले भाग में आपने पढ़ा की क्रिस्टी को अनु चूमने लगी फिर फिर दोनों आपस में चूमा चाटी करने लगी । अब आगे।


इसके साथ ही अनुपमा बिस्तर पर हिली । उसने अपनी पोज़िशन बदली और पेट के बल लेट गई और उसका सिर क्रिस्टी के घुटनों के बीच था।

"क्रिस्टी, तुम्हारी चूत बहुत सुंदर है," अनु ने कहा।

"शुक्रिया, अनुपमा," क्रिस्टी ने प्यार से जवाब दिया।

"बहुत गुलाबी और खूबसूरत। क्या तुम अपने जघन बाल ट्रिम करती हो?"अनु ने कहा।

"अरे नहीं। ये तो प्राकृतिक रूप से ऐसे ही बढ़ते हैं। सच में।" क्रिस्टी ने धीरे से जवाब दिया।

"मुझे तुम पर यकीन है। तुम्हारा शरीर बहुत खूबसूरत है। तुम्हारी खुशबू भी अच्छी है।"अनु ने कहा।

"मैं अपनी चूत की खुशबू यहाँ तक महसूस कर सकती हूँ," क्रिस्टी ने कहा।

"तुम्हारी खुशबू किसी खूबसूरत सीप जैसी है, क्रिस्टी," खूबसूरत अनु ने कहा।। अनुपमा क्रिस्टी की जांघों के अंदरूनी हिस्से को, उसके शहद के बर्तन के बिल्कुल पास, चूम रही थी।

"मुझे यकीन है कि मेरा स्वाद भी अच्छा होगा," क्रिस्टी ने उम्मीद से कहा।

"क्रिस्टी, तुम्हारे इशारे करने का तरीका बहुत ही सूक्ष्म है," अनुपमा ने एक सुकून भरी हँसी के साथ कहा।

"मुझे अपनी चूत चाटने की बहुत ज़रूरत महसूस हो रही है," क्रिस्टी ने कहा।

"सब कुछ ठीक समय पर होगा, मेरी प्यारी सब कुछ ठीक समय पर होगा।"अनु ने कहा।

अनुपमा ने क्रिस्टी की जांघों के अंदरूनी हिस्से को काटा। उसने अपना मुँह क्रिस्टी की योनि के किनारे तक पहुँचाया, लेकिन उसने अपने कामुक होंठों से उन अतिसंवेदनशील श्लेष्मा झिल्लियों को बिल्कुल नहीं छुआ।

फिर अनुपमा ने क्रिस्टी की टाँगें उठाईं और उसके नितंबों को चूमने लगी। क्रिस्टी पहले तो अचानक हुई इस हरकत पर हँसी, लेकिन जल्द ही वह अपने स्त्री-आनंद से कराहने और सिसकारियाँ भरने लगी।
अनुपमा ने क्रिस्टी को अपनी छाती से सटाकर, घुटनों को मोड़कर गेंद की तरह सिकुड़ने पर मजबूर किया। क्रिस्टी ने ऊपर पहुँचकर अपने टखनों को पकड़ लिया।

क्रिस्टी ने अपने पतले टखनों को इतनी कसकर पकड़ लिया कि उसकी उँगलियाँ सफेद पड़ गईं। अनुपमा उसकी गांड को काट रही थी।

खूबसूरत गोरी क्रिस्टी के नितंबों को इस तरह फैलाया कि दरार की त्वचा खिंचकर कस गई।
अनुपमा देख सकती थी कि किशोर क्रिस्टी की योनि के रस से उसकी गुदा की दरार गीली और चमकदार थी।

अनुपमा देख सकती थी कि किशोरी क्रिस्टी की प्रेम सुरंग - उसकी पवित्र योनि - से रस टपक रहा था।
काउंसलर को लगा कि उस योनि से रिसता हुआ प्राकृतिक स्नेहन कई पिघले हुए मोतियों जैसा लग रहा था।

अनुपमा ने क्रिस्टी की गुदा के गालों को ऐसे खोला जैसे वह किसी पके फल के टुकड़े खोल रही हो!
क्रिस्टी को अपने गुदाद्वार के मुँह में कुछ सिकुड़न भी महसूस हो रही थी जो उस अलगाव से चिकनी हो रही थी।

क्रिस्टी अपनी गुदा में एक धड़कन महसूस कर सकती थी - एक गर्म लालसा भरी धड़कन जिसे उसने पहले कभी महसूस नहीं किया था।

क्रिस्टी की गुदा में बेतहाशा झुनझुनी हो रही थी और उसे एहसास हुआ कि वह वहाँ बहुत बुरी तरह से चाटना चाहती थी - लगभग उतनी ही बुरी तरह से जितनी वह अपनी योनि चाटना चाहती थी।
अनुपमा ने अपना सिर इतना नीचे कर लिया कि उसकी ठुड्डी लगभग चादर को छू रही थी। अगर छूती भी तो ठीक गीली जगह पर होती।

खूबसूरत गोरी अनु ने अपने होंठ खोले और अपनी जीभ अपनी गर्म, गीली मुँह से बाहर निकाली।
उसने अपनी गुलाबी जीभ की नुकीली नोक क्रिस्टी की प्यारी गांड की दरार के बिल्कुल ऊपर रख दी।
वह हल्के-हल्के और तेज़ी से आगे-पीछे करने लगी। उसने अपनी जीभ ऊपर की ओर खींची - गुदा तक।

उसने अपनी जीभ के चपटे हिस्से से गुदा के चारों ओर और फिर उस पर जीभ फिराई। क्रिस्टी खुशी से चीख पड़ी।

उसकी आवाज़ तीखी थी।

उसका चेहरा लाल हो गया था।

अनुपमा ने क्रिस्टी की गुदा को साफ़ किया और फिर अपनी जीभ को छेद के अंदर डालने की कोशिश की।

क्रिस्टी ने अपने मलाशय के मुहाने पर कसी हुई मांसपेशियों को ढीला करने पर ध्यान केंद्रित किया, और उसने खुद को खुलते हुए महसूस किया।

अनुपमा काफी साहसी थी और उसने अपनी जीभ क्रिस्टी की गर्म, इच्छुक स्फिंक्टर मांसपेशी के ठीक आर-पार कर दी।

क्रिस्टी सचमुच महसूस कर सकती थी कि अनु की जीभ उसके बृहदान्त्र को छू रही है! क्रिस्टी का दिमाग चकरा रहा था।

उसका दिमाग घूम रहा था। उसे डर था कि अगर उसे ज़्यादा देर तक छेड़ा गया तो उसकी माँसपेशियाँ खिंच जाएँगी।

क्रिस्टी उसकी पीठ के निचले हिस्से पर ज़ोर-ज़ोर से आगे-पीछे हिल रही थी। अनुपमा ने अपनी जीभ बाहर निकाली।

अनु ने अपनी उँगलियों के पोरों को क्रिस्टी की योनि के बाहरी होंठों पर रख दिया। उसने क्रिस्टी को अपने पैर बिस्तर पर टिकाने दिए।

अनुपमा ने योनि को खोला और भूख से उसे चाटने लगी। क्रिस्टी को लगा कि वह काँप उठेगी।
क्रिस्टी अपनी सारी मांसपेशियों को अनायास ही अपने ऊपर खिंचता हुआ महसूस कर सकती थी। वह बहुत करीब थी।

वह चरम सीमा पर थी। क्रिस्टी की योनि से भगशेफ बाहर आने को तैयार था। अनुपमा की जीभ ने प्रेम बटन ढूँढ़ लिया।

उसने उसे ज़ोर से और तेज़ी से झटका दिया और क्रिस्टी को हवा में बम फूटते हुए महसूस हुआ। उसका मुँह खुला का खुला रह गया और वह उसकी तीखी चीख़ को कमरे में गूँजती हुई सुन सकती थी। उस पल महसूस हो रही संवेदनाओं की तीव्रता के कारण क्रिस्टी किसी बच्ची की तरह ज़ोर-ज़ोर से चीख पड़ी। क्रिस्टी को एहसास हुआ कि चीखते हुए उसे बहुत दर्द हो रहा था। ऐसा लग रहा था जैसे वह किसी सिनेमाई यातना दृश्य की पीड़िता हो। ऐसा लग रहा था जैसे कोई बढ़ई के औज़ारों से उसके साथ कुछ भयानक कर रहा हो। क्रिस्टी को समुद्र की लहरों की तरह आनंद की एक पागल कर देने वाली लहर महसूस हो रही थी। वह खुद को किसी दूर जगह पर बहता हुआ महसूस कर रही थी - एक ऐसी जगह जिसका वास्तविकता से दूर-दूर तक कोई नाता नहीं था। वह कभी न खत्म होने वाली धरती की ओर जा रही थी। उसकी संवेदनाओं की तीव्रता उसकी कल्पना से परे थी।


जारी रहेगी
 
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Sushil@10

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पंजाब दियाँ मस्त रंगीन पंजाबना–पार्ट–86

कहानी का अगला भाग-पिछले भाग में आपने पढ़ा की क्रिस्टी को अनु चूमने लगी फिर फिर दोनों आपस में चूमा चाटी करने लगी । अब आगे।


इसके साथ ही अनुपमा बिस्तर पर हिली । उसने अपनी पोज़िशन बदली और पेट के बल लेट गई और उसका सिर क्रिस्टी के घुटनों के बीच था।

"क्रिस्टी, तुम्हारी चूत बहुत सुंदर है," अनु ने कहा।

"शुक्रिया, अनुपमा," क्रिस्टी ने प्यार से जवाब दिया।

"बहुत गुलाबी और खूबसूरत। क्या तुम अपने जघन बाल ट्रिम करती हो?"अनु ने कहा।

"अरे नहीं। ये तो प्राकृतिक रूप से ऐसे ही बढ़ते हैं। सच में।" क्रिस्टी ने धीरे से जवाब दिया।

"मुझे तुम पर यकीन है। तुम्हारा शरीर बहुत खूबसूरत है। तुम्हारी खुशबू भी अच्छी है।"अनु ने कहा।

"मैं अपनी चूत की खुशबू यहाँ तक महसूस कर सकती हूँ," क्रिस्टी ने कहा।

"तुम्हारी खुशबू किसी खूबसूरत सीप जैसी है, क्रिस्टी," खूबसूरत अनु ने कहा।। अनुपमा क्रिस्टी की जांघों के अंदरूनी हिस्से को, उसके शहद के बर्तन के बिल्कुल पास, चूम रही थी।

"मुझे यकीन है कि मेरा स्वाद भी अच्छा होगा," क्रिस्टी ने उम्मीद से कहा।

"क्रिस्टी, तुम्हारे इशारे करने का तरीका बहुत ही सूक्ष्म है," अनुपमा ने एक सुकून भरी हँसी के साथ कहा।

"मुझे अपनी चूत चाटने की बहुत ज़रूरत महसूस हो रही है," क्रिस्टी ने कहा।

"सब कुछ ठीक समय पर होगा, मेरी प्यारी सब कुछ ठीक समय पर होगा।"अनु ने कहा।

अनुपमा ने क्रिस्टी की जांघों के अंदरूनी हिस्से को काटा। उसने अपना मुँह क्रिस्टी की योनि के किनारे तक पहुँचाया, लेकिन उसने अपने कामुक होंठों से उन अतिसंवेदनशील श्लेष्मा झिल्लियों को बिल्कुल नहीं छुआ।

फिर अनुपमा ने क्रिस्टी की टाँगें उठाईं और उसके नितंबों को चूमने लगी। क्रिस्टी पहले तो अचानक हुई इस हरकत पर हँसी, लेकिन जल्द ही वह अपने स्त्री-आनंद से कराहने और सिसकारियाँ भरने लगी।
अनुपमा ने क्रिस्टी को अपनी छाती से सटाकर, घुटनों को मोड़कर गेंद की तरह सिकुड़ने पर मजबूर किया। क्रिस्टी ने ऊपर पहुँचकर अपने टखनों को पकड़ लिया।

क्रिस्टी ने अपने पतले टखनों को इतनी कसकर पकड़ लिया कि उसकी उँगलियाँ सफेद पड़ गईं। अनुपमा उसकी गांड को काट रही थी।

खूबसूरत गोरी क्रिस्टी के नितंबों को इस तरह फैलाया कि दरार की त्वचा खिंचकर कस गई।
अनुपमा देख सकती थी कि किशोर क्रिस्टी की योनि के रस से उसकी गुदा की दरार गीली और चमकदार थी।

अनुपमा देख सकती थी कि किशोरी क्रिस्टी की प्रेम सुरंग - उसकी पवित्र योनि - से रस टपक रहा था।
काउंसलर को लगा कि उस योनि से रिसता हुआ प्राकृतिक स्नेहन कई पिघले हुए मोतियों जैसा लग रहा था।

अनुपमा ने क्रिस्टी की गुदा के गालों को ऐसे खोला जैसे वह किसी पके फल के टुकड़े खोल रही हो!
क्रिस्टी को अपने गुदाद्वार के मुँह में कुछ सिकुड़न भी महसूस हो रही थी जो उस अलगाव से चिकनी हो रही थी।

क्रिस्टी अपनी गुदा में एक धड़कन महसूस कर सकती थी - एक गर्म लालसा भरी धड़कन जिसे उसने पहले कभी महसूस नहीं किया था।

क्रिस्टी की गुदा में बेतहाशा झुनझुनी हो रही थी और उसे एहसास हुआ कि वह वहाँ बहुत बुरी तरह से चाटना चाहती थी - लगभग उतनी ही बुरी तरह से जितनी वह अपनी योनि चाटना चाहती थी।
अनुपमा ने अपना सिर इतना नीचे कर लिया कि उसकी ठुड्डी लगभग चादर को छू रही थी। अगर छूती भी तो ठीक गीली जगह पर होती।

खूबसूरत गोरी अनु ने अपने होंठ खोले और अपनी जीभ अपनी गर्म, गीली मुँह से बाहर निकाली।
उसने अपनी गुलाबी जीभ की नुकीली नोक क्रिस्टी की प्यारी गांड की दरार के बिल्कुल ऊपर रख दी।
वह हल्के-हल्के और तेज़ी से आगे-पीछे करने लगी। उसने अपनी जीभ ऊपर की ओर खींची - गुदा तक।

उसने अपनी जीभ के चपटे हिस्से से गुदा के चारों ओर और फिर उस पर जीभ फिराई। क्रिस्टी खुशी से चीख पड़ी।

उसकी आवाज़ तीखी थी।

उसका चेहरा लाल हो गया था।

अनुपमा ने क्रिस्टी की गुदा को साफ़ किया और फिर अपनी जीभ को छेद के अंदर डालने की कोशिश की।

क्रिस्टी ने अपने मलाशय के मुहाने पर कसी हुई मांसपेशियों को ढीला करने पर ध्यान केंद्रित किया, और उसने खुद को खुलते हुए महसूस किया।

अनुपमा काफी साहसी थी और उसने अपनी जीभ क्रिस्टी की गर्म, इच्छुक स्फिंक्टर मांसपेशी के ठीक आर-पार कर दी।

क्रिस्टी सचमुच महसूस कर सकती थी कि अनु की जीभ उसके बृहदान्त्र को छू रही है! क्रिस्टी का दिमाग चकरा रहा था।

उसका दिमाग घूम रहा था। उसे डर था कि अगर उसे ज़्यादा देर तक छेड़ा गया तो उसकी माँसपेशियाँ खिंच जाएँगी।

क्रिस्टी उसकी पीठ के निचले हिस्से पर ज़ोर-ज़ोर से आगे-पीछे हिल रही थी। अनुपमा ने अपनी जीभ बाहर निकाली।

अनु ने अपनी उँगलियों के पोरों को क्रिस्टी की योनि के बाहरी होंठों पर रख दिया। उसने क्रिस्टी को अपने पैर बिस्तर पर टिकाने दिए।

अनुपमा ने योनि को खोला और भूख से उसे चाटने लगी। क्रिस्टी को लगा कि वह काँप उठेगी।
क्रिस्टी अपनी सारी मांसपेशियों को अनायास ही अपने ऊपर खिंचता हुआ महसूस कर सकती थी। वह बहुत करीब थी।

वह चरम सीमा पर थी। क्रिस्टी की योनि से भगशेफ बाहर आने को तैयार था। अनुपमा की जीभ ने प्रेम बटन ढूँढ़ लिया।

उसने उसे ज़ोर से और तेज़ी से झटका दिया और क्रिस्टी को हवा में बम फूटते हुए महसूस हुआ। उसका मुँह खुला का खुला रह गया और वह उसकी तीखी चीख़ को कमरे में गूँजती हुई सुन सकती थी। उस पल महसूस हो रही संवेदनाओं की तीव्रता के कारण क्रिस्टी किसी बच्ची की तरह ज़ोर-ज़ोर से चीख पड़ी। क्रिस्टी को एहसास हुआ कि चीखते हुए उसे बहुत दर्द हो रहा था। ऐसा लग रहा था जैसे वह किसी सिनेमाई यातना दृश्य की पीड़िता हो। ऐसा लग रहा था जैसे कोई बढ़ई के औज़ारों से उसके साथ कुछ भयानक कर रहा हो। क्रिस्टी को समुद्र की लहरों की तरह आनंद की एक पागल कर देने वाली लहर महसूस हो रही थी। वह खुद को किसी दूर जगह पर बहता हुआ महसूस कर रही थी - एक ऐसी जगह जिसका वास्तविकता से दूर-दूर तक कोई नाता नहीं था। वह कभी न खत्म होने वाली धरती की ओर जा रही थी। उसकी संवेदनाओं की तीव्रता उसकी कल्पना से परे थी।


जारी रहेगी
Nice update
 

Urlover

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पंजाब दियां मस्त रंगीन पंजाबना – पार्ट – 16

हेल्लो दोस्तो मे गौरव कुमार हाज़िर हू स्टोरी का नेक्स्ट पार्ट लेकर। पिछले पार्ट में आपने पढ़ा कि कैसे सरबी फिर लाला से मिलने गयी और लाला ने दारु के साथ सरबी की चुदाई शुरू करि . अब आगे .


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सरबी लाला के लंड को सहल्ने लगी जो अभी अभी सरबी के मुह और मम्मो पर झड़ चुका था, सरबी ने लाला की तरफ देखते हुए पुछा, “ये सब आपके लिए क्या है लाला जी”। फिर सरबी ने अपने मम्मो पर गिरे लंड के पानी की तरफ इशारा किया।

“अरे लाला का बीज है जट्टी, इसी बीज से तो तेरी कोन्ख हरी करुगा मे” लाला ने कहा और मुस्कुरा पड़ा
सरबी भी लाला की बात सुन मुस्कुरा दी, और फिर उठ कर एक कपडे से अपने मुह और मम्मो को साफ़ किया। लाला भी सरबी के पीछे ही आ गया और उसने अपने आधा खडा लंड सरबी के चुतडौ की दरार मे फसा कर सरबी की गर्दन को किस्स करते हुए उसके मुम्मे पकड कर मसल दिये। “स्सीईई हयेए लाला जी” सरबी की सिसकी निकल गयी और लाला धीरे धीरे वसे ही अपना लंड सरबी के चुतडो मे मसल कर खडा करने लगा।

सरबी कहने लगी . "लाला जी आपसे कुछ अर्ज करनी थी"

लालजी उसे चुम कर कहने लगे- बोल सरबी क्या चाहती है तू ?

" अरे लालजी ज्यादा नही लाला जी बस अपना खाता साफ चाहिये”। सरबी ने भी तीर चला दिया और थोड़ा दूर खिसक गयी

लाला . समझ गया की जट्टी अब अपनी बात मनवा कर ही मानेगी - "ठीक है कर दूंगा पर अपने तरीके से किसी को शक नहीं होना चाहिए . सगली फसल आने पर हिसाब साफ़ कर दूंगा . अभी दुनिया के लिए सब ऐसे ही चढ़े रहन दे मेरी जट्टिए अब आजा मेरे पास " और जट्टी महरबानी लाला जी कह लाला से चिपक गयी और लाले को चूमने लगी


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थोड़े समय मे ही लाला का लंड फिर से सर उठा कर तैयार खडा था, लाला ने वही पर सरबी को आगे को किया और सरबी दीवार के सहारे आगे की तरफ झुक कर घोड़ी बन गयी। लाला ने अपना लंड सरबी की चुत पर मस्ल्ने लगा और उसे चुत के छेद पर दबाने लगा। लाला ने हल्का सा जोर दिया तो लंड का टोपा चुत को चीर अन्दर चला गया। “तैयार हो ना जट्टी ” लाला ने सरबी को पुछा।

“स्सीई हा लाला जी तैयार हू” सरबी मे कहा। लाला ने सरबी की हा सुन्ते ही एक धक्का मारा और लंड चुत को चीरता हुआ आधा अन्दर जा घुसा।

“हयेई मर् गयी, लाला जी धीरे उउउफ्फ्फ” सरबी ने सिसकी ली। “तेरे जेसे जट्टी लंड के आगे हो तो अप्ने आप जोर लग जता है जान” लाला ने कहा और एक धक्का और दे मारा जिस से लंड चुत को चीर जड़ तक अन्दर चला गया, ” आअह्ह्ह्ह्ह लाला जी स्स्सीईईई” लाला के धक्के से सरबी आगे को हो चली और दीवार से टकराते बच गयी, सरबी को लाला का लंड अपने अन्दर गहरायी तक मेहसूस हो रहा था, लाला ने अब हल्के हल्के धक्के लगाने स्टार्ट किये वो लंड को थोड़ा सा बाहर निकलता और फिर अन्दर डाल देता, सरबी भी अब सहज होती हुई लाला के लंड का मजा लेने लगी, आअह्ह्ह्ह उउउफ्फ्फ्फ्फ की आवाजे निकालने लगी। लाला ने अब धीरे धीरे धक्के तेज कर दिये थे और औरे जोश मे छोड़ने लगा, जब लाला का का लंड अन्दर जाता और लाला के पट्ट सरबी के चुतडौ से टकराते तो थपथप की आवाज आ रही थी।

सरबी भी आआह्ह्ह्ह उउउउफ्फ लाला जी स्स्सीईई हयेए तेज चोदो अपनी जट्टी को स्सीई करती हुई सिसकिया लेते लाला से चुदवाए जा रही थी।

” स्स्स्सीईई हयेई लाला जी चोदो अपनी जट्टी की उउउउफ्फ्फ” सर्बी पीछे मुड़कर लाला को देखती हुई बोली।

लाला भी सरबी की बात सुन जोश मे आ गया और उसने और तेज तेज धक्के लगाने चालू कर दिये, “चोद रहा हू जान, तुझेचोदने के लिये तो लाला कबसे बेताब था”।


लाला सरबी की कमर को पकड कर अपना लंड उसकी चुत की गहराईयो मे उतर रहा था। एक दम से लाला लंड बाहर खीचता और फर से एक ही झटके मे अन्दर डाल देता, कमरे सरबी की सिसकिया और उसके पैरो की पायल की खन खन सुनाई दे रही थी जो इस बात की गवाही भर रही थी के अज फिर जट्टी लाला के लंड से चुद रही है। लाला भी धक्के पे धक्के लगाये जा रहा था और सरबी जो कल तक पराये मर्द को देखती तक ना थी अज लाला के लंड के आगे घोड़ी बनी हुई थी। सरबी लाला की ताकत के आगे दो बार झड़ चुकी थी और अब लाला भी अपनी मंजिल के करीब था।

उसने सर्बी को बाजुओ के कोहनी से पकडा और तेज तेज घस्से मारने लगा, “आह्ह्ह सरबी मेरि जट्टी तेरे लाला का बीज निकलने वाला है, सम्भाल लेगी ना इसे अपनी कोन्ख मे”, लाला बोला।

“हायेए लाला जी आह्ह्ह्ह हा सम्भाल लगी उउउफ्फ्फ्फ अप डाल दो अन्दर ही”, सरबी ने भी सिसकिया लेती हुई ने जवाब दिया। लाला ने सरबी की बात सुन एक और का धक्का मारा और लंड को सरबी की चुत मे पुरा डाल कर रुक गया, लाला के लंड से वीज की धार सरबी की चुत मे पड़ रही थी, सरबी के चेहरे पर एक सुकून भरी खुशी और तस्सल्ली थी जो उसे लाला के लंड ने दी। पुरा वी्ज सरबी की चुत मे छोड़ लाला ने लंड बाहर निकाला और सरबी अब सीधी खडी हुई तो लाला ने उसे सीने से सटा लिया

“मजा आया जान अपने लाला के साथ”, लाला ने सरबी की तरफ देखते हुए पुछा, सरबी ने मुस्करा कर लाला की तरफ देखा, “हा लाला जी बहुत मजा आया”, सरबी ने कहा और लाला ने उसके होंठ चूम्ने सुरु कर दीये, “उउउफ्फ्फ छोडिए लाला जी अब कपडे पहनने दिजीये”, लाला ने सरबी से खुद को छुड़ा कपडे पहनने लगी, लाला सम्ने बैड पर बेठ कर सर्बी को देखने लगा और अप्ना लंड सहलाने लगा, सरबी कपडे पहनती हुई लाला को देख रही थी, “अब इसे क्यो सहला रहे हो लाला जी”सरबी लाला को देखकर बोली, “हाये जान ये तुमरे अन्दर जाना चाहता है और मे इसे समझा रहा हू”लाला ने सरबी को कहा, “अच्छा अभी तो निकला है अन्दर से ये” सरबी मुस्कुरते हुए बोली, “हा लेकिन क्या करे जट्टी है ही इत्नी सुन्दर के इसे बाहर आने का मन ही नही करता”, लाला ने कहा, सरबी ने कपडे पहन लिये थे

“अच्छा लाला जी अब मे चलती हू, इसे कहिये कुच दिन बाद आओगी तब अन्दर जायेगा ये”, इत्ना कहती हुई सरबी लाला की दुकान से बाहर निक्ली और ढलती रात के अन्धेरे मे रितू के घर आ गयी।

उसी दिन मैं गाँव से लौटा और ढलती रात के अन्धेरे मे मैंने सरबी को छिपते छिपाते अपने घर से निकलते हुए देख लिया


पंजाब दियां मस्त रंगीन पंजाबना जारी रहेगी

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पंजाब दियां मस्त रंगीन पंजाबना – पार्ट – 16

हेल्लो दोस्तो मे गौरव कुमार हाज़िर हू स्टोरी का नेक्स्ट पार्ट लेकर। पिछले पार्ट में आपने पढ़ा कि कैसे सरबी फिर लाला से मिलने गयी और लाला ने दारु के साथ सरबी की चुदाई शुरू करि . अब आगे .


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सरबी लाला के लंड को सहल्ने लगी जो अभी अभी सरबी के मुह और मम्मो पर झड़ चुका था, सरबी ने लाला की तरफ देखते हुए पुछा, “ये सब आपके लिए क्या है लाला जी”। फिर सरबी ने अपने मम्मो पर गिरे लंड के पानी की तरफ इशारा किया।

“अरे लाला का बीज है जट्टी, इसी बीज से तो तेरी कोन्ख हरी करुगा मे” लाला ने कहा और मुस्कुरा पड़ा
सरबी भी लाला की बात सुन मुस्कुरा दी, और फिर उठ कर एक कपडे से अपने मुह और मम्मो को साफ़ किया। लाला भी सरबी के पीछे ही आ गया और उसने अपने आधा खडा लंड सरबी के चुतडौ की दरार मे फसा कर सरबी की गर्दन को किस्स करते हुए उसके मुम्मे पकड कर मसल दिये। “स्सीईई हयेए लाला जी” सरबी की सिसकी निकल गयी और लाला धीरे धीरे वसे ही अपना लंड सरबी के चुतडो मे मसल कर खडा करने लगा।

सरबी कहने लगी . "लाला जी आपसे कुछ अर्ज करनी थी"

लालजी उसे चुम कर कहने लगे- बोल सरबी क्या चाहती है तू ?

" अरे लालजी ज्यादा नही लाला जी बस अपना खाता साफ चाहिये”। सरबी ने भी तीर चला दिया और थोड़ा दूर खिसक गयी

लाला . समझ गया की जट्टी अब अपनी बात मनवा कर ही मानेगी - "ठीक है कर दूंगा पर अपने तरीके से किसी को शक नहीं होना चाहिए . सगली फसल आने पर हिसाब साफ़ कर दूंगा . अभी दुनिया के लिए सब ऐसे ही चढ़े रहन दे मेरी जट्टिए अब आजा मेरे पास " और जट्टी महरबानी लाला जी कह लाला से चिपक गयी और लाले को चूमने लगी


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थोड़े समय मे ही लाला का लंड फिर से सर उठा कर तैयार खडा था, लाला ने वही पर सरबी को आगे को किया और सरबी दीवार के सहारे आगे की तरफ झुक कर घोड़ी बन गयी। लाला ने अपना लंड सरबी की चुत पर मस्ल्ने लगा और उसे चुत के छेद पर दबाने लगा। लाला ने हल्का सा जोर दिया तो लंड का टोपा चुत को चीर अन्दर चला गया। “तैयार हो ना जट्टी ” लाला ने सरबी को पुछा।

“स्सीई हा लाला जी तैयार हू” सरबी मे कहा। लाला ने सरबी की हा सुन्ते ही एक धक्का मारा और लंड चुत को चीरता हुआ आधा अन्दर जा घुसा।

“हयेई मर् गयी, लाला जी धीरे उउउफ्फ्फ” सरबी ने सिसकी ली। “तेरे जेसे जट्टी लंड के आगे हो तो अप्ने आप जोर लग जता है जान” लाला ने कहा और एक धक्का और दे मारा जिस से लंड चुत को चीर जड़ तक अन्दर चला गया, ” आअह्ह्ह्ह्ह लाला जी स्स्सीईईई” लाला के धक्के से सरबी आगे को हो चली और दीवार से टकराते बच गयी, सरबी को लाला का लंड अपने अन्दर गहरायी तक मेहसूस हो रहा था, लाला ने अब हल्के हल्के धक्के लगाने स्टार्ट किये वो लंड को थोड़ा सा बाहर निकलता और फिर अन्दर डाल देता, सरबी भी अब सहज होती हुई लाला के लंड का मजा लेने लगी, आअह्ह्ह्ह उउउफ्फ्फ्फ्फ की आवाजे निकालने लगी। लाला ने अब धीरे धीरे धक्के तेज कर दिये थे और औरे जोश मे छोड़ने लगा, जब लाला का का लंड अन्दर जाता और लाला के पट्ट सरबी के चुतडौ से टकराते तो थपथप की आवाज आ रही थी।

सरबी भी आआह्ह्ह्ह उउउउफ्फ लाला जी स्स्सीईई हयेए तेज चोदो अपनी जट्टी को स्सीई करती हुई सिसकिया लेते लाला से चुदवाए जा रही थी।

” स्स्स्सीईई हयेई लाला जी चोदो अपनी जट्टी की उउउउफ्फ्फ” सर्बी पीछे मुड़कर लाला को देखती हुई बोली।

लाला भी सरबी की बात सुन जोश मे आ गया और उसने और तेज तेज धक्के लगाने चालू कर दिये, “चोद रहा हू जान, तुझेचोदने के लिये तो लाला कबसे बेताब था”।


लाला सरबी की कमर को पकड कर अपना लंड उसकी चुत की गहराईयो मे उतर रहा था। एक दम से लाला लंड बाहर खीचता और फर से एक ही झटके मे अन्दर डाल देता, कमरे सरबी की सिसकिया और उसके पैरो की पायल की खन खन सुनाई दे रही थी जो इस बात की गवाही भर रही थी के अज फिर जट्टी लाला के लंड से चुद रही है। लाला भी धक्के पे धक्के लगाये जा रहा था और सरबी जो कल तक पराये मर्द को देखती तक ना थी अज लाला के लंड के आगे घोड़ी बनी हुई थी। सरबी लाला की ताकत के आगे दो बार झड़ चुकी थी और अब लाला भी अपनी मंजिल के करीब था।

उसने सर्बी को बाजुओ के कोहनी से पकडा और तेज तेज घस्से मारने लगा, “आह्ह्ह सरबी मेरि जट्टी तेरे लाला का बीज निकलने वाला है, सम्भाल लेगी ना इसे अपनी कोन्ख मे”, लाला बोला।

“हायेए लाला जी आह्ह्ह्ह हा सम्भाल लगी उउउफ्फ्फ्फ अप डाल दो अन्दर ही”, सरबी ने भी सिसकिया लेती हुई ने जवाब दिया। लाला ने सरबी की बात सुन एक और का धक्का मारा और लंड को सरबी की चुत मे पुरा डाल कर रुक गया, लाला के लंड से वीज की धार सरबी की चुत मे पड़ रही थी, सरबी के चेहरे पर एक सुकून भरी खुशी और तस्सल्ली थी जो उसे लाला के लंड ने दी। पुरा वी्ज सरबी की चुत मे छोड़ लाला ने लंड बाहर निकाला और सरबी अब सीधी खडी हुई तो लाला ने उसे सीने से सटा लिया

“मजा आया जान अपने लाला के साथ”, लाला ने सरबी की तरफ देखते हुए पुछा, सरबी ने मुस्करा कर लाला की तरफ देखा, “हा लाला जी बहुत मजा आया”, सरबी ने कहा और लाला ने उसके होंठ चूम्ने सुरु कर दीये, “उउउफ्फ्फ छोडिए लाला जी अब कपडे पहनने दिजीये”, लाला ने सरबी से खुद को छुड़ा कपडे पहनने लगी, लाला सम्ने बैड पर बेठ कर सर्बी को देखने लगा और अप्ना लंड सहलाने लगा, सरबी कपडे पहनती हुई लाला को देख रही थी, “अब इसे क्यो सहला रहे हो लाला जी”सरबी लाला को देखकर बोली, “हाये जान ये तुमरे अन्दर जाना चाहता है और मे इसे समझा रहा हू”लाला ने सरबी को कहा, “अच्छा अभी तो निकला है अन्दर से ये” सरबी मुस्कुरते हुए बोली, “हा लेकिन क्या करे जट्टी है ही इत्नी सुन्दर के इसे बाहर आने का मन ही नही करता”, लाला ने कहा, सरबी ने कपडे पहन लिये थे

“अच्छा लाला जी अब मे चलती हू, इसे कहिये कुच दिन बाद आओगी तब अन्दर जायेगा ये”, इत्ना कहती हुई सरबी लाला की दुकान से बाहर निक्ली और ढलती रात के अन्धेरे मे रितू के घर आ गयी।

उसी दिन मैं गाँव से लौटा और ढलती रात के अन्धेरे मे मैंने सरबी को छिपते छिपाते अपने घर से निकलते हुए देख लिया


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aamirhydkhan

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पंजाब दियाँ मस्त रंगीन पंजाबना–पार्ट–87

कहानी का अगला भाग-पिछले भाग में आपने पढ़ा की क्रिस्टी को अनु चूमने लगी फिर फिर दोनों आपस में चूमा चाटी करने लगी । अब आगे।

अनुपमा का फिगर 34C-24-33 है, वो दिखने में इतनी खूबसूरत और सेक्सी है कि उसकी गांड देखकर किसी का भी लंड खड़ा हो जाए। उसके बड़े-बड़े boobs, पतली कमर और मोटी जांघें उसे सेक्स की देवी बनाती हैं, वो मदिरा की ऐसी बोतल हो जो पीने वाले को नशे में डुबो दे।

और क्रिस्टी ईरानी बाप और अमरीकन गोरी माँ के मिलन से पैदा हुई बेहद खूबसूरत गोरी सुंदरी थी, और साथ ही सेक्सी और बोल्ड थी – उसकी आँखों में हवस झलक रही थी, फिगर 36D-28-36, बड़े boobs और मोटी गांड। सब क्लियर दिख रहा था—पिंक चूत, हार्ड निप्पल, स्मूद स्किन।

मैं और क्रिस्टी एक-दूसरे के पास लेटकर धीरे-धीरे बातें करने लगे। उसकी सांसें मेरे चेहरे पर लग रही थीं, उसकी बॉडी की गर्मी महसूस हो रही थी। थोड़ी देर बाद अनु मेरी दूसरी साइड लेट गई,

दोनों लड़कियां एक से बढ़कर एक माल थीं—गोरी चिट्टी स्किन, लंबे बाल, और बॉडी ऐसी कि किसी को भी ललचा दें। क्रिस्टी थोड़ी शरारती टाइप की थी, उसके ब्रेस्ट इतने टाइट और फर्म कि टी-शर्ट से बाहर आने को बेताब लगते। उसकी गांड इतनी राउंड और जूसी थी कि हाथ फेरने का मन करे।

क्रिस्टी के सेक्सी बूब्स कमाल लग रहे थे। मैंने तुरंत उसके बूब्स पर हमला कर दिया, उन्हें जोर-जोर से दबाने और चूसने लगा। क्रिस्टी बहुत मजा ले रही थी।

मैंने अनुपमा से कहा : "अनु ...आज हम सभी मिलकर मजे करेंगे .."

मेरी बात सुनकर अनु के साथ-२ क्रिस्टी भी आश्चर्य से मुझे और अनु को देखने लगी ..

अनु बोली, “हां बेबी जैसा की मैंने तिम्हे बताया है काके ही है जो मुझे जन्नत दिखाता है।” इतना कहते ही अनु ने मेरे लंड को अपने मुंह में लिया और चूसने लगी। क्रिस्टी ने पूछा, “वाउ, मजा आ रहा है क्या?” अनु बोली, “बहुत!”

अनु ने क्रिस्टी को इशारा किया कि पास आ। क्रिस्टी हैरान-परेशान मेरे लंड के सामने आ गई। अनु ने उसका हाथ पकड़ा और मेरे लंड को टच करवाने की कोशिश की। क्रिस्टी ने अपना हाथ खींच लिया। अनु बोली, “ टच करने से कुछ नहीं होगा। कर ना, अभी फील कर इसे। डर निकाल, अगर अब नहीं निकाला तो फिर कब निकालेगी? आज अच्छा मौका है, कुछ सीख ले, वरना तुझे कुछ आएगा ही नहीं।”

अनु ने फिर से उसका हाथ पकड़कर मेरे लंड पर रखा और बोली, “अच्छे से फील कर।” उसने क्रिस्टी को बताया कि अपने हाथ को गोल बनाकर मेरे लंड पर घुमाए। जब क्रिस्टी ये सब कर रही थी, मेरी नजर उसकी क्लिवेज पर पड़ी। क्या सेक्सी क्लिवेज थी, अनु की क्लिवेज से भी ज्यादा हॉट। मैंने अनु को इशारा किया कि इसकी क्लिवेज देख। अनु ने मुझे वेट करने का इशारा किया।

अनु ने क्रिस्टी से कहा, “ लंड को किस कर के देख।” लेकिन क्रिस्टी मेरे बॉल्स को सहलाने में मस्त थी। और तभी, हैरानी की बात, उसने अचानक मेरे लंड को अपने मुंह में लिया और जोर-जोर से चूसने लगी। अनु जैसे पागल हो गई और उसने क्रिस्टी के पीछे से उसकी शर्ट में हाथ डालकर उसके बूब्स दबाने शुरू कर दिए। क्रिस्टी और अनु दोनों मोर्न कर रही थीं और वो आवाजें मुझे दीवाना बना रही थीं।

अब दोनों ने अपने-अपने हाथ अपनी चूत पर रखे और उसे रगड़ने लगीं। अनु एक हाथ से अपनी चूत रगड़ रही थी और दूसरे हाथ से क्रिस्टी का एक बूब दबा रही थी। क्रिस्टी का एक हाथ उसकी चूत पर था और दूसरे से वो मेरा लंड पकड़कर चूस रही थी। मैं इस सब का मजा ले रहा था।

दोनों आँखे बंद कर लेट गयी . लेटे-लेटे मैंने चुपके से अनु की गांड पर हाथ रखा। वो इतनी सॉफ्ट और गर्म थी कि मेरा लंड झटका मारने लगा। 5-10 सेकंड बीते, क्रिस्टी हिली नहीं। मैंने हिम्मत बढ़ाई, गांड ऑनर जांघ के ऊपर से हाथ फेरा, उसकी चिकनी टांगों तक गया। वो अभी भी चुप। उफ़्फ़, क्या फीलिंग थी—उसकी स्किन सिल्की, और गांड इतनी जूसी कि दबाने का मन करे।

फिर सोचा, क्यों न क्रिस्टी पर ट्राई करूं। मैंने धीरे से पोज़िशन चेंज की, और मैंने धीरे से हाथ बढ़ाया। नींद की एक्टिंग करते हुए हाथ उसके ब्रेस्ट के ठीक नीचे रखा। उसकी सांसों से मेरा हाथ ऊपर-नीचे हो रहा था—क्या गर्मी थी! मैंने हाथ हटाने के बहाने उसके ब्रेस्ट को टच किया, वो फर्म और बड़े थे। क्रिस्टी ने कोई रिएक्शन नहीं दिया। मैं समझ गया—या तो दोनों मज़े ले रही हैं, या नशे में गहरी नींद सो रही हैं। लेकिन मैंने ठान लिया, आज इन दोनों से फुल मज़े लूंगा, ऐसा मौका दोबारा पता नहीं कब मिलेगा!

अब मैं कभी अनु की बॉडी पर हाथ फेरता, कभी क्रिस्टी की। मैं क्रिस्टी के ब्रेस्ट दबाता, अनु की गांड सहलाता। करीब दस मिनट बाद अनु मेरी तरफ मुड़ी। मैं हाथ हटाने लगा, लेकिन उसने मेरा हाथ पकड़ा और अपनी चुत पर रख दिया। उफ़्फ़, वो गीली हो चुकी थी! उसकी चूत इतनी वेट और हॉट कि मैं पागल हो गया। मैंने अनु की तरफ देखा—वो मुझे देख मुस्कुरा रही थी, नशे में आंखें चमक रही थीं!

तभी क्रिस्टी ने मेरा दूसरा हाथ अपनी गीली चुत पर रख दिया .

. मैं उठा, और और दोनों को पास कर दोनों को जोर से किस करने लगा। उनके होंठ इतने सॉफ्ट, जीभ अंदर डालकर चूसने लगा। दोनों मस्त हो रही थीं, सिसकारियां भर रही थीं। तभी पीछे से क्रिस्टी मेरे ऊपर चढ़ गई, उसके ब्रेस्ट मेरी पीठ पर दबे। वो बोली, “कए , मेरे पास पहले क्यों नहीं आया तू? मैं इंतज़ार कर रही थी!” उसकी आवाज सेक्सी थी । मैं पलटा, और क्रिस्टी के ब्रेस्ट दबाने लगा। बड़े बूब्स , निप्पल हार्ड। मैं बारी-बारी उनके के ब्रेस्ट दबाता, चूसता, निप्पल काटता। वो दोनों मेरे पूरे बॉडी पर किस कर रही थीं—गर्दन, चेस्ट, पेट। मेरा लंड बहुत देर से खड़ा था, अनु ने उसे पकड़ लिया, सहलाने लगी।

मैंने बारी-बारी उनकी चूत चाटी—जीभ अंदर डाली, क्लिट चूसा। वो सिसकारियां भर रही थीं, “आह… काके … और करो… उफ़्फ़!” मैंने उनके पूरे बॉडी पर हाथ फेरा—ब्रेस्ट मसलता, गांड थपथपाता, चूत में उंगली डालता। हम तीनों बुरी तरह गर्म हो गए थे सांसें तेज़, बॉडी पसीने से चमक रही थी।

मैं उनके ब्रेस्ट पकड़ता, चूत सहलाता, गांड पर थप्पड़ मारता। मेरा लंड बड़ा, हार्ड, वीर्य टपकने को तैयार। बस फिर क्या— अनु लंड चूमने लगी, क्रिस्टी मेरे बॉल्स से खेलने लगी, फिर जीभ से चाटने लगी। वो दोनों मुझे बीच में लेटाकर चूम रही थीं—एक लंड चूसती, दूसरी किस करती, फिर दोनों एक साथ आधा धा लंड चूसने लगी चाटती। इस डप सेक्स कन्याओं के साथ मैं जन्नत में था!

जब सहन नहीं हुआ, मैं बोला, “झड़ने वाला हूं… जिसे चूसना है, मुंह में ले लो!” दोनों लंड के लिए लड़ पड़ीं—धक्का-मुक्की, हंसी। वो मोमेंट मेरी लाइफ का बेस्ट था, खुद को गॉड फील कर रहा था। पांच मिनट बाद मैं झड़ गया—वीर्य दोनों के होंठों पर, चेहरे पर। वो चाटती रहीं, मुस्कुराती रहीं।

क्रिस्टी किसी सेक्स गॉडेस जैसी लग रही थी। वो जोर-जोर से मेरे लंड को चूस रही थी, जिससे उसका पूरा बदन हिल रहा था और उसके बूब्स हवा में गोते खा रहे थे। ये नजारा देखकर मेरे लंड से जूस निकल गया, जिसे क्रिस्टी ने पी लिया।

मैंने क्रिस्टी को खड़ा किया और उसके बूब्स दबाने लगा। क्या दिन था, मेरे सामने दो सेक्सी लड़कियां पूरी तरह नंगी खड़ी थीं, मेरे द्वारा चुदने को तैयार।

मैंने अपना लंड क्रिस्टी की चूत पर रखा और उसे रगड़ने लगा। वो पागल सी हो रही थी। लेकिन तभी अनु ने हमें रोका और बोली, “इस लंड पर मेरा हक है।” उसने मुझे बेड पर धक्का दिया और मुझ पर चढ़ गई। पलक झपकते ही उसने अपनी चूत मेरे लंड पर सेट की और जोर-जोर से ऊपर-नीचे करने लगी। वो जोर-जोर से मोर्न कर रही थी।

क्रिस्टी भी अपनी चूत खोलकर मेरे पास आई और मेरे सीने पर बैठ गई। मैंने उसे अपने मुंह के पास एडजस्ट किया और उसकी चूत चाटने लगा। वाह, क्या सीन था! एक तरफ अनु मुझसे चुद रही थी, दूसरी तरफ मैं क्रिस्टी की चूत चाट रहा था। मैंने अपनी जीभ उसकी चूत में डाली और वो जन्नत में पहुंच गई।



क्रिस्टी के बड़े बड़े गोल-गोल अनार जैसे बूब्स मेरे सामने थे, निप्पल्स एकदम पिंक और सख्त। मैंने एक निप्पल मुँह में लिया और चूसने लगा, दूसरा हाथ से मसल रहा था। क्रिस्टी आहें भर रही थी, “आह… और चूसो… मज़ा आ रहा है।”

अब मुझसे रहा नहीं गया। मैंने उसकी चूत पर हाथ फेरा एकदम चिकनी और गुलाबी थी। मैंने क्रिस्टी को सोफे पर लिटाया और उसकी चूत पर मुँह रख दिया। उसकी चूत की खुशबू मुझे पागल कर रही थी। मैंने जीभ से उसकी चूत चाटना शुरू किया, और वो चिल्लाने लगी, “आह… खा जाओ इसे… और चूसो!” उधर, अब अनु मेरे लंड को मुँह में लेकर चूस रही थी। मैंने अनु की चूत में उंगली डाली, और वो और ज़ोर से सिसकारने लगी। 10 मिनट में ही पहले क्रिस्टी फिर अनु ने पानी छोड़ दिया, और मैंने उनका सारा रस पी लिया।



अब मैंने क्रिस्टी को नीचे लिटाया और उसकी चूत में लंड डालने की कोशिश की। उसकी चूत पहली चुदाई के कारण सूजी हुई थी और इतनी टाइट थी कि मेरा लंड बस 2 इंच ही गया, और वो दर्द से चीखने लगी। मैंने अनु को उसके बूब्स चूसने को कहा, ताकि वो रिलैक्स हो। मैंने एक और झटका दिया, और मेरा लंड 5 इंच अंदर चला गया। क्रिस्टी की आँखों में आँसू थे, लेकिन वो मज़े से सिसकार भी रही थी। मैंने धीरे-धीरे स्पीड बढ़ाई, और अब वो भी मज़ा लेने लगी। अनु अपनी चूत लेकर क्रिस्टी के मुँह पर चढ़ गई, और क्रिस्टी ने अनु की चूत चाटना शुरू कर दिया। कमरे में सिर्फ़ हमारी सिसकारियाँ और चुदाई की आवाज़ें गूँज रही थीं, “आह… चोदो… और ज़ोर से… मज़ा आ रहा है!”।

20 मिनट बाद क्रिस्टी फिर से झड़ गई। अब मैंने अनु की चूत में अपना लंड डाला, और इस बार वो पूरी तरह तैयार थी। वो मज़े से चुदवाने लगी। मैंने 35 मिनट तक उसे अलग-अलग पोज़ में चोदा। अनु इस बीच 3 बार झड़ चुकी थी। आखिर में मैंने अपना लंड निकाला और अनु के मुँह में दे दिया। उसने मेरा सारा माल पी लिया। दोनों थककर निढाल हो गईं, लेकिन मेरा लंड अभी भी तना हुआ था।

इसके बाद मैंने क्रिस्टी को लिटाया और उसके ऊपर चढ़ गया और उसकी चूत में लंड पेल दिया जिससे वह चिल्ला पड़ी थोड़ी देर उसके साथ वैसे ही रहा और फिर धक्के लगाने लगा और करीब 20 मिनट में झड़ गया इतने में जया 3 बार झड़ चुकी थी इधर ये सब देखकर अनु का बुरा हाल था उसकी चूत से रस टपक रहा था उसने चूत में उंगली करके 2 बार झड़ चुकी थी. मैंने भी क्रिस्टी की कसकस्र कर चुदाई कर उसे तृप्त किया इसके बाद क्रिस्टी निढाल होकर पड़ी रही. तब अनु मेरे पास आई और फिर से मेरे लंड को चूस कर खड़ा कर दिया मैंने उसको लेटाया और खूब उसकी चूत मारी ।

अब मैंने ज़ोर का झटका दिया और मेरा लण्ड फाड़ता हुआ गहराई में उतर गया। भोसड़े में लण्ड ठुकते ही अनु बुरी तरह से हिल गई।

अनु आईईईईई अआईईई मर्रर्रर्रर्र गाईईई।

मेरा लण्ड अंदर फिट हो चूका था। अब मै लपालप लण्ड ठोकने लगा। मै झमाझम में लण्ड पेले जा रहा था। अनु बुरी तरह से चुद रही थी।

अनु – आईईईई आईएईई ओह सिससस्स आह्ह आह्ह आह्ह ओह काके ….धीरे…….धीरे……आह्ह…सिससस्स

“ आह्ह आह्ह सिससस्स आह्ह आहः ओह सिसस्ससस्स आईईईई।

मैं झमाझम दबा दबा कर लण्ड पेल रहा था। मेरे लंड के झटको से अनु के बोबे उछल रहे थे।

” आह्हा आह्हा ओह्ह्ह् आईई आह्हा। ”

” ओह्ह्ह्ह् अनु बहुत मज़ा आ रहा है। आह्हा। ”

” । आह्हा आह्हा ओह्ह्ह् आईई मम्मी। ”

मै अनु की चूत मे जमकर लंड पेल रहा था। मेरे लंड के घमासान से अनु पानी पानी हो रही थी। और तभी क्रिस्टी आकर मेरे ऊपर चढ़ गयी और उसके बड़े बूब्स मेरी पीठ के साथ चिपक गयी मेरी छाती से अनु के बूब्स चिपके हुए थे तभी थोड़ी देर के घमासान के बाद अनु का जिस्म अकड़ गया और ुकि चुत में पानी छुट आया।

” ओह्ह्ह्ह् मम्मी मर गईई आईई आह्हा। ”

अब मेरा लण्ड धक्के मार मारकर पानी बाहर निकालने लगा। मेरा लंड अनु की चुत में पूरा डूब रहा था। मै लगातार अनु को ज़बरदस्त तरीके से पेल रहा था।

” आईएईई सिससस्स आहाहा आह्ह आह्ह ओह सिसस्ससस्स

मेरे लंड के ज़बरदस्त घमासान के कारण अनु की हालत थोड़ी देर में ही ख़राब हो चुकी थी। इसी बीच अनु फिर से पानी पानी हो गई।

” आह्हा आह्हा ओह्ह्ह् आईई। ”

तभी क्रिस्टी मेरे और अनु के बीच घुसी और क्रिस्टी अनु पर लेट गयी . और मेरा लंड पकड़ अनु की चुत से निकाल अपनी चुत पर रग्स अपनी कमर उठा दी जिससे लंड अंदर गया . मैंने क्रिस्टी की टांगो को पूरा पीछे मोड़कर उसे फोल्ड कर दिया। अब मैं खड़ा होकर क्रिस्टी को चोदने लगा ऑनर हाथ अनु के बूब्स दबा रहे थे , अनु क्रिस्टी के बूब्स दबा रही थी । अब क्रिस्टी को फोल्ड करके चोदने में मुझे बहुत ज्यादा मज़ा आ रहा था।

“आईईईई सिससस्स आह्ह आह्ह अआहः सिससस्स ओह साले आईईईई मर गईईई आज तो। आहाहा आहहह।”

मैं– ओह साली। आहाः बहुत मज़ा आ रहा है। आहाहाह।

” सारी कसर आज ही निकालेगा क्या काके अनु कह उठी ! ”

” हाँ रानी । ”

मेरा लंड एकदम सीधा क्रिस्टी के भोसड़े में प्रहार कर रहा था। क्रिस्टी दर्द से बुरी तरह से झल्ला रही थी। मै दे दना दन चोद रहा था।

” आह्हा आह आईई आईई आह्हा आह्हा। ”

” बहुत मज़ा आ रहा है । आह्हा। ”

अब देर में ही क्रिस्टी पसीने पसीने हो गई। आज मेरा लंड क्रिस्टी पर कहर बनकर टूट रहा था। तभी क्रिस्टी एकबार फिर से पानी पानी हो गई। उनके भोसड़े में फिर से पानी का बहाव आ चुका था। फिर अनु ने लंड खींच कर अपने अंदर दाल चोदा, मैंने बहुत देर तक कभी अनु और कभी क्रिस्टी को ऐसे ही बजाया।


ये सिलसिला चलता रहा। कभी मैं अनु को चोदता, कभी क्रिस्टी को पूरे दो दिन रात मैंने उन्हें बारबार चोदा। खाते पीते नहाते घर के हर कोने में हमने चुदाई की आसन बदल कर खड़े लेते बैठे , हम बारबार चुदाई करते रहे , क जाते तब आराम करते और फिर शुरू हो जाते बाद में हम तीनों ने एक साथ नहाये और सोमवार सुबह लड़किया कालज चली गयी ।


 
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Sushil@10

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पंजाब दियाँ मस्त रंगीन पंजाबना–पार्ट–87

कहानी का अगला भाग-पिछले भाग में आपने पढ़ा की क्रिस्टी को अनु चूमने लगी फिर फिर दोनों आपस में चूमा चाटी करने लगी । अब आगे।

अनुपमा का फिगर 34C-24-33 है, वो दिखने में इतनी खूबसूरत और सेक्सी है कि उसकी गांड देखकर किसी का भी लंड खड़ा हो जाए। उसके बड़े-बड़े boobs, पतली कमर और मोटी जांघें उसे सेक्स की देवी बनाती हैं, वो मदिरा की ऐसी बोतल हो जो पीने वाले को नशे में डुबो दे।

और क्रिस्टी ईरानी बाप और अमरीकन गोरी माँ के मिलन से पैदा हुई बेहद खूबसूरत गोरी सुंदरी थी, और साथ ही सेक्सी और बोल्ड थी – उसकी आँखों में हवस झलक रही थी, फिगर 36D-28-36, बड़े boobs और मोटी गांड। सब क्लियर दिख रहा था—पिंक चूत, हार्ड निप्पल, स्मूद स्किन।

मैं और क्रिस्टी एक-दूसरे के पास लेटकर धीरे-धीरे बातें करने लगे। उसकी सांसें मेरे चेहरे पर लग रही थीं, उसकी बॉडी की गर्मी महसूस हो रही थी। थोड़ी देर बाद अनु मेरी दूसरी साइड लेट गई,

दोनों लड़कियां एक से बढ़कर एक माल थीं—गोरी चिट्टी स्किन, लंबे बाल, और बॉडी ऐसी कि किसी को भी ललचा दें। क्रिस्टी थोड़ी शरारती टाइप की थी, उसके ब्रेस्ट इतने टाइट और फर्म कि टी-शर्ट से बाहर आने को बेताब लगते। उसकी गांड इतनी राउंड और जूसी थी कि हाथ फेरने का मन करे।

क्रिस्टी के सेक्सी बूब्स कमाल लग रहे थे। मैंने तुरंत उसके बूब्स पर हमला कर दिया, उन्हें जोर-जोर से दबाने और चूसने लगा। क्रिस्टी बहुत मजा ले रही थी।

मैंने अनुपमा से कहा : "अनु ...आज हम सभी मिलकर मजे करेंगे .."

मेरी बात सुनकर अनु के साथ-२ क्रिस्टी भी आश्चर्य से मुझे और अनु को देखने लगी ..

अनु बोली, “हां बेबी जैसा की मैंने तिम्हे बताया है काके ही है जो मुझे जन्नत दिखाता है।” इतना कहते ही अनु ने मेरे लंड को अपने मुंह में लिया और चूसने लगी। क्रिस्टी ने पूछा, “वाउ, मजा आ रहा है क्या?” अनु बोली, “बहुत!”

अनु ने क्रिस्टी को इशारा किया कि पास आ। क्रिस्टी हैरान-परेशान मेरे लंड के सामने आ गई। अनु ने उसका हाथ पकड़ा और मेरे लंड को टच करवाने की कोशिश की। क्रिस्टी ने अपना हाथ खींच लिया। अनु बोली, “रुबी, टच करने से कुछ नहीं होगा। कर ना, अभी फील कर इसे। डर निकाल, अगर अब नहीं निकाला तो फिर कब निकालेगी? आज अच्छा मौका है, कुछ सीख ले, वरना तुझे कुछ आएगा ही नहीं।”

अनु ने फिर से उसका हाथ पकड़कर मेरे लंड पर रखा और बोली, “अच्छे से फील कर।” उसने क्रिस्टी को बताया कि अपने हाथ को गोल बनाकर मेरे लंड पर घुमाए। जब क्रिस्टी ये सब कर रही थी, मेरी नजर उसकी क्लिवेज पर पड़ी। क्या सेक्सी क्लिवेज थी, अनु की क्लिवेज से भी ज्यादा हॉट। मैंने अनु को इशारा किया कि इसकी क्लिवेज देख। अनु ने मुझे वेट करने का इशारा किया।

अनु ने क्रिस्टी से कहा, “ लंड को किस कर के देख।” लेकिन क्रिस्टी मेरे बॉल्स को सहलाने में मस्त थी। और तभी, हैरानी की बात, उसने अचानक मेरे लंड को अपने मुंह में लिया और जोर-जोर से चूसने लगी। अनु जैसे पागल हो गई और उसने क्रिस्टी के पीछे से उसकी शर्ट में हाथ डालकर उसके बूब्स दबाने शुरू कर दिए। क्रिस्टी और अनु दोनों मोर्न कर रही थीं और वो आवाजें मुझे दीवाना बना रही थीं।

अब दोनों ने अपने-अपने हाथ अपनी चूत पर रखे और उसे रगड़ने लगीं। अनु एक हाथ से अपनी चूत रगड़ रही थी और दूसरे हाथ से क्रिस्टी का एक बूब दबा रही थी। क्रिस्टी का एक हाथ उसकी चूत पर था और दूसरे से वो मेरा लंड पकड़कर चूस रही थी। मैं इस सब का मजा ले रहा था।

दोनों आँखे बंद कर लेट गयी . लेटे-लेटे मैंने चुपके से अनु की गांड पर हाथ रखा। वो इतनी सॉफ्ट और गर्म थी कि मेरा लंड झटका मारने लगा। 5-10 सेकंड बीते, क्रिस्टी हिली नहीं। मैंने हिम्मत बढ़ाई, गांड ऑनर जांघ के ऊपर से हाथ फेरा, उसकी चिकनी टांगों तक गया। वो अभी भी चुप। उफ़्फ़, क्या फीलिंग थी—उसकी स्किन सिल्की, और गांड इतनी जूसी कि दबाने का मन करे।

फिर सोचा, क्यों न क्रिस्टी पर ट्राई करूं। मैंने धीरे से पोज़िशन चेंज की, और मैंने धीरे से हाथ बढ़ाया। नींद की एक्टिंग करते हुए हाथ उसके ब्रेस्ट के ठीक नीचे रखा। उसकी सांसों से मेरा हाथ ऊपर-नीचे हो रहा था—क्या गर्मी थी! मैंने हाथ हटाने के बहाने उसके ब्रेस्ट को टच किया, वो फर्म और बड़े थे। क्रिस्टी ने कोई रिएक्शन नहीं दिया। मैं समझ गया—या तो दोनों मज़े ले रही हैं, या नशे में गहरी नींद सो रही हैं। लेकिन मैंने ठान लिया, आज इन दोनों से फुल मज़े लूंगा, ऐसा मौका दोबारा पता नहीं कब मिलेगा!

अब मैं कभी अनु की बॉडी पर हाथ फेरता, कभी क्रिस्टी की। मैं क्रिस्टी के ब्रेस्ट दबाता, अनु की गांड सहलाता। करीब दस मिनट बाद अनु मेरी तरफ मुड़ी। मैं हाथ हटाने लगा, लेकिन उसने मेरा हाथ पकड़ा और अपनी चुत पर रख दिया। उफ़्फ़, वो गीली हो चुकी थी! उसकी चूत इतनी वेट और हॉट कि मैं पागल हो गया। मैंने अनु की तरफ देखा—वो मुझे देख मुस्कुरा रही थी, नशे में आंखें चमक रही थीं!

तभी क्रिस्टी ने मेरा दूसरा हाथ अपनी गीली चुत पर रख दिया .

. मैं उठा, और और दोनों को पास कर दोनों को जोर से किस करने लगा। उनके होंठ इतने सॉफ्ट, जीभ अंदर डालकर चूसने लगा। दोनों मस्त हो रही थीं, सिसकारियां भर रही थीं। तभी पीछे से क्रिस्टी मेरे ऊपर चढ़ गई, उसके ब्रेस्ट मेरी पीठ पर दबे। वो बोली, “कए , मेरे पास पहले क्यों नहीं आया तू? मैं इंतज़ार कर रही थी!” उसकी आवाज सेक्सी थी । मैं पलटा, और क्रिस्टी के ब्रेस्ट दबाने लगा। बड़े बूब्स , निप्पल हार्ड। मैं बारी-बारी उनके के ब्रेस्ट दबाता, चूसता, निप्पल काटता। वो दोनों मेरे पूरे बॉडी पर किस कर रही थीं—गर्दन, चेस्ट, पेट। मेरा लंड बहुत देर से खड़ा था, अनु ने उसे पकड़ लिया, सहलाने लगी।

मैंने बारी-बारी उनकी चूत चाटी—जीभ अंदर डाली, क्लिट चूसा। वो सिसकारियां भर रही थीं, “आह… काके … और करो… उफ़्फ़!” मैंने उनके पूरे बॉडी पर हाथ फेरा—ब्रेस्ट मसलता, गांड थपथपाता, चूत में उंगली डालता। हम तीनों बुरी तरह गर्म हो गए थे सांसें तेज़, बॉडी पसीने से चमक रही थी।

मैं उनके ब्रेस्ट पकड़ता, चूत सहलाता, गांड पर थप्पड़ मारता। मेरा लंड बड़ा, हार्ड, वीर्य टपकने को तैयार। बस फिर क्या— अनु लंड चूमने लगी, क्रिस्टी मेरे बॉल्स से खेलने लगी, फिर जीभ से चाटने लगी। वो दोनों मुझे बीच में लेटाकर चूम रही थीं—एक लंड चूसती, दूसरी किस करती, फिर दोनों एक साथ आधा धा लंड चूसने लगी चाटती। इस डप सेक्स कन्याओं के साथ मैं जन्नत में था!

जब सहन नहीं हुआ, मैं बोला, “झड़ने वाला हूं… जिसे चूसना है, मुंह में ले लो!” दोनों लंड के लिए लड़ पड़ीं—धक्का-मुक्की, हंसी। वो मोमेंट मेरी लाइफ का बेस्ट था, खुद को गॉड फील कर रहा था। पांच मिनट बाद मैं झड़ गया—वीर्य दोनों के होंठों पर, चेहरे पर। वो चाटती रहीं, मुस्कुराती रहीं।

क्रिस्टी किसी सेक्स गॉडेस जैसी लग रही थी। वो जोर-जोर से मेरे लंड को चूस रही थी, जिससे उसका पूरा बदन हिल रहा था और उसके बूब्स हवा में गोते खा रहे थे। ये नजारा देखकर मेरे लंड से जूस निकल गया, जिसे क्रिस्टी ने पी लिया।

मैंने क्रिस्टी को खड़ा किया और उसके बूब्स दबाने लगा। क्या दिन था, मेरे सामने दो सेक्सी लड़कियां पूरी तरह नंगी खड़ी थीं, मेरे द्वारा चुदने को तैयार।

मैंने अपना लंड क्रिस्टी की चूत पर रखा और उसे रगड़ने लगा। वो पागल सी हो रही थी। लेकिन तभी अनु ने हमें रोका और बोली, “इस लंड पर मेरा हक है।” उसने मुझे बेड पर धक्का दिया और मुझ पर चढ़ गई। पलक झपकते ही उसने अपनी चूत मेरे लंड पर सेट की और जोर-जोर से ऊपर-नीचे करने लगी। वो जोर-जोर से मोर्न कर रही थी।

क्रिस्टी भी अपनी चूत खोलकर मेरे पास आई और मेरे सीने पर बैठ गई। मैंने उसे अपने मुंह के पास एडजस्ट किया और उसकी चूत चाटने लगा। वाह, क्या सीन था! एक तरफ अनु मुझसे चुद रही थी, दूसरी तरफ मैं क्रिस्टी की चूत चाट रहा था। मैंने अपनी जीभ उसकी चूत में डाली और वो जन्नत में पहुंच गई।



क्रिस्टी के बड़े बड़े गोल-गोल अनार जैसे बूब्स मेरे सामने थे, निप्पल्स एकदम पिंक और सख्त। मैंने एक निप्पल मुँह में लिया और चूसने लगा, दूसरा हाथ से मसल रहा था। क्रिस्टी आहें भर रही थी, “आह… और चूसो… मज़ा आ रहा है।”

अब मुझसे रहा नहीं गया। मैंने उसकी चूत पर हाथ फेरा एकदम चिकनी और गुलाबी थी। मैंने क्रिस्टी को सोफे पर लिटाया और उसकी चूत पर मुँह रख दिया। उसकी चूत की खुशबू मुझे पागल कर रही थी। मैंने जीभ से उसकी चूत चाटना शुरू किया, और वो चिल्लाने लगी, “आह… खा जाओ इसे… और चूसो!” उधर, अब अनु मेरे लंड को मुँह में लेकर चूस रही थी। मैंने अनु की चूत में उंगली डाली, और वो और ज़ोर से सिसकारने लगी। 10 मिनट में ही पहले क्रिस्टी फिर अनु ने पानी छोड़ दिया, और मैंने उनका सारा रस पी लिया।



अब मैंने क्रिस्टी को नीचे लिटाया और उसकी चूत में लंड डालने की कोशिश की। उसकी चूत पहली चुदाई के कारण सूजी हुई थी और इतनी टाइट थी कि मेरा लंड बस 2 इंच ही गया, और वो दर्द से चीखने लगी। मैंने अनु को उसके बूब्स चूसने को कहा, ताकि वो रिलैक्स हो। मैंने एक और झटका दिया, और मेरा लंड 5 इंच अंदर चला गया। क्रिस्टी की आँखों में आँसू थे, लेकिन वो मज़े से सिसकार भी रही थी। मैंने धीरे-धीरे स्पीड बढ़ाई, और अब वो भी मज़ा लेने लगी। अनु अपनी चूत लेकर क्रिस्टी के मुँह पर चढ़ गई, और क्रिस्टी ने अनु की चूत चाटना शुरू कर दिया। कमरे में सिर्फ़ हमारी सिसकारियाँ और चुदाई की आवाज़ें गूँज रही थीं, “आह… चोदो… और ज़ोर से… मज़ा आ रहा है!”।

20 मिनट बाद क्रिस्टी फिर से झड़ गई। अब मैंने अनु की चूत में अपना लंड डाला, और इस बार वो पूरी तरह तैयार थी। वो मज़े से चुदवाने लगी। मैंने 35 मिनट तक उसे अलग-अलग पोज़ में चोदा। अनु इस बीच 3 बार झड़ चुकी थी। आखिर में मैंने अपना लंड निकाला और अनु के मुँह में दे दिया। उसने मेरा सारा माल पी लिया। दोनों थककर निढाल हो गईं, लेकिन मेरा लंड अभी भी तना हुआ था।

इसके बाद मैंने क्रिस्टी को लिटाया और उसके ऊपर चढ़ गया और उसकी चूत में लंड पेल दिया जिससे वह चिल्ला पड़ी थोड़ी देर उसके साथ वैसे ही रहा और फिर धक्के लगाने लगा और करीब 20 मिनट में झड़ गया इतने में जया 3 बार झड़ चुकी थी इधर ये सब देखकर अनु का बुरा हाल था उसकी चूत से रस टपक रहा था उसने चूत में उंगली करके 2 बार झड़ चुकी थी. मैंने भी क्रिस्टी की कसकस्र कर चुदाई कर उसे तृप्त किया इसके बाद क्रिस्टी निढाल होकर पड़ी रही. तब अनु मेरे पास आई और फिर से मेरे लंड को चूस कर खड़ा कर दिया मैंने उसको लेटाया और खूब उसकी चूत मारी ।

अब मैंने ज़ोर का झटका दिया और मेरा लण्ड फाड़ता हुआ गहराई में उतर गया। भोसड़े में लण्ड ठुकते ही अनु बुरी तरह से हिल गई।

अनु आईईईईई अआईईई मर्रर्रर्रर्र गाईईई।

मेरा लण्ड अंदर फिट हो चूका था। अब मै लपालप लण्ड ठोकने लगा। मै झमाझम में लण्ड पेले जा रहा था। अनु बुरी तरह से चुद रही थी।

अनु – आईईईई आईएईई ओह सिससस्स आह्ह आह्ह आह्ह ओह काके ….धीरे…….धीरे……आह्ह…सिससस्स

“ आह्ह आह्ह सिससस्स आह्ह आहः ओह सिसस्ससस्स आईईईई।

मैं झमाझम दबा दबा कर लण्ड पेल रहा था। मेरे लंड के झटको से अनु के बोबे उछल रहे थे।

” आह्हा आह्हा ओह्ह्ह् आईई आह्हा। ”

” ओह्ह्ह्ह् अनु बहुत मज़ा आ रहा है। आह्हा। ”

” । आह्हा आह्हा ओह्ह्ह् आईई मम्मी। ”

मै अनु की चूत मे जमकर लंड पेल रहा था। मेरे लंड के घमासान से अनु पानी पानी हो रही थी। और तभी क्रिस्टी आकर मेरे ऊपर चढ़ गयी और उसके बड़े बूब्स मेरी पीठ के साथ चिपक गयी मेरी छाती से अनु के बूब्स चिपके हुए थे तभी थोड़ी देर के घमासान के बाद अनु का जिस्म अकड़ गया और ुकि चुत में पानी छुट आया।

” ओह्ह्ह्ह् मम्मी मर गईई आईई आह्हा। ”

अब मेरा लण्ड धक्के मार मारकर पानी बाहर निकालने लगा। मेरा लंड अनु की चुत में पूरा डूब रहा था। मै लगातार अनु को ज़बरदस्त तरीके से पेल रहा था।

” आईएईई सिससस्स आहाहा आह्ह आह्ह ओह सिसस्ससस्स

मेरे लंड के ज़बरदस्त घमासान के कारण अनु की हालत थोड़ी देर में ही ख़राब हो चुकी थी। इसी बीच अनु फिर से पानी पानी हो गई।

” आह्हा आह्हा ओह्ह्ह् आईई। ”

तभी क्रिस्टी मेरे और अनु के बीच घुसी और क्रिस्टी अनु पर लेट गयी . और मेरा लंड पकड़ अनु की चुत से निकाल अपनी चुत पर रग्स अपनी कमर उठा दी जिससे लंड अंदर गया . मैंने क्रिस्टी की टांगो को पूरा पीछे मोड़कर उसे फोल्ड कर दिया। अब मैं खड़ा होकर क्रिस्टी को चोदने लगा ऑनर हाथ अनु के बूब्स दबा रहे थे , अनु क्रिस्टी के बूब्स दबा रही थी । अब क्रिस्टी को फोल्ड करके चोदने में मुझे बहुत ज्यादा मज़ा आ रहा था।

“आईईईई सिससस्स आह्ह आह्ह अआहः सिससस्स ओह साले आईईईई मर गईईई आज तो। आहाहा आहहह।”

मैं– ओह साली। आहाः बहुत मज़ा आ रहा है। आहाहाह।

” सारी कसर आज ही निकालेगा क्या काके अनु कह उठी ! ”

” हाँ रानी । ”

मेरा लंड एकदम सीधा क्रिस्टी के भोसड़े में प्रहार कर रहा था। क्रिस्टी दर्द से बुरी तरह से झल्ला रही थी। मै दे दना दन चोद रहा था।

” आह्हा आह आईई आईई आह्हा आह्हा। ”

” बहुत मज़ा आ रहा है । आह्हा। ”

अब देर में ही क्रिस्टी पसीने पसीने हो गई। आज मेरा लंड क्रिस्टी पर कहर बनकर टूट रहा था। तभी क्रिस्टी एकबार फिर से पानी पानी हो गई। उनके भोसड़े में फिर से पानी का बहाव आ चुका था। फिर अनु ने लंड खींच कर अपने अंदर दाल चोदा, मैंने बहुत देर तक कभी अनु और कभी क्रिस्टी को ऐसे ही बजाया।


ये सिलसिला चलता रहा। कभी मैं अनु को चोदता, कभी क्रिस्टी को पूरे दो दिन रात मैंने उन्हें बार चोदा। खाते पीते नहाते घर के हर कोने में हमने चुदाई की आसन बदल कर खड़े लेते बैठे , हम चुदाई करते रहे , तक जाते तब आराम करते और फिर शुरू हो जाते बाद में हम तीनों ने एक साथ नहाये और सोमवार सुबह लड़किया कालज चली गयी ।


Nice update and awesome story
 
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