SANJU ( V. R. )
Divine
संगीता और संजना की बचपन की दोस्ती -- बचपन के दोस्त कच्चे पर दिल के सच्चे होते है। और जहां दिल सच्चे , वहीं रिश्ते पक्के होते है।
बचपन की दोस्ती मे जो बात होती है वह बाद के दोस्ती मे नही आ सकती। बाद मे जो सम्बन्ध बनते है वे हिसाब किताब और मैथेमेटिक्स से बनते है।
संगीता का संजना के घर जाना और दबे दबे रहना और कुछ नही उसकी फाइनेंशियल समझ थी । वो पढ़ाई मे होशियार थी। घर की माली हालत को अच्छी तरह समझती थी। इसलिए उसके मन मे ऐसी हिन भावना पनपने लगती थी।
और इसके ठीक विपरीत संजना इसलिए फ्रैंक और बिंदास रहा करती थी कि वह किसी भी दायित्व से फ्री और फाइनेंशियल पोजीशन मे संगीता से कहीं बेहतर थी।
यह कोई नई बात नही है। दोस्ती के अंदर हैसियत मे फर्क हो तो इंसान की सोच और उसके कार्यशैली मे फर्क आ ही जाता है।
दूसरी खुबसूरत चीज थी संगीता का फर्स्ट टाइम चिठ्ठी लिखना।
क्या ही वो खुबसूरत दिन थे जब हम डाकिए का इन्तजार ऐसे करते थे जैसे कोई बहुत ही खास आने वाला हो।
पुराने समय मे पत्र मन लगाने का , मन की बात कहने का और अपने मन की बात समझाने का एक कारगर तरीका हुआ करता था। मैने न सिर्फ अपना और अपने परिवार का बल्कि पड़ोस के भी कई चिठ्ठियां लिखा है।
संगीता के माता पिता ने एक पुत्र को जन्म दिया। बहुत ही खुशी की खबर है। छोटे बच्चे को अपने गोद मे लेने के लिए भाई बहन के बीच होड़ मच ही जाता है। उनकी खुबसूरती , उनकी मासूमियत किसी का भी मन मोह ले !
लेकिन इतने साल के बाद भी संगीता के बड़े भाई की कोई खोज खबर क्यों न निकली ? वो है कहां और किस हालात मे है ?
संजना लगभग बालिग हो गई है और वो सेक्स का इम्पोरटेंश भी समझने लगी है। इस उम्र मे विपरीत सेक्स के प्रति आकर्षण स्वभाविक ही है। अगर कड़े अनुशासन मे कोई रहे तो वो शायद बहकने से बच जाए अन्यथा बहकना तो है ही।
बहुत ही खूबसूरत अपडेट संगीता जी।
आउटस्टैंडिंग अपडेट।
बचपन की दोस्ती मे जो बात होती है वह बाद के दोस्ती मे नही आ सकती। बाद मे जो सम्बन्ध बनते है वे हिसाब किताब और मैथेमेटिक्स से बनते है।
संगीता का संजना के घर जाना और दबे दबे रहना और कुछ नही उसकी फाइनेंशियल समझ थी । वो पढ़ाई मे होशियार थी। घर की माली हालत को अच्छी तरह समझती थी। इसलिए उसके मन मे ऐसी हिन भावना पनपने लगती थी।
और इसके ठीक विपरीत संजना इसलिए फ्रैंक और बिंदास रहा करती थी कि वह किसी भी दायित्व से फ्री और फाइनेंशियल पोजीशन मे संगीता से कहीं बेहतर थी।
यह कोई नई बात नही है। दोस्ती के अंदर हैसियत मे फर्क हो तो इंसान की सोच और उसके कार्यशैली मे फर्क आ ही जाता है।
दूसरी खुबसूरत चीज थी संगीता का फर्स्ट टाइम चिठ्ठी लिखना।
क्या ही वो खुबसूरत दिन थे जब हम डाकिए का इन्तजार ऐसे करते थे जैसे कोई बहुत ही खास आने वाला हो।
पुराने समय मे पत्र मन लगाने का , मन की बात कहने का और अपने मन की बात समझाने का एक कारगर तरीका हुआ करता था। मैने न सिर्फ अपना और अपने परिवार का बल्कि पड़ोस के भी कई चिठ्ठियां लिखा है।
संगीता के माता पिता ने एक पुत्र को जन्म दिया। बहुत ही खुशी की खबर है। छोटे बच्चे को अपने गोद मे लेने के लिए भाई बहन के बीच होड़ मच ही जाता है। उनकी खुबसूरती , उनकी मासूमियत किसी का भी मन मोह ले !
लेकिन इतने साल के बाद भी संगीता के बड़े भाई की कोई खोज खबर क्यों न निकली ? वो है कहां और किस हालात मे है ?
संजना लगभग बालिग हो गई है और वो सेक्स का इम्पोरटेंश भी समझने लगी है। इस उम्र मे विपरीत सेक्स के प्रति आकर्षण स्वभाविक ही है। अगर कड़े अनुशासन मे कोई रहे तो वो शायद बहकने से बच जाए अन्यथा बहकना तो है ही।
बहुत ही खूबसूरत अपडेट संगीता जी।
आउटस्टैंडिंग अपडेट।