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Adultery तेरे प्यार मे.... (Completed)

Aakash.

sᴡᴇᴇᴛ ᴀs ғᴜᴄᴋ
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Kya kahe manish bhai hum itna khubsurat aap likh kaise lete ho, aaz to dono baal baal Bach gaye, yuhi haste khilkhilate hue dekhna sukun deta hai hume nahi to zindagi me pareshaniya to bahot hai, bas aaj to dil baag baag ho gaya ek baar nahi tin tin baar mulakaat jo ho gayi hai.

Man me ek dar bhi hai jab kabir sabko nisha ke baare me batayega to kya honga hume to ab gussa aata hai use log daayan kyu kahte hai pyaari si ladki hai wo jiska atit na jaane kaha kho gaya hai.

Bhabhi ka pahle se hi nisha se koi rishta hai ye to hum usi din jaan gaye the jab nisha or bhabhi mandir me mile the lekin bhabhi ka rukha wawhaar yu badal jaana samjhe nahi hum mitra...
 

Studxyz

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कुछ देर ही बीती थी की कुछ लोग आये और काफी सारे कपडे, आभूषण और तोहफे रखने लगे. लग्न तो चला गया फिर ये सामान कैसा, मैंने एक पल सोचा और फिर समझा की राय साहब के ही लोग रहे होंगे. मैंने ध्यान नहीं दिया

तो क्या ये इतने सारे महंगे तोहफे निशा ने भिजवाए हैं वो खुद भी तो साथ ही पहुंची ?
 

Ashwathama

अहङ्कारं बलं दर्पं कामं क्रोधं च संश्रिताः 🕸
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#102

“कौन है उधर ” भाभी की आवाज आई . निशा ने मेरा हाथ पकड़ लिया और मेरे पीछे हो गयी. लालटेन की रौशनी हमारी तरफ आने लगी. मेरा दिल जोरो से धडकने लगा. भाभी यहाँ इस हालत में निशा को देखती तो पक्का गुस्सा करती ही . हम दोनों आँगन के बीचोबीच खड़े थे. लालटेन की रौशनी हमारी तरफ आ ही रही थी

“नंदिनी क्या कर रही हो “

ऊपर से भैया की आवाज आई

“आई, ” भाभी ने कहा और वापिस मुड गयी . हमें राहत सी मिली मैं निशा को लेकर घर से बाहर निकल गया. फिर सीधा हम कुवे पर ही आकर रुके.

निशा- तो छिपना भी जानते हो तुम

मैं- छिप कर मिलने का अपना ही मजा है जान.

निशा मुस्कुराने लगी.

निशा- वैसे मेरे साथ देख लेती नंदिनी तो तुम पर गुस्सा बहुत करती

मैं- घबरा तो तुम भी गयी थी

निशा- तुमसे ही सीखा की छिप कर मिलने का मजा बहुत है .

हम दोनों ही हंस पड़े.

निशा- चंपा को कुछ तोहफे देना चाहती हूँ मैं भिजवा दूंगी कल तुम मेरी तरफ से उसे दे देना.

मैं- तुम खुद मिल कर दोगी तो अच्छा लगेगा उसे और हमें हमारी जान का दीदार हो जायेगा.

निशा- बस बहाने ढूंढते हो तुम

मैं- क्या करे जान, तुम बहाने कहती हो तुमसे मिलने के लिए हम जान दे दे

निशा ने अपनी ऊँगली मेरे होंठो पर रखी और बोली- जान देने के लिए नहीं होती , फिर न कहना ऐसा.

मैं- तो फिर क्या कहूँ मेरी सरकार

निशा- कुछ नहीं रात बहुत हुई .

मैं- अभी तो रात जवान हुई है और अभी से तुम घबराने लगी

निशा- अच्छा जी हमारी बाते हमी को सुनाई जा रही है. खैर, बयाह में अंजू भी आएगी ऐसा मेरा मानना है

मैं- आएगी जानता हूँ

निशा- तुम्हारे पास पूरा मौका रहेगा उसके साथ रहना वो अभिमानु के बहुत करीब है जब वो बाते करे तो कान लगाये रखना उम्मीद है कुछ मिलेगा तुमको.

मैं- मैंने भी यही सोचा है . वैसे प्रकाश इस जमीं के आस पास मरा था , अंजू भी इधर के चक्कर ज्यादा लगा रही है तुमको क्या लगता है

निशा- शायद इधर कुछ हो सकता है उनके मतलब का

मैं- मेरा भी यही विचार है जान, पर खुले खेत और ये कमरा इसके सिवा और क्या ही है यहाँ

निशा- जमीन तो है न , तुम हमेशा से यहाँ खेती कर रहे हो अगर तुम अपनी जमीं को नहीं पहचानते तो फिर क्या ख़ाक किसान हो तुम.

निशा की बात में दम था जमीं से बेहतर क्या हो सकता था कुछ छिपाने के लिए . पर इतनी बड़ी जमीन में उसे तलाशना बहुत मुशकिल था पर कोशिश करनी ही थी.

सुबह आँख खुली तो रजाई में मैं अकेला था . वो जा चुकी थी . रात भर जागने की वजह से आँखे भारी भारी सी हो रही थी जैसे तैसे करके उठा और पूरी जमीन का एक चक्कर लगाया. बारीकी से निरिक्षण किया. जमीन भी तो बहुत बड़ी थी ,जब थक गया तो गाँव की तरफ चल दिया.

जाते ही एक कप चाय ली, देखा बाप के कमरे पर ताला लटका था ये चुतिया न जाने कहा गायब था .

मेरी चाय ख़त्म भी नहीं हुई थी की राय साहब की गाडी आकर रुकी. साथ में मंगू का बाप भी था . मालुम हुआ की आज लग्न देने के लिए घर और गाँव के कुछ लोग शेखर बाबु के घर जायेंगे. दोपहर होते होते सामान , कपडे, भेंटे सब लाद दिया गया और चलने की तयारी होने लगी. भैया मेरे पास आये और बोले- छोटे, हम लग्न देने जा रहे है तू यही रहेगा,पीछे से व्यवस्था में कोई कमी नहीं आये.

मैं- पर मैं भी चल रहा हूँ

भैया- पिताजी ने कहा है की तू यही रहेगा.

मैंने एक गहरी साँस ली बाप चुतिया मुझे क्यों नहीं ले जाना चाहता था .

भाभी- कबीर थोड़ी हल्दी बची है कहे तो तुझे लगा दू, शुभ होता है इसे लगाना

मैं- मेरा आज नहाने का मन नहीं है भाभी

भाभी ने थोड़ी हल्दी मेरे गाल पर लगाई और भैया से बोली- आपके भाई को ब्याह करना है और हल्दी से घबरा रहा है .

भैया- कम न समझना मेरा भाई है ये

भाभी- एक बार आपको कम समझने की भूल की थी ,मन हार बैठी थी

भैया- मन हार कर हमें तो जीत ही गयी थी न .

मैं- आप लोगो का हो गया हो तो मेरी भी सुन लो

भैया- तुम मेरी सुनो छोटे,

उन लोगो के जाने के बाद चाची ने बताया की वो मंदिर जा रही है . रह गए मैं और भाभी . भाभी अपने कमरे में चली गयी मैं भी छोटा मोटा काम करने लगा. कुछ देर ही बीती थी की कुछ लोग आये और काफी सारे कपडे, आभूषण और तोहफे रखने लगे. लग्न तो चला गया फिर ये सामान कैसा, मैंने एक पल सोचा और फिर समझा की राय साहब के ही लोग रहे होंगे. मैंने ध्यान नहीं दिया. पूरी रात निशा के साथ जागा था तो सोचा की थोड़ी देर सो जाता हूँ वैसे भी रात को फिर से जागना ही था. पीठ मोड़ कर कमरे की तरफ चला ही था की.....



“एक बार फिर हम दर पर आये सनम के और एक बार फिर पीठ मोड़ ली तुमने ” पलट कर देखे बिना ही मेरे होंठो पर मुस्कान आ गयी.

“मेहमान है तुम्हारे , ” निशा ने कहा

मैं- मेहमान नहीं मेजबान हो तुम सरकार, ये घर मेरा ही नहीं तुम्हारा भी है .

मैंने आगी बढ़ कर उसे बाँहों में भर लिया और अपने होंठ उसके होंठो पर रख दिए. इश्क का ऐसा नशा था की भूल गया मेरे सिवा घर पर कोई और भी था .

“कौन आया है कबीर ” भाभी ने ऊपर से झाँका , निशा को मेरे साथ देख कर भाभी बस देखती ही रह गयी हमें. मैंने निशा का हाथ कस कर पकड़ लिया .

मैं- निशा आई है भाभी .

भाभी सीढिया उतर कर निचे आई. कुछ देर तक वो बस हमें देखती रही .

मैं- आपने इसे न्योता दिया है भाभी

पर भाभी ने मेरी बात जैसे सुनी ही नहीं .....दो पल वो एक दुसरे को देखती रही और फिर वो हुआ जिसकी कभी उम्मीद नहीं थी भाभी झुकी और निशा के पैरो को हाथ लगा कर अपने माथे पर लगाया. नंदिनी भाभी की आँखों से गिरते आंसू उनके गालो को भिगो गए. मैं हैरान था , परेशान था .

भाभी- कबीर, मेहमान आई है घर पर . मेरे कमरे में लेकर चलो इनको मैं आती हूँ .


मैंने निशा का हाथ पकड़ा और ऊपर सीढिया चढ़ने लगे. भाभी बस हमें देखती रही .........
गुज़रे रिश्ते अक्सर अश्रु बरसा जाते हैं...
बीते लम्हे जब भी ज़हन मे याद आते हैं...
गुज़रे ज़माने मे आखिर क्या संबंध होगा डाकन और नंदनी का....
निशा, नंदनी से किस प्रकार संबंधित होगी की जिस नंदनी को हम घटनाओं का जिम्मेवार मान बैठे थे वो ही इस डाकन के चरणो की धूल से माँग सजो बैठी है ।
 

Curiousbull

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गुज़रे रिश्ते अक्सर अश्रु बरसा जाते हैं...
बीते लम्हे जब भी ज़हन मे याद आते हैं...
गुज़रे ज़माने मे आखिर क्या संबंध होगा डाकन और नंदनी का....
निशा, नंदनी से किस प्रकार संबंधित होगी की जिस नंदनी को हम घटनाओं का जिम्मेवार मान बैठे थे वो ही इस डाकन के चरणो की धूल से माँग सजो बैठी है ।
Wah wah.
 

HalfbludPrince

मैं बादल हूं आवारा
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भाभी बवाल चीज है, डबल मीनिंग का अच्छा मौका ढूंढ लिया,
क्या सच में चाची को नही मालूम की नंदिनी उसके और कबीर के संबंध के बारे में जानती है

वैसे कभी कभी लगता है की भाभी कबीर की जासूसी करती है वरना इतना रात को कैसे उठ के आ गईं निशा और कबीर के बीच में दखल देने

प्यार तो वो भी करती है कबीर को एक बेटे की तरह, लेकिन सोचता हूं जब भाभी को पता चला होगा कबीर और चाची के रिश्ते के तो कभी न कभी तो उसके मन में भी आया होगा कबीर के साथ संबंध बनाने का, ये तो एक स्वाभाविक सी चीज है जो हर आदमी महसूस कर ही लेता है
उसकी sex life को देख कर लगता नहीं की बहुत अच्छा चल रहा है

कबीर ने भी अपना पूरा सच नही बताया निशा को, उसके चाची और सरला के साथ संबंध है,

बता देना चाहिए, नए रिश्ते की शुरुवात विश्वास की नीव के साथ होनी चाहिए

अब जब निशा घर की दहलीज तक आ ही गई है तो देखते है अगले अपडेट में क्या बवाल मचता है


फौजी भाई एक और अपडेट दे दो please
देवर भाभी का रिश्ता ऐसा ही होता खट्टा मीठा सा. इश्क किया है निशा से कबीर ने ये बहुत है
 

shameless26

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PRINCE YOU ARE MASTER SPINNER, NOW WHAT IS THIS WITH NANDINI AND NISHA. READERS ARE ALREADY HAVING VERTIGO, AND ARE SPINNING EVEN MORE. TERRIFIC WRITER YOU ARE. IF YOU TRY HAND IN FILM SCRIPT WRITING ATLEAST WE WILL GET SOME BETTER FLICS, AND PRODUCERS WILL BE RELIEVED FROM FINANCING STUPID REMAKES OF HOLLYWOOD. lol
 
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