बहुत उम्दा भाई....#19
“तमाशा नहीं होना चाहिए था कबीर ” निशा ने कहा
मैं – मैंने किया क्या.
“ले पानी पी ले थोडा ” मंजू ने जग मेरी तरफ करते हुए कहा
निशा- शांत हो जाओ कबीर, कभी कभी मौन हो जाना ठीक रहता है. तुम्हारी आँखों के आगे से आज पर्दा हट गया है , वर्तमान की सत्यता को स्वीकार करो.
मैं- कहती तो ठीक ही हो तुम
मंजू- ये लोग सांप है ये डस तो सकते है पर तुम्हारे कभी नहीं हो सकते.
निशा- शांत हुआ न
मैंने हाँ में सर हिलाया.
निशा- इस घटना को एक सीख की तरह लो और अब से ज्यादा सावधान रहना , तुम्हारे अपने ही तुम्हारे दुश्मन है. दूर रहो सेफ रहो. तुम पर पहले भी हमला हुआ , आई-गयी हुई पर कबीर मैं और परीक्षा नहीं देना चाहती, मैं जीना चाहती हु , तुम्हारे साथ . इतना तो हक़ है न मेरा.
मैं- समझता हु.
निशा- वादा कर तू ऐसा कुछ नहीं करेगा जिससे की बेफालतू की परेशानी हो . जब से लाला वाला काण्ड किया है मेरा मन सवाल करता है की क्या हो गया मेरे कबीर को.
मंजू- कौन लाला.
निशा ने मंजू को शहर वाली बात बताई तो मंजू भी घबरा गयी.
मैं- मेरा कोई दोष नहीं
निशा- ये दुनिया वैसी नहीं जैसा हम सोचते है , कुछ हमारी कमिया कुछ सामने वाले की . और खासकर जब तुम और मैं अपनी जिन्दगी को तलाश रहे है तो हमें बिलकुल भी पड़ी लकड़ी नहीं उठानी चाहिए.
मैं- वादा करता हु , मेरी तरफ से कोई पंगेबाजी नहीं रहेगी.
निशा- मैं कल ड्यूटी पर जा रही हु, कोशिश करुँगी की जल्दी लौट पाऊ. मंजू इसका ख्याल रखना
मंजू ने हाँ में सर हिलाया.
मैं- मुझे लगता है की माँ-पिताजी की मौत साधारण नहीं थी
“क्या मतलब है तुम्हारा ” निशा और मंजू एक साथ ही बोली.
मैं- मुझे लगता है की मर्डर ......
मंजू- कौन करना चाहेगा भला ऐसा.
मैं- शक तो चाचा पर है मेरा
निशा- ये बात तुम्हारा गर्म दिमाग कह रहा है
मैं- नहीं निशा, अक्सर मेरा मन ये बात कहता है .
निशा- और क्यों कहता है तुम्हारा मन ऐसा बार बार
मैं- उनकी मौत से कुछ दिन पहले काफी झगडा हुआ था दोनों भाइयो का . फिर चाचा अपने परिवार को लेकर हवेली से चला गया.
निशा- क्यों हुआ झगडा.
अब मैं क्या कहता निशा से ,
मैं- नहीं पता. चाचा कई दिनों से बंटवारा चाहता था , पिताजी की इच्छा थी की परिवार संगठित रहे पर जब चाचा ना माना तो पिताजी ने कहा की ताऊ जी छुट्टी आ जाये फिर बंटवारा करेंगे.
निशा- पुलिसवाली हु कबीर, झगडे की वजह कुछ और थी क्योंकि बंटवारा किस चीज का हुआ , सब कुछ तो लावारिस पड़ा है , तुम्हारी जमीने तुम्हारा घर . जो भी यहाँ से गया खाली हाथ गया . तो वो वजह बड़ी महत्र्पूर्ण हो जाती है न. कुछ तो खिचड़ी पकी थी तुम्हारे परिवार में जो ये सब हुआ. अगर तुम्हे लगता है की जैसा तुम सोच रहे हो तो तुम तलाश करो . साजिशे कामयाब तो हो जाती है पर मिट नहीं पाती .
मैं- सही कहती हो
मंजू- बड़े ताऊ जी की लाश भी तो खेतो में मिली थी , उसका भी तो सुराग नहीं लगा आजतक की क्या हुआ था . कहीं कबीर की बात सच में तो ठीक नहीं .
निशा- मंजू, एक पल को तुम्हारी बात मान भी ली जाये तो भी सवाल वही है की किसलिए. कोई किसी को बेवजह तो नहीं मार सकता न. किसी भी क़त्ल को करने के लिए सबसे बड़ी चीज होती है मोटिव .हद से ज्यादा नफरत होना . अगर ये कारण पता चला तो फिर सब बाते क्लियर हो जाएगी.
सुबह तक हम लोग अपनी अपनी धारणा में सम्भावनाये तलाश करते रहे. भाभी ने भी कहा था “पैसा , किसे ही चाहिए था ” तो फिर क्या चाहिए था . खैर, निशा सुबह ही निकल गयी. मंजू भी स्कूल चली गयी . चूँकि अब यही रहना था मैंने हवेली में बिजली बहाली का आवेदन दिया.छोटे मोटे काम किये. हवेली की सफाई का काम हो ही नहीं रहा था तो उसकी व्यवस्था की .पर चूँकि अब मुझे अकेले ही इधर रहना था तो सबसे बड़ी चीज थी सुरक्षा , जिसके लिए मुझे बहुत जायदा प्रयास करने थे .
तमाम बातो में रात होने को आई थी ना जाने क्यों मैंने भैया-भाभी के कमरे को खोल लिया. बेहद शांत कमरा, जब इस घर में चहल पहल थी तभी थी शांत था ये . पर क्या सच में ऐसा था इसी कमरे के बिस्तर में वो तूफ़ान था जिसे मेरा भाई कभी शांत नहीं कर पाया था , जिस बिस्तर पर मैं बैठा था इस कहानी का एक अहम् किरदार था इसी बिस्तर पर पहली बार मैंने भाभी की चूत मारी थी . काश, मैं उस समय जानता की ये आग इस परिवार को ही स्वाहा कर देगी तो कसम से मैं इन चक्करों में पड़ता ही नहीं.
अपने सीने को सहलाते हुए मैं उस रात के बारे में सोचने लगा . मेरे सीने पर तीन घाव थे गोलियों के , न जाने क्यों मुझे आज भी लगता था की बेशक पिस्तौल भाभी के हाथ में थी पर वो ऐसा नहीं कर सकती, बचपन से मेरा एक ही सपना था पुलिस में भर्ती होना , माता-पिता की मौत के बाद बहुत टूट गया था मैं, टूटने तो बहुत पहले लगा था मैं जब भाभी के साथ अवैध संबंधो का पता भाई को चला, टूट तो मैं तब गया था जब चाची की बदनामी को अपने सर लिया. टूट तो मैं गया था जब निशा के बाप ने एक झटके से उसका हाथ मेरे हाथ से अलग कर दिया. सपना था की पुलिस में भर्ती होते ही सब ठीक हो जायेगा पर सपना सपना ही रह गया. सबसे पहले मैं अपनी ख़ुशी भाभी को बताना चाहता था , बेशक उसके और मेरे अवैध सम्बन्ध थे पर रब्ब जानता था की मेरी नजरो में उसका दर्जा क्या था .
“धांय धांय ” अचानक से मेरी नींद खुली तो मैंने खुद को पसीने से लथपथ पाया और मेरे सामने मंजू खड़ी थी पसीने में भीगी, उफनती सांसो के साथ .
“ऐसा कोई करता है क्या जी निकल जाता मेरा अभी ” मैंने हाँफते हुए कहा
मंजू- कबीर, मुसीबत हो गयी, काण्ड हो गया .
मैं- क्या हुआ .
मंजू- तू चल मेरे साथ ..
मंजू ने लगभग घसीट ही तो लिया था मुझे, दौड़ते हुए हम शिवाले के सामने पहुंचे जहाँ पर...............................
Ek or naya kand ho gaya lagta hai#19
“तमाशा नहीं होना चाहिए था कबीर ” निशा ने कहा
मैं – मैंने किया क्या.
“ले पानी पी ले थोडा ” मंजू ने जग मेरी तरफ करते हुए कहा
निशा- शांत हो जाओ कबीर, कभी कभी मौन हो जाना ठीक रहता है. तुम्हारी आँखों के आगे से आज पर्दा हट गया है , वर्तमान की सत्यता को स्वीकार करो.
मैं- कहती तो ठीक ही हो तुम
मंजू- ये लोग सांप है ये डस तो सकते है पर तुम्हारे कभी नहीं हो सकते.
निशा- शांत हुआ न
मैंने हाँ में सर हिलाया.
निशा- इस घटना को एक सीख की तरह लो और अब से ज्यादा सावधान रहना , तुम्हारे अपने ही तुम्हारे दुश्मन है. दूर रहो सेफ रहो. तुम पर पहले भी हमला हुआ , आई-गयी हुई पर कबीर मैं और परीक्षा नहीं देना चाहती, मैं जीना चाहती हु , तुम्हारे साथ . इतना तो हक़ है न मेरा.
मैं- समझता हु.
निशा- वादा कर तू ऐसा कुछ नहीं करेगा जिससे की बेफालतू की परेशानी हो . जब से लाला वाला काण्ड किया है मेरा मन सवाल करता है की क्या हो गया मेरे कबीर को.
मंजू- कौन लाला.
निशा ने मंजू को शहर वाली बात बताई तो मंजू भी घबरा गयी.
मैं- मेरा कोई दोष नहीं
निशा- ये दुनिया वैसी नहीं जैसा हम सोचते है , कुछ हमारी कमिया कुछ सामने वाले की . और खासकर जब तुम और मैं अपनी जिन्दगी को तलाश रहे है तो हमें बिलकुल भी पड़ी लकड़ी नहीं उठानी चाहिए.
मैं- वादा करता हु , मेरी तरफ से कोई पंगेबाजी नहीं रहेगी.
निशा- मैं कल ड्यूटी पर जा रही हु, कोशिश करुँगी की जल्दी लौट पाऊ. मंजू इसका ख्याल रखना
मंजू ने हाँ में सर हिलाया.
मैं- मुझे लगता है की माँ-पिताजी की मौत साधारण नहीं थी
“क्या मतलब है तुम्हारा ” निशा और मंजू एक साथ ही बोली.
मैं- मुझे लगता है की मर्डर ......
मंजू- कौन करना चाहेगा भला ऐसा.
मैं- शक तो चाचा पर है मेरा
निशा- ये बात तुम्हारा गर्म दिमाग कह रहा है
मैं- नहीं निशा, अक्सर मेरा मन ये बात कहता है .
निशा- और क्यों कहता है तुम्हारा मन ऐसा बार बार
मैं- उनकी मौत से कुछ दिन पहले काफी झगडा हुआ था दोनों भाइयो का . फिर चाचा अपने परिवार को लेकर हवेली से चला गया.
निशा- क्यों हुआ झगडा.
अब मैं क्या कहता निशा से ,
मैं- नहीं पता. चाचा कई दिनों से बंटवारा चाहता था , पिताजी की इच्छा थी की परिवार संगठित रहे पर जब चाचा ना माना तो पिताजी ने कहा की ताऊ जी छुट्टी आ जाये फिर बंटवारा करेंगे.
निशा- पुलिसवाली हु कबीर, झगडे की वजह कुछ और थी क्योंकि बंटवारा किस चीज का हुआ , सब कुछ तो लावारिस पड़ा है , तुम्हारी जमीने तुम्हारा घर . जो भी यहाँ से गया खाली हाथ गया . तो वो वजह बड़ी महत्र्पूर्ण हो जाती है न. कुछ तो खिचड़ी पकी थी तुम्हारे परिवार में जो ये सब हुआ. अगर तुम्हे लगता है की जैसा तुम सोच रहे हो तो तुम तलाश करो . साजिशे कामयाब तो हो जाती है पर मिट नहीं पाती .
मैं- सही कहती हो
मंजू- बड़े ताऊ जी की लाश भी तो खेतो में मिली थी , उसका भी तो सुराग नहीं लगा आजतक की क्या हुआ था . कहीं कबीर की बात सच में तो ठीक नहीं .
निशा- मंजू, एक पल को तुम्हारी बात मान भी ली जाये तो भी सवाल वही है की किसलिए. कोई किसी को बेवजह तो नहीं मार सकता न. किसी भी क़त्ल को करने के लिए सबसे बड़ी चीज होती है मोटिव .हद से ज्यादा नफरत होना . अगर ये कारण पता चला तो फिर सब बाते क्लियर हो जाएगी.
सुबह तक हम लोग अपनी अपनी धारणा में सम्भावनाये तलाश करते रहे. भाभी ने भी कहा था “पैसा , किसे ही चाहिए था ” तो फिर क्या चाहिए था . खैर, निशा सुबह ही निकल गयी. मंजू भी स्कूल चली गयी . चूँकि अब यही रहना था मैंने हवेली में बिजली बहाली का आवेदन दिया.छोटे मोटे काम किये. हवेली की सफाई का काम हो ही नहीं रहा था तो उसकी व्यवस्था की .पर चूँकि अब मुझे अकेले ही इधर रहना था तो सबसे बड़ी चीज थी सुरक्षा , जिसके लिए मुझे बहुत जायदा प्रयास करने थे .
तमाम बातो में रात होने को आई थी ना जाने क्यों मैंने भैया-भाभी के कमरे को खोल लिया. बेहद शांत कमरा, जब इस घर में चहल पहल थी तभी थी शांत था ये . पर क्या सच में ऐसा था इसी कमरे के बिस्तर में वो तूफ़ान था जिसे मेरा भाई कभी शांत नहीं कर पाया था , जिस बिस्तर पर मैं बैठा था इस कहानी का एक अहम् किरदार था इसी बिस्तर पर पहली बार मैंने भाभी की चूत मारी थी . काश, मैं उस समय जानता की ये आग इस परिवार को ही स्वाहा कर देगी तो कसम से मैं इन चक्करों में पड़ता ही नहीं.
अपने सीने को सहलाते हुए मैं उस रात के बारे में सोचने लगा . मेरे सीने पर तीन घाव थे गोलियों के , न जाने क्यों मुझे आज भी लगता था की बेशक पिस्तौल भाभी के हाथ में थी पर वो ऐसा नहीं कर सकती, बचपन से मेरा एक ही सपना था पुलिस में भर्ती होना , माता-पिता की मौत के बाद बहुत टूट गया था मैं, टूटने तो बहुत पहले लगा था मैं जब भाभी के साथ अवैध संबंधो का पता भाई को चला, टूट तो मैं तब गया था जब चाची की बदनामी को अपने सर लिया. टूट तो मैं गया था जब निशा के बाप ने एक झटके से उसका हाथ मेरे हाथ से अलग कर दिया. सपना था की पुलिस में भर्ती होते ही सब ठीक हो जायेगा पर सपना सपना ही रह गया. सबसे पहले मैं अपनी ख़ुशी भाभी को बताना चाहता था , बेशक उसके और मेरे अवैध सम्बन्ध थे पर रब्ब जानता था की मेरी नजरो में उसका दर्जा क्या था .
“धांय धांय ” अचानक से मेरी नींद खुली तो मैंने खुद को पसीने से लथपथ पाया और मेरे सामने मंजू खड़ी थी पसीने में भीगी, उफनती सांसो के साथ .
“ऐसा कोई करता है क्या जी निकल जाता मेरा अभी ” मैंने हाँफते हुए कहा
मंजू- कबीर, मुसीबत हो गयी, काण्ड हो गया .
मैं- क्या हुआ .
मंजू- तू चल मेरे साथ ..
मंजू ने लगभग घसीट ही तो लिया था मुझे, दौड़ते हुए हम शिवाले के सामने पहुंचे जहाँ पर...............................
बहुत ही सुंदर update.....शिवाले पर क्या हुआ है लगता है कि कुछ अजीब हुआ है जो किसी के मर्डर से भी बढ़कर है.......#19
“तमाशा नहीं होना चाहिए था कबीर ” निशा ने कहा
मैं – मैंने किया क्या.
“ले पानी पी ले थोडा ” मंजू ने जग मेरी तरफ करते हुए कहा
निशा- शांत हो जाओ कबीर, कभी कभी मौन हो जाना ठीक रहता है. तुम्हारी आँखों के आगे से आज पर्दा हट गया है , वर्तमान की सत्यता को स्वीकार करो.
मैं- कहती तो ठीक ही हो तुम
मंजू- ये लोग सांप है ये डस तो सकते है पर तुम्हारे कभी नहीं हो सकते.
निशा- शांत हुआ न
मैंने हाँ में सर हिलाया.
निशा- इस घटना को एक सीख की तरह लो और अब से ज्यादा सावधान रहना , तुम्हारे अपने ही तुम्हारे दुश्मन है. दूर रहो सेफ रहो. तुम पर पहले भी हमला हुआ , आई-गयी हुई पर कबीर मैं और परीक्षा नहीं देना चाहती, मैं जीना चाहती हु , तुम्हारे साथ . इतना तो हक़ है न मेरा.
मैं- समझता हु.
निशा- वादा कर तू ऐसा कुछ नहीं करेगा जिससे की बेफालतू की परेशानी हो . जब से लाला वाला काण्ड किया है मेरा मन सवाल करता है की क्या हो गया मेरे कबीर को.
मंजू- कौन लाला.
निशा ने मंजू को शहर वाली बात बताई तो मंजू भी घबरा गयी.
मैं- मेरा कोई दोष नहीं
निशा- ये दुनिया वैसी नहीं जैसा हम सोचते है , कुछ हमारी कमिया कुछ सामने वाले की . और खासकर जब तुम और मैं अपनी जिन्दगी को तलाश रहे है तो हमें बिलकुल भी पड़ी लकड़ी नहीं उठानी चाहिए.
मैं- वादा करता हु , मेरी तरफ से कोई पंगेबाजी नहीं रहेगी.
निशा- मैं कल ड्यूटी पर जा रही हु, कोशिश करुँगी की जल्दी लौट पाऊ. मंजू इसका ख्याल रखना
मंजू ने हाँ में सर हिलाया.
मैं- मुझे लगता है की माँ-पिताजी की मौत साधारण नहीं थी
“क्या मतलब है तुम्हारा ” निशा और मंजू एक साथ ही बोली.
मैं- मुझे लगता है की मर्डर ......
मंजू- कौन करना चाहेगा भला ऐसा.
मैं- शक तो चाचा पर है मेरा
निशा- ये बात तुम्हारा गर्म दिमाग कह रहा है
मैं- नहीं निशा, अक्सर मेरा मन ये बात कहता है .
निशा- और क्यों कहता है तुम्हारा मन ऐसा बार बार
मैं- उनकी मौत से कुछ दिन पहले काफी झगडा हुआ था दोनों भाइयो का . फिर चाचा अपने परिवार को लेकर हवेली से चला गया.
निशा- क्यों हुआ झगडा.
अब मैं क्या कहता निशा से ,
मैं- नहीं पता. चाचा कई दिनों से बंटवारा चाहता था , पिताजी की इच्छा थी की परिवार संगठित रहे पर जब चाचा ना माना तो पिताजी ने कहा की ताऊ जी छुट्टी आ जाये फिर बंटवारा करेंगे.
निशा- पुलिसवाली हु कबीर, झगडे की वजह कुछ और थी क्योंकि बंटवारा किस चीज का हुआ , सब कुछ तो लावारिस पड़ा है , तुम्हारी जमीने तुम्हारा घर . जो भी यहाँ से गया खाली हाथ गया . तो वो वजह बड़ी महत्र्पूर्ण हो जाती है न. कुछ तो खिचड़ी पकी थी तुम्हारे परिवार में जो ये सब हुआ. अगर तुम्हे लगता है की जैसा तुम सोच रहे हो तो तुम तलाश करो . साजिशे कामयाब तो हो जाती है पर मिट नहीं पाती .
मैं- सही कहती हो
मंजू- बड़े ताऊ जी की लाश भी तो खेतो में मिली थी , उसका भी तो सुराग नहीं लगा आजतक की क्या हुआ था . कहीं कबीर की बात सच में तो ठीक नहीं .
निशा- मंजू, एक पल को तुम्हारी बात मान भी ली जाये तो भी सवाल वही है की किसलिए. कोई किसी को बेवजह तो नहीं मार सकता न. किसी भी क़त्ल को करने के लिए सबसे बड़ी चीज होती है मोटिव .हद से ज्यादा नफरत होना . अगर ये कारण पता चला तो फिर सब बाते क्लियर हो जाएगी.
सुबह तक हम लोग अपनी अपनी धारणा में सम्भावनाये तलाश करते रहे. भाभी ने भी कहा था “पैसा , किसे ही चाहिए था ” तो फिर क्या चाहिए था . खैर, निशा सुबह ही निकल गयी. मंजू भी स्कूल चली गयी . चूँकि अब यही रहना था मैंने हवेली में बिजली बहाली का आवेदन दिया.छोटे मोटे काम किये. हवेली की सफाई का काम हो ही नहीं रहा था तो उसकी व्यवस्था की .पर चूँकि अब मुझे अकेले ही इधर रहना था तो सबसे बड़ी चीज थी सुरक्षा , जिसके लिए मुझे बहुत जायदा प्रयास करने थे .
तमाम बातो में रात होने को आई थी ना जाने क्यों मैंने भैया-भाभी के कमरे को खोल लिया. बेहद शांत कमरा, जब इस घर में चहल पहल थी तभी थी शांत था ये . पर क्या सच में ऐसा था इसी कमरे के बिस्तर में वो तूफ़ान था जिसे मेरा भाई कभी शांत नहीं कर पाया था , जिस बिस्तर पर मैं बैठा था इस कहानी का एक अहम् किरदार था इसी बिस्तर पर पहली बार मैंने भाभी की चूत मारी थी . काश, मैं उस समय जानता की ये आग इस परिवार को ही स्वाहा कर देगी तो कसम से मैं इन चक्करों में पड़ता ही नहीं.
अपने सीने को सहलाते हुए मैं उस रात के बारे में सोचने लगा . मेरे सीने पर तीन घाव थे गोलियों के , न जाने क्यों मुझे आज भी लगता था की बेशक पिस्तौल भाभी के हाथ में थी पर वो ऐसा नहीं कर सकती, बचपन से मेरा एक ही सपना था पुलिस में भर्ती होना , माता-पिता की मौत के बाद बहुत टूट गया था मैं, टूटने तो बहुत पहले लगा था मैं जब भाभी के साथ अवैध संबंधो का पता भाई को चला, टूट तो मैं तब गया था जब चाची की बदनामी को अपने सर लिया. टूट तो मैं गया था जब निशा के बाप ने एक झटके से उसका हाथ मेरे हाथ से अलग कर दिया. सपना था की पुलिस में भर्ती होते ही सब ठीक हो जायेगा पर सपना सपना ही रह गया. सबसे पहले मैं अपनी ख़ुशी भाभी को बताना चाहता था , बेशक उसके और मेरे अवैध सम्बन्ध थे पर रब्ब जानता था की मेरी नजरो में उसका दर्जा क्या था .
“धांय धांय ” अचानक से मेरी नींद खुली तो मैंने खुद को पसीने से लथपथ पाया और मेरे सामने मंजू खड़ी थी पसीने में भीगी, उफनती सांसो के साथ .
“ऐसा कोई करता है क्या जी निकल जाता मेरा अभी ” मैंने हाँफते हुए कहा
मंजू- कबीर, मुसीबत हो गयी, काण्ड हो गया .
मैं- क्या हुआ .
मंजू- तू चल मेरे साथ ..
मंजू ने लगभग घसीट ही तो लिया था मुझे, दौड़ते हुए हम शिवाले के सामने पहुंचे जहाँ पर...............................
Nice and superb update....#19
“तमाशा नहीं होना चाहिए था कबीर ” निशा ने कहा
मैं – मैंने किया क्या.
“ले पानी पी ले थोडा ” मंजू ने जग मेरी तरफ करते हुए कहा
निशा- शांत हो जाओ कबीर, कभी कभी मौन हो जाना ठीक रहता है. तुम्हारी आँखों के आगे से आज पर्दा हट गया है , वर्तमान की सत्यता को स्वीकार करो.
मैं- कहती तो ठीक ही हो तुम
मंजू- ये लोग सांप है ये डस तो सकते है पर तुम्हारे कभी नहीं हो सकते.
निशा- शांत हुआ न
मैंने हाँ में सर हिलाया.
निशा- इस घटना को एक सीख की तरह लो और अब से ज्यादा सावधान रहना , तुम्हारे अपने ही तुम्हारे दुश्मन है. दूर रहो सेफ रहो. तुम पर पहले भी हमला हुआ , आई-गयी हुई पर कबीर मैं और परीक्षा नहीं देना चाहती, मैं जीना चाहती हु , तुम्हारे साथ . इतना तो हक़ है न मेरा.
मैं- समझता हु.
निशा- वादा कर तू ऐसा कुछ नहीं करेगा जिससे की बेफालतू की परेशानी हो . जब से लाला वाला काण्ड किया है मेरा मन सवाल करता है की क्या हो गया मेरे कबीर को.
मंजू- कौन लाला.
निशा ने मंजू को शहर वाली बात बताई तो मंजू भी घबरा गयी.
मैं- मेरा कोई दोष नहीं
निशा- ये दुनिया वैसी नहीं जैसा हम सोचते है , कुछ हमारी कमिया कुछ सामने वाले की . और खासकर जब तुम और मैं अपनी जिन्दगी को तलाश रहे है तो हमें बिलकुल भी पड़ी लकड़ी नहीं उठानी चाहिए.
मैं- वादा करता हु , मेरी तरफ से कोई पंगेबाजी नहीं रहेगी.
निशा- मैं कल ड्यूटी पर जा रही हु, कोशिश करुँगी की जल्दी लौट पाऊ. मंजू इसका ख्याल रखना
मंजू ने हाँ में सर हिलाया.
मैं- मुझे लगता है की माँ-पिताजी की मौत साधारण नहीं थी
“क्या मतलब है तुम्हारा ” निशा और मंजू एक साथ ही बोली.
मैं- मुझे लगता है की मर्डर ......
मंजू- कौन करना चाहेगा भला ऐसा.
मैं- शक तो चाचा पर है मेरा
निशा- ये बात तुम्हारा गर्म दिमाग कह रहा है
मैं- नहीं निशा, अक्सर मेरा मन ये बात कहता है .
निशा- और क्यों कहता है तुम्हारा मन ऐसा बार बार
मैं- उनकी मौत से कुछ दिन पहले काफी झगडा हुआ था दोनों भाइयो का . फिर चाचा अपने परिवार को लेकर हवेली से चला गया.
निशा- क्यों हुआ झगडा.
अब मैं क्या कहता निशा से ,
मैं- नहीं पता. चाचा कई दिनों से बंटवारा चाहता था , पिताजी की इच्छा थी की परिवार संगठित रहे पर जब चाचा ना माना तो पिताजी ने कहा की ताऊ जी छुट्टी आ जाये फिर बंटवारा करेंगे.
निशा- पुलिसवाली हु कबीर, झगडे की वजह कुछ और थी क्योंकि बंटवारा किस चीज का हुआ , सब कुछ तो लावारिस पड़ा है , तुम्हारी जमीने तुम्हारा घर . जो भी यहाँ से गया खाली हाथ गया . तो वो वजह बड़ी महत्र्पूर्ण हो जाती है न. कुछ तो खिचड़ी पकी थी तुम्हारे परिवार में जो ये सब हुआ. अगर तुम्हे लगता है की जैसा तुम सोच रहे हो तो तुम तलाश करो . साजिशे कामयाब तो हो जाती है पर मिट नहीं पाती .
मैं- सही कहती हो
मंजू- बड़े ताऊ जी की लाश भी तो खेतो में मिली थी , उसका भी तो सुराग नहीं लगा आजतक की क्या हुआ था . कहीं कबीर की बात सच में तो ठीक नहीं .
निशा- मंजू, एक पल को तुम्हारी बात मान भी ली जाये तो भी सवाल वही है की किसलिए. कोई किसी को बेवजह तो नहीं मार सकता न. किसी भी क़त्ल को करने के लिए सबसे बड़ी चीज होती है मोटिव .हद से ज्यादा नफरत होना . अगर ये कारण पता चला तो फिर सब बाते क्लियर हो जाएगी.
सुबह तक हम लोग अपनी अपनी धारणा में सम्भावनाये तलाश करते रहे. भाभी ने भी कहा था “पैसा , किसे ही चाहिए था ” तो फिर क्या चाहिए था . खैर, निशा सुबह ही निकल गयी. मंजू भी स्कूल चली गयी . चूँकि अब यही रहना था मैंने हवेली में बिजली बहाली का आवेदन दिया.छोटे मोटे काम किये. हवेली की सफाई का काम हो ही नहीं रहा था तो उसकी व्यवस्था की .पर चूँकि अब मुझे अकेले ही इधर रहना था तो सबसे बड़ी चीज थी सुरक्षा , जिसके लिए मुझे बहुत जायदा प्रयास करने थे .
तमाम बातो में रात होने को आई थी ना जाने क्यों मैंने भैया-भाभी के कमरे को खोल लिया. बेहद शांत कमरा, जब इस घर में चहल पहल थी तभी थी शांत था ये . पर क्या सच में ऐसा था इसी कमरे के बिस्तर में वो तूफ़ान था जिसे मेरा भाई कभी शांत नहीं कर पाया था , जिस बिस्तर पर मैं बैठा था इस कहानी का एक अहम् किरदार था इसी बिस्तर पर पहली बार मैंने भाभी की चूत मारी थी . काश, मैं उस समय जानता की ये आग इस परिवार को ही स्वाहा कर देगी तो कसम से मैं इन चक्करों में पड़ता ही नहीं.
अपने सीने को सहलाते हुए मैं उस रात के बारे में सोचने लगा . मेरे सीने पर तीन घाव थे गोलियों के , न जाने क्यों मुझे आज भी लगता था की बेशक पिस्तौल भाभी के हाथ में थी पर वो ऐसा नहीं कर सकती, बचपन से मेरा एक ही सपना था पुलिस में भर्ती होना , माता-पिता की मौत के बाद बहुत टूट गया था मैं, टूटने तो बहुत पहले लगा था मैं जब भाभी के साथ अवैध संबंधो का पता भाई को चला, टूट तो मैं तब गया था जब चाची की बदनामी को अपने सर लिया. टूट तो मैं गया था जब निशा के बाप ने एक झटके से उसका हाथ मेरे हाथ से अलग कर दिया. सपना था की पुलिस में भर्ती होते ही सब ठीक हो जायेगा पर सपना सपना ही रह गया. सबसे पहले मैं अपनी ख़ुशी भाभी को बताना चाहता था , बेशक उसके और मेरे अवैध सम्बन्ध थे पर रब्ब जानता था की मेरी नजरो में उसका दर्जा क्या था .
“धांय धांय ” अचानक से मेरी नींद खुली तो मैंने खुद को पसीने से लथपथ पाया और मेरे सामने मंजू खड़ी थी पसीने में भीगी, उफनती सांसो के साथ .
“ऐसा कोई करता है क्या जी निकल जाता मेरा अभी ” मैंने हाँफते हुए कहा
मंजू- कबीर, मुसीबत हो गयी, काण्ड हो गया .
मैं- क्या हुआ .
मंजू- तू चल मेरे साथ ..
मंजू ने लगभग घसीट ही तो लिया था मुझे, दौड़ते हुए हम शिवाले के सामने पहुंचे जहाँ पर...............................
बहुत ही शानदार जानदार और लाजवाब अपडेट है भाई मजा आ गया#19
“तमाशा नहीं होना चाहिए था कबीर ” निशा ने कहा
मैं – मैंने किया क्या.
“ले पानी पी ले थोडा ” मंजू ने जग मेरी तरफ करते हुए कहा
निशा- शांत हो जाओ कबीर, कभी कभी मौन हो जाना ठीक रहता है. तुम्हारी आँखों के आगे से आज पर्दा हट गया है , वर्तमान की सत्यता को स्वीकार करो.
मैं- कहती तो ठीक ही हो तुम
मंजू- ये लोग सांप है ये डस तो सकते है पर तुम्हारे कभी नहीं हो सकते.
निशा- शांत हुआ न
मैंने हाँ में सर हिलाया.
निशा- इस घटना को एक सीख की तरह लो और अब से ज्यादा सावधान रहना , तुम्हारे अपने ही तुम्हारे दुश्मन है. दूर रहो सेफ रहो. तुम पर पहले भी हमला हुआ , आई-गयी हुई पर कबीर मैं और परीक्षा नहीं देना चाहती, मैं जीना चाहती हु , तुम्हारे साथ . इतना तो हक़ है न मेरा.
मैं- समझता हु.
निशा- वादा कर तू ऐसा कुछ नहीं करेगा जिससे की बेफालतू की परेशानी हो . जब से लाला वाला काण्ड किया है मेरा मन सवाल करता है की क्या हो गया मेरे कबीर को.
मंजू- कौन लाला.
निशा ने मंजू को शहर वाली बात बताई तो मंजू भी घबरा गयी.
मैं- मेरा कोई दोष नहीं
निशा- ये दुनिया वैसी नहीं जैसा हम सोचते है , कुछ हमारी कमिया कुछ सामने वाले की . और खासकर जब तुम और मैं अपनी जिन्दगी को तलाश रहे है तो हमें बिलकुल भी पड़ी लकड़ी नहीं उठानी चाहिए.
मैं- वादा करता हु , मेरी तरफ से कोई पंगेबाजी नहीं रहेगी.
निशा- मैं कल ड्यूटी पर जा रही हु, कोशिश करुँगी की जल्दी लौट पाऊ. मंजू इसका ख्याल रखना
मंजू ने हाँ में सर हिलाया.
मैं- मुझे लगता है की माँ-पिताजी की मौत साधारण नहीं थी
“क्या मतलब है तुम्हारा ” निशा और मंजू एक साथ ही बोली.
मैं- मुझे लगता है की मर्डर ......
मंजू- कौन करना चाहेगा भला ऐसा.
मैं- शक तो चाचा पर है मेरा
निशा- ये बात तुम्हारा गर्म दिमाग कह रहा है
मैं- नहीं निशा, अक्सर मेरा मन ये बात कहता है .
निशा- और क्यों कहता है तुम्हारा मन ऐसा बार बार
मैं- उनकी मौत से कुछ दिन पहले काफी झगडा हुआ था दोनों भाइयो का . फिर चाचा अपने परिवार को लेकर हवेली से चला गया.
निशा- क्यों हुआ झगडा.
अब मैं क्या कहता निशा से ,
मैं- नहीं पता. चाचा कई दिनों से बंटवारा चाहता था , पिताजी की इच्छा थी की परिवार संगठित रहे पर जब चाचा ना माना तो पिताजी ने कहा की ताऊ जी छुट्टी आ जाये फिर बंटवारा करेंगे.
निशा- पुलिसवाली हु कबीर, झगडे की वजह कुछ और थी क्योंकि बंटवारा किस चीज का हुआ , सब कुछ तो लावारिस पड़ा है , तुम्हारी जमीने तुम्हारा घर . जो भी यहाँ से गया खाली हाथ गया . तो वो वजह बड़ी महत्र्पूर्ण हो जाती है न. कुछ तो खिचड़ी पकी थी तुम्हारे परिवार में जो ये सब हुआ. अगर तुम्हे लगता है की जैसा तुम सोच रहे हो तो तुम तलाश करो . साजिशे कामयाब तो हो जाती है पर मिट नहीं पाती .
मैं- सही कहती हो
मंजू- बड़े ताऊ जी की लाश भी तो खेतो में मिली थी , उसका भी तो सुराग नहीं लगा आजतक की क्या हुआ था . कहीं कबीर की बात सच में तो ठीक नहीं .
निशा- मंजू, एक पल को तुम्हारी बात मान भी ली जाये तो भी सवाल वही है की किसलिए. कोई किसी को बेवजह तो नहीं मार सकता न. किसी भी क़त्ल को करने के लिए सबसे बड़ी चीज होती है मोटिव .हद से ज्यादा नफरत होना . अगर ये कारण पता चला तो फिर सब बाते क्लियर हो जाएगी.
सुबह तक हम लोग अपनी अपनी धारणा में सम्भावनाये तलाश करते रहे. भाभी ने भी कहा था “पैसा , किसे ही चाहिए था ” तो फिर क्या चाहिए था . खैर, निशा सुबह ही निकल गयी. मंजू भी स्कूल चली गयी . चूँकि अब यही रहना था मैंने हवेली में बिजली बहाली का आवेदन दिया.छोटे मोटे काम किये. हवेली की सफाई का काम हो ही नहीं रहा था तो उसकी व्यवस्था की .पर चूँकि अब मुझे अकेले ही इधर रहना था तो सबसे बड़ी चीज थी सुरक्षा , जिसके लिए मुझे बहुत जायदा प्रयास करने थे .
तमाम बातो में रात होने को आई थी ना जाने क्यों मैंने भैया-भाभी के कमरे को खोल लिया. बेहद शांत कमरा, जब इस घर में चहल पहल थी तभी थी शांत था ये . पर क्या सच में ऐसा था इसी कमरे के बिस्तर में वो तूफ़ान था जिसे मेरा भाई कभी शांत नहीं कर पाया था , जिस बिस्तर पर मैं बैठा था इस कहानी का एक अहम् किरदार था इसी बिस्तर पर पहली बार मैंने भाभी की चूत मारी थी . काश, मैं उस समय जानता की ये आग इस परिवार को ही स्वाहा कर देगी तो कसम से मैं इन चक्करों में पड़ता ही नहीं.
अपने सीने को सहलाते हुए मैं उस रात के बारे में सोचने लगा . मेरे सीने पर तीन घाव थे गोलियों के , न जाने क्यों मुझे आज भी लगता था की बेशक पिस्तौल भाभी के हाथ में थी पर वो ऐसा नहीं कर सकती, बचपन से मेरा एक ही सपना था पुलिस में भर्ती होना , माता-पिता की मौत के बाद बहुत टूट गया था मैं, टूटने तो बहुत पहले लगा था मैं जब भाभी के साथ अवैध संबंधो का पता भाई को चला, टूट तो मैं तब गया था जब चाची की बदनामी को अपने सर लिया. टूट तो मैं गया था जब निशा के बाप ने एक झटके से उसका हाथ मेरे हाथ से अलग कर दिया. सपना था की पुलिस में भर्ती होते ही सब ठीक हो जायेगा पर सपना सपना ही रह गया. सबसे पहले मैं अपनी ख़ुशी भाभी को बताना चाहता था , बेशक उसके और मेरे अवैध सम्बन्ध थे पर रब्ब जानता था की मेरी नजरो में उसका दर्जा क्या था .
“धांय धांय ” अचानक से मेरी नींद खुली तो मैंने खुद को पसीने से लथपथ पाया और मेरे सामने मंजू खड़ी थी पसीने में भीगी, उफनती सांसो के साथ .
“ऐसा कोई करता है क्या जी निकल जाता मेरा अभी ” मैंने हाँफते हुए कहा
मंजू- कबीर, मुसीबत हो गयी, काण्ड हो गया .
मैं- क्या हुआ .
मंजू- तू चल मेरे साथ ..
मंजू ने लगभग घसीट ही तो लिया था मुझे, दौड़ते हुए हम शिवाले के सामने पहुंचे जहाँ पर...............................