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Adultery तेरे प्यार में .....

Sagar sahab

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हारा हुआ
#35

“मैं एक हारा हुआ आदमी हूँ बलबीर जी मैं क्या ही किसी की मदद कर पाउँगा वो भी इस हालत में जब मैं खुद अपनी जिन्दगी को तलाश कर रहा हु ”
"हारा हुआ आदमी"
वाह भाई,, जज्बात उड़ेल कर रख दिए आपने 👍👍
 

sunoanuj

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अगले भाग की प्रतीक्षा है भाई !
 

Ajju Landwalia

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#35

“मैं एक हारा हुआ आदमी हूँ बलबीर जी मैं क्या ही किसी की मदद कर पाउँगा वो भी इस हालत में जब मैं खुद अपनी जिन्दगी को तलाश कर रहा हु ” मैंने दरोगा से कहा

दरोगा- मैं भी जिन्दगी के लिए ही तुमसे बात करने आया हु

मैं- तो फिर पहेलियाँ न बुझाओ, साफ़ साफ कहो

दरोगा- कबीर मैं शादी करना चाहता हु

मैं- ये तो बहुत अच्छी बात है , हमारा ना सही किसी का घर तो बस रहा है

दरोगा – तुम्हारी मदद के बिना नहीं बस पायेगा

मैं – ऐसा क्यों भला

दरोगा- कबीर, मैं मंजू से शादी करना चाहता हूँ, पहली मुलाकात से ही मैं उसको पसंद करने लगा हु. तुम्हे बहुत मानती है वो अगर तुम कहोगे तो मेरी शादी हो जाएगी.

दरोगा ने ऐसी बात कह दी थी ,खैर, गलत तो उसमे कुछ भी नहीं था, मैं खुद ये चाहता था की मंजू की गृहस्थी बस जाये.

“पसंद और प्रेम में बहुत अंतर होता है ” मैंने कहा

दरोगा- पुरुषो को कहाँ आया है अपने मन की बात कहना

मैं- फिर भी तुम्हे ये बात मंजू से ही कहनी चाहिए

दरोगा- तुम्हे तो इतनी मुश्किल से कह पाया हूँ, ऐसा नहीं है की मैंने कोशिश की नहीं, पर जैसे ही वो सामने आते है नर्वस सा हो जाता हु मैं

मैं- फिर भी मेरा ये ही मानना है की तुम उस से इजहार करो ये बेहद जरुरी है जितना मुझसे होगा मैं भी बात करूँगा उस से, दूसरी बात ये की अगर मंजू तलाकशुदा है . और फिर भी अगर तुम्हे ठीक लगे तो एक बार उसके परिवार से भी बात कर लेना.

दरोगा- कोशिश करूँगा.

मैं- खुश रखना उसे

मैंने कहा और वहां से चल दिया. चलो किसी को तो उसके हिस्से की ख़ुशी मिल सकती थी होते है कुछ लोग हम जैसे जिनकी चाहत तो बहुत होती है पर पास कुछ नहीं होता. मैं उलझा था अपनी उलझनों में .हौले से मैंने दरवाजे की कुण्डी खोली. सब कुछ पराया सा लग रहा था . अकेले होने का कभी कभी फायदा होता है कोई आपको परेशान नहीं करता. मैंने अलमारी खोली, ब्लाउज, साडिया, लहंगे पर मेरी दिलचस्पी जिस चीज में थी उसे देखने को मैं हद से ज्यादा बेताब था. रंग बिरंगी सिल्क की कच्छिया मेरे हाथो में थी, पर ये कोई सबूत नहीं था गाँव में न जाने कितनी ही औरते हो जो ऐसी कच्छी पहनती हो.पर मन के शक को दूर करना तो जरुरी था, और इसके लिए मुझे बहुत प्रयास करना था .

मैं जब खेतो पर पहुंचा तो मुझे थोडा अटपटा सा लगा. टीनो के निचे सफाई की गयी थी , हीरो के कोई टुकड़े अब नहीं थे, सब कुछ एक दम साफ़ लग रहा था .मुझे कुछ लेनादेना नही था तो मैं वहां से होते हुए जंगल की तरफ बढ़ गया पर जा नहीं पाया. खेतो में कुछ गड्ढे किये गए थे मिटटी का ढेर पड़ा था , ऐसा लगता था की जमीन को खोद कर कुछ निकाला गया हो वहां से.

“क्या चुतियापा है ये, बरसो तक किसी को इस जमीन की परवाह नहीं थी और अचानक से कोई खोद गया इसको . कुछ तो झोल जरुर है ले जाने वाला क्या ले गया ” मैंने अपने आप से कहा और सोच में डूब गया. जब तक मैं नहीं था सब कुछ शांत था , जैसे ही मैं लौटा ये तमाशे शुरू हो गए. धरती से कुछ तो निकाला गया था पर किसी ऐसे साधन के निशान भी नहीं थे जो बता सके की जाने वाला किधर , किस दिशा में गया है . मेरे लिए इन तमाम गुत्थियो को सुलझाना बेहद जरुरी हो गया था.

बाड को पार करके एक बार फिर मैं जंगल में घुस गया था, खान की तरफ जाते हुए जब मैं तालाब के पास से गुजर रहा था तो मैंने वहां पर भाभी को बैठे पाया. हमने एक दुसरे को देखा .

“यहाँ क्या कर रहे हो तुम ” भाभी ने मेरे कहने से पहले ही सवाल कर लिया.

मैं- यही बात मैं तुमसे भी पूछ सकता हूँ

भाभी- बदतमीज बहुत हो गए हो तुम आजकल

मैं- तुम भी तो कातिल हो गयी मैंने कुछ कहा क्या

भाभी- कह लेते तो बेहतर होता .

मैं- क्या ही कहना , सब कुछ तो छीन लिया तुमने

भाभी- अपना हक़ कोई नहीं छोड़ता , शायद मैं तुमसे काबिल थी इसलिए पिताजी ने सब कुछ मेरे नाम कर दिया.

मैं- पर तुमने काबिलियत निभाई तो नहीं, हवेली को कभी नहीं छोडती अगर तुम वारिस होने का मतलब समझती तो.

भाभी- हवेली तुम्हारे कुकर्मो की गवाह है, तुम्हारे किये पाप इतने ज्यादा हो गए थे की वहां रहना मुमकिन नहीं था .

“मेरे पाप, क्या तुम भूल गयी अगर वो पाप थे तो तुम बराबर की हक़दार थी उन तमाम पापो की ” मैंने कहा

भाभी- काश मैं भूल जाती ,पर अपने हिस्से की सजा तो भोगनी ही है मुझे.

मैं- भाई कैसा है

भाभी- मुझसे बात नहीं करता , साथ होकर भी हम अनजबियो जैसे जीते है.बहुत बार कहता है की मैं छोड़ दू उसे

मैं- छोड़ दो फिर

भाभी- उसे छोड़ दिया तो फिर क्या ही जीना हुआ. उसका हक़ मारा मैंने , प्रायश्चित तो कर सकती हु, वो माफ़ करे ना करे .

मैं-कितना सुख था जिदंगी में

भाभी- तुम्हारी हवस खा गयी उस सुख को

मैं- मेरी हवस , वाह जी वाह बेगैरत बहुत देखी तुमसी नहीं देखी.

“जो भी हुआ था वो भूल थी कबीर ”भाभी ने कहा

मैं- भूल थी तो रुक जाती, क्यों दोहराई तुमने उस भूल को बार बार.

भाभी- तूने हमेशा गलत लोगो को चुना

मैं- ये मेरे सवाल का जवाब नहीं है भाभी, तुम रोक सकती थी न उस भूल को

भाभी- नहीं रोक पाई. कहाँ पता था नादानी सब तबाह कर देगी.

मैं- तो फिर मुझे दोष क्यों . अपनी तसल्ली के लिए दुसरो को दोष देना ख्याल अच्छा है पर सच तो हम दोनों ही जानते है न

भाभी- काश तू सच जानता

मैं- तो तुम बता दो क्या है सच , वो कौन सा सच था जिसकी वजह से तुमने अपने देवर को मारना चाहा

भाभी- मैं तुझे बचाना चाहती थी पगले,तूने सिर्फ मुझे देखा , तुझे वो देखा जो सामने था तू वो नहीं देख पाया जो छुपा था . मेरी पिस्तौल से गोली चली ही नहीं थी कबीर. ..........
Bahut hi shandar update he HalfbludPrince Fauji Bhai,

Balbir ne apni ichcha kabir ke samne jahir to kar di he.......

Halanki kabir ka bhi yahi manana he ki manju apna ghar basa le......

Lekin abhi manju ka faisala aana baki he, vo balbir se shadi karna chahti bhi he ya nahi.......

Tin ke neeche saaf safai aur Khet gadhdhe, koi to he jo kabir par nazar rakhe he

According to bahabhi, Goli bhabhi ne nahi chalayi to aakhir kisne chalayi..............

Ya fir ek aur tarika he kabir ka chutiya katne ka.......

Keep rocking Bro
 
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