( chapter 7 )
अभय अपनी गुरिया अदिति को लेने के लिये स्कूल आ चुका था और स्कूल के गेट के पास खरा अभय एक साइड अपने जीन्स के दोनों पॉकेट मे हाथ डाले अदिति का इंतज़ार कर रहा था बहोत बेसबरी से अभय अपनी गुरिया को देखने के लिये पुरा बेचैन था दिल बेकरार था
तभी अभय की नजर सामने जाती है तो अभय को दो लरके खरे बात करते दिखाई देते है अभय दोनों को गौर से देखता और समझ जाता है दोनों साले टपोरी जरूर किसी लरकी को छेरने के लिये रुके है
तभी छूटी को जाती सभी लरके लरकिया स्कूल से बाहर निकल अपने अपने घर जाने लगते है लेकिन अभय की नजर सिर्फ अपनी गुरिया को ढूढ़ रही थी लेकिन अदिति अभय को आते दिखाई नही दे रही थी
अभय फिर दोनों लरको को देखता है तो दोनों लरके अंदर की तरफ देख किसी के आने का इंतज़ार कर रहे थे सारे स्टूडेंट निकल चुके थे
लेकिन अदिति बाहर नही आई थी अभय भी सोचने लगता है अदिति अभी तक बाहर कियु नही आई
वही दोनों लरको मे से एक लरका अपने दोस्त से
लरका 2 - भाई अभी तक अदिति बाहर नही आई है कर किया रही अंदर मे और आप किया करने वाले हो अदिति के साथ
लरका 1 अपने दोस्त को देख गुस्से से - साली ने मुझे ठुकरा कर किसी और को अपना सईया बना लिया है तो आज उसकी सजा उसे दे कर रहुंगा
अंदर स्कूल के क्लास मे एक लरका अदिति को बाहो मे लेके एक किस करते हुवे अदिति को देख - अब जाओ दीदी बाहर तुम्हारा इंतज़ार कर रही होगी मे थोरी देर मे आता हु

अदिति लरके को देख ठीक है अदिति के चेहरे पे जायदा खुशी दिखाई नही दे रही थी लरका ये देख अदिति से - अदिति मुझे पता है तुम्हे अपने भाई की बहोत याद आती है और मे तुम्हारा दुख समझ सकता हु लेकिन वादा है मेरा मे हमेसा हर कदम पे तुम्हारे साथ खरा रहुंगा काश मे कुछ कर पाता अपने साले साहब को दूधने के लिये
अदिति लरके को देख थोरा मुस्कुराते हुवे - भाई मेरी जान है उनके बिना चाह कर भी मे अपनी जिंदगी खुशी से जी नही सकती कियुंकी मेरा एक हिस्सा खो गया है उनके पास है
अदिति जाते हुवे लरके से - ठीक है अमर मे जा रही हु आरोही मेरा इंतज़ार कर रही होगी
अमर - ठीक है अदिति जाओ मे आता हु
अदिति फिर बाहर आती है तो आरोही अदिति का इंतज़ार कर रही होती है अदिति आरोही के पास आके खरी हो जाती है
दोनों अभी स्कूल के अंदर मैदान मे ही थे
( introduction )
अमर सिन्हा - 19 साल - अमर अभी 19 का हुवा है देखने के हैंडसम है बॉडी ठीक है 6 पैक नही है आयेगे कहा से उसके लिये मेहनंत करनी परती है दिल का साफ है अदिति से बहोत प्यार करता है

अमर की छोटी बेहन - आरोही सिन्हा - 18 साल - अदिति की बेस्टफ्रेंड देखने मे बहोत ही खूबसूरत हॉट है अदिति की तरह स्कूल मे ये दोनों ही टॉप पे है खूबसूरती पढाई मे

अमर की मा - भारती सिन्हा - 40 साल - बहोत ही खूबसूरत है बॉडी भी कमाल की है आसा से थोरा कम दिल की साफ अपने बेटे बेटी से बहोत प्यार करती है

अमर के पिता - जगमोहन सिन्हा - 42 साल - ये भी बहोत अच्छे दिल के है गरीब है लेकिन सभी दिल के बहोत अच्छे है ( बाकी सब अच्छे से आगे पता चल जायेगा )
आरोही अदिति को देख मुस्कुराते हुवे - भाभी हो गई चुम्मा चाटी
अदिति आरोही को देखते हुवे - मार खायेगी चुप चाप चल देर हो रही है घर जाने के लिये
आरोही अदिति चलते हुवे गेट के बाहर जाने लगते है अदिति गेट के तरफ ही देख रही थी
आरोही अदिति को देख - एक बात मेरे दिल मे है जो मे तुमने पूछना चाहती हु और ये बात सायद तुम्हे दुखी भी कर सकती है लेकिन मे पूछे बगैर रेह भी नही सकती
अदिति आरोही को अजीब नजर से घूर कर देखती है फिर आगे की तरफ देखते हुवे - ठीक है पूछ किया पूछना है
आरोही आगे की तरफ देखते हुवे - मान लो तेरा अभय भाई अचानक कही से वापस आ जाता है और उसे पता चलता है तुम किसी से प्यार करती हो लेकिन तुम्हारा भाई तुम्हे अपने प्यार को छोर देने के लिये केहता है तो तुम किया करोगी
अदिति आरोही की बात सुन चलते रुक जाती है और इमोसनल हो जाती है अदिति को फिर अभय की याद आने लगती है अदिति के आखो से आसु निकल आते है
आरोही भी रुक जाती है और अदिति को देख दुखी होते हुवे - माफ करना अदिति मुझे पता था तुम दुखी हो जाओगी सायद मुझे ऐसा कुछ पूछना नही चाहिये था
अदिति अपने आसु साफ करते हुवे आरोही को देख - कोई बात नही और रही तुम्हारे सवाल की बात तो जवाब है हा मे अपने अभय भाई से बहोत प्यार करती हु उनके एक बार केहने से मे अपने प्यार को किया अपनी जान उनके लिये दे दु अमर मेरी कहानी किया है तुम जानती हो
आरोही अदिति को देख - जानती हु और मे खुश हु तुम मेरी भाभी बनोगी अब हमे चलना चाहिये
अदिति - हा सही कहा
अदिति आरोही फिर गेट की तरफ चल परते है बाहर अभय बेचैनी से अदिति का इंतज़ार किये जा रहा था साथ मे दोनों लरको को भी देखे जा रहा था
तभी अभय गेट की तरफ देखता है तो अंदर से आदिति आरोही गेट से बाहर निकलते है अभय की नजर सिर्फ अदिति पे ठीक जाती है अदिति बहोत खूबसूरत लग रही थी अभय अदिति को देखता ही रेह जाता अदिति इस से अंजान आरोही से बाते किये जा रही थी

अभय अदिति के खूबसूरत चेहरे को देखते हुवे मन मे - मेरी गुरिया कितनी खूबसूरत बरी हो गई है हाय किसी की नजर ना लगे मेरी गुरिया को और अगर किसी ने बुरी नजर डालने कि कोसिस की तो उसे जान से मार दुगा
भले ही मेने dp devil के कैद मे रेह किसी को नही मारा लेकिन मुझे किसी को मारने से जरा भी दिकत नही होगी
तभी अभय कुछ देखता जिसे देख अभय की आख लाल हो जाती मुठी कस जाती है हाथो के नस फूलने लगते है
असल मे उन दोनों लरको ने अदिति का रास्ता रोक लिया था
अभय गुस्से से पागल होकर आगे अदिति के पास जाने लगता है
वही अदिति आरोही लरके के बीच
लरका 1 अदिति के समाने खरे होकर अदिति का रास्ता रोक अदिति को गुस्से से देख
लरका - अदिति मेने तुम्हे कई बार अपने दिल का हाल बताया लेकिन फिर भी तुमने मुझे रिजेक्ट कर उस कमीने अमर से इस्क लरा रही हो
अदिति गुस्से से लरके को देख - टीनू मेने तुमसे कितनी बार कहा है मेरा पीछा मत किया करो और रही बात मेरी अपनी लाइफ है मे कुछ भी करू उससे तुझे किया
आरोही टीनू को देख गुस्से से - तुम्हे समझ नही आया अदिति तुमने प्यार नही करती मेरे भाई से करती है अच्छा होगा हमारे रास्ते से हट जाओ और हमे जाने दो
टीनू आरोही से गुस्से मे - तुझे और तेरे भाई को मे बाद मे देख लूंगा ( टीनू अदिति को देख) पेहले मे इसको मजा चखाऊगा
अदिति डर जाती है टीनू को गुस्से मे देख टीनू अपना हाथ अदिति के बरे चुचे की तरफ बढ़ाते हुवे - आज अच्छे से तेरे अंग के साथ खेलुगा मे साली मेरे प्यार को ठुकराती है
अदिति डर से कापते हुवे पीछे हटने लगती है टीनू का हाथ अदिति के सीने के पास पहुँचता उसके पेहले कोई टीनू का हाथ पकर रोक देता है अदिति आरोही हैरान उस सक्स को देखते लगते है लेकिन टीनू उस इंसान को देख पूरे गुस्से से लाल हो जाता है हा ये अमर था जिसने टीनू का हाथ पकर रखा था
तो अभय किया कर रहा है हमारा हीरो अमर को आते देख रुक गया था और अब आराम से थोरी दूर खरे होकर देखने मे लग जाता है अभय को पता चल गया था अमर ही अदिति का बॉयफ्रेंड होगा अभय देखना चाहता है अमर किया कर सकता है
वही टीनू बहोत गुस्से मे अमर को देख रहा था टीनू के आखो मे साफ दिख रहा था टीनू अमर को मारना चाहता है ये इस लिये कियुंकी कई बार टीनू ने अदिति के साथ अमर को देखा था जो टीनू को बिल्कुल अच्छा नही लगा था इस लिये टीनू के अंदर अमर के लिये बहोत गुस्सा भरा हवा था जो आज फूटने वाला था
अमर टीनू के हाथ को दूर करते हुवे गुस्से से टीनू को देख - तेरी हिम्मत कैसे हुई मेरी अदिति के साथ गंदी हरकत करने की
टीनू अमर को देख - साले तेरा ही इंतज़ार था तुझे तो मे कब से मारना चाहता था और आज मे ये कर के रहुंगा चाहे जो हो जाये
( नोट - टीनू अमीर बाप को बिगरा लरका है बाप के पास पावर है इस लिये टीनू को किसी का डर नही रेहता )
अमर कुछ समझ पाता तक तक टीनू का जोरदार मुक्का अमर के पेट मे जाके लगता है अमर पेट पकर दर्द से कराह उठता अदिति आरोही जोर से चिल्ला उठती है
लेकिन टीनू अपने दोस्त के साथ मिल अमर को पकर मारने लगते है अमर लराइ मे अच्छा नही था और कमजोर भी था अमर दर्द मे जमीन पे गिर परता है लेकिन टीनू अमर के ऊपर आके मुक्के से मारे जा रहा था
टीनू अमर को मारते हुवे गुस्से से - साले आज तुझे मे जान से मार के रहुंगा अदिति सिर्फ मेरी है और कोई मेरे बीच मे आया समझो मरा
आस पास कुछ लोग खरे तमाशा देख रखे थे वीडियो बना रहे थे लेकिन कोई आगे जाके मदद नही कर रहा था ( आज की करवी सचाई )
अभय अमर को मार खाते देख - कमीना खुद को बचा नही पा रहा खाक मेरी गुरिया को या किसी और को बचा पायेगा साला पेहले मे 15 साल का था किडनैप से पेहले भी मेरे अंदर इतनी ताकत थी 3 या 4 को तो मे अकेला लपेट लेता था लगता है सीधा साधा मानुस है अच्छा है लेकिन अंदर इतनी ताकत होनी भी चाहिये जब जरूरत परे तो अपने आप को किसी को बचाया जा सके
वही अमर की धुलाई टीनू उसका साथी जोरदार तरीके से किये जा रहे थे ये देख अदिति आरोही बहोत डर जाते है और दोनों टीनू उसके दोस्त को अमर से दूर करने कि कोसिस करते है लेकिन लरकी के अंदर मर्द से कम ताकत होती है इस वजह से अदिति आरोही टीनू उसके दोस्त को अमर से दूर नही कर पा रहे थे अदिति आरोही अमर को मार खाते देख दर्द मे चिलाते देख दोनों रोने लगते है लेकिन कोसिस करते रेहते है
अदिति टीनू को पकर पीछे खीचते हुवे आखो मे आसु लिये - टीनू छोर अमर को उसे मत मार प्लेस
लेकिन टीनू किसी की नही सुनता
टीनू फुल गुस्से मे मे था और सारा गुस्सा निकाल रहा था लेकिन बार बार अदिति के पीछे खीचने की वजह से टीनू परेसान हो जाता है और गुस्से से जोर से अदिति को पीछे झटक देता है जिसकी वजह से अदिति लरखराते हुवे पीछे गिरने लगती है
तभी अभय आके अदिति के कमर को पकर गिरने से बचा देता है अदिति हैरानी से देखती है उसे कोन गिरने से बचाया है अदिति जब अभय के चेहरे को देखती तो हैरान हो जाती है कियुंकी अभय ने अपने चेहरे पी मास्क पेहन रखा था ब्लैक कलर का

अदिति अभय के बाहो मे झूल रही थी अभय मास्क के अंदर से अदिति अपनी गुरिया को देखता हो जिसके आखो मे आशु थे अभय गुस्से से और लाल हो जाता है अभय आराम से अदिति को खरा करता है लेकिन अदिति हैरानी से अभय को हि देख रही थी
अभय प्यार से अदिति को देखता है अभय की आखे आसु बहाना चाहती थी लेकिन अभय अपने आप रोक लेता है अभय फिर अमर के पास जाके पेहले आरोही को जी जान लगा के अपने भाई को बचाने की कोसिस कर रही थी अभय आरोही के हाथ पकर पीछे खिच लेता है आरोही हैरानी से अभय कि तरफ देखती है
अभय अपनी आवाज बदल कर आरोही को देख - तुम पीछे रहो मे देखता हु इस दोनों को
आरोही हैरान परेसान अभय को देखती रेहती है और सोचने लगती है ये मास्क लरका आखिर है कोन
अभय पेहले टीनू के दोस्त के बाल पकर उपर उठाते खरा करता है लरका भी दर्द मे आह करते हुवे अभय को देखता है लेकिन अभय बिना देरी कियु अपनी मुठी बना के जोर दार मुक्का लरके के पेट मे दे मारता है और फिर लरके के बाल को छोर देता है
अभय का मुक्का कोई मामूली मुक्का नही था 4 साल की करी खतरनाक ट्रेनिंग करने के बाद अभय का मुक्का फौलाद का मुक्का था
अभय का मुक्का पेट पे परते ही लरका इतनी तेज चीख मारता है की सभी आस पास लोगो की रूह काप जाती है लरका नीचे जमीन पे गिर पेट पकर तरपने लगता है दर्द से रोने लग जाता है
लरके की चीख सुन टीनू अमर को मारना बंद देता है और हैरान पीछे मूर कर देखता है उसका दोस्त जमीन पे पारा पेट पकर तरप रहा था अमर भी हैरानी से सामने का सीन देखने लगता है
अदिति आरोही तो पूरी हैरान सोक से अभय को तो कभी नीचे परे दर्द मे तरप रहे लरके को देखे जा रहे थे
टीनू की नजर अभय पी जाती है तो टीनू अमर को छोर गुस्से से खरा होकर अभय के पास जाके सीधा अभय पे एक जोरदार मुक्का मारता है लेकिन टीनू हैरान बाकी सब भी हैरान हो जाते है
अभय बरे आराम से टीनू के मुक्के को एक हाथ से रोक रखा था अभय लाल आखो से टीनू को देखता है फिर टीनू कुछ समझ कर पाता अभय का जोर दार मुक्का सीधा टीनू के पेट मे जाके लगता है टीनू की भी पूरी हालत हो जाती है टीनू पेट पकर जोर से चीख मारता है लेकिन अभय रुकता नही अभय टीनू के बाल पकर टीनू की आखो मे देख एक और जोर दार मुक्का पेट मे दे मारता है टीनू की आखो से आसु निकल आते है टीनू दर्द से रोने लगता है
वही अदिति आरोही बहोत हैरान थे अभय को इतनी आसानी से दोनों को पिटते देख अमर भी बहोत हैरान था अमर अपने पेट पकर उठने कि कोसिस करने लगता है तो अदिति आरोही जल्दी से जाके अमर की मदद करते है खरे होने मे
अभय एक हाथ से टीनू के सर के बाल पकरे खरा टीनू कि आखो मे देखे जा रहा था टीनू पेट पकरे आखो मे आसु लिये अभय को देख
टीनू दर्द मे - तुम्हे पता है मे कोन हु मुझे जाने को नही हो तेरे और तेरे अपने के लिये अच्छा नही होगा
अभय टीनू को देख मुस्कुराते हुवे - पता है तो कोन है जरूर किसी अमीर बाप का बेटा होगा जिसकी पहुँच उपर तक होगी तभी को तेरे अंदर मे इतनी हिम्मत आई की तू सरेआम सरक पे लरकी का छेर रहा था और मारपीट कर रहा था
टीनू अभय को देख गुस्से से देख - तो किया तुम्हे डर नही लग रहा सब जानने के बाद भी मेरे पापा की पहुँच कितने उपर तक है
अभय टीनू के कान मे धीरे से - तेरे पापा जैसे मेरे पीछे कोई पावर नही है ना ही मेरी बहुच उपर तक है लेकिन मेरे पास एक आर्मी है एक ऐसी आर्मी जो किसी को भी मिटा सकती है खतम कर सकती है लेकिन बात रही तेरी तेरे पापा की तो उसके लिये मे अकेला ही काफी हु
अभय मन मे - 4 साल कैद मे मेने प्याज नही छिले है मेने वहा रेह कर बहोत कुछ किया है उस कैद मे रेह कर इतना समझ गया था दुनिया बरी जालिम है और इस जालिम दुनिया मे राज सिर्फ अमीर और जिसके पास पावर है उसका ही चलता तो मेने भी एक अर्मी तेयार कर ताकि अगर आगे चल के मुझे किसी पावर फुल लोगो का सामना करना परा तो उनकी नानी याद दिला सकता हु
अभय सोच से बाहर आके टीनू को देख धीरे से - तो मे किसी से नही डरता समझ गया दूसरी तूने मेरी जान गुरिया के साथ गलत करने की कोसिस की तेरी वजह से उसके आखो मे आसु आये उसका हिसाब तुझे तो देना पड़ेगा ना
अभय अपना मुक्का बनाता है और दे दना दन 4 मुक्का टीनू के मुह पे दे मारता है टीनू दर्द से बहोत जोर से चीख मारता है टीनू के दो दात टूट जाते है नाक मुह से खुन आने लगता है टीनू कि बहोत बुरी हालत हो जाती है अभय टीनू को छोर देता है टीनू धराम से जमीन पे गिर कर बेहोस हो जाता है
आस पास खरे यहा तक की अदिति अमर आरोही पूरी तरह से हैरान अभय को देखे जा रहे थे अभय अपने हाथो को देखता जिसपे टीनू का खुन लगा हुवा था अभय ये देख रुमाल निकाल के
अभय रुमाल से खुन को साफ करते हुवे मन मे - साला 4 साल सांती से जी नही पाया फाइट फाइट हर वक़्त फाइट साला बाहर आया तो यहा भी फाइट मुझे कोई चैन से जीने भी देगा की नही
अभय रुमाल से हाथ पे लगे खुन को साफ कर रुमाल को वही फेक देता है और फिर अदिति आरोही अमर को देखता और चलते हुवे तीनों के पास आके खरा हो जाता है
अदिति आरोही अमर बहोत हैरान अभय को देख रहे थे तीनो मे मन मे यही चल रहा था आखिर ये मास्क पेहना लरका है कोन
अभय अमर को देख - तुम ठीक तो हो ना
अमर अभय को देख - जी मे ठीक हु आपका सुक्रिया
आरोही अभय को देख - आप ना होते तो व कमीना मेरे भाई को मार डालता आपका दिल से सुक्रिया
अभय दोनों को देख - इसकी कोई जरूरत नही है मे तो यह अदिति से मिलने आया था लेकिन यहा तो कुछ और चल रहा था अब मे अपने आखो के सामने किसी को मार खाता थोरी ना देख सकता था इस लिये बचा लिया
अभय की एक बात सभी को हैरान और सोचने पे मजबूर कर देती है ( मे यहा अदिति से मिलने आया था)
अदिति भी अभय की कही बात सुन हैरान अभय को देख - सोचने लगती है मे इसे जानती नही कोन है कियु मुझसे मिलने आया है और दूसरी अपने चेहरे पे मास्क कियु पेहन रखा है
अमर अभय को देख हैरानी से - तुम हो कोन और कियु अदिति से मिलने आये हो
आरोही अभय को देख - भाई ने सही कहा हम अच्छे से जानते है अदिति के हमारे अलावा कोई दोस्त नही है तो तुम कोन हो कियु मास्क पेहना है अदिति को कैसे जानते हो
अभय दोनों के सवाल सुन मुस्कुराते हुवे - मे अदिति का दीवाना हु मे यहा अदिति को परपोस् करने आया हु
अभय की बात सुन अदिति आरोही अमर पूरी तरह से सौक हो जाते है
अमर अभय को देख - देखो भाई अदिति मेरी है और हमारी जल्दी सादी होने वाली है तो प्लेस किसी और को ढूढ़ लो कोई ना कोई अच्छी लरकी आप को मिल जायेगी
आरोही अभय को देख - हा अदिति मेरी होने वाली भाभी है तुम किसी और को ढूढ़ लो
अभय अदिति को देख - लेकिन मे अदिति के मुह से सुनना चाहता हु
अदिति अभय के समाने आके - देखिये आप मे अमर की जान बचा कर हम पे एहसास किया हो लेकिन ये सच है अमर मेरे होने वाले पति है तो प्लेस समझिये बात को
अभय अदिति को देख मन मे - कितनी प्यारी बोली हो तुम्हारी और कितनी खूबसूरत के साथ बरी हो गई हो
अभय तीनो को देख - ठीक है एक सर्त् लगाते है अदिति मेरे प्यार को कबूल करेगी उसी के साथ मेरे केहने पे ( अभय अमर को देख) तुझे छोर भी देगी
अभय की ये बात तीनो को और हैरान कर देती है अभय को थोरा गुस्सा आने लगता है
अमर अभय को देख - मे मान नही सकता ऐसा कभी नही होगा
आरोही - हा अदिति मेरे भाई को कभी छोर नही सकती वो भी तुम्हारे लिये तुम बेकार मे कोसिस किये जा रहे हो
अदिति अभय को देख थोरे गुस्से से - देखो आप ने हमारी मदद की उसके लिये दिल से सुक्रिया लेकिन अब आप कुछ जायदा हि बोल रहे है और अपने आप कोई कुछ जायदा ही समझ रहे ही मे अमर को छोर नही सकती
अभय अदिति के आखो मे देख - ठीक है फिर कोसिस करने से किया जाता है अगर मे जीत गया और तुम मेरे प्यार को कबूल कर लेती हो तो ( अभय अपने गालो मे हाथ रख - तुम्हे मेरे गालो मे मीठी किस्सी देनी होगी लेकिन अगर मे हार गया तो तुम सब जो कहोगी वो मे करुगा
अभय की बात सुन फिर सब हैरान हो जाते है और अभय सभी को मुस्कुराते हुवे देखे जा रहा था
अमर अदिति को देख - मुझे यकीन है अदिति मे तुम हारने वाले हो
आरोही - अभय को देख सही कहा भाई ने अदिति को प्यार बहोत मुश्किल मेरी भाभी बनने के लिये तैयार हुई थी अदिति तो प्यार के चक्कर मे परना ही नही चाहती थी वो तो बाद मे मान गई तो तुम जो भी हो हार मान लो अदिति तुम्हे कबूल नही करेगी
अदिति अभय को देख - सही कहा अमन और मेरी दोस्त मे फिर भी यकीन नही होता तो ट्राई कर लॉ लेकिन बाद मे मेने मना किया तो यहा से चुप चाप चले जाओगे
अभय अदिति को देख मुस्कुराते हुवे - ठीक है
अदिति अमर आरोही की नजर अब अभय पे टिक जाती है
अभय उपर वाले जेब से गुलाब का फूल निकाल घुटनों पे बैठ अदिति को देख अदिति की तरफ गुलाब का फूल आगे करते हुवे
अभय - अदिति तुम बहोत खूबसूरत हो चाँद की तरह तुम मेरी जान हो तुम मेरे पास होती हो तो मेरे दिल को चैन सुकून मिलता है नही होती हो तो दिल बेचैन हो जाता है तो अदिति प्लेस मेरे प्यार को अपना लो
अभय ने अदिति को एक गर्लफ्रेंड की तरह परपोस् नही किया है ये बात अभय के परपोस् के तरीके से उसके शब्द से समझ सकते है
अभय के कहे गये शब्द सुन अदिति के दिल मे हलचल पैदा कर देती है अदिति के दिल मे एक मिठा दर्द एक अलग एहसास होता है जिसे अदिति समझ नही पाती
अदिति - अभय को देख माफ करना जैसा मेने कहा था मे आपके प्यार को कबूल नही कर सकती सॉरी
अमर आगे आते हुवे अभय को देख - अब अदिति ने भी केह दिया तो प्लेस यहा तमाशा मत करो
आरोही अभय को देख - मेने पेहले हि कहा था लेकिन तुम माने नही अब तो सुन देख लिया अब तुम जाओ हमे भी जाने दो
अभय सभी को देखते हुवे - रुको एक बार और सायद मेने मास्क नही निकाला इस लिये अदिति मेरा हैंडसम चेहरा नही देख पाई लेकिन इस मार मेरा हैंडसम चेहरा देख जरूर हा करेगी
अभय की इस बात को सुन अदिति आरोही अमर अजीब नजर से अभय को देखने लगते है अब तीनो को अभय एक पागल लरका लगने लगता है
अभय अदिति को देख - प्लेस एक बार मान जाओ कसम से इस बार लास्ट है
अदिति अभय को देख सर पकर के - आप नही समझ रहे प्यार अमीर हैंडसम देख नही किया जाता और जो अमीर हैंडसम देख प्यार करते है वो प्यार नही होता लेकिन आप समझ नही रहे है टिक है आखरी बार है
अभय खुश होते हुवे - ठीक है
अदिति खरी थी सांत अभय गुलाब के फूल आके करते हुवे वही लाइन बोलता है जो अभय ने पेहले कही थी लेकिन इस बार अपनी ओरिजनल आवाज मे
अदिति अभय की ओरिजनल आवाज सुनते ही चौक जाती है अदिति हैरानी से अभय को देखने लगती है अभय फिर अपना मास्क हटा देता है और अदिति के सामने अभय का चेहरा आ जाता है जिसे देख अदिति पूरी तरह से एक जगह पे जम जाती है
( घर पे )
आसा टेंसन मे घर से बाहर आके मेन रोड की तरह देखती है तो अभय आता हुवा दिखाई नही देता है आसा फिर आगन मे आके खटिये पे बैठ जाती है दिशा ये सब देख रही थी
दिशा आसा के पास आके बैठ जाती है और आसा के कंधे पे हाथ रखते हुवे - मम्मी जी बस भी कीजिये देवर जी के जाने के बाद आप अभी तक 10 बार बाहर जाके देख चुकी है मुझे पता है पेहले देवर जी के साथ जो हुवा उसके बाद आपके दिल मे एक डर बैठ गया है लेकिन आपको उस डर को भगाना होगा देवर जी अब बच्चे नही रहे आ जायेंगे मुझे लगता है देवर जी ननद जी 4 साल बाद मिले होगे तो दोनों बाते करते हुवे घूमते हुवे आ रहे होगे
अभय के साथ 4 साला पेहले जो हुवा उसके बाद आसा के दिल मे जो डर था वो होना लाजमी था ऊपर से आसा एक मा थी तो एक मा को अपने बच्चो की चिंता हमेसा लगी ही रेहती है इसी की वजह से अभय के जाने के बाद आसा दस बार बाहर जाके देख चुकी थी
आसा दिशा को देखते हुवे - बहु तुम किया केहना समझाना चाहती हो मे समझ रही हु लेकिन एक मा का दिल नही समझ रहा तो मे किया करू अभय को गये एक घंटे होने वाले है अभी तक तो अभय और अदिति को आ जाना चाहिये था लेकिन दोनों नही आये तो चिंता होगी ना
दिशा आसा को देख - आप सही है लेकिन इतना टेंसन भी मत लीजिये आ जायेंगे दोनों अब ये बताइये आज किया बनेगा खाने मे
आसा दिशा को देख मुस्कुराते हुवे - आज मे खुद अपने लाल के पसंद की सारी डिश बनाने वाली हु
दिशा मुस्कुराते हुवे - जरूर मे आपकी मदद करुगी आज हम देवर जी के पसंद की सारी डिस बनायेगे
( आज के लिये इतना ही )


