• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Erotica जोरू का गुलाम उर्फ़ जे के जी

komaalrani

Well-Known Member
24,263
65,473
259
भाग 255 रात बाकी, बात बाकी, पृष्ठ १५९६
अभी तो पार्टी शुरू हुयी है

अपडेट पोस्टेड, कृपया पढ़ें, लाइक करें, और कमेंट करें

एक मेगा अपडेट
 
Last edited:

Shetan

Well-Known Member
17,286
50,405
259
' बच्ची पार्टी '




choli-lenhga-c7252ad1b5511f681403753f65a6cc24.jpg






और कुछ देर बाद सुजाता के यहाँ जाना था। हम लोगो ' बच्ची पार्टी ' की कोर ग्रुप की चार पांच मेंबर्स की मीटिंग कर लेते थे और उस के बाद की कमिटी में पांच छ सीनियर्स भी जिनमे मिसेज मोइत्रा की तीन भूतपूर्व चमचियाँ भी शामिल थीं रहती थी। आज ये मीटिंग भी लम्बी चलनी थी, गनीमत थी गीता बाहर मिल गयी, मैंने घर की चाभी भी उसको पकड़ा दी और इनकी जिम्मेदारी भी।

बच्ची पार्टी का नाम एक सीनियर ने ही दिया था, मिसेज मोइत्रा की चमची तो नहीं लेकिन उनकी ख़ास और बड़ी ही खड़ूस, विमला मैडम, 45 + तो होंगी ही, लड़की उनकी ग्रेजुएशन कर रही थी, हम लोगों की ग्रुप में से ही किसी ने उन्हें गलती से आंटी बोल दिया और वो एकदम तिलमिला गयीं,



" मैं आंटी हूँ और तू सब, अभी तो बच्ची हो न दूधपीती, "


Teej-MIL-IMG-20230317-125532.jpg


और उन की एक सहेली भी उनके साथ आ गयी, " बच्ची तो हैं ही बेचारी, न बच्चे न कच्चे, बस खी खी खी खी करती रहती हैं कुछ जिम्मेदारी पड़ें न तो पता चले, अरे इन की उम्र में गप्पू मेरा ऊँगली पकड़ के चलने लगा था और बेटी पेट में थी "।

मेरी जिस सहेली ने आंटी बोला था, उसे नहीं मालूम था की उसने किस मधुमखी के छत्ते में हाथ डाला था या उसमे उसे मजा मिल रहा था, हल्के से बोली,

" अरे तब उस जमाने में आई पिल नहीं होती थी न, अब तो बाद में भी चौबीस घंटे के अंदर ले लो तो सेफ्टी पक्की, और गोली तो मेरी एंगेजमेंट के बाद से ही मेरी सास ने मुझसे और मम्मी दोनों से बोला था, और इन्होने भी पहली रात को बोल दिया था, पहले पांच साल तो बच्चे वच्चे एकदम नहीं, सिर्फ मस्ती और कंडोम के बारे में तो सोचना मत "

1ca7cbb45ed8db839804abdbca84ada2.jpg



" और क्या मजा तो चमड़ी से चमड़ी रगड़ने में आता है "


एक थोड़ी कम सीनियर बोलीं,
" दूध तो पता नहीं लेकिन हम सब मलाई रोज खाते हैं, बिना नागा, न बिस्वास हो तो किसी दिन चेक कर लीजिये " मेरे मुंह से भी निकल गया।
d1305033c5ae02e037322a0c06e8944a.jpg


ये तो हेटट्रिक वाले थे रोज बिना नागा, लेकिन मेरी बाकी सहेलियां भी, किसी का मरद दो बार से कम में तो छोड़ता नहीं था और अकसर मुर्गा अगर सुबह बोल गया तो फिर, कुकुडु कु हो ही जाता था और हम सब जब आपस में बात करते थे तो फोन पर पहला सवाल यही होता था , कित्ती बार लेकिन सीनियर के मरद भी ४० + वाले तो हफ्ते में एक बार तक बात पहुँच गयी थीं, कुछ को छोड़ के

और फिर हम सब हंसने लगे, लेकिन उस दिन से हम लोगो के ग्रुप का नाम ' बच्ची पार्टी ;" पड़ गया।



असल में हम लोगो का लेडीज क्लब ३०-३५ लेडीज का था, पांच फ्लोटिंग इसलिए की कोई कभी सास ससुर की सेवा में तो कोई कभी बच्चो के पास, ' बच्ची पार्टी ' में हम सब नौ दस ही थे,

लेकिन मिसेज खन्ना, हमारे कम्पनी के वीपी जो यहाँ के सर्वेसर्वा था मिस्टर खन्ना उनकी पत्नी, और लेडीज क्लब की पदेन अध्यक्ष, की हम सबसे बहुत पटती थी और हम लोगो के मजाक में हंसी में, ज्वाइन करती थी बल्कि असली पंजाबी गालियां सुनातीं, और एक से एक नॉन वेज जोक, तो बाकी बची २०-२५ मेम्बर्स सीनियर हुयी, लेकिन उसमें भी खडूस टाइप पांच छ ही थीं जिनकी नेता मिसेज मोइत्रा थीं , आठ दस हम लोगो के साथ मजे लेने वाली और कुछ मिस्टर मोइत्रा के चक्कर में एकदम न्यूट्रल

क्लब की पॉलिटिक्स ये थी की मिस्टर खन्ना के बाद मिस्टर मोइत्रा ही थे और उनके पास जो पावर थी वो तो थी ही वो एकदम मिसेज मोइत्रा के कहने पर चलते और दो नंबर के काम में भी लगे थे।


बस उनकी कोशिश थी की किसी तरह मिस्टर खन्ना ये छोड़के चले जाए तो भले ही लुकिंग आफ्टर चार्ज मिल जाए और वो हेड हो जाएँ और मिसेज मोइत्रा तो बोलती भी रहती थीं बस दो चार महीने की बात है



मिसेज खन्ना क्लब की मीटिंग में पहला सवाल यही पूछती थी, " तुम सब में से कौन कौन रात को चुदवा के आया है "


Teej-IMG-9907.jpg


और हम सब बच्ची पार्टियां वाले हाथ खड़े कर देते थे, सुजाता ने एक दिन दोनों हाथ खड़े कर दिए और जोर से हो हो हुआ, मैंने उसके चूतड़ में जोर से चिकोटी काटी लेकिन मिसेज खन्ना से साफ़ साफ़ बोल दिया,

" तो तेरी गांड भी मार ली, "
पर जवाब सीनियर पार्टी की ओर से आया, कोई बोली, दिन भर तो मर्द की गांड बॉस मारते हैं तो मौका मिला तो उसने बीबी की मार ली "


Teej-IMG-20230606-045527.jpg


सीनियर और कौन मिसेज मोइत्रा की चमची नंबर दो, डबल मीनिंग मजाक में वो एक नंबर की थी लेकिन मिसेज मोइत्रा के सामने नहीं और उसी समय मिसेज मोइत्रा घुसी और सब चुप्प,



और एक दिन, उस में ज्यादातर हम बच्ची पार्टी वाली थे और कुछ सीनियर्स भी थीं करीब १२-१५ और हम लोगो ने क्लब में ब्ल्यू फिम देखने का प्लान किया, उस जमाने में वीडियो कैसेट ही सहारा था और क्लब में वीडियो प्लेयर था और बड़ा सा टीवी, कैसेट का जुगाड़ मैंने ही किया था लेकिन फिल्म तो चली, पांच मिनट बाद मिसेज खन्ना को पता चला तो वो भी आ गयीं और खूब मजा आया, वो पॉज करके पूछती " हे तुममे से किसने किसने ये पोज ट्राई किया है, '

और सब कुछ था डॉगी, गोद में बैठ के ब्लो जॉब, मुझसे नहीं रहा गया। मैंने मिसेज खन्ना से भी पूछ लिया मैडम आपने कौन सा ट्राय किया है

और वो हँसते हुए बोलीं , सब. फिर कहा लेकिन आज कल बस यही चलता है , और थोड़ा रिवाइंड कर के दिखाया, वोमेन ऑन टॉप
WOT-G-tumblr-p6x008-CJmq1s1bhx2o1-540.gif


उसके बाद तो वो हो हो हुआ

ड्रिंक्स विंक्स भी लेकिन मिसेज मोइत्रा को पता चल गया तो वो हंगामा किया उन्होंने, अगली मीटिंग में मिसेज खन्ना के सामने , ....किसको किसको नहीं बताया,



और उसी समय मिसेज खन्ना ने तय कर लिया की लेडीज क्लब की सेक्रेटरी वो मुझे बनवा के रहेंगी,


उसके पहले कोई खडूस थी , मिसेज मोइत्रा की सपोर्टर, और ये पता चलने पर मिसेज मोइत्रा खुद इलेक्शन में खड़ी हो गयीं मेरे खिलाफ, खैर वो सब तो बता ही चुकी हूँ कई बार



बच्ची पार्टी वाली मीटिंग में ही मिसेज मोइत्रा का मेसेज आ गया उन्होंने कैटरिंग का मीनू फाइनलाइज कर दिया था एजेंसी भी। हाँ एक दो आइटम की जगह उन्होंने छोड़ दी अगर कोई कुछ मीटिंग में सजेस्ट करे। लेकिन सबसे बड़ी बात थी उस एजेंसी से जो रेट उन्होंने लिए थे उसमे अंदर की बात ये उन्होंने तय करवा दिया था की लेडीज क्लब की दिवाली, न्यू ईयर, हस्बेंड्स डे और होली की पार्टी के बिल इसी में एडजस्ट हो जाएंगे। ये सारा खरचा तो स्पांसरिंग से हो ही रहा था उन्होंने आगे का इंतजाम भी कर दिया।

सीनियर्स लेडीज जब आयीं तो मैंने मिसेज मोइत्रा की सारी बातें बता दी, वो अब बृहस्पतिवार को ही आ जाएंगे और उस दिन से ही रिहर्सल शुरू करवा देंगी लेकिन सबसे बड़ी बात कैटरिंग का मेनू सब मिसेज मोइत्रा ने शादी में बिजी रहने के बाद भी तय किया है और जैसा सब लोग चाह रहे थे शाम को हाई टी के साथ फ़ूड हैम्पर भी होंगे और उसकी कोई लिमिट नहीं होगी जिसके घर जितने मेंबर्स है उसके हिसाब से, ...
क्या बात है. औरत कभी अपनी उम्र सच नहीं बताती. जिसपर तो कई चुटकुले बन गए. बेचारी विमला फस गई. और काफ़ी इरोटिक खिंचाई हुई. पिछली बार वाले इलेक्शन के सडयंत्र को पढ़ा था. मनोत्राइन की चमचीया बोली नहीं. अब जल्दी पासा पलटो क्यों की मिसिज खन्ना तो वैसे भी कोमल के पक्ष मे ही है. कुछ वायरल करो तो ज्यादा मज़ा आए. क्यों की उसे जान ने की बड़ी पड़ी है. रात के किसके मरद ने किसको पेला. अब सब के मरद उसे पेलेंगे. बड़ी आई बोस गांड मरते है वाली. सारी हेकड़ी निकालो साली की.

4fb3d5f1a77ded16d45d3a2712e65be2 de8f91df70583d7d748c981ed6e232b3 0a8c4a9127d5ea749da49f0502ad6a86
 

Shetan

Well-Known Member
17,286
50,405
259
जोरू का गुलाम भाग २४९

एम् -१

३७,७५, ७७९
"माइसेल्फ मिलिंद नवलकर, फ्रॉम रत्नागिरी। "

हल्की मुस्कान, बड़ा सा चश्मा, एक बैग और खिचड़ी बाल, दलाल स्ट्रीट के आसपास या कभी यॉट क्लब के नजदीक तो शाम को बॉम्बे जिमखाना में ढलते सूरज को देखते हुए मिल जाते हैं।



मनोहर राव, थोड़ा दबा रंग , एकदम काले बाल, गंभीर लेकिन कारपोरेट क़ानून की बात हो या कर्नाटक संगीत वो अपनी खोल से बाहर आ जाते थे. दिन के समय बी के सी में लेकिन अक्सर माटुंगा के आस पास, टिफिन खाते वहीँ के किसी पुराने रेस्ट्रोरेंट में,...

मनोज जोशी, चाहे हिंदी बोले या अंग्रेजी,… गुजराती एक्सेंट साफ़ झलकता था। पढ़ाई से चार्टर्ड अकउंटेंट, पेशे से कॉटन ट्रेडिंग में कभी कालबा देवी एक्सचेंज में तो कभी कॉटन ग्रीन में, और अड्डों में कोलाबा कॉजवे, लियोपॉल्ड

महेंद्र पांडे धुर भोजपुरी बनारस के पास के, अभी गोरेगांव में लेकिन जोगेश्वरी, गोरेगांव, और कांदिवली से लेकर मीरा रोड और नाला सोपारा तक, दोस्त, धंधे सब

मुन्तज़िर खैराबादी, मोहमद अली रोड के पास एक गली में कई बार सुलेमान की दूकान पे दिख जाते थे, खाने के शौक़ीन, पतली फ्रेम का चश्मा और होंठों पर हमेशा उस्तादों के शेर, फिल्मो में गाने लिखने की कोशिश नाकामयाब रही थी तो अब सीरियल में कभी भोजपुरी म्यूजिकल के लिए और आक्रेस्ट्रा के लिए

लेकिन असली नाम, ... पता नहीं। सच में पता नहीं।

असल नक़ल में फरक मिटाने के चक्कर में खुद असल नकल भूल चूके थे। हाँ जहाँ जाना हो, जो रूप धरना हो, जो भाषा एक्सेंट, मैनरिज्म, ज्यादा समय नहीं लगता और कई बार तो लोकल में सामने बैठे आदमी को देखकर आधे घंटे में कम्प्लीट एक्सेंट और

मैनरिज्म , उन्हें लगता की शायद उनका असली पेशा ऐक्टिंग हो सकता था और राडा ( रॉयल अकेडमी ऑफ ड्रामेटिक आर्ट्स ) में उन्होंने एक छोटा मोटा कोर्स भी किया था,

नाम के लिए, सब लोग एम् के नाम से ही जानते थे और वो सिर्फ इसलिए की जिस देश में जिस शहर में वो नया रूप धरते, उसके सारे नाम एम से ही शुरू होते थे।




मूल रूप से कहाँ के इसमें भी विद्वानों में मतभेद था हाँ जेनेसिस मिक्स्ड थी, सेन्ट्रल यूरोप, मिडल ईस्ट और मेडिटेरेनियन। पर वह सब बंद किताब थी
कौन किसका है कुछ पता नहीं. बाजार मोवी जैसा माहौल लग रहा है. देखते है कोनसा खेला होगा.

f5546b8fd6821432c4e33f97e419250c 844c51fce3acc403bb25828951f4a195
 

Shetan

Well-Known Member
17,286
50,405
259
M का काम- मिलन्द नवलकर
गेलार्ड रेस्टोरेंट
Gyalord-040417-Gaylord01.jpg


M का काम करने वाले बहुत कम लोग और वैसे एक्सपर्ट तो शायद दो चार ही होंगे। काम भी टेढ़ा था. इंडस्ट्रियल एस्पियोनज की दुनिया में जासूसी बहुत आम बात थी, पेटेंट्स, कस्टमर डाटा, बिजनेस प्रॉसेस से लेकर रिसर्च तक, ... पर वह बहुत शुरूआती बातें थीं, उस जासूसी को रोकने के लिए कांउटर सरवायलेंस और उसके एल्क्ट्रॉनिक रूप,... पर यह आखिरी स्टेप था, ... कौन सरवायलेंस कर रहा है उसका पता लगाना और न जिसका सर्वयालेंस हो रहा हो उसे पता चले और न जो करवा रहा हो उसे,... दिक्क्त ये थी की हर एजेंसी कम से कम चार पांच कट आउट तो इस्तेमाल करती ही थी और पता यह करना की कौन कम्पनी करवा रही है, उसके स्ट्रक्चर में कौन आदमी है

M के लिए भी यह बाएं हाथ का खेल नहीं था लेकिन तब भी सक्सेस रेट काफी हाई था।



मिलन्द नवलकर इस समय चर्चगेट स्ट्रीट में गेलार्ड रेस्टोरेंट में बैठे थे और उनके मोबाइल पे एक फ़ूड ट्रक की पिक्चर थी.


देख वो उसे रहे थे लेकिन मन में एसाइनमेंट का पूरा पर्पज घूम रहा था. एक फार्च्यून १०० मल्टीनेशनल कम्पनी, उसकी इंडियन सब्सिडयरी पर टेकओवर के लिए हमला हुआ जो नाकामयाब रहा लेकिन अब इंटरनेशनल कम्पनी को लग रहा था की दुबारा फिर उसपर अटैक होगा, बाजार में साफ साफ़ मेसेज था और बाजार कभी झूठ नहीं बोलता।



अब तीन बातें थीं

" कौन अटैक करने वाला था, क्यों अटैक होगा और अटैकर का इंट्रेस्ट क्या है। "

इन तीनो का पता नहीं था, और जब ये नहीं पता हो तो डिफेन्स की क्या स्ट्रेटजी बनेगी, लेकिन उस कपंनी ने तय किया था, " रण होगा " लेकिन किसके खिलाफ?

सूत्र सिर्फ एक था और वो रिपोर्ट M के पास भी थी

अटैकर एजेंसी को ' सब्जेक्ट ' के बारे में शक था लेकिन उसकी सर्वयालेंस रिपोर्ट से वो एक मिडल मैनेजमनेट का ठरकी टाइप लग रहा था और उसकी परसनालटी की साइको प्रोफ़ाइल से भी नहीं लग रहा था लेकिन तब भी उन्होंने उसका ग्रेड II सर्वयालेंस लांच किया था। फिजिकल सर्वेलेंस और घर और आफिस का, बग्स,...

M का काम था सर्वयालेंस के तारों को पकड़ के पता करना रिपोर्ट कहाँ कहाँ जा रही है, कौन करवा रहा है विदेशी कम्पनी कौन है , इंडियन कम्पनी कौन है।

जो आसान नहीं था।

लेकिन वो और मुश्किल हो गया था ' सब्जेक्ट' को कम्प्लीट रेडियो साइलेंस करना था। उसके घर में बग्स थे और आफिस में , फोन भी हैक्ड था. एक नंबर सब्जेक्ट को दिया गया था, २४ घंटे में एक बार इस्तेमाल के लिए वो भी सिर्फ डाटा ट्रांसफर के लिए। वो एक कट आउट नंबर था। वहां से वो डाटा दो तीन जगह सोशल मिडिया के जरिये M के पास पहुँचता था।

सब्जेक्ट का फोन हैक्ड था, घर में कैमरों के चक्कर में वो डाटा ट्रांसफर नहीं कर सकता था।

ये फ़ूड ट्रक की पिक किसी और के फोन से आयी थी, सेल्फी की तरह। लेकिन फ़ूड ट्रक एकदम साफ थी और एक किसी लड़की की एक ठेले पर वेजीटेबल वेंडर के साथ।


नवलकर गेलार्ड में बैठे पांच बार दोनों पिक्चर देख चुके
मतलब खतरा यह M ही है. जिसने सब जगह उनपर सर्विलेंस बिठा रखा है. और कीटाणु मतलब बग्स छोड़ रखे है. पर पहचान पूरी तरह से छुपी हुई है.

f447cc7109f14b58f75a87090017133d a21f784acf62240ce53b0830230ec0aa
 

Shetan

Well-Known Member
17,286
50,405
259
. फ़ूड ट्रक

Food-Truck-Double-Decker-Food-Truck.jpg


उस फ़ूड ट्रक ने उनके मन में कई सवाल उठाये और यह भी साफ़ कर दिया की इस उलझे धागे को सुलझाने के लिए फ़ूड ट्रक को ही पकड़ना होगा।

सर्वयालेंस के लिए फ़ूड ट्रक से अच्छी कोई चीज नहीं हो सकती , फ़ूड ट्रक में एक तो स्पेस बहुत होता है अंदर, कस्टमर की तरह कोई भी आ सकता है अगर कोई इस फ़ूड ट्रक का सर्वयालेंस भी करेगा तो उसे शक नहीं होगा। एक मंझोले शहर में फ़ूड ट्रक के अलावा किसी भी और बड़ी गाडी के एक जगह खड़े होने पर शक हो सकता है। वह सड़क पर जिस जगह खड़ी है वो कम्युनिकेशन कंट्रोल सेंटर की तरह भी काम कर रही होगी, घर से निकलने वाले सारे कैमरों की फीड वहां आ रही होगी, जहाँ वह रिकार्ड भी हो रही होगी और मॉनिटर भी।

फ़ूड ट्रक से तीन सवाल उठ रहे थे, जो सर्वयालेंस कर रहा है उसकी तो नहीं होगी, उसने हायर ही की होगी या पता उसकी ही हो। तो किसकी है फ़ूड ट्रक ?

दूसरी बात उसमे रह रहे लोग जो सर्वयालेंस में हैं वो कौन हैं, कहाँ के हैं और उन्हें क्या काम सौंपा गया है ?

और तीसरी बात डाटा फ़ूड ट्रक से कैसे भेजा जा रहा है?

पहले सवाल का जवाब करीब करीब मिल गया।

फोटो में फ़ूड ट्रक की नंबर प्लेट थी और नंबर गाजियाबाद का है। ट्रक के ओनर का नाम पता सब मिल गया, वो एक एजेंसी थी जो फ़ूड ट्रक अलग कैटरिंग एजेंसीज को हायर करती थी और यह ट्रक आठ महीने पहले एक मेरठ की कैटरिंग एजेंसी को दी थी , दो साल की लीज पे।

मेरठ की एंजेसी ने चार फूड ट्रक किसी कम्पनी को ढाई महीने पहले दी थी और यह ट्रक उन्ही में से एक थी।

अब यह साफ़ हो गया था की यह आपरेशन पश्चिम उत्तर प्रदेश की कोई एजेंसी चला रही थी, कई सर्वयालेंस एजेंसी वाले भी फ़ूड ट्रक हायर करते हैं और वह कम्पनी उसी तरह की होगी।

उस कम्पनी का नाम पता चल गया था, थर्ड आई।

वह कम्पनी मिलेट्री और पुलिस के कुछ रिटायर्ड आफिसर मिल कर चलाते थे। कुछ उन के फोन हैक कर के कुछ कंप्यूटर के रिकार्ड चेक कर के पता चला था की थर्ड आई ने इस फ़ूड ट्रक को सर्वयालेस के लिए इक्विप किया है पर अभी उन्होंने दो ट्रक किसी एजेंसी को दिए है जिसने दोनों ट्रक को दो महीने के लिए हायर किया है। पर उस एजेंसी का कोई ट्रेस नहीं मिल पाया। उन्होंने सारा पेमेंट कैश में एडवांस किया है। जिस फोन से बात हुयी थी वो नंबर अब बंद हो चूका है और काल डाटा रिकार्ड के हिसाब से बात उसी शहर से हुयी थी लेकिन उस सिम का इस्तेमाल सिर्फ उसी ट्रांजेक्शन के लिए किया गया था।



बात बनी भी नहीं और बन भी गयी।
तो इस पर काम अब शुरू हुआ है. यह बात सही है की वो फूड ट्रक जहा है. वाह सिर्फ सर्विलेंस ही नहीं कंट्रोल रूम का भी काम सायद कर रहा है. वो क्यों क्या कितना कर रहा है. वो बाद मे. पहले कौन कर रहा है. और कौन करवा रहा है. ट्रक किसका है. किस को दिया सब झोल है. क्यों की लास्ट वाली कंपनी ने जब थर्ड आई से हायर किया तो पेंनेंट कैश किया. तो राइट नाम पता कैसे मिलेगा.

76447888f1d55ab44370897ae4e5c107 80b09cac18f500ad31a4ab125df677a2
 

Shetan

Well-Known Member
17,286
50,405
259
सुपर सीक्रेट सर्वेलन्स ( एस ३ )

अब ये साफ़ था कोई सुपर सीक्रेट सर्वेलन्स ( एस ३ ) एजेंसी है जिसने ढेर सारे कट आउट इस्तेमाल किये हैं, पहली बात तो फ़ूड ट्रक उन्होंने इस तरह हायर किया था की बहुत खोज बीन कर के भी बात सिर्फ थर्ड आई तक पहुंचे और वो सिर्फ ये कहेंगे की उन्होंने उसे हायर पर दिया है और फ़ूड ट्रक हायर पर देने के लिए अभी किसी के वाई सी की जरूरत नहीं है। अभी वो हायर के पीरियड में है इसलिए उन्हें कोई चिंता भी नहीं हुयी। इस एस ३ ने फ़ूड ट्रक हायर करने के लिए अलग आदमियों का इस्तेमाल किया होगा और मैन पावर हायर करने के लिए अलग एजेंसी।



नवलकर ने दो बार वो वेजिटेबल वेंडर के साथ गीता की पिक देखी,


geeta-tumblr-p7bgrv-Xl-Lr1ulv4rso1-540.jpg



गीता की एक बात भी रिकार्ड हो गयी थी की बात में यह आदमी पश्चिम का लगता था तो साफ़ था की जहाँ से फ़ूड ट्रक ली गयी थी, वहीँ से वो लोग भी हायर किये गए होंगे जो काउंटर स्रवयलेंस कर रहे होंगे,... मेरठ गाजियाबाद की ट्रक थी और लोग भी वहीँ से हायर किये गए होंगे।

नवलकर ने अपने अनुभव से बात समझ ली की असली आदमी जो कोआर्डिनेट कर रहा है वो वही गाजर वाला है सबजी के ठेले वाला, इसलिए फिजिकल सरव्यालेंस भी व्ही कर रहा है और फ़ूड ट्रक से कोआर्डिनेट भी।

अब बात यह थी की डाटा फ़ूड ट्रक से ट्रांसमिट कैसे हो रहा है।

उन्होंने एक सेटलाइट एजेंसी को काम पर लगाया था जो अगले ४८ घंटे तक हर आधे घंटे की उस फ़ूड ट्रक की तस्वीर रिले करेंगे।

मामला ये नहीं था की क्या फ़ूड ट्रक क्या डाटा इकठ्ठा कर रही है, नवलकर को पता ये करना था की ये डाटा जा कहाँ रहा है, कौन उस डाटा को एनलाइज कर रहा है और इस पूरे ऑपरेशन का संचालन कहाँ से हो रहा है।

फ़ूड ट्रक वो प्वाइंट था जहाँ से फिजिकल सर्वयालेंस ख़त्म हो के डाटा का काम शुरू हो रहा था।

नवलकर को ये पूरा विश्वास था की ये सारा डाटा उस फ़ूड ट्रक से किसी कम्युनिकेशन सेटलाइट से ही भेजा जा रहा है।

और उसके तीन कारण थे, स्टोरेज साइज, डाटा सिक्योरिटी, और फ़ूड ट्रक का इस्तेमाल। क्योंकि सरवायलेंस में आडियो, वीडियो, और बाकी सब डाटा था और वो सिर्फ मोबाइल और कम्यूटर हैकिंग तक नहीं था। हर दिन की डाटा की साइज बहुत होती और इसे फोन से ट्रांसमिट से करना पॉसिबल नहीं था।

दूसरे डाटा अगर सब फ़ूड ट्रक में स्टोर होगा तो किसी भी हैकर के लिए या जांच एजेंसी वाले के लिए सीधे ट्रक पे रेड करके उस डाटा को पकड़ना आसान था। फिर मोबाइल डाटा को ट्रैंगुलेट करके टावर का पता करना और फिर उस फोन की लोकेशन पता करना आसान हो जाता लेकिन सेटलाइट डाटा में ये थोड़ा मुश्किल था, बशर्ते किसी स्पाई सेटलाइट का इस्तेमाल न किया जाए।

ज्यादातर सेटलाइट नेविगेशन के काम में आने वाली कम्युनिकेशन सेटलाइट होती हैं लेकिन बाकी कम्युनिकेशन वाली भी काफी है जिनका इस्तेमाल न्यूज सर्विसेज के लोग वार जोन्स में करते हैं और वो किराए के लिए उपलब्ध होती हैं। नवलकर का विश्वास था वैसे ही कोई सेटलाइट होगी।



और वह विश्वास सही सिद्ध हुआ लेकिन उम्मीद से दुगना बल्कि और ज्यादा,
वाह मतलब चोर से चोरी. नवालकर अगर सेंध मारने मे कामयाब हुआ तो मज़ा ही आ जाएगा. कही ऐसा ना हो की जो भी विलेन हो. वो मनोत्राइन का ही कोई आदमी या रिस्तेदार निकले.

4bebf6e008afb09f75a21acc7403416e a8023b3280367604f99929bff6774a4d 0be989a1a9903f295e3a126f952fc51c-1
 

Shetan

Well-Known Member
17,286
50,405
259
सेटलाइट
Satelite-gallery-satellite-68-3.webp


नवलकर के कम्यूटर पर एक मेसज पॉप आप हुआ और फिर जिस सेटलाइट का वो इस्तेमाल फ़ूड ट्रक के सरवायलेंस के लिए कर रहे थे उसको उन्होंने लिंक किया। उनके लैपटॉप पर उस सेटलाइट की सीधे स्क्रीन खुल गयी और जहाँ से सेटलाइट कंट्रोल होती थी वहां का एक कम्म्युनिऐक्शन चैनल भी।



रात के १ बजकर ४० मिनट हो रहे थे, और उस फ़ूड ट्रक के छत पर एक डिश निकल आयी, जैसे टीवी वालों के ओ बी वान पर होती है थोड़ी और बड़ी साइज की।

बस यह तय की कोई कम्युनिकेशन सेटलाइट होगी जी आधे, पौन घंटे उस वान के टच में रहेगी और वो डाटा उसी सेटलाइट को पास होगा।

सेटलाइट कंट्रोल के कम्युनोइकेशन चैनल पर बिना उनके कहे एक डेढ़ सौ किलोमीटर का उस इलाके का स्काई मैप आ गया। और उन्होंने पहचान लिया।


एक सेटलाइट जो उस लोकेशन पर १० मिनट में पहुँचने वाली थी, और उस मैप पर उस सेटलाइट पर उन्होंने करसर से प्रेस किया, वो एक इंटरैक्टिव स्क्रीन था, बगल में एक पैनल खुल गया, सेटलाइट की लांच होने की डेट, जिस कम्पनी की वो थी, यूरो स्टार, और अचानक उनकी चमकी, ये दो साल पहले ही बानी थी, लक्जमबर्ग, हेडक्वार्टर और एक अमेरिकन कम्पनी इको स्टार से अलग होकर, लेकिन उसके बिजनेस का सी ए जी आर १५ % से भी ऊपर था जो उस सिग्मेंट में एक बड़ी बात थी। तबतक जो एक कम्युनिकेशन चैनल नवलकर ने खोल रखा था, उसपे उस सेटलाइट के बारे में एक और बात आयी।



यह सेटलाइट SAR (Synthetic Aperture Radar) की क्षमता से लैस है यानी यह दिन के साथ साथ रात में, बादलो और बर्फ में भी इमेज ले सकता है और रेडियो वेव्स के जरिये ये ऑब्जेक्ट को प्रकाशित कर देता है, जिससे घुप अँधेरे में भी इमेजिंग होती है। यह सतह के उभार की मदद से दरवाजे खिड़कियां और थर्मल इमेजिंग से लिविंग आब्जेक्ट्स की भी इमेज लेता है, लेकिन उस इमेज का क्षेत्र बाकी सेटलाइट इमेज के मुकाबले कम और ज्यादा फोकस्ड होता है। यह १ वर्ग मीटर तक के आब्जेक्ट की अच्छी फोटो ले सकता है।

नवलकर ने जिस सेटलाइट से हर दो घंटे में इमेजिंग करवाई थी उसे गूगल अर्थ से जोड़कर, उस टाउनशिप का एक डिटेल मैप बना लिया था , जिसे करीब बीस वर्ग किलोमीटर तक की हर छोटी बड़ी ईमारत, सड़क, रस्ते, आ जाते थे और उसमें उन्होंने उस फ़ूड ट्रक और उसके आस पास के ५०० मीटर के इलाके को हाइलाइट कर रखा था।

नवलकर ने जिस सेटलाइट को लगा रखा था और जिसके कंट्रोल से सेंटर से वो टच में थे, सिर्फ दो बात पूछी, एक की जो डाटा फ़ूड ट्रक से सेटलाइट को पास होगा, उसके साथ पिगी बैक कर के, क्या वो कोई आइडेंटीफायर भेज सकते हैं। उसका जवाब उन्हें हाँ में मिला लेकिन यह भी उस डाटा को सेटलाइट से हैक करना या अपलोड करते समय हैक करना मुश्किल है,हाँ एक बार सेटलाइट वो डाटा ट्रांसमिट कर दे तो वहां से वो अगर अपने सोर्सेज से हैक करा लें उसकी बात अलग है।

दूसरे सवाल का जवाब भी हाँ में मिला,

एक अंदाजन एरिया का पता चल सकता है हाँ स्पेसिफिक बिल्डिंग का पता चलना मुश्किल है।

कुछ देर में ही फ़ूड ट्रक से निकला सेटलाइट एंटीना सारा डाटा उस सेटलाइट पर अपलोड कर रहा था। वह काम तो पांच से दस मिनट में हो गया लेकिन अगले पांच मिनट तक SAR इमेजिंग होती रही।

और उन्हें उनके कम्युनिकेशन चैनल से पता चल गया की वह फ़ूड ट्रक से करीब १०० मीटर दूर के जगह की है और २५० वर्ग मीटर, फिर वहां तक पहुँचने वाले रास्तों की,
यानी यह साफ़ था की जिस की निगरानी हो रही है उस के घर और आसपास की डिटेल्ड फोटोग्राफी हो रही है।

करीब आधे घंटे बाद उन्हें पता चल गया की जो डाटा फ़ूड ट्रक से अपलोड हुआ था, वो केपटाउन को ट्रांसमिट किया गया है और नवलकर की सब उम्मीदों पर पानी फिर गया।



उन्हें उम्मीद थी की डाटा का डेसिनेशन ट्रेस कर के वो उस कम्पनी या उसकी सिक्योरटी कम्पनी तक पहंचु जाएंगे, जो सर्वेलेंस करवा रही है।



पर केपटाउन का नाम आते ही उन्हें अंदाज लग गया की, डाटा किसके पास गया है, और ५० मीटर के अंदर तक की लोकेशन जैसी पता चली उनका शक विश्वास में बदल गया।
मान गए नवालकर को. दुश्मन के खेमे मे घुसने का रस्ता ढूढ़ लिया. लेकिन यह समझ नहीं आया की यह सब डाटा यूरो स्टार के पास जाने की बजाय केप टाउन जा रहा है. मगर वो तो साउथ अफ्रीका मे है???

8caef4f5343ba5f7c4e1a9e2a5a61ea1 a25501468931987de866cf5ac23394ae-1 0ed077cd6ebdbe9be0ceb4e6dee6e996-1
 

Shetan

Well-Known Member
17,286
50,405
259
केपटाउन
Capetown-the-7-biggest-attractions-in-cape-town-2-1024x683.jpg


और नवलकर ने केपटाउन फोन लगाया हाँ अब वो एक डच नागरिक थे, उसी रूप में तो मिले थे केप टाउन में

कम से कम २५- ३० तरीके से उच्चारण, स्वराघात, और किससे बात करते समय किस रूप में मिलना है ये सब उनके खून में मिला था

जैसा उन्हें उम्मीद थी, पीछे की आवाजों से साफ़ था वह एक बार था। केपटाउन का समय मुंबई से साढ़े तीन घंटे पीछे चलता है। यहाँ पर अभी तीन बज रहा था तो वहां साढ़े गयारह, रात तो अभी शुरू हुयी थी।

" आधे घंटे बाद मैं, मोनिका के पास रहूंगा, वही डॉमिनीट्रिक्स, " और यह कह कर फोन कट गया।

मतलब साफ था, डार्क वेब पर चैट रूम में एक बी डी एस एम् रूम में वो मोनिका बन के मिलता और फिर वो एक प्राइवेट चैट रूम सेट कर के,

डार्क वेब पर कम्युनिकेशन काफी सेफ था, जबतक आप तीन इलाकों में न भटकें, पिडोफिल या चाइल्ड पॉर्न साइट्स, किलर फॉर हायर और ड्रग्स, इन तीनो जगहों पर कई देश के साधु नुमा पुलिस वाले शैतान बने घूमते हैं। और उस जंगल में बी डी एस एम् की कोई परवाह नहीं करता।

आधे घंटे बाद बात हो गयी और मुम्बई के समय के हिसाब से साढ़े छह बजे उन्हें पता भी चल गया।

और इसी बीच नवलकर ने दो घंटे की नींद भी मार ली, खूब गाढ़ी।

केप टाउन से डाटा चार जगहों पर गया था, एक तो मुम्बई में मलाड में, एक जेनेवा में और दो जगह अमेरिका में।

मलाड में गया मेसेज उन्होंने खोल भी लिया सिम्पल था NAD मतलब नो एक्टिविटी डिटेक्टेड। लेकिन काम की बात ये थी की अब पता चल गया था की हिंद्स्तान में की मैन कौन है और उसपर निगाह रखी जा सकती थी।

जेनेवा में जिस जगह मेसेज गया था उसे वह एड्रेस देख के ही पहचान गए, एक कोवर्ट सिक्योरटी एजेंसी का डाटा एनेलेटिक्स सेंटर और वहां सेंध लगाना एक तो करीब असम्भव था और फिर वह २५६ कंपनियों के लिए काम करती थी तो ये कैसे पता चलेगा की उसे किसने हायर किया

तालिबानों ने सिक्योरटी एजेंसीज को बहुत नाच नचाया लेकिन एक बात एजेंसीज ने सीख भी ली की अभी सबसे सेफ मेसेज भेजने का तरीका आदमी है, कूरियर सिस्टम, आप लाख सिग्नल चेक करें आदमी कहाँ से पकड़ेंगे। और पकड़ने पर भी उससे मेसेज निकलवाना आसान नहीं तो वो अपने आका को रिपोर्ट कुरियर से ही भेजेंगे।

और बाकी जो दो अमेरिका के सेंटर थे वो एक घंटे की मेहनत के बाद फुस्स निकले। नवलकर ने अपनी एजेंसी से जुडी एक इंटरेनट फर्म को लगाया तो वो दोनों एड्रेस डम्प्स के थे यानी वहां डाटा पहुंच के सिर्फ डिलीट कर दिया जाता है और डाटा अक्सर गार्बेज होता है जिसे डाटा ट्रेस करने वाला भटकता रहे।

लेकिन तीन बातें काम की मालूम हो गयीं,
वाह मतलब मार्किट के उतार चढाव कर पैसा कमाने वाले और कोई नहीं आतंकवादी है. जो किसी भी कंट्री को इकोनॉमिकल बर्बाद कर के उसे नुकसान पहोंचाते है. जबरदस्त कॉन्सेप्ट कोमलजी.

ebe1394ccae8d4774ecd44cdf89d5e62 b75f0751343949cf726200226d8422b8 b6ab74eda798eeb000526c4a5aafc513
 

Shetan

Well-Known Member
17,286
50,405
259
जोरू का गुलाम -भाग २५०

एम् -२

मिलिंद नवलकर, मुंतजिर खैराबादी, महेंद्र पांडेय

३८,१७,०७६

"माइसेल्फ मिलिंद नवलकर, फ्रॉम रत्नागिरी। "



मिले तो थे आप एम् या एम् के एक रूप से, पिछले भाग मे।



हल्की मुस्कान, बड़ा सा चश्मा, एक बैग और खिचड़ी बाल, दलाल स्ट्रीट के आसपास या कभी यॉट क्लब के नजदीक तो शाम को बॉम्बे जिमखाना में ढलते सूरज को देखते हुए मिल जाते हैं।



और उनके बाकी रूपों से,

मनोहर राव, थोड़ा दबा रंग , एकदम काले बाल, गंभीर लेकिन कारपोरेट क़ानून की बात हो या कर्नाटक संगीत वो अपनी खोल से बाहर आ जाते थे. दिन के समय बी के सी में लेकिन अक्सर माटुंगा के आस पास, टिफिन खाते वहीँ के किसी पुराने रेस्ट्रोरेंट में,...

मनोज जोशी, चाहे हिंदी बोले या अंग्रेजी,… गुजराती एक्सेंट साफ़ झलकता था। पढ़ाई से चार्टर्ड अकउंटेंट, पेशे से कॉटन ट्रेडिंग में कभी कालबा देवी एक्सचेंज में तो कभी कॉटन ग्रीन में, और अड्डों में कोलाबा कॉजवे, लियोपॉल्ड

महेंद्र पांडे धुर भोजपुरी बनारस के पास के, अभी गोरेगांव में लेकिन जोगेश्वरी, गोरेगांव, और कांदिवली से लेकर मीरा रोड और नाला सोपारा तक, दोस्त, धंधे सब

मुन्तज़िर खैराबादी, मोहमद अली रोड के पास एक गली में कई बार सुलेमान की दूकान पे दिख जाते थे, खाने के शौक़ीन, पतली फ्रेम का चश्मा और होंठों पर हमेशा उस्तादों के शेर, फिल्मो में गाने लिखने की कोशिश नाकामयाब रही थी तो अब सीरियल में कभी भोजपुरी म्यूजिकल के लिए और आक्रेस्ट्रा के लिए



लेकिन असली नाम, ... पता नहीं। सच में पता नहीं।

असल नक़ल में फरक मिटाने के चक्कर में खुद असल नकल भूल चूके थे। हाँ जहाँ जाना हो, जो रूप धरना हो, जो भाषा एक्सेंट, मैनरिज्म, ज्यादा समय नहीं लगता और कई बार तो लोकल में सामने बैठे आदमी को देखकर आधे घंटे में कम्प्लीट एक्सेंट और

मैनरिज्म, उन्हें लगता की शायद उनका असली पेशा ऐक्टिंग हो सकता था और राडा (रॉयल अकेडमी ऑफ ड्रामेटिक आर्ट्स) में उन्होंने एक छोटा मोटा कोर्स भी किया था,



लेकिन ये रूप अलग लग धरने में मेहनत, भी टाइम भी लगता था और कोई जरूरी नहीं की हर बार आपरेशन में वो हर रूप इस्तेमाल करे लेकिन हर आपरेशन में एक नया रूप जरूर वो क्रिएट करते थे, जैसे इस बार मिलन्द नवलकर, और ये भी बात नहीं की ये रूप वो सिर्फआपरेशन के लिए धरते थे, या उसका इस्तेमाल सिर्फ आपरेशन में करते थे, जैसे दो बार वो हिन्दुस्तान सिर्फ चिल करने आये और एक बार बनारस में रहे, महीनों और महेंद्र पांडे के रूप में, दो साल पहले हिन्दुस्तान नेपाल के बार्डर पे, एक आपरेशन था, ईस्टर्न यूपी और वेस्टर्न बिहार और नेपाल के बार्डर का और उसी समय वो पहली बार महेंद्र पांडे बने, और फिर जब बनारस आये तो फिर महेंद्र पांडे, और बोली , स्वराघात सब कुछ और फिर दोस्त यार, और उनके बॉम्बे के कनेक्शन, और कभी कभी साल में एक बार कही और आते जाते, वो इन कनेक्शन को जिंदा भी रखते थे



उसी तरह गरबा के सीजन में कुछ दिन वो बड़ौदा और सूरत में थे, पहले भी आ चुके थे कुछ डायमंड का मामला था और उन्होंने मनोज जोशी का वो गुजराती संस्करण, और वही उनको अंदाज लगा की भावनगर के आस पास जो गुजराती बोली जाती है वो बड़ौदा से एकदम अलग है



जब महीने भर बनारस में थे तभी लखनऊ जाना हुआ और असली मुन्तज़िर खैराबादी, से मुलाक़ात हुयी, बस उन्ही का मैनरिज्म, दाढ़ी, उर्दू,… और कोई कह नहीं सकता था की उनकी जड़ें लखनऊ में नहीं है, और उसका अड्डा बनाया उन्होंने मुंबई में मोहम्मद अली रोड को

इन अलग अलग रूपों के साथ लोकल खानो और लोकल लड़कियों ख़ास तौर से रेड लाइट, (सड़क छाप से लेकर कालगर्ल और एस्कॉट तक) के भी वो पक्के शौक़ीन भी थे और एक्सपर्ट भी,

और इन सबका फायदा उन्हें मिलता था, एक सूत्र को ट्रेस करने के लिए वो एक रूप धरते थे तो उसी आपरेशन से जुड़े दूसरे हिस्से को दूसरे रूप से, और अगर कोई उनके पीछे पड़ा भी रहता था तो वो दोनों को लिंक नहीं कर पाता था,

ये उनका अड़तीसवाँ ऑपरेशन था, और हिन्दुस्तान में छठा, लेकिन अब तक का सबसे मुश्किल,



एक तो कोई और छोर नहीं पता चल रहा था, अमेरिका में बेस्ड एक बड़ी मल्टी नेशनल कम्पनी की शक था की उसको एक्वायर करने के लिए या उसके इंट्रेस्ट को हिट करने के लिए कोई बड़ी कम्पनी आपरेशन चला रही है, और बस इतना पता था की हिन्दुस्तान में जो इनकी सब्सिडियरी है, उसपर कुछ दिन पहले हमला हुआ था, और वो कम्पनी बस हाथ से जाते जाते बची।

और उस को बचाने में जिस का हाथ था उसके बारे में मुश्किल से पांच छह लोगो को मालूम था, लेकिन राइवल कंपनी को कुछ शक था और एक इंडिपेंडेंट कंपनी से उस आदमी के बारे में जिसे रिपोर्ट में उन्होंने सब्जेक्ट कहा था, वो एक बिंदु हो सकता था जिसे पकड़ के आगे बढ़ा जा सकता था



पर परेशानी ये थी की एम् या मिलिंद नवलकर सीधे उस 'सब्जेट; से कांटेक्ट नहीं कर सकते थे, एक तो उन्हें ये पता था की जिस एजेंसी ने रिपोर्ट उस के बारे में बनायी है तो A १ लेवल के फिजिकल और कैमरे के सर्वेलेंस से घिरा होगा, और एक एमरजेंसी कांटेक्ट दिया था लेकिन बहुत दिमाग लगा के ही मेसेज आ सकता है और कई और लोगों के जरिए वो कोडेड मेसेज जब मिला तो काम उनका कुछ आसान हुआ



और मान गए वो वो सब्जेक्ट को, सिर्फ फोटो के जरिये, और किसी और के फोन से,



फ़ूड ट्रक, सर्वेलेंस, डाटा और वो लड़की और उस के जरिये काफी कुछ बाते आगे बढ़ गयी थी और अब उसी को बढ़ाना था
जी बिलकुल. मुझसे ही पिछले अपडेटेड मे गलतफैमी हुई. यहाँ हर एक अपनी पहचान बहोत ही मंजे हुए तरीके से छुपाए बैठा है. अमेज़िंग. पर मै पूरी तरह से अब भी नहीं समझ पाई. नेक्स्ट पोस्ट पढ़कर समझ पाऊँगी.

af13d7742aa926de56c923aa5320845c 2df7437b5910e5708b7f358e7c61cad1
 

Shetan

Well-Known Member
17,286
50,405
259
मलाड का मानुष, और शेयर मार्केट

जीरो प्वाइंट यानी ए के अड्डे से जो कुछ हैकिंग हुयी, कैमरे की रिकार्डिंग हुयी, सारा डाटा फ़ूड ट्रक से एक सेटलाइट के जरिये केपटाऊन में गया, साउथ अफ्रीका के समुद्री तट पर और वहीँ डाटा एनालिटिक्स ने फिर से सारा डाटा या कहीं कुछ रिपोर्ट्स भेजीं, और वही से एक मेसेज हिन्दुस्तान में मुंबई में आया, मलाड में किसी के पास, मेसेज सिम्पल था, मोर्स कोड की तरह ' नो एक्टिवटी डिटेकेटेड'

और उसी को मिलन्द नवलकर ने मलाड मानुष का नाम दिया, क्योंकि हिन्दुस्तान में यह साफ़ हो गया की दुश्मन कम्पनी का यह कांटेक्ट प्वाइंट है। और उस का पता कर के आगे बढ़ा जा सकता है, तो जीरो प्वाइंट से फ़ूड ट्रक, वहां से डाटा केपटाउन और विश्लेषण के बाद एक लाइन का मेसेज मुम्बई के मलाड में।

पहली बात मलाड का मानुष, उसका पता पता करना अब मुश्किल था लेकिन असम्भव नहीं और बाद में नवलकर को ये ब्रेन वेव आयी की यह एक तरह से कम्युनिकेशन की ओपनिंग थी। मतलब अगले मेसेज भी उस मलाड वाले को ऐसे ही मिलेंगे और वो पूरी तरह से वन साइडेड कम्युनिकेशन होगा, लेकिन इस चैनल पर निगाह रख कर आगे की बातें जानी जा सकती हैं।

एम् ने अपना सिक्स्थ सेन्स लगाया, उस मलाड मानुष के बारे में, कुछ पुराने कांटेक्ट खगाले और उन्हें पता चल गया की उन्हें क्या करना है,



मनोज जोशी, उनका गुजराती रूप, पिछली बार वो एक वाल स्ट्रीट से दलाल स्ट्रीट तक आये थे, मामला अमेरिका की एक एक इनसाइडर ट्रेडिंग का था, लेकिन उसके तार हिन्दुस्तान और जापान दोनों से जुड़े थे और शेयर मार्केट का बहुत खेल था, और तब उन्होंने शेयर मार्केट में तमाम कांटेक्ट भी बनाये थे, मनोज जोशी बन के, स्टॉक एक्सचेंज के पास की चाय की दुकानों से लेकर, सेबी के आफिस तक,



और उन्हें अंदाज लग गया था की उन्हें अब उसी रूप में जाना होगा, शेयर मार्केट में घुसना होगा इस मलाड मानुष के बारे में पता करने के लिए।

एक और बात ने उनका ध्यान मलाड मानुष के शेयर मार्केट के लिंक से जोड़ा, पिछली बार जब हिन्दुस्तानी कम्पनी पर हमला हुआ था शेयर मार्केट में ही हुआ था और एक बीयर कार्टेल से हुआ था, जो लोग शेयर मार्केट के दाम गिराना चाहते हैं, और उसमे एक्सपर्ट होते हैं और उनके बहुत हथियार होते हैं, किसी कम्पनी के बारे में अफवाहें, अखबारों में प्लांटेड खबरे, उसके इम्पोर्टेन्ट लोगो के कम्पनी छोड़ने से लेकर पहले धीरे धीरे उस कम्पनी के शेयर खरीद के एक झटके में बेचने तक,



पिछली बार भी उन्हें पता चला था की मलाड में कोई है जो बीयर कार्टेल के केंद्र में है, वो कभी कभी स्टॉक एक्सचेंज आता भी है, बहुत सिम्पल , शर्ट पैंट, बाल करने से कढ़े, चालीस -पचास के बीच की उम्र, लेकिन न उस के बारे में ज्यादा लोगो को मालूम है न वो मालूम होने देते है



तो शायद वही होगा, वो मलाड मानुष और उन्होने मन की डायरी में नोट कर लिए और दिमाग प्लान बनाने लगा, लेकिन अभी तुरंत एक और काम था।
मतलब M को ही मलहार्ड का मानुस नाम दिया सायद. जो केप टाउन मे जो डांटा जा रहा है. उसे रोकने की बजाय उस पर नजर रखी जा रही है. जब तक दो तीन पोस्ट पूरी ना पढू. मुझे पूरा समझ नहीं आएगा.

ab96d5214fd94f792b50d59870f2b72a d24a9e010fcea6dbf429e6c823f31874
 

Shetan

Well-Known Member
17,286
50,405
259
ए का अड्डा और सेटलाइट की तस्वीरें


दूसरी बात केपटाउन से सारा डाटा एक एयर होस्टेस के जरिये आएगा, लेकिन सेटलाइट ने जो इमेजिंग की थी वो केपटाउन से मिल गयी थी और वो सरवायलेंस सब्जेक्ट के घर की थी। हाँ उन्होंने तय कर लिया की बार बार सब्जेक्ट कहने से अच्छा था उसे कोई कोड नेम दे दिया जाय तो कुछ सोच के उन्होंने उसे एक कोड दे दिया A और का घर यानी ज़ीरो प्वाइंट यानी ए का अड्डा।

और बहुत ही डिटेल्ड, थ्री डाइमेंशनल, यहाँ तक की ये भी पता चल रहा था की नीचे बेडरूम में एक कपल 'एक्टिव ' था।

वह बड़ी देर तक सब्जेक्ट के घर, मतलब ए के अड्डे को देख रहे थे, थर्मल इमेजिंग से भी रिकार्डिंग हुयी थी, तो बॉडी हीट से पता चल रहा था, घर में कितने लोग हैं और कहाँ है, और सिर्फ दो लोग थे और जिस तरह दोनों बॉडीज चिपकी थीं, साफ़ लग रहा था की क्या हो हो रहा है, और कयोंकि रिकार्डिंग करीब बीस मिनट की थी, और बीस सेकेण्ड के इंटरवल की, तो उन कपल की बाड़ी हीट की १०० पिक्स थीं, और साफ़ पता चल रहा था की दोनों बहुत ही 'एक्टिव' हैं, लेकिन मिलन्द नवलकर को कुछ और देखना था, इस पूरी तर्स्वीर में कुछ गड़बड़ लग रहा था,



और उन्होंने अपने लैपटॉप के दो मिलेट्री ग्रेड सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल किया, दो मिनट लगा होगा और पिक्चर साफ़ हो गयी।



पहला सॉफ्टवेयर थ्री डी स्केल मैप बनाने में इस्तेमाल होता था, और नेवी सील ने ओसामा बिन लादेन के घर पे हमला करने के पहले सेट मैपिंग के लिए इस्तेमाल किया था, ये सेटलाइट पिक्चर्स के अलग अलग एंगल को जोड़ के स्केल्ड मैप उस घर का बना देता था, और अब उनके पास एक मैप ए के अड्डे का था, सिंगल फ्लोर, घर में कितने कमरे हैं, घुसने का रास्ता कहाँ है , बाहर छोटा सा गार्डेन, लान और उस गार्डेन में कौन कौन से पेड़, यहाँ तक की किचेन में ड्राअर कितने हैं, ये भी मैप ने ड्रा कर दिया और अब उसपे पिक्स को सुपर इम्पोज करके उस घर की एक एक चीज साफ़ समझ में आ रही थी।



लेकिन अभी आठ आने का खेल बाकी था, और उन्होंने एक ट्रायल वर्जन वाला सॉफ्टवेयर उस पर रन कराया, और अब चीजे और साफ़ हो गयीं

कैमरे, ….स्सालो ने कोई कमरा नहीं छोड़ा था जहाँ कैमरे न लगाए हो, और सब कुछ बग कर दिया था, यहाँ तक की बाथरूम और टॉयलेट भी, किचेन भी

और सब मूवमेंट से , और साउंड से आपरेट होने वाले, यानी कुछ नहीं हो रहा होगा तो वो पिक्स नहीं रिकार्ड करेंगे, लेकिन ज़रा भी मूवमेंट होने से, साउंड से यहाँ तक की सांस की आवाज से भी वो एक्टिव हो जाते। और ऐसी ऐसी जगह लगे हैं की कोई फुसफुसा के भी बाते करेगा तो पकड़ में आ जाएगा।



लेकिन उनके समझ में नहीं आ रहा था की गड़बड़ कहाँ है, पूरे घर की पिक्चर साफ़ दिख रही थी, एक एक कैमरे दिख रहे थे, वो कपल दिख रहे थे, यहाँ तक की बाहर लान और पेड़ भी, वो बार बार पिक्चर देख रहे थे, फ़ूड ट्रक वालों को लाइव फीड मिल रही होगी, लेकिन उन्हें भी अब कम से कम उस घर के बारे में पता चल गया था और केपटाउन से डाटा मिलने पर उन्हें भी लाइव फीड तो नहीं लेकिन २४ घण्टे की उस घर की रिकार्डिंग की कॉपी मिल जायेगी और फिर वो उन लोगो को असिस्ट कर सकते हैं।



और अच्चानक मिलन्द नवलकर की चमकी।

ऊपर एक कमरा है जिसके अंदर कोई कैमरा नहीं लगा है, लेकिन वो एक दुछत्ती की तरह है जहाँ बहुत कबाड़ सा है लेकिन एक टेबल पर एक डेस्कटॉप कम्प्यूटर है। उस कमरे के सारे डाइमेंशन एक्सेस के रास्ते उन पिकचर से साफ़ पता लग रहे थे।

थर्मल इमेजिंग से शेप साफ़ साफ़ दिख रहा था, और थ्री डी मैपिंग से एक एक आब्जेक्ट की लम्बाई चौड़ाई गहराई,.... लेकिन सबसे बड़ी बात उस कमरे में कैमरे नहीं थे, और वो मुस्कराये,



उन्हें लग गया अगले दो चार दिनों में क्या होनेवाला है, जल्द से जल्द एक सप्ताह के अंदर, जो उन्हें दिख रहा था, वो दुश्मन के डाटा एनेलिटिक्स और जासूस को भी दिख रहा होगा,

जब बग और छुपे कैमरे टॉयलेट तक में लगाने वाले ने छह छह लगाए थे, घर के किसी कोने में अगर कोई कागज पे भी लिख के दूसरे को मेसेज दे तो दिख जाए तो ऊपर के इस कमरे में न कोई बग और न कोई कैमरा, हाँ बाहर के दरवाजे के ठीक ऊपर एक कैमरा था, जिससे अगर कोई इस कमरे में जाएगा तो पता चल जाएगा।

और वह समझ रहे थे की ऐसा हुआ क्यों, दुछत्ती के कमरे के बाहर जो ताला लगा था वो देखने में आसान लग रहा था, लेकिन था मुश्किल और अगर बग लगाने वाला खोल भी लेता तो बंद कैसे करता और घर वालों को शक हो जाता, तो जिस भी बहाने से वो घर में घुसा, उसने ज्यादा समय नीचे बग लगाने में लगाया और फिर ऊपर उसे लगा की दुछत्ती में कोई आता जाता नहीं होगा, कबाड़ के लिए होगा और जिस तरह से जले लगे थे बाहर ये साफ़ लग भी रहा था,


लेकिन मिलिंद नवलकर के अंदर सबसे बड़ी बात थी, वो चेस के इंटरनेशनल मास्टर भी थे. अगला इस बोर्ड को देख के क्या चलेगा, वो सोच लेते थे. उसके पास भले ही चार पांच ऑप्शन हों लेकिन जो उसकी सोच होगी उसके हिसाब से,.... उन चार पांच ऑप्शन में वो क्या चलेगा, उन्हें पता चल जाता था.



और वो समझ गए की यही पिक्चर वो अज्ञात दुश्मन भी देख रहा होगा, और उस के पास एक ऑप्शन होगा, इस डेस्कटॉप कम्प्यूटर को हैक करना, उसके हार्ड डिस्क का सारा डाटा चुराना, लेकिन उसके लिए वो सामने के दरवाजे से नहीं घुसेगा, उसके लिए पहले घर में घुसो, सीढ़ी पे चढ़ो, ताला तोड़ो और आजकल सबके घर में अलार्म होता है, वो डिसेबल भी कर दो तो,...



घुसने का रास्ता उन्हें दिख रहा था, खिड़की और आलमोस्ट बगल तक आती आम के पेड़ की शाखाएं, उस पेड़ से खिड़की तक पहुँचाना आसान था, और फिर खिड़की खोल के सीधे कमरे में

तो अगर अगले चार पांच दिन में ये कपल रात में कहीं बाहर होगा तो ये हो सकता है, क्या मालूम था की अंदर एक कम्प्यूटर था, और अगली पार्टी उसके राज खगालने के लिए बेचैन होगी।

मतलब कोई फिजिकल इन्वेजन होने वाला है लेकिन जिसमे वो फ़ूड ट्रक वाली टीम नहीं होगी, कोई सेपरेट टीम होगी।

उस कमरे की एक्सेस नहीं मिलने से उन्हें फोन की रिकार्डिंग से पता चला हो की किसी रात वो कपल वहां नहीं रहने वाला होगा और उस समय वो लोग रूम को एक्सेस करने की कोशिश करेंगे।

उस इन्वेजन को मॉनिटर करके, मेन कंपनी तक पहुंचना ज्यादा आसान होगा। लेकिन इसके लिए जरूरी होगा की से कम्युनिकेशन एस्टब्लिश करना, उस बंद कमरे के कम्प्यूटर में कुछ ऐसे ट्राजन डालना जिसके जरिये मेन सोर्स तक पहुंचा जा सके।

मिलिंद नवलकर का मुख्य काम था, कौन कम्पनी अटैक कर रही है इसका पता करना और अब उन्हें लग रहा था की काम हो जायेगा।

ये एक बहुत इम्पोर्टेन्ट प्वाइंट होगा, और उनका दिमाग रेस के घोड़े की तरह दौड़ने लगा, तीन बातें,



पहली बात, जीरो प्वाइंट, या ए के अड्डे से कांटेक्ट करना, लेकिन इस तरह से की वो गाजर वाले, फ़ूड ट्रक वाले या किसी सर्वेलेंस वाले को खबर न हो और उसे इस होने वाले फिजिकल इन्वेजन से आगाह करना, ए है तो बहुत चालाक जिस तरह से उस गाजर वाले की उस लड़की की और फ़ूड ट्रक की पिक्स भेजी, लेकिन इस होने वाले फिजिकल इन्वेजन से आगाह करना, आगाह करना इसलिए जरूरी है की कुछ भी करे वो इसे रोके नहीं और उन्हें जहाँ भी जाना हो उस प्रोग्राम के बारे में फोन पे बात करें और उसे पोस्टपोन न करें, और उस इन्वेजन के पहले उस डेस्कटॉप में कुछ जड़ी बूटी डालना होगा अगले एक दो दिन के अंदर ही, और पहला काम होगा ए का की अगर कुछ ख़ास फ़ाइल हों तो उन्हें हटा लें, लेकन जड़ी बूटी से डाटा में किये किसी चेंज का पता नहीं चलेगा, ये भी नहीं लगेगा की किसी ने डेस्कटॉप को हाथ भी लगाया है दस पंद्रह दिन में।



दूसरी बात, जब वो इनवेडर डाटा हैक करेगा तो उसके साथ ही वो ट्राजन भी, लेकिन किसी भी एंटीवायरस से उस ट्राजन का पता नहीं चलेगा, वो अपना स्ट्रक्चर डाटा फ़ाइल की तरह ही कर लेगा, और उस ट्राजन के साथ जीपीएस लगा होगा तो जहाँ जहाँ डाटा जाएगा उस की लोकेशन पता चल जायेगी। और जियोटैगिंग कर के आगे की बात,



फिर ये डाटा किसी सेटलाइट से नहीं बल्कि कुरियर से यानी फिजिकल ही जाएगा, तो एक नहीं तो दो या तीन कुरियर बदले जाएंगे तो उस हमलावर से अगर कोई चीज चिपक जाए, तो बस उस को टैग करके, फिजिकली उसका पीछा करके, सोर्स तक पहुंचा जा सकता है लेकिन अब इन तीनो कामो के लिए ए से कांटेक्ट करना और वहां कुछ रक्षा मंत्र चलाना जरूरी है,

तो अभी ये दो काम ही थे, एक तो मलाड मानुष का पता करना और दूसरे जीरो प्वाइंट से कम्युनिकेशन एस्टब्लिश करना, और बिना उस घर से कॉनटेक्ट किये,.... ये साफ़ था की घर और आफिस के सारे फ़ोन और कंप्यूटर कम्प्रोमाइज्ड होंगे।



उनका दो घंटे और सोने का प्रोग्राम पानी में चला गया।

उन्हें साढ़े नौ बजे कोलाबा में लियोपॉल्ड में किसी से ब्रेकफास्ट पर मिलना था और फिर पौने ग्यारह बजे कैफे मोंडेगर में।और एक बजे वो एयर होस्टेस आ रही होगी, केपटाउन से डाटा की फ़ाइल ले के उससे मिलना।



एम् पहले लियोपॉल्ड और फिर ठीक ११ बजे कैफे मोंडेगर में थे।

उसके बाद वो दूसरे काम पर लग गए, मलाड मानुष के।

कैफे मोंड़ेगर में जो उनकी बातचीत हुयी उससे काफी कुछ पता चला, मलाड मानुष का न सिर्फ नाम पता बल्कि करीब करीब पूरी कुंडली। मुंबई स्टॉक एक्सचेंज के अलावा बाहर के भी कई स्टॉक एक्सचेंज में वो ट्रेडिंग करता है और उसका एक्सपर्टीज, फायनेसियल्स को जांचना, आगे होने वाले कोलेप्सेज को फोरकास्ट करना,

बल्कि मोंड़ेगर कैफे में उनके मिलने वाले ने तो यहाँ तक कहा की वो मर्सी किलिंग में भी उस्ताद है। मतलब जो कम्पनी डूबने के कगार पे हो ( या कोई उस कम्पनी को डुबाना चाहता हो ) उसे बजाय हलाल करने के वो एक झटके में ख़तम करने में एक्सपर्ट है। शेयर मार्केट में जो भी बीयर वाले आपरेशन होते हैं कहीं न कहीं उसके पीछे उसका दिमाग और हाथ रहता है, यहाँ तक की कई जो सो काल्ड स्टॉक मार्केट के बड़े बड़े बीयर या मंदी वाले एक्सपर्ट हैं उनके पीछे भी उसी का दिमाग काम करता है , लेकिन वो खुल के बहुत कम सामने आता है।

और आखिरी बात फोरेंसिक अकाउंटिंग में भी उसकी पकड़ है और सेबी में मिडिल लेवल में उसके बड़े कांटेक्ट हैं।



रोज शाम को ४ से ५ वो स्टॉक एक्सचेंज में जरूर आता है और उसके बाद यजदानी में बन मसका और नहीं तो बॉम्बे हाउस के बगल में एक चाय की दूकान है वहां पर।

===

और अब वह अगली मुहीम पे लग गए, केपटाउन से डाटा लाने वाली एयरहोस्टेस से कांटेक्ट के लिए और उसके लिए उन्हें एयरपोर्ट जाना था।
वाओ सारा डाटा एक एयर होस्टेस के जरिये पहोंचाया जाता. अब मिलिंद और नवलकर ने वहां डाका डाल दिया. लेकिन वो कौन है. यह आप ने नहीं बताया. उसे A नाम दिया. उस जगह सेंध मरना मुश्किल है. अब मल्हड़ मानुस और A का कनेक्शन. मल्हड़ मानुस के जरिये ही कंपनी डुबोई जाती और उन्हें ख़रीदा जाता. धीरे धीरे समझ आ रहा है. मुझे देर से ही समझ आता है.

9ce4dd12e72ff4de24f085dc0114119f dde138999ba7218b1765b327cad4b3cc
 
Top