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Incest जाल - The Trap {Insect, Thriller, Suspense}

omijust4u

KumuDni :)
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भाग ४)

किसी तरह पानी ले कर मैं अपने कमरे में आया.. पानी पीया …

फिर छत पर बहुत देर तक बैठा बैठा, अभी थोड़ी देर पहले घटी पूरे घटनाक्रम के बारे में सोचता रहा ….

रह रह के चाची का वो परम सुन्दर एवं अद्भुत आकर्षणयुक्त अर्ध नग्न शरीर का ख्याल जेहन में आ रहा था और हर बार न चाहते हुए भी मेरा हाथ मेरे जननांग तक चला जाता और फिर तेज़ी से सर को हिला कर इन विचारों को दिमाग से निकालने की कोशिश करता और ये सोचता की आखिर चाची कहीं किसी मुसीबत में तो नहीं??

ऐसे करते करते करीब पांच सिगरेट ख़त्म कर चूका था | पर कुछ समझ नहीं आ रहा था |

अंत में मेने सोचा जैसा चल रहा है.. चलने देता हूँ... जब बहुत ज़रूरत होगी तब बीच में टांग अड़ाऊँगा | और मैं कमरे में आया और सो गया।

अगले दिन सुबह अचानक किसी के हिलाने से मेरी नींद खुल गई।

मेरा सिर भारी लग रहा था। शायद रात में दिमाग पर ज्यादा जोर देने और ज्यादा सिगरेट पीने की वजह से था।

अपने आंखो को मसलते हुए मेने सामने देखा तो चाची मेरे करीब झुककर अपने हाथो से मेरी बांह को पकड़ कर हिला रही थी।

उनके झुकने की वजह से उनके दोनो उभारों के बीच की गहरी घाटी मुझे दिखने लगी। उनके बदन से आती मनमोहक खुशबू मुझे उनकी ओर आकर्षित कर रही थी। शायद अभी अभी वो नहा कर आई थी। बाल अभी भी गीले और खुले हुए थे जिन में से पानी की कुछ बूंदे अभी भी टपक कर मेरे ऊपर गिर रही थी। उन्होंने डार्क रेड कलर की एक नाइटी पहनी हुई थी। उनके चेहरे पर एक बनावटी गुस्सा था। जिसमे वो और भी प्यारी लग रही थी। मेरा तो मन कर रहा था की अभी बिस्तर में पटक कर उनके दोनो उभारों को खूब जोर जोर से मसल दू।

"आंखे खोल के सो रहा है क्या? जरा टाइम देख। तेरे चाचा भी कई बार आवाज दे चुके है तुझे, और तू है की अभी तक सो रहा है।"

"चल उठ ये काफी पी और जल्दी से फ्रेश हो जा।"

अचानक चाची की बात सुनकर मैं अपने सपनो की दुनिया से बाहर आया। और अपनी नजरे चुराते हुए उनसे कहा,

"कु..कुछ नही चाची, आप चलो मैं फ्रेश हो कर आता हूं।"

शायद उन्होंने देख लिया था की मेरी नज़रे कहां थी और उन्होंने मेरे सर पर हाथ फेरा और एक शरारती मुस्कान के साथ बाहर चली गई।

मैं भी काफी पिया और फ्रेश होकर नीचे चला गया।

चाची भी काफ़ी नॉर्मल बिहेव कर रही थी | उन्हें देख कर लग ही नहीं रहा था की कल रात को कुछ हुआ था ….

हम सबने मिलकर नाश्ता किया … ; चाचा नाश्ता ख़त्म कर ठीक नौ बजते ही ऑफिस के लिए निकल गए | मैं सोफे पर बैठा पेपर पढ़ रहा था की तबही चाची ने कहा,

“अभय .. मुझे कुछ काम है.. इसलिए मुझे निकलना होगा .. आने में लेट होगा.. शायद ग्यारह या बारह बज जाये आते आते... तुम चिंता मत करना .. खाना बना कर रखा हुआ है .. ठीक टाइम पर खा लेना.. ओके? और हाँ.. किसी का फ़ोन आये तो कहना की चाची किसी सहेली से मिलने गयी है.. आ कर बात कर लेगी... ठीक है?”

एक ही सांस में पूरी बात कह गयी चाची |

मैंने जवाब में सिर्फ गर्दन हिलाया.. |

मैं सोचा, ‘यार... इसका मतलब साढ़े नौ बजे वाली बात इनका घर से निकलने का था.. शायद अपने कहे गए टाइम तक ये वापस आ भी जाये पर ये ऐसा क्यूँ कह रही है की कोई फ़ोन करे तो कहना की चाची किसी सहेली से मिलने गई है... पता नहीं क्यों मुझे ये झूठ सा लग रहा है |’

चाची अच्छे से तैयार हो कर ड्राइंग रूम में आई --- मैं वहीँ था --- चाची को देख कर मैं तो सीटी मारते मारते रह गया .....

आसमानी रंग की साड़ी ब्लाउज में क़यामत लग रही थी चाची...

आई ब्रो बहुत करीने से ठीक किया था उन्होंने ...

चेहरे पर हल्का पाउडर भी लगा था ...

एक मीठी भीनी भीनी से खुशबू वाली परफ्यूम लगाया था उन्होंने ...

सीने पर साड़ी का सिर्फ एक प्लेट था.... हल्का रंग और पारदर्शी होने के कारण उनका क्लीवेज भी दिख रहा था जोकि ब्लाउज के बीच से करीब दो इंच निकला हुआ था ...

उनका सोने का मंगलसूत्र का अगला सिरा ठीक उसी क्लीवेज के शुरुआत में जा कर लगा हुआ था ! ----

दृश्य तो वाकई में सिडकटिव था, कुल मिलाकर आइटम बॉम लग रही थी ........!

मुझे दरवाज़ा अच्छे से लगा लेने और समय पर खा लेने जैसे कुछ निर्देश दे कर वो बाहर चली गई ---

मैं उनके पीछे पीछे बाहर दरवाज़े तक गया .. क्यों न जाऊँ भला ... 70% खुली पीठ और उठे हुए मदमस्त नितम्बों को करीब से निहारने का कोई भी मौका गंवाना नहीं चाहता था...

चाची इठला कर चलती हुई मेन गेट से बाहर निकल चारदिवारी में मौजूद ख़ूबसूरत लॉन को पार कर, लोहे के बड़े से गेट को खोल कर; उसे दुबारा लगा कर सड़क पर जा पहुँची थी अब तक... उनके इतना दूर जाते ही मैं दुबारा अपने जननांग को बरमुडा के ऊपर से रगड़ने, कुचलने लगा ... उफ्फ .. कोई इतनी परिपूर्ण रूप से सुन्दर कैसे हो सकती है ...

मेन डोर से खड़े रह कर ही चाची को रास्ते के मोड़ पर से एक ऑटो पकड़ते देखा... और तब तक देखता रहा जब तक की वह ऑटो आँखों से ओझल नहीं हो गया .. |

और ओझल होते ही,

दरवाज़ा लगा कर अंदर आया...

मैं चाची की सुन्दरता में खोया खोया सा हो कर वापस उसी सोफ़े में आ कर धम्म से बैठा --- चाची के अंग अंग की खूबसूरती में मैं गोते लगा रहा था |

पिछले महीने तक चाची के विषय में ऐसा नही सोचता था मैं... पर नहीं ; ऐसा क्या बदला जिससे कि अब मैं उनकी और हमेशा दूसरी ही नज़र से देखने लगा था...

किसी स्वप्नसुंदरी से कम नहीं थी वो ...

इसी तरह सोचते सोचते ना जाने कितना समय निकल गया ----

मैं अपने पैंट के ऊपर से ही लंड को सहलाता रहा ---- काफ़ी देर बाद उठा और जा कर नहा लिया.. दोपहर के खाने का टाइम तो नहीं हुआ था पर पता नहीं क्यों भूख लग गयी थी ?

साढ़े बारह बज रहे थे ---

चाची को याद करते करते खाना खाया और जा के सो गया |

-----

टिंग टंग टिंग टोंग टिंग टोंग टिंग टोंग...

घर की घंटी बज रही थी ----

जल्दी बिस्तर से उठकर मेन डोर की ओर गया --- जाते समय अपने रूम के वाल क्लोक पर एक सरसरी सी नज़र डाली मैंने...

तीन बज रहे थे !

कोई प्रतिक्रिया करने का समय नहीं था ---

डोर बेल लगातार बजा जा रहा था --- जल्दी से दरवाज़ा खोला मैंने ---- देखा सामने चाची थी ....

आँखें थकी थकी सी... चेहरे पर भी थकान की मार थी ... चेहरे पर हल्का पीलापन ... मेकअप ख़राब ... हल्के दर्द के भाव ---

सामने के बाल बेतरतीब ... !

साड़ी भी कुछ अजीब सा लग रहा था --- ब्लाउज के बाँह वाले हिस्से को देखा... उसपे भी सिलवटें थीं...

चाची बिना कुछ बोले एक हलकी सी मुस्कान दे कर अन्दर चली गयी पर ये वो मुस्कान नही थी जो जाते समय मेने उनके चेहरे पर देखा था। यह एक बनावटी मुस्कान लग रही थी ----

मैं पीछे से उन्हें जाते हुए देखता रहा... ---

तभी दो बातें मुझे अजीब लगीं ...

एक तो चाची का थोड़ा लंगड़ा कर चलना और दूसरा उनके गदराई साफ़ पीठ पर २-३ नाखूनों के दाग..!

मेरा सिर चकराया ...

आखिर चाची के साथ ये क्या हो रहा है ? कहीं वही तो नहीं जो मैं सोच रहा हूँ ?! ये सब दृश्य और पिछली रात की बाते ... न चाहते हुए भी मेरे मन उसी अनहोनी की तरफ बार बार जा रहा था। क्या चाची किसी के साथ? ... क्या चाची को कोई... नही नही... ये सब सोच के मेरी सांसे तेज हो गई। धड़कन तेज गति से धड़कने लगा। मेरे पाव वही जम से गए।

मेरे एक दोस्त ने एकबार मुझे याददाश्त तेज़ करने का एक छोटा सा परन्तु असरदार तरीका बतलाया और सिखाया था ... उसका एक लाभ ये भी था कि यदि इसे बिल्कुल सही ढंग से किया जाए तो यह ऐसी चीज़ों का भी याद दिला देता है जो हमने देखा या सुना तो ज़रूर होता है पर क्षण भर में निकाल भी दिया होता है ...

किसी योग सिखाने वाले से सीखा था उसने...

मैं तुरंत अपने रूम में गया... दरवाज़ा अच्छे से बंद किया और बिस्तर पर आराम से लेट गया ---

8-10 बार धीरे और गहरी साँस लिया ... तन के साथ साथ मन भी शांत होता गया...

अब दिन भर के घटनाक्रम को याद करने लगा ... किसी फ़िल्म की भांति चलने लगा सभी घटनाक्रम को ... पर, उल्टा.! सुबह उठने से लेकर अभी तक जो कुछ हुआ, उसे अब उल्टा, अर्थात अभी से लेकर सुबह तक के बीच घटी घटनाओं को याद करने लगा... सब कुछ बिल्कुल वैसा ही हुआ... पर ...

पर,

एक बात खटका...

चाची जब सड़क के मोड़ से ऑटोरिक्शा में बैठ कर आगे बढ़ी थी, तो उस समय एक लाल रंग की वैन धीरे से उनके पीछे हो ली थी..! मुझे अब पक्का याद आ रहा है कि चाची के रास्ते को पार कर मोड़ तक पहुँचने तक वह लाल वैन वहीं मौजूद थी... खड़ी थी --- और फ़िर चाची के ऑटोरिक्शा पकड़ कर आगे बढ़ते ही वो वैन आगे सधी हुई गति से उसके पीछे लग गई... वैन के भीतर के लोग नज़र नहीं आये..

दो कारणों से, एक तो वैन से लेकर हमारे घर तक की दूरी बहुत है और दूसरी बात यह कि अगर इतनी दूरी नहीं भी होती तो; तो भी देख पाना संभव नहीं था.. क्योंकि वैन के शीशे काले रंग के थे...

मन व्यथित हो उठा... चिंता से सराबोर ...

‘ओफ्फ्फ़... चाची.... क्या कर रही हो... कहाँ....कैसे.....और......’

बहुत देर सोचता रहा और ----

सोचते सोचते ही मेरी आँख भी लग गई.....

क्रमशः

**************************
 

Raja jani

आवारा बादल
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संजू भाई की स्टाईल मे लिखी जा रही है बहुत अच्छे।
 
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Reactions: kamdev99008
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kamdev99008

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Bhai original story ka kya naam hai?
संजू भाई की स्टाईल मे लिखी जा रही है बहुत अच्छे।
kya yaha bhi complete hogi ye kahani yaa nahi ??.suspense ki wajah se.ye sabse best kahani hai par koi isko pura nahi kar paaya ..
shayad ye writer kar de .
Xossip se lekar yahan xforum tak...
Original writer bhaiya ji ne adhuri chhod rakhi hai
अद्भुत जाल ke nam se

ये स्टोरी 4 साइट पर तो आरिजिनल राइटर ने अधूरी छोड़ी है....
कॉपी पेस्ट तो और भी ज्यादा हैं........... अब कहाँ जाओगे
Dekhte hain ab ye bhai continue kar pate hain aur complete kar pate hain ya nahi

 
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