Kya mast update diya apneचुन्नू
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वो लोग घर से बाहर गए और मैं किचेन में साथ में सासू जी और मेरी ननद ,
मैं चाय बना रही थी की सासू जी ने बोला की सुन तेरी जेठानी वो मंजू कल आयी थी तुझे याद कर रही थी , आज कल तेरे जेठ भी बाहर गए हैं "
मंजू यानी चुन्नू की भाभी ,
"मैं भी सोच रही थी जरा उन के यहाँ हो आऊं " सासू जी और ननद को चाय देते हुए में बोली ,
" हाँ बड़ी हैं फिर आज भी आने जाने लायक है , कल से तो तीन दिन तक होली का हुड़दंग ही चलेगा , ... " सासू जी ने चाय सुड़कते हुए कहा ,
थोड़ी देर में मैं मंजू भाभी के घर की ओर थी।
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मेरे मन में जो नैना ने चुन्नू के बारे में बोला था , वो घूम रहा था।
मंजू भाभी ने मुझे देखते ही मुस्कराकर कहा, जाओ, ऊपर के कमरे में है कल से ही बहुत गुस्सा है तुमसे, जब से पेपर दे के आया है,
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' तो मैं ही मनाऊंगी, ... बस आती हूँ देवर जी को मना के "
और सीढ़ी से मैं ऊपर चढ़ के उसके कमरे में , मुंह उसका फूला था, होली के मौसम में कोई मायके जाता है, पर उनका तो फायदा हो गया न सास, सलहज, साली सबका मज़ा लिया और छोटी साली को उठा भी ले आये, ...
पर अभी तो मुझे रूठे देवर को मनाना था,... '
मुंह उसका फूला था, मुझे देख के दूसरी ओर चेहरा कर लिया, पर उसकी दवा आती थी मुझे , मैंने गुदगुदी लगाई , पर हँसते हँसते वो बोला, ...
" जाइये मैं नहीं बोलता आपसे , एक तो होली में इम्तहान, और कल पेपर के बाद क्यों नहीं आयीं,... "
" गलती हो गयी, सजा दे दो पर गुस्सा मत हो और अभी तो हमारी तुम्हारी होली भी बाकी है , लेकिन पहले ये बताओ पेपर कैसा हुआ,... "
मैं उससे सट के बैठ गयी, नैना की बात एकदम सही थी , स्साला लेने लायक हो गया है।
अब उसके चेहरे पे मुस्कान आयी,... बोला, ...
" तभी तो मैं और गुस्सा हूँ आपसे, जो बताया था आपने पढ़ाया था, बस पेपर एकदम वैसा,... बाकी सब तो रो रहे थे , लेकिन मेरा एकदम बहुत अच्छा और आयी नहीं आप। "
मैंने मन ही मन सोचा अभी असली पढ़ाई रज्जा तेरी करानी बाकी है , पहले मैं मजा लूंगी , फिर तेरी बहनों पे तुझे चढ़ाउंगी , सगी न सही , चचेरी, फुफेरी सही।
" अरे अभी तो मेरी तेरी होली उधार है , अब तो इम्तहान का बहाना भी नहीं है , " उसका गाल सहलाते मैं बोली।
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" नहीं नहीं , भाभी प्लीज मैं होली नहीं खेलता, ... "
छटकते वो बोला।
और इसी अदा पे तो मैं निहाल हो गयी। बहुत मज़ा आता है इन कमसिन उमर वालों पर जबरदस्ती करने में,
" तुम मत खेलना, मैं तो खेलूंगी, सबसे छोटे देवर हो मेरे, होली में भले बच गए इम्तहान के चक्कर में लेकिन अब थोड़ी , और अभी तो चार दिन पूरे बचे हैं "
और एक बार फिर गुदगुदी लगाते मैं पहले पेट , फिर मेरा हाथ नेकर के अंदर और मैंने उसे पकड़ लिया,
ठीक ठाक बल्कि अच्छा खासा था, ... मेरे पकड़ते ही वो कसमसाने लगा, जैसे कोई जीजा होली में साली की नयी नयी आती चूँची पकड़ के दबा दे,...
पर न जीजा छोड़ते हैं और न मैं छोड़ने वाली थी और थोड़ी ही देर में सोते से वो जग गया, मूसल चंद तो नहीं लेकिन साढ़े पांच छह से तो कम नहीं ही रहा होगा, और कड़ा भी बहुत ,
लेकिन सबसे अच्छी बात, जो इस उमर के लड़कों में होती है छूते ही टनटना गया. वो छटपटा रहा था छूटने की कोशिश कर रहा था, लेकिन बार चिड़िया चंगुल में आ जाए तो फिर,...
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कुछ देर तक तो मैं दबाती रही, बस उसके कड़ेपन का मोटापे का अंदाज ले रही थी, बहुत अच्छा लग रहा था, फिर हलके हलके सहलाते मैंने छेड़ा,
" हे देवर जी, एच पी,... अरे हैंडप्रैक्टिस करते हो न,... किसका नाम ले ले कर अपनी किस बहन "
उसकी कोई सगी तो थी नहीं तो चचेरी बहनों का नाम ले ले कर मैंने छेड़ा, नीता, मीता, नैना, रीता, किस किस का, या और है कोई
Bahut mast !!!, har baar sagi hata ke chacheri mausheri behan le aati ho , aap bhi badi woo ho jiचुन्नू
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वो लोग घर से बाहर गए और मैं किचेन में साथ में सासू जी और मेरी ननद ,
मैं चाय बना रही थी की सासू जी ने बोला की सुन तेरी जेठानी वो मंजू कल आयी थी तुझे याद कर रही थी , आज कल तेरे जेठ भी बाहर गए हैं "
मंजू यानी चुन्नू की भाभी ,
"मैं भी सोच रही थी जरा उन के यहाँ हो आऊं " सासू जी और ननद को चाय देते हुए में बोली ,
" हाँ बड़ी हैं फिर आज भी आने जाने लायक है , कल से तो तीन दिन तक होली का हुड़दंग ही चलेगा , ... " सासू जी ने चाय सुड़कते हुए कहा ,
थोड़ी देर में मैं मंजू भाभी के घर की ओर थी।
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मेरे मन में जो नैना ने चुन्नू के बारे में बोला था , वो घूम रहा था।
मंजू भाभी ने मुझे देखते ही मुस्कराकर कहा, जाओ, ऊपर के कमरे में है कल से ही बहुत गुस्सा है तुमसे, जब से पेपर दे के आया है,
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' तो मैं ही मनाऊंगी, ... बस आती हूँ देवर जी को मना के "
और सीढ़ी से मैं ऊपर चढ़ के उसके कमरे में , मुंह उसका फूला था, होली के मौसम में कोई मायके जाता है, पर उनका तो फायदा हो गया न सास, सलहज, साली सबका मज़ा लिया और छोटी साली को उठा भी ले आये, ...
पर अभी तो मुझे रूठे देवर को मनाना था,... '
मुंह उसका फूला था, मुझे देख के दूसरी ओर चेहरा कर लिया, पर उसकी दवा आती थी मुझे , मैंने गुदगुदी लगाई , पर हँसते हँसते वो बोला, ...
" जाइये मैं नहीं बोलता आपसे , एक तो होली में इम्तहान, और कल पेपर के बाद क्यों नहीं आयीं,... "
" गलती हो गयी, सजा दे दो पर गुस्सा मत हो और अभी तो हमारी तुम्हारी होली भी बाकी है , लेकिन पहले ये बताओ पेपर कैसा हुआ,... "
मैं उससे सट के बैठ गयी, नैना की बात एकदम सही थी , स्साला लेने लायक हो गया है।
अब उसके चेहरे पे मुस्कान आयी,... बोला, ...
" तभी तो मैं और गुस्सा हूँ आपसे, जो बताया था आपने पढ़ाया था, बस पेपर एकदम वैसा,... बाकी सब तो रो रहे थे , लेकिन मेरा एकदम बहुत अच्छा और आयी नहीं आप। "
मैंने मन ही मन सोचा अभी असली पढ़ाई रज्जा तेरी करानी बाकी है , पहले मैं मजा लूंगी , फिर तेरी बहनों पे तुझे चढ़ाउंगी , सगी न सही , चचेरी, फुफेरी सही।
" अरे अभी तो मेरी तेरी होली उधार है , अब तो इम्तहान का बहाना भी नहीं है , " उसका गाल सहलाते मैं बोली।
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" नहीं नहीं , भाभी प्लीज मैं होली नहीं खेलता, ... "
छटकते वो बोला।
और इसी अदा पे तो मैं निहाल हो गयी। बहुत मज़ा आता है इन कमसिन उमर वालों पर जबरदस्ती करने में,
" तुम मत खेलना, मैं तो खेलूंगी, सबसे छोटे देवर हो मेरे, होली में भले बच गए इम्तहान के चक्कर में लेकिन अब थोड़ी , और अभी तो चार दिन पूरे बचे हैं "
और एक बार फिर गुदगुदी लगाते मैं पहले पेट , फिर मेरा हाथ नेकर के अंदर और मैंने उसे पकड़ लिया,
ठीक ठाक बल्कि अच्छा खासा था, ... मेरे पकड़ते ही वो कसमसाने लगा, जैसे कोई जीजा होली में साली की नयी नयी आती चूँची पकड़ के दबा दे,...
पर न जीजा छोड़ते हैं और न मैं छोड़ने वाली थी और थोड़ी ही देर में सोते से वो जग गया, मूसल चंद तो नहीं लेकिन साढ़े पांच छह से तो कम नहीं ही रहा होगा, और कड़ा भी बहुत ,
लेकिन सबसे अच्छी बात, जो इस उमर के लड़कों में होती है छूते ही टनटना गया. वो छटपटा रहा था छूटने की कोशिश कर रहा था, लेकिन बार चिड़िया चंगुल में आ जाए तो फिर,...
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कुछ देर तक तो मैं दबाती रही, बस उसके कड़ेपन का मोटापे का अंदाज ले रही थी, बहुत अच्छा लग रहा था, फिर हलके हलके सहलाते मैंने छेड़ा,
" हे देवर जी, एच पी,... अरे हैंडप्रैक्टिस करते हो न,... किसका नाम ले ले कर अपनी किस बहन "
उसकी कोई सगी तो थी नहीं तो चचेरी बहनों का नाम ले ले कर मैंने छेड़ा, नीता, मीता, नैना, रीता, किस किस का, या और है कोई
Sandarrचुन्नू
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वो लोग घर से बाहर गए और मैं किचेन में साथ में सासू जी और मेरी ननद ,
मैं चाय बना रही थी की सासू जी ने बोला की सुन तेरी जेठानी वो मंजू कल आयी थी तुझे याद कर रही थी , आज कल तेरे जेठ भी बाहर गए हैं "
मंजू यानी चुन्नू की भाभी ,
"मैं भी सोच रही थी जरा उन के यहाँ हो आऊं " सासू जी और ननद को चाय देते हुए में बोली ,
" हाँ बड़ी हैं फिर आज भी आने जाने लायक है , कल से तो तीन दिन तक होली का हुड़दंग ही चलेगा , ... " सासू जी ने चाय सुड़कते हुए कहा ,
थोड़ी देर में मैं मंजू भाभी के घर की ओर थी।
![]()
मेरे मन में जो नैना ने चुन्नू के बारे में बोला था , वो घूम रहा था।
मंजू भाभी ने मुझे देखते ही मुस्कराकर कहा, जाओ, ऊपर के कमरे में है कल से ही बहुत गुस्सा है तुमसे, जब से पेपर दे के आया है,
![]()
' तो मैं ही मनाऊंगी, ... बस आती हूँ देवर जी को मना के "
और सीढ़ी से मैं ऊपर चढ़ के उसके कमरे में , मुंह उसका फूला था, होली के मौसम में कोई मायके जाता है, पर उनका तो फायदा हो गया न सास, सलहज, साली सबका मज़ा लिया और छोटी साली को उठा भी ले आये, ...
पर अभी तो मुझे रूठे देवर को मनाना था,... '
मुंह उसका फूला था, मुझे देख के दूसरी ओर चेहरा कर लिया, पर उसकी दवा आती थी मुझे , मैंने गुदगुदी लगाई , पर हँसते हँसते वो बोला, ...
" जाइये मैं नहीं बोलता आपसे , एक तो होली में इम्तहान, और कल पेपर के बाद क्यों नहीं आयीं,... "
" गलती हो गयी, सजा दे दो पर गुस्सा मत हो और अभी तो हमारी तुम्हारी होली भी बाकी है , लेकिन पहले ये बताओ पेपर कैसा हुआ,... "
मैं उससे सट के बैठ गयी, नैना की बात एकदम सही थी , स्साला लेने लायक हो गया है।
अब उसके चेहरे पे मुस्कान आयी,... बोला, ...
" तभी तो मैं और गुस्सा हूँ आपसे, जो बताया था आपने पढ़ाया था, बस पेपर एकदम वैसा,... बाकी सब तो रो रहे थे , लेकिन मेरा एकदम बहुत अच्छा और आयी नहीं आप। "
मैंने मन ही मन सोचा अभी असली पढ़ाई रज्जा तेरी करानी बाकी है , पहले मैं मजा लूंगी , फिर तेरी बहनों पे तुझे चढ़ाउंगी , सगी न सही , चचेरी, फुफेरी सही।
" अरे अभी तो मेरी तेरी होली उधार है , अब तो इम्तहान का बहाना भी नहीं है , " उसका गाल सहलाते मैं बोली।
![]()
" नहीं नहीं , भाभी प्लीज मैं होली नहीं खेलता, ... "
छटकते वो बोला।
और इसी अदा पे तो मैं निहाल हो गयी। बहुत मज़ा आता है इन कमसिन उमर वालों पर जबरदस्ती करने में,
" तुम मत खेलना, मैं तो खेलूंगी, सबसे छोटे देवर हो मेरे, होली में भले बच गए इम्तहान के चक्कर में लेकिन अब थोड़ी , और अभी तो चार दिन पूरे बचे हैं "
और एक बार फिर गुदगुदी लगाते मैं पहले पेट , फिर मेरा हाथ नेकर के अंदर और मैंने उसे पकड़ लिया,
ठीक ठाक बल्कि अच्छा खासा था, ... मेरे पकड़ते ही वो कसमसाने लगा, जैसे कोई जीजा होली में साली की नयी नयी आती चूँची पकड़ के दबा दे,...
पर न जीजा छोड़ते हैं और न मैं छोड़ने वाली थी और थोड़ी ही देर में सोते से वो जग गया, मूसल चंद तो नहीं लेकिन साढ़े पांच छह से तो कम नहीं ही रहा होगा, और कड़ा भी बहुत ,
लेकिन सबसे अच्छी बात, जो इस उमर के लड़कों में होती है छूते ही टनटना गया. वो छटपटा रहा था छूटने की कोशिश कर रहा था, लेकिन बार चिड़िया चंगुल में आ जाए तो फिर,...
![]()
कुछ देर तक तो मैं दबाती रही, बस उसके कड़ेपन का मोटापे का अंदाज ले रही थी, बहुत अच्छा लग रहा था, फिर हलके हलके सहलाते मैंने छेड़ा,
" हे देवर जी, एच पी,... अरे हैंडप्रैक्टिस करते हो न,... किसका नाम ले ले कर अपनी किस बहन "
उसकी कोई सगी तो थी नहीं तो चचेरी बहनों का नाम ले ले कर मैंने छेड़ा, नीता, मीता, नैना, रीता, किस किस का, या और है कोई
बस मजा आ गया दीदीभाग १७
छुटकी - प्यार दुलार और,...
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आज का दिन होली तो होती नहीं गाँव में , पर मैंने तय कर लिया था की आज शाम अपनी जेठानी मंजू के यहाँ एक चक्कर जरूर लगा के आउंगी।
तब तक सासू की आवाज आ गयी , खाने के लिए और मैं अंदर ,...
,,,,,
छुटकी अभी भी मेरी सासू जी की गोद में ठसके से खाने की टेबल पर बैठी थी , और उसके एक ओर मेरी मंझली ननद थीं , दूसरी ओर मैं बैठ गयी। सामने ये और नन्दोई जी , छुटकी उन दोनों लोगों को ललचा रही थी , इनसे ज्यादा मेरे ननदोई जी लार टपका रहे थे मेरी छोटी बहन की कच्ची अमिया देख कर , और ऊपर से मेरी सासू जी जिस तरह छुटकी के गाल सहला रहीं थी , कभी कभी हलके से चिकोटी काट लेतीं , मैं समझ रही थी , दुलार से ज्यादा वो रस ले रही थीं और मेरी ननद तो और , उसके उभारों को पकड़ के अपने मर्द को ललचा रही थीं।
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मैं समझ गयी मेरी छोटी बहन की जितनी रगड़ाई , उसके जिज्जा और डबल जिज्जा ( मेरे ननदोई ) करेंगे उससे कहीं ज्यादा ये महिलायें करेंगीं।
सास मेरी प्यार से उसे अपने हाथ से खिला रहीं थी , अगर वो मना भी करती तो ,
खाने के बाद मैं आ कर अपने कमरे में सो गयी , छुटकी को सासू जी अपने साथ ले गयी थीं , अपने कमरे में।
मेरी नींद घंटे भर बाद खुली , सांझ थोड़ी देर में होने वाली थी , और छुटकी मुझे जगा रही थी।
"क्या हुआ सोने दे न , रात को तेरे जीजा नहीं सोने देते और अब दिन में तू भी ,... " मैं झुंझलाते हुए बोली।
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" दी , मुझे चाहे जो कह लीजिये , लेकिन मेरे इतने अच्छे वाले जीजा को कुछ मत कहिये , वरना झगड़ा हो जाएगा ,... " खिलखिलाते हुए वो बोली ,
मैंने आँखे खोली और मुझे विश्वास नहीं हुआ , हॉट नहीं सुपरहॉट ,
मैंने बोला था न की छुटकी चेहरा अपनी उम्र से भी कम एकदम भोला ,लगता था अभी दूध के दांत भी नहीं टूटे हों , लेकिन फिगर उसकी क्लास की लड़कियों से बीस नहीं बाइस पर आज उसका चेहरा भी एकदम ,... नमक तो उसके चेहरे पर हरदम था , लेकिन आज वो एकदम ,...
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मैं मुस्करायी
और छुटकी भी मुस्करायी ,
सासू माँ का कमाल , उसकी बड़ी बड़ी आँखों में उन्होंने पतली सी काजल की रेख जो डाल दी थी , हल्का सा मस्कारा और आई ब्रो ,
आँखे सच में कटार लग रही थीं , और ऊपर से जस्ट अ टच ऑफ़ लिपस्टिक , डार्क रेड , एकदम किसेबल ,
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मैंने उसे दुलार से अपनी बाहों में भर लिया ,...
पर वह छटक के अलग हो गयी ,
" उठिये न , बड़ी मुश्किल से जीजू माने हैं , वो तो डबल जीजू ,... और माँ " ( मेरी सास को वो माँ कहने लगी थी )
पता ये चला की छुटकी ने ही जीजू से अपने कहा की वो बोर हो रही है , तो मेरे नन्दोई ने उससे बोला की चल तुझे आम के बगीचे में घुमा लाते हैं , सांझ को लौट आएंगे , इन्होने अपनी साली को छेड़ते हुए बहाना बनाया तो मेरी सास की ओर से इन्हे डांट पड़ गयी , जाओ न तुम दोनों घुमा लाओ उसको , सुबह से घर में बैठी है , थोड़ा गाँव भी देख लेगी , .... "
और उस के बाद मेरी सास ने उसे तैयार कर दिया , अरे गाँव में निकल रही मेरी बेटी तो गाँव वालों को मालूम तो होना चाहिए शहर से कोई आया है।
( असल में प्लान तो इनका भी यही था की अमराई में उसके पिछवाड़े का ,...
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और ननदोई जी ने इनसे उगलवा लिया था की पिछवाड़े का ताला तो वही खोलेंगे ,... और पिछवाड़े के मामले में नन्दोई जी इनसे २२ नहीं तो २० थे ही , एक तो नन्दोई जी का मोटा बहुत था , फिर एकदम बेरहम , बेदर्द ,... ये तो तब भी बहुत ख्याल करते थे और अपनी बाग़ भी एकदम गझिन , दिन में भी न दिखाई पड़े , डेढ़ दो बीघे में फैली , पचासों आम के पे
इसमें भी डबल जीजा और सास का भी कुछ दिखाइए दीदी that will be More interestingभाग १७
छुटकी - प्यार दुलार और,...
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आज का दिन होली तो होती नहीं गाँव में , पर मैंने तय कर लिया था की आज शाम अपनी जेठानी मंजू के यहाँ एक चक्कर जरूर लगा के आउंगी।
तब तक सासू की आवाज आ गयी , खाने के लिए और मैं अंदर ,...
,,,,,
छुटकी अभी भी मेरी सासू जी की गोद में ठसके से खाने की टेबल पर बैठी थी , और उसके एक ओर मेरी मंझली ननद थीं , दूसरी ओर मैं बैठ गयी। सामने ये और नन्दोई जी , छुटकी उन दोनों लोगों को ललचा रही थी , इनसे ज्यादा मेरे ननदोई जी लार टपका रहे थे मेरी छोटी बहन की कच्ची अमिया देख कर , और ऊपर से मेरी सासू जी जिस तरह छुटकी के गाल सहला रहीं थी , कभी कभी हलके से चिकोटी काट लेतीं , मैं समझ रही थी , दुलार से ज्यादा वो रस ले रही थीं और मेरी ननद तो और , उसके उभारों को पकड़ के अपने मर्द को ललचा रही थीं।
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मैं समझ गयी मेरी छोटी बहन की जितनी रगड़ाई , उसके जिज्जा और डबल जिज्जा ( मेरे ननदोई ) करेंगे उससे कहीं ज्यादा ये महिलायें करेंगीं।
सास मेरी प्यार से उसे अपने हाथ से खिला रहीं थी , अगर वो मना भी करती तो ,
खाने के बाद मैं आ कर अपने कमरे में सो गयी , छुटकी को सासू जी अपने साथ ले गयी थीं , अपने कमरे में।
मेरी नींद घंटे भर बाद खुली , सांझ थोड़ी देर में होने वाली थी , और छुटकी मुझे जगा रही थी।
"क्या हुआ सोने दे न , रात को तेरे जीजा नहीं सोने देते और अब दिन में तू भी ,... " मैं झुंझलाते हुए बोली।
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" दी , मुझे चाहे जो कह लीजिये , लेकिन मेरे इतने अच्छे वाले जीजा को कुछ मत कहिये , वरना झगड़ा हो जाएगा ,... " खिलखिलाते हुए वो बोली ,
मैंने आँखे खोली और मुझे विश्वास नहीं हुआ , हॉट नहीं सुपरहॉट ,
मैंने बोला था न की छुटकी चेहरा अपनी उम्र से भी कम एकदम भोला ,लगता था अभी दूध के दांत भी नहीं टूटे हों , लेकिन फिगर उसकी क्लास की लड़कियों से बीस नहीं बाइस पर आज उसका चेहरा भी एकदम ,... नमक तो उसके चेहरे पर हरदम था , लेकिन आज वो एकदम ,...
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मैं मुस्करायी
और छुटकी भी मुस्करायी ,
सासू माँ का कमाल , उसकी बड़ी बड़ी आँखों में उन्होंने पतली सी काजल की रेख जो डाल दी थी , हल्का सा मस्कारा और आई ब्रो ,
आँखे सच में कटार लग रही थीं , और ऊपर से जस्ट अ टच ऑफ़ लिपस्टिक , डार्क रेड , एकदम किसेबल ,
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मैंने उसे दुलार से अपनी बाहों में भर लिया ,...
पर वह छटक के अलग हो गयी ,
" उठिये न , बड़ी मुश्किल से जीजू माने हैं , वो तो डबल जीजू ,... और माँ " ( मेरी सास को वो माँ कहने लगी थी )
पता ये चला की छुटकी ने ही जीजू से अपने कहा की वो बोर हो रही है , तो मेरे नन्दोई ने उससे बोला की चल तुझे आम के बगीचे में घुमा लाते हैं , सांझ को लौट आएंगे , इन्होने अपनी साली को छेड़ते हुए बहाना बनाया तो मेरी सास की ओर से इन्हे डांट पड़ गयी , जाओ न तुम दोनों घुमा लाओ उसको , सुबह से घर में बैठी है , थोड़ा गाँव भी देख लेगी , .... "
और उस के बाद मेरी सास ने उसे तैयार कर दिया , अरे गाँव में निकल रही मेरी बेटी तो गाँव वालों को मालूम तो होना चाहिए शहर से कोई आया है।
( असल में प्लान तो इनका भी यही था की अमराई में उसके पिछवाड़े का ,...
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और ननदोई जी ने इनसे उगलवा लिया था की पिछवाड़े का ताला तो वही खोलेंगे ,... और पिछवाड़े के मामले में नन्दोई जी इनसे २२ नहीं तो २० थे ही , एक तो नन्दोई जी का मोटा बहुत था , फिर एकदम बेरहम , बेदर्द ,... ये तो तब भी बहुत ख्याल करते थे और अपनी बाग़ भी एकदम गझिन , दिन में भी न दिखाई पड़े , डेढ़ दो बीघे में फैली , पचासों आम के पेड़ )
दीदी चुन्नू के साथ कुछ नया करिए not like that old Same thing (feminize but in new way as done in jkg) try some inovationछुटकी चली,...
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( असल में प्लान तो इनका भी यही था की अमराई में उसके पिछवाड़े का ,... और ननदोई जी ने इनसे उगलवा लिया था की पिछवाड़े का ताला तो वही खोलेंगे ,... और पिछवाड़े के मामले में नन्दोई जी इनसे २२ नहीं तो २० थे ही , एक तो नन्दोई जी का मोटा बहुत था , फिर एकदम बेरहम , बेदर्द ,... ये तो तब भी बहुत ख्याल करते थे और अपनी बाग़ भी एकदम गझिन , दिन में भी न दिखाई पड़े , डेढ़ दो बीघे में फैली , पचासों आम के पेड़ )
लेकिन मामला ये अटका था कपडे का , वो मेरे पास थे ,
" यही पहन के चली जाती " मैंने अपनी छोटी बहन को चिढ़ाया , लेकिन समझती मैं भी थी , वो भी ,
वो झुंझला रही थी , की हँसते हुए मैंने उसके उभारो को हलके से सहलाते हुए कहा , इसका ढक्कन ढूंढ रही हो , क्यों , तेरे जीजू तो देख ही चुके हैं।
" दी तू भी न , डबल जीजू भी तो चल रहे हैं न , दो न जल्दी ,... " वो चिढ़ते हुए बोली।
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बेचारी को क्या मालूम जीजू से डबल ताकत से उसके डबल जीजू ये कच्चे टिकोरे कुतरेंगे।
और उस को ये भी नहीं मालूम था की उसके कपड़ों में से सारी ब्रा चड्ढी मैंने वहीँ घर पर निकाल के रख दी , सिवाय एक ,
और एक जो उस ने पहन रखी थी , और वो उस के जीजू ने ट्रेन में ही निकाल के बाहर , ... तो जब वो गाँव में आयी बास फ्राक के नीचे कुछ नहीं था ,
हाँ एक ब्रा और पैंटी मैंने इस लिए छोड़ी थी ,... मैंने नन्दोई को अपने भाई से कहते सुना था ,
सुन स्साले , ... जो गाय सीधे से दुहने नहीं देती न , उसका पैर छान के , बस एक बार वो आ जाए वो ,... और जो तू कह रहा हैं न बार बार छोटी है , छोटी है ,... आने दे , जब यहाँ से जायेगी न तो जिस भोंसडे से निकली है उससे भी चौड़ा भोंसड़ा कर के हम लोग भेजेंगे "
छुटकी की समौरिया , .... एक अपनी चचेरी ननद को जो मैंने टोका तो मेरी जेठानी हँसते हुए बोली ,
" अरे ई सब अपने भइया के फायदे के लिए , हमारे देवर के फायदे के लिए करती हैं , जहाँ पाया निहुरा के फ्राक उठाया , ठोंक दिया। "
सच में गाँव में औरतों को छोड़िये लड़कियां भी चड्ढी बनयाईन कम ही पहनती थी , इसलिए
लेकिन अभी मैंने उसकी ब्रा पैंटी निकाल दी
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और एक टॉप स्कर्ट जो थोड़ी पुरानी थी , एकदम टाइट होती थी ,
और इसमें उसके कबूतर की चोंचे एकदम साफ़ झलक रही थीं , ... परफेक्ट , मैंने सोचा।
" हे जरा मुड़ पीछे से ठीक कर दूँ , जीजू और डबल जीजू दोनों के साथ जा रही है ," मैं बोली और स्कर्ट थोड़ी सी और ऊपर खींच दी।
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आलमोस्ट उसके गोरे गोरे मांसल नितम्बों की झलक साफ़ साफ़ दिख रही थी और वो हलकी सी भी झुकती तो उसकी सफ़ेद चड्ढी भी ,...
बाहर ये और नन्दोई जी बड़ी बेसबरी से छुटकी का इन्तजार कर रहे थे और उनके साथ मेरी मंझली ननद और सास भी ,
सासू जी ने छुटकी के पिछवाड़े अपना हाथ रख दिया और जिस तरह से वो सहला रही थीं , साफ़ था उनकी बीच की दोनों उँगलियाँ सीधे , छुटकी की पिछवाड़े दरार पर रगड़ रही थी , और
नन्दोई जी की निगाह वहीँ टिकी हुयी थी , एकदम चिड़िया की आँख की तरह , और असर उनके खूंटे पर हो रहा था , एकदम तना , पैंट में तम्बू तना हुआ ,
मैं उन्हें देख कर मुस्करा रही थी , चिढ़ा रही थी , उकसा रही थी , ...मेरी सास ने भी अपने दामाद को छेड़ते हुए कहा ,
" मेरी बेटी का ध्यान रखना , जरा अच्छी तरह से , बेटी बेटी में भेद मत करना ,... "
और ये बोलते हुए मेरी सास की दोनों उँगलियाँ ठीक छुटकी के पिछवाड़े स्कर्ट के ऊपर से , कस के जैसे उन्हें दिखाते हुए दबा दिया ,
![]()
बेचारे मेरे नन्दोई , एक कच्ची कली का कसा कुंवारा गदराया पिछवाड़ा , ... कलेजा उनका मुंह को आ गया।
मैं नन्दोई जी को चिढ़ाने का मौका क्यों छोड़ती , मैंने सासू जी से कहा ,
" अरे एकदम नहीं माँ जी , ये मेरी ननद और ननद की ननद में कोई भेद नहीं करते तो आपकी बेटी में कोई भेद क्यों करेंगे ,... "
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मेरी सास ने मुस्कराते हुए अपने बेटे को अब निर्देश जारी किया , " अरे घर लौटने की कोई जल्दी नहीं है , जरा मेरी बेटी को अच्छी तरह से ,... सब कुछ ,... और बेटी तुम भी घबड़ाना मत ,... "
बेचारी छुटकी उसे क्या मालूम था वो हिम्मत के साथ हँसते हुए बोली ,
" नहीं माँ , जीजू और डबल जीजू दोनों तो हैं मेरे साथ ,... "
वो लोग घर से बाहर गए और मैं किचेन में साथ में सासू जी और मेरी ननद ,
मैं चाय बना रही थी की सासू जी ने बोला की सुन तेरी जेठानी वो मंजू कल आयी थी तुझे याद कर रही थी , आज कल तेरे जेठ भी बाहर गए हैं "
मंजू यानी चुन्नू की भाभी ,
"मैं भी सोच रही थी जरा उन के यहाँ हो आऊं " सासू जी और ननद को चाय देते हुए में बोली ,
Kya mast update diya apne
Shandar chunnu ki tab khair nhi....
So hot update