मै जब घर पहुंचा तो देखा निशा कुछ उदास दिख रही है।पर मैं तो खुश था मैने निशा को बोला कि आज हम खाना बाहर से मांगा लेते है। निशा ने अपना गिफ्ट पैक अलमारी में फेंकते हुए कहा "ठीक है"। मैने खाना बाहर से ऑर्डर किया और खाने पीने के बाद मैने देखा कि निशा का मूड अभी भी ठीक नहीं है तो मैने उस से कहा को चलो नाइट ड्राइव पर चलते है ।उसने मना कर दिया और कहा कि तुम चले जाओ।मेरा मन न होते हुए भी मैने जाना ही ठीक समझा । रास्ते में मेरे दिमाग में दिन की सारी घटनाएं घूमने लगी कैसे असलम के सामने मेरी बीवी भी भीगी बिल्ली बन गई थी ये सब सोचते समय मैने देखा कि मेरा लन्ड फिर से खड़ा होने लगा ।मैने सोचा कि आज इसे क्या हो गया है हमेशा तो एक बार के बाद कभी खड़ा नहीं होता है और आज जब जब असलम और निशा के बारे में सोच रहा हु खड़ा हो जा रहा है।ये सब सोचते सोचते कब आधी रात हो गई पता ही नहीं चला।मै घर पहुंचा तो डोरबेल बजाई कोई रेस्पॉन्स नहीं आया तो मैने एक्स्ट्रा की से दरवाजा खोला और सीधा बेडरूम में घुस गया। वहां निशा ऐसे लेटी थी।।
उसकी गान्ड पर से कपड़ा हट गया था।मेरा लन्ड फिर से खड़ा होने लगा ।मै उसके पास पहुंचा और उसकी गान्ड को चूमने लगा
।उसने हल्की सी सिसकारी ली।मुझसे अब बर्दाश्त नहीं हो रहा था। इतनी सेक्सी लग रही थी मेरी बीवी मै उसके गान्ड को मसल रहा था ।
निशा की भी नींद अब खुल चुकी थी "आ गए तुम मै कब से वेट कर रही थी "। मैने महसूस किया कि वो भी तड़प रही थी
निशा ने अब भी वही पैंटी पहनी हुई थी ।मैने महसूस किया कि अब वह कुछ ज्यादा ही गीली थी मेरा लन्ड खड़ा हो गया था मैने निशा को चूमने की कोशिश की लेकिन अब निशा ने चार्ज ले लिया था। उसने मुझे नीचे किया और खुद ऊपर आ गई उसने खुद ही अपने हाथों से मेरा लन्ड अपनी चूत में डाल दिया मुझे तो जैसे स्वर्ग की अनुभूति मिल गई । उसकी गोल गान्ड जब नीचे गिर रही थी इतना सेक्सी अहसास था कि पूछो ही मत।
"डार्लिंग आज तो तुम कहर ढा रही हो" मैने कहा।
"बस मसल डालो मुझे और जोर से चोदो"।निशा ने मादक आवाज में कहा।
मैने ने पूरी जान लगा दी और निशा को तेजी से चोदने लगा ।
"येस बेबी और तेज और तेज" निशा ने एकदम तेजी से बोला।निशा काफी उत्तेजित हो चुकी थी और जब तक मैं कुछ समझ पाता मेरा वीर्य निकल गया और मेरा लन्ड सिकुड़ कर छोटा हो गया ।
मैने कहा सारी बेबी ।
"क्या बेबी अभी तो मैं गरम हुई थी"निशा थोड़े गुस्से से बोली।"तुम कुछ वियाग्रा वगैरह क्यों नहीं लेते "
मुझे थोड़ी शर्मिंदगी हुई मैने निशा को झटके से नीचे लिटा कर उसकी चूत में अपना मुंह लगा दिया और उसकी चूत में अपनी जीभ को घुसाने लगा।
निशा की उत्तेजना फिर से चरम पर पहुंचने लगी।
वो धीरे धीरे फिर से तेज सिसकारी लेने लगी।
मै कुत्ते की तरह उसकी चूत चाटे जा रहा था।
निशा अब मेरे मुंह पर ही बैठ कर अपनी चूत को मेरे मुंह पर तेजी से रगड़ रही थी।
चाटो मेरी गीली चूत को और चाटो तुम इसी काबिल हो"
निशा ने बड़बड़ाना शुरू किया।मुझसे अब सांस भी नहीं ली जा रही थी।मुझे पता था जब तक निशा की चूत से पानी नहीं निकलेगा वो ऊपर से नहीं हटेगी।मैने भी अपनी जीभ जल्दी से उसकी चूत के अंदर गोल गोल घुमानी शुरू कर दी।
जैसे ही मैने ऐसा किया उसकी चूत से पानी झरने की तरह बहने लगा।
मै पूरी तरह निशा के चूत के पानी से भीग चुका था ।
निशा भी निढाल हो के लेट गई उसने अपनी आँखें बंद की थी।मै भी धीरे धीरे से उठा और बाथरूम की तरफ चल दिया जब मैं वापस आया निशा वैसे ही नंगी ही सो चुकी थी मैने उसके ऊपर चादर डाली और दिन का पूरा घटनाक्रम एक बार फिर मेरे दिमाग में घूमने लगा और कब मुझे नींद आ गई पता ही नहीं चला।
ठीक उसी वक्त एक दूसरी जगह पर असलम एक औरत को तेजी से चोदे जा रहा था ।
"आह उफ्फ मम्मम मै मर गई थोड़ा धीरे धीरे करो न जान"
"धीरे धीरे करना हो तो अपने नल्ले पति के बिस्तर में ही रहा कर मेरे बिस्तर में तेरी औकात सिर्फ एक रण्डी से ज्यादा कुछ नहीं मै अपनी रण्डी को जैसे चाहूं वैसे चोदूंगा।"
"आह आज तो कुछ ज्यादा ही जोश में हो लगता है निशा ने कुछ भाव नहीं दिया तुम्हे।"
"चटाक "
असलम ने जोर का तमाचा उसको मारा और अपने लन्ड को उसकी चूत से निकाल कर उसकी गान्ड के छेद में लगाया "दिखाऊं तुझे जोश अपना"
"नहीं नहीं उसमें नहीं प्लीज "
"ये जो पैंटी तूने पहनी थी ना छीनाल ये निशा की है"
"क्या"
"अब तू सोच जब पहली ही मुलाक़ात में उसकी पहनी हुई पैंटी मेरे हाथ में तब वो कितनी जल्दी मेरे बिस्तर में आ जाएगी।"
"साली बनती तो बड़ी घरेलू और संस्कारी है"
"हर संस्कारी में एक रण्डी छुपी होती है बस उस निकालने वाला मर्द चाहिए"
"मतलब अब आप मुझे भूल जाएंगे "
""नहीं मेरी रण्डी तूने ही तो मुझे उसके बारे में बताया है एक बार तो तुम दोनों को एक साथ चोदूंगा। चल अब बहुत जबान चला ली अब मेरे लन्ड पर अपनी जबान चला।"
वो औरत अब एक भूखी शेरनी की तरह असलम के लन्ड को चाटने लगी ।कभी अपनी जीभ से सहलाती तो कभी होंठो से ।वो असलम के लन्ड को ऐसे चूसे जा रही थी जैसे उसने इस से स्वादिष्ट चीज कभी देखी ही ना हो।
असलम भी मजे ले रहा था।
"साली कुतिया कभी लन्ड नहीं मिला क्या तुझे खा ही जाएगी क्या"
"ऐसे लन्ड की सेवा करने का मौका सबको नहीं मिलता मुझे करने दो न जान"
"इतना ही पसंद है तो अपनी गान्ड में क्यों नहीं लेती?"
"गान्ड में नहीं उसके लिए निशा है वैसे कैसी लगी निशा की गान्ड?"
"उफ्फ क्या याद दिला दिया तूने उसकी गान्ड का तो मैं दीवाना हो गया हूं जल्दी ही उसकी गान्ड को रगडूंगा जब वो चल रही थी तो उसकी हिचकोले देख कर मेरा लन्ड फड़फड़ा गया था"
"वो तो अब भी हो गया है" ये कह कर उसने एक जोरदार चुप्पा लगाया और असलम के लन्ड से वीर्य ऐसे बाहर निकला जैसे ज्वालामुखी के फटने से लावा बाहर निकलता है।
"प्रियंका मेरी रांड साफ कर इसे"
प्रियंका असलम के वीर्य को पी गई जो उसके मुंह में था बाकी वीर्य जो इधर उधर गिरा था वो चाट चाट के साफ करने लगी उसने असलम के लन्ड को भी अपने जीभ से चाट चाट कर चमका दिया ।असलम को अब नींद आ रही थी वो सोने लगा प्रियंका भी असलम का लन्ड मुंह में लेकर ही सो गई।