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Incest चुदक्कड़ गाँव की रासलीला

Mass

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Excellent story Tyler Bhai..looking forward to the next parts. Thanks a lot.
 

Vik1006

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update 19

रामू के लन्ड के झटकों से चंपा की चूत इतनी चिकनी हो गई थी कि हर धक्के के साथ फच फच की आवाज आ रही थी काफी समय तक रामू चंपा को चोदता रहता है , चंपा थक जाती है और एक बार झड़ जाती है

चंपा - आह रामू थोड़ा आराम करने दे मार देगा क्या ? आह

रामू - आह आह करके दो चार धक्के देता है और चंपा के ऊपर ढेर हो जाता है

चंपा की चूत से दोनों के प्रेम रस बेहने लगते हैं

चंपा रामू के बाल सहलाते हुए - बड़ा जानदार है रे तू रामू , चल अब जा यहां से मुझे भूख लगी है

रामू - इतनी जल्दी ! चल पहले मेरा लन्ड चूसके खड़ा कर मुझे एक बार फिर से तेरी सुराख भरनी है

चंपा बहुत चुदासी औरत थी वो थकने वालो में से नहीं थी

चंपा - अच्छा ठीक है देखती हूं कितना दम है तेरे लन्ड में

रामू - बहन की लौड़ी , दम की बात करती है , काफी दिनों से तेरी फुरसत से चुदाई नहीं हुई , साली अब देख तेरा क्या हाल करता हूं

ऐसा बोलते ही रामू अपना लन्ड चंपा के बालों को पकड़ के उसके मुंह में ठूंस देता है और चंपा बड़े ही चाव से उसका लन्ड चूसने लगती है फिर धीरे धीरे रामू का लन्ड फिर से कड़ा होने लगता है रामू के लन्ड से चंपा की चूत कि खुशबू आ रही थी जिसकी वजह से चंपा की चूत के दोनों होंठ लपलपा रहे थे

रामू चंपा को अपनी गोदी में उठाकर बिस्तर पर घोड़ी बना देता है

चंपा - रुक जा रामू क्या कर रहा है , ऊपर आ ना

रामू - चुप साली रण्डी , काम पीछे का है

चंपा - नहीं नहीं रामू देख ऐसा मत कर । वहां बहुत दर्द होता है मर जाऊंगी मैं

रामू चंपा की गान्ड पर हल्के हल्के थप्पड़ मारकर मसलते हुए कहता है - साली पहली बार ले रही है क्या ! खेतों में कितनी बार तेरी गान्ड मार चुका हूं फिर भी इतने नखरे दिखा रही है

चंपा - आह आह नहीं आह

रामू के थप्पड़ अब चंपा की गान्ड पर कुछ ज़्यादा ही जोर से पड़ने लगे थे जिससे उसके चूतड़ लाल हो जाते हैं वो अब मना तो नहीं कर रही थी बस सिसकियां भर रही थी

रामू अपनी दो उंगलिया चंपा की चूत में डालकर अंदर बाहर करने लगता है जिससे वो चिपचिपी हो जाती है और फौरन वो उन्हें पीछे से चंपा की गान्ड में घुसाने लगता है चंपा का मुंह खुलता चला जाता है और गान्ड की सुराख भी

चंपा - आह रामू मेरे राजा मत कर , रात भर खड़ा करके मार मेरी चूत मै कुछ नहीं बोलूंगी पर गान्ड में मत दाल रामू आह

रामू की दोनों उंगलियां अब जोर जोर से जल्दी जल्दी चंपा की गान्ड में अंदर बाहर होने लगती है और चंपा की सुराख खुलती चली जाती है

चंपा किसी तरह रामू की दो उंगलियों को बर्दाश्त कर रही थी पर रामू बिना कोई चेतावनी दिए ही अपने लन्ड का सूपड़ा चंपा की गान्ड के छेद पर लगा देता है और अपनी उंगलियां बाहर खींचकर अपने लन्ड को अंदर की तरफ पेल देता है

चंपा - आह हरामजादे मर गई रे

चंपा चीख पड़ती है उसकी आंखों से आंसू निकल आते हैं पर बेरहम रामू नहीं रुकता वो अपने लुनद को और गहराई में उतारता चला जाता है

रामू अपने लन्ड को बाहर खींच के अंदर की तरफ ठोक देता है और फिर चंपा की गान्ड मारने लगता है रामू जानता था कि ये साली पहले बहुत चिल्लाती है पर जब इसकी गान्ड एक बार अच्छे से खुल जाती है तो और मारने के लिए कहती है

चंपा धीरे धीरे मस्त होती जा रही थी जोर जोर से चीखने वाली चंपा की आवाज अब सिसकियों में बदल गई थी

चंपा अपनी कमर को और पीछे करके - आह आह मां करके सिसक रही थी , रामू का हर धक्का उसको आगे की तरफ धकेलता पर वो फिर से अपने गान्ड उछालते हुए पीछे की तरफ हो जाती

रामू की रफ्तार अब बढ़ती जा रही थी , रामू आगे की तरफ झुककर चंपा की बड़ी बड़ी चूचियों को पीछे से अपने हाथों में थामकर सटासट अपना लन्ड चंपा की गान्ड में घुसाता चला जाता है - आह मेरी जान चंपा तेरी चूत से ज़्यादा गरम और नरम तो तेरी गान्ड है बहुत मज़ा आ रहा आह ये ले ।

चंपा - आह आह मार ले। मेरे राजा मै तुझे अपना सब कुछ दे चुकी हूं कभी भूलना मत मुझे , अपनी चंपा को ऐसे ही प्यार करना , नहीं रह पाऊंगी मै तेरे लन्ड के बिना आह

रामू का लन्ड चंपा की गान्ड में तूफान मचाने लगता है कुछ समय बाद वो हांफते हुए चंपा की गान्ड में झड़ने लगता है और झड़ने के बाद वो अपने लन्ड को गान्ड से बाहर खींचता है , चंपा की गान्ड की सुराख रामू के प्रेम रस से भरी हुई थी और चंपा बेहोश होके बिस्तर पर पड़ी हुई थी। रामू अपने कपड़े पहन कर चंपा को सीधा करता है और उसके होंठों को चूम कर अपने घर की तरफ निकल जाता है
Nice Update...
 

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Update 24

रामू नहा धोकर बाथरूम में से सिर्फ तौलिया लपेटकर ही बाहर निकल आता है सामने लता खटिए पर बैठी मिलती है और शर्म के मारे वो अपना चेहरा दूसरी तरफ घुमा लेती है तो रामू झट से अपने कपड़े पहन लेता है

रामू - कुछ काम था क्या भाभी ?

लता - नहीं मै तो बस नाश्ते का पूछने के लिए आई थी

रामू - ठीक है ले आओ नाश्ता

लता मुस्कुराती हुई नाश्ता लेने चली जाती है और नाश्ता लेके आती है

रामू नाश्ता करते हुए लता से पूछता है - मौसी जी और भइया कहीं दिखाई नहीं दे रहे भाभी

लता - वो हमारे नए खेत में गए हैं वहां कुंवे की खुदाई का काम शुरू है

रामू - अरे वाह । मुझे भी अपने खेतों में कुंवे खुदवाने हैं मुझे भी ले चलिए ना भाभी , मुझे आपके नए खेत का रास्ता नहीं मालूम

लता - नहीं मै नहीं जा सकती

रामू - पर क्यों ?

लता - मुझे घर पर बहुत काम है आप पूछते पूछते चले जाना

रामू - अरे भाभी आप मुझे खेत दिखाकर वापस आ जाना

लता कुछ सोचकर - अच्छा ठीक है पर आप उनसे या मां जी से ये मत कहना कि मै आपके साथ खेत तक आई थी

रामू - ठीक है नहीं कहूंगा

नाश्ते के बाद रामू और लता खेत की तरफ चल देते है

रामू - भाभी एक बात पूछूं ?

लता - हां पूछो ना

रामू - रहने दो भाभी आप बुरा मान जाओगी

लता - ओहो पूछो भी नहीं मानूंगी बुरा

रामू - वो भाभी मै ये पूछना चाहता था कि जबसे मै यहां आया हूं तबसे मै गौर कर रहा हूं कि आप मुझे अजीब नजरों से क्यों देख रही हैं?

लता मुस्कुरा देती है - वो क्या है ना आपकी सूरत मेरे भाई से मिलती है मै जब भी आपको देखती हूं तो मुझे ये महसूस होता है कि मै अपने भाई को देख रही हूं

रामू - ओह तो ये बात है मै भी ना

लता - क्या ?

रामू - कुछ भी तो नहीं

लता - अच्छा खेत आ गया अब मै चलती हूं

रामू - अरे रुको भाभी यहां कोई नजर नहीं आ रहा ! कहां हैं धन्नो मौसी और भीमा भइया ?

लता घबराती हुई आवाज में - चलो घर चलते हैं शायद वो घर चले गए होंगे

रामू - रुको भाभी मै एक बार झोपड़ी ने देख लेता हूं

लता - नहीं नहीं देवर जी वहां मत जाओ

रामू अजीब नज़रों से लता को देखता है और चुपचाप झोपड़ी के पास चला जाता है वो झोपड़ी का दरवाज़ा खोलने ही वाला था कि अंदर से आ रही आवाज को सुनकर उसके हाथ रुक जाते हैं

लता भागते हुए रामू के पास आती है और बोलती है - चलो यहां से

रामू लता का हाथ पकड़कर झोपड़ी में बनी खिड़की के पास ले जाता है रामू समझ रहा था कि गांव का कोई लैला मजनू अंदर अपनी रासलीला में मगन है पर जैसे ही रामू खिड़की से अंदर झांकता है तो उसके हाथ पैर सुन्न पड़ जाते हैं

झोपड़ी के अंदर धन्नो और भीमा थे भीमा चारपाई पर लेटा हुए था और उसके पास बैठी धन्नो उसके पैर दबा रही थी ये देखकर रामू को अजीब सा लगता है क्योंकि धन्नो के हाथ भीमा की जांघ पर थे और वो जांघ को दबाते दबाते भीमा के लंड को भी छू रही थी

रामू और लता आखें फाड़े ये देख रहे थे

भीमा - मां आज रहने दो ना , बदन बहुत दर्द कर रहा है

धन्नो - इसलिए तो तेरे शरीर की मालिश कर रही हूं मै जानती हूं कि वो तेरी पत्नी लता तुझे सोने नहीं देती है और दिन में मेरे पास आने के बाद तेरा जिस्म दर्द करने लगता है

भीमा - अरे मां ऐसी बात नहीं है

धन्नो - बस बस रहने दे सब जानती हूं मै , वैसे भी बूढ़ी औरत किसे अच्छी लगती है तेरे बापू तो अब किसी काम के रहे नहीं और बेटा है वो भी अपनी जवान बीवी की ओखली में मुंह डाले पड़ा रहता है

भीमा - चुप कर साली , १८ साल की उम्र से तुझे पेल तरह हूं अभी तक तेरी आग नहीं बुझी

धन्नो - बेटा ये आग मरने के बाद ही शांत होती है देख ना मेरी चूची भी कैसे सूख गई है बिना पानी के ूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूू

भीमा - रुक साली अभी बताता हूं तुझे

भीमा धन्नो को नीचे गिरा देता है और खुद उसके ऊपर आकर उसकी बड़ी बड़ी चूचियों को मुंह में भरकर चूसने लगता है

धन्नो - आह चूस ले बेटा , रोज़ बस एक बार ही तो मांगती हूं तुझसे उसमे भी तू आना कानी करने लगा है आह

भीमा - मां तू बहुत कमीनी है रोज़ रोज़ करने के बाद भी रोती रहती है और देख लता को कई कई हफ्तों तक हाथ भी नहीं लगाता फिर भी मुंह से एक लफ्ज़ भी नहीं कहती वो।

धन्नो - कहां से बोलेगी ? बोलकर तो देखे फिर देखना मै क्या करती हूं उसका आह साली रण्डी कहीं की आह धीरे

भीमा अपनी जुबान धन्नो के मुंह में डालकर उसकी जुबान चूसने लगता है

धन्नो - उम्म उम बेटा मेरे मुंह में डाल ना अपना डंडा बड़ा मीठा लगता है मुझे उसका स्वाद

भीमा खड़ा होकर अपनी धोती सरका देता है और धन्नो के बालों को पकड़कर उसको थोड़ा ऊपर उठाता है धन्नो जैसे ही अपना मुंह खोलती है भीमा अपना लन्ड धन्नो के मुंह में पेल देता है धन्नो भी बड़े चाव से भीमा का लन्ड चूसने लगी थी

भीमा - आह मां इतनी जोर से मत खींचो ना आह

धन्नो भीमा की बात पर ध्यान दिए बिना हूं उसका लन्ड चूस चूस कर खड़ा कर देती है और अपनी दोनों टांगो को खोलकर लेट जाती है

धन्नो - चल आजा मेरे राजा बड़ी प्यासी हूं तेरे लंड के लिए

भीमा - पहले थोड़ा रसपान तो करने दो मां कहकर वो धन्नो की पैंटी उतारने लगता है

धन्नो अपने दोनो हाथों से सिसकियां भरते हुए अपनी चूचियां मसलने लगती है

भीमा जैसे ही धन्नो की चूत से उसकी पैंटी को उतारकर अलग करता है वैसे ही रामू को अपनी धन्नो मौसी की चूत के दर्शन हो जाते हैं ये सब नज़ारा देखकर रामू की पैंट में तम्बू बन चुका था और लता की सांसें तेज चल रही थी जिससे उसकी बड़ी बड़ी चूचियां रामू की पीठ पर बार बार घिस रही थी अंदर भीमा अपनी मां धन्नो की चूत पर अपनी जीभ से झाडू मारने लगता है और धन्नो अपनी गान्ड उछालते हुए भीमा के सर को अपनी चूत पे दबाने लगती है

धन्नो - ऊपर ऊपर की मलाई क्या खा रहा है असली माल तो अंदर है बेटे , घुसा दे अपनी जुबान अंदर मेरे लाल आह

भीमा अपनी जुबान धन्नो की चूत में पेल देता है

धन्नो - आह एक दिन तू मुझे इस तरह से मार देगा बेटा आह बस भी कर अब , देखता नहीं तेरी मां की चूत क्या चाहती है

भीमा धन्नो की आंखों में देखकर - उउम्म क्या चाहती है मेरी मां की चूत ?

धन्नो - अपने बेटे भीमा का लन्ड चाहती है तेरी मां की चूत , डाल दे ना रेे

भीमा धन्नो के दोनों पैर खोल देता है और थोड़ा सा धन्नो की चूत से निकला पानी अपने लन्ड पर लगाता है

भीमा धन्नो की आंखों में देखते हुए - ये ले मां आह ।।।।

धन्नो - हाए मर गई भीमा आह

भीमा का लन्ड रामू की तरह नहीं था पर भीमा के लंड में इतनी ताकत थी कि वो किसी भी औरत को संतुष्ट कर सकता था भीमा धन्नो की चूत में अंदर तक अपना लन्ड पेलकर चोदने लगता है और धन्नो अपने बेटे भीमा से चिपक कर नीचे से अपनी गान्ड उछालने लगती है

धन्नो - आह काश मेरा एक बेटा और होता तो दोनों बेटों का आगे पीछे से लेती आह

भीमा - क्यों मेरा कम पड़ता है क्या मां तुझे ?

धन्नो - नहीं बेटा तू नहीं समझेगा

लता की चूत खड़े खड़े पानी छोड़ने लगती है और वो रामू का हाथ पकड़कर खेत से बाहर ले आती है दोनों कुछ दूर चलकर एक कुंवे के पास बैठ जाते हैं दोनों एक दूसरे को ना देख रहे थे और ना ही कुछ बोल रहे थे
Mast update diya bhai. Bhout majja aaya.likhte raho.
 

Tyler herro

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Update 26

रामू और लता घर पहुंच जाते हैं दोपहर का समय था सब खाना खाकर सो जाते हैं शाम को रामू की नींद करीब ६ बजे खुलती है वो हाथ मुंह धोकर आता है तो देखता है कि उसकी चारपाई पर भीमा बैठा है

भीमा - रामू दारू के ठेके पर चलेगा क्या ?

रामू - नहीं भाई आप जाओ मेरा मन नहीं है

भीमा - तू चल तो सकता है ना , मै नशे में ठेके से अकेले कैसे आऊंगा ?

रामू - ठीक है मै भी चलता हूं फिर

फिर दोनों ठेके पर आ जाते है रामू शराब नहीं पीता था पर भीमा जी भरकर पीता था और वो पीता चला जाता है जब उसका कोटा पूरा हो जाता है और वो ठीक से चल भी नहीं पाता तो रामू उसको अपने कंधे का सहारे से घर वापस लाने लगता है भीमा शराब के नशे मै कुछ बड़बड़ाने लगता है

भीमा - रामू बड़ा ही कमीना निकला रे तू , बड़ा ही किस्मत वाला है तू , रगड़ रगड़ कर चोदता होगा उस चंपा रानी को क्यों?

रामू - कैसी किस्मत भइया , साला छुप छुपकर चुदाई करनी पड़ती है किस्मत तो आपकी है शादी जो हो गई है

भीमा - कौन तेरी भाभी ? वो रण्डी तो झूठन है अपने भाई की

रामू - क्या मतलब??

भीमा - मतलब वो अपने भाई से लगी हुई थी , उसके मां बाप ने उस झूठन को मेरे गले बांध दिया साली अपने भाई से चुदाती थी हरामजादी

रामू के दिमाग की नसें फड़फड़ाने लगती हैं उसको यकीन नहीं होता कि लता भाभी अपने भाई के साथ।।।।

रामू - आप झूठ बोल रहे हो ना भइया

भीमा - अरे रामू मेरी बात झूठी निकले तो मूत देना मेरे मुंह पर

रामू भीेमा को सहारा से उसके कमरे में ले जाता है लता कमरे में साड़ी पहन रही थी भीमा को नशे में देखते ही लता उसको सहारा देने आगे बढ़ती है तो भीमा उसके हाथ झटक देता है और बिस्तर पर गिर जाता है और कुछ ही पलों में वो सो जाता है

फिर सब रात का खाना खाते हैं और फिर रामू आपनी मां सविता और बहन बेला के साथ आंगन में गद्दे पर सो जाता है रामू का मन आज बहुत विचलित था वो कभी अपने सपने में भी नहीं सोच सकता था कि उसकी भाभी अपने भाई के साथ चुदाई करती थी और धन्नो मौसी अपने है सगे बेटे के साथ।।।। रामू को तो ये सोच सोच कर अजीब सा लग रहा था , वो यही सब सोचते सोचते सो गया

सुबह जब रामू की नींद खुली तो उसका मुंह उसकी मां सविता की बड़ी बड़ी चूचियों की मोटी दरार में घुसा हुआ था। रामू ने झटके से अपना मुंह पीछे किया तो उसने देखा कि उसकी मां की साड़ी का पल्लू उसकी पहाड़ जैसी छाती से हटा हुआ था और ब्लाउज के दो बटन भी खुले हुए थे ये देख रामू ने अपना सर जोर से झटका और सीधा बाथरूम से घुस गया

रामू बाथरूम से बाहर आया तो उसने देखा कि सविता उठ चुकी थी और रसोई में धन्नो मौसी के साथ नाश्ता तैयार कर रही थी सुबह के ७ बजे थे

तभी रामू ने देखा कि उसकी लता भाभी झाड़ू लेके छत पर जा रही है।

रामू अपनी भाभी के पीछे पीछे छत पर आ गया , उसने देखा कि लता भाभी झुक कर झाड़ू लगा रही थी जिससे लता की बड़ी बड़ी चूचियों की दरार रामू को साफ साफ दिखाई दे रही थी। रामू अपनी भाभी को झाड़ू लगाते देखकर गरम हो रहा था

लता ने भी अपनी तिरछी नजर से रामू की नजर का पीछा किया तो उसने पाया कि रामू लगातार उसकी बड़ी बड़ी चचियों को घूरे जा रहा है। ये देख लता के निचले होंठ फड़फड़ाने लगे

लता - ऐसे क्या घूर रहे हो देवर जी , अपना मुंह दूसरी तरफ करो

रामू - क्क क्यों ?

लता - करो भी , मुझे पिशाब जोर से लगी है

रामू अपना मुंह दूसरी तरफ कर लेता है पर कुछ देर बाद वो फिर से उस तरफ देखता है जहां लता खड़ी थी। लता मुस्कुराती हुई रामू को देखती है और अपनी झाड़ू को पटक के छत के कोने में जाके खड़ी हो जाती है और अचानक अपनी साड़ी और पेटीकोट उठाकर नीचे बैठकर रामू की तरफ देखते हुए मूतने लगती है इस बार वो रामू को दूसरी तरफ देखने को नहीं कहती और मूतने की बाद वो अपनी साड़ी ठीक करके रामू के सामने आके खड़ी हो जाती है

लता - एक बात पूछूं देवर जी ?

रामू - हां पूछो भाभी

लता - देखो रामू बुरा मत मानना। अब तुमने इतना कुछ देख ही लिया है तो तुम मुझसे एक दोस्त की तरह बात कर सकते हो मै तुमसे वादा करती हूं कि किसी से कुछ नहीं कहूंगी

रामू - ठीक है ।

लता - तो बताओ कि तुम्हे तुम्हारी मां कैसी लगती है?

रामू - सच कहूं तो मां मुझे साड़ी में बहुत अच्छी लगती है , मां का हिलता हुए पेट मुझे बहुत पसंद है और....

लता - और ?

रामू अपना सर झटकते हुए - और कुछ भी नहीं। भाभी आप अपना दिमाग बेकार में ऐसी बातों में मत लगाओ , वैसे भी इस समय मेरा मन बहुत विचलित है

लता - क्यों किसी ने कुछ कहा तुम्हे ?

रामू - हां

लता - किसने और क्या कहा ?

रामू - रहने दो भाभी मै चलता हूं

लता रामू का हाथ पकड़ के - रुको , मुझे बताओ कि आखिर बात क्या है

रामू - वो भाभी कल शाम को मै भाइया के साथ घूमने गया था तो

लता - तो तुम्हारे भइया ने कुछ कहा क्या तुमसे ?

रामू - हां। अब वो मै आपको कैसे बताऊं ?

लता रामू का हाथ पकड़ के अपने सर पर रख देती है - तुम्हे मेरी कसम रामू बोलो क्या बात है

रामू - वो भाभी कल भइया ने रात को नाशे में मुझसे कहा कि तुम अपने भाई की झूठन हो , मुझे भइया की बात पर बिल्कुल भी यकीन नहीं है भाभी

लता - उन्होंने तुमसे बिल्कुल सच कहा है रामू , मै अपने भाई की झूठन हूं मै अपने भाई के साथ सो चुकी हूं और वो सब कर चुकी हूं जो एक भाई बहन अपने सपने में भी सोच नहीं सकते ।

रामू - पर भाभी आप इतनी समझदार औरत होकर भी।।।। आपसे ये सब कब हुआ ?? और कैसे हुआ ??

लता अपनी ज़िन्दगी की किताब को रामू के सामने खोल देती है

ये बात तबकी है जब मै १९ साल की थी..... Continues
 
Last edited:

Tyler herro

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Aap sabhi ke comments ke liye bahut bahut shukriya , kahani padhne ke saath saath apne suggestions bhi dijiye. Motivate karte rahiye

Kahani ke kisi character par apne sujhaav dena chahte hain toh zaroor dijiye kyunki kahani ke har character ki bhoomika hai

Aapke comments ka intezaar rahega
 

Tyler herro

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Update 27

लता अपनी ज़िन्दगी की किताब को रामू के सामने खोल देती है।

ये बात तबकी है जब मै १९ साल की थी और मेरा भाई मोनू १८ साल का।

मेरा बाप जयप्रकाश एक शराबी और जुवारी आदमी था दिन रात जुआ खेलना शराब पीना उसकी आदत है। माँ उसका हर सितम सहते रही। दोनों रोज़ लडते थे और दूसरे दिन मिल भी जाते थे।

एक दिन मै पानी पीने उठी तो मुझे माँ के रोने की आवाज़ सुनाई दी। मै जब उनके कमरे के पास गई तो मैंने माँ को चीखते सुना। बापु उन्हें मार रहा था पता नहीं किस बात पे। मैंने दरवाज़ा खटकाया तो कुछ देर बाद माँ बाहर आई मैंने उनसे पूछा की बापू तुम्हें क्यों मार रहें है।

पर माँ ने मुझे कुछ नहीं कहा और मुझे सोने को कहके वापस कमरे में चले गई।

मै कुछ देर वही खड़ी रही कुछ देर बाद माँ की चीखें और सिसकारियों की आवाज़ सुनाई दी मै डर के मारे भाई को उठाने गई।

जब भाई मेरे साथ माँ के कमरे के पास आया तो माँ के रोने की आवाज़ बंद हो चुकी थी और हलके हलके सिसकने की आवाज़ सुनाये दे रही थी । मै और मेरा भाई मोनू हम खिडके में से झाकने लगे हम बहुत डर गए थे। मुझे लगा की बापु नशे में माँ को जान से ना मार दे।

जब मै और भाई खिडकी के पास पहुंचे तो अंदर का नज़ारा देख दोनों की नज़रें झुक गई।

वो दोनों सम्भोग कर रहे थे माँ उलटी लेटी हुई थी और बापू उनके कमर पे थप्पड मारते हुए उन्हें पीछे से चोद रहे थे।

हमे वहां से जाना चाहिए था पर हम दोनों वहां से नहीं हटे।
वो दोनों तो कुछ देर बाद सो गये पर हमारे जवान जिस्म जग चुके थे। मै भाई से नज़रें चुराके अपने कमरे में जाके लेट गई।

कुछ देर बाद भाई मेरे कमरे में आया और उसने दरवाज़ा बंद कर दिया। मै उसे देखते रह गई दोनों की साँसे एक रफ़्तार में चल रही थी।

वो बिना कुछ बोले मेरे ऊपर आकर मुझसे चिपक गया

वो कुछ भी नहीं बोल रहा था। बस एक एक करके उसने पहले खुद के फिर मेरे सारे कपडे निकाल दिए। मै उस वक़्त तक सोचने समझने की शक्ति खो चुकी थी और सितम तो तब हुआ जब भाई ने अपनी ज़ुबान उस जगह लगाई जिसे आज तक मेरे सिवा किसी ने नहीं देखा था।

वो मुझे सर से ले के नीचे तक चूमता रहा चाटते रहा मै मचल रही थी भाई के जिस्म को अपने नाख़ून से नोच रही थी। पर नहीं जानती थी की भाई क्या क्या करेगा मेरे साथ।

उसने बस एक बार मेरे कानो को अपने मुंह में लेके धीरे से मुझसे पूछा।

लता मै तुझे अपना बना लूँ।

और मै हवस की आग में जलते हुए उससे कह बैठी हाँ भाई मुझे हमेशा हमेशा के लिए अपना बना लो।

उसके बाद उसने मुझसे कोई बात नहीं किया बस उसका वो हिस्सा मेरे अंदर घुसता चला गया और मै भाई के मुंह में चीख़ती चली गई क्योंकि उन्होंने मेरे होंठो को अपने होंठो में भर लिया था।

मै अपने भाई मोनू से बहुत प्यार करती थी और ये प्यार दिन ब दिन परवान चढ़ता रहा उस रात के बाद हमने कई रातें एक साथ पति पत्नी की तरह गुज़ारी।

एक दिन माँ और बापू बाहर गए हुए थे। तभी भाई ने मुझे पीछे से पकड़ के अपने कमरे में ले गया और हम अपने प्यार को और मज़बूत करने में लग गए पर होनी को कुछ और ही मंज़ूर था।

जब हम भाई बहन एक दुसरे में खोये हुए थे तभी बापू वहां आ गये और उन्होंने एक लकड़ी से भाई और मेरी खूब पिटाई की। भाई को उन्होंने घर से निकाल दिया।

मै मार और दर्द से चीख रही थी मुझे नहीं पता था की बापू की नियत मुझपे भी ख़राब है।

उन्होंने अपने सारे कपडे निकाल दिए। मै बहुत डर गई थी। मै जानती थी की सारी गलती मेरी है और अगर मै चिल्लाई तो मै ही कसूरवार कहलाऊँगी। बापू के इरादे मै जान चुकी थी वो मुझे जो करने के लिए कहते गए मै करती गई। उनके जिस्म के हर हिस्से को मैंने चुमा उन्होंने जैसा कहा मैंने अपने मुंह में लिया उनके लंड को उन्होंने कितनी देर तक मुझसे चुसवाया और फिर उन्होंने अपने बाप होने का फ़र्ज़ भी निभा दिया।

मै चीख़ते रही चिल्लाती रही पर ना माँ को रहम आया न बापू को कोई रहम आया।

कुछ महिने ऐसे ही गुज़रते रहे माँ और मै रोज़ बापू के सामने पेश होते माँ मुझे मारती भी और प्यार भी करती थी मै एक तरह से ज़िंदा लाश बन चुकी थी जिसका सिर्फ एक काम था अपने बापू की इच्छा का पालन करना।

उन्होंने हर गंदे तरीके से मुझे भोगा उन्होंने मेरे साथ कितनी बार बिना मेरी मर्जी के संभोग किया । मुझे जैसा बोलते थे मैं वैसा करती थी। उन्होंने बाप होने का फर्ज अच्छी तरह से निभाया और मुझे जब जहां चाहा वैसे चोदा।

उस दौरान तुम्हारे भाई भीमा का रिशता हमारे घर आया। माँ तो मुझसे परेशान थी ही उसने जल्दी से मेरी शादी करवा दी और मै यहाँ आ गई। मां ने शादी के तोहफे के रूप में मुझे एक बहुत क़ीमती तोहफ़ा भी दिया। तुम्हारे भैया को मेरी मां ने सारी बात बता दी बस ये नहीं बताया की मेरा बापू भी वो सब कर चूका है मेरे साथ।

उस दिन से लेके आज तक मुझे न पति का सुख मिल पाया न एक औरत होने का।

लता बोलते बोलते रो पडती है।

रामू ये सब सुनके उसे अपने से चिपका लेता है।

रामू - बस बस चुप हो जाओ भाभी । मै भी तो आपके भाई जैसा हूँ ना आप ने ही तो कहा था की मै बिलकुल आपके भाई जैसा दिखता हूँ।

लता हंस पडती है - तो क्या ?

रामू - मेरा मतलब भाभी फिर आपके भाई मोनू का क्या हुआ ? वो घर से भाग कर कहां गया ?

लता - मोनू उस दिन गांव से शहर की तरफ भागा था लेकिन अगले दिन गांव में उसकी लाश आई । किसी ने बताया कि वो ट्रक के नीचे आ गया था शायद उसने शरम के मारे आत्महत्या कर ली हो ! या गलती से वो ट्रक के नीचे आ गया हो.... खैर छोड़ो रामू मै ये बात भुला चुकी हूं

रामू गुस्से में - भाभी मेरा मन तो कर रहा है कि आपके मां बापू को ज़िंदा जला दूं

लता - अब इसकी कोई जरूरत नहीं है उन दोनों को उनके कर्मों का फल मिल गया है बापू के पेट में कीड़े लग गए थे और समय पर इलाज न मिलने के कारण वो तिल तिल कर मरते रहे सालों तक फिर खत्म हो गए और मां अब बेसहारा हो चुकी थी उसको कोई सहारा नहीं देने आया और वो भी तिल तिल के मर गई। दोनों की चिता को मैंने अपने हाथों से आग दी थी।

रामू - ओह । भाभी जब आपने मुझे अपना भाई माना है तो ये भाई आपसे वादा करता है कि आपको इस घर में अपनी सास और पति के दिल में वो जगह , वो सम्मान ज़रूर दिलवाएगा जिसकी आप हकदार है

लता रामू को देखती रह जाती है

फिर रामू छत से नीचे उतर आता है और नाश्ता करने लगता है
 

Tyler herro

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Update 28

रामू नाश्ता करने के बाद सविता और बेला के साथ गांव में कुछ रिश्तेदारों से मिलने निकल गया।

गांव में एक से एक जवान लड़के थे। रिश्तेदारों से मिलना तो बस बहाना था दरअसल रामू और सविता मिलकर बेला के लिए अच्छा सा रिश्ता देख रहे थे।

शाम हो चुकी थी। रामू , सविता और बेला घर आ चुके थे। धन्नो आंगन में सबके लिए चाय लेकर आई

धन्नो - बन्नो क्या हुआ इतनी परेशान क्यों नजर आ रही है

सविता - अरे दीदी बात ही कुछ ऐसी है। बड़े समय से बेला के लिए लड़का देख रहे हैं पर इसको कोई पसंद ही नहीं आता है २४ साल की घोड़ी हो गई है और १ साल गुजर गया तो कौन करेगा इससे शादी

बेला गुस्से में उठ के छत पर चली जाती है

रामू - ऐसा क्यों बोलती हो मां , मै इस साल एक अच्छा सा लड़का देखकर इसकी शादी रचा दूंगा

धन्नो - रामू बेटा बेला की उम्र २४ साल हो चुकी है इसलिए मै तो कहती हूं जल्दी से जल्दी इसके लिए कोई रिश्ता देख ले वरना १ साल और बीत गया तो बेचारी ज़िन्दगी भर कुंवारी बैठी रहेगी

रामू - ये क्या बोल रही हो मौसी मै हूं ना बस अब मेरा लक्ष्य बेला की शादी करना ही है

धन्नो - ठीक है जैसा तुझे सही लगे

रामू - मौसी मुझे लगता है कि बेला के मन में ज़रूर कुछ चल रहा है वरना पिछले २ साल में इतने अच्छे रिश्ते आए थे उसके लिए वो इतने सारे रिश्ते नहीं ठुकराती।

धन्नो - रामू बेटा कहीं कोई चक्कर तो नहीं चल रहा बेला का।

सविता - शुभ शुभ बोलो दीदी मेरी बेटी वैसी नहीं है

रामू - नहीं मौसी बेला बड़ी सीधी लड़की है पर हां थोड़ी शैतान है और गांव में किसी लड़के में इतनी हिम्मत कहां जो मेरी बहन पर नजर उठा कर देखे।

सविता - हां दीदी रामू बिल्कुल सही कह रहा है

धन्नो - अरे हमारे पड़ोस में एक लड़की थी हम उसको बहुत सीधा समझते थे और दिखने में भी वो बड़ी भोली भाली सी थी। पिछले ही महीने अपने प्रेमी के साथ भाग गई अपने मां बाप और भाई को अकेला छोड़ कर , एक बार भी उस कमीनी ने अपने परिवार के बारे में नहीं सोचा।

धन्नो के मुंह से ये बात सुनकर रामू और सविता के हाथ पैर सुन्न पड़ जाते हैं

रामू - मौसी ऐसा कुछ नहीं है मै बेला से बात करता हूं और मौसी आप किसी दूसरे विषय पर बात करो मां से।

सविता - समझा देना लल्ला अपनी बेला को

रामू - जी मां

रामू फिर छत पर आ जाता है , बेला एक कुर्सी पर बैठी होती है और रामू को देखते ही वो खड़ी हो जाती है

रामू - बेला कोई ऐसी बात तो नहीं जो तू मुझसे छुपा रही है

बेला डर जाती है कि कहीं रामू को उसके और जग्गू के बारे में पता तो नहीं चल गया

bela- क्यों ?

रामू बेला का हाथ पकड़ के - देख बेला हमेशा मैंने तुझे एक बड़े भाई से भी बढ़कर एक बाप की तरह पाला है मैंने तेरे लिए किसी भी चीज की कोई कमी नहीं रखी।

बेला - ऐसा क्यों बोल रहा है रामू अगर बापू भी ज़िंदा होते तो वो भी इतना नहीं करते जितना तूने मेरे लिए किया है

बेला की आंखें नम हो जाती हैं

रामू - तेरा कहीं कोई चक्कर तो नहीं चल रहा ना, देख अगर ऐसा कुछ है तो बता दे मुझे

बेला - नहीं भाई

रामू - सच में ? देख अगर झूठ बोली तो मै तुझे कभी माफ नहीं करूंगा

बेला रोने लगती है और रामू उसको अपने सीने से लगा लेता है

बेला - भाई तू अब जिससे बोलेगा मै उससे शादी कर लूंगी, भाई और बाप दोनों का फ़र्ज़ निभाया है तुमने और मैंने ऐसा कोई काम नहीं किया भाई जिससे तू शर्मिंदा हो

रामू - मुझे पता था तू अपने भाई की बहुत इज्जत करती है

बेला ने रामू से झूठ बोला पिछले २ सालों से बेला का जग्गू के साथ चक्कर चल रहा था जग्गू और बेला एक दूसरे से बहुत प्यार करते थे भले ही बेला और जग्गू ने कभी संभोग नहीं किया था। बेला को अपने से ज़्यादा जग्गू की फिकर थी इसलिए उसने जग्गू के लिए झूठ बोल दिया

बेला - भाई अगर सच में मेरा किसी के साथ चक्कर चल रहा होता तो?

रामू - तो क्या ? बात करता उससे और अगर लड़का अच्छा होता तो उससे तेरी शादी कर देता

रामू की बात सुनकर बेला की ऐसी हालत हो गई थी कि काटो तो खून नहीं। बेला को लगता था अगर रामू को उसने सच बता दिया तो रामू जग्गू की चमड़ी उधेड़ देगा पर अब बेला रामू से झूठ बोलकर खुद अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मार चुकी थी

बेला को लगता था कि रामू भी गांव में दूसरे लड़कियों के भाइयों की तरह होगा लेकिन रामू सबसे अलग था उसने कभी भी बेला के हाथों और पैरों में बेड़ियां नहीं बांधी थी बेला को खुली आजादी दे रखी थी और अब बेला रामू को सच भी नहीं बोल सकती थी

बेला - रामू तेरे जैसा भाई दुनिया की हर बहन हो मिले। भाई मुझे तुझसे कुछ कहना है

रामू - बोल क्या कहना है?

बेला - भाई वो , वो भाई दरअसल , वो ये बात थी भाई , मै ये कहना चाहती थी तुझसे भाई

रामू - बोल ना बेला क्या बोलना चाहती है

बेला - भाई तू और चंपा बुआ उस दिन झोपड़ी में....

रामू की हालत ऐसी हो गई थी जैसे उसका दिल ही धड़कना बंद कर दिया हो

तभी रामू को वो दिन याद आता है उस दिन वो कोई और नहीं बेला थी और वो गमला बेला से ही टूटा था इसका मतलब ये था कि बेला ही झोपड़ी के बाहर खड़ी रामू और चंपा की रासलीला देख रही थी

बेला - भाई मै किसी से नहीं बोलूंगी

रामू - पक्का !

बेला - हां भाई पर तुझे कोई और नहीं मिली वो चंपा बुआ ही मिली थी

रामू - इसमें उसकी क्या गलती बेला उसकी शादी की उम्र निकल गई । तू भी उस बेचारी को बुआ बोल रही है

बेला - मै तो मज़ाक कर रही थी भाई , वैसे चंपा दीदी बहुत सुंदर है तो फिर तुमने क्या सोचा है

रामू - मतलब?

बेला - मेरा मतलब तू उससे शादी करना चाहता होगा ?

रामू - मैंने सोचा नहीं अभी तक और लोग क्या कहेंगे चंपा मुझसे उम्र में ६ साल बड़ी है

बेला - ये क्या बात हुई भाई वो सब करने से पहले तुझे उम्र नहीं दिखी चंपा दीदी की ??

रामू - देख बेला ये सिलसिला पिछले साल ही शुरू हुआ है और मैंने अभी इस बारे में सोचा नहीं है

बेला - तो सोच ले क्योंकि मैंने रत्ना चाची को मां से बात करते सुना था कि हरिया चाचा चंपा दीदी की शादी सेठ हीरालाल के किसी दोस्त से कर रहे हैं और वो 55 साल का कोई बूढ़ा और अमीर आदमी है

रामू - क्या ?

बेला - हां भाई । चल नीचे चलते हैं रात के खाने का समय हो गया है

रामू - ठीक है चल

फिर दोनों छत से नीचे आ जाते हैं
 
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